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Incest ससुर ने ऑटो में जबरदस्ती मुठ मरवाई

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Ting ting

Ting Ting
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वैसे सच कहु तो कुछ अच्छा भी लग रहा था.
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इस तरह की हरकतें जवान लोग या कॉलेज के स्टूडेंट्स करते हैं, यह तो सुना था पर आज मुझे अधेड़ औरत के साथ भी ऑटो में यह छेड़खानी हो रही थी. और वो भी अपने ही ससुर के हाथों.
मन में रोमांच भी हो रहा था. मेरे पति और बेटे के सामने मेरे ससुर मेरी चूत में ऊँगली कर रहे थे. बहुत अजीब सा लग रहा था. मैंने भी बाबूजी के साथ सेक्स का सोच रखा था पर यह जो ऑटो में हो रहा है, यह तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था.
2460696_02.jpg

अब बाबूजी ने मेरे हाथ, जो उनके लण्ड पर लिपटा हुआ था को अपने हाथ जो उसके ऊपर रखा था, सो आगे पीछे करना शुरू कर दिया. धीरे धीरे सेहला रहे थे जैसे मुठ मार रहे हों. मैं शर्म से मरी जा रही थी. पर कुछ कर नहीं पा रही थी.

मैंने सोचा की बाबूजी के लण्ड को जोर से कस कर दबा देती हूँ ताकि दर्द होने से बाबूजी मेरा हाथ छोड़ देंगे, तो मैंने अपनी लण्ड पर लिपटी हुई उँगलियों से उनके लौड़े को जोर से दबा दिया.
3730491_07.jpg

मैं तो हैरान ही हो गयी. बाबूजी का लण्ड तो इतना सख्त था की जैसे कोई लोहे की रॉड हो. इतना टाइट कि दब तो बिलकुल नहीं पाया. और ऊपर से गर्म इतना कि जैसे आग से तप रहा हो. मेरे पति का लैंड मैंने इतने जोर से दबाया होता तो बेचारे चीख उठते, पर बाबूजी को तो मजा आया. उन्होंने मेरी आँखों में देखते हुए शाबाशी दी जैसे मैंने जान बूझ कर उन्हें मजा देने के लिए लौड़ा दबाया हो. और आँखों में ही ऐसे ही करने का इशारा किया.
79462624_008_70dc.jpg

अपनी आँखों में उन्हें देखते और शाबाशी देने से मुझे तो इतनी शर्म आ रही थी कि क्या बताऊँ, पर कुछ कर भी नहीं सकती थी,

सच कहूँ तो मझे भी अच्छा तो लग रहा था, क्योंकि आखिर थी तो मैं एक औरत ही, आप मेरी स्थिति का सोचिये तो मेरी भी कामवासना भड़क रही थी,

इधर जो बीते कुछ दिनों से बाबूजी के साथ छेड़खानी चल रही थी उसका भी हाथ था.

अब बाबूजी ने मेरी चूत में ऊँगली अंदर बाहर करने की स्पीड तेज कर दी.
4331289_04.jpg

पता नहीं क्यों पर अब मैं उनके हाथ को रोकने की उतनी कोशिश भी नहीं कर रही थी.

चूत एक तो इतने दिनों से चुदी नहीं थी, तो उसका गीला होना और मुझे आनंद आना तो स्वाभाविक ही था.

बाबूजी अब जोर जोर और अधिक स्पीड से उँगलियों से मेरी चूत चोद रहे थे.

पता नहीं कब अपने आप मेरी टांगें खुल कर फ़ैल गयी और बाबूजी को अपनी हरकतों के लिए और स्थान मिल गया और ऊँगली चुदाई तेजी से होने लगी.
43212354_005_c8d0.jpg

मैंने अपना मुंह में अपनी शाल डाल ली ताकि मेरे मुंह से अपने आप निकल रही सिसकारियों की आवाज बाहर ना आ सके.

ऐसे मजे में अपने आप मेरा हाथ बाबूजी के लौड़े पर चलने लग गया. और अब बाबूजी को अपने हाथ से मेरे हाथ को हिलाने की जरूरत नहीं थी, मैं ना चाहते हुए अपने आप अब बाबूजी की मुठ मार रही थी.

बाबूजी का लौड़ा मेरे पति के लौड़े से दुगना मोटा और बहुत बड़ा था. मैंने अपनी जिंदगी में पति के इलावा यह दूसरा लण्ड पकड़ा था. लौड़ा इतना सख्त और मोटा होता है, मुझे आज ही पता चला.
55131950_011_c96d.jpg

बाबूजी ने जब देखा कि अब मैं अपने आप ही उनकी मुठा मार रही हूँ, तो उन्होंने अपना हाथ मेरे हाथ पर से हटा कर मेरी चूँचियों पर रख लिया और मेरे मुम्मे दबाने सहलाने लगे.

उनका हाथ हटते ही एकबार तो मैंने सोचा कि उनका लण्ड छोड़ दूँ, पर बाबूजी की मुठ मारने में इतना अच्छा लग रहा था कि मैं उनकी मुठ मारने में लगी रही.
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अब पूरी बेशर्मी से हम दोनों ससुर बहु एक दुसरे के शरीर से मजे ले रहे थे.

मैंने सोच लिया कि अब जब यह सब हो ही रहा है, और हम दोनों चाहते भी यही थे, तो एकदिन तो यह सब होना ही था. तो चलो आज हो ही जाने दो,

मैं अब पूरी स्पीड से बाबूजी की मुठ मार रही थे और बाबूजी मेरी चूत में दो उँगलियाँ अंदर बाहर कर रहे थे, किसी को कुछ दिखाई न दे इस लिए मैंने शाल को थोड़ा फैला लिया और मेरा मुठ मार रहा हाथ भी छुपा लिया.

अब हम ससुर बहु चलते ऑटो में खुल कर मजा ले रहे थे.

मैंने अपने पति की तरफ देखा तो वो नशे में खर्राटे ले रहे थे. मुझे उन पर बहुत घृणा आयी और मन ही मन गाली देते बोली

"सो ले कंजर , और कर नशा. देख तेरे सामने ही तेरा बाप तेरी बीवी की चूत में ऊँगली फेर रहाहै और तेरी बीवी अपने ससुर की मुठ मार रही है. तू सोता रह."
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मैंने पूरा ध्यान बाबूजी पर किया और आनंद लेने लगी.

मैंने मुठ मारना तेज किया तो बाबूजी ने भी चूत में ऊँगली तेज कर दी और मेरे मुम्मे भी जोर से मसलने लगे. हम दोनों ससुर बहु स्वर्ग में थे.

एक तो मैं इतने दिन से चुदी नहीं थी, दुसरे रोज बाबूजी के साथ छेड़खानी और सेक्सी बातों से मैं बहुत चुदासी हो रही थी. ऊपर से यह पति बच्चे और ड्राइवर के सामने इस तरह की हरकत, मैं बता नहीं सकती कि कितना मजा आ रहा था.

दोनों ससुर बहु को मजा लेते अब काफी देर हो चुकी थी,. मेरा स्खलन भी पास ही था. लगता है बाबूजी का भी काम तमाम होने ही वाला था.

बाबूजी मेरी ओर देखते हुए बोले

"सुषमा! लगता है अपनी मंजिल दूर नहीं है, जल्दी ही अपने मुकाम पर पहुँच जायेंगे."

यह कहते हुए बाबूजी ने मेरी आँखों में देखते हुए अपने लौड़े की तरफ इशारा किया, ताकि मैं समझ जाऊ कि किस मंजिल की बात है.
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मेरा भी काम होने वाला था. तो मैं भी मुस्कुराते हुए बोली

"हाँ बाबूजी! मुझे भी लगता है कि पहुँचने में मुश्किल से १-२ मिनट ही बाकी हैं. जरा तेज हाथ चलाया जाये, मतलब गाड़ी की स्पीड बढ़ा दें तो और भी जल्दी पहुँच जायेंगे.." ऑटो ड्राइवर तो अपनी ही धुन में मस्त था.
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बाबूजी मेरी दोअर्थी बात पर मुस्कुरा पड़े. उन्होंने अपनी जेब से रुमाल निकल कर मुठ मार रहे मेरे हाथ में दे दिया. मैं जान गयी कि बाबूजी ने मुझे यह क्यों दिया है.

मैंने तुरंत वो रुमाल बाबूजी के लौड़े पर लपेट लिया और तेजी से मुठ मारना चालू किया.

बाबूजी की भी उँगलियाँ बिजली की तेजी से मेरे अंदर चल रही थी. अचानक मेरी चूत ने एक जोर का झटका खाया और मेरी चूत ने छर छर अपना पानी छोड़ना शुरू कर दिया. मैंने काफी सारी शाल अपने मुंह में दबा ली ताकि मेरी सिसकारियां उस में ही दब जाएँ.
61158166_014_7dd3.jpg

मेरी चूत ने पहली बार बाबूजी के हाथ से पानी निकाला था तो बहुत पानी निकला. बाबूजी का पूरा हाथ भीग गया. मैंने भी जोर जोर से बाबूजी के लण्ड पर सड़का मारा और बाबूजी का भी शरीर कांपने लगा. और उनके लौड़े ने भी ढेर सा घाड़ा घाड़ा माल छोड़ दिया..

मैं तो पहले से ही तैयार थी और बाबूजी का सारा वीर्य मैंने रुमाल में ले लिया.

पर बाबूजी के लण्ड ने इतना माल निकाला की रुमाल भर जाने के बाद भी मेरे हाथ भी उस से भर गए.
79877850_015_1a8a.jpg

थोड़ी देर बाद बाबूजी के लण्ड ने झटके मारने बंद किये, तो मैंने उसे छोड़ दिया.

मैंने रुमाल ऑटो के फर्श पर ही फेंक दिया, जिसे पैर से बाबूजी ने धकेल कर ऑटो से बाहर फेंक दिया. चलते ऑटो में और रात में किसी को पता नहीं चला.
muscles-and-a-boner.jpg

मेरे हाथ अभी भी बाबूजी के वीर्य से ही भरे थे, मैंने उन्हें शाल से पोंछना चाहा तो इशारे से बाबूजी ने मुझे रोक दिया और मेरी सलवार से मेरे चूत रस से भीगा अपना हाथ निकाला और उसे चाटना शुरू कर दिया.

और इशारे से मुझे भी अपना वीर्य भरा हाथ चाट कर साफ़ करने को कहा.

बहुत ही कामुक दृश्य था. मेरे सामने मेरे ससुर मेरे चूत रस को चाट रहे थे. और मैंने भी शर्म लिहाज छोड़ कर बाबूजी के माल को अपने हाथ से चाटना शुरू कर दिया.

बाबूजी का वीर्य बहुत ही स्वादिष्ट था. मैं सोच रही थी कि कब मुझे यह माल सीधे लौड़े से ही चूस कर चाटने को मिलेगा.
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इतने में हमारा घर आ गया.

मेरे पति और बेटा भी उठ गए और हम घर में चले गए.

मैं रात में अपने पति से होने वाली संभावित चुदाई के बारे में ही सोच रही थी,
 

macssm

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इस तरह की हरकतें जवान लोग या कॉलेज के स्टूडेंट्स करते हैं, यह तो सुना था पर आज मुझे अधेड़ औरत के साथ भी ऑटो में यह छेड़खानी हो रही थी. और वो भी अपने ही ससुर के हाथों.
मन में रोमांच भी हो रहा था. मेरे पति और बेटे के सामने मेरे ससुर मेरी चूत में ऊँगली कर रहे थे. बहुत अजीब सा लग रहा था. मैंने भी बाबूजी के साथ सेक्स का सोच रखा था पर यह जो ऑटो में हो रहा है, यह तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था.
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अब बाबूजी ने मेरे हाथ, जो उनके लण्ड पर लिपटा हुआ था को अपने हाथ जो उसके ऊपर रखा था, सो आगे पीछे करना शुरू कर दिया. धीरे धीरे सेहला रहे थे जैसे मुठ मार रहे हों. मैं शर्म से मरी जा रही थी. पर कुछ कर नहीं पा रही थी.

मैंने सोचा की बाबूजी के लण्ड को जोर से कस कर दबा देती हूँ ताकि दर्द होने से बाबूजी मेरा हाथ छोड़ देंगे, तो मैंने अपनी लण्ड पर लिपटी हुई उँगलियों से उनके लौड़े को जोर से दबा दिया.
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मैं तो हैरान ही हो गयी. बाबूजी का लण्ड तो इतना सख्त था की जैसे कोई लोहे की रॉड हो. इतना टाइट कि दब तो बिलकुल नहीं पाया. और ऊपर से गर्म इतना कि जैसे आग से तप रहा हो. मेरे पति का लैंड मैंने इतने जोर से दबाया होता तो बेचारे चीख उठते, पर बाबूजी को तो मजा आया. उन्होंने मेरी आँखों में देखते हुए शाबाशी दी जैसे मैंने जान बूझ कर उन्हें मजा देने के लिए लौड़ा दबाया हो. और आँखों में ही ऐसे ही करने का इशारा किया.
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अपनी आँखों में उन्हें देखते और शाबाशी देने से मुझे तो इतनी शर्म आ रही थी कि क्या बताऊँ, पर कुछ कर भी नहीं सकती थी,

सच कहूँ तो मझे भी अच्छा तो लग रहा था, क्योंकि आखिर थी तो मैं एक औरत ही, आप मेरी स्थिति का सोचिये तो मेरी भी कामवासना भड़क रही थी,

इधर जो बीते कुछ दिनों से बाबूजी के साथ छेड़खानी चल रही थी उसका भी हाथ था.

अब बाबूजी ने मेरी चूत में ऊँगली अंदर बाहर करने की स्पीड तेज कर दी.
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पता नहीं क्यों पर अब मैं उनके हाथ को रोकने की उतनी कोशिश भी नहीं कर रही थी.

चूत एक तो इतने दिनों से चुदी नहीं थी, तो उसका गीला होना और मुझे आनंद आना तो स्वाभाविक ही था.

बाबूजी अब जोर जोर और अधिक स्पीड से उँगलियों से मेरी चूत चोद रहे थे.

पता नहीं कब अपने आप मेरी टांगें खुल कर फ़ैल गयी और बाबूजी को अपनी हरकतों के लिए और स्थान मिल गया और ऊँगली चुदाई तेजी से होने लगी.
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मैंने अपना मुंह में अपनी शाल डाल ली ताकि मेरे मुंह से अपने आप निकल रही सिसकारियों की आवाज बाहर ना आ सके.

ऐसे मजे में अपने आप मेरा हाथ बाबूजी के लौड़े पर चलने लग गया. और अब बाबूजी को अपने हाथ से मेरे हाथ को हिलाने की जरूरत नहीं थी, मैं ना चाहते हुए अपने आप अब बाबूजी की मुठ मार रही थी.

बाबूजी का लौड़ा मेरे पति के लौड़े से दुगना मोटा और बहुत बड़ा था. मैंने अपनी जिंदगी में पति के इलावा यह दूसरा लण्ड पकड़ा था. लौड़ा इतना सख्त और मोटा होता है, मुझे आज ही पता चला.
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बाबूजी ने जब देखा कि अब मैं अपने आप ही उनकी मुठा मार रही हूँ, तो उन्होंने अपना हाथ मेरे हाथ पर से हटा कर मेरी चूँचियों पर रख लिया और मेरे मुम्मे दबाने सहलाने लगे.

उनका हाथ हटते ही एकबार तो मैंने सोचा कि उनका लण्ड छोड़ दूँ, पर बाबूजी की मुठ मारने में इतना अच्छा लग रहा था कि मैं उनकी मुठ मारने में लगी रही.
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अब पूरी बेशर्मी से हम दोनों ससुर बहु एक दुसरे के शरीर से मजे ले रहे थे.

मैंने सोच लिया कि अब जब यह सब हो ही रहा है, और हम दोनों चाहते भी यही थे, तो एकदिन तो यह सब होना ही था. तो चलो आज हो ही जाने दो,

मैं अब पूरी स्पीड से बाबूजी की मुठ मार रही थे और बाबूजी मेरी चूत में दो उँगलियाँ अंदर बाहर कर रहे थे, किसी को कुछ दिखाई न दे इस लिए मैंने शाल को थोड़ा फैला लिया और मेरा मुठ मार रहा हाथ भी छुपा लिया.

अब हम ससुर बहु चलते ऑटो में खुल कर मजा ले रहे थे.

मैंने अपने पति की तरफ देखा तो वो नशे में खर्राटे ले रहे थे. मुझे उन पर बहुत घृणा आयी और मन ही मन गाली देते बोली

"सो ले कंजर , और कर नशा. देख तेरे सामने ही तेरा बाप तेरी बीवी की चूत में ऊँगली फेर रहाहै और तेरी बीवी अपने ससुर की मुठ मार रही है. तू सोता रह."
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मैंने पूरा ध्यान बाबूजी पर किया और आनंद लेने लगी.

मैंने मुठ मारना तेज किया तो बाबूजी ने भी चूत में ऊँगली तेज कर दी और मेरे मुम्मे भी जोर से मसलने लगे. हम दोनों ससुर बहु स्वर्ग में थे.

एक तो मैं इतने दिन से चुदी नहीं थी, दुसरे रोज बाबूजी के साथ छेड़खानी और सेक्सी बातों से मैं बहुत चुदासी हो रही थी. ऊपर से यह पति बच्चे और ड्राइवर के सामने इस तरह की हरकत, मैं बता नहीं सकती कि कितना मजा आ रहा था.

दोनों ससुर बहु को मजा लेते अब काफी देर हो चुकी थी,. मेरा स्खलन भी पास ही था. लगता है बाबूजी का भी काम तमाम होने ही वाला था.

बाबूजी मेरी ओर देखते हुए बोले

"सुषमा! लगता है अपनी मंजिल दूर नहीं है, जल्दी ही अपने मुकाम पर पहुँच जायेंगे."

यह कहते हुए बाबूजी ने मेरी आँखों में देखते हुए अपने लौड़े की तरफ इशारा किया, ताकि मैं समझ जाऊ कि किस मंजिल की बात है.
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मेरा भी काम होने वाला था. तो मैं भी मुस्कुराते हुए बोली

"हाँ बाबूजी! मुझे भी लगता है कि पहुँचने में मुश्किल से १-२ मिनट ही बाकी हैं. जरा तेज हाथ चलाया जाये, मतलब गाड़ी की स्पीड बढ़ा दें तो और भी जल्दी पहुँच जायेंगे.." ऑटो ड्राइवर तो अपनी ही धुन में मस्त था.
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बाबूजी मेरी दोअर्थी बात पर मुस्कुरा पड़े. उन्होंने अपनी जेब से रुमाल निकल कर मुठ मार रहे मेरे हाथ में दे दिया. मैं जान गयी कि बाबूजी ने मुझे यह क्यों दिया है.

मैंने तुरंत वो रुमाल बाबूजी के लौड़े पर लपेट लिया और तेजी से मुठ मारना चालू किया.

बाबूजी की भी उँगलियाँ बिजली की तेजी से मेरे अंदर चल रही थी. अचानक मेरी चूत ने एक जोर का झटका खाया और मेरी चूत ने छर छर अपना पानी छोड़ना शुरू कर दिया. मैंने काफी सारी शाल अपने मुंह में दबा ली ताकि मेरी सिसकारियां उस में ही दब जाएँ.
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मेरी चूत ने पहली बार बाबूजी के हाथ से पानी निकाला था तो बहुत पानी निकला. बाबूजी का पूरा हाथ भीग गया. मैंने भी जोर जोर से बाबूजी के लण्ड पर सड़का मारा और बाबूजी का भी शरीर कांपने लगा. और उनके लौड़े ने भी ढेर सा घाड़ा घाड़ा माल छोड़ दिया..

मैं तो पहले से ही तैयार थी और बाबूजी का सारा वीर्य मैंने रुमाल में ले लिया.

पर बाबूजी के लण्ड ने इतना माल निकाला की रुमाल भर जाने के बाद भी मेरे हाथ भी उस से भर गए.
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थोड़ी देर बाद बाबूजी के लण्ड ने झटके मारने बंद किये, तो मैंने उसे छोड़ दिया.

मैंने रुमाल ऑटो के फर्श पर ही फेंक दिया, जिसे पैर से बाबूजी ने धकेल कर ऑटो से बाहर फेंक दिया. चलते ऑटो में और रात में किसी को पता नहीं चला.
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मेरे हाथ अभी भी बाबूजी के वीर्य से ही भरे थे, मैंने उन्हें शाल से पोंछना चाहा तो इशारे से बाबूजी ने मुझे रोक दिया और मेरी सलवार से मेरे चूत रस से भीगा अपना हाथ निकाला और उसे चाटना शुरू कर दिया.

और इशारे से मुझे भी अपना वीर्य भरा हाथ चाट कर साफ़ करने को कहा.

बहुत ही कामुक दृश्य था. मेरे सामने मेरे ससुर मेरे चूत रस को चाट रहे थे. और मैंने भी शर्म लिहाज छोड़ कर बाबूजी के माल को अपने हाथ से चाटना शुरू कर दिया.

बाबूजी का वीर्य बहुत ही स्वादिष्ट था. मैं सोच रही थी कि कब मुझे यह माल सीधे लौड़े से ही चूस कर चाटने को मिलेगा.
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इतने में हमारा घर आ गया.

मेरे पति और बेटा भी उठ गए और हम घर में चले गए.


मैं रात में अपने पति से होने वाली संभावित चुदाई के बारे में ही सोच रही थी,
Super duper hot update diya hai ✍️ 👌 😍 😋 💦💦💦💦💦👙👙👙💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
 
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