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Adultery Innocent... (wife)

Vegetaking808

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माफ़ करना दोस्तों
मैं जानता हूं आप सब अपडेट समय से ना मिलने से नाराज है
दिवाली के पहले काम के सिलसिले में व्यस्त था, और दिवाली पर अपने गांव गया था, और वहां से आकर तबीयत बिगड़ गई थी इसलिए अपडेट देने में देरी हुई
इसी कारण इस बार बड़ा अपडेट दूँगा जो दो भाग में आएगा, सायद पहले भाग में कहानी खास ना लगे तो माफ़ करना क्युकी तभी उस स्थिति कहानी से जुड़ नहीं पा रहा था
आशा कर्ता हूं आगे भी आप अपना प्यार देते रहेंगे और सुझाव भी देंगे
अपडेट कल तक देने की पूरी कोशिश करूंगा
धन्यवाद!
 

Vegetaking808

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Update : 25
भाग -1
पिछले भाग में देखा कि शालिनी और रसीला अपने अपने ससुर को स्तनपान करवाने में सफल रही।
रसीला ने अपने ससुर को स्तनपान करवाकर खाना बनाने चली गई, दोपहर में खाना खाने के बाद रसीला ने अपने बच्चे को स्तनपान करवाया,जिसका एक स्तन में ही पेट भर गया था।
रसीला : क्यूँ ना हम सब साथ ही सो जाए इससे बिजली भी बचेगी
सास : ठीक हैं,यही हॉल में सो जाते हैं, क्या तुम दुध पिलाने वाली हो?
रसीला : हाँ! मुन्नी ने एक से ही दुध पीया है, दूसरा भरा हुआ है
सास : तुम बीच में सो जाना
रसीला : ठीक हैं
सुन्दरलाल यह सब चुपचाप सुन रहे थे, तीनों साथ में सो जाते हैं, रसीला बीच में सो जाती हैं

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और अपने ससुर की और करवट लेती है और अपने ब्लाउज के नीचे के दो हूक खोलकर ऊपर उठाकर अपने स्तन को बाहर निकालती है जिसे देख सुन्दरलाल जैसे लोहा चुंबक की ओर आकर्षित होता है वैसे आकर्षित होकर उसके नजदीक जाने लगते है,

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रसीला : माँ जी! लगता है बाबुजी अभी भी भूखे हैं
सास : इसके लिए हर मर्द भूखा रहता है।
सुन्दरलाल सब अनसुना करके अपने काम पर ध्यान देते हुए निप्पल को अपने होठों की बीच कैद कर चुस्की लेते हैं जिससे दुध की धारा उसके मुँह में भर जाती हैं रसीला के मुँह से सुकून की " आह " निकल जाती हैं ,सुन्दरलाल भी खुशी खुशी चूसने लगे थे,

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रसीला : बाबुजी! आप भी चूसने में बढ़िया है, लगता है इस घर के सारे मर्द स्तन चूसने में बेहतर है ,काफी बेहतर। लग रहा है।
रसीला बारी बारी से अपने दोनों स्तन का दुध अपने ससुर को पीला देती हैं ,पेट भरने से सुन्दरलाल की आंखे भारी होने लगती है और रसीला भी ब्लाउज सही करके सो जाती है ,शाम को जब सब जागकर बाहर आँगन मे आते हैं रसीला अनाज सही करने लगती हैं और उसकी सास उसके पास बैठकर मदद कर रही थी, और सुन्दरलाल खटिया पर बैठे थे, तभी रसीला का फोन बजता है, जो उसके पति का था रसीला के पति ने यह कहने फोन किया था कि उसको काम के सिलसिले में दो दिन के लिए बड़े शहर जाना पड़ेगा।
रसीला यह सब अपने सास ससुर को बताती हैं
रसीला : मज़ाक में..)लगता है बाबुजी की किस्मत अच्छी है
सास : बाबुजी के चक्कर में मुन्नी को मत भूल जाना,
रसीला : बिल्कुल, माँजी!
रसीला अपनी बच्ची को स्तनपान करवाती हैं तब सुन्दरलाल उसे ही देख रहा था, मानो अपनी बारी आने का इंतजार हो, रसीला उसको देख मुस्कराने लगती हैं
रसीला : बाबुजी ! चिंता मत करिए मुन्नी सारा नहीं पी सकती, आपके लिए काफी सारा बचेगा
रसीला की बच्ची एक पूरा स्तन भी नहीं पी सकीं रसीला उसे पालने में डाल कर सुलाती है, उसकी सास पालना झुलाते है, ताकि रसीला अपने ससुर को स्तनपान करवा सकें
रसीला : चलिए बाबुजी ! कमरे में आइये ,फिर मुझे खाना बनाने जाना हैं।
रसीला और उसके ससुर दोनों कमरे में जाते हैं, रसीला अपने ससुर को अपनी गोदी में लेटा कर अपने ब्लाउज के दो हूक खोल के ऊपर उठाकर अपने सफेद कबूतर को बाहर निकालती है,

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जैसे ही रसीला ने अपने कबूतर को बाहर निकाला वैसे तुरत ही उनके ससुर किसी बिल्ली की तरह झपट लगाकर अपने मुँह में अपना शिकार ले लेते है और चूसने लगते है।
रसीला : अरे! बाबुजी तनिक धीरे, मैं कहा भागी जा रही हूं, यह अब सारा आपका ही है, आराम से पीए
रसीला का ससुर आराम से चूसने लगते है, तभी आँगन में दो लोगों की बातचीत की आवाज सुनाई देती हैं, दोनों को थोड़ा डर लगता है, रसीला आवाज को ध्यान से सुनकर पहचानने की कोशिश करती है कि कौन आया है, एक आवाज तो उसकी सास की थी पर दूसरी आवाज सुनकर रसीला की आंखे चौड़ी हो जाती हैं और चेहरे पर थोड़ी परेशानी दिखने लगती है क्युकी वो दूसरी आवाज उसके देवर राजू की थी।
रसीला : यह आज कैसे आ गया?ये तो दो दिन बाद आने वाला था, बाबुजी थोड़ा जल्दी जल्दी पीए।
(कुछ देर पहले आँगन में...)
रसीला की सास अनाज सही कर रही थी तभी घर के दरवाजे पर दस्तक होती हैं, रसीला की सास डर के धीरे से दरवाजा खोलती है और वह देखती हैं, उसका बेटा राजू है, वो भी हैरान हो जाती हैं
सास : बेटा! तू...तू आ गया?पर...
राजू : अपने घर आने से पहले मुझे बताना पड़ेगा?
सास : नहीं एसी बात नहीं, वो तो तुम कह रहे थे कि दो दिन बाद आओगे इसलिए।
राजू को एहसास होता है कि उसकी माँ उससे कुछ छुपा रही हैं,
राजू : माँ ! पहले भीतर तो आने दे
सास : हाँ..हाँ आजा बेटा
राजू : में दो दिन बाद आने वाला था पर शहर जाकर पता चला जो प्रमाणपत्र मुझे चाहिए थे वो में घर पर भूल गया हूं, मेने भाभी को दिए थे सम्भालने के लिए,
वर्तमान में...)
राजू : चिल्लाकर...)भाभी...भाभी! कहा हो? मेरे प्रमाणपत्र कहा रखे हैं?
सास : वो...वो कमरे में आराम कर रही हैं
राजू : ठीक है मे कमरे में जाकर मिल लेता हूं
सास : नहीं...नहीं...उसे आराम करने दो,
राजू : मैं परेसान नहीं करूंगा
एसा कहकर राजू कमरे का दरवाजा खोल अंदर आता है और देखता है उसके पिताजी उसकी भाभी के गोदी में लेटे हुए हैं, राजू को देख रसीला अपना पल्लू ढक देती हैं,

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बाहर रसीला की सास अपना सिर पकडकर बैठ जाती हैं, क्योंकि अब आगे क्या होगा उसकी चिंता होने लगती हैं,
राजू : भाभी! यह क्या है?बाबुजी आपकी गोदी में लेटे हुए हैं,
रसीला भी अब सोचती है कि अब छुपाने का कोई फायदा नहीं है, इसलिये वो राजू को सब बताती हैं

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रसीला : राजू! पहले बैठो! मेरी बात सुनो, जब तुम दो तीन का कहकर गए और तुम्हारे भैया भी नहीं आने वाले थे,और तुम्हें तो पता है की मुझे कितना सारा दुध आता है ,जब दुध भरने लगा तब दर्द से मेरी हालत खराब हो गई, मुन्नी ने भी कम पिया, इसलिए मजबूरन मुझे बाबुजी को पिलाना पड़ा, मैंने माँजी से सहमति लेकर यह किया है
राजू : मैं आपकी बात समझता हूं भाभी ,मुझे कोई शिकायत नहीं ,आप खुश और स्वस्थ रहे बस यही मैं चाहता हूं,
रसीला : मेरे प्यारे देवरजी आप इसलिए मेरे फेवरेट है ,
राजू : आप आराम से पिताजी को पिलाए मैं टीवी देखता हूं पर रात को मुझे मेरे हिस्से का दूध चाहिए,क्योंकि अन्न प्रासन के बाद पहले अधिकार मेरा है

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रसीला : लगता है आप बड़े हो गये हों देवरजी ,बड़े अधिकार की बातें करने लगे हो, लेकिन भूलिए मत सामने आपके पिताजी है,
राजू : माफ कीजिए भाभी, मेरा यह मतलब नहीं था, ठीक है फिर हम दोनों एक एक स्तन से दुध पियेंगे,
रसीला : यह अच्छा उपाय है ,लेकिन ध्यान रहे यह बात अभी तुम्हारे भाई को पता ना चले, समय आने पर मैं खुद बता दूंगी
बाबुजी को स्तनपान करवाकर रसीला खाने की तैयारी में लग जाती हैं ,राजू अपने प्रमाणपत्र को अपने बेग में रख लेता है, रात को सब खाना खाते हैं और रसीला अपनी बेटी को स्तनपान करवाती हैं
राजू : भाभी में यह अधूरा स्तन नहीं पाऊँगा
रसीला : चिंता मत करो तबतक भर जाएंगे, लेकिन पहले बाबुजी को पिलाकर फिर तुम्हारी बारी, क्योंकि तुम वैसे भी देर रात मोबाइल में घुसे रहते हो, बाबुजी को पहले पिलाकर जल्दी सुला दूंगी
राजू : नहीं भाभी ! कल मुझे सुबह जल्दी बस में जाना है, इसलिए मुझे जल्दी सो जाना हैं, आप पहले मुझे पीला देना फिर पिताजी को आराम से पिला देना
रसीला : ठीक हैं
रसीला सब काम निपटाकर राजू को अपनी गोदी में आने को कहती है ,राजू पूरा भरा हुआ स्तन अपने मुँह में लेकर चूसने लगता है, जल्दी जल्दी चूसने से "चप चप " आवाज आती हैं,

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सुन्दरलाल खटिया में लेटे लेटे अपनी बारी आने की राह देख रहे थे ,रसीला की सास सब के लिए बिस्तर लगाती हैं
सुन्दरलाल : मेरा बिस्तर भी नीचे लगाना, आज मैं जमीन पर सोने वाला हूं ,
रसीला की सास चार बिस्तर लगाती हैं, पहले बच्ची का पालना फिर उसके पास रसीला की सास, उसके बगल में रसीला बाद मे उसके ससुर और आखिर में राजू,

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राजू को स्तनपान करवाकर सब अपनी जगह आकर लेट जाते हैं ,जब रसीला अपने ससुर को स्तनपान करवा रही थी तब राजू रसीला को देख मुस्कराता है और सो जाता है, रसीला भी अपने ससुर को स्तनपान कराकर ब्लाउज के दो हूक बंध करके सो जाती हैं।
दूसरे दिन राजू अपने प्रमाणपत्रों को लेकर शहर चला जाता है और रसीला अपने रोजमर्रा के कामों में लग जाती हैं, सुबह नास्ता करने के बाद अपनी बच्ची को स्तनपान कराकर बचा हुआ दुध अपने ससुर को पीला देती हैं, अब वो जब भी स्तन में दुध भर जाता तब वो अपने ससुर को स्तनपान करवा देती, अब घर के सभी सदस्य इस बात से सहज हो गए थे
(आज के दिन...दोपहर)
शालिनी बाबुजी को स्तनपान करवाकर सुला देती हैं ,

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शाम को शालिनी चाय बनाकर बाबुजी के साथ पीने लगती हैं,

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तभी दरवाजे पर दस्तक होती हैं शालिनी दरवाजा खोलती है और देखती हैं गौशाला वाली महिला आयी हैं
शालिनी : अरे आप! आइए आइए ..
महिला : वो सुना कि सरपंचजी की तबीयत खराब है तो देखने चली आई
शालिनी : बहुत अच्छा लगा कि आप आई, अभी काफी सुधार आया है,
महिला : मेने सुना कि कमजोरी आ गई थी ,इसलिए मे ताजा गाय का दुध लायी हूं जिससे सरपंचजी को ताकत मिलेगी।
बाबुजी मना करने वाले थी कि शालिनी ने बीच में टोक दिया..
शालिनी : आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, इससे बाबुजी को राहत मिलेगी,
थोड़ी इधर-उधर की बातें कर वो महिला चली जाती हैं
शालिनी : बाबुजी आप यह क्या करने वाले थे
बाबुजी : में तो कहने वाला था कि इससे गैस होती हैं, में नहीं पी सकता
शालिनी : फिर वो कहती की हर रोज तो बहुरानी लेने आती है इसका क्या?आप यह दुध नहीं पीते तो फिर आप कैसे ठीक हुए?फिर क्या जवाब देते?
बाबुजी : यह बात मेने सोची नहीं
शालिनी : और वो इतने स्नेह से लायी थी तो उसको बुरा भी लगता
बाबुजी : फिर इस दुध का क्या करे?
शालिनी : अभी ताजा है तो थोड़ा सा पी लीजिए, बाकी सारा कहीं ना कहीं उपयोग हो जाएगा
बाबुजी को अब गाय का दूध नहीं पीना था क्युकी अब शालिनी के दूध का स्वाद जो चख लिया था, पर वो शालिनी की खातिर थोड़ा पी लेते हैं, तभी नील के रोने की आवाज आती हैं ,बाबुजी उसे लेने के लिए खड़े होते है कि उसके आँखों के सामने अंधेरा हो जाता है जिससे वो तुरत से बैठ जाते हैं, सायद कमजोरी की वजह से हुआ होगा ,शालिनी बाबुजी को लेटाकर नील को लेकर आती है, फिर बाबुजी के लिए पानी लाती हैं।

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शालिनी : मन में..)लगता है मुझे अपने दूध की पौष्टिकता बढ़ानी होगी
पानी पीने के बाद बाबुजी आंखे बंध कर के लेटे रहते हैं, शालिनी दुपट्टा ओढ़कर पास रखी खटिया पर बैठकर नील को स्तनपान करवाने लगती है ,कुछ देर बाद बाबुजी धीरे से आंखे खोलकर देखते हैं ,शालिनी नील को स्तनपान करवा रही हैं ,शालिनी बाबुजी को देख मुस्करा देती हैं, नील भूखा होने से काफी सारा दुध पी लेता है, अब सायद दूसरा स्तन आधा भरा हुआ है।
शालिनी : शर्माते हुए...)बाबुजी ! क्या आप थोड़ा सा ताजा दुध पीना चाहेंगे ?
बाबुजी : मज़ाक में..)मुझे चार पैर वाली गाय का दुध नहीं पीना, अगर दो पैर वाली का है तो पी लूँगा
शालिनी : दो पैर वाली का है,
शालिनी नील को खटिया में लेटा कर बाबुजी की खटिया पर आती है ,और बाबुजी के सिर के पास आकर बैठ जाती हैं और बाबुजी का सिर अपनी गोदी में लेती हैं, दुपट्टा ओढ़कर अपने ब्लाउज के दो हूक खोलकर ऊपर उठाकर निप्पल को बाबुजी के होंठ के पास ले आती हैं, बाबुजी भी अपना कर्तव्य समझकर निप्पल को अपने होंठ मे समा लेते है और चूसने लगते है, शालिनी को नील और बाबुजी के स्तनपान करवाने में ज्यादा फर्क़ नहीं था, फर्क़ इतना था कि बाबुजी की चूसने की शक्ति ज्यादा थी, शालिनी को इससे कोई दिक्कत नहीं थी
करीब 5 मिनट बाद शालिनी का स्तन खाली हो जाता है, और वह अपने ब्लाउज के हूक बंध करके नील के साथ खेलने लग जाती हैं, फिर वो नीरव और चाचाजी को कॉल करती हैं,
रात को जब खाना खाने के बाद शालिनी सब काम कर रही थी

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तब बाबुजी को अपने पहचान वाले कॉल करके उसकी तबीयत के हालचाल पूछते है, जब शालिनी सब काम पूरा करके आती हैं तब भी बाबुजी किसी से फोन पर बात कर रहे थे, नील को सुलाने तक भी एक के बाद एक कॉल आने लगे थे, शालिनी 5 -10 मिनट इंतजार करती हैं तब भी बाबुजी कॉल पर बात कर रहे थे तब शालिनी बाबुजी से फोन लेकर कॉल काट कर मोबाइल को अपने ब्लाउज में रख देती हैं,

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शालिनी : सब से आज ही बात करेंगे?कल बात कर लीजिए, अभी आप आराम करेंगे चलिए,
बाबुजी : वो शहर में रहने वाले रिश्तेदारों को कहीं से पता लग गया था इसलिए सभी कॉल कर रहे थे
शालिनी : अच्छा लगा कि सब आपकी परवाह कर रहे हैं पर आपकी सेहत और आराम के बारे में भी ध्यान रखना पड़ेगा ना
बाबुजी : ठीक है पर मेरा फोन दे दो, अब मे सो जाऊँगा, किसी से फोन पर बात नहीं करूंगा
शालिनी : ठीक हैं ये लीजिए अपना फोन
शालिनी ब्लाउज में से फोन निकालकर बाबुजी को देती है बाबुजी फोन को टेबल पर रख कर बेड पर आके लेट जाते हैं, शालिनी दूसरे कमरे में जाकर एक गाउन पहन कर आती हैं
शालिनी भी लाइट बंध करके पल्लू लेकर बेड पर लेट जाती है ,शालिनी बाबुजी को अपने पास लाती हैं और पल्लू से ढककर गाउन के दो बटन खोलकर स्तन को बाहर निकालती है बाबुजी स्तन को मुँह में लेकर चूसने लगते है,

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शालिनी भी दर्द से राहत मिलने से सुकून की साँस लेती हैं ,अपने दोनों स्तनों से अपने ससुर को दुध पिलाकर शालिनी और बाबुजी चैन की नींद सोते हैं, रात में भी एकबार शालिनी बाबुजी को स्तनपान करवाती हैं।
सुबह को जब शालिनी जगती है तो देखती हैं बाबुजी सो रहे हैं पर शालिनी को हैरानी तब हुई जब वो देखती हैं बाबुजी ने एक हाथ अपने पाजामे के अंदर डाला हुआ था ,शालिनी को अंदाजा लग जाता है कि बाबुजी को अपनी पत्नी की याद सताती हैं, इससे पहले भी शालिनी ने एसा करते देखा है, शालिनी चुपचाप से जाकर अपने योग के कपड़े पहनकर योग करने लगती हैं,
तभी बाबुजी जागकर बाहर आते हैं ,वो देखते हैं शालिनी एकदम तंग कपड़े में योग कर रही जिसमें उसके शरीर के सारे कटाव साफ दिखाई दे रहे थे,बाबुजी को आज थोड़ी थकावट महसूस हो रही थी, वो खटिया पर बैठे हुए शालिनी को योग करते देखते हैं,

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योग करने के बाद शालिनी नैपकिन से अपना पसीना पोछते हुए खटिया पर आकर बैठ जाती हैं,
शालिनी : जाइए बाउजी आप नहा लीजिए,
बाबुजी जैसे ही नहाने के लिए खड़े होते हैं कि उसे फिर से कल की भाँति आँखों के सामने अंधेरा छा जाता है,जिससे वो शालिनी को पुकारने लगते है, शालिनी बाबुजी का हाथ पकड़ कर बैठा देती हैं, और उसे पानी देती हैं और अपने योग के कपड़े बदलकर कल पहने ब्लाउज घाघरा पहनकर आती हैं ,बाबुजी जब थोड़ा स्वस्थ हुए तब वो धीरे से अपनी पत्नी का नाम बड़बड़ाते है, शालिनी उसे होश में लाती हैं।
शालिनी : आप कैसे हो?
बाबुजी : ठीक हुँ, मुझे नहाने जाना हैं ताकि कुछ अच्छा लगेगा
शालिनी : जरूरत नहीं है बाबुजी, आपकी तबीयत ठीक नहीं है
बाबुजी : नहीं, अगर मैं नहीं नहाया तो गर्मी से मेरी तबीयत और खराब हो सकती हैं,
शालिनी : अगर नहाते समय आपको कुछ हो गया तो?मैं यह जोखिम नहीं ले सकती ,
बाबुजी : कुछ नहीं होगा मुझे, एसा है तो मे दरवाजा खोलकर नहा लेता हूं
शालिनी : इससे अच्छा आज में आपको नहला देती हूं, पता नहीं कब आप अच्छे से नहाए होंगे, आज अच्छे से साबुन लगाकर नहला देती हूं, जिससे आपकी बीमारी भाग जाएगी
बाबुजी : लेकिन मैं साबुन से नहीं नहाता
शालिनी : इसी लिए, आज आप साबुन से नहाएं ,
बाबुजी : पर मेरी बीमारी ठीक करने के लिए तुम पहले से अपना योगदान दे रही हो
शालिनी : हाँ पर मे आपको ठीक करने वाली किसी भी संभावना को छोड़ नहीं सकती, आपको अच्छा लगेगा देखना।
बाबुजी : पर किसी को पता चला तो क्या सोचेगा?
शालिनी : कैसे किसी को पता चलेगा?कोन बतायेगा? में आपकी किसी बात को नहीं सुननी, और नीरव ने भी मेरी बात मानने को कहा है, वो भी अपनी कसम देकर, क्या आप अपने बेटे की कसम का मान नहीं रखेंगे?
बाबुजी कुछ भी जवाब देने के लिए समर्थ नहीं थे इसलिए वो चुप होकर सहमती देते हुए अपना तौलिया लेकर बाथरूम में आते हैं और पानी की बाल्टी भरने रख देते हैं ,शालिनी भी नील को हल्की धूप में लेटा कर बाथरूम में आती हैं और देखती हैं बाबुजी पाजामे में बैठे हैं
शालिनी : यह क्या बाबुजी? क्या आप रोज एसे नहाते है?
बाबुजी : एसे मतलब कैसे?
शालिनी : पाजामे पहनकर
बाबुजी : नहीं, पर तुम्हारे सामने कैसे?
शालिनी : आपके सामने मेंने अपना ब्लाउज निकाल कर आपको स्तनपान करवा दिया है और आप अपना पजामा निकालने में शर्मा रहे हैं, अब आपके पूरी तरह से ठीक होने आपको नहलाने की जिम्मेदारी मेरी,
बाबुजी : नहीं बहु इसकी जरूरत नहीं है।
शालिनी : अगर मेने भी शर्म रखकर आपकी मदद ना लेती तो आज मे भी दर्द से तड़प रही होती, अब आप भी शर्म छोड़ जैसा कहती हूँ वैसा करिए, एसा समझे की मे आपकी डॉक्टर हूं,
बाबुजी के पास आज शालिनी के दलीलों का कोई जवाब नहीं था, इसलिए वो हार मानकर अपना पजामा निकाल कर केवल कच्छे में थे,
क्या नज़रा था एक जवान गदराई एक बच्चे की मां जिसके स्तन दूध से भरे हुए हैं, जो ब्लाउज में से बाहर निकलने के लिए आपस में लड़ रहे थे,पीठ पर कमर तक आते हुए काले घने बाल नीचे पतली नंगी गोरी कमर, आगे सपाट पेट और उसके बीच गहरी नाभि और उसके तीन उंगली नीचे पहना हुआ घाघरा, मानो कोई सामन्य स्त्री ना होकर कामदेव की पत्नी हो।
एसा स्नान तो शालिनी ने अपने पति को भी नहीं करवाया था जैसा वो अभी बाबुजी को करवाने वाली थी, शालिनी लौटे में पानी भरकर बाबुजी के ऊपर डालती हैं फिर बाबुजी की पीठ हाथ पैर, छाती पेट सब जगह साबुन लगाती हैं फिर सिर पर शैम्पू डालकर उसे भी धोने लगती हैं

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,बाबुजी को नहलाने के चक्कर मे शालिनी का घाघरा और ब्लाउज भी काफी भीग गए थे और उसके पेट कमर और गले और स्तनों के उभार मे पानी की बूंदे चमक रही थी मानो मोती से श्रृंगार किया हो ,साबुन और शैम्पू की वजह से बाबुजी का शरीर आज सुगंधित हो गया था
बाबुजी : मुझे नहलाने के चक्कर में तुम भी भीग गई

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शालिनी : मुझे भी नहाना ही है,
बाबुजी : सच में मैं बहुत भाग्यशाली हूं जो तुम्हारे जैसी बहु मिली जो मेरा इतना ध्यान रखती हैं और सेवा करती हैं, ना जाने किस जन्म में इतने पुण्य किए होगे,
शालिनी : वो मुझे मालूम नहीं पर मैं अभी आपकी सेवा करके पुण्य कमा रही हूँ,
बाबुजी अपने शरीर को सूखा कर तौलिया लपेटकर कमरे में जाते हैं और शालिनी नहाने जाती हैं, शालिनी नहाकर आकर तैयार होकर नास्ता बनाने लगती हैं, फिर दोनों नास्ता करते हैं और शालिनी नील को स्तनपान करवाती हैं,

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तभी गाव का एक आदमी आता है और बाबुजी को बताता है कि पानी की टंकी में पानी चढ़ाने की मोटर खराब हो गई है, जिससे पानी की किल्लत हो सकती हैं, इसलिए सभी को पानी की टंकी के पास लगे नल से पीने का पानी भरके लाना होगा और दूसरे उपयोग के लिए पानी तालाब से भरना होगा, बाबुजी को शहर में चिट्ठी लिखकर एक अर्जी करनी होगी जिससे शहर से मैकेनिक आकर मोटर सही करदे।
बाबुजी किचन में आते हैं और शालिनी को सब बताते है।
शालिनी : बाबुजी 2 मिनट रुकिए नील को सुलाकर हम चलते हैं
नील को सुलाकर शालिनी और बाबुजी मोटरसाइकिल से टंकी के पास आते हैं और देखते हैं सब लोग वही खड़े थे,
बाबुजी : देखिए इस परिस्थिति में हम सब को धैर्य से काम लेना होगा ,मेरी विनती है कि सब पीने के लिए दो दो मटके भरे ,जिससे सब को पर्याप्त पानी मिले, मुझे एक कागज दो जिससे मे अर्जी दाखिल कर दे और जल्द से जल्द मोटर सही हो
शालिनी : आप मोबाइल से सीधे अर्जी क्यूँ नहीं करते?
बाबुजी : वो कैसे होता है वो हमें नहीं आता
शालिनी : में कर देती हूं
शालिनी टंकी पर लिखे ईमेल आईडी पर एक अच्छे से अँग्रेजी में एक अर्जी दाखिल कर देती हैं ,जिससे 10 मिनट में उन लोगों की ओर से रीप्ले आता है और कल वो अपने मैकेनिक भेज देंगे, यह ईमेल सब को सुनाती है, जिससे गाव वालों की नजरों में शालिनी के लिए सम्मान बढ़ जाता हैं, शालिनी ने उन लोगों का समय और खर्चा बचाया था, सब अपने अपने घर जाते हैं और सभी औरते अपने अपने मटके लेकर पानी भरने आने लगती हैं।
जब शालिनी मटका लेकर पानी भरने जाने लगती हैं तब बाबुजी उसे रोकते हैं
बाबुजी : बहु तुम क्यों जा रही हो?किसीको बुलाकर भरवा लेंगे
शालिनी : नहीं बाबुजी अभी सभी परेशान है ऊपर से हम अगर उसे परेसान करे यह ठीक नहीं है
बाबुजी : ठीक हैं हम कार लेकर जाते हैं और पानी भरकर घर वापिस आ जाएंगे
शालिनी : नहीं बाबुजी! मुझे यह अनुभव करना है, कि पहले के समय में लोगों को क्या मेहनत करनी पड़ती होगी होती?,इससे पानी की सही कीमत का पता चलेगा, इसी बहाने मेरी कसरत हो जाएगी, इसी बहाने सभी औरतों से मिलना हो जाएगा।
बाबुजी मान जाते हैं और नील के पास जाकर बैठते हैं और शालिनी एक मटका लेकर चलकर टंकी के पास आती हैं

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उधर सभी औरते खड़ी हुई थी
शालिनी : आप सब खड़ी क्यूँ है?पानी भरने लगों
सरला : हम सब ने मिलकर तय किया है कि पहला मटका आप भरे, आज आपने सभी की इतनी मदद जो कि हैं।
शालिनी : मदद कैसी?वो मेरा कर्तब्य था, यह मेरा भी गाव है,और गाव पर मुसीबत आए तो सब मिलकर इसका सामना करेंगे
रसीला : हाँ वो सही है पर अभी आप पहले पानी भरे फिर हम सब भरेंगे।
शालिनी सब की बातों का सम्मान करते हुए पहला मटका भरने लगती हैं ,शालिनी यह सब कुछ अपने व्यायाम का हिस्सा मान कर करती हैं,सब गांव की महिलाओं को भी अच्छा लगता हैं की बड़े घर के होने के बावजूद शालिनी उसकी की तरह पानी भरने यहां तक आयी ,बाद में सब एक एक करके अपना पानी भरकर अपने अपने घर जाने लगती हैं वो दृश्य भी बड़ा मनोहर था जब गाव की महिला घाघरा ब्लाउज पहने सिर पर मटका रखकर पनीहारी बनकर पानी भरकर चलती हैं, इन सब मे शालिनी तारो के बीच पूर्णिमा के चंद्र जैसी थी,

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शालिनी दूसरी बार आकर अपना दूसरा मटका भरकर वापिस आती हैं ,उसका पूरा शरीर पसीने से भिगा हुआ था, उसके चेहरे, गले, स्तनों के उभार, कमर, सभी जगह पसीने की बूंदे चमक रही थी, वो थककर आकर पंखे के नीचे बैठ जाती हैं,

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बाबुजी : मैंने कहा था की थक जाओगी,
शालिनी : थकी हूं पर मुझे आनंद आया
बाबुजी : तुम आराम करो ,आज खाना में बनाऊँगा, और मुझे कोई दलील नहीं सुननी
बाबुजी सारा खाना बनाते हैं और शालिनी को पुकारते हैं,

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शालिनी खाना खाने नील को लेकर आती हैं,और उसे अपनी गोदी में रखकर पल्लू ओढ़कर नील को स्तनपान करवाने लगती हैं और दोनों खाना खाने लगते है।
शालिनी : वाह! बाबुजी आपके खाने का ज़वाब नहीं,
बाबुजी : इतना भी अच्छा नहीं है
दोनों खाना खाते हैं फिर शालिनी को दवाई लेने जाने का याद आता है,
शालिनी : बाबुजी आप नील को सुला देना में आकर सारा काम कर दूंगी, मुझे देर नहीं लगेगी
शालिनी कार लेकर तुरत दवाई लेने जाती हैं
डॉक्टर : मुझे लगा आप भूल गए
शालिनी : नहीं मुझे याद ही था, पर आज थोड़ी भागदौड़ में रह गया
डॉक्टर : क्या हुआ था?
शालिनी सारी घटना बताती हैं, फिर दवाई लेकर जाने लगती हैं
डॉक्टर : दवाई लेने के एक सप्ताह बाद आना वो थोड़ा दुध का रिपोर्ट कराना होगा, जिससे पता लगेगा कि दवाई काम कर रही है कि और मात्रा बढ़ानी पड़ेगी,
शालिनी : ठीक हैं।
शालिनी वापिस घर आती हैं और बाबुजी नील को पालने में झुला रहे थे, शालिनी बाबुजी को देख मुस्करा देती हैं और सब बर्तन साफ करने लगती हैं ,

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सब काम पूरा करके और दवाई पीकर कमरे में आती हैं,

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तब तक नील भी सो गया था, बाबुजी भी अपनी कमीज निकाल देते हैं और सिर्फ बनियान और पाजामे पहने हुए थे, शालिनी बेड पर आकर बैठ जाती हैं।

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बाबुजी : अभी दवाई लेना इतना जरूरी था?
शालिनी : हाँ! अगर डॉक्टर चले जाते तो फिर दवाई कल मिलती, और यह दवाई की मुझे जल्द से जल्द चाहिए थी।
बाबुजी : एसी कौन सी दवाई है?
शालिनी : वो मेरे दुध की पौष्टिकता बढ़ाने के लिए है
बाबुजी को लगा कि शालिनी ने नील के लिए दवाई ली होगी,शालिनी अपने पल्लू को हटाकर लेट जाती हैं,

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जिससे शालिनी के ब्लाउज के अंदर के दोनों कबूतरों का उभार बाबुजी को नजर आता है, बाबुजी भी अब समझ गए थे की उनको क्या करना है, इसलिये बाबुजी खिसक कर थोड़ा नीचे आते हैं जिससे उसका चेहरा शालिनी के ब्लाउज मे कैद स्तनों के सामने आ जाता है, शालिनी को अच्छा लगा कि उसको बाबुजी को कहने की जरूरत नहीं पड़ी, शालिनी नीचे से एक-एक कर अपने दो हूक खोलने लगती हैं, और दो हूक को बंध रखती हैं और अपने ब्लाउज के निचले शीरे को ऊपर कर निप्पल तक उठा देती हैं, बाबुजी भी अपने होंठ को खोलकर निप्पल को अपने मुँह में लपक लेते है पर ब्लाउज की वजह से उसको पीने में थोड़ी कठिनाई रहती हैं, शालिनी का स्तन भी मानो पिचक कर बाहर आया हो एसा लग रहा था, कुछ देर चूसने के बाद बाबुजी से रहा नहीं जाता।
बाबुजी : क्या आप सारे हूक खोल सकते है?इस तरह से स्तनपान करने में तकलीफ हो रही हैं
शालिनी : ठीक है, अच्छा लगा कि आप बिना संकोच इस पर बात कर रहे हैं ,
शालिनी अपने ब्लाउज के बचे दो हूक भी खोल देती हैं,

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बाबुजी वापिस से स्तनपान करने लगते है, इस दौरान बाबुजी का हाथ शालिनी की कमर पर चला जाता है, शालिनी भी यह बात नोटिस करती हैं पर स्तनपान करते समय कई बार चाचाजी का हाथ भी उसकी कमर पर चला जाता था, इसलिए वो यह बात सामान्य लेती हैं, बाबुजी को स्तनपान करवाकर शालिनी अपने ब्लाउज के हूक बंध करके चाचाजी के सिर को अपने सीने से लगाकर सुलाती है,
शाम को दोनों जागने के बाद चाय पीते हैं और शालिनी नील को स्तनपान करवाती है, तभी सरला का फोन आता है कि कल तालाब पर नहाने जाने का याद दिलाती हैं।
रात को खाना खाने के बाद शालिनी बारी-बारी से नीरव और चाचाजी से फोन पर बातें करते हैं,

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फिर नील को स्तनपान करवाकर सुला देती हैं, नील ने अभी एक स्तन से ही दुध पिया था इसलिए शालिनी दूसरा स्तन बाबुजी को पिलाकर सुला देती हैं,
 

Sushil@10

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Update : 25
भाग -1
पिछले भाग में देखा कि शालिनी और रसीला अपने अपने ससुर को स्तनपान करवाने में सफल रही।
रसीला ने अपने ससुर को स्तनपान करवाकर खाना बनाने चली गई, दोपहर में खाना खाने के बाद रसीला ने अपने बच्चे को स्तनपान करवाया,जिसका एक स्तन में ही पेट भर गया था।
रसीला : क्यूँ ना हम सब साथ ही सो जाए इससे बिजली भी बचेगी
सास : ठीक हैं,यही हॉल में सो जाते हैं, क्या तुम दुध पिलाने वाली हो?
रसीला : हाँ! मुन्नी ने एक से ही दुध पीया है, दूसरा भरा हुआ है
सास : तुम बीच में सो जाना
रसीला : ठीक हैं
सुन्दरलाल यह सब चुपचाप सुन रहे थे, तीनों साथ में सो जाते हैं, रसीला बीच में सो जाती हैं

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और अपने ससुर की और करवट लेती है और अपने ब्लाउज के नीचे के दो हूक खोलकर ऊपर उठाकर अपने स्तन को बाहर निकालती है जिसे देख सुन्दरलाल जैसे लोहा चुंबक की ओर आकर्षित होता है वैसे आकर्षित होकर उसके नजदीक जाने लगते है,

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रसीला : माँ जी! लगता है बाबुजी अभी भी भूखे हैं
सास : इसके लिए हर मर्द भूखा रहता है।
सुन्दरलाल सब अनसुना करके अपने काम पर ध्यान देते हुए निप्पल को अपने होठों की बीच कैद कर चुस्की लेते हैं जिससे दुध की धारा उसके मुँह में भर जाती हैं रसीला के मुँह से सुकून की " आह " निकल जाती हैं ,सुन्दरलाल भी खुशी खुशी चूसने लगे थे,

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रसीला : बाबुजी! आप भी चूसने में बढ़िया है, लगता है इस घर के सारे मर्द स्तन चूसने में बेहतर है ,काफी बेहतर। लग रहा है।
रसीला बारी बारी से अपने दोनों स्तन का दुध अपने ससुर को पीला देती हैं ,पेट भरने से सुन्दरलाल की आंखे भारी होने लगती है और रसीला भी ब्लाउज सही करके सो जाती है ,शाम को जब सब जागकर बाहर आँगन मे आते हैं रसीला अनाज सही करने लगती हैं और उसकी सास उसके पास बैठकर मदद कर रही थी, और सुन्दरलाल खटिया पर बैठे थे, तभी रसीला का फोन बजता है, जो उसके पति का था रसीला के पति ने यह कहने फोन किया था कि उसको काम के सिलसिले में दो दिन के लिए बड़े शहर जाना पड़ेगा।
रसीला यह सब अपने सास ससुर को बताती हैं
रसीला : मज़ाक में..)लगता है बाबुजी की किस्मत अच्छी है
सास : बाबुजी के चक्कर में मुन्नी को मत भूल जाना,
रसीला : बिल्कुल, माँजी!
रसीला अपनी बच्ची को स्तनपान करवाती हैं तब सुन्दरलाल उसे ही देख रहा था, मानो अपनी बारी आने का इंतजार हो, रसीला उसको देख मुस्कराने लगती हैं
रसीला : बाबुजी ! चिंता मत करिए मुन्नी सारा नहीं पी सकती, आपके लिए काफी सारा बचेगा
रसीला की बच्ची एक पूरा स्तन भी नहीं पी सकीं रसीला उसे पालने में डाल कर सुलाती है, उसकी सास पालना झुलाते है, ताकि रसीला अपने ससुर को स्तनपान करवा सकें
रसीला : चलिए बाबुजी ! कमरे में आइये ,फिर मुझे खाना बनाने जाना हैं।
रसीला और उसके ससुर दोनों कमरे में जाते हैं, रसीला अपने ससुर को अपनी गोदी में लेटा कर अपने ब्लाउज के दो हूक खोल के ऊपर उठाकर अपने सफेद कबूतर को बाहर निकालती है,

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जैसे ही रसीला ने अपने कबूतर को बाहर निकाला वैसे तुरत ही उनके ससुर किसी बिल्ली की तरह झपट लगाकर अपने मुँह में अपना शिकार ले लेते है और चूसने लगते है।
रसीला : अरे! बाबुजी तनिक धीरे, मैं कहा भागी जा रही हूं, यह अब सारा आपका ही है, आराम से पीए
रसीला का ससुर आराम से चूसने लगते है, तभी आँगन में दो लोगों की बातचीत की आवाज सुनाई देती हैं, दोनों को थोड़ा डर लगता है, रसीला आवाज को ध्यान से सुनकर पहचानने की कोशिश करती है कि कौन आया है, एक आवाज तो उसकी सास की थी पर दूसरी आवाज सुनकर रसीला की आंखे चौड़ी हो जाती हैं और चेहरे पर थोड़ी परेशानी दिखने लगती है क्युकी वो दूसरी आवाज उसके देवर राजू की थी।
रसीला : यह आज कैसे आ गया?ये तो दो दिन बाद आने वाला था, बाबुजी थोड़ा जल्दी जल्दी पीए।
(कुछ देर पहले आँगन में...)
रसीला की सास अनाज सही कर रही थी तभी घर के दरवाजे पर दस्तक होती हैं, रसीला की सास डर के धीरे से दरवाजा खोलती है और वह देखती हैं, उसका बेटा राजू है, वो भी हैरान हो जाती हैं
सास : बेटा! तू...तू आ गया?पर...
राजू : अपने घर आने से पहले मुझे बताना पड़ेगा?
सास : नहीं एसी बात नहीं, वो तो तुम कह रहे थे कि दो दिन बाद आओगे इसलिए।
राजू को एहसास होता है कि उसकी माँ उससे कुछ छुपा रही हैं,
राजू : माँ ! पहले भीतर तो आने दे
सास : हाँ..हाँ आजा बेटा
राजू : में दो दिन बाद आने वाला था पर शहर जाकर पता चला जो प्रमाणपत्र मुझे चाहिए थे वो में घर पर भूल गया हूं, मेने भाभी को दिए थे सम्भालने के लिए,
वर्तमान में...)
राजू : चिल्लाकर...)भाभी...भाभी! कहा हो? मेरे प्रमाणपत्र कहा रखे हैं?
सास : वो...वो कमरे में आराम कर रही हैं
राजू : ठीक है मे कमरे में जाकर मिल लेता हूं
सास : नहीं...नहीं...उसे आराम करने दो,
राजू : मैं परेसान नहीं करूंगा
एसा कहकर राजू कमरे का दरवाजा खोल अंदर आता है और देखता है उसके पिताजी उसकी भाभी के गोदी में लेटे हुए हैं, राजू को देख रसीला अपना पल्लू ढक देती हैं,

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बाहर रसीला की सास अपना सिर पकडकर बैठ जाती हैं, क्योंकि अब आगे क्या होगा उसकी चिंता होने लगती हैं,
राजू : भाभी! यह क्या है?बाबुजी आपकी गोदी में लेटे हुए हैं,
रसीला भी अब सोचती है कि अब छुपाने का कोई फायदा नहीं है, इसलिये वो राजू को सब बताती हैं

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रसीला : राजू! पहले बैठो! मेरी बात सुनो, जब तुम दो तीन का कहकर गए और तुम्हारे भैया भी नहीं आने वाले थे,और तुम्हें तो पता है की मुझे कितना सारा दुध आता है ,जब दुध भरने लगा तब दर्द से मेरी हालत खराब हो गई, मुन्नी ने भी कम पिया, इसलिए मजबूरन मुझे बाबुजी को पिलाना पड़ा, मैंने माँजी से सहमति लेकर यह किया है
राजू : मैं आपकी बात समझता हूं भाभी ,मुझे कोई शिकायत नहीं ,आप खुश और स्वस्थ रहे बस यही मैं चाहता हूं,
रसीला : मेरे प्यारे देवरजी आप इसलिए मेरे फेवरेट है ,
राजू : आप आराम से पिताजी को पिलाए मैं टीवी देखता हूं पर रात को मुझे मेरे हिस्से का दूध चाहिए,क्योंकि अन्न प्रासन के बाद पहले अधिकार मेरा है

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रसीला : लगता है आप बड़े हो गये हों देवरजी ,बड़े अधिकार की बातें करने लगे हो, लेकिन भूलिए मत सामने आपके पिताजी है,
राजू : माफ कीजिए भाभी, मेरा यह मतलब नहीं था, ठीक है फिर हम दोनों एक एक स्तन से दुध पियेंगे,
रसीला : यह अच्छा उपाय है ,लेकिन ध्यान रहे यह बात अभी तुम्हारे भाई को पता ना चले, समय आने पर मैं खुद बता दूंगी
बाबुजी को स्तनपान करवाकर रसीला खाने की तैयारी में लग जाती हैं ,राजू अपने प्रमाणपत्र को अपने बेग में रख लेता है, रात को सब खाना खाते हैं और रसीला अपनी बेटी को स्तनपान करवाती हैं
राजू : भाभी में यह अधूरा स्तन नहीं पाऊँगा
रसीला : चिंता मत करो तबतक भर जाएंगे, लेकिन पहले बाबुजी को पिलाकर फिर तुम्हारी बारी, क्योंकि तुम वैसे भी देर रात मोबाइल में घुसे रहते हो, बाबुजी को पहले पिलाकर जल्दी सुला दूंगी
राजू : नहीं भाभी ! कल मुझे सुबह जल्दी बस में जाना है, इसलिए मुझे जल्दी सो जाना हैं, आप पहले मुझे पीला देना फिर पिताजी को आराम से पिला देना
रसीला : ठीक हैं
रसीला सब काम निपटाकर राजू को अपनी गोदी में आने को कहती है ,राजू पूरा भरा हुआ स्तन अपने मुँह में लेकर चूसने लगता है, जल्दी जल्दी चूसने से "चप चप " आवाज आती हैं,

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सुन्दरलाल खटिया में लेटे लेटे अपनी बारी आने की राह देख रहे थे ,रसीला की सास सब के लिए बिस्तर लगाती हैं
सुन्दरलाल : मेरा बिस्तर भी नीचे लगाना, आज मैं जमीन पर सोने वाला हूं ,
रसीला की सास चार बिस्तर लगाती हैं, पहले बच्ची का पालना फिर उसके पास रसीला की सास, उसके बगल में रसीला बाद मे उसके ससुर और आखिर में राजू,

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राजू को स्तनपान करवाकर सब अपनी जगह आकर लेट जाते हैं ,जब रसीला अपने ससुर को स्तनपान करवा रही थी तब राजू रसीला को देख मुस्कराता है और सो जाता है, रसीला भी अपने ससुर को स्तनपान कराकर ब्लाउज के दो हूक बंध करके सो जाती हैं।
दूसरे दिन राजू अपने प्रमाणपत्रों को लेकर शहर चला जाता है और रसीला अपने रोजमर्रा के कामों में लग जाती हैं, सुबह नास्ता करने के बाद अपनी बच्ची को स्तनपान कराकर बचा हुआ दुध अपने ससुर को पीला देती हैं, अब वो जब भी स्तन में दुध भर जाता तब वो अपने ससुर को स्तनपान करवा देती, अब घर के सभी सदस्य इस बात से सहज हो गए थे
(आज के दिन...दोपहर)
शालिनी बाबुजी को स्तनपान करवाकर सुला देती हैं ,

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शाम को शालिनी चाय बनाकर बाबुजी के साथ पीने लगती हैं,

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तभी दरवाजे पर दस्तक होती हैं शालिनी दरवाजा खोलती है और देखती हैं गौशाला वाली महिला आयी हैं
शालिनी : अरे आप! आइए आइए ..
महिला : वो सुना कि सरपंचजी की तबीयत खराब है तो देखने चली आई
शालिनी : बहुत अच्छा लगा कि आप आई, अभी काफी सुधार आया है,
महिला : मेने सुना कि कमजोरी आ गई थी ,इसलिए मे ताजा गाय का दुध लायी हूं जिससे सरपंचजी को ताकत मिलेगी।
बाबुजी मना करने वाले थी कि शालिनी ने बीच में टोक दिया..
शालिनी : आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, इससे बाबुजी को राहत मिलेगी,
थोड़ी इधर-उधर की बातें कर वो महिला चली जाती हैं
शालिनी : बाबुजी आप यह क्या करने वाले थे
बाबुजी : में तो कहने वाला था कि इससे गैस होती हैं, में नहीं पी सकता
शालिनी : फिर वो कहती की हर रोज तो बहुरानी लेने आती है इसका क्या?आप यह दुध नहीं पीते तो फिर आप कैसे ठीक हुए?फिर क्या जवाब देते?
बाबुजी : यह बात मेने सोची नहीं
शालिनी : और वो इतने स्नेह से लायी थी तो उसको बुरा भी लगता
बाबुजी : फिर इस दुध का क्या करे?
शालिनी : अभी ताजा है तो थोड़ा सा पी लीजिए, बाकी सारा कहीं ना कहीं उपयोग हो जाएगा
बाबुजी को अब गाय का दूध नहीं पीना था क्युकी अब शालिनी के दूध का स्वाद जो चख लिया था, पर वो शालिनी की खातिर थोड़ा पी लेते हैं, तभी नील के रोने की आवाज आती हैं ,बाबुजी उसे लेने के लिए खड़े होते है कि उसके आँखों के सामने अंधेरा हो जाता है जिससे वो तुरत से बैठ जाते हैं, सायद कमजोरी की वजह से हुआ होगा ,शालिनी बाबुजी को लेटाकर नील को लेकर आती है, फिर बाबुजी के लिए पानी लाती हैं।

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शालिनी : मन में..)लगता है मुझे अपने दूध की पौष्टिकता बढ़ानी होगी
पानी पीने के बाद बाबुजी आंखे बंध कर के लेटे रहते हैं, शालिनी दुपट्टा ओढ़कर पास रखी खटिया पर बैठकर नील को स्तनपान करवाने लगती है ,कुछ देर बाद बाबुजी धीरे से आंखे खोलकर देखते हैं ,शालिनी नील को स्तनपान करवा रही हैं ,शालिनी बाबुजी को देख मुस्करा देती हैं, नील भूखा होने से काफी सारा दुध पी लेता है, अब सायद दूसरा स्तन आधा भरा हुआ है।
शालिनी : शर्माते हुए...)बाबुजी ! क्या आप थोड़ा सा ताजा दुध पीना चाहेंगे ?
बाबुजी : मज़ाक में..)मुझे चार पैर वाली गाय का दुध नहीं पीना, अगर दो पैर वाली का है तो पी लूँगा
शालिनी : दो पैर वाली का है,
शालिनी नील को खटिया में लेटा कर बाबुजी की खटिया पर आती है ,और बाबुजी के सिर के पास आकर बैठ जाती हैं और बाबुजी का सिर अपनी गोदी में लेती हैं, दुपट्टा ओढ़कर अपने ब्लाउज के दो हूक खोलकर ऊपर उठाकर निप्पल को बाबुजी के होंठ के पास ले आती हैं, बाबुजी भी अपना कर्तव्य समझकर निप्पल को अपने होंठ मे समा लेते है और चूसने लगते है, शालिनी को नील और बाबुजी के स्तनपान करवाने में ज्यादा फर्क़ नहीं था, फर्क़ इतना था कि बाबुजी की चूसने की शक्ति ज्यादा थी, शालिनी को इससे कोई दिक्कत नहीं थी
करीब 5 मिनट बाद शालिनी का स्तन खाली हो जाता है, और वह अपने ब्लाउज के हूक बंध करके नील के साथ खेलने लग जाती हैं, फिर वो नीरव और चाचाजी को कॉल करती हैं,
रात को जब खाना खाने के बाद शालिनी सब काम कर रही थी

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तब बाबुजी को अपने पहचान वाले कॉल करके उसकी तबीयत के हालचाल पूछते है, जब शालिनी सब काम पूरा करके आती हैं तब भी बाबुजी किसी से फोन पर बात कर रहे थे, नील को सुलाने तक भी एक के बाद एक कॉल आने लगे थे, शालिनी 5 -10 मिनट इंतजार करती हैं तब भी बाबुजी कॉल पर बात कर रहे थे तब शालिनी बाबुजी से फोन लेकर कॉल काट कर मोबाइल को अपने ब्लाउज में रख देती हैं,

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शालिनी : सब से आज ही बात करेंगे?कल बात कर लीजिए, अभी आप आराम करेंगे चलिए,
बाबुजी : वो शहर में रहने वाले रिश्तेदारों को कहीं से पता लग गया था इसलिए सभी कॉल कर रहे थे
शालिनी : अच्छा लगा कि सब आपकी परवाह कर रहे हैं पर आपकी सेहत और आराम के बारे में भी ध्यान रखना पड़ेगा ना
बाबुजी : ठीक है पर मेरा फोन दे दो, अब मे सो जाऊँगा, किसी से फोन पर बात नहीं करूंगा
शालिनी : ठीक हैं ये लीजिए अपना फोन
शालिनी ब्लाउज में से फोन निकालकर बाबुजी को देती है बाबुजी फोन को टेबल पर रख कर बेड पर आके लेट जाते हैं, शालिनी दूसरे कमरे में जाकर एक गाउन पहन कर आती हैं
शालिनी भी लाइट बंध करके पल्लू लेकर बेड पर लेट जाती है ,शालिनी बाबुजी को अपने पास लाती हैं और पल्लू से ढककर गाउन के दो बटन खोलकर स्तन को बाहर निकालती है बाबुजी स्तन को मुँह में लेकर चूसने लगते है,

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शालिनी भी दर्द से राहत मिलने से सुकून की साँस लेती हैं ,अपने दोनों स्तनों से अपने ससुर को दुध पिलाकर शालिनी और बाबुजी चैन की नींद सोते हैं, रात में भी एकबार शालिनी बाबुजी को स्तनपान करवाती हैं।
सुबह को जब शालिनी जगती है तो देखती हैं बाबुजी सो रहे हैं पर शालिनी को हैरानी तब हुई जब वो देखती हैं बाबुजी ने एक हाथ अपने पाजामे के अंदर डाला हुआ था ,शालिनी को अंदाजा लग जाता है कि बाबुजी को अपनी पत्नी की याद सताती हैं, इससे पहले भी शालिनी ने एसा करते देखा है, शालिनी चुपचाप से जाकर अपने योग के कपड़े पहनकर योग करने लगती हैं,
तभी बाबुजी जागकर बाहर आते हैं ,वो देखते हैं शालिनी एकदम तंग कपड़े में योग कर रही जिसमें उसके शरीर के सारे कटाव साफ दिखाई दे रहे थे,बाबुजी को आज थोड़ी थकावट महसूस हो रही थी, वो खटिया पर बैठे हुए शालिनी को योग करते देखते हैं,

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योग करने के बाद शालिनी नैपकिन से अपना पसीना पोछते हुए खटिया पर आकर बैठ जाती हैं,
शालिनी : जाइए बाउजी आप नहा लीजिए,
बाबुजी जैसे ही नहाने के लिए खड़े होते हैं कि उसे फिर से कल की भाँति आँखों के सामने अंधेरा छा जाता है,जिससे वो शालिनी को पुकारने लगते है, शालिनी बाबुजी का हाथ पकड़ कर बैठा देती हैं, और उसे पानी देती हैं और अपने योग के कपड़े बदलकर कल पहने ब्लाउज घाघरा पहनकर आती हैं ,बाबुजी जब थोड़ा स्वस्थ हुए तब वो धीरे से अपनी पत्नी का नाम बड़बड़ाते है, शालिनी उसे होश में लाती हैं।
शालिनी : आप कैसे हो?
बाबुजी : ठीक हुँ, मुझे नहाने जाना हैं ताकि कुछ अच्छा लगेगा
शालिनी : जरूरत नहीं है बाबुजी, आपकी तबीयत ठीक नहीं है
बाबुजी : नहीं, अगर मैं नहीं नहाया तो गर्मी से मेरी तबीयत और खराब हो सकती हैं,
शालिनी : अगर नहाते समय आपको कुछ हो गया तो?मैं यह जोखिम नहीं ले सकती ,
बाबुजी : कुछ नहीं होगा मुझे, एसा है तो मे दरवाजा खोलकर नहा लेता हूं
शालिनी : इससे अच्छा आज में आपको नहला देती हूं, पता नहीं कब आप अच्छे से नहाए होंगे, आज अच्छे से साबुन लगाकर नहला देती हूं, जिससे आपकी बीमारी भाग जाएगी
बाबुजी : लेकिन मैं साबुन से नहीं नहाता
शालिनी : इसी लिए, आज आप साबुन से नहाएं ,
बाबुजी : पर मेरी बीमारी ठीक करने के लिए तुम पहले से अपना योगदान दे रही हो
शालिनी : हाँ पर मे आपको ठीक करने वाली किसी भी संभावना को छोड़ नहीं सकती, आपको अच्छा लगेगा देखना।
बाबुजी : पर किसी को पता चला तो क्या सोचेगा?
शालिनी : कैसे किसी को पता चलेगा?कोन बतायेगा? में आपकी किसी बात को नहीं सुननी, और नीरव ने भी मेरी बात मानने को कहा है, वो भी अपनी कसम देकर, क्या आप अपने बेटे की कसम का मान नहीं रखेंगे?
बाबुजी कुछ भी जवाब देने के लिए समर्थ नहीं थे इसलिए वो चुप होकर सहमती देते हुए अपना तौलिया लेकर बाथरूम में आते हैं और पानी की बाल्टी भरने रख देते हैं ,शालिनी भी नील को हल्की धूप में लेटा कर बाथरूम में आती हैं और देखती हैं बाबुजी पाजामे में बैठे हैं
शालिनी : यह क्या बाबुजी? क्या आप रोज एसे नहाते है?
बाबुजी : एसे मतलब कैसे?
शालिनी : पाजामे पहनकर
बाबुजी : नहीं, पर तुम्हारे सामने कैसे?
शालिनी : आपके सामने मेंने अपना ब्लाउज निकाल कर आपको स्तनपान करवा दिया है और आप अपना पजामा निकालने में शर्मा रहे हैं, अब आपके पूरी तरह से ठीक होने आपको नहलाने की जिम्मेदारी मेरी,
बाबुजी : नहीं बहु इसकी जरूरत नहीं है।
शालिनी : अगर मेने भी शर्म रखकर आपकी मदद ना लेती तो आज मे भी दर्द से तड़प रही होती, अब आप भी शर्म छोड़ जैसा कहती हूँ वैसा करिए, एसा समझे की मे आपकी डॉक्टर हूं,
बाबुजी के पास आज शालिनी के दलीलों का कोई जवाब नहीं था, इसलिए वो हार मानकर अपना पजामा निकाल कर केवल कच्छे में थे,
क्या नज़रा था एक जवान गदराई एक बच्चे की मां जिसके स्तन दूध से भरे हुए हैं, जो ब्लाउज में से बाहर निकलने के लिए आपस में लड़ रहे थे,पीठ पर कमर तक आते हुए काले घने बाल नीचे पतली नंगी गोरी कमर, आगे सपाट पेट और उसके बीच गहरी नाभि और उसके तीन उंगली नीचे पहना हुआ घाघरा, मानो कोई सामन्य स्त्री ना होकर कामदेव की पत्नी हो।
एसा स्नान तो शालिनी ने अपने पति को भी नहीं करवाया था जैसा वो अभी बाबुजी को करवाने वाली थी, शालिनी लौटे में पानी भरकर बाबुजी के ऊपर डालती हैं फिर बाबुजी की पीठ हाथ पैर, छाती पेट सब जगह साबुन लगाती हैं फिर सिर पर शैम्पू डालकर उसे भी धोने लगती हैं

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,बाबुजी को नहलाने के चक्कर मे शालिनी का घाघरा और ब्लाउज भी काफी भीग गए थे और उसके पेट कमर और गले और स्तनों के उभार मे पानी की बूंदे चमक रही थी मानो मोती से श्रृंगार किया हो ,साबुन और शैम्पू की वजह से बाबुजी का शरीर आज सुगंधित हो गया था
बाबुजी : मुझे नहलाने के चक्कर में तुम भी भीग गई

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शालिनी : मुझे भी नहाना ही है,
बाबुजी : सच में मैं बहुत भाग्यशाली हूं जो तुम्हारे जैसी बहु मिली जो मेरा इतना ध्यान रखती हैं और सेवा करती हैं, ना जाने किस जन्म में इतने पुण्य किए होगे,
शालिनी : वो मुझे मालूम नहीं पर मैं अभी आपकी सेवा करके पुण्य कमा रही हूँ,
बाबुजी अपने शरीर को सूखा कर तौलिया लपेटकर कमरे में जाते हैं और शालिनी नहाने जाती हैं, शालिनी नहाकर आकर तैयार होकर नास्ता बनाने लगती हैं, फिर दोनों नास्ता करते हैं और शालिनी नील को स्तनपान करवाती हैं,

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तभी गाव का एक आदमी आता है और बाबुजी को बताता है कि पानी की टंकी में पानी चढ़ाने की मोटर खराब हो गई है, जिससे पानी की किल्लत हो सकती हैं, इसलिए सभी को पानी की टंकी के पास लगे नल से पीने का पानी भरके लाना होगा और दूसरे उपयोग के लिए पानी तालाब से भरना होगा, बाबुजी को शहर में चिट्ठी लिखकर एक अर्जी करनी होगी जिससे शहर से मैकेनिक आकर मोटर सही करदे।
बाबुजी किचन में आते हैं और शालिनी को सब बताते है।
शालिनी : बाबुजी 2 मिनट रुकिए नील को सुलाकर हम चलते हैं
नील को सुलाकर शालिनी और बाबुजी मोटरसाइकिल से टंकी के पास आते हैं और देखते हैं सब लोग वही खड़े थे,
बाबुजी : देखिए इस परिस्थिति में हम सब को धैर्य से काम लेना होगा ,मेरी विनती है कि सब पीने के लिए दो दो मटके भरे ,जिससे सब को पर्याप्त पानी मिले, मुझे एक कागज दो जिससे मे अर्जी दाखिल कर दे और जल्द से जल्द मोटर सही हो
शालिनी : आप मोबाइल से सीधे अर्जी क्यूँ नहीं करते?
बाबुजी : वो कैसे होता है वो हमें नहीं आता
शालिनी : में कर देती हूं
शालिनी टंकी पर लिखे ईमेल आईडी पर एक अच्छे से अँग्रेजी में एक अर्जी दाखिल कर देती हैं ,जिससे 10 मिनट में उन लोगों की ओर से रीप्ले आता है और कल वो अपने मैकेनिक भेज देंगे, यह ईमेल सब को सुनाती है, जिससे गाव वालों की नजरों में शालिनी के लिए सम्मान बढ़ जाता हैं, शालिनी ने उन लोगों का समय और खर्चा बचाया था, सब अपने अपने घर जाते हैं और सभी औरते अपने अपने मटके लेकर पानी भरने आने लगती हैं।
जब शालिनी मटका लेकर पानी भरने जाने लगती हैं तब बाबुजी उसे रोकते हैं
बाबुजी : बहु तुम क्यों जा रही हो?किसीको बुलाकर भरवा लेंगे
शालिनी : नहीं बाबुजी अभी सभी परेशान है ऊपर से हम अगर उसे परेसान करे यह ठीक नहीं है
बाबुजी : ठीक हैं हम कार लेकर जाते हैं और पानी भरकर घर वापिस आ जाएंगे
शालिनी : नहीं बाबुजी! मुझे यह अनुभव करना है, कि पहले के समय में लोगों को क्या मेहनत करनी पड़ती होगी होती?,इससे पानी की सही कीमत का पता चलेगा, इसी बहाने मेरी कसरत हो जाएगी, इसी बहाने सभी औरतों से मिलना हो जाएगा।
बाबुजी मान जाते हैं और नील के पास जाकर बैठते हैं और शालिनी एक मटका लेकर चलकर टंकी के पास आती हैं

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उधर सभी औरते खड़ी हुई थी
शालिनी : आप सब खड़ी क्यूँ है?पानी भरने लगों
सरला : हम सब ने मिलकर तय किया है कि पहला मटका आप भरे, आज आपने सभी की इतनी मदद जो कि हैं।
शालिनी : मदद कैसी?वो मेरा कर्तब्य था, यह मेरा भी गाव है,और गाव पर मुसीबत आए तो सब मिलकर इसका सामना करेंगे
रसीला : हाँ वो सही है पर अभी आप पहले पानी भरे फिर हम सब भरेंगे।
शालिनी सब की बातों का सम्मान करते हुए पहला मटका भरने लगती हैं ,शालिनी यह सब कुछ अपने व्यायाम का हिस्सा मान कर करती हैं,सब गांव की महिलाओं को भी अच्छा लगता हैं की बड़े घर के होने के बावजूद शालिनी उसकी की तरह पानी भरने यहां तक आयी ,बाद में सब एक एक करके अपना पानी भरकर अपने अपने घर जाने लगती हैं वो दृश्य भी बड़ा मनोहर था जब गाव की महिला घाघरा ब्लाउज पहने सिर पर मटका रखकर पनीहारी बनकर पानी भरकर चलती हैं, इन सब मे शालिनी तारो के बीच पूर्णिमा के चंद्र जैसी थी,

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शालिनी दूसरी बार आकर अपना दूसरा मटका भरकर वापिस आती हैं ,उसका पूरा शरीर पसीने से भिगा हुआ था, उसके चेहरे, गले, स्तनों के उभार, कमर, सभी जगह पसीने की बूंदे चमक रही थी, वो थककर आकर पंखे के नीचे बैठ जाती हैं,

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बाबुजी : मैंने कहा था की थक जाओगी,
शालिनी : थकी हूं पर मुझे आनंद आया
बाबुजी : तुम आराम करो ,आज खाना में बनाऊँगा, और मुझे कोई दलील नहीं सुननी
बाबुजी सारा खाना बनाते हैं और शालिनी को पुकारते हैं,

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शालिनी खाना खाने नील को लेकर आती हैं,और उसे अपनी गोदी में रखकर पल्लू ओढ़कर नील को स्तनपान करवाने लगती हैं और दोनों खाना खाने लगते है।
शालिनी : वाह! बाबुजी आपके खाने का ज़वाब नहीं,
बाबुजी : इतना भी अच्छा नहीं है
दोनों खाना खाते हैं फिर शालिनी को दवाई लेने जाने का याद आता है,
शालिनी : बाबुजी आप नील को सुला देना में आकर सारा काम कर दूंगी, मुझे देर नहीं लगेगी
शालिनी कार लेकर तुरत दवाई लेने जाती हैं
डॉक्टर : मुझे लगा आप भूल गए
शालिनी : नहीं मुझे याद ही था, पर आज थोड़ी भागदौड़ में रह गया
डॉक्टर : क्या हुआ था?
शालिनी सारी घटना बताती हैं, फिर दवाई लेकर जाने लगती हैं
डॉक्टर : दवाई लेने के एक सप्ताह बाद आना वो थोड़ा दुध का रिपोर्ट कराना होगा, जिससे पता लगेगा कि दवाई काम कर रही है कि और मात्रा बढ़ानी पड़ेगी,
शालिनी : ठीक हैं।
शालिनी वापिस घर आती हैं और बाबुजी नील को पालने में झुला रहे थे, शालिनी बाबुजी को देख मुस्करा देती हैं और सब बर्तन साफ करने लगती हैं ,

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सब काम पूरा करके और दवाई पीकर कमरे में आती हैं,

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तब तक नील भी सो गया था, बाबुजी भी अपनी कमीज निकाल देते हैं और सिर्फ बनियान और पाजामे पहने हुए थे, शालिनी बेड पर आकर बैठ जाती हैं।

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बाबुजी : अभी दवाई लेना इतना जरूरी था?
शालिनी : हाँ! अगर डॉक्टर चले जाते तो फिर दवाई कल मिलती, और यह दवाई की मुझे जल्द से जल्द चाहिए थी।
बाबुजी : एसी कौन सी दवाई है?
शालिनी : वो मेरे दुध की पौष्टिकता बढ़ाने के लिए है
बाबुजी को लगा कि शालिनी ने नील के लिए दवाई ली होगी,शालिनी अपने पल्लू को हटाकर लेट जाती हैं,

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जिससे शालिनी के ब्लाउज के अंदर के दोनों कबूतरों का उभार बाबुजी को नजर आता है, बाबुजी भी अब समझ गए थे की उनको क्या करना है, इसलिये बाबुजी खिसक कर थोड़ा नीचे आते हैं जिससे उसका चेहरा शालिनी के ब्लाउज मे कैद स्तनों के सामने आ जाता है, शालिनी को अच्छा लगा कि उसको बाबुजी को कहने की जरूरत नहीं पड़ी, शालिनी नीचे से एक-एक कर अपने दो हूक खोलने लगती हैं, और दो हूक को बंध रखती हैं और अपने ब्लाउज के निचले शीरे को ऊपर कर निप्पल तक उठा देती हैं, बाबुजी भी अपने होंठ को खोलकर निप्पल को अपने मुँह में लपक लेते है पर ब्लाउज की वजह से उसको पीने में थोड़ी कठिनाई रहती हैं, शालिनी का स्तन भी मानो पिचक कर बाहर आया हो एसा लग रहा था, कुछ देर चूसने के बाद बाबुजी से रहा नहीं जाता।
बाबुजी : क्या आप सारे हूक खोल सकते है?इस तरह से स्तनपान करने में तकलीफ हो रही हैं
शालिनी : ठीक है, अच्छा लगा कि आप बिना संकोच इस पर बात कर रहे हैं ,
शालिनी अपने ब्लाउज के बचे दो हूक भी खोल देती हैं,

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बाबुजी वापिस से स्तनपान करने लगते है, इस दौरान बाबुजी का हाथ शालिनी की कमर पर चला जाता है, शालिनी भी यह बात नोटिस करती हैं पर स्तनपान करते समय कई बार चाचाजी का हाथ भी उसकी कमर पर चला जाता था, इसलिए वो यह बात सामान्य लेती हैं, बाबुजी को स्तनपान करवाकर शालिनी अपने ब्लाउज के हूक बंध करके चाचाजी के सिर को अपने सीने से लगाकर सुलाती है,
शाम को दोनों जागने के बाद चाय पीते हैं और शालिनी नील को स्तनपान करवाती है, तभी सरला का फोन आता है कि कल तालाब पर नहाने जाने का याद दिलाती हैं।
रात को खाना खाने के बाद शालिनी बारी-बारी से नीरव और चाचाजी से फोन पर बातें करते हैं,

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फिर नील को स्तनपान करवाकर सुला देती हैं, नील ने अभी एक स्तन से ही दुध पिया था इसलिए शालिनी दूसरा स्तन बाबुजी को पिलाकर सुला देती हैं,
Duper erotica update and nice story
 
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Vegetaking808

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Part 2
सुबह शालिनी योग करके बाबुजी को नहलाने लगती हैं, फिर जब वो अपना हाथ मुँह धोकर साड़ी पहन लेती हैं फिर नील को स्तनपान करवाकर बाबुजी का नास्ता बनाती हैं,

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सब गंदे कपड़े एक टब में डालकर वो गाव की ओर चलने लगती हैं रास्ते में सरला और रसीला मिलती हैं और सब साथ में तालाब पहुचते है, तब कुछ औरते पहले ही आ गई थी जो अपने अपने कपड़े धो रही थी,

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और कोई नहा रही थी, शालिनी भी पहले कपड़े धोने जाती हैं, अब कि बार शालिनी बिना किसी डर या संकोच के आयी थी, सब आपस में हसी मज़ाक करती हैं, कभी द्विअर्थी बाते भी कर लेती ,जब कपड़े धोकर शालिनी तालाब के नहाने वाले हिस्से की ओर आती हैं तब वो किनारे पर आकर थोड़ी देर रुक जाती हैं
फिर धीरे-धीरे चलते हुए पानी मे जाने लगती हैं,

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शालिनी सरला और रसीला के साथ खेल रही थी
रसीला : बहुरानी ! अब भी आप शर्मा रही हैं?
शालिनी : नहीं तो! आपको एसा क्यूँ लगा?
रसीला : आप अब भी सारे कपड़े पहने हुए हैं, मुझे और सरला को देखो, हमने अपनी साड़ी और ब्लाउज निकाल दिया है,

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घर पर भी आप एसे नहाते हो?
शालिनी : एसी बात नहीं है।
शालिनी अपना ब्लाउज निकाल कर किनारे पर फेंक देती हैं, और पल्लू से स्तन ढंक देती हैं ,पल्लू गिला होने से वो शालिनी से स्तन से चिपक गया था, जिससे उसके स्तन का आकार और तनी हुई निप्पल साफ़ दिख रही थी,
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Screenshot-20251005-081612-Instagram सब महिला एकदूसरे से मज़ाक करते हुए नहाने लगती हैं, तभी शालिनी सरला को लेकर किनारे आती हैं और अपने फोटो खिंचवाने लगती हैं

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और वो तालाब से बाहर आ रही हो एसा वीडियो बनाती हैं, RDT-20240411-115337-2 सब महिला शालिनी के इस फोटोसेशन देख रही थी और शालिनी के सौंदर्य को निहार रही थी, वो सोच रही थी कि काश उसका भी एसा बदन होता, काफी सारे फोटो खिंचवाने के बाद शालिनी सब के साथ एक समुह फोटो खिंचवाते है और सब महिला तालाब से बाहर आती है ,शालिनी और सब महिला अपने अपने घर जाते हैं।
(रसीला का घर.....)
रसीला अपने घर पहुंचती हैं,

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तब उसकी सास सब्जी लेने गई थी, घर पर उसके ससुर ही थे, रसीला अपने कमरे में आकर अपनी बच्ची को स्तनपान करवाती हैं, फिर उसको सुलाकर अपने ससुर को दूसरे कमरे में बुलाती है ,ससुर को वो अपनी गोदी में सुलाकर अपने ब्लाउज को ऊपर करके निप्पल को अपने ससुर के मुँह के पास रख देती हैं,

RDT-20251103-192933-1 एक जवान स्त्री के दुध से भरे तने हुए निप्पल वाले गोरे गोरे स्तन को अपने सामने परोसा हुआ देख बुढ़े ससुर के मुँह में पानी आ जाता है, वो तुरत निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगते है, कभी-कभी चूसने की गति ज्यादा होने से सुन्दरलाल के मुँह में भरा दुध बाहर आ जाता, जिसे देख रसीला हँस देती और ताना भी मारती
रसीला : ससुरजी ! इस क़ीमती दुध को आप एसे ना बिगाड़े, अगर अभी आपकी जगह कोई और होता तो इसकी एक बूंद भी जाया ना करता,आपको सामने से मिल रहा हैं इसलिए आप इसकी कदर नहीं करते,
तभी उसकी सास आती हैं, और अपने पति को अपनी बहु से स्तनपान कर्ता देख अपने पति को ताना मारती है
सास : इस बूढ़े आदमी को भी कोई काम नहीं है, जो अभी भरी दोपहर में पीने बैठ गया
रसीला : माँ जी! आप बाबुजी को कुछ ना कहे, मैंने ही उससे कहा था, वो मुन्नी को पिलाया पर उसने पूरा पिया नहीं, इसलिए बाबुजी को पीला रही हूँ।

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सासु : लगता है तुम भी ना अपने ससुर को इसकी लत लगा दोगी
रसीला : अच्छा होगा तो फिर, इसमें बहुत आता है, इसी बहाने मुझे भी राहत मिलेगी, बाबुजी! मेरी तरफ से आपको पूरी सहमती है कि आप कभी भी मेरा दुध पी सकते हो, हाँ पर जब हम घर पर हो,
तभी बुजुर्ग मौसी रसीला की सास को मिलने आती हैं, जब मौसी रसीला की सास को पुकारती हुई अंदर आती हैं पर रसीला के पास इतना समय नहीं था कि वो अपने ससुर से अलग होकर खड़ी हो सके, इसलिये वो खुद को नियति के भरोसे छोड़ देती हैं, रसीला को अपने ससुर को गोदी में लेटा हुआ देख मौसी हैरान होती है, पर ज्यादा नहीं, क्योंकि उसने कई महिला को यह करते हुए पहले भी देखा था,मौसी कोई प्रतिक्रिया नहीं देती और खटिया पर बैठ जाती है,

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और रसीला की सास से बातें करने लगती हैं, रसीला की सास उसे सारी बात बताती है कि रसीला कैसे अपने ससुर को स्तनपान करवाने लगी
इसे सुन मौसी रसीला की प्रसंशा करती हैं ,थोड़ी देर में रसीला के स्तन में दुध खत्म हो जाता है और वो अपने ब्लाउज को बंध करके अपने ससुर को उठा देती हैं सुन्दरलाल शर्म के कारण तुरत बाहर चले जाते हैं जिसे देख सब हसने लगती हैं।

(सरला के घर...)
सरला के घर पहुचते ही सरला सब गिले कपड़े सुखाने लगती हैं, कभी कभी वो अपने गिले बाल भी छिटक देती, वो अपने पल्लू को कमर में लगाकर जल्द से जल्द कपड़े सुखाने लगती हैं

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क्युकी उसे तेज धूप लग रही थी, जब वो कपड़े सुखाने के लिए अपने पैरों से थोड़ा ऊपर होती उसकी पतली लचकदार कमर काफी सुंदर दिखती जिसे उसका ससुर मनोहर देख रहा था,

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उसे देख मनोहर के अंदर का पुरुष जाग जाता है, वो खड़ा होता है और सरला के पिछे सट कर खड़े हो जाते हैं

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और अपने हाथ को सरला की कमर पर रख दबा देते हैं, जिससे सरला की सिसकी निकल जाती हैं, मनोहर अपनी बहु के शरीर पर अपने हाथ घुमाने लगता है, और अचानक से सरला की गर्दन चूमने लगता है,कभी जीभ से चाट भी लेता, नहाने की वजह से सरला के शरीर से साबुन की खुशबु आ रही थी, जिससे मनोहर ज्यादा आकर्षित होता है।
सरला : बाबुजी ! कुछ देर रुकिए ना! बस थोड़े ही कपड़े बचे हैं, फिर आपको भूख भी लगी होगी
मनोहर : तुम्हारा यह रूप देख के रहा नहीं जाता, तुम काफी सुंदर और आकर्षक लग रही हो, वो अंग्रेजी में क्या कहते है? हां ...! सेक्सी..सेक्सी लग रही हो
सरला : वो तो मे आपको हर समय लगती हूं, और आपने आज सुबह ही मुझे संतुष्ट कर दिया था, उसकी थकान भी अभी नहीं मिटी की आप मुझे और ज्यादा थकाने की सोच रहे हैं
मनोहर : पर थकान से ज्यादा आनंद भी तो मिलता है, संतुष्ट होने की खुशी में पूरा दिन तुम्हारा यह चांद सा चेहरा खिला खिला रहता है जिसे देख मुझे सुकून मिलता है।
सरला : मुझे अभी खाना बनाना है, और थोड़े काम भी बाकी है
मनोहर : वो सब बाद में होता रहेगा, अभी तुम ताजा कली जैसी हो तुम्हें फूल बना कर भंवरे की जैसे तुम्हारा रस चखना है ,
सरला : बातें बनाना कोई आप से सीखे,अगर आपकी जगह आपका बेटा होता तो सुबह की मस्ती के बाद पूरा दिन सुस्त होके घूमता रहता, मेरे से ज्यादा वो थक जाते।
मनोहर : अभी तो मैं थका हुआ नहीं हूं और तुम भी तरोताजा हो,
सरला : आपको भूख लगी होगी, मे खाना बना देती हूं,
सरला कोई भी बहाना करके बचना चाहती थी, क्योंकि उसे थोड़ा आराम करना था,पर वो उस चरमसुख का भी एहसास फिर से करना चाहती थी ,
मनोहर : मैं कुछ और क्यू खाउ?जबकि मेरा स्वादिष्ट भोजन मेरे सामने हो, इससे मीठा कुछ नहीं हो सकता, इसके आगे सारे पकवान फीके है।
एसा बोलते हुए वो सरला के गले से शुरू करके उसके नितंबों तक हाथ फिराते हुए आनंद ले रहे थे,फिर मनोहर सरला के पल्लू को गिरा देते है, सरला बस खड़ी होकर इस क्षण को मेहसूस कर रही थी,

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मनोहर अपने हाथ को ब्लाउज के ऊपर से ही स्तनों को दबाने लगते हैं, उत्तेजना मे जब कुछ ज्यादा जोर से दबाया तब सरला की हल्की चीख निकल जाती हैं ,

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और वो पीछे हटकर दूर जाने लगती हैं तब मनोहर पल्लू पर पैर रख कर सरला को रोक लेता है क्योंकि सरला की बाकी की साड़ी उसकी कमर में बंधी हुई थी,
सरला यह देख मुस्कराती है और मनोहर झुककर पल्लू उठा लेते हैं और खींचने लगते है, तब सरला गोल गोल घूमने लगती हैं जिससे साड़ी उसके शरीर से अलग हो रही थी,

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जब सारी साड़ी निकल जाती हैं तब सरला अपने हाथों से अपने स्तनों पर रख देती हैं, तब मनोहर उसके पास आकर उसके हाथ हटाते है
मनोहर : इस सौंदर्य को छुपाते नहीं, पर अपने प्रिय व्यक्ति को दिखाकर उसे खुश करते हैं
मनोहर सरला को खटिया पर लेटाता है, मनोहर अपनी बहु के स्पाट पेट और उसके बीच की गहरी नाभि देख उसे अपने चुंबन से भिगोने लगता है, कभी जीभ से चाट कर अपने थूक से भिगा देता है, फिर खिसकता हुआ ऊपर आकर शालिनी के स्तन जो ब्लाउज से बाहर आ रहे थे उसपर अपने चुंबन की बारिश करने लगता है, शा
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लिनी इस सुख से आंखे बंध कर के बस लेटी रहती हैं और अपने ससुर की सारी हरकतों का आनंद लेती हैं
मनोहर अपनी बहु के चेहरे को ऊपर करते हैं और उसके चेहरे पर उंगली फेरते है, फिर दोनों हाथ से सरला के स्तनों पर ले जाते हैं
सरला : जोर से मत दबाना, मैं कहीं भागी थोड़ी जा रही हूं।
मनोहर फिर खड़ा होता है और सरला भी अब उसके पास खड़ी हो जाती हैं ,मनोहर अपना चेहरा अपनी बहु के पास लाता है और अपने होंठ को सरला के होंठ पर रख कर चूसने लगता है, सरला भी अपने ससुर का पूरा साथ दे रही थी,दोनों एक-दूसरे की जीभ भी चूस लेते,

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मनोहर सरला के नितंबों पर हाथ रख कर उसे अपनी ओर खींचता है, कुछ देर बाद. मनोहर सरला के ब्लाउज को खोलने लगता है, ब्लाउज के हूक खोल ब्लाउज को सरला के शरीर से अलग कर्ता है,सरला शर्म से फिर से अपने स्तनों को हाथों से छुपा लेती हैं,

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मनोहर प्यार से उसके हाथ हटाकर अपने हाथ से सरला के स्तन सहलाने लगता है,

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अपनी दो उंगली के बीच निप्पल दबा देता है, जिससे सरला की कामुक सिसकी निकल जाती हैं।
मनोहर थोड़ा झुककर सरला के स्तनों को चूसने लगता है,और दूसरे हाथ से दूसरा स्तन मसले जाता है, दोनों के बीच कामुकता का आगमन हो चुका था, सरला अपने ससुर का सिर अपने स्तनों में दबाने लगती हैं, दोनों स्तनों को काफी देर चूसने के बाद मनोहर अपनी बहु की कमर पकडकर उसकी नाभि को चूमने लगता है, कभी अपनी जीभ भी उसकी गहरी नाभि में घुसा देता, सरला के शरीर में तेज सिहरन दौड़ जाती हैं, और उसके सारे रोंगटे खड़े हो जाते है, उसकी आंख बंध हो जाती हैं, उसकी साँस थोड़ी तेज हो जाती हैं, सरला को यह भी पता नहीं चला कि कब उसके ससुर ने उसके घाघरा की डोरी खोलकर नीचे गिरा दिया है,
उसने घाघरा के नीचे कुछ नहीं पहना था, क्योंकि गर्मी की वजह से अब उसने अपने आन्तरिक वस्त्र पहनना बंध कर दिया था, मनोहर को भी अच्छा लगता था, क्योंकि उसे सीधे सरला का कामुक शरीर दिखने मिल जाता, अब सरला पूरी तरह से नंगी खड़ी हुई अपने योनि और स्तनों को छुपाने का असफल प्रयास करती हैं, वैसे उसे अब अपने ससुर से शर्म नहीं थी पर जब भी वो अपने अंगों को छुपाने का प्रयास करती तब उसके ससुर के चेहरे पर एक शैतानी कामुक हसी आ जाती,जो उसको खुश करती, मनोहर भी अपने बनियान को निकाल देता है पर अपने पाजामे को पहने रखता है और सरला के करीब आता है, जिसे देख सरला समझ जाती हैं कि पाजामे को उसे निकालना होगा, सरला हल्की मुस्कान के साथ अपने ससुर के पास आकर घुटनों के बल बैठ जाती हैं और पाजामे की गांठ खोलने लगती हैं, पाजामे के अंदर ही मनोहर का अजगर आजाद होने के लिए फडफडा रहा था,सरला पाजामे मे बने तंबु पर अपना हाथ फिराती है

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, जिससे वो ज्यादा तन जाता है,वो जैसे ही पाजामे को नीचे करती हैं तब अपने ससुर का लिंग फड़फड़ा कर बाहर आता है जैसे कोई बिल में हाथ डालकर सांप को छेड़ता है और जैसे सांप बाहर आता है,

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सरला पजामा उतरकर अपने ससुर के लिंग को अपने हाथों से सहलाने लगती हैं, मानो अभी भी इसके लिए पहली बार हो।
मनोहर : इसे अपना प्यार दो बहु, ताकि यह तुमको खुश कर सके
सरला अपने ससुर की बातों का मतलब समझ जाती हैं और लिंग को दोनों हाथों से पकडकर आगे-पीछे करने लगती हैं जब मनोहर की आंखे बंध होने लगती हैं तभी सरला उसके कठोर लिंग पर अपने कोमल गुलाबी होठों से हमला कर के अपने होठों से कैद करके अपने मुँह में भर लेती हैं,

Spiritual-Guide4 इस अचानक हमले से मनोहर की खुशी का ठिकाना नहीं रहता और अपने हाथ को सरला के सिर पर लाकर फिरने लगता है, जब सरला मुख मैथुन से अपने ससुर को आनंद दे रही थी तब मनोहर अपने हाथों से सरला के सिर पर दबाव बनाने लगता है ताकि ज्यादा से ज्यादा लिंग उसके मुहँ मे समा जाए ,

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Interracial-Porn-porn-blowjob-porn-oral-porn-6966462 सरला के मुँह से सिर्फ गुर्राने की आवाज आती हैं, जब उससे रहा नहीं जाता तब वो अपने ससुर की जांघों पर हाथ मारने लगती हैं, तब मनोहर अपनी पकड़ ढीली कर्ता है, जैसे ही पकड ढीली होती हैं सरला तुरत अपने मुँह से अपने ससुर के लिंग को बाहर निकाल देती हैं और खांसने लगती हैं।
सरला : बाबुजी ! आप एसा क्यूँ करते हो?मुझे कितनी तकलीफ होती हैं आपको पता है? एसा लगता है जैसे जान निकल जाएंगी
मनोहर : माफ करना बहु,मेरा मुझ पर नियंत्रण नहीं रहता, लगता है जैसे तुम्हारे होंठो में नशीली दवाई लगाई है इसके छुते ही मेरा लिंग अपना काम करना चालू कर देता है और दिमाग बंध हो जाता है
सरला : बातें मत बनाए, मुझे किसी दिन कुछ हो जाएगा तब आपकी अक्ल ठिकाने आएगी
मनोहर : में तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा, वो तो बस....
एसा बोलकर मनोहर सरला के होठों को फिर से चूमने लगता है और नंगी पीठ पर हाथ घुमाते घुमाते उसके नितंबों पर लाकर दबा देता है,

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जिससे सरला की सिसकारी अपने ससुर के मुँह में समा जाती हैं, धीरे धीरे सरला फिर से कामुक होने लगती हैं, अब मनोहर सरला के स्तन को मुँह में भरकर चूसने लगता है erotic-gif-45

और दूसरे स्तन को दबाने लगता है, सरला अपने ससुर का सिर अपने स्तनों में दबा रही थी
सरला : आह...! बाबुजी ,चूस लीजिए मेरे आम को, इसका सारा रस चूस डालिए, निचोड़ लो इसे, जितना हो सके उतना मुँह में लेके चूसें, आह..,मजा आ रहा हैं।
मनोहर सरला के कहने पर अपना पूरा मुँह खोलकर उसके स्तन को मुँह में ले लेता है, कभी कभी वो हल्के से काट लेते, जिससे सरला की कामुकता बढ़ने लगती, उसकी योनि में कामरस रिसने लगता है, स्तन को चूसने के साथ अब मनोहर सरला की योनि पर अपना मर्दाना खुरदरे हाथ सहलाने लगता है, जिससे सरला का खड़ा रहना भी मुश्किल हो जाता है, उसकी आँखें बंध हो गई थी, मनोहर अपनी बहु को प्यार से बिस्तर पर लेटा देता है ,सरला की सांसे तेज हो गई थी,

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मनोहर सरला के पैर को फैलाकर उसकी योनि को निहारने लगता है, कई बार इस योनि का भोग किया था पर इस छोटी सी तंग योनि का भोग उसे हर बार नया एहसास देता।
मनोहर काफी अनुभवी और माहिर खिलाड़ी था इस सम्भोग के खेल का, वो बखूबी जानता था कि एक औरत को कैसे चरम सुख दे सके ,और औरत के कौन से अंग को कैसे छुने, मरोड़ना,दबाना और सहलाना है, वो एक हाथ से सरला के स्तन को दबाता है और दूसरे हाथ के अंगूठे से योनि के भगोने को सहलाता है,
सरला को तो मानो स्वर्ग का आनंद मिल रहा हो वैसे अपने शरीर को ऊपर उठाने लगती हैं ,काफी देर एसा करने से सरला अपनी कमर को उठाकर किसी धनुष की तरह बन जाती हैं,

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और उसका रस बहने लगता है, जिससे सरला अपने आप को संभाल नहीं सकीं और धड़ाम से अपनी कमर गिरा देती हैं, उसके पैर थोड़े से थरथरा रहे थे, पर मनोहर जानता था अभी तो खेल शुरु किया है, वो अपनी बहु के जवान बदन को सहलाने लगता है, तब सरला फिर से समान्य होकर कामुक होने लगती हैं, अब मनोहर अपना दूसरा हमला करने तैयार हो जाते है, सरला के पैर को फैलाकर मनोहर उसकी कामरस से भरी योनि के पास अपने सिर को लाता है और कुछ क्षण उस कामरस की मादक गंध को सूँघ कर खुद कामुक हो जाता है और होठों से चूमने लगता है कभी-कभी वो अपनी जीभ से योनि सहलाता तो कभी जीभ को योनि के अंदर डाल देता,
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जिससे सरला के सारे रोंगटे खड़े हो जाते है और अपनी कमर को उठाने लगती, सरला किसी आनंद से सागर में गोते खा रही थी, लगातार अपने ससुर के होंठ और जीभ के सामने सरला हार मान जाति है और फिर से झड़ जाती हैं, अब कि बार सारा कामरस मनोहर के चेहरे पर चिपक जाता है, थोड़ा मनोहर चाट कर साफ़ कर देता था,
सरला : बाबुजी ! अब बस कीजिए, अब और मत तड़पाए,अब डाल दीजिए,
मनोहर : क्या और कहा डालना है?
सरला : धत..मुझे शर्म आती हैं ,आपको पता है सब फिर भी क्यूँ पूछ रहे हैं?
मनोहर : इसमें शर्माने से नहीं चलेगा, मैं तुम्हारे मुँह से सुनना चाहता हूं,
सरला पर अब काम हावी हो गया था, वो सम्भोग के लिए अपने ससुर की हर बात मानने को तैयार थी
सरला : आपका वो..वो मूसल मेरी मुनिया में डाल दो
मनोहर : एसे नहीं खुल के बताओ
सरला : आपका मूसल लंड मेरी बुर में डाल दो,
मनोहर : ये हुई ना बात
मनोहर सरला के ऊपर आता है और उसकी गर्दन चाटने लगता है और अपने लिंग को अपनी बहु के बुर पर टिका देता है, अब वह सरला के होंठ चूसने लगता है क्योंकि उसे पता था कि अब सरला की चीख निकलने वाली है, और मनोहर दबाव बनाते हुए अपने लंड को सरला की योनि मे दाखिल करने लगता है,

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जिससे सरला की आंखे दर्द चौड़ी होकर खुल जाती है पर उसकी आवाज़ अपने ससुर के मुँह में समा जाती है ,मनोहर धीरे-धीरे अपना लिंग अंदर बाहर करने लगता है कुछ धक्के के बाद सरला थोड़ी सामन्य होती हैं और अपने ससुर के पीठ पर हाथ घुमाने लगती हैं और जब मनोहर तेज धक्का लगाता तब वो उसकी पीठ पर अपने नाखुन गड़ा देती, जिससे मनोहर को ज्यादा जोश चढ़ जाता और वो थोड़ी देर के लिए अपनी गति बढ़ा देता, सरला अब सिसकियाँ लेते हुए अपने ससुर का पूरा साथ दे रही थी।
तभी मनोहर अचानक से अपना लिंग बाहर निकाल कर बैठ जाता है, सरला भी अपने आनंद में हुई रुकावट से हैरान होकर अपने ससुर की ओर देखने लगती हैं,
सरला : क्या हुआ बाबुजी? बाहर क्यूँ निकाला?
मनोहर : हम जो कर रहे हैं उसे सम्भोग कहते हैं मतलब " सम भोग "अभी मेने तुम्हें भोगा अब तुम मुझे भोगों, मेरे ऊपर आ जाओ,और अपने मन मुताबिक जैसे करना है वैसे करो
सरला भी बिना किसी देरी से अपने ससुर को धक्का देकर बिस्तर पर लेटा देती हैं और उसके ऊपर आकर उसे चूमने चाटने लगती हैं,
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जब वो अपने ससुर के लिंग के पास पहुंचती हैं तब लपक के उसको मुँह में ले लेती हैं

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और अपने हाथ से ससुर के हाथ पकड लेती हैं ताकि वो उसके ऊपर दबाव ना करे, सरला एक बार के लिए सारा लिंग मुँह में लेने की कोशिश करती है पर हलाक तक पंहुच ने के बाद भी लिंग पूरा नही ले पाती,

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काफी देर चूसने के बाद जब वो लिंग बाहर निकालती है तब लिंग पूरा थूक और लार से भिगा हुआ चमक रहा था, सरला अब लिंग को अपने स्तनों के बीच लेके ऊपर नीचे करने लगती हैं

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,मनोहर के मुँह से बस गुर्राने की आवाज आती हैं, अब सरला की योनि भी लिंग से मिलाप करना चाह रही थी, सरला अपने पैर को फैलाकर अपने ससुर के लिंग पर अपनी योनि का मुँह रखती हैं और धीरे-धीरे उसपर बैठने लगती हैं,सरला तब तक बैठती जाती हैं जब तक लिंग उसके योनि की दीवार से टकरा नहीं गया,अब सरला पूरा नियंत्रण लेते हुए अपने ससुर के ऊपर धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगती हैं,
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थोड़ी देर में जब लिंग अपनी लय में आने लगा तब सरला की कामुकता बढ़ जाती हैं और वो अपने ससुर के हाथ को लेकर अपने स्तनों पर रख देती हैं जो उसे बिना बोले दबाने का आमंत्रण था, मनोहर भी अपने दोनों हाथों से सरला के दोनों स्तनों को दबाने लगता है, मानो आटा गूँथने मिला हो, कभी निप्पल को उंगलियों से दबा देता जिससे सरला की सिसकारी निकल जाती, अभी सरला की कामुकता इतनी बढ़ गई थी कि उसे अब दर्द में भी मजा आने लगा था ,इसी दौरान सरला की योनि फिर से पानी छोड़ देती हैं, जिसे देख मनोहर समझ जाता है कि अब बहु पूरी तरह से कामुक हो चुकी हैं, इस लिए अब धीरे से नियंत्रण खुद लेना चाहता था, जब भी सरला अपने नितंबों को उठाकर नीचे लाती तब मनोहर अपने नितंब उठाकर अपने लिंग का प्रहार कर देता जिससे सरला की सिसकियाँ अपने दबे होठों में से निकल जाती हैं,

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उसे अब बस सम्भोग करना था, इसके लिए कुछ भी करना पड़े या कुछ भी सहना पड़े।
मनोहर को फिर एक खुराफाती विचार आता है ,वो सरला के पैरों को घुटनों के नीचे से उठा लेते हैं जिससे सरला गिरने से बचने के लिए अपने हाथों को पिछे ले जाकर अपने ससुर की जांघों पर टिका देती हैं अब मनोहर उठ उठ कर नीचे से धक्के लगाते जाता है, इस अचानक हुए नए तरीके के हमले से सरला के मुँह पर आनंद और दर्द का मिश्रित भाव थे,

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मनोहर भी मानो किसी गुड़िया को उठाते हैं वैसे सरला को उठाकर नयी मुद्रा में सम्भोग का सुख दे रहे थे,सरला अब अपने होश में नहीं थी उसका दिमाग बस चरमसुख की मांग कर रहा था।
काफी देर बाद मनोहर के हाथ दर्द करने लगते है इस लिए वो सरला को उठाकर बिस्तर पर बैठा देते हैं, और खुद भी बैठ जाता है और हाथ पकडकर सरला को अपनी गोदी मे बिठाते है और तना हुआ लिंग अपनी मंजिल ढूंढकर योनि मे जाना लगता है, 20251122-012621
सरला फिर से वो सुख मे गोते खाने लगती हैं, तभी मनोहर अपनी बहु को लेकर ही खड़ा हो जाता है,सरला संतुलन के लिए अपने हाथ को अपने ससुर के गले और पैरों को उसकी कमर पर लपेट लेती हैं, मनोहर भी अपनी बहु के नितंबों पर अपने हाथ रखकर उसे नीचे से सहारा देते हैं और उसी गोल नितंबों पर हाथ फेरकर उसकी गोलाई का नाप ले रहा था, फिर मनोहर सरला को नितंबों से उछालने लगता है मानो किसी रुई की गुड़िया को उछाल रहा हो, 1-640x480-11
जैसे ही सरला उछलकर नीचे आती तब ससुर का लिंग उसकी बच्चेदानी से टकरा जाता, जिससे उसको दर्द तो होता पर एक आनन्द भी होता, कभी भी उसके पति का लिंग उसकी योनि की इस गहराई तक नहीं गया था, और नाहीं कभी उसके पति ने एसे अलग अलग तरीके से सम्भोग का सुख दिया था, इसी तरीके के सम्भोग ने उसे अपने ससुर की दीवानी बना दिया था, अब सरला पूरी तरह से खुल जाती हैं उसके लिए अब उसके ससुर एक मर्द थे जो उसकी यौन ईच्छा और तड़प को पूरी कर रहे थे और उसको खानदान का वारिस देने वाले हैं,
सरला : आह...! पूरा घुसा दो, फाड़ दो मेरी चुत को,और जोर से करो, मुजे तहस-नहस कर दो, भले मेरी चीखें निकलने लगे अब रुकना नहीं जब तक कि आपका पानी ना निकले, मुझे बहुत मज़ा आ रहा हैं, में आपकी दीवानी हो गई हूँ,
मनोहर : मैं तो हमेसा तुम्हें यह सुख देना चाहता हूं, मे बहुत भाग्यशाली हूं जो तुम बहु के रूप में मिली, अब मैं जैसे बोलू और करूं वैसे करने देना फिर देखना कितना मजा आता है।
सरला : जो करना है और जैसे करना है वैसे करो मेरी पूरी सहमती है, वैसे भले में घर की रानी हूं पर चुदाई के समय आपकी गुलाम हूं आपको जैसे ईच्छा हो वैसे करिए में आपकी सारी ईच्छा पूरी करूंगी,
इतना बोल सरला अपने ससुर को चूमने लगती हैं, मनोहर भी चलते चलते सरला को दीवाल से सटा देता है और उछालने लगते है जिससे उसके हाथ पर वजन कम हो जाता है,काफी समय तक एसे करते हुए मनोहर अचानक से सरला को और ज्यादा ऊपर करने लगते है और जिससे उसके पैर उसके गले तक आ जाते हैं और उसका एक हाथ अपने ससुर के बालों में और एक हाथ ऊपर उठ जाता है
जाते है, अब मनोहर के चेहरे के सामने उसकी बहु की कामरस से भरी गिली योनि थी,मनोहर उस कामरस की महक से उसकी ओर खींचे चले जाते हैं और अपने होंठ को योनि पर रख देते हैं, सरला इस तरह के हमले से उसकी खुशी दोगुनी हो जाती हैं,

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सरला की आंखे बंध हो जाती हैं और अपने ससुर के बालों को अपनी मुट्ठी में भींच लेती हैं और उसकी सांसे तेज होने लगती हैं, तभी मनोहर अपनी जीभ को अपनी बहु की योनि के भीतर डाल देता है, जिससे सरला की योनि फिर से काम रस छोड़ रही थी, कुछ देर एसे ही योनि का रसपान करने से मनोहर का लिंग तन कर खंभा हो गया था, उसे महसूस होता है अब ज्यादा देर खुद को झड़ने से नहीं रोक पाएगा, इस लिए वो अपनी बहु को नीचे उतारकर अपने लिंग पर ले आता है, सरला अभी मानो नींद में हो वैसे बस आप अपने ससुर का साथ दे रही थी, मनोहर सरला को अपने लिंग पर उछलते हुए बिस्तर के पास आते हैं और बिस्तर पर फैंक देता है,

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सरला आंखे खोल देखती हैं कि तने हुए लिंग को सहलाते हुए अपने ससुर उसके ऊपर आ रहे थे, सरला भी अपने पैर फैलाकर उसका स्वागत करती हैं, मनोहर सरला के ऊपर आकर कुछ क्षण के लिए उससे आंखे मिलाते है ,सरला भी अपने ससुर की आँखों में विश्वास और प्रेम से देख रही थी
जब सरला तेज सांसे को अंदर लेती तब उसके तने हुए निप्पल अपने ससुर की छाती को छुते और नीचे आ जाते, सरला आँखों से अपने ससुर को उसे तृप्त करने की सहमती देती हैं, मनोहर भी आखिरी बाज़ी खेलने को अपने को तैयार करते हैं, मनोहर सरला के पैर को फैलाकर अपने लिंग को योनि के छोर तक डाल देते हैं और किसी इंजन के पिस्टल की तरह चलने लगता है, सरला की कामुक सिसकियाँ और कामुक बाते वातावरण को ज्यादा कामुक बनाते है और मनोहर के जोश को बढ़ाती हैं।
सरला : आह..आह..! करते रहिए..करते रहिए.. चोद डालो अपनी बहु को, मेरे अन्दर अपने वंश का अंश डाल दीजिए, बना दीजिए आपके बच्चे की माँ, बहुत मजा आ रहा हैं,
मनोहर : आह..ये लो मेरा मूसल लंड,जो तेरी कोख को भर देगा और तुझे माँ बनाएगा, यह तेरे गोल संतरे जैसे स्तन को तरबूज जैसा बना दूँगा उस बिरजू के बहु जैसे, जिससे मेरा बेटा, पोता और मैं हम सब तुम्हारा दूध पी सके,
सरला : पीला दूंगी पूरे परिवार को पीला दूंगी, आप बस एसे ही करते रहिए आप इतनी मेहनत कर रहे हैं तो आपको मेहनताना मिलना ही चाहिए,
करीब 10 मिनट बाद तेज धक्के लगाते लगाते मनोहर और सरला एक साथ झड़ जाते हैं ,दोनों ससुर बहु इस घमासान से थक कर कुछ देर एसे ही नंगे चिपककर सो जाते हैं RDT-20251118-0340007236396864212518070
और सीधा शाम को जागते है एसे ही सब का अपनी दिनचर्या करते हुए दिन बीत जाता है।
 
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