jayantaDS
Aao kabhi haveli pe
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घने जंगल में मंगल करने गए थे । खजाना ना मिला लेकिन वरदान मिल गया जरी बूटी का । वाह अब चारों पता नही क्या उधम मचाएंगे । लेखनी बोहोत अच्छी है writer शाहब । सब्बाश उन्न मानत लिखनी है ।Update 01
बड़े सावन क्षेत्र वर्षावन में चार खजाना शिकारी घने बन में प्रवेश करता है । कार्तिक पूर्णिमा की रात चांद की चांदनी चारों और बिखर रही थी । पड़स के जनगस्थी का कहना था कि इस जंगल मे मौत का तांडव होता है । तरह तरह की दरवानी आवाजें गूंजता हे । जो लोग इस जंगल के बारे मैं जानता है वो लोग इस जंगल में आने से सो बार सोचता है ।
प्रृथ्वी पर जितने जीव हैं, उसके एक तिहाई को एक साथ आप इस जंगल में देख सकते हे । इन जनजातियों का बाहरी दुनिया से किसी तरह की सम्बन्ध नही है ।
जंगलों के कीड़ों की काफ़ी चर्चा होती है. माना जाता है कि यहां इतने हज़ार तरह के कीड़े और जंतु मिलते हैं कि उनमें से कुछ ही फ़ीसदी के बारे में अबतक वैज्ञानिकों को पता चला है. यहां की बुलेट चींटिया भी काफ़ी ख़तरनाक होती हैं. देखने में छोटी वाली इन चिटियों के डंक को ज़हर की तरह खतरनाक माना जाता है. कहा जाता है कि इनके काटने पर गोली लगने जितना दर्द होता है.
चिटियों के बाद यहां की मकड़ियों की चर्चा होती है.।।। कुछ मकरी ऐसी प्रजाति है जो काटने से ईलाज ना किया तो इंसान की जान भी जा सकती है । इन खतरा का आभास होते हुए भी वो चारों इस जंगल में घुसे आधी रात को । चारों ही अपने आपको बोहोत बड़ा तुर्रम खान समझता था या फिर एक नंबर के गधे थे ।
भूमिगत धातु डिटेक्टर, गोल्ड खोदने वाला खजाना हंटर । हाथ में धातु खजाने के लिए रेत फावड़ा और रैक खुदाई उपकरण सहायक ,उपकरण के साथ खजाने की तलाश में निकले थे । इस खोज के लिए काफी समय से रिचर्च कर के पुख्ता सबूत के साथ निर्भयता से चारों अपनी मंजिल को अंजाम देने निकला था ।
" ए बिशु तूने तो कहा था कि यही मिलेगा वो मार्क जहा खजाना होगा...."
" जिशु हम सायद गलत रास्ते से आए "
" क्या चुतियापा हे वे भोसड़ीके । तूने तो कहा था इस रास्ते में वो नक्षत्र का एक निशान मिलेगा और उसी के आस पास खजाना होगा ।"
" शांत रह गदाधारी भीम की औलाद
। ए तपन जरा मैप निकल ना "
" शेतन भाई मैप तो मैने नही लाया "
" क्या ? क्या कहा वे तूने मैप नही लाया क्या मतलब हे । गांड मारा अब भोसड़ी वालो । ये चुटिया खजाना ढूंढेने आया हे और मैप नही लाया साथ में । भोसड़ी के तुझे कहा था कुछ भी भूलना मत । साले उस चमेली बाई की गांड मे तेरी ध्यान हटे तब ना । अब क्या करे असमान देख के खजाना निकाले ।"
" शेतन भाई मैप नही लाया लेकिन पूरा दिमाग में चाप के लाया हूं । और चमेली की लेने की तेरी ही कबसे नजर हे । खुद के गिरेबान में झांक के देखो बोलने से पहले ।"
" अब सब शांत हो जाओ भोसरीवालो । शेतन बता अब क्या करना है । कहा है वो मार्क । हम सही जगह पे ही की नही पता कर अपने दिमाग से genius बाबा ।"
जिस जगह पे चारों खड़े थे एक घेड़े में उस जगह पे ऊंची झाड़ ऊंची ऊंची पेड़ पोधे जंगल की शान बढ़ा रह थे ।
चारो पक्की यारी दोस्ती से लड़ाई जगरा करते हुए उस नक्षत्र की निशान ढूंढ़ने लगा । लेकिन कही भी वो निशान नही दिख रहा था चांद की रोशनी में भी और 50w ki टॉर्च लाइट में भी ।
चारो परेशान हो गए । निरीक्षण के मुताबिक वोही जगह सथिक था खजाने मिलने की ।लेकिन चारो बस एक निशान नही ढूंढ पा रहे थे । कही वो लोग मूर्खता तो नही कर बैठे । धीरे धीरे निराश होने लगे शरीर भी एक समय में थकने लगे जोश और ऊर्जा ठंड पड़ने लगे । हालत खस्ता होने लगे । चारो का ये पहला खोज होने वाला था लेकिन चारों ही अनाड़ी थे उस मामले में भले ही कितनी ही क्यों ना रिचर्च कर के न आए हो ।
लेकिन चारों के किस्मत में उससे भी बड़ी खजाना मिलने की संभव था जिस बात से चारो अनजान थे । चांद की रोशनी कम होने लगा सुरुज की उदय होने वाला था कूची क्षण में ।
और तभी चारो के सामने एक तीव्र रोशनी उजाला हो गया । चारों आचार्य से चारो ओर देखने लगा । देखते ही देखते चार दिशा में चार पेड़ आधी इंसान के रूप में स्पष्ट हुए और चारो के और चल के आने लगे ।
ये चारो थर थर कांपने लगे अजीब-गरीब मंजर देख के । चारो पीछे की तरफ कदम लेते हुए एक दूसरे की पीठ से टकरा के चक्री बन गए ।
" ये क्या है "
" हा ये क्या हे "
" ये पेड़ चल कैसे सकते हे"
" ए बाबा कोई बचाओ "
" बचाओ हमे"
" है है हे बिशु । कुछ कर ना"
" क्या करूं । तू कुछ कर ना ।"
चारो भागना चाहता था लेकिन भाग नही पाए । चारो को चार चलते फिरती पेड़ ने ऐसे घेर लिया जैसे मकड़ी की जाल में सीकर फंसा हो ।
एक पेड़ बोला ।" अरे कहे इतना दर रहे हो । बुर्बक हम थोड़ी कुछ करेंगे तुम लोगो को "
बाकी तीनों पेड़ हंसने लगे । और इन चारो की जान हलक में आ गई । चारो के हार्ट फेल हो रहे थे । बुलेट बाइक की तरह थर थर vibrate करने लगे थे । आवाज निकल रही थी दर से चिल्लाने की लेकिन बोल कुछ नही पा रहे थे । चारो एक दूसरे की हाथ थामे एक दूसरे की ऊपर निर्भर हो रहे थे जैसे चारो में से कोई बाकी तीनों को बचाएगा ।
दूसरा पेड़ बोला.." बच्चे डरो मत हम भक्षक नही रक्षक हे । "
तीसरा पेड़ ।" हां हम तुम्हे कुछ नही करेंगे "
" वे ए "
" भाई लोग सच कहते है जंगल में राक्षस हे "
" अब क्या करे भाई । क्या ये लोग हमे मार देगा । नही भाई में मरना नहीं चाहता । बचाओ कुछ करो ."
" हे काली मां शक्ति दे हमें ."
चारो पेड़ हसने लगे ।" हम राक्षश नही है बेटे । तुम इंसान रक्षश हो । लेकिन तुम चारो नादान लगते हो । लेकिन लोभ में हो । खजाना ढूंढने आए हो । "
चौथा पेड़ बोला । " तुम्हारा नाम क्या है बेटा ।"
चारो लड़के कुछ नही बोल पा रहे थे । तो एक पेड़ ने अपनी शाखा से एक लड़के को छुआ ही था की चारो एक साथ जमीन पे गिर पड़े ।
चारो की दर से चीख निकल गए । ऐसा अद्भुत चीज़े दिख जाए तो कौन भला नही डरेगा । उन चारों को देख के चारो पेड़ हसने लगे ।
दूसरा पेड़ बोला ।" लड़के हम कोई राक्षस या कोई दानव नहीं हे । जल्दी से नाम बता बारी बारी अपना अपना ।"
" जी जी जिशांत मेहरा (jishant मेहरा)"
" तपन तलपड़े (tapan talpade)"
" शेतन भार्गव (shetan bhargav)"
" बिस्वास पाठक (biswas pathak)"
पहला पेड़ बोला ." तुम लोग खुश किस्मत हो की हम आज खजाने की रक्षा कर रहे । दूसरा कोई और खजाने की रक्षा कर रहा होता तो तुम चारो को बलि दी जाती इस जंगल में और नरभक्षी दानव तुम चारो की खून पी के आइयासिया करते फिरते "
विश्वास ." क्या क्या । क्या मतलब "
दूसरा पेड़ बोला ." सदीयो से इस खजाने की रक्षक करते आ रहे हे ये जंगल । हम इस जंगल के दास है । इस जंगल में दो भागो में दास को भाग कर दिया हे । एक हे हम रक्षक जो शांतिवादी हे और दूसरा हे वो रक्षक या फिर भक्षक कहे तो बेहतर है जो जंगल के पशु पंचियो के साथ जंगल में आए इंसान को भी बली दे के खून पीते हे। तुम लोगो की किस्मत अच्छी हे की आज हम शांति वादी रक्षक इस खजाने की पहरेदार हे ।"
चारो का दर थोड़ा कम हुआ लेकिन कोई जिज्ञासा उझान में डाल रहे थे चारो को । पेड़ो की आकार रूप देख के जहा हैरान थे वोही उनकी अद्भुत आवाज की बाते समझ से पड़े थे ।
शेतन ।" आप लोग हमे नही मारेंगे ना ."
तीसरा पेड़ ।" नही हम किसी को नही मारते पर । हमे मजबूर ना करो । तुम लोग जिस खजाने की तलाश या लेने आए हो उसे हम नही ले जाने देंगे । वो हमारा अस्तिव है । जबरदस्ती चुरा के ले जाने की कशिश करोगे तो हम तुम चारो को सदा के लिए बंदी बना देंगे । इस जंगल में हजारों भटकती आत्मा घूमते रहते है जिसको हम रक्षक ने बंदी बना के रखा है । क्या तुम चारो उन भटकती आत्माओं के साथ रहना चाहिए ."
चारो को समझ आ सुका था । इस जंगल से निकलना ही बेहतर है जितना जल्दी हो सकें । जान है तो जहान हे । इस खजाने से ज्यादा ज़िंदगी कीमती है ।
तपन ।" हमे कोई खजाना नही चाहिए । हमे please जाने दो । हम कभी दुबारा इस जंगल में बापच कदम नही रखेंगे । "
दूसरा पेड़ ।" हम जाने देंगे तुम चारो को सही सलामत येहा से शुरक्षित जंगल से बाहर भेज देंगे । "
चारो जाने के लिए तैयार हुआ तभी चौथा पेड़ बोला ।" रुको । हम तुम चारो को खाली हाथ नही भेजेंगे । "
चारो रूक के शिर ऊपर कर के पेड़ो की तरफ देख के सुनने के लिए बेताब हो गए । बात सुने और दुम दबा के भाग जाए ।
पहला पेड़ बोला ।" आज तक जितने भी इस जंगल से जिंदा गया हे उन सबको हम रक्षक ने कुछ ना कुछ वरदान दे के भेजा हे । ये हमारा अतिथि देव भव के सत्कार करने का रिवाज है । बोलो तुम चारो को क्या वरदान चाहिए बोलो ।"
जिशांत ।" वरदान किस तरह का वरदान ।"
दूसरा पेड़ ।" हा कोई वरदान मांगों । कोई मन की इस्सा जो पुराण करना चाहते हो "
चारो एक दूसरे के मुंह देखन लगे । वैसे ही चारो डरें हुए थे और ये सब बातें सुन के बौखला गए थे की इस सदी में भी ऐसी प्रथा का प्रसालन है । चारों कुछ समझ नहीं पा रहे थे की क्या वरदान मांगे ।
पहला पेड़ बोला ." कूची क्षण में सूर्यदय होने वाला है । अब वक्त नही हे कुछ मांगने की । हम तुम चारो को वरदान देते हे की तुम चारो जिस्मानी और रूहानी ताकत में किसी इंसान से ज्यादा ताकतवर होगे ।"
चारो पेड़ ने रोशनी उजल किया और चारों के बदन के छीने में रोशनी भर दिया । और चारों पेड़ अद्रिश्य हो गए । चारो एक दम से अपनी छीने को देखने लगा की क्या घुस गया । लेकिन जब कुछ नही मिला तो फिर चारो जंगल से निकलें वाली रास्ते से भागने लगे । लेकिन चारो का जरा भी एहसास नहीं था वो दो गुनी रफ्तार से भाग रहे थे । गोद गोद गोद किसी बेलागम घोड़े की तरह ।

