Part 2
सुबह शालिनी योग करके बाबुजी को नहलाने लगती हैं, फिर जब वो अपना हाथ मुँह धोकर साड़ी पहन लेती हैं फिर नील को स्तनपान करवाकर बाबुजी का नास्ता बनाती हैं,

सब गंदे कपड़े एक टब में डालकर वो गाव की ओर चलने लगती हैं रास्ते में सरला और रसीला मिलती हैं और सब साथ में तालाब पहुचते है, तब कुछ औरते पहले ही आ गई थी जो अपने अपने कपड़े धो रही थी,

और कोई नहा रही थी, शालिनी भी पहले कपड़े धोने जाती हैं, अब कि बार शालिनी बिना किसी डर या संकोच के आयी थी, सब आपस में हसी मज़ाक करती हैं, कभी द्विअर्थी बाते भी कर लेती ,जब कपड़े धोकर शालिनी तालाब के नहाने वाले हिस्से की ओर आती हैं तब वो किनारे पर आकर थोड़ी देर रुक जाती हैं
फिर धीरे-धीरे चलते हुए पानी मे जाने लगती हैं,

शालिनी सरला और रसीला के साथ खेल रही थी
रसीला : बहुरानी ! अब भी आप शर्मा रही हैं?
शालिनी : नहीं तो! आपको एसा क्यूँ लगा?
रसीला : आप अब भी सारे कपड़े पहने हुए हैं, मुझे और सरला को देखो, हमने अपनी साड़ी और ब्लाउज निकाल दिया है,

घर पर भी आप एसे नहाते हो?
शालिनी : एसी बात नहीं है।
शालिनी अपना ब्लाउज निकाल कर किनारे पर फेंक देती हैं, और पल्लू से स्तन ढंक देती हैं ,पल्लू गिला होने से वो शालिनी से स्तन से चिपक गया था, जिससे उसके स्तन का आकार और तनी हुई निप्पल साफ़ दिख रही थी,

सब महिला एकदूसरे से मज़ाक करते हुए नहाने लगती हैं, तभी शालिनी सरला को लेकर किनारे आती हैं और अपने फोटो खिंचवाने लगती हैं

और वो तालाब से बाहर आ रही हो एसा वीडियो बनाती हैं,

सब महिला शालिनी के इस फोटोसेशन देख रही थी और शालिनी के सौंदर्य को निहार रही थी, वो सोच रही थी कि काश उसका भी एसा बदन होता, काफी सारे फोटो खिंचवाने के बाद शालिनी सब के साथ एक समुह फोटो खिंचवाते है और सब महिला तालाब से बाहर आती है ,शालिनी और सब महिला अपने अपने घर जाते हैं।
(रसीला का घर.....)
रसीला अपने घर पहुंचती हैं,

तब उसकी सास सब्जी लेने गई थी, घर पर उसके ससुर ही थे, रसीला अपने कमरे में आकर अपनी बच्ची को स्तनपान करवाती हैं, फिर उसको सुलाकर अपने ससुर को दूसरे कमरे में बुलाती है ,ससुर को वो अपनी गोदी में सुलाकर अपने ब्लाउज को ऊपर करके निप्पल को अपने ससुर के मुँह के पास रख देती हैं,

एक जवान स्त्री के दुध से भरे तने हुए निप्पल वाले गोरे गोरे स्तन को अपने सामने परोसा हुआ देख बुढ़े ससुर के मुँह में पानी आ जाता है, वो तुरत निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगते है, कभी-कभी चूसने की गति ज्यादा होने से सुन्दरलाल के मुँह में भरा दुध बाहर आ जाता, जिसे देख रसीला हँस देती और ताना भी मारती
रसीला : ससुरजी ! इस क़ीमती दुध को आप एसे ना बिगाड़े, अगर अभी आपकी जगह कोई और होता तो इसकी एक बूंद भी जाया ना करता,आपको सामने से मिल रहा हैं इसलिए आप इसकी कदर नहीं करते,
तभी उसकी सास आती हैं, और अपने पति को अपनी बहु से स्तनपान कर्ता देख अपने पति को ताना मारती है
सास : इस बूढ़े आदमी को भी कोई काम नहीं है, जो अभी भरी दोपहर में पीने बैठ गया
रसीला : माँ जी! आप बाबुजी को कुछ ना कहे, मैंने ही उससे कहा था, वो मुन्नी को पिलाया पर उसने पूरा पिया नहीं, इसलिए बाबुजी को पीला रही हूँ।

सासु : लगता है तुम भी ना अपने ससुर को इसकी लत लगा दोगी
रसीला : अच्छा होगा तो फिर, इसमें बहुत आता है, इसी बहाने मुझे भी राहत मिलेगी, बाबुजी! मेरी तरफ से आपको पूरी सहमती है कि आप कभी भी मेरा दुध पी सकते हो, हाँ पर जब हम घर पर हो,
तभी बुजुर्ग मौसी रसीला की सास को मिलने आती हैं, जब मौसी रसीला की सास को पुकारती हुई अंदर आती हैं पर रसीला के पास इतना समय नहीं था कि वो अपने ससुर से अलग होकर खड़ी हो सके, इसलिये वो खुद को नियति के भरोसे छोड़ देती हैं, रसीला को अपने ससुर को गोदी में लेटा हुआ देख मौसी हैरान होती है, पर ज्यादा नहीं, क्योंकि उसने कई महिला को यह करते हुए पहले भी देखा था,मौसी कोई प्रतिक्रिया नहीं देती और खटिया पर बैठ जाती है,

और रसीला की सास से बातें करने लगती हैं, रसीला की सास उसे सारी बात बताती है कि रसीला कैसे अपने ससुर को स्तनपान करवाने लगी
इसे सुन मौसी रसीला की प्रसंशा करती हैं ,थोड़ी देर में रसीला के स्तन में दुध खत्म हो जाता है और वो अपने ब्लाउज को बंध करके अपने ससुर को उठा देती हैं सुन्दरलाल शर्म के कारण तुरत बाहर चले जाते हैं जिसे देख सब हसने लगती हैं।
(सरला के घर...)
सरला के घर पहुचते ही सरला सब गिले कपड़े सुखाने लगती हैं, कभी कभी वो अपने गिले बाल भी छिटक देती, वो अपने पल्लू को कमर में लगाकर जल्द से जल्द कपड़े सुखाने लगती हैं

क्युकी उसे तेज धूप लग रही थी, जब वो कपड़े सुखाने के लिए अपने पैरों से थोड़ा ऊपर होती उसकी पतली लचकदार कमर काफी सुंदर दिखती जिसे उसका ससुर मनोहर देख रहा था,

उसे देख मनोहर के अंदर का पुरुष जाग जाता है, वो खड़ा होता है और सरला के पिछे सट कर खड़े हो जाते हैं
और अपने हाथ को सरला की कमर पर रख दबा देते हैं, जिससे सरला की सिसकी निकल जाती हैं, मनोहर अपनी बहु के शरीर पर अपने हाथ घुमाने लगता है, और अचानक से सरला की गर्दन चूमने लगता है,कभी जीभ से चाट भी लेता, नहाने की वजह से सरला के शरीर से साबुन की खुशबु आ रही थी, जिससे मनोहर ज्यादा आकर्षित होता है।
सरला : बाबुजी ! कुछ देर रुकिए ना! बस थोड़े ही कपड़े बचे हैं, फिर आपको भूख भी लगी होगी
मनोहर : तुम्हारा यह रूप देख के रहा नहीं जाता, तुम काफी सुंदर और आकर्षक लग रही हो, वो अंग्रेजी में क्या कहते है? हां ...! सेक्सी..सेक्सी लग रही हो
सरला : वो तो मे आपको हर समय लगती हूं, और आपने आज सुबह ही मुझे संतुष्ट कर दिया था, उसकी थकान भी अभी नहीं मिटी की आप मुझे और ज्यादा थकाने की सोच रहे हैं
मनोहर : पर थकान से ज्यादा आनंद भी तो मिलता है, संतुष्ट होने की खुशी में पूरा दिन तुम्हारा यह चांद सा चेहरा खिला खिला रहता है जिसे देख मुझे सुकून मिलता है।
सरला : मुझे अभी खाना बनाना है, और थोड़े काम भी बाकी है
मनोहर : वो सब बाद में होता रहेगा, अभी तुम ताजा कली जैसी हो तुम्हें फूल बना कर भंवरे की जैसे तुम्हारा रस चखना है ,
सरला : बातें बनाना कोई आप से सीखे,अगर आपकी जगह आपका बेटा होता तो सुबह की मस्ती के बाद पूरा दिन सुस्त होके घूमता रहता, मेरे से ज्यादा वो थक जाते।
मनोहर : अभी तो मैं थका हुआ नहीं हूं और तुम भी तरोताजा हो,
सरला : आपको भूख लगी होगी, मे खाना बना देती हूं,
सरला कोई भी बहाना करके बचना चाहती थी, क्योंकि उसे थोड़ा आराम करना था,पर वो उस चरमसुख का भी एहसास फिर से करना चाहती थी ,
मनोहर : मैं कुछ और क्यू खाउ?जबकि मेरा स्वादिष्ट भोजन मेरे सामने हो, इससे मीठा कुछ नहीं हो सकता, इसके आगे सारे पकवान फीके है।
एसा बोलते हुए वो सरला के गले से शुरू करके उसके नितंबों तक हाथ फिराते हुए आनंद ले रहे थे,फिर मनोहर सरला के पल्लू को गिरा देते है, सरला बस खड़ी होकर इस क्षण को मेहसूस कर रही थी,

मनोहर अपने हाथ को ब्लाउज के ऊपर से ही स्तनों को दबाने लगते हैं, उत्तेजना मे जब कुछ ज्यादा जोर से दबाया तब सरला की हल्की चीख निकल जाती हैं ,

और वो पीछे हटकर दूर जाने लगती हैं तब मनोहर पल्लू पर पैर रख कर सरला को रोक लेता है क्योंकि सरला की बाकी की साड़ी उसकी कमर में बंधी हुई थी,
सरला यह देख मुस्कराती है और मनोहर झुककर पल्लू उठा लेते हैं और खींचने लगते है, तब सरला गोल गोल घूमने लगती हैं जिससे साड़ी उसके शरीर से अलग हो रही थी,

जब सारी साड़ी निकल जाती हैं तब सरला अपने हाथों से अपने स्तनों पर रख देती हैं, तब मनोहर उसके पास आकर उसके हाथ हटाते है
मनोहर : इस सौंदर्य को छुपाते नहीं, पर अपने प्रिय व्यक्ति को दिखाकर उसे खुश करते हैं
मनोहर सरला को खटिया पर लेटाता है, मनोहर अपनी बहु के स्पाट पेट और उसके बीच की गहरी नाभि देख उसे अपने चुंबन से भिगोने लगता है, कभी जीभ से चाट कर अपने थूक से भिगा देता है, फिर खिसकता हुआ ऊपर आकर शालिनी के स्तन जो ब्लाउज से बाहर आ रहे थे उसपर अपने चुंबन की बारिश करने लगता है, शा

लिनी इस सुख से आंखे बंध कर के बस लेटी रहती हैं और अपने ससुर की सारी हरकतों का आनंद लेती हैं
मनोहर अपनी बहु के चेहरे को ऊपर करते हैं और उसके चेहरे पर उंगली फेरते है, फिर दोनों हाथ से सरला के स्तनों पर ले जाते हैं
सरला : जोर से मत दबाना, मैं कहीं भागी थोड़ी जा रही हूं।
मनोहर फिर खड़ा होता है और सरला भी अब उसके पास खड़ी हो जाती हैं ,मनोहर अपना चेहरा अपनी बहु के पास लाता है और अपने होंठ को सरला के होंठ पर रख कर चूसने लगता है, सरला भी अपने ससुर का पूरा साथ दे रही थी,दोनों एक-दूसरे की जीभ भी चूस लेते,

मनोहर सरला के नितंबों पर हाथ रख कर उसे अपनी ओर खींचता है, कुछ देर बाद. मनोहर सरला के ब्लाउज को खोलने लगता है, ब्लाउज के हूक खोल ब्लाउज को सरला के शरीर से अलग कर्ता है,सरला शर्म से फिर से अपने स्तनों को हाथों से छुपा लेती हैं,

मनोहर प्यार से उसके हाथ हटाकर अपने हाथ से सरला के स्तन सहलाने लगता है,

अपनी दो उंगली के बीच निप्पल दबा देता है, जिससे सरला की कामुक सिसकी निकल जाती हैं।
मनोहर थोड़ा झुककर सरला के स्तनों को चूसने लगता है,और दूसरे हाथ से दूसरा स्तन मसले जाता है, दोनों के बीच कामुकता का आगमन हो चुका था, सरला अपने ससुर का सिर अपने स्तनों में दबाने लगती हैं, दोनों स्तनों को काफी देर चूसने के बाद मनोहर अपनी बहु की कमर पकडकर उसकी नाभि को चूमने लगता है, कभी अपनी जीभ भी उसकी गहरी नाभि में घुसा देता, सरला के शरीर में तेज सिहरन दौड़ जाती हैं, और उसके सारे रोंगटे खड़े हो जाते है, उसकी आंख बंध हो जाती हैं, उसकी साँस थोड़ी तेज हो जाती हैं, सरला को यह भी पता नहीं चला कि कब उसके ससुर ने उसके घाघरा की डोरी खोलकर नीचे गिरा दिया है,
उसने घाघरा के नीचे कुछ नहीं पहना था, क्योंकि गर्मी की वजह से अब उसने अपने आन्तरिक वस्त्र पहनना बंध कर दिया था, मनोहर को भी अच्छा लगता था, क्योंकि उसे सीधे सरला का कामुक शरीर दिखने मिल जाता, अब सरला पूरी तरह से नंगी खड़ी हुई अपने योनि और स्तनों को छुपाने का असफल प्रयास करती हैं, वैसे उसे अब अपने ससुर से शर्म नहीं थी पर जब भी वो अपने अंगों को छुपाने का प्रयास करती तब उसके ससुर के चेहरे पर एक शैतानी कामुक हसी आ जाती,जो उसको खुश करती, मनोहर भी अपने बनियान को निकाल देता है पर अपने पाजामे को पहने रखता है और सरला के करीब आता है, जिसे देख सरला समझ जाती हैं कि पाजामे को उसे निकालना होगा, सरला हल्की मुस्कान के साथ अपने ससुर के पास आकर घुटनों के बल बैठ जाती हैं और पाजामे की गांठ खोलने लगती हैं, पाजामे के अंदर ही मनोहर का अजगर आजाद होने के लिए फडफडा रहा था,सरला पाजामे मे बने तंबु पर अपना हाथ फिराती है

, जिससे वो ज्यादा तन जाता है,वो जैसे ही पाजामे को नीचे करती हैं तब अपने ससुर का लिंग फड़फड़ा कर बाहर आता है जैसे कोई बिल में हाथ डालकर सांप को छेड़ता है और जैसे सांप बाहर आता है,

सरला पजामा उतरकर अपने ससुर के लिंग को अपने हाथों से सहलाने लगती हैं, मानो अभी भी इसके लिए पहली बार हो।
मनोहर : इसे अपना प्यार दो बहु, ताकि यह तुमको खुश कर सके
सरला अपने ससुर की बातों का मतलब समझ जाती हैं और लिंग को दोनों हाथों से पकडकर आगे-पीछे करने लगती हैं जब मनोहर की आंखे बंध होने लगती हैं तभी सरला उसके कठोर लिंग पर अपने कोमल गुलाबी होठों से हमला कर के अपने होठों से कैद करके अपने मुँह में भर लेती हैं,

इस अचानक हमले से मनोहर की खुशी का ठिकाना नहीं रहता और अपने हाथ को सरला के सिर पर लाकर फिरने लगता है, जब सरला मुख मैथुन से अपने ससुर को आनंद दे रही थी तब मनोहर अपने हाथों से सरला के सिर पर दबाव बनाने लगता है ताकि ज्यादा से ज्यादा लिंग उसके मुहँ मे समा जाए ,

सरला के मुँह से सिर्फ गुर्राने की आवाज आती हैं, जब उससे रहा नहीं जाता तब वो अपने ससुर की जांघों पर हाथ मारने लगती हैं, तब मनोहर अपनी पकड़ ढीली कर्ता है, जैसे ही पकड ढीली होती हैं सरला तुरत अपने मुँह से अपने ससुर के लिंग को बाहर निकाल देती हैं और खांसने लगती हैं।
सरला : बाबुजी ! आप एसा क्यूँ करते हो?मुझे कितनी तकलीफ होती हैं आपको पता है? एसा लगता है जैसे जान निकल जाएंगी
मनोहर : माफ करना बहु,मेरा मुझ पर नियंत्रण नहीं रहता, लगता है जैसे तुम्हारे होंठो में नशीली दवाई लगाई है इसके छुते ही मेरा लिंग अपना काम करना चालू कर देता है और दिमाग बंध हो जाता है
सरला : बातें मत बनाए, मुझे किसी दिन कुछ हो जाएगा तब आपकी अक्ल ठिकाने आएगी
मनोहर : में तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा, वो तो बस....
एसा बोलकर मनोहर सरला के होठों को फिर से चूमने लगता है और नंगी पीठ पर हाथ घुमाते घुमाते उसके नितंबों पर लाकर दबा देता है,

जिससे सरला की सिसकारी अपने ससुर के मुँह में समा जाती हैं, धीरे धीरे सरला फिर से कामुक होने लगती हैं, अब मनोहर सरला के स्तन को मुँह में भरकर चूसने लगता है
और दूसरे स्तन को दबाने लगता है, सरला अपने ससुर का सिर अपने स्तनों में दबा रही थी
सरला : आह...! बाबुजी ,चूस लीजिए मेरे आम को, इसका सारा रस चूस डालिए, निचोड़ लो इसे, जितना हो सके उतना मुँह में लेके चूसें, आह..,मजा आ रहा हैं।
मनोहर सरला के कहने पर अपना पूरा मुँह खोलकर उसके स्तन को मुँह में ले लेता है, कभी कभी वो हल्के से काट लेते, जिससे सरला की कामुकता बढ़ने लगती, उसकी योनि में कामरस रिसने लगता है, स्तन को चूसने के साथ अब मनोहर सरला की योनि पर अपना मर्दाना खुरदरे हाथ सहलाने लगता है, जिससे सरला का खड़ा रहना भी मुश्किल हो जाता है, उसकी आँखें बंध हो गई थी, मनोहर अपनी बहु को प्यार से बिस्तर पर लेटा देता है ,सरला की सांसे तेज हो गई थी,

मनोहर सरला के पैर को फैलाकर उसकी योनि को निहारने लगता है, कई बार इस योनि का भोग किया था पर इस छोटी सी तंग योनि का भोग उसे हर बार नया एहसास देता।
मनोहर काफी अनुभवी और माहिर खिलाड़ी था इस सम्भोग के खेल का, वो बखूबी जानता था कि एक औरत को कैसे चरम सुख दे सके ,और औरत के कौन से अंग को कैसे छुने, मरोड़ना,दबाना और सहलाना है, वो एक हाथ से सरला के स्तन को दबाता है और दूसरे हाथ के अंगूठे से योनि के भगोने को सहलाता है,
सरला को तो मानो स्वर्ग का आनंद मिल रहा हो वैसे अपने शरीर को ऊपर उठाने लगती हैं ,काफी देर एसा करने से सरला अपनी कमर को उठाकर किसी धनुष की तरह बन जाती हैं,

और उसका रस बहने लगता है, जिससे सरला अपने आप को संभाल नहीं सकीं और धड़ाम से अपनी कमर गिरा देती हैं, उसके पैर थोड़े से थरथरा रहे थे, पर मनोहर जानता था अभी तो खेल शुरु किया है, वो अपनी बहु के जवान बदन को सहलाने लगता है, तब सरला फिर से समान्य होकर कामुक होने लगती हैं, अब मनोहर अपना दूसरा हमला करने तैयार हो जाते है, सरला के पैर को फैलाकर मनोहर उसकी कामरस से भरी योनि के पास अपने सिर को लाता है और कुछ क्षण उस कामरस की मादक गंध को सूँघ कर खुद कामुक हो जाता है और होठों से चूमने लगता है कभी-कभी वो अपनी जीभ से योनि सहलाता तो कभी जीभ को योनि के अंदर डाल देता,

जिससे सरला के सारे रोंगटे खड़े हो जाते है और अपनी कमर को उठाने लगती, सरला किसी आनंद से सागर में गोते खा रही थी, लगातार अपने ससुर के होंठ और जीभ के सामने सरला हार मान जाति है और फिर से झड़ जाती हैं, अब कि बार सारा कामरस मनोहर के चेहरे पर चिपक जाता है, थोड़ा मनोहर चाट कर साफ़ कर देता था,
सरला : बाबुजी ! अब बस कीजिए, अब और मत तड़पाए,अब डाल दीजिए,
मनोहर : क्या और कहा डालना है?
सरला : धत..मुझे शर्म आती हैं ,आपको पता है सब फिर भी क्यूँ पूछ रहे हैं?
मनोहर : इसमें शर्माने से नहीं चलेगा, मैं तुम्हारे मुँह से सुनना चाहता हूं,
सरला पर अब काम हावी हो गया था, वो सम्भोग के लिए अपने ससुर की हर बात मानने को तैयार थी
सरला : आपका वो..वो मूसल मेरी मुनिया में डाल दो
मनोहर : एसे नहीं खुल के बताओ
सरला : आपका मूसल लंड मेरी बुर में डाल दो,
मनोहर : ये हुई ना बात
मनोहर सरला के ऊपर आता है और उसकी गर्दन चाटने लगता है और अपने लिंग को अपनी बहु के बुर पर टिका देता है, अब वह सरला के होंठ चूसने लगता है क्योंकि उसे पता था कि अब सरला की चीख निकलने वाली है, और मनोहर दबाव बनाते हुए अपने लंड को सरला की योनि मे दाखिल करने लगता है,

जिससे सरला की आंखे दर्द चौड़ी होकर खुल जाती है पर उसकी आवाज़ अपने ससुर के मुँह में समा जाती है ,मनोहर धीरे-धीरे अपना लिंग अंदर बाहर करने लगता है कुछ धक्के के बाद सरला थोड़ी सामन्य होती हैं और अपने ससुर के पीठ पर हाथ घुमाने लगती हैं और जब मनोहर तेज धक्का लगाता तब वो उसकी पीठ पर अपने नाखुन गड़ा देती, जिससे मनोहर को ज्यादा जोश चढ़ जाता और वो थोड़ी देर के लिए अपनी गति बढ़ा देता, सरला अब सिसकियाँ लेते हुए अपने ससुर का पूरा साथ दे रही थी।
तभी मनोहर अचानक से अपना लिंग बाहर निकाल कर बैठ जाता है, सरला भी अपने आनंद में हुई रुकावट से हैरान होकर अपने ससुर की ओर देखने लगती हैं,
सरला : क्या हुआ बाबुजी? बाहर क्यूँ निकाला?
मनोहर : हम जो कर रहे हैं उसे सम्भोग कहते हैं मतलब " सम भोग "अभी मेने तुम्हें भोगा अब तुम मुझे भोगों, मेरे ऊपर आ जाओ,और अपने मन मुताबिक जैसे करना है वैसे करो
सरला भी बिना किसी देरी से अपने ससुर को धक्का देकर बिस्तर पर लेटा देती हैं और उसके ऊपर आकर उसे चूमने चाटने लगती हैं,

जब वो अपने ससुर के लिंग के पास पहुंचती हैं तब लपक के उसको मुँह में ले लेती हैं

और अपने हाथ से ससुर के हाथ पकड लेती हैं ताकि वो उसके ऊपर दबाव ना करे, सरला एक बार के लिए सारा लिंग मुँह में लेने की कोशिश करती है पर हलाक तक पंहुच ने के बाद भी लिंग पूरा नही ले पाती,

काफी देर चूसने के बाद जब वो लिंग बाहर निकालती है तब लिंग पूरा थूक और लार से भिगा हुआ चमक रहा था, सरला अब लिंग को अपने स्तनों के बीच लेके ऊपर नीचे करने लगती हैं

,मनोहर के मुँह से बस गुर्राने की आवाज आती हैं, अब सरला की योनि भी लिंग से मिलाप करना चाह रही थी, सरला अपने पैर को फैलाकर अपने ससुर के लिंग पर अपनी योनि का मुँह रखती हैं और धीरे-धीरे उसपर बैठने लगती हैं,सरला तब तक बैठती जाती हैं जब तक लिंग उसके योनि की दीवार से टकरा नहीं गया,अब सरला पूरा नियंत्रण लेते हुए अपने ससुर के ऊपर धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगती हैं,

थोड़ी देर में जब लिंग अपनी लय में आने लगा तब सरला की कामुकता बढ़ जाती हैं और वो अपने ससुर के हाथ को लेकर अपने स्तनों पर रख देती हैं जो उसे बिना बोले दबाने का आमंत्रण था, मनोहर भी अपने दोनों हाथों से सरला के दोनों स्तनों को दबाने लगता है, मानो आटा गूँथने मिला हो, कभी निप्पल को उंगलियों से दबा देता जिससे सरला की सिसकारी निकल जाती, अभी सरला की कामुकता इतनी बढ़ गई थी कि उसे अब दर्द में भी मजा आने लगा था ,इसी दौरान सरला की योनि फिर से पानी छोड़ देती हैं, जिसे देख मनोहर समझ जाता है कि अब बहु पूरी तरह से कामुक हो चुकी हैं, इस लिए अब धीरे से नियंत्रण खुद लेना चाहता था, जब भी सरला अपने नितंबों को उठाकर नीचे लाती तब मनोहर अपने नितंब उठाकर अपने लिंग का प्रहार कर देता जिससे सरला की सिसकियाँ अपने दबे होठों में से निकल जाती हैं,

उसे अब बस सम्भोग करना था, इसके लिए कुछ भी करना पड़े या कुछ भी सहना पड़े।
मनोहर को फिर एक खुराफाती विचार आता है ,वो सरला के पैरों को घुटनों के नीचे से उठा लेते हैं जिससे सरला गिरने से बचने के लिए अपने हाथों को पिछे ले जाकर अपने ससुर की जांघों पर टिका देती हैं अब मनोहर उठ उठ कर नीचे से धक्के लगाते जाता है, इस अचानक हुए नए तरीके के हमले से सरला के मुँह पर आनंद और दर्द का मिश्रित भाव थे,

मनोहर भी मानो किसी गुड़िया को उठाते हैं वैसे सरला को उठाकर नयी मुद्रा में सम्भोग का सुख दे रहे थे,सरला अब अपने होश में नहीं थी उसका दिमाग बस चरमसुख की मांग कर रहा था।
काफी देर बाद मनोहर के हाथ दर्द करने लगते है इस लिए वो सरला को उठाकर बिस्तर पर बैठा देते हैं, और खुद भी बैठ जाता है और हाथ पकडकर सरला को अपनी गोदी मे बिठाते है और तना हुआ लिंग अपनी मंजिल ढूंढकर योनि मे जाना लगता है,

सरला फिर से वो सुख मे गोते खाने लगती हैं, तभी मनोहर अपनी बहु को लेकर ही खड़ा हो जाता है,सरला संतुलन के लिए अपने हाथ को अपने ससुर के गले और पैरों को उसकी कमर पर लपेट लेती हैं, मनोहर भी अपनी बहु के नितंबों पर अपने हाथ रखकर उसे नीचे से सहारा देते हैं और उसी गोल नितंबों पर हाथ फेरकर उसकी गोलाई का नाप ले रहा था, फिर मनोहर सरला को नितंबों से उछालने लगता है मानो किसी रुई की गुड़िया को उछाल रहा हो,

जैसे ही सरला उछलकर नीचे आती तब ससुर का लिंग उसकी बच्चेदानी से टकरा जाता, जिससे उसको दर्द तो होता पर एक आनन्द भी होता, कभी भी उसके पति का लिंग उसकी योनि की इस गहराई तक नहीं गया था, और नाहीं कभी उसके पति ने एसे अलग अलग तरीके से सम्भोग का सुख दिया था, इसी तरीके के सम्भोग ने उसे अपने ससुर की दीवानी बना दिया था, अब सरला पूरी तरह से खुल जाती हैं उसके लिए अब उसके ससुर एक मर्द थे जो उसकी यौन ईच्छा और तड़प को पूरी कर रहे थे और उसको खानदान का वारिस देने वाले हैं,
सरला : आह...! पूरा घुसा दो, फाड़ दो मेरी चुत को,और जोर से करो, मुजे तहस-नहस कर दो, भले मेरी चीखें निकलने लगे अब रुकना नहीं जब तक कि आपका पानी ना निकले, मुझे बहुत मज़ा आ रहा हैं, में आपकी दीवानी हो गई हूँ,
मनोहर : मैं तो हमेसा तुम्हें यह सुख देना चाहता हूं, मे बहुत भाग्यशाली हूं जो तुम बहु के रूप में मिली, अब मैं जैसे बोलू और करूं वैसे करने देना फिर देखना कितना मजा आता है।
सरला : जो करना है और जैसे करना है वैसे करो मेरी पूरी सहमती है, वैसे भले में घर की रानी हूं पर चुदाई के समय आपकी गुलाम हूं आपको जैसे ईच्छा हो वैसे करिए में आपकी सारी ईच्छा पूरी करूंगी,
इतना बोल सरला अपने ससुर को चूमने लगती हैं, मनोहर भी चलते चलते सरला को दीवाल से सटा देता है और उछालने लगते है जिससे उसके हाथ पर वजन कम हो जाता है,काफी समय तक एसे करते हुए मनोहर अचानक से सरला को और ज्यादा ऊपर करने लगते है और जिससे उसके पैर उसके गले तक आ जाते हैं और उसका एक हाथ अपने ससुर के बालों में और एक हाथ ऊपर उठ जाता है
जाते है, अब मनोहर के चेहरे के सामने उसकी बहु की कामरस से भरी गिली योनि थी,मनोहर उस कामरस की महक से उसकी ओर खींचे चले जाते हैं और अपने होंठ को योनि पर रख देते हैं, सरला इस तरह के हमले से उसकी खुशी दोगुनी हो जाती हैं,

सरला की आंखे बंध हो जाती हैं और अपने ससुर के बालों को अपनी मुट्ठी में भींच लेती हैं और उसकी सांसे तेज होने लगती हैं, तभी मनोहर अपनी जीभ को अपनी बहु की योनि के भीतर डाल देता है, जिससे सरला की योनि फिर से काम रस छोड़ रही थी, कुछ देर एसे ही योनि का रसपान करने से मनोहर का लिंग तन कर खंभा हो गया था, उसे महसूस होता है अब ज्यादा देर खुद को झड़ने से नहीं रोक पाएगा, इस लिए वो अपनी बहु को नीचे उतारकर अपने लिंग पर ले आता है, सरला अभी मानो नींद में हो वैसे बस आप अपने ससुर का साथ दे रही थी, मनोहर सरला को अपने लिंग पर उछलते हुए बिस्तर के पास आते हैं और बिस्तर पर फैंक देता है,

सरला आंखे खोल देखती हैं कि तने हुए लिंग को सहलाते हुए अपने ससुर उसके ऊपर आ रहे थे, सरला भी अपने पैर फैलाकर उसका स्वागत करती हैं, मनोहर सरला के ऊपर आकर कुछ क्षण के लिए उससे आंखे मिलाते है ,सरला भी अपने ससुर की आँखों में विश्वास और प्रेम से देख रही थी
जब सरला तेज सांसे को अंदर लेती तब उसके तने हुए निप्पल अपने ससुर की छाती को छुते और नीचे आ जाते, सरला आँखों से अपने ससुर को उसे तृप्त करने की सहमती देती हैं, मनोहर भी आखिरी बाज़ी खेलने को अपने को तैयार करते हैं, मनोहर सरला के पैर को फैलाकर अपने लिंग को योनि के छोर तक डाल देते हैं और किसी इंजन के पिस्टल की तरह चलने लगता है, सरला की कामुक सिसकियाँ और कामुक बाते वातावरण को ज्यादा कामुक बनाते है और मनोहर के जोश को बढ़ाती हैं।
सरला : आह..आह..! करते रहिए..करते रहिए.. चोद डालो अपनी बहु को, मेरे अन्दर अपने वंश का अंश डाल दीजिए, बना दीजिए आपके बच्चे की माँ, बहुत मजा आ रहा हैं,
मनोहर : आह..ये लो मेरा मूसल लंड,जो तेरी कोख को भर देगा और तुझे माँ बनाएगा, यह तेरे गोल संतरे जैसे स्तन को तरबूज जैसा बना दूँगा उस बिरजू के बहु जैसे, जिससे मेरा बेटा, पोता और मैं हम सब तुम्हारा दूध पी सके,
सरला : पीला दूंगी पूरे परिवार को पीला दूंगी, आप बस एसे ही करते रहिए आप इतनी मेहनत कर रहे हैं तो आपको मेहनताना मिलना ही चाहिए,
करीब 10 मिनट बाद तेज धक्के लगाते लगाते मनोहर और सरला एक साथ झड़ जाते हैं ,दोनों ससुर बहु इस घमासान से थक कर कुछ देर एसे ही नंगे चिपककर सो जाते हैं

और सीधा शाम को जागते है एसे ही सब का अपनी दिनचर्या करते हुए दिन बीत जाता है।