- 677
- 2,762
- 139
Click anywhere to continue browsing...
Kheera to sasurji ko hi khilana.कमरे से आ कर मैं आँखे बंद करके लेटी हुई थी कि तभी मुझे किसी के दरवाज़े के पास आने की आहट हुई, मैंने डरते हुए कमरे का दरवाज़ा खोल दिया. पर बाहर तो कोई नहीं था, मुझे लगा शायद मेरा ही भ्र्म होगा और निश्चिंत होकर मैं बाथरूम की तरफ़ बढ़ी. मुझे लगा कि जैसे आवाज मेरे ससुर के कमरे से आ रही थी, बाबूजी के कमरे के साथ उनका अटैच बाथरूम भी तो था. मेरे कदम जैसे जैसे उस की तरफ़ बढ़ने लगे तो मुझे भी किसी की मादक सिसकियाँ सुनाई देने लगी, चौकन्ना होकर मैं उस आवाज़ की तरफ़ धीरे धीरे चलने लगी.
![]()
ससुरजी को आसानी रहे इस लिए बाथरूम उनके कमरे के बिलकुल बग़ल में बनाया गया था, बाथरूम निकलती उन सिसकियों को सुनके मैं चौंक गयी. पहले तो मुझे लगा की शायद ससुरजी बाथरूम में फिसलकर गिर पड़े है इसीलिए उनकी कराहने की आवाजें आ रही है. पर जैसे ही मैंने दरवाज़ा हलके से खोलते हुए अंदर झाँका तो मेरे कदम लड़खड़ाने लगे, डर के मारे पसीने छूटने लगे. मेरे ससुर पुरे नंगे खड़े होकर अपना लंड हाथ में लेकर जोर जोर से मसल रहे थे, उस लंड का भयंकर रूप देख कर तो मेरी गांड चौड़ी हो गयी. चूत में भी पानी आ गया।
![]()
जैसे तैसे मैंने अपने आपको संभाला और छुपके से उनके उस लिंग को देखने लगी, पर जैसे ही मैं संभली मेरे कानों पर पड़ी उस आवाज़ ने मेरे अंदर एक अजीब सा डर और गुदगुदी होने लगी. मेरे ससुर आज अपने बहु का नाम लेकर, उसको अपने यादों में लिए अपना लंड मसल रहे थे, मेरे बारे में ससुरजी की ये वासना सोचकर ही मुझे मदहोशी होने लगी.
![]()
"सुषमा! आआह्ह्ह्हह्ह आआ उफ्फफ्फ्फ़ मेरी जानननननन ले ले मेरा लौड़ा , एक बार तो ले कर देख इसे, क्या मस्त चुत है तेरी, एक बार मेरे नीचे आ जा बस फिर तो फाड़ दूंगा तेरी चुत।" बाबूजी इस जैसी गन्दी बातें बोल बोल कर अपने लौड़े को जोर जोर से सड़का मार रहे थे.
![]()
मेरे ससुरजी का लौड़ा मेरे पति से काफी ज्यादा लम्बा और मोटा था, मेरे पति का लण्ड तो उनके मुकाबले किसी बच्चे की नुन्नी जैसा था। काले रंग में लिपटा वो मांस का टुकड़ा देख के मेरी चुदी-चुदाई चुत भी पिघलने लगी. कुछ ही देर में बाबूजी का समय समाप्तः हुवा और एक जोर की आह की आवाज के साथ उनका ढेर सारा गाढ़ी मलाई रूपी वीर्य फ़र्श पर उछल उछल कर गिरने लगा.
![]()
इस उम्र में भारी मात्रा में निकलता हुवा वीर्य देखकर मेरे दिल में उनके लंड ने घर बना लिया, लग रहा कि अभी जाऊं और सारा वीर्य चाट लूँ. ससुरजी के माथे पर पसीना छा रहा था, उसकी साँसे भी जोर जोर से चल रही थी वीर्य की आखिरी बूंद अब भी सूपड़े से निकल रही थी. उनका फुला हुवा लौड़ा एक इंच भी कमज़ोर नहीं हुवा ये देख के मुझे अंदाजा हो चूका था की आदमी पूरा मर्द है. किसी भी औरत की पूरी तस्सली करवा देंगे बाबूजी। फिर वो औरत चाहे उनकी बहु यानि कि मैं ही क्यों ना होऊं.
![]()
मेरी चूत में बाबूजी की यह हरकत देख कर आग लग गयी. पर मेरे पति तो गए हुए थे तो उस आग को भुजाने का कोई सहारा भी तो नहीं था मेरे पास.
सोच सोच कर मैं किचन में गयी, और सब्जी की टोकरी में मुझे एक खीरा दिखाई दे गया. मुझे लगा कि लण्ड नहीं तो चलो अपनी पतली सी ऊँगली से तो खीरा ही अच्छा है. तो उसी से मजे लेने के लिए मैं उसे लेकर अपने कमरे में आ गयी.
![]()
मैं चुपचाप वहां से निकल पड़ी और फिर से कमरे में आकर ससुरजी के लौड़े को याद करते हुए साड़ी के ऊपर से ही अपनी चुत मसलने लगी. कुछ देर पहले मैं मेरे पतिदेव को याद कर रही थी पर अब मेरे सपनों में मेरे ससुरजी का नंगा लौड़ा नाच रहा था. ससुरजी का मर्दाना लौड़ा यद् करके मैं सोच रही ही की मैं खुद उनके लौड़े से चुद रही हूँ और इसी कामुकता के चलते मेरा पानी अबकी बार कुछ ही पलों में निकल कर बहने लगा. मेरा हाथ मेरे ही चुतरस से चिपचिपा हो गया पर इस बार मैंने वासनांध होकर मेरे चुतरस से भीगी उंगलिओं को चाटना चालू किया.
![]()
मैं वासना में अंधी हो रही थी. मैंने मेरी साडी उतार के फेंक दी और एक छोटी सी नाइटी पहन ली, और अपनी पैंटी उतार के बेड के नीचे ही फेंक दी ब्रा तो मैंने आज पहनी ही नहीं थी जब मैंने बाबूजी को पोंछा लगाने के बहाने से मजा दिया था. ऐसा करने से मुझे अपनी चूत में खीरा करने में आसानी होती .
![]()
सामने लगे आईने में मेरा गदराया हुवा बदन देख मुझे अपने आप पर गर्व सा महसूस होने लगा, किसी भी मर्द के लौड़े में आग लगाने की ताकत थी मेरे हुस्न में. सीने पे उभरे मेरे ३६ इंच के चूंचे थोड़ी चर्बी से गदराया हुवा पेट और उसके निचे मांसल जाँघे देख मैं अपना सीना सहालने लगी. पुराणी यादों को याद करते करते कब मेरा हाथ मेरा बदन मसलने लगा मुझे भी पता ना चला.
![]()
बिस्तर पे अपना बदन डालते ही मेरी आँखे बंद हुई, जिस्म की चुदाई की माँग को बुझाने के लिए मेरी उँगलियाँ ना जाने कब मेरे चूत का बंधन पार करते हुए मेरे चुत को छूने लगी. एक हाथ से मैक्सी के ऊपर से ही चूँचियाँ मसलते हुए मैंने मेरी दो उँगलियाँ मेरे भोसड़े में घुसा दी और पुराने दिन याद करते हुए मज़ा लेने लगी.
फिर मैंने वो खीरा उठा लिया और अपनी चूत में डाल लिया। खीरा मेरे पति के लण्ड से तो बड़ा था पर बाबूजी से छोटा ही था. पर जो भी हो काम तो चलाना ही था. तो मैंने पूरा खीरा अंदर घुसेड़ लिया और अंदर बाहर करके मजा लेने लगी.
![]()
इतने दिनों से जो आग दबा कर रखी थी आज वही आग फ़िरसे भड़क उठी थी. मेरे ससुर का वो मोटा तगड़ा लौड़ा और उनके चुदाई से हो सकने वाला मीठा दर्द सोचते हुए मेरी उँगलियाँ मेरे निगोड़ी चुत पर खीरे को जोर जोर से अंदर बाहर करने लगी.
![]()
आअह्ह्ह्ह उफ्फफ्फ्फ़ बाबूजी जज्जजज माँआआआआ जैसे किलकरियाँ मेरे मुँह से निकलने लगी और बड़े दिनों से फड़फड़ाती मेरे चुत का पानी कुछ ही मिनिटों में बाहर फ़वारे की तरह उमड़ने लगा. कई दिनों बाद मेरे भोसड़ी का पानी निकलने के कारन मेरा हाथ और मेरा मैक्सी पूरा गिला हो चूका था.
![]()
गीली चुत को प्यार से सहलाते हुए मेरी उखड़ी हुई सांसों को काबू करते हुए मैं ऐसे ही छत की तरफ देखते हुए लेटी रही. मुझे इतना निकलने से काफी कमजोरी महसूस हो रही थी, मैंने खीरे को बेड के साइड में टेबल पर रख दिया और चूत को सहलाते हुए लेट गयी,
Badiya update broकमरे से आ कर मैं आँखे बंद करके लेटी हुई थी कि तभी मुझे किसी के दरवाज़े के पास आने की आहट हुई, मैंने डरते हुए कमरे का दरवाज़ा खोल दिया. पर बाहर तो कोई नहीं था, मुझे लगा शायद मेरा ही भ्र्म होगा और निश्चिंत होकर मैं बाथरूम की तरफ़ बढ़ी. मुझे लगा कि जैसे आवाज मेरे ससुर के कमरे से आ रही थी, बाबूजी के कमरे के साथ उनका अटैच बाथरूम भी तो था. मेरे कदम जैसे जैसे उस की तरफ़ बढ़ने लगे तो मुझे भी किसी की मादक सिसकियाँ सुनाई देने लगी, चौकन्ना होकर मैं उस आवाज़ की तरफ़ धीरे धीरे चलने लगी.
![]()
ससुरजी को आसानी रहे इस लिए बाथरूम उनके कमरे के बिलकुल बग़ल में बनाया गया था, बाथरूम निकलती उन सिसकियों को सुनके मैं चौंक गयी. पहले तो मुझे लगा की शायद ससुरजी बाथरूम में फिसलकर गिर पड़े है इसीलिए उनकी कराहने की आवाजें आ रही है. पर जैसे ही मैंने दरवाज़ा हलके से खोलते हुए अंदर झाँका तो मेरे कदम लड़खड़ाने लगे, डर के मारे पसीने छूटने लगे. मेरे ससुर पुरे नंगे खड़े होकर अपना लंड हाथ में लेकर जोर जोर से मसल रहे थे, उस लंड का भयंकर रूप देख कर तो मेरी गांड चौड़ी हो गयी. चूत में भी पानी आ गया।
![]()
जैसे तैसे मैंने अपने आपको संभाला और छुपके से उनके उस लिंग को देखने लगी, पर जैसे ही मैं संभली मेरे कानों पर पड़ी उस आवाज़ ने मेरे अंदर एक अजीब सा डर और गुदगुदी होने लगी. मेरे ससुर आज अपने बहु का नाम लेकर, उसको अपने यादों में लिए अपना लंड मसल रहे थे, मेरे बारे में ससुरजी की ये वासना सोचकर ही मुझे मदहोशी होने लगी.
![]()
"सुषमा! आआह्ह्ह्हह्ह आआ उफ्फफ्फ्फ़ मेरी जानननननन ले ले मेरा लौड़ा , एक बार तो ले कर देख इसे, क्या मस्त चुत है तेरी, एक बार मेरे नीचे आ जा बस फिर तो फाड़ दूंगा तेरी चुत।" बाबूजी इस जैसी गन्दी बातें बोल बोल कर अपने लौड़े को जोर जोर से सड़का मार रहे थे.
![]()
मेरे ससुरजी का लौड़ा मेरे पति से काफी ज्यादा लम्बा और मोटा था, मेरे पति का लण्ड तो उनके मुकाबले किसी बच्चे की नुन्नी जैसा था। काले रंग में लिपटा वो मांस का टुकड़ा देख के मेरी चुदी-चुदाई चुत भी पिघलने लगी. कुछ ही देर में बाबूजी का समय समाप्तः हुवा और एक जोर की आह की आवाज के साथ उनका ढेर सारा गाढ़ी मलाई रूपी वीर्य फ़र्श पर उछल उछल कर गिरने लगा.
![]()
इस उम्र में भारी मात्रा में निकलता हुवा वीर्य देखकर मेरे दिल में उनके लंड ने घर बना लिया, लग रहा कि अभी जाऊं और सारा वीर्य चाट लूँ. ससुरजी के माथे पर पसीना छा रहा था, उसकी साँसे भी जोर जोर से चल रही थी वीर्य की आखिरी बूंद अब भी सूपड़े से निकल रही थी. उनका फुला हुवा लौड़ा एक इंच भी कमज़ोर नहीं हुवा ये देख के मुझे अंदाजा हो चूका था की आदमी पूरा मर्द है. किसी भी औरत की पूरी तस्सली करवा देंगे बाबूजी। फिर वो औरत चाहे उनकी बहु यानि कि मैं ही क्यों ना होऊं.
![]()
मेरी चूत में बाबूजी की यह हरकत देख कर आग लग गयी. पर मेरे पति तो गए हुए थे तो उस आग को भुजाने का कोई सहारा भी तो नहीं था मेरे पास.
सोच सोच कर मैं किचन में गयी, और सब्जी की टोकरी में मुझे एक खीरा दिखाई दे गया. मुझे लगा कि लण्ड नहीं तो चलो अपनी पतली सी ऊँगली से तो खीरा ही अच्छा है. तो उसी से मजे लेने के लिए मैं उसे लेकर अपने कमरे में आ गयी.
![]()
मैं चुपचाप वहां से निकल पड़ी और फिर से कमरे में आकर ससुरजी के लौड़े को याद करते हुए साड़ी के ऊपर से ही अपनी चुत मसलने लगी. कुछ देर पहले मैं मेरे पतिदेव को याद कर रही थी पर अब मेरे सपनों में मेरे ससुरजी का नंगा लौड़ा नाच रहा था. ससुरजी का मर्दाना लौड़ा यद् करके मैं सोच रही ही की मैं खुद उनके लौड़े से चुद रही हूँ और इसी कामुकता के चलते मेरा पानी अबकी बार कुछ ही पलों में निकल कर बहने लगा. मेरा हाथ मेरे ही चुतरस से चिपचिपा हो गया पर इस बार मैंने वासनांध होकर मेरे चुतरस से भीगी उंगलिओं को चाटना चालू किया.
![]()
मैं वासना में अंधी हो रही थी. मैंने मेरी साडी उतार के फेंक दी और एक छोटी सी नाइटी पहन ली, और अपनी पैंटी उतार के बेड के नीचे ही फेंक दी ब्रा तो मैंने आज पहनी ही नहीं थी जब मैंने बाबूजी को पोंछा लगाने के बहाने से मजा दिया था. ऐसा करने से मुझे अपनी चूत में खीरा करने में आसानी होती .
![]()
सामने लगे आईने में मेरा गदराया हुवा बदन देख मुझे अपने आप पर गर्व सा महसूस होने लगा, किसी भी मर्द के लौड़े में आग लगाने की ताकत थी मेरे हुस्न में. सीने पे उभरे मेरे ३६ इंच के चूंचे थोड़ी चर्बी से गदराया हुवा पेट और उसके निचे मांसल जाँघे देख मैं अपना सीना सहालने लगी. पुराणी यादों को याद करते करते कब मेरा हाथ मेरा बदन मसलने लगा मुझे भी पता ना चला.
![]()
बिस्तर पे अपना बदन डालते ही मेरी आँखे बंद हुई, जिस्म की चुदाई की माँग को बुझाने के लिए मेरी उँगलियाँ ना जाने कब मेरे चूत का बंधन पार करते हुए मेरे चुत को छूने लगी. एक हाथ से मैक्सी के ऊपर से ही चूँचियाँ मसलते हुए मैंने मेरी दो उँगलियाँ मेरे भोसड़े में घुसा दी और पुराने दिन याद करते हुए मज़ा लेने लगी.
फिर मैंने वो खीरा उठा लिया और अपनी चूत में डाल लिया। खीरा मेरे पति के लण्ड से तो बड़ा था पर बाबूजी से छोटा ही था. पर जो भी हो काम तो चलाना ही था. तो मैंने पूरा खीरा अंदर घुसेड़ लिया और अंदर बाहर करके मजा लेने लगी.
![]()
इतने दिनों से जो आग दबा कर रखी थी आज वही आग फ़िरसे भड़क उठी थी. मेरे ससुर का वो मोटा तगड़ा लौड़ा और उनके चुदाई से हो सकने वाला मीठा दर्द सोचते हुए मेरी उँगलियाँ मेरे निगोड़ी चुत पर खीरे को जोर जोर से अंदर बाहर करने लगी.
![]()
आअह्ह्ह्ह उफ्फफ्फ्फ़ बाबूजी जज्जजज माँआआआआ जैसे किलकरियाँ मेरे मुँह से निकलने लगी और बड़े दिनों से फड़फड़ाती मेरे चुत का पानी कुछ ही मिनिटों में बाहर फ़वारे की तरह उमड़ने लगा. कई दिनों बाद मेरे भोसड़ी का पानी निकलने के कारन मेरा हाथ और मेरा मैक्सी पूरा गिला हो चूका था.
![]()
गीली चुत को प्यार से सहलाते हुए मेरी उखड़ी हुई सांसों को काबू करते हुए मैं ऐसे ही छत की तरफ देखते हुए लेटी रही. मुझे इतना निकलने से काफी कमजोरी महसूस हो रही थी, मैंने खीरे को बेड के साइड में टेबल पर रख दिया और चूत को सहलाते हुए लेट गयी,
Very very erotic story.कमरे से आ कर मैं आँखे बंद करके लेटी हुई थी कि तभी मुझे किसी के दरवाज़े के पास आने की आहट हुई, मैंने डरते हुए कमरे का दरवाज़ा खोल दिया. पर बाहर तो कोई नहीं था, मुझे लगा शायद मेरा ही भ्र्म होगा और निश्चिंत होकर मैं बाथरूम की तरफ़ बढ़ी. मुझे लगा कि जैसे आवाज मेरे ससुर के कमरे से आ रही थी, बाबूजी के कमरे के साथ उनका अटैच बाथरूम भी तो था. मेरे कदम जैसे जैसे उस की तरफ़ बढ़ने लगे तो मुझे भी किसी की मादक सिसकियाँ सुनाई देने लगी, चौकन्ना होकर मैं उस आवाज़ की तरफ़ धीरे धीरे चलने लगी.
![]()
ससुरजी को आसानी रहे इस लिए बाथरूम उनके कमरे के बिलकुल बग़ल में बनाया गया था, बाथरूम निकलती उन सिसकियों को सुनके मैं चौंक गयी. पहले तो मुझे लगा की शायद ससुरजी बाथरूम में फिसलकर गिर पड़े है इसीलिए उनकी कराहने की आवाजें आ रही है. पर जैसे ही मैंने दरवाज़ा हलके से खोलते हुए अंदर झाँका तो मेरे कदम लड़खड़ाने लगे, डर के मारे पसीने छूटने लगे. मेरे ससुर पुरे नंगे खड़े होकर अपना लंड हाथ में लेकर जोर जोर से मसल रहे थे, उस लंड का भयंकर रूप देख कर तो मेरी गांड चौड़ी हो गयी. चूत में भी पानी आ गया।
![]()
जैसे तैसे मैंने अपने आपको संभाला और छुपके से उनके उस लिंग को देखने लगी, पर जैसे ही मैं संभली मेरे कानों पर पड़ी उस आवाज़ ने मेरे अंदर एक अजीब सा डर और गुदगुदी होने लगी. मेरे ससुर आज अपने बहु का नाम लेकर, उसको अपने यादों में लिए अपना लंड मसल रहे थे, मेरे बारे में ससुरजी की ये वासना सोचकर ही मुझे मदहोशी होने लगी.
![]()
"सुषमा! आआह्ह्ह्हह्ह आआ उफ्फफ्फ्फ़ मेरी जानननननन ले ले मेरा लौड़ा , एक बार तो ले कर देख इसे, क्या मस्त चुत है तेरी, एक बार मेरे नीचे आ जा बस फिर तो फाड़ दूंगा तेरी चुत।" बाबूजी इस जैसी गन्दी बातें बोल बोल कर अपने लौड़े को जोर जोर से सड़का मार रहे थे.
![]()
मेरे ससुरजी का लौड़ा मेरे पति से काफी ज्यादा लम्बा और मोटा था, मेरे पति का लण्ड तो उनके मुकाबले किसी बच्चे की नुन्नी जैसा था। काले रंग में लिपटा वो मांस का टुकड़ा देख के मेरी चुदी-चुदाई चुत भी पिघलने लगी. कुछ ही देर में बाबूजी का समय समाप्तः हुवा और एक जोर की आह की आवाज के साथ उनका ढेर सारा गाढ़ी मलाई रूपी वीर्य फ़र्श पर उछल उछल कर गिरने लगा.
![]()
इस उम्र में भारी मात्रा में निकलता हुवा वीर्य देखकर मेरे दिल में उनके लंड ने घर बना लिया, लग रहा कि अभी जाऊं और सारा वीर्य चाट लूँ. ससुरजी के माथे पर पसीना छा रहा था, उसकी साँसे भी जोर जोर से चल रही थी वीर्य की आखिरी बूंद अब भी सूपड़े से निकल रही थी. उनका फुला हुवा लौड़ा एक इंच भी कमज़ोर नहीं हुवा ये देख के मुझे अंदाजा हो चूका था की आदमी पूरा मर्द है. किसी भी औरत की पूरी तस्सली करवा देंगे बाबूजी। फिर वो औरत चाहे उनकी बहु यानि कि मैं ही क्यों ना होऊं.
![]()
मेरी चूत में बाबूजी की यह हरकत देख कर आग लग गयी. पर मेरे पति तो गए हुए थे तो उस आग को भुजाने का कोई सहारा भी तो नहीं था मेरे पास.
सोच सोच कर मैं किचन में गयी, और सब्जी की टोकरी में मुझे एक खीरा दिखाई दे गया. मुझे लगा कि लण्ड नहीं तो चलो अपनी पतली सी ऊँगली से तो खीरा ही अच्छा है. तो उसी से मजे लेने के लिए मैं उसे लेकर अपने कमरे में आ गयी.
![]()
मैं चुपचाप वहां से निकल पड़ी और फिर से कमरे में आकर ससुरजी के लौड़े को याद करते हुए साड़ी के ऊपर से ही अपनी चुत मसलने लगी. कुछ देर पहले मैं मेरे पतिदेव को याद कर रही थी पर अब मेरे सपनों में मेरे ससुरजी का नंगा लौड़ा नाच रहा था. ससुरजी का मर्दाना लौड़ा यद् करके मैं सोच रही ही की मैं खुद उनके लौड़े से चुद रही हूँ और इसी कामुकता के चलते मेरा पानी अबकी बार कुछ ही पलों में निकल कर बहने लगा. मेरा हाथ मेरे ही चुतरस से चिपचिपा हो गया पर इस बार मैंने वासनांध होकर मेरे चुतरस से भीगी उंगलिओं को चाटना चालू किया.
![]()
मैं वासना में अंधी हो रही थी. मैंने मेरी साडी उतार के फेंक दी और एक छोटी सी नाइटी पहन ली, और अपनी पैंटी उतार के बेड के नीचे ही फेंक दी ब्रा तो मैंने आज पहनी ही नहीं थी जब मैंने बाबूजी को पोंछा लगाने के बहाने से मजा दिया था. ऐसा करने से मुझे अपनी चूत में खीरा करने में आसानी होती .
![]()
सामने लगे आईने में मेरा गदराया हुवा बदन देख मुझे अपने आप पर गर्व सा महसूस होने लगा, किसी भी मर्द के लौड़े में आग लगाने की ताकत थी मेरे हुस्न में. सीने पे उभरे मेरे ३६ इंच के चूंचे थोड़ी चर्बी से गदराया हुवा पेट और उसके निचे मांसल जाँघे देख मैं अपना सीना सहालने लगी. पुराणी यादों को याद करते करते कब मेरा हाथ मेरा बदन मसलने लगा मुझे भी पता ना चला.
![]()
बिस्तर पे अपना बदन डालते ही मेरी आँखे बंद हुई, जिस्म की चुदाई की माँग को बुझाने के लिए मेरी उँगलियाँ ना जाने कब मेरे चूत का बंधन पार करते हुए मेरे चुत को छूने लगी. एक हाथ से मैक्सी के ऊपर से ही चूँचियाँ मसलते हुए मैंने मेरी दो उँगलियाँ मेरे भोसड़े में घुसा दी और पुराने दिन याद करते हुए मज़ा लेने लगी.
फिर मैंने वो खीरा उठा लिया और अपनी चूत में डाल लिया। खीरा मेरे पति के लण्ड से तो बड़ा था पर बाबूजी से छोटा ही था. पर जो भी हो काम तो चलाना ही था. तो मैंने पूरा खीरा अंदर घुसेड़ लिया और अंदर बाहर करके मजा लेने लगी.
![]()
इतने दिनों से जो आग दबा कर रखी थी आज वही आग फ़िरसे भड़क उठी थी. मेरे ससुर का वो मोटा तगड़ा लौड़ा और उनके चुदाई से हो सकने वाला मीठा दर्द सोचते हुए मेरी उँगलियाँ मेरे निगोड़ी चुत पर खीरे को जोर जोर से अंदर बाहर करने लगी.
![]()
आअह्ह्ह्ह उफ्फफ्फ्फ़ बाबूजी जज्जजज माँआआआआ जैसे किलकरियाँ मेरे मुँह से निकलने लगी और बड़े दिनों से फड़फड़ाती मेरे चुत का पानी कुछ ही मिनिटों में बाहर फ़वारे की तरह उमड़ने लगा. कई दिनों बाद मेरे भोसड़ी का पानी निकलने के कारन मेरा हाथ और मेरा मैक्सी पूरा गिला हो चूका था.
![]()
गीली चुत को प्यार से सहलाते हुए मेरी उखड़ी हुई सांसों को काबू करते हुए मैं ऐसे ही छत की तरफ देखते हुए लेटी रही. मुझे इतना निकलने से काफी कमजोरी महसूस हो रही थी, मैंने खीरे को बेड के साइड में टेबल पर रख दिया और चूत को सहलाते हुए लेट गयी,