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बहुत ही मस्त और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 200
अमन के घर
ममता के कमरे का दरवाजा बंद था और कड़ी चढ़ी हुई थी ।
दरवाजे से लगे दिवाल से चिपका अमन खड़ा था और ममता घुटने के बल बैठी हुई थी अंडरवियर मे तने हुए मुसल को पम्प होता देख रही थी ।लन्ड का कड़कपन और उभरी नसे अंडरवियर के उपर तक झलक रही थी ।
ममता ने हाथ आगे कर अमन के लन्ड को आड़ो सहित हाथ से सहलाया और अमन की सिसकी निकल गयि ।ममता ने नजरे उठा कर अमन का भिन्चा हुआ चेहरा और फूलती छाती देखी और अंडरवियर के उपर से उसके सुपाड़े को चूमती हुई अंडरवियर निचे खिंचने लगीअगले ही पल उसका मोटा 9 इंच वाला बियर की कैन जैसा लन्ड उछ्ल कर ममता के आगे था ,
आंखो के आगे अपने बेटे का झूलता मुसल देख कर ममता की निगाहे उसके लाल मोटे आलू जैसे सुपाड़े पर जम गयिथुक गटक कर उसने लन्ड को दोनो हाथों मे भर कर पकड़ा और बचे हुए सुपाड़े से उसका घूंघट पीछे कियेअमन के लन्ड का टोपा अब पुरा खुल गया , सुर्ख गुलाबी और कामोत्तेजक गन्ध से भरा , खरोच मार दो तो भलभला कर खुन ख्च्चर हो जाये ।
लन्ड के कड़कपन से उसने एक गर्मी उठ रही और नसे पूरी कसी हुई थी ।
ममता ने कोमल हाथ उसके सतह पर टहल रहे थे और अमन हवा मे उड़ने लगा था ।ममता ने मुह खोलकर हल्की सी जीभ निकाली और सुपाडे के पी-होल पर टच किया और अमन का शरीर गिनगिना गया ।सासे तेज हो गयी ममता ने मुह की लार को जीभ से अपने होठो पर घुमा कर उसे गिला किया और सुपाड़े को कुल्फी की तरह एक बार सुरकागुलाबी सुपाडा एकदम से चिकना और चटक हो गया वही अमन के जिस्म मे कपकपी सी दौड़ गयी ।इस बार ममता ने बडा सा मुह खोला और आधे से ज्यादा लण्ड मुह मे , लन्ड की उठती गर्मी को मुह मे सोख कर होठो ठंडी मुलायम स्पर्श से ममता ने अमन को मदहोश कर दिया
लन्ड पर उसके होठ मानो ठंडी मलाई सी घिस रही थी और आड़ो को सहलाते ममता के हाथ अमन की हालत और खराब करने लगे थेअमन कसमसाता अकड़ता सिसकता अपनी मा के सर को छूने लगा , उसकी एडिया हवा मे उठ गिर रही थी , शरीर मे कपकपी सी हो रही थी , होठ बुदबुदा रहे थे और लन्ड को अपनी मा के मुह मे घुसेड़ रहा था ।ममता अमन के लन्ड को चुसती चुबलाती , आड़ो को टटोलती घुमाती , कभी जीभ सुपाड़े की गांठ पर नचाती तो कभी पी-होल पर कुरेदतीअमन - ऊहह मम्मीई उम्म्ं आह्ह कितना मस्त चूस्ती हो आप उह्ह्ह फक्क्क और लोहह्ह ऑफ़ मम्मीई सक इट उह्ह्ह येस्स्स्स
ममता को अमन के अन्ग्रेजी डायलोग भी खुब रिझा रहे थे और वो उसके लन्ड को मसल मसल कर खुब खुब चाट कर चिकना कर रही थी5 मिंट 7 फिर 12 फिर 18
घड़ी की सुईया बदल रही थी मगर नही बदल रहा था तो वो था अमन के लन्ड का फौलादी पन
एकदम तना बास के खूँटे जैसे , इनच भर ना छोटा हुआ ना सिकुड़ा ।ममता के हाथ और होठ दोनो दर्द से चूर, गाल की मासपेशियाँ भी थक कर चूर, अब उसे थोडा थोडा समझ आया कि क्यू बहू ने मना किया होगा । वरना भल इतने मोटे मुसल और हाथ भर बड़े लन्ड को देख कर किसको लालच ना आये ।अमन - क्या हुआ मा
ममता - सॉरी बेटा, वो मै थक गयि
अमन - क्या ? तो इसका क्या ? ये ऐसे रहेगा क्या ?
ममता - अह बेटा कैसे होगा सही तेरा , तु ही बता अब
अमन का तो पुरा मन था कि खुल कर बोले कि मम्मी एक बार चुदवा लो लेकिन ममता ने पहले ही इस बात को लेके उसे मना कर चुकी थी।अमन ने थोड़ी हिम्मत की और अपना मुसल हिलाते हुए - मम्मी वो आप दिखा दो ना घूम करममता नासमझने का नाटक कर मुस्कुराती हुई - क्या दिखा दूँ
अमन - आह्ह मम्मी वो आपका , उसे देख कर निकल जायेगा
ममता - अरे बाबा उस्का नाम गाम है या नहीं
अमन अपनी मा को हस्ता देख कर मुस्कराया शर्माया - आपकी गाड़ दिखा दो नाममता - बस उस्से हो जायेगा तेरा
अमन - हा , शायद !
ममता मुस्कुरा कर वैसे ही अमन की ओर घूम गयी - ले निकाल लेअमन छोटे ब्च्चे जैसे चिढ़ कर - अहा मम्मी प्लीज खोल के नाममता हसी और अपने सलवार का नाड़ा खोलती हुई - अच्छा तो ऐसे बोल ना खोल के दिखाओअमन की सासे चढने लगी और लन्ड पहले से ज्यादा कसने लगा
ममता ने सलवार खोलकर निचे घुटनो तक अटका दिया और आगे झूकते हुए अपना सूट गाड़ से उपर खिंच लिया ।सामने का नजारा देख कर अमन की आंखे फैल गयी , लन्ड के मुह से भी लार टपकने लगी ।
ममता के आगे झुकने से उसकी बड़ी सी गाड़ फैल गयी और मोटी फाको वाली बुर के भी दरशन अमन को होने लगे
वही बाहर हाल मे मुरारी भोला साथ मे बैठे थे और सामने मदन बैठा हुआ था ।मुरारी भोला के साथ शादी के ही हिसाब कर रहा था और दो दिन बाद सोनल के मायके से जो मेहमान आने वाले थे उनकी चर्चा हो रही थी ।
अक्समात मुरारी ने नजर भर सामने बैठे मदन को उसके चेहरे की लाली और मुस्कुराते होठ देख कर मुरारी खीझ गया , मगर उसे समझ नही आया कि किस बात पर मुस्कुरा रहा है ।
तभी उसने मदन की गुपचुप निगाहो का पीछा किया तो पाया कि उसके ठिक पीछे जीने की सीढ़ी पर कुछ तो है जो वो देख रहा है चोरी चोरी
वही उसके ठिक पीछे सीढियों पर ब्लाउज पेतिकोट मे बैठी संगीता धीरे धीरे अपनी पेतिकोट उपर कर अपनी बुर की धारियाँ मदन को दिखा रही थी ।
जिसे देख कर मदन के लन्ड कुरते के निचे फड़क रहे थे
संगीता ने भरे घर मे जहा कोई भी आसानी से आ जा सकता था बिना डर के अपनी जान्घे फैला लर अपनी झाटो से भरी चुत के फाके दिखाते हुए मदन को इशारे से बुला रही थी जिससे मदन की बेचैनी और बढ़ गयी ।इधर मदन का बार बार गरदन इधर उधर करना , जांघों पर जान्घे रख कर बैठने के तरीके मे बदलाव , इनसब से मुरारी का शक यकीन मे बदल रहा था कि जरुर उसके पीछे कुछ तो है इसको पता करने का एक ही तरीका था मुरारी झटके से उठा - जीजा तुम जरा बैठो मै फ्रेश होकर आता हुइधर मुरारी के उठने से मदन की सासे अटक गयी और मुरारी सामने खड़ा था तो मदन जीने की सीढियों पर बैठी संगीता को आगाह भी नही कर सकता था ।मगर इससे पहले कि मुरारी घूमता संगीता झट से अपना पेतिकोट गिरा कर सीढियों पर बिखरी हुई साडीया समेटती हुई जीने पर चढने लगी ।
वो मदन की आंखो से ओझल हो गयी तो मदन ने चैन की सास ली मगर मुरारी ने जैसे ही हाल ने बाथरूम की ओर घुमा उसकी तेज नजर से जीने से उपर ब्लाउज पेतिकोट मे अपनी बड़ी सी गाड़ हिलाते हुए संगीता को जाते देखा और उसका लन्ड फड़क उठा ।मुरारी मन मे बड़बडाया - बहिनचोद ये लोग तो दिन दहाड़े खुल्लम खुला , और मै मेरी बीवी से भी कुछ बोलना हो तो झिझक होती हैमुरारी बड़बड़ाते हुए अपने कमरे के बाहर आया तो दरवाजा खटखटाया , दो बार कि खटखट फिर ये सोच कर आगे बाथरूम की ओर बढ़ गया शायद ममता आराम कर रही हो ।इधर अमन अपना मुसल हाथ मे पकड़े अपनी मा की चुत और बड़ी सी चुतड़ को देख कर कामोत्तेजना से भरा हुआ था , वही ममता की भी चाह थी कि अमन आज आगे बढ़े, भले वो खुल कर अपने बेटे से दिल की बात नही कह सकती थी मगर 9 इंच के मोटे खूँटे को अपनी बुर की गहराई मे लेने ना मजा वो नही चूकना चाहती थी ,ऐसे मे दरवाजे पर हुई दस्तक ने दोनो के ध्यान भन्ग किये
ममता और अमन दोनो ने सरपट और जल्दी से अपनी सलवार और पैंट उपर किये ।ममता हड़बडा कर - तु यही बैठ जा , मै देखती हु ,अमन की भी हालत खराब थी भले ही घर या समाज मे कोई भी मा बेटे के इस रिश्ते पर उंगली नही उठा सकता था मगर चोरी मन को भयभीत कर ही जाता है ।ममता भी अपने चेहरे से पसीना पोछती हुई दरवाजा खोलती है और बाहर झाकती है ।
अमन - कौन है मम्मी
ममता - यहा तो कोई नही है
अमन ने राहत की सास ली और उठ कर अपनी मा के पीछे खड़ा होकर अपना मुसल पैंट के उपर से उसके चुतड पर चुभोता हुआ - तो बन्द करो ना मम्मी अब इसे ।ये बोलकर अमन ने दरवाजे की कड़ी फिर से लगा दी और अपनी मा को पीछे से पकड कर हग कर लिया ।ममता कसमसाई- ऊहह बेटा छोड़ ना
अमन अपना लन्ड अपनी मा के चुतड के दरारो मे घिसता हुआ - आह्ह मम्मी खोलो ना इसे
ममता अलग होकर दिवाल से लग गयि और उसके सामने अपना बियर की कैन जैसा 3 इंच मोटा लन्ड हाथ मे भर हिला रहा था , जिसे देख कर ममता की चुत बजबजा उठी थी और वो कमोतेजक होकर अपना सूट आगे से उठा कर ब्रा भी उपर कर ली और दोनो थन जैसी मोटी मोटी चुचिया हाथो मे भर कर अमन को दिखाती हुई - उह्ह्ह लेह्ह्ह बेटा निकाल लेह्ह ऊहहअमन सामने अपनी मा की नन्गी चुचिया और उनके कड़े निप्प्ल देख कर और भी जोश मे आ गया और अपना लन्ड जोर से मुठियाता हुआ आगे बढ़ कर अपना एक हाथ ममता की चुचियो पर रख दियामुलायम कडक निप्प्ल का हथेली मे स्पर्श पाकर अमन का जोश चौगुना हो गया और वो हाथो मे भर कर अपनी मा की चुचिया मिजते हुए अपना लन्ड मुठियाने लगा वही अमन के स्पर्श से ममता का जिस्म गिनगिना गया और उसके पैर कापने लगेइस्से पहले कि वो आगे बढ़ते दरवाजे पर एक बार फिर दसत्क हो जाती है और दोनो हड़बड़ा कर अपने कपड़े ठिक करते है और अमन लपक कर बाथरूम मे घुस जाता है
वही ममता कमरे का दरवाजा खोलती है ।मुरारी झटके से कमरे मे आता है ।
ममता घबरा रही थी कि कही वो बाथरूम की ओर ना चला जाये - क्या हुआ जी क्या खोज रहे हैमुरारी - अह वो एक डायरी थी ना शादी के हिसाब वाली , कहा है ?ममता परेशान थी और वो चाहती थी कि मुरारी जल्दी से जल्दी निकल जाये इसीलिए वो खुद वो डायरी अपने ड्रा से निकाल कर दे देती है और मुरारी बाहर निकलते हुए - तुम खाली हो गया अमन की मा !ममता - हा कहिये ?
मुरारी - वो टेन्ट वाले काशी भाई आए हिसाब लेने जरा चाय बना दोगी ।ममता - हा हा क्यो नही चलिये
फिर ममता ने कमरे का दरवाजा भिड़का कर अपने लाडले के लिए अफसोस जताती हुई चली गयी ।वही कुछ देर बाद अमन खीझ हुआ कमरे से बाहर , उसकी कामोत्तेजना अभी भी शान्त नही हुई थी । उसका लन्ड पैंट मे साफ उभरा हुआ नजर आ रहा था ।
ऐसे हालत मे वो निचे रुकने से बेहतर उपर कमरे मे जाने का सोच रहा था और दबे पाव चुप चाप जीने से होकर उपर निकल लिया और जैसे ही अपने कमरे की ओर बढ रहा था कि किसी ने लपक कर उसकी कलाई पकडी ।" आहा , देवर जी किधर "राज के घर
कमरे मे एक चुप सन्नाटा पसरा हुआ था ।
निशा और रज्जो एक दुसरे के सामने उस परिस्थिति के लिए अंजान होकर भौचक्के होने का नाटक कर रहे थे ।और सबसे पहली सफाई निशा ने दी , झट से उसने अपने सीने से चुन्नी खीची और फर्श पर हिल रहे उस डिलडो पर फेककर उसे ढकते हुए - ये कहा से गिरा मौसी ।रज्जो को निशा की चालाकी पर हसी मगर भीतर चल रही बेताबी को थामती हुई - वो यही आलमारी मे कपड़े से गिरा है , किसका है ये ?निशा हड़बडाई- प पता नही , मेरा नही है मौसी सच्ची ?रज्जो हस्ते हुए होठो के साथ - धत्त तेरा कैसे होगा रे , देखी नही इतना मोटा बड़ा
रज्जो का जवाब और उस को मुस्कुराता देख निशा थोडी सहज हुई
रज्जो - कही सोनल का तो नही था ,निशा चौक कर - क्या !! नही नही मौसी , मै उसे अच्छे से जानती हु और ये सब भला वो कहा से लायेगी । वो तो कही बाहर आती जाती भी नही थी ।रज्जो - हम्म्म , फिर और कौन था इस कमरे मेनिशा थोड़ा हिचक कर लड़खड़ाती जुबां मे - वो रीना भाभी भी तो थी ना यहा ।रज्जो - क्या , बहू ? नही नही वो कैसे ?निशा - हा हो सकता है मौसी मुझे प्कका यकीन है ये वही लेके आई है निचे सेरज्जो - निचे से , मतलब ये किसी और का है ?
निशा - हा मौसी शायद मै जान्ती हु ये किसका है !!रज्जो - किसका ?
निशा - शायद शिला बुआ का ?
रज्जो - शिला दीदी !!रज्जो कुछ सोच कर बैठी और निशा का दुपट्टा हटा कर वो 10 इंच वाला बड़ा सा डील्डो हाथ मे लेते हुए - हम्म हो सकता है , तेरी बुआ वैसे भी कम छिनार नही है ,वो तो हाथी का खुन्टा भी घोट जायेनिशा खिलखिला कर शर्मा कर हसी - क्या मौसी आप भी हिहिहिहीरज्जो - अरे देखा नही , कैसे कुल्हे हिलते है उसके ।निशा हस कर - कुल्हे तो आपके भी एकदम वैसे ही हिलते है मौसी हिहिहिही कही ये आपका ही तो नहीरज्जो मुस्कुरा कर - धत्त इतना मोटा मेरे मे जायेगा ही नहीनिशा थोडा हिम्मत कर - एक बार कोसिस करके देखो मौसी क्या पता चला ही जाये हिहिहिहीइससे पहले रज्जो निशा को जवाब देती रागिनी रज्जो को आवाज देते हुए कमरे मे आने लगी और शिला ने झट से उसे निशा के दुपट्टे मे लपेट कर कपड़ो मे छिपा दिया ।
रज्जो - चुप रहना इस बारे मे छोटी को कुछ मत कहना अभी ।रागिनी कमरे मे आती हुई - जीजी इधर का हो गया क्या ?रागिनी कमरे मे आई और उसकी नजर रज्जो और निशा पर गयी जो कपडे फ़ोल्ड कर पैक कर रहे थे और तभी रागिनी की निगाहे निशा के खुले सीने पर गयी ।
पहली बार रागिनी ने निशा को बिना दुपट्टे को इस तरह से देखा उसकी मोटी रसदार गोरी चुचियो की गहरी घाटीयो को हिलता देख रागिनी को ताज्जुब हुआ कि निशा ने हालही मे कुछ ज्यादा तेजी से विकास किया है , मगर उसने इस बात को बहुत तवज्जो नही दी और उनके साथ काम मे लग गयि ।वही निचे गेस्ट रूम का दरवाजा भीतर से बन्द था और शिला के मुह पर चुप्पी थी ।
राज उसके पास बैठा हुआ उसके जांघो को सहला कर उसे हौसला दे रहा था ।राज - क्या सोच रही है आप
शिला - वही सोच रही हु बेटा कि अनजाने मे हमारी ही की गयी गलतीयों की सजा अरुण को देते आये है हम ।राज - बुआ वो चीज़ें तो सुधर जायेगी लेकिन छोटी बुआ और दोनो फूफा एक साथ कैसे ? मुझे उस रात यकीन ही नही हुआ ।शिला चुप्पी साधे हुए - हम्म्म
राज - बहुत सारे सवाल आ रहे है बुआ , छोटी बुआ का दोनो फूफा से और फिर आपने कहा था कि आपके दो पति है । प्लीज बुआ बताओ ना क्या बात है क्या सच मे आपकी दो शादी हुई है ।शिला थोड़ी झेपी और मुस्कुराई जिसपे राज उससे चिपक कर - अब तो बताओ ना प्लीज प्लीजराज उसको लेके बिस्तर पर लेट ही गया ,
बुआ खिलखिलाकर - अच्छा ठिक है बाबा बताती हु लेकिन पहले मुझसे दो वादा करराज - दो वादे ?
शिला - हम्म दो !!
राज - मुझे सब मन्जुर है
शिला - अरे पहले सुन तो
राज - हम्म बोलो
शिला - पहला ये कि इस बारे मे किसी से भी बात नही करेगा यहा तक कि अपने पापा से भी नही ।
राज - अच्छा ठिक है और दूसरा
शिला - और प्लीज अरुण को लेके हमारी मदद करेगा वादा कर
राज शिला को कसकर पकड़ता हुआ - पक्का वाला वादा बुआ अब बताओ हिहिहिहीशिला - तो पहले क्या जानना है तुझे , कम्मो के बारे मे या मेरी शादी , वैसे दोनो जुड़ी हुई है ।राज - उम्म्ंम्म एकदम शुरु से हिहिहिही मजा आयेगा
शिला उसके गाल खिन्चती हुई हसी - बदमाश कही का , चल सुनइधर शिला राज को अपनी कहानी सुनाने जा रही थी तो वही जन्गीलाल अपनी आपबीटी और दुखड़ा लेके अपने बड़े भाई रंगीलाल के पास पहुच गया था ।दुकान पर ग्राहको से डील कर रहे रंगी ने जब अपने छोटे भाई का उतरा हुआ चेहरा देखा तो उसने बबलू को भेज कर दो फालुदा मगाने को कहा और ग्राहको को निपटाने तक जन्गी को केबिन मे बैठने को कहा ।जंगी केबिन मे चला गया
10 मिंट बाद रन्गी उसके पास आता है खुद फालुदा लिये ।जंगी को ग्लास थमाता हुआ - लो पीयो इसे
जंगी परेशान होकर हाथ मे गिलास पकड कर - भैया वो मै ...रंगी ठंडे ठंडे फालुदे का सिप लेता हुआ - हम्म्म पीयो पहले फिर आराम से बताओ बात क्या हैचार घूंट भितर गटकने से जन्गी के शनायु कुछ शान्त हुए लेकिन भीतर की खलबली उसके चेहरे पर अभी भी जाहिर थी ।रंगी गिलास रखता हुआ - हम्म बोलो अब क्या बात हैजंगी अपने भैया के सामने बैठा हुआ इधर उधर गरदन हिला रहा था , दिल की बात जुबा तक नही आ पा रही थी -भैया वो ..रंगी - जंगी , जन्गीईई सुन कुछ भी बात हो चाहे मेरे बारे मे ही क्यू ना हो तु एक दोस्त की तरह मुझसे दिल खोल कर बोल ।जंगी - अरे नही भैया आपके बारे मे नही वो शालिनीरंगी - क्या हुआ !! कुछ तबीयत खराब है क्या , निशा की मा का ?जंगी - नही भैया वो दरअसल कल रात से ही कमलनाथ भाई मेरे यहा रुके थे और हमने थोड़ी थोड़ी ड्रिंक कर ली थी तो आपके ससुर चौराहे वाले घर थे तो मैने उन्हे अपने घर ही रात रुकने को कहा था ।रंगी - हा पता है मुझे , अरे मुझे शामिल किया होता तो ऐसा नही होता ना हाहाहा मेरे हिस्से की कमल भाई गटक गये तो कैसे हजम होगा हाहाहाजन्गी के चेहरे पर एक फीकी मुस्कान थी - बात वो नही है भैया
रंगी - हा हा तु बोल
जंगी - भैया वो रात मे शालिनी भी आई थी बा अनुज के साथ और आज सुबहरन्गी - हा अनुज तो सुबह जल्दी आ गया था , कमल भाई और निशा की मा ही लेट आये थेजंगी हिचक कर अपना कलेजा मजबूत करता हुआ - हा तो लेट होने का कारण नही जानना चाहोगे भैयारन्गी हसता हुआ - क्या तु भी जंगी हाहाहा , ऐसी छोटी छोटी बातों के लिए क्या सोचना ।रन्गी - अरे निशा की मा सुबह नासता पानी करवाने मे लगी थी , बताया था अनुज ने तो कोई बात नही मत सोच ये सब । ना मै गुस्सा हु और ना तेरी भाभी समझाजंगी खीझ कर उठ खड़ा हुआ - ओह्ह भैया मै कैसे बताऊ अब आपको की बात कुछ और ही हैरंगी भी खड़ा हुआ - क्या बात है जंगी सच सच बता अबजन्गी - भैया कमल भाई ने मेरे परिवार के साथ बहुत गलत किया हैरन्गी अचरज से - कमल भाई ने गलत किया है , मतलब क्या हुआ, कही रात नशे मे निशा की मा के साथ कुछ बदतमिजि तो नही किया नाजंगी - नशे मे नही भैया खुले आम आज सुबह किचन मे वो शालिनी के साथरन्गी की उस्तुकता बढ़ी और साथ मे उसके लन्ड मे खल्बली होने लगी थी अनुमानित तौर पर जरुर चुदाई वाला ही सीन देखा होगा जंगी ने ।रन्गी - क क्या हुआ किचन , तु साफ साफ बोल ना भाई । ऐसे उल्झा क्यू रहा है ।जन्गी रन्गी का हाथ झटक कर बैठता हुआ - भैया वो कमल भाई शालिनी के साथ सम्भोग कर रहे थे ।रंगी - क्या ?
जंगी - हा भैया ,
रन्गी ने अपनी लन्ड को चढ्ढे मे घुमा कर - और निशा की मा उसका व्यव्हार कैसा था उस समय ?जंगी अपनी आंखो मे छ्लके हुए आसू को साफ करता हुआ - मतल्ब
रंगी- अरे मतलब निशा की मा कमल भाई का साथ दे रही थी या विरोध कर रही थीजन्गी चुप हो गया
रंगी - बोल ना
जंगी - मुझे नही पता भैया , मै बहुत देर रुक ही नही पाया मुझसे देखा ही नही गया ।रन्गी - अच्छा ये तो देखा ही होगा ना कि निशा की मा ने पूरे कपडे पहने थे या कुछ भी नहीजन्गी - शायद कुछ भी नही
रंगी - ओह मतलब निशा की मा भी कमल भाई के साथ थी ।जंगी - क्या ? नही भैया शालिनी कैसे ?
रन्गी - देख भाई मै निशा की मा के चारित्र पर उंगली नही कर रहा हु लेकिन तु ही सोच ना कि अगर कमल भाई ने जबरदस्ती की होती तो वो जरुर शोर मचाती और सुबह जब दोनो साथ मे चौराहे वाले आये तो काफी घुले मिले दिख रहे थे ।जंगी जो कि पहले से ही शालिनी की सच्चाई जान रहा था उसने अब रन्गी के सामने ये जाहिर करने लगा कि शायद उसकी बीवी भी कमल के साथ राजी होकर ही किया हो ।जंगी - अह भैया वो दोनो जब घर से निकले थे तो भी बहुत खुश थे
रंगी - देखा , मतलब दोनो ने राजी खुशी मे किया है ।जंगी - लेकिन भैया कमलनाथ भाई की वजह से मेरा घाटा हुआ नारंगी - कैसा घाटा
जन्गी - भैया उन्होने मेरी बीवी से कर लिया ना
रंगी हस कर - उस हिसाब से तो तुने भी कमल भाई की बीवी से किया है हिसाब बराबर फिट्टूस हाहहहाजंगी थोड़ा मुस्कराया - लेकिन भैया मन नही मान रहा है ना
रन्गी - देख असल मे तुझे ये नही खल रहा है कि निशा की मा ने कमलभाई से सम्भोग किया , बल्कि तुझे इस बात का कष्ट जरुर होगा कि निशा की मा ने इस बारे मे छिपाया तुझसे ।जंगी एक गहरी सास लेके - हम्म भैया ये भी है , अच्छा तो क्या इन दोनो का च्क्कर पहले से रहा होगारन्गी - हा हो भी सकता है , शादी के समय से ही दोनो एक ही घर मे थे और शायद वही चौराहे वाले घर मे ही इनकी आपस मे सांठ गांठ हुई हो और शायद कमलनाथ भाई जानबूझ कर ज्यादा ड्रिंक करके तेरे यहा रुक गये ताकि निशा की मा खाना लेके आये और भीड भस्ड़ से अलग इन्हे अकेले मे मौका मिल जाये ।जंगी को रन्गी की सारी बातें उसके हुए अनुभवो के अनुसार तर्क संगत लग रही थी - हा भैया सही कह रहे हो क्योकि रात मे भी मुझे ऐसा ही कुछ अनुभव हुआ थारन्गी जिज्ञासु होकर - क्या ?
जंगी थोड़ा गला साफ कर - भैया वैसे तो शालिनी मेरे साथ सम्भोग के लिए तैयार होती है मगर ना जाने क्यू मेरे कयी बार आग्रह करने के बाद भी उसने मना कियारन्गी ताली देकर - देखाआआ !! यही वजह थी छोटे , उन दोनो की पहले ही सांठ गांठ थी इसीलिए तो वो मना कर रही थी ।जंगी अपने भाई की कौतूहलता देख कर थोडा खुद पर लल्ल्जित था मगर उसे यकीन था कि अपने भैया से ये बाते शेयर कर उसने एकदम सही किया है ।जन्गी - हा भैया और इसीलिए वो जानबूझ कर मेरे साथ ना सो कर अनुज के साथ राहुल वाले कमरे मे सोने चली गयी थीरंगी सर हिलाता हुआ - हम्म् तो योजना बहुत तगडी थी दोनो कीजन्गी - हा भैया और मुझे लग रहा था कि वो बहुत ...।जंगी बोलते बोलते रुक गया और थोडा असहज होने लगा ।
रंगी - क्या हुआ बोल ना
जंगी - भैया मुझे लग रहा था कि वो रात बहुत गर्म थी ।जंगी की बात पर रन्गी का लन्ड थुमका ।
रंगी गल साफ कर थोडा असहज होकर - म अ मतल्बजंगी - अरे भैया वो रात मे जब कमल भाई खाने के लिए भी हिल डोल नही रहे थे तो उसका गुस्सा तेज था और जब मैने देर रात राहुल वाले कमरे मे गया , जैसे ही अपना औजार बाहर निकाला वो लेने को तैयार हो गयी ।रन्गी - क्या ? वहा अनुज भी तो था ना सोया
जंगी - हा भैया मेरे बार बार कहने के बाद भी वो वही रही और मुझे उसे फर्श पर उतार कर करना पड़ा ।रंगी का लन्ड अब कस चुका था और चढ्ढे पर उभार स्पष्ट दिखने लगा था
रन्गी ने जैसे ही उसको भिन्चा सामने बैठे जंगी की नजर अपने भैया के हरकतो पर गयी ।रन्गी मुस्कुरा कर - अह ऐसी बातों मे साला ये परेशान हो जाता है
जंगी ने एक फीकी मुस्कान दी और बोला - भैया अब मै क्या करू , कुछ समझ नही आ रहा है । इसीलिए आपके पास आया हु ।रन्गी ने एक अंगड़ाई ली और कुछ सोच कर - देख भाई अब जो हो चुका है वो बदला नही जा सकता लेकिन हा इस बात के लिए तैयार रहा जा सकता है कि आगे वो कही बाहर ना भटके ।जन्गी - मतल्व ?
रन्गी - अरे मेरे कहने का मतलब , औरतें के भीतर की बात कोई नही समझ पाया , पता नही कमल भाई की कौन सी बात पर निशा की मा रिझ गयी उसपे , उसकी कमजोर कड़ी को तुझे खोजना पड़ेगा ।आज को तो कमल भाई थे वो अपने रिश्ते मे है और यहा चमनपुरा से दूर के है । कल को कोई लोकल का भी आ गया तो , इस बारे मे विचार करना पडेगा ना ।जंगी - क्या भैया आप तो डरा रहे हो मुझे
रंगी - अरे डर मत मै एक दो काम बताता हु तु वो करना फिर जैसी वो प्रतिक्रिया देगी बताना मुझे ।जंगी - जैसे कि?
रन्गी - पहली चीज़ तो ये है कि उसे भनक ना लगे कि तु निशा की मा के बारे मे जानता है , जैसा पहले था वैसे ही रखना ।
जंगी - और फिर
रंगी - देख भाई अगर ये उस्का पहली बार हुआ होगा तो मेरा यकीन कर प्कका वो किसी ना किसी बहाने से तेरे से कमल भाई की चर्चा जरुर करेगी और उस समय तुझे उसकी बातों को गौर से सुनना समझना है ।जंगी - अच्छा ठिक है और कुछ
रंगी - हा है ना
जन्गी - क्या ?
रंगी अपना मुसल मसलता हुआ - आज रात तेरा बदला मै ले लूंगा हाहाहा तु टेन्सन फ्रि रहनाजन्गी समझ गया कि रंगी रज्जो को पेलने की बात कर रहा था ।
जंगी मुस्कुरा कर - भैया एक बात कहू
रंगी - क्यू तुझे भी चाहिये क्या , बोल अभी फोन करके बुला दू उम्म्ंजंगी हस कर - नही वो बात नहीं है
रंगी - हा फिर क्या बता , बोल ना छिपाता क्या है मेरे से ।
जन्गी - पता नही आपको पसंद आयेगा भी या नही
रन्गी उसका कन्धा ठोक कर - अरे बोल नाजन्गी - भैया मै तो सोच रहा था 7 - 8 पहलवानो को बुला कर रज्जो भाभी का गैंग वाला करवा दू , बहिनचोद खुनन्स नही निकल रही हैरन्गी जोर से ठहाका लगाता हुआ - हाहाहाहा समझ रहा हु दिल की भड़ास भाई , लेकिन अपनी सेक्सी रज्जो ने क्या बिगाडा है हिहिहिही वो तो हमे खोल कर देती है सारे छेद फिर उससे क्यू खुन्नस निकालनाजन्गी - वो ना सही तो ये कमल भाई की कोई बहन ही कोई , साली की बुर और गाड़ मे 2-2 लन्ड घुसकर कर उसके मुह मे मूत दू फिर कही चैन मिले मुझेरंगी हसता हुआ - शायद उसकी एक बहन है ,उम्म्ं कोई गाव था बड़ा युनिक नाम था उसकाजंगी - क्या , सोचो ना भैया साला आज ही फाड़ के आउन्गा बहिनचोदरन्गी हसता हुआ - अरे तु शान्त हो जा , हा याद आया "चोदमपुर "" क्या ? चोदमपुर !! , ये कैसा नाम है " , जंगी ने अचरज से पूछा ।रन्गी हस कर - पता नही भाई वो तो तेरी भाभी गयि थी कमल भाई के लड़के की शादी ने उसने बताया था ।जंगी - चोदमपुर हो या पेलमपुर , बहिनचोद मौका मिला तो मईया भी चोद दूँगारन्गी हसता हुआ उसकी पीठ थपथपा हुआ उसे दुकान मे लेकर आने लगा - हा हा भाई सब कर लेना तु, चल आजा पान खिलाता हु तुझेजंगी अपनी भुन्नाहट बाहर दुकान मे आने पर शान्त करता हुआ रन्गी के साथ चला गया ।जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 201
राज के घर
हम दोनो बहने बचपन से एक दुसरे की बहुत करीब थी , बड़ी बहन से जहा ये समाज एक मा की उम्मीद करता है वही मैने क्म्मो के लिए अच्छी सहेली बनना सही समझा , उसमे मेरा ही फायदा था ।
कम उम्र मे ही मैने मेरे शरीर मे बढ़त पा ली थी जिससे बाऊजी ने मुझ पर सीधे तौर पर तो नही मगर एक ना दिखने वाली दहलिज खिंच ही दी थी । शुरुवात मेरे इंटर पास करने के बाद हुई और मेरी आगे की पढ़ाई रोक दी गयी और वही कम्मो तब नौवीं मे थी तो उसकी पढ़ाई जारी रही ।
घर के काम निपटा कर मुझे बहुत खाली समय होता था , ना टीवी या किसी से मिलने जूलने बाहर जाना , बोरियत होने लगी थी और वही कम्मो 10वी पास कर बुटीक भी जोइन कर चुकी थी ।
कभी कभी उसको लेके बहुत चिढ़ सी होती थी मगर मेरे भाई बहन मेरे लिये सबसे अजीज थे ।
कम्मो ही मेरे समाज और मुहल्ले की न्यूज रिपोर्टर जैसी थी और उसकी बुटीक वाली कहानियां हमे और भी करीब ले आई । आये दिन वो मुझे बुटीक मे चल रही लड़कीयों भाभियो के अफेयर की बाते सुनाती और फिर रन्गी भईया अन्जाने मे मेरे संग मस्ती करते रहते थे ।
समय ने मेरी काम इच्छाओं को हवा दे दी और मै मेरे मामा के लड़के लखन के साथ बहक गयी ।
अगले 3 सालों मे मेरा जिस्म और निखर खिल गया वही कम्मो भी शादी लायाक हो गयी थी ।
अब दो दो बेटियों का बोझ बाऊजी पर आ गया था ।
ऐसे मे एक दिन तेरे फुफा का मेरे लिये रिश्ता आया ।
घर फोटो दिखाये गये और सबको पसंद थे और अगले हफते मेरे होने वाले ससुराल से लोग मेरे घर आ गये ।
उस दिन जब मै चाय लेकर बाहर गयि तो मुझे नही पता था कि मेरे ससुर के साथ मुझे जो देखने जो आया है वो मेरा देवर था ।
चाय देते समय हम दोनो की नजरे टकराई उसकी नजर मेरे छातियों पर गयी और फिर घर मे वापस जाते हुए वो मेरे भारि भरकम कुल्हे की थिरकन निहारता रहा ।
मै तेजी से भागती हुई कमरे मे आई और मेरी सासे तेजी से उठ बैठ रही थी , पहली ही नजर मे मैने मेरे देवर को अपना पति मान लिया था ।
राज - क्या सच मे , छोटे फुफा को
शिला - हा वो तो बाद मे पता चला कि दोनो जुड़वा है और जिसकी फोटो दिखाई गयी थी वो बड़ा भाई है और जो देखने आया था वो छोटा , बहुत बारीक अन्तर होता था अब , अब तो तेरे फूफा फैल गये है मेरी तरह हाहाहा और देवर जी वैसे ही है तो पहचानने मे दिक्कत नही होती ।
राज - हीही फिर
शिला - मगर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था , कम्मो उसी समय बुटीक से वापस घर आ रही थी और घर मे घुसते हुए उसे मेरे ससुर ने देखा तो बाऊजी से बात की ।
बाऊजी ने बताया कम्मो उनकी छोटी बेटी है और उसके लिए भी शादी का रिश्ता देखा जायेगा , पहले मेरी शादी हो जाये तब
मगर मेरे ससुर को कम्मो भा गयी थी और उन्होने मेरे देवर के लिए कम्मो का हाथ माग लिया । बाऊजी ने समझाया कि अभी वो दो बेटिया एक साथ व्याहने के हालत मे नही है । मगर कम्मो की खुबसूरती पर मेरे ससुर ने लेन देन दहेज सब छोडने को तैयार हो गये ।
राज - फिर
शिला - फिर हमारी शादी तय हो गयी । धिरे धिरे शादी के दिन करीब आने लगे और मेरी बेचैनी बढ़ने लगी , मै उदास होने लगी मैने पहली नजर मे जिसे पसंद किया वो मेरा देवर था ,वही कम्मो इस बात मे खुश थी कि शादी के बाद भी हम दोनो बहने साथ मे रहने वाली थी ।
मर्यादा मे सिमिटी मेरी जिंदगी ने मुझे मेरे हक मे एक बार भी बोलने का मौका नही दिया ।
शादी से पहले मेरे यहा से लोग मेरे ससुराल तिलक लेके कर गये और मेरे नाम का तिलक मेरे पति को चढाया गया और कम्मो का मेरे देवर के नाम ।
खुब रोई मै उस रात और कम्मो के लाख पूछने पर मै चुप रही ।
शादी हो गयी और हम बहने विदा होकर ससुराल चली गयी ।
और फिर सुहागरात पर
राज का लन्ड कसमसाया और वो उस्तुक होकर - क्या हुआ बुआ फिर
शिला मुस्कुराई - मै बहुत नरवस थी , उसपे से मेरे ससुराल मे आस पड़ोस की भाभियाँ , ननदे खुब मेरा मजाक बना रही थी । रसमे इतनी लेट चली कि बिस्तर तक आते आते रात के 11 बज गये फिर मेरी नन्दो ने मुझे और कम्मो को दूध का ग्लास लेके उपर भेज दिया । उपर सिर्फ दो कमरे थे जहा हमारे मे पति हमारा इनतेजार कर रहे थे ।
जीने की सीढियां चढती हुई हम बहने आपस मे फुसफुसा रही थी , कम्मो को हसी आ रही थी ।
कम्मो - जीजी , यहा तो उल्टा है । बताओ दुध का ग्लास हमे थमा दिया बोलो हिहिही
मैने उसको डाँटा और चुप रहने को बोला ।
कम्मो - जीजी , आप आज ही ट्राई करोगे क्या
मैने उसके शरारत भरे मजाक पर उसको घुरा तो वो इतरा कर - मै तो आज ही ट्राई करने वाली हु हिहिहिही
मुझे उसके उतावले व्यवहार से पल भर को खुशी तो मिल रही थी मगर , अपना पहली नजर का प्यार खो देने का गम भी था ।
दोनो बहने अपने अपने कमरे मे पहुच गयी , मेरी तो हिम्मत भी नही हो रही थी कि मै उनको नजर उठा कर देखू ।
लाल जोड़े मे हाथ भर घूंट उसके पर स्वेटर ब्लाउज साल मे छिपा कर खुद को रखा हुआ था मैने ।
घूँघट के पार से मुझे वो कमरे मे एक छोटे से लालटेन की रोशनी मे टहलते दिख रहे थे और मै बहुत सभल कर आगे बढ़ रही ,
मै - जी दूध !
वो - अरे मै नही पिता , इसे क्यों लाई
मै - जी वो दीदी ने दिया था
वो हस्ते हुए दूध का ग्लास वही पास के टेबल पर रख कर अपने शर्ट की बाजू के बटन खोलने लगे । मेरे दिल मे हलचल सी मच गयी और उन्होने मुझे बैठने को कहा ।
मै धीरे से पलन्ग पर बैठ गयी और उंगलियो के नाखून आपस मे लड़ाती हुई सोच रही थी कि ना जाने क्या होगा आगे ।
वही वो अपना शर्ट निकाल कर बस एक उनी इनरवियर मे थे , निचे पतलून अभी भी कसी हुई थी । लालटेन की रौशनी में अभी तक उनका चेहरा स्पष्ट नही था ।
वो हसे और बोले - अरे बाबा आपको तो बहुत सर्दी लग रही है, अलाव मगवा दू क्या ?
मै - जी नही ठिक हूँ मै
वो हसते हुए - अरे तो ये क्या लाद रखा है , उतार दीजिये यहा ठंडी नही है ।
उनका हसना मुझे जरा भी नही भा रहा था और उसपे उन्का ये आग्रह मानो ऐसा था मै साल हटाने भर से ही नंगी मह्सूस करने लगी थी ।
अभी अभी मेरे शरीर पर स्वेटर चढ़े हुए थे और जिस्म भारी लग रहा था ।
उन्होने हाथ आगे बढा कर मेरी हथेली पकड कर अपने हाथों के बिच रख लिया ।
कितना गर्म और मुलायम मह्सूस हो रहा था , मेरा जिस्म और भी कापने लगा । मेरी उंगलियाँ उनकी गर्म हथेलियो के बीच सिकुडने मुडने और ऐठने लगी ।
वो मेरा हाथ थामे हुए बड़े प्यार से बोले - अच्छा सुनो एक बात पूछू
मेरा कलेजा काप रहा था और मेरी जुबां को लकवा ही मार गया हो ऐसी हालत थी मेरी और मेरे मुह ने बस हुन्कारि भरी - हम्म्म
वो मुस्कुरा कर - आपका नाम क्या है ?
मै अचरज से घुघट के पीछे हसी और सोचा कैसा सवाल है बिना नाम जाने ही शादी कर लिया क्या ?
मै - क्यू आपको नही पता ?
वो - तुम ही बता दो ना
मै - "शीला"
वो - वाह बहुत ही सुन्दर नाम है , इसका मतलब जानती हो ।
मै - जी , जी नही
वो हसे और बोले - शीला का अर्थ होता है अच्छे आचरण/चारित्र वाली
एक पल को मेरे नाम का अर्थ सुन कर मुझे लखन का ख्याल आया और मै घूँघट के भीतर हस दी - जी
वो - अच्छा सच मे आपको सर्दी ज्यादा लग रही है क्या ?
मै - क्यू आपको नही लगती ?
वो हसे - लगती है लेकिन आपके जितना नही, कितने स्वेटर पहनी है अन्दर देखूँ तो
और वो हाथ बढा कर मेरे साड़ी के पल्लू के पास स्वेतर के कालर उठा कर निचे देखने लगे और दिखा उनको मेरे 36D वाली छातियों की पर कसी हुऊ डीजाईन ब्लाउज के डीप गले की कढाई ।
वो इतने फुरत थे जबतक मै घूमती तबतक वो मेरे गोरे जोबन की लकीरे निहार चुके थे ।
वो - ओह्ह एक ही है क्या ?
मेरी सासे तेज चल रही थी , माथे पर पसीना आने लगा था और थुक गतककर मैने मेरे आंचल से अपनी छातीया ढ़कते हुए - जी एक ही है ।
वो हसे और खसक कर मेरे करीब आकर - अच्छा इधर तो देखो एक बार
मै उनकी ओर घूमी और वो डिबिया मे एक नथुनी लाये थे मेरे लिए ।
मै - ये किस लिये
वो - ये आपकी मुह देखाई का तोहफा होगा , अगर आप हमे अपना हसिन चेहरा देखने दे तो
मुझे उनकी फिल्मी बातों से हसी और मै बोली - जी नही आप मुझे खरिद नही सकते ।
और मुह फेर लिया वो हस कर - अरे नाराज ना हो , ये तो बस ये रस्म है । अम्मा ने कहा बहू को दे देना तो ले आया नही आपके लिए मेरा सब कुछ कुरबां
मै शान्त रही , ना जाने क्यू मुझे उनकी बातें सुनकर अजीब सी नाराजगी हो रही थी , आज तक इतने प्यार भरी बाते मेरे साथ किसी ने नही की थी मगर मै उन्के प्यार को ओछे नजर से ही देख रही थी ।
उन्होने मेरे चेहरे की ठूढ्ढी पर उंगली रख कर उसे अपनी ओर किया ,ये दुसरा स्पर्श था उनका मेरे शरीर पर और मै फिर से सिहर गयी ।
उन्होने मेरे घूँघट को पकड़कर उपर किया और मै आंखे बन्द कर निचे चेहरा कर लिया ।
कुछ देर की चुप्पी सी थी कमरे काफी देर शान्त होने पर मुझे लगा कही वो चले तो नही गये और आंखे खोली तो बुद्धू निचे पैर के पास बैठ कर हाथ मे लालटेन उठाए हुए मुझे निहार रहे थे ।
उनकी इस अदा पर मै लाज से मुस्कुरा कर मुह फेर ली और वो हसते हुए उपर आकर बैठ गये - ये हु ना बात , अब खिली है आप
मेरी सासे अभी भी तेज चल रही थी क्योकि अभी अभी जो चेहरा मैने देखा उसे देख कर मै फिर से बेचैन हो उठी थी
बड़ी हिम्मत कर मै सीधी बैठी और कनअखियों से एक बार उन्हे देखा और मेरी आंखे फैल गयी, होठ सुखने लगे , पैर कापने लगे ।
आखिर ये कैसे हो सकता है ?
इतनी देर से जिसे मै अपना पति समझ रही थी वो मेरा देवर था !!
राज - क्या ??? छोटे फूफा लेकिन कैसे ?
राहुल के घर
इधर जंगी अपने भाई के यहा मिलने गया हुआ था और वही दुकान मे दुपहर के खाली समय मे अरुण और राहुल एक साथ बैठे हुए लोवर मे अपनी नुनिया मिज रहे थे छीप छीप कर
राहुल - ओह्ह भाई क्या बवाल चीज़ है भाई ये साइट , बहिनचोद इत्नी सारी देसी माल
अरुण - भाई ये तो कुछ भी नही है जितना एक्सप्लोर करेगा उतनी बेस्ट आयेगी ।
राहुल - भाई मजे है यार तेरे तो
अरुण - वो तो है
तभी दुकान मे जंगी आता है और उसे देख कर दोनो मोबाइल बन्द कर उठ जाते है और अपने लोवर मे बने तम्बू छिपाते हुए अन्दर चले जाते है ।
राहुल अरुण का मोबाइल हाथ मे लेके चलाता हुआ अपने कमरे की ओर बढ रहा था उसका सारा ध्यान मोबाइल पर था और वही अरुण को पेसाब लगती है ।
वो राहुल को बोलकर बाथरूम की ओर बढ़ जाता है और जल्दी जल्दी अपना पैंट खोने की कोसिस करता हुआ जैसे ही जीने के करीब पहूचता है उसकी नजर सामने बाथरूम मे अपनी साड़ी उठा कर गाड़ फैला कर बैठी हुई शालिनी पर जाती है ।
गोरी चिकनी गोल गोल फैले हुए चुतड और तेज सिटीदार धार की आवाज सूनते ही अरुण ठिठक कर खड़ा गया ।
उसका मुह खुला रह गया औए जैसे ही शालिनी को आभास हुआ कि कोई आया इस तरफ को गरदन घुमा कर देखती है तबतक अरुण फुर्ती से जीने की सीढि की ओर सरक लेता है ।
उसकी सासे धकधक हो रही थी और थुक गटक कर जीने की ओट से एक बार फिर से बाथरूम की ओर झाकता है तो वहा शालिनी बाथरूम मे पानी डाल रही थी और अरुण दबे पाव कमरे मे आ जाता है ।
राहुल मोबाईल मे व्यस्त था और मस्ती मे - क्या हुआ हो गये फ्रेश
अरुण- न नही यार वो बाथरूम नही मिला ना
राहुल - अरे यार यही सीढ़ी के पास वाला ही तो है
अरुण - अच्छा ठिक है आता हु
अरुण एक बार फिर बाथरूम की ओर बढ़ता है और इस बार शालिनी उसे अपने कमरे की ओर जाती दिखी ।
बिना उसकी नजर मे आये अरुन लपक कर बाथरूम मे मूतने चला जाता है ।
और शालिनी भी सुबह की दोहरी ठुकाई और काम काज से थकी हुई सोने चली जाती है ।
अमन के घर
"ऊहु , देवर जी किधर " , दुलारी ने लपक कर अमन की कलाई पकड़ी और उसे रोक दिया ।
अमन अपनी कलाई छुड़ाते हुए - क्या भाभी छोड़ो ना प्लीज
अमन के चेहरे पर उखड़ापन साफ झलक रहा था , जिसपे उसका मजा लेती हुई - अरे छोड़ दूंगी लेकिन कहा हो इतनी जल्दी मे , दो पल हमारे साथ भी बिताओ बाबू उम्म्ं
अमन मुह बनाने लगा ऐसे मे दुलारि की नजर अमन के पैंट मे तने हुए खूँटे पर गयी और उसके चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गयी - ओहो समझ गयी , लग रहा है देवरानी जी ने बहुत जोर से याद किया है हिहिहिह
अमन - मतलब
दुलारी हाथ बढाकर अमन का खुन्टा पैंट के उपर से दबोचती हुई - मतलब साफ है , बाजा बजाने जा रहो क्यू
अमन झेप कर उसका हाथ हटाता हुआ अपना मुसल सेट करने लगा - क्या भाभीई आप भी , आपको और काम नही है ।
दुलारी हस कर - है ना
अमन उखड़ कर - हा तो प्लीज करिये और मुझे जाने दीजिये
दुलारी- अरे कबसे लगी हु उस काम मे मगर कोई खरिद ही नही रजा है
अमन भौहे सिकोड़ कर - मतलब , कुछ बेचने जा रही है क्या आप
दुलारि खिलखिलाई - हा तुम्हारी बहन हाहाहहा
अमन हस पडता है - क्या भाभी आप भी
दुलारी - अरे सच कह रही अगर एक दो दिन मे सही भाव नही लगा तो फोकट मे बिक जायेगी उसकी जवानी , यकीन नही है ना आओ दिखाती हु
दुलारी अमन को खिंच कर रिन्की के कमरे के पास ले गयी
और दरवाजे की ओट से भीतर का नजारा दिखाया
जिस्र देख कर अमन का हल्का फुल्का मुरझाता लन्ड एकदम से बास के खूँटे जैसा कड़क हो गया और पैंट के अन्दर फुलने लगा ।
कमरे मे रिन्की अपनी लेगी मे हाथ घुसाये हुए मोबाईल पर कुछ देख कर जोरो से अपनी बुर सहला रही थी
दुलारी की नजर अमन के फौलादी लंड पर गयी तो उसका कलेजा मचल उठा और उसने भीतर का नजारा देख रहे अमन के पास खड़ी होकर उसके मजबूत बलिश्ट कन्धो को सहलाती हुई - देख रहे हो ना देवर जी अपनी बहना को , कैसे अपनी मुनिया घिस रही है अरे ऐसा रहा तो बाजार मे भाव तो गिरेगा ही ना
अमन को सुध ही नही थी कि दुलारी क्या बोल रही थी बल्कि उसके जिस्म पर रंगते उसके हाथो का असर अमन को और भी कामोत्तेजक किये जा रहा था
"उफ्फ्फ कितना मजबूत लोढ़ा है देवर जी आपका उम्म्ंम " दुलारि ने हाथ निचे ले जाकर पैंट के उपर से अमन का मोटा मुसल हाथ मे भरती हुई बोली ।
अमन की सासे अटक गयी और थुक गटक कर उसने दुलारि की ओर देखा तो उसने लपक कर अमन को बीच गलियारे मे ही दिवाल से लगा कर उसके होठों पर झपट पड़ी और उसके हाथ अमन के मुसल को मसलने लगे ।
दुलारी के हुए इस अचानक हमले से अमन हड़बडा गया उसे डर था कही सोनल या कोई और ना उन्हे देख ले ।
वो झट से हाथ आगे बढा कर स्टोर रूम के कमरे का दरवाजे की कुंडी छ्टकाई और दुलारी को लेके भीतर घुस गया
कड़ी लग गयी और अमन अपने होठ पोछता हुआ सामने दुलारी को हसता देख रहा था ।
अमन - ये सब क्या है भौजी
दुलारी- अरे भौजी है तुम्हारी, नही पुरा तो आधा हक होता है तुमपे , तुम तो पुरा का पुरा मेरी देवरानी को ही दे दे रहे हो ।
दुलारी वापस से आगे बढ़ कर अमन का लन्ड हाथ मे भर ली और अमन की सासे चढने लगी - आह्ह भाभीई नही येह्ह्ह गलत है अह्ह्ह
दुलारि उसका मुसल सहलाती हुई उसके चेहरे के करीब आकर उसके पैंट खोलती हुई - गलत तो तुम कर रहे हो हुह
अमन अपने पैंट की जीप खुलता मह्सूस करने पर उसके लन्ड की ऐठन और बढने लगी, साथ ही जिस्म मे कपकपी सी होने लगी - म मेरी क्या गलती है अब
दुलारी अमन का लन्ड अंडरवियर के उपर से सहलाती हुई - अरे ऐसे घोड़े जैसे हथियार का क्या फायदा जब बहन को उंगली करनी पड़े अह्ह्ह क्या मोटा हथियार है बाबू उम्म्ंम्म्माआह्ह्ह
दुलारी ने जैसे ही अमन का मुसल चूमा वो सिस्क पड़ा- अह्ह्ह भाभीईई
वही दुलारी ने बिना समय गवाये हाथ घुसा कर 9 इंच का फौलादी मोटा लन्ड बाहर निकाला - हाय दईयाआ इतना बडा उह्ह्ह रिन्की की तो फट जायेगी उह्ंम्ंंम उफ्फ्फ
दुलारी उस गर्म तपते कड़क फैलादी लन्ड को हाथो मे लेके सहला रही थि और अमन सातवे आसमान मे उड़ रहा था और देखते ही देखते सुपाडा मुह मे - उह्ह्ह भाभीईई इह्ह्ह्ह आह्ह मम्मीईई उम्म्ंम्ं फाआककककक ओह्ह्ह शिट्ट उम्म्ंम सक इट ओह्ह्ह उम्म्ं
दुलारी आधे लन्ड को मुह मे भरे हुए चुस रही थी , इतना बड़ा मोटा लन्ड पहले कभी नही लिया था , उसके जबड़े तक दुखने लगे और वो हाफ्ती हुई - आह्ह ये तो बहुत बड़ा है उफ्फ्फ
अमन अब इस नाटक से तंग आ गया था और वो खीझता हुआ दुलारी के बाल पकड कर अपना लन्ड उसके मुह पर पटकता हुआ - उह्ह्ह भाभीईई अब नाटक नही बहिनचोद सुबह से तरसा कर रखा है सबने लोह इसे चुसोहहह आधा नही पुरा लोह्ह्ह्ह उह्ह्ह स्क ईट उह्ह्ब माय सेक्सी भाभीई उम्म्ंम और लोह्ह
अमन जबरज्स्ती दुलारी के मुह मे लन्ड घुसाता हुआ पेलने लगा और दुलारि मुह खोल कर उसे घोटने लगी
अमन मारे जोश मे दुलारी के बाल पकड कर लन्ड को गले तक उतार रहा था
दुलारी के मुह आख नाक सब फुलने लगे तो झटके से अमन ने लन्ड बाहर खिंच लिया , लार से लिभ्डाया लन्ड चमकने लगा और दुलारी खासने लगी ।
अमन उसके चेहरे को पकड कर उपर किया और एक किस करता हुआ उसे खड़ा किया
फिर घुमाते हुए उसकी मोटी मोटी चुचिया ब्लाउज के उपर से पकड कर मसलने लगा
दुलारी पागल होने लगी अपनी चुतड पर साडी के उपर से रगड़ खाते अमन के लन्ड की कसावट और उसके मजबुत हथेलीयो मे पिसते अपने जोबन से उसकी बुर मचल उठी
वो आगे झुक कर एक टेबल का सहारा लेके अपनी गाड़ को अमन के मुसल पर घिसने लगी जिससे अमन की आंखे भी उलटने लगी
वो दुलारी की चुची छोड़ साडी के उपर से उसकी गाड़ खोदने लगा और साडी उठाकर उसकी चीकानी गाड़ को चुमने लगा
दुलारी एडिया उठाती अपने चुतड़ सख्त करती कसमसाने लगी और अमन उसकी गोरी मुलायम चर्बीदार गाड़ के मुह से काटने लगा ,
पैंटी के उपर से उसकी बुर पर अमन के हाथ रेन्ग रहे थे और वो बजबजा कर रस छोड़ते हुए तडप सिस्क रही थी ।
जांघो ने अमन के पंजे को जकड रखा था उसमे भी वो अपनी उंगलियाँ दुलारि की बुर पर कुरेद रहा था ।
दुलारी- अह्ह्ह सीईई उह्ह्ह देवर बाबू उम्म्ंम्ं अह्ह्ह्ह
गाड़ के फाको मे अमन ने अपना नथुन फसा रखा था और कसी सकरी दरारो मे जीभ घुसेड़ कर दुलारि के बुर के नमकीन पानी का टेस्ट लेते हुए उसने उसकी चुतड को दोनो पंजो से फैलाते हुए गरदन लफा कर जीभ को बुर के होठो तक ले गया
गर्म मीठे नमकीन पानी का स्वाद आते ही अमन के मुह मे मानो मिस्री घूलने लगी और जीभ की ओर से दुलारि के बुर के फाके चाटता हुआ उसके होठो मे भर लिया ।
निचे उकुडू बैठे हुए जांघो के बीच जगह बनाते हुए गरदन पीठ नचाता ऐठता हुए अमन दुलारि के बुर के निचे आ चुका था
दुलारी अपनी साडी उठाए जान्घे फैलाये सिसक रही थी और अमन ने मौका पाकर उस्के जांघो के बिच से आगे की ओर आ गया और उसके रसदार मुलायम फाको वाली चिकनी बुर को च्पड़ च्पड़ चाटने लगा
टेबल का सहारा लिये झुकी दुलारि की हालत और खराब होने लगी - ऊहह देवर बाबू उह्ह्ह ओह्ह्ह मम्मीईई उफ्फ्फ खा जाओ मेरी बुर उम्म्ंम्ं और और इह्ह्ह्ह मम्मा ओह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह आह्ह
दुलारी के बुर की सफाई करने के बाद अमन उठा और उसके रसीले होठ चुसता हुआ उसकी गाड़ दबोचता उसे फर्श पर घोड़ी बना दिया ।
दुलारी गाड़ फैला कर अपनी साडी समेटे हुए वही स्टोर रूम मे फर्श पर झुक गयी
उसकी चिनकी गाड़ और फाकेदार चुत देख कर अमन अपना मुसल रगड़ता हुआ पोजीशन पर आया और लन्ड के टोपे को दुलारी के बुर के फाकों मे फसाने लगा
दुलारी की कमर अकड़ने लगी और उसने भितर से खुद को मजबूत किया , और मादक सिसकियाँ लेती हुई हाथ की मुठ्ठि कसने लगी
अमन ने फाको मे जगह बनाते हुए उसके कुल्हे को पकड कर लन्ड को सेट करते हुए टोपे को दबा कर घुसेड़ दिया
दुलारि मचल उठी और उसने पूरी ताकत से अपनी चुत का छल्ले से अमन के आधे लन्ड पर कसते हुए रोक लिया
उस्का चेहरा भिन्चा हुआ था और मनमोहक दर्द उसकी कमर काप रही थी , अमन के हजार कोसिस पर भी उसका लन्ड आगे पीछे नही हो रहा और अचानक से दुलारी ने ढील दी हचाक से लन्ड 3 इंच और भीतर
आईईईई माइयाआआ उह्ह्ह्ह बहिनचोद आरां से उह्ह्ह मम्मा उम्म्ं " , दुलारी जोर से चीखी
अमन खिलखिलाया और उसकी कमर को पकड कर लन्ड को एक सीध मे पेलने लगा
कुछ ही झटकों मे उसने दुलारी के भीतर जगह बना ली और दुलारी पागल होने लगी एक बार फिर अमन का टोपा उसकी चुत के दिवारोंपर घिसता रगड़ता चोट करता आगे पीछे हो रहा था ।
अमन भी अब घोड़ो सा चिन्घाड रहा था , जो बेचैनी उसको लोहे सी तप रहे लन्ड के कड़कपन से था अबत्क अब उसपे आराम होने लगा
दुलारी की मुलायम बुर की ठंडक ने उसको हवा ने उड़ाने लगा था ।
अमन - ऊहह भाभी कितनी मुलायम बुर है आह्ह उह्ह्ह मजा आ रहा है उम्म्ं
दुलारी अपनी बुर अमन का बास जैसा 3 इंच मोटा खुन्टा मह्सूस कर - ऊहह देवर जी आपका भी लौडा खते से कम नही अह्ह्ह फाड़ ही डाला उह्ह्ह ऊहह और तेज्ज्ज सीईई ओह्ह्ह्ह मम्माआ उम्म्ंम चोद राजाअह्ह्ह ऊहह
अमन उसके गाड़ को मसलता हुआ करारे झटके लगाने लगा - आह्ह भाभीई पहले क्यू नही कहा उम्म्ंम चोद चोद के कचूमर कर देता इसकी उह्ह्ह बहिनचो क्या गर्म बुर है उह्ह्ह
दुलारी- हा हा चोद लेना अपनी बहिनिय भी उह्ह्ह देखा नही कैसे बुर रगड़ रही थी
अमन रिन्की का सोच कर और भी जोश ने मे आ गया और कस कस के लण्ड उसकी बुर मे पेलने लगा
दुलारि - उह्ह्ह राजजा और हुमुच के ऊहह फाड़ दो उम्म्ं फिर ऐसे ही मेरी छिनार ननदीया के चुत फाड़ना उह्ह्ह अरे तुम नही फाड़ागे तो कही जाके फड़वा लेगी । बोलो लोगे उम्म्ं
अमन चुप रहा और मुह भीच कर उसके गाड़ मसलता हुआ लंड़ पेल रहा था
दुलारी झड़ चुकी थी और उसने उसको और कमोतेजित करने लगी - ऊहह बाबू लेलो ये इन्टर वाली की कुवारि बुर की गर्मी एक बार मे ही नल खाली कर देगी और तुम्हारा कड़क मुसल चुस के निचोड लेगी
अमन पागल होगया था रिन्की की कल्पना करके , उसका सुपाडा लाल होकर जलने लगा था आड़ो से वीर्य नसो मे भर गया और उसने झटक से लन्ड बाहर निकालता हुआ - अह्ह्ह भाभीई जरुर लूंगा उसकी भी चुत फाड़ दन्गा अह्ह्ह उह्ह्ह
अमन की तेज धार वाली पिचकारी छुटने लगी और दुलारी की गाड़ से वो गाढी मलाई उसकी चुत पर रिसती हुई फर्श पर टपकने लगी और दुलारी एक तृप्ति भरी मुस्कन के साथ हाफती रही ।
अमन वही बैठा हुआ हाफ रहा था , धीरे धीरे दोनो की कामोत्तेजना ठंडी पड़ने लगी और अमन को ख्याल आया कि अभी अभी क्या हो गया ये ।
उसने दुलारी भाभी को चोदा तो चोदा साथ ही अपनी छोटी बहन के नाम से झड़ रहा था ।
अमन का माथा खराब होने लगा उसे अफसोसा मह्सूस हो रहा था रिन्की के लिए ।
दुलारी- क्या हुआ राजा काहे चेहरा उतरा है
अमन खड़े होकर अपना पैंट पहनता - भक्क भाभीई आप रिन्की को बीच मे क्यू लाई अभी कितनी छोटी है वो
दुलारि तुनक कर - ऊहु देखो तो शरीफजाने दो अभी कुछ देर पहले उसकी बुर का भोसडा बनाने के नाम पर मेरा पिछवाडा गीला कर रहे थे और अब
अमन - क्योकि आप ही उसका नाम ले रहे थे
दुलारी- सही तो कह रही हु मै,अभी ताजा ताज्स जवान हुई अगर उसकी आग नही बुझाइ लगाम नही लगाई तो आज नही तो कल बाहर मुह मारेगी जरुर
अमन शान्त हो गया और उसके सामने रिन्की का चेहरा नाच रहा था
वही दुलारि - अब तुम देखो मै तो तुम्हारा फाय्दा सोच रही थी , तुम्हे एक और कसी हुई करारी कुरकरी ताजी बुर परोस देती, खैर मुझे क्या
अमन कुछ सोच कर - वैसे इरादा बुरा नही है वो कौन सा मेरी सगी बहन है और
दुलारी इतराई - वही ना
अमन - लेकिन क्या वो तैयार होगी
दुलारी- अरे जब मेरे जैसी संस्कारी इस लन्ड की दिवानी हो गयी तो मेरी नन्दिया तो एक नम्बर की छिनार है , लपक कर ले लेगी इसे हिहिहिही
अमन भी उसकी बात पर हसने लगा और फिर दोनो चुपचाप मौका देख कर कमरे से बाहर आ गये ।
जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और जबरदस्त अपडेट हैं भाई मजा आ गयाUPDATE 202
अमन के घर
इधर अमन अपने लन्ड की कसक मिटा कर शान्त हुआ और वापस निचे हाल मे आ गया ।
मुरारी हिसाब किताब करके बैठा था कि उसकी नजर अमन पर गयी ।
मुरारी - अरे बेटा छुट्टी कब तक रहने वाली है तुम्हारी
अमन - जी बस दो हफते और बाकी है पापा उसके बाद जाना ही है ।
मुरारी ममता से कहता हुआ - अरे भई अमन की मा , अपने लाड साहब को कहो कि बहू को कही घुमा फिरा लाये ।
ममता ने टोंट मारी- अच्छा जी शादी के बाद घुमा फिरा भी जाता है क्या ?
मुरारी - अरे भाइ वो आजकल के बच्चो का क्या चल रहा है वो ..
मदन - हनीमुन टूर भैया
" हा , हनीमून टूअर " , मुरारी ने अजिब नजरो से मदन को देखता हुए कहा ।
ममता - अरे भाई मुझे इस बारे मे क्या पता , हम तो ढंग से चमनपुरा तक नही घुमे अपना काहे का हनीमून फ़नीमून हुह
ममता के तुनके हुए जवाब पर जहा मुरारी झेप रहा था वही अमन अपने चाचा को देख कर होठ दबा कर मुस्कुरा रहा था ।
मुरारी - ओहो तो अब क्या इस उम्र मे तुम्हे हनीमून जाना है घूमने
ममता - क्यू भाई घूमने फिरने की कोई उम्र होती है क्या ? क्यू देवर जी ।
मदन असहज होकर मुरारी से नजरे चुराता हुआ - अह नही भाभीई जाईये ना भैया भाभी को लिवा कर
मुरारी - क्या मदन तुम भी बच्चे के सामने
मदन - सो सॉरी भैया ।
अमन - अरे पापा मै और सोनल नही जा रहे है लेकिन कम से कम आप मम्मी चले जाओ घूमने
अमन के बात पर सब चौके
मुरारी - क्यू भाई क्यू नही जा रहे ।
अमन - पापा वो सोनल का भी मम्मी जैसा ही हाल है, वो कही बाहर गयी नही और उसे डर लगता है सफर मे
ममता - अरे तो क्या हनीमून पर अपनी सास को भी साथ लेके जायेगा क्या हाहाहा
अमन झेप कर - क्या मम्मी , अब वो मना कर रही है तो मै क्या ही करू ।
ममता - अच्छा रुक मै उससे बात करती हु आज , अरे आज समय है मौका मिल रहा है घूम ले , नही तो बेचारी की किसमत मेरी जैसी ही हो जायेगी चार दिवारी मे कैद हुह
ये बोलकर ममता उठी और उपर चली गयी और मदन भी धीरे से सरक लिया बाहर के लिए ।
वही मुरारी का मुड उखड़ गया ममता के तानो से ।
अमन मुस्कुरा कर अपने पापा के पास बैठता हुआ - हिहिही पापा क्या सच मे आप मम्मी को कभी घुमाने नही ले गये ।
मुरारी - अरे पागल जब मेरी शादी हुई थी तब ये सब फैशन बाजी कहा होती थी , उसपे से गाव मे थे तब हम लोग वहा और भी ज्यादा यम नियम होते थे पालन करने के लिए ।
अमन - हा लेकिन पापा अब तो आपको मम्मी को लिवा के जाना चाहिए
मुरारी - तु पागल है , इस उम्र मे हनीमून पर हमे जाना शोभा देगा
अमन हस कर - अरे मै तो घुमने जाने की बात कर रहा हु , हा अगर आपका मूड हुआ तो हनीमून भी मना लेना हिहिहिही
मुरारी - चुप कर नालायक कही का , मेरी छोड़ ये बता कल रात क्या हुआ , नाड़ा टाइट था ना
अमन हसता हुआ - जी पापा आपका बेटा हु ऐसे कैसे ढीला होने देता हिहिही
मुरारी - शाबाश , अभी दो तीन ऐसे ही रहने दे
अमन नाटक करता हुआ - क्या दो तीन और , अरे पापा कल मैने कैसे खुद को रोक मै ही जानता हु
मुरारी - अरे भाई होता है , मै भी तो ....
मुरारी थोड़ा रुका और आसपास का जायजा लेके अमन की ओर झुक कर फुसफुसात हुआ - रहा तो मुझसे भो नही जा रहा था , उस समय नयी नयी शादी के बाद तेरी मा अपनी साडी सही से सभाल नही पाती थी और उसका आंचल अकसर पेट पीठ और सीने से उघार हो जाया करता था और मेरी तो इस्स्स्स
मुरारी अपने कड़क होते लन्ड को भीच कर अपना दाँत पिसा और अमन मुस्कुरा उठा ।
मुरारी - लेकिन मैने खुद को एकदम से पिघलने नही दिया ।
अमन मुस्कुरा कर - हा लेकिन वो तिसरी दुपहर को ऐसा क्या हुआ था कि आप हिहिही
अमन की बात सुनकर मुरारी ने अपनी पीठ सीधी कर एक गहरी सास ली और इधर उधर देखता हुआ खड़ा होकर अंगदाई लिया और अमन को इशारे से अपने पीछे आने को कहा ।
दोनो बाप बेटे ममता के कमरे मे चले गये ।
अमन - पापा यहा क्यू ले आये आप
मुरारी उसे सोफे पे बैठने को कह कर आलमारी से एक फोटो अलबम निकालता हुआ उसे खोलकर अमन के बगल मे बैठता है , जिसमे ममता और मुरारी की शादी की तस्वीरे थी ।
मुरारी - ले देख , अरे उस समय तेरी मा अगर फिल्मो मे ट्राई करती तो टॉप क्लास ही हीरोइन होती
अमन आंखे फाडे अपनी मा के जवानी के दिनो का हसिन चेहरा देख रहा था , सच मे उसकी मा किसी हीरोइन से कम ना थी ।
अमन - वाव पापा मम्मी तो सच मे किसी हीरोइन से कम नही थी
मुरारी - अरे मुझे तो वो पूरी की पूरी मन्दाकिनी लगती थी उस समय वही तीखे नैन नख्स, वैसी ही कटीली चाल ।
अमन शॉकड होकर - पापा !! अब ये मन्दाकीनि कौन है ,उम्म्ं
मुरारी हसता हुआ - अरे तु मन्दाकीनि को नही जानता ?
अमन - नही , पहले कभी मिला नही तो कैसे जानूंगा , है कौन ये ?
मुरारी - अरे बेटा मन्दाकीनि हमारे जमाने की बोल्ड हीरोइन हुआ करती थी , उसकी फिल्मो के लोग दिवाने हुआ करते थे
अमन - अच्छा ऐसा क्या , रुको चेक करता हु
अमन फौरन अपने मोबाइल मे bollywood ऐक्ट्रेस मन्दाकीनि को सर्च करता है और उससे जुड़ी कन्ट्रोवरसी के साथ उसके सेमीन्यूड वायरल तसविरे भी अमन को दिखने लगी , उसमे एक तस्वीर जो एक बहुत ही फेमस फिल्म " राम तेरी गंगा मैली " की थी जिसमे मन्दाकीनि ने वाइट साडी मे अपने विजीबल निप्प्ल दिखाये थे और बहुत ही कामुक दिख रही थी ।
वो तस्वीर देख कर अमन का लन्ड फड़क उठा और उसने मोबाइल का स्क्रीन अपने पापा की ओर घुमा कर - यही है क्या
अपनी पसंदीदा अदाकारा की मनचाही नगन तस्वीर पाकर मुरारी की दबी हुई भावनाए उभर आई और उसके आन्खो मे बढ़ती चमक से अमन भी हेरत मे था ।
मुरारी अमन के हाथ से मोबाईल लेके फोटो को गौर से देख रहा था , उसकी नजरे गीले पारदर्शी साडी से झाकती छातियों पर जमी थी - वाह बेटा आज सालों बाद मुझे मेरी मनचाही तस्वीर देखने को मिली ।
अमन थोडा मुस्कुरा कर थोडा आंखे दिखा कर मोबाईल अपने पास लेकर - पापा !! आपकी शादी हो गयी है और कही मम्मी को पता चला तो हम दोनो की बैंड बज जायेगी ।
मुरारी थुक गटक कर - अरे लेकिन उसको बताना ही क्यूँ है
अमन हसते हुए गालों के साथ - हा लेकिन आपको देखना ही क्यूँ है
मुरारी झेपता हुआ - अह बस ऐसे ही बेटा मन हुआ देखने का और मेरा तो पुरा बचपन जुड़ा है इसकी फिल्मो के साथ
अमन - अच्छा ऐसी बात है तो ठिक है मै मम्मी को नही बताऊंगा लेकिन मेरी एक शर्त है
मुरारी - शर्त !! कैसी शर्त ?
अमन मुस्कुरा कर - मै आपको आपकी हीरोइन की फिल्मे , फोटो वीडियो सब लाके दूँगा लेकिन आपको भी मेरी बात माननी पड़ेगी
मुरारी - अरे ब्ता ना सब मंजूर है
अमन हस कर - सोच लो
मुरारी थोडा रुका और बोला - हा भाइ सब मंजूर है बता क्या शर्त है
अमन मुस्कुरा कर - शर्त ये है कि आप अकेले इसका मजा नही लेंगे
मुरारी चौक कर - मतलब ?
अमन - मतलब ये कि आप और मै दोनो साथ मे इसका मजा लेंगे और आप अपनी इससे जुड़ी कहानिया भी बताओगे
अमन - बोलो मंजूर है
मुरारी खिल उठा - अरे इसमे कौन सी बड़ी बात है , जरुर जरुर हाहहहा
राहुल के घर
इधर अरुण ने एक से बढ़कर एक पोर्न वीडियो दिखा कर राहुल को झड़वा दिया और वो गया । अगर अरुण की नीद गायब थी , जबसे उसने शालिनी की गाड़ देखी थी ।
राहुल के सोने के बाद वो चुप चाप अपनी मामी के कमरे की ओर बढ़ गया
दरवाजे के पास ही उसने कमरे मे देखा तो सामने का नजरा देख कर उसका लन्ड फड़क उठा
सामने दिन भर की थकान से चूर शालिनी बेफिकर और बेढंग से करवट लिये सोई हुई थी , बलाऊज से आधी चुचिया बाहर निकल आई थी , कुल्हे उपर की उठे हुए थे ।
एक नजर अरुण ने गलियारे से हाल तक देखा और दबे पाव कमरे मे दाखिल हुआ ।
उसने सास भरती शालिनी को देख कर अपना मुसल मसला और आगे बढ गया
उसकी नजर शालिनी के बाहर झाकते चुचो पर जमी थी
दबे पाव अरुण लपक कर अपनी मामी के करीब गया
गोरी गोरी चमड़ी वाली चुचियो को पम्प होता देख अरुण से रहा नही गया , उसने एक नजर शालिनी को देखा और हाथ आगे बढा कर शालिनी के चुचो को छुने की कोसिस करने लगा
ऐसा नही था कि अरुन ऐसी हरकते पहले नही किया था , वो घर मे कइ दफा अपनी मा के साथ ऐसा कर चुका था मगर यहा ना उसका घर था ना उसकी मा
अपनी रसिली मामी की छातियों की माप वो उपर उपर से बिना छूए ही हथेली से लेने लगा ।
डर था कही शालिनी की नीद ना टूट जाये और उसका डर थोडा हावि हुआ ।
वो उठ कर बिना शालिनी की चुचिया पकड़े खड़ा हो गया ।
उसकी नजर अब शालिनी के तंदुरुस्त कूल्हो पर गयी जो उपर उठी हुई थी ।
दो कदम आगे बढ कर उसने वापस शालिनी को देखा और धीरे से अपना हाथ ले जाकर उसके कुल्हे को साड़ी के उपर से छुआ और झटके से हाथ पीछे खिंच लिया
एक खिलखिलाहट भरी गुदगुदी उसे मह्सूस हुई , अपनी मामी के गुदाज कूल्हो का स्पर्श अपनी भी उसकी हथेली मे रेंग सा रहा था ।
कोसिस कर इस बार उसने अपना पुरा पन्जा अपनी मामी की गाड़ पर रख दिया और उंगलियो से हल्का सा दबाया फिर जल्दी से वापस खिंच लिया ।
उस्का दिल जोरो से धडक रहा था और पेट मे तितिलियां उड़ने लगी थी , लन्ड पूरे उफान पर था
उसने थोड़ी हिम्मत दिखाई और आगे आकर शालिनी के चुचो को हल्का सा उंगली से एक बार छुआ
शालिनी की कोई प्रतिक्रिया ना पाकर उसने अपना पन्जा खोलते हुए शालिनी की चुची को ब्लाउज के उपर से हाथ मे भर किया
2 3 5 और 8 सेकेंड तक आते आते अरुण का हिम्मत जवाब दे गया वो जल्दी से हाथ पीछे कर लिया
इससे पहले वो आगे बढ़ता शालिनी के शरीर मे कुछ हरकत होती है और वो धीरे से कमरे से बाहर निकल जाता है ।
राज के घर
"लेकिन आपकी शादी तो बड़े फूफा से हुई थी ना तो कमरे मे छोटे फूफा कैसे " , राज हैरानी भरे स्वर मे शिला से सवाल किया ।
शिला - मै भी हैरानी थी बेटा
राज - फिर क्या हुआ
शिला - मेरे भीतर रह रह के कई सारी बातें उठ रही थी । कभी ये सोच कर दिल खुश हो जाता कि मेरा देवर ही मेरा पति है मगर वो पल जब मेरे नाम का तिलक तेरे फुफा के लिये गया था वो ख्याल आते ही ठगा सा मह्सुस हो रहा था मुझे कही मेरा जीवन बर्बाद तो नही हो जायेगा ।
मुझे खोया हुआ देख कर वो मेरा हाथ पकड कर बोले - क्या हुआ शीलू ,
"शीलू" , ये शब्द सुनकर मेरा रोम रोम सिहर उठा, मै बेचैन होने लगी । मै समझ नही पा रही थी कि कैसे मैं उनसे इस बारे मे बात करू ।
बहुत हिम्मत कर मै बोली - एक बात पुछ सकती हु
वो खुश हुए और एकदम से मेरे करीब आकर मेरी पीठ से हाथ रखकर मुझसे चिपकते हुए बोले - एक क्या हजार पूछो, हक है तुम्हारा ।
मै अपने कंधे पर उन्के हाथ मह्सूस कर काप रही थी और जो सवाल मै रखने वाली उसके लिए मेरा दिल जोरो से धडक रहा था ।
हिम्मत कर मैने पूछा - आपको मै कैसे पसंद आ गयी ।
वो मुस्कुराए और एक आह भरके बोले - तुम मेरे स्वपन सुन्दरी हो
मै - मतल्व ? मै पहले भी आपके सपने मे आ चुकी हूँ
वो गरदन हिला कर हसते हुए - आहा वैसे नही , अरे लोग चाहते है ना कि मेरी होने वाली बीवी ऐसी हो वैसी हो , वो वाला
मै हसी - तो आपको मोटी बीवी चाहिये थी
वो खिलखिलाए - हाहाहा किसने कहा तुम मोटी हो , तुम जैसी हसिना के बस मै कलपनाए करता था । मगर तुम्हे उस दिन घर पर देख कर मेरा दिल आ गया तुम पर ।
मै - मेरी एक उल्झन है पूछू सच सच बताएगे ना
वो - हा तुमसे क्या छिपाना अब पूछो
मै खुद को तैयार करती हुई - नही पहले आप मेरी कसम खायिए कि झुठ नही कहेन्गे ।
वो कुछ सोच कर मुस्कराये - ठिक है तुम्हारी कसम बाबा अब पूछो ।
मैने एक गहरी आह भरी - मुझे समझ नही आ रहा है कि जब मेरा रिश्ता आपके भैया से तय हुआ था तो मेरी शादी आपसे कैसे हो गयी ।
वो भौचक्के रह गये और उठ कर खड़े हो गये उनका चेहरा लाल हो रहा था , सर्द मौसम मे भी माथे पर पसीने चढ आया - ये ये क क्या कह रही , मेरी शादी तो तुमसे ही हुई है ना , हमने फेरे लिये है मेरे नाम का सिन्दूर चढाया है तुम्हे
मै भी अब तैस मे थी - वही जवाब मुझे भी चाहिये कि जब मेरी शादी आपके भैया से तय हुई , मेरे नाम का तिलक भी आपके भैया को चढाया गया तो आप मेरे पति कैसे ?
वो बौखला गये और कुछ सोचते हुए - हा सही कह रही हो तुम , और शादी के दौरान भी हमने एकदुसरे को नही देखा था भैया की वजह से मै मेरी बीवी का उन्के सामने घूँघट उठा कर सिन्दूर नही भर सकता था इसीलिए घूँघट के भीतर ही सिन्दूर लगाया गया था । मगर तुम्हे यहा देख कर मैने सोचा शायद भगवान ने मेरी मुराद पूरी कर दी और तुमसे ही मेरी शादी हुई है ।
मै चौकी - हे भगवान ये क्या गड़बड़ हो गयी ।
वो - अच्छा तुम दोनो को यहा उपर कमरे तक कौन छोड़ने आया ।
मै हड़बडा कर दिमाग कर जोर देते हुए - अरे वो आपकी दीदी लोग थी उन्ही मे से किसी ने कहा कि ये वाला कमरा मेरा है और वो वाला कम्मो का ।
वो अजीब सा मुह बना कर - कम्मो कौन ?
मै - अरे कामिनी , उसे हम कम्मो ही कहते है
वो - ओहो लगता है कि दीदी लोगो ने मजाक मे गलत कमरा बता दिया ।
मै भौचक्की सी - तो अब ?
वो हड़बड़ा कर हाथ जोड़ते हुए - माफ किजियेगा भाभीई हमसे गलती हो गयी ।
मै एकाएक चौकी - भाभीई ?
वो - हा हा आप तो मेरी भाभी है , भगवान का शुक्र है कि आज मेरे से पाप होते होते रह गया ।
मेरी आंखे डबडबा गईं और मै रुआस होकर मेरे देवर की ओर पीठ करके खड़ी हो गयी ।
देवर - अभी भी कुछ बिगड़ा नही है भाभी , आईये आपको मै लिवा चलता हु भैया के पास
मै चुप थी और खुद क साथ हुई ठगी के लिए अपनी ननदो को भर भर के गालियां दे रही थी मन ही मन , क्योकि एक बार फिर मेरा प्यार मेरे हाथ आकर भी बिछुड गया
वही मेरे देवर ने लालटेन उठाया और कमरे का दरवाजा खोला और हम लोग बगल वाले कमरे के करीब गये ।
बाहर तेज सर्द हवा चल रही थी और दूर सियार कुत्तो की हुंकार आ रही थी ।
मै दरवाजे से थोड़ी दुर खडी थी बाहर घुप्प अन्धेरा था लालटेन की रोशनी ही थी ।
वही मेरा देवर आगे बढा और दरवाजे के पास खड़ा होकर उसे खटखटाने को हुआ कि कुछ सुन कर वो रुक गया ।
वो झुका और घुटने के बल होकर दरवाजे के गैप से भीतर देखा तो उसकी आंखे फैल गयी ।
उसके हाथ से लालटेन फीट भर उपर से छुट कर गिरा और बूझ गया ।
जो थोड़ी बहुत रोशनी थी वो लालटेन बुझने से गायब हो गयी मै फिकर से - क्या हुआ
मेरा देवर उठा और शान्त होकर मेरे करीब आया
मै अंधेरे मे आहते मह्सूस कर - क्या हुआ बोलिए ना
देवर - भाभी जी आप खुद देख लिजिए , अब कुछ नही हो सकता मै बरबाद हो गया ।
मै हड़बडा कर दरवाज के कडे की वारिक छेद से आ रही थी महीन रोषनि से भीतर झाका तो देखा कि कमरे मे लालटेन की पीली रोशनी मे तेरे फूफा अपने भाई की बीवी को नन्गा करके चोद रहे थे
भीतर का नजारा देख कर मेरा कलेजा काप उठा कर मै फफक कर रो पड़ि फिर सिस्कती हुई कमरे मे आ गयी ।
देवर जी भी मेरे पीछे चले आये ।
देवर - भाभी जी प्लीज आप रोयिये मत
मै बिलखती हुई - मै क्या कर बताओ आप ही मेरी तो दुनिया ही उजड़ गयी । हे भगवान मै क्या करून्गी अब ।
देवर - तो क्या सिर्फ़ आपकी ही दुनिया उजडी है मेरा कुछ नुकसान नही हुआ
अगले ही पल मैने देवर जी के बारेमे सोचा और महसुस किया कि धोखा तो उन्के साथ भी हुआ है ।
मै - तो अब क्या करेंगे हम लोग , क्या आपके भैया को भी नही पता था कि उनकी शादी किस्से हो रही है किस्से नही ।
देवर जी - अरे भाभी उन्होने तो किसी को भी नही देखा था ना आपको ना कामिनी को । रिश्ता लेके तो मै आया था ना बाऊजी के साथ
देवर जी की बात सुनकर मुझे कम्मो की बात याद आने लगी जब वो सीढियों पर चढती हुई कह रही थी कि दीदी आज तो मै ट्राई करने वाली हु और उसने चुदवा भी लिया वो भी मेरे पति से ।
मै डरती हुई - अगर घर मे किसी को इस गड़ब्ड़ के बारे मे पता चला तो मै जीते जी मर जाउंगी
मेरे देवर मेरे पास बैठ कर - भाभी प्लीज आप उल्टा सीधा सोचना बन्द करिये , कल सुबह ही हम भैया और कामिनी से इस बारे मे बात करेंगे ।
राज सीरियस और जिज्ञासु होकर - फिर क्या हुआ बुआ
शिला - बेटा फिर होना क्या था अगली सुबह सुबह हम चारो उसी कमरे मे बैठे थे । तेरे फुफा अपना सर पकड़े हुए थे और क्म्मो मेरे सीने से लगी बिलख रही थी । इनसब मे देवर जी ने समझदारी दिखाइ ।
देवर - भैया अब जो हुआ उसे अपना भाग्य समझ कर भुला दीजिये , अगर घर मे ये बात खुली तो बहुत बखेडा हो जायेगा और बदनामी होगी सो अलग ।
तेरे फूफा देवर जी के आगे हाथ जोड़ कर गिडगिडा रहे थे - मुझे माफ कर दे भाई , मैने जोश मे जरा भी अक्ल से काम नही लिया
देवर जी ने उनको रोका - प्लीज भैया इसमे ना आपको और ना ही क्म्मो की कोई गलती है ।
कम्मो नाम सुनकर तेरी बुआ चौकी कि देवर जी को उस्के घर का नाम कैस पता था मगर वो मुद्दा जरुरी नही था ।
बातें बढ़ती गयी और दिन चढ़ता गया ।
हमारा आपसी समझौता हो गया कि आज से जिसकी जिससे शादी हुई वो उसके साथ ही रहेगा अपना अच्छा बुरा नसीब समझ कर ।
मैने कम्मो को हौसला दिया और समझाया कि उसका पति बहुत ही अच्छा है वो तुझे इस बात के लिए कभी दोषी नही ठहरायेगा ।
पुरा दिन ऐसे ही निकल गया और फिर रात की बेला ढल चुकी थी ।
हम दोनो बहने वापस से अपने अपने कमरे मे गयी और आज कि रात हमारे पति बदल चुके थे ।
मै कमरे आई और तेरे फुफा को देख कर मेरी नजरे शर्म से नीची हो गयी , वो भी नजरे फेरे फेरे कपडे निकाल कर कर जल्दी से बिस्तर मे घुस गये , कुछ देर तक मै बैठी रही पलन्ग पर और कल की बीती बाते मेरे दिमाग मे चल रही थी ।
करीब 15 - 20 मिन्ट बाद आखिर तेरे फूफा ने चुप्पी तोड़ी - सुनो ! लेट जाओ कब तक बैठी रहोगी
मै बिना कुछ बोले लालटेन बूझा कर कम्बल मे आ गयी और सीधा लेट कर आंखे खोल कमरे की रोशदान से आ रही चांदनी को निहार रही थी ।
कुछ पल बाद वो बोले - क्या तुम अब भी मुझसे नाराज हो !
मै - जी , नही मै क्यू नाराज रहूँगी ।
वो सरककर मेरे करीब आते हुए - मुझे लगा कि शायद कल की बात को लेकर तुम नाराज हो इसीलिए बात नही कर रही हो ।
मै - नही ऐसी कोई बात नही है, उसने आपकी कोई गलती नही थी , वो बस नसीब की बात थी ।
वो मुस्कुरा कर - मै बहुत खुश हु
मुझे ये जवाव बहुत अजीब लगा कि इसमे खुश होने जैसा क्या है - हम्म्म्म
वो - पुछोगी नही क्यूँ
मै उखड़े मुह से - क्यूँ
वो मेरे और करीब आकर मेरी ओर करवट लेकर - इसीलिए कि मेरी शादि एक बहुत ही सुलझी और समझदार औरत से हुई है , नही लड़की से हुई है ।
उनका जवाब सुनकर मै हल्का सा मुस्कुराई , मतलब साफ था दिल बहलाने मे दो भाई एक जैसे ही थे ।
वो मेरे मुस्कुराहट की खनक सुन्कर - अच्छा तो आप हसती भी है उम्म्ंम
अचानक से मुझे मेरे पेट पर उनकी उंगलियाँ गुदगदाने लगी और मै खिलखिलाने लगी ।
और उन्होने कस के मुझे अपनी बाहो मे भर लिया ।
मेरा जिस्म कापने लगा ।
वो मेरे पीठ को सहलाते हुए मेरे कान मे बोले - आह्ह शीलू तुम कितनीईह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह मुलायम हो उम्म्ंम
मुझे बहुत अजीब सा लगा जब उनहोने मुझे शीलू कहा मुझे मेरे देवर का चेहरा आंखो के आगे नजर आया और मैने उन्हे अपना देवर समझ कर कस लिया ।
तभी वो बोले - इस्स्स कल से ही तड़प रही थी क्या मेरी जान
मगर उनकी आवाज सुनते ही मेरा सारा जोश उतर गया और मेरे हाथ ढीले हो गये ।
उन्होने मुझे कस कर अपने सीने से लगाया , ब्लाउज मे कसे हुए मेरे कबूतर उनके सीने से दब कर फड़कने लगे और उनके बड़े मजबूत पंजे मेरे कूल्हो को हथेली मे भरने लगे ।
" अह्ह्ह शीलू कितनी मोटी गाड है तेरी उह्ह्ह " उन्होंने साडी के उपर से मेरे चुतड़ मसले । मै गिनगिना गयी , मुझे बहुत अजीब सा मह्सुस हो रहा था ,
उन्होने मेरे सीने से पल्लु हटा कर मेरे ब्लाऊज के उपर से छातीया मिजने लगे मै कसम्साने लगी , चाह कर भी मै उन्हे रोक नही सकती थी क्योकि हमसब ने वादा किया था कि एक नये सिरे से जीवन शुरु हो अब और तेरे फूफा को रोकने का मतलब होता हमारा शुरु होता नवजीवन की डोर मे एक गाठ सी और पड जाती ।
मै बेमन से कसमसा रही थी और वो मेरे उपर चढ़े हुए मेरे ब्लाउज खोलकर बिना ब्रा वाली मेरी 36DD वाली गोल मतोल चुचिया मिजते मसलते चुस रहे थे ।
मुझ पर भी अब रह रह कर खुमारी आ रही थी
"अह्ह्ह शीलू तेरे दूध बहुत रसिले है उम्म्ंम सीई ऊहह " वो मेरे चुचिया मुह ने बदलते हुए बोले
फिर सरकते हुए निचे मेरी नाभि पर खेलने लगे ।
गीली जीभ जब मेरी नाभि मे नाचती तो मेरा जिस्म अकड़ने लगता और गाड़ उठा कर मै पटकने लगती
उन्होने मुझे घुमाया और घोड़ी बना कर मेरी साडी उपर कर दी , मै काप रही थी जिस तरह से वो मेरे नंगे फैले हुए चर्बीदार चुतड़ अपने दोनो हाथो से मसल रहे थे
" आह्ह शीलू मेरी जान क्या मस्त गाड़ है तेरी इतनी बड़ी और मुलायम उम्म्ंम सीह्ह्ह अह्ह्ह क्या खुशबू है " वो मेरे गाड़ की दरारो मे नथुने रगड़ कर बोले ।
उनकी इस हरकत से मै सिहर गयी , मेरे भितर भी काम ज्वाला उठने लगी और अगले ही पल मेरी पीठ गरदन अकड़ गयी , आंखे भींच गयि जब उन्होने मेरे गाड की फाको को फैलाते हुए मेरे गाड़ की सुराख पर अपनी गीली जीभ फिराई ।
मै सिसकी मेरे लिए ये अनोखा और एकदम से नया अनुभव था वो जीभ नचा नचा कर मेरी गाड चाट रहे थे और मै बिसतर की चादर मुठ्ठियो मे भरती अकड़ रही थी ।
उन्होने मेरे गाड़ फैलते हुए निचे जुबां ले जाकर मेरी रिसती चुत के कसे हुए फाको पर जीभ फिराई और मै सर से पाव तक थरथरा गयि ।
उम्म्ंम कितना नमकीन पानी है मेरी जान उह्ह्ह उम्म्ंम्ं सुउर्र्र्रृऊऊऊऊऊप्प्प्पअह्ह्ह
वो जीभ लगाये मेरी बुर चाट कर फाको मे जीभ घुसा रहे थे और सिस्कती अकड़ती रही ।
मुझे निचोड़ कर रख दिया उन्होने मेरे पाव काप रहे थे ऐसा पहले मेरे साथ कभी नही हुआ और ना ही मै कभी इतना झड़ी थी , अभी मै सम्भल रही थी कि बिस्तर पर हलचल हुई और कमरे माचिस जलने की आवाज के साथ उजाला हुआ
लालटेन की पीली रोशनी मे एक बार फिर कमरा नहा चुका था ।
मै अपनी साड़िया सही करती हुई उठ कर बैठ गयि और वो मेरे सामने अपने जिस्म से एक एक कपडा उतारने लगे ।
मै नजरे नीची किये हुए थी
वो पुरे नंगे चल कर आये और मेरे गालों को छुआ
मैने नजरे उठा कर सामने देखा तो आधे हाथ का मोटा काला लन्ड लाल सुपाड़े के साथ फ़नकार मारता हुआ मेरे आगे था और वो उसे हिलाते हुए मेरे गाल छू रहे थे
मै नजरे उठा कर उनकी ओर अचरज से देखा तो उन्होने उस बिशाल मोटे नाग की ओर इशारा किया
मै डरते हुए हाथ बढा कर उसे थामा , उसकी तपिस से मेरा जिस्म थरथरा गया ,मै आंख बन्द कर काप रही थी ।
तभी मुझे मेरे सर पर उनका हाथ मह्सूस हुआ और वो मुझे लन्ड की ओर झुका रहे थे , मैने गरदन टाइट कर इसका विरोध किया तो वो बोले - प्लीज जान चुसो ना ।
मेरी आंखे फैल गयि उन्होने मुझे लन्ड चुसने के लिए कहा , पहले कभी मैने ऐसा कुछ नही किया था और वो मुझे दुलार कर लन्ड मेरे मुह के करीब ला रहे थे
मै उनका हाथ झटक कर - नहीई !!
वो मुस्कराये - करो ना अच्छा लगेगा और एक बार फिर वो मेरे गाल छू कर अपना लन्ड करीब लाने लगे
"घुउउउऊऊऊ घुउउउऊऊऊ घुउउउऊऊ घुउउउऊऊऊ "
" अरे किसका फोन आ गया " , राज खीझ कर शिला की ओर देख कर बोला जो हाथ मे मोबाईल लेके कुछ टाइप कर रही थी ।
शिला - अरे बेटा कुछ ज्यादा जरुरी नही है रुक बस मैसेज डाल दूँ दो मिंट
राज उठा और अपना लन्ड जो उसके पैंट मे अक्ड़ा हुआ था उसको मरोडता हुआ शिला की बाते सोचने लगा कि आगे क्या होने वाला था ।
जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और जबरदस्त अपडेट हैं भाई मजा आ गयाUPDATE 202
अमन के घर
इधर अमन अपने लन्ड की कसक मिटा कर शान्त हुआ और वापस निचे हाल मे आ गया ।
मुरारी हिसाब किताब करके बैठा था कि उसकी नजर अमन पर गयी ।
मुरारी - अरे बेटा छुट्टी कब तक रहने वाली है तुम्हारी
अमन - जी बस दो हफते और बाकी है पापा उसके बाद जाना ही है ।
मुरारी ममता से कहता हुआ - अरे भई अमन की मा , अपने लाड साहब को कहो कि बहू को कही घुमा फिरा लाये ।
ममता ने टोंट मारी- अच्छा जी शादी के बाद घुमा फिरा भी जाता है क्या ?
मुरारी - अरे भाइ वो आजकल के बच्चो का क्या चल रहा है वो ..
मदन - हनीमुन टूर भैया
" हा , हनीमून टूअर " , मुरारी ने अजिब नजरो से मदन को देखता हुए कहा ।
ममता - अरे भाई मुझे इस बारे मे क्या पता , हम तो ढंग से चमनपुरा तक नही घुमे अपना काहे का हनीमून फ़नीमून हुह
ममता के तुनके हुए जवाब पर जहा मुरारी झेप रहा था वही अमन अपने चाचा को देख कर होठ दबा कर मुस्कुरा रहा था ।
मुरारी - ओहो तो अब क्या इस उम्र मे तुम्हे हनीमून जाना है घूमने
ममता - क्यू भाई घूमने फिरने की कोई उम्र होती है क्या ? क्यू देवर जी ।
मदन असहज होकर मुरारी से नजरे चुराता हुआ - अह नही भाभीई जाईये ना भैया भाभी को लिवा कर
मुरारी - क्या मदन तुम भी बच्चे के सामने
मदन - सो सॉरी भैया ।
अमन - अरे पापा मै और सोनल नही जा रहे है लेकिन कम से कम आप मम्मी चले जाओ घूमने
अमन के बात पर सब चौके
मुरारी - क्यू भाई क्यू नही जा रहे ।
अमन - पापा वो सोनल का भी मम्मी जैसा ही हाल है, वो कही बाहर गयी नही और उसे डर लगता है सफर मे
ममता - अरे तो क्या हनीमून पर अपनी सास को भी साथ लेके जायेगा क्या हाहाहा
अमन झेप कर - क्या मम्मी , अब वो मना कर रही है तो मै क्या ही करू ।
ममता - अच्छा रुक मै उससे बात करती हु आज , अरे आज समय है मौका मिल रहा है घूम ले , नही तो बेचारी की किसमत मेरी जैसी ही हो जायेगी चार दिवारी मे कैद हुह
ये बोलकर ममता उठी और उपर चली गयी और मदन भी धीरे से सरक लिया बाहर के लिए ।
वही मुरारी का मुड उखड़ गया ममता के तानो से ।
अमन मुस्कुरा कर अपने पापा के पास बैठता हुआ - हिहिही पापा क्या सच मे आप मम्मी को कभी घुमाने नही ले गये ।
मुरारी - अरे पागल जब मेरी शादी हुई थी तब ये सब फैशन बाजी कहा होती थी , उसपे से गाव मे थे तब हम लोग वहा और भी ज्यादा यम नियम होते थे पालन करने के लिए ।
अमन - हा लेकिन पापा अब तो आपको मम्मी को लिवा के जाना चाहिए
मुरारी - तु पागल है , इस उम्र मे हनीमून पर हमे जाना शोभा देगा
अमन हस कर - अरे मै तो घुमने जाने की बात कर रहा हु , हा अगर आपका मूड हुआ तो हनीमून भी मना लेना हिहिहिही
मुरारी - चुप कर नालायक कही का , मेरी छोड़ ये बता कल रात क्या हुआ , नाड़ा टाइट था ना
अमन हसता हुआ - जी पापा आपका बेटा हु ऐसे कैसे ढीला होने देता हिहिही
मुरारी - शाबाश , अभी दो तीन ऐसे ही रहने दे
अमन नाटक करता हुआ - क्या दो तीन और , अरे पापा कल मैने कैसे खुद को रोक मै ही जानता हु
मुरारी - अरे भाई होता है , मै भी तो ....
मुरारी थोड़ा रुका और आसपास का जायजा लेके अमन की ओर झुक कर फुसफुसात हुआ - रहा तो मुझसे भो नही जा रहा था , उस समय नयी नयी शादी के बाद तेरी मा अपनी साडी सही से सभाल नही पाती थी और उसका आंचल अकसर पेट पीठ और सीने से उघार हो जाया करता था और मेरी तो इस्स्स्स
मुरारी अपने कड़क होते लन्ड को भीच कर अपना दाँत पिसा और अमन मुस्कुरा उठा ।
मुरारी - लेकिन मैने खुद को एकदम से पिघलने नही दिया ।
अमन मुस्कुरा कर - हा लेकिन वो तिसरी दुपहर को ऐसा क्या हुआ था कि आप हिहिही
अमन की बात सुनकर मुरारी ने अपनी पीठ सीधी कर एक गहरी सास ली और इधर उधर देखता हुआ खड़ा होकर अंगदाई लिया और अमन को इशारे से अपने पीछे आने को कहा ।
दोनो बाप बेटे ममता के कमरे मे चले गये ।
अमन - पापा यहा क्यू ले आये आप
मुरारी उसे सोफे पे बैठने को कह कर आलमारी से एक फोटो अलबम निकालता हुआ उसे खोलकर अमन के बगल मे बैठता है , जिसमे ममता और मुरारी की शादी की तस्वीरे थी ।
मुरारी - ले देख , अरे उस समय तेरी मा अगर फिल्मो मे ट्राई करती तो टॉप क्लास ही हीरोइन होती
अमन आंखे फाडे अपनी मा के जवानी के दिनो का हसिन चेहरा देख रहा था , सच मे उसकी मा किसी हीरोइन से कम ना थी ।
अमन - वाव पापा मम्मी तो सच मे किसी हीरोइन से कम नही थी
मुरारी - अरे मुझे तो वो पूरी की पूरी मन्दाकिनी लगती थी उस समय वही तीखे नैन नख्स, वैसी ही कटीली चाल ।
अमन शॉकड होकर - पापा !! अब ये मन्दाकीनि कौन है ,उम्म्ं
मुरारी हसता हुआ - अरे तु मन्दाकीनि को नही जानता ?
अमन - नही , पहले कभी मिला नही तो कैसे जानूंगा , है कौन ये ?
मुरारी - अरे बेटा मन्दाकीनि हमारे जमाने की बोल्ड हीरोइन हुआ करती थी , उसकी फिल्मो के लोग दिवाने हुआ करते थे
अमन - अच्छा ऐसा क्या , रुको चेक करता हु
अमन फौरन अपने मोबाइल मे bollywood ऐक्ट्रेस मन्दाकीनि को सर्च करता है और उससे जुड़ी कन्ट्रोवरसी के साथ उसके सेमीन्यूड वायरल तसविरे भी अमन को दिखने लगी , उसमे एक तस्वीर जो एक बहुत ही फेमस फिल्म " राम तेरी गंगा मैली " की थी जिसमे मन्दाकीनि ने वाइट साडी मे अपने विजीबल निप्प्ल दिखाये थे और बहुत ही कामुक दिख रही थी ।
वो तस्वीर देख कर अमन का लन्ड फड़क उठा और उसने मोबाइल का स्क्रीन अपने पापा की ओर घुमा कर - यही है क्या
अपनी पसंदीदा अदाकारा की मनचाही नगन तस्वीर पाकर मुरारी की दबी हुई भावनाए उभर आई और उसके आन्खो मे बढ़ती चमक से अमन भी हेरत मे था ।
मुरारी अमन के हाथ से मोबाईल लेके फोटो को गौर से देख रहा था , उसकी नजरे गीले पारदर्शी साडी से झाकती छातियों पर जमी थी - वाह बेटा आज सालों बाद मुझे मेरी मनचाही तस्वीर देखने को मिली ।
अमन थोडा मुस्कुरा कर थोडा आंखे दिखा कर मोबाईल अपने पास लेकर - पापा !! आपकी शादी हो गयी है और कही मम्मी को पता चला तो हम दोनो की बैंड बज जायेगी ।
मुरारी थुक गटक कर - अरे लेकिन उसको बताना ही क्यूँ है
अमन हसते हुए गालों के साथ - हा लेकिन आपको देखना ही क्यूँ है
मुरारी झेपता हुआ - अह बस ऐसे ही बेटा मन हुआ देखने का और मेरा तो पुरा बचपन जुड़ा है इसकी फिल्मो के साथ
अमन - अच्छा ऐसी बात है तो ठिक है मै मम्मी को नही बताऊंगा लेकिन मेरी एक शर्त है
मुरारी - शर्त !! कैसी शर्त ?
अमन मुस्कुरा कर - मै आपको आपकी हीरोइन की फिल्मे , फोटो वीडियो सब लाके दूँगा लेकिन आपको भी मेरी बात माननी पड़ेगी
मुरारी - अरे ब्ता ना सब मंजूर है
अमन हस कर - सोच लो
मुरारी थोडा रुका और बोला - हा भाइ सब मंजूर है बता क्या शर्त है
अमन मुस्कुरा कर - शर्त ये है कि आप अकेले इसका मजा नही लेंगे
मुरारी चौक कर - मतलब ?
अमन - मतलब ये कि आप और मै दोनो साथ मे इसका मजा लेंगे और आप अपनी इससे जुड़ी कहानिया भी बताओगे
अमन - बोलो मंजूर है
मुरारी खिल उठा - अरे इसमे कौन सी बड़ी बात है , जरुर जरुर हाहहहा
राहुल के घर
इधर अरुण ने एक से बढ़कर एक पोर्न वीडियो दिखा कर राहुल को झड़वा दिया और वो गया । अगर अरुण की नीद गायब थी , जबसे उसने शालिनी की गाड़ देखी थी ।
राहुल के सोने के बाद वो चुप चाप अपनी मामी के कमरे की ओर बढ़ गया
दरवाजे के पास ही उसने कमरे मे देखा तो सामने का नजरा देख कर उसका लन्ड फड़क उठा
सामने दिन भर की थकान से चूर शालिनी बेफिकर और बेढंग से करवट लिये सोई हुई थी , बलाऊज से आधी चुचिया बाहर निकल आई थी , कुल्हे उपर की उठे हुए थे ।
एक नजर अरुण ने गलियारे से हाल तक देखा और दबे पाव कमरे मे दाखिल हुआ ।
उसने सास भरती शालिनी को देख कर अपना मुसल मसला और आगे बढ गया
उसकी नजर शालिनी के बाहर झाकते चुचो पर जमी थी
दबे पाव अरुण लपक कर अपनी मामी के करीब गया
गोरी गोरी चमड़ी वाली चुचियो को पम्प होता देख अरुण से रहा नही गया , उसने एक नजर शालिनी को देखा और हाथ आगे बढा कर शालिनी के चुचो को छुने की कोसिस करने लगा
ऐसा नही था कि अरुन ऐसी हरकते पहले नही किया था , वो घर मे कइ दफा अपनी मा के साथ ऐसा कर चुका था मगर यहा ना उसका घर था ना उसकी मा
अपनी रसिली मामी की छातियों की माप वो उपर उपर से बिना छूए ही हथेली से लेने लगा ।
डर था कही शालिनी की नीद ना टूट जाये और उसका डर थोडा हावि हुआ ।
वो उठ कर बिना शालिनी की चुचिया पकड़े खड़ा हो गया ।
उसकी नजर अब शालिनी के तंदुरुस्त कूल्हो पर गयी जो उपर उठी हुई थी ।
दो कदम आगे बढ कर उसने वापस शालिनी को देखा और धीरे से अपना हाथ ले जाकर उसके कुल्हे को साड़ी के उपर से छुआ और झटके से हाथ पीछे खिंच लिया
एक खिलखिलाहट भरी गुदगुदी उसे मह्सूस हुई , अपनी मामी के गुदाज कूल्हो का स्पर्श अपनी भी उसकी हथेली मे रेंग सा रहा था ।
कोसिस कर इस बार उसने अपना पुरा पन्जा अपनी मामी की गाड़ पर रख दिया और उंगलियो से हल्का सा दबाया फिर जल्दी से वापस खिंच लिया ।
उस्का दिल जोरो से धडक रहा था और पेट मे तितिलियां उड़ने लगी थी , लन्ड पूरे उफान पर था
उसने थोड़ी हिम्मत दिखाई और आगे आकर शालिनी के चुचो को हल्का सा उंगली से एक बार छुआ
शालिनी की कोई प्रतिक्रिया ना पाकर उसने अपना पन्जा खोलते हुए शालिनी की चुची को ब्लाउज के उपर से हाथ मे भर किया
2 3 5 और 8 सेकेंड तक आते आते अरुण का हिम्मत जवाब दे गया वो जल्दी से हाथ पीछे कर लिया
इससे पहले वो आगे बढ़ता शालिनी के शरीर मे कुछ हरकत होती है और वो धीरे से कमरे से बाहर निकल जाता है ।
राज के घर
"लेकिन आपकी शादी तो बड़े फूफा से हुई थी ना तो कमरे मे छोटे फूफा कैसे " , राज हैरानी भरे स्वर मे शिला से सवाल किया ।
शिला - मै भी हैरानी थी बेटा
राज - फिर क्या हुआ
शिला - मेरे भीतर रह रह के कई सारी बातें उठ रही थी । कभी ये सोच कर दिल खुश हो जाता कि मेरा देवर ही मेरा पति है मगर वो पल जब मेरे नाम का तिलक तेरे फुफा के लिये गया था वो ख्याल आते ही ठगा सा मह्सुस हो रहा था मुझे कही मेरा जीवन बर्बाद तो नही हो जायेगा ।
मुझे खोया हुआ देख कर वो मेरा हाथ पकड कर बोले - क्या हुआ शीलू ,
"शीलू" , ये शब्द सुनकर मेरा रोम रोम सिहर उठा, मै बेचैन होने लगी । मै समझ नही पा रही थी कि कैसे मैं उनसे इस बारे मे बात करू ।
बहुत हिम्मत कर मै बोली - एक बात पुछ सकती हु
वो खुश हुए और एकदम से मेरे करीब आकर मेरी पीठ से हाथ रखकर मुझसे चिपकते हुए बोले - एक क्या हजार पूछो, हक है तुम्हारा ।
मै अपने कंधे पर उन्के हाथ मह्सूस कर काप रही थी और जो सवाल मै रखने वाली उसके लिए मेरा दिल जोरो से धडक रहा था ।
हिम्मत कर मैने पूछा - आपको मै कैसे पसंद आ गयी ।
वो मुस्कुराए और एक आह भरके बोले - तुम मेरे स्वपन सुन्दरी हो
मै - मतल्व ? मै पहले भी आपके सपने मे आ चुकी हूँ
वो गरदन हिला कर हसते हुए - आहा वैसे नही , अरे लोग चाहते है ना कि मेरी होने वाली बीवी ऐसी हो वैसी हो , वो वाला
मै हसी - तो आपको मोटी बीवी चाहिये थी
वो खिलखिलाए - हाहाहा किसने कहा तुम मोटी हो , तुम जैसी हसिना के बस मै कलपनाए करता था । मगर तुम्हे उस दिन घर पर देख कर मेरा दिल आ गया तुम पर ।
मै - मेरी एक उल्झन है पूछू सच सच बताएगे ना
वो - हा तुमसे क्या छिपाना अब पूछो
मै खुद को तैयार करती हुई - नही पहले आप मेरी कसम खायिए कि झुठ नही कहेन्गे ।
वो कुछ सोच कर मुस्कराये - ठिक है तुम्हारी कसम बाबा अब पूछो ।
मैने एक गहरी आह भरी - मुझे समझ नही आ रहा है कि जब मेरा रिश्ता आपके भैया से तय हुआ था तो मेरी शादी आपसे कैसे हो गयी ।
वो भौचक्के रह गये और उठ कर खड़े हो गये उनका चेहरा लाल हो रहा था , सर्द मौसम मे भी माथे पर पसीने चढ आया - ये ये क क्या कह रही , मेरी शादी तो तुमसे ही हुई है ना , हमने फेरे लिये है मेरे नाम का सिन्दूर चढाया है तुम्हे
मै भी अब तैस मे थी - वही जवाब मुझे भी चाहिये कि जब मेरी शादी आपके भैया से तय हुई , मेरे नाम का तिलक भी आपके भैया को चढाया गया तो आप मेरे पति कैसे ?
वो बौखला गये और कुछ सोचते हुए - हा सही कह रही हो तुम , और शादी के दौरान भी हमने एकदुसरे को नही देखा था भैया की वजह से मै मेरी बीवी का उन्के सामने घूँघट उठा कर सिन्दूर नही भर सकता था इसीलिए घूँघट के भीतर ही सिन्दूर लगाया गया था । मगर तुम्हे यहा देख कर मैने सोचा शायद भगवान ने मेरी मुराद पूरी कर दी और तुमसे ही मेरी शादी हुई है ।
मै चौकी - हे भगवान ये क्या गड़बड़ हो गयी ।
वो - अच्छा तुम दोनो को यहा उपर कमरे तक कौन छोड़ने आया ।
मै हड़बडा कर दिमाग कर जोर देते हुए - अरे वो आपकी दीदी लोग थी उन्ही मे से किसी ने कहा कि ये वाला कमरा मेरा है और वो वाला कम्मो का ।
वो अजीब सा मुह बना कर - कम्मो कौन ?
मै - अरे कामिनी , उसे हम कम्मो ही कहते है
वो - ओहो लगता है कि दीदी लोगो ने मजाक मे गलत कमरा बता दिया ।
मै भौचक्की सी - तो अब ?
वो हड़बड़ा कर हाथ जोड़ते हुए - माफ किजियेगा भाभीई हमसे गलती हो गयी ।
मै एकाएक चौकी - भाभीई ?
वो - हा हा आप तो मेरी भाभी है , भगवान का शुक्र है कि आज मेरे से पाप होते होते रह गया ।
मेरी आंखे डबडबा गईं और मै रुआस होकर मेरे देवर की ओर पीठ करके खड़ी हो गयी ।
देवर - अभी भी कुछ बिगड़ा नही है भाभी , आईये आपको मै लिवा चलता हु भैया के पास
मै चुप थी और खुद क साथ हुई ठगी के लिए अपनी ननदो को भर भर के गालियां दे रही थी मन ही मन , क्योकि एक बार फिर मेरा प्यार मेरे हाथ आकर भी बिछुड गया
वही मेरे देवर ने लालटेन उठाया और कमरे का दरवाजा खोला और हम लोग बगल वाले कमरे के करीब गये ।
बाहर तेज सर्द हवा चल रही थी और दूर सियार कुत्तो की हुंकार आ रही थी ।
मै दरवाजे से थोड़ी दुर खडी थी बाहर घुप्प अन्धेरा था लालटेन की रोशनी ही थी ।
वही मेरा देवर आगे बढा और दरवाजे के पास खड़ा होकर उसे खटखटाने को हुआ कि कुछ सुन कर वो रुक गया ।
वो झुका और घुटने के बल होकर दरवाजे के गैप से भीतर देखा तो उसकी आंखे फैल गयी ।
उसके हाथ से लालटेन फीट भर उपर से छुट कर गिरा और बूझ गया ।
जो थोड़ी बहुत रोशनी थी वो लालटेन बुझने से गायब हो गयी मै फिकर से - क्या हुआ
मेरा देवर उठा और शान्त होकर मेरे करीब आया
मै अंधेरे मे आहते मह्सूस कर - क्या हुआ बोलिए ना
देवर - भाभी जी आप खुद देख लिजिए , अब कुछ नही हो सकता मै बरबाद हो गया ।
मै हड़बडा कर दरवाज के कडे की वारिक छेद से आ रही थी महीन रोषनि से भीतर झाका तो देखा कि कमरे मे लालटेन की पीली रोशनी मे तेरे फूफा अपने भाई की बीवी को नन्गा करके चोद रहे थे
भीतर का नजारा देख कर मेरा कलेजा काप उठा कर मै फफक कर रो पड़ि फिर सिस्कती हुई कमरे मे आ गयी ।
देवर जी भी मेरे पीछे चले आये ।
देवर - भाभी जी प्लीज आप रोयिये मत
मै बिलखती हुई - मै क्या कर बताओ आप ही मेरी तो दुनिया ही उजड़ गयी । हे भगवान मै क्या करून्गी अब ।
देवर - तो क्या सिर्फ़ आपकी ही दुनिया उजडी है मेरा कुछ नुकसान नही हुआ
अगले ही पल मैने देवर जी के बारेमे सोचा और महसुस किया कि धोखा तो उन्के साथ भी हुआ है ।
मै - तो अब क्या करेंगे हम लोग , क्या आपके भैया को भी नही पता था कि उनकी शादी किस्से हो रही है किस्से नही ।
देवर जी - अरे भाभी उन्होने तो किसी को भी नही देखा था ना आपको ना कामिनी को । रिश्ता लेके तो मै आया था ना बाऊजी के साथ
देवर जी की बात सुनकर मुझे कम्मो की बात याद आने लगी जब वो सीढियों पर चढती हुई कह रही थी कि दीदी आज तो मै ट्राई करने वाली हु और उसने चुदवा भी लिया वो भी मेरे पति से ।
मै डरती हुई - अगर घर मे किसी को इस गड़ब्ड़ के बारे मे पता चला तो मै जीते जी मर जाउंगी
मेरे देवर मेरे पास बैठ कर - भाभी प्लीज आप उल्टा सीधा सोचना बन्द करिये , कल सुबह ही हम भैया और कामिनी से इस बारे मे बात करेंगे ।
राज सीरियस और जिज्ञासु होकर - फिर क्या हुआ बुआ
शिला - बेटा फिर होना क्या था अगली सुबह सुबह हम चारो उसी कमरे मे बैठे थे । तेरे फुफा अपना सर पकड़े हुए थे और क्म्मो मेरे सीने से लगी बिलख रही थी । इनसब मे देवर जी ने समझदारी दिखाइ ।
देवर - भैया अब जो हुआ उसे अपना भाग्य समझ कर भुला दीजिये , अगर घर मे ये बात खुली तो बहुत बखेडा हो जायेगा और बदनामी होगी सो अलग ।
तेरे फूफा देवर जी के आगे हाथ जोड़ कर गिडगिडा रहे थे - मुझे माफ कर दे भाई , मैने जोश मे जरा भी अक्ल से काम नही लिया
देवर जी ने उनको रोका - प्लीज भैया इसमे ना आपको और ना ही क्म्मो की कोई गलती है ।
कम्मो नाम सुनकर तेरी बुआ चौकी कि देवर जी को उस्के घर का नाम कैस पता था मगर वो मुद्दा जरुरी नही था ।
बातें बढ़ती गयी और दिन चढ़ता गया ।
हमारा आपसी समझौता हो गया कि आज से जिसकी जिससे शादी हुई वो उसके साथ ही रहेगा अपना अच्छा बुरा नसीब समझ कर ।
मैने कम्मो को हौसला दिया और समझाया कि उसका पति बहुत ही अच्छा है वो तुझे इस बात के लिए कभी दोषी नही ठहरायेगा ।
पुरा दिन ऐसे ही निकल गया और फिर रात की बेला ढल चुकी थी ।
हम दोनो बहने वापस से अपने अपने कमरे मे गयी और आज कि रात हमारे पति बदल चुके थे ।
मै कमरे आई और तेरे फुफा को देख कर मेरी नजरे शर्म से नीची हो गयी , वो भी नजरे फेरे फेरे कपडे निकाल कर कर जल्दी से बिस्तर मे घुस गये , कुछ देर तक मै बैठी रही पलन्ग पर और कल की बीती बाते मेरे दिमाग मे चल रही थी ।
करीब 15 - 20 मिन्ट बाद आखिर तेरे फूफा ने चुप्पी तोड़ी - सुनो ! लेट जाओ कब तक बैठी रहोगी
मै बिना कुछ बोले लालटेन बूझा कर कम्बल मे आ गयी और सीधा लेट कर आंखे खोल कमरे की रोशदान से आ रही चांदनी को निहार रही थी ।
कुछ पल बाद वो बोले - क्या तुम अब भी मुझसे नाराज हो !
मै - जी , नही मै क्यू नाराज रहूँगी ।
वो सरककर मेरे करीब आते हुए - मुझे लगा कि शायद कल की बात को लेकर तुम नाराज हो इसीलिए बात नही कर रही हो ।
मै - नही ऐसी कोई बात नही है, उसने आपकी कोई गलती नही थी , वो बस नसीब की बात थी ।
वो मुस्कुरा कर - मै बहुत खुश हु
मुझे ये जवाव बहुत अजीब लगा कि इसमे खुश होने जैसा क्या है - हम्म्म्म
वो - पुछोगी नही क्यूँ
मै उखड़े मुह से - क्यूँ
वो मेरे और करीब आकर मेरी ओर करवट लेकर - इसीलिए कि मेरी शादि एक बहुत ही सुलझी और समझदार औरत से हुई है , नही लड़की से हुई है ।
उनका जवाब सुनकर मै हल्का सा मुस्कुराई , मतलब साफ था दिल बहलाने मे दो भाई एक जैसे ही थे ।
वो मेरे मुस्कुराहट की खनक सुन्कर - अच्छा तो आप हसती भी है उम्म्ंम
अचानक से मुझे मेरे पेट पर उनकी उंगलियाँ गुदगदाने लगी और मै खिलखिलाने लगी ।
और उन्होने कस के मुझे अपनी बाहो मे भर लिया ।
मेरा जिस्म कापने लगा ।
वो मेरे पीठ को सहलाते हुए मेरे कान मे बोले - आह्ह शीलू तुम कितनीईह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह मुलायम हो उम्म्ंम
मुझे बहुत अजीब सा लगा जब उनहोने मुझे शीलू कहा मुझे मेरे देवर का चेहरा आंखो के आगे नजर आया और मैने उन्हे अपना देवर समझ कर कस लिया ।
तभी वो बोले - इस्स्स कल से ही तड़प रही थी क्या मेरी जान
मगर उनकी आवाज सुनते ही मेरा सारा जोश उतर गया और मेरे हाथ ढीले हो गये ।
उन्होने मुझे कस कर अपने सीने से लगाया , ब्लाउज मे कसे हुए मेरे कबूतर उनके सीने से दब कर फड़कने लगे और उनके बड़े मजबूत पंजे मेरे कूल्हो को हथेली मे भरने लगे ।
" अह्ह्ह शीलू कितनी मोटी गाड है तेरी उह्ह्ह " उन्होंने साडी के उपर से मेरे चुतड़ मसले । मै गिनगिना गयी , मुझे बहुत अजीब सा मह्सुस हो रहा था ,
उन्होने मेरे सीने से पल्लु हटा कर मेरे ब्लाऊज के उपर से छातीया मिजने लगे मै कसम्साने लगी , चाह कर भी मै उन्हे रोक नही सकती थी क्योकि हमसब ने वादा किया था कि एक नये सिरे से जीवन शुरु हो अब और तेरे फूफा को रोकने का मतलब होता हमारा शुरु होता नवजीवन की डोर मे एक गाठ सी और पड जाती ।
मै बेमन से कसमसा रही थी और वो मेरे उपर चढ़े हुए मेरे ब्लाउज खोलकर बिना ब्रा वाली मेरी 36DD वाली गोल मतोल चुचिया मिजते मसलते चुस रहे थे ।
मुझ पर भी अब रह रह कर खुमारी आ रही थी
"अह्ह्ह शीलू तेरे दूध बहुत रसिले है उम्म्ंम सीई ऊहह " वो मेरे चुचिया मुह ने बदलते हुए बोले
फिर सरकते हुए निचे मेरी नाभि पर खेलने लगे ।
गीली जीभ जब मेरी नाभि मे नाचती तो मेरा जिस्म अकड़ने लगता और गाड़ उठा कर मै पटकने लगती
उन्होने मुझे घुमाया और घोड़ी बना कर मेरी साडी उपर कर दी , मै काप रही थी जिस तरह से वो मेरे नंगे फैले हुए चर्बीदार चुतड़ अपने दोनो हाथो से मसल रहे थे
" आह्ह शीलू मेरी जान क्या मस्त गाड़ है तेरी इतनी बड़ी और मुलायम उम्म्ंम सीह्ह्ह अह्ह्ह क्या खुशबू है " वो मेरे गाड़ की दरारो मे नथुने रगड़ कर बोले ।
उनकी इस हरकत से मै सिहर गयी , मेरे भितर भी काम ज्वाला उठने लगी और अगले ही पल मेरी पीठ गरदन अकड़ गयी , आंखे भींच गयि जब उन्होने मेरे गाड की फाको को फैलाते हुए मेरे गाड़ की सुराख पर अपनी गीली जीभ फिराई ।
मै सिसकी मेरे लिए ये अनोखा और एकदम से नया अनुभव था वो जीभ नचा नचा कर मेरी गाड चाट रहे थे और मै बिसतर की चादर मुठ्ठियो मे भरती अकड़ रही थी ।
उन्होने मेरे गाड़ फैलते हुए निचे जुबां ले जाकर मेरी रिसती चुत के कसे हुए फाको पर जीभ फिराई और मै सर से पाव तक थरथरा गयि ।
उम्म्ंम कितना नमकीन पानी है मेरी जान उह्ह्ह उम्म्ंम्ं सुउर्र्र्रृऊऊऊऊऊप्प्प्पअह्ह्ह
वो जीभ लगाये मेरी बुर चाट कर फाको मे जीभ घुसा रहे थे और सिस्कती अकड़ती रही ।
मुझे निचोड़ कर रख दिया उन्होने मेरे पाव काप रहे थे ऐसा पहले मेरे साथ कभी नही हुआ और ना ही मै कभी इतना झड़ी थी , अभी मै सम्भल रही थी कि बिस्तर पर हलचल हुई और कमरे माचिस जलने की आवाज के साथ उजाला हुआ
लालटेन की पीली रोशनी मे एक बार फिर कमरा नहा चुका था ।
मै अपनी साड़िया सही करती हुई उठ कर बैठ गयि और वो मेरे सामने अपने जिस्म से एक एक कपडा उतारने लगे ।
मै नजरे नीची किये हुए थी
वो पुरे नंगे चल कर आये और मेरे गालों को छुआ
मैने नजरे उठा कर सामने देखा तो आधे हाथ का मोटा काला लन्ड लाल सुपाड़े के साथ फ़नकार मारता हुआ मेरे आगे था और वो उसे हिलाते हुए मेरे गाल छू रहे थे
मै नजरे उठा कर उनकी ओर अचरज से देखा तो उन्होने उस बिशाल मोटे नाग की ओर इशारा किया
मै डरते हुए हाथ बढा कर उसे थामा , उसकी तपिस से मेरा जिस्म थरथरा गया ,मै आंख बन्द कर काप रही थी ।
तभी मुझे मेरे सर पर उनका हाथ मह्सूस हुआ और वो मुझे लन्ड की ओर झुका रहे थे , मैने गरदन टाइट कर इसका विरोध किया तो वो बोले - प्लीज जान चुसो ना ।
मेरी आंखे फैल गयि उन्होने मुझे लन्ड चुसने के लिए कहा , पहले कभी मैने ऐसा कुछ नही किया था और वो मुझे दुलार कर लन्ड मेरे मुह के करीब ला रहे थे
मै उनका हाथ झटक कर - नहीई !!
वो मुस्कराये - करो ना अच्छा लगेगा और एक बार फिर वो मेरे गाल छू कर अपना लन्ड करीब लाने लगे
"घुउउउऊऊऊ घुउउउऊऊऊ घुउउउऊऊ घुउउउऊऊऊ "
" अरे किसका फोन आ गया " , राज खीझ कर शिला की ओर देख कर बोला जो हाथ मे मोबाईल लेके कुछ टाइप कर रही थी ।
शिला - अरे बेटा कुछ ज्यादा जरुरी नही है रुक बस मैसेज डाल दूँ दो मिंट
राज उठा और अपना लन्ड जो उसके पैंट मे अक्ड़ा हुआ था उसको मरोडता हुआ शिला की बाते सोचने लगा कि आगे क्या होने वाला था ।
जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और जबरदस्त अपडेट हैं भाई मजा आ गयाUPDATE 202
अमन के घर
इधर अमन अपने लन्ड की कसक मिटा कर शान्त हुआ और वापस निचे हाल मे आ गया ।
मुरारी हिसाब किताब करके बैठा था कि उसकी नजर अमन पर गयी ।
मुरारी - अरे बेटा छुट्टी कब तक रहने वाली है तुम्हारी
अमन - जी बस दो हफते और बाकी है पापा उसके बाद जाना ही है ।
मुरारी ममता से कहता हुआ - अरे भई अमन की मा , अपने लाड साहब को कहो कि बहू को कही घुमा फिरा लाये ।
ममता ने टोंट मारी- अच्छा जी शादी के बाद घुमा फिरा भी जाता है क्या ?
मुरारी - अरे भाइ वो आजकल के बच्चो का क्या चल रहा है वो ..
मदन - हनीमुन टूर भैया
" हा , हनीमून टूअर " , मुरारी ने अजिब नजरो से मदन को देखता हुए कहा ।
ममता - अरे भाई मुझे इस बारे मे क्या पता , हम तो ढंग से चमनपुरा तक नही घुमे अपना काहे का हनीमून फ़नीमून हुह
ममता के तुनके हुए जवाब पर जहा मुरारी झेप रहा था वही अमन अपने चाचा को देख कर होठ दबा कर मुस्कुरा रहा था ।
मुरारी - ओहो तो अब क्या इस उम्र मे तुम्हे हनीमून जाना है घूमने
ममता - क्यू भाई घूमने फिरने की कोई उम्र होती है क्या ? क्यू देवर जी ।
मदन असहज होकर मुरारी से नजरे चुराता हुआ - अह नही भाभीई जाईये ना भैया भाभी को लिवा कर
मुरारी - क्या मदन तुम भी बच्चे के सामने
मदन - सो सॉरी भैया ।
अमन - अरे पापा मै और सोनल नही जा रहे है लेकिन कम से कम आप मम्मी चले जाओ घूमने
अमन के बात पर सब चौके
मुरारी - क्यू भाई क्यू नही जा रहे ।
अमन - पापा वो सोनल का भी मम्मी जैसा ही हाल है, वो कही बाहर गयी नही और उसे डर लगता है सफर मे
ममता - अरे तो क्या हनीमून पर अपनी सास को भी साथ लेके जायेगा क्या हाहाहा
अमन झेप कर - क्या मम्मी , अब वो मना कर रही है तो मै क्या ही करू ।
ममता - अच्छा रुक मै उससे बात करती हु आज , अरे आज समय है मौका मिल रहा है घूम ले , नही तो बेचारी की किसमत मेरी जैसी ही हो जायेगी चार दिवारी मे कैद हुह
ये बोलकर ममता उठी और उपर चली गयी और मदन भी धीरे से सरक लिया बाहर के लिए ।
वही मुरारी का मुड उखड़ गया ममता के तानो से ।
अमन मुस्कुरा कर अपने पापा के पास बैठता हुआ - हिहिही पापा क्या सच मे आप मम्मी को कभी घुमाने नही ले गये ।
मुरारी - अरे पागल जब मेरी शादी हुई थी तब ये सब फैशन बाजी कहा होती थी , उसपे से गाव मे थे तब हम लोग वहा और भी ज्यादा यम नियम होते थे पालन करने के लिए ।
अमन - हा लेकिन पापा अब तो आपको मम्मी को लिवा के जाना चाहिए
मुरारी - तु पागल है , इस उम्र मे हनीमून पर हमे जाना शोभा देगा
अमन हस कर - अरे मै तो घुमने जाने की बात कर रहा हु , हा अगर आपका मूड हुआ तो हनीमून भी मना लेना हिहिहिही
मुरारी - चुप कर नालायक कही का , मेरी छोड़ ये बता कल रात क्या हुआ , नाड़ा टाइट था ना
अमन हसता हुआ - जी पापा आपका बेटा हु ऐसे कैसे ढीला होने देता हिहिही
मुरारी - शाबाश , अभी दो तीन ऐसे ही रहने दे
अमन नाटक करता हुआ - क्या दो तीन और , अरे पापा कल मैने कैसे खुद को रोक मै ही जानता हु
मुरारी - अरे भाई होता है , मै भी तो ....
मुरारी थोड़ा रुका और आसपास का जायजा लेके अमन की ओर झुक कर फुसफुसात हुआ - रहा तो मुझसे भो नही जा रहा था , उस समय नयी नयी शादी के बाद तेरी मा अपनी साडी सही से सभाल नही पाती थी और उसका आंचल अकसर पेट पीठ और सीने से उघार हो जाया करता था और मेरी तो इस्स्स्स
मुरारी अपने कड़क होते लन्ड को भीच कर अपना दाँत पिसा और अमन मुस्कुरा उठा ।
मुरारी - लेकिन मैने खुद को एकदम से पिघलने नही दिया ।
अमन मुस्कुरा कर - हा लेकिन वो तिसरी दुपहर को ऐसा क्या हुआ था कि आप हिहिही
अमन की बात सुनकर मुरारी ने अपनी पीठ सीधी कर एक गहरी सास ली और इधर उधर देखता हुआ खड़ा होकर अंगदाई लिया और अमन को इशारे से अपने पीछे आने को कहा ।
दोनो बाप बेटे ममता के कमरे मे चले गये ।
अमन - पापा यहा क्यू ले आये आप
मुरारी उसे सोफे पे बैठने को कह कर आलमारी से एक फोटो अलबम निकालता हुआ उसे खोलकर अमन के बगल मे बैठता है , जिसमे ममता और मुरारी की शादी की तस्वीरे थी ।
मुरारी - ले देख , अरे उस समय तेरी मा अगर फिल्मो मे ट्राई करती तो टॉप क्लास ही हीरोइन होती
अमन आंखे फाडे अपनी मा के जवानी के दिनो का हसिन चेहरा देख रहा था , सच मे उसकी मा किसी हीरोइन से कम ना थी ।
अमन - वाव पापा मम्मी तो सच मे किसी हीरोइन से कम नही थी
मुरारी - अरे मुझे तो वो पूरी की पूरी मन्दाकिनी लगती थी उस समय वही तीखे नैन नख्स, वैसी ही कटीली चाल ।
अमन शॉकड होकर - पापा !! अब ये मन्दाकीनि कौन है ,उम्म्ं
मुरारी हसता हुआ - अरे तु मन्दाकीनि को नही जानता ?
अमन - नही , पहले कभी मिला नही तो कैसे जानूंगा , है कौन ये ?
मुरारी - अरे बेटा मन्दाकीनि हमारे जमाने की बोल्ड हीरोइन हुआ करती थी , उसकी फिल्मो के लोग दिवाने हुआ करते थे
अमन - अच्छा ऐसा क्या , रुको चेक करता हु
अमन फौरन अपने मोबाइल मे bollywood ऐक्ट्रेस मन्दाकीनि को सर्च करता है और उससे जुड़ी कन्ट्रोवरसी के साथ उसके सेमीन्यूड वायरल तसविरे भी अमन को दिखने लगी , उसमे एक तस्वीर जो एक बहुत ही फेमस फिल्म " राम तेरी गंगा मैली " की थी जिसमे मन्दाकीनि ने वाइट साडी मे अपने विजीबल निप्प्ल दिखाये थे और बहुत ही कामुक दिख रही थी ।
वो तस्वीर देख कर अमन का लन्ड फड़क उठा और उसने मोबाइल का स्क्रीन अपने पापा की ओर घुमा कर - यही है क्या
अपनी पसंदीदा अदाकारा की मनचाही नगन तस्वीर पाकर मुरारी की दबी हुई भावनाए उभर आई और उसके आन्खो मे बढ़ती चमक से अमन भी हेरत मे था ।
मुरारी अमन के हाथ से मोबाईल लेके फोटो को गौर से देख रहा था , उसकी नजरे गीले पारदर्शी साडी से झाकती छातियों पर जमी थी - वाह बेटा आज सालों बाद मुझे मेरी मनचाही तस्वीर देखने को मिली ।
अमन थोडा मुस्कुरा कर थोडा आंखे दिखा कर मोबाईल अपने पास लेकर - पापा !! आपकी शादी हो गयी है और कही मम्मी को पता चला तो हम दोनो की बैंड बज जायेगी ।
मुरारी थुक गटक कर - अरे लेकिन उसको बताना ही क्यूँ है
अमन हसते हुए गालों के साथ - हा लेकिन आपको देखना ही क्यूँ है
मुरारी झेपता हुआ - अह बस ऐसे ही बेटा मन हुआ देखने का और मेरा तो पुरा बचपन जुड़ा है इसकी फिल्मो के साथ
अमन - अच्छा ऐसी बात है तो ठिक है मै मम्मी को नही बताऊंगा लेकिन मेरी एक शर्त है
मुरारी - शर्त !! कैसी शर्त ?
अमन मुस्कुरा कर - मै आपको आपकी हीरोइन की फिल्मे , फोटो वीडियो सब लाके दूँगा लेकिन आपको भी मेरी बात माननी पड़ेगी
मुरारी - अरे ब्ता ना सब मंजूर है
अमन हस कर - सोच लो
मुरारी थोडा रुका और बोला - हा भाइ सब मंजूर है बता क्या शर्त है
अमन मुस्कुरा कर - शर्त ये है कि आप अकेले इसका मजा नही लेंगे
मुरारी चौक कर - मतलब ?
अमन - मतलब ये कि आप और मै दोनो साथ मे इसका मजा लेंगे और आप अपनी इससे जुड़ी कहानिया भी बताओगे
अमन - बोलो मंजूर है
मुरारी खिल उठा - अरे इसमे कौन सी बड़ी बात है , जरुर जरुर हाहहहा
राहुल के घर
इधर अरुण ने एक से बढ़कर एक पोर्न वीडियो दिखा कर राहुल को झड़वा दिया और वो गया । अगर अरुण की नीद गायब थी , जबसे उसने शालिनी की गाड़ देखी थी ।
राहुल के सोने के बाद वो चुप चाप अपनी मामी के कमरे की ओर बढ़ गया
दरवाजे के पास ही उसने कमरे मे देखा तो सामने का नजरा देख कर उसका लन्ड फड़क उठा
सामने दिन भर की थकान से चूर शालिनी बेफिकर और बेढंग से करवट लिये सोई हुई थी , बलाऊज से आधी चुचिया बाहर निकल आई थी , कुल्हे उपर की उठे हुए थे ।
एक नजर अरुण ने गलियारे से हाल तक देखा और दबे पाव कमरे मे दाखिल हुआ ।
उसने सास भरती शालिनी को देख कर अपना मुसल मसला और आगे बढ गया
उसकी नजर शालिनी के बाहर झाकते चुचो पर जमी थी
दबे पाव अरुण लपक कर अपनी मामी के करीब गया
गोरी गोरी चमड़ी वाली चुचियो को पम्प होता देख अरुण से रहा नही गया , उसने एक नजर शालिनी को देखा और हाथ आगे बढा कर शालिनी के चुचो को छुने की कोसिस करने लगा
ऐसा नही था कि अरुन ऐसी हरकते पहले नही किया था , वो घर मे कइ दफा अपनी मा के साथ ऐसा कर चुका था मगर यहा ना उसका घर था ना उसकी मा
अपनी रसिली मामी की छातियों की माप वो उपर उपर से बिना छूए ही हथेली से लेने लगा ।
डर था कही शालिनी की नीद ना टूट जाये और उसका डर थोडा हावि हुआ ।
वो उठ कर बिना शालिनी की चुचिया पकड़े खड़ा हो गया ।
उसकी नजर अब शालिनी के तंदुरुस्त कूल्हो पर गयी जो उपर उठी हुई थी ।
दो कदम आगे बढ कर उसने वापस शालिनी को देखा और धीरे से अपना हाथ ले जाकर उसके कुल्हे को साड़ी के उपर से छुआ और झटके से हाथ पीछे खिंच लिया
एक खिलखिलाहट भरी गुदगुदी उसे मह्सूस हुई , अपनी मामी के गुदाज कूल्हो का स्पर्श अपनी भी उसकी हथेली मे रेंग सा रहा था ।
कोसिस कर इस बार उसने अपना पुरा पन्जा अपनी मामी की गाड़ पर रख दिया और उंगलियो से हल्का सा दबाया फिर जल्दी से वापस खिंच लिया ।
उस्का दिल जोरो से धडक रहा था और पेट मे तितिलियां उड़ने लगी थी , लन्ड पूरे उफान पर था
उसने थोड़ी हिम्मत दिखाई और आगे आकर शालिनी के चुचो को हल्का सा उंगली से एक बार छुआ
शालिनी की कोई प्रतिक्रिया ना पाकर उसने अपना पन्जा खोलते हुए शालिनी की चुची को ब्लाउज के उपर से हाथ मे भर किया
2 3 5 और 8 सेकेंड तक आते आते अरुण का हिम्मत जवाब दे गया वो जल्दी से हाथ पीछे कर लिया
इससे पहले वो आगे बढ़ता शालिनी के शरीर मे कुछ हरकत होती है और वो धीरे से कमरे से बाहर निकल जाता है ।
राज के घर
"लेकिन आपकी शादी तो बड़े फूफा से हुई थी ना तो कमरे मे छोटे फूफा कैसे " , राज हैरानी भरे स्वर मे शिला से सवाल किया ।
शिला - मै भी हैरानी थी बेटा
राज - फिर क्या हुआ
शिला - मेरे भीतर रह रह के कई सारी बातें उठ रही थी । कभी ये सोच कर दिल खुश हो जाता कि मेरा देवर ही मेरा पति है मगर वो पल जब मेरे नाम का तिलक तेरे फुफा के लिये गया था वो ख्याल आते ही ठगा सा मह्सुस हो रहा था मुझे कही मेरा जीवन बर्बाद तो नही हो जायेगा ।
मुझे खोया हुआ देख कर वो मेरा हाथ पकड कर बोले - क्या हुआ शीलू ,
"शीलू" , ये शब्द सुनकर मेरा रोम रोम सिहर उठा, मै बेचैन होने लगी । मै समझ नही पा रही थी कि कैसे मैं उनसे इस बारे मे बात करू ।
बहुत हिम्मत कर मै बोली - एक बात पुछ सकती हु
वो खुश हुए और एकदम से मेरे करीब आकर मेरी पीठ से हाथ रखकर मुझसे चिपकते हुए बोले - एक क्या हजार पूछो, हक है तुम्हारा ।
मै अपने कंधे पर उन्के हाथ मह्सूस कर काप रही थी और जो सवाल मै रखने वाली उसके लिए मेरा दिल जोरो से धडक रहा था ।
हिम्मत कर मैने पूछा - आपको मै कैसे पसंद आ गयी ।
वो मुस्कुराए और एक आह भरके बोले - तुम मेरे स्वपन सुन्दरी हो
मै - मतल्व ? मै पहले भी आपके सपने मे आ चुकी हूँ
वो गरदन हिला कर हसते हुए - आहा वैसे नही , अरे लोग चाहते है ना कि मेरी होने वाली बीवी ऐसी हो वैसी हो , वो वाला
मै हसी - तो आपको मोटी बीवी चाहिये थी
वो खिलखिलाए - हाहाहा किसने कहा तुम मोटी हो , तुम जैसी हसिना के बस मै कलपनाए करता था । मगर तुम्हे उस दिन घर पर देख कर मेरा दिल आ गया तुम पर ।
मै - मेरी एक उल्झन है पूछू सच सच बताएगे ना
वो - हा तुमसे क्या छिपाना अब पूछो
मै खुद को तैयार करती हुई - नही पहले आप मेरी कसम खायिए कि झुठ नही कहेन्गे ।
वो कुछ सोच कर मुस्कराये - ठिक है तुम्हारी कसम बाबा अब पूछो ।
मैने एक गहरी आह भरी - मुझे समझ नही आ रहा है कि जब मेरा रिश्ता आपके भैया से तय हुआ था तो मेरी शादी आपसे कैसे हो गयी ।
वो भौचक्के रह गये और उठ कर खड़े हो गये उनका चेहरा लाल हो रहा था , सर्द मौसम मे भी माथे पर पसीने चढ आया - ये ये क क्या कह रही , मेरी शादी तो तुमसे ही हुई है ना , हमने फेरे लिये है मेरे नाम का सिन्दूर चढाया है तुम्हे
मै भी अब तैस मे थी - वही जवाब मुझे भी चाहिये कि जब मेरी शादी आपके भैया से तय हुई , मेरे नाम का तिलक भी आपके भैया को चढाया गया तो आप मेरे पति कैसे ?
वो बौखला गये और कुछ सोचते हुए - हा सही कह रही हो तुम , और शादी के दौरान भी हमने एकदुसरे को नही देखा था भैया की वजह से मै मेरी बीवी का उन्के सामने घूँघट उठा कर सिन्दूर नही भर सकता था इसीलिए घूँघट के भीतर ही सिन्दूर लगाया गया था । मगर तुम्हे यहा देख कर मैने सोचा शायद भगवान ने मेरी मुराद पूरी कर दी और तुमसे ही मेरी शादी हुई है ।
मै चौकी - हे भगवान ये क्या गड़बड़ हो गयी ।
वो - अच्छा तुम दोनो को यहा उपर कमरे तक कौन छोड़ने आया ।
मै हड़बडा कर दिमाग कर जोर देते हुए - अरे वो आपकी दीदी लोग थी उन्ही मे से किसी ने कहा कि ये वाला कमरा मेरा है और वो वाला कम्मो का ।
वो अजीब सा मुह बना कर - कम्मो कौन ?
मै - अरे कामिनी , उसे हम कम्मो ही कहते है
वो - ओहो लगता है कि दीदी लोगो ने मजाक मे गलत कमरा बता दिया ।
मै भौचक्की सी - तो अब ?
वो हड़बड़ा कर हाथ जोड़ते हुए - माफ किजियेगा भाभीई हमसे गलती हो गयी ।
मै एकाएक चौकी - भाभीई ?
वो - हा हा आप तो मेरी भाभी है , भगवान का शुक्र है कि आज मेरे से पाप होते होते रह गया ।
मेरी आंखे डबडबा गईं और मै रुआस होकर मेरे देवर की ओर पीठ करके खड़ी हो गयी ।
देवर - अभी भी कुछ बिगड़ा नही है भाभी , आईये आपको मै लिवा चलता हु भैया के पास
मै चुप थी और खुद क साथ हुई ठगी के लिए अपनी ननदो को भर भर के गालियां दे रही थी मन ही मन , क्योकि एक बार फिर मेरा प्यार मेरे हाथ आकर भी बिछुड गया
वही मेरे देवर ने लालटेन उठाया और कमरे का दरवाजा खोला और हम लोग बगल वाले कमरे के करीब गये ।
बाहर तेज सर्द हवा चल रही थी और दूर सियार कुत्तो की हुंकार आ रही थी ।
मै दरवाजे से थोड़ी दुर खडी थी बाहर घुप्प अन्धेरा था लालटेन की रोशनी ही थी ।
वही मेरा देवर आगे बढा और दरवाजे के पास खड़ा होकर उसे खटखटाने को हुआ कि कुछ सुन कर वो रुक गया ।
वो झुका और घुटने के बल होकर दरवाजे के गैप से भीतर देखा तो उसकी आंखे फैल गयी ।
उसके हाथ से लालटेन फीट भर उपर से छुट कर गिरा और बूझ गया ।
जो थोड़ी बहुत रोशनी थी वो लालटेन बुझने से गायब हो गयी मै फिकर से - क्या हुआ
मेरा देवर उठा और शान्त होकर मेरे करीब आया
मै अंधेरे मे आहते मह्सूस कर - क्या हुआ बोलिए ना
देवर - भाभी जी आप खुद देख लिजिए , अब कुछ नही हो सकता मै बरबाद हो गया ।
मै हड़बडा कर दरवाज के कडे की वारिक छेद से आ रही थी महीन रोषनि से भीतर झाका तो देखा कि कमरे मे लालटेन की पीली रोशनी मे तेरे फूफा अपने भाई की बीवी को नन्गा करके चोद रहे थे
भीतर का नजारा देख कर मेरा कलेजा काप उठा कर मै फफक कर रो पड़ि फिर सिस्कती हुई कमरे मे आ गयी ।
देवर जी भी मेरे पीछे चले आये ।
देवर - भाभी जी प्लीज आप रोयिये मत
मै बिलखती हुई - मै क्या कर बताओ आप ही मेरी तो दुनिया ही उजड़ गयी । हे भगवान मै क्या करून्गी अब ।
देवर - तो क्या सिर्फ़ आपकी ही दुनिया उजडी है मेरा कुछ नुकसान नही हुआ
अगले ही पल मैने देवर जी के बारेमे सोचा और महसुस किया कि धोखा तो उन्के साथ भी हुआ है ।
मै - तो अब क्या करेंगे हम लोग , क्या आपके भैया को भी नही पता था कि उनकी शादी किस्से हो रही है किस्से नही ।
देवर जी - अरे भाभी उन्होने तो किसी को भी नही देखा था ना आपको ना कामिनी को । रिश्ता लेके तो मै आया था ना बाऊजी के साथ
देवर जी की बात सुनकर मुझे कम्मो की बात याद आने लगी जब वो सीढियों पर चढती हुई कह रही थी कि दीदी आज तो मै ट्राई करने वाली हु और उसने चुदवा भी लिया वो भी मेरे पति से ।
मै डरती हुई - अगर घर मे किसी को इस गड़ब्ड़ के बारे मे पता चला तो मै जीते जी मर जाउंगी
मेरे देवर मेरे पास बैठ कर - भाभी प्लीज आप उल्टा सीधा सोचना बन्द करिये , कल सुबह ही हम भैया और कामिनी से इस बारे मे बात करेंगे ।
राज सीरियस और जिज्ञासु होकर - फिर क्या हुआ बुआ
शिला - बेटा फिर होना क्या था अगली सुबह सुबह हम चारो उसी कमरे मे बैठे थे । तेरे फुफा अपना सर पकड़े हुए थे और क्म्मो मेरे सीने से लगी बिलख रही थी । इनसब मे देवर जी ने समझदारी दिखाइ ।
देवर - भैया अब जो हुआ उसे अपना भाग्य समझ कर भुला दीजिये , अगर घर मे ये बात खुली तो बहुत बखेडा हो जायेगा और बदनामी होगी सो अलग ।
तेरे फूफा देवर जी के आगे हाथ जोड़ कर गिडगिडा रहे थे - मुझे माफ कर दे भाई , मैने जोश मे जरा भी अक्ल से काम नही लिया
देवर जी ने उनको रोका - प्लीज भैया इसमे ना आपको और ना ही क्म्मो की कोई गलती है ।
कम्मो नाम सुनकर तेरी बुआ चौकी कि देवर जी को उस्के घर का नाम कैस पता था मगर वो मुद्दा जरुरी नही था ।
बातें बढ़ती गयी और दिन चढ़ता गया ।
हमारा आपसी समझौता हो गया कि आज से जिसकी जिससे शादी हुई वो उसके साथ ही रहेगा अपना अच्छा बुरा नसीब समझ कर ।
मैने कम्मो को हौसला दिया और समझाया कि उसका पति बहुत ही अच्छा है वो तुझे इस बात के लिए कभी दोषी नही ठहरायेगा ।
पुरा दिन ऐसे ही निकल गया और फिर रात की बेला ढल चुकी थी ।
हम दोनो बहने वापस से अपने अपने कमरे मे गयी और आज कि रात हमारे पति बदल चुके थे ।
मै कमरे आई और तेरे फुफा को देख कर मेरी नजरे शर्म से नीची हो गयी , वो भी नजरे फेरे फेरे कपडे निकाल कर कर जल्दी से बिस्तर मे घुस गये , कुछ देर तक मै बैठी रही पलन्ग पर और कल की बीती बाते मेरे दिमाग मे चल रही थी ।
करीब 15 - 20 मिन्ट बाद आखिर तेरे फूफा ने चुप्पी तोड़ी - सुनो ! लेट जाओ कब तक बैठी रहोगी
मै बिना कुछ बोले लालटेन बूझा कर कम्बल मे आ गयी और सीधा लेट कर आंखे खोल कमरे की रोशदान से आ रही चांदनी को निहार रही थी ।
कुछ पल बाद वो बोले - क्या तुम अब भी मुझसे नाराज हो !
मै - जी , नही मै क्यू नाराज रहूँगी ।
वो सरककर मेरे करीब आते हुए - मुझे लगा कि शायद कल की बात को लेकर तुम नाराज हो इसीलिए बात नही कर रही हो ।
मै - नही ऐसी कोई बात नही है, उसने आपकी कोई गलती नही थी , वो बस नसीब की बात थी ।
वो मुस्कुरा कर - मै बहुत खुश हु
मुझे ये जवाव बहुत अजीब लगा कि इसमे खुश होने जैसा क्या है - हम्म्म्म
वो - पुछोगी नही क्यूँ
मै उखड़े मुह से - क्यूँ
वो मेरे और करीब आकर मेरी ओर करवट लेकर - इसीलिए कि मेरी शादि एक बहुत ही सुलझी और समझदार औरत से हुई है , नही लड़की से हुई है ।
उनका जवाब सुनकर मै हल्का सा मुस्कुराई , मतलब साफ था दिल बहलाने मे दो भाई एक जैसे ही थे ।
वो मेरे मुस्कुराहट की खनक सुन्कर - अच्छा तो आप हसती भी है उम्म्ंम
अचानक से मुझे मेरे पेट पर उनकी उंगलियाँ गुदगदाने लगी और मै खिलखिलाने लगी ।
और उन्होने कस के मुझे अपनी बाहो मे भर लिया ।
मेरा जिस्म कापने लगा ।
वो मेरे पीठ को सहलाते हुए मेरे कान मे बोले - आह्ह शीलू तुम कितनीईह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह मुलायम हो उम्म्ंम
मुझे बहुत अजीब सा लगा जब उनहोने मुझे शीलू कहा मुझे मेरे देवर का चेहरा आंखो के आगे नजर आया और मैने उन्हे अपना देवर समझ कर कस लिया ।
तभी वो बोले - इस्स्स कल से ही तड़प रही थी क्या मेरी जान
मगर उनकी आवाज सुनते ही मेरा सारा जोश उतर गया और मेरे हाथ ढीले हो गये ।
उन्होने मुझे कस कर अपने सीने से लगाया , ब्लाउज मे कसे हुए मेरे कबूतर उनके सीने से दब कर फड़कने लगे और उनके बड़े मजबूत पंजे मेरे कूल्हो को हथेली मे भरने लगे ।
" अह्ह्ह शीलू कितनी मोटी गाड है तेरी उह्ह्ह " उन्होंने साडी के उपर से मेरे चुतड़ मसले । मै गिनगिना गयी , मुझे बहुत अजीब सा मह्सुस हो रहा था ,
उन्होने मेरे सीने से पल्लु हटा कर मेरे ब्लाऊज के उपर से छातीया मिजने लगे मै कसम्साने लगी , चाह कर भी मै उन्हे रोक नही सकती थी क्योकि हमसब ने वादा किया था कि एक नये सिरे से जीवन शुरु हो अब और तेरे फूफा को रोकने का मतलब होता हमारा शुरु होता नवजीवन की डोर मे एक गाठ सी और पड जाती ।
मै बेमन से कसमसा रही थी और वो मेरे उपर चढ़े हुए मेरे ब्लाउज खोलकर बिना ब्रा वाली मेरी 36DD वाली गोल मतोल चुचिया मिजते मसलते चुस रहे थे ।
मुझ पर भी अब रह रह कर खुमारी आ रही थी
"अह्ह्ह शीलू तेरे दूध बहुत रसिले है उम्म्ंम सीई ऊहह " वो मेरे चुचिया मुह ने बदलते हुए बोले
फिर सरकते हुए निचे मेरी नाभि पर खेलने लगे ।
गीली जीभ जब मेरी नाभि मे नाचती तो मेरा जिस्म अकड़ने लगता और गाड़ उठा कर मै पटकने लगती
उन्होने मुझे घुमाया और घोड़ी बना कर मेरी साडी उपर कर दी , मै काप रही थी जिस तरह से वो मेरे नंगे फैले हुए चर्बीदार चुतड़ अपने दोनो हाथो से मसल रहे थे
" आह्ह शीलू मेरी जान क्या मस्त गाड़ है तेरी इतनी बड़ी और मुलायम उम्म्ंम सीह्ह्ह अह्ह्ह क्या खुशबू है " वो मेरे गाड़ की दरारो मे नथुने रगड़ कर बोले ।
उनकी इस हरकत से मै सिहर गयी , मेरे भितर भी काम ज्वाला उठने लगी और अगले ही पल मेरी पीठ गरदन अकड़ गयी , आंखे भींच गयि जब उन्होने मेरे गाड की फाको को फैलाते हुए मेरे गाड़ की सुराख पर अपनी गीली जीभ फिराई ।
मै सिसकी मेरे लिए ये अनोखा और एकदम से नया अनुभव था वो जीभ नचा नचा कर मेरी गाड चाट रहे थे और मै बिसतर की चादर मुठ्ठियो मे भरती अकड़ रही थी ।
उन्होने मेरे गाड़ फैलते हुए निचे जुबां ले जाकर मेरी रिसती चुत के कसे हुए फाको पर जीभ फिराई और मै सर से पाव तक थरथरा गयि ।
उम्म्ंम कितना नमकीन पानी है मेरी जान उह्ह्ह उम्म्ंम्ं सुउर्र्र्रृऊऊऊऊऊप्प्प्पअह्ह्ह
वो जीभ लगाये मेरी बुर चाट कर फाको मे जीभ घुसा रहे थे और सिस्कती अकड़ती रही ।
मुझे निचोड़ कर रख दिया उन्होने मेरे पाव काप रहे थे ऐसा पहले मेरे साथ कभी नही हुआ और ना ही मै कभी इतना झड़ी थी , अभी मै सम्भल रही थी कि बिस्तर पर हलचल हुई और कमरे माचिस जलने की आवाज के साथ उजाला हुआ
लालटेन की पीली रोशनी मे एक बार फिर कमरा नहा चुका था ।
मै अपनी साड़िया सही करती हुई उठ कर बैठ गयि और वो मेरे सामने अपने जिस्म से एक एक कपडा उतारने लगे ।
मै नजरे नीची किये हुए थी
वो पुरे नंगे चल कर आये और मेरे गालों को छुआ
मैने नजरे उठा कर सामने देखा तो आधे हाथ का मोटा काला लन्ड लाल सुपाड़े के साथ फ़नकार मारता हुआ मेरे आगे था और वो उसे हिलाते हुए मेरे गाल छू रहे थे
मै नजरे उठा कर उनकी ओर अचरज से देखा तो उन्होने उस बिशाल मोटे नाग की ओर इशारा किया
मै डरते हुए हाथ बढा कर उसे थामा , उसकी तपिस से मेरा जिस्म थरथरा गया ,मै आंख बन्द कर काप रही थी ।
तभी मुझे मेरे सर पर उनका हाथ मह्सूस हुआ और वो मुझे लन्ड की ओर झुका रहे थे , मैने गरदन टाइट कर इसका विरोध किया तो वो बोले - प्लीज जान चुसो ना ।
मेरी आंखे फैल गयि उन्होने मुझे लन्ड चुसने के लिए कहा , पहले कभी मैने ऐसा कुछ नही किया था और वो मुझे दुलार कर लन्ड मेरे मुह के करीब ला रहे थे
मै उनका हाथ झटक कर - नहीई !!
वो मुस्कराये - करो ना अच्छा लगेगा और एक बार फिर वो मेरे गाल छू कर अपना लन्ड करीब लाने लगे
"घुउउउऊऊऊ घुउउउऊऊऊ घुउउउऊऊ घुउउउऊऊऊ "
" अरे किसका फोन आ गया " , राज खीझ कर शिला की ओर देख कर बोला जो हाथ मे मोबाईल लेके कुछ टाइप कर रही थी ।
शिला - अरे बेटा कुछ ज्यादा जरुरी नही है रुक बस मैसेज डाल दूँ दो मिंट
राज उठा और अपना लन्ड जो उसके पैंट मे अक्ड़ा हुआ था उसको मरोडता हुआ शिला की बाते सोचने लगा कि आगे क्या होने वाला था ।
जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 203
अमन के घर
" नही मम्मी जी मै अकेले कही नही गयी ऐसे "
"अरे शादी के बाद पति के साथ नही जायेगी तो क्या अब हमारे साथ जायेगी " , ममता ने सोनल को समझाते हुए कहा ।
सोनल - हा आप चलो ना साथ मे मम्मी , फिर मुझे डर भी नही लगेगा ।
ममता हस कर - अरे तुम जवाँ जोड़ो के बीच मेरा क्या काम हिहिहिही मै क्यू क्वाब मे हड्डी बनने जाऊ तु भी ना बहू हिहिहिही
सोनल हस कर - अरे इसमे बूढ़े जवाँ की क्या बात है, मुझे अपनी सासु मा का साथ मिलेगा इससे बढ कर क्या चाहिये ।
ममता- तेरी बात ठिक है बहू लेकिन ऐसे समाज मे बात खुली तो लोग बातें बनायेंगे कि शादी के बाद भी अपनी मा के पल्लू से बन्धा रहता है अमन ।
सोनल - तो रहने देते है ना , मुझे वैसे भी अकेले जाना अच्छा नही लगता ।
ममता - अरे तो अपने मायके से किसी को लिवा ले , कह तो समधन जी से बात करू मै ।
सोनल - अच्छा तो इसको लेके लोग बातें नही बनायेंगे कि ब्याहने के बाद ये (अमन) जोरू के गुलाम हो गये , अपनी सगी मा को छोड कर सास को घुमाने ले गये हिहिही
ममता हसने लगी - हे भगवान तु भी ना कम नही है हिहिहिही अच्छा तो तु ही बता किसको साथ लिवा जायेगी ।
सोनल तपाक से बोली - मेरे चाचा की लड़की है ना निशा , अगर आप कहो तो ?
ममता - हम्म्म्म मतलब तेरा पूरा पूरा मन है घूमने का हिहिहिही
सोनल - जी मम्मी और निशा मेरी बहन कम सहेली ज्यादा है तो उसके साथ होने से मुझे दिक्कत नही होगी और शायद इनको भी टेन्सन कम हो क्योकि ये (अमन )भी तो पहली बार मेरे साथ बाहर जायेंगे ।
ममता - हम्मम्म बात तो तेरी ठिक है लेकिन क्या उसके पापा मम्मी इस बात के लिए राजी होंगे
सोनल - हा क्यूँ नही , हम लोग घूमने ही जा रहे है ना
ममता सोनल के भोलेपन पर मुस्कुराई और सोचने लगी , कि ये तो सच मे बहुत मासूम है और अगर ऐसी लड़की लन्ड चुसने से इंकार कर दे तो कोई बड़ी बात नही ।
ममता - अच्छा ठिक है इस बारे मे मै आज अमन के पापा से बात करूंगी , तु आराम कर
फिर ममता कमरे से निकली और गलियारे से होकर जिने की ओर जा रही थी कि भोला ने पीछे से आकर उसको पकड कर उपर सीढ़ीयो पर खिंच ले गया
ममता - आह्ह क्या कर रहे है कोई देख लेगा
भोला - ये क्या है भाभी , आप तो अपना काम निपटा कर हमे भूल ही गयी । इतना बड़ा फरेब वो भी हमसे । क्या क्या नही किया मैने आपकी खातिर बोलो ।
ममता मुस्कुराये जा रही थी - अच्छा बाबा हुआ क्या ?
भोला - हुआ क्या ? अभी भी आप पुछ रही है हुआ क्या ? अरे शादी को दो दिन हो गये और आप अपना वादा भूल जा रही है, कल तो मै घर जा रहा हु ना
ममता - अरे इतनी जल्दी , दो दिन और रुक जाते , सोनल के मायके से लोग आ रहे है ना ।
भोला - हा उसके लिए संगीता और रिन्की रुकेगी लेकिन मै निकल जाऊंगा
ममता कुछ सोचती हुई - अच्छा!
भोला - देखो भाभी अब बहुत तरसा लिया आपने मुझे , आज रात मुझे चाहिये तो चाहिये
ममता इतरा कर मुस्कुराई - क्या ?
भोला तिलमिलाया और अपना मुसल रगड़ते हुए ममता की चुत को उसकी सलवार के उपर से सहलाता हुआ - आह्ह भाभी आपकी ये रसदार चुत देदो उह्ह्ह
ममता सिसकी और उसका हाथ झटक कर - क्या नंदोई जी आप भी , रात मे मिलते है ना अपने अड्डे पर
भोला - प्कका ना
ममता ने हा मे सर हिला कर - प्कका
फिर दोनो अलग हो गये ।
वही निचे मुरारी के कमरे मे अलग ही चर्चा हो रही थी ।
अमन मोबाईल मे अदाकारा मन्दाकीनि की एक बिकनी शूट वाली तस्वीर अपने बाप को दिखा रहा था ।
मुरारी - वाह वाह वह बेटा तुने तो मौसम बना दिया अह्ह्ह क्या कटीली छमिया थी ये आह्ह
अमन - तो क्या मम्मी भी ऐसे ही दिखती थी पापा ?
मुरारी मोबाईल मे तस्वीर मे मन्दाकीनि के ब्रा मे उभरे हार्ड निप्स देखने मे खोया हुआ - हा हा बेटा बिल्कुल ऐसे ही ।
अमन - बताओ ना पापा क्या हुआ था उस दोपहर को
मुरारी अमन के सवाल पर ध्यान देता हुआ अपने मुसल को भींच कर - आह्ह उस दुपहर को घर पर कोई नही था , बस मै और तेरी मा थे ।
3 दिन से मै भीतर से जल रहा था । उस दिन वो मेरे लाये हुए ब्रा साध रही थी और उससे हुक नही लग रहे थे , मै बाहर झन्गले से भितर निहार रहा था और फिर उसने मुझे भितर बुलाया
अमन अपना मुसल मसल कर - फिर पापा
मुरारी - फिर मेरी नजर तेरी मा की पीठ पर गयि उसके जिस्म की मुलायम स्पर्श से मै पिघल गया और हम बहक गये
अमन - अरे वाह तो क्या आप सच मे खुद से खरीद कर मम्मी के लिए अंडरगार्मेंट्स लाये थे
मुरारी - हा भाई बहुत झेप मह्सूस होती थी और पता है दो बार साइज़ की वजह से बदलने जाना पड़ा सो अलग
अमन हसता हुआ - वाव पापा आप तब भी इतने रोमैंटिक थे हिहिहिही तो क्या ये रोमान्स अभी भी जारी है या
मुरारी - मतलब
अमन हस कर - अरे मतलब अब भी मम्मी के लिए आप वो सब लाते हो क्या ?
मुरारी - क्या , छे छे नही बिल्कुल नही ?
अमन - क्यू ?
मुरारी - अरे वो खुद से ले लेती है और ...
मुरारी बोल कर रुक गया फिर थोडा सोच कर - और उसका साइज़ तो यहा लोकल के बाजार मे मिलता ही कहा है तो कहा से लाऊ , अब तो सालों बीत गये
अमन - अरे पापा तो ऑनलाइन ऑर्डर कर लिया करो ना
मुरारी - अरे भाई मै 8वी पास आदमी हु फोन के ये गणित मेरी समझ से बाहर होते है , वैसे होता कैसे है ये ऑर्डर जो तु बता रहा है
अमन अपना मोबाईल खोलकर - अरे पापा ये देखो ये है शॉपिंग ऐप्प इसमे सब कुछ दुकान जैसा होता है , जो चाहिये सब मिलेगा ।
मुरारी - तो क्या इसमे तेरी मा की साइज़ के मिल जायेगे
अमन - हा बिल्कुल वो भी एक से बढ कर एक फैंसी डिजाईनर ।
मुरारी कुछ सोच कर - तो एक जोड़ी मगा ले , अगर सही हुआ तो और भी ऑर्डर करेंगे
अमन हस कर - अरे लेकिन मम्मी का साइज़ क्या है वो तो बताओ
मुरारी - अरे यार ये सम्स्या हो गयी , अब उसका साइज़ कैसे पता करू
अमन - अरे पुछ लो ना
मुरारी - नही भाई तु नही जानता ये औरतों के चोचले , अभी देखा नही घुमाने ना ले जाने के लिए कैसे ताना दिया ।
अमन हसने लगा - तो ?
मुरारी - अच्छा मै देखता हूँ फिर तुझसे बात करता हु ठिक है
अमन - ओके पापा , तो मै जाऊ
मुरारी - अह ठिक है लेकिन बेटा वो हीरोइन की और भी कुछ तस्वीरें निकालना ना
अमन हसता हुआ - जी पापा हिहिहिही
राज के घर
राज - किसका फ़ोन था बुआ , उफ्फ़ आप तो मजा किरकिरा कर रहे हो
शिला मुस्कुरा कर - बस हो गया बेटा आजा इधर
राज शिला के फिर से चिपका और उसकी चुचिया मिजते हुए - अब तो बताओ आगे क्या हुआ , चूसा आपने फुफा का मुसल
शिला - हम्म्म
वो मेरे हिसाब से बहुत आगे के इन्सान थे , पढ़ाई लिखाई और शहर मे कोचिंग क्लास भी लेते थे दोनो । उन्के मोर्डन खयालात मै उनकी चुत चुसाई से ही समझ गयी थी ।
वो - अह जान प्लीज मान जाओ ना , इसे बस कुल्फ़ी के जैसे चुबलाओ
मै भिन्की और मुझे यकीन हो गया कि मुझे ये करना ही पडेगा , उससे ज्यादा अफसोस इस बात का हो रहा था कि शायद अब मै आगे से कभी भी मलाई कुल्फ़ी ना खाउ , क्योकि जब भी खाउन्गी ये बात मेरे जहन मे जरुर आयेगी । मैने मुह खोलकर उनका लन्ड मुह ने लिया और वो सिहर उठे , दो चार बार मे मुझे उल्टी सा होने लगा और मैने मुह से निकाल दिया
वो - कोई बात नही मै तुम्हे सिखा दूँगा
उनकी बात से मुझे ये सोच कर हसी आई कि अब ये किस्का चुस कर मुझे दिखाएंगे हिहिहिही
मुझे मुस्कुराता पाकर उन्होने मुझे लिटा दिया और मेरी जान्घे एक बार फैली तो बस 20 मिंट तक फैली रही
कभी मेरे उपर चढ कर तो कभी मेरी टांग कन्धे पर उठाए वो मेरे चुत के परख्चे उड़ाते रहे और मै सिसकती रही ।
उस रात दो बार मेरी हुमच कर पेलाई हुई और देह देह दर्द से चूर हो गया ।
फिर वो मुझे कस के पकड कर सो गये ।
अगली सुबह मेरी जिज्ञासा थी कि क्म्मो ने भी कल रात चुदाई की या नही ।
दोनो भाई जब निचे गये तो मै क्म्मो के पास रात का हाल लेने के लिए पहुची तो उसने ब्ताया कि उनके बीच कुछ नही हुआ । देवर जी बिस्तर पर आये ही नही वो अलग बिस्तर पर सोये थे ।
मै समझ गयी कि उनकी मुहब्बत मै थी ।
दिन गुजरने लगे , हम चारों मे धीरे धीरे मिठास भरने लगी , धीरे धीरे हम चारो मे असहजता कम होने लगी ।
इधर हर रात तेरे फूफा मेरी जमकर 2 से 3 बार चुदाई करते कभी कभी दिन मे भी । उनसे चुत चटवाने के लिए अब मै भी पागल होने लगी हर बार एक नया सा अह्सास होता था और वही दूसरी ओर कम्मो और देवर जी मे कोई रिश्ता नही पनप रहा था । हफते भर बाद भी दोनो के बीच नजदिजिका नही आई , कम्मो के अनुसार उसने कोसिस भी की उनके करीब जाने की मगर वो रुचि नही दिखाते थे ।
मैं भी अब परेशान होने लगी और तेरे फूफा से कतराने लगी क्योकि जैसा हमने तय किया था वैसा तो कुछ हो ही नही रहा था ।
आखिरकार रात मैने तेरे फुफा को सब बताया कि कैसे हफ्ते भर बाद ही देवर जी और क्म्मो एक दुसरे को अपना नही पाये है ।
वो - मुझे लगता है हमे एक बार फिर से दोनो को समझाना चाहिये , तुम क्या कहती हो ।
मै - अह जैसा आप ठिक समझे , लेकिन मै आपको कुछ ब्ताना चाहती हूँ जो अब तक मैने आपसे छिपाया है देवर जी को लेके ।
वो एक्म्द चुप हो गये फिर बोले - क्या बात है बताओ ना
मै - जी शादी के पहले से ही देवर जी मुझे पसंद करते थे और ...
फिर मैने तेरे फुफा को बताया कि कैसे सुहागरात पर देवर जी मुझे अपने दिल की बात बताई थी ।
वो - क्या ? तुमने पहले क्यू नही बताया और शायद यही वजह है कि वो क्म्मो के करीब होने से कतरा रहा है
मै - हम्म्म शायद
वो अफसोस करते हुए - हे भगवान ये मुझ्से क्या पाप पर पाप हो रहा है , पहले उसकी बीवी अब उसका प्यार भी छीन लिया मैने
मै - क्या बोल रहे है आप ?
वो - तुम उसका प्यार हो शिला , मै उस्का स्वभाव जानता हु वो कभी क्म्मो को नही अपनायेगा
मै चौक कर - क्या ?
वो - हा सच कह रहा हु , अगर ये बात तुम उस दिन बता देती तो शायद ये सब ना हुआ होता
मै - अब
वो - कल सुबह बात करते है
फिर अगली सुबह मिटिंग हुई और इस बार तेरे फूफा ने देवर जी डांट लगाई कि क्यू उसने ये बात पहले नही बताई और अब कम्मो का जीवन खराब कर रहा है ।
बहुत बात बहस हुई और तेरे फुफा ने बड़े भाई होने का हवाला देकर देवर जी को कसम दी कि वो वापस से मेरे साथ रहे और उन्होने क्म्मो की रजामंदी लेके उसके साथ रहने का फैसला किया । साथ मे ये भी तय हुआ कि समाज की नजर मे मै तेरे फुफा की बीवी रहूँगी और क्म्मो देवर जी की । संजोग कि बात थी उन दिनो मेरे सास ससुर मेरी ननद के यहा गये हुए थे तो कौन किसके कमरे मे है कोई देखने वाला नही था ।
फिर रात ढली और हफते भर बाद फिर से देवर जी मेरे साथ थे ।
फिर वही चुप्पी , मै बिस्तर पर बैठी रही और देवर जी निचे अलग बिस्तर लगाने लगे ।
मै - ये क्या कर रहे है आप उपर आईये
देवर - भाभी जी प्लीज मुझसे नही हो पायेगा , मुझे समय चाहिये
मै यही उचित सम्झा और उन्हे अलग सोने दिया , सारी रात मेरी चुत कुलबुलाती रही और ना मुझे नीद आई ना देवर जी को ।
अगली सुबह कम्मो से बात की तो पता चला तेरे फुफा ने रात मे दो बार हचक के पेलाई की उसकी ।
एक पल के लिए मुझे तेरे फुफा के चरित्र के लिए सवाल आते मगर ये सोच कर टाल देती कि मेरी बहन का जीवन सवर रहा है तो अच्छा ही है ।
दो रात बीती और देवर जी अलग ही सोये , मुह से सिर्फ भाभी ही निकलता ।
अगले दिन सोमवार था और हम चारो को मन्दिर जाना था । ऐसे मे हमे समाजिक रूप से शादी वाले जोड़े मे ही दिखना था , मतलब मै और तेरे फूफा एक साथ और क्म्मो देवर जी एक साथ ।
मंदिर की सीढियां उतरते समय हम दोनो जोड़े थोड़ी थोड़ी दुरी पर थे और मेरी तेरे फुफा से बात हो रही थी देवर जी को लेके ।
वो - क्या हुआ तुम उदास हो ,
मै - मुझे उनका कुछ समझ नही आ रहा है , वो बस यही कहते है कि उन्हे समय चाहिये ।
वो - तो क्या तुम दो दिन से ऐसे ही
मै लजाई और मुस्कराई - मेरा छोडिए , अपना बताईये याद तो आती नही होगी मेरी उम्म्ं
वो थोडा हस कर - कैसी बात कर रही हो जान
मैने उन्हे घूरा और वो हसते हुए - हा और क्या तुम मेरी हमेशा से जान ही रहोगी , तुम्हारी चुत का स्वाद मै कैसे भूल सकता हु
उनकी बाते सुन कर मै भितर से मचल उठी और बोली - क्यू मेरी बहन के स्वाद मे कही है क्या
वो - उसका अपना ही नशा है , वो तुम्हारी तरह चुसने से घबराती नही खड़ा खड़ा ही घोंट जाती है
मै तुन्की - हुह तो मेरे पीछे क्यू पडे है जाईये चुसवाईए उसी से
वो - आह्ह जान नाराज ना हो , तुम्हारी चुत के रस का उस्से कोई मुकाबला तुम दोनो बहने अपनी अपनी जगह पर लाजवाब हो
मै मुस्कराई और पास आते हुए क्म्मो-देवर जी की ओर इशारा करके बोली - अपना छोडिए ये बताईये इनका क्या होगा , कुछ सोचा आपने
वो - आज दुपहर मे रामू (रामसिंह) बाजार जा रहा है कुछ काम से गौशाला मे मिलो मुझे बताता हु
मै समझ गयी कि मेरी रग्दाई पक्की थी और हुआ भी ऐसा ही
मेरे ब्लाउज खुले थे और चुचे हवा के झूल रहे थे और मेरी साडी पेतिकोट उठा कर वो मेरे चुत पर टूट पड़े थे मै सिस्कती कसम्साती अकड़ती उनका सर पकड कर अपनी चुत पर मले जा रही थी
" अह्ह्ह मेरे राजा कब तक हम ऐसे तड़पेन्गे ऊहह , आपको तो हर रोज नई नई मिल जा रही है कभी हम बहनो का दर्द नही सोचते " मै मदहोश होकर उनका सर अपनी बुर पर दरती हुई सिस्कती हुई बोली ।
वो उठे और मेरे रस से लिभडाए होठो से मेरे लाल रसिले होठों को चुसते हुए बोले - तुम्हारे लिये हम भी कम नही तड़पते मेरी जान, तुम्हारी रसिली जवानी का स्वाद हर पल मुझे सताता है ।
मै तुनकी और उन्होने मुझे पीछे से धर लिया , उन्के पन्जे मेरे फुल सी नाजुक अमियों मे मिसलने लगी और वो उनका रस गारते हुए कसकर मरोडने लगे , उनका मोटा खुन्टा पीछे मेरे चुतडो पर ठोकर मार रहा था ।
लपक कर मैने भी उसको पजामे के उपर से धर लिया और मुठियाते हुए - देखीये अब ये मुझसे ये बेचैनी और सही नही जायेगी , या तो आप मेरे पास आ जाईये या फिर कहिये अपने भाई को मेरी जरूरते पूरी करे अह्ह्ह सीईई
वो मेरे जोबन मसलते हुए - आह्ह जान तुम खुद को कम क्यू आंकती हो , अरे वो तुम्हारे इन्ही रसभरे जोबनो और इन मोटे चुतडो का दिवाना है , दिखाओ ना उसे अपने जलवे आह्ह ।
मैने कुछ सोचा और अपनी साडी उठाते हुए उनके आगे झुक गयी और उन्होने लन्ड बाहर निकाल कर पीछे से ही मेरी चुत मे दे दिया , मै झटके खाती रही और वो मुझे हचक हचक कर पेलते रहे फिर मरी गाड़ पर झड़ कर निकल गये ।
मुझे अब तेरे फुफा की बातें सही लगने लगी कि इस तपस्वी की साधना मुझे ही भन्ग करनी पड़ेगी ।
शाम को देवर जी वापस आये और आंगन ने बैठे हुए थे ।
मै अपने आंचल को ढील दी और ब्लाउज के दो हुक खोल दिये और उन्के आगे चाय रखने के साथ मेरा जोबन से मेरा पल्लू सरक कर कलाई मे आ गया
मुलायम गहरी लम्बी खाईदार छातियों पर उनकी नजरे पड़ी
और मैने अंजान होने का नाटक कर अपना आचल सम्भालते हुए खड़ी हुई और कोमल मुलायम पेट दिखाते हुए उनको अपनी कामुक नाभि के दिदार कराते हुए बडी मादक चाल से रसोई ने चली गयी ।
वही रसोई मे खड़ी कम्मो मेरी हरकते देख कर मेरे मजे लेने लगी ।
मै - अरे तेरा क्या है , तुझे तो रोज मिल रहा है , जबसे ये (मानसिंह) तेरे पास गये है मेरी तो हालत खराब हो गयि है ।
कम्मो - हा जीजी और वो लेते भी हचक के है ,मेरी तो कमर मे लचक आ जाती है ।
मै - कल रात कितनी बार हुआ तेरा
कम्मो - दो बार पर तय ही समझो और आज सुबह सुबह मै पेट के बल सोई थी , मेरे उठे हुए नितंब देख कर जोश मे आ गये और हिहिहिही
मुझे थोड़ी जलन हुई और मेरा बिगड़ा मुह देख कर क्म्मो मेरे कन्धे पर हाथ रख - चिंता ना करो दीदी , सब ठिक हो जायेगा शायद इन्हे कुछ वक़्त लगे मगर ये आपको जरुर प्यार देंगे आखिर इनका प्यार आप ही हो ना ।
मै कम्मो की बात पर बस हुन्कारि भरी मगर भीतर से मै ही जानती थी कि मै क्या मह्सूस कर रही थी
रात चढने लगी और एक बार फिर देवर जी निचे बिस्तर लगाने लगे तो मै भी उनके पास बैठ गयी सट कर ।
देवर - क्या हुआ भाभी
मै इठला कर - आपको नही पता क्या हुआ , मुझे तो लगता है आप उस रात बस बाते बना रहे थे हुह सचमुच का प्यार तो कभी आपको मुझसे था ही नही ।
देवर - नही नही शीलू मेरा प्यार ... स सॉरी भाभीई
मैने उनका हाथ पकडा और अपने सीने पर रखते हुए - खाईये मेरी कसम कि आपको मुझसे प्यार है
उनका हाथ कापने लगा और होठ सुखने लगे - भाभीई वो वो मै वो
मै खीझ कर- क्या भाभी भाभी लगा रखा है, मै आपकी बिवी हु समझे
वो - अह लेकिन मेरा दिल इस बात की गवाही नही देता , मैने तो कम्मो की मांग भरी है
मै भुनक कर उठी और उन्हे खिंच कर - बस मांग भरने को ही आप शादी मान्ते है तो आईये , चलिये आईये
वो भौचक्के मुझे निहारते रहे और मै उन्हे कमरे के मंदिर के पास लेके आई और मेरे हाथ मे सिन्दूर की डिबिया थी - लिजिए और भर दीजिये मेरी मांग और बना लिजिए मुझे अपना
देवर - अह भाभी ये मै कैसे
मै - अगर आपको सच मे मुझसे प्यार है तो आप मेरी माग जरुर भरेंगे , आपको मेरी कसम है
देवर - शीलू ये तुम
मै उन्के मुह से अपना नाम सुन्कर कर मुस्कुराई - अब भर भी दो ना जानू
वो खिले और मेरी मांग भर दी मैने उन्हे कस कर गले लगा लिया ।
वो भी मुझे कस कर फफक पडे और मुझे चूमने लगे मै मदहोश होने लगी और वो मुझे पीछे से जकड कर मेरी छातियां मिजने लगे
देवर - अह्ह्ह शीलू तुम्हारे दूध सच मे कितने मोटे है ऊहह , ना जाने कब से तड़प रहा था इन्हे छूने को ऊहह मेरी जान
मै - आह्ह मै भी तो आपके स्पर्श के लिए पागल हो रही थी
वो जल्दी जल्दी मेरे बलाऊज खोल्कर मुझे कमरे की दिवाल से ल्गा दिये और आगे से दोनो हाथो मे मेरी चुचियां पकड कर उन्हे निहारते हुए - अह्ह्ह कितने मुलायम है ये ऊहह खा लू क्या मेरी जान
मै मुस्कुराई और बोली -सोच लो आपके भैया ने जूठा किया है इन्हे
वो मुस्कुराये और मेरे एक निप्प्ल को मुह मे निचोड कर बोले - हम दोनो भाई बचपन से ही एक दूसरे का जूठा खाते आये है मेरी जान उम्म्ंम
वो मेरे जोबनो पर टूट पड़े और पागल होने लगी
वो मेरी जान्घे पकड कर उपर खिंचते हुए पजामे के भीतर से ही मेरी चुत पर अपना लन्ड घिसने लगे और मै ऊनके टोपे की ठोकर से सिस्क पड़ी- अह्ह्ह मेरे राजा निकालो ना बाहर उसे
देवर - क्या मेरी जान
मैने लपक कर पजामे के बने तम्बू की बास को हाथ मे जकड लिया - अह्ह्ह येह्ह्ह उम्म्ंम्ं चाहिये मुझे उह्ह्ह
वो मेरे सर को पकड़ कर निचे करते हुए - तो जाओ लेलो तुम्हारा ही है मेरी जान
मै समझ गयि कि दोनो भाइयो को लन्ड चुसवाने का शौक है और मै इस बार खुशी निचे बैठ गयी , पजामा खोला तो इस बार और भी मोटा मुसल मेरे आगे था । देवर जी के मुसल की मोटाई तेरे फुफा से ज्यादा थी ।
मै उसको चूमने से खुद को रोक ना सकी और मुह मे लेके चुबलाने लगी , वो हवा मे उड़ने लगे और सिस्कते हुए मेरे सर को सहलाने लगे - अह्ह्ह शीलू मेरी जान उह्ह्ह उहम्म और चुस मेरी रानी उह्ह्ह
2 मिंट मे ही मेरे गाल जवाब दे गये और वो पुरा मोटा फौलादी खुन्टा पुरा तप रहा था ।
उन्होंने मुझे लिटाया और मेरी चुत के मुहाने पर सेट करते हुए हचाक से लन्ड आधा उतार दिया
मेरी चुत की दीवारे फैल गयी और मेरी चिख भी गूंजने लगी । फचर फचर मेरी बुर रस छोड रही थी और थप्प थप्प उनकी जान्घे मेरी जांघो से टकरा रही थी
लन्ड मेरी बुर के जड़ो मे चोट कर रहा था । वो मेरे उपर चढ़े हुए हचक ह्चक के पेल रहे थे ।
फिर मेरे पेट पर ही झड़ गये ।
जोश मे उस रात पुरे 3 बार मेरी ठुकाई हुई और हम चिपक कर सो गये ।
अगले 3 4 दिन हमने खुब चुदाई की हम दोनो बहने अब खुश थी , इधर दिन मे मौका मिलने पर तेरे फूफा कभी कभी मुझे दबोच लेते और मै उनके साथ खुल कर पेलाई करवाति ।
फिर एक दिन मेरे सास ससुर ननद के यहा से वापस आ गये ।
अब जहा हम चारो खुल कर अदला-बदली कर रहे थे उसमे सम्स्या आ गयी थी ।
रात मे मैनेज किया जा सकता था मगर दिन मे तो मुझे तेरे फुफा के साथ और देवर जी को क्म्मो के कमरे मे ही रहना पडेगा । ऐसा तय किया गया ।
फिर उसके बाद से दिन मे मै तेरे फूफा के साथ होती थी और रात मे देवर जी आते थे मेरे पास , बस तबसे हमारा रिश्ता यू ही बना हुआ है और तबसे मेरे दो पति है समझा ।
राज ने एक जोर की अंगड़ाई ली और अपना लन्ड मसलता हुआ - अह्ह्ह बुआ आपकी स्टोरी तो सच मे मजेदार थी इह्ह्ह मूड बना दिया आपने ।
राज - अच्छा लेकिन वो उस रात जो मैने देखा था, छोटी बुआ दोनो फूफा के साथ । छोटे फूफा तो सिर्फ आपको पसंद करते थे ना फिर वो बड़े फूफा के साथ कैसे ?
शिला मुस्कुराई - वो हुआ यू था कि .....
तभी कमरे के दरवाजे पर खटखट हुई और बाहर से राज की मा रागिनी शिला को आवाज दे रही थी ।
जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 204
शालिनी शाम को देर से उठी , झाडू साफ सफाई कर उसे नहाने की सुध हुई तो वो कमरे से अपनी नाइटी लेकर बाथरूम मे घुस गयी ।
वही घर मे मोटर चलने की आवाज से छत पर राहुल के साथ गप्पे हाक रहे अरुण की इन्द्रिया शालिनी के लिए सतर्क हुई
राहुल को उसने अपने मोबाइल के झासे मे इस तरह से घुमा रखा था कि उसे अरुण के लिए कोई परवाह भी नही , ना उसकी नजर अरुण के गतिविधियों पर थी ।
इधर अरुण की बेचैनी उसके लोवर मे साफ साफ झलकने लगी , राहुल को बिजी देख कर वो अपनी नुनी मिजता हुआ - भाई मै जरा आया
राहुल ह्स कर - बहिनचोद कितना मूतेगा यार तू घर भर देगा
अरुण हसा और मन मे बड़बड़ा- घर नही मामी का भोस्डा भरना है मादरचोद हिहिही
अरुण लपक कर निचे गया और उसके अनुमान के अनुरूप शालिनी बाथरूम मे नहा ही रही थी ।
मगर सम्स्या अब ये थी कि भीतर का नजारा देखा कैसे जाये , दरवाजा बन्द था
लकड़ी के दरवाजे पर शालिनी ने अपने कपडे टांग रखे थे और दरवाजा के उपर और दिवाल मे काफी गैप था ।
अरुण के चेहरे पर एक शरारत भरी मुस्कुराह्ट आई और वो लपक कर किचन से स्टूल ले आया और हौले से चढ कर दरवाजे के उपर से झाक कर भीतर का नजारा देखा तो उस्का लन्ड एकदम से तनमना गया ।
भीतर उसकी मामी पूरी नंगी खडी होकर बालो मे शैम्पू कर रही थी ।
अरुण अपनी मामी की नंगी लटकी हुई चुचिया देख कर पागल हो गया और उसका लन्ड कसने लगा ।
वो लन्ड भींचते हुए भीतर का नजारा ले रहा था तभी जीने से राहुल की आवाज आई और वो जल्दी से स्टूल से उतरा और उसे किचन रख कर सरपट उपर भागा
वही बाहर पहले राहुल की आवाज और फिर हड़बड होने की आवाज से शालिनी ने हल्का सा दरवाजा खोल कर बाहर देखा तो सब कुछ शान्त था
अरुन उपर चला गया
राहुल - अबे साले मूत रहा था कि हिला रहा था , इतना टाइट हिहिहिही
अरुण हस कर - अरे यार मूतने गया तो गीता की याद आ गयी इस्स्स बहिनचोद सोच कर ही खड़ा हो गया ।
राहुल - अरे तो साले बात कर ले ना , नम्बर तो है ही उनका
अरुण - हा ला दे ट्राई करता हु थोड़ा हाल चाल तो बनता है ।
अरुन बबिता के मोबाईल पर फोन घुमात है और सामने से किसी अन्य काल पर व्यस्त होने का डायलर सुनाई देता है ।
अरुण - ले बहिनचोद ये तो कही बिजी है
राहुल हस कर - अरे होगी अपने बाबू सोना के पास बिजी हिहिही
अभी ये दोनो बात कर ही रहे थे कि उधर रिटर्न बबिता का कॉल आने लगा - अरे देख वापस कॉल आ रहा है
राहुल - तो उठा ना
अरुन - हैलो
बबिता - हाय कैसे हो
अरुण ने मोबाईल स्पीकर पर करके - मै ठिक हु तुम बताओ घर पहुच गयी ।
बबिता - हा वो कबकी आई और वो .. वो बुद्धू कहा है उम्म्ं
अरुण हस कर - यही है लो बात करो
राहुल हसता हुआ - और जानेमन कैसी हो
बबिता - हुह तुम तो बात ही मत करो , पता है तुम्हारि वजह से मेरा बॉयफ्रेड नाराज हो गया है
राहुल हस कर - अरे तो उसको भी थोडा अपने रसिले होठो का स्वाद देदो , गुस्सा नही होगा बस तरस रहा होगा मिलने के लिए
बबिता - हम्म होप सो ऐसा ही हो
अरुण - गीता कहा
बबिता - यार मै छत पर ही वो निचे होगी
अरुण - अच्छा रात मे बात कर सकते है क्या विडियो काल पर देखना है
बबिता - अच्छा ठिक है देखती हूँ , चलो बाय मुझे निचे जाना है
राहुल - बाय मेरी जान हिहिही
फोन कट जाता है और अरुण - साले तु नही सुधरेगा हाहाहा
राहुल - अबे रात मे विडियो कॉल का क्या सीन है ?
अरुण हस कर - अरे यार दोनो बहनो का मस्त लेस्बो रोमान्स देखेन्गे और हिलायेंगे हाहाहा
राहुल - वाव बेटे , गजब हाहाहा
राहुल - चल कही टहलने चलते है
अरुण - कहा
राहुल - अरे यही पास मे मंदिर और नदी है शाम के समय मस्त माल मिलती है उधर टहलती हुई , क्या करेगे वैसे भी घर पर
अरुण उसकी हा मे हा मिलाता है और दोनो निचे आते है राहुल अपनी को आवाज देता हुआ हाल की ओर बढ जाता है कि वो और अरुण अभी थोड़ी देर मे आयेंगे ।
इधर राहुल के आवाज देने पर शालिनी घूमती है और नाइटी मे बिना ब्रा के उसकी मुलायम उठी हुई चुचिया देख कर अरुण की आंखे फैल जाती है ।
अरुण फौरन नजरे फेर लेता है मगर शालिनी समझ जाती है कि अभी अभी अरुण ने कहा देखा , उसे अपने दुपट्टे के लिए अफसोस होता है मगर अब फाय्दा नही था ,अरुण राहुल के साथ निकल गया था
इधर दोनो भाई टहलते हुए नदी की ओर बढ गये
चमनपुरा रिवर फ्रंट की स्ट्रीट लाईट मे चमचमाती सड़क और किनारे पर लगी रेडी की दुकाने सब जगमग
सड़को पर टहलती आंटियों के कुल्हे और जवान कुवारी लड़कियो के उभरे जोबनो की नोख देखता हुआ अरुन - वाह भाई मस्त जगह है यार ये तो हिहिहिही
राहुल - हा यार यहा आकर मूड फ्रेश हो जाता है , मगर अकेले मे वो मजा नही आता ना
अरुण - हा ये भी , यहा इस समय इतनी लड़कीया और औरते कैसे यार
राहुल - अरे भाई अभी नया नया बना है ये तो भीड रहेगी ना और तु जरा लन्ड की जगह आंखो से देख साले हिहिहिही मर्द और लौन्डे भी है जो इन्हे ताड रहे है ।
अरुण उसकी बात पर हसता है और आसपास निहारने लगता है , तभी उसकी नजर पास के कुल्फी स्टाल पर जाती है जहा एक लड़की जो फ्राक मे थी वो स्टाल पर अपनी एक छोटी बहन के साथ खडी होकर कुल्फ़ी चुस रही थी ।
नदी के किनारे की मदमस्त हवाए उसके फ्राक को घुटनो तक उठा रही थी , जिसे देख कर अरुण के आंखो की चमक बढ़ गयी ।
अरुण - बहिनचोद कितनी कटीली माल है , टाँगे देख ना कितनी गोरी है इसकी
राहुल - अरे लाली
अरुण अचरज से - तु जानता है इसे
राहुल - हा बे ये तो अनुज की क्लासमेट है
अरुण - हैं ? सच मे ?
राहुल - हा बे , ये तो उसके पीछे लगी रहती है, मगर साला अनुज एक नम्बर का फटटू और चुतिया है
अरुण - क्या बक रहा है, इतनी टॉप क्लास माल अपने अनुज की दिवानी
राहुल - हा बे , अगर ये साली मुझे लाईन देती तो इसकी गाड़ फ़ाड चुका होता मै
अरुण - अरे यार , साले लँगूर को ही अंगूर मिलते है
राहुल खीझ कर - छोड़ ना बे
इधर इनकी बातें चल रही थी कि इतने मे लाली इनके पास आई - हाय राहुल
राहुल और अरुण चौके और राहुल खड़े होने को हुआ तो अरुण उसका हाथ खिंच कर बैठाने लगा , मगर वो खड़ा हुआ जबरजस्ती
लाली ने अजीब नजरो से अरुण को देखा और फिर मुस्कुरा कर - कैसे हो
राहुल मुस्कुराकर - मै ठिक हु तुम बताओ
लाली - मै भी , ये अनुज की दुकान काफी दिन से बन्द क्यू है
राहुल का मूड अनुज का नाम सुनते ही खराब हुआ मगर वो अपनी भावनाये छिपाता हुआ झूठी हसी के साथ - अरे वो उसकी दीदी की शादी थी ना , लेकिन आज तो उसने दुकान खोला है
लाली - क्या ? उसके दीदी की शादी थी और मुझे बताया नही !
लाली की प्रतिक्रिया पर राहुल ने उसे आंखे महिन कर देखा तो लाली सफाई देती हुई - मतलब क्लास मे किसी को नही बताया उसने , इट्स सो रूड ना
राहुल हस कर - अरे एक काम करो ना , आज वो दुकान पर ही होगा तुम ही आज की कलास लेलो ना उसकी हिहिही
लाली खुश होकर - अच्छा सच मे , अब तो ब्च्चु की खैर नही । थैंक्स राहुल बाय
राहुल मुह बनाता हुआ - बाय
राहुल उखड़े हुए मुह के साथ - देखा साली कैसे उछल रही थी ।
राहुल अरुण की कोई प्रतिक्रिया ना पाकर उसकी ओर देखा तो वो लाली को जाते हुए देख रहा था ।
राहुल खीझ कर उसके सर पर टपली मारता हुआ - साले जाने दे , वो नही हाथ आयेगी
अरुन - भाई क्या मस्त माल है यार , पास से क्या मस्त महकती है
राहुल - तो क्या तु उसे बस सुँघ रहा था
अरुण - नही भाई देखा भी , ये जांघो तक ब्लूमर पहना था उसने और क्या दूध सी गोरी चिकनी जांघ है उसकी आह्ह्ह
राहुल चौक कर - तुने कब देखी
अरुण हस कर - जब तु उस्से बाते कर रहा था, ये उड़ती हवाए उसका फ्राक उठा रही थी हिहिहिही
राहुल हसता हुआ - साले हरामी हिहिही
अरुण- हे चल ना हम भी चलते है अनुज के पास
राहुल - अबे नही यार थोड़ा रुक कर चलते है, थोडा लैला मजनू को प्राइवेट समय का मजा लेने दे हिहिही
अरुण - ओहो उस चुतिये की इतनी फिकर
राहुल हस कर - चुतिया है ये इम्पोर्टेंट नही है , भाई है अपना ये इम्पोर्टेंट है हाहाहा
अरुण उसकी बात पर हसने लगा
इधर लाली तेज कदमो से अनुज के दुकान पर पहुच गयी ।
जहा अनुज एक ग्राहको को डील कर रहा और जैसे ही उसकी नजर बाहर खड़ी लाली पर गयी , उसकी सासे सुखने लगी ।
लाली अनुज के लिए बहुत आगे की लड़की थी, वो थोड़ी ज्यादा फ्रैंक और अमीर भी थी , लेकिन उसे अनुज की सादगी और भोलेपन से एक लगाव सा था । उसे अनुज का साथ पसंद था ।
दुकान मे घुसते ही लाली चहकी - हाय अनुज
अनुज एक अंकल को कुछ समान दे रहा था तो बस वो मुस्कुरा कर उसकी ओर देखा और फिर ग्राहक को विदा कर ।
अनुज - तुम यहा
लाली हस कर - वो नदी पर अभी राहुल से मिली , उसने बताया कि तु यहा हो
अनुज मन ही मन राहुल को गाली दिया और जान रहा था कि साला मजा लेने आयेगा जरुर ।
लाली - ओ हीरो कहा खो गये , ये बताओ तुमने मुझे शादी मे क्यू नही बुलाया
अनुज - यार मै कैसे बुलाता , कार्ड तो पापा और भैया ने बाटा था ना
लाली - तो क्या तुम्हारे घर पर फ्रेंड्स बुलाना allow नही है क्या उम्म्ं
अनुज थोडा लज्जित होकर - नही ऐसी बात नही है , वो मै काम मे बिजी था तो रह गया सॉरी
लाली अनुज का उतरा हुआ मासूम चेहरा देख कर मुस्कुराई - अच्छा बाबा ठिक है , अब उदास ना हो लेकिन राज भैया की शादी मे तो बुलाओगे ना
तभी पीछे से आवाज आई - अरे मेरी शादी मे तो तुमको डांस भी करना पड़ेगा हिहिहिही
लाली खुश होकर पीछे देखती है तो वहा राज खड़ा होता है - अरे राज भैया हाय्य्य
राज मुस्कुरा कर - कैसी हो लाली
लाली - एकदम मस्त , देखो ना दीदी की शादी मे ये मुझे बुलाना ही भूल गया
राज अनुज को देख कर हसता हुआ - ये , अरे ये अब बूढ़ा हो गया है , यादाश्त चली गयि है इसकी हिहिहिही
लाली - है ना , मुझे भी यही लगता है हिहिही
राज - तुम बताओ कैसे आना हु
लाली - बस भैया नदी घूमने आई थी तो सोचा बाजार रास्ते घर जाऊ तो इसने मुझे देखा तो दुकान मे बुला लिया
अनुज लाली की शरारत पर हड़बडा कर राज की ओर देखा तो लाली खिलखिला कर हस दी ।
लाली - अच्छा भैया मै चलती हु ,बाय
लाली - बाय अनुज
अनुज उतरे हुए मुह से - बाय
राज मुस्कुरा कर उसको जाते हुए देखता है और फिर अनुज की ओर घूम कर उसको देखता है ।
अनुज राज की हसी पर सफाई देता हुआ - नही भैया कसम से मैने नही बुलाया
राज - अबे पता है मुझे तेरे मे जिगरा नही है हिहिही
अनुज - क्या भैया इतना भी फटटू नही हु मै
राज - चल चल रहने दे , वैसे क्या क्या काम हुआ और बाकी चल हैल्प कर दू तेरी मम्मी ने भेजा है
फिर अनुज और राज दुकान के काम मे लग जाते है और कुछ देर बाद दुकान का काम खतम कर वो दोनो घर के लिए निकल जाते है ।
वही चौराहे वाले घर रात का खाना तैयार हो चुका था , रंगी भी घर आ चुका था ।
हाल मे शिला और रागिनी बैठे हुए थे ।
किचन मे दो नयी सहेलियां लगी हुई थी रज्जो और निशा ।
निशा - धत्त मौसी तुम भी ना , देखो भीगा दिया आगे से
रज्जो एक नजर हाल मे देख कर सामने से निशा के जोबन सहला कर - ओहो देखो तो कितना भरा हुआ है, ना जाने कितनो नल के निचे नहाई होगी तु और मुझे सिखा रही है ।
निशा कबसे रज्जो के सवाल से पक चुकी थी और वो समझ गयी थी कि ये बिना कोई जवाब लिये मानेगी नही इसिलिये उसने रज्जो को लपेटना शुरु किया ।
रज्जो - अरे बता दे , मै कौन सा किसी से कहूँगी
निशा - सच मे ना , पक्का ना ?
रज्जो जिज्ञासु होकर -हा बता ना ?
निशा - आप उनको जानती हो बस इतना काफी है उम्म्ं
रज्जो - क्या तु भी साफ साफ नाम लेके बता ना
निशा हस कर - अरे मौसी उनका हथियार ना सीईई आधे हाथ का है और मोटा भी समझी
रज्जो की बेचैनी और भी बढ गयि कि ऐसा कौन है और मन मे ही वो गणित चलाने लगी , किसका इतना बड़ा खुन्टा होगा जिसमे ये गाय बध गयी ।
निशा - दिमाग पर बहुत जोर मत दो हिहिही चलो खाना देते है सबको
इधर राज और अनुज भी आ गये , जल्द ही सबने खाना खाया और हुआ फिर तय हुआ कि कौन कहा सोयेगा ।
रागिनी ने आज फिर रंगी को तड़पाने की सोची और उसने साफ साफ कह दिया कि उसके कमरे मे आज रज्जो और शिला सोयेंगी ।
निशा और अनुज अपने अपने कमरे मे हो गये ।
रन्गी राज एक साथ सोने के लिए चले गये ।
इधर सब लोग कमरे मे जा रहे थे तो बेचैन रज्जो ने मौका देख कर जीने के पास निशा को पकड़ लिया - अरे बता ना , नाम बताने मे क्या जा रहा है तेरा ।
निशा हस कर - नही नही मुझे आपपर भरोसा नही है , कही आप उनको पटा लिये तो हिहिहिही
इधर कमरे से रागिनी आवाज दे रही थी और रज्जो की हड़बड़ी मे - क्या तु भी , बता ना
निशा हस कर - प्कका बता दू ,
रज्जो - हा , हा !
निशा मुस्कुरा कर - सोच लो आपकी नीद गायब हो जायेगी हिहिहिही
रज्जो खीझ कर - अरे बता ना तु
निशा अपने करीब आने का इशारा किया और रज्जो उस्के करीब आई , उसने बड़ी चतुराई से रज्जो के हाथ से अपने को छुड़ाया और धीरे से उसके कान मे बोली - मौसा जी हिहिहिही
फिर निशा हस्ती खिलखिलाती उपर भाग गयी और रज्जो की आंखे फैल गयी कि कमलनाथ कैसे निशा को ?
वो सवालों के घेरे मे थी कि उधर रागिनी कमरे के दरवाजे से झाक कर - क्या जीजी आओ ना ?
रज्जो ने सामने देखा तो रागिनी की नंगी जान्घे देखी और उसके चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गयी , वो समझ गयी कि आज रात क्या प्रोग्राम होने वाला है ।
अमन के घर
रात के 9 बजने को हो रहे थे और डायनिंग टेबल पर घर के सभी लोग साथ बैठे हुए थे , अमन भी बैठा हुआ था ।
ऐसे मे ममता दुलारी को इशारा करती है कि वो सोनल का खाना लेकर उपर चली जाये और अमन को भी जाने को कहती है ।
अमन दुलारि की मदद के लिए किचन मे आता है और पीछे से उसकी गाड़ साडी के उपर से मसल कर - और भाभी आगे का क्या प्लान है ।
दुलारी खाने की प्लेट तैयार कर उसकी ओर घूम कर - अभी तो आज ये केसर खीर खाओ और मेरी देवरानी की बजाओ और मै मेरी छिनार ननदीया की बुर की गहराई टटोलती हुई ले पायेगी भी या नही
अमन हस देता है - वैसे क्या वो सच मे तैयार होगी भाभी
दुलारी थोड़ा चुप रहने का इशारा कर अमन को लेके जीने की ओर बढ़ जाती है - अरे देवर जी , देखा नही कैसे फचर फचर उन्ग्लिया पेल कर अपनी पैजामी भीगा दिया , तुम बस उसे लालच दो बाकी पक्ड कर मै डलवा दूँगी हिहिही
अमन पीछे से दुलारी के मटकते कुल्हे सहला कर - अच्छा तो ये वाला घर कब खोलोगी , ये तो बताओ
दुलारी हसी और बोली - पहले देवरानी जी बोलो कि वो दरवाजा खोले
अमन कमरे का दरवाजा खटखटाता है और फिर दुलारी- प्लीज ना भाभी बताओ ना , बहुत मन है
दुलारी बस इतराती मुस्कुराती है इतने मे सोनल जो कि मोबाइल पर किसी से बात कर रही होती है वो दरवाजा खोलती है
सोनल - हा रख बाद मे काल करती हु तुझे , बाय बाय
सोनल - अरे भाभी आप , आईये ना
अमन भी दुलारी के पीछे पीछे आता है
दुलारी- किस्से बातें हो रही थी देवरानी जी , मायके की कोई सहेली तो नही था ना लाईन पर
सोनल हस कर - जी वो निशा से बात हो रही है
दुलारि - अरे तो रख क्यू दिया , देवर जी को दे देती हमारे देवर जी भी ले लेते उनसे
सोनल आंखे उठा कर सवालिया नजरो से दुलारि को देखती है तो दुलारि हस कर - अरे भई हालचाल हिहिहिहिही
कमरे का माहौल थोडा खुसनुमा था और फिर दुलारी थोडे देर बाद सरक ली ।
इधर अमन ने अपना ड्रामा शुरु कर दिया । दुलारि के जाते ही कमरे मे एकदम से चुप्पी सी आ गयि , अमन चुपचाप अपने पैंट उतार कर शार्ट मे आ गया और हाथ मे मोबाईल लेके बैठ गया ।
सोनल खाने की प्लेट लेके उसके पास गयी - जाईये हाथ धूल लिजिए खाना खाते है ।
अमन चुप चाप उठा और बाथरूम से हाथ धूल कर आया और अपने हिस्से का खाना खाने लगा
सोनल मुस्कुराई और अमन का बचपना निहारने लगी ।
मुस्कुराते हुए वो भी खाने का निवाला मुह मे लेकर बोली - पता है आज मम्मी जी से बात हो रही थी घूमने जाने की ।
अमन ने नजरे उठा कर देखा फिर खाने मे लगा रहा ।
सोनल मुस्कुरा कर खीर की कटोरी मे चम्मच चलाते हुए एक चम्मच अमन के मुह के आगे की और वो मुह बनाते हुए मुह खोला ।
सोनल - मम्मी कह रही थी कि अगर अकेले नही जा सकती तो मै निशा को भी साथ ले जाऊ ।
अमन चौका मगर उसने जल्द ही अपनी भावनाओ को दबाया ।
सोनल मुस्कुराते हुए उसे खीर को चम्मच चटवाती हुई - लेकिन अभी कुछ कन्फ़र्म नही है मम्मी की आज पापा जी से बात करेंगी ।
ये बोल कर सोनल उठी और खाने की प्लेट दूर टेबल पर रख कर वाशरूम मे हाथ धूलने चली गयी , अमन भी पहुच गया ।
सोनल - आप क्या कहते हो , सही रहेगा क्या निशा को साथ मे ले जाना उम्म्ं
अमन कुल्ला कर मुह पोछता हुआ बाथरूम से निकलता हुआ - मुझसे मत कहो , अपनी मम्मी जी से पूछो हुह
सोनल समझ रही थी कि अमन को दुपहर मे मना किया इसीलिए वो भुनका हुआ है ।
वो भी थोड़े देर चुप रही और अमन एक किनारे बेड पर पैर फैला कर बैठा हुआ मोबाईल चला रहा था ।
सोनल अपने सृंगार उतार कर जिस्म हल्का कर रही थी और उसे अच्छे से पता था कि अमन उसे चोर नजरो से निहार रहा है ।
गहने उतारने तक ठिक था मगर उसने अपनी साडी उतारनी शुरु कर दी , अमन चौका ।
उसके गुदाज मुलायम चर्बीदार सपाट नंगी कमर और पेट पर चढ़ी हुई हल्की सी चर्बी , उसपे से सीने पर उठे हुए मौसमी के पहाड़ देख कर अमन का जिस्म सरसरा गया ।
तभी सोनल इठलाती हुई ब्लाउज पेतिकोट मे उसकी ओर बढी और बिस्तर के करीब आते ही एकदम से घूम कर बैठ गयी ।
रसभर जोबनो के हिचकोलो की झलक पल भर मे ही गायब हो गयी और पेतिकोट मे फैले हुए उसके नितंब की कसावट देख कर अमन का लन्ड फड़फडा उठा ।
बालोँ को आगे झटक कर उसने गरदन हल्की सी अमन की ओर करते हुए उसने कहा - जरा डोरी खोल देंगे ।
अमन के जिस्म मे सरसराहट सी उठने लगी और वो थुक गटक घुटने के बल बिस्तर के दुसरे कोने के सोनल के करीब आया ।
उसके जिस्म से आती मादक गन्ध से अमन को खुमारी चढ रही थी मगर उसकी नाराजगी एक दम चैड बॉय वाली थी , जो उसे सोनल को बाहों मे भरने से रोक रही थी ।
दिल मे उमडते जज्बातॉ को दफन कर उसने सोनल के बलाऊज की डोरी को पकडा और उसकी उंगलिया सोनल की मखमली पीठ को स्पर्श कर गयि जिस्से सोनल का जिस्म भी सिहर उठा ।
अमन ने डोरी खिंची और ब्लाउज कन्धो से ढीली हो गयी , कंधो के करीब चमडी और भी ज्यादा गोरी और मुलायम लग रही थी ।
बिसतर पर हरकत देख कर सोनल समझ गयी कि अमन वापस जा रहा है तो वो मुस्कुरा कर - वो हुक भी खोल दीजिये ना
अमन एक गहरी सास ली और भीतर की झल्लाहट को पी कर वापस से सोनल के ब्लाउज के सिरे पक्ड कर हुक चटकाने गया , वापस से उसकी उंगलिया सोनल के पीठ से स्पर्श हुई और इस बार सोनल सिसकी - उम्म्ंम आपने हाथ नही पोछे क्या , कितनी ठंडी है उंगली आपकी ।
अमन ने सोनल के पीछे मुह बना कर बिना कोई जवाब दिये सारे हुक चटकाये और वैसे ही खड़ा उसकी सेक्सी पीठ को निहारता रहा
ब्रा स्ट्रैप और बेल्ट सोनल की हल्के चर्बीदार पीठ पर कसी हुई थी जिस्से आसपास चर्बी उभर आई थी जो अमन को ऐसे ललचा रही थी मानो चूम ही ले उसे , उसपे से पेतिकोट मे फैले हुए कुल्हे अब और भी चौडे नजर आ रहे थे पीठ नंगी हो जाने से ।
ठिक पीछे खड़े होने के कारण उसे आगे की ओर सोनल के घाटियो की गुलाबी झलक भी स्पष्ट दिख रही थी और उसका लन्ड फड़क रहा था ।
सोनल ने बाहों ने अपना ब्लाउज उतारते हुए खड़ी हुई और आगे
बढ़ के उसने अपने पेतिकोट की डोरी खिंचते हुए निचे सरका दी , अब उसका जिस्म सिर्फ ब्रा पैंटी मे था
नये मॉडल वाली स्पेशल ब्रा पैंटी सेट जो अमन ने ही उसे गिफ्ट की थी ।
अपनी दी हुई मनपसंद पैंटी मे कसे हुए सोनल के चुतड देख कर अमन का मुसल बौखला गया ।
चटक मरून कलर की पैंटी मे सोनल की गोरी गोल मटोल बड़ी सी गाड़ और भी खिल रही थी । जिसे देख कर अमन ने अपना लन्ड भिन्चा ।
सोनल ने चार कदम चलकर बडी मादकता से अपने चुतड थिरकाये और आईने के आये खडी होकर अपने बालों का जुड़ा करने लगी ।
अमन वही उसी जगह पर वैसे ही घुटने के बल बैठा हुआ सोनल को निहार रहा था , भितर का अहम आज उसके लिए नूकसान दायक था , अपनी कमसिन कामुक बीवी के रसभरे यौवन से दूरी ।
अफसोस तो तब और बढ़ गया जब सोनल ने वही आईने के पास से कमरे की लाईट बुझा दी और घुप्प अंधेरा सा हो गया ।
अमन मन मसोस कर घूम कर अपनी जगह पर करवट लेटकर चादर ओढ़ लिया और तभी कमरे मे गुलाबी शमा सी छा गयी और नाइट बल्ब जल उठा , मगर अमन ने उसे इग्नओर किया ।
उसके भीतर की नाराजगी और ईगो से उसका जिस्म अब जलने लगा था ।
सोनल मुस्कुराती हुई बिस्तर पर आई और अमन के पीछे चादर मे घुसती हुई हौले से अपने कन्धे से ब्रा को सरकाती हुई अपने एक मुलायम रसभरे चुचे को आजाद कर अमन को पीछे से हग करते हुए - उम्म्ंम अभी भी गुस्सा है क्या मेरा बेबी ।
सोनल की बच्चो सी मीठी बाते और उसके नरम ठंडे चुचे का स्पर्श पाकर अमन का जिस्म गिनगिना उठा ।
सोनल ने आगे हाथ बढ़ा कर अमन के टीशर्ट के भीतर हाथ घुमाती हुई उसके कान को चूमती हुई - सॉरी ना बेबी , अब बाबू कभी ऐसा नही करेगा ,
अमन तो बस मानो एक सॉरी का ढेला लगने के भरोसे ही बैठा था और उसके ईगो का आईना चूर चूर हो गया, एकदम से उसके जिस्म सरसरी सी दौड़ गयि और उसने अपने सीने पर उसके निप्स को कुरेदते सोनल के हाथ को जकड लिया - उह्ह्ह बेबी आई लव यू
सोनल उसको कसकर पकड़ती हुई उसके गाल चूम कर उसके अपनी ओर घुमाती हुई - आई लव यू सो मच मेरा सोना
फिर दोनो लेटे लेटे ही एक दूसरे के होठ चुसने लगे
सोनल के हाथ अमन के चेहरे को पकड़े हुए मगर अमन के हाथ तो वहा रेंग रहे थे जो देख कर वो कबसे लल्चा रहा था
सोनल के होठ चुसते हुए वो उसकी चर्बीदार गाड़ को हाथ मे भर कर मसल रहा था और उसका मोटा खूटा अब सोनल की जांघो पर रगड़ रहा था ।
वही सोनल के नरम चुची उसके सीने क्प सहला रही थी
अमन के हाथ सरकते हुए अब उपर आ गये थे और वो सोनल को निचे लिटा कर उसकी रस भरे जोबन को हाथ मे भर कर मसलता हुआ उसके निप्प्ल को मुह मे ले लेता है
सोनल - अह्ह्ह मम्मीईई उह्ह्ह बेबी उम्म्ंम उह्ह्ह सक इट मेरी जान उम्म्ंम्ं उह्ह्ह
सोनल निचे से अपनी गाड़ उठा कर अमन के जांघो पर अपनी बुर रगड़ रही थी और तेज मादक सिसकियाँ ले रही थी , अमन उसके चुचे पक्ड कर उन्हे मसल मसल कर चुस रहा था ।
सोनल उसके सर को दबाए हुए अपने छाती से रगड़ रही थी , उसकी बुर बुरी तरह बजबजा उठी थी - अह्ह्ह माय लव उह्ह्ह उम्म्ंम खा जाओ इसे ऊहह उम्म्ं पागल कर दिया है तुमने मेरी जां ऊहह मेरे राजाह्ह्ह सीईई ओह्ह्ह
अमन को भी उसके जांघो पर सोनल की गीली पैंटी की रगड़ महसुस हो रही थी , पैर हटा कर उसने अपना हाथ उसकी पैंटी मे घुसाते हुए उसके बुर के चिपछिपे फाको से खेलने लगा
सोनल पूरी तरह अकड़ गयी - अह्ह्ह बेबी उह्ह्ह क्या छुउऊ दियाअह्ह उम्म्ंम उफ्फ्फ बाबू ओह्ह्ह
अमन उसकी पैंटी मे हाथ डाले बुर को बहुत हल्के हाथ से सहला रहा था जिसका असर सोनल पर बहुत ज्यादा हो रहा था वो झड़ रही थी और अमन की हथेली भरने लगी थी
अमन ने हाथ निकाल कर अपनी उंगलियाँ चाटते हुए सोनल के होठ चुसने लगा
सोनल उपर उठती हुई उसके टीशर्ट निकाल दिये और अमन को घुमाते हुए एक बार फिर से अपने होठ उसके होठ से जोड दिये
अमन सोनल के लिप्स चुस्ता हुआ बेड के हेडबोर्ड का टेक लेके पैर फैला कर लेट गया
उस्का मुसल शार्ट मे तम्बू बनाये हुए था , सोनल ने हाथ आगे कर सीधा अमन का मोटा मुसल पक्ड लिया और उसके लिप्स चुसती हुई बोली - उम्म्ं मेरा बाबू सुबह से परेशान है
सोनल के पंजे अपने आड़ो पर कसत पाकर अमन की सासे उखड़ने लगी और वो टुटे हुए लहजे मे - ह ह हा बाबुउऊ बहुत ज्यादाआ उम्म
सोनल अंडरवियर के उपर से उसके लन्ड के तने पर हथेली घुमाती हुई मुस्कुराई - बाबू को पुच्ची चाहिये इसपे उम्म्ं
अमन ने हा मे सर हिलाया और सोनल उसके शार्ट की लास्टीक मे उन्ग्लिया फसा कर उसको निचे खिंचती हुई खुद भी निचे झुक गयी
अमन की आंखो मे आंखे डालते हुए उसने अपनी जीभ निकाल कर सुपाड़े की टिप को खिंचा और मुह खोलते हुए उसको होठो से चुबलाया ।
अमन का रोम रोम खड़ा हो गया और उसकी कमर उचकी
सोनल ने लन्ड मे हलचल देख कर लपक कर उसको तने से पकडा और सुपाड़े की टिप पर जीभ फिराते हुए उसको मुह मे भर लिया
पूरे रस को अपने मुह मे घोलती हुई सोनल आंखे बन्द कर अमन के लन्ड को चुबलाने लगी और अमन का हाथ खुद ब खुब उसके सर पर चला गया
जिस मदहोशि ने सोनल उसका मुसल चुस रही थी उसकी गाड़ हवा मे उठी हुई अमन के आगे लहरा रही थी ।
अमन उस्का सर पक्ड कर उसकी नंगी पीठ पर हाथ फिराता हु उसके नरम गुदाज चुतड सहलाता है और इधर सोनल उसके लन्ड को पक्ड कर गले तक ले जाती है ।
जिससे अमन के जिस्म की नसे फड़कने लगती है वो जोश मे सोनल का सर अपने मुसल पर दबाने लगता है और सोनल भी उसको मुह मे भरने लगती है
अमन के जिस्म की गर्मी अब उसके काबू मे नही थी , वो सोनल की मुलायम गाड़ को हाथो मे मसल नोच रहा था और लन्ड उसका पुरा फौलादी हुआ जा रहा था ।
सोनल भी इस चीज को मह्सुस कर चुकी थी और वो उठ कर खड़ी हुई और उसके सामने ही उसने अपनी पैंटी सरका कर निकाल दी
अमन अपना मुसल भींचते हुए उसकी जान्घे और पेट छू रहा था और सोनल अपनी जीभ से थुक लेके उसको अपने बुर पर ल्गा कर उस्के फाके सहलाती हुई बोली - चाहिये क्या बेबी उम्म्ंम
अमन भूखे भेड़िये के जैसे लपक कर सोनल की गाड़ को पंजे से दबोचता हुआ अपनी को खिंच लिया और अपना मुह सीधा उसकी चुत पर लगा दिया
सोनल - ऊहह मेरे राजाह्ह उह्ह्ह उम्मममं अह्ह्ह चुस लो मेररी जान ओह्ह्ह्ह सीईई अह्ह्ह अराअम्ं से उह्ह्ह
अमन पागलो के तरह उसे बुर के फाको चुस रहा था और सोनल के उस्के सर को पकडे हुए थी - ऊहह मेरी जान उम्म्ं सक इट बेबी उह्ह्ह फक्क्क उम्मममं अह्ह्ह्ह येस्स्स बेबी उह्ह्ह्ह फाअक्क्क्क उम्म्ंम्ं
अमन उसकी जांघो से दुर हुए और सोनल सरक पर उसके पेट पर आ गयी और उसके चेहरे को पक्ड कर उसके लिप्स को चुसती हुई - उह्ह्ह मेरा बाबू क्या चाहिये
अमन उसकी गाड़ पर अपना लन्ड मारता हुआ - ये दो ना अह्ह्ह बेबी प्लिजज
सोनल पीछे होते हुए अपनी गाड़ को उसके लन्ड पर घिसट पर चुत के निचे ले आई और अपनी कमर हिलाती हुई उसकी आंखो मे देखकर - क्या चाहिये बाबू को
अमन - आह्ह गाड़ देदो ना बाबू उम्म्ंम
सोनल - और चुत उम्म्ंम देखो कितना रस छोड रही है मेरी बुर अह्ह्ह उह्ह्ह इसको नही लोगे
अमन का चेहरा काप रहा था वो सोनल के हाथ पर अपना चेहरा रगड़ता तडप कर - हा बेबी चाहिये वो भी चाहिये
सोनल अपनी चुत के फाको को उस्के सुपाड़े पर जमा कर - और क्या चाहिये बेबी को
अमन आन्खे बन्द कर अपनी कमर को उचकाता हुआ लन्ड को उसकी बुर मे ठोकर देता
सोनल मुस्कुरा कर उसका लन्ड पक्ड चुत पर लगाते हुए वापस से बैठ जाती है - अह्ह्ह बाबू उह्ह्ह कितना मोटा है उह्ह्ह बेबी उम्म्ंम फ्क्क्क्क सीई
अमन को जैसे ही चुत की नरमी मह्सूस हुई उसका लन्ड और कसने लगा
सोनल पूरे लन्ड को अपनी बुर मे भर बैठ गयी और कमर हिलाने लगी - अह्ह्ह बाबुउऊ ओफ्फ्फ फ्क्क्क करो मुझे उह्ह्ह अह्ह्ह सीई कितना कड़ा है इह्ह्ह उउम्ंं कितना अच्छा लग रहा है उह्ह्ह बाबू उम्म्ं
अमन भी अब जोश मे आ गया और उसने झटके से सोनल को अपनी ओर किया और घुटने फ़ोल्ड का अपनी गाड़ उठा उठा कर पेलने लगा - अह्ह्ह जान कितनी मुलायम बुर है अह्ह्ह मजा आ जाता है इसमे घुसा कर उह्ह्ह
सोनल उस्के तेज करारे झटके खाती हुई अमन के उपर झुकी हुई थी - आह्ह बेबी मुझे रोज चाहिये येह्ह ऊहह इसीलिए तो कही जाना नही चाहती मै ऐसी पेलाई कहा होगी उह्ह्ह
अमन - वहा भी कर लेंगे मेरी जान, हनीमून पर चुदाई ही होती है , खुल कर जैसे चाहो पहनो जैसे चाहो पेलो जितना चाहो चिखो अह्ह्ह
सोनल - ओह्ह माय बेबी सच मे उह्ह्झ फ्क्क्ल्ल मै खुब सेक्सी सेक्सी पहनुन्गी उम्म्ंम तुमको अपनी गाड़ दिखा दिखा कर ललचाउन्गी उम्म्ंं बोलो पहनने दोगे ना सेक्सी बिकनी मुझे
अमन उसको तेज झटके से उसकी बुर मे पेलता हुआ - हा मेरी जान क्यू नही, लेकिन्ं अह्ह्ह
सोनल - लेकिन क्या मेरे राअजाह्ह्ह उह्ह्ह माअह्ह उम्म्ं
अमन - वो निशा जायेगी तो कैसे मै तुम्हे प्यार करूंगा
सोनल - तो क्या हुआ , चलने दो हरामजादी हो उसके सामने तुम्हारा मोटा लन्ड चुसुंगी, उसको खुब तड़पाऊंगी , मेरे राजा को परेशान किया था कमिनी ने उह्ह्ह बेबी अह्ह्ह फक्क्क फक्क येस्स्स हार्ड बेबीई अह्ह्ह
अमन निशा के सामने सोनल को लन्ड चुसवाने की बात पर और भी पागल हो गया , वो कस कस हुमच हुमच कर पेलने लगा - सिर्फ चुसवाउन्गा ही नही तुम्हारी बुर भी चाटुंगा उसके सामने आह्ह और वो हमे देख कर बस चुत सहलायेगी साली क्यू बेबी
सोनल अपनी बुर को उसके लन्ड पर कसती हुई तेजी से झड़ रही थी - अह्ह्ह बेबी क्यू नही , आप मुझे उसके सामने ही फक्क करना है अह्ह्ह मजा आयेगा उह्ह्ह ऊहह बेबी आ रहा है मेरा ऊहह
सोनल ने चुत की ग्रिप से अमन के लन्ड की नसे फटने को आ गयी थी और निशा के सामने सोनल को चोदने का सोच कर वो पागल ही हो गया और कसकस तेज झटके लगाता हुआ - आह्ह बेबी मै भि आ रहा हु ओह्ह्ह बेबी फ्क्क्क उह्ह्ह येस्स्स येस्स अह्ह्ह मेरी जान ओह्ह मेरी सेक्सी बेबी उह्ह्ह ऊहह
सोनल झटके से उठी और उसका लन्ड पक्ड कर हिलाने लगी और तेज धारदर पिचकारी उपर की ओर छूती , कुछ उसके हाथो पर तो बाकी अमन के जिस्म पर
मुह बढा कर उसने लन्ड को गपुच लिया और सारा रस चाट गयी
अमन और सोनल दोनो के चेहरे खिले हुए थे और सोनल उसके उपर चढ कर उसके लिप्स काटती हुई मुस्कुरा कर - उम्म्ं देखो तो कैसे खुश हो रहे है साली के सामने मुझे प्यार करने के नाम पर उम्म
अमन मुस्कुरा कर शर्माने लगा तो सोनल उसके गाल चूमती हुई उससे चिपक जाती है ।
जारी रहेगी
बडा ही खतरनाक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 205
राज के घर
उपर के कमरे मे अनुज बेड पर बैठा आहे भर रहा था क्योकि निशा उसके पैरो मे बैठी हुई उसका लन्ड चुस रही थी ।
अनुज - आह्ह दिदीईई ऊहह कितने दिन बाद आज्ज्ज उह्ह्ह मजा रहा है उम्म
निशा उसके लन्ड को मुह मे भर कर चुबलाती हुई उसके जांघो को सहला रही थी और अनुज उस्के सर को पकड़े हुए अपनी गाड़ उठा कर लन्ड को गले तक ले जा रहा था - अह्ह्ह दिदीईई उह्ह्ह अफ्फ्च और चुसो
वही निचे राज के कमरे मे राज और उसके पापा छत पर डोलते पंखे को निहार रहे थे
करने को कुछ बातें नही थी और राज का दिमाग शिला बुआ की कहानियों मे उल्झा हुआ था , आज के कोटे की दो बार की चुदाई वो कर चुका था , मगर बुआ की रसदार कहानियो के बारे मे सोच कर उसका लन्ड अक्ड़ा हुआ था ।जिसे वो बार बार भींच रहा था ।
रन्गी - क्या हुआ बेटा किसे याद करके मिज रहा है हां
राज मुस्कुरा कर - अरे पापा बस बुआ के बारे मे सोच रहा हु , कितना मजा आया आज आपके साथ हिहिही
रंगी - हा भाई मजा तो आया , लेकिन आज रात पता नही क्यूँ नीद नही आ रही है ।
राज - मम्मी को बुलाऊ क्या हिहिही
रन्गी आहे भरता - काशस्स ऐसा हो पाता , ये औरते ना जाने क्या रस बातें करने मे पाती है जो लन्ड का त्याग कर देती है
राज हसता हुआ - हिहिही पापा ये तो मम्मी से ही पुछना पड़ेगा
रंगी करवट लेकर - सो जा बेटा , कल सुबह पुछ लेना
राज हसता हुआ वापस से शिला के घर की महाभारत सोचने लगता है ।
तभी दरवाजे पर फुसफुसाहट भरी दसत्क होती है ।
रंगी - अरे इतनी रात को कौन होगा
राज ह्स कर - आपके सवाल का जवाब
रंगी - मतलब
राज - अरे मम्मी है , खोलो जल्दी
रंगी खुश हुआ और जल्दी से दरवाजा खोलता है ।
सामने देखता है कि रागिनी एक चुन्नी ओढ़े पूरी की पूरी नंगी खडी थी और उसकी मोटी मोटी चुचिया उस जालीदार दुपट्टे से साफ साफ झलक रहो थी, और निचे से उसकी चुत के फाके भी दिखाई दे रहे थे ।
दोनो बाप बेटे हैरत मे थे कि मम्मी इस हालत मे कैसे और क्यू ?
राज - मम्मी आप ऐसे यहा , बुआ और मौसी कहा है ?
रागिनी नाटक करती हुई - अरे आज तेरे बुआ को ना जाने क्या हो गया है हाय मेरी तो इज्जत लूट रही थी वो
रन्गी और राज चौक कर - क्या ?
रागिनी चेहरा बनाती हुई - हा राज के पापा आपकी बहन पगला गयि है मै तो किसी तरह अपनी इज्जत बचा के भागी लेकिन
राज - लेकिन क्या मम्मी
रागिनी - लेकिन वो , वो रज्जो दीदी के उपर
रंगी - क्या बक रही हो तुम , मुझे समझ नही आ रहा
रागिनी - आओ दिखाती हु आपको , आ राज तु भी
दोनो बाप बेटे हैरत मे रागिनी के पीछे उसके कमरे मे गये और सामने का नाजारा देख के दोनो बाप बेटे चौक गये ।
उन्हे समझ नही आ रहा था कि वो क्या रियेक्शन दे
हैरानी और अचरज से भरे चेहरे पर खुशी के भाव उभर रहे थे
सामने का नजारा ही कुछ ऐसा था
शिला बुआ और रज्जो मौसी दोनो नंगी थी
शिला रज्जो के उपर चढ़ी हुई उसकी मोटी मोटी थन जैसी चुचियों को मिजते हुए उसके होठ चुस रही थी और पीछे से दोनो का बड़ा बड़ा हाथीयो वाला पिछवाड़ा,भोसडीदार बुर के साथ खुला पड़ा ।
दोनो बाप बेटे चहक उठे और उछलते हुए बिना कोई देरी किये रंगी पीछे से तो राज आगे से टूट पड़ा
शिला रज्जो के होठ चुबला रही थी दोनो की कामुक सिसकिया और कुलर की हनहनाहट मे मानो उन्हे रागिनी की शरारत का पता ही नही चला कि कब वो अपने पति और बेटे को बुलाने पहुच गयी
इधर राज झटपट अपना चढ़ढा निकालकर उन दोनो के सर के पास पहुचा और होठों का रसपान कर रही मौसी बुआ के होठों के बीच मे अपना कड़क तना हुआ मुसल सुपाडा की टोपी सरकाता हुआ घुसा दिया
अगले ही समूच मे दोनो की होठ गर्म हो गये और नथुनो मे राज के लाल सुपाड़े की मादक गंध भर गयी ।
कुछ मिली सेकेंड भर की हैरत हुई होगी दोनो को और सब भूल कर वो राज के सुपाड़े को आधा बाट कर चुबलाने लगी ।
उनकी हैरानी तब बढ़ी जब पीछे से रंगी ने अपनी बहन की मोटी गाड़ के दरखतो को फैलाता हुआ जीभ की टिप सीधे ass होल पर लगा दी और वही दूसरे हाथ की दो उंगली रज्जो की चुत मे ।
मचल सी उठी दोनो इस दोहरे घात से और आंखे खोल कर रज्जो से सामने देखा तो राज आंखे बंद कर सिस्किया ले रहा था और सामने एक और मर्द था ।
रज्जो को समझते देर नही लगी कि ये बाप बेटे ही है और सारी शरारत रागिनी की है ।
उसका जोश आज चौगुना हो गया था उसने राज का लन्ड हाथ मे पकड़ लिया और उसको चूमने लगी,
शिला रज्जो के होठ और राज लन्ड, रंगी के उसके गाड़ पर टूटने से छोड़ चुकी थी, उसकी भड़ास पर रज्जो की चुचियों पर निकल रही थी
उसकी नजर अपनी भौजाई रागिनी को भी खोज रही थी
लेकिन वो तो अपने पति अपने साजन के टांगो के बीच घुसी हुई लन्ड को गले मे घोट रही थी ।
शिला - आह्ह्ह तु बाप बेटे ने उह्ह्ह बहुत कुछ छिपा रखा है मुझसे उम्म्ंम
राज हस कर रज्जो के होठों पर अपने लन्ड को दरता हुआ - अह्ह्ह बुआ कहा कुछ छिपा रखा है उम्म्ं सब तो खोल दिया लो,तुम भी लो ना
ये बोल कर राज ने अपना लन्ड हस्ते हुए रज्जो से शिला की ओर घुमा दिया और शिला ने लपक कर उसको मुह मे ले लिया
वही पीछे रन्गी की हालत भी कम बुरी नही थी , रागिनी उसके आड़ो को टटोल टटोल कर उसके लन्ड को चुस रही थी, उसके जिस्म को सहला रही थी और रन्गी अपनी बहन और साली के गाड़ और चुत के गंध से पागल हुआ जा रहा था
रज्जो के छेद से शिला की गहरी सुराख तक , चाट चाट कर उसकी जीभ चख्ट गयी थी , चार चार छेद सामने रहते हुए उसे अपने लन्ड की फड़कन अपनी बीवी के मुह मे शान्त करनी पड रही थी,
रन्गी से रहा नही गया तो उसने हरकत की , रागिनी समझ गयि और उसने लन्ड छोड़ दिया
अगले ही पल की देरी मे रंगी खड़ा हुआ और रज्जो की चुत मलता हुआ थोड़ा सा उसकी बुर मे सुपाड़े को घुसाया अगले ही पल उसको शिला की गाड़ के मुहाने पर दे दिया
दोनो बुरी तरह मचल उठी और सिसकिया उठने लगी
हचक के रन्गी ने पुरा का पुरा लन्ड शिला की गाड़ मे घुसेडा , चिकनी तो पहले से थी और लन्ड को चिकना रागिनी ने किया था , थोड़ी बहुत चिकनाई रज्जो की बजब्जाती बुर से लेके आधा लन्ड शिला की गाड़ मे भरा कसा अक्ड़ा हुआ पुरा
आंखे भींच कर दर्द भरी अकड़न से शिला ने आह्ह भरी - अह्ह्ह मयाअह्ह्ह
रज्जो ने भी देरी नही की और उसके रसिले गदराये जोबन को पकडा और इंच भर लंबे कड़े कड़े निप्प्ल अपने होठों से लगाते हुए , सिरिंज की तरह चुसने लगी
शिला के लिए तो दोनो तरफ मस्ती ही मस्ती थी
वही बेड के दूसरी ओर भी मस्ती कम नही थी , रागिनी की टाँगे फैली हुई थी और राज की थूथ उसके बुर मे
मांसल मोटी मोटी जांघो के बीच अपना मुह दिया हुआ राज अपनी मा के चुत के रस को चुस रहा था,
लपलपाती जीभ उसके चिकने बुर के फाको पर एक मिठास पैदा कर रही थी
रागिनी उसके बाल नोचते हुए उसके मुह को जोरो से अपनी चुत पर दिये हुए - अह्ह्ह लल्ला चाट उह्ह्ह आह्ह कितना दिन हो गया ऊहह उम्म्ं
शिला - अह्ह्ह भौजी तुम भी कम नही निकली उम्म्ं अकेले अकेले कुवारे बेटे की सील तोड़ दी
रागिनी सिस्क कर - अकेली कहा दीदी ,तुम तो थी ना उस रात , तुमने ही आदत दिलवाई और तुम्हारे भैया पक्के बहिनचोद ये कहा मानने वाले थे ।
" इनकी बहिन बीवी बाजार मे रान्ड बनके घूमे इन्हे तो मजा आता है ,अह्जह्ह्ब लल्ला उह्ह्ह फ़ाड दिया रेह्ह ऊहह " , रागिनी अपनी बात पूरी कर रही थी तब तक राज अपना लन्ड हचाक से आधे बुर के उतार दिया ।
रंगी पूरे जोश मे उसकी गाड़ मार रहा था और लन्ड को भितर तक ले जा रहा था
मगर शिला के सवाल कहा कम होने वाले थे अगला सवाल उसने रज्जो पर दागा - और तुम भौजी आह्ह बहिनचोद तुम भी कम नही निकली , भतिजे का लन्ड गटक गयी और बताया भी नही ।
रज्जो नीचे लेटी हुई उसके चुचे मसलती हुई - खड़ा लन्ड मेरी कमजोरि है शिला अह्ह्ह उम्म्ंम जमाई जी आराम से
रंगी ने छेद बदला और रज्जो की बुर मे लन्ड घुसेड़ दिया
हचक हचक के लन्ड देने लगा और शिला की गाड़ नोचता हुआ उसपे थपेड लगाई
शिला - अह्ह्ह भैयाह्ह्ह अराम्म्म्ं से उह्ह्ह्ह
" कसम से दीदी आज आपकी गाड़ बहुत सेक्सी लग रही है , जी कर रहा है खा जाउ" , रंगी उसके गाड़ को सहलाता हुआ मसलता है
अगले ही पल शिला अपने घुटने से एड़ियो के बल होकर अपनी गाड़ चुत सहित रंगी के आगे परोसती हुई - आह्ह भैयया लो ना , खाओ ना अपनी प्यारी बहना की गाड़ अह्ह्ह उम्म्ंम
नथुनो मे शिला के गाड़ की मादक गन्ध पाते ही उसने दोनो हाथो से उसे पकड कर अपना मुह उसमे दे दिया और रसाती चुत के सिरे चाटता हुआ जीभ से गाड़ को कुरेदने लगा ,
इस दौरान रज्जो निचे उसके करारे झटके खाती हुई शिला के लटके हुए मोटे मोटे खरबूजे हथेलियो मे भरने लगी
शिला और रज्जो दोनो सिस्क रहे थे आहे भर रहे थे और दोनो के बिच आई कॉन्टैक्ट भि बना हुआ था और देर ना करते हुए शिला ने अपनी गाड़ उकुडू होकर रज्जो के मुह पर रख दी
शिला की भोसडी दार चुत के फाके होठों मे भर का चुबलाती हुई कस कस के निचोड रही थी और शिला की चिखे तेज हो रही थी, वो झड़ रही थी इधर रन्गी और राज हचक ह्चक के लन्ड दोनो बहनो को बुर मे दिये जा रहे थे
रागिनी - आह्ह बेटा अह्ह्ह रुकना मत ऊहह आयेगा मेरा ऊहह उह ऐसे ही ऐसे उह्ह्ह
राज - हा मा लोह्ह उह्ह्ह फ्क्क्क आह्ह कितना मजा आ रहा है उह्ह्ह्ह येस्स्स
राज पेल मम्मी को रहा था उसकी नजरे रज्जो मौसी पर थी जो अपनी गाड़ उठा उठा कर झड़ रही थी ।
इधर राज और रन्गी की आंखे टकराई और दोनो मुस्कराए , राज की गुजारिश रन्गी समझ गया और रज्जो के आगे से हट गया ,
राज अपनी मा को छोड़ कर रज्जो के जांघो के बीच आ कर उसकी चुत चाटते हुए जान्घे उठा कर गाड़ के सुराख पर मुह दे दिया
उधर रन्गी ने शिला को खिंच कर उसकी गाड़ उठा कर उसके बुर मे उठ रही खुजलाहट पर अपना मुह लगा दिया
इधर रागिनी ने भी काफी सुस्त चुकी थी उसकी नजर भाईबहनो की जोड़ी पर गयी और वो बेड से उठ कर उधर बढ़ गयी
वही उपर के कमरे मे अनुज की आज कुछ अलग ट्राई करने का मौका मिला ,
निशा घोड़ी बनी हुई थी और तेल की शिशी अनुज के हाथ मे थी , वो निशा की गाड़ की सुराख को पीछे 4 मिंट से उन्ग्की घुसा घुसा कर नरम कर रहा था ,
निशा के गाड़ की गर्मी और कसावट से उसकी उत्तेजना तेज तो थी लेकिन एक अजीब सी गिनगिनाहट सी हो रही थी उसे , मानो गु ना लग जाए
वही निशा अपनी गाड़ उठाये इस धीमे गति वाली उंगली पेलाई से मस्त हो चुकी थी उसकी बुर लार टपका रही थी , उन्मुक्ता ने उसने अनुज को कहा - भाई डाल ना उह्ह्ह्ह प्लिज्ज्ज
अनुज के लिए हैरत की बात थी कि निशा की गाड़ वो खोल रहा था , ये दूसरी बार था कि उसने किसी की गाड़ के छेद पर सुपाड़े को टिकाया था ,
उसे यकीन था उसका ये प्रयास निशा के लिए दर्दकारी होने वाला था , उसने लन्ड को भिडाया और कसकर दबाते हुए पचक के आवाज के साथ सुपाडा निशा की गाड़ मे
निशा ने अपने जिस्म को ऐठा और गहरि गहरि सास लेती हुई गाड़ के सुराख को फैलाता , अनुज को ढील मह्सूस होते ही उसने कमर को झटका और आधा लन्ड उसकी गाड़ को चीरता भीतर घुस गया - अह्ह्ह उह्ह्ह बहिनचोद कितना टाइट है रे तेरा अह्ह्ह उह्ह्ब
अनुज फ़िकर से - निकाल लू दीदी
निशा ने ना मे गरदन झटका और गहरि सास लेती हुई - रुका क्यू है भोस्डी के पेल ना
निशा की डांट अनुज के लिए सबक सी थी और वो पूरे जोश मे उसके कुल्हे थामता हुआ करारे झटके से ह्चक हच्क के लन्ड को अन्दर बाहर करने लगा
जलद ही निशा की गाड़ गर्म हो गयी और उसका दर्द मजे मे बदलने लगा वो अपनी एक हाथ से अपनी बुर सहलाती हुई -आह्ह भाई ऐसे ही उह्ह्ह फक्क मीई और डाल आह्ह कितना कड़ा लन्ड है रे तेरा उह्ह्ह उम्म्ं मजा आ गया
निशा की तारिफ से अनुज का जोश बढ़ने लगा और वो कस कस के लन्ड उसकी गाड़ मे देने लगा - आह्ह दीदी मुझे भी बहुत मजा आ रहा है, राहुल भैया से खुलवाया है क्या आपने इसको
निशा को हसी आई और उसने हा मे सर हिला अब वो क्या बताती कि ये छेद उसने अपने बाप को सौपी थी
इधर इनका अपना चल रहा था
वही निचे रागिनी और रंगी दोनो मिल कर शिला को निचोड रहे थे
रन्गी शिला की गाड़ के छेद पर मुह दिये हुआ था तो रागिनी उसकी बुर के फाको को चुबला रही थी
इस दोहरे प्रहार से शिला बुरी तरह छ्टपटा रही थी - अह्ह्ह उह्ह्ह भैयाअह्ह्ह घुसा दो ना उम्म्ंम्ं अह्ह्ह डाल दो ऊहह
रागिनी उसकी बुर रगड़ती हुई - क्या चाहिये किसमे चाहिये साफ साफ बोलो दीदी
शिला - तेरे भतार का लन्ड चाहिये साली रन्डी
रागिनी खिलखिलाई और रन्गी को देख कर - तो मेरे रन्डीबाज साजन देदो जो माग रही थी तुम्हारि माल
रन्गी ने भी देरी नही कि और लन्ड को सेट कर गाड़ के सुराख को भेदता हुआ गचागच के अंदर
उधर हचर ह्चर उसकी पेलाई चालू थी इधर राज भी अपनी मौसी को घोड़ी बना कर कर लण्ड उसकी गाड़ मे दे चुका था
राज - आह्ह मौसी हर बार मजा आता है उह्ह्ह कितना गर्म और कसा है
रज्जो - आह्ह लल्ला तो ले ले ना मजे ऊहह देख ना कैसे तेरी छिनार बुआ हचक के ले रही थी तेरे पापा से
राज - आह्ह सच मे मौसी पहली ये मजा मिल रहा है , सबसे मिल कर चुदाई करने का उह्ह्ह
ये बोल कर राज ने हाथ बढा कर अपनी मा के गाड़ को सहलाने लगा जो आगे झुकी हुई शिला के बुर के फाके चुबला रही
रंगी हचक कर शिला की गाड़ मे लन्ड भर रहा था सामने शिला रागिनी के सर को पकड़े हुए ऐठ रही थी उस्का जिस्म अकड़ रहा था , उसके भैया भाभी ने मिलकर उसके दोनो छेद पर टूट पड़े थे , रन्गी के तेज करारे झटकों से शिला की मोटी मोटी चुचिया खुब हिल रही थी और हर बार जब सुपाडा उसकी गाड़ को चीरता हुआ भीतर घुसता उसके चेहरे भीच जाते
दर्द और सिसकी भरी गालियां देते हुए शिला झड रही थी और रागिनी उसकी बुर मल कर उसे सहला रही थी - आह्ह्ह भैयाआ जल रहा है उह्ह्ह कितना तप रहा है आपका लन्ड उह्ह्ह माह्ह्ह ऊहह
शिला की बात सूनते ही रागिनी ने मुह मे घुली हुई उसके चुत की रस मे अपनी लार मिलाते हुए रंगी के लन्ड के तने पर थुका और जल्द ही वो शिला की गाड़ मे लन्ड के साथ घुस गया
शिला को भीतर उठ रही तपिस मे एक गाड़ की दिवारों मे कही ठंडक सी मह्सूस हुई ये अहसास उसे और उत्तेजित कर गया
वही बगल मे हचर हचर अपनी मौसी को घोड़ी बना कर पेलता हुआ राज अपनी मा की हरकत देख कर पागल होने लगा ।
उसकी नजर बुआ की गाड़ मे निकल रही थी सफेद मलाई थी जो उसके बाप के लन्ड पर लिभ्डी हुई थी और उसकी बुर पहले से चिकनी थी ।
राज - पापा बदली करें
रंगी मुस्कुराया और लन्ड बाहर करता हुआ - आजा बेटा, मै भी जरा रज्जो जीजी के मुलायम गाड़ का रस लेलू
" तुम एक नम्बर के बहिनचोद हो अपनी रन्डीइह्ह्ह अह्ह्ह आराम से जमाई बाबू उह्ह्ह उह्ह्ह क्या हुआ आज उफ्फ्फ कितना फूला है ये जैसे लग रहा है मोटा बास ही डाल दिया उह्ह्ह " रज्जो अपनी गाड़ मे रंगी का लन्ड लेते हुए बोली
वही राज ने भी उसी पोजीशन मे सीधा शिला की गाड़ मे लन्ड उतार दिया - आह्ह बुआ ऊहह कितना कसा है आपका गाड़ उह्ह्ह कितना गर्म है हहह
रागिनी की खुमारि अब बढ़ने लगी थी उसे भी लन्ड की चाह उठने लगी वो राज के लन्ड के तने पर जीभ लगाते हुए अपनी बुर सहला रही थी और उसकी गाड़ अब रन्गी के आगे हिल रही थी
रंगी अपनी बीवी की मोटी गाड़ हिलाती हुई देख कर और उसे अपनी बुर टटोलता देख कर उसे छूने से खुद को रोक ना सका और उसकी बुर के सिरे छूते हुए रज्जो की गाड़ मारने लगा
राज अपनी मा की बेताबी देख कर अपना लन्ड बाहर निकाला जिसे रागिनी ने लपक कर अपने मुह मे भर लिया
ये नजारा देख कर राज और रन्गी दोनो की सासे गरमाने लगी, शिला के गाड़ के लन्ड निकाल के रागिनी उसे ऐसे चुस रही थी जैसे सारी मलाई टोपे मे भी लिभडी हो और राज का लन्ड और भी कसने
लगा
रागिनी ने अपने हाथ से लन्ड पक्ड कर शिला की गाड मे घुसाते हुए उसकी बुर सहलाने लगी - अब चोद बेटा, तेरी बुआ एक नमबर की रन्डी है क्यू दीदी
शिला राज के लन्ड की मोटाई मे इजाफे से और भी तडप उठी उसकी सिस्क्किया और तेज हो गयी- हाआ मेरी रन्डी, साली साड़ पैदा किया है तेरे भोस्डे मे तो 4 4 दूँगी
रागिनी जोश मे उठी और शिला के पेट पर पैर फेक कर बैठती हुऊ उस्की दोनो छातियां नोचती हुई उसके होठ से अपने होठ जोड़ लिये - अच्छा कहा से लाओगी चार चार लन्ड उम्म्ंम लग रहा है आज कल खुब ले रही हो उम्म्ं ससुराल मे , ये बोलते हुए रागिनी ने शिला को आंख मारी ।
शिला ने उसे आंख दिखाई और रंगी के पास होने का इशारा किया
रागिनी धीरे से उसको चूमते हुए उसके कान मे बोली - अरे अपने दोनो भैया को बता दो ना उस बारे मे ,फिर दोनो मायके मे दो दो लन्ड के मजे ले पाओगी और तुम्हारि वो बड़ी फाकों वाली मस्टराईन (कामिनी) उसको भी मिलेगा
राज और रंगी भी अब झडे तब झडे की हालत मे थे
पहले राज - अह्ह्हबुआआ ऊहह मम्मीई मेरा आयेगाआ
शिला ने लजाते हस्ते हुए उसे उठाया और रागिनी भी भाग कर राज के पास आ गयी
इधर रंगी अपना ओवर लोड लन्ड रज्जो की गाड मे भर चुका था तो रज्जो भी उठ कर राज के पास आ गयी
राज ने लन्ड के आगे तीनो जीभ निकाले हुए उसे टोपे से छूट रही पिचकारी का रस लेने लगी
और रन्गी वही बगल मे खड़ा होकर अपना लन्ड हिलाकर फिर से तैयार करने लगा ।
इधर जहा इनकी पिचकारी छूट रही वही उपर अनुज ने भी निशा की गाड़ पर अपना लन्ड झाड़ कर एक राउंड और उसकी चुदाई की ।
फिर दोनो सो गये मगर निचे का शो लम्बा चलने वाला था ।
रागिनी और रज्जो ने मिल कर ना सिर्फ शिला को दोहरे लन्ड मजा दिलाया बल्कि खुद भी इसका मजा लिया ।
और फिर सारे लोग एक साथ ही सो गये बहुत सारे सपने के साथ कि अगली सुबह उन्हे कैसे हकिकत किया जाये ।
THE NEXT MORING
अमन के घर
सुबह 7 बज रहे थे , हाल मे एक ट्रॉली बैग के साथ बैठा हुआ था और चाय की चुस्कियां चल रही थी और साथ देने के लिए मुरारी बैठा था ।
मदन बाथरूम गया हुआ था
रीना किचन मे थी ।
अमन सोनल अभी उपर ही थे वही ममता अपने कमरे से फ्रेश होकर मुह धूल कर अपने दुपट्टे से अपना चेहरा पोछती हुई हाल मे दाखिल होती हुई मुरारी के पीछे सोफे से लग कर खड़ी हो जाती है
ममता और भोला की नजरे आपस मे टकराती है , ममता भोला का उतरा हुआ चेहरा देख कर चुपके से एक हाथ से कान पकड़ कर सॉरी फुसफुसाती है ।
भोला के भी अपने नखरे थे अपनी नाराजगी थी और वो नाराज होता भी क्यूँ ना रात मे 2 घन्टे तक ममता के लिए बाल्किनी के चक्कर काटने के बाद उसे बीवी भी चोदने को नही मिली क्योकि वो तो सो चुकी थी । अब उसे सूखा सूखा ही जाना पड़ रहा था , मजबूर तो ममता भी थी , कारण था मुरारी ।
अपने बेटे से बातें कर और जवानी के दिन की रसदार बाते ताजा होने से उसका उतावलापन उसे रोक ना सका और उसने ममता को उपर जाने ही नही दिया ।
दो बार हचक कर पेलाई की और जब ममता उपर गयी तो भोला के कमरे का दरवाजा बन्द हो गया था ।
कुछ ही देर मे ही भोला अपने सफर के लिए निकल चुका था और रीना अमन के कमरे का दरवाजा खटखटा रही होती है ।
देर रात की जगाई और सुबह की अन्गडाई के साथ सोनल ने दरवाजे पर खटखट की आवाज सुनी और लपक कर अपने कपडे लेकर बाथरूम मे घुस गयी ।
इधर अमन अपने अंडरबियर मे उबासी लेता हुआ कमरे का दरवाजा खोला तो सामने रिना नहा धो कर तैयार खड़ी थी ।
रीना की नजर जैसे ही अमन के बॉक्सर पर गयि उसने हाथ आगे बढा कर आड़ो सहित उसके लन्ड को हाथ मे भरते हुए सीसकी और कमरे का जायजा लेते हुए बोली - अह्ह्ह बहिनचोद सुबह सुबह कितना कड़ा है तेरा ।
अमन कसमसाया और बाथरूम की ओर देखता हुआ फुसफुसाकर - अह्ह्ह भाभीई क्या करती हो , सोनल बाथरूम मे है
रीना ने एक नजर गैलरी मे देखा और फिर उसका हाथ पकड़ कर खिंचती हुई अपने कमरे की ओर ले जाने लगी
अमन को अजीब लगा और उसे डर भी लग रहा था वो भुनभुनाता हुआ - कहा ले जा रही हो भाभीई कोई देख लेगा ऐसे
रीना उसको चुप रहने का इशारा कर धीरे से अपने कमरे की खिडकी से भीतर झ्काया - उधर देखो तुम्हारा माल
अमन ने जैसे ही कमरे मे देखा उसका लन्ड और भी फड़क उठा ।
सामने कमरे मे रिन्की आईने के आगे खड़ी थी ,
उसके जिस्म पर एक कुर्ती थी और निचे से सिर्फ पैंटी । वो अपने बाल संवार रही थी ।
उसकी चिकनी टांग और पैंटी मे कसे हुए चुतड देख कर वो हिल गया ।
रीना ने हाथ आगे बढा कर उसका लन्ड दबोचा और उसके कान मे बोली - क्यू है ना एक दम कड़क, बोल लेगा इसकी एकदम सील पैक है
अमन का लन्ड अब रीना के हाथ मे फूलने लगा था उसकी सासे चढने लगी थी
उधर कमरे मे रिन्की अपनी चुतड पर लैगी चढा रही थी , पीछे से कुर्ती उठी हुई थी और नरम नरम चर्बीदार गाड़ खिल कर उसमे कस गयी थी ।
अमन थुक गटक कर उसकी नरम नरम फुल्के जैसी गोल गोल चुतड निहार रहा था जो चलने पर और भी गद्दर दिख रहे थे , उन्हे देख कर अमन का मन हो रहा था कि अभी नोच खाये ।
तभी रिन्की कमरे से बाहर होने को आई और दुलारी अमन स्टोर रूम मे सरक गये ।
वो कपडे लेकर जीने से उपर जाने लगी तो अमन वापस स्टोर रूम से निकला और रिन्की को जीने से उपर जाते देखा तो कुर्ती के निचे से हिल्कोरे खाती उसकी गाड़ साफ साफ झलक रही थी ।
जिन्हे देख कर अमन और बेचैन हो उठा ।
दुलारी - क्यू देवर जी , उड़ गये ना होश
अमन अपना मुसल मसल कर - आह्ह भाभी मै तो इसे अभी बच्ची समझ रहा था ये तो पूरा पका आम है
दुलारी उसके करीब आकर उसके नन्गे जिस्म को सहलाती हुई - अरे मेरे राजा , असल मलाईवाला खजाना देखोगे तो पागल हो जाओगे ।
अमन उससे अलग होकर - अभी नही भाभी प्लीज मुझे नहाने जाना है ,
दुलारी ने मुह बनाया क्योकि सुबह सुबह अमन का लन्ड छू कर उसका मूड हो गया था , वही अमन अपने कमरे मे जाता है और कमरे का दरवाजा बन्द कर बाथरूम मे घुस जाता है
जहा सोनल सॉवर के निचे खड़ी अपने जिस्म को भिगो रही थी
अमन अपना अंडरवियर निकाल कर अपना कड़ा कसा हुआ मुसल बाहर निकाला ,
लन्ड की कसावट और उसे खूँटे सा तना देख कर सोनल उसे पक्डते हुए अमन के होठ से अपने होठ जोड़ लेती है ।
मगर अमन का मूड कुछ और ही होता है उसकी नजर सोनल की मखमाली चर्बीदार गाड़ पर थी , वो उसे घुमाते हुए दिवाल से लगा देता है और थुक लेकर सुपाडे को चिकना कर उसकी चुत पर टिकाता है ।
गर्म सुपाड़े का स्पर्श पाकर सोनल अपनी जान्घे खोल कर गाड़ फैलाती है और अमन पोजिसन सेट कर लन्ड को कच्च से उसकी कसी हुई बुर मे घुसेड़ देता है
सोनल के लिए ये पहल अनुभव था खड़े खड़े लन्ड़ लेने का , अमन का लन्ड उसके बुर की चिपकी हुई दिवारो को छीलती हुई भीतर घुस रही थी - अह्ह्ह बेबी उह्ह्ह अराम्म से सोना उह्ह्ह मम्मीईआह्ह फ्क्क्क्क उह्ह्ह
अमन उसको पीछे से पक्ड कर उसके नंगी चुचियों को मसलने लगा और उसका लन्ड सोनल की बुर मे हचर हचर अन्दर बाहर हो रहा हौ
सोनल - आह्ह मेरे राजा क्या हुआ है आपको उह्ह्ह उम्म्ं फक्क मीईई अह्ह्ह
अमन उसको आगे झुका कर उसकी गाड़ पकड कर मसलता हुआ तेजी से पेलने लगता है , सोनल की चिखे बाथरूम गुजने लगती है और अगले ही पल वो अपना लन्ड निकालकर निचे बैठता हुआ सोनल के गाड़ के छेद पर अपना मुह दे देता है
उसकी उन्ग्लिया सोनल की बुर को टटोल रही थी और सोनल अमन की इस हरकत से पागल हो गयी , वो भलभल कर झडने लगी - आह्ह बेबी आ रहा है डोंट स्टॉप डोंट उह्ह्ह येस्स्स बेबी स्क स्क्क्क ऊहह ऊहह उम्म्ं येअह्ह्ह आई लव उह्ह्ह लव ऊहह माय सेक्सी अह्ह्ह आह्ह
सोनल तेजी से झडे जा रही थी और अमन उसकी गाड़ बुर चाट रहा था ।
सोनल के सुस्त होते ही वो भी खड़ा हुआ और शॉवर के निचे सोनल ने उसके होठ एक बार फिर से अपने गिरफत मे ले लिये ।
जारी रहेगी ।