Update 23 :-
डॉक्टर की सलाह सुनकर शालिनी का दिमाग सुन्न सा हो गया था ,वो कुछ कहती नहीं बस खड़ी होकर चलने लगती है, तभी नर्स पिछे से आकर उसे बाबुजी की दवाइयां देती है, शालिनी बाहर आयी तो देखती है बाबुजी नील को शांत कराकर उसके साथ खेल रहे थे,
शालिनी : चलिए बाबुजी, घर चलते हैं।
बाबुजी : क्या कहा डाक्टर साहब ने?क्या हुआ है मुझे?
शालिनी : कुछ नहीं बस मामूली बुखार है और चिंता की वजह से शरीर में कमजोरी हो गई है, और दूध और उससे बनी चीजें खानी है, बोल रहे थे बकरी का दुध पिलाओ, वो पाचन में सही रहता है।
बाबुजी : अब बकरी कहा से लाए?
शालिनी : वही कहा मेने ,उसने फिर दवाई दी है, फिर आना है कल
बाबुजी और शालिनी वापिस घर आते है, आते ही शालिनी नील को स्तनपान करवाती हैं, फिर घर के काम करने लगते है

, घर का काम करने के बाद शालिनी कमरे में जाती हैं और नृत्य के लिए तैयार होने लगती है पर उस समय उसके मन में बस डॉक्टर की कहीं बात चल रही थी,
शालिनी : डॉक्टर ने मुझे एसी सलाह क्यूँ दी?एसी सलाह सामन्य बिल्कुल नहीं हैं, वो इसके बदले किसी और विकल्प बताते, पर..उसने बताया था, पर वो नहीं हो सकता बाद में उसने यह सलाह दी, चाचाजी को मे स्तनपान करवा सकती हूं क्योंकि उस समय सभी घटना इस प्रकार हुई थी कि यह सब अपनेआप होने लगा था, पर बाबुजी की बात अलग है, वो मेरे ससुर है, पिता की तरह, और यह सलाह को वो भी नहीं मानेंगे,
सब सोचते हुए शालिनी नृत्य के लिए तैयार होती है, और नील को सुलाकर दूसरे कमरे में आती है बाबुजी भी बैठ गए थे, शालिनी मोबाइल में गाना बजाती है और उसके ऊपर नृत्य करती है

और फिर थककर बैठ जाती है, बाबुजी कमरे से बाहर आकर आँगन में पेड़ की छाँव में खटिया डालकर लेट जाते है, उसके चेहरे पर मायूसी अभी भी दिख रही थी, शालिनी को यह अच्छा नहीं लगता, तभी नीरव का कॉल आता है

शालिनी : हाँ! बोलो नीरव, अभी तो उधर रात होगी ना
नीरव : हाँ अभी 3 बजे है
शालिनी : इतनी रात को क्यू कॉल किया?कोई जरूरी बात थी?
नीरव : वो में अभी पानी पीने जगा था, तो याद आया बाबुजी की तबीयत खराब है तो पूछ लूँ
शालिनी : आज ही गए थे डॉक्टर के पास, वैसे ज्यादा कुछ नहीं है, रिपोर्ट नॉर्मल है सिर्फ कमजोरी है वो भी चिंता की वजह से उसका शरीर कमजोर हो गया है, विटामिन B12 कम हो गया है
नीरव : तो फिर दुध से बनी चीजें खिलाओ,
शालिनी : डॉक्टर ने भी यही कहा था, मेने गौशाला से दुध लाकर पिलाया पर उससे बाबुजी को गैस हो गई थी, जिससे कल रात उसकी निंद भी अच्छे से नहीं हो सकीं
नीरव : फिर डॉक्टर ने क्या कहा?
शालिनी : डॉक्टर ने कहा ज्यादा दवाइयां बाबुजी को ज्यादा परेसानी देगी जिससे एसिडिटी, ब्लड प्रेशर, जैसी तकलीफ हो सकती हैं
नीरव : कोई तो रास्ता होगा ?
शालिनी : 2 उपाय दिए हैं, (1)बकरी का दुध पिलाए और (2) बाबुजी की मायूसियों को दूर करे
नीरव : दिक्कत क्या है फिर?
शालिनी : दिक्कत यह है कि बकरी पूरे गाव में नहीं हैं, और दूसरे उपाय में मे अपने तरफ से प्रयासशील हूं पर अभी तक फायदा नहीं हुआ
नीरव : शालिनी ! कुछ भी करो बाबुजी को ठीक करने के लिये ,बाबुजी ही अब मेरे सब कुछ है, उसे कुछ मत होने देना, तुमसे जो हो सके वो करो, बाबुजी को पहले जैसा बना दो।
शालिनी : बाबुजी को ठीक करने के लिए में वो सब करूंगी जो मुझे ठीक लगेगा, एक काम करो तुम मुझे एक वॉयस मैसेज करो जिसमें कहना की " बाबुजी डॉक्टर की बातों को मानो और शालिनी जो कर रही है वो सही है, उसे सहकार दीजिए, और मेरी भी यही मर्जी है, वर्ना आपको मेरी कसम!"
वो क्या है कसम देने से सायद वो सहकार दे और जल्दी से ठीक हो।
नीरव मान जाता है और एक वॉयस मैसेज भेज देता है जैसा शालिनी ने कहा था, शालिनी ने नीरव को आधा सच ही बताया था ,जैसे चाचाजी के समय किया था, शालिनी दोपहर का खाना बनाती है

जब वो खाना खाने के लिए बाबुजी को बुलाने जाने वाली थी कि बाबुजी उसे पुकारते है
बाबुजी : बहु! बहु! जल्दी आओ जल्दी आओ
शालिनी जल्दी से जाती है
शालिनी : हाँ बाबुजी बोलिए, मे यही हूं, क्या हुआ?
बाबुजी : वो मेरे सामने सब धुँधला हो रहा है, तुम मुन्ने को ले लो, वर्ना उसे चोट लग सकती है
शालिनी नील को तुरत बाबुजी के पास से ले लेती है उसके तुरत बाद बाबुजी खटिया पर लेट जाते है, उसे अब चक्कर आने लगे थे, वे बस लेटे हुए थे, शालिनी नील को दूसरी खटिया पर लेटा कर पानी लेकर बाबुजी के पास आती है, शालिनी घबरा जाती है, वो बाबुजी के हाथ को घिसने लगती है
शालिनी : बाबुजी! बाबुजी ! क्या हुआ आपको?
बाबुजी कुछ बोलते नहीं, शालिनी तुरत डॉक्टर को कॉल करती है, खुशकिस्मती से डॉक्टर घर के लिए निकलने वाले थे, वो तुरत नर्स के साथ बाबुजी के घर आते हैं, डाक्टर बाबुजी को चेक करते है, तब उसे लगा सायद ब्लड प्रेशर कम होने से चक्कर आए होगे, वो तुरत एक दवाई देते है और कुछ मीठा खाने को मंगाते है जिससे बाबुजी होश में आ सके,शालिनी शक्कर लाती हैं, बाबुजी को पहले पानी छिड़क कर जगाते है फिर शक्कर खाने देते है फिर थोड़ा पानी पीकर बाबुजी थोड़े स्वस्थ होते है।
शालिनी : बाबुजी आप ठीक है ?
बाबुजी : हाँ ,मे ठीक हुँ, थोड़े चक्कर आ गए थे,
डॉक्टर: खाना खाने के बाद यह दवाई पी लेना,
जब डॉक्टर जाने लगते हैं तब शालिनी उसे दरवाजे तक छोड़ने जाती है,

डॉक्टर : एक बार और विचार कर लो, मेने दवाई दी है पर वो उसे गर्म लगेगी, जिससे सीने और पेट में जलन हो सकती हैं,जलन से बचने उन्हें दुध पीना होगा, उससे उन्हें गैस होगी, फिर उसकी तबीयत खराब होगी, तुम अपने ससुर को ठीक देखना चाहती हो तो मेरी सलाह पर विचार करो
डॉक्टर के जाने के बाद शालिनी सोच में पड़ जाती है, क्या सिर्फ यही एक रास्ता बचा है?बाबुजी कितनी दवाई पियेंगे, एक बीमारी ठीक करने के चक्कर में दूसरी बीमारी आ जाती हैं, जब कि वो बिना दवाई के भी ठीक हो सकते है, सोचो शालिनी अगर बाबुजी स्तनों के दुध पीने को राजी हो जाएंगे तो एक तीर से दो शिकार होंगे
1)बाबुजी की तबीयत सुधरेगी
2)स्तनों में होने वाले दर्द से राहत मिलेगी
जब तक चाचाजी थे तब तक सब ठीक था, पर आज चाचाजी के ना होने से तुम्हें फिर से पहले जैसी परिस्थिति का सामना करना पड़ रहा है, मानो कल को चाचाजी को फिर से कहीं जाना पड़ा तो?बाबुजी को चाचाजी के विकल्प के तौर पर तैयार कर सकती है, इससे एक फायदा और होगा कल को बाबुजी को चाचाजी और अपने बारे में पता चलेगा तो दिक्कत नहीं आएगी, तब आसानी से बाबुजी को समझा सकेंगे।
शालिनी को गुमसुम बैठे देख बाबुजी उसे बातचीत करने लगते है

बाबुजी : बहु क्या हुआ?क्या सोच रही हो?
शालिनी : कुछ नहीं बस आप ठीक हो जाए यही सोच रही हूँ
बाबुजी : ठीक होने के लिए खाना खाना पड़ेगा
शालिनी : हाँ हाँ, चलिए खाना खा लेते है, फिर आपको दवाई भी पीनी है
बाबुजी और शालिनी खाना खाते हैं और नील को स्तनपान करवाती है, बाबुजी खटिया पर सो जाते है और शालिनी सब बर्तन धोकर कमरे में आती हैं।

शालिनी : बाबुजी अब आप भी कमरे में सो जाइए ,बाहर गर्म हवा लग जाएगी,
बाबुजी बेड के एक किनारे सो जाते हैं और शालिनी दूसरे किनारे सो जाती है, करीब 1 घंटे बाद बाबुजी सीने में जलन की वजह से पानी पीने जाते है तब शालिनी की नींद खुल जाती हैं,

जब बाबुजी वापिस आते है तब...
शालिनी : क्या हुआ बाबुजी?
बाबुजी : जी वो थोड़ी जलन हो रही है,
शालिनी : डॉक्टर ने बताया था, रुकिए में कुछ करती हूं,
शालिनी किचन में जाती है और फ्रिज में रखें अपने दुध का बर्तन को निकालती है और उसे गाय के दुध के साथ मिला देती है

और आकार बाबुजी को पीने को कहती है ,बाबुजी पूरा दुध पी जाते हैं तब शालिनी अपने पल्लू से बाबुजी के होंठ साफ करती है तब उसकी गोल सुन्दर नाभि बाबुजी के सामने आ जाती हैं

बाबुजी : वाह! आज दुध ज्यादा मीठा लगा,कहा से लायी?
शालिनी : जी वो गौशाला से ही लायी हूं
बाबुजी : हाँ पर आज दुध बढ़िया था, कल भी यही गाय का दुध लाना
शालिनी: जी जरूर।
शालिनी : (मन में..)बाबुजी ! आप जिस गाय का दुध पीने की बात कर रहे हों वो अभी आप के सामने है और अब देखते हैं कि बाबुजी को इससे फायदा होता है कि नहीं, जैसा डॉक्टर ने कहा वैसे किया, अगर फायदा होगा तो आगे बढ़ेगी,
दोनों सो जाते हैं, शाम को जब दोनों जागे तब बाबुजी देखते हैं शालिनी बैठे बैठे अंगड़ाई ले रही थी,

शालिनी अपने बाल को बाँध रही थी, जब शालिनी एक बार फिर से अंगड़ाई लेती है तब देखती है बाबुजी जग चुके हैं, शालिनी बाबुजी को देखकर मुस्करा देती है
शालिनी : अब कैसी तबीयत है बाबुजी?
बाबुजी : अब थोड़ी बेहतर है, अभी मुझे गैस की ज्यादा दिक्कत नहीं हुई और साथ ही जलन भी शांत हो गई
शालिनी : (मन में ..)लगता है डॉक्टर की बात सही है, बाबुजी को इससे राहत मिली, अब से मे अपना दुध मिलाकर बाबुजी को देती रहूंगी
शालिनी फिर शाम को एक बार फिर नील को स्तनपान करवाकर बाबुजी के पास आकर बैठती है, पर बाबुजी मानो किसी ख्यालों में खोए हुए थे, उसे पता भी नहीं था कि शालिनी कब आकर बैठ गई, शालिनी काफी देर तक देखती है बाबुजी ख्यालो में खोए हुए है और उसकी आँखें भीगी हुई थी, वो समझ जाती हैं कि बाबुजी अपनी पत्नी के बारे मे सोच रहे हैं, शालिनी उसे पुकारती है और उनसे बातचीत करने लगती है, बारी बारी नीरव और चाचाजी से फोन पर बात करते है,

शालिनी : चलो बाबुजी थोड़ी सब्जी लेने चलते हैं
शालिनी सोचती है बाबुजी कहीं बाहर चलेंगे तो कुछ अच्छा महसूस करे, शालिनी बाबुजी और नील को गाड़ी में बिठा कर अकेली सब्जी लेने जाती है, वहां पर ज्यादा तो लोग नहीं थे पर ज्यादातर सब्जी मिल जाती थी, कई ठेले पर महिलाएं थी, शालिनी ने अपना नया सिला हुआ ब्लाउज और साड़ी पहने हुए थी

, जब वो एक ठेले पर जाकर सब्जी देख रही थी

तब वो चुपके से देखती है कि सब्जीवाला उसके स्तनों को घूर रहा है पर वो कुछ करती नहीं

और अपनी सब्जी लेकर चली जाती है उसने यह बात एक और ठेले पर भी महसूस की,
शालिनी : (मन में..)एक बात तो पक्की है कि मर्द जात स्तनों का दीवाना होता है चाहे वो तरुण हो जवान हो या बुढ़ा ,जब यह लोग मेरे स्तनों से आकर्षित हो सकते है तो बाबुजी भी हो सकते है, बाबुजी के लिए यह जरूरी भी है, और कहीं ना कहीं मेरे लिए भी, बाबुजी भी चाचाजी की तरह आकर्षित हो गए तो हम दोनों के लिए फायदेमंद होगा, ठीक है फिर में प्रयास करूंगी, और वो सरला तो अपने ससुर से सेक्स करती है, मे तो सिर्फ स्तनपान करवाना चाहती हूं, और वो रसीला भी बोल रही थी कि वो भी अपने ससुर को अपना दुध पिलाने वाली है, वो दोनों तो अपने मजे और स्वार्थ से यह सब करती है और मे तो बाबुजी की तबीयत सुधारने के लिए करना चाहती हूं और डाक्टर ने भी सलाह दी थी।
शालिनी गाड़ी के पास आती है और सब घर आते हैं, घर आकर शालिनी अपनी साड़ी निकाल देती है वो सिर्फ ब्लाउज घाघरा पहने सब्जी काटने बैठ जाती है, उसने एक पारदर्शी दुपट्टा ओढ़ रखा था,

रसोई की सारी तैयारी कर के शालिनी छत पर टहलने जाती है, जब वापिस आती है तब देखती है बाबुजी अपना सिर पकडकर बैठे हुए थे
शालिनी : क्या हुआ बाबुजी?
बाबुजी : बहु ,एसा लग रहा है मानो सब घूम रहा हैं,
शालिनी समझ जाती है कि ब्लड प्रेशर कम हो रहा है, इस लिए वो तुरत जाकर शक्कर ले आती है और चाचाजी को खिला देती हैं, जिसे खाकर बाबुजी थोड़े होश में आते है शालिनी उसे आराम से लेटा देती है और बाबुजी का हथेली को अपने हाथों से घिसने लगती है,थोड़े देर बाद बाबुजी होश में आते हैं तब देखते हैं कि शालिनी बग़ल में बैठी उसका हाथ घिस रही हैं,
बाबुजी : बहु अब मे ठीक हुँ,
शालिनी : बाबुजी में डर गई थी, क्या अभी सब ठीक है?
बाबुजी : हाँ सब ठीक है, पता नहीं क्या होता है, मुझे एकदम से चक्कर आने लगते है,
शालिनी : अभी आप लेटे रहिए,मे खाना बनाकर आपको बुला लूँगी,
शालिनी खाना बनाने जाती है और खाना बनाते समय वो सोचती है, अब मुझे थोड़ा गंभीर होना होगा, बाबुजी की तबीयत ठीक करनी होगी,आज फिर से चक्कर आने लगे वो तो अच्छा हुआ कि खटिया पर बैठे थे, कहीं खड़े होते या छत पर होते तो उन्हें चोट लग सकती है,और कभी नील के साथ खेलते समय चक्कर आ गए तो नील को भी चोट लग सकती हैं,मुझे अब चाचाजी की तरह बाबुजी को भी अपना दुध पिलाना होगा और उन्हें ठीक करना होगा चाहे जो हो जाए, जो करना पड़ेगा वो करूंगी, अब मेरा पहला लक्ष्य बाबुजी को शारीरिक और मानसिक दोनों तरीके से ठीक करना होगा।
शालिनी खाना बनाकर बाबुजी को बुलाती है, दोनों खाना खाते है तब शालिनी नील को गोदी मे सुलाकर पारदर्शी दुपट्टा ओढ़कर स्तनपान करवाने लगती है, जिससे उसका स्तनपान करवाना साफ आरपार दिख रहा था, बाबुजी को थोड़ी असहजता हुई, शालिनी के लिए भी यह पहली बार था इसलिए उसे भी थोड़ी शर्म आ रही थी पर बाबुजी को ठीक करने के विचार से उसे हिम्मत मिलती हैं, खाना खाने के बाद बाबुजी दवाई खाकर कमरे में चले जाते हैं, शालिनी सब काम निपटाकर गाय और अपना दुध मिलाकर कमरे में ले आती है ,इसबार शालिनी ने अपने दुध की मात्रा थोड़ी बढ़ाई थी, बाबुजी सारा दुध पी जाते हैं।
बाबुजी : अभी का दुध भी दोपहर की तरह मीठा था या यू कहो उससे भी ज्यादा मीठा था
शालिनी : आपको अच्छा लगा बस वही जरूरी है
शालिनी अपना दुपट्टा रखकर घाघरा और ब्लाउज पहने बेड पर लेट जाती हैं।

शालिनी : गर्मी अब दिन दिन बढ़ती जा रही है क्यूँ बाबुजी ?
बाबुजी : हाँ सही कहा।
शालिनी : जब आप ठीक हो जाएंगे तब हम छत पर सोने जाएंगे।
दोनों सो जाते हैं, रात को शालिनी स्तनों में हो रहे दर्द से जगती है, और किचन में आती हैं और बर्तन लेकर स्तनों को दबाकर दुध निकालने लगती है जलन और दर्द सहते हुए शालिनी अपना सारा दुध बर्तन में भरकर फ्रिज में रख देती हैं और दर्द सहते हुए सो जाती है, सुबह नहा धोकर नास्ता करने लगते है, बाबुजी ने कम खाया था, नास्ता करते समय शालिनी नील को स्तनपान करवा रही थी, जब बाबुजी नास्ता कर के बाहर जाने लगते है तब शालिनी उन्हें अपना और गाय का मिलाया हुआ दुध पीने को देती है, बाबुजी सब एक घूंट मे पी जाते हैं, शालिनी आज एक गहरे गले वाला ब्लाउज पहना था, क्योंकि उसने अब बाबुजी को अपने स्तन के प्रति आकर्षण कराना था और उसके कपड़ों को लेकर बाबुजी सहज महसूस करवाना था, ताकि गर्मी में उसे राहत मिलेगी, सब काम करते समय भी वो जान बूझकर स्तन के उभार और उसके बीच की दरार दिखाई दे एसे काम करती है

,बाबुजी की भी नजर बार बार उधर जाती पर वो इसके लिए गर्मी को जिम्मेदार मानते थे क्युकी उनके हिसाब से बहु को एसी गर्मी सहने कि आदत नहीं है,
जब सब काम निपटाकर शालिनी नृत्य के लिए तैयार होने जाती है तब नील को स्तनपान करवाकर और उसे सुलाकर दूसरे कमरे में आती है जहा बाबुजी बैठे हुए थे, आज शालिनी किसी बार डांसर जैसी लगती थी,

आज शालिनी भी जानबूझकर एसे नृत्य करती है जिसमें उसके स्तनों का योगदान हो ,जिससे उसके स्तन ऊपर नीचे, दाएँ बाएं, होते थे

बाबुजी को आज का नृत्य थोड़ा अजीब लगा, मानो आज शालिनी अपने आप को भूल कर नृत्य कर रही हो, जब नृत्य पूरा करने के बाद थककर बैठती है

तब उसके स्तन ऊपर नीचे हो रहे थे, बाबुजी ने पहलीबार शालिनी को एसे देखा था, वो बस चुपचाप देखे जा रहे थे।
बाबुजी फिर किचन में जाते है और शालिनी के लिए पानी ले आते है ताकि शालिनी को राहत मिले।
बाबुजी : लो बहु! पानी पी लो
शालिनी : अरे बाबुजी में पीने जाने वाली थी आपने क्यूँ तकलीफ की
बाबुजी : इसमें कैसी तकलीफ, तुम मेरे खुशी के लिए इतनी मेहनत करके नृत्य करती हो तो मे इतना तो कर सकता हूं
शालिनी : आप कितने अच्छे हैं
शालिनी जब पानी पीने लगती है तब जल्दी जल्दी में पानी उसके मुँह से गिरकर उसके स्तनों के उभार तक पहुंच गया था, बाबुजी यह देखकर स्तब्ध रह जाते है
बाबुजी : बहु ! आराम से पियो,
शालिनी पानी पीकर थोड़ी देर आराम कर के खाना बनाने जाती है, बाबुजी भी आज मदद करने उसके साथ किचन में आते है, दोनों मिलकर खाना बनाते हैं और जब खाना खाने बैठते है तब शालिनी बाबुजी से अपना दुपट्टा मंगवाई और उसे ओढ़कर नील को अपने गोदी मे लेकर उसे स्तनपान करवाने लगती है, दुपट्टा पारदर्शी होने से आज भी बाबुजी को सब दिख रहा था, साथ ही दोनों खाना भी खा रहे थे।
खाना खाने के बाद काम निपटाकर कमरे में सोने आते हैं, दोपहर में शालिनी अपने स्तनों से दुध निकाल कर बर्तन में डालती है, जब शालिनी अपने स्तनों से दुध निकाल रही थी तब बाबुजी पानी पीने किचन में आ रहे थे, तब उसे कुछ बोलने की आवाज सुनाई दी जिससे वो कौन है ये जानने चुपके से खिड़की के पीछे रहकर देखते है,बाबुजी देखते हैं कि शालिनी अपने स्तनों को दबाकर बर्तन में दुध इकट्ठा कर रही थी, और कुछ बोल रही थी
शालिनी : आह! कितना दर्द होता है, इससे राहत दिलाने वाला भी यहां नहीं है,वो होते तो अभी मुझे यह दर्द नहीं सहना पड़ता, नील भी नन्ही जान कितना पीए?,काश कोई होता मुझे इस दर्द से राहत देने वाला,
(यहां शालिनी चाचाजी की बात कर रही थी पर बाबुजी नीरव का समझते हैं)
शालिनी अपने गोरे गोरे सुडोल स्तनों से दुध की धार बर्तन में गिराती, और अपना दुख सुनाती,
बाबुजी भी सोचते हैं कि बहु काफी तकलीफ में लगती है, पर अपनी एसी परेसानी को कैसे कोई पुरुष को बताए ,और वो भी अपने ससुर से ,काश में कुछ मदद कर सकता, बहु हमारा कितना ख्याल रखती है फिर भी उसे यह दर्द सहना पड़ रहा है।
कीचन में...
शालिनी : आह! लगता है सब निकल गया, अब कुछ अच्छा लगा, अब इस दुध को गाय के दुध से मिला देती हूं ताकि बाबुजी रात को पी सके, और जल्दी से अच्छे हो जाए
बाबुजी यह बात सुनकर सुन्न हो जाते है,उन्हों ने अपने आप को चिमटी काटी, ताकि उसे पता चले के अभी उसने जो सुना वो सपना नहीं है,
बाबुजी : (मन में..)क्या सच में बहु यह करती हैं, पर वो अपना दुध मेरे पीने वाले दुध से क्यूँ मिला रही हैं, क्या अभी बीते दिनों जो दुध पिया उसमे बहु का दुध मिश्रित था, ऊपर से मे उस दुध की तारीफ कर्ता था, पर सच कहूँ तो दुध मीठा तो लगता था, पर मे कैसे अपनी बहु का दुध पी सकता हूं, नहीं यह पाप है, मुझे यह नहीं करना चाहिए, मे अब यह दुध नहीं पियेगा,
बाबुजी देखते हैं शालिनी अपने दुध के पहाड़ों जैसे स्तनों को ब्लाउज में कैद कर रही है, अगर शालिनी ने उसे देख लिया तो उसके बारे में क्या सोचेंगी?इसलिए बाबुजी दबे पाँव फटाफट से कमरे में आकर आंख बंध कर लेट जाते हैं ,जब शालिनी कमरे के आकार बाबुजी के पास आकर लेट जाती हैं तब बाबुजी जागने का नाटक कर के पानी पीने जाते है,पानी पीने के बाद बाबुजी भी सो जाते हैं, शाम को जब दोनों जागते है तब शालिनी बाहर खटिया पर बैठकर नील को स्तनपान करवाती है, अब उसे गांव की दूसरी औरतों की तरह घर के मर्दों के सामने स्तनपान करवाने में हिचकिचाहट नहीं थी,बाबुजी को भी ज्यादा फर्क़ नहीं पड़ा, वो आँगन मे टहलने लगते है, रात को जब खाना खाने के बाद सोने जाते हैं तब शालिनी बाबुजी के लिए वो दुध ले आती हैं,

जिसे देख बाबुजी को दोपहर की घटना याद आती हैं,
शालिनी : लीजिए बाबुजी आपका मनपसंद दुध पी लीजिए।
बाबुजी : नहीं, मुझे नहीं पीना
शालिनी : क्यूँ?क्यूँ नहीं पीना?यह आपकी सेहत के लिए अच्छा है, डॉक्टर ने भी कहा है।
बाबुजी : डॉक्टर ने गायों का दुध पीने को कहा है
शालिनी : यह गाय का ही दुध है,
बाबुजी : क्या सच में यह गाय का ही दुध है?क्या इसमें कोई मिलावट नहीं है?
शालिनी : नहीं नहीं कोई मिलावट नहीं है और यह सच मे गाय का दुध है
बाबुजी : मेरी कसम खाकर कहो
शालिनी कसम खाने में हिचकिचाती है और बात टाल ने लगती हैं
शालिनी : इतनी सी बात में क्या कसम खाना, मे आपका बुरा थोड़ी चाहेंगी
बाबुजी : में जानता हूं कि तुम मेरा बुरा नहीं चाहती, पर....मुझे...
शालिनी : पर आपको क्या बाबुजी?
बाबुजी : मुझे...मुझे पता चल गया है कि तुम इस दुध में क्या मिलाती हो
शालिनी यह सुनकर चौंक जाती है, क्योंकि उसे यह बात की उम्मीद ही नहीं थी
शालिनी : (मन में..) क्या सच में बाबुजी को पता चल गया है कि मे दुध में अपना दुध मिलाती हूं ?,पर कैसे?शालिनी कैसे पता चला वो जानने से क्या होगा?अब सोचो आगे क्या करोगी?कैसे इस बात को सम्भाला जाए, वैसे एक तरीके से अच्छा हुआ, आज नहीं तो कल पता चलने वाला था, पर तबतक समय मिलता समझाने का, अभी जब सब सच पता चल गया है तो खुलकर सब सच बता देते हैं,क्या पता बाबुजी बात को समझे, और मुझे गलत ना समझे
बाबुजी : चुप क्यों हो?बताओ मुझे एसी क्या मजबूरी थी कि तुम्हें एसा करना पड़ा
शालिनी : मन में..)शालिनी पहले जान लेते हैं बाबुजी ने क्या पता लगा लिया है,
शालिनी : बाबुजी आपको क्या पता है कि मेने आपके दुध में क्या मिलाया है?
बाबुजी : हाँ! पता है, तुम ने इस दुध में....इस दुध में....
शालिनी : क्या बाबुजी ?दुध में क्या?
बाबुजी : इस दुध में तुम...तुम अपना दुध मिलाती हो
बाबुजी यह बोलकर अपनी नजर नीचे कर लेते है, उनको यह बोलने में शर्म आती हैं
शालिनी : (मन में..)मेरा शक सही था, बाबुजी को आखिरकार सब पता चल गया, अब पता चल गया है तो अच्छे से बात करते हैं
शालिनी : बाबुजी आपको कैसे पता चला?
बाबुजी : मेने दोपहर को अपनी आंखों से देखा और कानों से सुना
शालिनी : बाबुजी आप मुझे गलत मत समझना ,इसके पीछे वजह थी
बाबुजी: एसी क्या मजबूरी थी कि तुमको यह सब करना पड़ा
शालिनी : जब आप बीमार पड़े तब डॉक्टर ने आपको दुध और उनसे बनी चीजें खाने को कहा, मेने आपको वो खिलाया भी, पर बीमारी के कारण वो पाचन नहीं हुआ जिससे आपको गैस हुई, और वो गैस मिटाने की दवाई से आपको एसिडिटी और जलन होने लगी और वो जलन मिटाने आपको दुध पीना पड़ता, जिससे फ़िर से गैस हो जाती, जब मेने डॉक्टर को सारी बात बताई तब उन्होंने मुझे यह सलाह दी
बाबुजी : यह कब बताया ?
शालिनी : जब दूसरे दिन हम गए थे, तब नील रोने लगा और आप उसे लेकर बाहर गए तब मुझे बताया, मेने पहले मना ही किया था, पर जब आपको चक्कर आने लगे, और गैस की वजह से परेसान होते देखा तब मेने आपकी तबीयत में सुधार हो इसलिए यह कदम उठाया, मेरा स्वार्थ इतना था कि मुझे दवाई की वजह से ज्यादा दुध आने लगा है जिससे नहीं निकाला तो दर्द होने लगता है, इसलिए मेने सोचा इससे मेरा काम भी हो जाएगा, जो दुध बेकार चला जाता वो आपके काम आए
बाबुजी काफी देर सोच में पड़ जाते है
शालिनी ; अगर बाबुजी आपको मेरा यह निर्णय बुरा लगा हो तो मुझे माफ़ कर दीजिए, पर मेने आपके लिए यह किया ताकि आप स्वस्थ हो जाए,
बाबुजी : (मन में..)बहु मेरे बारे मे कितना सोचती हैं, यहां तक अपना दुध पिलाने को तैयार हो गई, आज के समय एसी बहु कहा मिलती हैं, में उसे गलत समझ रहा था, नीरव से बढ़कर मेरा ख्याल रखती हैं, वाकई में बहुत भाग्यशाली हूं
शालिनी निराश होकर कमरे से बाहर जाने लगती हैं तभी बाबुजी उसे बुलाते हैं
बाबुजी : बहु ! यहां आओ, बैठो
शालिनी वापिस बेड पर आकर बैठती है।
शालिनी : जी बोलिए बाबुजी
बाबुजी : बहु माफ करना, मेने तुमको गलत समझा,तुम मेरा इतना ख्याल रख रही थी मुझे मालूम ही नहीं था, मेरे लिए तुम अपना दुध भी मुझे पिलाने तैयार हो गई, कोई स्त्री के लिए अपना दूध अपने बच्चे के अलावा दूसरे को पिलाना पड़े वो काफी मुश्किल भरा काम रहता होगा, पर तुमने मेरे लिए यह काम किया, तुम्हारा धन्यवाद, आज तुमने बहु होकर भी मेरे बेटे से बढ़कर ध्यान रखा है, तुम्हारा यह बलिदान देखकर मुझे तुम पर गर्व हो रहा है,
शालिनी : यह मेरा फर्ज है, और नीरव ने कहा है कि आपको ठीक करने के लिए जो बन पड़े वो करूँ
बाबुजी : में तुम्हारा बलिदान व्यर्थ नहीं जाने दूंगा, मैं यह दुध पाउंगा और स्वस्थ हो जाऊंगा
शालिनी : (मन में..)क्या बाबुजी को चाचाजी की तरह सीधे स्तनपान करने को कहु?,नहीं नहीं, अभी जल्दबाजी होगी,बड़ी मुश्किल से एसे दुध पीने राजी हुए हैं, बाद में प्रयास करूंगी, जैसे चाचाजी से साथ किया था
बाबुजी वो दुध पी जाते हैं, और दोनों सो जाते हैं, शालिनी रात मे एक बार अपना दुध निकालने जगती है।
प्रकृति अपने सारे रंग और खुशबु वातावरण में डाल कर एक सुन्दर सुबह लेकर आती हैं,शालिनी और बाबुजी दोनों जागकर आँगन में आते है, बाबुजी बीमारी के कारण कसरत ना करके सिर्फ चलते है और शालिनी अपना योग करती हैं,

बाद में शालिनी नहाने जाती है, बाबुजी खटिया पर बैठे हुए थे, जब शालिनी सिर्फ घाघरा और ब्लाउज पहने बाहर आती हैं और कमरे में चली जाती हैं,

वो थोड़ा तैयार होती है, और एक दुपट्टा ओढ़कर किचन में नास्ता बनाने लगती हैं

, बाबुजी भी तैयार होकर आते हैं, बाबुजी नील को लेकर हल्की धूप में आते हैं, जब शालिनी नास्ता करने बुलाती है तब नील को लेकर बाबुजी आते है और नील को शालिनी को देकर नास्ता करने लगते है, शालिनी दुपट्टे से ढककर नील को स्तनपान करवाती है और खुद नास्ता करने लगती है, नास्ता करने के बाद, घर के काम निपटाकर, आँगन मे बैठ जाती हैं, थोड़ी देर बाद वो नील को लेकर कमरे में जाती है और स्तनपान करवाने लगती हैं, और बाद में नील को सुलाकर तैयार होने लगती है,

फिर वो बाबुजी को बुलाकर दूसरे कमरे में आती हैं ,आज भी वो एसे नृत्य करती है जिसमें उसके स्तन और कमर का उपयोग ज्यादा हो, बाबुजी तो बस इस सौंदर्य को देखे जा रहे थे, वो नृत्य के समय भूल गए थे कि नृत्य कर रही स्त्री उसकी बहु है,उसको तो एक अभिनेत्री ही दिखाई दे रही थी,पसीने से भीगी शालिनी बहुत सुन्दर लगती थी

नृत्य के बाद शालिनी थकान मिटाने बैठ जाती हैं

तब बाबुजी से बातचीत करती है, कुछ देर बाद फिर वो अपने पहले वाले कपड़े पहन आती हैं और बिना दुपट्टा के रसोई बनाने लगती है,

बाबुजी भी थोड़ी बहुत मदद करने आते हैं, दोपहर खाना खाने के बाद दोनों सोने आते हैं, शालिनी दोपहर में एक बार अपने स्तनों से दूध निकालने लगती है, पर जलन के मारे उसका बुरा हाल था, वो वापिस आकर सो जाती हैं।
शाम को जब बाबुजी गुमसुम खटिया पर बैठे हुए थे, तब शालिनी सोचती है कि बाबुजी की शारीरिक स्थिति तो सही हो रही हैं पर उसकी मानसिक स्थिति भी पहले जैसे करनी होगी, वो उससे बातचीत करते है, चाचाजी और नीरव से बात करवाती हैं,जब रात को खाना खाने के बाद नील को सुलाकर बाबुजी पीकर सोने लगते है।
शालिनी : बाबुजी! आइए आज मे आपको सुला देती हूं
बाबुजी : नहीं इसकी जरूरत नहीं ,पहले ही तुम मेरे लिए बहुत कर रही हो ,और अब मे छोटा बच्चा नहीं हूं
शालिनी : मत भूलिए अभी भी आप मेरा दुध पीते हैं ,इसी बहाने मुझे छोटे बच्चे को सुलाने का अभ्यास हो जाएगा, कल को निल जब पालने में सोना छोड़ मेरे पास सोने लगेगा तब उसे सुलाना पड़ेगा
शालिनी अपने एक हाथ को फैलाती है, जिससे बाबुजी हाथ पर अपना सिर रखकर सो सके, बाबुजी भी ठीक वैसा ही करते है, कहीं ना कहीं बाबुजी प्यार और अपनेपन की तलाश कर रहे थे, और जब शालिनी उसे दे रही थी तब वो भी उस प्यार और अपनेपन का लाभ लेने लगते है,शालिनी बाबुजी के सिर पर हाथ घुमाते हुए दुलार करती हैं, बाबुजी को बड़ी अच्छी नींद आने लगती हैं और दोनों सो जाते हैं।

चाचाजी को गए 4 दिन हो चुके थे, यूँ कहें शालिनी को दर्द सहते 4 दिन हो गए थे, सुबह जब शालिनी जगती है तब देखती है बाबुजी उसके बग़ल में सुकून की नींद सो रहे हैं, वो बाबुजी को बिना जगाए योग करने जाती है

,बाद में जब शालिनी नहाकर कमरे में आकर आईने के सामने अपने आप को संवार रही थी तब बाबुजी जागते है और देखते है शालिनी तैयार हो रही थी, शालिनी आईने में से देखती हैं और मुस्करा देती हैं।

शालिनी : शुभ प्रभात ,बाबुजी, आज तो बहुत देर तक सोये।
बाबुजी : हाँ सही कहा, आज काफी दिनों बाद चैन की नींद आयी, तुमने इतने प्यार से सुलाया की अब जाके नींद खुली, तुम्हारा धन्यवाद
शालिनी : चलिए जाकर नहा लीजिए,
बाबुजी नहाने जाते हैं और शालिनी नास्ता बनाने जाती हैं, नास्ता करके दोनों डॉक्टर के पास आते हैं,
शालिनी : डॉक्टर आपकी सलाह कामयाब रही इससे बाबुजी की सेहत में सुधार आया है
डॉक्टर: अच्छा है, अब थोड़ा मानसिक तौर पर भी ध्यान रखना होगा, ताकि वो मायूस ना हो और खुश रहें
शालिनी : उसकी भी कोशिश कर रही हूं
डॉक्टर : आप अपनी कोशिश जारी रखे, क्योंकि दवा से ज्यादा उनको सहारे, प्यार और अपनेपन की जरूरत है,आज इनको दवाई की जरूरत नहीं है,
शालिनी और बाबुजी घर आते है
शालिनी : देखा बाबुजी, यह सलाह मुझे डॉक्टर ने ही दि है, और अब आपको खुश रहना है
बाबुजी : पता नहीं कभी कभी तुम्हारी सासु मां की बहुत याद आने लगती हैं
दिन जैसे तैसे बिना कुछ परेसानी से बीत जाता है, पर रात को खाना खाने के बाद बाबुजी को बहुत तेज ठंड लगने लगती हैं, और शरीर भट्ठी की तरह जल रहा था।
शालिनी जब दुध लेकर आती है तब उसे पता चलता है, बाबुजी ठीक से बैठ भी नहीं सकते थे, और वो दुध भी नहीं पीला सकती थी, चमच से प्रयास किया पर वो गले से नीचे नहीं उतर रहा था, शालिनी परेसान हो जाती है,

वो डॉक्टर को कॉल करती है पर उसका फोन सीमा क्षेत्र से बाहर बताता है, शालिनी सरला को कॉल करना सोचती हैं, पर वो सोचती है उनको क्यु परेसान करना, शालिनी वो गर्म नमक वाले पानी मे भिगोया हुआ कपड़ा बाबुजी के सिर पर रखती है, पर इससे भी खास फर्क़ नहीं पड़ा ,उसे कुछ सूझता नहीं, तब अचानक से उसका ध्यान मोबाइल की ओर जाता है, और वो ऑनलाइन बुखार के इलाज के बारे मे वीडियो देखती है, दो तीन वीडियो देखने पर उसे एक बात जरूर बताते कि अगर आगे वाले कोई उपाय काम ना आए तो मरीज़ को स्वस्थ व्यक्ति अपने शरीर की गर्मी देकर राहत दिला सकता है ,पर इससे स्वस्थ व्यक्ति को भी संक्रमण लगने का खतरा हो सकता है,
शालिनी अब अपने बारे मे ना सोचकर बाबुजी को ठीक करने के लिए कुछ भी करने को तैयार थी, वो एक गर्म रज़ाई ले आती है बाबुजी को ओढ़ाकर लाइट बंध करके ब्लाउज और घाघरा पहने हुए रज़ाई मे आ जाती है, बाबुजी को अभी कुछ होश नहीं था, शालिनी बाबुजी से चिपककर लेट जाती हैं, जब आधे घंटे बाद भी ज्यादा फर्क़ नहीं पड़ा था ,इस लिए शालिनी अब वो करने वाली थी जो फ़िल्मों में बताते हैं,वो अपने ब्लाउज के हूक खोलकर बाबुजी के सिर को अपने स्तनों पर लाती है, जैसे बाबुजी के होठों का शालिनी के स्तन और निप्पल से संपर्क होता है तब अपने आप वो निप्पल को होठों मे ले लेते हैं और चूसने लगते है।

शालिनी के लिए पहली बार था कि बाबुजी सीधा उसके स्तनों से दुध पी रहे थे, उसे अजीब लगा, पर इस समय दोनों के लिए यह जरूरी था, बाबुजी की सेहत और खुद के दर्द से राहत मिलना,शालिनी के लिए यह सोने पे सुहागा था कि बाबुजी स्तनपान कर रहे थे, जिससे उसे चाचाजी की याद आ गयी,
शालिनी : (मन में..)अगर चाचाजी पी सकते है तो बाबुजी क्यों नहीं, इससे दोनों का फायदा है, बाबुजी की तबीयत ठीक होगी और खुद को जलन से राहत मिलेगी
हालाकि बाबुजी बेहोशी में पी रहे थे, पर शालिनी उसे पीने दे रही, और स्तनों को दबाकर मदद भी कर रही थी, और जब एक स्तन चूस लिया गया तब झुककर अपना दूसरा स्तन भी बाबुजी के मुँह में दे देती है

,बाबुजी उसे भी चूसने लगे थे ,शालिनी को अपने दर्द से छूटने का दूसरा रास्ता मिल गया था, जैसे दूसरा स्तन खाली हो जाता है, शालिनी बाबुजी को अपने से चिपकाकर सो जाती है।