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Thank you sooo much ayush01111 bhaiAbe maine bola tha Kumar hi katil hai
Shai hai bhaiItni aasaani se samajh jaao to thrill kaisa be![]()
Thank you sooo much Raj_sharma bhaiSahil khanna ko nipta diya bataoAnyway acha likh rahe ho bhai, lage raho, aur aise hi dhamaake karte raho
Waise wo purane wali story ko nipta do abb
Awesome update and superb writing![]()
Nice update....UPDATE 3
विक्रम होटल के एक वेटर के पास जाके उसे कुछ पैसे देके उसके कान में कुछ बोल विक्रम वहां से निकल गया और वेटर सीधा गया रेस्टोरेंट की तरफ जहां पर रेणु नाश्ता कर रही थी तभी वेटर रेणु के पास आके बोला...
वेटर – मैडम आप यहां है कुमार साहब ने आपको बुलाया है....
रेणु – कहा है कुमार...
वेटर – जी वो आपका बीच पर इंतजार कर रहे है...
जिसके बाद रेणु बीच की तरफ चली गई बीच में आते ही रेणु , कुमार को देखने लगी तभी पीछे से विक्रम ने आके रेणु के कंधे पर हाथ रखा...
रेणु – आप यहां...
विक्रम – जी हा मिस रेणु मै , मैने ही आपको यहां बुलाया है कुमार ने नहीं...
बात सुन रेणु पलट के जाने लगी तभी विक्रम ने रेणु का हाथ पकड़ लिया....
रेणु – (गुस्से में) LEAVE MY HAND DAMMIT OR I CALL THE POLICE....
विक्रम – (मुस्कुरा के अपना कार्ड दिखा के) जरूरत नहीं पुलिस हाजिर है , (रेणु के कंधे पे हाथ रख शांति से) रेणु देखो मै कुमार का दुश्मन नहीं हूं और मैं ये भी जानता हूँ तुम दोनो की अभी तक शादी नहीं हुई है...
विक्रम की बात सुन रेणु एक टक विक्रम को देख रही थी जिसे देख...
विक्रम – देखो मै जनता हूँ तुम कुमार से प्यार करती हूँ अगर तुम सच में प्यार करती हो कुमार से तो प्लीज मुझे ये बता दो कुमार कौन है उसका घर कहा है उसका खानदान के बारे में और गोवा में क्यों आया है तुम सोच रही होगी मै ये सब तुमसे क्यों पूछ रहा हूँ तो तुम्हे ये बता दूं कि अगर मैं कुमार को गिरफ्तार करना चाहूं तो मेरे पास इतने सबूत है मै उसे अभी इस वक्त गिरफ्तार करके जेल भिजवा सकता हूँ....
रेणु – (गुस्से में विक्रम का कॉलर पकड़ के) नहीं तुम ऐसा नहीं कर सकते हो...
विक्रम – (अपना कॉलर छुड़ा के) इसीलिए मै बोल रहा हूँ मुझे कुमार के बारे में सब कुछ बता दो वर्ना तुम जानती हो...
जिसके बाद...
रेणु – मेरी कुमार से पहली मुलाक़ात आज से 3 महीने पहले हुई थी मुंबई में उस वक्त मैं प्रॉपर्टी खरीदने की सिलसिले में आई थी होटल में तब मीटिंग के वक्त कुमार से पहली बार मिली वो पहली मुलाक़ात हम दोनो के इतने करीब ले आई कि हम दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे इतने करीब आगए की एक दूसरे को एक पल देखे बिना जीना मुश्किल था इसी मुश्किल को हल करने के लिए हम दोनो ने फैसला किया कि हम दोनों दिवाली की रात एक दूसरे के हमेशा के लिए हो जाएंगे लेकिन वो दिवाली की रात ना जाने मेरी जिंदगी की कैसी रात थी जिसे मैं आज तक न समझ पाई मै बहुत खुश थी क्यों कि कुमार उस रात शादी की बात करने वाला था लेकिन कुमार आया लेकिन उसका आना न आने के बराबर था तब मै होटल के लॉन में इंतजार कर रही थी तभी कुमार को सामने देख...
रेणु – अरे तुम आ गए लेकिन तुम इतने उदास क्यों हो...
कुमार – जो हुआ मैं तुम्हे बता नहीं सकूंगा...
रेणु – लेकिन कुछ तो बताओ कुमार आखिर बात क्या है...
कुमार – सिर्फ इतना बता सकता हूँ मैं आने वाला था खुशखबरी के साथ लेकिन आया हूँ बहुत बड़े गम के साथ...
रेणु – कुछ तो बताओ कुमार...
कुमार – इस ग़म के बारे में और कुछ नहीं बता सकता रेणु बस ये समाज लो अभी हमारी शादी नहीं हो सकती....
रेणु – लेकिन क्यों...
कुमार – मै कुछ नहीं बता सकता हु कल मै काम से बाहर जा रहा हूँ वापस आके जल्द मिलता हूँ...
बोल के कुमार वहां से निकल गया उसके बाद होटल के जिस कमरे में कुमार रुक था वहां से मुझे जानकारी मिली कि कुमार गोवा के होटल में बुकिंग कराई है तब मै यहां आ गई कुमार के पास लेकिन उस दिवाली की रात के बाद से कुमार मुझसे दूर होता चल गया यहां तक उसने अपना खानदान के बारे में मुझे कुछ नहीं बताया....
विक्रम – (सारी बात सुन के) हम्ममम चलो मुझे कुमार से कुछ बात करनी है कहा है वो....
रेणु – शायद होटल के कमरे में होगा....
बोल के दोनो कुमार के कमरे में आ गए आते ही...
विक्रम – कैसे हो मिस्टर कुमार....
कुमार – तुम यहां क्या कर रहे हो...
विक्रम – (अपनी पुलिस ID दिखा के) मिस्टर कुमार अब आप बताए आपने कौशल और कल्पना का मर्डर क्यों किया....
कुमार – ओह तो तुम ही हो वो पुलिस जिसकी चर्चा पूरे होटल में है लेकिन मेरा इन दो खून से कोई ताल्लुख नहीं है...
विक्रम – तुम्हारा क्या ताल्लुख है उसकी गवाही ये कागज दे रहा है तुम्हारे जुर्म का सबूत ये देखो...
कुमार –(कागज को देख उसे फेक के) मै इसे पहली बार देख रहा हूँ...
रेणु – क्या है इस कागज में...
विक्रम – मिस्टर कुमार के जुर्म का सर्टिफिकेट जिसमें 3 मर्द और एक औरत की पहचान लिखी है और कुमार ने बड़ी बेदर्दी से 2 लोगों का कत्ल कर दिया....
कुमार – ये झूठ है इल्जाम है मेरे ऊपर वो कागज मेरे कमरे में किसी ने रख दिया होगा और हो सकता है ये जलील हरकत तुमने की होगी....
विक्रम – वो तो मुझे यहां आते ही पता चल गया था जलील हरकत का...
कुमार – वो इत्तेफाक था एक गलत फेमी थी और क्या सबूत है तुम्हारे पास....
विक्रम – हा है सबूत मेरे पास (जेब से लाइटर निकल कुमार को दिखा के) ये देखो तुम्हारा लाइटर जिसे कौशल की लाश के पास से बरामद किया था मैने....
कुमार – (लाइटर देख) हा ये मेरा लाइटर है लेकिन ये मुझसे कही खो गया था....
विक्रम – अच्छा तो इसका सबूत तो तुम्हारे पास जरूर होगा...
कुमार – सबूत चाहिए तुम्हे तो आओ मेरे साथ....
तब कुमार कमरे में पड़े डस्टबिन को वही पलट देता है जिसमें सिगरेट और माचिस की जली तिल्लियां निकलती है...
कुमार – देख लो अपनी आंखों से सबूत इतने दिनों से ये इस्तेमाल कर रहा हूँ मैं....
विक्रम – ये जली माचिस की तीलियां ये सबूत रेत की दीवार है मिस्टर कुमार और एक दिन ये दीवार गिरेगी और तुम उस दीवार में दब के रह जाओगे....
बोल के विक्रम कमरे से निकल जाता है जिसके बाद...
रेणु – ये सब क्या हो रहा है कुमार....
कुमार – जो कुछ भी हो रहा है तुम्हारे सामने हो रहा है अब इस बारे में और कुछ मत पूछना...
बोल सिगरेट जला के कुमार निकल जाता है कमरे से अगले दिन सुबह जब विक्रम और सुनीता नाश्ता करके कमरे में जा रहे होते है तभी होटल के 5 वेटर तेजी से भाग के होटल के नीचे जा रहे होते है सीढ़ियों की तरफ जिसे देख विक्रम तुरंत एक वेटर का हाथ पकड़ उसे रोक के....
विक्रम – क्या बात है तुम सब भाग क्यों रहे हो....
वेटर – साहब वो कमिश्नर साहब आए हुए है कातिल को गिरफ्तार करने....
विक्रम – (चौक के) क्या कौन है कातिल...
वेटर – नाम तो नहीं पता लेकिन वो तीन लोग है कमरा नंबर 208 में रुके हुए है....
वेटर की बात सुन विक्रम तुरंत सुनीता को कमरे में भेज कमिश्नर के पास दौड़ के जाता है तभी रूम के साथ बनी गैलरी में कमिश्नर से टकरा जाता है विक्रम...
विक्रम – थापा साहब ये मै क्या सुन रहा हूँ आप उन तीनों को गिरफ्तार करने आए है...
थापा – हा विक्रम तहकीकात करने पर मुझे पता चला वो तीनों जेल से भागे मुजरिम है और कातिल भी है....
विक्रम – कातिल....
थापा – हा विक्रम तीनों पेशेवर कातिल है पैसों के लिए खून करते है....
ये दोनो बात कर रहे होते है तभी होटल के एक कमरे से तीनों में से एक आदमी विक्रम और थापा की तरफ फायर करता है जिसे विक्रम देख तुरंत थापा के साथ नीचे झुक जाता है तभी विक्रम और थापा भी अपनी रिवॉल्वर निकाल के फायर करने लगते है जिसके बाद उनके बाकी दो साथ भी सामने आके फायर करने लगते है कुछ सेकंड तक इनकी मुठभेड़ चलती है जिसमें थापा मौका पा के दो आदमियों को अपनी रिवॉल्वर से शूट करके के मार देता है जबकि विक्रम तीसरे आदमी को पैर पे गोली मार के घायल करता है जिसके बाद थापा और विक्रम तीसरे घायल आदमी के पास जा नीचे बैठ के....
विक्रम – बताओ तुम तीनों जेल से भाग के इस होटल में क्यों आए थे...
तीसरा आदमी – चोरी का माल लेने जिसे चोरी करके इस होटल के पीछे छुपा रखा था तभी हम इस होटल में रुके थे ताकि मौका पा के अपना माल लेके निकल सके यहां से...
तीसरे आदमी की बात सुनने के बाद विक्रम खड़ा होता है तभी वो तीसरा आदमी विक्रम को एक लात मारता है जिससे विक्रम पीछे की तरफ गिरता है उसी वक्त तीसरा आदमी अपने बगल में गिरी रिवॉल्वर उठा के फायर करने वाला होता है तभी थापा उसपर फायर कर देता है जिसके बाद वो तीसरा आदमी भी मारा जाता है...
विक्रम – शुक्रिया थापा साहब....
थापा – शुक्रिया तो मुझे अदा करना चाहिए आपका विक्रम पहले अपने मुझे बचाया....
बोल के दोनो आपस में बात कर रहे होते है तभी एम्बुलेंस आती है साथ में कुछ लोग जो तीनों की लाश को उठा के ले जा रहे होते है होटल के हॉल से जहां होटल के कई कस्टमर्स थे जिसमें UNKNOWN , ठाकुर वीर सिंग , कुमार और रेणु भी शामिल थे जिसके बाद....
विक्रम – (थापा से) थापा साहब जो हुआ अच्छा ही हुआ अब मुझे लगता है होटल का माहोल पहले जैसा हो जाएगा और मै अपना काम इत्मीनान से कर सकूंगा जिसके लिए मैं यहां आया हूँ...
थापा – हा विक्रम वैसे भी यहां का मर्डर केस सॉल्व हो गया है अब मैं चलता हूँ लेकिन अगर आपको मेरी किसी भी तरह कोई भी मदद चाहिए हो तो मुझे खबर कर दीजिए गा....
विक्रम – जी बिल्कुल वैसे थापा साहब मेरे काम का क्या हुआ....
थापा – हा मुझे याद है विक्रम उसके लिए मै जल्द ही कॉल करूंगा तुम्हे , अब मै चलता हु...
बोल के थापा निकल गया शाम के वक्त होटल के रेस्टोरेंट के एक कोने में कुमार और सुनीता बैठे बात कर रहे थे....
कुमार – सब बेवकूफ बन सकते है लेकिन मैं नहीं क्योंकि मैं जनता हूँ की उन तीनों का कौशल के खून से कोई संबंध नहीं है....
सुनीता – लेकिन तुम्हे कैसे पता चला....इनकी बात के बीच विक्रम आके बीच में बोला....
विक्रम – (हल्का मुस्कुरा के सुनीता से) एक कातिल को नहीं तो और किसे पता होगा क्यों मिस्टर कुमार लेकिन मैं एक बात बता देता हूँ ये केस कमिश्नर के लिए बंद हो गया होगा मेरे लिए नहीं....
कुमार – (अपनी कुर्सी से खड़ा होके) तुम्हारा ये केस तो मैं बंद करूंगा याद रखना (रेणु से) चलो रेणु...
बोल के कुमार निकल गया रेणु के साथ कुछ वक्त के बाद रात में जब सब सो रहे थे अपने कमरों में तभी एक आदमी काले कपड़े सिर पे नकाब पहने विक्रम के कमरे में जाता है देखता है जहां बेड पर सुनीता सो रही थी तभी वो आदमी कमरे की तलाशी लेता है जहां उसे विक्रम नहीं दिखता उसे तभी अचानक से विक्रम उस आदमी के पीछे से आके...
विक्रम – (मुस्कुरा के) बहुत इंतजार कराया तुमने मुझे कुमार तो इस तरह तुम मेरा केस क्लोज करना चाहते थे मिस्टर कुमार लेकिन आज तुम मेरे चुंगल में ऐसे फंसे हो जैसे शेर के फंदे में एक चूहा...
जिसके बाद वो आदमी और विक्रम की आपस में हाथा पाई होती है जिसमें विक्रम कोशिश करता है उस आदमी के चेहरे से नकाब हटाने की तभी मौका देख वो आदमी विक्रम को तेजी एक तरफ धक्का देता है जिससे विक्रम टेबल के ऊपर गिर के जमीन में गिर जाता है मौका देख उसी वक्त नकाब पोश आदमी भाग जाता है विक्रम के कमरे से और विक्रम फुर्ती से उठ के पीछे भागता है उस आदमी के लेकिन कमरे से बाहर आते ही वो आदमी उसे कही नहीं दिखता तभी विक्रम एक तरफ भाग के जाता है एक कमरे में जाके जहा अंधेरा होता है और बेड खाली जबकि एक तरफ सोफे पे चादर ओढ़े कुमार सो रहा था जिसे देख....
विक्रम –(ताली बजा के) WELL DONE MISTER KUMAR....
कुमार – (आंख खोलते हुए) कौन हो तुम....
विक्रम – तुम्हारी मौत का पैगाम...
बोल के विक्रम कमरे की लाइट चालू कर देता है अपने सामने विक्रम को खड़ा देख...
कुमार – ओह बड़ी खुशी हुईं आपसे मिल के इस वक्त मै सो रहा हो कल दिन में आना...
विक्रम – इतनी जल्दी में थे कि बेडरूम छोड़ के हॉल के सोफे पर ही सो गए चलो उठो कुमार पुलिस से तुमने बहुत आंख मिचौली खेल ली लेकिन अब ये खेल नहीं चलेगा उठो...
कुमार – जब तक तुम जैसे अनाड़ी पुलिस में हो हम जैसे खिलाड़ी ये खेल खेलते रहेंगे अगर हिम्मत है तो जिंदगी और मौत का ये खेल तुम भी खेल के देखो...
विक्रम – हा लेकिन चोरों की तरह नहीं सिर्फ ये बताओ तुम मेरे कमरे में क्यों आए थे....
कुमार –अच्छा मै तुम्हारे कमरे में आया था क्या सबूत है तुम्हारे पास....
विक्रम – सबूत मेरी नजर में है और हटखड़ी मेरी जेब में....
कुमार – बगैर सबूत के अगर मुझे हाथ भी लगाया तो हथकड़ियां तुम्हारी जेब में ही रहेगी....
विक्रम – वो वक्त भी जरूर आएगा जब सबूत का फंदा तुम्हारे गले में होगा...
कुमार – मै इंतजार करूंगा और हा मिस्टर विक्रम दरवाजा बंद करके जाना....
विक्रम – हा ये दरवाजा तो मै बंद कर रहा हूँ लेकिन बड़े घर का दरवाजा तुम्हारे लिए खुला रखूंगा...
बोल के विक्रम दरवाजा बंद करके निकल जाता है उसके जाते ही कुमार चादर हटा के सोफे से उठ जाता है क्योंकि कुमार चादर के नीचे काले कड़पे छिपा रखे थे जो उसने विक्रम पर हमला करते वक्त पहने थे उन कपड़ों को एक तरफ फेक देता है कुमार
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जारी रहेगा![]()
UPDATE 3
विक्रम होटल के एक वेटर के पास जाके उसे कुछ पैसे देके उसके कान में कुछ बोल विक्रम वहां से निकल गया और वेटर सीधा गया रेस्टोरेंट की तरफ जहां पर रेणु नाश्ता कर रही थी तभी वेटर रेणु के पास आके बोला...
वेटर – मैडम आप यहां है कुमार साहब ने आपको बुलाया है....
रेणु – कहा है कुमार...
वेटर – जी वो आपका बीच पर इंतजार कर रहे है...
जिसके बाद रेणु बीच की तरफ चली गई बीच में आते ही रेणु , कुमार को देखने लगी तभी पीछे से विक्रम ने आके रेणु के कंधे पर हाथ रखा...
रेणु – आप यहां...
विक्रम – जी हा मिस रेणु मै , मैने ही आपको यहां बुलाया है कुमार ने नहीं...
बात सुन रेणु पलट के जाने लगी तभी विक्रम ने रेणु का हाथ पकड़ लिया....
रेणु – (गुस्से में) LEAVE MY HAND DAMMIT OR I CALL THE POLICE....
विक्रम – (मुस्कुरा के अपना कार्ड दिखा के) जरूरत नहीं पुलिस हाजिर है , (रेणु के कंधे पे हाथ रख शांति से) रेणु देखो मै कुमार का दुश्मन नहीं हूं और मैं ये भी जानता हूँ तुम दोनो की अभी तक शादी नहीं हुई है...
विक्रम की बात सुन रेणु एक टक विक्रम को देख रही थी जिसे देख...
विक्रम – देखो मै जनता हूँ तुम कुमार से प्यार करती हूँ अगर तुम सच में प्यार करती हो कुमार से तो प्लीज मुझे ये बता दो कुमार कौन है उसका घर कहा है उसका खानदान के बारे में और गोवा में क्यों आया है तुम सोच रही होगी मै ये सब तुमसे क्यों पूछ रहा हूँ तो तुम्हे ये बता दूं कि अगर मैं कुमार को गिरफ्तार करना चाहूं तो मेरे पास इतने सबूत है मै उसे अभी इस वक्त गिरफ्तार करके जेल भिजवा सकता हूँ....
रेणु – (गुस्से में विक्रम का कॉलर पकड़ के) नहीं तुम ऐसा नहीं कर सकते हो...
विक्रम – (अपना कॉलर छुड़ा के) इसीलिए मै बोल रहा हूँ मुझे कुमार के बारे में सब कुछ बता दो वर्ना तुम जानती हो...
जिसके बाद...
रेणु – मेरी कुमार से पहली मुलाक़ात आज से 3 महीने पहले हुई थी मुंबई में उस वक्त मैं प्रॉपर्टी खरीदने की सिलसिले में आई थी होटल में तब मीटिंग के वक्त कुमार से पहली बार मिली वो पहली मुलाक़ात हम दोनो के इतने करीब ले आई कि हम दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे इतने करीब आगए की एक दूसरे को एक पल देखे बिना जीना मुश्किल था इसी मुश्किल को हल करने के लिए हम दोनो ने फैसला किया कि हम दोनों दिवाली की रात एक दूसरे के हमेशा के लिए हो जाएंगे लेकिन वो दिवाली की रात ना जाने मेरी जिंदगी की कैसी रात थी जिसे मैं आज तक न समझ पाई मै बहुत खुश थी क्यों कि कुमार उस रात शादी की बात करने वाला था लेकिन कुमार आया लेकिन उसका आना न आने के बराबर था तब मै होटल के लॉन में इंतजार कर रही थी तभी कुमार को सामने देख...
रेणु – अरे तुम आ गए लेकिन तुम इतने उदास क्यों हो...
कुमार – जो हुआ मैं तुम्हे बता नहीं सकूंगा...
रेणु – लेकिन कुछ तो बताओ कुमार आखिर बात क्या है...
कुमार – सिर्फ इतना बता सकता हूँ मैं आने वाला था खुशखबरी के साथ लेकिन आया हूँ बहुत बड़े गम के साथ...
रेणु – कुछ तो बताओ कुमार...
कुमार – इस ग़म के बारे में और कुछ नहीं बता सकता रेणु बस ये समाज लो अभी हमारी शादी नहीं हो सकती....
रेणु – लेकिन क्यों...
कुमार – मै कुछ नहीं बता सकता हु कल मै काम से बाहर जा रहा हूँ वापस आके जल्द मिलता हूँ...
बोल के कुमार वहां से निकल गया उसके बाद होटल के जिस कमरे में कुमार रुक था वहां से मुझे जानकारी मिली कि कुमार गोवा के होटल में बुकिंग कराई है तब मै यहां आ गई कुमार के पास लेकिन उस दिवाली की रात के बाद से कुमार मुझसे दूर होता चल गया यहां तक उसने अपना खानदान के बारे में मुझे कुछ नहीं बताया....
विक्रम – (सारी बात सुन के) हम्ममम चलो मुझे कुमार से कुछ बात करनी है कहा है वो....
रेणु – शायद होटल के कमरे में होगा....
बोल के दोनो कुमार के कमरे में आ गए आते ही...
विक्रम – कैसे हो मिस्टर कुमार....
कुमार – तुम यहां क्या कर रहे हो...
विक्रम – (अपनी पुलिस ID दिखा के) मिस्टर कुमार अब आप बताए आपने कौशल और कल्पना का मर्डर क्यों किया....
कुमार – ओह तो तुम ही हो वो पुलिस जिसकी चर्चा पूरे होटल में है लेकिन मेरा इन दो खून से कोई ताल्लुख नहीं है...
विक्रम – तुम्हारा क्या ताल्लुख है उसकी गवाही ये कागज दे रहा है तुम्हारे जुर्म का सबूत ये देखो...
कुमार –(कागज को देख उसे फेक के) मै इसे पहली बार देख रहा हूँ...
रेणु – क्या है इस कागज में...
विक्रम – मिस्टर कुमार के जुर्म का सर्टिफिकेट जिसमें 3 मर्द और एक औरत की पहचान लिखी है और कुमार ने बड़ी बेदर्दी से 2 लोगों का कत्ल कर दिया....
कुमार – ये झूठ है इल्जाम है मेरे ऊपर वो कागज मेरे कमरे में किसी ने रख दिया होगा और हो सकता है ये जलील हरकत तुमने की होगी....
विक्रम – वो तो मुझे यहां आते ही पता चल गया था जलील हरकत का...
कुमार – वो इत्तेफाक था एक गलत फेमी थी और क्या सबूत है तुम्हारे पास....
विक्रम – हा है सबूत मेरे पास (जेब से लाइटर निकल कुमार को दिखा के) ये देखो तुम्हारा लाइटर जिसे कौशल की लाश के पास से बरामद किया था मैने....
कुमार – (लाइटर देख) हा ये मेरा लाइटर है लेकिन ये मुझसे कही खो गया था....
विक्रम – अच्छा तो इसका सबूत तो तुम्हारे पास जरूर होगा...
कुमार – सबूत चाहिए तुम्हे तो आओ मेरे साथ....
तब कुमार कमरे में पड़े डस्टबिन को वही पलट देता है जिसमें सिगरेट और माचिस की जली तिल्लियां निकलती है...
कुमार – देख लो अपनी आंखों से सबूत इतने दिनों से ये इस्तेमाल कर रहा हूँ मैं....
विक्रम – ये जली माचिस की तीलियां ये सबूत रेत की दीवार है मिस्टर कुमार और एक दिन ये दीवार गिरेगी और तुम उस दीवार में दब के रह जाओगे....
बोल के विक्रम कमरे से निकल जाता है जिसके बाद...
रेणु – ये सब क्या हो रहा है कुमार....
कुमार – जो कुछ भी हो रहा है तुम्हारे सामने हो रहा है अब इस बारे में और कुछ मत पूछना...
बोल सिगरेट जला के कुमार निकल जाता है कमरे से अगले दिन सुबह जब विक्रम और सुनीता नाश्ता करके कमरे में जा रहे होते है तभी होटल के 5 वेटर तेजी से भाग के होटल के नीचे जा रहे होते है सीढ़ियों की तरफ जिसे देख विक्रम तुरंत एक वेटर का हाथ पकड़ उसे रोक के....
विक्रम – क्या बात है तुम सब भाग क्यों रहे हो....
वेटर – साहब वो कमिश्नर साहब आए हुए है कातिल को गिरफ्तार करने....
विक्रम – (चौक के) क्या कौन है कातिल...
वेटर – नाम तो नहीं पता लेकिन वो तीन लोग है कमरा नंबर 208 में रुके हुए है....
वेटर की बात सुन विक्रम तुरंत सुनीता को कमरे में भेज कमिश्नर के पास दौड़ के जाता है तभी रूम के साथ बनी गैलरी में कमिश्नर से टकरा जाता है विक्रम...
विक्रम – थापा साहब ये मै क्या सुन रहा हूँ आप उन तीनों को गिरफ्तार करने आए है...
थापा – हा विक्रम तहकीकात करने पर मुझे पता चला वो तीनों जेल से भागे मुजरिम है और कातिल भी है....
विक्रम – कातिल....
थापा – हा विक्रम तीनों पेशेवर कातिल है पैसों के लिए खून करते है....
ये दोनो बात कर रहे होते है तभी होटल के एक कमरे से तीनों में से एक आदमी विक्रम और थापा की तरफ फायर करता है जिसे विक्रम देख तुरंत थापा के साथ नीचे झुक जाता है तभी विक्रम और थापा भी अपनी रिवॉल्वर निकाल के फायर करने लगते है जिसके बाद उनके बाकी दो साथ भी सामने आके फायर करने लगते है कुछ सेकंड तक इनकी मुठभेड़ चलती है जिसमें थापा मौका पा के दो आदमियों को अपनी रिवॉल्वर से शूट करके के मार देता है जबकि विक्रम तीसरे आदमी को पैर पे गोली मार के घायल करता है जिसके बाद थापा और विक्रम तीसरे घायल आदमी के पास जा नीचे बैठ के....
विक्रम – बताओ तुम तीनों जेल से भाग के इस होटल में क्यों आए थे...
तीसरा आदमी – चोरी का माल लेने जिसे चोरी करके इस होटल के पीछे छुपा रखा था तभी हम इस होटल में रुके थे ताकि मौका पा के अपना माल लेके निकल सके यहां से...
तीसरे आदमी की बात सुनने के बाद विक्रम खड़ा होता है तभी वो तीसरा आदमी विक्रम को एक लात मारता है जिससे विक्रम पीछे की तरफ गिरता है उसी वक्त तीसरा आदमी अपने बगल में गिरी रिवॉल्वर उठा के फायर करने वाला होता है तभी थापा उसपर फायर कर देता है जिसके बाद वो तीसरा आदमी भी मारा जाता है...
विक्रम – शुक्रिया थापा साहब....
थापा – शुक्रिया तो मुझे अदा करना चाहिए आपका विक्रम पहले अपने मुझे बचाया....
बोल के दोनो आपस में बात कर रहे होते है तभी एम्बुलेंस आती है साथ में कुछ लोग जो तीनों की लाश को उठा के ले जा रहे होते है होटल के हॉल से जहां होटल के कई कस्टमर्स थे जिसमें UNKNOWN , ठाकुर वीर सिंग , कुमार और रेणु भी शामिल थे जिसके बाद....
विक्रम – (थापा से) थापा साहब जो हुआ अच्छा ही हुआ अब मुझे लगता है होटल का माहोल पहले जैसा हो जाएगा और मै अपना काम इत्मीनान से कर सकूंगा जिसके लिए मैं यहां आया हूँ...
थापा – हा विक्रम वैसे भी यहां का मर्डर केस सॉल्व हो गया है अब मैं चलता हूँ लेकिन अगर आपको मेरी किसी भी तरह कोई भी मदद चाहिए हो तो मुझे खबर कर दीजिए गा....
विक्रम – जी बिल्कुल वैसे थापा साहब मेरे काम का क्या हुआ....
थापा – हा मुझे याद है विक्रम उसके लिए मै जल्द ही कॉल करूंगा तुम्हे , अब मै चलता हु...
बोल के थापा निकल गया शाम के वक्त होटल के रेस्टोरेंट के एक कोने में कुमार और सुनीता बैठे बात कर रहे थे....
कुमार – सब बेवकूफ बन सकते है लेकिन मैं नहीं क्योंकि मैं जनता हूँ की उन तीनों का कौशल के खून से कोई संबंध नहीं है....
सुनीता – लेकिन तुम्हे कैसे पता चला....इनकी बात के बीच विक्रम आके बीच में बोला....
विक्रम – (हल्का मुस्कुरा के सुनीता से) एक कातिल को नहीं तो और किसे पता होगा क्यों मिस्टर कुमार लेकिन मैं एक बात बता देता हूँ ये केस कमिश्नर के लिए बंद हो गया होगा मेरे लिए नहीं....
कुमार – (अपनी कुर्सी से खड़ा होके) तुम्हारा ये केस तो मैं बंद करूंगा याद रखना (रेणु से) चलो रेणु...
बोल के कुमार निकल गया रेणु के साथ कुछ वक्त के बाद रात में जब सब सो रहे थे अपने कमरों में तभी एक आदमी काले कपड़े सिर पे नकाब पहने विक्रम के कमरे में जाता है देखता है जहां बेड पर सुनीता सो रही थी तभी वो आदमी कमरे की तलाशी लेता है जहां उसे विक्रम नहीं दिखता उसे तभी अचानक से विक्रम उस आदमी के पीछे से आके...
विक्रम – (मुस्कुरा के) बहुत इंतजार कराया तुमने मुझे कुमार तो इस तरह तुम मेरा केस क्लोज करना चाहते थे मिस्टर कुमार लेकिन आज तुम मेरे चुंगल में ऐसे फंसे हो जैसे शेर के फंदे में एक चूहा...
जिसके बाद वो आदमी और विक्रम की आपस में हाथा पाई होती है जिसमें विक्रम कोशिश करता है उस आदमी के चेहरे से नकाब हटाने की तभी मौका देख वो आदमी विक्रम को तेजी एक तरफ धक्का देता है जिससे विक्रम टेबल के ऊपर गिर के जमीन में गिर जाता है मौका देख उसी वक्त नकाब पोश आदमी भाग जाता है विक्रम के कमरे से और विक्रम फुर्ती से उठ के पीछे भागता है उस आदमी के लेकिन कमरे से बाहर आते ही वो आदमी उसे कही नहीं दिखता तभी विक्रम एक तरफ भाग के जाता है एक कमरे में जाके जहा अंधेरा होता है और बेड खाली जबकि एक तरफ सोफे पे चादर ओढ़े कुमार सो रहा था जिसे देख....
विक्रम –(ताली बजा के) WELL DONE MISTER KUMAR....
कुमार – (आंख खोलते हुए) कौन हो तुम....
विक्रम – तुम्हारी मौत का पैगाम...
बोल के विक्रम कमरे की लाइट चालू कर देता है अपने सामने विक्रम को खड़ा देख...
कुमार – ओह बड़ी खुशी हुईं आपसे मिल के इस वक्त मै सो रहा हो कल दिन में आना...
विक्रम – इतनी जल्दी में थे कि बेडरूम छोड़ के हॉल के सोफे पर ही सो गए चलो उठो कुमार पुलिस से तुमने बहुत आंख मिचौली खेल ली लेकिन अब ये खेल नहीं चलेगा उठो...
कुमार – जब तक तुम जैसे अनाड़ी पुलिस में हो हम जैसे खिलाड़ी ये खेल खेलते रहेंगे अगर हिम्मत है तो जिंदगी और मौत का ये खेल तुम भी खेल के देखो...
विक्रम – हा लेकिन चोरों की तरह नहीं सिर्फ ये बताओ तुम मेरे कमरे में क्यों आए थे....
कुमार –अच्छा मै तुम्हारे कमरे में आया था क्या सबूत है तुम्हारे पास....
विक्रम – सबूत मेरी नजर में है और हटखड़ी मेरी जेब में....
कुमार – बगैर सबूत के अगर मुझे हाथ भी लगाया तो हथकड़ियां तुम्हारी जेब में ही रहेगी....
विक्रम – वो वक्त भी जरूर आएगा जब सबूत का फंदा तुम्हारे गले में होगा...
कुमार – मै इंतजार करूंगा और हा मिस्टर विक्रम दरवाजा बंद करके जाना....
विक्रम – हा ये दरवाजा तो मै बंद कर रहा हूँ लेकिन बड़े घर का दरवाजा तुम्हारे लिए खुला रखूंगा...
बोल के विक्रम दरवाजा बंद करके निकल जाता है उसके जाते ही कुमार चादर हटा के सोफे से उठ जाता है क्योंकि कुमार चादर के नीचे काले कड़पे छिपा रखे थे जो उसने विक्रम पर हमला करते वक्त पहने थे उन कपड़ों को एक तरफ फेक देता है कुमार
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जारी रहेगा![]()
Bahut hi badhiya update diya hai DEVIL MAXIMUM bhai....UPDATE 3
विक्रम होटल के एक वेटर के पास जाके उसे कुछ पैसे देके उसके कान में कुछ बोल विक्रम वहां से निकल गया और वेटर सीधा गया रेस्टोरेंट की तरफ जहां पर रेणु नाश्ता कर रही थी तभी वेटर रेणु के पास आके बोला...
वेटर – मैडम आप यहां है कुमार साहब ने आपको बुलाया है....
रेणु – कहा है कुमार...
वेटर – जी वो आपका बीच पर इंतजार कर रहे है...
जिसके बाद रेणु बीच की तरफ चली गई बीच में आते ही रेणु , कुमार को देखने लगी तभी पीछे से विक्रम ने आके रेणु के कंधे पर हाथ रखा...
रेणु – आप यहां...
विक्रम – जी हा मिस रेणु मै , मैने ही आपको यहां बुलाया है कुमार ने नहीं...
बात सुन रेणु पलट के जाने लगी तभी विक्रम ने रेणु का हाथ पकड़ लिया....
रेणु – (गुस्से में) LEAVE MY HAND DAMMIT OR I CALL THE POLICE....
विक्रम – (मुस्कुरा के अपना कार्ड दिखा के) जरूरत नहीं पुलिस हाजिर है , (रेणु के कंधे पे हाथ रख शांति से) रेणु देखो मै कुमार का दुश्मन नहीं हूं और मैं ये भी जानता हूँ तुम दोनो की अभी तक शादी नहीं हुई है...
विक्रम की बात सुन रेणु एक टक विक्रम को देख रही थी जिसे देख...
विक्रम – देखो मै जनता हूँ तुम कुमार से प्यार करती हूँ अगर तुम सच में प्यार करती हो कुमार से तो प्लीज मुझे ये बता दो कुमार कौन है उसका घर कहा है उसका खानदान के बारे में और गोवा में क्यों आया है तुम सोच रही होगी मै ये सब तुमसे क्यों पूछ रहा हूँ तो तुम्हे ये बता दूं कि अगर मैं कुमार को गिरफ्तार करना चाहूं तो मेरे पास इतने सबूत है मै उसे अभी इस वक्त गिरफ्तार करके जेल भिजवा सकता हूँ....
रेणु – (गुस्से में विक्रम का कॉलर पकड़ के) नहीं तुम ऐसा नहीं कर सकते हो...
विक्रम – (अपना कॉलर छुड़ा के) इसीलिए मै बोल रहा हूँ मुझे कुमार के बारे में सब कुछ बता दो वर्ना तुम जानती हो...
जिसके बाद...
रेणु – मेरी कुमार से पहली मुलाक़ात आज से 3 महीने पहले हुई थी मुंबई में उस वक्त मैं प्रॉपर्टी खरीदने की सिलसिले में आई थी होटल में तब मीटिंग के वक्त कुमार से पहली बार मिली वो पहली मुलाक़ात हम दोनो के इतने करीब ले आई कि हम दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे इतने करीब आगए की एक दूसरे को एक पल देखे बिना जीना मुश्किल था इसी मुश्किल को हल करने के लिए हम दोनो ने फैसला किया कि हम दोनों दिवाली की रात एक दूसरे के हमेशा के लिए हो जाएंगे लेकिन वो दिवाली की रात ना जाने मेरी जिंदगी की कैसी रात थी जिसे मैं आज तक न समझ पाई मै बहुत खुश थी क्यों कि कुमार उस रात शादी की बात करने वाला था लेकिन कुमार आया लेकिन उसका आना न आने के बराबर था तब मै होटल के लॉन में इंतजार कर रही थी तभी कुमार को सामने देख...
रेणु – अरे तुम आ गए लेकिन तुम इतने उदास क्यों हो...
कुमार – जो हुआ मैं तुम्हे बता नहीं सकूंगा...
रेणु – लेकिन कुछ तो बताओ कुमार आखिर बात क्या है...
कुमार – सिर्फ इतना बता सकता हूँ मैं आने वाला था खुशखबरी के साथ लेकिन आया हूँ बहुत बड़े गम के साथ...
रेणु – कुछ तो बताओ कुमार...
कुमार – इस ग़म के बारे में और कुछ नहीं बता सकता रेणु बस ये समाज लो अभी हमारी शादी नहीं हो सकती....
रेणु – लेकिन क्यों...
कुमार – मै कुछ नहीं बता सकता हु कल मै काम से बाहर जा रहा हूँ वापस आके जल्द मिलता हूँ...
बोल के कुमार वहां से निकल गया उसके बाद होटल के जिस कमरे में कुमार रुक था वहां से मुझे जानकारी मिली कि कुमार गोवा के होटल में बुकिंग कराई है तब मै यहां आ गई कुमार के पास लेकिन उस दिवाली की रात के बाद से कुमार मुझसे दूर होता चल गया यहां तक उसने अपना खानदान के बारे में मुझे कुछ नहीं बताया....
विक्रम – (सारी बात सुन के) हम्ममम चलो मुझे कुमार से कुछ बात करनी है कहा है वो....
रेणु – शायद होटल के कमरे में होगा....
बोल के दोनो कुमार के कमरे में आ गए आते ही...
विक्रम – कैसे हो मिस्टर कुमार....
कुमार – तुम यहां क्या कर रहे हो...
विक्रम – (अपनी पुलिस ID दिखा के) मिस्टर कुमार अब आप बताए आपने कौशल और कल्पना का मर्डर क्यों किया....
कुमार – ओह तो तुम ही हो वो पुलिस जिसकी चर्चा पूरे होटल में है लेकिन मेरा इन दो खून से कोई ताल्लुख नहीं है...
विक्रम – तुम्हारा क्या ताल्लुख है उसकी गवाही ये कागज दे रहा है तुम्हारे जुर्म का सबूत ये देखो...
कुमार –(कागज को देख उसे फेक के) मै इसे पहली बार देख रहा हूँ...
रेणु – क्या है इस कागज में...
विक्रम – मिस्टर कुमार के जुर्म का सर्टिफिकेट जिसमें 3 मर्द और एक औरत की पहचान लिखी है और कुमार ने बड़ी बेदर्दी से 2 लोगों का कत्ल कर दिया....
कुमार – ये झूठ है इल्जाम है मेरे ऊपर वो कागज मेरे कमरे में किसी ने रख दिया होगा और हो सकता है ये जलील हरकत तुमने की होगी....
विक्रम – वो तो मुझे यहां आते ही पता चल गया था जलील हरकत का...
कुमार – वो इत्तेफाक था एक गलत फेमी थी और क्या सबूत है तुम्हारे पास....
विक्रम – हा है सबूत मेरे पास (जेब से लाइटर निकल कुमार को दिखा के) ये देखो तुम्हारा लाइटर जिसे कौशल की लाश के पास से बरामद किया था मैने....
कुमार – (लाइटर देख) हा ये मेरा लाइटर है लेकिन ये मुझसे कही खो गया था....
विक्रम – अच्छा तो इसका सबूत तो तुम्हारे पास जरूर होगा...
कुमार – सबूत चाहिए तुम्हे तो आओ मेरे साथ....
तब कुमार कमरे में पड़े डस्टबिन को वही पलट देता है जिसमें सिगरेट और माचिस की जली तिल्लियां निकलती है...
कुमार – देख लो अपनी आंखों से सबूत इतने दिनों से ये इस्तेमाल कर रहा हूँ मैं....
विक्रम – ये जली माचिस की तीलियां ये सबूत रेत की दीवार है मिस्टर कुमार और एक दिन ये दीवार गिरेगी और तुम उस दीवार में दब के रह जाओगे....
बोल के विक्रम कमरे से निकल जाता है जिसके बाद...
रेणु – ये सब क्या हो रहा है कुमार....
कुमार – जो कुछ भी हो रहा है तुम्हारे सामने हो रहा है अब इस बारे में और कुछ मत पूछना...
बोल सिगरेट जला के कुमार निकल जाता है कमरे से अगले दिन सुबह जब विक्रम और सुनीता नाश्ता करके कमरे में जा रहे होते है तभी होटल के 5 वेटर तेजी से भाग के होटल के नीचे जा रहे होते है सीढ़ियों की तरफ जिसे देख विक्रम तुरंत एक वेटर का हाथ पकड़ उसे रोक के....
विक्रम – क्या बात है तुम सब भाग क्यों रहे हो....
वेटर – साहब वो कमिश्नर साहब आए हुए है कातिल को गिरफ्तार करने....
विक्रम – (चौक के) क्या कौन है कातिल...
वेटर – नाम तो नहीं पता लेकिन वो तीन लोग है कमरा नंबर 208 में रुके हुए है....
वेटर की बात सुन विक्रम तुरंत सुनीता को कमरे में भेज कमिश्नर के पास दौड़ के जाता है तभी रूम के साथ बनी गैलरी में कमिश्नर से टकरा जाता है विक्रम...
विक्रम – थापा साहब ये मै क्या सुन रहा हूँ आप उन तीनों को गिरफ्तार करने आए है...
थापा – हा विक्रम तहकीकात करने पर मुझे पता चला वो तीनों जेल से भागे मुजरिम है और कातिल भी है....
विक्रम – कातिल....
थापा – हा विक्रम तीनों पेशेवर कातिल है पैसों के लिए खून करते है....
ये दोनो बात कर रहे होते है तभी होटल के एक कमरे से तीनों में से एक आदमी विक्रम और थापा की तरफ फायर करता है जिसे विक्रम देख तुरंत थापा के साथ नीचे झुक जाता है तभी विक्रम और थापा भी अपनी रिवॉल्वर निकाल के फायर करने लगते है जिसके बाद उनके बाकी दो साथ भी सामने आके फायर करने लगते है कुछ सेकंड तक इनकी मुठभेड़ चलती है जिसमें थापा मौका पा के दो आदमियों को अपनी रिवॉल्वर से शूट करके के मार देता है जबकि विक्रम तीसरे आदमी को पैर पे गोली मार के घायल करता है जिसके बाद थापा और विक्रम तीसरे घायल आदमी के पास जा नीचे बैठ के....
विक्रम – बताओ तुम तीनों जेल से भाग के इस होटल में क्यों आए थे...
तीसरा आदमी – चोरी का माल लेने जिसे चोरी करके इस होटल के पीछे छुपा रखा था तभी हम इस होटल में रुके थे ताकि मौका पा के अपना माल लेके निकल सके यहां से...
तीसरे आदमी की बात सुनने के बाद विक्रम खड़ा होता है तभी वो तीसरा आदमी विक्रम को एक लात मारता है जिससे विक्रम पीछे की तरफ गिरता है उसी वक्त तीसरा आदमी अपने बगल में गिरी रिवॉल्वर उठा के फायर करने वाला होता है तभी थापा उसपर फायर कर देता है जिसके बाद वो तीसरा आदमी भी मारा जाता है...
विक्रम – शुक्रिया थापा साहब....
थापा – शुक्रिया तो मुझे अदा करना चाहिए आपका विक्रम पहले अपने मुझे बचाया....
बोल के दोनो आपस में बात कर रहे होते है तभी एम्बुलेंस आती है साथ में कुछ लोग जो तीनों की लाश को उठा के ले जा रहे होते है होटल के हॉल से जहां होटल के कई कस्टमर्स थे जिसमें UNKNOWN , ठाकुर वीर सिंग , कुमार और रेणु भी शामिल थे जिसके बाद....
विक्रम – (थापा से) थापा साहब जो हुआ अच्छा ही हुआ अब मुझे लगता है होटल का माहोल पहले जैसा हो जाएगा और मै अपना काम इत्मीनान से कर सकूंगा जिसके लिए मैं यहां आया हूँ...
थापा – हा विक्रम वैसे भी यहां का मर्डर केस सॉल्व हो गया है अब मैं चलता हूँ लेकिन अगर आपको मेरी किसी भी तरह कोई भी मदद चाहिए हो तो मुझे खबर कर दीजिए गा....
विक्रम – जी बिल्कुल वैसे थापा साहब मेरे काम का क्या हुआ....
थापा – हा मुझे याद है विक्रम उसके लिए मै जल्द ही कॉल करूंगा तुम्हे , अब मै चलता हु...
बोल के थापा निकल गया शाम के वक्त होटल के रेस्टोरेंट के एक कोने में कुमार और सुनीता बैठे बात कर रहे थे....
कुमार – सब बेवकूफ बन सकते है लेकिन मैं नहीं क्योंकि मैं जनता हूँ की उन तीनों का कौशल के खून से कोई संबंध नहीं है....
सुनीता – लेकिन तुम्हे कैसे पता चला....इनकी बात के बीच विक्रम आके बीच में बोला....
विक्रम – (हल्का मुस्कुरा के सुनीता से) एक कातिल को नहीं तो और किसे पता होगा क्यों मिस्टर कुमार लेकिन मैं एक बात बता देता हूँ ये केस कमिश्नर के लिए बंद हो गया होगा मेरे लिए नहीं....
कुमार – (अपनी कुर्सी से खड़ा होके) तुम्हारा ये केस तो मैं बंद करूंगा याद रखना (रेणु से) चलो रेणु...
बोल के कुमार निकल गया रेणु के साथ कुछ वक्त के बाद रात में जब सब सो रहे थे अपने कमरों में तभी एक आदमी काले कपड़े सिर पे नकाब पहने विक्रम के कमरे में जाता है देखता है जहां बेड पर सुनीता सो रही थी तभी वो आदमी कमरे की तलाशी लेता है जहां उसे विक्रम नहीं दिखता उसे तभी अचानक से विक्रम उस आदमी के पीछे से आके...
विक्रम – (मुस्कुरा के) बहुत इंतजार कराया तुमने मुझे कुमार तो इस तरह तुम मेरा केस क्लोज करना चाहते थे मिस्टर कुमार लेकिन आज तुम मेरे चुंगल में ऐसे फंसे हो जैसे शेर के फंदे में एक चूहा...
जिसके बाद वो आदमी और विक्रम की आपस में हाथा पाई होती है जिसमें विक्रम कोशिश करता है उस आदमी के चेहरे से नकाब हटाने की तभी मौका देख वो आदमी विक्रम को तेजी एक तरफ धक्का देता है जिससे विक्रम टेबल के ऊपर गिर के जमीन में गिर जाता है मौका देख उसी वक्त नकाब पोश आदमी भाग जाता है विक्रम के कमरे से और विक्रम फुर्ती से उठ के पीछे भागता है उस आदमी के लेकिन कमरे से बाहर आते ही वो आदमी उसे कही नहीं दिखता तभी विक्रम एक तरफ भाग के जाता है एक कमरे में जाके जहा अंधेरा होता है और बेड खाली जबकि एक तरफ सोफे पे चादर ओढ़े कुमार सो रहा था जिसे देख....
विक्रम –(ताली बजा के) WELL DONE MISTER KUMAR....
कुमार – (आंख खोलते हुए) कौन हो तुम....
विक्रम – तुम्हारी मौत का पैगाम...
बोल के विक्रम कमरे की लाइट चालू कर देता है अपने सामने विक्रम को खड़ा देख...
कुमार – ओह बड़ी खुशी हुईं आपसे मिल के इस वक्त मै सो रहा हो कल दिन में आना...
विक्रम – इतनी जल्दी में थे कि बेडरूम छोड़ के हॉल के सोफे पर ही सो गए चलो उठो कुमार पुलिस से तुमने बहुत आंख मिचौली खेल ली लेकिन अब ये खेल नहीं चलेगा उठो...
कुमार – जब तक तुम जैसे अनाड़ी पुलिस में हो हम जैसे खिलाड़ी ये खेल खेलते रहेंगे अगर हिम्मत है तो जिंदगी और मौत का ये खेल तुम भी खेल के देखो...
विक्रम – हा लेकिन चोरों की तरह नहीं सिर्फ ये बताओ तुम मेरे कमरे में क्यों आए थे....
कुमार –अच्छा मै तुम्हारे कमरे में आया था क्या सबूत है तुम्हारे पास....
विक्रम – सबूत मेरी नजर में है और हटखड़ी मेरी जेब में....
कुमार – बगैर सबूत के अगर मुझे हाथ भी लगाया तो हथकड़ियां तुम्हारी जेब में ही रहेगी....
विक्रम – वो वक्त भी जरूर आएगा जब सबूत का फंदा तुम्हारे गले में होगा...
कुमार – मै इंतजार करूंगा और हा मिस्टर विक्रम दरवाजा बंद करके जाना....
विक्रम – हा ये दरवाजा तो मै बंद कर रहा हूँ लेकिन बड़े घर का दरवाजा तुम्हारे लिए खुला रखूंगा...
बोल के विक्रम दरवाजा बंद करके निकल जाता है उसके जाते ही कुमार चादर हटा के सोफे से उठ जाता है क्योंकि कुमार चादर के नीचे काले कड़पे छिपा रखे थे जो उसने विक्रम पर हमला करते वक्त पहने थे उन कपड़ों को एक तरफ फेक देता है कुमार
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