Kalpana singh
New Member
- 92
- 231
- 33
Hayeeee husnkimallika jiमें अपनी नितम्बों को हिलाते हुए जा रही थी । रमेश अब मेरे साथ साथ चल रहे थे और बेशक रमेश मेरी हिलती डुलती चूचियों को घूरे जा रहे होंगे ।
उनके villa में पहुँच गए हम। अब उनके विला के बाहर बैठेने के लिए एक जगह थी। में वहाँ जा कर बैठ गयी। मेरी चूचियों का प्रदर्शन में खुले आम मेरी टाइट बिकिनी टोप में से कर रही थी। बेशक मुझे ऐसे बैठे देख, रमेश जी का लंड खड़ा हो रहा होगा। उनके Villa में एक बार था और उसके पीछे वह खड़े थे। ड्रिंक्स मिक्स कर रहे थे। वह मुझे ज़रूर शराब पिलाना चाहते थे।
में उनके बदन की तरफ़ निगाहें टिकाए बैठी थी।
फिर वो बोले,
"कामिनी कृपया मेरे साथ बार के पीछे आएं और उस जिन टॉनिक को वहाँ दूसरी तरफ से बार के पीछे से, मेरे पास लाने में मेरी मदद करें क्योंकि मेरे हाथ भरे हुए हैं।”
अब उस जगह तक में बाहर से नहीं पहुँच सकती थी इसलिए मैं उनके पास गयी और उनकी फैली हुई बाजुओं के नीचे झुक गयी। जैसे ही मैं नीचे झुक कर जाने लगी, रमेश ने अपना सिर झुकाकर मेरी चोटी और प्यारी चूचियों के बीच की दरार में झांक लिया। रमेश मेरे डोनो स्तनों और मेरे पेट को घूर रहे थे।
मैं भी उतनी ही रोमांचक स्थिति में थी। जैसे ही मैं झुकी थी, मेरा चेहरा उनके जाँघों के बीच का लंड का उभार तांत्रिक रूप से मुझे मग्न कर रही थी। मेरी हथेली और उनके लंड के उभर कुछ इंच की दूरी पर ही था। मैंने वह शॉर्ट में उनकी लंड की उभार देखकर कमुक्ता से अपने निचले होंठ को थोड़ा सा काट लिया।
रमेश के लंड का उभर मेरे इतने पास था, और Private Villa में और कोई नहीं था। मैं उनकी बोली पर आयी थी और मैं उनके लंड को चोदने और प्यार करने ही आयी थी ।
मैंने उनकी आँखों को मेरी चूचियों पर महसूस करी और उत्तेजित हो गयी। वह मेरे स्तनों को सूजते हुए देख सकता था, उन्होंने मेरी टोप में से सख़्त निप्पल भी देख सकते थे।
मैं उनके बहुत करीब थी और मेरी शरीर लगभग उन्हें छू रही थी। मेरी नज़र उनकी विशाल, गहरी छाती, उनके कठोर पेट, पसीने से चमकते हुए बदन से भरी हुयी। में अपने हाथ उठाकर धीरे-धीरे उनके पेट और उनके छाती तक ले गयी, और में उनके आँखों में आँख डालकर देखने लगी।
रमेश खुद को काबू में नहीं कर पा रहा था।
"कामिनी, मैं तुम्हारी चुदाई करना चाहता हूँ" रमेश धीरे से बुदबुदाये
रमेश ने उनके हाथों में जो ग्लास था वह नीचे रख दिए और मेरी कमर पकड़ ली और मेरी आँखें वासना से बंद हो गईं। मेरे प्यारे होंठ फड़फड़ाए, और जुदा हो गए, मेरी सांसें उनके चेहरे पर चल रही थी। रमेश ने अपना सिर मेरी ओर झुका लिया और उनके होंठ जो गर्म और सूखे और दृढ़ थे, मेरे नरम होठों को छू गए।
हमारे होंठ मिले और जुदा हुए, फिर मिले, फिर से जुदा हुए और फिर मिले, और फिर आख़िर में डोनो के होठों को अलग करने का कोई सवाल ही नहीं था।
उनकी जीभ मेरे होठों के अंदर चली गयी और मैंने उनके जीभ को चूसते हुए अपने मुँह के अंदर जाने दिया। मेरे हाथ उनके सिर के चारों ओर कस गए, और हमारे बीच चुंबन गहरा होता गया और अब मेरी जीभ उनके जीभ से मिली। हम चूम रहे थे और एक दूसरे में मग्न हुए ।
रमेश ने मुझे अपने पास खींच लिया और मेरे शरीर उनके शरीर से दब गए। उनके हाथ सरक गए और मेरे स्तनों को ऊपर से दबाने लगे, निचोड़ने लगे। मैं उनके बाँहों में पिघल गयी। वह अब मेरे तने हुए निपल्स को उँगलियों से छेड़ने लगे।
रमेश ने मेरे स्तनों को धीरे से निचोड़ा, और उनके आकार और वजन और परिपूर्णता और दृढ़ता पर चकित हुए।
मेरी जांघ उनके पैरों के बीच दब गई और मैं उनके इरेक्शन का भार अपने पेट पर महसूस कर सकती थी जो सरक कर मेरी नाभि में घुसी फिर और नीचे सरकते हुए मेरी गीली पैंटी पर महसूस करी।
मेरी चूत से तो काफ़ी पानी छूटने लगा था। हमारे बीच शब्दों की जरूरत नहीं थी। रमेश मेरे स्तनों को सहलाने लगे। में उनके स्पर्श से बहुत गर्म हो गयी थी। उन्होंने मेरी चूचियों को फिर से निचोड़ा, और उन्हें प्यार करते हुए, निपल्स को अपनी हथेलियों पर घुमाया।
हमारी गहरी चुंबन टूट जाने से मैंने अपना सिर नीचे शरम से झुका लिया ।
मैं उनके बाहों में ऊपर से नंगी थी। मेरे शानदार स्तन, गहरे रंग के ऑरियोल्स में स्थापित लंबे निपल्स टन कर खड़े थे ।
उनके हाथों की उँगलियाँ मेरे हाथों में उलझी हुई थीं। रमेश ने अपना सिर झुका लिया और जब उनकी जीभ मेरे निप्पल को छुयी, तो मैं उनके घने बालों में अपनी उँगलियाँ घुमाते हुए, हाँफती हुयी “ओह्ह्ह्ह्ह!" मैं कराह उठी।
रमेश ने मेरे सुस्वाद स्तनों को अपने हाथों से निचोड़ लिया और अपने मुँह में ले लिया ।
"हाँ ... उह्ह्ह्ह्ह ... ओह्ह्ह्ह!" उफ़्फ़्फ रमेश जी मम्मम”
चूचियों को चूसने के बाद उनके होंठ मेरी गर्दन तक चले गए। जब उनकी जीभ मेरे कान के नाजुक हिस्से को चाट रही थी, तो में उन्हें पास खींचकर उनसे चिपक गयी और आहें भरी।
उनके होंठ और जीभ धीरे-धीरे मेरी गर्दन और कंधों के हर इंच को चूमते हुए फिर उन्हें चाटने लगे। मैं कराह रही थी और रमेश फिर से मेरे स्तनों के बीच अपने होंठों से वहाँ चूमने लगे।
मैं अपनी योनी के भीतर उनके लंबे, सख्त लंड को महसूस करना चाहती थी। लेकिन मेंने को जल्दबाज़ी नहीं की ।
"उफ़्फ़्फ़्फ आप कितने रोमांटिक हो रमेश जी," मैं कराह उठी। में ऊपर उठी, मेरे स्तन उनके मुँह में और गहराई तक डालने की कोशिश कर रही थी।
मेरी जांघों के भीतर गर्मी जल रही थी।
उन्होंने मेरा हाथ लिया और उन्हें उनके शॉर्ट्स के कमरबंद में डाल दिया। उन्होंने अंदर कुछ भी नहीं पहना था।
उफ़्फ़ उनका लंड तो बहुत मस्त था , आठ इंच लंबा, चार इंच मोटा, पूरी तरह से खड़ा हुआ था और मेरे हाथ में धड़क रहा था।
उनका लंड उनके घने जघन बालों के जंगल से बाहर आता हुआ दिख रहा था।
. मैं उत्तेजना और गहरी वासना में कराह रही थी, मेरे चेहरे के सामने उनका लंड झूल रहा था। मैं उनके लंड को सूंघ सकती थी, बहुत ही मधक ख़ुशबू थी। मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और उनके लंड को मेरे चेहरे पर सहलाने लगी। फिर अपने गालों पर उनके लंड को सहलायी। में झुकी और उनके लंड को अपने स्तनों से दबायी, और अपने कठोर निपल्स पर चलाने लगी ।
में अब घुटनो के बाल गयी। उनका लंड मेरे चेहरे के सामने लहरा रहा था ।
"चूसो इसे कामिनी!" रमेश बोले। "चलो, बेबी मेरे लंड को अपने मुँह में लेलो और उसे जोर से चूसो! चलो चूसो मेरे लवड़े को !"
रमेश ने जिस अश्लील भाषा का इस्तेमाल किया, की उन्होंने मुझे और भी ज्यादा उत्तेजित कर दिया। लव्डा, मैंने सोचा।
“रमेश जी उफ़्फ़्फ बस *लुंड* और *चुत* और *चोढ़* जैसे शब्दों का प्रयोग करें...मुझे काफ़ी अच्छा लगेगा...*
रमेश ने उनके लंड के चमड़ी को पीछे खिंच लिया और उनका उभरा हुआ लंड का सिर प्रकट हुआ, जिसे देख मैं मंत्रमुग्ध हो गयी। यह एक बहुत बड़ा टोप था। उनके लंड के सिर से प्री-कम की बूंदे निकल रही थी ।
एक नरम कराह के साथ, में मुंह खोली और अपनी जीभ को बाहर की ओर सरकाकर, उनके लंड के नोक को चाट लिया और बस लंड के टोपे को चूसने लगी।
फिर मैंने अपनी जीभ अंदर खींची और उनके लंड से निकला हुआ प्रीकम निगल गयी।
उसका सिर झुक गया, मुझे देख रमेश विस्मय से हांफने लगा। मैंने उनके बीज के स्वाद का चखा। मैंने अपनी जीभ फिर से बाहर सरका दी और उनके लंड के सिर के चारों ओर चलाने लगी। उनका हाथ मेरे सिर को पीछे से पकड़ कर रमेश ने अपने कूल्हों को आगे बढ़ा दिया और पूरा लंड मेरी मह में डालने लगे।
"चूसो!" "मेरे लवड़े को चूस कामिनी उफफ़्फ़ क्या चुस्ती हो लंड मम्मम!"
मैं एक कामुक अवस्था में थी, मेरे बदन से गर्मी में पसीना आ रहा था और मैंने उनके आज्ञा का पालन किया। मैंने उनका लंड चूसना शुरू किया । 35+ आयु वर्ग के रमेश ने हांफते हुए, उनके आंखें बंद कर लीं ।
उन्होंने उनका लंड मेरी मह के इतने गहराइयों तक डाल दिया की उनके कूल्हे मेरे चेहरे पर टिक गए। रमेश अपने हाथों से मेरे सिर को इधर-उधर घुमाने लगे और मैं समझ गयी की अब तो चूसै का खेल बस शुरू ही हुआ है ।
यह मेरे मुंह की चुदाई कर रहे थे , उनका लंड गर्म और कठोर था और मेरे मह में धड़क रहा था। उनका लंड चूसते हुए में ऊपर उनकी तरफ़ देखी और चूमने के इक्स्प्रेशन दिखाए।
उनके लंड से मांसल और सेक्सी सुगंध आ रही थी, उनका लंड काफ़ी मस्त था। मैंने बढ़ते आत्मविश्वास के साथ उसे चूसा और झटका दिया, उन्होंने मेरे स्तनों को पकड़ लिया और उन्हें दबोचने लगे। उनका लंड मेरे होठों के बीच में था और, में लंड चूस रही थी।
में उनकी गेंदों को अपनी पतली उंगलियों से कोमलता से सहलायी। रमेश ने अपने कूल्हे पंप की तरह इस्तेमाल करे, मेरी मुंह की चुदाई कर रहे ।
"चूसो! चलो! चूसो मेरे लंड को उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कामिनी मेरे सपनो की रानी” रमेश खुशी से कराह उठे।
मैं उनके शब्दों से रोमांचित हुयी।
मैंने एक मिनट के लिए उनका लंड चूसना बंद कर दिया ताकि मेरी जीभ उनके लंड के नीचे से उनके गेंदों तक ले जाऊँ। मैंने अपनी जीभ उनके गेंदो के ऊपर घुमाई और धीरे से उन्हें मुँह में लेकर चूसने लगी, एक-एक करके उन गेंदो को मुँह में पूरी तरह लेकर उन्हें चूसने लगी । रमेश मेरी इस कामुक हरकत से कराह उठे, उनके कूल्हे खुशी से थरथरा रहे थे, और मेरे सिर को फिर से ऊपर खींच लिया और अपना लंड एक बार फिर मेरे चेहरे पर मलने लगे।
उफ़्फ़्फ उनका मोटा लंड मेरी मह को रगड़ते महसूस करके मेरी चूत को झधकने लगी और वहाँ से पानी बहने लगा। में इसे फिर से उनके लंड को प्यार से चूसते रही, कभी लंड के टोप को चुम्मा देते हुए चूसने लगी तो कभी उनके लंड के शाफट को मुँह में लेकर चूसने लगी। अब उनका मोटा लंड और आसानी से मेरी मह में ले साक़ी, और इस बार बड़े ही प्यार से उनका लंड मुँह के जड़ तक लेटे हुए चूसने लगी। में अभी भी नीचे बिकिनी में थी और मेरी बिकिनी मेरी चूत के रस से भीग चुकी थी।
![]()
Kya likhti ho aap , ufffff






