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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

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DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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हो जाइए तैयार
आगामी अपडेट्स के लिए

राज - अनुज और रागिनी
Hard-core threesome
बहुत जल्द

Gsxfg-IAX0-AAa-Jnh
(सिर्फ पनौती न लगे बस 😁)
 
Last edited:

Napster

Well-Known Member
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UPDATE 196 E

अमन के घर

अमन आंखे फाडे गरदन उचका कर अपने देह को थोडा करवट करते हुए सामने मोबाइल मे निशा की मस्ती देख रहा
उसकी भूरे निप्प्ल वाली चुचिया जोर से हिल रही थी और निशा मोबाइल उपर कर बिस्तर पर लेटी हुई उस्का नजारा अपने जीजा को दिखा रही थी

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निशा की इस हरकत से अमन का लन्ड पूरा अकड़ गया जिसकी ठोकर सोनल ने अपनी जान्घ पर मह्सूस की और उसने अमन को घूर के देखा तो अमन पहले थोडा असहज हुआ मगर फिर मुस्कुराने लगा

सोनल ने इशारे से पूछा ये सब क्या है ?
अमन मुस्कुरा कर - ओह अब समझा क्यू कभी कभी chatting मे तुम एकदम से रोमांटिक हो जाया करती थी तो उस टाईम निशा फोन पर होती थी और उसने इत्नी बार से अपनी तस्वीर भेजी थी

सोनल खिलखिलाई - तुम्हारा तो कट गया
बेबी हिहिहिही

अमन मुस्कुरा कर उसकी रसिली झुलाती चुचिया दोनो हाथों मे भरता हुआ - अभी तो काटना है जान उम्म्ंम


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अगले ही पल अमन ने मुह खोलते हुए सोनल की गुलाबी निप्प्ल वाली गुदाज मुलायम चुचि मुह भर करके चुबलाताने लगा
सोनल सिसकी और अमन के सर को सहलाने लगी - आह्ह बेबी उह्ह्ह सीईई आराम से सोना उम्म्ंम्ं

अमन दोनो हाथो मे भरे हुए उसकी निप्प्ल चाटने लगा
वही मोबाइल पर अमन और सोनल की कामुक हरकतों से निशा अपनी एडिया घिसने लगी और अपनी चुचिया मलते हुए कुनमुनाने लगी ।

अमन सोनल की रस चुचिया मिजता मसलता रगड़ता चुसता - ऊहह बाबू क्या मस्त दूध है तुम्हारे उम्म्ं कितने मोटे है उह्ह्ह

सोनल अपनी जांघ उसकी तने हुए मुसल पर घिसती हुई उसके सर को सहला कर - आपको पसंद ना मेरी जान अह्ह्ह सीईई उह्ह्ह

" उम्म्ंम पाआ आह्ह , हा मेरी जान पहले वाले से ज्यादा सेक्सी है ये " , अमन ने मुस्करा कर आंख मारते हुए कहा

अमन की दोहरे अर्थ की बात सुन कर सोनल मुस्कुराई और सिसकती हुई गरदन फेर कर निशा की ओर देखा जो खुद भी परेशान थी अपने जिस्म की अकड़न से ।

सोनल उठी और अमन से दूर हटने लगी
अमन - क्या हुआ जानू कहा
सोनल मुस्कुरा बेड से उतर कर फर्श पर खडी हुई और अपनी कमर से लहगे का नाड़ा खोल कर उसे ढीला छोडा और अगले ही पल वो फर्श पर और अब सोनल फिर एक मरून रंग के पैंटी मे थी
जहा जान्घे के बीच पैंटी मे गिलापन साफ बता रहा था कि सोनल की बुर बुरी तरह से रस छोड रही थी ।

सोनल इठलाती हुई आगे बढने लगी , उसकी कामुक लचीली कमर और खुली हुई मोटी रसदार हिल्की चुचिया , लम्बी भरी हुई मोटी चर्बीदार चिकनी जान्घे और कामुकता के नशे मे सनी हुई उसकी मदहोश आंखे

अमन की हालत खराब होने लगी सोनल का ये रूप देख कर
वो बिस्तर से उतर कर सोनल के करिब आया और उसने सोनल की नंगी कमर मे हाथ डालते हुए उसके होठ से होठ जोड लिये और दोनो एक दुसरे से चिपक गये

सोनल की नरम मुलायम चुचियो का स्पर्श पाकर अमन के जिस्म गनगना गया
वो सोनल की कमर से अपने हाथ उसकी चरबीदार गाड़ पर घुमाता हुआ पैंटी के उपर से उन्हे अपने पंजे से दबोचने लगा

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गाड़ पर अमन के हाथों की हरकत से सोनल ने अपने चुतड कसते हुए एडिया उचका ली और जोश ने अमन के लिप्स चुसने लगी ।
अमन भी उसे अपनी ओर सटाता हुआ उसकी बुर पर पैंट के अंदर से ही लन्ड को चुबोने लगा

जिससे भीतर से कपकपा गयी
उसने हाथ बढा कर निचे से अमन का मुस्तैद लन्ड हाथों मे भर लिया जिस्से अमन ने एक गहरी सिसकी भरी

सोनल ने उसकी आँखो मे देखा और उसे बिस्तर पर बिठा दिया

फिर घुटने के बल होकर उसकी आंखो मे देखते हुए उसके पैंट खोलने लगी

दोनो मिया बीवी खुद ऐसे खोये हुए थे कि अमन की जवान साली वीडियो काल पर खुले आम अपने जिस्म से खेल रही थी उन्हे उसकी परवाह ही कहा थी

अमन निशा की ओर पीठ किये हुए था और उसे आगे का कुछ भी नजर नही आ रहा था

निशा - जीजू सुनो ना

दो से तीन आवाज पर अमन की खुमारी टूटी और उसने मुस्कुरा कर निशा की ओर देखा
निशा मदहोश आंखो से मुस्कुरा कर - कुछ दिख नही रहा है

अमन ने लपक कर हाथ बढा और जिस्म को पुरा स्ट्रेच कर उंगलियो मे मोबाइल को पकड कर अपने हाथ मे ले लिया और हस कर - क्या हुआ माय सेक्सी साली उम्म्ं

निशा थोडा शर्मा लजा रही थी, उसने अपनी चुचिया धक ली थी मगर उसके चेहरे चढ़ी सेक्स की खुमारी और मदहोशि साफ झलक रही थी

निशा - दीदी कहा है

अमन ने मुस्कुरा कर मोबाइल का कैमेरा घुमा दिया
सामने का नजरा बडा ही कामुक था

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सोनल अंडरवियर के उपर से ही अमन के सुपाड़े को चूमते हुए उसकी लास्टीक पकड कर निचे खिंच रही थी और देखते ही देखते उसने अमन का लन्ड बाहर निकाल दिया

और लास्टीक पकडे हुए लन्ड की निचे से अपनी जीभ फिराती हुई उसके सुपाड़े की टिप पर जीभ को फिराया , जिससे अमन का जिस सिहर गया

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वही मोबाइल मे निशा थुक गटकते हुए अमन का मोटा 9 इंच वाला बियर की कैन जैसा मोटा बडा मुसल देखने लगी , उसपे से सोनल की रेंग्ती जीभ उसकी बुर मे अलग ही कलबलाहट पैदा करने लगी थी
सोनल ने उसके तने हुए कडक मुसल को हाथ मे भरा और नजरे उपर कर अमन के चेहरे के भार पढती हुई उसके सुपाड़े को मुह मे लिये चुबलाने लगी

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अमन - ऊहह बेब आह्ह उह्ह्ह क्या मस्त चुसती हो उह्ह्ह एस्स अह्ह्ह मॉम उम्म्ंम फ्क्क्क येह्ह्ह ऊहह

अमन की छ्टपटा और सिस्कियो का असर सीधे निशा पर हो रहा था और वो भी अपनी बुर को लोवर के उपर से दबोचती हहुई एक मादक सिसकी लेती है जिसकी आवाज सुन कर सोनल नजर उसकी ओर कर देखते मुह मे लन्ड को चूसे जा रही थी


निशा सोनल की नजरे आपस मे टकराती और दोनो के बीच एक साझेदारि भरी मुस्कराट फैल जाती है और सोनल मानो उसे चिढाते हुए बड़ी अदा से उसकी ओर देखते हुए अमन के लन्ड को घोटती हुई उसके आड़ो को हथेली मे भरने लगती है

जिसे देख कर निशा बुरी तरह से मचल जाती है वही दोनो बहनों की हरकत से अमन के लन्ड के नसे और कसने फड़कने लगती है ।

तभी निशा की आवाज आती है - हा भाभीई आई

सोनल और अमन चौके
सोनल ने इशारे से पूछा क्या हुआ
निशा - वो भाभी जाग गयी है शायद मुझे खोज रही है, अभी आती हु बाय बाय हिहिही इन्जोय करो उम्म्म्माआह

वो फोन पर तीनो ( सोनल , अमन और उसका कडक तना हुआ मुसल) को चुम्मी देके फोन रख देती है और दोनो नवदंपति आपस मे देख कर मुस्कुराने लगते है ।
अपनी जगह से उठने लगी और अमन भी खड़ा होकर उसको अपनी ओर खिंच कर उसकी चर्बीदार गाड़ को हाथ मे भर कर मसलता फैलाता हुए उसके होठ चुसने लगा

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सोनल भी उसके होठ से होठ जोड कर उसका मोटा मुसल मसलती हुई उसको अपनी बुर के मुहाने पर लगा कर पैंटी के उपर से उसका मोटा लाल सुपाडा रगड़गे लगी

सोनल की पनीयानी चुत पर अमन का कसा हुआ गर्म मोटा लन्ड रगड़ कर उसे और भी रसदार बना रहा था
अमन उसकी गाड़ को दबा दबा कर मानो उस्के जिस्म से सोमरस को बुर से निचुडवा रहा था ।

अगले ही अमन ने उसको झटके से घुमाया और बिस्तर की ओर झुका दिया और खुद निचे बैठ कर उसकी चर्बीदार गाड़ को सुँघता हुआ उसे अपने मजबूत बड़े पन्जो मे भर कर मसलने लगा

सोनल कसमसाती , अपना जिस्म ऐठती सिस्कने लगी
तभी अमन ने उसके चर्बीदार चुतड के दरारो मे अपनी उंगलियाँ घुसाते हुए उसकी पैंटी को पकड कर उसके चुतड पर चढाता हुआ अपनी जीभ से उसकी गाड़ के छेद को कुरेदा

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जिससे सोनल मचल सी गयि - आह्ह्ह बेबी उह्ह्ह उम्म्ंम्ं अह्ह्ह सीईई उफ्फ्फ माय बेबी उह्ह्ह एस्स आह्ह मम्मीईई उम्म्ंम सीई एस्स सोना सक इट माय लव उह्ह्ह

अमन अपनी जीभ को नुकीला कर सोनल की गाड के सुराख को चाटने लगा
सोनल कसमसाती अपना शरीर ऐठती सिस्कने लगी
और अपनी गाड़ उठा कर अमन के मुह पर फेकते हुए दरने लगी

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सोनल की बेताबी देख कर अमन उसको आगे धकेल कर बिस्तर पर लिटा देता है और खुद भी बिस्तर पर आकर उसकी पैंटी कमर से खिंचने लगता है
सोनल मदहोश मदमस्त अपनी गाड़ उठा कर टाँगे उपर कर पैंटी निकलवाते हुए अपनी जान्घे खोल देती है और तभी अमन की नजर बजबजाई चिकनी गुलाबी फाको वाली सोनल की गीली बुर पर जाती है , जहा उस्के चुत के लकीर के उपर गुलाब की पंखुडियां वाली एक सुन्दर मेंहदी की डिज़ाइन रखी हुई थी

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सोनल के बुर पर की गयी कारीगरी से अमन को मेहंदी वाली वो रात याद आती है जब निशा ने उसे बताया था कि रीना आज सोनल के बुर पर मेहंदी रखने वाली है

उस पल के लिए थोडा ऊततेजित था मगर उसे यकीन नही हो पा रहा था कि उसकी सलहज सच मे ऐसी निकलेगी जो अपनी ननद के बुर पर कलाकारी करेगी ।
अमन अपनी टाँगे पसारी और कोहनी के बल होकर सोनल की मुलायम गदराई जांघो को हाथो मे भरता हुआ उसके रस भरे बुर के फाको मे अपनी जीभ फिराया और उस गुलाब के डिज़ाइन को होथो से चुसने लगा
वही सोनल अपनी जान्घे उसके सर पर कसती हुई अकड़ने लगी

अमन - उम्म्ं क्या सच मे भाभी जी ने इसे रखा था
सोनल मुस्कुराई और हा मे सर हिलाया
अमन उसके बुर के फाको को अपनी उंगलियों से स्पर्श करता हुआ - आह्ह जान तुम्हारी फैमिली तो कमाल की है
सोनल अमन के उंगलियों मे रगड़गाती बुर के दाने और फाके से कपकपाती हुई अपने कुल्हे उठाने लगी
और अमन ने एक बार फिर उसकी चुत पर होठ लगा कर उसे चुसने लगा

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उसके हाथ अब सोनल के चुचो तक आ चुके थे जिन्हे गारता मरोडता हुआ वो उसकी चुत के रस की आखिरी बूंद तक निचोड़ मे लगा हुआ था

सोनल आंखे बंद कर सिस्कती हुई अपनी कमर झटक रही थी -ऊहह बेबी एस्स एस्स उम्म्ंम अह्ह्ह फ्क्क्क और चुसो मेरे राज्जाह्ह उह्ह्ह्ह फ्क्क्क मीई उह्ह्ह उह्ह्ह खा जाओ अपनी बाबू की बुर उह्ह्ह हा बाबू

अमन सोनल की कसमसाहट और मुह से निकले उत्तेजक शब्दो और भी जोश मे आ गया
उसने तेजी से अपनी थूथ उसके बुर के दाने पर घिसने लगा जिससे सोनल जोर से चिल्लाने लगी और अपनी गाड़ तेजी से उठाने लगी -ओह्ह्ह बेबी ऐसे ही हा हा उह्ह्ह फ्क्क फ्क्क उफ्फ्फ रुकना मत उह्ह्ह

अमन ने अगले ही पल मुह उठा लिया

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सोनल परेशान होकर तेजी से अपनी बुर रगड़ती हुई - ओह्ह बेबी प्लीज करो न उह्ह्ह प्लीज

अमन मुस्कुरा कर अपने होठ हाथ से पोछता हुआ घुटने के बल उसकी जांघो के बीच घिसटता हुआ आया
उसके हाथ मे उस्का मुसल तना हुआ था
उसने अपना सुपाडा सोनल के बुर के फाको पर टिकाया और हल्का सा जोर दिया वो सरक कर आगे बढ़ गया , जिस्से सोनल की सिसकी निकल गयी

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अमन मुस्कुया और अपना लन्ड पकड कर उसके बुर के फाको दरने लगा , सोनल बुरी तरह मचलने लगी
- आह्ह बाबू डालो ना प्लीज
अमन मुस्कुरा कर -क्या ?
सोनल शर्माती हुई - लन्ड अपना प्लिज्ज ना उम्म्ं अह्ह्ह

अमन ने उसकी जांघ को फैलाते हुए एक टांग पकड कर अपनी जांघ पर टिकाया और लन्ड को बुर के फाको मे दबाते हुए कचकचा कर सुपाडा उसकी चुत मे पेल दिया

सोनल की आंखे बड़ी और सासे अटक गयी , उसने जोर से चुत को कसते हुए अपनी गाड़ को उचकाया और चिखने को होते हुए अपने मुह पर हाथ रख लिया- अह्ह्ह बाबू धीरे उह्ह्ह मोटा है हहह
अमन ने हौले से धक्के लगाते हुए लन्ड को उसकी रसदार बुर मे पेलने लगा - ओह्ह बेब ऊहह कितना जुसी है बुर तुम्हारा ऊहह कितना गर्म है उम्म्ंम्ं

सोनल - ऊहह येस्स्स बेबी फ्क्क फ्क्क मीईई उम्म्ंम ऐसे ही उह्ह्ह आराम से जानू उह्ह्ह फट जायेगी मेरी बुर उह्ह्ह सीई रोज रोज लेना है इसकी

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अमन हा मे सर हिलाता हुआ उसकी जांघ को कसकर पकडता हुआ - आह्ह हा जानू रोज रोज लूंगा आह्ह कित्ना मजा आ रहा है ऊहह बहुत रसभरी बुर है ऊहह देखो ने कैसे जा रहा है

सोनल गरदन उठा कर अमन का आधे से ज्यादा लन्ड उस्की बुर मे चीरता हुआ घुसता देख रही थी और उसकी बेताबी बढने लगी - ओह्ह बेबी मेरा सोना ऊहह फक्क मी हार्ड बेबी ऊहह एस्स एआ माय लव उम्म्ं
अमन ने भी अपनी कमर की ताकत दिखाते हुए उसकी जांघो को कसते हुए लन्ड को और गहराई मे उतारने लगा जिससे सोनल की बुर और खुलने लगी
अमन के तेज करारे हचको से सोनल की मोटी गुदाज गोल चुचिया खुब हिल रही थी और सोनल मजे मे अपनी चुत का छल्ला उस्के लन्ड पर कस्ती हुई उस्का लन्द भींच रही थी - उह्ह्ह मेरी जान फक्क मीईई ऊहह कितना बड़ा लन्ड है ओह्ह फक्क मीई आह्ह अह्ह्ह ऊहह रुको मत ना

अमन धक्के लगाते हुए अपना मोबाइल उठा कर मुस्कुरा दिया - निशा का कॉल है बेबी

अमन ने वीडियो काल पिक किया और मुस्कुरा कर सोनल की बुर मे झटके लगाते हुए - क्या हाल चाल माय सेक्सी साली उम्म्ं कहा चली गयी

निशा - सोचा आप लोगो को प्राइवेट टाईम देदू स्पेन्ड करने के लिए हिहिहिह वैसे आप अकेले दीदी कहा है

अमन बैक कैमरा का ऑप्शन सेलेक्ट करता हुआ मोबाईल पर सोनल को दिखाता हुआ - लो देखो यहा तुम्हारी दीदी

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सोनल हस्ती शर्मती हुई अपने हाथ उपर कर कैमरे के आगे कर अपना चेहरा धकते हुए - क्या !!! नहीई प्लिज्ज्ज अह्ह्ह म्मीईइह्ह हहह फ्क्क्क्क

अमन निशा को दिखाते हुए उसके सामने सोनल की बुर मे लन्ड हचक हचक कर पेलने लगा
मोबाईल पर अमन केमोटे लन्ड को सोनल की बुर मे घुसता देख उसकी बुर फिर से कुलबुलाने लगी और वो तेजी से लोवर सरका कर पैंटी मे हाथ घुसा कर अपनी बुर रगड़ने लगी

मोबाईल स्क्रीन पर अपनी साली की हरकत देख कर अमन और जोश मे आ गया और वो कस कस के ताबड़तोड़ तेज झटके सोनल की चुत मे लगाने लगा

सोनल - ऊहह बेबी येस्स्स उह्ह्ह फक्क फ्क्क ऐसे ही ऐसे ही ओह्ह्ह मम्मीईई उह्ह्ह सीई उह्ह्ह अह्ह्ह अहज चोदो चोदो अह्ह चोदो ऊहह फ्क्क फ्क्क आ रहा है आ रहा है
अगले ही पल सोनल की बुर तेजी से बहने लगी उसकी गाढी रबड़ी जैसी मलाई अमन के लन्ड मे लिभड़ कर बाहर आने लगी
अमन ने वैसे ही बिना रुके हुए फचर फचर सोनल की बुर पेलना जारी रखा

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सोनल की जोरदार चिख और अमन के मोटे बड़े लन्ड को उसकी झड़ती बुर मे अन्दर बाहर होता देख , निशा ने तेजी से अपनी बुर मे उग्लियां पेलते हुए - आह्ह जीजू पेल दो ना ऊहह मुझे भी चोदो ना उह्ह फ्क्क्क मीईई ऊहह

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अमन का ध्यान निशा पर गया जो तेजी से अपनी बुर मे उंगली पेल रही थी , उसकी झड़ती बुर मे उसकी उंगलियाँ सनी हुई थी मगर वो रुक नही रही थी

दोनो बहनों की तीव्र कामुकता और साथ झड़ता देख अमन ने भी अपना संतुलन खों दिया और सोनल की बुर से लन्ड निकाला

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जिसे सोनल ने लपक के हाथ बढा कर पकड कर उसकी चमडी आगे पीछे की और गाढी मोटी मलाई भरी पिचकारी अमन के सुपाड़े के फूट पडी ।

जो सोनल के चुचो और उसके पेट पर फैल गयी , वही दुसरी ओर निशा के हाथ से मोबाइल सरक कर गिर गया था और उसके तेज सासो की उफनाहट मोबाइल आ रही थी

अमन भी थक कर निचुड कर चुर होता हुआ सोनल के बाहो मे लेट गया ।
खैर ये रात धीरे धीरे और गहराने लगी साथ सोनल की बुर भी
अगले एक राउंड और ताबड़तोड़ अमन ने सोनल की चुत मारी और फिर दोनो सो गये ।
निशा भी अपना बिस्तर लेके अपने कमरे मे सोने चली गयी ।
उधर अनुज के कमरे मे भी चार जवाँ जोड़ों का खेल एक राउंड और चला फिर वो भी सो गये ।
वही शालिनी भी पति और भतिजे से चुदकर थक कर चुर होकर उसी के साथ सो गयी
रात की बेला चढ कर उतरने को हो रही थी
सुबह तड़के 3 बजे कुनमुनाहट लेता हुआ कमलनाथ की नीद तेज पेसाब के प्रेशर के साथ खुली

आड़ो को खुजाता हुआ हाल मे खड़े होकर अपने अपनी स्थिति को परखा और फिर सामने थाली मे ढक कर रखा हुआ खाना देख कर खुद को कोसा कि ये उसने उचित नही किया ।

उस्का गला भी खुस्क हो रहा था हाल की दिवाल घड़ी मे नजर फिराइ तो स्वा तीन का समय हो चुका था
उबासी लेता हुआ अपनी दाढ़ी जबड़े के पास खुजाता हुआ बाथरूम खोलने लगा , और गलियारे की ओर बढ़ने लगा ,
नीद अभी भी उसकी आंखो मे हावि थी और बहुत साफ कुछ नजर भी नही आ रहा था ।

पैर घसीटता हुआ उबासी लेता वो राहुल का कमरा लाँघ गया इस बात को बिना जांचे कि कमरे का दरवाजा बन्द नही बल्कि सिर्फ भिड़का हुआ था ।
जीने से आगे जाते ही उसे बाथरूम की खिड़की दिखी
तेज धार की मूत और फिर कुछ पानी के छीटें

अपनी ज्ञानइन्द्रियों मे थोडा रगड़ मिज और तनाव लाकर उसने अपना सुस्त पड़ा दिमाग सचेत किया ।

दो घूंट ठंडे पानी का वाले से उतरते ही दिमाग एकदम अलर्ट मोड मे आ गया
आंखे बडी कर उसने एक जोर की अंगदायी ली ।
सुबह की बाग पजामे मे तना हुआ उस्का लन्ड भी से देने लगा
लन्ड को भींच कर उसको पजामे सेट करता हुआ , वो वापस हाल की ओर बढा

एक हल्की उबासी और उसकी नजर राहुल के कमरे के भिड़के हुए दरवाजे पर गयी
रंगीन साडी फरश पर चमक रही थी जिससे कमलनाथ की उस्तुकता बढी और उसने इधर उधर देख कर धीरे से कमरे के दरवाजे को बल दिया

ओईईई की आवाज करता हुआ दरवाजा खुला और सामने का नजारा देख कर कमलनाथ का दिल बाग बाग हो गया

सामने शालिनी सिर्फ पेतिकोट मे पेट के बल लेती हुई थी और बगल मे अनुज लोवर मे करवट लेके लेटा हुआ था ।

कमलनाथ के मुह मे पानी आने लगा और वो लपक कर कमरे मे दाखिल हुआ
बिल्लियो के जैसे बिना आहट किये दबे पाव वो शालिनी के करीब गया
नंगी चिकनी पीठ और उठी हुई चर्बीदार कुल्हे उसपे से फैली हुई मोटी गाड़
मुह की लार गटकता हुआ कमलनाथ ने आगे बढ़ा और शालिनी का पेतिकोट जो उस्के जांघो तक चढा हुआ था , उसने उसे उठा कर उपर किया

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गोरी साफ गोल गोल चर्बीदार चुतदो के फाके देख कर कमलनाथ अपना मुसल मसलने लगा
वही शालिनी गहरी नीद मे सो रही थी ।

उसके नथुनो से उठ रही हल्के और गहरे सासो की आवाज से उसकी थकान और चीर निद्रा का अनुमान लगाया जा सकता था ।

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इसी से कमलनाथ की हिम्म्त भी बढ रही थी , उसके हाथो ने शालिनी को गोरी चिकनी चुतड़ को सहलाते हुए उसके गाड़ के सकरी दरारो मे उगली करने लगे
और उसके बुर की सूखी फाको को फैलाते हुए उसकी गुलाबी सुराख निहारने लगा

तभी शालिनी के जिस्म मे थोड़ी हलचल हुई और कमलनाथ झट से कमरे से बाहर निकल गया
वो थोड़ा अपनी दिलेरी पर हसा और फिर पानी पीकर वही हाल मे ही सो गया ।

जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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UPDATED 197

सुबह साढ़े पांच शालिनी ने अंगड़ाई ली और पेट के बल लेटे हुए गरदन फेर कर देखा तो अनुज गहरी नीद मे बेफिर एक ओर पहले के जैसे करवट लेके ही लिये ही सोया - हिहि इसको सिर्फ ऐसे ही सोने आता है क्या , पागल कही का

तभी उसकी नजर कमरे के दरवाजे पर गयी जो लगभग आधे से ज्यादा खुली हुई थी , शालिनी ने झट से अपना ब्लाउज खोजने लगी और उस्का ध्यान अपनी गाड़ पर चढ़े हुए पेटिकोट पर गया - हाय दईयाआ ये कैसे हुआ ?? कही अनुज तो नही , नही नही ये तो सोया है । या फिर निशा के पापा ? नही वो आते तो दरवाजे को ऐसे नही ना छोड़ते ये जानते हुए कि घर मे एक और मर्द है ।

शालिनी आखे बड़ी कर बड़बड़ाई " तो क्या अनुज के मौसा ? "
तभी शालिनी को एक धुंधली छवि याद आई कि रात के एक पहर कमरे मे कुछ आहट जरुर हुई थी और उससे अपनी जांघ खुजाई थी ।
शालिनी झट से उठी और कमरे के बाहर हाल मे झाक कर देखा तो कमलनाथ सोफे पर बैठे बैठे हुए सोता दिखा

अब शालिनी को यकीन हो गया था कि उसकी लापरवाही से कितनी बड़ी गलती हो गयी ।
उसने झट पट से अपनी साडी लपेटी और बाथरूम चली गयी ।


रंगी - बनवारी

सुबह तड़के ही बाथरूम मे फ्लश की आवाज सुन कर रंगी को आंख खुल गयी और थोडी ही देर बाद उसने देखा कि बनवारी बाहर आ रहा है ।

दोनो की नजरे टकराई और रंगी उठ कर मुस्कुराते हुए बैठ गया ।
रन्गी - आईये बाऊजी बैठीये

पेट खाली होने के बाद बनवारि को राहत हो रही थी वही रंगी तकिये के पास कुछ ढूढ रहा था ।

बनवारी- क्या हुआ जमाई बाबू
रन्गी थोड़ा असहज थोडा हसता हुआ - जी बाऊजी वो मेरी चुनौटी नही मिल रही है , वो सुबह सुबह प्रेशर नही आता जब तक ....हिहिहिहो


बनवारी हस कर उठा - अच्छा रुको मै देता हू , हाहाहा

रन्गी के लिये बहुत ही अटपटा लग रहा था कि उसका ससुर उसे अपनी तम्बाकू की डिबिया थमा रहा था - अरे लो दामाद बाबू , मेरा भी यही हाल है बिना चबाये सुबह की पेसाब ना उतरे , अम्ल ऐसी चीज है

रन्गी उसकी हा मे हा मिलाता हुआ - आपके लिए भी बना दू बाऊजी

बनवारी थोडा सोचा और फिर - अह बना ही दो , अभी कौन सा बाहर जाना है

रन्गी अपनी हथेली मे तम्बाकू रगड़ता हुआ - क्यू बाऊजी बाहर जाने मे क्या दिक्कत है

बनवारि हस कर - कुछ नही छोड़ो
रंगी अपनी हथेली आगे बढा कर तम्बाकू अपने ससुर को देता हुआ - अरे बताईये ना

बनवारी- दरअसल ये वाला तम्बाकू बहुत तगड़ा है , तो हिसाब से लेना पडता है मुझे

रंगी - क्यू सर पकडता है क्या ये ?
बनवारी अपने निचले होठ मे तम्बाकू रखता हुआ - सर नही कुछ और ही जोर पकड लेता है

रन्गी असमंजस मे - मतल्व
बनवारी हस कर- अरे वो निचे असर होने लगता है

रंगी हस पड़ा और तम्बाकू का बिरा अपने मुह मे रखता हुआ - क्या बाऊजी आप भी हिहिही

बनवारी- अभी खुद ही पता चल जायेगा तुमको
रंगी मजाक मजाक मे - तो कही परसो इसी तम्बाकू का कमाल तो नही था ना जो रन्जू भाभी के साथ हहाहहा

बनवारी का चेहरा शान्त हो गया और अपने ससुर को भाव विहीन देख कर रंगी को लगा उसने कुछ ज्यादा ही बोल दिया - सॉरी बाऊजी ,

अगले ही पल बनवारी हस पड़ा- अरे तुम सही कह रहे हो जमाई बाबू , कुछ तो इसका ही असर था और बाकी

रन्गी मुस्कुरा कर - बाकी क्या ?

बनवारी- बाकी जमुना बहू की दीन-दया हाहाहहा

रन्गी हसत हुआ - आप भी ना बाऊजी सच मे कमाल के हो
बनवारी हस कर - अरे कमाल तो ये है कि मेरे जमाई बाबू बड़े खुले दिल वाले मिले है , नही तो उस दिन की बात पर ना जाने क्या क्या हो जाता ।

रंगी - अह छोडिए ना बाउजि , आप दोनो ने एक दुसरे की जरुरत को समझा बस यही काफी है

बनवारी का दिमाग ठनका - मतलब
रन्गी - अह छोडिए ना बाऊजी जो हो गया उसकी क्या चर्चा

बनवारी- तुम जरुर कुछ छिपा रहे हो जमाई बाबू
रन्गी - अब आपसे क्या छिपाना बाऊजी , रंजू भौजी की हालत आपके जैसी ही है

बनवारी - मतलब
रन्गी - मतलब जमुना भैया अब रस नही लेते भौजी मे
बनवारी- लेकिन तुम्हे कैसे पता ?
रन्गी - ये सब बाते छिपे छिपाई थोड़ी ना रह पाती है बाऊजी ,

बनवारी- हा वो भी है
रंगी - वैसे एक बात सच कही बाऊजी ने आपने
बनवारी- क्या ?
" तम्बाकू आपका सच मे जोर पकडता है " , रन्गी ने जान्घिये मे बने हुए तम्बू की ओर इशारा करते हुए कहा ।

बनवारी खिलखिला कर हस पड़ा ।
बनवारी- जाकर पेसाब कर लो , आराम हो जायेगा
रंगी - अच्छा तो उपचार भी मालूम है आपको हाहहहा

बनवारी- भई 40साल का अनुभव है हाहाहाहा

रन्गी - हा लेकिन बाऊजी हर बार तो पेसाब से असर तो नही जाता होगा ना

बनवारी - हा ये बात भी सही है
रन्गी - तो उसके लिए कोई जुगाड तो होगा ही ना क्यूँ
बनवारी हस कर - सब भेद अभी जान लोगे , आओ कभी ससुराल अपने भेद और छेद दोनो बताएंगे

रन्गीलाल खिलखिलाहर हस पड़ा - तो क्या आज सच मे ही वापस जाना है बाऊजी

बनवारी- तुमसे बात करके इच्छा तो नही हो रही है , लेकिन बच्चो का स्कूल और गल्ले का काम अकेले तुम्हारे साले से होगा नही तो जाना पडेगा ही

रन्गी - अच्छा ठिक है बाऊजी जैसी आपकी मर्जी , मै जरा जा रहा हु सच मे प्रेशर तेज कर दिया इसने तो हाहा

बनवारी हस कर - हा हा जाओ जाओ

अमन के घर

"धत्त क्या कर रहो बन्द करों ना उसे "
" वॉव सो सेक्सी बेबी आह्ह क्या जबरजस्ट गाड़ है तुम्हारी "

" अच्छा ऐसा क्या , तो अच्छे से देखो ना मेरी जान " सोनल ने ब्लाउज पहने हुए सिर्फ़ पैंटी मे अपनी बड़ी मोटी गाड अमन की ओर घुमा कर उसको दिखाते हुए बोली ।


अमन उसकी रसिली चिकनी गाड़ के तस्वीरे निकालता हुआ अपना उफनाया मुसल अंडरवियर के उपर से मसल रहा था ।

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वो लपक कर आगे बढ़ कर उसकी नंगी चुतड को हाथ मे दबोचता हुआ गाड की दरारो मे उंगली पेल कर उसके भिगे बालों के पास चुम्बन करता हुआ - उफ्फ़ बेबी तुमने तो मूड बना दिया उह्ह्ह

सोनल को हसी आई और वो कसमसा कर अमन से दूर होती हुई - क्या न्हीईई , जाओ पहले नहाओ अभी नीचे पूजा करने जाना

सोनल के मना करने के अमन का मूड थोड़ा खीझा और वो भिनककर वापस से सोनल के हाथ पकड कर उससे मनाता हुआ - यार बेबी , वो भी कर लेन्गे ना अभी इस्का कुछ करो ना

सोनल भले ही अमन को तरसा रही थी मगर उसकी सासे भी अमन के अंडरवियर मे फड़कते लन्ड को देख कर मचल रही थी ।

मगर इस्से पहले कि वो कुछ कहती , दरवाजे दस्तक हुई

सोनल हड़बड़ा कर - भागो भागो मुझे कपड़ा पहनने दो , कोई आया है

अमन भी लाज के मारे तेजी से बाथरूम के घुस गया और सोनल जल्दी जल्दी पेतिकोट डाल कर साडी लपेटने लगी

इधर हर बीतते पल के साथ दरवाजे को पीटा जा रहा था और खुसफुसाहट भरी हसी की किलकारीयां भी उठ रही थी ।

सोनल को समझते देर नही लगी जरुर उसकी जेठानी दुलारि और चुलबुली ननद रिन्की ही होंगे ।
सोनल ने दो मिंट मे आने का बोल कर साडी लपेटी और दरवाजा खोला ।

दरवाजा खुलते हुए रिन्की झट से कमरे मे दाखिल हुई और पीछे पीछे दुलारी

दुलारी- बड़ा समय ले लिया देवरानी जी दरवाजा खोलने मे ,,कुछ कर रही थी क्या ?

सोनल साडी का पल्लू अपने सर पर चढाती हुई मुस्कुराती शर्माती हुई - जी वो कपडे पहन रही थी ।

मौके का फाय्दा लेके दुलारि ने मजा लिया - हाय दईया कहा है देवर जी , ना पूजा ना पाठ , मुह मे बिचारि के निवाला नही गया और सुबह सुबह कपड़ा उतार दिया मेरी देवरानी का , कहा है नवाब साहब

दुलारि की मस्ती पर सोनल मुह फेर कर हसने लगी - क्या भाभी आप भी , वो मै नहा कर आई थी तो ?,,

रिन्की वही बगल मे खड़ी खिखीया रही थी ।

दुलारी- हा लेकिन ये बिना बुद्धि का बैल है कहा, सूरज सर पर चढ आया है , नीचे सब लोग इंतजार कर रहे है

सोनल - जी वो बस नहाने गये है

दुलारी- अच्छे से तैयार होकर सब रत्न जेवर पहन कर और सौदा सजा कर उतरना , मुहल्ले के जौहरियों की बिवियां आ रही है , कुछ कमी नही मिले मेरी देवरानी मे

सोनल मुस्कुराई और हा मे सर हिला कर दरवाजा बन्द कर दिया

राज के घर

सुबह की अंगड़ाई , अलार्म और घर मे चल रही चहल पहल से राज की नीद खुल गयी ।

पैरों को तान कर अंडरवियर मे बने त्म्बू को भींचता हुआ वो खडा हुआ , एक बड़ी उबासी और नजर मोबाईल की जल रही स्क्रीन पर गयी ।
नोटीफीकेशन मे व्हाट्सअप मैसेज के अलर्ट आये हुए थे ।
लपक कर मोबाईल उठा कर लॉक खोलता हुआ बाथरूम मे घुस गया ।

देसी टोइलेट सीट पर चुतड टिका कर बैठा था और तेज पडपड़ाहट के साथ पेट खाली हो रहा था कि उसकी आंखे मोबाइल स्क्रीन को देख कर चमक उठी ।

20240416-160205 एक एक करके धडाधड़ तीन स्नैपस लोड होने लगे और जैसे ही डाउनलोडिंग पूरी हुई चटक लाल साडी मे कातिल अदाये दिखाती
राज की दीदी सोनल की उसकी सुहागरात के बाद की पहली तस्वीर थी

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सेक्सी कामुक अदाये और उसपे से उसकी चर्बीदार गाड़ के उभार देखते हुए उसके झूलते लन्ड
आड़ो सहित तन गये ।
सोनल ने सिर्फ़ ब्लाउज और पैंटी मे अपनी गाड़ दिखाते हुए बहुत ही सेक्सी तस्वीरें निकाली थी ।

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तस्वीरें देख साफ लग रहा था कि सोनल ने किसी कह निकलवाई है "और होगा भी कौन साले जिजा के अलावा , साफ दिख रहा था बहिनचोद ने मेरी बहन चोद दी है रात मे " , राज अपना तने हुआ मुसल को सहलात हुआ बुदबदाया ।

उनकी चुदाई का सोच कर राज लन्ड फड़फडा रहा था और टट्टी गाड़ मे ही अटक गयी

तभी कमरे मे उसके नानू के आने की आवाज आई, वो बाथरूम का दरवाजा पीट रहे थे तो राज भी जल्दी से गाड़ धूल कर बाहर आ गया ।
पता चला कि नानू की फैमिली तैयार होकर हाल मे बैठी है , समय देखा तो 8 बजने को हो रहे थे ।

किचन मे रीना और निशा भिड़ें हुए थे । मम्मी मौसी को लेके मामी की विदाई के लिए कुछ समान जोड रही थी , पापा भी मुह मे ब्रश डाले हाल मे बैठे हुए कुछ हिसाब किताब मे लगे थे ।

इनसब से अलग अनुज , चाची चाचा और मौसा की कही खबर नही थी

खबर तो दो और लोगो की नही थी , अरुण और राहुल ।
छत पर बाथरूम के पास दातून घुमाते हुए राहुल अरुण के मोबाइल मे वो तस्वीरें देख रहा था जो बीती रात उन्होने चुदाई के बाद निकाली थी ।

अरुण - अरे भाई इसका देख साली ने कैसी टाँगे खोल कर वीडियो बनाई है , बोली है जानू जब भी मेरी याद आये इसे देख कर हिला लेना

राहुल हस कर अरुण के मोबाइल मे गीता की एक सेल्फी मोड पर बनाई हुई नंगे जिस्म की वीडियो देख कर - यार साली है जबरजस्त बहिनचोद चोदने नही दिया इसकी बहन ने

अरुण हस कर - हा तो मुझे ही कहा मिली तेरी वाली हिहिहिही ,
राहुल - मुझे यकीन नही हो रहा है कि इतना ओपन और horny के बाद यहा तक कि दोनो lesbo भी है मगर लन्ड के इत्नी पोजेसिव हाहहहा मतलब साला swap करने नही दिया

अरुण - वही ना भाई , मगर अब क्या ही कर सकते है , ना जाने कब आना हो और कब मौका मिले
राहुल - अरे यार छुट्टियो मे जाउन्गा ना मै अनुज के साथ हिहिही

अरुण - हा लेकिन मेरा
राहुल - अरे तब की तब देखन्गे , फिलहाल अब आगे का सोचते है हिहिही और कितने दिन रुकने वाला है तु

अरुण - यार पता नही कुछ , बड़ी मम्मी जबतक रुके मुझे भी रुकना ही पड़ेगा

राहुल - चल कोई बात नही मेरे साथ मेरे घर मस्ती करना और क्या

अरुण - हा यार यहा उतना मन नही लग रहा है अब , ये घर मे रुका तो गीता की याद आयेगी ही

राहुल हस कर - साले , प्यार तो नही हो गया ,ना तुझे
अरुण खिलखिलाकर - हा मेरे लन्ड को हो गया है हिहिहीही


राहुल के घर

घर के काम निपटा कर झाडू कटका करती हुई हाल मे आ पहुची

इधर कमलनाथ कही दिख नही रहा था तो उसने बालटी लेके हाल मे पोछा लगाना शुरु कर दिया


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उसी समय कमलनाथ दुकान वाले गलियारे से हाल मे दाखिल हुआ हाथ मे खैनी रगड़ते हुए और उसकी नजर सामने शालिनी पर गयी , जिसके सीने से पल्लू उतरा हुआ था और उसकी लो कट ब्लाउज स आधे से ज्यादा चुचिया बाहर झूलती हुई हिल रही थी

कमलनाथ खैनी का फाका मारते हुए तौलिये के उपर से अपना मुसल रगड़ा और हाल मे दाखिल हुआ

शालिनी की नजर जैसे ही कमलनाथ पर गयी उसकी नजर तौलिये मे बने तम्बू पा गयी और तभी उसको अपनी खुली छातियों का ख्याल आया ,झट से उसने अपना पल्लू सही करते हुए असहज भरी मुस्कान से कमलनाथ को देखा ।

कमलनाथ ने भी अपनी ओछे उन्माद मे मुस्कुरा कर आगे बढ गया ।

बाथरूम की ओर जाते देख शालिनी ने एक बार हिम्मत करके गैलरी मे देखा तो पाया कि कमलनाथ तौलिये के आगे हाथ लगा कर खुजा रहा है ।

शालिनी के लिए ये चिंता का विषय हो गया ।
जंगी दुकान खोलकर साफ सफाई मे लगा हुआ था और अनुज अभी तक सोया हुआ था ।

शालिनी ने थोडे ही देर मे पोछा कम्प्लीट किया और अनुज को जगाने के लिए चली गयि ।

शालिनी - उठ बेटा सुबह हो गयी है , चल फ्रेश हो जा

अनुज उसकी कलाई पकड कर - उम्म्ं चाची आओ ना , थोड़ी देर मेरे पास सोवो ना

शालिनी हस के - धत्त बदमाश वो सब बाद मे , पहले तु उठ

अनुज ने अंगदायी ली और उसका लन्ड पाजामे मे तना हुआ था

जिसपे शालिनी ने मस्ती मे उसका टीशर्त फेक कर ढकते हुए - उठ जा और उसको भी जगा दे हिहिही

अनुज - नही उसको आप ही जगाओ

शालिनी- धत्त बदमाश उठ और जाकर उपर वाले बाथरूम मे फ्रेश हो ले , निचे तेरे मौसा नहाने गये है ।

अनुज उठा और उपर निकल गया

कुछ देर बाद

"अरे जन्गीईई भाईई "
" अनुज , भाभी जीईई "

"कोई सुन रहा है क्या "
शालिनी को किचन मे कमलनाथ की आवाज आई

शालिनी भागके जीने के पास गयी , जहा कमलनाथ बाथरूम के बाहर सिर्फ एक तौलिये मे नहा खड़ा था ,

कमलनाथ - अह भाभी भाईसाहब की कोई बनियान या फिर शर्ट मिलेगी वो मैने मेरे कपडे धूल दिये तो !!

शालिनी ने एक नजर कमलनाथ के तंदुरुस्त बदन और बाहर निकले पेट को देखा और फिर जंगी के बदन का सोच कर बोली - हा लेकिन उनके कपडे आपको कैसे होगे

कमलनाथ - अरे कोई ढीला शर्ट भी हो तो चलेगा
शालिनी - ठिक है देखती हु

शालिनी कमरे मे गयी और वापस खाली हाथ आई - सॉरी नही है ऐसा कुछ,

कमलनाथ - तो मै ऐसे कैसे रहू
शालिनी - अच्छा आप मेरे कमरे मे बैठिये मै आपके कपड़े ड्रायर मे डाल देती हु फिर हल्का सा धूप लग जायेगा तो सुख जायेगा

कमलनाथ को विचार सही लगा और वो शालिनी के कमरे मे चला गया ।

थोड़ी देर बाद शालिनी उसके लिए नासता लेके आई और फिर चली गयी ।
कमलनाथ वैसे ही तौलिये मे बैठा हुआ नास्ता कर रहा था ।

वही जैसे ही अनुज नहा कर आया तो शालिनी ने उसको भी नास्ता दिया करने को और वो राहुल के कपडे पहन कर नास्ता करने लगा
अनुज का नास्ता करने के दौरान शालिनी ने कमलनाथ के कपड़े सूखने के लिये छत पर डाल दिये

वही जब अनुज नास्ता कर लिया तो शालिनी ने उसे दुकान पर जाकर चाचा को भितर आने को बोल दिया

जन्गी हाल मे आया और कमलनाथ को ना पाकर शालिनी से पुछने किचन मे चला गया

किचन मे उसको पीछे से उस्की गाड़ को स्पर्श किया ही था कि शालिनी एक दम से चौक गयी


जंगी हस कर - अरे जानू मै हु
शालिनी - क्या आप भी कितनी चोरी चोरी आते हो
जन्गी उसको पीछे से पकड कर अपना मुसल उसके गाड़ मे चुबोता हुआ - अरे मेरी जान चोरी चोरी करने मे ही मजा है हिहिही

शालिनी - अच्छा जी तभी भतिजे के पीठ पीछे आप रात मे हिहिहही

जन्गी उसकी गुदाज चुचीया हाथो मे भरता हुआ - सीईई आह्ह मेरी जान मै तो चाहू दिन मे भी पेल दू तुम्हे

"बस ये कमल भाई कहा है ये पता चल जाये " जन्गी किचन से बाहर ताक झाक करते हुए फुसफुसाया ।
शालिनी हस कर - वो हमारे कमरे मे है
जन्गी - क्यू ?
शालिनी - अरे वो क्या हुआ !!!
फिर शालिनी ने सारी व्यथा बताई

जंगी उसकी रस भरी चुचिया मसल्ता हुआ - आह्ह जान तब तो सुबह का नासता मुझे यही देदो
शालिनी - मतलब

जंगी ने झुक कर उसकी साडी पेतिकोट सहित उठाई और अपना मुह सिधा उसकी बुर मे दे दिया

शालिनी खिलखिलाई , कसमसाइ और फिर सिस्कने लगी

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सुबह जंगी की रुखी जीभ उसके सूखे फाको पर रेन्गने लगी और उसके पाव कापने लगे , वो उसके सर को थाम कर अपने शरीर का बैलेंस बनाती हुई थोडा झुकी हुई थी

उसकी मादक सिस्किया उठने लगी थी , चेहरा पूरा भिन्चा हुआ था और आंखे बन्द थी

जैसे ही उसकी आन्खे खुली किचन के बाहर गैलरी मे कमलनाथ तौलिये खड़ा था , उसके हाथ मे नास्ते की थाली ग्लास थे

उस्का मुह खुला हुआ था और लन्ड तौलिये मे उफनाया हुआ था ।

शालिनी की नजर जैसे कमलनाथ से टकराई वो सकपका गयि , इससे पहले कि वो जन्गी को दूर हटाती कमलनाथ ने अपने मुह पर हाथ रख कर उसे चुप रहने का इशारा किया

और खुद कमरे जा रहा है ऐसे ही इशारे मे बोला
फिर वो कमरे मे लौट गया ,
शालिनी की सारी कामोत्तेजना फीकी शरबत की तरह बह गयी
जन्गी को मजा तो आया मगर शालिनी के लिए बहुत ही असमंज्स की स्थिति आ खडी हुई ।

जंगी ने नासता किया और फिर दुकान मे चला गया ।
वही चाचा के आने पर अनुज भी घर के लिए निकल गया क्योकि उसे पता था कि उसके नानू और बहने सुबह ही निकलने वाले है ।

अमन के घर

" ह्म्म्ं देखू तो मेरी देवरानी को , ओहो देखो कैसे अन्ग अन्ग खिला हुआ है " , दुलारी ने सोनल की चिकनी कमर को चिमटी काटते हुए खिलखिलाई ।

सोनल - आह्ह भाभीई धत्त , सीईई बाबा दर्द हो रहा है और सोनल साडी अपनी कमर से हटा कर उसको देखते हुए लाल हुए जगह को सहलाने लगी ।

दुलारी- हाय दैया यहा सिर्फ छूने भर से लाल हो गया तो वहा की लाली अभी भी होगी , दिखाओ ना देवरानी जी

अपने सास के कमरे के बाहर गैलरी मे खडी सोनल को और भी लाज आ रही थी , जवाब एक से एक रखे थे उस्के पास मगर एक दिन की दुल्हन का लिहाज रखना था उसे भी तो वो बस हसती शर्माने लगी ।

दुलारि ने हाथ बढा कर निचे झुक कर उसकी साडी उठानी चाही तो वो हसती खिलखिलाती हुई तेज कदमौ से बाहर हाल की ओर भागी और सामने से मदन आ रहा था ।
वो और दुलारी एकदम से शान्त हो गये और सोनल ने झटसे आगे बढ कर मदन के पाव छूने लगी और उसकी साडी का पल्लू उसके सीने से उतर गया
और भरा पुरा जोबन डीप गले वाले बेहतरीन लैसदार वाला ब्लाउज जोबन की गोरी घाटियों सहित मदन के आंखो के साम्ने ।

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अपने चाचा ससुर की बढ़ी हुई आंखो की चमक से सोनल का ध्यान खुद पर गया और वो झट से अपने सीने को आन्च्ल से ढकती हुई खड़ी हो गयी ।

शर्म से उसकी नजरे झुकी हुई और मदन भी नजरे फेरे हुए उसको खुश रहने का आशीर्वाद देता हुआ उपर छत की ओर निकल गया ।

वही दुलारी मुह पर हाथ रखे हुए हसे जा रही थी और सोनल का शरीर कांप रहा था ।
ससुराल मे पहली सुबह और ये क्या हो गया उसके साथ ।
खुद की हसी को रोकती हुई दुलारि सोनल को हौसला देती हुई बाकी मेहमानो से मिलाने के लिए लेके जाने लगती है ।

सोनल को दुलारि का खिलखिलापं देख कर चिढ़ भी हो रही थी और हसी भी आ रही थी मगर वो कर भी क्या सकती थी ।

दुलारी- टेंशन मत लो , अब यहा कोई डर नही है
सोनल - क्यू ?
दुलारि - अरे यहा हम सब औरते ही है , यहा अगर तुम्हारा पल्लू तुमसे बईमानी कर भी जाये तो क्या गम , जो दिखेगा वो तो सब्के पास है हिहिहिही



सोनल घून्घट मे हसने लगी और मेहमानों के बिच जाकर बैठ गयी ।
जहा ना जाने कैसी और क्या बाते होने वाली थी , ये उसके लिए अनोखा अनुभव होने वाला था ।

जारी रहेगी
बहुत ही शानदार और जानदार अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 

insotter

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💥 अध्याय 02 💥

UPDATE 003


पिछले 3 हफ्ते थे अनुज घर और शादी के ऐसा उलझा था कि उसे न पढ़ाई के लिए समय मिला और न ही आने वाली परीक्षा की तैयारियों का
आने वाले महीनों उसके प्रैक्टिकल शुरू हो रहे थे और उसके प्रोजेक्ट अधूरे क्या शुरू ही नहीं हो पाए थे ।चिंता भरे मन से अनुज उलझा हुआ कालेज के लिए जा रहा था । उसका कालेज भी वही था जहां से पहले उसके भैया राज ने दसवीं और इंटर पास किया था ।
राज के अच्छे व्यवहार और पढ़ाई में अच्छा होने की वजह से उसके कालेज के टीचर अनुज से अकसर उसके बारे में हाल चाल ले लिया करते यहां तक कि अनुज की पहचान भी अभी तक राज के छोटे भाई के तौर पर ही थी । क्योंकि ना ही अनुज पढ़ाई के उतना अव्वल था और न ही खेल कुद जैसी प्रतियोगीताओ में कोई रुचि रखता था , हालांकि चढ़ती उम्र में वासना ने उसे लालची जरूर बना दिया था ।
कालेज को जाती सड़क पर चल रहा था , आमतौर पर ये सड़के बच्चों से व्यस्त होती थी मगर आज पापा की वजह से उसे थोड़ा लेट हो गया क्योंकि अनुज का तो आज जरा भी मन नहीं था ।
09.30 बजने को हो रहे थे और कालेज कुछ दूर ही था कि उसकी नजर आगे पुलिया पर गई , जहां दो लड़कियां एक दूसरे की तस्वीरें निकाल रही थी ।


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उनमें से कालेज ड्रेस में एक लड़की का गोरा दुधिया चेहरा दूर से चमकता दिखा और अनुज समझ गया कौन थे वो दोनों ।

: अरे वो देख , तेरा हीरो आ रहा है हीही ( दूसरी लड़की ने पहली लड़की को छेड़ा )
: धत्त कमिनी, चुप कर वो आ रहा है ( उसने अपने सूट को कमर के पीछे से खींच कर अपने गोल मटोल चूतड़ों पर चुस्त किया और विजिबल चुन्नी से अपना क्लीवेज ढकती हुई बड़ी सहूलियत से खड़ी होकर अपने जुल्फे कान में खोसने लगी )

" हाय अनुज , बड़े दिन बाद " , उस पहली लड़की ने अनुज को टोकते हुए कहा ।
अनुज : ओह हाय कृतिका , हा वो मै दीदी की शादी में उलझा था । बताया तो था उस दिन दुकान पर ?

अनुज के जवाब पर वो दूसरी लड़की ने आंखे महीन कर कृतिका को घूरा तो कृतिका नजरे चुराती हुई मुस्कुरा दी : अच्छा हा , और कैसे हो ?

अनुज : अच्छा हु और तुम दोनों ?
" अच्छा तो तुम्हे दिख गई मै , ठीक हूं मै भी " , कृतिका के साथ वाली लड़की बोली जिसके नारियल जैसे चूचे सूट को सीने पर पूरा ताने हुए थे जिससे उसका दुपट्टा ज्यादा ही उठा नजर आ रहा था ।
अनुज थोड़ा झेप कर मुस्कुराता हुआ : अरे पूजा वो तो मै , अच्छा सॉरी बाबा
कृतिका पूजा से : क्या तू भी परेशान कर रही है , चलो अनुज
अनुज : हम्म्म चलो

अनुज थोड़ा आगे हुआ कि उसके कानो में पूजा की भुनभुनाहट आई : हरामीन तूने बताया नहीं न मिलने गई थी उम्मम ।
इसके बाद कृतिका की हल्की सी सिसकने की आवाज आई : सीईईई मम्मीई, कुत्ती....

कृतिका और दो चार गालियां पूजा को देती मगर उसकी नजर आगे अनुज से टकराई और वो थोड़ा शर्मा कर अपने कमर के पिछले हिस्से को सहलाते हुए मुस्कुराने लगी ।
" तुम्हारे प्रोजेक्ट्स कहा तक पहुंचे अनुज " , कृतिका ने सवाल किया ।
आगे वो बातें करते हुए निकल गए कालेज की ओर ।


वहीं दुकान पर आज राज का पहले दिन ही बड़ी मगजमारी झेलने पड़ी ।
बबलू काका की मदद से चीजे आसान थी मगर बाप की पहचान और रुतबे के आगे राज फीकी चाय से भी फीका था ।
11 बजने को हो रहे थे और राज केबिन में बैठा हिसाब बना रहा था ।
एक्जाम तो उसके भी आने वाले थे मगर अभी उसके पास डेढ़ माह का समय अतिरिक्त था अनुज से ।

बबलू काका : छोटे सेठ , बड़े घर से ठकुराइन आई है !
राज थोड़ा अचरज से : ठकुराइन कौन ?
बबलू काका थोड़ा हिचक कर : छोटे सेठ वो सेठ जी के दोस्त ठाकुर साहब है न उनकी मैडम ।
राज खुश होकर : अच्छा आंटी जी आई है , अरे तो भेजिए न उनको !
बबलू काका : जी छोटे सेठ
राज : और सुनिए कुछ देर में नाश्ता भेजवा दीजियेगा ओके
बबलू : ठीक है छोटे सेठ

कुछ ही देर में राज के सामने संजीव ठाकुर की बीवी खड़ी थी । ऊपर से नीचे तक खुद को बड़ी ही अदब और सादगी से ऐसे ढकी हुई थी कि उनका गदराया जिस्म की रत्ती भर झलक नहीं मिल पा रही थी सिवाय चेहरे के ।


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पूरी बाजू की ब्लाउज जो क्लिवेज के साथ साथ पीठ गर्दन सब कवर किए हुए थी । सिम्पल हल्की साड़ी जिससे उन्होंने अपना पेट और कमर पूरी तरह से ढक रखा था और कूल्हे पर ऐसी चुस्त की गाड़ का उभार उठा हुआ नजर आ रहा था ।

ठुकराईन : कैसे हो बेटा ?
राज की नजर उसके चेहरे पर गई , गजब का आकर्षन था उनकी आंखों में और मुस्कुराहट से फैले हुए मोटे मोटे होठो के चटक लिपस्टिक और भी ललचा रहे थे ।
राज : जी ठीक हूं आंटी जी , नमस्ते आइए न
राज खड़ा होकर उनका अभिवादन किया और ठकुराइन राज के पास सोफे पर बैठ गई ।
ठकुराइन : बेटा पापा नहीं है ?
राज मुस्कुरा कर : जी वो नानू के यहां गए है हफ्ते दस दिन में आ जायेंगे ।
ठकुराइन हस्ती हुई : हाहा ससुराल गए है घूमने भाईसाहब
राज मुस्कुराकर : जी ,
ठकुराइन : और तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है , या फिर तुम भी पढ़ाई छोड़ कर पहले शादी ही करने वाले हो सोनल के जैसे
राज मुस्कुरा कर : अरे नहीं आंटी , अभी मेरी उम्र नहीं है और दीदी भी अभी अपनी पढ़ाई जारी ही रखेगी ।
ठकुराइन : तो क्या सोनल अपने पति के साथ नहीं जाएगी ?
राज उलझे हुए स्वर में : अभी कुछ कह नहीं सकते आंटी जी , मार्च बाद से हम लोगों के भी एग्जाम शुरू हो जायेंगे तो मुझे नहीं लग रहा है कि वो जा पाएंगी ।
ठकुराइन : बस ससुराल वाले राजी हो जाए उसे पढ़ाने के लिए
राज : मुझे नहीं लगता कोई कुछ कहेगा , अच्छे लोग है सब
ठकुराइन इधर उधर की बातों को खींच रही थी और राज को अब बेचैनी हो रही थी । कुछ देर बाद तो ठकुराइन के पास कहने को कुछ बचा ही नहीं । अब राज को शक होने लगा कि शायद वो किसी काम से आई थी और उससे कहने में हिचक रही है ।

राज : आंटी आप कुछ काम से आई थी ?
ठकुराइन : हा बेटा वो ...
बबलू काका : छोटे सेठ ये नाश्ता
ठकुराइन कुछ कहती कि बबलू काका आ गए और वो चुप हो गई थी । वो नाश्ता रख कर निकल गए ।

राज : हा आंटी जी कहिए , देखिए पापा नहीं है मगर कुछ भी मेरे लायक होगा मै कर दूंगा आप बेहिचक कहिए ।
ठुकराई थोड़ा सोच कर : बेटा मै तुम्हारे पापा से नहीं तुमसे ही बात करने आई थी ।
राज अचरज से : मुझसे ?
ठकुराईन : मैने कल दुपहर ही तुम्हारे पापा से बात की थी कि तुमसे कैसे मिल सकती हूं।
राज : हा तो कहिए ? क्या बात है ?

ठकुराइन : बेटा वो मै कैसे कहूँ,
राज : आंटी आप टेंशन मत लीजिए और मुझपर भरोसा करिए प्लीज , बताइए ..
ठकुराइन : बेटा वो तुम्हारा दोस्त है न , रामवीर का लकड़ा चंदू ?

चंदू का नाम सुनते ही राज का दिमाग सन्न हो गया , क्योंकि चंदू तो ठकुराइन की बेटी मालती का दीवाना था और काफी दिनों से वो ठाकुर साहब के यहां ही काम पर जाता था अपने बाप के साथ ।
राज का गला सूखने लगा : जी आंटी क्या बात चंदू के बारे में उसने कुछ किया क्या ?

ठकुराइन : बेटा तुम तो समझदार हो , उसको समझाओ ऐसे किसी के घर की इज्जत से खिलवाड़ नहीं करते ..
राज को यकीन होने लगा जरूर चंदू की कोई कारस्तानी की भनक लगी है ठकुराइन को : मै समझा नहीं आंटी , वो तो गोदाम में काम करता है न फिर क्या दिक्कत हो गई ?

ठकुराइन : कभी कभी बेटा वो .. कभी कभी क्या इन दिनों लगभग रोज ही वो घर में आ जाता है और उसने मेरी बेटी मालती के साथ ...
ठकुराइन बोलते हुए चुप हो गई ।

राज और उलझ गया और मन में बड़बड़ाया : बहिनचोद ये साला चंदू खुद भी मरेगा और मुझे भी मरवाएगा हरामी

राज : आंटी , उसकी गलती के लिए मै आपसे माफी मांगता हू। प्लीज इस बात को अंकल या उनके बाऊजी को मत कहिएगा । मै उसको बोल दूंगा वो सुधर जाएगा प्लीज

ठकुराइन कुछ देर चुप हुई और एकदम से उनके तेवर बदले : इसीलिए मै तुम्हारे पास आई हु राज , अगर मै ये बात कह दूं घर में मालती के पापा या फिर बाउजी से तो कही लाश भी नहीं मिलेगी उसकी । उसको समझाओ और दुबारा बिना कहे घर दिखा न तो खैर नहीं रहेगी उसकी ।

ठकुराइन का ऐसा बदला स्वरूप देख कर राज की फट गई और वो मन ही मन गाली दिए जा रहा था चंदू को ।
राज : आप बेफिक्र रहे आंटी जी , मै समझा दूंगा और प्लीज आप ये सब किसी ने मत कहिएगा मै रिक्वेस्ट कर रहा हु ।

ठकुराइन ने आगे कुछ देर तक अपनी बातों को घूमा फिरा कर रखती रही और फिर निकल गई ।
उनके जाते ही राज ने चंदू को फोन घुमाया

: भोसड़ी के जहां भी हो जल्दी से पापा वाली दुकान पर आ
: .......
: हा बर्तन वाले पर , जल्द आ

राज ने चंदू को हड़काया और फोन काट दिया । पानी का ग्लास गटागट खाली करता हुआ राज थोड़ा खुली हवा के लिए बाहर आया ।
मगर उसके जहन में एक सवाल खाए जा रही थी कि आखिर ठकुराइन ने ये बात सिर्फ मुझसे ही क्यों की । वो चाहती तो सीधा ही चंदू से कह देती या फिर उसे काम पर आने से मना कर सकती थी या फिर ऐसा कर देती कि वो घर के अंदर आए ही नहीं । जरूर कुछ बात है और राज गल्ले पर बैठा सोच रहा था कि इतने में चंदू आ गया ।

चंदू हांफता हुआ : क्या हुआ भाई , कुछ अर्जेंट है क्या ?
राज ने गुस्से से उसे घूरा , फिर अन्दर चलने का इशारा किया और दोनों केबिन में चले गए ।

शिला के घर

" चुप करो तुम , अगर एक मिनट और नहीं आती तो अबतक तो नंदोई जी मेरी साड़ी उतार चुके होते " , रज्जो शिला को डांटती हुई बोली ।

शिला खिलखिलाकर : अरे भाभी , आज नहीं तो कल साड़ी तो उठाएंगे ही वो आपकी हीही
रज्जो लजा कर : धत्त तुम भी न , सीधे चलो
शिला हस्ती हुई आगे बढ़ रही थी कि रज्जो की नजर सड़क से लग कर एक मकान पर गई जिसके बाहर एक खूबसूरत औरत साड़ी पहने हुए खड़ी थी ।


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उसके कजरारी आंखो में गजब का आकर्षण था , उसपे से उसकी पतली कमर और गुदाज गोरा पेट , देखते ही रज्जो तो मानो उसके कातिलाना हुस्न की कायल हो गई ।

रज्जो धीरे से उसकी ओर दिखा कर : हे दीदी ये कौन है , बड़ी कातिल चीज है उम्मम किसका माल है ये ? एकदम रसभरी है
शिला मुस्कुरा कर आगे बढ़ गई

रज्जो : अरे बताओ न , क्या हुआ हस क्यों रही हो
शिला : क्यों दिल तो नहीं आ गया उसपे उम्मम

रज्जो मुस्करा कर : मेरा तो पता नहीं मगर जिस तरफ से वो तुम्हे निहार रही है पक्का वो तुम पर लट्टू है । कितना नशा है उसकी आंखों , शायद कल मैने इसको उधर बाग की ओर भी देखा था ।
शिला : हम्म्म हा वो उसका अड्डा है
रज्जो : अड्डा कैसा अड्डा ?
शिला : बताती हु अभी चलो यहां से
कुछ दूर आगे बढ़ते ही रज्जो : क्या हुआ बताओ न
शिला मुस्कुराई : अरे उधर उसके कस्टमर मिलते है उसको , गांव और कस्बा का कोई डायरेक्ट उसके घर में नहीं जाता
रज्जो उत्सुकता से : क्यों ?
शिला मुस्कुरा कर: अरे वो किन्नर है
रज्जो की आँखें फैली : हैं ? सच में .. इतना खूबसूरत
शिला : हा लेकिन उसका टेस्ट थोड़ा अलग है ?
रज्जो : मतलब ?
शिला : अरे उसको मोटी जैसी गदराई औरतें पसन्द है मगर यहां गांव का माहौल देख ही रही हो , इसीलिए उधर जाता है औरतों को निहारने ।

रज्जो : क्या सच में ? तुमको कैसे पता
शिला : अरे पिछले साल जब आया था तब उसने एक बार मेरा भी पीछा किया था , मगर उसको मना कर दिया
रज्जो : अह्ह्ह्ह मना क्यों किया , ले लेती न नए लंड का स्वाद हीही।

शिला हस्ती हुई : भक्क तुम भी न भाभी

फिर दोनों आगे बढ़ गए और गांव वाले घर के लिए।
घर में घुसते ही रज्जो ने बरामदे में बैठे हुए शिला के ससुर के पाव छूए : प्रणाम बाउजी
शिला के ससुर की नजर रज्जो के चुस्त ब्लाउज में चिपके हुए गदराये जोबनो पर गई और वो सिहर उठा ,


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रज्जो ने वही शिला वाली साड़ी ही पहनी थी , जिसमें उसके दूध बुरी तरह से ठुसे हुए थे । शिला के ससुर के बदन में सरसरी फैल गई और रज्जो ने चुपके से शिला को आंख मारी । तो शिला भी मुस्कुरा कर रज्जो की शरारत को समझते हुए अपने ससुर के पाव छूए और फिर खड़ी होकर अपनी कुर्ती को पीछे से उठा कर अपने कूल्हे पर चढ़ाया ।

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जिससे उसके ससुर की नजर लेगी के उभरी हुई उसके तरबूज जैसे चूतड़ों पर गई और वो थूक गटकने लगा ।

फिर दोनों फुसफुसाती हुई घर में चली गई , और अंदर देखा तो शिला की सास अभी नहाने की तैयारी भी थी । झूले हुए नंगे चूचे और नंगा पेट , कमर में अटकी हुई पेटीकोट ।

रज्जो : प्रणाम अम्मा , बड़ी देर से नहाने जा रही हो
शिला की सास : अरे क्या करु बहु वो मीरा कलमुंही टाइम से आती ही नहीं झाड़ू कटका के लिए इसलिए देर हो जाती है
शिला : ठीक है अम्मा आप नहा लो , हम लोग कपड़े लेने आए थे तो उधर से ही निकल जायेंगे
शिला की सास : अरे एक आध रोज के लिए बहु को यही छोड़ जा , आई है तो चार बात मुझसे भी कर लेगी ।
" आऊंगी अम्मा एक दो रोज में तो रुकूंगी ठीक है " , रज्जो ने दरवाजे पर खड़े शिला के ससुर की परछाई देख कर जवाब दिया ।

शिला : ठीक है अम्मा चलती हु प्रणाम
फिर वो निकल गए कपड़े लेने और कुछ देर बाद वो दोनों अपने घर के आगे से वापस टाउन की ओर जा रहे थे कि रज्जो की नजर घर गई , बरामदे में बैठे हुए शिला के ससुर गायब थे ।

रज्जो : हे दीदी बाउजी कहा गए
शिला : अरे भीतर गए होंगे चलो छोड़ो उनको
रज्जो हस कर : अरे अंदर तो अम्मा नहा रही थी न
शिला : हा तो ?
रज्जो के चेहरे पर फिर से शरारत भरी मुस्कुराहट फैलने लगी ।
शिला आंखे बड़ी कर रज्जो के इरादे भांपते हुए : नहीं मै नहीं जाऊंगी , चलो घर
रज्जो : धत्त चलो न , देखे तो हीही और दरवाजा भी खुला है

रज्जो शिला का हाथ पकड़ कर खींचने लगी और शिला ना नुकूर करती हुई उसके साथ चल दी

धीरे धीरे वो अंदर घर में गए और भीतर देखा तो आंगन खाली था , नल के पास पानी गिरा था और शिला के सास के गिले पैरो को छाप एक कमरे की ओर जाती दिख रही थी

रज्जो उसके फूट प्रिंट की ओर इशारा करते हुए उस कमरे का इशारा : हे उधर देखो हीही

शिला फुसफुसा कर : तुम न पागल हो पूरी
रज्जो खिलखिलाई और धीरे धीरे उस कमरे की ओर बढ़ गई
जैसे ही वो खिड़की के पास गए दोनों की आंखे फेल गई और मुंह पर हाथ रख कर एक दूसरे को भौचक्के निहारने लगे
सामने कमरे में शिला की सास पूरी नंगी होकर लेटी हुई थीं और उसका ससुर ऊपर चढ़ कर हचक हचक कर पेले जा रहा था । शिला की सास कराह रही थी


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शिला की सास : अह्ह्ह्ह्ह मन्नू के बाउजी ओह्ह्ह्ह कितनी जल्दी जल्दी आप गर्म हो जाते हो , फिर से बहु को देखा क्या ?
शिला मुस्कुरा कर रज्जो को देखी और अंदर का नजारा देखने लगी
शिला का ससुर अपनी बीवी के फटे भोसड़े में लंड उतारता हुआ : हा मन्नू की अम्मा , बहु के साथ जो आई उसके जोबन देख कर मेरा बुरा हाल हो गया और बड़ी बहु के चौड़े कूल्हे अह्ह्ह्ह

शिला के ससुर की बातें सुनते ही रज्जो के भीतर से हंसी की दबी हुई किलकारी फूट गई और झट से वो खिड़की से हट गए
और कमरे से शिला के ससुर की कड़क आवाज आई : कौन है ?

शिला और रज्जो एकदम से हड़बड़ा उठी और झटपट घर से बाहर निकल गई
शिला रज्जो का हाथ पकड़ कर : इधर से नहीं , पीछे से चलो , बाउजी जान जायेंगे
रज्जो को भी आइडिया सही लगा तो वो घर के बगल की गली से तेजी से निकल गए ।
कुछ ही देर में शिला का ससुर लूंगी लपेटते हुए बाहर आया मगर उसे कोई नहीं दिखा तो वापस चला गया ।
घर से दूर हो जाने के बाद दोनों के जान में जान आई और दोनों खिलखिला कर हस पड़े ।

शिला : तुम न बड़ी पागल हो , चुप नहीं रह सकती थी हीही
रज्जो : अरे मुझे हसी इस बात की आई कि हमारी वजह से बेचारी तेरी सास की सांस चढ़ने लगती है हाहाहाहाहा
शिला हस्ती हुई : हा लेकिन बाल बाल बचे आज ,
रज्जो : बच तो गए मगर वापस घर कैसे जायेंगे
शिला : अरे उधर बागीचे से भी एक रास्ता है पगडंडी वो आगे सड़क में जुड़ेगा चलो
और दोनों आगे बातें करते हुए बगीचे की ओर निकल गए ।

मुरारी - मंजू

11 बजने वाले थे और मुरारी खाली समय बिस्तर पर बिखरे हुए मंजू के कपड़े खोल खोल कर उसके हिसाब से जो ठीक ठाक नजर आ रहे थे उन्हें अलग कर रहा था बाकी सब एक झोले में ठूस रहा था ।
तभी उसके हाथ में एक जींस आई
लेबल देखा तो 38 साइज कमर वाली जींस थी , साफ था मंजू का ही होगा
मुरारी खुद से बड़बड़ाया : उफ्फ कितना चौड़ा चूतड़ होगा इसमें उसका उम्मम
मुरारी ने जींस की मियानी को मुंह पर रख कर सुंघा और फिर उसको फोल्ड कर दिया ।
तभी कपड़े के ढेर एक चटक नीला रंग का फीता नजर आया , मुरारी ने उसको खींचा तो देखा कि वो तो पतले स्ट्राप वाली ब्रा थी , जिसके cups पर खूबसूरत लैस वाली डिजाइन थी ।
उस मुलायम ब्रा को मुठ्ठी में भर कर उसने अपने सर उठाते लंड पर घिसा : अह्ह्ह्ह मंजू क्या चीज है रे तू उम्मम
तभी मुरारी के मोबाईल पर रिंग हुई ये मंजू का ही फोन था

फोन कर
मंजू : हैलो भाई साहब , मेरा ऑफिस का काम हो गया है , आप आ जाइए
मुरारी : ठीक है , लेकिन आना किधर है

फिर मंजू उसको एक मॉल का पता बताती है और मुरारी घर बन्द कर के ऑटो से निकल जाता है
कुछ ही देर में वो मंजू के पास होता
बड़ी सी 4 मंजिला इमारत और सैकड़ों की भीड़ , इतनी चकाचौंध मुरारी के लिए बड़ी बात नहीं थी । मगर वहा की मॉर्डन सेक्सी कपड़ों में गदराई औरतें देख कर उसका ईमान और लंड दोनो डोल रहे थे और मंजू भी मुरारी के हाव भाव पर मुस्कुराती जब वो उसे टाइट जींस में फूली हुई चूतड़ों को निहारता पाती ।

मंजू : चले भइया


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मुरारी एक मोटी औरत के कुर्ती में झटके खाते चूतड़ को मूड कर निहारता हुआ : हा चलो , यहां तो सब ऐसे ही कपड़े पहनते है क्या ?
मंजू मुस्कुरा कर : जी भइया, बड़ा शहर है तो यहां बहुत कामन है
मुरारी आगे देखा तो एक फैमिली जिसमें 2 औरते और दो लड़के और बच्चे थे । उस फैमिली की सभी औरते टाइट जींस और टॉप में थी ।


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बड़े बड़े रसीले मम्में पूरे बाहर उभरे हुए । सनग्लास लगाए हुए आपस में बातें करते हुए आ रही थी ।

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मुरारी तो टॉप में उसके बड़े बड़े रसीले मम्में देखता ही रह गया ।
मंजू मुस्कुरा रही थी जैसा मुरारी हरकते कर रहा था और तभी मुरारी की नजर मंजू से मिली तो वो झेप कर मुस्कुराने लगा ।
दोनो अब थोड़ा हिचक रहे थे नजरे फेर कर बिना कुछ बोले अंदर एंट्री करते है और अंदर और भी चीजें मस्त थी , दुनिया भर की दुकानें और सबसे बढ़ कर नए उम्र के जोड़े , हाथ पकड़े एक दूसरे से चिपके हुए ।
मंजू : भैया ऊपर चलना पड़ेगा लेडीज सेक्शन ऊपर है
मुरारी : सीढ़ी किधर है ?
मंजू मुस्कुरा कर सामने एलिवेटर की ओर इशारा किया मुरारी की हालत खराब ।
अब होने वाली भयोह के आगे कैसे मना करे , मन मार कर हिम्मत जुटाया और दो तीन प्रयास किया मगर कलेजे से ज्यादा तो पाव कांप रहे थे ।
इतने में दो लड़कियां उसके बगल से निकल कर आगे चढ़ गई और उसी धक्के में मुरारी भी उनके पीछे खड़ा हो गया
मगर जैसे ही वो सीधा हुआ आंखे फट कर चार , सामने वाली जो अभी अभी उसके बगल से आगे निकली थी वो ठीक उसके मुंह के आगे


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क्रॉप टॉप और नीचे कसी जींस , मोटी मोटी मांसल गाड़ पूरा शेप लिए बाहर की ओर निकली हुई ।
मुरारी का गला सूखने लगा और जैसे ही उस लड़की ने मूड कर देखा वो नजरे फेरने लगा , लंड एकदम फड़फड़ाने लगा पजामे में ।
ऊपर पहुंचते ही वो लड़कियां तेजी से दूसरी ओर निकल गई और मुरारी उस लड़की के हिलकोर खाते चूतड़ देख कर अपनी बहु सोनल के बार में सोचने लगा

मंजू : भइया इधर से
मंजू के आवाज पर मुरारी उसके पीछे लेडीज सेक्शन की ओर चला गया ।

मंजू अपने पसंद के कंफर्टेबल कपड़े देखने लगी और मुरारी वहां की औरते
तभी उसकी नजर ट्रॉली लेकर घूमती एक औरत पर गई


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" सीईईई क्या चीज है भाई , इतना बड़ा और गोल " , मुरारी मन ही मन बड़बड़ाया । उसके लंड में सुरसुरी होने लगी
जिस लेन में वो खड़ा था उसी लेन में दूसरी ओर एक मोटी गदराई महिला जो कि टीशर्ट और पैंट में थी , पेंट में उसके बड़े बड़े मटके जैसे चूतड़ों का शेप देख कर मुरारी जैसे खो ही गया ।
उसने बहुत से माल और शहर में घूमा था मगर यहां जैसा माहौल कही नहीं दिखा उसे ।

तभी उसे मंजू का ख्याल आया और उसने कुछ पल के लिए उस महिला के चूतड़ से नजरे हटा दी ।
वो मंजू के साथ ही इधर उधर रह कर देख रहा था , मंजू ने कुछ प्लाजो सेट और दो तीन काटन कुर्ती देखे , उसकी नजर जींस स्टॉक पर थी मगर वो मुरारी की वजह से हिचक रही थी ।

मुरारी : इसके साथ क्या लेना , जींस या फिर लेगिंग्स
मंजू मुस्कुराने लगी : मुझे समझ नहीं आ रहा है ,
मुरारी : तुम तो जींस भी पहनती हो न , तो लेलो । इस बात के लिए बेफिक्र रहो तुम्हे कोई कुछ नहीं कहेगा ठीक है
मंजू मुस्कुरा कर : जी ठीक है

फिर मंजू वहां से दो तीन जींस लेकर ट्रायल रूम की ओर बढ़ गई ।

जींस के स्टॉक के पास खड़े खड़े मुरारी ने साइज देखने लगा और उसकी नजर 4XL size की जींस पर गई और उसके ख्यालों के ममता का नाम आया , मगर बात वही थी कि पता नहीं वो पहनेगी या नहीं ।
इतने में मुरारी का मोबाइल रिंग हुआ देखा तो अमन फोन कर रहा था

फोन पर
मुरारी : हा बेटा
अमन : पापा कहा हो , निकल गए क्या ?
मुरारी : नहीं बेटा , वो तेरी चाची को कपड़े लेने थे और कुछ काम भी था तो आज रुक गया कल निकलूंगा
अमन : अरे वाह फिर से मेरी तरफ से भी चाची के लिए ले लेना , वैसे कैसे कपड़े पहनती है चाची
मुरारी : उम्मम बेटा वो लगभग सभी पहनती है , अभी अभी जींस लेकर गई है ट्राई करने
अमन : अरे वाव , पापा मम्मी के लिए भी लेलो न जींस
मुरारी : बेटा मै भी सोच रहा था और ये भी सोच रहा था कि ( मुरारी एक किनारे गया जहा उसकी आवाज कोई और न सुने फिर वो धीमी आवाज में ) तेरी मां के लिए कुछ जोड़ी फैंसी ब्रा पैंटी भी ले लूं , यहां मॉल में सब मिल रहा है
अमन : हा पापा क्यों नहीं , लेलो न फिर
मुरारी : अरे लेकिन वो लेडीज सेक्शन है उधर मै कैसे जाऊंगा और दूर से देखा तो एक से एक बढ़िया फैंसी सेट थे वहा ।
अमन : अरे तो चाची को बोल दो न ?
मुरारी कुछ सोचता हुआ : उससे!!! ठीक है देखता हूं और बता तू ठीक है
अमन : मै तो एकदम मस्त हू अभी जस्ट उठा हु नहाकर आपको फोन किया है
मुरारी : अभी उठा है ?
अमन : हा पापा रात में वैसे भी यहां किसे नीद आती है हीहीही
मुरारी : सही बेटा मजे कर
अमन हंसता हुआ : पापा आप कबतक चाची के घर पहुंचेनंगे ।
मुरारी : अभी एक दो घंटे बाद
अमन : अच्छा, वो मैने आपके व्हाट्सअप पर कुछ भेजा है हीही, फ्री होना तो देख लेना पसंद आएगा आपको
अमन की बात सुनते ही मुरारी के तन बदन में सरसरी उमड़ी और उसके पेट में अजीब सी हड़बड़ाहट होने लगी : क्या , क्या भेजा है बता न
अमन मुस्कुरा कर : आप देख लेना , आपकी लाडली बहु की वीडियो है , ओके मै रखता हु बाय पापा

अमन ने फोन काट दिया और यहां मुरारी एकदम से तड़प उठा , उसे समझ नहीं आ रहा था क्या करे , उसने झट से मोबाईल खोला तो देखा अमन ने 4 5 वीडियो और फोटो भेजे थे । तस्वीरें देखते ही मुरारी ने झट से मोबाईल लॉक कर दिया ।
लंड एकदम फड़फड़ाने लगा सुपाडे में चुनचुनाहट होने लगी , कुर्ते के नीचे हाथ घुसा कर पजामे के ऊपर से उनसे अपना सुपाड़ा मिज़ा। फिर वो चेंजिंग रूम की ओर देखा , मंजू को भी समय लग रहा था , उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे कहा जाए , बाकी से चेंजिंग रूम भी इंगेज दिख रहे थे और ऐसे में उसको बाथरूम का ख्याल आया ।
वो लपक कर बाहर आया और बाथरूम खोजने लगा , इधर उधर भागने पर उसे टॉयलेट बोर्ड दिखा और लपक कर वो उधर निकल गया ।
तेजी से चलते हुए वो बाथरूम में घुस गया और टॉयलेट सीट पर बैठ कर अपनी सास को आराम देने लगा
उसके पैर थरथर कांप रहे थे पेट में अजीब सी हड़बड़ाहट मची थी ।
गहरी सास लेते हुए उसने दुबारा से मोबाइल खोला तो मुरारी का मुंह भी खुला का खुला रह गया ।


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मैचिंग ब्रा पैंटी में दोनों बहनों में बड़े ही कामोत्तेजक लुक दिए थे

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उनके झूलते नंगे बूब्स और बाहर निकली हुई नंगी गाड़ देख कर मुरारी पजामे के ऊपर से ही अपना लंड मसलने लगा : अह्ह्ह्ह्ह बहु कितनी सेक्सी है उम्मम उफ्फ इसके गुलाबी निप्पल और ये लचीली गाड़ उम्मम जी कर रहा है खा जाऊ अह्ह्ह्ह
मुरारी टॉयलेट सीट पर बैठ कर अपना लंड बाहर निकलने लगा
तभी अगली तस्वीर में दोनों बहने अमन का मोटा लंड पकड़े हुए हस रही थी और एक दूसरे को निहार रही थी ।

किसी में सोनल अमन का लंड चूस रही थी किसी में निशा , मुरारी अपना लंड पकड़ कर उसको भींचे जा रहा था और अगली चीज एक वीडियो थी
जैसे ही मुरारी ने उसे क्लिक किया वो वीडियो तेज आवाज में शुरू हो गई , ये वही शॉर्ट ब्लॉग थी जिसे सोनल ने शूट किया था
सोनल की तेज आवाज आते ही मुरारी ने झट से स्पीकर पर हाथ रखते हुए आवाज कम किया और वीडियो में जो देखा उसकी आंखे फटी की फटी रह गई


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और जब वीडियो में सोनल ने बोला " कोई है जो मुझे चोदना चाहेगा " मुरारी का लंड एकदम अकड़ गया , आड़ो में पंपिंग होने लगी
मुरारी अपनी बहु की कामोत्तेजना भरे हरकते देख कर पागल हो गया था , वो जोर से लंड भींचे जा रहा था और सोनल का नाम लेके बडबडा रहा था : अह्ह्ह्ह्ह मेरी प्यारी बहु मै हु न अह्ह्ह्ह तुम्हारे पापाजी तुमको चोदेंगे बेटा आह्ह्ह्ह बहु उम्ममम अह्ह्ह्ह

मुरारी चरम पर था मगर ऐन मौके पर मंजू ने उसको फोन घुमाने लगी
मुरारी : ओह्ह्ह्ह यार , क्या करु
उधर मंजू लगातार मुरारी को काल किए जा रही थी , मुरारी लंड झाड़ना चाहता था मगर मंजू ने उसका फ्लो बिगाड़ दिया।
मन मारकर अपना लंड पजामे में डाल कर बाहर आ गया , अभी भी उसके लंड की अकड़न जस की तस थी , लपक कर वो मंजू की ओर गया ।

मंजू : कहा चले गए थे
मुरारी थोड़ा हिचक कर : वो मै थोड़ा फ्रेश होने ... हो गया तुम्हारा
मंजू : जी , आप भी कुछ ले लीजिए न
मुरारी : अह् मुझे मेरे मतलब का क्या मिलेगा
मंजू : अरे आप भी टीशर्ट जींस ले लीजिए न , मुझे उनके लिए भी लेनी है
मंजू लजाते हुए बोली
मुरारी समझ गया कि वो मदन के लिए भी खरीदारी करना चाहती है ।
मुरारी : ठीक है भई जिसमें तुम्हारी खुशी , अब मदन के लिए लोगी तो मेरे लिए भी एक ले लेना साइज तो एक ही हमारा

मंजू : अच्छा सुनिए , भाभी की साइज क्या होगी
मुरारी हंसकर : तो क्या उसके लिए जींस लोगी
मंजू बड़े ही कैजुअली होकर बोली : हा , अगर वो पहनती हो तो !
मुरारी हस कर : क्यों भाई सिर्फ मुझे ही ये सजा क्यों , अमन की मां भी परेशान हो तंग जींस पहन कर हाहाहाहाहा , उसको 4XL के कपड़े ही होते है ।
मंजू मुस्कुरा: जी ठीक है आइए पहले उनके लिए ही लेती हूं
फिर मंजू मुरारी के साथ ममता के लिए दो जींस , लांग कुर्ती और दो सूट लिए
मुरारी अभी भी हिचक रहा था कि कैसे आखिर वो ममता के लिए ब्रा पैंटी ले । बार बार उसकी नजर अंडरगार्मेंट एरिया में जा रही थी ।

मंजू : चले भइया , जेंस वाला फ्लोर ऊपर है
मुरारी थोड़ा अटक कर : हा चलो , वो जरा मै सोच रहा था । खैर छोड़ो चलो चलते है ।
मंजू : अरे क्या हुआ कहिए न , कुछ दूसरा पसंद आया क्या भाभी जी के लिए, वो देख लेती हु न

मुरारी : नहीं दरअसल , नहीं कुछ नहीं चलो छोड़ो , वो अपना ले लेगी जब शहर जाएगी ।
मंजू मुस्कुरा कर : अरे भैया बताइए न , क्या चाहिए भाभी के लिए
मुरारी थोड़ा नजरे फेर कर : दरअसल अमन की मां के नाप के अंडर गारमेंट नहीं मिलते चमनपुरा में , मुझे लगा यहां उसके नाप के कपड़े है तो शायद वो सब भी मिल जाए ।

मंजू मुस्कुरा रही थी थोड़ी खुद भी लजा रही थी ।
मुरारी : तुमने लिए क्या अपने लिए ?
मंजू ने शॉक्ड होकर मुस्कुराते होठों से आंखे बड़ी कर मुरारी को देखा ।
मुरारी बड़बड़ाता हुआ : सॉरी ये मै क्या पूछ रहा हूं , प्लीज चलो अब

मंजू ने एक गहरी सास ली और आगे बढ़ते मुरारी का हाथ पकड़ लिया और इशारे से उधर चलने को कहा बिना बोले ।

मंजू का स्पर्श पाकर मुरारी एकदम से चौक गया और मंजू जबरन उसे अंडर गारमेंट वाले काउंटर की ओर ले गई ।

वहा पर कई लड़कीया स्टॉफ में थी और दूसरे भी नवयुवा कपल वहां साथ में खरीदारी कर रहे थे ।

स्टाफ : जी मैम क्या दिखाऊं
मंजू ने बिना कुछ बोले मुरारी की ओर देखा
मुरारी हिचक कर : जी वो बढ़िया फैंसी सेट में अंडर गारमेंट चाहिए
स्टाफ : जी मैम आपका साइज क्या रहेगा
जैसे ही स्टाफ ने मंजू से उसका साइज पूछा दोनों मुंह फेर हसने लगे ।
मंजू ने आंखो से मुरारी को इशारा किया कि वो स्टाफ की बातों का जवाब दे ।
मुरारी थोड़ा असहज होकर : जी वो 44DD की ब्रा और 48 की पैंटी दिखाइए
ममता का साइज सुनकर मंजू और वो स्टाफ दोनों ताज्जुब हुए । मंजू कुछ देर तक मुस्कुराती रही जबतक कि वो स्टाफ कुछ बॉक्स ब्रा और पैंटी के निकाल कर नहीं लाई ।
स्टाफ : सर आपके साइज बड़े एक्सक्लूसिव है तो हमारे पास लिमिटेड ब्रा पैंटी है , इन्हें देखे आप

वो स्टाफ कुछ ब्रा पैंटी खोलकर काउंटर पर बिखेरने लगी और मंजू थोड़ा नजरे चुराने लगी ।
मुरारी उनमें से एक ब्रा जिसके cups विजिबल दिख रहे थे उसे चूना तो मंजू ने मुंह फेर कर मुस्कुराने लगी और मुरारी ने उसे छोड़ दिया और एक फूली कवर ब्रा देखने लगा ।

लेकिन उस ब्रा के साथ जो मैचिंग रंग की पैंटी थी वो एक पतली थांग जैसी थी । मुरारी को समझ नहीं आ रहा था । पसंद तो उसे दोनों आ रहे थे ।

स्टाफ : क्या हुआ सर कोई पसंद आए इसमें से
मुरारी : अह मुझे तो समझ नहीं आ रहा है
मंजू ने मूड कर मुरारी को देखा और उसके करीब होकर बोली : भाभी को कैसे पसंद है
मुरारी मुस्कुराने लगा और धीरे से उसकी ओर झुक कर कान में बोला : वहा उसके नाप की मिलती नहीं तो वो नीचे कभी कभार ही पहनती है ।

मंजू को अजीब लगा मगर वो मुस्कुराने लगी
मुरारी : तुम्हे कौन सा सही लग रहा है , दो सेट फाइनल कर दो
मंजू ने आंखे उठा कर मुरारी को देखा तो मुरारी मिन्नते करता हुआ नजर आया ।
मंजू ने मजबूरी में एक लेस वाली फैंसी और दूसरी सिंपल फूली कवर ब्रा उस थांग पैंटी के साथ फाइनल कर दी

वो स्टाफ दोनों को अजीब नजरो से देख रही थी वहां फिर जेंस वाले फ्लोर पर उन्होंने शॉपिंग की और फिर बिलिंग के लिए निकल गए ।


बिलिंग काउंटर जब मुरारी बिलिंग कराने लगा तो उसकी ट्रॉली में दो जोड़ी और ब्रा पैंटी निकल आई
मुरारी : एक मिनट भाई साहब , अंडरगार्मेंट के दो ही सेट होंगे , लगता है गलती से आ गया होगा

मंजू जो उसके बगल में खड़ी थी वो परेशान हो उठी इससे पहले वो बिलिंग स्टाफ उसके प्रोडक्ट को कैनसिल करता वो बोल पड़ी : अरे वो मैंने रखे है ?
मुरारी ने जैसे ही मंजू की आवाज सुनी उसको अपनी गलती समझ आई और बिलिंग स्टाफ वापस से सारी बिलिंग करने लगा ।

फिर मुरारी ने सारे पेमेंट किए ।
वहा से निकल कर दोनों ऑटो से मंजू के घर के लिए निकल गए ।
रास्ते भर मंजू के चेहरे पर मुस्कुराहट बनी रही

मुरारी समझ रहा था आज मंजू की नजर में उसकी खूब किरकिरी हुई है
मुरारी : अब बस भी करो भई , मुझे क्या पता था कि वो तुमने लिए थे पहले ही ।
मंजू हंसने लगी : सॉरी
मुरारी भी मुस्कुराने लगा


वही इनसब से अलग रंगीलाल खड़ी दुपहरी में अपने ससुराल पहुंच गया था ।
बरामदे में बनवारी के कमरे के बाहर लगी कुर्सी पर बैठे हुए घर का जायजा ले रहा था और तभी सामने से उसकी खूबसूरत गदराई हुई सलहज सुनीता साड़ी का पल्लू पूरे बरामदे में लहराते हुए हाथों में जलपान का ट्रे लिए आई और जैसे ही उसने रंगीलाल के आगे टेबल पर ट्रे रखा


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बिना पिन की साड़ी का आंचल उसके सीने से सरक कर कलाई में आ गया और कसे चुस्त ब्लाउज में भरे हुए मोटे मोटे मम्मे झूलते हुए रंगीलाल को ललचाने लगे ।



जारी रहेगी ।
कहानी पर पाठकों की प्रतिक्रिया , व्यूज के हिसाब से बहुत कम मिल रही है ।
कहानी पर लेट अपडेट का कारण आप सभी कम प्रतिक्रियाए ही है ।
कृपया पढ़ कर समुचित रिप्लाई जरूर किया करे ।
धन्यवाद
Nice update bro 👍
.
Kahani me abhi seen ban raha hai
Agle kuch update ke baad pata chalega sexy sexy seen 😁😁
.
Bhai ek request thi ek update me ek character pe rah sakte hai kya aapke hisab se sayad nahi but wo kya hai naa update late hota hai to kuchh seen dimaag se nikal jata hai fir back update padna padta hai
 

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UPDATE 198

अमन के घर

औपचारिक मेल मिलाप और आशीर्वाद समारोह के बाद हाल मे चाय नास्ते की चुस्की चल रही थी और हाल मे एक तरफ दरी पर औरतों के बीच सोनल बैठी हुई थी जो कनअखियों से सोफे पर बैठे अमन को भुनभुनाते हुए देख कर मन ही मन खुश ही रही थी ।

अमन के चेहरे के भाव और बेटे-बहू के बीच चल रही आंख मिचौली पर नजर ममता की भी थी
अमन के उखड़ा हुआ चेहरा देख कर ममता को मह्सूस हो रहा था कि जरुर उसकी बहू ने सुबह सुबह उसके लाडले को मनमानी करने रोक होगा ।

मा आखिर मा होती है , अपने एकलौते बेटे को लेके पोजेसिव होना जायज था ।
मगर वो खुद भी तो अमन को तरसाने तडपाने मे कोई कसर नही छोड़ती थी ।
चाय की प्याली से चुस्की लेते हुए वो अमन की राह देख रही थी कि कब वो उसकी ओर देखे ।
जैसे मानो ममता के दिल की फुसफुसाहट के संगीत से अमन के कान बज उठे हो वो औचक नजरें घुमा कर सामने से बाये ओर सोफे के पास खड़ी अपनी ओर देखा जो कप का प्याला अपने होठों से लगाये उसको ही घूरे जा रही थी ।

आँखो की इशारे बाजी और ममता कप वही ट्रे मे रख कर अपनी भारी कुल्हे मटकाती हुई कमरे की ओर बढ़ गयी ।

मा के मस्ताने इशारे और हिल्कोरे खाती गाड़ की कामुक थिरकन से अमन के जिस्म भीतर से सिहर गया ।

दो सिप चाय की लेके वो भी उठ कर अपनी मा के कमरे की ओर बढ़ गया ।
ममता कमरे मे आकर खड़ी हुई थी कि अमन भी आ पहुचा - हा मा , बुलाया आपने

ममता तुनकी और उसे छेड़ते हुए - हा भई अब तो तु सिर्फ बुलाने पर ही अपनी मा के पास आयेगा हुह बीवी वाला जो ठहरा

अमन हस कर अपनी मा को पीछे से हग करता हुआ - क्या मम्मा आप भी ना , हिहिहिही बोलो ना क्या बात है ?

ममता - देख रही हु बहू तुझे शादी के बाद तो बिल्कुल भी भाव नही दे रही है, वैसे रोज बड़ी चुम्मियां मिलती थी तुझे उम्म्ं

अमन हस कर अपने मा के गाल चूमता हुआ - उम्म्ंम्माआह ओह तो आप इस वजह से मुझे याद कर रही थी

ममता - नही , मै तो देख रही थी कि मेरा बेटा कैसे अपनी बीवी से गुजारिश करते फिर रहा है हुह

अमन हस कर - नही मा ऐसा कुछ नही है वो बस सुबह सुबह हिहिही

ममता उसकी ओर घूम कर उत्सुकता से - क्या सुबह सुबह ?

अमन हस कर - कुछ नही हिहिहिही
ममता तुनक कर अपनी कमर पर हाथ रखते हुए - अच्छा ब्च्चु ठिक है मत बता , तो अबसे मै भी कुछ नही बताने वाली तुझे हुह !!

अमन हस कर उसके गालों को हाथो मे भरता है जिस्से उसके चब्बी चिक्स और होठ पिचक बहुत ही रसभर हो जाते है और अमन अपनी मा के रस भर होठ चुमता हुआ - अरे मेरी मा बताता हु ना

ममता खुश हुई
अमन हस कर - वो सुबह उठा तो सोनल नहा कर तैयार हो रही थी और मैंने उसकी कुछ तस्वीरें निकाली थी लेकिन उसने सब डिलीट कर दी

ममता - कैसी तस्वीरें?
अमन हस कर - अब होती तो दिखाता ना !!
ममता - फिर भी किस टाइप की ?
अमन हसता हुआ - वो ... ब्लाउज और पैंटी मे थी हिहिहिही
ममता उसके थ्पेड लगाती हुई - बदमाश कही का , क्यूं निकाल रहा था तस्वीरें किसे दिखानी थी ।

अमन खिलखिलाता हुआ - आपको हिहिहिही

ममता - मुझे ! भला मै क्या करती उसका
अमन बस बतिसी दिखा कर खिलखिलाए जा रहा था ।

ममता - धत्त बदमाश कही का , अपने लिये निकाला तो मेरा नाम क्यू ले रहा है और तू तो कह रहा था कि तु भी तेरे पापा के तरह तीसरी दुपहर को ....हिहिही उस्का क्या हुआ उम्म्ं

अमन थोडा लजात हसता हुआ - अब तुम्हारी बहू है ही इतनी सेक्सी की मुझसे रहा नही गया

ममता - तो क्या सच मे ?
अमन ने हा मे सर हिलाया ।
ममता थोड़ी लजाई और मुस्कुराने लगी ।
अमन ने एक नजर बाहर देखा और अपनी मा को दरवाजे के पीछे ले जाने लगा

ममता पीछे कदम घटाती हुई - अह क्या कर रहा है बेटा
अमन उसको दरवाजे के ओट मे ले जाकर सीधा उसके होठ से होठ लगा दिया ।
बेटे के गर्म होठ का स्पर्श पाकर ममता का जिसन पिघलने लगा
कुल्हे पर सरकते कसते अमन के हाथ उसकी चर्बीदार गाड़ को मिज रहे थे और पैंट मे उफनाया उसका लन्ड उसकी चुत के मुहाने पे ठोकर मार रहा था ।

अगले ही पल झटके से ममता ने उसको खुद से अलग किया और होठ को पोछते हाफते मुस्कुराते अमन की ओर नजरे उठा कर देखा ।
अमन ने भी हस कर गहरी सास लेते हुए अपनी मा के होठों पर फैली हुई लिपस्टिक वाली मुस्कराहट देखकर उसे आइने की ओर इशारा किया

तो ममता उसको बाजू पर हाथ से पिटकर भगाती हुई - भाग जा यहा से शैतान कही का , अब मुझे फिर से मुह धूलना पडेगा ।

अमन खिलखिलाकर दो कदम पीछे हट कर - थोड़ी देर बाद धूल लेना ना प्लीज

ममता अचरज ने अमन की ओर देख कर - क्यूँ?
अमन मुस्कुरा कर अपने पैंट के उपर से लन्ड मसलता हुआ - ये परेशान हो गया है , प्लीज ना मम्मी

ममता अपनी हसी होठों मे दबाती हुई - जा अब बहू को बोल ना , वो कर देगी

अमन - मम्मी उसे नही आता
ममता - चल चल झुठ मत बोल , मै कैसे मान लूँ

अमन - अब कैसे यकीन दिलाऊ मै , अच्छा आपके सामने करू तो मानोगे आप

ममता चौक कर - क्या ? तु पागल हो गया है ? बहू मेरे सामने कैसे ?

अमन - अरे आप समझ नही रहे हो , आप छिपे रहना और मै सोनल को कहूँगा देखना वो मना कर देगी

ममता कुछ सोच कर - ह्म्म्ं ठिक है लेकिन कब करेगा ये सब

अमन - जब वो खाली होगी दोपहर या शाम तक
ममता - ओके देखती हूँ

अमन - लेकिन अभी इसका क्या करू
ममता - मै क्या जानू , तेरा समान है तु देख समझ क्या करना है हिहिही

और ममता फट से बाथरूम मे घुस गयी
वही अमन अपने लन्ड को दबाता भींचता , गहरी सासे लेता , कपालभाति भ्रस्तिका खिंचता हुआ हाल मे आ गया ।

राहुल के घर

शालिनी किचन के काम निपटा चुकी थी मगर उसकी हिम्मत नही हो रही थी कि वो कमरे मे जाकर कमलनाथ से सामना करे , वही घड़ी की सुइयां रुकने का नाम नही ले रही थी । उसकी जेठानी रागिनी ने निशा से फोन करवा कर जल्दी आने को कहा था क्योकि राज की मामी लोग एक घन्टे मे निकलने वाले थे ।

शालिनी का कलेजा कांप रहा था और वो विस्मित हुई दबे पाव कमरे की ओर बढ़ गयी ।
दरवाजे के पास आकर उसने कमरे मे झाका तो कमलनाथ सोफे पर सर टिकाए पैर फैला कर कुछ लेटने जैसा बैठा हुआ था ।
खुली टांगो के बिच से तौलिया के गैप मे बिना अंडरवियर के क्या छिपा बैठा होगा इसकी भी भनक थी उसे ।

तभी कमलनाथ को इंद्रिय अनुभूति हुई और वो झट से गरदन फेर कर दरवाजे पर खड़ी शालिनी को देखा तो खुश होकर - अरे भाभी आप , वो मेरे कपडे सुख गये क्या
शालिनी असहज जबरन मुस्कुराहट अपने चेहरे पर लाती हुई - जी अभी तो छत पर डाल कर आई हु , बस मै नहा लू फिर लेके आती हूँ

ये बोल कर शालिनी बिस्तर के पास लगे आलमारी के दरवाजे खोलकर अपने कपडे निकालने लगी , जैसे ही वो दरवाजे ब्न्द करने गयी तो आलमारी के आईने मे कमलनाथ के तौलिये के गैप मे झाकता हुआ उसका लाल टोपे वाले मोटे मुसल की झलक मिली ।

कमलनाथ की नजरे जो लगातार शालिनी पर जमी हुई थी उसने आईने मे शालिनी की नजरे भाप ली और मुस्कुराते हुए तौलिये के उपर से अपना मुसल रगड़ दिया ।

शालिनी झट से आलमारी बन्द कर खड़ी हुई और अपने भाव छिपाती हुई कमरे के बाहर जाने को हुई और फिर रुक गयी ।

अपने चेहरे को भींच कर माथा पीट ली जिस्पे कमलनाथ खड़ा हुआ और बोला - क्या हुआ भाभी जी

शालिनी उसको अपने करीब पाकर - जी वो एक तौलिया अनुज गिला कर दिया और दुसरा राहुल के पापा और अभी मुझे जल्दी नहा कर जाना है , दीदी (रागिनी ) ने फोन किया था ।

इसपे कमलनाथ झट से अपना तौलिया कमर से खोलता हुआ - ये लिजिए ना मै यही कमरे मे हूँ

कमलनाथ ने बड़ी बेशरमी और बेहिचक होकर अपनी कमर से तौलिया खोलकर शालिनी की ओर बढ़ा दिया और उसकी इस हरकत से शालिनी की नजर फौरन उसके तनमनाये काले मोटे लन्ड पर गयी जो उसे ही देख कर फ़नकार मार रहा था


शालिनी आंख भिंच कर चेहरा फेर कर - यीईई प्लीज आप रखो उसे , पहन लो आप

कमलनाथ उसे वापस ऐसे कैजुअली लपेटता मानो कुछ हुआ ही ना हो - अच्छा ठिक है आप नहायिये तब तक मै उपर कपडे लेके आता हु शायद पहनने लायाक सुख गये होगे ।

शालिनी किसी भी तरह से इनसब से छुटकारा चाह रही थी इसीलिए वो हा बोलकर बाथरूम मे चली गयी और कमलनाथ भी जीने से होकर छत पर चला गया ।
छत पर आकर देखा कि सुबह 8 बजे की धूप क्या ही असर दिखाती कपड़ो पर , ड्रायर होने के बाद भी वो जस के तस थे ।

कपड़ो को उल्टा-पुल्टा कर घुमा कर उन्हे वापस अरगनी पर डाल कर वो जीने की ओर आ गया क्योकि मुहल्ले की छत पर और भी लोग थे जिन्की नजर मे वो इस अवस्था मे नही पडना चाहता था ।

जीने से होकर वो वापस निचे आया और उसने देखा कि बाथरूम का दरवाजा तो खुला पड़ा है और शालिनी की साडी ब्लाउज दोनो वही फर्श पर पड़े हुए है ।

कमलनाथ को लगा शायद शालिनी नहा कर कमरे मे गयी हो , नये कामुक हसिन दृश्य की आश मे कमलनाथ लपक कर कमरे की ओर भागा मगर वो उधर भी नही दिखी

तभी उसे किचन से स्टील के बरतन गिरने की आवाज आई और वो लपक कर उधर गया तो सामने का नजारा देख कर उसकी आंखे चौंधिया गयी ।

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शालिनी सिर्फ़ ब्रा और पेतिकोट मे किचन स्लैब के पास खड़ी थी

कमलनाथ अपने मुसल को तौलिये मे तम्बू के जैसे सेट करता हुआ शालिनी के पास खड़ा होकर - भाभी जी वो कपडे सूखे नही अब तक, आप नहा ली क्या ?

शालिनी - नही वो मै दही लेने आई थी बालो के लिए ....
" हाय दईयाआ आप यहा " , शालिनी चौकी और हल्का सा चीखी फिर ब्रा मे झलकते अपने रसदार 36D के गोल गोल जोबनो को छिपाने लगी ।

कमलनाथ शालिनी का कापता जिस्म देख कर बेसुध हो गया था , शालिनी का निखरा हुआ गोरा रसदार कटीला बदल देखकर कमलनाथ का लन्ड फड़फ्ड़ाने लगा ।

शालिनी ने उसकी हालत देखी आंखो मे चढती खुमारी देखी तो वो डर गयी , वो समझ गयी कमलनाथ के इरादे क्या है ।
शालिनी - प्लीज आप कमरे मे चले जाईये , निशा के पापा आ जायेगे

कमलनाथ - ओहो भाभी आप डरो मत , कुछ नही होगा

शालिनी - क्या मतलब ?
कमलनाथ हाथ बढ़ा कर उसकी चिकनी कमर को सहलाया - मतलब तो आप सब समझ रही हो भाभी ।
शालिनी उसका हाथ झटक कर - आह्ह क्या कर रहे है आप प्लीज जाईये ना

कमलनाथ - ठिक है भई जा रहा हु

कमलनाथ अकड़ मे किचन से बाहर जाने लगा और वही शालिनी की हालत और खराब होने लगी उसे मन मे ये डर आने लगा कि कही निशा के पापा की उसकी चुत चाटने वाली बात वो बाहर रिश्तेदारी मे ना फैला दे । बहुत गड़बड़ हो जायेगी ।

शालिनी - अच्छा सुनिये ,
कमलनाथ - हा कहिये
शालिनी - प्लीज वो निशा के पापा वाली बात किसी से कहियेगा मत

कमलनाथ - कौन सी बात
शालिनी - वो जब आप बरतन रखने आये थे तो वो ...

कमलनाथ हसत हुआ वापस शालिनी के पास आया - देखो भाभी बिना ब्याज के अब तो बैन्क वाले भी जेवर गहने अपने पास नही रखे है तो ये बात तो उससे लाख टके उपर की है ।

शालिनी - मतल्ब ?
कमलनाथ अपने तौलिये की गांठ खोलकर अपना तनमनाया मुसल दिखाता हुआ - मतलब साफ है भाभी , ब्याज तो लगेगा ।

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शालीनी का जिस्म कापने लगा और वो थुक गटक कर कमलनाथ का मोटा मुस्तैद लन्ड देख कर हिल गयी ।

कमलनाथ अपने ओछे उन्माद मे मुस्कुरा कर अपना लन्ड हाथ से मसलता हुआ - जल्दी करो भाभी , हम दोनो का इंतजार हो है चौराहे वाले घर पर

शालिनी - आप प्लीज इसके बारे मे भी किसी से नही कहेगे ना

शालिनी के मुलायम हथेली का स्पर्श अपने आड़ो पर पाकर कमलनाथ की आंखे उलटने लगी और वो सिहर कर -अह्ह्ह भाभीई मै क्यू उह्ह्ह्ह कितनी नरमी है इन हाथों मे अह्ह्ह जरा अपने इन रसिले होठो का जादू भी दिखाओ ना

शालिनी मे तय कर ही लिया था कि वो कमलनाथ के आगे झुकेगी और वो उसके लन्ड के तने को हाथो मे भर मसलती हुई निचे बैठ गयी और मुह खोलकर सुपाडा भर लिया

गुलाब के पंखुडियो जैसे उसके होठ से रिसते लार मानो कमलनाथ के लण्ड पर ठन्डी मलाई कुल्फी रगड़ रहे थे । कमलनाथ अपनी एडिया उचकाता और लन्ड को उसके गले मे उतारने लगा

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शालिनी भी उस्का मोटा मुसल चुसती हुई मजे ले रही थी, मोटे खीरे जैसा मुसल और उभरी हुई मोटी नसे बड़े लाल टमाटर जैसा फुला हुआ सुपाडा, नाखुन मार दो तो खून के फररे उड़ने लगे मानो ।

शालिनी के बेबसी मे ही सही उसकी चादी हो गयी थी, इतना तंदूरस्त मुसल उसने आज तक नही चखा था ।

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शालिनी की आतुरता देख कमलनाथ किचन स्लैब पर पैर रख उसका सर पकड कर उसके मुह मे लन्ड पेलने लगा जिस्से लन्ड उसके गले तक चोक हुआ जा रहा था

शालिनी के फूलते नथुने और फैलती आंखे देख उसने लन्ड बाहर खिंच उसके रबड़ी जैसी रसदार होथो पर लन्ड रगड़ने लगा
लाल होता उसका चेहरा अब और भी कामुक लगने लगा था ।
कमलनाथ ने उसे पकड कर खड़ा किया और रसदार चुचिया ब्रा के उपर से मसलता हुआ मिजने लगा , शालिनी मादक सिस्कियां लेने लगी और वही कमलनाथ उसकी ब्रा कन्धे से सरका कर उसकी चुचियां मुह भरने लगा ।

मोटी दरदरी जीभ की रगड़ मानो शालिनी के मुलायम निप्प्ल पर रेती जैसी चल रही थी , रसभरे चुचो को गारता निचोड़ता मुह मे भर उसे चुसता हुआ कमलनाथ के हाथ निचे शालिनी की कमर पर गये ,

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कूल्हो पर रेगते हुए उसने उसकी पेतिकोट का नाड़ा खोल कर उसके अपने करीब किया
लन्ड की ठोकर सीधी उसकी पैंटी के उपर से चुत के मुहाने पर लग गयी ।

शालिनी के मुह से मदहोशि भरी आह निकाली और कमलनाथ उसके गोल 38 साइज़ के चुतड मसलता हुआ उसको अपनी बाजू मे कस कर उपर उठा दिया ।

शालिनी चौकी उसकी आंखे बड़ी हुई मगर अगले ही पल वो घूम कर किचन स्लैब पर बैठी हुई थी ।
कमलनाथ ने उसकी टाँगे उठा कर कमर से पैंटी खिंचने लगा ,

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शालिनी भी अब तो मानो भूल चुकी थी कि वो लोग खुले किचन मे मनमानी कर रहे है और बाहर दूकान मे बैठा उसका पति कभी भी अन्दर आ सकता है ।

कमर से पैंटी खिंच कर कमलनाथ ने उसके रस को चाटते हुए फरश पर गिराया और अंगूठे से उसकी बजबजाई बुर को दबाता हुआ थोडी सी सफेद मलाई बाहर निकाल कर उसको बुर के फाको पर ही मलते हुए जीभ निकाल कर चाटने लगा

शालिनी अपने कुल्हे उचका कर मचल उठी - अह्ह्ब उह्ह्ह आराम्म्ं सेह्ह्ह उम्म्ंम्ं उम्म्ंम

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कमलनाथ जीभ भीतर घुसा कर होठो से उसके बुर के होठ मिलाने लगा और चुबलाता हुआ रस नीचोड़ने लगा , शालिनी बुरी तरह रस छोडने लगी

उसकी आंख बन्द थी और वो उड़ रही थी , बीते चार दिन से वो मानो इसी पल के इन्तेजार मे थी जब उसकी नदियाँ फूट पड़ेगी और एक मोटा तंदुरुस्त लन्ड उसकी गुफाए फ़ाड कर रास्ते बनायेगा

हुआ भी वही कमलनाथ अपने लम्बे चौडे कदकाठी की सहायता ने उसकी जान्घ पकड़ स्लैब्स के मुहाने पर ले आया और अपने लन्ड के टोपे पर थुक लगाता हुआ उसकी बुर मे ह्चाक से पेल दिया

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शालिनी बुर फूली हुई गच्च से आधे लन्ड को घोन्त गयि , मगर कमलनाथ के कडक और मोटे लन्ड की रगड़ से उसकी बुर की दीवारे खिंच सी गयी और शालिनी आंखे भिच कर सिसकी - अह्ह्ह उह्ह्ह सीईई ओह्ह्ह ओह्ह्ह अह्ह्ह

कमलनाथ अब बिना रुके हचाहच लन्ड उसकी बुर मे उतार रहा था और शालिनी की आंखे उलटने लगी थी , वो एक मदहोश नसे मे खो रही थी ।
उसकी बुर लन्ड को निचोड रही थी
कमलनाथ - ओह्ह भाभी कितनी मस्त बुर है , इस उम्र मे की कितनी कसी हुई है उह्ह्ह

शालिनी - उम्म्ंम्ं अह्ह्ह्ह भाईसाहब आपका मुसल भी कहा कम है आह्हा हाय मेरी चुत की चटनी बना देगा ये तो अह्ह्ह

शालिनी को खुलता देख कमलनाथ मुस्कुरा कर - ये हुई ना बात , ऊहह कबसे आप चुउऊप्प्प थीईईइह्ह तोह्ह्ह म्जाअह्ह्ह नही आ रहा था ओह्ह्ह लिजिये और ऊहह।

शालिनी उसके कन्धे को को पकड कर - आह्ह हा ऊहह और और ऐसे ही उह्ह्ह भाईसाहब उम्म्ंम मुझे पता है आप रात मे आये थे उह्ह्ह

कमलनाथ मुस्कुरा कर -तो क्या आप जग रही थी

शालिनी - अह्ह्ह न्हीई वो मै सो रही थी मगर भनक थी मुझे ,

कमलनाथ मुस्कुराता हुआ मुह भीचकर करारे ध्क्के लगाता हुआ - सच कहू भाभी सुबह तड़के जबसे आपकी रसिली बुर के स्वाद लिये थे तबसे पागल था मै उह्ह्ह , तभी तो जंगी भाई मौका पाते ही चुत मे मुह लगा दिये


शालिनी थोडा शर्माई और मुस्कुरा कर आहे भरते हुए - तो और चुस लो ना भाईसाहब हहह ओह्ह्ह ऐसे ही ऊहह

कमलनाथ ने भी लन्ड बाहर निकाल कर उसकी किचन स्लैब पर लिटा दिया और बुर फैला कर उसकी नमकीन रस को चाटने लगा , शालिनी के सर को पकड कर चुत पर दरने लगी - उह्ह्ह भाईसाहब ऊहह ओह्ह और चुसो खा जाओ मेरी बुर ऊहह ओफ्फ्फ्फ

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कमलनाथ थोड़ी देर मे उठा और शालिनी की जांघो से पकड कर उसको टांग लिया फिर अपने तने हुए मुसल पर टिका कर खड़ा हो गया

शालिनी उसके कन्धे को कस कर पकड़े हुए उसके लन्ड पर सवार थी , इस पोजीशन मे उसकी बुर का दाना बुरी तरह से रगड़ा रहा था ।
कमलनाथ उसकी जान्घे पकड़े हुए उसको लन्ड पर उछालने लगा और शालिनी की चुत मे लन्ड उसकी जड़ो मे चोट करने लगा , जिस्से उसकी चिखे और तेज हो गयी ।

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कमलनाथ की भी हालत कम खराब ना थी , भरे जिस्म वाली शालिनी को हाथो मे पकड़ कर उछालते हुए पेलना उसके लिए दोहरे कसरत की बात थी , एक तो हाथो का जोर उसपे से निचे से कमर की चोट देकर लन्ड घुसाना
मगर शालिनी जैसी गदराई माल पेलने का जोश ऊपर से शाम से ही चूत की तलब ने मानो कमलनाथ मे घोड़े से ताकत फुर्ती भर दिया हो वो शालिनी की गाड़ पकड कर खुब हचक हचक कर लन्ड पेल रहा था और शालिनी हर पल पल उसकी बाजुओ से सरक भी थी , उसकी खुद की पकड कर कमलनाथ के कन्धो से ढीली होने लगी थी और हालात देख कर कमलनाथ ने समझारी दिखा कर शालिनी को लेके घुटने बल बैठता हुआ उसको बच्चे की तरह फर्श पर लिटा दिया और उसकी जान्घे फैलाते हुए कचकचा कर लन्ड उसकी बुर के पेलने लगा

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शालिनी जोरो से अपनी बुर के दाने को मसल कर झड़ रही थी और उसके साथ कोई और भी था जो अपनी पिचकारि चढ्ढे मे छोड रहा था ।

किचन के बाहर दिवाल की ओट मे खडा जन्गीलाल बीते 4-5 मिंट पहले अपने भाई रंगी के फोन करने आया था जो क्योकि रागिनी के फोन करने पर शालिनी का कॉल उठ नही रहा था
यहा आकर अपनी बीवी को हवा मे उछलते और भी जमीन पर मसलाते देख रहा था और उसकी खुद की बीवी के जोश और बुर मसलवा कर चिख चिल्ला कर पेलवाने की अदा ने उसे भी निचोड़ दिया था ।

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वही सामने कमलनाथ अपना लन्ड शालिनी के मुह मे भर कर झड़ते हुए उसके गले मे लन्ड को पेल रहा था और शालिनी उसका मोटा सुपाडा सुरक रही थी ।

जन्गी तेजी से बाहर चला आया ।
दुकान मे आने के बाद जब उसकी कामुक इंद्रिया शान्त हुई और दिमाग खुला तो उसे अब अच्छा मह्सूस नही हो रहा था ।
मानो शालिनी ने उसके साथ धोखेबाजी की ऐसा ठगा सा मह्सूस हो रहा था ।
वही मन ही मन वो कमलनाथ को गाली दे रहा था साथ ही वो खुद को भी कोष रहा था कि क्यू वो उसे यहा लाया ।

भीतर की उलझन और दिल के टुकडो को समेट कर वो दुकान के काम मे लग गया
कुछ देर बाद कमलनाथ शालिनी बाथरूम मे एक राउंड और साथ मे नहाते हुए चुदाई कर तैयार होकर बाहर आये ।

कमलनाथ मुस्कुरा कर जन्गी से हाथ मिलाते हुए उसे अलविदा कहा और जंगी भी मजबुर होकर जबरन मुस्कुराहट चेहरे पर लाता हुआ उसे विदा किया ।

शालीनी और कमलनाथ दोनो साथ मे ही चौराहे वाले घर के लिए निकल गये ।
उन्हे साथ हसता बाते करता देख जंगी का पोजेसिवनेस फिर से उमड आया और वो जलभुन कर रह गया ।

राज के घर

हाल मे सारे लोग एकजुट हुए थे , अनुज बस अभी अभी पहुचा था और वो अपनी बहनो के पास बैठा था उनसे बाते कर रहा था ।
तय हो रहा था कि इस छुट्टी मे वो मामा के यहा जरुर आयेगा ।

वही राज की मा अपने बाऊजी के जाने के वजह से भाव विभोर हुई पड़ी थी , मामी , मौसी ,बुआ और निशा सबकी आंखे नम होकर लाल हो रही थी ।

आंखे लाल तो ऊपरवाले सोनल के कमरे मे रिना की भी हो रही थी , बिस्तर पर आगे ही ओर झुकी हुई रिना की साडी कमर तक चढ़ी हुई थी और उसकी चुत मे राज अपना लन्ड हचक कर पेल रहा था ।

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राज - आह्ह भाभीई उह्ह्ह प्लीज रुक जाओ ना आज ऊहह आपकी ये मुलायम गाड़ चख लेने दो उह्ह्ह

राज के अंगूठे को अपनी गाड़ के छेद पर घिसता पाकर रीना अपने चुतड कसने लगी और सिस्कते हुए - आह्ह बाबू ऊहह आजाना ना कभी जानीपुर , आराम ले लेना , अभी तो तुम्हारे भैया तरस रहे है उह्ह्ह ऊहह और तेज उह्ह्ह

राज कसम्सा कर लन्ड को करारे झटके उसकी चुत मे मारता हुआ गाड़ पर झड़ने लगा
कुछ देर बाद

राज रीना को पकड कर बिस्तर पर बैठता हुआ - तब भाभी , excited हो घर जाने के लिए हिहिही

रिना - हा क्यूँ नही दुनिया जहां लाख प्यार मुहब्बत जता ले लेकिन जो सुख और सुकून पति की बाहों मे होता है वो कही और नही

राज उसकी ओर देख कर - अच्छा तो मेरा साथ आपको पसंद नही आया क्या मतलब
रिना उसके गाल को छू कर उसके लिप्स चुबला कर - नही मेरे हीरो तुम ये बात तब सम्झोगे जब शादी हो जायेगी तुम्हारि

रीना - जीवनसाथी के संग होना अपने आप मे ही एक अलग ही दुनिया है , वो तुम्हे तभी समझ आयेगा जब सही मायने मे तुम्हे किसी से प्रेम होगा ।

राज - तो क्या ये प्रेम नही है जो हम करते है

रिना मुस्कुरा कर - है वो भी है मगर यकीन मानों जिस दिन तुम्हे सच्चा प्यार हुआ तो तुम सब भुल जाओगे

राज ने अपने भौहे चढाई और उसको ये उबाऊ प्रेम की परिभाषा से चिडचिडापन सा लगने लगा था ।

रीना हसते हुए उठी - तो ये सब भूल जाओ ,अभी मस्ती के दिन है तुम्हारे मजे करो और भूल मत जाना अपनी भाभी को ओके

राज उसकी कमर मे हाथ डाल कर उसके चर्बीदार गाड़ को साडी के उपर से दबोचता हुस - अरे इतनी सेक्सी भाभी को भूल जाऊ हिहिही

रीना - हम्म गुड चलो , नीचे सब राह देख रहे है , मम्मीजी (रज्जो) ने कहा कि हम और पापाजी (कमलनाथ) भी नाना जी के गाडी से निकल जाये क्योकि यहा सवारी लेट आती है ।

राज - क्या इतना जल्दी ?
रीना - हम्म्म
राज - तो आपकी पैकिंग
रिना ने अपनी ट्रॉली बैग दिखाते हुए - वो रही बाकी पापाजी वाली बैग तुम्हारे कमरे मे है

राज - ओके चलो चलते है ।

इधर निचे सब लोग एकजुट हो गये थे ।
शालीनी और कमलनाथ भी आ चुके थे ।
रंगी और रागिनी ने सबको मिल कर व्यकितगत तौर पर विदा किया
विदाई के पल होते भी गमगिन ही है , औरतों का बिछुड़न सबसे दुख्द होता है ।
शालिनी , रागिनी रज्जो और शिला सब मामी से मिल कर गले लग कर फफक रही थी तो वही निशा और रीना की आपस मे कुछ चटपटी बातें भी चल रही थी । रीना से बातें करते हुए निशा की निगाहे कमलनाथ से मिली और दोनो मुस्कुरा दिये ।

कमलनाथ - बेटा आना कभी हमारे इधर
निशा - जी मौसा जी जरुर
कमलनाथ शालिनी को देख कर - और अपनी मम्मी को भी जरुर लाना

शालिनी कमलनाथ का इशारा समझ कर मुस्कुराने लगी ।

वही रंगी अपने साढू भाई से गले मिलकर उन्हे अल्विदा किया और अपने ससुर के पाव छू कर खड़ा हुआ तो बनवारी ने मुस्कुरा कर - जमाई बाबू आईएगा , भूलियेगा नही

रन्गी बनवारी का इशारा समझ कर हस पड़ा और हा मे सर हिला दिया ।
गीता बबिता भावुक थी अपने भाईयो से बिछड़कर राज से लिपटी हुई दोनो बहने बहती हुई आंखो से अपने चोर आशिक़ो राहुल और अरुण को भी निहार रही थी ।

मामी ने जाते हुए अनुज के पैंट की जेब हाथ डाल कर जबरन 500 के नोट डाले तो मामी के स्पर्श ने उसके जांघो के बीच सनसनी होने लगी , लन्ड मे हल्का विस्तार हुआ मगर क्षणीक था वो सब , मगर जाते हुए अनुज के गोरे गाल खिंच कर रीना ने सबके चेहरे खिला दिये ।


और राज के नाना के बोलोरो मे दोनो परिवार निकल गये अपने अपने घर के लिए ।

जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और धमाकेदार अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 

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UPDATE 199

अमन के घर

मुहल्ले की औरते अपना गीत संगीत गा कर , सोनल की मुह देखाई कर वापस लौट चुकी थी
किचन के लिये ममता ने शादी के पहले जो रसोइया रखी थी अभी कुछ दिन और रुकने वाली थी ।

घर के सभी लोग फ्रि थे , मुरारी मदन हिसाब किताब कर रहे थे हाल मे
ममता और संगीता मे हसी ठिलौली चल रही थी और भोला भी उसका हिस्सा बन रहा था ।

ममता के इशारे पर भोला ने मदन के मजे लेते हुए - मुरारी भैया , अब ले दे इस घर मे एक ही रडूआ आदमी रह गया है , इस बैल को भी किसी खूँटे से बान्ध ही दो ।

भोला की बात पर मुरारी को हसी आई और वो उसके फब्बारे होठों मे दबा कर मुह दुसरी ओर कर लेता है और मदन अपने जीजा का मजाक समझ कर शर्माते हुए लाल गालो के साथ हस कर - क्या जीजा , भला अब मेरी उम्र है शादी करने की ।

संगीता - अरे मदन भईया हमारे इधर एक मौलवी साहब ने 75 की उम्र मे शादी की है हिहिहिहिही

संगीता की बात पर मुरारी उसे देखता है और वापस हस्ते हुए अपने कापी मे हिसाब देखने लगता है

वहॉ संगीता की बात पर ममता उस्का पक्ष लेते हुए - और क्या हमारे देवर जी कौन सा 75 पार कर गये है , स्माइल कर दे तो मेरी समधन फीदा हो जाये

संगीता और ममता ने खिलखिलाते हुए एक दुसरे को ताली दी और महौल खुशनुमा हो गया ।

संगीता हस्ती हुई - मै तो कह ही रही हु मेरी छोटी ननद इधर उधर भटक रही है , पूंछ मे लपेट ही लो उसे और फेरे लेलो

संगीता की बात सुनकर मुरारी की दिलचसपी बढ़ी मगर जिस तरह इस बात को हवा मे उड़ा जा रहा था मुरारी ने ये सब भूलकर हिसाब किताब मे लग गया ।

वही उपर अमन के कमरे मे सोनल अपनी चीजे सेट कर रही थी और अमन उसको इधर उधर छू कर परेशान कर रहा था और सोनल जो कि रात की दोहरी चुदाई से इतना थकी थी उसपे से सुबह से 3 घन्टे तक औरतो के बीच बैठना और फिर अपना सारा समान सेट करना , उसपे अमन की छेड़खानी उसका चिडचिडापन बढा रही थी ।
अमन ने देखा कि यही सही मौका है अपनी मा को बुलाने का और उसने पापा के मोबाइल पर फोन कर अपनी मा से बात की ।

फोन पर बात करते ही ममता अमन का इशारा समझ गयी उसकी दिल की धड़कने तेज होने लगी और वो उठ कर जीने से उपर चली गयी ।

वही अमन शॉर्ट्स मे अपना मुसल रगड़ कर उसे खड़ा कर रहा था और उसकी नजरें दरवाजे के गैप पर थी कि कब उसकी मा उपर आये ,
सोनल बिस्तर पर समान बिखरा कर उनको अलग अलग छंटाई करने व्यस्त थी उसे अमन की छ्टपटाहट का जरा भी ध्यान नही दिया वो अपने काम मे व्यस्त थी ।
इधर ममता दरवाजे तक पहुची , थोड़ी सी दोनो मा बेटे मे इशारे बाजी और अमन खुश होकर अपना मुसल रगड़ते हुए सोनल के करीब खड़ा हो गया
ममता की नजरे दरवाजे और पर्दे की ओट से भीतर की मस्ती देखने लगी ।

अमन सोनल के पास बैठ कर उसको बाहों मे भरने लगा तो सोनल खीझ कर - प्लीज बाबू देखो ना कितना काम पडा है , प्लीज परेशान ना करो ऊहह हटो!!
ममता ने बिस्तर पर फैले हुए समान को देखा और समझ गयी कि उसकी बहू गलत नही है ये लड़का ही गलत समय पर जिद दिखा रहा है ।

अमन उसके गाल चुमते हुए कान के पास गर्म सासे छोड कर अपना लन्ड मुठीयाते हुर - आह्ह जानू प्लीज थोडा सा चुस दो ना
सोनल आंखे उठा कर - सिरियली बेबी , आप यारर

सोनल की ये प्रतिक्रिया ममता को अखर गयी कि सोनल को आये अभी एक दिन नही हुआ और वो ऐसे कैसे लहजे मे अमन पर भडक रही है । नयी नयी शादी है मेरा लाडले का मन मार कर रखेगी क्या ये हुह

इससे पहले अमन और गुजारिशे करता ममता ने दरवाजा खटखटा कर अमन को आवाज दी
सोनल ने झट से अमन को दुर करते हुए साडी का पल्लू सर पर रखते हुए अमन को आन्ख दिखाओ कि वो अपना तना हुआ मुसल छिपाये ।
अमन लपक कर एक कुसीन उठा कफ उसको गोद मे लेके बैठ गया ।

ममता कमरे मे आई और जायजा लेकर अमन को किसी काम के बहाने से कमरे से बाहर लेकर आ गयी ।

राज की जुबानी

अनुज के आते ही मै बिना समय गवाये पापा की दुकान पर पहुच गया
बबलू काका से बात हुई तो पता चला कि पापा छत पर आराम कर रहे है और बुआ खाना लेकर उपर ही गयी है ।

मै समझ ही गया कि वहा कौन और कैसे आराम कर रहा होगा ।
मै भी उपर निकल गया और जीने के पास ही अपनी चप्पल उतार कर सरपट सीढिया फांद्ता उपर आ गया ।
उपर बरतन के गोदाम थे और ये दुसरी मर्तबा था कि मुझे गलियारे मे बिखरे बर्तन से बच कर अपने बाप को किसी की ठुकाई करते हुए देखने का मौका मिल रहा था ।

जैसे ही कमरे के पास पहुचा कामुक सिसकियाँ और तेज थपथप की आवाज और गर्म आहे उठ रही थी , मगर दरवाजा बन्द

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नजर मेरी की होल पर गयी और आंखो का फोकस बढा कर कमरे का नजारा देखा तो मजा ही आ गया ।
सामने बिस्तर पर बुआ घोडी बनी हुई थी और पापा खड़े होकर तेज झटके से उनकी गाड़ फ़ाड रहे थे ।

तेज पंखे ही हवा मे उनकी बाते मुझे साफ नही सुनाई दे रही थी मगर बुआ की दर्द भरी आहे मेरे लन्ड को फौलादी किये जा रही थी ।

हालांकि भले ही मैने पापा से आग्रह कर रखा था बुआ को साथ मे मिल कर पेलने का मगर बुआ की चुदाई छिपा कर असल मे मैने खुद के पैर पर कुल्हाडी मार रखी थी ।
मुझे अब लग रहा था कि काश मैने पापा को पहले बता रखा होता तो आज उनके साथ मिल कर बुआ को पेलता ।
खुद पर गुस्सा आ रहा और मैने दरवाजे पर हाथ रखकर खड़ा होने को हुआ तो मेरे दबाव से दरवाजा अपने आप खुलने लगा

मतलब दरवाजा बस भिड़काया गया था , मेरे चेहरे की बूझती रौनक लौट आई और मै पीछे हट गया ।

कमरे का दरवाजा खुलता देख बुआ चौकी - कड़ी नही लगाई थी क्या भैया

पापा उनके कुल्हे मसलते हुए - ऊहह दीदी आपको चोदने के जोश मे रह ही गया ।

बुआ थोड़ा मुस्कुराई मगर पापा के करारे तेज झटके से लन्ड की उन्की गाड़ की सुराख को और मोटा कर रहा था और वो दर्द भरी सिसकियाँ ले रही थी ।

मेरा लन्ड फौलादी होने लगा था मैं उसे निकालने लगा कि तभी पापा की आवाज सुनाई दी- ओह्ह दीदी मै सच कर रहा हु जंगी जिस तरह से आपको देखता है पक्का वो भी आपको चोदना चाहता है ।

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पापा की बात पर मैं अपना मुसल मसल कर मुस्कुरा और बड़बड़ाया - हिहिही पापा चाचू तो आपसे पहले ही बुआ को चोद चुके है ,

इसपे बुआ कसम्साती हुई पापा के झटके का जवाब देती हुई - तो तुम क्या चाहते भैया अह्ह्ह सीई ओह्ह्ह

पापा रुक गये और लन्ड बाहर निकाल लिया और मै वापस दिवाल की ओट मे छिप गया

कुछ सेकेंड बाद वापस कमरे ने झाका तो नजारा बदल चुका था और बुआ की सिस्किया तेज हो गयी
पापा बुआ को पीठ के बल लिटा कर उनकी बुर मे लन्ड दे रहे थे

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बुआ - ओह्ह बताओ ना उह्ह्ह फ्क्क्क ऊहह
पापा मुस्कुरा कर लन्ड को बड़े आराम से उन्की बुर मे रगड़ते हुए - आह्ह दीदी छोटे को भी मौका दो ना उम्म्ंम और

बुआ अपनी थन जैसी मोटी हिल्कोरे खाती चुचिया थाम कर - अह्ह्ह आऔरर क्याअह्ह्ह उम्म्ं बोलो ना भैयाआह्ह

पापा - फिर हम दोनो भाई मिलकर
बुआ रोमांच से भर गयी और उनकी गाड़ खुद से ही उछलने लगी - आह्ह सच मे भैया उह्ह्ह दो दो लन्ड एक साथ

पापा तेज झटके से लन्ड घुसाते हुए -हा जीजी सोचो ना तुम्हारी गाड़ और बुर हम दोनो भाइयो का लन्ड साथ मे घुसा होगा ।

बुआ मचल उठी और अपनी चुत मसलते हुए - आह्ह सच मे भैयाह्ह्ह ऊहह मै तो पागल ही हो जाउंगी उह्ह्ह लेकिन ये होगा कैसे और दो लन्ड एक साथ उह्ह्ह भैयाअह्ह्ह ये क्या कह दिया आपने , मेरी दबी हुई आरजू को फिर से जगा दिया अह्ह्ह भैया चोदो मूझे और कस के उह्ह्ह फक्क मीईई भैहाह्ह्ह्ह ऊहह

पापा मुस्कुराए और बोले - अगर आप कहो से अभी आपको दो दो लन्ड का मजा दिला दू उम्म्ंम बोलो चाहिये

बुआ अपनी चुचिया मिजती हुई तडप कर - क्या सच मे जंगी भी आ रहा है क्या ?

पापा मुस्कुराए - उंहू नही
बुआ - फिर ?

तभी पापा की आवाज आई और मै बुआ दोनो चौक गये ।

पापा - राज बेटा अन्दर आजा
बुआ - क्या राज ?
मेरी फट सी गयी और मै हाथो मे लन्ड लिये हिलात हुआ कमरे मे हाजिर हुआ

बुआ गरदन उपर कर मुझे देख रही थि और मै बतिसी दिखा रहा था ।
बुआ - भैया ये राज के साथ आपका कुछ समझ नही आया

पापा हस कर - आप आम खाओ ना दीदी गुठली के पीछे क्यू
मै मुस्कुरा कर - पापा आम नही लन्ड हीहिहिही

और मै बुआ के सर के पास बैठ कर उनकी नंगी चुचिया हाथों मे भरता हुआ मसलने लगा ।
बुआ अभी भी असमंजस मे थी और कामुकता उनके चेहरे से उतर सी चुकी थी ।
चुत मे रेंगते पापा के लन्ड मा असर भी नही दिख रहा था ।

मै - बुआ वो मेरी और पापा की जोड़ी कुछ समय पुरानी है

बुआ - जोड़ी? मतलब तुम दोनो पहले भी किसी के साथ

पापा मुस्कराये - हा दीदी
बुआ - किसके ?
मै - मम्मी !!
पापा - रुब....।।
मेरे जवाब पर पापा की बात मुह मे ही रह गयी ।
शिला चौककर नजरे उठा कर मेरी ओर निहारते हुए - कब कैसे , मतलब मै समझी नही , भाभी इनसब के लिए कैसे ?

मैने मुस्कुरा कर पापा को देखा और पापा का चेहरा अब पहले जैसा खिला नही था, शायद वो मा के बारे मे नही बता कर किसी और का नाम लेना चाह रहे थे ।
पापा ने आँखो ही आंखो मे मुझे घूरा और मानो पुछ रहे हो कि इसको कैसे समझायेगा हमारे सारे भेद खुल जायेगे ।

मैने आंख मारी और हस कर - क्यू बुआ भूल गयी हिहिहिही
बुआ - क्या ?
मै - जब आप राखी पर आई थी और खुली छत पर आप पापा के लन्ड पर उछल रही थी फिर मा को तड़पता देख कर आपने औरपापा ने जोश मे आकर मा को मेरे लन्ड पर बिठा दिया था कि मै सोया हु हिहिहिही याद आया ।

ये बात तो पापा के लिए भी चौकाने वाली थी और शिला बुआ के लिए भी ।
शिला - तो क्या तु उस रात जाग रहा था ?

पापा ने भी आंखो से वही सवाल दुहराया तो मै खिलखिलाकर - बगल मे इत्नी मोटी चुचियो वाली बुआ की गाड़ मारी जा रही हो और मै सो जाऊ हिहिहिही

शिला हस कर - धत्त बदमाश कही का , लेकिन तु और तेरे पापा कैसे ?

"आपके जाने के बाद एक रात पापा ने फिर मम्मी को मुझे सोया हुआ जानकर मेरे लन्ड पर बिठाया था " , मै मुस्कुरा कर पापा को आंख मारी ।

बुआ के चुचिया अब वापस से खड़ी होने लगी थी , उनकी चुत के मासपेशियाँ एक बार फिर से पापा के लन्ड पर कसनी शुरु हो गयी थी , मतल्ब साफ था कि बुआ की कामोत्तेजना वापस आ रही थी और उनकी उत्सुकता बढ़ रही थी ।

मैने उनकी खरबजे जैसी मोटी चुचिया दोनो हाथो से पकड कर उन्हे सहलाता हुआ - फिर क्या मै लेटा हुआ था और मम्मी मेरे लन्ड पर कूद रही थी और पापा उन्के मुह मे लन्ड डाले हुए थे , ऐसा एक बार नही दो तीन रातों से हो रहा था ।

बुआ ने पापा की ओर देख कर - क्या सच मे ?
मैने पापा को हा मे सर हिलाने का इशारा किया - मुझसे रहा नही जा रहा था और उस रात मैने अपनी जान्घे फ़ोल्ड करके मुम्मी की कमर पकड कर निचे से लन्ड उनकी चुत मे पेलने लगा

बुआ के हाथ खुद ब खुब उनकी चुत के दाने पर पहुचने लगे और शरीर मे मस्ती बढने लगी ।
मै - पहले मा चौकी मगर कुछ बातचित के बाद हम तिनो साथ से मजे किये और तब से हिहिही
बुआ चेहरे पर कामुकता फिर से चढ़ आई थी और वो पापा का लन्ड टटोलकर उसे भितर घुसाते हुए - क्या भैया इतनी बड़ी बात मुझसे छिपाई उम्म्ंम

पापा अपना लन्ड वापस से बुआ के बुर मे रेंगाते हुए - आह्ह दीदी सॉरी मुझे लगा कही राज को शामिल करने से आपको गुस्सा ना आये

बुआ ने लपक कर मेरा लन्ड पकड कर - आह्ह इतना बड़ा लन्ड देख कर कोई पागल ही होगी जो गुस्साअह्ह्ह उम्म्ंम उम्म्ं उग्ग्ग्ग उग्ग अह्ह्ह सीईईई

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पापा के तेज धक्को से बुआ का मुह लन्ड को आकर भी हट गया और मै झूक कर उनकी रसदार चुचियां पीने लगा ।

बुआ - हा अब भले ही गुस्सा आ रहा है
पापा - क्यू दीदी
बुआ - घर मे जवान लन्ड रहते हुए भी मुझे तरसाते रहे उह्ह्ह ऊहह

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मै मुस्कुरा कर अपना लन्ड उन्के मुह मे भरता हुआ - अब नही होगा आगे से , क्यू पापा
पापा - आह्ह हा बेटा, हा दीदी उह्ह्ह लो अब दो दो लन्ड का मजा
पापा ने बुआ की जान्घे पकड कर कस कस के उनकी बुर मे पेलने लगे और मै भी उन्के मुह मे लन्ड भरते हुए उनकी रसदार मोटी चुचिया मसलने लगा - ओह्ह बुआ कितना मस्त चुस रही हो आह्ह लोह और भर लो उह्ह्ह

मैने लन्ड को उनके गले तक चोक करते हुए कहा ।
बुआ मुह से लन्ड बाहर निकाल कर खास्ती हुई मेरा लन्ड हिलाने लगी - आह्ह बाप बेटेहहह ऊहह फक्क्क उम्मममं सीई दोनो का लन्ड एक सा है उह्ह्ह

पापा - आखिर बेटा किसका है दिदीईई ऊहह इतने दिन से आपको चोदने का मन था लेकिन शादी मे ना आपको समय मिला ना मुझे

बुआ - हा भैया मेरी भी बुर बिना लन्ड के खुजाती रही बस
मै - आह्ह बुआ अब तो मेरे लन्ड की खुजली बढ़ रही है प्लीज कुछ करो ना

पापा - अह हा बेटा , दीदी यहा आजाअओ
पापा पीछे हट कर बिस्तर पर टेक लेकर बैठ गये और बुआ घोड़ी बनती हुई उनका लन्ड मुह मे भर लिया

पापा - ऊहह दीदी आह्ह चुसो उम्म्ंं उफ्फ्फ क्या मस्त चुस्ती हो
इधर मै बाकी कपडे उतार कर अपना मुसल मसल रहा था , सामने बुआ की बड़ी सी गाड़ का छेद और खुली हुई भोसडी की फाके दिख रही थी जिसे पापा पकड कर फैलाये हुए थे ।

पापा - आजा बेटा डाल ले उह्ह्ह दीदी ऊहह कितनी मुलायम गाड़ है

मै अपने लन्ड को मसलता हुआ बिस्तर पर आकर लन्ड को उनकी बुर के फाको मे फसाते हुए एक जोर का झटका दिया और लन्ड जड़ तक बुआ के चुत मे चली गयी
बुआ पापा का लन्ड कस कर हाथो मे भर सिसकी और पापा की भी आह निकल गयी
बुआ - ओफ्फ्फ लल्ला उह्ह्ह आराआम्म्ं से बेटा उह्ह्ह फ्क्क्क उम्मममं कितना कड़ा है तेरा मुसल उफ्फ्फ फ्क्क्क उम्म्ं

मै बुआ की गाड पकड कर उनको चोदता हुआ - ऊहह बुआ आपकी चुत भी तो भट्टी जैसे तप रही है ऊहह कितनी नरम गाड है

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बुआ पापा का लन्ड मुह मे भर घोन्ट रही थी और पापा उनका सर पकड कर मुह मे पेल्ते हुए - ऊहह दीदी मजा आ गया आज तो ऊहह और लो उम्म्ंम

मै भी जोश मे कस कस के करारे झटके दे रहा था और बुआ के चुत मेरे लन्ड को भितर से चुस रही थी ।

उनकी चर्बीदार बड़ी गाड़ को मसलकर लम्बे लम्बे शॉट लगाने का मजा ही और था उसपे से पापा के साथ मजा दुगना हो गया था

पापा लन्ड एक बार फिर तैयार और तनमना गया था
पापा - बेटा थोड़ा जगह बदली की जाये

मै मुस्कुरा कर - हा हा क्यू नही लेकिन मै क्या सोच रहा हु

पापा - क्या
फिर मैने उन्हे अपनी तरकिब बताई और अलग ही पल पापा निचे से बुआ की चुत के परख्चे उड़ाने लगे
उन्की तेज जोशीली कमर उछ्लाने की गति बुआ की गाड़ बुरी तरह से झटके खा रही थी और मेरी नजर बुआ के उस गुलाबी सुराख पर थी जो खुल बन्द हो रही थी ।बुआ की चिखे चरम पर थी

सुपाड़े को चिकना कर मै भी अपना पोजिसन लेकर लन्ड को बुआ के गाड़ की सुराख पर रखा और बुआ की सासे चढने लगी
थोडा सा दबाव और प्चक कर सुपाडा गाड़ के छल्ले को भेद्ता 2 इंच अंदर

बुआ की आंखे उलट गयि - आह्ह लल्ला आराम से बाबू उह्ह्ह ओफ्फ्फ

पापा बुआ की रसदार चुचियो को चुबलाते हुए लन्ड को समान्य गति से बुर मे पेल रहे थे
उनके लन्ड बुर मे गतिविधियों का अनुमान मुझे सुपाड़े की गाठ पर स्पष्ट मह्सूस हो रहा था और मेरे लन्ड की फड़क तेज हो रही थी
आगे झुक कर लन्ड को एक करारे झटके के साथ आधे से ज्यादा बुआ की गाड़ मे उतार दिया और मेरी भी हालत खराब ही हो गयी समझो

बुआ बुरी तरह हाफ रही थी गाड़ मे मची हलचल से जिस्म पुरा पसिना पसीना हुआ पड़ा था और दोनो लन्ड अब अपनी जगह बनाते हुए धिरे धिरे रेन्ग रहे थे ।

बुआ - ऊहह लल्ला अह्ह्ह अब रुका क्यू है
मै मुस्कुराया और एक करारे झटके के साथ लण्ड को उनकी गाड़ मे पेलने लगा , बुआ के जिस्म की अकड़ना उनकी बहटी चुत का सन्देस दे रही थी और उसी बहती चुत मे पापा के लन्ड की तेज रफ़्तार से अन्दर बाहर हो रहा था

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थप्प थप्प के साथ अब फच्च फच्च की आवाजे उठने लगी थी
पापा और मै दोनो तेजी से लन्ड गाड़ और चुत मे भर रहे थे
बुआ - अह्ह्ह भैया ऊहह लल्ला तुम्हारे लन्ड उह्ह्ह और तेज ऊहह मेरा हो रहा है अह्ह्ह उह्ह्ह सीईई फ्क्क मीईई ओफ्फ्फ्फ भैयाअह्ह्ह ऐसे ही ऐसे ही उह्ह्ह रुकना मत

मै - आह्ह बुआ रुकना क्यू है आज फ़ाड कर रहेंगे
बुआ - हा फ़ाड दो ऊहह फ्क्क्क मीईई

बुआ झड़ने के बाद अपने गाड़ और चुत के छल्ले कसने शुरु कर दिये और पहले पापा कसमाये - आह्ह दीदी आ रहा है मेरा उह्ह्ह
फिर मुझे भी वैसा ही कुछ मह्सुस हुआ
झटके उठकर मै अलग हुआ और पापा भी खड़े हुए
बुआ घुटने के बल हमारे लन्ड के निचे

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तेज गाढी पिचकारियां एक एक कर दोनो तरफ से बुआ के चेहरे पर गिरी और वो मुह खोले वीर्य की खुराख गटकने लगी

चेहरे पर फैले वीर्य को उंगलियो मे भर कर चाटने के बाद बुआ ने हमारे लन्ड की सफाइ की और कुछ पल हम नन्गे ही पन्खे की हवा मे लेटे रहे ।

थोड़ी देर बाद हमने कपडे पहने और मैने बुआ से पूछा - तो बुआ घर चलना है या चाचा के यहा

बुआ शर्मा कर हसने लगी
पापा - क्या बात है भाई तुम लोग हस क्यू रहे हो ।

मै - पापा वो क्या है मै टिफ़िन लेके आ रहा था तो बुआ ने खास मम्मी से बोल कर आई थी कि उन्हे चाचा के यहा जाना , वो तो यहा आने के बाद पता चला कि हिहिहिही

बुआ - चुप कर बदमाश
पापा मुस्कुरा कर - चले जाओ ना दीदी जन्गी अकेला होगा

बुआ ने पापा को आंखे दिखाने लगी तो मै हस कर - कोई फायदा नही पापा , चाची और राहुल भी घर चले गये है हिहिहिही
बुआ ने हस कर मेरे कंधे पर चपत लगाई और फिर मै बुआ के साथ निकल गए चौराहे वाले घर के लिए

रास्ते मे
बुआ - तु बडा चालाक है रे , भइया भाभी को भी तुने लपेट लिया और मुझे बताया तक नही उम्म्ं
मै हस कर - अभी तो बहुत कुछ नही जानती हो आप बुआ हिहिही
बुआ - जैसे ?
राज - ऐसे कैसे सब मेरा ही जान लोगी , घर चलो मुझ पहले आपसे बहुत कुछ जानना है ।

फिर हम दोनो घर के लिए निकल गये ।


***************************************

उधर शालिनी को वापस देख कर जन्गी की भुनभुनाहट अलग बनी हुई थी , परेशान चिडचिडा होकर वो राहुल को दुकान पर बिठा कर खुद निकल जाता है रंगी से मिलने ।

इधर सोनल वाले कमरे मे निशा और रज्जो सफाई के लिए आलमारियां खाली कर रहे थे , रागिनी अनुज के कमरे मे भिड़ी थी ।
रज्जो आलमारि से सोनल के पुराने कपडे निशा से पुछ कर बाहर कर नीचे फर्श पर गिरा रही थी और निचे बैठी निशा उसे फ़ोल्ड कर एक बैग मे रख रही थी , तभी कपडो के बिच से शिला का 10 इंच वाला डील्डो भी गिरा और रबर की डिलडो फर्श पर आते ही दो फीट हवा मे उछल कर वापस फर्श पर चिपकर खड़ा हो कर हिलने लगा

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निशा और रज्जो दोनो की आंखे फैली हुई थी , वो कभी एक दूसरे को चौक कर देखती तो कभी उस बड़े से लन्ड वाले डिल्डो को ।


जारी रहेगी
बहुत ही जबरदस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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अमन के घर

ममता के कमरे का दरवाजा बंद था और कड़ी चढ़ी हुई थी ।
दरवाजे से लगे दिवाल से चिपका अमन खड़ा था और ममता घुटने के बल बैठी हुई थी अंडरवियर मे तने हुए मुसल को पम्प होता देख रही थी ।

लन्ड का कड़कपन और उभरी नसे अंडरवियर के उपर तक झलक रही थी ।

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ममता ने हाथ आगे कर अमन के लन्ड को आड़ो सहित हाथ से सहलाया और अमन की सिसकी निकल गयि ।

ममता ने नजरे उठा कर अमन का भिन्चा हुआ चेहरा और फूलती छाती देखी और अंडरवियर के उपर से उसके सुपाड़े को चूमती हुई अंडरवियर निचे खिंचने लगी

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अगले ही पल उसका मोटा 9 इंच वाला बियर की कैन जैसा लन्ड उछ्ल कर ममता के आगे था ,
आंखो के आगे अपने बेटे का झूलता मुसल देख कर ममता की निगाहे उसके लाल मोटे आलू जैसे सुपाड़े पर जम गयि

थुक गटक कर उसने लन्ड को दोनो हाथों मे भर कर पकड़ा और बचे हुए सुपाड़े से उसका घूंघट पीछे किये

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अमन के लन्ड का टोपा अब पुरा खुल गया , सुर्ख गुलाबी और कामोत्तेजक गन्ध से भरा , खरोच मार दो तो भलभला कर खुन ख्च्चर हो जाये ।
लन्ड के कड़कपन से उसने एक गर्मी उठ रही और नसे पूरी कसी हुई थी ।
ममता ने कोमल हाथ उसके सतह पर टहल रहे थे और अमन हवा मे उड़ने लगा था ।

ममता ने मुह खोलकर हल्की सी जीभ निकाली और सुपाडे के पी-होल पर टच किया और अमन का शरीर गिनगिना गया ।

सासे तेज हो गयी ममता ने मुह की लार को जीभ से अपने होठो पर घुमा कर उसे गिला किया और सुपाड़े को कुल्फी की तरह एक बार सुरका

गुलाबी सुपाडा एकदम से चिकना और चटक हो गया वही अमन के जिस्म मे कपकपी सी दौड़ गयी ।

इस बार ममता ने बडा सा मुह खोला और आधे से ज्यादा लण्ड मुह मे , लन्ड की उठती गर्मी को मुह मे सोख कर होठो ठंडी मुलायम स्पर्श से ममता ने अमन को मदहोश कर दिया

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लन्ड पर उसके होठ मानो ठंडी मलाई सी घिस रही थी और आड़ो को सहलाते ममता के हाथ अमन की हालत और खराब करने लगे थे

अमन कसमसाता अकड़ता सिसकता अपनी मा के सर को छूने लगा , उसकी एडिया हवा मे उठ गिर रही थी , शरीर मे कपकपी सी हो रही थी , होठ बुदबुदा रहे थे और लन्ड को अपनी मा के मुह मे घुसेड़ रहा था ।

ममता अमन के लन्ड को चुसती चुबलाती , आड़ो को टटोलती घुमाती , कभी जीभ सुपाड़े की गांठ पर नचाती तो कभी पी-होल पर कुरेदती

अमन - ऊहह मम्मीई उम्म्ं आह्ह कितना मस्त चूस्ती हो आप उह्ह्ह फक्क्क और लोहह्ह ऑफ़ मम्मीई सक इट उह्ह्ह येस्स्स्स

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ममता को अमन के अन्ग्रेजी डायलोग भी खुब रिझा रहे थे और वो उसके लन्ड को मसल मसल कर खुब खुब चाट कर चिकना कर रही थी

5 मिंट 7 फिर 12 फिर 18
घड़ी की सुईया बदल रही थी मगर नही बदल रहा था तो वो था अमन के लन्ड का फौलादी पन
एकदम तना बास के खूँटे जैसे , इनच भर ना छोटा हुआ ना सिकुड़ा ।

ममता के हाथ और होठ दोनो दर्द से चूर, गाल की मासपेशियाँ भी थक कर चूर, अब उसे थोडा थोडा समझ आया कि क्यू बहू ने मना किया होगा । वरना भल इतने मोटे मुसल और हाथ भर बड़े लन्ड को देख कर किसको लालच ना आये ।

अमन - क्या हुआ मा
ममता - सॉरी बेटा, वो मै थक गयि
अमन - क्या ? तो इसका क्या ? ये ऐसे रहेगा क्या ?
ममता - अह बेटा कैसे होगा सही तेरा , तु ही बता अब
अमन का तो पुरा मन था कि खुल कर बोले कि मम्मी एक बार चुदवा लो लेकिन ममता ने पहले ही इस बात को लेके उसे मना कर चुकी थी।

अमन ने थोड़ी हिम्मत की और अपना मुसल हिलाते हुए - मम्मी वो आप दिखा दो ना घूम कर

ममता नासमझने का नाटक कर मुस्कुराती हुई - क्या दिखा दूँ
अमन - आह्ह मम्मी वो आपका , उसे देख कर निकल जायेगा
ममता - अरे बाबा उस्का नाम गाम है या नहीं
अमन अपनी मा को हस्ता देख कर मुस्कराया शर्माया - आपकी गाड़ दिखा दो ना

ममता - बस उस्से हो जायेगा तेरा
अमन - हा , शायद !
ममता मुस्कुरा कर वैसे ही अमन की ओर घूम गयी - ले निकाल ले

अमन छोटे ब्च्चे जैसे चिढ़ कर - अहा मम्मी प्लीज खोल के ना

ममता हसी और अपने सलवार का नाड़ा खोलती हुई - अच्छा तो ऐसे बोल ना खोल के दिखाओ

अमन की सासे चढने लगी और लन्ड पहले से ज्यादा कसने लगा
ममता ने सलवार खोलकर निचे घुटनो तक अटका दिया और आगे झूकते हुए अपना सूट गाड़ से उपर खिंच लिया ।

सामने का नजारा देख कर अमन की आंखे फैल गयी , लन्ड के मुह से भी लार टपकने लगी ।

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ममता के आगे झुकने से उसकी बड़ी सी गाड़ फैल गयी और मोटी फाको वाली बुर के भी दरशन अमन को होने लगे
वही बाहर हाल मे मुरारी भोला साथ मे बैठे थे और सामने मदन बैठा हुआ था ।

मुरारी भोला के साथ शादी के ही हिसाब कर रहा था और दो दिन बाद सोनल के मायके से जो मेहमान आने वाले थे उनकी चर्चा हो रही थी ।
अक्समात मुरारी ने नजर भर सामने बैठे मदन को उसके चेहरे की लाली और मुस्कुराते होठ देख कर मुरारी खीझ गया , मगर उसे समझ नही आया कि किस बात पर मुस्कुरा रहा है ।
तभी उसने मदन की गुपचुप निगाहो का पीछा किया तो पाया कि उसके ठिक पीछे जीने की सीढ़ी पर कुछ तो है जो वो देख रहा है चोरी चोरी

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वही उसके ठिक पीछे सीढियों पर ब्लाउज पेतिकोट मे बैठी संगीता धीरे धीरे अपनी पेतिकोट उपर कर अपनी बुर की धारियाँ मदन को दिखा रही थी ।
जिसे देख कर मदन के लन्ड कुरते के निचे फड़क रहे थे

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संगीता ने भरे घर मे जहा कोई भी आसानी से आ जा सकता था बिना डर के अपनी जान्घे फैला लर अपनी झाटो से भरी चुत के फाके दिखाते हुए मदन को इशारे से बुला रही थी जिससे मदन की बेचैनी और बढ़ गयी ।

इधर मदन का बार बार गरदन इधर उधर करना , जांघों पर जान्घे रख कर बैठने के तरीके मे बदलाव , इनसब से मुरारी का शक यकीन मे बदल रहा था कि जरुर उसके पीछे कुछ तो है इसको पता करने का एक ही तरीका था मुरारी झटके से उठा - जीजा तुम जरा बैठो मै फ्रेश होकर आता हु

इधर मुरारी के उठने से मदन की सासे अटक गयी और मुरारी सामने खड़ा था तो मदन जीने की सीढियों पर बैठी संगीता को आगाह भी नही कर सकता था ।

मगर इससे पहले कि मुरारी घूमता संगीता झट से अपना पेतिकोट गिरा कर सीढियों पर बिखरी हुई साडीया समेटती हुई जीने पर चढने लगी ।
वो मदन की आंखो से ओझल हो गयी तो मदन ने चैन की सास ली मगर मुरारी ने जैसे ही हाल ने बाथरूम की ओर घुमा उसकी तेज नजर से जीने से उपर ब्लाउज पेतिकोट मे अपनी बड़ी सी गाड़ हिलाते हुए संगीता को जाते देखा और उसका लन्ड फड़क उठा ।

मुरारी मन मे बड़बडाया - बहिनचोद ये लोग तो दिन दहाड़े खुल्लम खुला , और मै मेरी बीवी से भी कुछ बोलना हो तो झिझक होती है

मुरारी बड़बड़ाते हुए अपने कमरे के बाहर आया तो दरवाजा खटखटाया , दो बार कि खटखट फिर ये सोच कर आगे बाथरूम की ओर बढ़ गया शायद ममता आराम कर रही हो ।

इधर अमन अपना मुसल हाथ मे पकड़े अपनी मा की चुत और बड़ी सी चुतड़ को देख कर कामोत्तेजना से भरा हुआ था , वही ममता की भी चाह थी कि अमन आज आगे बढ़े, भले वो खुल कर अपने बेटे से दिल की बात नही कह सकती थी मगर 9 इंच के मोटे खूँटे को अपनी बुर की गहराई मे लेने ना मजा वो नही चूकना चाहती थी ,

ऐसे मे दरवाजे पर हुई दस्तक ने दोनो के ध्यान भन्ग किये
ममता और अमन दोनो ने सरपट और जल्दी से अपनी सलवार और पैंट उपर किये ।

ममता हड़बडा कर - तु यही बैठ जा , मै देखती हु ,

अमन की भी हालत खराब थी भले ही घर या समाज मे कोई भी मा बेटे के इस रिश्ते पर उंगली नही उठा सकता था मगर चोरी मन को भयभीत कर ही जाता है ।

ममता भी अपने चेहरे से पसीना पोछती हुई दरवाजा खोलती है और बाहर झाकती है ।
अमन - कौन है मम्मी
ममता - यहा तो कोई नही है
अमन ने राहत की सास ली और उठ कर अपनी मा के पीछे खड़ा होकर अपना मुसल पैंट के उपर से उसके चुतड पर चुभोता हुआ - तो बन्द करो ना मम्मी अब इसे ।

ये बोलकर अमन ने दरवाजे की कड़ी फिर से लगा दी और अपनी मा को पीछे से पकड कर हग कर लिया ।

ममता कसमसाई- ऊहह बेटा छोड़ ना
अमन अपना लन्ड अपनी मा के चुतड के दरारो मे घिसता हुआ - आह्ह मम्मी खोलो ना इसे

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ममता अलग होकर दिवाल से लग गयि और उसके सामने अपना बियर की कैन जैसा 3 इंच मोटा लन्ड हाथ मे भर हिला रहा था , जिसे देख कर ममता की चुत बजबजा उठी थी और वो कमोतेजक होकर अपना सूट आगे से उठा कर ब्रा भी उपर कर ली और दोनो थन जैसी मोटी मोटी चुचिया हाथो मे भर कर अमन को दिखाती हुई - उह्ह्ह लेह्ह्ह बेटा निकाल लेह्ह ऊहह

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अमन सामने अपनी मा की नन्गी चुचिया और उनके कड़े निप्प्ल देख कर और भी जोश मे आ गया और अपना लन्ड जोर से मुठियाता हुआ आगे बढ़ कर अपना एक हाथ ममता की चुचियो पर रख दिया

मुलायम कडक निप्प्ल का हथेली मे स्पर्श पाकर अमन का जोश चौगुना हो गया और वो हाथो मे भर कर अपनी मा की चुचिया मिजते हुए अपना लन्ड मुठियाने लगा वही अमन के स्पर्श से ममता का जिस्म गिनगिना गया और उसके पैर कापने लगे

इस्से पहले कि वो आगे बढ़ते दरवाजे पर एक बार फिर दसत्क हो जाती है और दोनो हड़बड़ा कर अपने कपड़े ठिक करते है और अमन लपक कर बाथरूम मे घुस जाता है
वही ममता कमरे का दरवाजा खोलती है ।

मुरारी झटके से कमरे मे आता है ।
ममता घबरा रही थी कि कही वो बाथरूम की ओर ना चला जाये - क्या हुआ जी क्या खोज रहे है

मुरारी - अह वो एक डायरी थी ना शादी के हिसाब वाली , कहा है ?

ममता परेशान थी और वो चाहती थी कि मुरारी जल्दी से जल्दी निकल जाये इसीलिए वो खुद वो डायरी अपने ड्रा से निकाल कर दे देती है और मुरारी बाहर निकलते हुए - तुम खाली हो गया अमन की मा !

ममता - हा कहिये ?
मुरारी - वो टेन्ट वाले काशी भाई आए हिसाब लेने जरा चाय बना दोगी ।

ममता - हा हा क्यो नही चलिये
फिर ममता ने कमरे का दरवाजा भिड़का कर अपने लाडले के लिए अफसोस जताती हुई चली गयी ।

वही कुछ देर बाद अमन खीझ हुआ कमरे से बाहर , उसकी कामोत्तेजना अभी भी शान्त नही हुई थी । उसका लन्ड पैंट मे साफ उभरा हुआ नजर आ रहा था ।
ऐसे हालत मे वो निचे रुकने से बेहतर उपर कमरे मे जाने का सोच रहा था और दबे पाव चुप चाप जीने से होकर उपर निकल लिया और जैसे ही अपने कमरे की ओर बढ रहा था कि किसी ने लपक कर उसकी कलाई पकडी ।

" आहा , देवर जी किधर "


राज के घर

कमरे मे एक चुप सन्नाटा पसरा हुआ था ।
निशा और रज्जो एक दुसरे के सामने उस परिस्थिति के लिए अंजान होकर भौचक्के होने का नाटक कर रहे थे ।

और सबसे पहली सफाई निशा ने दी , झट से उसने अपने सीने से चुन्नी खीची और फर्श पर हिल रहे उस डिलडो पर फेककर उसे ढकते हुए - ये कहा से गिरा मौसी ।

रज्जो को निशा की चालाकी पर हसी मगर भीतर चल रही बेताबी को थामती हुई - वो यही आलमारी मे कपड़े से गिरा है , किसका है ये ?

निशा हड़बडाई- प पता नही , मेरा नही है मौसी सच्ची ?

रज्जो हस्ते हुए होठो के साथ - धत्त तेरा कैसे होगा रे , देखी नही इतना मोटा बड़ा
रज्जो का जवाब और उस को मुस्कुराता देख निशा थोडी सहज हुई
रज्जो - कही सोनल का तो नही था ,

निशा चौक कर - क्या !! नही नही मौसी , मै उसे अच्छे से जानती हु और ये सब भला वो कहा से लायेगी । वो तो कही बाहर आती जाती भी नही थी ।

रज्जो - हम्म्म , फिर और कौन था इस कमरे मे

निशा थोड़ा हिचक कर लड़खड़ाती जुबां मे - वो रीना भाभी भी तो थी ना यहा ।

रज्जो - क्या , बहू ? नही नही वो कैसे ?

निशा - हा हो सकता है मौसी मुझे प्कका यकीन है ये वही लेके आई है निचे से

रज्जो - निचे से , मतलब ये किसी और का है ?
निशा - हा मौसी शायद मै जान्ती हु ये किसका है !!

रज्जो - किसका ?
निशा - शायद शिला बुआ का ?
रज्जो - शिला दीदी !!

रज्जो कुछ सोच कर बैठी और निशा का दुपट्टा हटा कर वो 10 इंच वाला बड़ा सा डील्डो हाथ मे लेते हुए - हम्म हो सकता है , तेरी बुआ वैसे भी कम छिनार नही है ,वो तो हाथी का खुन्टा भी घोट जाये

निशा खिलखिला कर शर्मा कर हसी - क्या मौसी आप भी हिहिहिही

रज्जो - अरे देखा नही , कैसे कुल्हे हिलते है उसके ।

निशा हस कर - कुल्हे तो आपके भी एकदम वैसे ही हिलते है मौसी हिहिहिही कही ये आपका ही तो नही

रज्जो मुस्कुरा कर - धत्त इतना मोटा मेरे मे जायेगा ही नही

निशा थोडा हिम्मत कर - एक बार कोसिस करके देखो मौसी क्या पता चला ही जाये हिहिहिही

इससे पहले रज्जो निशा को जवाब देती रागिनी रज्जो को आवाज देते हुए कमरे मे आने लगी और शिला ने झट से उसे निशा के दुपट्टे मे लपेट कर कपड़ो मे छिपा दिया ।
रज्जो - चुप रहना इस बारे मे छोटी को कुछ मत कहना अभी ।

रागिनी कमरे मे आती हुई - जीजी इधर का हो गया क्या ?

रागिनी कमरे मे आई और उसकी नजर रज्जो और निशा पर गयी जो कपडे फ़ोल्ड कर पैक कर रहे थे और तभी रागिनी की निगाहे निशा के खुले सीने पर गयी ।

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पहली बार रागिनी ने निशा को बिना दुपट्टे को इस तरह से देखा उसकी मोटी रसदार गोरी चुचियो की गहरी घाटीयो को हिलता देख रागिनी को ताज्जुब हुआ कि निशा ने हालही मे कुछ ज्यादा तेजी से विकास किया है , मगर उसने इस बात को बहुत तवज्जो नही दी और उनके साथ काम मे लग गयि ।


वही निचे गेस्ट रूम का दरवाजा भीतर से बन्द था और शिला के मुह पर चुप्पी थी ।
राज उसके पास बैठा हुआ उसके जांघो को सहला कर उसे हौसला दे रहा था ।

राज - क्या सोच रही है आप
शिला - वही सोच रही हु बेटा कि अनजाने मे हमारी ही की गयी गलतीयों की सजा अरुण को देते आये है हम ।

राज - बुआ वो चीज़ें तो सुधर जायेगी लेकिन छोटी बुआ और दोनो फूफा एक साथ कैसे ? मुझे उस रात यकीन ही नही हुआ ।

शिला चुप्पी साधे हुए - हम्म्म
राज - बहुत सारे सवाल आ रहे है बुआ , छोटी बुआ का दोनो फूफा से और फिर आपने कहा था कि आपके दो पति है । प्लीज बुआ बताओ ना क्या बात है क्या सच मे आपकी दो शादी हुई है ।

शिला थोड़ी झेपी और मुस्कुराई जिसपे राज उससे चिपक कर - अब तो बताओ ना प्लीज प्लीज

राज उसको लेके बिस्तर पर लेट ही गया ,
बुआ खिलखिलाकर - अच्छा ठिक है बाबा बताती हु लेकिन पहले मुझसे दो वादा कर

राज - दो वादे ?
शिला - हम्म दो !!
राज - मुझे सब मन्जुर है
शिला - अरे पहले सुन तो
राज - हम्म बोलो
शिला - पहला ये कि इस बारे मे किसी से भी बात नही करेगा यहा तक कि अपने पापा से भी नही ।
राज - अच्छा ठिक है और दूसरा
शिला - और प्लीज अरुण को लेके हमारी मदद करेगा वादा कर
राज शिला को कसकर पकड़ता हुआ - पक्का वाला वादा बुआ अब बताओ हिहिहिही

शिला - तो पहले क्या जानना है तुझे , कम्मो के बारे मे या मेरी शादी , वैसे दोनो जुड़ी हुई है ।

राज - उम्म्ंम्म एकदम शुरु से हिहिहिही मजा आयेगा
शिला उसके गाल खिन्चती हुई हसी - बदमाश कही का , चल सुन



इधर शिला राज को अपनी कहानी सुनाने जा रही थी तो वही जन्गीलाल अपनी आपबीटी और दुखड़ा लेके अपने बड़े भाई रंगीलाल के पास पहुच गया था ।


दुकान पर ग्राहको से डील कर रहे रंगी ने जब अपने छोटे भाई का उतरा हुआ चेहरा देखा तो उसने बबलू को भेज कर दो फालुदा मगाने को कहा और ग्राहको को निपटाने तक जन्गी को केबिन मे बैठने को कहा ।

जंगी केबिन मे चला गया
10 मिंट बाद रन्गी उसके पास आता है खुद फालुदा लिये ।

जंगी को ग्लास थमाता हुआ - लो पीयो इसे
जंगी परेशान होकर हाथ मे गिलास पकड कर - भैया वो मै ...

रंगी ठंडे ठंडे फालुदे का सिप लेता हुआ - हम्म्म पीयो पहले फिर आराम से बताओ बात क्या है

चार घूंट भितर गटकने से जन्गी के शनायु कुछ शान्त हुए लेकिन भीतर की खलबली उसके चेहरे पर अभी भी जाहिर थी ।

रंगी गिलास रखता हुआ - हम्म बोलो अब क्या बात है

जंगी अपने भैया के सामने बैठा हुआ इधर उधर गरदन हिला रहा था , दिल की बात जुबा तक नही आ पा रही थी -भैया वो ..

रंगी - जंगी , जन्गीईई सुन कुछ भी बात हो चाहे मेरे बारे मे ही क्यू ना हो तु एक दोस्त की तरह मुझसे दिल खोल कर बोल ।

जंगी - अरे नही भैया आपके बारे मे नही वो शालिनी

रंगी - क्या हुआ !! कुछ तबीयत खराब है क्या , निशा की मा का ?

जंगी - नही भैया वो दरअसल कल रात से ही कमलनाथ भाई मेरे यहा रुके थे और हमने थोड़ी थोड़ी ड्रिंक कर ली थी तो आपके ससुर चौराहे वाले घर थे तो मैने उन्हे अपने घर ही रात रुकने को कहा था ।

रंगी - हा पता है मुझे , अरे मुझे शामिल किया होता तो ऐसा नही होता ना हाहाहा मेरे हिस्से की कमल भाई गटक गये तो कैसे हजम होगा हाहाहा

जन्गी के चेहरे पर एक फीकी मुस्कान थी - बात वो नही है भैया
रंगी - हा हा तु बोल
जंगी - भैया वो रात मे शालिनी भी आई थी बा अनुज के साथ और आज सुबह

रन्गी - हा अनुज तो सुबह जल्दी आ गया था , कमल भाई और निशा की मा ही लेट आये थे

जंगी हिचक कर अपना कलेजा मजबूत करता हुआ - हा तो लेट होने का कारण नही जानना चाहोगे भैया

रन्गी हसता हुआ - क्या तु भी जंगी हाहाहा , ऐसी छोटी छोटी बातों के लिए क्या सोचना ।

रन्गी - अरे निशा की मा सुबह नासता पानी करवाने मे लगी थी , बताया था अनुज ने तो कोई बात नही मत सोच ये सब । ना मै गुस्सा हु और ना तेरी भाभी समझा

जंगी खीझ कर उठ खड़ा हुआ - ओह्ह भैया मै कैसे बताऊ अब आपको की बात कुछ और ही है

रंगी भी खड़ा हुआ - क्या बात है जंगी सच सच बता अब

जन्गी - भैया कमल भाई ने मेरे परिवार के साथ बहुत गलत किया है

रन्गी अचरज से - कमल भाई ने गलत किया है , मतलब क्या हुआ, कही रात नशे मे निशा की मा के साथ कुछ बदतमिजि तो नही किया ना

जंगी - नशे मे नही भैया खुले आम आज सुबह किचन मे वो शालिनी के साथ

रन्गी की उस्तुकता बढ़ी और साथ मे उसके लन्ड मे खल्बली होने लगी थी अनुमानित तौर पर जरुर चुदाई वाला ही सीन देखा होगा जंगी ने ।

रन्गी - क क्या हुआ किचन , तु साफ साफ बोल ना भाई । ऐसे उल्झा क्यू रहा है ।

जन्गी रन्गी का हाथ झटक कर बैठता हुआ - भैया वो कमल भाई शालिनी के साथ सम्भोग कर रहे थे ।

रंगी - क्या ?
जंगी - हा भैया ,
रन्गी ने अपनी लन्ड को चढ्ढे मे घुमा कर - और निशा की मा उसका व्यव्हार कैसा था उस समय ?

जंगी अपनी आंखो मे छ्लके हुए आसू को साफ करता हुआ - मतल्ब
रंगी- अरे मतलब निशा की मा कमल भाई का साथ दे रही थी या विरोध कर रही थी

जन्गी चुप हो गया
रंगी - बोल ना
जंगी - मुझे नही पता भैया , मै बहुत देर रुक ही नही पाया मुझसे देखा ही नही गया ।

रन्गी - अच्छा ये तो देखा ही होगा ना कि निशा की मा ने पूरे कपडे पहने थे या कुछ भी नही

जन्गी - शायद कुछ भी नही
रंगी - ओह मतलब निशा की मा भी कमल भाई के साथ थी ।

जंगी - क्या ? नही भैया शालिनी कैसे ?
रन्गी - देख भाई मै निशा की मा के चारित्र पर उंगली नही कर रहा हु लेकिन तु ही सोच ना कि अगर कमल भाई ने जबरदस्ती की होती तो वो जरुर शोर मचाती और सुबह जब दोनो साथ मे चौराहे वाले आये तो काफी घुले मिले दिख रहे थे ।

जंगी जो कि पहले से ही शालिनी की सच्चाई जान रहा था उसने अब रन्गी के सामने ये जाहिर करने लगा कि शायद उसकी बीवी भी कमल के साथ राजी होकर ही किया हो ।

जंगी - अह भैया वो दोनो जब घर से निकले थे तो भी बहुत खुश थे
रंगी - देखा , मतलब दोनो ने राजी खुशी मे किया है ।

जंगी - लेकिन भैया कमलनाथ भाई की वजह से मेरा घाटा हुआ ना

रंगी - कैसा घाटा
जन्गी - भैया उन्होने मेरी बीवी से कर लिया ना
रंगी हस कर - उस हिसाब से तो तुने भी कमल भाई की बीवी से किया है हिसाब बराबर फिट्टूस हाहहहा

जंगी थोड़ा मुस्कराया - लेकिन भैया मन नही मान रहा है ना
रन्गी - देख असल मे तुझे ये नही खल रहा है कि निशा की मा ने कमलभाई से सम्भोग किया , बल्कि तुझे इस बात का कष्ट जरुर होगा कि निशा की मा ने इस बारे मे छिपाया तुझसे ।

जंगी एक गहरी सास लेके - हम्म भैया ये भी है , अच्छा तो क्या इन दोनो का च्क्कर पहले से रहा होगा

रन्गी - हा हो भी सकता है , शादी के समय से ही दोनो एक ही घर मे थे और शायद वही चौराहे वाले घर मे ही इनकी आपस मे सांठ गांठ हुई हो और शायद कमलनाथ भाई जानबूझ कर ज्यादा ड्रिंक करके तेरे यहा रुक गये ताकि निशा की मा खाना लेके आये और भीड भस्ड़ से अलग इन्हे अकेले मे मौका मिल जाये ।

जंगी को रन्गी की सारी बातें उसके हुए अनुभवो के अनुसार तर्क संगत लग रही थी - हा भैया सही कह रहे हो क्योकि रात मे भी मुझे ऐसा ही कुछ अनुभव हुआ था

रन्गी जिज्ञासु होकर - क्या ?
जंगी थोड़ा गला साफ कर - भैया वैसे तो शालिनी मेरे साथ सम्भोग के लिए तैयार होती है मगर ना जाने क्यू मेरे कयी बार आग्रह करने के बाद भी उसने मना किया


रन्गी ताली देकर - देखाआआ !! यही वजह थी छोटे , उन दोनो की पहले ही सांठ गांठ थी इसीलिए तो वो मना कर रही थी ।

जंगी अपने भाई की कौतूहलता देख कर थोडा खुद पर लल्ल्जित था मगर उसे यकीन था कि अपने भैया से ये बाते शेयर कर उसने एकदम सही किया है ।

जन्गी - हा भैया और इसीलिए वो जानबूझ कर मेरे साथ ना सो कर अनुज के साथ राहुल वाले कमरे मे सोने चली गयी थी

रंगी सर हिलाता हुआ - हम्म् तो योजना बहुत तगडी थी दोनो की

जन्गी - हा भैया और मुझे लग रहा था कि वो बहुत ...।

जंगी बोलते बोलते रुक गया और थोडा असहज होने लगा ।
रंगी - क्या हुआ बोल ना
जंगी - भैया मुझे लग रहा था कि वो रात बहुत गर्म थी ।

जंगी की बात पर रन्गी का लन्ड थुमका ।
रंगी गल साफ कर थोडा असहज होकर - म अ मतल्ब

जंगी - अरे भैया वो रात मे जब कमल भाई खाने के लिए भी हिल डोल नही रहे थे तो उसका गुस्सा तेज था और जब मैने देर रात राहुल वाले कमरे मे गया , जैसे ही अपना औजार बाहर निकाला वो लेने को तैयार हो गयी ।

रन्गी - क्या ? वहा अनुज भी तो था ना सोया
जंगी - हा भैया मेरे बार बार कहने के बाद भी वो वही रही और मुझे उसे फर्श पर उतार कर करना पड़ा ।

रंगी का लन्ड अब कस चुका था और चढ्ढे पर उभार स्पष्ट दिखने लगा था
रन्गी ने जैसे ही उसको भिन्चा सामने बैठे जंगी की नजर अपने भैया के हरकतो पर गयी ।

रन्गी मुस्कुरा कर - अह ऐसी बातों मे साला ये परेशान हो जाता है
जंगी ने एक फीकी मुस्कान दी और बोला - भैया अब मै क्या करू , कुछ समझ नही आ रहा है । इसीलिए आपके पास आया हु ।


रन्गी ने एक अंगड़ाई ली और कुछ सोच कर - देख भाई अब जो हो चुका है वो बदला नही जा सकता लेकिन हा इस बात के लिए तैयार रहा जा सकता है कि आगे वो कही बाहर ना भटके ।

जन्गी - मतल्व ?
रन्गी - अरे मेरे कहने का मतलब , औरतें के भीतर की बात कोई नही समझ पाया , पता नही कमल भाई की कौन सी बात पर निशा की मा रिझ गयी उसपे , उसकी कमजोर कड़ी को तुझे खोजना पड़ेगा ।आज को तो कमल भाई थे वो अपने रिश्ते मे है और यहा चमनपुरा से दूर के है । कल को कोई लोकल का भी आ गया तो , इस बारे मे विचार करना पडेगा ना ।

जंगी - क्या भैया आप तो डरा रहे हो मुझे
रंगी - अरे डर मत मै एक दो काम बताता हु तु वो करना फिर जैसी वो प्रतिक्रिया देगी बताना मुझे ।


जंगी - जैसे कि?
रन्गी - पहली चीज़ तो ये है कि उसे भनक ना लगे कि तु निशा की मा के बारे मे जानता है , जैसा पहले था वैसे ही रखना ।
जंगी - और फिर
रंगी - देख भाई अगर ये उस्का पहली बार हुआ होगा तो मेरा यकीन कर प्कका वो किसी ना किसी बहाने से तेरे से कमल भाई की चर्चा जरुर करेगी और उस समय तुझे उसकी बातों को गौर से सुनना समझना है ।

जंगी - अच्छा ठिक है और कुछ
रंगी - हा है ना
जन्गी - क्या ?
रंगी अपना मुसल मसलता हुआ - आज रात तेरा बदला मै ले लूंगा हाहाहा तु टेन्सन फ्रि रहना

जन्गी समझ गया कि रंगी रज्जो को पेलने की बात कर रहा था ।
जंगी मुस्कुरा कर - भैया एक बात कहू
रंगी - क्यू तुझे भी चाहिये क्या , बोल अभी फोन करके बुला दू उम्म्ं

जंगी हस कर - नही वो बात नहीं है
रंगी - हा फिर क्या बता , बोल ना छिपाता क्या है मेरे से ।
जन्गी - पता नही आपको पसंद आयेगा भी या नही
रन्गी उसका कन्धा ठोक कर - अरे बोल ना

जन्गी - भैया मै तो सोच रहा था 7 - 8 पहलवानो को बुला कर रज्जो भाभी का गैंग वाला करवा दू , बहिनचोद खुनन्स नही निकल रही है

रन्गी जोर से ठहाका लगाता हुआ - हाहाहाहा समझ रहा हु दिल की भड़ास भाई , लेकिन अपनी सेक्सी रज्जो ने क्या बिगाडा है हिहिहिही वो तो हमे खोल कर देती है सारे छेद फिर उससे क्यू खुन्नस निकालना

जन्गी - वो ना सही तो ये कमल भाई की कोई बहन ही कोई , साली की बुर और गाड़ मे 2-2 लन्ड घुसकर कर उसके मुह मे मूत दू फिर कही चैन मिले मुझे

रंगी हसता हुआ - शायद उसकी एक बहन है ,उम्म्ं कोई गाव था बड़ा युनिक नाम था उसका

जंगी - क्या , सोचो ना भैया साला आज ही फाड़ के आउन्गा बहिनचोद

रन्गी हसता हुआ - अरे तु शान्त हो जा , हा याद आया "
चोदमपुर "

" क्या ?
चोदमपुर !! , ये कैसा नाम है " , जंगी ने अचरज से पूछा ।

रन्गी हस कर - पता नही भाई वो तो तेरी भाभी गयि थी कमल भाई के लड़के की शादी ने उसने बताया था ।

जंगी - चोदमपुर हो या पेलमपुर , बहिनचोद मौका मिला तो मईया भी चोद दूँगा

रन्गी हसता हुआ उसकी पीठ थपथपा हुआ उसे दुकान मे लेकर आने लगा - हा हा भाई सब कर लेना तु, चल आजा पान खिलाता हु तुझे

जंगी अपनी भुन्नाहट बाहर दुकान मे आने पर शान्त करता हुआ रन्गी के साथ चला गया ।

जारी रहेगी
बहुत ही मस्त और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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