Update 22 :
Part 1 :-
गर्म और शांत दोपहर में बाबुजी कमरे के बाहर वाली जगह पर खटिया डाल कर सो जाते हैं और एक कमरे में नील सो गया है और दूसरे कमरे में शालिनी अपने नए कपड़े की सिलाई-कटाई करने लगती है, जब शालिनी एक ब्लाउज की कटाई करती है तब उसके मन में अभी थोड़ी देर पहले जो देखा उसके ही विचार चल रहे थे, और कभी कभी उसने जो देखा उसकी झलक दिखने लगती।
शालिनी : (मन में..)चाचाजी ने बताया था ठीक वैसे ही उस प्रथा सरला के जीवन में काम में आयी, इससे वो भी खुश थी और वो इस प्रथा को धन्यवाद दे रही थी, वो आज मुझे गलती से पता चला वर्ना यह बात राज रहती, जब वो माँ बन जाएगी तब उसका जीवन खुशहाली से भर जाएगा, पर....तब तक उसे अपने ससुर से सम्भोग करना पड़ेगा, बाप रे..! कितना बड़ा लिंग था, इतना तो नीरव का भी नहीं है, फिर भी सरला कैसे खुशी से कर रही थी, और तो और कैसे कैसे तरीके से करते थे, एसा तो वो वाले वीडियो में होता है, गांव में वो भी एक बुजुर्ग आदमी एसे सम्भोग कर सकता है यह आश्चर्य है, जब सरला ने पहली बार किया होगा तब उसके लिए भी आसान नहीं हुआ होगा, उसकी भी हालत खराब हो गई होगी, नीरव का उससे छोटा है फिर भी मुझे दर्द हुआ था तो इतने बड़े लिंग को लेते समय सरला को कितना दर्द हुआ होगा,
सरला और उसके ससुर के सम्भोग के बारे मे सोचते सोचते शालिनी के मन में फिर से कामुकता बढ़ने लगी थी, यह कामुकता सिर्फ उसके मन तक ना रहकर उसके काम मे दिखाई देती है, शालिनी ने कामुकता मे एक ब्लाउज की कटाई कुछ ज्यादा कर दी जिससे उसके स्तन को और खुलापन मिले, और गला काफी गहरा हो चुका था, मानो ब्लाउज ना होकर ब्रा हो

,कुछ देर बाद जब उसे होश आया तब पता चला ब्लाउज कुछ ज्यादा छोटा हो गया है, जिसे देख शालिनी अपने आपको सिर पर टपली मारती है और मुस्कराने लगती है, शालिनी देखती है उसके स्तन दुध से भर गए है, वो धीरे से पम्प ले आती हैं और स्तन से दुध निकालने लगती है, पम्प से शालिनी को उतना आराम नहीं मिलता जितना चाचाजी या नील से मिलता है, पर अभी कोई रास्ता नहीं था, 20 मिनट बाद दुध निकाल कर उसे फ्रिज में रख देती है।

फिर वो दूसरे ब्लाउज भी कटाई करने लगती है, ज्यादातर ब्लाउज बेकलेस थे और गहरे गले के थे

ताकि गर्मी में राहत मिले, कुछ मे दो डोरी होती,

एक मे पिछे 2 हूक जितनी पट्टी और एक मे आगे हूक और एक मे आगे सिर्फ गांठ लगानी होगी।

सभी ब्लाउज की कटाई करने मे शाम हो गई, बाबुजी उठते है और देखते है शालिनी अपना सब सिलाई-कटाई का समान ठीक से रख रही थी, शालिनी देखती है बाबुजी जग गए हैं, इसलिए वो फटाफट से अपना समान रखकर चाय बनाने लगती है, दोनों फिर आँगन मे पेड़ की छाव में खटिया पर बैठकर चाय पीते हैं तब शालिनी चाचाजी के बारे में पूछती हैं, तब बाबुजी चाचाजी को कॉल करते है।
चाचाजी बताते है कि वह समय से पहुच गया था और अंतिम संस्कार भी हो गया है अभी सब के साथ बैठे हुए हैं और आगे की विधि कैसे करनी है वो तय कर रहे थे, फिर वो शालिनी और नील के बारे मे पूछते है, शालिनी भी थोड़ी बातें करती है, फिर वो कॉल रख देते हैं।
शालिनी नील को जगाकर बाहर लाती हैं और बाबुजी को सोंप देती है और वो सब सफाई करने लगती है, फिर वो नील को कमरे में ले जाकर स्तनपान करवा देती हैं,फिर वो छत पर टहलने जाती है तभी वो नीरव से बात करती है और चाचाजी के भाई के बारे मे बताती है, फिर दोनों अपनी रोमांटिक और नोक झोंक भरी बाते करते है, जब वो कॉल रखती है तभी सरला का कॉल आता है, सरला का कॉल देखकर उसे दोपहर वाली घटना याद आती हैं, जिससे उसकी धड़कन बढ़ने लगती है।
शालिनी : सरला ने क्यू फोन किया?क्या काम होगा?कहीं दोपहर में मुझे देख लिया था क्या?
सवालों के बीच शालिनी डर से फोन उठाते हैं और कांपते हुई आवाज में बोलती हैं।
शालिनी : हैलो? बोलो सरला
सरला : हैलो भाभी! मेने इस लिए फोन किया है कि आज रात को खाना खाने के बाद हम सब रसीला के घर जाने वालीं है, तो आप भी साथ चलोगी?
शालिनी : क्यूँ?कोई कार्यक्रम है?
सरला : नहीं नहीं, वो तो हम सब सप्ताह में एक दिन किसी एक के घर एसे ही बैठने जाते है, इस बार तालाब पर रसीला ने सब को न्योता दिया था इसलिए आज उसके घर जाने वाले हैं
शालिनी : ठीक है आऊंगी! पर मेने घर नहीं देखा
सरला : वो आप गांव की मुख्य सड़क पर चलते आना में उधर ही खड़ी रहूंगी वहां से हम साथ जाएंगे
शालिनी : ठीक है।
कॉल रखने के बाद ...
शालिनी : में भी क्या क्या सोच रही थी?खामखा डर रही थी
शालिनी नीचे आती है और खाना बनाने लगती हैं, खाना बनाकर बाबुजी के साथ खाना खाने लगती है, और बाद में नील को स्तनपान करवा देती हैं,और सब काम निपटा देती हैं,शालिनी बाबुजी अंगना में जहां बैठे थे वहां आती है।
शालिनी : बाबुजी आज सब महिला वो रसीला के घर जाने वाली है, सरला का शाम को फोन आया था कि मुझे भी बुलाया है, तो मे जाऊँ?
बाबुजी : अरे...! यह भी पूछने की बात है, जाओ घर पर भी बोरियत होती होगी थोड़ा बाहर जाओगी और सब से मिलोगी तो अच्छा लगेगा, अगर रात मे में सो गया हो तो बेल बजना में दरवाजा खोल दूँगा
शालिनी नील को सुलाकर गांव की और चलने लगती है, रात की ठंडी हवाएं और शांत वातावरण शालिनी के मन को अच्छा लगता है, आकाश मे दिख रहे सभी तारे और चांद की रोशनी रात को खूबसूरत बना रही थी, वातावरण का आनंद लेते हुए शालिनी सरला खड़ी हुई थी वहां आती है और दोनों मिलकर रसीला के घर पहुचते है, जहां पहले से कुछ महिला आ चुकी थी, आँगन में रसीला के देवर और ससुर खटिया पर बैठे हुए थे, रसीला का पति नौकरी के काम से बाहर रहता था,
शालिनी रसीला के ससुर को नमस्ते करती हैं और रसीला का ससुर शालिनी से बाबुजी के बारे मे पूछते है।
शालिनी : वो घर पर है, मेरा बेटा घर पर है इसलिए, और वो एकदम बढ़िया है।
सरला और शालिनी घर के अंदर आते हैं, और देखते है सब महिला बैठी हुई थी और आपस में बात कर रही थी रसीला सब के लिए नींबुपानी बनाती है।
रसीला : धीरे से..)सुनो सुनो...मेने कहा था ना कि मेरे ससुर जब मे स्तनपान करवाती हूं तब ताकतें रहते है, इसका प्रमाण दिखाती हूं।
सरला : पर भाभी आपका बच्चा तो सोया हुआ है, उसे जगाने से बाद में बहुत दिक्कत होगी उसे सम्भालने में,
रसीला : उसे तो पिलाकर सुला दिया है, उसका पेट भरा हुआ है,
सरला : तो फिर..
रसीला : मेरा देवर है ना,वो तो हर समय दुध के लिए भूखा रहता है, सच कहूँ तो मुझे भी मजा आता है, क्योंकि वो आखिरी बूंद तक निचोड़ लेता है।
रसीला बाहर जाकर अपने देवर को बुलाती है, जब उसका देवर अंदर आता है तब रसीला उसके ससुर की ओर देखती है तब उसे उसकी आँखों में ईर्ष्या दिखती हैं, रसीला ससुर के सामने मुस्करा देती हैं और घर में आती है, दरवाजे से चांद की रोशनी आ रही थी, रसीला भी दरवाजे के सामने पीठ करके बैठ जाती है जिससे उसके ससुर देख सके,
देवर : क्या बात है भाभी?क्या काम है?
रसीला : एसा कुछ काम नहीं है, बस मुझे मेरे दर्द से राहत दिला दो
रसीला का देवर समझ जाता है कि उसकी भाभी क्या कहना चाहती है, पर सब के सामने कैसे?वो बस खड़ा रहता है
रसीला : शर्मा क्यूँ रहा हैं?सबको पता है तेरे बारे में, मुझे फर्क़ नहीं पड़ता तो फिर तुम क्यों इतना सोच रहे हो
रसीला अपने देवर को हाथ खींचकर बैठा देती हैं, अरे में अपने देवर से मिलाना भूल गई, इसका नाम है राजू, मेरा लाडला
राजू भी सोचता है अगर भाभी को परेसानी नहीं तो मुझे कैसी दिक्कत
राजू अपनी भाभी के पास मे लेट जाता है ,रसीला अपने ब्लाउज के हूक खोल कर एक बाजू का स्तन बाहर निकालती है और राजू के मुँह में देती है, राजू भी अपना मुँह खोलकर भाभी के स्तन का स्वागत कर्ता है और चूसने लगता है।

शालिनी के लिए यह सब बिल्कुल नया और अजीब था, एक स्त्री कैसे अपने 19-20 साल के जवान देवर को सब के सामने खुल्लमखुल्ला स्तनपान करवा रही हैं,उसकी आँखें बार बार नीचे हो जाती।
राजू एक 20 साल का नौजवान था जो कॉलेज में पढ़ता है और परीक्षा की छुट्टियों में घर आया है ,वो पढ़ने में अच्छा था इसलिए उसे सरकारी कॉलेज में दाखिला मिल गया था,
जब राजू को स्तनपान करते 10 मिनट हुआ था और वो अपनी मस्ती में दुनिया की परवाह ना करते हुए स्तनों से निकलने वाले दुध को पी रहा था, तभी रसीला सब महिला को इशारा करके बाहर देखने को कहती है, जब सब बाहर देखते है कि रसीला का ससुर बार बार आँगन के चक्कर लगा रहा हैं ताकि किसी बहाने रसीला के स्तन दिख जाए ,सब यह देखकर हसने लगती है।
रसीला : पुरुष कितना भी बड़ा हो जाए स्त्री के स्तनों की ईच्छा उसे रहती ही है, और उसमे भी दुध से भरे स्तन हो तो बात ही मत पूछो, ज्यादातर पुरुष की कमजोरी और बैचेनी से राहत पाने का स्थान यह हमारे स्तन है।
शालिनी : (मन में..)बात तो सही है रसीला की, चाचाजी जब बैचेन थे तब स्तनपान से ही वह शांत हुए थे, और आज देखो इसको पीए बिना चैन नहीं आता।
करीब 15 मिनट बाद रसीला राजू को दूसरे स्तन पर लाती है,

राजू वो स्तन भी चूस कर खाली कर देता है, इस दौरान सब महिला आपस में बात चित कर रही थी सब के लिए मानो यह सामन्य घटना थी, राजू बाहर चला जाता है और सब महिला फिर अपने अपने घर चलने लगती है, रात हो चुकी थी, वैसे डर की कोई बात नहीं थी पर सरला शालिनी को थोड़े रास्ते तक छोड़ने आती है, जब शालिनी का घर दिखने लगता है तब सरला भी अपने घर को निकल जाती है।
रास्ते में शालिनी अभी जो हुआ उसके बारे में सोच रही थी कि अरे..गाव की औरते शहरों से भी ज्यादा आधुनिक है, फर्क़ इतना है कि वह जो भी करती है आपने घर मे करती है जिससे बदनामी का डर नहीं रहता ,और स्तनपान यहां पर कोई निजी काम नहीं है, बस एक बच्चे को खाना खिलाने और दर्द से राहत पाने का जरिया है, शालिनी अब घर तक पहुंच जाती है और बेल बजाती है, बाबुजी दरवाजा खोलते है, शालिनी कमरे में आकर अपनी साड़ी निकाल कर एक टॉप और पाजामे जैसा पहनती है
आज शालिनी को नींद नहीं आ रही थी आज एक ही दिन में उसने एसे दृश्य देखे जो उसने कभी सोचे नहीं थे, अभी का तो फिर भी उसके और चाचाजी जैसा वाक्या था पर दोपहर में तो जो देखा वो अविश्वसनीय था शालिनी आंखे बंध करके उसे याद कर रही थी, जिससे उसे वो झलकियां दिखाई देती है, उसका एक हाथ पाजामे मे चला जाता है और एक हाथ टॉप को उठाकर अपने स्तन को दबा रहा था

,आज शालिनी की यौन ईच्छा बढ़ गई थी, जिससे उसे अपने पति की याद सताने लगती है वो आईने के सामने जाती है और अपने टॉप को उठाकर एक फोटो खींचती है

और नीरव को भेजती है, उधर नीरव दोपहर खाना खाने बैठा था शालिनी का मेसेज देखकर वो ओपन कर्ता है और शालिनी की एसी तस्वीर देख कर उसके मन में भी कामुकता जग जाती हैं, वो भी मेसेज करता है, दोनों एक दूसरे से काफी कामुकता से भरी बाते करते है, शालिनी अपनी योनि को सहला रही थी उधर नीरव भी पेंट के ऊपर से अपने लिंग को मसल रहा था दोनों मझधार मे थे कि तभी नीरव का बॉस उसे बुला लेता है, और नीरव को बीच में जाना पड़ता है, हालाकि उसे भी अच्छा नहीं लगता, वो शालिनी से माफी मांगता है, शालिनी को गुस्सा आ रहा था पर वो कर भी क्या सकती थी, इस लिए वो कॉल रख देती है।
उसका गुस्सा उसके अंदर की काम वासना को बढ़ा देता है और वो पाजामे मे हाथ जोरों से चलाने लगती है इतनी देर से लाइट चालू देखकर बाबुजी को आश्चर्य होता है कि अभी बहु को क्या काम करना है जो अभी तक लाइट चालू रखी है, वो जब खिड़की के पास आए तब देखते है, बेड पर बैठी शालिनी अपनी योनि को सहला रही थी

और साथ ही नीरव पर गुस्सा निकाल रही थी, बाबुजी अपनी बहु का यह कामुक रूप देख हक्के बक्का रह जाते है, काफी सालों बाद आज उसने एक जवान स्त्री को अपनी यौन ईच्छा और हस्तमैथुन करते देखा, शालिनी के बिखरे बाल गोल सुन्दर स्तन, पतली कमर, सपाट पेट, गोल गहरी नाभि, सुंदर गौरा रंग ,यह देखकर बाबुजी भी कब अपने लिंग को सहलाने लगे उसे पता नहीं रहा शालिनी का पानी निकल जाता है तब वो शांत होती है और आंखे बंध कर थोड़ी देर लेटी रहती है, इसी समय बाबुजी को भी ध्यान आता है वो क्या देख रहे हैं और क्या कर रहे हैं, वो तुरत अपने खटिया पर आते हैं और लेट जाते है।
इधर शालिनी थोड़ा होश में आती है वो तुरत बत्ती बंध करने जाती है, उसे ध्यान आता है कि उसने काफी बड़ी गलती की अगर इस समय बाबुजी आ जाते तो? बाबुजी ने सब देख लिया इस बात से अनजान शालिनी खिड़की से देखती है बाबुजी अपनी खटिया पर लेटे हुए हैं,

उसे चैन की साँस आती है और वो सो जाती है, पर अब बाबुजी को नींद नहीं आ रही थी, काफी दिनों बाद आज उसकी यौन ईच्छा जागी है बाबुजी हस्तमैथुन करने लगते है जब उसका वीर्य निकल जाता है तब उसको राहत मिलती है पर दोनों के मन की चिंगारी भड़क गई थी बस देर थी हवा लगने की।
रात को शालिनी स्तनों मे दर्द की वज़ह से जगती है और पम्प से दुध निकाल ने लगती हैं।
सुबह होती है और शालिनी अपने योग और बाबुजी अपनी कसरत करने लगते है

, फिर बारी बारी नहाने जाते हैं और नास्ता करते है, शालिनी नील को स्तनपान करवा कर बाबुजी को देती है और खुद घर के काम निपटाने लगती है पर आज वो देखती है बाबुजी आज कुछ मायूस लग रहे थे, उसने पूछा पर बाबुजी ने हसी मे टाल दिया, बाबुजी का दुख उसके चेहरे पर साफ़ दिख रहा था वो नीरव को कॉल करती है।
शालिनी : हैलो नीरव
नीरव : हाँ! बोलो मेरी जान! आज कल अपने पति की बहुत याद सताती है?
शालिनी : हाँ सताएगी ना?इतने दिन अपनी खूबसूरत पत्नी से दूर रहोगे तो
नीरव : मुझे भी अच्छा नहीं लगता, पर क्या करूँ?काम तो करना पड़ेगा
शालिनी : समझती हूं ,पर अभी कुछ और जरूरी बात करनी है।
नीरव : क्या?
शालिनी : पता नहीं पर आज बाबुजी कुछ मायूस लग रहे हैं, मेने पूछा पर बताया नहीं
नीरव : अच्छा ! कुछ नहीं बताया?
शालिनी : वो आज बार बार मम्मीजी की तस्वीर देख रहे हैं, लगता है आज मम्मीजी की याद सता रही होगी।
नीरव : अरे...में भूल कैसे गया?
शालिनी : क्या भूल गए?
नीरव : आज माँ की पुण्यतिथि है, आज के दिन मां का स्वर्गवास हुआ था, हर साल में बाबुजी के पास होता हूँ, इस दिन हम गरीबों को दान देते और बच्चों को खाना खिलाते है, पर इस साल में नहीं हूं तो क्या तुम बाबुजी के साथ जाकर दान देने जाना
शालिनी : यह भी कोई पूछने की बात है, जरूर जाऊँगी
नीरव : थोड़ा बाबुजी की ख्याल रखना, लव यू, कल तुम्हारी फोटो देखी अच्छा लगा थोड़ा बाबुजी को फोन देना में थोड़ी बात करता हूं।
शालिनी फोन लेके बाबुजी के पास आती है
शालिनी : बाबुजी ! नीरव का कॉल है।
नीरव और बाबुजी बात करते हैं
शालिनी : बाबुजी ! नीरव ने बताया आज मम्मीजी की पुण्यतिथि है, और आप इस दिन गरीबों को दान और बच्चों को खाना खिलाते हो,पर आप ने मुझे यह बात क्यु नहीं बतायी, आप मुझे अपना नहीं मानते?
बाबुजी : एसा बिल्कुल नहीं है बहु ! मे तुम्हें दुखी नहीं करना चाहता था
शालिनी : आप ना बताकर मुझे नाराज कर दिया
बाबुजी : ठीक है गलती हो गई माफ कर दो।
शालिनी : एक शर्त पर की आज हम वो सब करेंगे जो आप नीरव के साथ रहकर करते थे।
दोनों तैयार होते हैं और खेत जाकर मजदूर को 5-5 दिन की तनखा देते हैं और हलवाई के पास जाकर मिठाई का ऑर्डर देते हैं और पाठशाला में आकर सभी बच्चों को मिठाई और खाना खिलाते है, फिर दोनों वापिस घर आते है, दोनों खाना खाते है और शालिनी अपने ब्लाउज सिलने लगती है

और बाबुजी सो जाते हैं, पूरा दिन बीत जाता है और रात को शालिनी नील को स्तनपान करवाकर सोने लगती है रात को जब शालिनी की नींद खुलती है तब वो पम्प से दुध निकाल रही थी, साथ ही अपनी योनि सहला रही थी जब शालिनी वासना के चरम पर पहुंचती है तब पम्प को जोर जोर से दबाने लगती है जिससे पम्प बिगड़ जाता है, जब वासना शांत हुई तब शालिनी को ख्याल आता है कि उसने क्या कर दिया, उसे खुद पर गुस्सा आने लगा ,जब शालिनी खिड़की पर आकर देखती है बाबुजी खटिया पर बैठे हैं।
शालिनी सोचती है मम्मीजी की याद में उसे नींद नहीं आती होगी पर जब वो ध्यान से देखती है कि बाबुजी सिर्फ बैठे नहीं पर कुछ कर रहे हैं,वैसे चांद की रोशनी में सब दिख रहा था पर ठीक से पता नही चल रहा था, वैसे बाबुजी हस्तमैथुन कर रहे थे काफी दिनों बाद अब उसमें काम वासना जगी थी ऊपर से आज अपनी पत्नी की याद कुछ ज्यादा आ रही थी वो तो जब वो जड़ने लगते तब वो लेट जाते है तब शालिनी को पता चलता है कि बाबुजी अपना लिंग पकड़े हुए है और वो समझ जाती है बाबुजी क्या कर रहे हैं, वो शर्मा जाती है और अपने बेड पर आकर लेट जाती है
शालिनी : (मन में..)बाबुजी को मम्मीजी की याद सताती होगी, मुझे भी नीरव की याद सताती है जब कि नीरव को गए महीना भर हुआ है और कुछ महीनों में वापिस आ जाएगा जब कि मम्मीजी को गए सालों हो गए और वो कभी नहीं आने वाली, जब जीवन साथी नहीं होता तब समय काटना मुश्किल हो जाता है।
शालिनी फिर सो जाती है और बाबुजी की मायूसियों को दूर करने के बारे में सोचती है और सोने लगती है, सुबह को शालिनी योग करती है पर बाबुजी आज बैठे रहते हैं, शालिनी पूछती है तब "आज मन नहीं है " एसा बोलकर वो टाल देते हैं, बाबुजी सीधा नहाने जाते हैं और शालिनी योग करके नहाने जाती है ,दोनों नास्ता करते है और बाबुजी नील को लेकर बाहर टहलने जाते है, और शालिनी नीरव को कॉल करती है और सब बताती है कि आज भी बाबुजी उदास है,
नीरव : बाबुजी का ध्यान रखना ,तुमने इससे पहले चाचाजी का भी ध्यान रखा है और उसे ठीक किया है, उसी प्रकार बाबुजी का ख्याल रखें
शालिनी : ठीक है मे प्रयास करूंगी और कुछ होता है तो कॉल करूंगी
शालिनी चाचाजी को कॉल लगाती है और सब बताती है
चाचाजी : ठीक है मे बात करूंगा, और तुम भी अपने प्रयास करते रहना,इससे पहले मुझे भी एसी परिस्थितियों से तुमने बाहर निकाला है
फोन रखने के बाद शालिनी सोचने पर मजबूर हो जाती है कि क्या उसे बाबुजी के साथ वहीं करना होगा जैसा उसने चाचाजी के साथ किया था, शालिनी का दिमाग थोड़ा विरोध कर्ता है पर दिल कहता है कि चाचाजी तो तुम्हारे परिवार से नहीं थे फिर भी तुमने हो सके वो सब किया और बाबुजी तो तुम्हारे अपने है ,
शालिनी विचारों में खोयी हुए घर के सभी काम करती है और करीब 11 बजे जब धूप बढ़ने लगी थी तब पसीने से भीगी शालिनी पंखे के नीचे बैठकर आराम करने बैठी थी

कि बाबुजी नील को लेकर आते है, शालिनी अब बाबुजी से बातचीत करना शुरू करती है ताकि बाबुजी को अच्छा लगे।
शालिनी : कहा पर घूमने गई थी यह दादा पोते की जोड़ी?
बाबुजी : कहीं नहीं बस यही पास में गए थे
शालिनी : बाबुजी आपको फिल्म देखने और गाने सुनने अच्छे लगते है?
बाबुजी : हाँ! फिल्म कभी कभार देखता हूं पर गाना सुनना अच्छा लगता है, इससे काम करते समय कट जाता है पर तुम क्यों पूछ रही हो
शालिनी : बस एसे ही!शहर थे तब चाचाजी ने बताया था कि उसे भी गाने सुनना और अभिनय और नृत्य करना अच्छा लगता हैं।
बाबुजी : क्या?यह बात उसने तुम्हें बता दी?
क्युकी उसके करीब के लोगों के अलावा किसीको पता नहीं था
शालिनी : जब हम खेत गए थे वहां भी स्पीकर लगाया था
बाबुजी : नृत्य मुझे नहीं आता पर हाँ मुझे गाना सुनने और नृत्य देखना अच्छा लगता है,
शालिनी : शहर में नील के आने के बाद मुझे चर्बी घटाने के लिए नृत्य करने और कसरत करने की सलाह दी गई थी, यहां आकर योग तो होता है पर नृत्य बंध हो गया है, यह भी लगता था कि आपको कैसा लगेगा?
बाबुजी : नृत्य करना कोई गुनाह थोड़ी है, तुमको अगर इससे फायदा हो रहा हो और अच्छा लगता हो तो इसमें क्या बुराई है
शालिनी : इसका मतलब में नृत्य कर सकती हूं
बाबुजी : हाँ कर सकती हो
शालिनी : धन्यवाद बाबुजी! मे अभी आती हूं और नृत्य करती हूं पर आपको देखना पड़ेगा, अगर कलाकार को कोई दर्शक नहीं मिलेगा तो उसकी कला का क्या फायदा?और में ठीक ठाक नाच लेती हूं
बाबुजी : नहीं तुम अच्छा नृत्य करती हो तभी रंगारंग कार्यक्रम में देखा था
शालिनी कमरे में जाती है और तैयार होने लगती है आज उसे अपने पुराने दिनों की याद आ गई, 15 मिनट बाद वो दूसरे कमरे में जातीं है तब तक बाबुजी चाचाजी के घर से एक स्पीकर ले आते है, नील को दूसरे कमरे में सुलाकर दोनों दूसरे कमरे में आते हैं और कमरा बंध कर देते है ताकि आवाज बाहर ना जाए जिससे नील की नींद ना खराब हो, शालिनी अपने मोबाइल से स्पीकर जोड़कर गाना चलाने लगती है, शालिनी के मोबाइल में अभी भी वही गाने थे जो उसके कमर की कसरत करवाते थे।
शालिनी फिर नृत्य करने लगती है

, करीब 4 गानों के बाद थककर बैठ जाती है और पसीना से भीगी शालिनी काफी सुंदर लग रही थी,
शालिनी : कैसा लगा नृत्य बाबुजी?
बाबुजी : बहुत बढ़िया नृत्य करती हो, काफी दिनों बाद एसा नृत्य देखा जिसमें शरीर के अंगों का सही से उपयोग हुआ है, वर्ना कई लोग सिर्फ कहने के लिए करते हैं
शालिनी : खुशी हुई कि आपको अच्छा लगा, चलो अभी खाना बनाना है
बाबुजी : आज मैं भी मदद करूंगा
शालिनी : नहीं इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी, मे कर लुंगी
बाबुजी : में बोर हो रहा हूं अकेले इससे कुछ अच्छा लगेगा और मदद भी हो जाएगी, और आज में रसोई में गाव के तरीके बताऊँगा।
शालिनी : तो फिर अच्छा है, मुझे भी कुछ नया सीखने को मिलेगा
दोनों रसोईघर जाते है और खाना बनाने लगते है, बाबुजी सब्जी में तड़का लगाने की नयी रीत सीखाता है, फिर दोनों खाना खाने की तैयारी करती है, शालिनी नील को लेकर आती हैं और अपने गोदी
मे रख देती है, उसे वो पीसी हुई दाल का पानी पिलाते है,साथ ही अपना खाना भी खाती है, थोड़ी दाल पिलाने के बाद शालिनी नील को पल्लू से ढककर स्तनपान करवाने लगती है और खाना खाने लगती हैं, क्योंकि अब उसे एहसास हो चुका था कि इस गांव में स्तनपान एक तरीका है अपने बच्चों को खाना खिलाने का, इसमें कोई कामुकता या शर्म जैसी बात नहीं है, और अब अभी और भी समय यहां रहना है तो फिर क्यूँ शर्माना?वो भी इस बात से सहज होना चाहती थी ,बाबुजी को भी कोई दिक्कत नहीं थी।
नील पूरा दुध नहीं पीता जिससे थोड़ा स्तनों में बच जाता है, शालिनी फिर बर्तन साफ़ कर सोने जाती है बाबुजी भी सो जाते हैं,दोपहर में शालिनी के स्तन दुध से भर जाते हैं उसे दर्द होता है, और पम्प भी बिगड़ गया है, अभी उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे, वो चाचाजी को फोन करने को सोचती हैं, शालिनी फोन लेकर आँगन में बाथरूम में चली जाती है ताकि वो अपना दुध निकाल सके और चाचाजी से बात कर सके,शालिनी चाचाजी को कॉल करती हैं
शालिनी : हैलो! चाचाजी
चाचाजी : हाँ बोलो, अभी कॉल किया कोई काम था?
शालिनी : वो मेरे स्तनों में दर्द होने लगा है, मुझे समझ नहीं आ रहा क्या करूँ?अभी में बाथरूम में आकर स्तनों से दबा दबा कर दुध निकाल रही हूँ,

पर आप जानते हैं ना कि इससे मुझे जलन होती हैं और दर्द भी होता है।
चाचाजी : अभी दो दिन कैसे किया?
शालिनी : वो मेने शहर से पम्प लिया था, पर वो कल बिगड़ गया
चाचाजी : बहुत बुरा हुआ, अभी क्या कर सकते है? अभी धीरे धीरे निकालती रहो यही रास्ता है
शालिनी : इतनी कड़ी दोपहर में बाथरूम. एक कितनी गर्मी होती हैं, अगर ज्यादा यहां रही तो बेहोश हो जाऊँगी
चाचाजी : में समझता हूं, पर मे नही आ सकता और ना यहां से कुछ कर सकता हूं, मे बस यही कह सकता हूं कि हिम्मत से काम लो।
शालिनी : सही कहा, इतनी दूर से आप क्या कर सकते हैं,वो तो हर बार दर्द में आप याद आते हो इस लिए आपको कॉल किया
चाचाजी : और बताओ, बिरजू कैसा है?
शालिनी : अभी थोड़े ठीक थे, मेने आज से नृत्य चालू कर दिया है, क्यूंकि बाबुजी मायूस लग रहे थे, और जब आप मायूस थे तब आप भी नृत्य देखकर अच्छा महसूस करने लगे थे
चाचाजी : अच्छा हो अगर यह काम करे तो।
शालिनी : नहीं उसे अच्छा लगा था
चाचाजी : तो फिर अच्छा है, दूसरा मेरे लायक काम हो तो बताना
शालिनी : ठीक हैं। रखती हूं
शालिनी गर्मी में बाथरूम में रहकर अपने स्तनों से दुध निकालने लगती है, जब स्तन से दुध निकाल कर बाहर आती है तब वो पसीने से भीगी हुई शालिनी काफी आकर्षक लग रही थी, उसे बाहर आकर अच्छा लगा उसे अभी बाहर की गर्मी कम महसूस होती है, शालिनी अपने हाथ मुँह धोकर कमरे में आकर सो जाती हैं, शाम को जब वो जगती है तब देखती है बाबुजी अभी भी सो रहे थे ,वो सोचती है सायद थकान से नींद ज्यादा आ गई होगी, पर जब एक घंटे बाद भी बाबुजी नहीं जागे तब वो चिंतित होती है और बाबुजी को जगाने आती है, जब वो बाबुजी को जगाने के लिए छूती है तब पता चलता है, बाबुजी को बुखार है, वो तुरत उसे जगाती है और डॉक्टर को दिखाने को कहती है, पर बाबुजी मामूली बुखार है एसा बोल कर सो जाते है, शालिनी नीरव को कॉल करती हैं
नीरव : हैलो शालिनी ,बोलो क्या हुआ?
शालिनी : बाबुजी को बुखार हो गया है, डाक्टर के पास जाने को कहा तो मना कर दिया
नीरव : एक काम करो तुम डॉक्टर को बुला लाओ
शालिनी : यह सही सुझाव दिया, मे अभी जाती हूँ
शालिनी सरला को फोन कर के डॉक्टर के बारे में पूछती है तब
सरला : डॉक्टर साहब सिर्फ सुबह आते है और दोपहर को चले जाते हैं ,पर हुआ क्या?
शालिनी : बाबुजी को बुखार हो गया है
सरला : धीरज रखो हम आते हैं।
सरला और उसके ससुर तुरत बाबुजी के यहां आते हैं।
सरला : कब से है बुखार?
शालिनी : पता नहीं पर दोपहर को सोने के बाद जब जागे नहीं तब पता चला
मनोहर : एक काम करो इसको गर्म नमक वाले पानी में कपड़ा भिगो कर सिर पर रखो, और थोङे थोड़े समय में बदलते रहना, इससे आराम मिलेगा और इसको बाहर मत सुलाना, ताकि अभी लू ना लगे और रात को ठंड ना लगे, इसको आराम करने देना और सुबह को तुलसी के पत्ते खाने को देना, फिर कल सुबह डॉक्टर के पास ले जाएंगे, सरला तुम्हारा नंबर ले लेगी ताकि जल्दी से हमारी बारी आ जाए, जब डॉक्टर के पास जाना होगा तब मे आ जाऊँगा, चिंता मत करो, मामूली बुखार है बस।
शालिनी : आपका धन्यवाद, मे नमक वाला पानी लाती हूं
शालिनी नमक वाला पानी लाती है
फिर शालिनी और मनोहर मिलकर बाबुजी को सहारा देकर शालिनी वाले कमरे में बेड पर सुला देते है, ताकि रात में बाबुजी का ख्याल रखा जाए और मनोहर उसको दिखाता है कैसे करना है, थोड़ी देर बैठकर दोनों अपने घर चले जाते हैं
शालिनी : कितने भले लोग हैं मुसीबत में तुरत मदद करने पहुच गए,
शालिनी लगातार उसके सिर पर नमक वाले पानी का कपड़ा रखने लगी थी ,बुखार थोड़ा उतरने लगा था, रात को बाबुजी ने खाना भी कम खाया और वो सो गए शालिनी जब काम निपटाकर कमरे आती हैं तब फ़िर से बुखार देखती हैं ,बुखार कम हुआ था पर अभी भी ज्यादा था, शालिनी बाबुजी के बग़ल में लेट जाती है,

रात को शालिनी अपने दुध निकालने जगती है, तब भी देखती है कि बाबुजी का बुखार अभी भी है, जैसे तैसे सुबह होती है, शालिनी नहा धोकर तैयार होकर नास्ता बनाती हैं,शालिनी बाबुजी को बुखार की वजह से नहाने को मना करती है और थोड़ा जोर देकर नास्ता करवाती हैं फिर भी बाबुजी थोड़ा ही नास्ता करते है, तभी मनोहर आता है, सभी कार लेकर ही डॉक्टर के पास आते हैं, सरला ने पहले आकर ही टोकन ले लिया था, जब डॉक्टर बाबुजी की जांच करते है तब उसे कुछ दवाइयां देते है और खून लेते है ताकि रिपोर्ट करवा सकें
डॉक्टर : मेने अभी दवाइयां दी है वो खाने के बाद लेना और बाकी सब रिपोर्ट के बाद पता चलेगा,
शालिनी : आज सुबह चक्कर भी आ गए थे
डॉक्टर : मुझे लगता है विटामिन b12 की कमी हो सकती है इसलिए दुध और उनसे बनी चीजे खा सकते है और हल्का भोजन बनाकर खिलाना, आप अपना नंबर नर्स को दे देना, वो रिपोर्ट की जानकारी आपको दे देगी, कल वापिस आना
सब घर आते है, बाबुजी दवाइयां खाते हैं, और आराम करते हैं, सरला और उसके ससुर अपने घर चले जाते हैं।
शालिनी : कल बाबुजी को नृत्य से अच्छा महसूस हुआ था, इसलिए आज भी नृत्य देखकर उसको अच्छा लगेगा
शालिनी : बाबुजी आपको सिर दर्द हो रहा है?
बाबुजी : नहीं, बस हाथ पैर में दर्द हो रहा है,
शालिनी अपने मोबाइल से गाना बजाती है ताकि ज्यादा शोर ना हो, मोबाइल से गाने बजाकर नृत्य करने लगती है,

जब कुछ गाने पर नृत्य करने के बाद शालिनी थककर बैठ जाती हैं, कुछ देर बाद खाना बनाती है और खाना खाते हैं, नील को स्तनपान करवाकर वो बाबुजी को दवाई देती है, और सुलाने लगती है पर दर्द की वजह से बाबुजी को नींद नहीं आ रही थी इस लिए शालिनी हाथ पैर दबा देती है, इससे राहत मिली पर नींद नहीं आ रही थी, इसलिए शालिनी बाबुजी को सहारा देकर प्यार और वात्सल्य से सुला देती हैं,

शाम को जब बाबुजी जागे तब देखते हैं शालिनी आंगन में फोन पर बात करती है।
बाबुजी : किसका फोन था?
शालिनी : वो नर्स ने रिपोर्ट भेजी थी और सब बता रही थी
बाबुजी : ठीक है, बलवंत को पता नहीं चलना चाहिए कि मेरी तबीयत ठीक नहीं है वर्ना वो ज्यादा दुखी हो जाएगा
शालिनी : ठीक हैं, बाबुजी रिपोर्ट में जैसा डॉक्टर ने कहा था b12 की कमी आयी हैं, दूसरा सब ठीक है और कहा कि दिमाग पर कोई जोर ना दे और खुश रहने का प्रयास करे,
एक काम करती हूं में अभी जाकर दुध ले आती हूं ताकि आप ताजा दुध पी सके, बाबुजी मना करते हैं पर शालिनी नहीं मानी और दुध ले आयी रात को सोते समय दवाई के बाद दुध दिया फिर बाबुजी के पैर दबाकर सो जाती है, कुछ घंटे बाद शालिनी देखती है कि बाबुजी सो नहीं रहे हैं, उसे लगातार डकार खा रहे थे,
शालिनी : बाबुजी क्या हुआ?
बाबुजी : लगता है गैस हो गई है, सायद दुध पीने से हुई होगी
शालिनी : एक काम करती हूं अजवाईन का पानी लाती हूं
शालिनी अजवाईन का पानी पिलाती है, कुछ समय बाद बाबुजी को राहत मिलती है, फिर शालिनी बाबुजी को सहारा देकर दुलार करके सुलाती है,

अगले दिन सुबह डॉक्टर के पास जाते है
शालिनी : डॉक्टर बाबुजी को b12 की कमी है इस लिए कल दुध पिलाया पर उनको गैस की तकलीफ हो गई, ठीक से सो भी नहीं सके, दूसरा कुछ उपाय बताये
डॉक्टर : में दवाई देता पर ज्यादा दवाइयां खाने से जलन और एसिडिटी हो सकती है,इससे अच्छा कुदरती तरीके से मिले वो अच्छा है, दही का इस लिए नहीं कहा क्युकी उससे अगर सर्दी जुकाम हो जाएगा तो तकलीफ और बढ़ जाएगी
शालिनी : फिर क्या करे?
डॉक्टर : गाय का दुध था कि भैंस का
शालिनी : गाय का
डॉक्टर : लगता है पाचन शक्ति मंद हो गई है वर्ना गाय का दुध हल्का होता है ,बकरी का दुध चलेगा
शालिनी : बकरी पूरे गाव में नहीं हैं
तभी शालिनी के गोद में नील रोने लगता है, क्योंकि आज हड़बड़ी में नील को स्तनपान नहीं करवाया था,
डॉक्टर : बच्चा कितने महीने का है?
शालिनी : जी सात महीने
डॉक्टर : फिर तो यह अब अनाज खाने लगा होगा
शालिनी : हाँ! पीसी हुई दाल पिलाते है
नील के रोने से शालिनी और बाबुजी बाहर जाने लगते है तभी डॉक्टर शालिनी को बैठने को कहते है, बाबुजी नील को शान्त करवाने बाहर ले जाते है
शालिनी : बोलिए डॉक्टर
डॉक्टर : माफ करना यह एक निजी बात है, तुम अभी भी स्तनपान करवाती हो, और बच्चा अब अनाज खाने लगा है इससे तुम्हारा दुध बचता होगा
शालिनी : हाँ, मेने दवाई ली थी दुध बढ़ाने की क्योंकि नील कमजोर था, उसके सर्वांग पोषण के लिए ज्यादा से ज्यादा पिलाती हूं।
डॉक्टर : अच्छा है, में यह कह रहा हूं कि अगर बच्चे को पिलाने के बाद भी जो दुध बचता है वो आपके बाबुजी को पिलाए, क्योंकि माँ के दुध में सभी पोषक तत्व होते हैं, और यह पचने में भी आसान होता है
शालिनी : आप क्या कह रहे हैं?
डॉक्टर : यह बस एक सुझाव था, जो भी करना ना करना आपकी ईच्छा है,आप एक बर्तन में निकाल कर भी दे सकती हो
डॉक्टर की बात शालिनी को सोचने पर मजबूर कर देती है अब क्या शालिनी उनकी बात मानेगी?शालिनी के लिए धर्मसंकट जैसी परिस्थिति हो चुकी थी, अब शालिनी क्या करेगी वो देखते है अगले भाग में......