• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

xforum

Welcome to xforum

Click anywhere to continue browsing...

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
Staff member
Sectional Moderator
Supreme
28,511
66,719
304

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
10,171
38,508
259

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
Staff member
Sectional Moderator
Supreme
28,511
66,719
304

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
10,171
38,508
259
Last edited:

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
Staff member
Sectional Moderator
Supreme
28,511
66,719
304

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
Staff member
Sectional Moderator
Supreme
28,511
66,719
304

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
Staff member
Sectional Moderator
Supreme
28,511
66,719
304
#104.

क्रिस्टी की बात सुनकर, तौफीक ने धूल के गुबार को थोड़ी देर तक देखा और अपना पैर जमीन पर तेजी से पटका।

तौफीक के पैर पटकने से धूल के कुछ और कण जमीन से उठकर हवा में रुक गये।

“इन कणो पर गुरुत्वाकर्षण का नियम क्यों नहीं काम कर रहा?" अल्बर्ट ने उन धूलकणो को देखते हुए कहा।

यह देख सुयश ने जमीन पर बैठकर एक जोर की फूंक उन धूलकणो पर मारी। सुयश के ऐसा करते ही सारे धूलकण भौंरे के जमीन पर बनाये गोल सी रेखाओ के ऊपर हवा में गोल-गोल तैरने लगे।

भौंरे का शरीर भी उस हवा में गोल-गोल नाचने लगा। यह देखकर सुयश, तौफीक सहित सभी लोग पीछे हट गये।

धूल के कणो से बना वह गुबार अब हवा में ऊपर उठने लगा। उसकी गति और आकार भी अब लगातार बढ़ते जा रहे थे।

धीरे-धीरे हवा का वह गोल दायरा एक चक्रवात में परिवर्तित हो गया। अब सभी फूलों के पौधे उसकी ओर खिंचने लगे।

तभी ब्रेंडन की निगाहें अपने फ़ेंके उस फूल की ओर गयी, जिससे यह पूरा घटनाक्रम शुरू हुआ था। इतनी तेज हवा के होने के बाद भी वह फूल अपनी जगह पर पड़ा था।

चक्रवात अब और विकराल होता जा रहा था।

ब्रेंडन ने कुछ सोचने के बाद झुककर उस फूल को जमीन से उठा लिया। ब्रेंडन का अंदाजा था कि फूल को उठाने से यह पूरा घटनाक्रम बंद हो जायेगा, पर हुआ उसका बिल्कुल उलट।

ब्रेंडन के फूल उठाते ही वह चक्रवात तेजी से ब्रेंडन की ओर झपटा और इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, ब्रेंडन का शरीर चक्रवात के घेरे में फंस गया था।

किसी के पास ब्रेंडन को बचाने का ना तो वक्त था और ना ही तरीका।

चक्रवात ने अब बहुत विशाल रूप धारण कर लिया था। इसी के साथ चक्रवात हवा में उठा और ब्रेंडन सहित आसमान में उड़कर गायब हो गया।

सभी हक्के-बक्के से वहां खड़े चक्रवात को जाते देखते रह गये।

“ये क्या था प्रोफ़ेसर?" सुयश ने अल्बर्ट से पूछा- “ऐसी किसी चीज के बारे में क्या आपने कहीं सुन रखा है?"

“नहीं कैप्टन....ऐसी किसी चीज का जवाब विज्ञान के पास तो नहीं मिलेगा।"

अल्बर्ट ने आह भरते हुए कहा- “एक छोटे से फूल और भौंरे से इतनी बड़ी परेशानी का पैदा हो जाना तो किसी भी दिमाग में नहीं आ सकता था।"

“आख़िर हमने अपने एक और साथी को खो दिया।" तौफीक ने दुख भरे स्वर में कहा।

“नक्षत्रा।" जेनिथ ने नक्षत्रा से पूछा- “क्या तुम बता सकते हो कि ये चीज क्या थी?“

“ये चीज एक मायाजाल थी।" नक्षत्रा ने कहा।

“ये मायाजाल क्या होता है?" जेनिथ ने फ़िर से पूछा- “और हां, कृपया आसान भाषा में समझाना। मुझे विज्ञान की ज़्यादा जानकारी नहीं है।"

“हमारे आसपास 2 ब्रह्मांड हैं, एक वह जो हमें आसमान में दिखाई देता है और एक वह जो हमारे आसपास के वातावरण में मौजूद है।" नक्षत्रा ने कहा- “हम पहले ब्रह्मांड के बारे में तो अब बहुत कुछ जानने लगे हैं, परंतु हम अपने आसपास मौजूद ब्रह्मांड के बारे में कुछ नहीं जानते और हमारे आसपास मौजूद ब्रह्मांड ही हमारे जीवन का आधार है।

इसिलये मैं तुम्हें आसपास के ब्रह्मांड के बारे में बताता हूँ। दरअसल हमारे ब्रह्मांड में मौजूद हर चीज कण से मिलकर बनी है और विज्ञान जानने वाले लोगो को पता है कि हर कण इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से मिलकर बना है। जिसमें इलेक्ट्रॉन नकारात्मक और प्रोटॉन सकारात्मक होता है और यह दोनों ही कण नाभिक में बैठे न्यूट्रॉन के चक्कर लगाते हैं। यानी की साधारण भाषा में समझे तो वह छोटा सा कण भी अंदर से खोखला है और न्यूट्रॉन के गुरुत्वीय बल के कारण उसके चक्कर लगा रहा है। अब अगर तुम बाहर के ब्रह्मांड को देखो तो वो भी तो ऐसा ही है।

चन्द्रमा पृथ्वी के चक्कर लगा रहा है। पृथ्वी सूर्य के चारो ओर चक्कर लगा रही है। हमारी यह छोटी सी आकाशगंगा किसी दूसरी आकाशगंगा के चक्कर लगा रही है। ठीक उसी प्रकार अगर हम न्यूट्रॉन को करोड़ो गुना छोटा करे, तो उसमें भी एक ब्रह्मांड दिखाई देगा और उस ब्रह्मांड का सबसे छोटा कण है, जिसे हम ब्रह्मकण, हिग्स बोसन या आन्य नामों से जानते हैं।

इसी ब्रह्मकण ने हर जीव, हर तत्व को उत्पन्न किया है और सभी में अपने जीवन जीने के लिये विभिन्न प्रकार की क्षमताएं भी दी हैं। जैसे बाहरी दुनियां का ब्रह्मांड आपस में टकराकर एक नये ब्रह्मांड को जन्म देता है, ठीक उसी प्रकार कण का ब्रह्मांड भी आपस में टकराकर कुछ नये ‘इल्यूजन’ को जन्म देता है। हम इस ‘इल्यूजन’ को ही मायाजाल कहते हैं। इस मायाजाल पर हमारे भोतिक नियमों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता और ऐसा ही एक मायाजाल तुम्हें थोड़ी देर पहले दिखाई दिया है।"

इतना कहकर नक्षत्रा चुप हो गया। उसने जेनिथ की भावनाओं को महसूस किया तो पता चला कि उसकी बातें जेनिथ को केवल 12 प्रतिशत ही समझ में आई हैं। यह देख वह हंस दिया।

“तुम परेशान मत हो जेनिथ, मैं धीरे-धीरे तुम्हें पूरी विज्ञान की जानकारी दे दूँगा।" नक्षत्रा ने शांत जेनिथ को देख कहा।

जेनिथ ने धीरे से अपना सिर हिलाया और सभी के साथ आगे की ओर चल दी।


गुरुत्व शक्ति

(10 जनवरी 2002, गुरुवार, 16:00, सीनोर राज्य, अराका द्वीप)

लुफासा और सनूरा इस समय मकोटा महल में मकोटा के पास बैठे हुए थे।

“मैंने आज तुम्हें कुछ जरुरी काम करने के लिये बुलाया है लुफासा।" मकोटा ने लुफासा की ओर देखते हुए कहा।

“जी बताइये मान्त्रिक।"
लुफासा ने गहरी निगाहों से मकोटा की ओर देखते हुए कहा।

“दरअसल हमें अराका पर राज करने के लिये जैगन की शक्तियों की आवश्यकता है, पर इसके लिये पहले हमें जैगन को एक शक्ति प्राप्त करके देना होगा।" मकोटा ने कहा।

“कैसी शक्ति?" लुफासा ने मकोटा से पूछा।

“गुरुत्व शक्ति!" मकोटा ने कहा।

“गुरुत्व शक्ति? ... ये शक्ति क्या करती है मान्त्रिक?" लुफासा के शब्दो में व्यग्रता झलक रही थी।

“हर ग्रह के अंदर एक गुरुत्वाकर्षण शक्ति होती है, जिसकी वजह से उस ग्रह पर मौजूद सभी निर्जीव और सजीव चीज उस ग्रह की धरती से जुड़े रहते हैं। यह गुरुत्व शक्ति जिसके पास रहेगी, उस पर उस ग्रह के गुरुत्वाकर्षण का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति विज्ञान के नियमो को तोड़कर एक अजेय शक्ति में परिवर्त्तित हो जायेगा।" मकोटा ने कहा।

“पर ऐसी शक्ति धरती पर मिलेगी कहां?" सनूरा ने बीच में बोलते हुए कहा।

मकोटा ने इस बार सनूरा की ओर देखा और फ़िर बोला- “यहां से पूर्व दिशा की ओर एक विशालकाय पर्वत है, जिसका नाम हिमालय है। हर वर्ष हिमालय में वह शक्ति 1 दिन के लिये प्रकट होती है और वह विशेष दिन कल ही है। इसलिये तुम्हें आज ही हिमालय के लिये निकलना होगा।"

“पर मान्त्रिक... ऐसी विचित्र शक्ति मुझे ऐसे ही तो मिल नहीं जायेगी। उसकी सुरक्षा में भी कुछ ना कुछ तो जरूर होगा।" लुफासा ने कहा- “क्या आप मुझे उसकी सुरक्षा के बारे में कुछ बता सकते हैं?"

“उसकी सुरक्षा वहां के बर्फ़ में रहने वाले कुछ साधारण इंसान ही करते हैं, इसलिये उसको लाने में तुम्हें ज़्यादा परेशानी नहीं होगी।" मकोटा ने लुफासा को समझाया।

“फ़िर ठीक है, मैं आज ही गुरुत्व शक्ति को लाने के लिये चला जाऊंगा। पर मान्त्रिक क्या मैं जान सकता हूँ की जैगन यह शक्ति लेकर क्या करने वाला है?"

“जैगन का एक महाशक्तिशाली योद्धा एक बार एक युद्ध में धरा शक्ति से टकराते हुए जमीन पर गिर गया। जैगन लाख कोशिशों के बाद भी उसे जमीन से उठा नहीं पा रहा, तभी उसे गुरुत्व शक्ति के बारे में पता चला। दरअसल गुरुत्व शक्ति, धरा शक्ति की काट है और उसके द्वारा उस योद्धा को जगाया जा सकता है। इसिलये जैगन ने यह महान कार्य करने के लिये हमें चुना है।" मकोटा ने कहा।

मकोटा की बात सुनकर लुफासा एक पल में ही समझ गया कि मकोटा सरासर झूठ बोल रहा है, क्यों कि उसने पहले ही जैगन को पिरामिड में बेहोश हालत में देख लिया था।

लुफासा जान गया कि गुरुत्व शक्ति का उपयोग जैगन के महायोद्धा को जगाने के लिये नहीं, बल्कि स्वयं जैगन को जगाने के लिये होना था।

लेकिन इस समय लुफासा के पास और कोई चारा नहीं था, इसलिये वह गुरुत्व शक्ति लाने को तैयार हो गया।

तभी मकोटा ने लुफासा को एक दिशा यंत्र देते हुए कहा- “यह एक दिशा यंत्र है, ये तुम्हें गुरुत्व शक्ति के स्थान तक रास्ता दिखायेगा।"

मकोटा ने कुछ देर तक जब लुफासा और सनूरा को और कोई प्रश्न ना पूछते हुए देखा तो उन्हे वहां से जाने का इशारा कर दिया।

मकोटा का इशारा पाकर लुफासा और सनूरा वहां से चल दिये।

प्राचीन शिव मंदिर

(11 जनवरी 2002, शुक्रवार, 05:30, हिमलोक, हिमालय पर्वत)

अगले दिन शलाका नहा-धोकर ताजा हो गयी थी।

शिवन्या ने शलाका के लिये भारतीय परिधान भेज दिये थे। भारतीय वस्त्र और फूलों के श्रृंगार में शलाका बहुत खूबसूरत नजर आ रही थी।

थोड़ी देर में शिवन्या शलाका को लेने के लिये आ गयी। दोनों बाहर निकले तो शलाका ने देखा कि जेम्स भी भारतीय परिवेश में तैयार होकर बाहर रुद्राक्ष के साथ खड़ा था।

बाहर लगभग 20 लोग और थे, उसमें से कुछ ब्राह्मण और कुछ फूलों की टोकरियां उठाये सेवक और सेविकाएं थी।

ब्राह्मणो के हाथों में पूजा का सामान था।

सभी ने सफेद रंग के वस्त्र पहन रखे थे। एक विशालकाय स्लेज भी बाहर खड़ा था।

शिवन्या और शलाका को बाहर निकलते देख सभी उस बड़े स्लेज पर खड़े हो गये। इस बड़े स्लेज को 6 बर्फ़ पर चलने वाले घोड़े खींच रहे थे।

रुद्राक्ष, शिवन्या और शलाका रेंडियर वाले छोटे स्लेज पर बैठ गये। जेम्स भी उसी स्लेज पर सवार हो गया।

दोनों ही स्लेज बर्फ़ के रास्ते पर चल दिये।

जेम्स को यह सब कुछ बहुत अलग और अच्छा लग रहा था। उसे तो सबकुछ एक सपने की तरह महसूस हो रहा था।

“क्या मैं कुछ चीज आपसे पूछ सकता हूँ?" जेम्स ने शलाका की ओर देखते हुए पूछा।

“हां-हां पूछो जेम्स।" शलाका ने अनुमित देते हुए कहा।

“यह गुरुत्व शक्ति है क्या? मेरा मतलब है कि इस शक्ति का जन्म कैसे हुआ?" जेम्स ने उत्सुकता दिखाते हुए पूछा।

लेकिन इससे पहले कि शलाका इस बात का कोई जवाब देती, शिवन्या बीच में ही बोल पड़ी-

“हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगीरथ ने अपने पूर्वजो को मुक्ति दिलाने के लिये देवी गंगा का आव्हान किया, तो सबसे बड़ी समस्या यह थी कि गंगा के वेग को पृथ्वी नहीं संभाल पाती, जिसकी वजह से गंगा पाताल में चली जाती।

भगीरथ ने अपनी यह समस्या महा..देव को कही। महा..देव गंगा के वेग को अपनी जटाओं में रोकने के लिये तैयार हो गये, पर महा..देव जानते थे कि गंगा के वेग को संभालना इतना भी आसान ना था। इसके लिये महा..देव ने पहले गंगा से उनका एक बूंद अंश मांगा और उस अंश को चन्द्रमा के तेज से गुरुत्व शक्ति में परिवर्त्तित कर गुरुत्वाकर्षण से मुक्त कर दिया। देवी गंगा की वह प्रथम बूंद का अंश ही गुरुत्व शक्ति है, जो आज भी हिमालय के गर्भ में बसे शि..व मंदिर में रखी है। यह बूंद जिस पर गिरेगी, उसमें किसी भी ग्रह के गुरुत्वाकर्षण से मुक्त होने की शक्तियां आ जायेंगी।"

“अगर यह बूंद किसी पर गिरे तो क्या यह समाप्त हो जायेगी?" जिज्ञासु जेम्स ने फ़िर से सवाल किया।

“अगर यह बूंद किसी योग्य व्यक्ति पर गिरती है, तो उस व्यक्ति में शक्तियां आने के बाद एक नयी बूंद इस डिबिया में आ जायेगी, पर अगर गलती से भी यह बूंद किसी अयोग्य व्यक्ति पर गिरी तो यह बूंद सदा-सदा के लिये नष्ट हो जायेगी।"

“तो क्या आज तक यह बूंद किसी पर गिरी है?" जेम्स ने पूछा।

“हां....ये बूंद महाशक्तिशाली हनुका पर गिरी है।" शिवन्या ने कहा- “हनुका वही हैं जो कल आपको पकड़ कर लाये थे।"

जेम्स शिवन्या की बातें सुनकर चमत्कृत हो गया। तभी वह सभी लोग एक छोटे से पहाड़ पर पहुंच गये।

पहाड़ के ऊपर काफ़ी समतल क्षेत्र भी था।

सभी लोग वहां रथ से उतरकर जमीन के पास खड़े हो गये थे। इस समय चारो ओर उजाला फैल गया था, पर सूर्य की अभी पहली किरण नहीं आयी थी।

ब्राह्मणो ने तब तक वहां पर पूजा की तैयारियां शुरू कर दी। उन्होंने एक खाली स्थान पर रोली, अक्षत और फूलों से 2 स्वास्तिक व ओऽम की आकृति बना दी।

चारो ओर बर्फ़ की सफेद चादर बिछी हुई थी। बहुत ही मनोरम और शुद्ध वातावरण था। सूर्यदेव के आने के पहले अरुण ने चारो ओर अपनी दिव्य छटा बिखेर दी थी।

आख़िरकार वह मंगलमयी बेला आ गयी। सूर्यदेव की पहली रश्मि अपनी दिव्य ज्योति लिये हुए उस पवित्र वातावरण में प्रविष्ट हुई।

सूर्य की पहली किरण देख ब्राह्मणो ने शंख, घंटे, डमरू और मृदंग की ध्वनि करनी शुरू कर दी।

जैसे ही सूर्य की पहली किरण ने बर्फ़ पर बनी उस ओऽम की आकृति को छुआ, एक गड़गड़ाहट के साथ जमीन के अंदर से एक विशालकाय सोने का शि.व-मंदिर प्रकट होना शुरू हो गया।

चारो ओर से सभी ने शि.व तांडव …पढ़ना शुरू कर दिया। श्रद्धावश शलाका और जेम्स के हाथ भी जुड़ गये।

इतने शुद्ध वातावरण में इस प्रकार की ध्वनि सभी को वशीभूत कर रही थी। कुछ ही देर में महादेव का वह पवित्र मंदिर बर्फ़ से पूरा बाहर आ गया।

तब तक शि..व तांडव…. के 17 श्लोक भी पूरे हो गये। शलाका, शिवन्या और रुद्राक्ष को लेकर मंदिर में प्रवेश कर गयी।

मंदिर के बीच में एक गोलाकार पीठम् के बीच महा..देव का एक शि.वलिंग विराजमान था। शि.व.लं.ग के ऊपर नागराज वासुकि का फन एक छत्र की तरह से महा.देव पर छाया हुआ था। उसके ऊपर एक छेद की हुई सोने की एक मटकी में जल की धारा निरंतर ज्योतिर्लिंग पर गिर रही थी।

उस सोने की मटकी के ऊपर ढक्कन की तरह से एक सोने की डिबिया रखी हुई थी, जिसमें उपस्थित थी गुरुत्व शक्ति।



जारी
रहेगा_______✍️
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
Staff member
Sectional Moderator
Supreme
28,511
66,719
304
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया
ये शराब की लत जाॅनी को गोरीला में परावर्तित करने के लिये मदत की
ये मेडूसा की कहानी बहुत ही दिलचस्प हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है

Wonderful update bhai

आप के थ्रीड पर एक तो वैसे भी रीडर्स की तादात बहुत कम है और ऊपर से उनमे भी कुछ मेरे जैसे रीडर्स है जो महीने मे एकाध बार ही यहां आ पाते है । इस के बावजूद भी आप न ही हतोत्साहित हुए और न ही आपका इस कहानी के प्रति समर्पण मे कोई कमी आई । इस के लिए आप को बहुत बहुत साधुवाद ।

अपडेट की बात या इस कहानी की बात क्या करें ! आप ने इस कहानी के लिए जैसा होम वर्क किया है , जितना इतिहास खंगाला है उस से यह कहानी बुरी हो ही नही सकती ।
इस कहानी के अंदर ऐसा बहुत कुछ है जिसके बारे मे मैने कभी पढ़ा ही नही । शायद इसका कारण चमत्कारिक और फैंटेसी कहानी के प्रति मेरी उदासीनता रही होगी । लेकिन आप की इस कहानी ने मेरे सारे मिथक तोड़ दिए । बहुत ही बेहतरीन कहानी लिखा है आपने ।


फैंटेसी कहानी पर तथ्यात्मक रूप से समीक्षात्मक विचार विमर्श करना किसी भी रीडर्स के लिए आसान नही होता ।
क्षण भर मे हालात बदल जाते है , घटनाक्रम बदल जाती है , भूमि बदल जाती है , परिवेश बदल जाता है और किरदार की भुमिका भी बदल जाता है ।

यह कहानी शुरू होती है " सम्राट " शिप के बरमूडा ट्राइंगल मे भटकने से । बहुत यात्री मारे जाते हैं और जो चंद लोग बच जाते हैं वह भटकते हुए पोसाइडन के शलाका द्वीप पर पंहुच जाते हैं ।
इतने सारे अपडेट पढ़ने के बाद अब लगता है इन भटके हुए यात्रीगण मे कुछ की उपस्थिति अवश्यंभावी थी और कुछ लोग हालात के शिकार होकर यहां पहुंचे ।
सिर्फ सम्राट शिप के पैसेंजर ही इस तिलिस्मी द्वीप पर नही आए हैं , कई देश के कुछ लोग यहां पहुंच गए है ।

एक भारतीय महिला जिसे शलाका का हमशक्ल कहा जा रहा है , इस आइलैंड पर मौजूद है । विल्मर और जेम्स जो अमेरिकन है वह भी यहां मौजूद है । अमेरिकन सीआईए एजेंट व्योम साहब भी इस मिस्ट्रीयस लैंड पर मौजूद है ।
जिस तरह सुयश साहब और शेफाली की मौजूदगी इस आइलैंड पर अवश्यंभावी थी उसी तरह तथाकथित हमशक्ल मोहतरमा शलाका मैडम और व्योम साहब की मौजूदगी भी अवश्यंभवी लग रहा है ।
इस नए अपडेट से अब यह भी प्रतीत हो रहा है कि जेनिथ भी इसी श्रेणी मे आती है । कालचक्र उर्फ नक्षत्रा का जेनिथ के साथ सम्पर्क होना इस बात की तरफ इशारा कर रहा है ।
शेफाली की कहानी अब तक सबसे अधिक मिस्ट्रीयस लगा है । मेडूसा > मैग्रा > शेफाली ....सम्भवतः एक आत्मा के तीन स्वरूप हो सकते है ।

मेडूसा की लाइफ भी क्या दुखद भरी लाइफ थी । बहुत पहले ही मैने कहा था , पोसाइडन कोई देवता और भगवान नही है । इस व्यक्ति ने अपनी पत्नी को कैद किया , एक लंबी चौड़ी सभ्यता का नामोनिशान मिटा दिया और मेडूसा के साथ बलात्कार किया और वह भी मंदिर मे ।
यह आदमी किस एंगल से देवता नजर आ रहा है !

बहुत बढ़िया लिख रहे है आप शर्मा जी ।
सभी अपडेट बेहद ही शानदार थे ।

Nice update....

Badhiya update bhai

To Toffik hi tha jisne sab kiya tha lekin loren ko kyun mar diya usne wo to usse pyar karta tha na or bechari loren bhi uske pyar me andhi hoker uski baten man rahi thi or jis jenith se badla lena chahta tha use abhi tak jinda rakha ha usne usse pyar ka natak karta ja raha ha Jenith ki sab sachhai pata pad gayi ha dekhte han kab tak Toffik babu apni sachhai chhupa pate han waise bure karm ki saja milti hi ha or jis jagah ye sab han usse lagta ha jaise Aslam miya ko saja mili usi prakar Toffik ka bhi number lag sakta ha

बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
ये नक्षत्रा ने जेनिथ के सामने तौफिक की पुरी सच्चाई लाकर रख दी
बडा ही जबरदस्त अपडेट
खैर देखते हैं आगे क्या होता है

Bhut hi badhiya update Bhai
To jenith ko nakshtra ke jariye taufik ke bare me sab kuch pata chal gaya hai ki kis parkar taufik ne apne plan ko bhut hi shatir or satik tarike se anjaam diya
Nakshtra ke kahne par jenith ne abhi to apne gusse ko daba liya hai lekin dekte hai ab aage kya hota hai

जब यह कहानी शुरू हुई थी, तब लग रहा था कि यह कोई मर्डर मिस्ट्री बनेगी।
और जब तक बरमूडा / अटलांटिस वाली घटनाएँ शुरू नहीं हुई थीं, तब तक एक बहुत ही बढ़िया मर्डर मिस्ट्री थी - अगर उतना भी रहती तो।
लेकिन मर्डर, इंटरनेशनल स्मगलिंग इत्यादि तो बस मामूली सब-प्लॉट बन कर रह गए।
और जो मुख्य प्लाट निकला, उसकी तो कोई कल्पना भी नहीं कर सका!

लगता है कि अगर कहानी का स्कोप बस उतना ही रहता, तो मेरे जैसे पाठक एक बेहतरीन sci-fi fantasy नॉवेल पढ़ने से वंचित रह जाते।

बहुत ही बढ़िया Raj_sharma राज भाई! बहुत ही बढ़िया। 👏👏👏

तौफ़ीक़ का राज़ हम सभी के सामने है। यह तो सबसे बड़ा विलेन निकला।
अगर छोटी मोटी बदमाशियों के लिए जॉनी गोरिल्ला बन सकता है, तब तो तौफ़ीक़ जैसे जघन्य अपराधी के लिए बेहद कठोर और दहला देने वाली सज़ा मुक़र्रर होनी चाहिए।
कम से कम अब ज़ेनिथ को उसकी सच्चाई अच्छी तरह से पता चल गई है। नक्षत्रा एक बढ़िया SI (सुपर इंटेलिजेंस) टूल है।
यह किसी ग़लत (जैसे तौफ़ीक़) के हाथ नहीं लगना चाहिए।

एक और बात समझ में आती है - शेफ़ाली के पास चाहे कितनी भी शक्तियाँ क्यों न हों, उसको आदमी की अच्छाई बुराई समझने की शक्ति नहीं है।
नयनतारा भी उसको यह शक्ति न दे सकी। ख़ैर!


st-small-507x507-pad-600x600-f8f8f8

Ye baat, aaj mila na sher ko sawa sher:rock1: yugaka bohot udd raha tha, lekin jab shefaali se saamna hua to hawa nikal gai, batao manushyon ko halke me le raha tha:sigh2:khair, great update with awesome writing skills ✍️

Bhut hi jabardast update
To shalaka ko james mil gaya jise himlok me rudraksh and shivnya ne pakad liya tha
Vahi dusri or dekhte hai ab is bhanvre ka kya rahasya hai

nice update

Awesome update👌👌

Nice update....

Bahut hi shandar update he Raj_sharma Bhai,

Shalaka ko aakhirkar james mil hi gaya............

Apne purane dosto se milkar shalaka bahut hi kuch he aur Gurutav shakti ki puja me shamil hone ke liye maan bhi gayi he.........

Keep rocking Bhai

Interesting!!!

Salaka ke dost ne usse kyun kaha ki tum abhi tak zinda ho???

Yadi Salaka ke dost jeevit hain phir Salaka ka bhi zinda hona koi ascharya wali baat nahi hai.

Lekin, lekin, lekin baat itni simple nahi ho sakti hai yadi Aryan ka punarjanm hua hai toh past mein koi tragedy definitely hua hoga.


Let's see Shefali, Suyash aur uski team ke paas kya nayi challenge aane
wali hai.

आपकी मेहनत हैं भाई

:congrats: for 400 pages ..

Tabhi to bahut kuchh nahin ....sabkuchh karunga
Yahi to asli moksh hai... Nirlipt Aanand

Besabari se intezaar rahega next update ka Raj_sharma bhai....

Update Posted Friends :declare:
 

ak143

Member
138
248
58
#104.

क्रिस्टी की बात सुनकर, तौफीक ने धूल के गुबार को थोड़ी देर तक देखा और अपना पैर जमीन पर तेजी से पटका।

तौफीक के पैर पटकने से धूल के कुछ और कण जमीन से उठकर हवा में रुक गये।

“इन कणो पर गुरुत्वाकर्षण का नियम क्यों नहीं काम कर रहा?" अल्बर्ट ने उन धूलकणो को देखते हुए कहा।

यह देख सुयश ने जमीन पर बैठकर एक जोर की फूंक उन धूलकणो पर मारी। सुयश के ऐसा करते ही सारे धूलकण भौंरे के जमीन पर बनाये गोल सी रेखाओ के ऊपर हवा में गोल-गोल तैरने लगे।

भौंरे का शरीर भी उस हवा में गोल-गोल नाचने लगा। यह देखकर सुयश, तौफीक सहित सभी लोग पीछे हट गये।

धूल के कणो से बना वह गुबार अब हवा में ऊपर उठने लगा। उसकी गति और आकार भी अब लगातार बढ़ते जा रहे थे।

धीरे-धीरे हवा का वह गोल दायरा एक चक्रवात में परिवर्तित हो गया। अब सभी फूलों के पौधे उसकी ओर खिंचने लगे।

तभी ब्रेंडन की निगाहें अपने फ़ेंके उस फूल की ओर गयी, जिससे यह पूरा घटनाक्रम शुरू हुआ था। इतनी तेज हवा के होने के बाद भी वह फूल अपनी जगह पर पड़ा था।

चक्रवात अब और विकराल होता जा रहा था।

ब्रेंडन ने कुछ सोचने के बाद झुककर उस फूल को जमीन से उठा लिया। ब्रेंडन का अंदाजा था कि फूल को उठाने से यह पूरा घटनाक्रम बंद हो जायेगा, पर हुआ उसका बिल्कुल उलट।

ब्रेंडन के फूल उठाते ही वह चक्रवात तेजी से ब्रेंडन की ओर झपटा और इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, ब्रेंडन का शरीर चक्रवात के घेरे में फंस गया था।

किसी के पास ब्रेंडन को बचाने का ना तो वक्त था और ना ही तरीका।

चक्रवात ने अब बहुत विशाल रूप धारण कर लिया था। इसी के साथ चक्रवात हवा में उठा और ब्रेंडन सहित आसमान में उड़कर गायब हो गया।

सभी हक्के-बक्के से वहां खड़े चक्रवात को जाते देखते रह गये।

“ये क्या था प्रोफ़ेसर?" सुयश ने अल्बर्ट से पूछा- “ऐसी किसी चीज के बारे में क्या आपने कहीं सुन रखा है?"

“नहीं कैप्टन....ऐसी किसी चीज का जवाब विज्ञान के पास तो नहीं मिलेगा।"

अल्बर्ट ने आह भरते हुए कहा- “एक छोटे से फूल और भौंरे से इतनी बड़ी परेशानी का पैदा हो जाना तो किसी भी दिमाग में नहीं आ सकता था।"

“आख़िर हमने अपने एक और साथी को खो दिया।" तौफीक ने दुख भरे स्वर में कहा।

“नक्षत्रा।" जेनिथ ने नक्षत्रा से पूछा- “क्या तुम बता सकते हो कि ये चीज क्या थी?“

“ये चीज एक मायाजाल थी।" नक्षत्रा ने कहा।

“ये मायाजाल क्या होता है?" जेनिथ ने फ़िर से पूछा- “और हां, कृपया आसान भाषा में समझाना। मुझे विज्ञान की ज़्यादा जानकारी नहीं है।"

“हमारे आसपास 2 ब्रह्मांड हैं, एक वह जो हमें आसमान में दिखाई देता है और एक वह जो हमारे आसपास के वातावरण में मौजूद है।" नक्षत्रा ने कहा- “हम पहले ब्रह्मांड के बारे में तो अब बहुत कुछ जानने लगे हैं, परंतु हम अपने आसपास मौजूद ब्रह्मांड के बारे में कुछ नहीं जानते और हमारे आसपास मौजूद ब्रह्मांड ही हमारे जीवन का आधार है।

इसिलये मैं तुम्हें आसपास के ब्रह्मांड के बारे में बताता हूँ। दरअसल हमारे ब्रह्मांड में मौजूद हर चीज कण से मिलकर बनी है और विज्ञान जानने वाले लोगो को पता है कि हर कण इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से मिलकर बना है। जिसमें इलेक्ट्रॉन नकारात्मक और प्रोटॉन सकारात्मक होता है और यह दोनों ही कण नाभिक में बैठे न्यूट्रॉन के चक्कर लगाते हैं। यानी की साधारण भाषा में समझे तो वह छोटा सा कण भी अंदर से खोखला है और न्यूट्रॉन के गुरुत्वीय बल के कारण उसके चक्कर लगा रहा है। अब अगर तुम बाहर के ब्रह्मांड को देखो तो वो भी तो ऐसा ही है।

चन्द्रमा पृथ्वी के चक्कर लगा रहा है। पृथ्वी सूर्य के चारो ओर चक्कर लगा रही है। हमारी यह छोटी सी आकाशगंगा किसी दूसरी आकाशगंगा के चक्कर लगा रही है। ठीक उसी प्रकार अगर हम न्यूट्रॉन को करोड़ो गुना छोटा करे, तो उसमें भी एक ब्रह्मांड दिखाई देगा और उस ब्रह्मांड का सबसे छोटा कण है, जिसे हम ब्रह्मकण, हिग्स बोसन या आन्य नामों से जानते हैं।

इसी ब्रह्मकण ने हर जीव, हर तत्व को उत्पन्न किया है और सभी में अपने जीवन जीने के लिये विभिन्न प्रकार की क्षमताएं भी दी हैं। जैसे बाहरी दुनियां का ब्रह्मांड आपस में टकराकर एक नये ब्रह्मांड को जन्म देता है, ठीक उसी प्रकार कण का ब्रह्मांड भी आपस में टकराकर कुछ नये ‘इल्यूजन’ को जन्म देता है। हम इस ‘इल्यूजन’ को ही मायाजाल कहते हैं। इस मायाजाल पर हमारे भोतिक नियमों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता और ऐसा ही एक मायाजाल तुम्हें थोड़ी देर पहले दिखाई दिया है।"

इतना कहकर नक्षत्रा चुप हो गया। उसने जेनिथ की भावनाओं को महसूस किया तो पता चला कि उसकी बातें जेनिथ को केवल 12 प्रतिशत ही समझ में आई हैं। यह देख वह हंस दिया।

“तुम परेशान मत हो जेनिथ, मैं धीरे-धीरे तुम्हें पूरी विज्ञान की जानकारी दे दूँगा।" नक्षत्रा ने शांत जेनिथ को देख कहा।

जेनिथ ने धीरे से अपना सिर हिलाया और सभी के साथ आगे की ओर चल दी।


गुरुत्व शक्ति

(10 जनवरी 2002, गुरुवार, 16:00, सीनोर राज्य, अराका द्वीप)

लुफासा और सनूरा इस समय मकोटा महल में मकोटा के पास बैठे हुए थे।

“मैंने आज तुम्हें कुछ जरुरी काम करने के लिये बुलाया है लुफासा।" मकोटा ने लुफासा की ओर देखते हुए कहा।

“जी बताइये मान्त्रिक।"
लुफासा ने गहरी निगाहों से मकोटा की ओर देखते हुए कहा।

“दरअसल हमें अराका पर राज करने के लिये जैगन की शक्तियों की आवश्यकता है, पर इसके लिये पहले हमें जैगन को एक शक्ति प्राप्त करके देना होगा।" मकोटा ने कहा।

“कैसी शक्ति?" लुफासा ने मकोटा से पूछा।

“गुरुत्व शक्ति!" मकोटा ने कहा।

“गुरुत्व शक्ति? ... ये शक्ति क्या करती है मान्त्रिक?" लुफासा के शब्दो में व्यग्रता झलक रही थी।

“हर ग्रह के अंदर एक गुरुत्वाकर्षण शक्ति होती है, जिसकी वजह से उस ग्रह पर मौजूद सभी निर्जीव और सजीव चीज उस ग्रह की धरती से जुड़े रहते हैं। यह गुरुत्व शक्ति जिसके पास रहेगी, उस पर उस ग्रह के गुरुत्वाकर्षण का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति विज्ञान के नियमो को तोड़कर एक अजेय शक्ति में परिवर्त्तित हो जायेगा।" मकोटा ने कहा।

“पर ऐसी शक्ति धरती पर मिलेगी कहां?" सनूरा ने बीच में बोलते हुए कहा।

मकोटा ने इस बार सनूरा की ओर देखा और फ़िर बोला- “यहां से पूर्व दिशा की ओर एक विशालकाय पर्वत है, जिसका नाम हिमालय है। हर वर्ष हिमालय में वह शक्ति 1 दिन के लिये प्रकट होती है और वह विशेष दिन कल ही है। इसलिये तुम्हें आज ही हिमालय के लिये निकलना होगा।"

“पर मान्त्रिक... ऐसी विचित्र शक्ति मुझे ऐसे ही तो मिल नहीं जायेगी। उसकी सुरक्षा में भी कुछ ना कुछ तो जरूर होगा।" लुफासा ने कहा- “क्या आप मुझे उसकी सुरक्षा के बारे में कुछ बता सकते हैं?"

“उसकी सुरक्षा वहां के बर्फ़ में रहने वाले कुछ साधारण इंसान ही करते हैं, इसलिये उसको लाने में तुम्हें ज़्यादा परेशानी नहीं होगी।" मकोटा ने लुफासा को समझाया।

“फ़िर ठीक है, मैं आज ही गुरुत्व शक्ति को लाने के लिये चला जाऊंगा। पर मान्त्रिक क्या मैं जान सकता हूँ की जैगन यह शक्ति लेकर क्या करने वाला है?"

“जैगन का एक महाशक्तिशाली योद्धा एक बार एक युद्ध में धरा शक्ति से टकराते हुए जमीन पर गिर गया। जैगन लाख कोशिशों के बाद भी उसे जमीन से उठा नहीं पा रहा, तभी उसे गुरुत्व शक्ति के बारे में पता चला। दरअसल गुरुत्व शक्ति, धरा शक्ति की काट है और उसके द्वारा उस योद्धा को जगाया जा सकता है। इसिलये जैगन ने यह महान कार्य करने के लिये हमें चुना है।" मकोटा ने कहा।

मकोटा की बात सुनकर लुफासा एक पल में ही समझ गया कि मकोटा सरासर झूठ बोल रहा है, क्यों कि उसने पहले ही जैगन को पिरामिड में बेहोश हालत में देख लिया था।

लुफासा जान गया कि गुरुत्व शक्ति का उपयोग जैगन के महायोद्धा को जगाने के लिये नहीं, बल्कि स्वयं जैगन को जगाने के लिये होना था।

लेकिन इस समय लुफासा के पास और कोई चारा नहीं था, इसलिये वह गुरुत्व शक्ति लाने को तैयार हो गया।

तभी मकोटा ने लुफासा को एक दिशा यंत्र देते हुए कहा- “यह एक दिशा यंत्र है, ये तुम्हें गुरुत्व शक्ति के स्थान तक रास्ता दिखायेगा।"

मकोटा ने कुछ देर तक जब लुफासा और सनूरा को और कोई प्रश्न ना पूछते हुए देखा तो उन्हे वहां से जाने का इशारा कर दिया।

मकोटा का इशारा पाकर लुफासा और सनूरा वहां से चल दिये।

प्राचीन शिव मंदिर

(11 जनवरी 2002, शुक्रवार, 05:30, हिमलोक, हिमालय पर्वत)

अगले दिन शलाका नहा-धोकर ताजा हो गयी थी।

शिवन्या ने शलाका के लिये भारतीय परिधान भेज दिये थे। भारतीय वस्त्र और फूलों के श्रृंगार में शलाका बहुत खूबसूरत नजर आ रही थी।

थोड़ी देर में शिवन्या शलाका को लेने के लिये आ गयी। दोनों बाहर निकले तो शलाका ने देखा कि जेम्स भी भारतीय परिवेश में तैयार होकर बाहर रुद्राक्ष के साथ खड़ा था।

बाहर लगभग 20 लोग और थे, उसमें से कुछ ब्राह्मण और कुछ फूलों की टोकरियां उठाये सेवक और सेविकाएं थी।

ब्राह्मणो के हाथों में पूजा का सामान था।

सभी ने सफेद रंग के वस्त्र पहन रखे थे। एक विशालकाय स्लेज भी बाहर खड़ा था।

शिवन्या और शलाका को बाहर निकलते देख सभी उस बड़े स्लेज पर खड़े हो गये। इस बड़े स्लेज को 6 बर्फ़ पर चलने वाले घोड़े खींच रहे थे।

रुद्राक्ष, शिवन्या और शलाका रेंडियर वाले छोटे स्लेज पर बैठ गये। जेम्स भी उसी स्लेज पर सवार हो गया।

दोनों ही स्लेज बर्फ़ के रास्ते पर चल दिये।

जेम्स को यह सब कुछ बहुत अलग और अच्छा लग रहा था। उसे तो सबकुछ एक सपने की तरह महसूस हो रहा था।

“क्या मैं कुछ चीज आपसे पूछ सकता हूँ?" जेम्स ने शलाका की ओर देखते हुए पूछा।

“हां-हां पूछो जेम्स।" शलाका ने अनुमित देते हुए कहा।

“यह गुरुत्व शक्ति है क्या? मेरा मतलब है कि इस शक्ति का जन्म कैसे हुआ?" जेम्स ने उत्सुकता दिखाते हुए पूछा।

लेकिन इससे पहले कि शलाका इस बात का कोई जवाब देती, शिवन्या बीच में ही बोल पड़ी-

“हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगीरथ ने अपने पूर्वजो को मुक्ति दिलाने के लिये देवी गंगा का आव्हान किया, तो सबसे बड़ी समस्या यह थी कि गंगा के वेग को पृथ्वी नहीं संभाल पाती, जिसकी वजह से गंगा पाताल में चली जाती।

भगीरथ ने अपनी यह समस्या महा..देव को कही। महा..देव गंगा के वेग को अपनी जटाओं में रोकने के लिये तैयार हो गये, पर महा..देव जानते थे कि गंगा के वेग को संभालना इतना भी आसान ना था। इसके लिये महा..देव ने पहले गंगा से उनका एक बूंद अंश मांगा और उस अंश को चन्द्रमा के तेज से गुरुत्व शक्ति में परिवर्त्तित कर गुरुत्वाकर्षण से मुक्त कर दिया। देवी गंगा की वह प्रथम बूंद का अंश ही गुरुत्व शक्ति है, जो आज भी हिमालय के गर्भ में बसे शि..व मंदिर में रखी है। यह बूंद जिस पर गिरेगी, उसमें किसी भी ग्रह के गुरुत्वाकर्षण से मुक्त होने की शक्तियां आ जायेंगी।"

“अगर यह बूंद किसी पर गिरे तो क्या यह समाप्त हो जायेगी?" जिज्ञासु जेम्स ने फ़िर से सवाल किया।

“अगर यह बूंद किसी योग्य व्यक्ति पर गिरती है, तो उस व्यक्ति में शक्तियां आने के बाद एक नयी बूंद इस डिबिया में आ जायेगी, पर अगर गलती से भी यह बूंद किसी अयोग्य व्यक्ति पर गिरी तो यह बूंद सदा-सदा के लिये नष्ट हो जायेगी।"

“तो क्या आज तक यह बूंद किसी पर गिरी है?" जेम्स ने पूछा।

“हां....ये बूंद महाशक्तिशाली हनुका पर गिरी है।" शिवन्या ने कहा- “हनुका वही हैं जो कल आपको पकड़ कर लाये थे।"

जेम्स शिवन्या की बातें सुनकर चमत्कृत हो गया। तभी वह सभी लोग एक छोटे से पहाड़ पर पहुंच गये।

पहाड़ के ऊपर काफ़ी समतल क्षेत्र भी था।

सभी लोग वहां रथ से उतरकर जमीन के पास खड़े हो गये थे। इस समय चारो ओर उजाला फैल गया था, पर सूर्य की अभी पहली किरण नहीं आयी थी।

ब्राह्मणो ने तब तक वहां पर पूजा की तैयारियां शुरू कर दी। उन्होंने एक खाली स्थान पर रोली, अक्षत और फूलों से 2 स्वास्तिक व ओऽम की आकृति बना दी।

चारो ओर बर्फ़ की सफेद चादर बिछी हुई थी। बहुत ही मनोरम और शुद्ध वातावरण था। सूर्यदेव के आने के पहले अरुण ने चारो ओर अपनी दिव्य छटा बिखेर दी थी।

आख़िरकार वह मंगलमयी बेला आ गयी। सूर्यदेव की पहली रश्मि अपनी दिव्य ज्योति लिये हुए उस पवित्र वातावरण में प्रविष्ट हुई।

सूर्य की पहली किरण देख ब्राह्मणो ने शंख, घंटे, डमरू और मृदंग की ध्वनि करनी शुरू कर दी।

जैसे ही सूर्य की पहली किरण ने बर्फ़ पर बनी उस ओऽम की आकृति को छुआ, एक गड़गड़ाहट के साथ जमीन के अंदर से एक विशालकाय सोने का शि.व-मंदिर प्रकट होना शुरू हो गया।

चारो ओर से सभी ने शि.व तांडव …पढ़ना शुरू कर दिया। श्रद्धावश शलाका और जेम्स के हाथ भी जुड़ गये।

इतने शुद्ध वातावरण में इस प्रकार की ध्वनि सभी को वशीभूत कर रही थी। कुछ ही देर में महादेव का वह पवित्र मंदिर बर्फ़ से पूरा बाहर आ गया।

तब तक शि..व तांडव…. के 17 श्लोक भी पूरे हो गये। शलाका, शिवन्या और रुद्राक्ष को लेकर मंदिर में प्रवेश कर गयी।

मंदिर के बीच में एक गोलाकार पीठम् के बीच महा..देव का एक शि.वलिंग विराजमान था। शि.व.लं.ग के ऊपर नागराज वासुकि का फन एक छत्र की तरह से महा.देव पर छाया हुआ था। उसके ऊपर एक छेद की हुई सोने की एक मटकी में जल की धारा निरंतर ज्योतिर्लिंग पर गिर रही थी।

उस सोने की मटकी के ऊपर ढक्कन की तरह से एक सोने की डिबिया रखी हुई थी, जिसमें उपस्थित थी गुरुत्व शक्ति।



जारी
रहेगा_______✍️
Awesome update👌👌
 
Top