(UPDATE-61)
गुरु ब्राम्हनंद धीरे धीरे उस खंडहर के बहुत ही अंदर घुस चुके थे और और भी आगे तरफ रहे थे , गुरु ब्राम्हनंद अपना एक एक कदम फूँक फूँक के रख रहे थे वो पूरी तरह से चौकन्ना थे चारों तरफ नज़र दौड़ते हुए वो आगे तरफ रहे थे
और फिर गुरु ब्राम्हनंद एक जगह पे रुक्क जाते हैं और फिरसे वो मंत्र पढ़ने लगते हैं ” है शैतान मुझे पता है तू यहीं कहीं छुपा हुआ है , में तुझे हुकुम देता हूँ नेकी और अचाई के ताक़तों के तरफ से तू अपने आप को मेरे सामने पेश कार ” और फिर गुरु ब्राम्हनंद अपने जादुई दंड के निचले हिस्से को फिरसे ज़मीन पे पटकते हैं और इसे से एक तेज हवा का झोंका जादुई दंड से निकलता है और उस खंडहर के चारों तरफ फैलजाता है और तभी अचानक ही हवाओं को चीरते हुए एक बहुत बड़ा सा दिखने वाला प्राण भक्षी निकलता है
और वो प्राण भक्षी अपने लोहे और पठार से बने हुए गाड़ा जेशे दिखने वाले हथियार से गुरु ब्राम्हनंद के सीने के ऊपर वार करदेता है जिस से गुरु ब्राम्हनंद दूर जाकर गिरते हैं और उनके हाथों से उनका तेजधार तलवार और उनका जादुई दंड भी फिसल के गिरजते हैं
और इधर गुरु ब्राम्हनंद को नीचे ज़मीन पे गिरता देख वो बड़ा सा प्राण भक्षी हस्सने लगता है , और देखते ही देखते वहाँ चारों तरफ बहुत सारे प्राण भक्षी इकट्ठे होजते हैं और सभी गुरु ब्राम्हनंद को धीरे धीरे घेरने लगते हैं और वो बड़ा सा प्राण भक्षी अपने हाथ में अपनी खतरनाक गाड़ा जेशे दिखने वाले हथियार लिए गुरु ब्राम्हनंद के तरफ हस्सते हुए बढ़ने लगता है
वो बड़ा सा प्राण भक्षी अपने हाथ में अपनी खतरनाक गाड़ा जेशे दिखने वाले हथियार लिए गुरु ब्राम्हनंद के तरफ हस्सते हुए बढ़ने लगता है और गुरु ब्राम्हनंद रेंगते हुए पीछे हतटने लगते हैं और गुरु ब्राम्हनंद को यूँ रेंगते हुए पीछे हॅट था हुआ देख वो बड़ा सा प्राण भक्षी और भी ज़ोर ज़ोर से हस्सते हुए आगे बढ़ने लगता है और वो बड़ा सा प्राण भक्षी जेशे ही गुरु ब्राम्हनंद के करीब पहुँचता है
वो प्राण भक्षी अपने हाथ में पकड़े हुए गाड़ा जेशे दिखने वाले हथियार को ज़ोर से कशलेता है और गुरु ब्राम्हनंद के ऊपर वार करने लगता है लेकिन इसे से पहले की वो प्राण भक्षी गुरु ब्राम्हनंद के ऊपर अपने खतरनाक हथियार से वार करता
तब तक गुरु ब्राम्हनंद रेंगते हुए अपने जादुई दंड के करीब पहुँच चुके थे वो अपना हाथ अपने जादुई दंड के तरफ करते हैं और उनका जादुई दंड तेजिसे उनके तरफ उड़ता हुआ आ जाता है और गुरु ब्राम्हनंद जब देखते हैं की वो बड़ा सा प्राण भक्षी उनके ऊपर वार कार रहा है तो वो फौरन अपने जादुई दंड का रुख उस बारे से प्राण भक्षी के तरफ करते हैं और एक मंत्र बोलते हैं जिस से उनके जादुई दंड से एक तेज लाल(रेड) रंग की रोशनी निकलती है और सीधे उस बारे से प्राण भक्षी को जाकर लगती है और देखते ही देखते एक तेज विस्पोट होता है , बूंमम्ममम
इसे तेज विस्पोट के साथ ही उस बारे से प्राण भक्षी के शरीर के चिथड़े उड़ जाते हैं और उस जगह के चारों तरफ बिखर के गिरने लगते हैं , गुरु ब्राम्हनंद फौरन नीचे ज़मीन से उठ खड़े होते हैं और अपने जादुई दंड के निचले हिस्से को पूरी ताक़त के साथ ज़मीन पे पटक देते हैं , इसे से वहाँ एक तेज हवा का झोंका आता है जिस से वहाँ मौजूद सभी प्राण भक्षी कुछ देर के लिए कुछ भी देख नहीं पत्ते हैं उनके आँखों में धूल और मिट्टी चली जाती है इसे तेज हवा के झोंके के वजह से और इसे मौके का फायदा उठाकर गुरु ब्राम्हनंद वहाँ से जल्दी से निकल जाते हैं
कुछ ही देर में गुरु ब्राम्हनंद वहाँ उस खंडहर से निकल के अपने जादुई शक्तियों का इस्तेमाल करके जा पहुँचता हैं काला पर्वत के ऊपर तकिी ये पता लगा सके की इन सबके पीछे आख़िर है कौन
गुरु ब्राम्हनंद काला पर्वत पे पहुंच चुके थे और आगे तरफ रहे थे और हरर तरफ देखते हुए जाएजा लेते हुए आगे तरफ रहे थे गुरु ब्राम्हनंद ईश्वक़्त पूरी तरह से चौकन्ना थे और तभी गुरु ब्राम्हनंद को कुछ सुनाई देता है
हाहहाहा हाहहहाहा किसे ढूंढ. रहे हो धर्म गुरु ब्राम्हनंद , हाहहाहा हाहहहाहा यहाँ हरर तरफ तुम्हें सिर्फ़ अंधेरा ही अंधेरा मिलेगा
इसे आवाज़ को सुनकर गुरु ब्राम्हनंद के पर वहीं के वहीं रुक्क जाते हैं , इसे आवाज़ को सुनकर उनके चेहरे पे पसीना आने लगते हैं और उनके जुबान से लड़खड़ाते हुए बस एक ही शब्द (वर्ड) निकलता है ” सम्राट ”
गुरु ब्राम्हनंद धीरे धीरे पीछे पलट ते हैं और अपने से थोड़ी दुरपे सामने खड़े एक काले साए को पाते हैं और उस काले साए को देख गुरु ब्राम्हनंद समझ जाते हैं की ये काला साया किसी और का नहीं सम्राट का अक्ष ही है
आख़िरकार हमारा दुबारा आमना सामना हो ही गया ब्राम्हनंद , मैंने तुम्हें कहा था ना की में एक ना एक दिन वापस जरूर आऊंगा , लो में लौट आया और बहुत जल्द में अपनी कही गयी हरर एक बात को पूरा करूँगा , बहुत जल्द में अपने पूर्ण रूप को हासिल करलूंगा और फिर इसे मायवी दुनिया को मेरे हाथों खत्म होने से कोई नहीं रोक सकता है कोई भी नहीं , हाहहाहा हाहहाहा , सम्राट का अक्ष ये कहकर ज़ोर ज़ोर से हस्सने लगता है
तुम्हारा इसे मायवी दुनिया को खत्म करके शैतानी दुनिया का राज़ कायम करने का सपना तब भी अधूरा रही गया था और अब भी ये सपना अधूरा ही रहेगा तुम्हारा ये सपना कभी भी पूरा नहीं होगा , तुम अपने पूर्ण रूप को कभी भी हासिल नहीं कार सकोगे , गुरु ब्राम्हनंद सम्राट को ये कहते हैं
हाहहहाहा हाहहाहा , तू शायद ये भूल रहा है ब्राम्हनंद की मेरा अंश अग्नि थे ईविल प्रिन्स , अब इसे मायवी दुनिया में अचुका है और उसके ही वजह से मेरा रूहह मेरा आत्मा फिरसे जगह उठा है और वो मुझे मेरा पूर्ण रूप भी इसी तरह वापस दिलवाएगा मुझे उसपर पूरा विश्वास है , सम्राट हस्सते हुए ये सब गुरु ब्राम्हनंद से कहता है
हाहाहा , गुरु ब्राम्हनंद अपने चेहरे पे मुस्कान लिए सम्राट से कहते हैं , सम्राट मुझे तेरे इसे सोचपे हँसी आती है , तू एक तरफ अग्नि को अपना अंश बताता है लेकिन तू ये केशे भूल जाता है की अग्नि सिर्फ़ तेरा ही अंश नहीं है वो तेरे साथ साथ किसी और का भी अंश है
अग्नि तेरे साथ साथ तेरे जुड़वा भाई विराट का भी अंश है और तुझे में फिरसे याद दिलदेता हूँ की विराट ही वो साक्ष् है जिसके वजह से तू पिछली बार जंग में मारा गया था , अगर तू शैतानी और अंधेरी दुनिया का मल्लिक है तो विराट अचाई और इंसाफ का योढ़ा था
अगर तुझसे डार्क सभी तेरे सामने झुकते थे सलाम करते थे तो वहीं विराट के सामने सभी प्यार और मोहब्बत के कारण झुकते थे और उसे सलाम करते थे ,,,,,,, अगर बारे से बड़ा धर्म योढ़ा तेरे शैतानी शक्तियों के सामने बेकार थे तो वहीं विराट के अचाई के ताक़तों और मजबुट्ट इरादों के कारण बारे से बड़ा शैतान भी विराट से टकराने से डरते थे
इसलिए तू ये मात समझ की अग्नि सिर्फ़ तेरा अंश है वो विराट का भी अंश है , में मानता हूँ की अग्नि ईश्वक़्त एक वेमपाइर है और वो ईविल प्रिन्स भी है लेकिन उसके दिल के किसी कोने में आज भी अचाई बस्ती है , उसके पास बेशुमार ताक़तें होने के बावजूद वो आज भी एक मामूली इंसान की जिंदगी जीना चाहता है , और ये बात इसे बात का सबूत देता है की अग्नि के दिल में बुराई के साथ साथ अचाई भी है
सम्राट अग्नि सिर्फ़ तेरा ही अंश नहीं है वो तेरा साथ साथ तेरे जुड़वा भाई विराट का भी अंश है और जिस दिन उसे अपने जिंदगी के सारे राज़ पता चल जाएगा , जिस दिन अग्नि को अपनी पिछली जिंदगी पूरी तरह से याद अजाएगी मुझे पूरा यकीन है उस दिन अग्नि अपने दिल से बुराई को झड़ से उखाड़ फेंकेगा और तुझे भी
शा कभी नहीं होगा ब्राम्हनंद कम से कम इसे बार तो बिलकुल भी नहीं , पिछली बार तुम सबने मिलकर मेरे भाई को मेरे खिलाफ भड़का दिया था हम दोनों भाइयों के बीच में दरार डाल दिया था तुम सबने मिलकर , जिसके वजह से वो मेरे खिलाफ हो गया था वरना मेरा भाई कभी भी मेरे खिलाफ खड़ा नहीं होता , सम्राट का अक्ष गुरु ब्राम्हनंद को कहता है
ये तुम्हारा बहन है सम्राट हम में से किसने भी विराट को तुम्हारे खिलाफ नहीं भड़काया था , तुम्हारी दरिंदगी और तुम्हारी शैतानियत देख के तुम्हारा भाई तुम्हारे खिलाफ हो गया था , वो एक सच्चा योढ़ा था और अचाई का रक्षक था और तुम एक शैतान बन चुके थे मासूम लोगों को मौत के घाट उतरना तुम्हारी आदत बंचुकी थी और तुम्हारी इन्हीं सभी हरक़तों के वजह से वो तुम्हारे खिलाफ हो गया था और अबकी बार भी शा ही होगा , ये कहकर गुरु ब्राम्हनंद चुप होजते हैं
गुरु ब्राम्हनंद के चुप होते ही सम्राट फिरसे कहता है , नहिंन्नणणन् इसे बार शा कुछ भी नहीं होगा , में शा कुछ होने ही नहीं दूँगा में अग्नि को उसकी पिछली जिंदगी के बारे में कभी याद आने ही नहीं दूँगा , इसे बार में शा कुछ भी नहीं होने दूँगा और रही बात तेरी तो ब्राम्हनंद अब तेरा वक्त खत्म होचुका है अब तेरे मरने का वक्त आ गया है बहुत सालों तक जिलिया तूने अब अपने मौत का सामना कार
ये बोलते हुए सम्राट अपने हाथ को ऊपर उठता है और बारे ज़ोर से चिल्लाता है , यहह , ये चीख इतनी खतरनाक थी की इसे चीख की गूँज पूरे खून्नी जंगल में फैल जाती है और पूरा का पूरा जंगल हिल जाता है , खून्नी जंगल की सभी काली शक्तियाँ काले धुआँ के रूप में तेजिसे सम्राट के अंदर सामने लगती हैं
ब्राम्हनंद तैयार होज़ा अपने मौत का सामना करने के लिए , सम्राट गुरु ब्राम्हनंद को कहता है
और फिर सम्राट अपनी हाथ को गुरु ब्राम्हनंद के तरफ करता है और देखते ही देखते सम्राट के अक्ष के हाथ से काली शक्तियाँ ऊर्जा के रूप में निकलती हैं और तेजिसे गुरु ब्राम्हनंद के तरफ बढ़ने लगती हैं और जब गुरु ब्राम्हनंद ये देखते हैं तो फौरन अपने जादुई दंड को उठाते हैं और कहता हैं ” रक्षनाम ” और फिर गुरु ब्राम्हनंद के द्वारा इसे मंत्र के कहे जाने के बाद अचानक उनके जादुई दंड से एक तेज सफेद रोशनी निकलती है और तेजिसे एक बड़ा सा गोल आकर ले लेती है और गुरु ब्राम्हनंद को चारों तरफ से घेर्लेटी है एक सुरक्षा कवच की तरह , सम्राट के अक्ष के हाथ से निकली हुई काली ऊर्जा शक्तियाँ सीधे आकर गुरु ब्राम्हनंद के उस कवच से लगती हैं
जब सम्राट का छोड़दा गया काली ऊर्जा गुरु ब्राम्हनंद के उस कवच से टकराती है तो एक बहुत बड़ा तेज विस्पोट होता है , बूंमम्ममममम , और इसे विस्पोट से पूरा का पूरा काला पर्वत हिल जाता है और चारों तरफ काला ही काला धुआँ फैल जाता है , जब कुछ देर बाद वहाँ से काला धुआँ धीरे धीरे हटने लगता है तब पता चलता है की सम्राट का बार खाली गया है
अपने वार को नाकाम होता हुआ देख सम्राट बौखला जाता है और दुबारा से गुरु ब्राम्हनंद के ऊपर अपनी काली ऊर्जा शक्तियों से हमला करने लगता है एक के बाद के , एक से बढ़कर एक हमला करने लगता है सम्राट गुरु ब्राम्हनंद के ऊपर लेकिन गुरु ब्राम्हनंद का वो जादुई कवच उन्हें सम्राट के हर एक वार से बचलेटा है
जब सम्राट की काली ऊर्जा शक्तियाँ गुरु ब्राम्हनंद के उस जादुई कवच से टकराते हैं तो बहुत बारे बारे धमाके और विस्पोट होते हैं लेकिन सारे नाकाम रहते हैं उस कवच को तोड़ने में और ये सब देख सम्राट अपनी आँखों को बंद करता है और देखते ही देखते सभी काली शक्तियाँ जो सम्राट के अंदर काले धुआँ के रूप में थे वो सब बाहर निकलते हैं और सम्राट को चारों तरफ से घर लेते हैं वो सभी काली शक्तियाँ सम्राट को इसे तरह घेरते हैं की सम्राट को कोई भी देख नहीं पता है
और फिर अचानक ही उन्न काला धुआँ में से कुछ रोशनी निकालने लगती है और फिर वो सारे काला धुआँ धीरे धीरे सम्राट के चारों तरफ से हटने लगते हैं और पीछे जाने लगते हैं , और जब वो सभी काला धुआँ सामने से हॅट जाते हैं तो सम्राट का नया रूप सामने आता है
सम्राट इसे वक्त एक अलग ही रूप में था उसका अक्ष ईश्वक़्त जल रहा था सम्राट का पूरा अक्ष ईश्वक़्त जल रहा था सम्राट ईश्वक़्त एक आग के दानव के रूप में था और उन्न सभी काली शक्तियाँ जो काला धुआँ के रूप में थे उनके आगे खड़ा था
सम्राट को इसे आग के दानव के रूप में देख गुरु ब्राम्हनंद के पसीने निकालने लगते हैं , और सम्राट अपने नये रूप में आ ही अपने दोनों हाथों को ऊपर उठता है इसे से सम्राट के हाथों से आग निकालने लगते हैं और हवाओं और असमान में तेजिसे फैलने लगते हैं और फिर सम्राट अपने दोनों हाथ को आश्मन के तरफ करके धीरे धीरे घूमने लगता है और फिर सम्राट के शा करते ही असमान और हवाओं में फैला हुआ आग भी चारों तरफ चाकरी के तरह घूमने लगता है और फिर वो आग और भी तेजिसे चाकरी के तरह घूमने लगती है
और फिर सम्राट अपने जलते हुए सर को पीछे घूमता है और अपने पीछे मौजूद उन्न काली शक्तियों को हुकुम देता है के जाकर उन्न आग के साथ मिलज़ाओ और फिर देखते ही देखते वो काली शक्तियाँ सीधे जाकर उन्न आग के साथ मिल जाती है इसे से वहाँ का बताबरन और भी खतरनाक हो जाता है
अब सम्राट अपने काली शाकत्ों को अपने खतरनाक आग के साथ मिला चुका था और फिर सम्राट गुरु ब्राम्हनंद के तरफ देखता है , गुरु ब्राम्हनंद की हालत ईश्वक़्त बहुत खराब होचुकी थी ये सब नज़ारा देख उनके मुंह से एक ही शब्द निकलती है ” है मेरे मलिक मेरी रक्षा कर इसे शैतान से ”
सम्राट अपने दोनों हाथों का रुख गुरु ब्राम्हनंद के तरफ करदेता है और देखते ही देखते सम्राट की आग और काली ऊर्जा से मिली जुली शक्तियाँ तेजिसे गुरु ब्राम्हनंद के तरफ उड़ जाती है और देखते ही देखते वो सभी जा टकराती हैं गुरु ब्राम्हनंद के उस जादुई कवच से और उस कवच से टकराते ही एक तेज धमाका होता है दिल दहला देने वाला , और इसे धमाके से गुरु ब्राम्हनंद का कवच बच नहीं पता और उसके चिथड़े उड़ जाते हैं और इसे धमाके से गुरु ब्राम्हनंद तेजिसे उड़ते हुए जाते हैं और जाकर सीधे एक चट्टान से टक्रजते हैं
गुरु ब्राम्हनंद फौरन उठ खड़े होते हैं और अपने हाथ में जादुई दंड को लेकर सम्राट के तरफ बढ़ने लगते हैं और सम्राट भी अब अपने नये रूप के साथ अपने पीछे उन्न सभी काली शक्तियों को लेकर गुरु ब्राम्हनंद के तरफ बढ़ने लगता है , सम्राट धीरे धीरे जितना कदम आगे बढ़ता सम्राट का आकर उतना ही बड़ा होता जा रही था उसका अक्ष और भी ज्यादा जल उठ रहा था चारों तरफ ईश्वक़्त आग ही आग फैल चुका था काला पर्वत के ऊपर
गुरु ब्राम्हनंद अपने हाथ में जादुई दंड पकड़े हुए थे और उस जादुई दंड का रुख वो सम्राट के तरफ करने लगते हैं और कुछ मंत्र बोलने को होते ही हैं की अचानक कुछ शा होता है जिस से गुरु ब्राम्हनंद की रही सही हिम्मत भी टूट जाती है
सम्राट जीतने जीतने कदम आगे बढ़ता चारों तरफ आग उठने ही तेजिसे फैलता जाता , गुरु ब्राम्हनंद अपने जादुई दंड का रुख सम्राट के तरफ करके कुछ मंत्र पढ़ने को हुए ही थे की अचानक सम्राट के नज़दीक आने के वजह से उनका जादुई दंड जल्के रख हो जाता है और उस जादुई दंड का रख हवा में उड़ जाता है और अपने जादुई दंड को रख होता हुआ देख गुरु ब्राम्हनंद का सारा हिम्मत टूट जाता है
सम्राट आगे बढ़ते हुए अपने एक हाथ को उठता है और गुरु ब्राम्हनंद के तरफ करता है इसे से गुरु ब्राम्हनंद अपने आप हवा में उठ जाते हैं और फिर सम्राट अपने उस हाथ को नीचे के तरफ करके झड़ देता है इसे से गुरु ब्राम्हनंद अपने आप नीचे ज़ोर से पटक दिए जाते हैं और उनका सर फट जाता है और उनके सर से खून बहने लगता है और इसके बाद सम्राट फिरसे अपने हाथ को ऊपर उठता है और गुरु ब्राम्हनंद भी हवा में उठ जाते हैं और फिर सम्राट अपने हाथ को आगे धकेल देता है इसे से गुरु ब्राम्हनंद सीधा जाकर एक चट्टान से तेजिसे टकराते हैं और नीचे गिरजते हैं
सम्राट आहिस्ते आहिस्ते चलते हुए गुरु ब्राम्हनंद के पास जा पहुँचता है और सम्राट के गुरु ब्राम्हनंद के करीब पहुँचते ही गुरु ब्राम्हनंद के शरीर में आग लग जाता है और वो चत्तपटाने लगते हैं , सम्राट गुरु ब्राम्हनंद के गर्दन को पकड़ता है और ऊपर हवा में उठा देता है
ब्राम्हनंद मैंने कहा था ना तुझे की तेरा आखिरी वक्त आ गया है अब तू मरने वाला है में तुझे ऐशी मौत दूँगा जिस से तेरी पवित्र आत्मा को कभी भी शांति नहीं मिलेगा , में तेरे शक्तियों के साथ साथ तेरे आत्मा को भी निगल जाऊंगा , सम्राट ये सब गुरु ब्राम्हनंद को कहता है
तू मेरे साथ कुछ भी करले लेकिन तेरा अंजाम वही होगा जो पिछली बार हुआ था , सचाई हमेशा जीिट टीी है और हमेशा जीतेगी , गुरु ब्राम्हनंद ये कहते हैं
मौत के सामने खड़ा है लेकिन फिर भी भसन देने से नहीं चूकेगा तू अब बहुत दे दिया भसन तूने अब तेरे मरने का टाइम आ गया है , सम्राट ये आखिरी बात कहता है