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भाग -1
पिछले भाग में देखा कि शालिनी और रसीला अपने अपने ससुर को स्तनपान करवाने में सफल रही।
रसीला ने अपने ससुर को स्तनपान करवाकर खाना बनाने चली गई, दोपहर में खाना खाने के बाद रसीला ने अपने बच्चे को स्तनपान करवाया,जिसका एक स्तन में ही पेट भर गया था।
रसीला : क्यूँ ना हम सब साथ ही सो जाए इससे बिजली भी बचेगी
सास : ठीक हैं,यही हॉल में सो जाते हैं, क्या तुम दुध पिलाने वाली हो?
रसीला : हाँ! मुन्नी ने एक से ही दुध पीया है, दूसरा भरा हुआ है
सास : तुम बीच में सो जाना
रसीला : ठीक हैं
सुन्दरलाल यह सब चुपचाप सुन रहे थे, तीनों साथ में सो जाते हैं, रसीला बीच में सो जाती हैं

और अपने ससुर की और करवट लेती है और अपने ब्लाउज के नीचे के दो हूक खोलकर ऊपर उठाकर अपने स्तन को बाहर निकालती है जिसे देख सुन्दरलाल जैसे लोहा चुंबक की ओर आकर्षित होता है वैसे आकर्षित होकर उसके नजदीक जाने लगते है,

रसीला : माँ जी! लगता है बाबुजी अभी भी भूखे हैं
सास : इसके लिए हर मर्द भूखा रहता है।
सुन्दरलाल सब अनसुना करके अपने काम पर ध्यान देते हुए निप्पल को अपने होठों की बीच कैद कर चुस्की लेते हैं जिससे दुध की धारा उसके मुँह में भर जाती हैं रसीला के मुँह से सुकून की " आह " निकल जाती हैं ,सुन्दरलाल भी खुशी खुशी चूसने लगे थे,

रसीला : बाबुजी! आप भी चूसने में बढ़िया है, लगता है इस घर के सारे मर्द स्तन चूसने में बेहतर है ,काफी बेहतर। लग रहा है।
रसीला बारी बारी से अपने दोनों स्तन का दुध अपने ससुर को पीला देती हैं ,पेट भरने से सुन्दरलाल की आंखे भारी होने लगती है और रसीला भी ब्लाउज सही करके सो जाती है ,शाम को जब सब जागकर बाहर आँगन मे आते हैं रसीला अनाज सही करने लगती हैं और उसकी सास उसके पास बैठकर मदद कर रही थी, और सुन्दरलाल खटिया पर बैठे थे, तभी रसीला का फोन बजता है, जो उसके पति का था रसीला के पति ने यह कहने फोन किया था कि उसको काम के सिलसिले में दो दिन के लिए बड़े शहर जाना पड़ेगा।
रसीला यह सब अपने सास ससुर को बताती हैं
रसीला : मज़ाक में..)लगता है बाबुजी की किस्मत अच्छी है
सास : बाबुजी के चक्कर में मुन्नी को मत भूल जाना,
रसीला : बिल्कुल, माँजी!
रसीला अपनी बच्ची को स्तनपान करवाती हैं तब सुन्दरलाल उसे ही देख रहा था, मानो अपनी बारी आने का इंतजार हो, रसीला उसको देख मुस्कराने लगती हैं
रसीला : बाबुजी ! चिंता मत करिए मुन्नी सारा नहीं पी सकती, आपके लिए काफी सारा बचेगा
रसीला की बच्ची एक पूरा स्तन भी नहीं पी सकीं रसीला उसे पालने में डाल कर सुलाती है, उसकी सास पालना झुलाते है, ताकि रसीला अपने ससुर को स्तनपान करवा सकें
रसीला : चलिए बाबुजी ! कमरे में आइये ,फिर मुझे खाना बनाने जाना हैं।
रसीला और उसके ससुर दोनों कमरे में जाते हैं, रसीला अपने ससुर को अपनी गोदी में लेटा कर अपने ब्लाउज के दो हूक खोल के ऊपर उठाकर अपने सफेद कबूतर को बाहर निकालती है,

जैसे ही रसीला ने अपने कबूतर को बाहर निकाला वैसे तुरत ही उनके ससुर किसी बिल्ली की तरह झपट लगाकर अपने मुँह में अपना शिकार ले लेते है और चूसने लगते है।
रसीला : अरे! बाबुजी तनिक धीरे, मैं कहा भागी जा रही हूं, यह अब सारा आपका ही है, आराम से पीए
रसीला का ससुर आराम से चूसने लगते है, तभी आँगन में दो लोगों की बातचीत की आवाज सुनाई देती हैं, दोनों को थोड़ा डर लगता है, रसीला आवाज को ध्यान से सुनकर पहचानने की कोशिश करती है कि कौन आया है, एक आवाज तो उसकी सास की थी पर दूसरी आवाज सुनकर रसीला की आंखे चौड़ी हो जाती हैं और चेहरे पर थोड़ी परेशानी दिखने लगती है क्युकी वो दूसरी आवाज उसके देवर राजू की थी।
रसीला : यह आज कैसे आ गया?ये तो दो दिन बाद आने वाला था, बाबुजी थोड़ा जल्दी जल्दी पीए।
(कुछ देर पहले आँगन में...)
रसीला की सास अनाज सही कर रही थी तभी घर के दरवाजे पर दस्तक होती हैं, रसीला की सास डर के धीरे से दरवाजा खोलती है और वह देखती हैं, उसका बेटा राजू है, वो भी हैरान हो जाती हैं
सास : बेटा! तू...तू आ गया?पर...
राजू : अपने घर आने से पहले मुझे बताना पड़ेगा?
सास : नहीं एसी बात नहीं, वो तो तुम कह रहे थे कि दो दिन बाद आओगे इसलिए।
राजू को एहसास होता है कि उसकी माँ उससे कुछ छुपा रही हैं,
राजू : माँ ! पहले भीतर तो आने दे
सास : हाँ..हाँ आजा बेटा
राजू : में दो दिन बाद आने वाला था पर शहर जाकर पता चला जो प्रमाणपत्र मुझे चाहिए थे वो में घर पर भूल गया हूं, मेने भाभी को दिए थे सम्भालने के लिए,
वर्तमान में...)
राजू : चिल्लाकर...)भाभी...भाभी! कहा हो? मेरे प्रमाणपत्र कहा रखे हैं?
सास : वो...वो कमरे में आराम कर रही हैं
राजू : ठीक है मे कमरे में जाकर मिल लेता हूं
सास : नहीं...नहीं...उसे आराम करने दो,
राजू : मैं परेसान नहीं करूंगा
एसा कहकर राजू कमरे का दरवाजा खोल अंदर आता है और देखता है उसके पिताजी उसकी भाभी के गोदी में लेटे हुए हैं, राजू को देख रसीला अपना पल्लू ढक देती हैं,

बाहर रसीला की सास अपना सिर पकडकर बैठ जाती हैं, क्योंकि अब आगे क्या होगा उसकी चिंता होने लगती हैं,
राजू : भाभी! यह क्या है?बाबुजी आपकी गोदी में लेटे हुए हैं,
रसीला भी अब सोचती है कि अब छुपाने का कोई फायदा नहीं है, इसलिये वो राजू को सब बताती हैं

रसीला : राजू! पहले बैठो! मेरी बात सुनो, जब तुम दो तीन का कहकर गए और तुम्हारे भैया भी नहीं आने वाले थे,और तुम्हें तो पता है की मुझे कितना सारा दुध आता है ,जब दुध भरने लगा तब दर्द से मेरी हालत खराब हो गई, मुन्नी ने भी कम पिया, इसलिए मजबूरन मुझे बाबुजी को पिलाना पड़ा, मैंने माँजी से सहमति लेकर यह किया है
राजू : मैं आपकी बात समझता हूं भाभी ,मुझे कोई शिकायत नहीं ,आप खुश और स्वस्थ रहे बस यही मैं चाहता हूं,
रसीला : मेरे प्यारे देवरजी आप इसलिए मेरे फेवरेट है ,
राजू : आप आराम से पिताजी को पिलाए मैं टीवी देखता हूं पर रात को मुझे मेरे हिस्से का दूध चाहिए,क्योंकि अन्न प्रासन के बाद पहले अधिकार मेरा है

रसीला : लगता है आप बड़े हो गये हों देवरजी ,बड़े अधिकार की बातें करने लगे हो, लेकिन भूलिए मत सामने आपके पिताजी है,
राजू : माफ कीजिए भाभी, मेरा यह मतलब नहीं था, ठीक है फिर हम दोनों एक एक स्तन से दुध पियेंगे,
रसीला : यह अच्छा उपाय है ,लेकिन ध्यान रहे यह बात अभी तुम्हारे भाई को पता ना चले, समय आने पर मैं खुद बता दूंगी
बाबुजी को स्तनपान करवाकर रसीला खाने की तैयारी में लग जाती हैं ,राजू अपने प्रमाणपत्र को अपने बेग में रख लेता है, रात को सब खाना खाते हैं और रसीला अपनी बेटी को स्तनपान करवाती हैं
राजू : भाभी में यह अधूरा स्तन नहीं पाऊँगा
रसीला : चिंता मत करो तबतक भर जाएंगे, लेकिन पहले बाबुजी को पिलाकर फिर तुम्हारी बारी, क्योंकि तुम वैसे भी देर रात मोबाइल में घुसे रहते हो, बाबुजी को पहले पिलाकर जल्दी सुला दूंगी
राजू : नहीं भाभी ! कल मुझे सुबह जल्दी बस में जाना है, इसलिए मुझे जल्दी सो जाना हैं, आप पहले मुझे पीला देना फिर पिताजी को आराम से पिला देना
रसीला : ठीक हैं
रसीला सब काम निपटाकर राजू को अपनी गोदी में आने को कहती है ,राजू पूरा भरा हुआ स्तन अपने मुँह में लेकर चूसने लगता है, जल्दी जल्दी चूसने से "चप चप " आवाज आती हैं,

सुन्दरलाल खटिया में लेटे लेटे अपनी बारी आने की राह देख रहे थे ,रसीला की सास सब के लिए बिस्तर लगाती हैं
सुन्दरलाल : मेरा बिस्तर भी नीचे लगाना, आज मैं जमीन पर सोने वाला हूं ,
रसीला की सास चार बिस्तर लगाती हैं, पहले बच्ची का पालना फिर उसके पास रसीला की सास, उसके बगल में रसीला बाद मे उसके ससुर और आखिर में राजू,

राजू को स्तनपान करवाकर सब अपनी जगह आकर लेट जाते हैं ,जब रसीला अपने ससुर को स्तनपान करवा रही थी तब राजू रसीला को देख मुस्कराता है और सो जाता है, रसीला भी अपने ससुर को स्तनपान कराकर ब्लाउज के दो हूक बंध करके सो जाती हैं।
दूसरे दिन राजू अपने प्रमाणपत्रों को लेकर शहर चला जाता है और रसीला अपने रोजमर्रा के कामों में लग जाती हैं, सुबह नास्ता करने के बाद अपनी बच्ची को स्तनपान कराकर बचा हुआ दुध अपने ससुर को पीला देती हैं, अब वो जब भी स्तन में दुध भर जाता तब वो अपने ससुर को स्तनपान करवा देती, अब घर के सभी सदस्य इस बात से सहज हो गए थे
(आज के दिन...दोपहर)
शालिनी बाबुजी को स्तनपान करवाकर सुला देती हैं ,

शाम को शालिनी चाय बनाकर बाबुजी के साथ पीने लगती हैं,

तभी दरवाजे पर दस्तक होती हैं शालिनी दरवाजा खोलती है और देखती हैं गौशाला वाली महिला आयी हैं
शालिनी : अरे आप! आइए आइए ..
महिला : वो सुना कि सरपंचजी की तबीयत खराब है तो देखने चली आई
शालिनी : बहुत अच्छा लगा कि आप आई, अभी काफी सुधार आया है,
महिला : मेने सुना कि कमजोरी आ गई थी ,इसलिए मे ताजा गाय का दुध लायी हूं जिससे सरपंचजी को ताकत मिलेगी।
बाबुजी मना करने वाले थी कि शालिनी ने बीच में टोक दिया..
शालिनी : आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, इससे बाबुजी को राहत मिलेगी,
थोड़ी इधर-उधर की बातें कर वो महिला चली जाती हैं
शालिनी : बाबुजी आप यह क्या करने वाले थे
बाबुजी : में तो कहने वाला था कि इससे गैस होती हैं, में नहीं पी सकता
शालिनी : फिर वो कहती की हर रोज तो बहुरानी लेने आती है इसका क्या?आप यह दुध नहीं पीते तो फिर आप कैसे ठीक हुए?फिर क्या जवाब देते?
बाबुजी : यह बात मेने सोची नहीं
शालिनी : और वो इतने स्नेह से लायी थी तो उसको बुरा भी लगता
बाबुजी : फिर इस दुध का क्या करे?
शालिनी : अभी ताजा है तो थोड़ा सा पी लीजिए, बाकी सारा कहीं ना कहीं उपयोग हो जाएगा
बाबुजी को अब गाय का दूध नहीं पीना था क्युकी अब शालिनी के दूध का स्वाद जो चख लिया था, पर वो शालिनी की खातिर थोड़ा पी लेते हैं, तभी नील के रोने की आवाज आती हैं ,बाबुजी उसे लेने के लिए खड़े होते है कि उसके आँखों के सामने अंधेरा हो जाता है जिससे वो तुरत से बैठ जाते हैं, सायद कमजोरी की वजह से हुआ होगा ,शालिनी बाबुजी को लेटाकर नील को लेकर आती है, फिर बाबुजी के लिए पानी लाती हैं।

शालिनी : मन में..)लगता है मुझे अपने दूध की पौष्टिकता बढ़ानी होगी
पानी पीने के बाद बाबुजी आंखे बंध कर के लेटे रहते हैं, शालिनी दुपट्टा ओढ़कर पास रखी खटिया पर बैठकर नील को स्तनपान करवाने लगती है ,कुछ देर बाद बाबुजी धीरे से आंखे खोलकर देखते हैं ,शालिनी नील को स्तनपान करवा रही हैं ,शालिनी बाबुजी को देख मुस्करा देती हैं, नील भूखा होने से काफी सारा दुध पी लेता है, अब सायद दूसरा स्तन आधा भरा हुआ है।
शालिनी : शर्माते हुए...)बाबुजी ! क्या आप थोड़ा सा ताजा दुध पीना चाहेंगे ?
बाबुजी : मज़ाक में..)मुझे चार पैर वाली गाय का दुध नहीं पीना, अगर दो पैर वाली का है तो पी लूँगा
शालिनी : दो पैर वाली का है,
शालिनी नील को खटिया में लेटा कर बाबुजी की खटिया पर आती है ,और बाबुजी के सिर के पास आकर बैठ जाती हैं और बाबुजी का सिर अपनी गोदी में लेती हैं, दुपट्टा ओढ़कर अपने ब्लाउज के दो हूक खोलकर ऊपर उठाकर निप्पल को बाबुजी के होंठ के पास ले आती हैं, बाबुजी भी अपना कर्तव्य समझकर निप्पल को अपने होंठ मे समा लेते है और चूसने लगते है, शालिनी को नील और बाबुजी के स्तनपान करवाने में ज्यादा फर्क़ नहीं था, फर्क़ इतना था कि बाबुजी की चूसने की शक्ति ज्यादा थी, शालिनी को इससे कोई दिक्कत नहीं थी
करीब 5 मिनट बाद शालिनी का स्तन खाली हो जाता है, और वह अपने ब्लाउज के हूक बंध करके नील के साथ खेलने लग जाती हैं, फिर वो नीरव और चाचाजी को कॉल करती हैं,
रात को जब खाना खाने के बाद शालिनी सब काम कर रही थी

तब बाबुजी को अपने पहचान वाले कॉल करके उसकी तबीयत के हालचाल पूछते है, जब शालिनी सब काम पूरा करके आती हैं तब भी बाबुजी किसी से फोन पर बात कर रहे थे, नील को सुलाने तक भी एक के बाद एक कॉल आने लगे थे, शालिनी 5 -10 मिनट इंतजार करती हैं तब भी बाबुजी कॉल पर बात कर रहे थे तब शालिनी बाबुजी से फोन लेकर कॉल काट कर मोबाइल को अपने ब्लाउज में रख देती हैं,

शालिनी : सब से आज ही बात करेंगे?कल बात कर लीजिए, अभी आप आराम करेंगे चलिए,
बाबुजी : वो शहर में रहने वाले रिश्तेदारों को कहीं से पता लग गया था इसलिए सभी कॉल कर रहे थे
शालिनी : अच्छा लगा कि सब आपकी परवाह कर रहे हैं पर आपकी सेहत और आराम के बारे में भी ध्यान रखना पड़ेगा ना
बाबुजी : ठीक है पर मेरा फोन दे दो, अब मे सो जाऊँगा, किसी से फोन पर बात नहीं करूंगा
शालिनी : ठीक हैं ये लीजिए अपना फोन
शालिनी ब्लाउज में से फोन निकालकर बाबुजी को देती है बाबुजी फोन को टेबल पर रख कर बेड पर आके लेट जाते हैं, शालिनी दूसरे कमरे में जाकर एक गाउन पहन कर आती हैं
शालिनी भी लाइट बंध करके पल्लू लेकर बेड पर लेट जाती है ,शालिनी बाबुजी को अपने पास लाती हैं और पल्लू से ढककर गाउन के दो बटन खोलकर स्तन को बाहर निकालती है बाबुजी स्तन को मुँह में लेकर चूसने लगते है,

शालिनी भी दर्द से राहत मिलने से सुकून की साँस लेती हैं ,अपने दोनों स्तनों से अपने ससुर को दुध पिलाकर शालिनी और बाबुजी चैन की नींद सोते हैं, रात में भी एकबार शालिनी बाबुजी को स्तनपान करवाती हैं।
सुबह को जब शालिनी जगती है तो देखती हैं बाबुजी सो रहे हैं पर शालिनी को हैरानी तब हुई जब वो देखती हैं बाबुजी ने एक हाथ अपने पाजामे के अंदर डाला हुआ था ,शालिनी को अंदाजा लग जाता है कि बाबुजी को अपनी पत्नी की याद सताती हैं, इससे पहले भी शालिनी ने एसा करते देखा है, शालिनी चुपचाप से जाकर अपने योग के कपड़े पहनकर योग करने लगती हैं,
तभी बाबुजी जागकर बाहर आते हैं ,वो देखते हैं शालिनी एकदम तंग कपड़े में योग कर रही जिसमें उसके शरीर के सारे कटाव साफ दिखाई दे रहे थे,बाबुजी को आज थोड़ी थकावट महसूस हो रही थी, वो खटिया पर बैठे हुए शालिनी को योग करते देखते हैं,

योग करने के बाद शालिनी नैपकिन से अपना पसीना पोछते हुए खटिया पर आकर बैठ जाती हैं,
शालिनी : जाइए बाउजी आप नहा लीजिए,
बाबुजी जैसे ही नहाने के लिए खड़े होते हैं कि उसे फिर से कल की भाँति आँखों के सामने अंधेरा छा जाता है,जिससे वो शालिनी को पुकारने लगते है, शालिनी बाबुजी का हाथ पकड़ कर बैठा देती हैं, और उसे पानी देती हैं और अपने योग के कपड़े बदलकर कल पहने ब्लाउज घाघरा पहनकर आती हैं ,बाबुजी जब थोड़ा स्वस्थ हुए तब वो धीरे से अपनी पत्नी का नाम बड़बड़ाते है, शालिनी उसे होश में लाती हैं।
शालिनी : आप कैसे हो?
बाबुजी : ठीक हुँ, मुझे नहाने जाना हैं ताकि कुछ अच्छा लगेगा
शालिनी : जरूरत नहीं है बाबुजी, आपकी तबीयत ठीक नहीं है
बाबुजी : नहीं, अगर मैं नहीं नहाया तो गर्मी से मेरी तबीयत और खराब हो सकती हैं,
शालिनी : अगर नहाते समय आपको कुछ हो गया तो?मैं यह जोखिम नहीं ले सकती ,
बाबुजी : कुछ नहीं होगा मुझे, एसा है तो मे दरवाजा खोलकर नहा लेता हूं
शालिनी : इससे अच्छा आज में आपको नहला देती हूं, पता नहीं कब आप अच्छे से नहाए होंगे, आज अच्छे से साबुन लगाकर नहला देती हूं, जिससे आपकी बीमारी भाग जाएगी
बाबुजी : लेकिन मैं साबुन से नहीं नहाता
शालिनी : इसी लिए, आज आप साबुन से नहाएं ,
बाबुजी : पर मेरी बीमारी ठीक करने के लिए तुम पहले से अपना योगदान दे रही हो
शालिनी : हाँ पर मे आपको ठीक करने वाली किसी भी संभावना को छोड़ नहीं सकती, आपको अच्छा लगेगा देखना।
बाबुजी : पर किसी को पता चला तो क्या सोचेगा?
शालिनी : कैसे किसी को पता चलेगा?कोन बतायेगा? में आपकी किसी बात को नहीं सुननी, और नीरव ने भी मेरी बात मानने को कहा है, वो भी अपनी कसम देकर, क्या आप अपने बेटे की कसम का मान नहीं रखेंगे?
बाबुजी कुछ भी जवाब देने के लिए समर्थ नहीं थे इसलिए वो चुप होकर सहमती देते हुए अपना तौलिया लेकर बाथरूम में आते हैं और पानी की बाल्टी भरने रख देते हैं ,शालिनी भी नील को हल्की धूप में लेटा कर बाथरूम में आती हैं और देखती हैं बाबुजी पाजामे में बैठे हैं
शालिनी : यह क्या बाबुजी? क्या आप रोज एसे नहाते है?
बाबुजी : एसे मतलब कैसे?
शालिनी : पाजामे पहनकर
बाबुजी : नहीं, पर तुम्हारे सामने कैसे?
शालिनी : आपके सामने मेंने अपना ब्लाउज निकाल कर आपको स्तनपान करवा दिया है और आप अपना पजामा निकालने में शर्मा रहे हैं, अब आपके पूरी तरह से ठीक होने आपको नहलाने की जिम्मेदारी मेरी,
बाबुजी : नहीं बहु इसकी जरूरत नहीं है।
शालिनी : अगर मेने भी शर्म रखकर आपकी मदद ना लेती तो आज मे भी दर्द से तड़प रही होती, अब आप भी शर्म छोड़ जैसा कहती हूँ वैसा करिए, एसा समझे की मे आपकी डॉक्टर हूं,
बाबुजी के पास आज शालिनी के दलीलों का कोई जवाब नहीं था, इसलिए वो हार मानकर अपना पजामा निकाल कर केवल कच्छे में थे,
क्या नज़रा था एक जवान गदराई एक बच्चे की मां जिसके स्तन दूध से भरे हुए हैं, जो ब्लाउज में से बाहर निकलने के लिए आपस में लड़ रहे थे,पीठ पर कमर तक आते हुए काले घने बाल नीचे पतली नंगी गोरी कमर, आगे सपाट पेट और उसके बीच गहरी नाभि और उसके तीन उंगली नीचे पहना हुआ घाघरा, मानो कोई सामन्य स्त्री ना होकर कामदेव की पत्नी हो।
एसा स्नान तो शालिनी ने अपने पति को भी नहीं करवाया था जैसा वो अभी बाबुजी को करवाने वाली थी, शालिनी लौटे में पानी भरकर बाबुजी के ऊपर डालती हैं फिर बाबुजी की पीठ हाथ पैर, छाती पेट सब जगह साबुन लगाती हैं फिर सिर पर शैम्पू डालकर उसे भी धोने लगती हैं

,बाबुजी को नहलाने के चक्कर मे शालिनी का घाघरा और ब्लाउज भी काफी भीग गए थे और उसके पेट कमर और गले और स्तनों के उभार मे पानी की बूंदे चमक रही थी मानो मोती से श्रृंगार किया हो ,साबुन और शैम्पू की वजह से बाबुजी का शरीर आज सुगंधित हो गया था
बाबुजी : मुझे नहलाने के चक्कर में तुम भी भीग गई

शालिनी : मुझे भी नहाना ही है,
बाबुजी : सच में मैं बहुत भाग्यशाली हूं जो तुम्हारे जैसी बहु मिली जो मेरा इतना ध्यान रखती हैं और सेवा करती हैं, ना जाने किस जन्म में इतने पुण्य किए होगे,
शालिनी : वो मुझे मालूम नहीं पर मैं अभी आपकी सेवा करके पुण्य कमा रही हूँ,
बाबुजी अपने शरीर को सूखा कर तौलिया लपेटकर कमरे में जाते हैं और शालिनी नहाने जाती हैं, शालिनी नहाकर आकर तैयार होकर नास्ता बनाने लगती हैं, फिर दोनों नास्ता करते हैं और शालिनी नील को स्तनपान करवाती हैं,

तभी गाव का एक आदमी आता है और बाबुजी को बताता है कि पानी की टंकी में पानी चढ़ाने की मोटर खराब हो गई है, जिससे पानी की किल्लत हो सकती हैं, इसलिए सभी को पानी की टंकी के पास लगे नल से पीने का पानी भरके लाना होगा और दूसरे उपयोग के लिए पानी तालाब से भरना होगा, बाबुजी को शहर में चिट्ठी लिखकर एक अर्जी करनी होगी जिससे शहर से मैकेनिक आकर मोटर सही करदे।
बाबुजी किचन में आते हैं और शालिनी को सब बताते है।
शालिनी : बाबुजी 2 मिनट रुकिए नील को सुलाकर हम चलते हैं
नील को सुलाकर शालिनी और बाबुजी मोटरसाइकिल से टंकी के पास आते हैं और देखते हैं सब लोग वही खड़े थे,
बाबुजी : देखिए इस परिस्थिति में हम सब को धैर्य से काम लेना होगा ,मेरी विनती है कि सब पीने के लिए दो दो मटके भरे ,जिससे सब को पर्याप्त पानी मिले, मुझे एक कागज दो जिससे मे अर्जी दाखिल कर दे और जल्द से जल्द मोटर सही हो
शालिनी : आप मोबाइल से सीधे अर्जी क्यूँ नहीं करते?
बाबुजी : वो कैसे होता है वो हमें नहीं आता
शालिनी : में कर देती हूं
शालिनी टंकी पर लिखे ईमेल आईडी पर एक अच्छे से अँग्रेजी में एक अर्जी दाखिल कर देती हैं ,जिससे 10 मिनट में उन लोगों की ओर से रीप्ले आता है और कल वो अपने मैकेनिक भेज देंगे, यह ईमेल सब को सुनाती है, जिससे गाव वालों की नजरों में शालिनी के लिए सम्मान बढ़ जाता हैं, शालिनी ने उन लोगों का समय और खर्चा बचाया था, सब अपने अपने घर जाते हैं और सभी औरते अपने अपने मटके लेकर पानी भरने आने लगती हैं।
जब शालिनी मटका लेकर पानी भरने जाने लगती हैं तब बाबुजी उसे रोकते हैं
बाबुजी : बहु तुम क्यों जा रही हो?किसीको बुलाकर भरवा लेंगे
शालिनी : नहीं बाबुजी अभी सभी परेशान है ऊपर से हम अगर उसे परेसान करे यह ठीक नहीं है
बाबुजी : ठीक हैं हम कार लेकर जाते हैं और पानी भरकर घर वापिस आ जाएंगे
शालिनी : नहीं बाबुजी! मुझे यह अनुभव करना है, कि पहले के समय में लोगों को क्या मेहनत करनी पड़ती होगी होती?,इससे पानी की सही कीमत का पता चलेगा, इसी बहाने मेरी कसरत हो जाएगी, इसी बहाने सभी औरतों से मिलना हो जाएगा।
बाबुजी मान जाते हैं और नील के पास जाकर बैठते हैं और शालिनी एक मटका लेकर चलकर टंकी के पास आती हैं

उधर सभी औरते खड़ी हुई थी
शालिनी : आप सब खड़ी क्यूँ है?पानी भरने लगों
सरला : हम सब ने मिलकर तय किया है कि पहला मटका आप भरे, आज आपने सभी की इतनी मदद जो कि हैं।
शालिनी : मदद कैसी?वो मेरा कर्तब्य था, यह मेरा भी गाव है,और गाव पर मुसीबत आए तो सब मिलकर इसका सामना करेंगे
रसीला : हाँ वो सही है पर अभी आप पहले पानी भरे फिर हम सब भरेंगे।
शालिनी सब की बातों का सम्मान करते हुए पहला मटका भरने लगती हैं ,शालिनी यह सब कुछ अपने व्यायाम का हिस्सा मान कर करती हैं,सब गांव की महिलाओं को भी अच्छा लगता हैं की बड़े घर के होने के बावजूद शालिनी उसकी की तरह पानी भरने यहां तक आयी ,बाद में सब एक एक करके अपना पानी भरकर अपने अपने घर जाने लगती हैं वो दृश्य भी बड़ा मनोहर था जब गाव की महिला घाघरा ब्लाउज पहने सिर पर मटका रखकर पनीहारी बनकर पानी भरकर चलती हैं, इन सब मे शालिनी तारो के बीच पूर्णिमा के चंद्र जैसी थी,

शालिनी दूसरी बार आकर अपना दूसरा मटका भरकर वापिस आती हैं ,उसका पूरा शरीर पसीने से भिगा हुआ था, उसके चेहरे, गले, स्तनों के उभार, कमर, सभी जगह पसीने की बूंदे चमक रही थी, वो थककर आकर पंखे के नीचे बैठ जाती हैं,

बाबुजी : मैंने कहा था की थक जाओगी,
शालिनी : थकी हूं पर मुझे आनंद आया
बाबुजी : तुम आराम करो ,आज खाना में बनाऊँगा, और मुझे कोई दलील नहीं सुननी
बाबुजी सारा खाना बनाते हैं और शालिनी को पुकारते हैं,

शालिनी खाना खाने नील को लेकर आती हैं,और उसे अपनी गोदी में रखकर पल्लू ओढ़कर नील को स्तनपान करवाने लगती हैं और दोनों खाना खाने लगते है।
शालिनी : वाह! बाबुजी आपके खाने का ज़वाब नहीं,
बाबुजी : इतना भी अच्छा नहीं है
दोनों खाना खाते हैं फिर शालिनी को दवाई लेने जाने का याद आता है,
शालिनी : बाबुजी आप नील को सुला देना में आकर सारा काम कर दूंगी, मुझे देर नहीं लगेगी
शालिनी कार लेकर तुरत दवाई लेने जाती हैं
डॉक्टर : मुझे लगा आप भूल गए
शालिनी : नहीं मुझे याद ही था, पर आज थोड़ी भागदौड़ में रह गया
डॉक्टर : क्या हुआ था?
शालिनी सारी घटना बताती हैं, फिर दवाई लेकर जाने लगती हैं
डॉक्टर : दवाई लेने के एक सप्ताह बाद आना वो थोड़ा दुध का रिपोर्ट कराना होगा, जिससे पता लगेगा कि दवाई काम कर रही है कि और मात्रा बढ़ानी पड़ेगी,
शालिनी : ठीक हैं।
शालिनी वापिस घर आती हैं और बाबुजी नील को पालने में झुला रहे थे, शालिनी बाबुजी को देख मुस्करा देती हैं और सब बर्तन साफ करने लगती हैं ,

सब काम पूरा करके और दवाई पीकर कमरे में आती हैं,

तब तक नील भी सो गया था, बाबुजी भी अपनी कमीज निकाल देते हैं और सिर्फ बनियान और पाजामे पहने हुए थे, शालिनी बेड पर आकर बैठ जाती हैं।

बाबुजी : अभी दवाई लेना इतना जरूरी था?
शालिनी : हाँ! अगर डॉक्टर चले जाते तो फिर दवाई कल मिलती, और यह दवाई की मुझे जल्द से जल्द चाहिए थी।
बाबुजी : एसी कौन सी दवाई है?
शालिनी : वो मेरे दुध की पौष्टिकता बढ़ाने के लिए है
बाबुजी को लगा कि शालिनी ने नील के लिए दवाई ली होगी,शालिनी अपने पल्लू को हटाकर लेट जाती हैं,

जिससे शालिनी के ब्लाउज के अंदर के दोनों कबूतरों का उभार बाबुजी को नजर आता है, बाबुजी भी अब समझ गए थे की उनको क्या करना है, इसलिये बाबुजी खिसक कर थोड़ा नीचे आते हैं जिससे उसका चेहरा शालिनी के ब्लाउज मे कैद स्तनों के सामने आ जाता है, शालिनी को अच्छा लगा कि उसको बाबुजी को कहने की जरूरत नहीं पड़ी, शालिनी नीचे से एक-एक कर अपने दो हूक खोलने लगती हैं, और दो हूक को बंध रखती हैं और अपने ब्लाउज के निचले शीरे को ऊपर कर निप्पल तक उठा देती हैं, बाबुजी भी अपने होंठ को खोलकर निप्पल को अपने मुँह में लपक लेते है पर ब्लाउज की वजह से उसको पीने में थोड़ी कठिनाई रहती हैं, शालिनी का स्तन भी मानो पिचक कर बाहर आया हो एसा लग रहा था, कुछ देर चूसने के बाद बाबुजी से रहा नहीं जाता।
बाबुजी : क्या आप सारे हूक खोल सकते है?इस तरह से स्तनपान करने में तकलीफ हो रही हैं
शालिनी : ठीक है, अच्छा लगा कि आप बिना संकोच इस पर बात कर रहे हैं ,
शालिनी अपने ब्लाउज के बचे दो हूक भी खोल देती हैं,

बाबुजी वापिस से स्तनपान करने लगते है, इस दौरान बाबुजी का हाथ शालिनी की कमर पर चला जाता है, शालिनी भी यह बात नोटिस करती हैं पर स्तनपान करते समय कई बार चाचाजी का हाथ भी उसकी कमर पर चला जाता था, इसलिए वो यह बात सामान्य लेती हैं, बाबुजी को स्तनपान करवाकर शालिनी अपने ब्लाउज के हूक बंध करके चाचाजी के सिर को अपने सीने से लगाकर सुलाती है,
शाम को दोनों जागने के बाद चाय पीते हैं और शालिनी नील को स्तनपान करवाती है, तभी सरला का फोन आता है कि कल तालाब पर नहाने जाने का याद दिलाती हैं।
रात को खाना खाने के बाद शालिनी बारी-बारी से नीरव और चाचाजी से फोन पर बातें करते हैं,

फिर नील को स्तनपान करवाकर सुला देती हैं, नील ने अभी एक स्तन से ही दुध पिया था इसलिए शालिनी दूसरा स्तन बाबुजी को पिलाकर सुला देती हैं,