vakharia
Supreme
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Writer - vakharia
स्टोरी लाइन:
यह कहानी रामायण ग्रंथ की घटनाओं को आज के समय में दिखाने की कोशिश है। रामायण में रामजी और सीतामाता के किरदार होते हैं, और इस कहानी में भी कुछ ऐसे ही किरदार हैं। कहानी दो समय में चलती है: एक पुराने समय में (त्रेता युग) और एक आज के समय में (कलियुग)। पुराने समय में राम जी और सीतामाता की कहानी है, और आज के समय में आरव और सिया नाम के किरदारों की कहानी है। दोनों कहानियों में कुछ चीजें एक जैसी हैं, समापन अलग है।
पॉजिटिव प्वाइंट :
*नवीन दृष्टिकोण: कहानी रामायण को एक नए और प्रासंगिक तरीके से प्रस्तुत करती है, जो इसे आज के पाठकों के लिए आकर्षक बनाती है।
* मजबूत नारी पात्र: सीता और सिया दोनों को मजबूत और सशक्त महिलाओं के रूप में चित्रित किया गया है, जो अपने अधिकारों के लिए लड़ती हैं।
* सामाजिक संदेश: कहानी में भ्रष्टाचार, अन्याय और महिलाओं के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया गया है।
* भाषा और शैली: लेखक ने भाषा और शैली का प्रभावी ढंग से उपयोग किया है, जो कहानी को भावनात्मक रूप से शक्तिशाली बनाता है।
* कहानी कहने का अनूठा तरीका: लेखक ने कहानी को सीधे सीधे न बता कर इशारों और प्रतीकों का इस्तेमाल किया है जिससे पाठकों को सोचने और महसूस करने का मौका मिलता है।
* पसंदीदा पात्र: रामायण हम सभी ने पढ़ी होंगी पर कलयुग के हनुमानजी ( मारुत) का पात्र कहानी को उत्सुक बनता हैं।
नेगेटिव प्वाइंट:
* कहानी का अंत थोड़ा अधूरा लगता है, ऐसा लगता है कि कुछ और भी होना बाकी है।
कुल मिलाकर:
यह कहानी रामायण को एक नए तरीके से दिखाने की कोशिश करती है, और इसमें बहुत कुछ अच्छी बातें हैं ।यह कहानी समझने में थोड़ी मुश्किल हो सकती है, लेकिन यह सोचने लायक है।
Rating 8/10
बहुत शानदार कहानी है। कम शब्दो में अपनी बात रखना भी एक कला है। लाजवाब अदभुत।
प्रिय THE ACRONYM जी
आपका दिल से धन्यवाद
कि आपने "सीता फिर अग्नि में..." को इतने ध्यान और संवेदना से पढ़ा और फिर उस पर अपनी बेशकीमती प्रतिक्रिया दी।
आपकी सराहना के लिए विशेष आभार.. सच मानिए, यही कोशिश थी कि रामायण जैसे शाश्वत ग्रंथ को आज के सामाजिक संदर्भ में देखा जाए। सीता और सिया.. दोनों का स्वरूप मैंने एक-दूसरे की परछाईं की तरह गढ़ा, और यह जानकर बेहद खुशी हुई कि वो आपकी नज़र में जीवंत रहीं। मारुत (कलियुग के हनुमान) को आपने जिस स्नेह से पसंद किया, वह मेरे लिए सबसे बड़ा सौभाग्य है।
आपने कहा की अंत आपको अधूरा सा लगा.. वह बिंदु विचारणीय है। दरअसल, उस "अधूरेपन" में ही मैंने एक द्वार खुला छोड़ा है.. एक संभावना, एक परछाईं...जिसे या तो पाठक अपने अर्थों से भर दे, या शायद एक अगली कहानी उस अधूरेपन को पूरा करे।
और अंत में आपने जो कहा
"कम शब्दों में अपनी बात रखना भी एक कला है" तो यह आप का बड़प्पन है कि आपने इसे महसूस किया।
आपका समय, आपकी दृष्टि, और आपकी स्नेहभरी समीक्षा मेरे लिए अमूल्य है। आशा करता हूँ कि आप यूँ ही पढ़ते रहें, और न सिर्फ मेरी… हर उस कहानी को जो कुछ कहने की हिम्मत रखती है।
सादर,
वखारिया
आपका दिल से धन्यवाद

आपकी सराहना के लिए विशेष आभार.. सच मानिए, यही कोशिश थी कि रामायण जैसे शाश्वत ग्रंथ को आज के सामाजिक संदर्भ में देखा जाए। सीता और सिया.. दोनों का स्वरूप मैंने एक-दूसरे की परछाईं की तरह गढ़ा, और यह जानकर बेहद खुशी हुई कि वो आपकी नज़र में जीवंत रहीं। मारुत (कलियुग के हनुमान) को आपने जिस स्नेह से पसंद किया, वह मेरे लिए सबसे बड़ा सौभाग्य है।
आपने कहा की अंत आपको अधूरा सा लगा.. वह बिंदु विचारणीय है। दरअसल, उस "अधूरेपन" में ही मैंने एक द्वार खुला छोड़ा है.. एक संभावना, एक परछाईं...जिसे या तो पाठक अपने अर्थों से भर दे, या शायद एक अगली कहानी उस अधूरेपन को पूरा करे।
और अंत में आपने जो कहा
"कम शब्दों में अपनी बात रखना भी एक कला है" तो यह आप का बड़प्पन है कि आपने इसे महसूस किया।
आपका समय, आपकी दृष्टि, और आपकी स्नेहभरी समीक्षा मेरे लिए अमूल्य है। आशा करता हूँ कि आप यूँ ही पढ़ते रहें, और न सिर्फ मेरी… हर उस कहानी को जो कुछ कहने की हिम्मत रखती है।
सादर,
वखारिया
