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★☆★ Xforum | Ultimate Story Contest 2025 ~ Reviews Thread ★☆★

vakharia

Supreme
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Writer - vakharia

स्टोरी लाइन:
यह कहानी रामायण ग्रंथ की घटनाओं को आज के समय में दिखाने की कोशिश है। रामायण में रामजी और सीतामाता के किरदार होते हैं, और इस कहानी में भी कुछ ऐसे ही किरदार हैं। कहानी दो समय में चलती है: एक पुराने समय में (त्रेता युग) और एक आज के समय में (कलियुग)। पुराने समय में राम जी और सीतामाता की कहानी है, और आज के समय में आरव और सिया नाम के किरदारों की कहानी है। दोनों कहानियों में कुछ चीजें एक जैसी हैं, समापन अलग है।


पॉजिटिव प्वाइंट :
*नवीन दृष्टिकोण: कहानी रामायण को एक नए और प्रासंगिक तरीके से प्रस्तुत करती है, जो इसे आज के पाठकों के लिए आकर्षक बनाती है।

* मजबूत नारी पात्र: सीता और सिया दोनों को मजबूत और सशक्त महिलाओं के रूप में चित्रित किया गया है, जो अपने अधिकारों के लिए लड़ती हैं।

* सामाजिक संदेश: कहानी में भ्रष्टाचार, अन्याय और महिलाओं के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया गया है।

* भाषा और शैली: लेखक ने भाषा और शैली का प्रभावी ढंग से उपयोग किया है, जो कहानी को भावनात्मक रूप से शक्तिशाली बनाता है।

* कहानी कहने का अनूठा तरीका: लेखक ने कहानी को सीधे सीधे न बता कर इशारों और प्रतीकों का इस्तेमाल किया है जिससे पाठकों को सोचने और महसूस करने का मौका मिलता है।

* पसंदीदा पात्र: रामायण हम सभी ने पढ़ी होंगी पर कलयुग के हनुमानजी ( मारुत) का पात्र कहानी को उत्सुक बनता हैं।


नेगेटिव प्वाइंट:
* कहानी का अंत थोड़ा अधूरा लगता है, ऐसा लगता है कि कुछ और भी होना बाकी है।



कुल मिलाकर:

यह कहानी रामायण को एक नए तरीके से दिखाने की कोशिश करती है, और इसमें बहुत कुछ अच्छी बातें हैं ।यह कहानी समझने में थोड़ी मुश्किल हो सकती है, लेकिन यह सोचने लायक है।


Rating 8/10
बहुत शानदार कहानी है। कम शब्दो में अपनी बात रखना भी एक कला है। लाजवाब अदभुत।
प्रिय THE ACRONYM जी

आपका दिल से धन्यवाद 🙏 कि आपने "सीता फिर अग्नि में..." को इतने ध्यान और संवेदना से पढ़ा और फिर उस पर अपनी बेशकीमती प्रतिक्रिया दी।

आपकी सराहना के लिए विशेष आभार.. सच मानिए, यही कोशिश थी कि रामायण जैसे शाश्वत ग्रंथ को आज के सामाजिक संदर्भ में देखा जाए। सीता और सिया.. दोनों का स्वरूप मैंने एक-दूसरे की परछाईं की तरह गढ़ा, और यह जानकर बेहद खुशी हुई कि वो आपकी नज़र में जीवंत रहीं। मारुत (कलियुग के हनुमान) को आपने जिस स्नेह से पसंद किया, वह मेरे लिए सबसे बड़ा सौभाग्य है।

आपने कहा की अंत आपको अधूरा सा लगा.. वह बिंदु विचारणीय है। दरअसल, उस "अधूरेपन" में ही मैंने एक द्वार खुला छोड़ा है.. एक संभावना, एक परछाईं...जिसे या तो पाठक अपने अर्थों से भर दे, या शायद एक अगली कहानी उस अधूरेपन को पूरा करे।

और अंत में आपने जो कहा
"कम शब्दों में अपनी बात रखना भी एक कला है" तो यह आप का बड़प्पन है कि आपने इसे महसूस किया।

आपका समय, आपकी दृष्टि, और आपकी स्नेहभरी समीक्षा मेरे लिए अमूल्य है। आशा करता हूँ कि आप यूँ ही पढ़ते रहें, और न सिर्फ मेरी… हर उस कहानी को जो कुछ कहने की हिम्मत रखती है।

सादर,
वखारिया ✍️
 

avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
Supreme
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अभी तक मेरी कहानी “अपशगुनी” पढ़ने और उस पर अपने विचार रखने और उसकी समालोचना करने के लिए प्रिय पाठकों और पाठिकाओं Riky007 ; Aakash. ; Shetan ; vakharia ; Mrxr ; THE ACRONYM ; Raj_sharma ; DesiPriyaRai का बहुत बहुत धन्यवाद! :) 🙏

सभी की पाती का मैं अभी तक उत्तर नहीं दे सका हूँ क्योंकि सपरिवार घूमने में व्यस्त हूँ (जी, तीन बच्चों के साथ यह मौजमस्ती, घूमना-फिरना भी एक काम ही हो जाता है)! लेकिन शीघ्र ही वापस आ कर बड़ी फुर्सत से लम्बे वार्तालाप करूँगा।

कुछ मित्रों ने एक बात कही है कि अम्मा के व्यवहार में “तीव्र परिवर्तन” (उनका एक आधुनिक और उदार विचारधारा वाली स्त्री से दकियानूसी सोच और अंधविश्वासों की ओर झुकाव) अविश्वसनीय लगता है। संभव है कि ऐसा हो, लेकिन अभी तक, अपने चार दशकों+ लम्बे जीवन में मैंने जो देखा, उसके आधार पर मैं केवल यह की कहूँगा कि ऐसे बदलाव अक्सर तीव्र ही होते हैं

यह परिवर्तन कई कारणों से हो सकता है, जैसे, सामाजिक प्रभाव (कोई शहरी व्यक्ति जो उदार विचारों वाला हो, लेकिन किसी पिछड़े इलाके में जाकर वहाँ की परंपराओं और विश्वासों को अपनाने लगे), निजी संकट और / या भावनात्मक उथल-पुथल (जब जीवन में कोई बड़ा संकट, जैसे नौकरी छूटना, पारिवारिक समस्या, या स्वास्थ्य संकट, आता है तो बहुत से व्यक्ति को अंधविश्वास की ओर चलने लगते हैं), और धार्मिक या सांस्कृतिक पुनर्जागरण (अक्सर रिटायर्ड लोगों में देखा है कि काम से फुर्सत पा कर लोग अपने परंपरागत विश्वासों को अपना लेते हैं, जो कभी-कभी अंधविश्वास को बढ़ावा देता है)।

1970-80 के दशकों में पश्चिमी देशों से कितने ही लोग भारत / नेपाल / लंका / थाईलैंड इत्यादि देशों में आ कर हिप्पी बन रहे थे, और क्रिस्टल हीलिंग, ज्योतिष, और अन्य अंधविश्वास मानने लगे थे। जबकि इन दशकों में पश्चिम में वैज्ञानिक विचारधारा बहुत ऊँची थी। मानव अभी अभी चन्द्रमा पर उतरा था। कम्प्यूटर जैसी उच्च तकनीक लोगों को मुहैया हो रही थी।

कहानी में अम्मा के साथ भावनात्मक उथल-पुथल वाला किस्सा फिट बैठता है। बड़ी बहू के साथ अनबन है; मँझली बहू और बेटा अलग हो गए; छोटी बहू मन-मुताबिक गर्भ नहीं धारण कर पा रही है; उनको स्वयं स्वास्थ्य समस्या है! ऐसे में एक बुढ़िया ने आ कर अमरूद के पेड़ पर सारा दोष मंढ़ दिया... आए दिन (सामाजिक प्रभाव)! लोग अक्सर समस्याओं और अनिश्चितताओं में आसान जवाब तलाशते हैं। अम्मा को वो आसान जवाब अमरूद के पेड़ में मिला। यह भी संभव है कि अम्मा स्वभाव से controlling हो? ऐसे में जब उनका परिवार फल फूल और फैल रहा है, तो उनको लग रहा है कि उनका परिवार टूट रहा है। शायद उनको डर हो कि अगर घर में कोई न बचे, तो उनकी और उनके पति की देखभाल कौन करेगा (तीन बहुएँ, लेकिन एक भी उपलब्ध नहीं)! सोचिए थोड़ा इस बात को।

मैं मानता हूँ कि कहानी में कई किरदार develop नहीं हुए। सभी किरदारों को develop करना आवश्यक नहीं है, क्योंकि वो कहानी के सपोर्ट में होते हैं। इस कहानी में बाल्यावस्था (गिल्लू; गोलू), युवावस्था (युवा अम्मा; कथा-वाचक; गिल्लू), और वृद्धावस्था (वृद्ध होती अम्मा) मुख्य किरदार हैं... और विचारधाराओं का टकराव कहानी की पृष्ठभूमि। अमरूद का पेड़ एक साक्ष्य है - इन अवस्थाओं का और उस पृष्ठभूमि का -- ठीक वैसे ही जैसे पृथ्वी के ध्रुवों पर जमी हुई बर्फ़ पृथ्वी पर होने वाली हर गतिविधि का साक्ष्य (या रिकॉर्ड) है।

कुछ पाठकों ने गलती से कथा-वाचक (मैं) को कहानी का नायक समझ लिया। जो कहानी सुनाए या जिसके नज़रिए से कहानी लिखी गई हो, वो ही नायक हो, यह ज़रूरी नहीं है।
आशा है कि कहानी पर की गई मुख्य टिप्पणियों पर सभी को संतोषजनक उत्तर मिले हों।

यह एक experimental story थी (USC जैसी प्रतियोगिता के लिए कुछ विशेष ही करना चाहिए)! कभी किसी अचल वस्तु / जीव को आधार बना कर मैंने कोई कहानी नहीं गढ़ी! यह पहला अवसर था। कुछ पाठकों को अच्छी भी लगी।

मिलते हैं शीघ्र ही :)
 
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Mrxr

ᴇʏᴇꜱ ʀᴇᴠᴇᴀʟ ᴇᴠᴇʀʏᴛʜɪɴɢ ᴡʜᴀᴛ'ꜱ ɪɴ ᴛʜᴇ ʜᴇᴀʀᴛ
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अभी तक मेरी कहानी “अपशगुनी” पढ़ने और उस पर अपने विचार रखने और उसकी समालोचना करने के लिए प्रिय पाठकों और पाठिकाओं Riky007 ; Aakash. ; Shetan ; vakharia ; Mrxr ; THE ACRONYM ; Raj_sharma ; DesiPriyaRai का बहुत बहुत धन्यवाद! :) 🙏

सभी की पाती का मैं अभी तक उत्तर नहीं दे सका हूँ क्योंकि सपरिवार घूमने में व्यस्त हूँ (जी, तीन बच्चों के साथ यह मौजमस्ती, घूमना-फिरना भी एक काम ही हो जाता है)! लेकिन शीघ्र ही वापस आ कर बड़ी फुर्सत से लम्बे वार्तालाप करूँगा।

कुछ मित्रों ने एक बात कही है कि अम्मा के व्यवहार में “तीव्र परिवर्तन” (उनका एक आधुनिक और उदार विचारधारा वाली स्त्री से दकियानूसी सोच और अंधविश्वासों की ओर झुकाव) अविश्वसनीय लगता है। संभव है कि ऐसा हो, लेकिन अभी तक, अपने चार दशकों+ लम्बे जीवन में मैंने जो देखा, उसके आधार पर मैं केवल यह की कहूँगा कि ऐसे बदलाव अक्सर तीव्र ही होते हैं

यह परिवर्तन कई कारणों से हो सकता है, जैसे, सामाजिक प्रभाव (कोई शहरी व्यक्ति जो उदार विचारों वाला हो, लेकिन किसी पिछड़े इलाके में जाकर वहाँ की परंपराओं और विश्वासों को अपनाने लगे), निजी संकट और / या भावनात्मक उथल-पुथल (जब जीवन में कोई बड़ा संकट, जैसे नौकरी छूटना, पारिवारिक समस्या, या स्वास्थ्य संकट, आता है तो बहुत से व्यक्ति को अंधविश्वास की ओर चलने लगते हैं), और धार्मिक या सांस्कृतिक पुनर्जागरण (अक्सर रिटायर्ड लोगों में देखा है कि काम से फुर्सत पा कर लोग अपने परंपरागत विश्वासों को अपना लेते हैं, जो कभी-कभी अंधविश्वास को बढ़ावा देता है)।

1970-80 के दशकों में पश्चिमी देशों से कितने ही लोग भारत / नेपाल / लंका / थाईलैंड इत्यादि देशों में आ कर हिप्पी बन रहे थे, और क्रिस्टल हीलिंग, ज्योतिष, और अन्य अंधविश्वास मानने लगे थे। जबकि इन दशकों में पश्चिम में वैज्ञानिक विचारधारा बहुत ऊँची थी। मानव अभी अभी चन्द्रमा पर उतरा था। कम्प्यूटर जैसी उच्च तकनीक लोगों को मुहैया हो रही थी।

कहानी में अम्मा के साथ भावनात्मक उथल-पुथल वाला किस्सा फिट बैठता है। बड़ी बहू के साथ अनबन है; मँझली बहू और बेटा अलग हो गए; छोटी बहू मन-मुताबिक गर्भ नहीं धारण कर पा रही है; उनको स्वयं स्वास्थ्य समस्या है! ऐसे में एक बुढ़िया ने आ कर अमरूद के पेड़ पर सारा दोष मंढ़ दिया... आए दिन (सामाजिक प्रभाव)! लोग अक्सर समस्याओं और अनिश्चितताओं में आसान जवाब तलाशते हैं। अम्मा को वो आसान जवाब अमरूद के पेड़ में मिला। यह भी संभव है कि अम्मा स्वभाव से controlling हो? ऐसे में जब उनका परिवार फल फूल और फैल रहा है, तो उनको लग रहा है कि उनका परिवार टूट रहा है। शायद उनको डर हो कि अगर घर में कोई न बचे, तो उनकी और उनके पति की देखभाल कौन करेगा (तीन बहुएँ, लेकिन एक भी उपलब्ध नहीं)! सोचिए थोड़ा इस बात को।

मैं मानता हूँ कि कहानी में कई किरदार develop नहीं हुए। सभी किरदारों को develop करना आवश्यक नहीं है, क्योंकि वो कहानी के सपोर्ट में होते हैं। इस कहानी में बाल्यावस्था (गिल्लू; गोलू), युवावस्था (युवा अम्मा; कथा-वाचक; गिल्लू), और वृद्धावस्था (वृद्ध होती अम्मा) मुख्य किरदार हैं... और विचारधाराओं का टकराव कहानी की पृष्ठभूमि। अमरूद का पेड़ एक साक्ष्य है - इन अवस्थाओं का और उस पृष्ठभूमि का -- ठीक वैसे ही जैसे पृथ्वी के ध्रुवों पर जमी हुई बर्फ़ पृथ्वी पर होने वाली हर गतिविधि का साक्ष्य (या रिकॉर्ड) है।

कुछ पाठकों ने गलती से कथा-वाचक (मैं) को कहानी का नायक समझ लिया। जो कहानी सुनाए या जिसके नज़रिए से कहानी लिखी गई हो, वो ही नायक हो, यह ज़रूरी नहीं है।
आशा है कि कहानी पर की गई मुख्य टिप्पणियों पर सभी को संतोषजनक उत्तर मिले हों।

यह एक experimental story थी (USC जैसी प्रतियोगिता के लिए कुछ विशेष ही करना चाहिए)! कभी किसी अचल वस्तु / जीव को आधार बना कर मैंने कोई कहानी नहीं गढ़ी! यह पहला अवसर था। कुछ पाठकों को अच्छी भी लगी।

मिलते हैं शीघ्र ही :)
Thank you..
 

Shetan

Well-Known Member
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कोई बात नहीं. आप के वापस आने का इंतजार रहेगा. और लोगो की ऐसे परवाह करना छोड़िये. कई है ऐसे जो नया नया सोख पाले टिपणी देने आ जाते है. आप की कहानी मे कुछ अधूरा नहीं है. और नया कुछ डेवलोप करने जैसा नहीं है. जो लिखा है. परफेक्ट और शानदार लिखा है. इस तरह के फॉर्मेट जल्दी कइयों को समझ नहीं आते. मुजे आप की कहानी बहोत पसंद आई है. ऑल द बेस्ट
 
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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
Supreme
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अभी तक मेरी कहानी “अपशगुनी” पढ़ने और उस पर अपने विचार रखने और उसकी समालोचना करने के लिए प्रिय पाठकों और पाठिकाओं Riky007 ; Aakash. ; Shetan ; vakharia ; Mrxr ; THE ACRONYM ; Raj_sharma ; DesiPriyaRai का बहुत बहुत धन्यवाद! :) 🙏

सभी की पाती का मैं अभी तक उत्तर नहीं दे सका हूँ क्योंकि सपरिवार घूमने में व्यस्त हूँ (जी, तीन बच्चों के साथ यह मौजमस्ती, घूमना-फिरना भी एक काम ही हो जाता है)! लेकिन शीघ्र ही वापस आ कर बड़ी फुर्सत से लम्बे वार्तालाप करूँगा।

कुछ मित्रों ने एक बात कही है कि अम्मा के व्यवहार में “तीव्र परिवर्तन” (उनका एक आधुनिक और उदार विचारधारा वाली स्त्री से दकियानूसी सोच और अंधविश्वासों की ओर झुकाव) अविश्वसनीय लगता है। संभव है कि ऐसा हो, लेकिन अभी तक, अपने चार दशकों+ लम्बे जीवन में मैंने जो देखा, उसके आधार पर मैं केवल यह की कहूँगा कि ऐसे बदलाव अक्सर तीव्र ही होते हैं

यह परिवर्तन कई कारणों से हो सकता है, जैसे, सामाजिक प्रभाव (कोई शहरी व्यक्ति जो उदार विचारों वाला हो, लेकिन किसी पिछड़े इलाके में जाकर वहाँ की परंपराओं और विश्वासों को अपनाने लगे), निजी संकट और / या भावनात्मक उथल-पुथल (जब जीवन में कोई बड़ा संकट, जैसे नौकरी छूटना, पारिवारिक समस्या, या स्वास्थ्य संकट, आता है तो बहुत से व्यक्ति को अंधविश्वास की ओर चलने लगते हैं), और धार्मिक या सांस्कृतिक पुनर्जागरण (अक्सर रिटायर्ड लोगों में देखा है कि काम से फुर्सत पा कर लोग अपने परंपरागत विश्वासों को अपना लेते हैं, जो कभी-कभी अंधविश्वास को बढ़ावा देता है)।

1970-80 के दशकों में पश्चिमी देशों से कितने ही लोग भारत / नेपाल / लंका / थाईलैंड इत्यादि देशों में आ कर हिप्पी बन रहे थे, और क्रिस्टल हीलिंग, ज्योतिष, और अन्य अंधविश्वास मानने लगे थे। जबकि इन दशकों में पश्चिम में वैज्ञानिक विचारधारा बहुत ऊँची थी। मानव अभी अभी चन्द्रमा पर उतरा था। कम्प्यूटर जैसी उच्च तकनीक लोगों को मुहैया हो रही थी।

कहानी में अम्मा के साथ भावनात्मक उथल-पुथल वाला किस्सा फिट बैठता है। बड़ी बहू के साथ अनबन है; मँझली बहू और बेटा अलग हो गए; छोटी बहू मन-मुताबिक गर्भ नहीं धारण कर पा रही है; उनको स्वयं स्वास्थ्य समस्या है! ऐसे में एक बुढ़िया ने आ कर अमरूद के पेड़ पर सारा दोष मंढ़ दिया... आए दिन (सामाजिक प्रभाव)! लोग अक्सर समस्याओं और अनिश्चितताओं में आसान जवाब तलाशते हैं। अम्मा को वो आसान जवाब अमरूद के पेड़ में मिला। यह भी संभव है कि अम्मा स्वभाव से controlling हो? ऐसे में जब उनका परिवार फल फूल और फैल रहा है, तो उनको लग रहा है कि उनका परिवार टूट रहा है। शायद उनको डर हो कि अगर घर में कोई न बचे, तो उनकी और उनके पति की देखभाल कौन करेगा (तीन बहुएँ, लेकिन एक भी उपलब्ध नहीं)! सोचिए थोड़ा इस बात को।

मैं मानता हूँ कि कहानी में कई किरदार develop नहीं हुए। सभी किरदारों को develop करना आवश्यक नहीं है, क्योंकि वो कहानी के सपोर्ट में होते हैं। इस कहानी में बाल्यावस्था (गिल्लू; गोलू), युवावस्था (युवा अम्मा; कथा-वाचक; गिल्लू), और वृद्धावस्था (वृद्ध होती अम्मा) मुख्य किरदार हैं... और विचारधाराओं का टकराव कहानी की पृष्ठभूमि। अमरूद का पेड़ एक साक्ष्य है - इन अवस्थाओं का और उस पृष्ठभूमि का -- ठीक वैसे ही जैसे पृथ्वी के ध्रुवों पर जमी हुई बर्फ़ पृथ्वी पर होने वाली हर गतिविधि का साक्ष्य (या रिकॉर्ड) है।

कुछ पाठकों ने गलती से कथा-वाचक (मैं) को कहानी का नायक समझ लिया। जो कहानी सुनाए या जिसके नज़रिए से कहानी लिखी गई हो, वो ही नायक हो, यह ज़रूरी नहीं है।
आशा है कि कहानी पर की गई मुख्य टिप्पणियों पर सभी को संतोषजनक उत्तर मिले हों।

यह एक experimental story थी (USC जैसी प्रतियोगिता के लिए कुछ विशेष ही करना चाहिए)! कभी किसी अचल वस्तु / जीव को आधार बना कर मैंने कोई कहानी नहीं गढ़ी! यह पहला अवसर था। कुछ पाठकों को अच्छी भी लगी।

मिलते हैं शीघ्र ही :)
Thank you very much bhaiya,
hum aapkui kchamta per kisi bhi tarah ka shak kar hi nahi sakte:nope:
 

RED Ashoka

Member
206
431
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[सीता ने ठहरकर देखा,

“प्रभु, आपने मेरे सम्मान की रक्षा की, पर मेरा विश्वास कहाँ था उस क्षण… जब आपने मुझे अग्नि परीक्षा देनी चा
ही?”]


vakharia
Sorry to say
Par kya yaha dharmik granthon arthat ramayan aur mahabharat pr likh skte hai?

Adirshi

Kyoki isse kai vivad utpann ho sakte hai

Meri baat ko samjhne kj Koshih kijiyega[/spoiler]
And Yug Purush story section thread pe galti se mera reply type ho gya,use waha se hata dijiye ga please
 
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Yug Purush

सादा जीवन, तुच्छ विचार
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[सीता ने ठहरकर देखा,

“प्रभु, आपने मेरे सम्मान की रक्षा की, पर मेरा विश्वास कहाँ था उस क्षण… जब आपने मुझे अग्नि परीक्षा देनी चा
ही?”]


vakharia
Sorry to say
Par kya yaha dharmik granthon arthat ramayan aur mahabharat pr likh skte hai?

Adirshi

Kyoki isse kai vivad utpann ho sakte hai

Meri baat ko samjhne kj Koshih kijiyega[/spoiler]
And Yug Purush story section thread pe galti se mera reply type ho gya,use waha se hata dijiye ga please
yadi story non erotic hai toh reference allow kiya ja sakta hai.. Wo story par depend karta hai ki story kaisi hai aur religious figure ko kis roop me darshaya ja rha hai..
Anyway, thanx for mentioning.. We will look into it.. If it doesn't fit according to xf rules.. We will take appropriate action.
 

Vinci

Polymath
22
6
3
Story review: Taboo
Author: Vinci


TBV

Man, this story is heavy. Like, the kind of heavy that sits on your chest and makes you need to take a deep breath after reading. Vinci doesn’t hold back... this is raw, uncomfortable, and brutally real. It’s not just about the act itself but about how a man’s mind unravels when grief, desperation, and twisted desire take over.

The story doesn’t rush. It creeps. You see Ravi’s thoughts shift from normal dad stuff to... something way darker. The way Vinci writes his internal struggle (or lack thereof) is chilling. One minute he’s worrying about bills, the next he’s staring at his daughter in a way that makes your skin crawl.

Neha is not some movie heroine who fights back dramatically. She freezes. She dissociates. She tries to rationalize what’s happening because how the hell do you process your own father doing this? It’s heartbreaking because it feels real.

The house feels like a prison. The beeping monitors, the stale air, the way every little sound (a door creaking, water running) becomes ominous. You can feel the tension thickening.

Some parts get really graphic, and while that’s effective, there are moments where cutting back a little might’ve made it even more disturbing. The mind fills in blanks worse than words sometimes.

Ravi’s inner monologue and thoughts get a little too poetic for a guy losing his grip. Lines like "a hunger that had lain dormant for years" sound cool but kinda take you out of the moment. Would’ve been creepier if his justifications were messier, uglier.

This isn’t a story you “like.” It’s one that sticks to you, like a bad dream you can’t shake. It’s well-written, but damn, it’s hard to read. If you’re looking for something dark, psychological, and brutally honest about how messed up people can get? Yeah, this’ll do it. Just... maybe don’t read it before bed.
Thanks, dude, for reading my story and your kind words. Indeed, it is not the story you should cherish, I went all-in with this one. I will keep your suggestion in mind. Cheers. :-)
 
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Vinci

Polymath
22
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"Taboo" by Vinci

Ek dark aur emotionally intense kahani hai jo ek parivar ke dukh, beemari aur forbidden desires ke ird-gird ghumti hai. Ravi apni beemar biwi Seema ki dekhbhal karta hai jabki unki beti Neha bhi apni maa ke liye jimmedari uthati hai. Kahani ek taraf parivaarik bandhan aur sacrifice ko dikhati hai aur doosri taraf Ravi ke mann mein paida hone wale galat khayalon aur uske naitik sankat ko explore karti hai. Ye kahani bohot sensitive topic incestuous desires ko chooti hai jo isse controversial aur disturbing banata hai.

Positive Points:

▪︎ Emotional Depth: Kahani Ravi ke dukh, akelapan aur Seema ke saath intimacy ki kami ko bohot gehrayi se dikhati hai. Neha ka apni maa ke prati pyar aur responsibility bhi dil ko choota hai.

▪︎ Realistic Characters: Ravi ka character layered hai ek pyar karne wala pita aur pati lekin uski kamzori usse galat raste par le jati hai. Neha ka youth aur vulnerability uske struggle ko relatable banata hai.

▪︎ Atmospheric Writing: Ghar ka mahol, Seema ke kamre ka description aur chhoti-chhoti details kahani mein intimacy bharte hain.

▪︎ Moral Conflict: Ravi ke galat khayalon aur guilt ke beech ka struggle kahani ka core hai jo readers ko sochne par majboor karta hai ki insaan kitna dur ja sakta hai jab uska control toot jata hai.

Negative Points:

▪︎ Disturbing Content: Incest aur sexual violence ka graphic depiction bohot unsettling hai aur kai readers ke liye unacceptable ho sakta hai aur kuch logon ko pasand nahi ayega.

▪︎ Pacing: Kahani ke shuruati hisse thoda slow hain jabki climax (Ravi ka Neha ke saath galat vyavhaar) bohot jaldi aur intense ho jata hai jo flow ko disrupt karta hai.

▪︎ Character Motivation: Ravi ke galat khayalon ka sudden development thoda forced lagta hai uska character arc aur uske desires ka buildup thoda aur gradual ho sakta tha.

▪︎ Lack of Resolution: Kahani ek dark note par khatam hoti hai bina kisi clear resolution ke jo kuch readers ke liye unsatisfying ho sakta hai. Neha ke perspective ko aur explore kiya ja sakta tha.

Ek Acchi Kahani ke Liye Kya Accha Hai, Kya Bura Hai:

▪︎ Accha: Ek acchi kahani characters ke emotions aur conflicts ko gehrayi se dikhati hai jo readers ke dil ko chhuti ho vivid descriptions aur realistic dialogues kahani ko immersive banate hain. Sensitive topics ko agar thoughtfully handle kiya jaye toh vo impactful ho sakte hain.

▪︎ Bura: Agar sensitive topics ko bina proper context ya sensitivity ke dikhaya jaye toh vo readers ko alienate kar sakta hai. Kahani ka pacing aur resolution bhi important hai agar ye unbalanced ho toh impact kam ho jata hai.

Wartani (Language) aur Rhythm:

English language ka istemal simple aur evocative hai jo mood ko effectively set karta hai. Sentences chhote aur descriptive hain jo kahani ke somber tone ke saath fit baithte hain. Rhythm shuru mein thoda slow hai lekin jaise-jaise tension badhta hai pacing tezi se badalti hai. Kuch jagah par transitions abrupt lagte hain khaas kar jab Ravi ke khayal suddenly dark ho jate hain. Explicit scenes ke descriptions thoda zyada detailed hain jo kahani ke emotional weight ko distract kar sakte hain.

Overall:


Powerful lekin controversial kahani hai jo parivaarik dukh aur forbidden desires ke complex mix ko dikhati hai. Iske strong points hain iski emotional depth aur atmospheric writing lekin graphic content aur pacing issues isse polarizing banate hain.

:dost: Thanks, Bro, for your valuable comment. Sach main, story last main thoda tez ho gaya, waise wo intended to that ke story ke attitude ke sath speed bhi match kare, but I think I overdid it. Thanks for pointing it out. Cheeres. B-)
 
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