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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

kamdev99008

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Shiv arthat Sthool Tatv (Material) saakar, Sanatan, ajanma-avinashi, anadi-anant .... Swayambhu
Jise panchtatva me vargikrit kiya gaya hai... Bhumi
Gagan
Vayu
Agni
Neer
Arthat .....BhGVAN

Shakti arthat Urja (Energy) jo kriya ki pratikriya ke roop me utpann hoti hai aur nishkriyata me samapt ho jati hai
Dhwani, Prakash ko apne yahan tatv ke roop me darshaya lekin mujhe samajh ata hai ki ki ye urja hain... ye dono hi nahin Gangajal ka aveg bhi wahi urja hai aur Gurutvakarshan bhi.

Apke is goodh tarkik vishleshan se me bahut prabhavit hua.... Karodon me naa sahi laakhon me koi itna Gyan rakhta hai


Ab takrav ki bhumika Ek Boond ne baandh di... Dekhte hain kya mod aata hai
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Ab takrav ki bhumika Ek Boond ne baandh di... Dekhte hain kya mod aata hai
अद्भुत रूप से प्रमुख तत्वों का विश्लेषण किया है आपने, शक्ति और शिवत्व का विवरण :claps:
Aise ki kuch na kuch likhte rahiye, taaki aapke sath rahe ka aabhaas milta rahe:declare:TThank you very much for your amazing words:thanks:
 

parkas

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#104.

क्रिस्टी की बात सुनकर, तौफीक ने धूल के गुबार को थोड़ी देर तक देखा और अपना पैर जमीन पर तेजी से पटका।

तौफीक के पैर पटकने से धूल के कुछ और कण जमीन से उठकर हवा में रुक गये।

“इन कणो पर गुरुत्वाकर्षण का नियम क्यों नहीं काम कर रहा?" अल्बर्ट ने उन धूलकणो को देखते हुए कहा।

यह देख सुयश ने जमीन पर बैठकर एक जोर की फूंक उन धूलकणो पर मारी। सुयश के ऐसा करते ही सारे धूलकण भौंरे के जमीन पर बनाये गोल सी रेखाओ के ऊपर हवा में गोल-गोल तैरने लगे।

भौंरे का शरीर भी उस हवा में गोल-गोल नाचने लगा। यह देखकर सुयश, तौफीक सहित सभी लोग पीछे हट गये।

धूल के कणो से बना वह गुबार अब हवा में ऊपर उठने लगा। उसकी गति और आकार भी अब लगातार बढ़ते जा रहे थे।

धीरे-धीरे हवा का वह गोल दायरा एक चक्रवात में परिवर्तित हो गया। अब सभी फूलों के पौधे उसकी ओर खिंचने लगे।

तभी ब्रेंडन की निगाहें अपने फ़ेंके उस फूल की ओर गयी, जिससे यह पूरा घटनाक्रम शुरू हुआ था। इतनी तेज हवा के होने के बाद भी वह फूल अपनी जगह पर पड़ा था।

चक्रवात अब और विकराल होता जा रहा था।

ब्रेंडन ने कुछ सोचने के बाद झुककर उस फूल को जमीन से उठा लिया। ब्रेंडन का अंदाजा था कि फूल को उठाने से यह पूरा घटनाक्रम बंद हो जायेगा, पर हुआ उसका बिल्कुल उलट।

ब्रेंडन के फूल उठाते ही वह चक्रवात तेजी से ब्रेंडन की ओर झपटा और इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, ब्रेंडन का शरीर चक्रवात के घेरे में फंस गया था।

किसी के पास ब्रेंडन को बचाने का ना तो वक्त था और ना ही तरीका।

चक्रवात ने अब बहुत विशाल रूप धारण कर लिया था। इसी के साथ चक्रवात हवा में उठा और ब्रेंडन सहित आसमान में उड़कर गायब हो गया।

सभी हक्के-बक्के से वहां खड़े चक्रवात को जाते देखते रह गये।

“ये क्या था प्रोफ़ेसर?" सुयश ने अल्बर्ट से पूछा- “ऐसी किसी चीज के बारे में क्या आपने कहीं सुन रखा है?"

“नहीं कैप्टन....ऐसी किसी चीज का जवाब विज्ञान के पास तो नहीं मिलेगा।"

अल्बर्ट ने आह भरते हुए कहा- “एक छोटे से फूल और भौंरे से इतनी बड़ी परेशानी का पैदा हो जाना तो किसी भी दिमाग में नहीं आ सकता था।"

“आख़िर हमने अपने एक और साथी को खो दिया।" तौफीक ने दुख भरे स्वर में कहा।

“नक्षत्रा।" जेनिथ ने नक्षत्रा से पूछा- “क्या तुम बता सकते हो कि ये चीज क्या थी?“

“ये चीज एक मायाजाल थी।" नक्षत्रा ने कहा।

“ये मायाजाल क्या होता है?" जेनिथ ने फ़िर से पूछा- “और हां, कृपया आसान भाषा में समझाना। मुझे विज्ञान की ज़्यादा जानकारी नहीं है।"

“हमारे आसपास 2 ब्रह्मांड हैं, एक वह जो हमें आसमान में दिखाई देता है और एक वह जो हमारे आसपास के वातावरण में मौजूद है।" नक्षत्रा ने कहा- “हम पहले ब्रह्मांड के बारे में तो अब बहुत कुछ जानने लगे हैं, परंतु हम अपने आसपास मौजूद ब्रह्मांड के बारे में कुछ नहीं जानते और हमारे आसपास मौजूद ब्रह्मांड ही हमारे जीवन का आधार है।

इसिलये मैं तुम्हें आसपास के ब्रह्मांड के बारे में बताता हूँ। दरअसल हमारे ब्रह्मांड में मौजूद हर चीज कण से मिलकर बनी है और विज्ञान जानने वाले लोगो को पता है कि हर कण इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से मिलकर बना है। जिसमें इलेक्ट्रॉन नकारात्मक और प्रोटॉन सकारात्मक होता है और यह दोनों ही कण नाभिक में बैठे न्यूट्रॉन के चक्कर लगाते हैं। यानी की साधारण भाषा में समझे तो वह छोटा सा कण भी अंदर से खोखला है और न्यूट्रॉन के गुरुत्वीय बल के कारण उसके चक्कर लगा रहा है। अब अगर तुम बाहर के ब्रह्मांड को देखो तो वो भी तो ऐसा ही है।

चन्द्रमा पृथ्वी के चक्कर लगा रहा है। पृथ्वी सूर्य के चारो ओर चक्कर लगा रही है। हमारी यह छोटी सी आकाशगंगा किसी दूसरी आकाशगंगा के चक्कर लगा रही है। ठीक उसी प्रकार अगर हम न्यूट्रॉन को करोड़ो गुना छोटा करे, तो उसमें भी एक ब्रह्मांड दिखाई देगा और उस ब्रह्मांड का सबसे छोटा कण है, जिसे हम ब्रह्मकण, हिग्स बोसन या आन्य नामों से जानते हैं।

इसी ब्रह्मकण ने हर जीव, हर तत्व को उत्पन्न किया है और सभी में अपने जीवन जीने के लिये विभिन्न प्रकार की क्षमताएं भी दी हैं। जैसे बाहरी दुनियां का ब्रह्मांड आपस में टकराकर एक नये ब्रह्मांड को जन्म देता है, ठीक उसी प्रकार कण का ब्रह्मांड भी आपस में टकराकर कुछ नये ‘इल्यूजन’ को जन्म देता है। हम इस ‘इल्यूजन’ को ही मायाजाल कहते हैं। इस मायाजाल पर हमारे भोतिक नियमों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता और ऐसा ही एक मायाजाल तुम्हें थोड़ी देर पहले दिखाई दिया है।"

इतना कहकर नक्षत्रा चुप हो गया। उसने जेनिथ की भावनाओं को महसूस किया तो पता चला कि उसकी बातें जेनिथ को केवल 12 प्रतिशत ही समझ में आई हैं। यह देख वह हंस दिया।

“तुम परेशान मत हो जेनिथ, मैं धीरे-धीरे तुम्हें पूरी विज्ञान की जानकारी दे दूँगा।" नक्षत्रा ने शांत जेनिथ को देख कहा।

जेनिथ ने धीरे से अपना सिर हिलाया और सभी के साथ आगे की ओर चल दी।


गुरुत्व शक्ति

(10 जनवरी 2002, गुरुवार, 16:00, सीनोर राज्य, अराका द्वीप)

लुफासा और सनूरा इस समय मकोटा महल में मकोटा के पास बैठे हुए थे।

“मैंने आज तुम्हें कुछ जरुरी काम करने के लिये बुलाया है लुफासा।" मकोटा ने लुफासा की ओर देखते हुए कहा।

“जी बताइये मान्त्रिक।"
लुफासा ने गहरी निगाहों से मकोटा की ओर देखते हुए कहा।

“दरअसल हमें अराका पर राज करने के लिये जैगन की शक्तियों की आवश्यकता है, पर इसके लिये पहले हमें जैगन को एक शक्ति प्राप्त करके देना होगा।" मकोटा ने कहा।

“कैसी शक्ति?" लुफासा ने मकोटा से पूछा।

“गुरुत्व शक्ति!" मकोटा ने कहा।

“गुरुत्व शक्ति? ... ये शक्ति क्या करती है मान्त्रिक?" लुफासा के शब्दो में व्यग्रता झलक रही थी।

“हर ग्रह के अंदर एक गुरुत्वाकर्षण शक्ति होती है, जिसकी वजह से उस ग्रह पर मौजूद सभी निर्जीव और सजीव चीज उस ग्रह की धरती से जुड़े रहते हैं। यह गुरुत्व शक्ति जिसके पास रहेगी, उस पर उस ग्रह के गुरुत्वाकर्षण का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति विज्ञान के नियमो को तोड़कर एक अजेय शक्ति में परिवर्त्तित हो जायेगा।" मकोटा ने कहा।

“पर ऐसी शक्ति धरती पर मिलेगी कहां?" सनूरा ने बीच में बोलते हुए कहा।

मकोटा ने इस बार सनूरा की ओर देखा और फ़िर बोला- “यहां से पूर्व दिशा की ओर एक विशालकाय पर्वत है, जिसका नाम हिमालय है। हर वर्ष हिमालय में वह शक्ति 1 दिन के लिये प्रकट होती है और वह विशेष दिन कल ही है। इसलिये तुम्हें आज ही हिमालय के लिये निकलना होगा।"

“पर मान्त्रिक... ऐसी विचित्र शक्ति मुझे ऐसे ही तो मिल नहीं जायेगी। उसकी सुरक्षा में भी कुछ ना कुछ तो जरूर होगा।" लुफासा ने कहा- “क्या आप मुझे उसकी सुरक्षा के बारे में कुछ बता सकते हैं?"

“उसकी सुरक्षा वहां के बर्फ़ में रहने वाले कुछ साधारण इंसान ही करते हैं, इसलिये उसको लाने में तुम्हें ज़्यादा परेशानी नहीं होगी।" मकोटा ने लुफासा को समझाया।

“फ़िर ठीक है, मैं आज ही गुरुत्व शक्ति को लाने के लिये चला जाऊंगा। पर मान्त्रिक क्या मैं जान सकता हूँ की जैगन यह शक्ति लेकर क्या करने वाला है?"

“जैगन का एक महाशक्तिशाली योद्धा एक बार एक युद्ध में धरा शक्ति से टकराते हुए जमीन पर गिर गया। जैगन लाख कोशिशों के बाद भी उसे जमीन से उठा नहीं पा रहा, तभी उसे गुरुत्व शक्ति के बारे में पता चला। दरअसल गुरुत्व शक्ति, धरा शक्ति की काट है और उसके द्वारा उस योद्धा को जगाया जा सकता है। इसिलये जैगन ने यह महान कार्य करने के लिये हमें चुना है।" मकोटा ने कहा।

मकोटा की बात सुनकर लुफासा एक पल में ही समझ गया कि मकोटा सरासर झूठ बोल रहा है, क्यों कि उसने पहले ही जैगन को पिरामिड में बेहोश हालत में देख लिया था।

लुफासा जान गया कि गुरुत्व शक्ति का उपयोग जैगन के महायोद्धा को जगाने के लिये नहीं, बल्कि स्वयं जैगन को जगाने के लिये होना था।

लेकिन इस समय लुफासा के पास और कोई चारा नहीं था, इसलिये वह गुरुत्व शक्ति लाने को तैयार हो गया।

तभी मकोटा ने लुफासा को एक दिशा यंत्र देते हुए कहा- “यह एक दिशा यंत्र है, ये तुम्हें गुरुत्व शक्ति के स्थान तक रास्ता दिखायेगा।"

मकोटा ने कुछ देर तक जब लुफासा और सनूरा को और कोई प्रश्न ना पूछते हुए देखा तो उन्हे वहां से जाने का इशारा कर दिया।

मकोटा का इशारा पाकर लुफासा और सनूरा वहां से चल दिये।

प्राचीन शिव मंदिर

(11 जनवरी 2002, शुक्रवार, 05:30, हिमलोक, हिमालय पर्वत)

अगले दिन शलाका नहा-धोकर ताजा हो गयी थी।

शिवन्या ने शलाका के लिये भारतीय परिधान भेज दिये थे। भारतीय वस्त्र और फूलों के श्रृंगार में शलाका बहुत खूबसूरत नजर आ रही थी।

थोड़ी देर में शिवन्या शलाका को लेने के लिये आ गयी। दोनों बाहर निकले तो शलाका ने देखा कि जेम्स भी भारतीय परिवेश में तैयार होकर बाहर रुद्राक्ष के साथ खड़ा था।

बाहर लगभग 20 लोग और थे, उसमें से कुछ ब्राह्मण और कुछ फूलों की टोकरियां उठाये सेवक और सेविकाएं थी।

ब्राह्मणो के हाथों में पूजा का सामान था।

सभी ने सफेद रंग के वस्त्र पहन रखे थे। एक विशालकाय स्लेज भी बाहर खड़ा था।

शिवन्या और शलाका को बाहर निकलते देख सभी उस बड़े स्लेज पर खड़े हो गये। इस बड़े स्लेज को 6 बर्फ़ पर चलने वाले घोड़े खींच रहे थे।

रुद्राक्ष, शिवन्या और शलाका रेंडियर वाले छोटे स्लेज पर बैठ गये। जेम्स भी उसी स्लेज पर सवार हो गया।

दोनों ही स्लेज बर्फ़ के रास्ते पर चल दिये।

जेम्स को यह सब कुछ बहुत अलग और अच्छा लग रहा था। उसे तो सबकुछ एक सपने की तरह महसूस हो रहा था।

“क्या मैं कुछ चीज आपसे पूछ सकता हूँ?" जेम्स ने शलाका की ओर देखते हुए पूछा।

“हां-हां पूछो जेम्स।" शलाका ने अनुमित देते हुए कहा।

“यह गुरुत्व शक्ति है क्या? मेरा मतलब है कि इस शक्ति का जन्म कैसे हुआ?" जेम्स ने उत्सुकता दिखाते हुए पूछा।

लेकिन इससे पहले कि शलाका इस बात का कोई जवाब देती, शिवन्या बीच में ही बोल पड़ी-

“हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगीरथ ने अपने पूर्वजो को मुक्ति दिलाने के लिये देवी गंगा का आव्हान किया, तो सबसे बड़ी समस्या यह थी कि गंगा के वेग को पृथ्वी नहीं संभाल पाती, जिसकी वजह से गंगा पाताल में चली जाती।

भगीरथ ने अपनी यह समस्या महा..देव को कही। महा..देव गंगा के वेग को अपनी जटाओं में रोकने के लिये तैयार हो गये, पर महा..देव जानते थे कि गंगा के वेग को संभालना इतना भी आसान ना था। इसके लिये महा..देव ने पहले गंगा से उनका एक बूंद अंश मांगा और उस अंश को चन्द्रमा के तेज से गुरुत्व शक्ति में परिवर्त्तित कर गुरुत्वाकर्षण से मुक्त कर दिया। देवी गंगा की वह प्रथम बूंद का अंश ही गुरुत्व शक्ति है, जो आज भी हिमालय के गर्भ में बसे शि..व मंदिर में रखी है। यह बूंद जिस पर गिरेगी, उसमें किसी भी ग्रह के गुरुत्वाकर्षण से मुक्त होने की शक्तियां आ जायेंगी।"

“अगर यह बूंद किसी पर गिरे तो क्या यह समाप्त हो जायेगी?" जिज्ञासु जेम्स ने फ़िर से सवाल किया।

“अगर यह बूंद किसी योग्य व्यक्ति पर गिरती है, तो उस व्यक्ति में शक्तियां आने के बाद एक नयी बूंद इस डिबिया में आ जायेगी, पर अगर गलती से भी यह बूंद किसी अयोग्य व्यक्ति पर गिरी तो यह बूंद सदा-सदा के लिये नष्ट हो जायेगी।"

“तो क्या आज तक यह बूंद किसी पर गिरी है?" जेम्स ने पूछा।

“हां....ये बूंद महाशक्तिशाली हनुका पर गिरी है।" शिवन्या ने कहा- “हनुका वही हैं जो कल आपको पकड़ कर लाये थे।"

जेम्स शिवन्या की बातें सुनकर चमत्कृत हो गया। तभी वह सभी लोग एक छोटे से पहाड़ पर पहुंच गये।

पहाड़ के ऊपर काफ़ी समतल क्षेत्र भी था।

सभी लोग वहां रथ से उतरकर जमीन के पास खड़े हो गये थे। इस समय चारो ओर उजाला फैल गया था, पर सूर्य की अभी पहली किरण नहीं आयी थी।

ब्राह्मणो ने तब तक वहां पर पूजा की तैयारियां शुरू कर दी। उन्होंने एक खाली स्थान पर रोली, अक्षत और फूलों से 2 स्वास्तिक व ओऽम की आकृति बना दी।

चारो ओर बर्फ़ की सफेद चादर बिछी हुई थी। बहुत ही मनोरम और शुद्ध वातावरण था। सूर्यदेव के आने के पहले अरुण ने चारो ओर अपनी दिव्य छटा बिखेर दी थी।

आख़िरकार वह मंगलमयी बेला आ गयी। सूर्यदेव की पहली रश्मि अपनी दिव्य ज्योति लिये हुए उस पवित्र वातावरण में प्रविष्ट हुई।

सूर्य की पहली किरण देख ब्राह्मणो ने शंख, घंटे, डमरू और मृदंग की ध्वनि करनी शुरू कर दी।

जैसे ही सूर्य की पहली किरण ने बर्फ़ पर बनी उस ओऽम की आकृति को छुआ, एक गड़गड़ाहट के साथ जमीन के अंदर से एक विशालकाय सोने का शि.व-मंदिर प्रकट होना शुरू हो गया।

चारो ओर से सभी ने शि.व तांडव …पढ़ना शुरू कर दिया। श्रद्धावश शलाका और जेम्स के हाथ भी जुड़ गये।

इतने शुद्ध वातावरण में इस प्रकार की ध्वनि सभी को वशीभूत कर रही थी। कुछ ही देर में महादेव का वह पवित्र मंदिर बर्फ़ से पूरा बाहर आ गया।

तब तक शि..व तांडव…. के 17 श्लोक भी पूरे हो गये। शलाका, शिवन्या और रुद्राक्ष को लेकर मंदिर में प्रवेश कर गयी।

मंदिर के बीच में एक गोलाकार पीठम् के बीच महा..देव का एक शि.वलिंग विराजमान था। शि.व.लं.ग के ऊपर नागराज वासुकि का फन एक छत्र की तरह से महा.देव पर छाया हुआ था। उसके ऊपर एक छेद की हुई सोने की एक मटकी में जल की धारा निरंतर ज्योतिर्लिंग पर गिर रही थी।

उस सोने की मटकी के ऊपर ढक्कन की तरह से एक सोने की डिबिया रखी हुई थी, जिसमें उपस्थित थी गुरुत्व शक्ति।



जारी
रहेगा_______✍️
Bahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and lovely update....
 

Dhakad boy

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क्रिस्टी की बात सुनकर, तौफीक ने धूल के गुबार को थोड़ी देर तक देखा और अपना पैर जमीन पर तेजी से पटका।

तौफीक के पैर पटकने से धूल के कुछ और कण जमीन से उठकर हवा में रुक गये।

“इन कणो पर गुरुत्वाकर्षण का नियम क्यों नहीं काम कर रहा?" अल्बर्ट ने उन धूलकणो को देखते हुए कहा।

यह देख सुयश ने जमीन पर बैठकर एक जोर की फूंक उन धूलकणो पर मारी। सुयश के ऐसा करते ही सारे धूलकण भौंरे के जमीन पर बनाये गोल सी रेखाओ के ऊपर हवा में गोल-गोल तैरने लगे।

भौंरे का शरीर भी उस हवा में गोल-गोल नाचने लगा। यह देखकर सुयश, तौफीक सहित सभी लोग पीछे हट गये।

धूल के कणो से बना वह गुबार अब हवा में ऊपर उठने लगा। उसकी गति और आकार भी अब लगातार बढ़ते जा रहे थे।

धीरे-धीरे हवा का वह गोल दायरा एक चक्रवात में परिवर्तित हो गया। अब सभी फूलों के पौधे उसकी ओर खिंचने लगे।

तभी ब्रेंडन की निगाहें अपने फ़ेंके उस फूल की ओर गयी, जिससे यह पूरा घटनाक्रम शुरू हुआ था। इतनी तेज हवा के होने के बाद भी वह फूल अपनी जगह पर पड़ा था।

चक्रवात अब और विकराल होता जा रहा था।

ब्रेंडन ने कुछ सोचने के बाद झुककर उस फूल को जमीन से उठा लिया। ब्रेंडन का अंदाजा था कि फूल को उठाने से यह पूरा घटनाक्रम बंद हो जायेगा, पर हुआ उसका बिल्कुल उलट।

ब्रेंडन के फूल उठाते ही वह चक्रवात तेजी से ब्रेंडन की ओर झपटा और इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, ब्रेंडन का शरीर चक्रवात के घेरे में फंस गया था।

किसी के पास ब्रेंडन को बचाने का ना तो वक्त था और ना ही तरीका।

चक्रवात ने अब बहुत विशाल रूप धारण कर लिया था। इसी के साथ चक्रवात हवा में उठा और ब्रेंडन सहित आसमान में उड़कर गायब हो गया।

सभी हक्के-बक्के से वहां खड़े चक्रवात को जाते देखते रह गये।

“ये क्या था प्रोफ़ेसर?" सुयश ने अल्बर्ट से पूछा- “ऐसी किसी चीज के बारे में क्या आपने कहीं सुन रखा है?"

“नहीं कैप्टन....ऐसी किसी चीज का जवाब विज्ञान के पास तो नहीं मिलेगा।"

अल्बर्ट ने आह भरते हुए कहा- “एक छोटे से फूल और भौंरे से इतनी बड़ी परेशानी का पैदा हो जाना तो किसी भी दिमाग में नहीं आ सकता था।"

“आख़िर हमने अपने एक और साथी को खो दिया।" तौफीक ने दुख भरे स्वर में कहा।

“नक्षत्रा।" जेनिथ ने नक्षत्रा से पूछा- “क्या तुम बता सकते हो कि ये चीज क्या थी?“

“ये चीज एक मायाजाल थी।" नक्षत्रा ने कहा।

“ये मायाजाल क्या होता है?" जेनिथ ने फ़िर से पूछा- “और हां, कृपया आसान भाषा में समझाना। मुझे विज्ञान की ज़्यादा जानकारी नहीं है।"

“हमारे आसपास 2 ब्रह्मांड हैं, एक वह जो हमें आसमान में दिखाई देता है और एक वह जो हमारे आसपास के वातावरण में मौजूद है।" नक्षत्रा ने कहा- “हम पहले ब्रह्मांड के बारे में तो अब बहुत कुछ जानने लगे हैं, परंतु हम अपने आसपास मौजूद ब्रह्मांड के बारे में कुछ नहीं जानते और हमारे आसपास मौजूद ब्रह्मांड ही हमारे जीवन का आधार है।

इसिलये मैं तुम्हें आसपास के ब्रह्मांड के बारे में बताता हूँ। दरअसल हमारे ब्रह्मांड में मौजूद हर चीज कण से मिलकर बनी है और विज्ञान जानने वाले लोगो को पता है कि हर कण इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से मिलकर बना है। जिसमें इलेक्ट्रॉन नकारात्मक और प्रोटॉन सकारात्मक होता है और यह दोनों ही कण नाभिक में बैठे न्यूट्रॉन के चक्कर लगाते हैं। यानी की साधारण भाषा में समझे तो वह छोटा सा कण भी अंदर से खोखला है और न्यूट्रॉन के गुरुत्वीय बल के कारण उसके चक्कर लगा रहा है। अब अगर तुम बाहर के ब्रह्मांड को देखो तो वो भी तो ऐसा ही है।

चन्द्रमा पृथ्वी के चक्कर लगा रहा है। पृथ्वी सूर्य के चारो ओर चक्कर लगा रही है। हमारी यह छोटी सी आकाशगंगा किसी दूसरी आकाशगंगा के चक्कर लगा रही है। ठीक उसी प्रकार अगर हम न्यूट्रॉन को करोड़ो गुना छोटा करे, तो उसमें भी एक ब्रह्मांड दिखाई देगा और उस ब्रह्मांड का सबसे छोटा कण है, जिसे हम ब्रह्मकण, हिग्स बोसन या आन्य नामों से जानते हैं।

इसी ब्रह्मकण ने हर जीव, हर तत्व को उत्पन्न किया है और सभी में अपने जीवन जीने के लिये विभिन्न प्रकार की क्षमताएं भी दी हैं। जैसे बाहरी दुनियां का ब्रह्मांड आपस में टकराकर एक नये ब्रह्मांड को जन्म देता है, ठीक उसी प्रकार कण का ब्रह्मांड भी आपस में टकराकर कुछ नये ‘इल्यूजन’ को जन्म देता है। हम इस ‘इल्यूजन’ को ही मायाजाल कहते हैं। इस मायाजाल पर हमारे भोतिक नियमों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता और ऐसा ही एक मायाजाल तुम्हें थोड़ी देर पहले दिखाई दिया है।"

इतना कहकर नक्षत्रा चुप हो गया। उसने जेनिथ की भावनाओं को महसूस किया तो पता चला कि उसकी बातें जेनिथ को केवल 12 प्रतिशत ही समझ में आई हैं। यह देख वह हंस दिया।

“तुम परेशान मत हो जेनिथ, मैं धीरे-धीरे तुम्हें पूरी विज्ञान की जानकारी दे दूँगा।" नक्षत्रा ने शांत जेनिथ को देख कहा।

जेनिथ ने धीरे से अपना सिर हिलाया और सभी के साथ आगे की ओर चल दी।


गुरुत्व शक्ति

(10 जनवरी 2002, गुरुवार, 16:00, सीनोर राज्य, अराका द्वीप)

लुफासा और सनूरा इस समय मकोटा महल में मकोटा के पास बैठे हुए थे।

“मैंने आज तुम्हें कुछ जरुरी काम करने के लिये बुलाया है लुफासा।" मकोटा ने लुफासा की ओर देखते हुए कहा।

“जी बताइये मान्त्रिक।"
लुफासा ने गहरी निगाहों से मकोटा की ओर देखते हुए कहा।

“दरअसल हमें अराका पर राज करने के लिये जैगन की शक्तियों की आवश्यकता है, पर इसके लिये पहले हमें जैगन को एक शक्ति प्राप्त करके देना होगा।" मकोटा ने कहा।

“कैसी शक्ति?" लुफासा ने मकोटा से पूछा।

“गुरुत्व शक्ति!" मकोटा ने कहा।

“गुरुत्व शक्ति? ... ये शक्ति क्या करती है मान्त्रिक?" लुफासा के शब्दो में व्यग्रता झलक रही थी।

“हर ग्रह के अंदर एक गुरुत्वाकर्षण शक्ति होती है, जिसकी वजह से उस ग्रह पर मौजूद सभी निर्जीव और सजीव चीज उस ग्रह की धरती से जुड़े रहते हैं। यह गुरुत्व शक्ति जिसके पास रहेगी, उस पर उस ग्रह के गुरुत्वाकर्षण का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति विज्ञान के नियमो को तोड़कर एक अजेय शक्ति में परिवर्त्तित हो जायेगा।" मकोटा ने कहा।

“पर ऐसी शक्ति धरती पर मिलेगी कहां?" सनूरा ने बीच में बोलते हुए कहा।

मकोटा ने इस बार सनूरा की ओर देखा और फ़िर बोला- “यहां से पूर्व दिशा की ओर एक विशालकाय पर्वत है, जिसका नाम हिमालय है। हर वर्ष हिमालय में वह शक्ति 1 दिन के लिये प्रकट होती है और वह विशेष दिन कल ही है। इसलिये तुम्हें आज ही हिमालय के लिये निकलना होगा।"

“पर मान्त्रिक... ऐसी विचित्र शक्ति मुझे ऐसे ही तो मिल नहीं जायेगी। उसकी सुरक्षा में भी कुछ ना कुछ तो जरूर होगा।" लुफासा ने कहा- “क्या आप मुझे उसकी सुरक्षा के बारे में कुछ बता सकते हैं?"

“उसकी सुरक्षा वहां के बर्फ़ में रहने वाले कुछ साधारण इंसान ही करते हैं, इसलिये उसको लाने में तुम्हें ज़्यादा परेशानी नहीं होगी।" मकोटा ने लुफासा को समझाया।

“फ़िर ठीक है, मैं आज ही गुरुत्व शक्ति को लाने के लिये चला जाऊंगा। पर मान्त्रिक क्या मैं जान सकता हूँ की जैगन यह शक्ति लेकर क्या करने वाला है?"

“जैगन का एक महाशक्तिशाली योद्धा एक बार एक युद्ध में धरा शक्ति से टकराते हुए जमीन पर गिर गया। जैगन लाख कोशिशों के बाद भी उसे जमीन से उठा नहीं पा रहा, तभी उसे गुरुत्व शक्ति के बारे में पता चला। दरअसल गुरुत्व शक्ति, धरा शक्ति की काट है और उसके द्वारा उस योद्धा को जगाया जा सकता है। इसिलये जैगन ने यह महान कार्य करने के लिये हमें चुना है।" मकोटा ने कहा।

मकोटा की बात सुनकर लुफासा एक पल में ही समझ गया कि मकोटा सरासर झूठ बोल रहा है, क्यों कि उसने पहले ही जैगन को पिरामिड में बेहोश हालत में देख लिया था।

लुफासा जान गया कि गुरुत्व शक्ति का उपयोग जैगन के महायोद्धा को जगाने के लिये नहीं, बल्कि स्वयं जैगन को जगाने के लिये होना था।

लेकिन इस समय लुफासा के पास और कोई चारा नहीं था, इसलिये वह गुरुत्व शक्ति लाने को तैयार हो गया।

तभी मकोटा ने लुफासा को एक दिशा यंत्र देते हुए कहा- “यह एक दिशा यंत्र है, ये तुम्हें गुरुत्व शक्ति के स्थान तक रास्ता दिखायेगा।"

मकोटा ने कुछ देर तक जब लुफासा और सनूरा को और कोई प्रश्न ना पूछते हुए देखा तो उन्हे वहां से जाने का इशारा कर दिया।

मकोटा का इशारा पाकर लुफासा और सनूरा वहां से चल दिये।

प्राचीन शिव मंदिर

(11 जनवरी 2002, शुक्रवार, 05:30, हिमलोक, हिमालय पर्वत)

अगले दिन शलाका नहा-धोकर ताजा हो गयी थी।

शिवन्या ने शलाका के लिये भारतीय परिधान भेज दिये थे। भारतीय वस्त्र और फूलों के श्रृंगार में शलाका बहुत खूबसूरत नजर आ रही थी।

थोड़ी देर में शिवन्या शलाका को लेने के लिये आ गयी। दोनों बाहर निकले तो शलाका ने देखा कि जेम्स भी भारतीय परिवेश में तैयार होकर बाहर रुद्राक्ष के साथ खड़ा था।

बाहर लगभग 20 लोग और थे, उसमें से कुछ ब्राह्मण और कुछ फूलों की टोकरियां उठाये सेवक और सेविकाएं थी।

ब्राह्मणो के हाथों में पूजा का सामान था।

सभी ने सफेद रंग के वस्त्र पहन रखे थे। एक विशालकाय स्लेज भी बाहर खड़ा था।

शिवन्या और शलाका को बाहर निकलते देख सभी उस बड़े स्लेज पर खड़े हो गये। इस बड़े स्लेज को 6 बर्फ़ पर चलने वाले घोड़े खींच रहे थे।

रुद्राक्ष, शिवन्या और शलाका रेंडियर वाले छोटे स्लेज पर बैठ गये। जेम्स भी उसी स्लेज पर सवार हो गया।

दोनों ही स्लेज बर्फ़ के रास्ते पर चल दिये।

जेम्स को यह सब कुछ बहुत अलग और अच्छा लग रहा था। उसे तो सबकुछ एक सपने की तरह महसूस हो रहा था।

“क्या मैं कुछ चीज आपसे पूछ सकता हूँ?" जेम्स ने शलाका की ओर देखते हुए पूछा।

“हां-हां पूछो जेम्स।" शलाका ने अनुमित देते हुए कहा।

“यह गुरुत्व शक्ति है क्या? मेरा मतलब है कि इस शक्ति का जन्म कैसे हुआ?" जेम्स ने उत्सुकता दिखाते हुए पूछा।

लेकिन इससे पहले कि शलाका इस बात का कोई जवाब देती, शिवन्या बीच में ही बोल पड़ी-

“हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगीरथ ने अपने पूर्वजो को मुक्ति दिलाने के लिये देवी गंगा का आव्हान किया, तो सबसे बड़ी समस्या यह थी कि गंगा के वेग को पृथ्वी नहीं संभाल पाती, जिसकी वजह से गंगा पाताल में चली जाती।

भगीरथ ने अपनी यह समस्या महा..देव को कही। महा..देव गंगा के वेग को अपनी जटाओं में रोकने के लिये तैयार हो गये, पर महा..देव जानते थे कि गंगा के वेग को संभालना इतना भी आसान ना था। इसके लिये महा..देव ने पहले गंगा से उनका एक बूंद अंश मांगा और उस अंश को चन्द्रमा के तेज से गुरुत्व शक्ति में परिवर्त्तित कर गुरुत्वाकर्षण से मुक्त कर दिया। देवी गंगा की वह प्रथम बूंद का अंश ही गुरुत्व शक्ति है, जो आज भी हिमालय के गर्भ में बसे शि..व मंदिर में रखी है। यह बूंद जिस पर गिरेगी, उसमें किसी भी ग्रह के गुरुत्वाकर्षण से मुक्त होने की शक्तियां आ जायेंगी।"

“अगर यह बूंद किसी पर गिरे तो क्या यह समाप्त हो जायेगी?" जिज्ञासु जेम्स ने फ़िर से सवाल किया।

“अगर यह बूंद किसी योग्य व्यक्ति पर गिरती है, तो उस व्यक्ति में शक्तियां आने के बाद एक नयी बूंद इस डिबिया में आ जायेगी, पर अगर गलती से भी यह बूंद किसी अयोग्य व्यक्ति पर गिरी तो यह बूंद सदा-सदा के लिये नष्ट हो जायेगी।"

“तो क्या आज तक यह बूंद किसी पर गिरी है?" जेम्स ने पूछा।

“हां....ये बूंद महाशक्तिशाली हनुका पर गिरी है।" शिवन्या ने कहा- “हनुका वही हैं जो कल आपको पकड़ कर लाये थे।"

जेम्स शिवन्या की बातें सुनकर चमत्कृत हो गया। तभी वह सभी लोग एक छोटे से पहाड़ पर पहुंच गये।

पहाड़ के ऊपर काफ़ी समतल क्षेत्र भी था।

सभी लोग वहां रथ से उतरकर जमीन के पास खड़े हो गये थे। इस समय चारो ओर उजाला फैल गया था, पर सूर्य की अभी पहली किरण नहीं आयी थी।

ब्राह्मणो ने तब तक वहां पर पूजा की तैयारियां शुरू कर दी। उन्होंने एक खाली स्थान पर रोली, अक्षत और फूलों से 2 स्वास्तिक व ओऽम की आकृति बना दी।

चारो ओर बर्फ़ की सफेद चादर बिछी हुई थी। बहुत ही मनोरम और शुद्ध वातावरण था। सूर्यदेव के आने के पहले अरुण ने चारो ओर अपनी दिव्य छटा बिखेर दी थी।

आख़िरकार वह मंगलमयी बेला आ गयी। सूर्यदेव की पहली रश्मि अपनी दिव्य ज्योति लिये हुए उस पवित्र वातावरण में प्रविष्ट हुई।

सूर्य की पहली किरण देख ब्राह्मणो ने शंख, घंटे, डमरू और मृदंग की ध्वनि करनी शुरू कर दी।

जैसे ही सूर्य की पहली किरण ने बर्फ़ पर बनी उस ओऽम की आकृति को छुआ, एक गड़गड़ाहट के साथ जमीन के अंदर से एक विशालकाय सोने का शि.व-मंदिर प्रकट होना शुरू हो गया।

चारो ओर से सभी ने शि.व तांडव …पढ़ना शुरू कर दिया। श्रद्धावश शलाका और जेम्स के हाथ भी जुड़ गये।

इतने शुद्ध वातावरण में इस प्रकार की ध्वनि सभी को वशीभूत कर रही थी। कुछ ही देर में महादेव का वह पवित्र मंदिर बर्फ़ से पूरा बाहर आ गया।

तब तक शि..व तांडव…. के 17 श्लोक भी पूरे हो गये। शलाका, शिवन्या और रुद्राक्ष को लेकर मंदिर में प्रवेश कर गयी।

मंदिर के बीच में एक गोलाकार पीठम् के बीच महा..देव का एक शि.वलिंग विराजमान था। शि.व.लं.ग के ऊपर नागराज वासुकि का फन एक छत्र की तरह से महा.देव पर छाया हुआ था। उसके ऊपर एक छेद की हुई सोने की एक मटकी में जल की धारा निरंतर ज्योतिर्लिंग पर गिर रही थी।

उस सोने की मटकी के ऊपर ढक्कन की तरह से एक सोने की डिबिया रखी हुई थी, जिसमें उपस्थित थी गुरुत्व शक्ति।



जारी
रहेगा_______✍️
Bhut hi badhiya update Bhai
To brandon ko vo chakravat apne sath uda kar le gaya
Vahi Makota ne lufasa or sanura ko himalay par us gurutva shakti ko lene ke liye bhej diya hai
Lekin unko kya pata ki shalaka is vakat vahi himalay par hi hai
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
Staff member
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Vahi Makota ne lufasa or sanura ko himalay par us gurutva shakti ko lene ke liye bhej diya hai
Lekin unko kya pata ki shalaka is vakat vahi himalay par hi hai
Gurutva shakti lene sirf lufaasa hi jayega, aur Shalaka waha maujood to hai per kya wo usko rokegi? Ye dekhne waali baat hogi, milte hain agley update me,:declare:
Thank you very much for your valuable review and support bhai :thanks:
 

KEKIUS MAXIMUS

Supreme
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259
romanchak update. jaigan ke liye gurutv shakti chahiye jo lufasa ko lane ke liye bhej diya hai makota ne ..lufasa ko samajh aa gaya hai ki makota jhooth bol raha hai ..
shalaka aur james ko pata chal gaya ki gurutv shakti kya hai aur kaise paida huyi ..ab saare achche log prachin mandir me gurutv shakti ko dekh rahe hai par kya lufasa waha pahuchkar wo hasil kar payega ..

ek aur saathi gayab ho gaya suyash ki team se .
 
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