अध्याय 60 – 61...
आर्यमणि ने अपनी मौजूदगी में तो पूरे नागपुर में तहलका मचाया ही था परंतु उसके जाने के बाद भी, नागपुर, नाशिक और मुंबई तक उसके नाम की गूंज सुनाई दे रही है। आर्यमणि को कमतर आंकना इतना भारी पड़ जाएगा, इसकी कल्पना तक नहीं को थी सुकेश तथा उसके साथियों ने। ऊपर से धीरेन स्वामी ने इन सबका गरीबी में आटा गीला कर दिया। नतीजतन, ना केवल इन लोगों की सारी साज़िश धरी की धरी रह गई बल्कि पूरी प्रणाली को इन्हें बदल देना पड़ा। सुकेश की जगह अब जयदेव ने ले ली है, और साथ ही नागपुर इकाई को छोड़कर पूरा कार्यभार अब मुंबई में खिसका दिया गया है।
इस भाग में हुई कुछ बातों से इस नतीजे पर पहुंचा जा सकता है की सीक्रेट बॉडी एक पूरा सिंडिकेट चला रही है। थर्ड लाइन के 80 सीक्रेट शिकारियों को सेकंड लाइन के लिए तैयार करने की बात कही गई थी सभा के दौरान। स्पष्ट है की कम से कम 150 – 200 और भी थर्ड लाइन के शिकारी होंगे ही, इन लोगों के पास। एक जन्म में आर्यमणि उन्हीं को खत्म कर पाएगा, अभी के हालात में? ऊपर से सेकंड लाइन, और शायद फर्स्ट लाइन में भी शिकारियों को संख्या अब बढ़ाई जा सकती है। जब आर्यमणि लौटेगा तब उसके सामने एक ऐसा चक्रव्यूह होगा, जिसे भेद पाना, बेहद ही कठिन होगा।
साथ ही, सुकेश पर भड़ास निकालते समय उन्होंने कहा, की थर्ड लाइन की जगह उन सबको खुद ही कुछ शिकारियों के साथ रुकना चाहिए था। स्पष्ट है की ये सभी लोग या तो खुद फर्स्ट लाइन के सदस्य हैं, अथवा यही अपेक्स सुपरनैचुरल हैं। प्रथम समीकरण शायद सही है यहां! खैर, इनकी सच्चाई तो जब सामने आनी होगी आ जाएगी परंतु ये लोग धीरेन की यादों में झांक पाए थे, दिखलाता है की कुछ आलौकिक शक्तियां तो इनके पास भी हैं। आर्यमणि को भी अंदेशा था इस बात का, इसीलिए उसने धीरेन की यादों से छेड़छाड़ की और सीक्रेट बॉडी को यकीन दिला दिया की जो कुछ भी हुआ उसका कारण आर्यमणि से ज़्यादा धीरेन था।
इसके पीछे आर्यमणि की क्या मंशा थी ये तो वही जाने परंतु उसने धीरेन का अच्छा टिकट काट दिया है। सोच ही रहा था मैं की आर्यमणि ने धीरेन को इतने सस्ते में कैसे छोड़ दिया पर अब समझ आया की आने वाले समय में धीरेन को उसके सगे वाले ही टॉर्चर करेंगे। इससे बेहतर क्या हो सकता है उस चोमू के लिए!? आर्यमणि ने सुकेश के बंगले से उठाया गया सामान कहां गायब किया है इसका कोई अंदेशा तक नहीं लगा पाई है सीक्रेट बॉडी। एक मकड़जाल बुन दिया है उसने, इतनी वैन और ट्रकों को अलग – अलग स्थानों पर भेजकर पूरी तरह उलझा दिया है उसने इन सबको।
मेरे ख्याल से जहां आर्यमणि है वहीं वो सारा सामान भी है। आर्यमणि, अलबेली, रूही, इवान और ओजल... सभी एक साथ बंदरगाह पर पहुंचे थे परंतु अलग – अलग साधनों की सहायता से। वहां से सभी एक ही गंतव्य की ओर निकले अथवा अलग – अलग जगह पर ये सोचने वाली बात है। वैसे मुझे नहीं लगता की उन दोनों ट्विन वोल्फ्स को आर्यमणि अभी अपनी नज़रों से दूर करेगा। बहरहाल, सोचने लायक बात ये है की आर्यमणि फिलहाल है कहां!? समंदर की गहराई में नागपुर से निकलने वाले दिन को किस मंतव्य से याद कर रहा है वो, और कबसे उस गहरे पानी में बैठा हुआ है? बाकी चारों कहां हैं और क्या कर रहे हैं, ये भी देखने लायक बात है।
इधर पलक को नाशिक इकाई का अस्थाई सदस्य बना दिया गया है परंतु सबको नज़रों से अलग उसे थर्ड लाइन के शिकारी की ट्रेनिंग भी दी जा रही है। पलक, के साथ जो दोनों तरफ से खेल हुआ है उसके बाद उसका झल्ला जाना समझ आता है। अभी तो उसे ये नहीं पता की सीक्रेट बॉडी भी उससे सिक्रेटली खेल, खेल रही थी। एक बार पता लगे, तब उसकी प्रतिक्रिया देखने लायक होगी। वहीं नम्रता को नागपुर इकाई का कर्ता – धर्ता घोषित कर दिया गया है, अभी तक तो उसने बिलकुल वैसे ही कार्य किया है जैसी भूमि को अपेक्षा थी, देखते हैं आगे क्या होता है नागपुर में...
निशांत, माधव और चित्रा के नाम जिस “अस्त्र लिमिटेड” को छोड़कर गया है आर्यमणि, उसके विरुद्ध भी कानूनी हथकंडे अपनाने का प्रयास किया गया था सीक्रेट बॉडी की तरफ से परन्तु सन्यासी शिवम् द्वारा चुने गए वकील ने उन सारे मंसूबों पर पानी फेर दिया। खैर, अब निशांत भी निकल चुका है हिमालय की तरफ अपनी आगे की शिक्षा के लिए, अभी के लिए कहने लगभग डेढ़ महीना आगे निकल चुकी है, देखते हैं कहां जाकर रुकती है!
दोनों ही भाग बहुत ही खूबसूरत थे भाई, प्रतीक्षा रहेगी अगली कड़ी की...