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मैं- क्यों अम्मीजान ऐसी भला कौन सी बात अब रह गई है कि आप मुझसे पूछो और मैं बुरा मान जाऊँ?
अम्मी- बेटा वो मैं ये पूछना चाह रही थी कि जब निदा को तुम और फरी सब बता ही चुके हो तो क्या कभी तुम्हारे दिल में खयाल नहीं आया कि अपनी अम्मी या बड़ी बहन की तरह उसके साथ भी करो?
मैं- अम्मी सच्ची बात तो ये है कि मेरा दिल तो बहत करता है।
लेकिन मैं कुछ भी उसकी मर्जी के बिना नहीं करना चाहता कि जिससे निदा का मेरे ऊपर बना विस्वास खतम हो जाए।
अम्मी- अच्छा जी, तो मेरा शेर अब घर में बची हुई आखिरी कली को भी फूल बना लेना चाहता है?
मैं- अम्मी अगर आपको अच्छा नहीं लगा तो बता दो?
मैं कभी निदा की तरफ ऐसी निगाह से देखूगा भी नहीं।
लेकिन साथ ही आपको ये गुरंटी भी देना होगी कि निदा घर में ये सब कुछ होता देखकर कहीं बाहर जाकर अपनी आग नहीं बुझाएगी तो मेरा भी आप से वादा है कि मैं उसकी तरफ कभी बुरी नजर से देखना तो बाद की बात है सोचूंगा भी नहीं।
अम्मी- नहीं बेटा, असल बात ये है कि मैं चाहती हूँ कि जब निदा सब देख रही है लेकिन नाराज होने की बजाये हमें खुली इजाजत दे रही है कि हम जो चाहें कर सकते हैं,
तो क्यों ना उसे भी कली से फूल बना दिया जाए?
बेचारी कब तक अपनी आग में जलती रहेगी?
वैसे भी इस तरह हमारा सारा डर जो कि निदा की तरफ से बना हुआ है,
खतम हो जाएगा।
अभी मैंने अम्मी को कोई जवाब भी नहीं दिया था कि मेरे मोबाइल की एस.एम.एस. टोन बज उठी।
मैंने देखा तो सफदर अंकल का एस.एम.एस. था जो कि मुझे 5 मिनट तक आने को बोल रहे थे।
मैंने अम्मी को एस.एम.एस. दिखाया।
तो अम्मी हँसते हुये बोली- “चल जा मजे कर।
लेकिन जो मैंने कहा है सोचना जरूर?”
मैंने ओके कहा और घर से निकलकर सफदर अंकल के घर की तरफ चल दिया।
अंकल ने वादे के मुताबिक बाहर का दरवाजा लाक नहीं किया था,
अम्मी- बेटा वो मैं ये पूछना चाह रही थी कि जब निदा को तुम और फरी सब बता ही चुके हो तो क्या कभी तुम्हारे दिल में खयाल नहीं आया कि अपनी अम्मी या बड़ी बहन की तरह उसके साथ भी करो?
मैं- अम्मी सच्ची बात तो ये है कि मेरा दिल तो बहत करता है।
लेकिन मैं कुछ भी उसकी मर्जी के बिना नहीं करना चाहता कि जिससे निदा का मेरे ऊपर बना विस्वास खतम हो जाए।
अम्मी- अच्छा जी, तो मेरा शेर अब घर में बची हुई आखिरी कली को भी फूल बना लेना चाहता है?
मैं- अम्मी अगर आपको अच्छा नहीं लगा तो बता दो?
मैं कभी निदा की तरफ ऐसी निगाह से देखूगा भी नहीं।
लेकिन साथ ही आपको ये गुरंटी भी देना होगी कि निदा घर में ये सब कुछ होता देखकर कहीं बाहर जाकर अपनी आग नहीं बुझाएगी तो मेरा भी आप से वादा है कि मैं उसकी तरफ कभी बुरी नजर से देखना तो बाद की बात है सोचूंगा भी नहीं।
अम्मी- नहीं बेटा, असल बात ये है कि मैं चाहती हूँ कि जब निदा सब देख रही है लेकिन नाराज होने की बजाये हमें खुली इजाजत दे रही है कि हम जो चाहें कर सकते हैं,
तो क्यों ना उसे भी कली से फूल बना दिया जाए?
बेचारी कब तक अपनी आग में जलती रहेगी?
वैसे भी इस तरह हमारा सारा डर जो कि निदा की तरफ से बना हुआ है,
खतम हो जाएगा।
अभी मैंने अम्मी को कोई जवाब भी नहीं दिया था कि मेरे मोबाइल की एस.एम.एस. टोन बज उठी।
मैंने देखा तो सफदर अंकल का एस.एम.एस. था जो कि मुझे 5 मिनट तक आने को बोल रहे थे।
मैंने अम्मी को एस.एम.एस. दिखाया।
तो अम्मी हँसते हुये बोली- “चल जा मजे कर।
लेकिन जो मैंने कहा है सोचना जरूर?”
मैंने ओके कहा और घर से निकलकर सफदर अंकल के घर की तरफ चल दिया।
अंकल ने वादे के मुताबिक बाहर का दरवाजा लाक नहीं किया था,