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Thriller INTEQAAM (completed)

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ayush01111

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UPDATE 4


अगले दिन सब कुछ होटल में नोर्मल रहता है शाम के वक्त कमिश्नर थापा का कॉल आता है जिसे विक्रम रिसीव करता है...

विक्रम – हैलो कौन...

थापा – विक्रम मै कमिश्नर थापा बोल रहा हूँ तुमने मुझे जानकारी के लिए पूछा था होटल में इस वक्त उन तीनों के इलावा बाकी के दो लोग ऐसे है जिसमें तुम्हे एक आदमी रोज कमरे के बाहर भटकता दिखा है वो असल में होटल में एक राइटर बन के आया है वो कोई राइटर नहीं है एक मामूली सा ब्लैक मेलर है उसका नाम गुलशन है और दूसरा आदमी उसका नाम जेम्स है वो भी राइटर बन के आया है होटल में जबकि वो भी कोई राइटर नहीं है लेकिन हा उसका ताल्लुख जरूर कौशल के साथ होगा मेरी खोज के मुताबिक जेम्स को मुंबई में कौशल के साथ अक्सर देख गया है....

इन दोनों को ये नहीं पता कोई इनकी बात दूसरे फोन से सुन रहा है ये कोई और नहीं वही UNKNOWN (गुलशन) है जिसके बारे में कमिश्नर थापा बता रहे थे...

विक्रम – हम्ममम...

थापा – अच्छा विक्रम मै फोन रखता हु ऐसा लगता है हमारी बात कोई और सुन रहा है और जानकारी मिलते ही मैं खुद मिलने आऊंगा तुमसे...

विक्रम – ठीक है कमिश्नर साहब...

बोल के दोनो कॉल कट कर देते है जबकि इस तरह गुलशन हस्ते हुए फोन का रिसीवर रख देता है और कमरे से बाहर निकल टहल रहा था तभी एक कमरे से उसे आवाज आती है तब गुलशन दरवाजे के चाबी के होल से कमरे के अन्दर देखता है जहां एक आदमी टीवी देख रहा था तभी गुलशन को उस आदमी के हाथ में अंग्रेजी में बंसी लिखा दिखता है जिसे देख गुलशन हस्ते हुए दरवाजे से हट जाता है अपने कमरे में आके गुलशन फोन से कॉल करता है जिसे उठाता है जेम्स...

जेम्स – हैलो कौन है...

गुलशन – हैलो बंसी कैसे हो....

जेम्स – (घबरा के) बंसी कौन बंसी....

गुलशन – ज्यादा होशियार बनने की कोशिश ना करो बंसी तुमलोगो का राज मै जान चुका हु...

बंसी – (घबरा के) कौन हो तुम क्या चाहते हो....

गुलशन – अगर अपनी खैरियत चाहते हो तो पांच लाख रुपयों का इंतजाम करो....

बंसी – क्या पांच लाख...

गुलशन – हम्ममम ढाई लाख तुम और ढाई लाख तुम्हारा वो पार्टनर क्या नाम है उसका हा खन्ना...

बोल के गुलशन हंसने लगता है और कॉल कट कर देता है जिसके बाद बंसी किसी को कॉल करता है....

बंसी – (कॉल पे) हैलो खन्ना मै बंसी बोल रहा हूँ किसी को पता चल गया है कि मैं बंसी हूँ और तुम खन्ना और वो पांच लाख मांग रहा है....

खन्ना –(कॉल पर चौक के) क्या एक काम करो उसे पैसे दे दो ....

बंसी – क्या पांच लाख देदु उसे लेकिन....

खन्ना – लेकिन वेकिन छोड़ बाकी मैं देखता हूँ....

बंसी – ठीक है...

बोल के कॉल कट कर देता है जबकि एक तरफ काले कपड़ों में आदमी इनकी बात को दूसरे फोन से सुन रहा था जिसके बाद उसने कॉल रख दिया कुछ देर बाद बंसी का फोन बजता है जिसे रिसीव कर...

गुलशन – उम्मीद है तुमने अपने पार्टनर से बात कर ली होगी...

बंसी – हा हा मै पैसे देने को तैयार हूँ मेरा दोस्त भी तैयार है....

गुलशन – ठीक है आज रात बारह बजे सातवें माले की लिफ्ट में रुपए रख देना...

बंसी – ठीक है...

बोल के कॉल कट कर देता है और किसी को कॉल मिलता है...

बंसी – हैलो खन्ना उसका कॉल आया था रात को बारह बजे लिफ्ट में सारे पैसे रखने को बोला है उसने...

खन्ना – ठीक है पैसे रख देना लिफ्ट में बाकी मुझपर छोड़ दो...

बात सुन बंसी कॉल कट कर देता है जिसके बाद रात बारह बजे बंसी पैसों से भरा सूट केस हाथ में लिए सातवें माले की लिफ्ट में रख देता है और वापस चला जाता है तभी कुमार जोकि गैलरी में बनी खिड़की के पास बैठ सिगरेट पीते हुए अपने हाथ में पकड़े लॉकेट को देख रहा होता है जिसमें ॐ बना हुआ था तभी कुमार की नजर बंसी पर पड़ती है जो हॉफ टीशर्ट पहने था और साथ में उसके हाथ में अंग्रेजी में लिखा बंसी भी जिसे देख...

कुमार – (गुस्से में) तो ये है बंसी अब नहीं बचेगा तू मुझसे...

बोल के कुमार निकल जाता है लेकिन इस तरफ गुलशन जैसे ही लिफ्ट में जाके पैसों से भरा बैग उठा के लिफ्ट से बाहर निकलने को होता है तभी एक आदमी आके गुलशन को चाकू से मार के पैसे का बैग लेके निकल जाता है जबकि इस तरफ बंसी जैस ही अपने कमरे में आता है उसके कुछ देर बाद उसे फोन में एक कॉल आता है जिसे रिसीव करके...

बंसी – हैलो...

खन्ना – अब डरने की कोई जरूरत नहीं है बंसी रस्ते के काटे को मैने साफ कर दिया है...

बंसी – मतलब तुमने उस ब्लैकमेलर को मार दिया....

खन्ना – हा अब एक काम करो तुम्हारे कमरे के बाहर मैने पैसों का बैग रख दिया है उसे उठा के तुम आज ही ये होटल छोड़ के निकल जाओ कही और...

बंसी – ठीक है मै निकलने कि तैयारी करता हूँ तुरंत...

जिसके बाद बंसी कमरे के बाहर से पैसों का बैग लेके कमरे में आके अपना बैग पैक करके बाहर आके जैसे ही लिफ्ट का बटन दबाता है लिफ्ट के खुलते ही सामने से एक काले कपड़े वाला आदमी तुरंत बंसी का गला पकड़ दबाने लगता है किसी तरह बंसी उस आदमी से अपना गला छुड़ा के अपने कमरे में भाग के जैसे ही कमरे का दरवाजा बंद करने वाला होता है तभी काले कपड़ो वाला आदमी आके दरवाजे को जोर से धक्का देता है जिससे बंसी दूर जाके गिरता है काले कपड़ों वाला आदमी दरवाजा बंद कर बंसी के पास आके उसका गला दबा के उसे बेड में पटक देता है और जोर से बंसी का गला दबाने लगता है कुछ देर छठ पटाने के बाद बंसी अपना दम तोड़ देता है जिसके बाद काले कपड़े वाला आदमी बंसी की लाश को एक कमरे में ले जाके रख कमरे से बाहर जाने लगता है तभी कमरे से कुछ दूरी पर रेणु आती दिखती है जिस वजह से वो आमदी कमरे के अन्दर ही रहता है जबकि रेणु को अपने सामने सुनीता आती दिखाई देती है...

रेणु – सुनीता क्या तुमने कुमार को देखा है...

सुनीता – नहीं क्यों क्या हुआ...

रेणु – पता नहीं मै काफी देर से ढूंढ रही हूँ कुमार को मिल नहीं रहा है...

सुनीता – ठीक है तुम घबराओ मत एक काम करो तुम इस तरफ कुमार को ढूंढो मै इस तरफ ढूंढ़ती हूँ...

बोल के दोनो अलग अलग दिशा में कुमार को ढूंढने निकल जाते है चलते चलते अचानक सुनीता को एक कमरे का दरवाजा हिलता दिखाई देता है जिसे देख सुनीता कमरे का दरवाजा खोलती जहा बहुत अंधेरा होता है सुनीता आगे चलते हुए...

सुनीता – कुमार , कुमार...

बोलते हुए आगे जाती है तभी अंधेरे की वजह से सुनीता एक तरफ गिर जाती है और तभी सुनीता देखती है जमीन में बंसी की लाश पड़ी होती है जिसे देख सुनीता डर से जोर से चिल्लाती है...

सुनीता – (डरते हुए) ओह नो...

बोल के जैसे ही सुनीता एक तरफ जाती है तभी उसे गुलशन की लाश दिखती है जिसे देख डर से रोते हुए सुनीता एक तरफ फिर से गिर जाती है जिस वजह से बगल में रखा ट्रक टेढ़ा हो जाता है उसे से साहिल की लाश निकल जाती है जिसके बाद....

सुनीता – (चिल्लाते हुए) बचाओ बचाओ...

चिल्ला के कमरे से भागती है और तभी एक कोने में किसी से टकरा जाती है , सुनीता जिससे टकराती है वो पलटता है तभी सुनीता देखती है उसके सामने काले कपड़े पहना एक आमदी सिर में काली टोपी जिस वजह से उसका चेहरा नहीं दिख रहा था उसे देख सुनीता बचाओ बचाओ चीखते हुए कमरे से बाहर भाग जाती है कुछ दूर भागने के बाद अचानक से विक्रम से टकराती है जिसे देख...

विक्रम – क्या हुआ सुनीता तुम भाग के कहा से आ रही हो और तुम इतना डरी हुई क्यों हो...

जिसके बाद सुनीता डरते हुए विक्रम को सब बता देती है जिसके तब विक्रम कमरे में जाके देखता है जहां गुलशन , बंसी और साहिल की लाश होती है जिसके बाद होटल में पुलिस आती है जिसे विक्रम ने बुलाया होता है कुछ देर बाद पुलिस पोस्टमार्टम के लिए लाशे ले जाती है होटल के हॉल से जहा होटल के सारा स्टाफ और होटल में रुके सारे कस्टमर होते है साथ में कुमार भी और होटल का मालिक ठाकुर वीर सिंह भी जो लाशों को देख घबराया हुआ होता है तभी ठाकुर चुपके से विक्रम के पास जाता है...

ठाकुर वीर सिंह – (विक्रम से धीरे से) मुझे आपसे कुछ बात करनी है...

विक्रम – हा कहिए...

ठाकुर वीर सिंह – यहां नहीं मेरे कमरे में...

जिसके बाद विक्रम निकल जाता है ठाकुर वीर के साथ उसके कमरे की तरफ और ये नजारा कुमार एक तरफ से देख रहा होता है और वो भी उनके पीछे चल देता है जहां विक्रम और ठाकुर वीर कमरे में आते ही एक तरफ दोनों बैठ जाते है वही कुमार कमरे के दरवाजे के बाहर खड़ा चुप चाप इनकी बाते सुनने लगता है...

विक्रम – हा तो बताइए ठाकुर साहब क्या बात है...

ठाकुर वीर – विक्रम साहब मुझे बचा लीजिए...

विक्रम – बचा लीजिए लेकिन किस्से आखिर बात क्या है....

ठाकुर वीर सिंह – अब मेरी मारने की बारी है विक्रम साहब...

विक्रम – आपके मरने कि बारी लेकिन आप ही क्यों जबकि पुलिस रिकॉर्ड के हिसाब से अब जान का खतरा सिर्फ उस इंसान को है जिसकी एक आंख खराब है...

ठाकुर वीर सिंह – हा सही कहा आपने ये देखिए (बोल के ठाकुर अपनी एक आंख से लेंस हटा के दिखाता है) ये देखिए विक्रम साहब मै ही वो हूँ जिसकी एक आंख खराब है अब समझे आप अगला नंबर मेरा है मरने का जब मुझे पता चला आप यहां तहकीकात करने आए है मैने अपना और अपने बाकी साथियों का होलिया बदलवा लिया था...

इनकी बात सुन कमरे के बाहर खड़े कुमार की आंख गुस्से में बड़ी हो जाती है...

विक्रम – लेकिन ठाकुर तुमने अपना होलिया क्यों बदला क्या जरूरत पड़ी तुम्हे ऐसी...

ठाकुर वीर – जब आप मिलने आए मुझे तब मुझे पता चला कल्पना का खून हुआ है इस डर से मैने अपना और बंसी , साहिल और कौशल का होलिया बदलवा दिया लेकिन इसके बावजूद जाने कैसे मेरे सारे साथी एक एक करके मारे गए और मुझे यकीन है कि कुमार ने उनका खून किया है और अब वो मुझे मार डालेगा...

विक्रम – लेकिन कुमार तुम्हे क्यों मारना चाहता है...

ठाकुर वीर सिंह – क्यों की मुझे लगता है कि कुमार का उस लड़की से कोई ताल्लुख है...

विक्रम – लड़की कौन लड़की...

ठाकुर वीर – सुधा यही उसका नाम था जो मेरे मू बोले छोटे भाई और उसकी गर्ल फ्रेंड के साथ दशहरे वाली रात आई थी मेरे घर पार्टी में जहा पर...

कल्पना – (सुधा को ठाकुर वीर से मिलते हुए) हैलो ठाकुर साहब इनसे मिलिए ये है सुधा मेरी दोस्त...

ठाकुर वीर हाथ आगे बढ़ता मिलने के लिए जिसे देख सुधा हाथ जोड़ के नमस्ते बोलती है...

सुधा – जी नमस्ते...

ठाकुर वीर – ओह तो आप उनमें से है जो हाथ मिलाने में यकीन नहीं करती बहुत अच्छे चलिए हाथ ना सही कम से कम हम दिल से दिल मिला लेते है...

जिसके बाद ठाकुर वीर , सुधा को गोद में उठा के गोल गोल घूमता है जबकि सुधा अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करती है रोकने को बोलती है लेकिन ठाकुर वीर नहीं रुकता तभी ठाकुर वीर एक जगह रुक के सुधा को गोद से नीचे उतार देता है जिसके बाद सुधा एक जोर दार तमाचा मारती है ठाकुर वीर के गाल में जिसके बाद पार्टी में आय सभी की हसी रुक जाती है जिसमें बाकी के लोगों के इलावा कौशल , साहिल और बंसी भी होते है तभी...

ठाकुर वीर – (चारो तरफ शांति देख) अरे अपलोग चुप क्यों हो गए भाई आप सब एंजॉय करिए आज दशहरे के मौके पर इन्होंने दिवाली का पहला पटाखा फोड़ा है हम भी इनसे वादा करते है इस दीवाली का आखिरी बम हम फोड़ेंगे (सुधा को देख) याद रहे ये ठाकुर का वादा है...

जिसके बाद सुधा वहां से चली जाती है उसके कुछ दिन बाद दिवाली की रात कल्पना और साहिल मिल के सुधा का मू बांध के उसे ठाकुर वीर के एक घर में लाते है जहां साहिल , सुधा को बेड में पटक के मू खोल देता है जिसके बाद...

कल्पना – (ठाकुर वीर से) लीजिए ठाकुर साहब आपके लिए दिवाली का तोहफा हमारी तरफ से...

अपने सामने ठाकुर वीर को देख...

सुधा – तुम...

ठाकुर वीर – हा हरामजादी वादा किया था ना दिवाली का पहला फटका तुमने जलाया है और आखिरी फटका हम फोड़ेंगे साली तूने ठाकुर पे हाथ उठा के बहुत बड़ी गलती कर दी आज के बाद तू और तेरा ये जिस्म हर कोई इसके साथ खेलेगा...

ठाकुर वीर बोलता जा रहा था उसके साथ उसके बाकी साथी बंसी , कौशल , साहिल और कल्पना खड़े हस रहे थे जिसके बाद कल्पना मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर चली गई जबकि ठाकुर वीर , कौशल , बंसी और साहिल ने मिल के एक एक करके सुधा का रेप किया जिसके बाद ये चारो एक कोने में खड़े सिगरेट पी रहे थे तभी सुधा अपने कपड़े पहन के उस घर से भाग गई जिसे देख चारो सुधा को भागता देख हस रहे थे जिसके बाद अगले दिन कल्पना ने आके उन चारों को बताया कि सुधा ने आत्महत्या कर ली है जिस वजह से सभी ने मुंबई छोड़ने का तय किया...

बोल के ठाकुर वीर चुप हो गया और विक्रम गोर से देख रहा था ठाकुर वीर को जबकि कमरे के बाहर खड़ा कुमार तुरंत वहां से चला गया इधर विक्रम ने ठाकुर वीर को सोफे में बैठा उसे हथकड़ी से बांध दिया और हथकड़ी का एक सिरा फंसा दिया खिड़की के एंगल में...

ठाकुर वीर – ये क्या कर रहे है आप...

विक्रम – शेर के शिकार की तैयारी कर रहा हूँ ठाकुर अगर तुम्हे यकीन है कि कुमार ही कातिल है तो वो जरूर तुम्हे यहां मारने आएगा और मै उसे गिरफ्तार कर लूंगा....

बोल के ठाकुर वीर कुछ बोलने को हुआ था तभी विक्रम ने उसके मू में रुमाल बंधा के बगल वाले कमरे में चला गया और बेड में टेक लगा लेट के इंतजार करने लगा कुमार के आने का काफी देर इंतजार करने पर विक्रम को बेड में लेते लेते नींद आ गई जबकि कमरे की दूसरी तरफ खिड़की से कुमार कमरे में आता है विक्रम को बेड में सोया देख ठाकुर के पास जाता है जो सोफे में सो गया था तभी कुमार ठाकुर का बाल पकड़ के खींचता है जिससे ठाकुर वीर की नींद खुल जाती है लेकिन मू में रुमाल बंधा होने के कारण कुछ बोल नहीं पाता जिसे देख...

कुमार – (ठाकुर वीर का गला पकड़ उसे चाकू दिखाते हुए) क्या हुआ डर लग रहा है तुझे ठाकुर किस्से लग रहा है मुझसे या मौत से , नहीं ठाकुर तुझे डर मुझसे लग रहा है...

इस बीच ठाकुर वीर बोलने की कोशिश में लगा हुआ था लेकिन रुमाल मू में बंधा होने की वजह से हूँ हूँ की सिवा कुछ नहीं कर पा रहा था जिसे देख...

कुमार – बुला ले बुला लेकिन इंसान की तरह बुला कुत्ते की तरह नहीं (ठाकुर वीर की चेहरे पे चाकू घूमते हुए) जितना चिल्ला सकता है चिल्ला लेकिन कोई नहीं सुनेगा तेरी चीख जिस तरह मेरी सुधा की चीख नहीं सुनी थी किसी ने...

सुधा नाम सुनते ही ठाकुर वीर गोर से देखने लगता है कुमार को...

कुमार – देख क्या रहा है कमिने मुंबई से यहां मै तुम लोगो की तलाश में आया था बदला लेने मेरी सुधा की मौत का जिसे तुम्हारी वजह से मरना पड़ा लेकिन तू चिंता मत कर तुझे मै आसान मौत नहीं दूंगा तड़पा तड़पा के मरूंगा तुझे जैसे मेरी सुधा तड़पी थी....

बोल के कुमार चाकू से धीरे धीरे एक एक करके ठाकुर वीर के गाल पे सिर पे चाकू से कट करता रहा जिसके बाद...

कुमार – दर्द हो रहा है न तुझे याद कर ऐसे ही मेरी सुधा को भी दर्द हुआ होगा...

बोल के कुमार चाकू ऊपर उठा के जैसे ही ठाकुर वीर को मारने को होता है तभी विक्रम बीच में आके कुमार का हाथ पकड़ लेता है...

विक्रम – रुक जाओ कुमार ऐसा मत करो...

कुमार – तुम मेरे बीच से हट जाओ आज मै इसे जिंदा नहीं छोडूंगा ये मेरी सुधा को कातिल है....

विक्रम – नहीं कुमार इसे सजा कानून देगा तुम नहीं...

कुमार – (गुस्से में) नहीं इसे सिर्फ मै सजा दूंगा...

विक्रम – (कुमार को एक तरफ जोर से धक्का देते हुए) आखिर क्या लगती थी वो लड़की तुम्हारी जिसके लिए तुम इसे मारना चाहते हो....

कुमार – (गुस्से में चिल्ला के) क्योंकि सुधा मेरी बहन थी...

विक्रम – (चौक के) क्या सुधा तुम्हारी बहन...

कुमार – हा और इस कमिने की वजह से उसे आत्महत्या करनी पड़ी जानते हो मरने से पहले सुधा ने एक कागज में उन चारों का होलिया लिखा था और वही कागज तुम्हे मेरे कमरे से मिला था और मैं इन चारों की तलाश में बॉम्बे से यहां गोवा आया था इन्हें मारने लेकिन हर बार तुम मेरे रस्ते में आ जाते थे...

विक्रम – क्या इसका मतलब तुमने वो कत्ल नहीं किया....

कुमार – हैरान हो गए ना , हा विक्रम मैने किसी का कत्ल नहीं किया लेकिन आज मैं इसे...

बोल के जैसे ही कुमार एक तरफ देखता है सोफे पर वहां पर ठाकुर वीर नहीं होता ये नजारा विक्रम भी देखता है...

कुमार – तुम्हारी वजह से मेरे हाथ से निकल गया ये...

बोल के विक्रम और कुमार दोनो मिल के कमरे के बाहर ढूंढने लगते है ठाकुर वीर को तभी....

विक्रम – कुमार तुम इस तरफ देखो मै इस तरफ देखता हूं लेकिन कुमार प्लीज तुम कानून को अपने हाथ में मत लेना अपने लिए ना सही सुधा के लिए मान जाओ मेरी बात...

कुमार – ठीक है....

बोल के विक्रम एक तरफ और कुमार एक तरफ ढूंढने लगते है ठाकुर वीर को चलते चलते अचानक एक कमरे से एक हाथ बाहर आता है और विक्रम को कमरे में खींच लेता है जिसे देख...

ठाकुर वीर – देखा आपने मैने कहा था ना कुमार मुझे जिंदा नहीं छोड़ेगा खूनी है वो विक्रम साहब मै मानता हु मैने गलत किया लेकिन क्या करता हम ठाकुर है और उस लड़की ने हमारी बेइज्जती की और हमने उस बेइज्जती का बदला लिया लेकिन अब बस मैं बहुत थक गया हूँ विक्रम साहब प्लीज मुझे बचा लीजिए और अब तो आपके पास सबूत भी है कुमार के खिलाफ लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा कि आप उसे गिरफ्तार क्यों नहीं करते है क्यों विक्रम साहब क्यों जबकि आप जानते है खूनी कुमार है...

इतना बोलना था तभी ठाकुर वीर के पीछे उसकी गर्दन में रस्सी डाल के ठाकुर का गला दबाकर....

विक्रम – (गुस्से में) नहीं ठाकुर नहीं और कितना झूठ बोलेगा तू ठाकुर नाम रख के तू समझता है कोई तेरा असली नाम नहीं जान पाएगा खन्ना...

विक्रम के मू से खन्ना नाम सुन ठाकुर वीर हैरानी से विक्रम को देखने लगता है तभी....

विक्रम –(गुस्से में) क्यों हैरानी हुई तुझे खन्ना , कुमार ने कोई खून नहीं किया मैने हा मैने मारा है उन सबको क्यों क्या हुआ जानना नहीं चाहोगे कि कानून का रखवाला होके मैने कानून को अपने हाथ में क्यों लिया (रस्सी से गला दबाते हुए) पूछ खन्ना पूछ...

ठाकुर वीर (खन्ना) – क्यों किया ऐसा तुमने...

विक्रम – (गुस्से में चिल्ला के) क्योंकि सुधा मेरा पहला प्यार थी मेरी बीवी थी वो और तूने मेरी बीवी की इज्जत लूटी उसे मार डाला तुम लोगो ने मैने बिना किसी को बताए पता किया तुम लोगो का तभी मुझे सुधा की डायरी से कल्पना का पता चला और मुझे कल्पना के साथ साहिल दिखा दीवाली की अगली रात में क्योंकि उस वक्त मैं कल्पना से मिलने गया था सुधा के बारे में बात करने लेकिन वहां जाने से पहले मुझे अस्पताल से सुधा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली जिससे मुझे पता चला उसका रेप किया गया था चार लोगों ने मिल के जिसके बाद सुधा ने खुद खुशी कर ली बाकी रही सही कसर कल्पना के घर में देखी और सुनी मैने और तब कल्पना से शुरू किया मैने अपना इंतकाम का , क्या हुआ खन्ना आज तुझे दीवाले के पटाखे की आवाज नहीं आ रही है...

बोल के विक्रम ने खन्ना को पटक दिया और उसके सिर को टेबल से टकरा दिया जिससे खन्ना जमीन में गिर गया गुस्से में विक्रम ने तुरंत खन्ना के सिर के बाल पकड़ के उसे उठाया और जोर से धक्का दे दिया जिससे खन्ना टेबल की तरफ गिरा इससे पहले विक्रम , खन्ना को खड़ा करता तभी खन्ना ने टेबल की दराज से रिवॉल्वर निकाल के विक्रम पे गोली चला दी जिसकी आवाज कुमार , सुनीता और रेणु ने सुन ली और तीनों तुरंत आवाज की दिशा की तरफ भागे जबकि इस तरफ खन्ना ने विक्रम को तीन गोली मार दी और कमरे से भागने लगा जैसे ही खन्ना ने कमरे का दरवाजा खोला के तभी सामने से कुमार ने खन्ना के पेट में लात मार दी जिस वजह से खन्ना के हाथ से रिवॉल्वर नीचे गिर गई लेकिन कुमार यही नहीं रुका खन्ना को लगातार घुसा लात मारता रहा तभी मौका मिलते ही खन्ना ने कुमार को धक्का दे दिया और कमरे से बाहर भागने लगा ही था तभी विक्रम ने आके खन्ना की गर्दन पकड़ ली उसे खिड़की की तरफ तेजी से लेजा के बिल्डिंग से नीचे फेक दिया जिससे खन्ना का सिर जमीन से टकरा फट के मर गया वो इस तरफ विक्रम जख्मी हालात में जमीन में गिरा पड़ता है तभी सुनीता अपनी गोद में विक्रम का सिर रख लेती है...

कुमार –(पास में आके) विक्रम....

विक्रम – (कुमार का हाथ पकड़ के) कुमार ये सारे खून मैने किए थे सुधा के लिए...

कुमार – क्यों...

विक्रम – सुधा तुम्हारी बहन थी लेकिन वो मेरी बीवी थी कुमार उसका सबूत ये लॉकेट है (जेब से लॉकेट दिखाते हुए कुमार को) सुधा ने ऐसे दो लॉकेट लिए थे एक मुझे पहनाया और दूसरा लॉकेट मुझे दिखा के बोली कि ये मेरे भाई के लिए है , कुमार बहुत खुश थे हम दोनो अपनी प्यार भरी दुनिया में लेकिन इन कमीनो ने हमारी हस्ती खेलती जिंदगी को बर्बाद कर दिया...

सुनीता – कुमार प्लीज जल्दी से अस्पताल ले चलो विक्रम को...

विक्रम – नहीं सुनीता आज तो मैं अपनी सुधा के पास जा रहा हूँ आज तक मैं जिंदा था सिर्फ इसीलिए ताकि अपने इंतकाम ले सकूं , ताकि मै अपनी सुधा के पास सिर उठा के जा सकू , उसे कह सकू हमारी बरबादी का बदला लेके आया हूँ मैं...

कुमार – नहीं विक्रम मै तुम्हे...

विक्रम – (बीच में) नहीं कुमार मत रोको मुझे आज मेरे लिए बहुत खुशी का दिन है (ऊपर इशारा करके) वो देखो कुमार मेरी सुधा बुला रही है मुझे मेरी सुधा....

इसके साथ विक्रम अपना दम तोड़ देता है जिसे देख कुमार अपनी आंख में आसू लिए विक्रम की खुली आखों को अपने हाथ से बंद करता है कमरे के बाहर दरवाजे से होटल के कई कस्टमर ये नजारा देख रहे होते है थोड़ी देर में पुलिस कमिश्नर थापा अपने लोगों के साथ आके सारी जानकारी लेते है पुलिस की कार्यवाही खत्म होते ही सब अपनी अपनी मंजिल को निकल जाते है
.
.
.
इति
समाप्त
THE END
I am sorry mujhe laga tha Kumar khuni hai shak to tha par Vikram hi khuni hainsach me bhai ap Master ho
 
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क्लाइमेक्स मे आप ने रियल मे हमे चौंका दिया । जो पुलिस आफिसर कल्पना कत्ल केस की तहकीकात कर रहा था वही असलियत मे कल्पना का कातिल निकला । सिर्फ कल्पना का ही नही बल्कि उसने चार लोगों की हत्या करी ।
मतलब इनवेस्टिगेशन आफिसर भी मै और कातिल भी मै ! ठीक इसी तरह की स्टोरी , इसी सब्जेक्ट पर आधारित एक उपन्यास मैने पढ़ा था और उस उपन्यास के राइटर थे स्वर्गीय वेद प्रकाश शर्मा जी । उस उपन्यास मे भी उन्होने रीडर्स को खुब छकाया था ।

मुझे लगता है इस स्टोरी को विस्तृत रूप से लिखना चाहिए था । इस स्टोरी मे बहुत कुछ स्कोप था । सस्पेंस , थ्रिल , रोमांस , इमोशंस , ट्रेजेडी बहुत कुछ का समावेश हो सकता था ।
वैसे सस्पेंस तो कमाल का ही लिखा आपने ।

बहुत खुबसूरत कहानी भाई ।
बहुत बहुत खुबसूरत ।
 
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Agasthya

𝕿𝖍𝖊 𝕯𝖊𝖛𝖎𝖑 𝖄𝖔𝖚 𝕯𝖔𝖓’𝖙 𝕶𝖓𝖔𝖜..
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Annual Story Contest - XForum
Hello everyone!
We are thrilled to present the annual story contest of XForum!
"The Ultimate Story Contest" (USC).

"Win cash prizes up to Rs 8500!"


Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hindi section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 8000 words ke bich honi chahiye (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Cash Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 25th March ko open ho chuka matlab aap apni story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 25th April 2025 tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.

Important Links:
- Chit Chat Thread (For discussions)
- Review Thread (For reviews)
- Rules & Queries Thread (For contest details)
- Entry Thread (To submit your story)

Prizes
Position Rewards
Winner 3500 ₹ + image Award + 7000 Likes + 30-day Sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 2000 ₹ + image1 Award + 5000 Likes + 15-day Sticky Thread (Stories)
2nd Runner-Up 1000 ₹ + 3000 Likes + 7-day Sticky Thread (Stories)
3rd Runner-Up 500 ₹ + 3000 Likes
Best Supporting Reader (Top 3) 500 ₹ (Each) + image2 Award + 1000 Likes
Reporting Plagiarized Stories imag3 200 Likes per valid report


Regards, XForum Staff
 
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Reactions: DEVIL MAXIMUM

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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क्लाइमेक्स मे आप ने रियल मे हमे चौंका दिया । जो पुलिस आफिसर कल्पना कत्ल केस की तहकीकात कर रहा था वही असलियत मे कल्पना का कातिल निकला । सिर्फ कल्पना का ही नही बल्कि उसने चार लोगों की हत्या करी ।
मतलब इनवेस्टिगेशन आफिसर भी मै और कातिल भी मै ! ठीक इसी तरह की स्टोरी , इसी सब्जेक्ट पर आधारित एक उपन्यास मैने पढ़ा था और उस उपन्यास के राइटर थे स्वर्गीय वेद प्रकाश शर्मा जी । उस उपन्यास मे भी उन्होने रीडर्स को खुब छकाया था ।

मुझे लगता है इस स्टोरी को विस्तृत रूप से लिखना चाहिए था । इस स्टोरी मे बहुत कुछ स्कोप था । सस्पेंस , थ्रिल , रोमांस , इमोशंस , ट्रेजेडी बहुत कुछ का समावेश हो सकता था ।
वैसे सस्पेंस तो कमाल का ही लिखा आपने ।

बहुत खुबसूरत कहानी भाई ।
बहुत बहुत खुबसूरत ।
आपका बहुत बहुत शुक्रिया बड़े भाई आपको कहानी पसंद आई
वैसे मै बताना चाहूंगा में फिल्में देखने का बहुत ज्यादा शौकीन हु और मुझे ऐसा लगता है शायद हो न हो मुझे ये कहानी किसी फिल्म की लगती है मुझे तो याद भी नहीं कौन सी फिल्म होगी वो
 
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