• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

★☆★ Xforum | Ultimate Story Contest 2025 ~ Reviews Thread ★☆★

Lucifer

Ban Count :- 4013
Staff member
Co-Admin
9,868
10,550
274
Unfortunately We are facing a server issue which limits most users from posting long posts which is very necessary for USC entries as all of them are above 5-7K words ,we are fixing this issue as I post this but it'll take few days so keeping this in mind the last date of entry thread is increased once again,Entry thread will be closed on 7th May 11:59 PM. And you can still post reviews for best reader's award till 13th May 11:59 PM. Sorry for the inconvenience caused.

You can PM your story to any mod and they'll post it for you.

Note to writers :- Don't try to post long updates instead post it in 2 Or more posts. Thanks. Regards :- Luci
 
Last edited by a moderator:

vakharia

Supreme
5,917
20,405
174
कहानी समीक्षा: हनुमानगढ़ हवेली
लेखक महोदय: Blues Bane

HH-BB
free image hosting
उज्जैन नगरी के पुराने गलियारों की यात्रा कराती यह अनोखी कहानी.. कहानी में जो माहौल खींचा गया है.. वो जंग लगी किवाड़ें, दीवारों की झुर्रियाँ, हवेली के माथे का काला तिल.. सब कुछ इतना असली लगता है कि आंखों के सामने सीन बन जाता है।

मुझे सबसे ज़्यादा अच्छा ये लगा कि कहानी में असली इमोशन है। वारिशा और नंदन की जो उलझन है.. बेचें या ना बेचें, डरें या सामना करें-सब कुछ बहुत रिलेटेबल है। कई परिवारों में ऐसी विरासत या पुरानी प्रॉपर्टी की कहानियाँ होती हैं, जिनमें अफवाहें, डर, और रिश्तेदारों की खींचतान... सब मिल जाता है।

और जब तहख़ाने में वो हार मिलता है, तब तो कहानी में सस्पेंस और भी बढ़ जाता है। हार की रहस्यमयी लाइन.. रात वाले सीन, हँसी, हुक्के की आवाज़, और सपनों में वो दुपट्टे वाली महिला.. सब कुछ बहुत सधा हुआ है, ओवरड्रामैटिक नहीं, बल्कि धीरे-धीरे डर और रहस्य को बढ़ाता है।

सबसे बड़ी बात, कहानी का एंड बहुत सुकून देने वाला है। डर, लालच और रहस्य के बाद मुक्ति और शांति का जो एहसास आता है, वो दिल को छू जाता है। हवेली का डरावना इतिहास आखिरकार एक पॉजिटिव मेसेज में बदल जाता है.. माफी, मुक्ति और परिवार की एकजुटता। और वो आखिरी सीन, जब हवेली को स्मृति-स्थल बना देते हैं, और मोहल्ले के लोग वहां पूजा करने आते हैं.. ये बहुत ही खूबसूरत और उम्मीद से भरा हुआ है।

सीधी बात, कहानी में लोकल टच है, किरदार असली लगते हैं, और डर के साथ-साथ इंसानियत और इतिहास की परतें भी खुलती हैं। पढ़ते हुए लगा कि जैसे कोई पुराना किस्सा दादी-नानी सुना रही हों, लेकिन उसमें आज के सवाल और जज़्बात भी शामिल हैं।
 

avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
Supreme
4,441
24,644
159
विधिलिखित” प्रेम, कर्तव्य, बलिदान और भाग्य के जटिल ताने-बाने को बुनती दिखाई देती है। कथानक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर आधारित है, जो मराठा और राजपूत परंपराओं को जीवंत करता है। गौरी का जीवन दो परस्पर विरोधी संसारों - उसकी मातृभूमि ‘देवगढ़’ और उसकी कर्मभूमि ‘प्रतापगढ़’ में दिखाया गया है। कहानी में प्रेम, षड्यंत्र, और युद्ध के तत्व संतुलित ढंग से डाले हैं। गौरी का विद्याधर के प्रति प्रेम, और जफ़रउद्दीन के छल से जूझते हुए अपने कर्तव्य को निभाने का सफर कहानी को गति देता है। कहानी का अंत, जहाँ गौरी और विद्याधर अग्नि में एक साथ विलीन हो जाते हैं, भावनात्मक रूप से गहरा और प्रतीकात्मक है। प्रेम की परिणति अग्नि के समक्ष होती है - यहाँ अग्निसात होने में हो गई।

Adirshi ने सरल, किन्तु भावपूर्ण भाषा में इस कहानी को रचा है, जिसने मुझको गौरी की भावना और उसके कर्तव्य के बीच के संघर्ष में डुबो दिया। एक और बात है, जो मैंने देखी -- जफ़रउद्दीन ने जहाँ छल कर के गौरी को इस संसार में अपवित्र किया, वहीं गौरी ने उसका संहार कर के उसको ‘उस’ संसार में अपवित्र कर दिया [“एक स्त्री के हाथों…”]. बहुत अच्छी रचनात्मकता दिखाई है आपने यहाँ - केवल कहानी ही नहीं, काव्य भी ही इसमें, श्लोक भी!

कुल मिला कर प्रेम और मर्यादा, कर्तव्य और बलिदान, और स्त्री-शक्ति के प्रतीकों का बेहतरीन प्रदर्शन किया है आपने!

बहुत ही बढ़िया लेखन! बेहद उत्कृष्ट!
 

vakharia

Supreme
5,917
20,405
174
कहानी समीक्षा: चांदनी चौक चले चन्नू भैया
लेखक महोदय: Saleem Pheku


CCC-SF

क्या बात है! इस कहानी की समीक्षा भी उतनी ही मसालेदार है जितनी चन्नू भैया की सोयाबीन बिरयानी।

कहानी शुरू होती है सागर के एक मोहल्ले में, जहाँ चन्नू भैया का ढाबा है.. ना कोई चमचमाता बोर्ड, ना को ताम-झाम, बस देसी खुशबू और दिल से बना खाना। जैसे ही पढ़ना शुरू करो, लगता है जैसे भाप उड़ती कचौड़ियों की खुशबू सीधे नाक तक पहुँच गई हो। और चन्नू भैया? गोल-मटोल, भोली मुस्कान, बालों में चांदी-यानी हर मोहल्ले का वो प्यारा अंकल, जो हर किसी की शादी में सबसे पहले बुलाया जाता है।

अब कहानी में असली ट्विस्ट तब आता है जब दिल्ली से फोन आता है-“शादी में आओ, बस आप ही चाहिए!” और हमारी भोली टीम दिल्ली की ट्रेन पकड़ लेती है, बेसन के लड्डू बाँधकर। लेकिन दिल्ली, भाई, दिल्ली तो दिल्ली है! स्टेशन पर उतरते ही टीम का हाल वही हो जाता है जैसे देसी घी में गलती से मोम पड़ जाए.. सब गड़बड़!

और असली मज़ा तो तब आता है जब पता चलता है, शादी-वादी कुछ नहीं, ये तो कंस्ट्रक्शन साइट है! चन्नू भैया की टीम का चेहरा वैसा ही उतर जाता है जैसा बिना चीनी का हलवा.. बेस्वाद और उदास। लेकिन वाह, कहानी का स्वाद यहीं नहीं रुकता। एक के बाद एक गड़बड़-रबड़ी में आटा, समोसे में मोम, और हलवे में चीनी की जगह ‘शुगर फ्री’ का देसी अर्थघटन। यानी, जितनी गड़बड़ हो सकती थी, सब एक प्लेट में परोस दी गई!

लेकिन, कहानी यहीं हार नहीं मानती। जैसे हर अच्छे पकवान में एक सीक्रेट तत्व होता है, वैसे ही यहाँ नेहा नाम की स्मार्ट दिल्ली वाली आती है और टीम को समझाती है-“भैया, अब सिर्फ स्वाद नहीं, ब्रांड भी चाहिए!” और फिर किस्मत का ऐसा पलट.. मल्होत्रा जी की बेटी की शादी में चन्नू भैया की टीम को मौका मिलता है। और इस बार, टीम ऐसा जादू करती है कि दिल्ली वाले भी पूछने लगते हैं-“ये सागर कहाँ है?”

अब, कहानी की सबसे बड़ी खूबी है उसका देसी ह्यूमर। हर किरदार, चाहे रज्जो हलवाई हों या प्याज काटने वाली गुड्डी बाई, सबका अपना स्वैग है.. कोई रबड़ी में आटा डाल देता है, कोई ‘शुगर फ्री’ को मूल-अर्थ में ले लेता है। और संवाद तो ऐसे हैं कि पढ़ते-पढ़ते हँसी छूट जाए-“अबकी बार सौ बार चेक करूंगा भैया, घी में घी ही डालेंगे, मोम भूल जाओ!”

और अंत में, जब टीम वापस सागर लौटती है, तो ढाबे के बाहर चमचमाता बोर्ड और बच्चों की लाइन-“आ गए दिल्ली वाले!”-ये सब पढ़कर दिल खुश हो जाता है। जैसे हर प्लेट के साथ थोड़ी सी उम्मीद, थोड़ी सी मिठास मिल गई हो।

तो भैया, कुल मिलाकर, ये कहानी वैसी ही है जैसे देसी ढाबे की थाली-साधारण दिखने वाली, पर हर निवाले में स्वाद, ह्यूमर और दिल छुपा हुआ। और हाँ, अगली बार अगर कोई ‘शुगर फ्री’ बोले, तो पहले चेक जरूर कर लेना!
 

vakharia

Supreme
5,917
20,405
174
कहानी समीक्षा: मुलाक़ात
लेखक महोदय: dil_he_dil_main

image

कहानी की शुरुआत बड़ी रियल लगी..अर्जुन और नेहा, दो आम से लड़के.. लड़की, जिनकी लाइफ में वही सब चलता है जो सामान्य लोगों की लाइफ में चलता है.. बोर्ड एग्जाम, दोस्ती, प्यार, ब्रेकअप, और फिर वो पुरानी यादें। कहानी में जो फ्लैशबैक वाला एंगल है, वो तो एकदम फिल्मी टच देता है, लेकिन कहीं भी ओवरड्रामैटिक नहीं होता। सब कुछ बड़ा स्वाभाविक है।

मुझे सबसे ज्यादा मज़ा आया अर्जुन के नजरिए से कहानी देखने में। उसकी मासूमियत, उसके छोटे.. छोटे डर, और नेहा के साथ पहली बार बैठने की एक्साइटमेंट.. सब कुछ बड़ा सच्चा लगता है। और फिर धीरे.. धीरे दोस्ती से प्यार, और फिर सोशल मीडिया वाला ट्विस्ट.. नेहा का वायरल होना, फेमस होना, और रिलेशनशिप में पब्लिसिटी आना.. आजकल के टाइम में तो ये सब बहुत कॉमन है, लेकिन कहानी में ये सब बहुत सहज तरीके से लिखा गया है।

फिर ब्रेकअप वाला पार्ट.. भाई, सच बता रहा हूँ, दिल थोड़ा भारी हो गया था। अर्जुन की सादगी और उसका इमोशनल होना, माँ के गले लगकर रोना.. ये सब पढ़कर लगा कि यार, ये तो अपने आसपास के लड़कों जैसा ही है। और नेहा का स्वभाव बदलना, उसका फेमस होते ही अलग हो जाना.. ये भी आजकल के रिश्तों की कड़वी सच्चाई है।

अंत में जब नेहा वापस आती है, शादी का कार्ड देती है, और फिर कहती है कि शादी नहीं करनी.. यहाँ कहानी फिर से एक नया मोड़ लेती है। अर्जुन का दर्द, उसका अपने आंसू छुपाना, और फिर नेहा के लिए विलेन बनने का इरादा.. ये सब पढ़कर लगा कि कहानी अभी खत्म नहीं हुई, असली ड्रामा तो अब शुरू होगा।

एक बात कहूँ? ये कहानी पढ़कर लगा जैसे अपनी ही कोई अधूरी मोहब्बत की यादें ताज़ा हो गईं। इसमें जो ह्यूमर है.. जैसे छोले-भटूरे वाले सीन्स, या बोर्ड एग्जाम के टाइम की छोटी-छोटी बातें.. वो भी मजेदार हैं, और इमोशनल हिस्से भी दिल को छू जाते हैं।

कुल मिलाकर, कहानी बहुत सिंपल, दिल से लिखी हुई और आज के यूथ की फीलिंग्स को एकदम सही पकड़ती है। और हाँ, आखिरी लाइन.. "अब मुझे कहानी में बने रहने के लिए कहानी का विलेन बनना होगा".. इसने तो सस्पेंस भी बना दिया।
 
Last edited:

avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
Supreme
4,441
24,644
159
दहशत” एक रहस्यमई कहानी है, जिसने मुझको ‘प्रभास’ के साथ उसके अकेलेपन, और भयावह और अलौकिक अनुभवों की दुनिया की सैर करा दी। पानी टपकने आवाज़, काली बिल्ली, ऑटो, कार, ज़ुराबें, और अन्य रहस्यमय घटनाओं के इर्द-गिर्द बुनी गई ये कहानी प्रभास के अतीत और एक आत्मा की कहानी को सुनाती है। Raj_sharma ने कहानी को रोचक ढंग से लिखा है, और जिज्ञासा का माहौल बनाए रखा है (डर वाला भाव आता ही नहीं अब)! ख़ैर, कहानी का पहला हिस्सा डर और संदेह पैदा करता है, लेकिन दूसरे हिस्से में सुहासिनी और प्रभास की माँ की कहानी सामने आती है। रथींद्र शुक्ला के हस्तक्षेप और पूजा के जरिए कहानी एक संतोषजनक अंत तक पहुँचती है।

रचना तार्किक है (जो पराशक्तियों में मानते हैं), जो धीरे-धीरे रहस्य खोलती है और अंत में सभी प्रश्नों के उत्तर भी देती है। लेकिन मेरे लिए यह कहानी थोड़े अलग से सन्देश लाती है : संसार के मोह से मुक्त होना - यह संभवतः मानव जीवन की ऐसी क़वायद है, जिसको केवल कुछ बिरले महा-व्यक्तियों ने ही पूरा कर पाया है। कहानी में कई विषय-वस्तुएँ हैं, जैसे कि अकेलापन - शायद आधुनिक जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप; प्रेम - जिसको सुहासिनी, प्रभास की माँ, और एक हद तक चंपा और अनूप के मैत्रीपूर्ण संबंधों से दिखाया गया है; पुनः, मुक्ति की बातें आध्यात्मिक विश्वासों की तरफ़ संकेत करती हैं।

एक दो स्थानों पर संयम बरता जा सकता था, जैसे प्रभास का बार-बार घर की जाँच करना और कार का बार-बार गायब होना। सुहासिनी की कहानी को और गहराई दी जा सकती थी - हाँ, बचपन की मोहब्बत बलशाली हो सकती है, लेकिन उस पर और प्रकाश डाला जा सकता था।
 
Last edited:

vakharia

Supreme
5,917
20,405
174
Story review: Cubicle : A Sky Within
Author: A Loner



CASW-AYA
From paychecks to purpose...

Ye kahani har us bande ki kahani hai jo apni life mein “Where do you see yourself in 5 years?” ka jawab deke khud ko hi confuse kar leta hai.

Starting se hi writer ne jo middle-class ke sapne aur reality ka tussle dikhaya hai na, wo ekdum relatable hai. Engineering, MBA, placement, salary.. sab tick mark ho jaate hain, par andar se kuch missing lagta hai. Jitni honesty se protagonist ne apni cubicle wali life ka loop dikhaya hai.. Excel sheets, meetings, salary ka SMS, office politics.. lagta hai hum mein se hi kisi ek ki life ka screenshot hai.

Aur phir office ki woh ek ladki.. Aarohi. Uska pantry mein milna, terrace pe baithna, chhoti chhoti baatein, sapne… bhai, yeh sab padhte hue lagta hai jaise apni hi koi college ya office wali memory flash ho gayi ho. Lekin jab uska promotion ka sach samne aata hai, tab writer ne bahut subtle tareeke se dikhaya hai ki har kahani ka happy ending zaroori nahi hota, par uska asar humesha rehta hai.

Sabse badi baat.. jab mummy tiffin leke office aayi thi, aur wo ek line “Mera beta itni badi building mein kaam karta hai ki gardan upar karo to dard ho jaaye”.. ohh, aankh mein paani aa gaya. Kitni baar hum apni family ko khush dekhne ke liye khud ko compromise kar lete hain, par andar se khud hi kho jaate hain.

Aur jab finally banda decide karta hai ki ab bas, ab apne sapne jeene hain.. wo walkout wala scene ekdum filmy hai, par sach bolun toh har kisi ki life mein ek aisa moment aata hai jab lagta hai, “Ab aur nahi.” Freelancing, gaming, content creation.. ab jo bhi hai, kam se kam dil se to hai.

Yeh story ekdum seedhi, bina gyaan diye, bina melodrama ke, ek aisi awaaz hai jo har cubicle ke andar chup baithi hai. Writer ka style ekdum conversational hai.. jaise aap apne dost se chai pe baat kar raha ho. Shayari, choti choti lines, aur woh last mein “Where do you see yourself in 5 years?” ka jawab.. ekdum sahi jagah pe hit karta hai.

Agar life mein kabhi bhi lag raha ho ki sab kuch mechanical ho gaya hai, toh yeh kahani zaroor padhna. Shayad aapko bhi apna “sky within” mil jaaye.
 
Last edited:

vakharia

Supreme
5,917
20,405
174
Story review: Raftaar Jaanlewa hai
Author: A Loner

RJH-AYA

Kahani padhte hue aisa laga jaise koi Imtiaz Ali ki film chal rahi ho mere dimaag ke screen par..

Sabse pehle toh, woh jo shuru ka scene hai na.. Highway 27, bike, 90 ki speed, raat ka samay, hawa tez.. bhai, ekdum feel aa gayi. Matlab, sach bolun toh, aisa laga ki main khud handle pakad ke baitha hoon. Aur woh baajre ke khet… kya imagery hai! Peela rang, yaadon ka harapan.. vaah..!!!

Phir helmet ke andar ki saansein, dimaag ki uljhan, aur woh titli ka aana.. yeh toh ekdum metaphorical ho gaya. Titli ki maut, uska khoon, uski kahani – bhai, aapne ek chhoti si incident ko itna gehra bana diya ki reader sochne pe majboor ho jaaye. "Kya wo titli bhi sirf safar mein thi, jaise main?" – yeh line toh seedha dil pe lagi.

Aur phir, twist! Truck ka aana, sab kuch palat jaana, woh ek second ka jhatka – suspense, thrill, sab kuch ek saath. Uske baad jo surreal scene hai, maut wali ladki, kali saari, laal honth – bhai, ekdum haunting imagery hai. Jaise koi folklore ya urban legend zinda ho gaya ho. Uska "Raftaar jaanlewa hai" kehna, aankhein band karna.. ekdum chills aa gaye.

Aur sabse badi baat.. woh realization ki ab tu bhi usi duniya mein hai, jahan woh ladki hai. Kya baat hai! Woh feeka, dhundhla highway, sab kuch dissolve hota hua – aur sirf woh ladki bachi hui. Matlab, ekdum existential feel aa gayi. Life, death, safar, yaadein – sab kuch ek hi kahani mein ghol diyaa.

End mein woh line – "Raftaar Jaanlewa Hai… Aur Tum Bhi…" ekdum mic drop moment! Jaise purani kahani mein nayi jaan daal di ho.

Ye kahani ek warning bhi hai, ek soch bhi hai, aur ek ajeeb si tasalli bhi. Kabhi kabhi maut bhi itni khoobsurat ho sakti hai, kisne socha tha?
 

avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
Supreme
4,441
24,644
159
वो खिड़की जो” एक रोमांचक और भावनात्मक कहानी है, जो विज्ञान, रहस्य, और मानवीय रिश्तों का अनूठा मिश्रण प्रस्तुत करती है। Wormhole, theoretical physics की एक अवधारणा है, जिसको सामान्य रूप में समझ और समझा पाना कठिन है। लेकिन Riky007 ने रुचिपूर्ण तरीक़े से इस अवधारणा और उसके द्वारा समय यात्रा को प्रस्तुत किया है, जो शायद सभी को शुरू से अंत तक पकड़े रखने में सफ़ल रहेगी। कहानी की शुरु में ही मानव उसके दादा के गर्मजोशी भरे रिश्ते का प्रदर्शन हो जाता है, जिसके कारण मैं कहानी के संग तुरंत जुड़ गया। सुचिता के गानों और दादा जी की यादों से कहानी में रहस्य का पुट आता है, जो धीरे धीरे स्वयं ही सुलझता चला जाता है। सुचिता के साथ मानव की मुलाकात, उसकी परेशानियाँ, और फिर अंत में उसकी मुक्ति की योजना कहानी को रोचक बनाती हैं। आग की घटना और अर्जुन का समय पर हस्तक्षेप कहानी को नाटकीय मोड़ देता है। अंत में सुचिता और संजय के सुखद जीवन का पता चलना भावनात्मक रूप से संतुष्टि देता है।

कुछ बातें और विस्तार माँगती थीं - खिड़की/वर्महोल बहुत seamless लगी। दो समयकालों के बीच का द्वार ऐसा seamless -- संभव नहीं लगता। आग की घटना थोड़ा जल्दबाजी में समाप्त हो जाती लगती है -- इसको और नाटकीय बनाया जा सकता था।

वैसे प्रोफ़ेसर साहब और मानव के संवादों से “मिस्टर इंडिया” फिल्म का अशोक कुमार - अनिल कपूर का संवाद याद आ गया। फ़िल्म की बात चल निकली है तो सीता-गीता फ़िल्म जैसा भी माहौल बना है (सुचिता की सौतेली माँ उसकी शादी अपने भाई से कराना चाहती है कि उसके पैसों पर ऐश कर सके)! :)

एक प्रश्न : सुचिता को मानव “आला” क्यों लटकाए हुए क्यों लगा था? इयरफोन्स लगाए था क्या?
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
Staff member
Sectional Moderator
Supreme
30,908
69,194
304
दहशत” एक रहस्यमई कहानी है, जिसने मुझको ‘प्रभास’ के साथ उसके अकेलेपन, और भयावह और अलौकिक अनुभवों की दुनिया की सैर करा दी। पानी टपकने आवाज़, काली बिल्ली, ऑटो, कार, ज़ुराबें, और अन्य रहस्यमय घटनाओं के इर्द-गिर्द बुनी गई ये कहानी प्रभास के अतीत और एक आत्मा की कहानी को सुनाती है। Raj_sharma ने कहानी को रोचक ढंग से लिखा है, और जिज्ञासा का माहौल बनाए रखा है (डर वाला भाव आता ही नहीं अब)! ख़ैर, कहानी का पहला हिस्सा डर और संदेह पैदा करता है, लेकिन दूसरे हिस्से में सुहासिनी और प्रभास की माँ की कहानी सामने आती है। रथींद्र शुक्ला के हस्तक्षेप और पूजा के जरिए कहानी एक संतोषजनक अंत तक पहुँचती है।

रचना तार्किक है (जो पराशक्तियों में मानते हैं), जो धीरे-धीरे रहस्य खोलती है और अंत में सभी प्रश्नों के उत्तर भी देती है। लेकिन मेरे लिए यह कहानी थोड़े अलग से सन्देश लाती है : संसार के मोह से मुक्त होना - यह संभवतः मानव जीवन की ऐसी क़वायद है, जिसको केवल कुछ बिरले महा-व्यक्तियों ने ही पूरा कर पाया है। कहानी में कई विषय-वस्तुएँ हैं, जैसे कि अकेलापन - शायद आधुनिक जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप; प्रेम - जिसको सुहासिनी, प्रभास की माँ, और एक हद तक चंपा और अनूप के मैत्रीपूर्ण संबंधों से दिखाया गया है; पुनः, मुक्ति की बातें आध्यात्मिक विश्वासों की तरफ़ संकेत करती हैं।

एक दो स्थानों पर संयम बरता जा सकता था, जैसे प्रभास का बार-बार घर की जाँच करना और कार का बार-बार गायब होना। सुहासिनी की कहानी को और गहराई दी जा सकती थी - हाँ, बचपन की मोहब्बत बलशाली हो सकती है, लेकिन उस पर और प्रकाश डाला जा सकता था।
Thank you so much for your amazing review bhai ji :thanks: aapne kahani ko saraha aur usme suggestions bhi diye uske liye asbhaar🙏🏼 aapne jin cheejo ko bataya main unper vichar to kar chuka hu, per mere tareeke se agar main utnq likhta to sayad 10k ya us se uper jaata, again Thanks
 
  • Like
Reactions: Shetan and Avaran

Black

From India
Prime
19,167
37,953
259
..Cubicle : A Sky Within.. by A Loner

Delhi mein rehna sachmein bada mushkil hai :cry:
Control
Sahi mein school ke baad life aise hi chalti hai
Jab kamane lag jaao toh aisa lagta hai ek loop mein fans gaye hain
Subah utho breakfast karo job phir wapas ghar so jaao
EK middle class ladke ka dukh isse jada kya hoga ki use sapne dekhne ke liye nahi bola jaata aur na woh dekh sakta
Ek ek word dil se likha gaya hai dil ko chhu lene waali story hai bhaiya
Main toh toot gaya :cry2:
 
Top