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Adultery Freinds Forever (ek daastaan) - (COMPLETED)

Kitno ko lagta he story


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Polakh555

𝕱𝖔𝖑𝖑𝖔𝖜 𝖞𝖔𝖚𝖗 𝖎𝖓𝖓𝖊𝖗 𝖒𝖔𝖔𝖓𝖑𝖎𝖌𝖍
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Fantasy ka tadka ......purani sadi ka devta nikal aaye …....kis tarah ka vardan prapt hooya he in chaaron ko ....... Shandar writing skills :applause:
बोहोत बीहित धन्यवाद दोस्त :thanx:
 

Polakh555

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Polakh555

𝕱𝖔𝖑𝖑𝖔𝖜 𝖞𝖔𝖚𝖗 𝖎𝖓𝖓𝖊𝖗 𝖒𝖔𝖔𝖓𝖑𝖎𝖌𝖍
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Nhi Bhai apki story badhiya hogi mughe pata hai par questions yeh tha ki sab maa hai kya
Nehi dost unke bete bhi he ।।।।।।। Unke bete hi heros he ।।।। Thanks ।।।।। उम्मीद करता हूं aapko pasnd aaye । :thanx:
 

Polakh555

𝕱𝖔𝖑𝖑𝖔𝖜 𝖞𝖔𝖚𝖗 𝖎𝖓𝖓𝖊𝖗 𝖒𝖔𝖔𝖓𝖑𝖎𝖌𝖍
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Yogibaba00007

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Update 2


MEHRA HOUSE



किरदार - (1) Mr. Subat mehra (forest officer)
(2) Mrs. Tania mehra

(3) Jishant mehra/jishu (bsc 2nd year)



सुबाह के 7 बजे । वॉल क्लॉक पूरे सात बार घंटी बजा के शांत हो गया । टांग टांग टांग टांग टांग टांग टांग




" इस घड़ी को में किसी दिन तोड़ के गांड में घुसा दूंगा जिसने इसे खरीदा..........." तभी उसे याद आया उसके बाप ने ही उसके बर्थडे पे गिफ्ट दिया था लेट लतीफ के टैग लगा के ......" ओह सॉरी पापा "



जिशांत अलस से उठ गया । कमरे में खिड़की खुली और परदे उठे हुए थे जिससे सूरज की मीठी किरण उसके चेहरे पर छा गया । उसकी मुस्कान निकल गई ये सोच के " ये मम्मी भी ना मुझे उठने के लिए रोज यही बहाना धुंदती हे "




वो बिस्तर से उठा । रोज की तरह उसका लन्ड आज भी खड़ा था । वो मुस्कुरा के अपने आप से बोला ।" साले तुझे किसकी याद आत हे जो रोज रोज सुबह ऐसे बिन बुलाया मेहमान की तरह खड़ा हो जाता है । कभी बताता भी नही किसी को याद आती है तुझे " और अपने लंड पे थपकी लगाई ।" शांत हो जा हरामी कही के..."



उसे कुछ अलग सा एहसास हुआ आज । उसने ट्राउजर के उभार को देखा और खुद से कहा " आजा कुछ ज्यादा ही बड़ा हो गया है लगता है तू" और उसने इलास्टिक खींच के देखा और सांक गया ..." आइया मम्मी । ये क्या "




उसका लन्ड की लंबाई और मोटाई मानो दुगनी हो गई है बिलकुल किसी गधे या घोड़े के जैसे । वो हक्का बक्का रह गया अपने ही लंड को देख के की उसके साथ ये कैसा माया हो गया हे । वो सोचने लगा ये अनोखा चीज आखिर हुआ कैसे एक रात में ही किसी का इतना बड़ा कैसे हो सकता है । कही ये सपना तो नही कही वो अभी भी किसी भ्रम में तो नही है ।





तभी कमरे के बाहर से किसी की आवाज सुनाई दी और चलने की आहट " जिशु बेटा अभी भी सो रहे हो क्या "



" ओह चिट मम्मी ।"


जिशांत दौर के बाथरूम की तरफ भागा लेकिन उसे ध्यान ही नही रहा की बाथरूम का दरवाजा बंद है और सीधा दरवाजे से तड़का गया । उसकी नाक टूटी तो टूटी साथ ही लंड ने भी ऐसा ठोकर मारा दरवाजे पे की उसका लन्ड मानो टूट गया । किसी तरह दरवाजा खोल के बॉथरूम के अंदर पोहोचा ।


और लंड पकड़ के बैठ गया ।" उफ्फ मम्मी मर गया । आह्ह्ह्ह "


दरवाजे की उधर से आवाज आई जो फिक्र कर रही थी उसकी ." जिशू बेटा क्या हुआ .। दरवाजा खोलो बेटा । क्या हुआ बेटा "


जिशु किसी तरह अपने दर्द को पी गया और बोला ।" कुछ नही मम्मी वो घुटना लग गया नल में "


तानिया." ओह बेटा ध्यान रखा करो । ज्यादा लगी तो नही ना बेटा । दरवाजा खोलो जरा में देखती हूं"


जिशु ." नही मम्मी ज्यादा नही लगी आपको तो पता ही है घुटने पे हल्की सी लगने पर भी दर्द होता है । मै ठीक हूं मम्मी । आप जाओ मेरे लिए नाश्ता लगाओ ।"


तानिया." ठीक है तू कह रहा है तो चली जाती हूं. कोई दवाई लगा लेना .।"





ये था जिशांत के वरदान के बाद हाल ।







TALPADE HOUSE



किरदार - (1) Mr. Jatin talpade (banker)
(2) Mrs. Shital talpade


(3) Tapan talpade (bsc 2nd year)





सुबाह के आठ बजे का दृश्य ।



तपन सुबाह सुबाह ही गुस्से में लग रहा था आज । वैसे तो वो कभी अपने मां बाप से लड़ाई नही करता लेकिन कोई दिनों से वो किसी बात से बात बात पे अपनी मां बाप से लड़ाई करने लगा हे ।



कारण - pulsar 250f (two wheeler)



तपन ।" आपने कहा था पापा की 12 वि अच्छे मार्क से पास हुआ तो आप मुझे बाइक देंगे "



जतिन (काफी गुस्से और नाराज थे और बोहोत भड़के हुए ) हा तो दे तो रहा हूं । माना थोड़ी की हे मैने ।


तपन." हा तो मेरी पसंद का दो ना । बाइक आप चलाओगे या में । कहा बुड्ढे की splender दे रहे हो आप । वो बाइक कोई फोकट में भी दे तो भी ना चलाऊ में ."


शीतल मंदिर से पूजा कर के आ रही थी । सबसे पहले अपने पति की आरती उतारी टीका कर के फिर अपने लाडले के पास आई । लेकिन तपन ने माना कर दिया । पर एक मां कभी हार मानी है भला । बेटे को पकड़ के जबरदस्ती टिका लगा के बोली ." क्यू जिद कर रहा है । क्या बुराई हे उस बाइक पे खरसा कम होगा और सेफ्टी भी होगी । क्या pulsar bulsar बाईक लेना चाहता है उसका सीट कितना ऊंचा है में कहा उसपे बैठ पाऊंगी इस उम्र में । तेरा मन नही है क्या अपनी मम्मी को बाइक पे बिठाने का हुंह ।"



तपन झुलझुलते हुए बोले ।" आप भी । मुझे तो लगता है आप ही ने पापा को माना किया हे वो बाइक देने का ।"


शीतल ।" हां मैने किया हे अब खुश । क्यों में नही चाहती तेरे मामा के लड़के को जैसी हालत हो । दो साल पहले एक्सीडेंट हुआ आज भी बिस्तर पे पड़ा रहता है । हगने मूतने के लिए भी खड़ा नही हो पाता हे । इस उम्र में तेरे मामा मामी कितनी दुख झेल रहे है तुझे क्या पता ।"


तपन ।" वो उसकी किस्मत थी भैया की । अगर मेरे किस्मत में भी ऐसा होगा तो वैसे भी सड़क पार करते वक्त हो सकता है । क्या भरोसा कब दुघटना घट जाए । "


शीतल सीधा हाथ उठा देती है अपने लाडले बेटे के ऊपर ।" चुप कर कुछ भी बोलता हे । जा कॉलेज जा देर हो रही है ।"


तपन गुस्से से पेड़ पटकता हुआ घर से बाहर निकल जाता हे और बाहर लोहे की गेट पर जोर से मुक्का मारता है । मुक्का इतना जोरदार था की लोहे रोड ही बेंड हो गया ।



तपन ने देखा और मेहसूस किया की उसे जरा भी हाथों में दर्द का एहसास नही था । बल्कि एक ऊर्जा मेहसूस होने लगा । वो कभी अपने हाथ के बंद मुट्ठी को देखता तो कभी बैंड रोड को । एसा नही था कोई पतला हल्का लोहे का गेट था कमसेकम 90 किलो का गेट था लोहे का ।



तपन सोचने लगा क्या सच में मेरे शरीर में कोई अंदुरनी ताकत आ गई हे । क्या सच में । वो खुश हो जाए या फिर इस बदलाओ से भय भीत हो जाए । आखिर एक मांस खून से बने इंसान में इतनी ताकत कैसे आ सकती है भला की लोहा ही बैंड हो जाए ।


ये था इस वरदान के बाद तपन का प्रतिक्रिया ।





BHARGAV HOUSE



किरदार - (1) Mr. Ratan bhargav (head master)
(2) Mrs. Dipali bhargav


(3) Shetan bhargav (bsc 2nd year)




सुबाह के 9 बजे का दृश्य



दीपाली अपनी घर में ही अपना क्लीनिक बैठ लि थी । सीटी रोड के पास घर होने के कारण उसका डेनिस क्लिनिक बोहोत अच्छा चल रही थी । और वो भी कही योग्य थी हर रोगी का 99 % दांतो की बीमारी ठीक भी करती थी ।



वो पहली पेशेंट देखने के लिए तैयार थी । अपने डेस्क पे बैठ चुकी थी और अपॉयनमेंट लिस्ट उठा के पहली पेशेंट बुलाने ही वाली थी की तभी उसका लाडला बेटा उसके क्लिनिक में घुस आए ।



दीपाली गुस्से में बोली ।" What nonsense ..... कितनी बार कहा हे की इजाजत नही तो कमसे कम नोक कर के आया करो । तेरी ये बेद मैनर्स कब जायेगा नालायक "


शेतन ।" ओह हो मम्मी । छोड़ो ना । अच्छा मुझे आज कैंटीन में कुछ भूखे दोस्तो को टिप्स देना है । आज मेरा टर्न हे कुछ खरसा पानी दो ना "


दीपाली ।" अच्छा । लेकिन मैथ्स में तेरी नंबर अच्छे नही आए । इलाइए इस बार 1000 की जगह 500 मिलेगा ।"


शेतन ।" आप ना जलती हे मुझसे । मुझे पता हे आपकी भी मैथ्स में अच्छे मार्क नही आते थे मैने चेक किया आपकी ग्रेडसीट ."


दीपाली ." अच्छा तो डॉक्टर ऐसी ही बनी हूं में । "


शेतन जोश में छाती ठोक के बोला ..." देखना इस बार 75 आउट ऑफ 75 लेके दिखाऊंगा "


दीपाली मुंह बना के बोली ." अच्छा । ऐसे के रहा हे जैसे तू ही आखरी रामानुजन बनेगा ।"


शेतन ." विश्वास नही हे तो आजमा के देख लो । मैथ्स का कोई भी कोई भी कोई भी सवाल पूछ लो "


दीपाली ऐसे ही बोली ." 200÷5×67–26 कितना हुआ बता ।"



शैतान ."(आधे सेकंड) 2,654"

दीपाली कुछ सोचा फिर कैलकुलकटर निकल के इक्वल किया तो जवाब सही था ।


अच्छा बता " 4790×689×678 "


" 2,266,838,760"


दीपाली ऐसे कोई सवाल किए और शेतन ने मिनी सेकंड के ही सही जवाब दिए । दीपाली हैरान थी अपने बेटे को को अदभुत आई क्यू लेवल देख के और शेतन को भी एहसास हो चुका था की वो कैसे इतनी आसानी से सही जवाब दे सकता हे बिना कोई कैलकुलेट किए वो भी हाफ सेकंड में ही ।




वो परेशान बौखलाया हुआ क्लिनिक से निकल गया । दीपाली उसे रोकने की कशिश करी लेकिन तब तक शेतन तेजी से निकल गया था । दीपाली शीर पकड़ के बैठ गई और सोचने लगी की ये कैसे हो सकता हे कोई इतना सटीक जवाब कैसे दे सकता है बिना कैलकुलेट किए वो भी एक पल में ।





तो ये था शेतन का वरदान । देखते हे आगे क्या होता है ।






PATHAK HOUSE




किरदार - (1) Mr. Harilal pathak (do petrol pump ke owner)
(2) Tarali pathak

(3) Biswas pathak (bsc 2nd year)




सुबह के 10 बज रहे थे । महाषय बड़ी सुस्ती ले के उठे नींद से । और उठते ही गलियां ।




तरली ।" कमबख्त अब जा के उठा तू । जब तक सूरज शिर पे ना गिरे तब तक तू उठेगा नही ना । कितनी आवाज लगाई कान में घुसे तब ना ।"


बिस्वास ।" ओहो मम्मी आज क्लास 11 बजे से हे इलसिए देर से उठा । क्यू खमखा गजल सुना रही हो । देखना पोरस के मिश्रा अंकल आपकी गजल सुन के आपकी दीवाना ना हो जाए ।"


तरली ।" कमबख्त । रूक तू शर्म नही आती अपनी मम्मी से ऐसे अभद्र बाते करते हुए "


तराली चप्पल उठा के अपने बेटे के पीछे भागा । बिस्वास भी भागा अपने कमरे में तेजी से और अपनी मम्मी को मुंह पे ही दरवाजा बंद कर दिया । फिर हस्ता हुआ अपने कमरे की खिड़की से दो मंजिल से कूदा ।



यही नहीं कूद के आसानी देर दौर लगा के घर के 6 फीट ऊंची बाउंड्री के दीवार फांद लिया । और तब जा के उसे एहसास हुआ कि उसने क्या किया अभी अभी । गली के बच्चे उसे तक लगाते बस देखते रहे । कुछ आवारा कुत्ते भी भाऊ भाऊ कर के उसके पीछे पड़े । बिस्वास को कुत्तों से एलर्जी था इलसीए वो भागा और कुत्ते भी उसके पीछे । वो दुगनी स्पीड से भागते हुए सोचने लगा । क्या वाकई में उसे कोई शक्ति मिली है ।




और ये था आखिरी बरदान बिस्वास का । इन चारो का घर एक ही सिटी में था एक दो किलोमीटर की एरिया में आस पास । चारों ही चड्डी बड्डी यार था । बचपन से ले के कॉलेज तक आज भी एक थाली में खाना खाता है । बोलते तो एक चड्डी के पट्ठे ।




अगली भाग में जानेंगे की ये लोग कॉलेज में एक दूसरे के बारे में बताते हैं या नहीं । आज के लिए इतना ही दोस्तो ।
वाओ व्हाट एंड अपडेट सर जी । लाजवाब तो इन लोगो को सच में वरदान मिला है अलग अलग खूबी के साथ । मजा आयेगा अब :applause:
 

Raja maurya

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Update 01









बड़े सावन क्षेत्र वर्षावन में चार खजाना शिकारी घने बन में प्रवेश करता है । कार्तिक पूर्णिमा की रात चांद की चांदनी चारों और बिखर रही थी । पड़स के जनगस्थी का कहना था कि इस जंगल मे मौत का तांडव होता है । तरह तरह की दरवानी आवाजें गूंजता हे । जो लोग इस जंगल के बारे मैं जानता है वो लोग इस जंगल में आने से सो बार सोचता है ।



प्रृथ्वी पर जितने जीव हैं, उसके एक तिहाई को एक साथ आप इस जंगल में देख सकते हे । इन जनजातियों का बाहरी दुनिया से किसी तरह की सम्बन्ध नही है ।



जंगलों के कीड़ों की काफ़ी चर्चा होती है. माना जाता है कि यहां इतने हज़ार तरह के कीड़े और जंतु मिलते हैं कि उनमें से कुछ ही फ़ीसदी के बारे में अबतक वैज्ञानिकों को पता चला है. यहां की बुलेट चींटिया भी काफ़ी ख़तरनाक होती हैं. देखने में छोटी वाली इन चिटियों के डंक को ज़हर की तरह खतरनाक माना जाता है. कहा जाता है कि इनके काटने पर गोली लगने जितना दर्द होता है.



चिटियों के बाद यहां की मकड़ियों की चर्चा होती है.।।। कुछ मकरी ऐसी प्रजाति है जो काटने से ईलाज ना किया तो इंसान की जान भी जा सकती है । इन खतरा का आभास होते हुए भी वो चारों इस जंगल में घुसे आधी रात को । चारों ही अपने आपको बोहोत बड़ा तुर्रम खान समझता था या फिर एक नंबर के गधे थे ।



भूमिगत धातु डिटेक्टर, गोल्ड खोदने वाला खजाना हंटर । हाथ में धातु खजाने के लिए रेत फावड़ा और रैक खुदाई उपकरण सहायक ,उपकरण के साथ खजाने की तलाश में निकले थे । इस खोज के लिए काफी समय से रिचर्च कर के पुख्ता सबूत के साथ निर्भयता से चारों अपनी मंजिल को अंजाम देने निकला था ।



" ए बिशु तूने तो कहा था कि यही मिलेगा वो मार्क जहा खजाना होगा...."

" जिशु हम सायद गलत रास्ते से आए "

" क्या चुतियापा हे वे भोसड़ीके । तूने तो कहा था इस रास्ते में वो नक्षत्र का एक निशान मिलेगा और उसी के आस पास खजाना होगा ।"


" शांत रह गदाधारी भीम की औलाद

। ए तपन जरा मैप निकल ना "

" शेतन भाई मैप तो मैने नही लाया "


" क्या ? क्या कहा वे तूने मैप नही लाया क्या मतलब हे । गांड मारा अब भोसड़ी वालो । ये चुटिया खजाना ढूंढेने आया हे और मैप नही लाया साथ में । भोसड़ी के तुझे कहा था कुछ भी भूलना मत । साले उस चमेली बाई की गांड मे तेरी ध्यान हटे तब ना । अब क्या करे असमान देख के खजाना निकाले ।"

" शेतन भाई मैप नही लाया लेकिन पूरा दिमाग में चाप के लाया हूं । और चमेली की लेने की तेरी ही कबसे नजर हे । खुद के गिरेबान में झांक के देखो बोलने से पहले ।"


" अब सब शांत हो जाओ भोसरीवालो । शेतन बता अब क्या करना है । कहा है वो मार्क । हम सही जगह पे ही की नही पता कर अपने दिमाग से genius बाबा ।"




जिस जगह पे चारों खड़े थे एक घेड़े में उस जगह पे ऊंची झाड़ ऊंची ऊंची पेड़ पोधे जंगल की शान बढ़ा रह थे ।


चारो पक्की यारी दोस्ती से लड़ाई जगरा करते हुए उस नक्षत्र की निशान ढूंढ़ने लगा । लेकिन कही भी वो निशान नही दिख रहा था चांद की रोशनी में भी और 50w ki टॉर्च लाइट में भी ।



चारो परेशान हो गए । निरीक्षण के मुताबिक वोही जगह सथिक था खजाने मिलने की ।लेकिन चारो बस एक निशान नही ढूंढ पा रहे थे । कही वो लोग मूर्खता तो नही कर बैठे । धीरे धीरे निराश होने लगे शरीर भी एक समय में थकने लगे जोश और ऊर्जा ठंड पड़ने लगे । हालत खस्ता होने लगे । चारो का ये पहला खोज होने वाला था लेकिन चारों ही अनाड़ी थे उस मामले में भले ही कितनी ही क्यों ना रिचर्च कर के न आए हो ।





लेकिन चारों के किस्मत में उससे भी बड़ी खजाना मिलने की संभव था जिस बात से चारो अनजान थे । चांद की रोशनी कम होने लगा सुरुज की उदय होने वाला था कूची क्षण में ।



और तभी चारो के सामने एक तीव्र रोशनी उजाला हो गया । चारों आचार्य से चारो ओर देखने लगा । देखते ही देखते चार दिशा में चार पेड़ आधी इंसान के रूप में स्पष्ट हुए और चारो के और चल के आने लगे ।



ये चारो थर थर कांपने लगे अजीब-गरीब मंजर देख के । चारो पीछे की तरफ कदम लेते हुए एक दूसरे की पीठ से टकरा के चक्री बन गए ।



" ये क्या है "

" हा ये क्या हे "

" ये पेड़ चल कैसे सकते हे"

" ए बाबा कोई बचाओ "

" बचाओ हमे"

" है है हे बिशु । कुछ कर ना"

" क्या करूं । तू कुछ कर ना ।"


चारो भागना चाहता था लेकिन भाग नही पाए । चारो को चार चलते फिरती पेड़ ने ऐसे घेर लिया जैसे मकड़ी की जाल में सीकर फंसा हो ।



एक पेड़ बोला ।" अरे कहे इतना दर रहे हो । बुर्बक हम थोड़ी कुछ करेंगे तुम लोगो को "


बाकी तीनों पेड़ हंसने लगे । और इन चारो की जान हलक में आ गई । चारो के हार्ट फेल हो रहे थे । बुलेट बाइक की तरह थर थर vibrate करने लगे थे । आवाज निकल रही थी दर से चिल्लाने की लेकिन बोल कुछ नही पा रहे थे । चारो एक दूसरे की हाथ थामे एक दूसरे की ऊपर निर्भर हो रहे थे जैसे चारो में से कोई बाकी तीनों को बचाएगा ।



दूसरा पेड़ बोला.." बच्चे डरो मत हम भक्षक नही रक्षक हे । "


तीसरा पेड़ ।" हां हम तुम्हे कुछ नही करेंगे "



" वे ए "

" भाई लोग सच कहते है जंगल में राक्षस हे "

" अब क्या करे भाई । क्या ये लोग हमे मार देगा । नही भाई में मरना नहीं चाहता । बचाओ कुछ करो ."


" हे काली मां शक्ति दे हमें ."



चारो पेड़ हसने लगे ।" हम राक्षश नही है बेटे । तुम इंसान रक्षश हो । लेकिन तुम चारो नादान लगते हो । लेकिन लोभ में हो । खजाना ढूंढने आए हो । "




चौथा पेड़ बोला । " तुम्हारा नाम क्या है बेटा ।"


चारो लड़के कुछ नही बोल पा रहे थे । तो एक पेड़ ने अपनी शाखा से एक लड़के को छुआ ही था की चारो एक साथ जमीन पे गिर पड़े ।


चारो की दर से चीख निकल गए । ऐसा अद्भुत चीज़े दिख जाए तो कौन भला नही डरेगा । उन चारों को देख के चारो पेड़ हसने लगे ।


दूसरा पेड़ बोला ।" लड़के हम कोई राक्षस या कोई दानव नहीं हे । जल्दी से नाम बता बारी बारी अपना अपना ।"


" जी जी जिशांत मेहरा (jishant मेहरा)"

" तपन तलपड़े (tapan talpade)"

" शेतन भार्गव (shetan bhargav)"

" बिस्वास पाठक (biswas pathak)"



पहला पेड़ बोला ." तुम लोग खुश किस्मत हो की हम आज खजाने की रक्षा कर रहे । दूसरा कोई और खजाने की रक्षा कर रहा होता तो तुम चारो को बलि दी जाती इस जंगल में और नरभक्षी दानव तुम चारो की खून पी के आइयासिया करते फिरते "


विश्वास ." क्या क्या । क्या मतलब "


दूसरा पेड़ बोला ." सदीयो से इस खजाने की रक्षक करते आ रहे हे ये जंगल । हम इस जंगल के दास है । इस जंगल में दो भागो में दास को भाग कर दिया हे । एक हे हम रक्षक जो शांतिवादी हे और दूसरा हे वो रक्षक या फिर भक्षक कहे तो बेहतर है जो जंगल के पशु पंचियो के साथ जंगल में आए इंसान को भी बली दे के खून पीते हे। तुम लोगो की किस्मत अच्छी हे की आज हम शांति वादी रक्षक इस खजाने की पहरेदार हे ।"


चारो का दर थोड़ा कम हुआ लेकिन कोई जिज्ञासा उझान में डाल रहे थे चारो को । पेड़ो की आकार रूप देख के जहा हैरान थे वोही उनकी अद्भुत आवाज की बाते समझ से पड़े थे ।


शेतन ।" आप लोग हमे नही मारेंगे ना ."


तीसरा पेड़ ।" नही हम किसी को नही मारते पर । हमे मजबूर ना करो । तुम लोग जिस खजाने की तलाश या लेने आए हो उसे हम नही ले जाने देंगे । वो हमारा अस्तिव है । जबरदस्ती चुरा के ले जाने की कशिश करोगे तो हम तुम चारो को सदा के लिए बंदी बना देंगे । इस जंगल में हजारों भटकती आत्मा घूमते रहते है जिसको हम रक्षक ने बंदी बना के रखा है । क्या तुम चारो उन भटकती आत्माओं के साथ रहना चाहिए ."



चारो को समझ आ सुका था । इस जंगल से निकलना ही बेहतर है जितना जल्दी हो सकें । जान है तो जहान हे । इस खजाने से ज्यादा ज़िंदगी कीमती है ।


तपन ।" हमे कोई खजाना नही चाहिए । हमे please जाने दो । हम कभी दुबारा इस जंगल में बापच कदम नही रखेंगे । "



दूसरा पेड़ ।" हम जाने देंगे तुम चारो को सही सलामत येहा से शुरक्षित जंगल से बाहर भेज देंगे । "


चारो जाने के लिए तैयार हुआ तभी चौथा पेड़ बोला ।" रुको । हम तुम चारो को खाली हाथ नही भेजेंगे । "


चारो रूक के शिर ऊपर कर के पेड़ो की तरफ देख के सुनने के लिए बेताब हो गए । बात सुने और दुम दबा के भाग जाए ।


पहला पेड़ बोला ।" आज तक जितने भी इस जंगल से जिंदा गया हे उन सबको हम रक्षक ने कुछ ना कुछ वरदान दे के भेजा हे । ये हमारा अतिथि देव भव के सत्कार करने का रिवाज है । बोलो तुम चारो को क्या वरदान चाहिए बोलो ।"


जिशांत ।" वरदान किस तरह का वरदान ।"


दूसरा पेड़ ।" हा कोई वरदान मांगों । कोई मन की इस्सा जो पुराण करना चाहते हो "


चारो एक दूसरे के मुंह देखन लगे । वैसे ही चारो डरें हुए थे और ये सब बातें सुन के बौखला गए थे की इस सदी में भी ऐसी प्रथा का प्रसालन है । चारों कुछ समझ नहीं पा रहे थे की क्या वरदान मांगे ।



पहला पेड़ बोला ." कूची क्षण में सूर्यदय होने वाला है । अब वक्त नही हे कुछ मांगने की । हम तुम चारो को वरदान देते हे की तुम चारो जिस्मानी और रूहानी ताकत में किसी इंसान से ज्यादा ताकतवर होगे ।"


चारो पेड़ ने रोशनी उजल किया और चारों के बदन के छीने में रोशनी भर दिया । और चारों पेड़ अद्रिश्य हो गए । चारो एक दम से अपनी छीने को देखने लगा की क्या घुस गया । लेकिन जब कुछ नही मिला तो फिर चारो जंगल से निकलें वाली रास्ते से भागने लगे । लेकिन चारो का जरा भी एहसास नहीं था वो दो गुनी रफ्तार से भाग रहे थे । गोद गोद गोद किसी बेलागम घोड़े की तरह ।
Amazing start Bhai
 

Raja maurya

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Update 2


MEHRA HOUSE



किरदार - (1) Mr. Subat mehra (forest officer)
(2) Mrs. Tania mehra

(3) Jishant mehra/jishu (bsc 2nd year)



सुबाह के 7 बजे । वॉल क्लॉक पूरे सात बार घंटी बजा के शांत हो गया । टांग टांग टांग टांग टांग टांग टांग




" इस घड़ी को में किसी दिन तोड़ के गांड में घुसा दूंगा जिसने इसे खरीदा..........." तभी उसे याद आया उसके बाप ने ही उसके बर्थडे पे गिफ्ट दिया था लेट लतीफ के टैग लगा के ......" ओह सॉरी पापा "



जिशांत अलस से उठ गया । कमरे में खिड़की खुली और परदे उठे हुए थे जिससे सूरज की मीठी किरण उसके चेहरे पर छा गया । उसकी मुस्कान निकल गई ये सोच के " ये मम्मी भी ना मुझे उठने के लिए रोज यही बहाना धुंदती हे "




वो बिस्तर से उठा । रोज की तरह उसका लन्ड आज भी खड़ा था । वो मुस्कुरा के अपने आप से बोला ।" साले तुझे किसकी याद आत हे जो रोज रोज सुबह ऐसे बिन बुलाया मेहमान की तरह खड़ा हो जाता है । कभी बताता भी नही किसी को याद आती है तुझे " और अपने लंड पे थपकी लगाई ।" शांत हो जा हरामी कही के..."



उसे कुछ अलग सा एहसास हुआ आज । उसने ट्राउजर के उभार को देखा और खुद से कहा " आजा कुछ ज्यादा ही बड़ा हो गया है लगता है तू" और उसने इलास्टिक खींच के देखा और सांक गया ..." आइया मम्मी । ये क्या "




उसका लन्ड की लंबाई और मोटाई मानो दुगनी हो गई है बिलकुल किसी गधे या घोड़े के जैसे । वो हक्का बक्का रह गया अपने ही लंड को देख के की उसके साथ ये कैसा माया हो गया हे । वो सोचने लगा ये अनोखा चीज आखिर हुआ कैसे एक रात में ही किसी का इतना बड़ा कैसे हो सकता है । कही ये सपना तो नही कही वो अभी भी किसी भ्रम में तो नही है ।





तभी कमरे के बाहर से किसी की आवाज सुनाई दी और चलने की आहट " जिशु बेटा अभी भी सो रहे हो क्या "



" ओह चिट मम्मी ।"


जिशांत दौर के बाथरूम की तरफ भागा लेकिन उसे ध्यान ही नही रहा की बाथरूम का दरवाजा बंद है और सीधा दरवाजे से तड़का गया । उसकी नाक टूटी तो टूटी साथ ही लंड ने भी ऐसा ठोकर मारा दरवाजे पे की उसका लन्ड मानो टूट गया । किसी तरह दरवाजा खोल के बॉथरूम के अंदर पोहोचा ।


और लंड पकड़ के बैठ गया ।" उफ्फ मम्मी मर गया । आह्ह्ह्ह "


दरवाजे की उधर से आवाज आई जो फिक्र कर रही थी उसकी ." जिशू बेटा क्या हुआ .। दरवाजा खोलो बेटा । क्या हुआ बेटा "


जिशु किसी तरह अपने दर्द को पी गया और बोला ।" कुछ नही मम्मी वो घुटना लग गया नल में "


तानिया." ओह बेटा ध्यान रखा करो । ज्यादा लगी तो नही ना बेटा । दरवाजा खोलो जरा में देखती हूं"


जिशु ." नही मम्मी ज्यादा नही लगी आपको तो पता ही है घुटने पे हल्की सी लगने पर भी दर्द होता है । मै ठीक हूं मम्मी । आप जाओ मेरे लिए नाश्ता लगाओ ।"


तानिया." ठीक है तू कह रहा है तो चली जाती हूं. कोई दवाई लगा लेना .।"





ये था जिशांत के वरदान के बाद हाल ।







TALPADE HOUSE



किरदार - (1) Mr. Jatin talpade (banker)
(2) Mrs. Shital talpade


(3) Tapan talpade (bsc 2nd year)





सुबाह के आठ बजे का दृश्य ।



तपन सुबाह सुबाह ही गुस्से में लग रहा था आज । वैसे तो वो कभी अपने मां बाप से लड़ाई नही करता लेकिन कोई दिनों से वो किसी बात से बात बात पे अपनी मां बाप से लड़ाई करने लगा हे ।



कारण - pulsar 250f (two wheeler)



तपन ।" आपने कहा था पापा की 12 वि अच्छे मार्क से पास हुआ तो आप मुझे बाइक देंगे "



जतिन (काफी गुस्से और नाराज थे और बोहोत भड़के हुए ) हा तो दे तो रहा हूं । माना थोड़ी की हे मैने ।


तपन." हा तो मेरी पसंद का दो ना । बाइक आप चलाओगे या में । कहा बुड्ढे की splender दे रहे हो आप । वो बाइक कोई फोकट में भी दे तो भी ना चलाऊ में ."


शीतल मंदिर से पूजा कर के आ रही थी । सबसे पहले अपने पति की आरती उतारी टीका कर के फिर अपने लाडले के पास आई । लेकिन तपन ने माना कर दिया । पर एक मां कभी हार मानी है भला । बेटे को पकड़ के जबरदस्ती टिका लगा के बोली ." क्यू जिद कर रहा है । क्या बुराई हे उस बाइक पे खरसा कम होगा और सेफ्टी भी होगी । क्या pulsar bulsar बाईक लेना चाहता है उसका सीट कितना ऊंचा है में कहा उसपे बैठ पाऊंगी इस उम्र में । तेरा मन नही है क्या अपनी मम्मी को बाइक पे बिठाने का हुंह ।"



तपन झुलझुलते हुए बोले ।" आप भी । मुझे तो लगता है आप ही ने पापा को माना किया हे वो बाइक देने का ।"


शीतल ।" हां मैने किया हे अब खुश । क्यों में नही चाहती तेरे मामा के लड़के को जैसी हालत हो । दो साल पहले एक्सीडेंट हुआ आज भी बिस्तर पे पड़ा रहता है । हगने मूतने के लिए भी खड़ा नही हो पाता हे । इस उम्र में तेरे मामा मामी कितनी दुख झेल रहे है तुझे क्या पता ।"


तपन ।" वो उसकी किस्मत थी भैया की । अगर मेरे किस्मत में भी ऐसा होगा तो वैसे भी सड़क पार करते वक्त हो सकता है । क्या भरोसा कब दुघटना घट जाए । "


शीतल सीधा हाथ उठा देती है अपने लाडले बेटे के ऊपर ।" चुप कर कुछ भी बोलता हे । जा कॉलेज जा देर हो रही है ।"


तपन गुस्से से पेड़ पटकता हुआ घर से बाहर निकल जाता हे और बाहर लोहे की गेट पर जोर से मुक्का मारता है । मुक्का इतना जोरदार था की लोहे रोड ही बेंड हो गया ।



तपन ने देखा और मेहसूस किया की उसे जरा भी हाथों में दर्द का एहसास नही था । बल्कि एक ऊर्जा मेहसूस होने लगा । वो कभी अपने हाथ के बंद मुट्ठी को देखता तो कभी बैंड रोड को । एसा नही था कोई पतला हल्का लोहे का गेट था कमसेकम 90 किलो का गेट था लोहे का ।



तपन सोचने लगा क्या सच में मेरे शरीर में कोई अंदुरनी ताकत आ गई हे । क्या सच में । वो खुश हो जाए या फिर इस बदलाओ से भय भीत हो जाए । आखिर एक मांस खून से बने इंसान में इतनी ताकत कैसे आ सकती है भला की लोहा ही बैंड हो जाए ।


ये था इस वरदान के बाद तपन का प्रतिक्रिया ।





BHARGAV HOUSE



किरदार - (1) Mr. Ratan bhargav (head master)
(2) Mrs. Dipali bhargav


(3) Shetan bhargav (bsc 2nd year)




सुबाह के 9 बजे का दृश्य



दीपाली अपनी घर में ही अपना क्लीनिक बैठ लि थी । सीटी रोड के पास घर होने के कारण उसका डेनिस क्लिनिक बोहोत अच्छा चल रही थी । और वो भी कही योग्य थी हर रोगी का 99 % दांतो की बीमारी ठीक भी करती थी ।



वो पहली पेशेंट देखने के लिए तैयार थी । अपने डेस्क पे बैठ चुकी थी और अपॉयनमेंट लिस्ट उठा के पहली पेशेंट बुलाने ही वाली थी की तभी उसका लाडला बेटा उसके क्लिनिक में घुस आए ।



दीपाली गुस्से में बोली ।" What nonsense ..... कितनी बार कहा हे की इजाजत नही तो कमसे कम नोक कर के आया करो । तेरी ये बेद मैनर्स कब जायेगा नालायक "


शेतन ।" ओह हो मम्मी । छोड़ो ना । अच्छा मुझे आज कैंटीन में कुछ भूखे दोस्तो को टिप्स देना है । आज मेरा टर्न हे कुछ खरसा पानी दो ना "


दीपाली ।" अच्छा । लेकिन मैथ्स में तेरी नंबर अच्छे नही आए । इलाइए इस बार 1000 की जगह 500 मिलेगा ।"


शेतन ।" आप ना जलती हे मुझसे । मुझे पता हे आपकी भी मैथ्स में अच्छे मार्क नही आते थे मैने चेक किया आपकी ग्रेडसीट ."


दीपाली ." अच्छा तो डॉक्टर ऐसी ही बनी हूं में । "


शेतन जोश में छाती ठोक के बोला ..." देखना इस बार 75 आउट ऑफ 75 लेके दिखाऊंगा "


दीपाली मुंह बना के बोली ." अच्छा । ऐसे के रहा हे जैसे तू ही आखरी रामानुजन बनेगा ।"


शेतन ." विश्वास नही हे तो आजमा के देख लो । मैथ्स का कोई भी कोई भी कोई भी सवाल पूछ लो "


दीपाली ऐसे ही बोली ." 200÷5×67–26 कितना हुआ बता ।"



शैतान ."(आधे सेकंड) 2,654"

दीपाली कुछ सोचा फिर कैलकुलकटर निकल के इक्वल किया तो जवाब सही था ।


अच्छा बता " 4790×689×678 "


" 2,266,838,760"


दीपाली ऐसे कोई सवाल किए और शेतन ने मिनी सेकंड के ही सही जवाब दिए । दीपाली हैरान थी अपने बेटे को को अदभुत आई क्यू लेवल देख के और शेतन को भी एहसास हो चुका था की वो कैसे इतनी आसानी से सही जवाब दे सकता हे बिना कोई कैलकुलेट किए वो भी हाफ सेकंड में ही ।




वो परेशान बौखलाया हुआ क्लिनिक से निकल गया । दीपाली उसे रोकने की कशिश करी लेकिन तब तक शेतन तेजी से निकल गया था । दीपाली शीर पकड़ के बैठ गई और सोचने लगी की ये कैसे हो सकता हे कोई इतना सटीक जवाब कैसे दे सकता है बिना कैलकुलेट किए वो भी एक पल में ।





तो ये था शेतन का वरदान । देखते हे आगे क्या होता है ।






PATHAK HOUSE




किरदार - (1) Mr. Harilal pathak (do petrol pump ke owner)
(2) Tarali pathak

(3) Biswas pathak (bsc 2nd year)




सुबह के 10 बज रहे थे । महाषय बड़ी सुस्ती ले के उठे नींद से । और उठते ही गलियां ।




तरली ।" कमबख्त अब जा के उठा तू । जब तक सूरज शिर पे ना गिरे तब तक तू उठेगा नही ना । कितनी आवाज लगाई कान में घुसे तब ना ।"


बिस्वास ।" ओहो मम्मी आज क्लास 11 बजे से हे इलसिए देर से उठा । क्यू खमखा गजल सुना रही हो । देखना पोरस के मिश्रा अंकल आपकी गजल सुन के आपकी दीवाना ना हो जाए ।"


तरली ।" कमबख्त । रूक तू शर्म नही आती अपनी मम्मी से ऐसे अभद्र बाते करते हुए "


तराली चप्पल उठा के अपने बेटे के पीछे भागा । बिस्वास भी भागा अपने कमरे में तेजी से और अपनी मम्मी को मुंह पे ही दरवाजा बंद कर दिया । फिर हस्ता हुआ अपने कमरे की खिड़की से दो मंजिल से कूदा ।



यही नहीं कूद के आसानी देर दौर लगा के घर के 6 फीट ऊंची बाउंड्री के दीवार फांद लिया । और तब जा के उसे एहसास हुआ कि उसने क्या किया अभी अभी । गली के बच्चे उसे तक लगाते बस देखते रहे । कुछ आवारा कुत्ते भी भाऊ भाऊ कर के उसके पीछे पड़े । बिस्वास को कुत्तों से एलर्जी था इलसीए वो भागा और कुत्ते भी उसके पीछे । वो दुगनी स्पीड से भागते हुए सोचने लगा । क्या वाकई में उसे कोई शक्ति मिली है ।




और ये था आखिरी बरदान बिस्वास का । इन चारो का घर एक ही सिटी में था एक दो किलोमीटर की एरिया में आस पास । चारों ही चड्डी बड्डी यार था । बचपन से ले के कॉलेज तक आज भी एक थाली में खाना खाता है । बोलते तो एक चड्डी के पट्ठे ।




अगली भाग में जानेंगे की ये लोग कॉलेज में एक दूसरे के बारे में बताते हैं या नहीं । आज के लिए इतना ही दोस्तो ।
Bahot behtreen update Bhai
 
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