धरती के बोझ बारह सीक्रेट प्रहरियों मे कुछ नामो का खुलासा हुआ और कुछ का होना अभी बाकी है। इन्ही लोगो ने पुरे तालाब को गंदा कर रखा है।
सुकेस, मिनाक्षी, तेजस, जयदेव, उज्जवल, राजदीप, अक्षरा, मुक्ता की मम्मी और देवगिरी पाठक नौ लोगों के चेहरे से नकाब हट चुका है। लेकिन अभी भी तीन बाकी है।
इनमे अधिकतर सगे सम्बन्धी ही है और शर्म - हया , लाज - लिहाज , मान - सम्मान सब चीजो को ताक पर रखकर राक्षसी प्रवृति को ही अपना धर्म मान लिया है। कलयुगी राक्षस।
" जब जब होई धर्म की हानि
बाढ़हि असुर अधम अभिमानी "
आर्य का जन्म ही इन दैत्यों के संहार के लिए हुआ है। बारह दैत्य राज के साथ साथ उनके दानवी सेनाओं को भी यमलोक पहुंचाने के लिए हुआ है।
प्रहरी के यह ग्रूप फिलहाल अपनी पहली हार पचा नही पा रहे है और एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप की बौछार करने पर उतारू हो गए है। पत्नि अपने पति को खुलेआम जान से मार देने की मनसा जता रही है तो दामाद अपने ससुर को उनके नाम से ही सम्बोधित करते हुए अपमान पर अपमान किए जा रहा है।
क्या ही राक्षसी संस्कार है इन प्रथम श्रेणी के प्रहरियों की !
आर्य ने अपने प्लानिंग से लाजवाब कर दिया हमे। लेकिन पलक के लिए थोड़ी संवेदना अभी भी है मेरे दिल मे। उसे एक मोहरे की तरह इस्तेमाल किया गया। उसके अपने रिश्तेदार ने उसे भ्रमित करने का काम किया। आर्य के साथ वो जो कुछ भी की उसके पीछे उसके खुद का दिमाग नही था। और जहां तक मुझे लगता है आर्य ने भी अपने प्लान को सक्सेस करने के लिए पलक का इस्तेमाल किया था।
इस पुरे खेल मे सबसे ज्यादा कोई आहत हुआ है तो वो पलक ही है।
नित्या एक बार फिर मैदान मे आ खड़ी हुई है और वो भी आठ सेकेंड क्लास के दक्ष प्रहरी सैनिकों के साथ। इस युद्ध का तो बेसब्री से इंतजार रहेगा।
खुबसूरत अपडेट और खुबसूरत प्रस्तुतीकरण नैन भाई।
Outstanding & Amazing & brilliant.