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कहानी में कहानी से कहानी निकालने की कला आपसे ज्यादा कोई नहीं जानता, और जब आपने रोहित की फेमली फैंटेसी की बात की तभी कुछ सुनगुन तो मिल गयी थी रोहित के साथ क्या होने वाला था,
लेकिन शादी के बाद पति पत्नी के बाद अगर सबसे मीठा रिश्ता है, सम्भावनाओ से भरा वो है ननद भाभी का और ये में और मेरी कहानियों से ज्यादा कम लोग जानते हैं
सिर्फ आप अपवाद है और इस कहानी में जिस तरह पायल के साथ छेड़खानी हुयी, रिश्तों को गरमाया जा रहा है वो पढ़ के सच में मजा आ गया
सेक्स से ज्यादा मजा अगर किसी में है तो वो सेक्स के बारे में बाते कर के और ननद भाभी के रिश्ते में तो कितने पन्ने खुलते हैं
सबसे पहले तो अपने मरद को उसके ऊपर चढाने का मजा, फिर मरद के बाद भाई का नमबर और भाई से गुड्डे गुड़िया का खेल हो चूका है तो कहना ही क्या। गरिमा से तो उसके भाई ने एडवांस में उसकी ननद की बुकिंग करवाई थी
और खुद से भी जब मरद न हो तो लेस्बो सीन और ननद भाभी के हसीन रिश्तों की जबरदस्त शरुआत आपने इस पार्ट में कर दी
कहानी में कहानी से कहानी निकालने की कला आपसे ज्यादा कोई नहीं जानता, और जब आपने रोहित की फेमली फैंटेसी की बात की तभी कुछ सुनगुन तो मिल गयी थी रोहित के साथ क्या होने वाला था,
लेकिन शादी के बाद पति पत्नी के बाद अगर सबसे मीठा रिश्ता है, सम्भावनाओ से भरा वो है ननद भाभी का और ये में और मेरी कहानियों से ज्यादा कम लोग जानते हैं
सिर्फ आप अपवाद है और इस कहानी में जिस तरह पायल के साथ छेड़खानी हुयी, रिश्तों को गरमाया जा रहा है वो पढ़ के सच में मजा आ गया
सेक्स से ज्यादा मजा अगर किसी में है तो वो सेक्स के बारे में बाते कर के और ननद भाभी के रिश्ते में तो कितने पन्ने खुलते हैं
सबसे पहले तो अपने मरद को उसके ऊपर चढाने का मजा, फिर मरद के बाद भाई का नमबर और भाई से गुड्डे गुड़िया का खेल हो चूका है तो कहना ही क्या। गरिमा से तो उसके भाई ने एडवांस में उसकी ननद की बुकिंग करवाई थी
और खुद से भी जब मरद न हो तो लेस्बो सीन और ननद भाभी के हसीन रिश्तों की जबरदस्त शरुआत आपने इस पार्ट में कर दी
धन्यवाद कोमल जी. आपने बिल्कुल सही कहा...अपनी बहन के बाद कोई औरत सबसे ज़्यादा करीब अपनी ननद के साथ ही होती है और अगर रिश्ता मधुर हो तो सोने पे सुहागा...फिर तो दोनों के बीच कुछ छिपा नहीं रहता...रात को भैया ने कितनी बार ली ..कैसे ली से लेकर ननद के बॉयफ्रेंड तक सब पर चर्चा होती है.
शुरुआत तो यहां भी हो चुकी है...देखना है कि भाभी किसे पहले चढ़वायेगी कि पहले भैया या सैयां
yeh mera pahla comment h apki post par. aap to excellent Poet h. me aapki poem ka one of zabra fan hu. aapki post Komal Ji ki story me dikhti thi. wah kya likhti ho. story bhi achchi likhti ho. maja aa gaya. ab is forum par achche writer judne lage h. pahle comment nai bhi kiya to bhi acha hi likhti ho aap.
जी हां राजीव जी. मैंने भी पड़ी थी वो कहानी। बहुत ही कामुक थी वो कहानी। प्रत्येक लेखक अपने आस-पास होने वाली विभिन्न घटनाओं, कहानियों या फिल्मों से निष्कर्ष निकालता है...मैं अपवाद नहीं हूं। सच कहूँ तो ननद वाला भाग तो komaalrani जी की कहानियाँ पड के ही लिखने का मन किया था. Thanks komaalrani for entertaining us.
पिछले अपडेट में आपने पढ़ा कि शादी के बाद मैं ससुराल में आ गयी और अपने पति से चुद गयी, और फ़िर ट्रेन में हनीमून की शुरुआत हुई…
अब आगे…. हनीमून के दौरान भी रोहित ने मेरी खूब जमकर चुदाई की। कमरे का हर कोना, बाथरूम सोफा हमारी चुदाई का साथी बना! रोहित दिन में तीन से बार मेरी ठुकाई तो अवश्य करता। हनीमून के दौरन ही रोहित ने मेरी पहली बार गांड भी मारी!
हनीमून के ही दौरान मुझे रोहित के बारे में कुछ बातें पता चलीं। जिनमें पहला तो यह कि रोहित बाइ-सेक्सुअल भी हैं। क्योंकि हनीमून में जब पहली बार रोहित ने मेरी गांड मारी थी।उस दिन वो मेडिकल स्टोर से एनेस्थेटिक स्प्रे लेकर आये थे।
जब मैंने पूछा- ये क्या है?
रोहित बोले- आज गांड में डालूंगा. तो दर्द न हो इसके लिए लेकर आया हूँ।
मैंने कहा- इससे दर्द नहीं होता क्या?
रोहित बोले- अरे हॉस्टल में लड़के अक्सर मजे के लिए कभी-कभी एक दूसरे की गांड मारते थे तो बाजार से यही लेकर आते थे क्योंकि पहली बार गांड मरवाने पर थोड़ा दर्द होता है।
मैंने उस समय तो कुछ नहीं कहा और चुप रही।
फिर उस रात में रोहित ने मुझे दर्द न हो इसके लिए पहले गांड की छेद पर थोड़ा स्प्रे किया और फिर मेरी गांड मारी।
हालांकि उसके बाद मैंने रोहित से कुछ नहीं कहा.
लेकिन मुझे सोनू की बात याद आ गयी कि वह भी जब से हॉस्टल में रहने लगा था तो वो भी बाइ-सेक्सुअल हो गया था।
इसलिए मुझे शक हुआ कि रोहित भी बाइ-सेक्सुअल हैं।
हालांकि रोहित के बाइ-सेक्सुअल बात तब कन्फर्म हो गयी जब पायल (मेरी ननद) ने खुद मुझे ये बताया।
वैसे तो मैं खुद भी बाइसेक्सुअल थी क्योंकि मैं अपनी सहेली ज्योति के साथ ये सब करती थी.
तो मुझे रोहित के बाइ-सेक्सुअल होने से कोई दिक्कत भी नहीं थी।
रोहित के बारे में दूसरी बात जो मैंने जानी वो यह थी कि रोहित के अंदर भी फेमिली सेक्स की फैंटेसी है।
दरअसल हनीमून के दौरान कई बार ऐसा भी हुआ था कि हम जब साथ में पॉर्न मूवी देखते थे तो मैंने देखा था कि रोहित कभी-कभी बाइसेक्सुअल पॉर्न मूवी के साथ ही फेमिली सेक्स या टैबू सेक्स मूवी भी देखते थे।
लेकिन फिर शायद मेरी वजह से कि मैं क्या सोचूँगी … वे तुरंत कोई दूसरी पॉर्न मूवी चला देते थे।
वैसे तो मैं रोहित का मोबाइल या लैपटॉप कभी नहीं देखती थी लेकिन कन्फर्म होने के लिए एक दिन होटल में जब रोहित बाथरूम में थे तो मैंने उनका मोबाइल चेक किया तो ब्राउज़र हिस्ट्री में पाया कि उसमें पॉर्न मूवी की साइट्स पर काफी विजिट किया गया था।
हालांकि उसमें कई मूवी तो ऐसी थीं जो हमने साथ ही देखी थीं।
लेकिन उसके अलावा कई पॉर्न मूवी थी जो या तो फेमिली सेक्स की थीं या फिर बाइ-सेक्सुअल मूवी थीं।
फेमिली सेक्स मूवी में भाई-बहन की चुदाई की मूवी ज्यादा थी।
मैं समझ गयी कि रोहित के अंदर भी फेमिली सेक्स की फैंटेसी है।
वैसे सच कहूँ तो यह जानकर मैं मन ही मन खुश भी हो गयी थी।
हालांकि मैं रोहित से इन चीजों को लेकर कभी बात नहीं करती थी।
उसकी एक वजह तो नयी-नयी शादी थी.
और दूसरी वजह यह थी कि मैं रोहित को कभी यह नहीं महसूस होने देती थी कि मुझे सेक्स के बारे में ज्यादा जानकारी है।
बस वे जैसा कहते जाते थे, मैं वैसा करती जाती थी।
मूवी भी वही देखती थी जो वो दिखाते थे।
हालांकि रोहित चाहते थे कि सेक्स को लेकर मैं भी उनसे थोड़ा खुलूँ और अपनी इच्छा ज़ाहिर करूँ।
सेक्स में मेरी पसंद और नापसंद का भी वे ख्याल रखते थे।
दरअसल शुरुआत में सेक्स के दौरान एक ऐसा काम जो मुझे नहीं पसंद था, जो रोहित मुझसे कभी-कभी करवाते थे, वो था मुझसे अपनी गांड चटवाना।
दरअसल हनीमून के दौरान भी और उसके बाद भी 3 – 4 चार बार रोहित मुझसे अपनी गांड चटवा चुके थे।
मैंने ये कभी किया नहीं था और ना ही मुझे ये करना जरा भी पसंद था इसलिए बेमन से मैं सिर्फ रोहित के ज्यादा जोर देने पर कर देती थी।
हालांकि बाद में जब रोहित को लगने लगा कि मुझे ये पसंद नहीं है तो उन्होंने ये करवाना बंद कर दिया।
वहीं रोहित कई बार मुझे अकेले ही बेड पर छोड़ देते थे.
वे मुझे खुद ही अपनी चूची सहलाने, चूत में ऊंगली करने और सहलाने को बोलते थे और खुद कुर्सी पर बैठकर मुझे देखते हुए मुठ मारते थे।
इसके अलावा रोहित मेरे लिए स्कर्ट लेकर आये थे।
पूरे हनीमून में बाहर घूमने के दौरान ज्यादातर मैं स्कर्ट और टीशर्ट ही पहनती थी।
उन्हें मेरा हमेशा स्कर्ट में रहना बहुत पसंद था। वैसे तो हम दोनों अक्सर नंगे होकर चुदाई का खेल खेलते थे लेकिन रोहित कई बार स्कर्ट में ही मेरी चुदाई करते थे।
यहाँ तक कि हनीमून से घर वापस लौटने के बाद भी रोहित ने मुझसे कह रखा था कि रात में अपने कमरे में हमेशा स्कर्ट पहना करो।
मुझे भी स्कर्ट पहनना अच्छा लगता था तो मैं रात खाने और सारा काम निपटाने के बाद कमरे में आते ही सलवार-कुर्ती उतार कर स्कर्ट और टीशर्ट में आ जाती थी।
खैर … करीब एक सप्ताह बाद हम हनीमून मनाकर लौटे।
तब बस एक बड़ी बुआ को छोड़कर सभी रिश्तेदार जा चुके थे।
बड़ी बुआ जी मेरे ससुर जी से भी काफी बड़ी थीं।
उनकी उम्र करीब 65 के आसपास थी।
चूंकि मेरी सास नहीं थीं और मेरी नयी-नयी शादी हुई थी तो ज्यादातर रिश्तेदारों ने कहा कि बड़ी बुआ एक-दो महीने के लिए यहाँ रुक जाएं ताकि घर में मुझे कोई दिक्कत न हो.
इसलिए बुआ रुक गयी थीं।
नयी-नयी शादी हुई थी तो शुरुआत में तो मैं दिन भर साड़ी पहने रहती थी.
फिर एक दिन बुआ जी बोली- बेटा, दिन भर हमेशा साड़ी पहनने की ज़रूरत नहीं है; सलवार-कुर्ते भी पहना लिया कर!
मुझे तो वैसे ही साड़ी में थोड़ी दिक्कत होती थी इसलिए उस दिन के बाद से मैं अधिकतर सलवार कुर्ता ही पहनने लगी थी।
अब घर में सिर्फ हम पाँच लोग ही थे।
मैं, रोहित (मेरे पति), पायल (मेरी ननद, जो ग्रेजुएशन में कर रही थी), मेरे ससुर और बड़ी बुआ।
नीचे ड्राइंग रूम के अलावा चार कमरे थे,
तो एक कमरे में बड़ी बुआ के रहने का इंतजाम कर दिया गया था।
घर बड़ा था तो ग्राउण्ड फ्लोर चार कमरे थे और ऊपर दो कमरे बने थे.
बाकी बड़ी सी छत थी।
ऊपर के कमरे में रिश्तेदार आने पर रुकते थे।
जैसा कि मैंने आपको पिछली अपडेट में बताया था कि मेरे ससुर जी ने मेरी शादी से पहले ही अपना ट्रांसफर इसी शहर में करवा लिया था।
वहीं मेरे पति की पहली पोस्टिंग भी पास के ही शहर में हुई थी जहाँ पर आने-जाने में दो-ढाई घण्टे ही लगते थे तो उन्हें भी कोई दिक्कत नहीं थी।
लेकिन उनकी ड्यूटी ट्रेन में लगती थी तो वो अक्सर हफ्ते में 3-4 दिन बाहर ही रहते थे।
इस बीच शादी की गहमागहमी और घर में आये रिश्तेदारों और मेहमानों की वजह से और फिर कुछ दिन तक बड़ी बुआ के घर में होने की वजह से ससुर जी मुझसे ज्यादा बात नहीं करते थे।
चूंकि नयी-नयी शादी हुई थी तो मैं भी उनके सामने ज्यादा नहीं जा रही थी।
वैसे ससुर जी अक्सर मुझे चोरी से देखने का मौका नहीं छोड़ते थे।
जैसे ही हमारी नज़र मिलती तो हम दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा देते थे।
सच कहूँ तो पहले रिश्तेदारों की वजह से और फिर बड़ी बुआ और पायल की वजह से मैं ससुर जी से ज्यादा खुलकर बात नहीं कर पाती थी।
क्योंकि उन्हें खाना देना या खाने के लिए बुलाना या फिर किसी काम से उनके कमरे में जाना … ये सब शादी से पहले पायल ही करती थी।
तो अभी भी ये सारा काम वही कर रही थी।
पिछली अपडेट में मैंने ये भी बताया था कि शादी से पहले ससुर जी मेरे कामुक बदन के दीवाने हो चुके थे।
यहाँ तक कि अपने ही चक्कर में उन्होंने मेरी शादी भी जल्दी-जल्दी अपने बेटे से करवायी थी।
अब जब सबकुछ हो गया तो वे बस मौके की तलाश में थे कि कैसे वो मेरी जवानी का रसपान कर सकें।
मुझे भी कोई दिक्कत नहीं थी।
मेरे लिए तो अच्छा ही था कि पति के अलावा एक और लण्ड का जुगाड़ घर में रहेगा।
ससुर जी किसी न किसी बहाने से अक्सर मेरे सामने आने लगे।
या मौका मिलने पर बात करने की कोशिश करने लगे थे।
लेकिन बड़ी बुआ के घर में होने की वजह से वहीं पायल कॉलेज से आने के बाद ज्यादातर घर में ही रहती थी तो ससुर जी को ज्यादा मौका नहीं मिल पा रहा था।
खैर … धीरे-धीरे सब कुछ रूटीन में आने लगा था।
ससुर जी ऑफिस चले जाते थे।
पायल भी अपने कॉलेज चली जाती थी।
रोहित भी 3-4 दिन बाहर ही रहते थे।
शादी को करीब डेढ़ महीना हो चुका था और अब ससुराल थोड़ा बोरिंग लगने लगा था।
सब कुछ एक रूटीन में चल रहा था।
जब पति घर होते तो हम दोनों रात में चुदाई करते और सो जाते।
फिर अगले दिन से वही दिन में काम, रात में फिर चुदाई और फिर अगले दिन वही रूटीन!
हालांकि रोहित के साथ भी सेक्स लाइफ अच्छी थी।
शुरुआत में तो नहीं लेकिन धीरे-धीरे वे भी सेक्स में खुल रहे थे और नये-नये पोजिशन से चुदाई करते थे।
लेकिन जिन्दगी से वो नमकीन स्वाद गायब था जो शादी के पहले था।
शादी के पहले जहाँ मम्मी-पापा से छुपकर भाई के साथ चुदाई का खेल होता था।
ज्योति के घर पर उसके पापा के साथ चुदाई जिसमें ज्योति और उसकी मम्मी भी शामिल रहती थीं।
फिर वहीं घर में मम्मी से छुपकर पापा से चुदवाना, कभी छुपकर बुआ और पापा की चुदाई देखना, इन सबमें अलग ही मजा आता था।
हालांकि ससुर जी के साथ कुछ मामला आगे बढ़ता तो एक बार फिर वही नमकीन स्वाद जिंदगी में आने की उम्मीद थी।
अब मेरी जवानी मेरे ससुर की नज़रों को भा रही थी. मुझे भी उस दिन का इन्तजार था जब मैं ससुराल में दूसरा लंड लूंगी.
ससुर जी के साथ कुछ मामला आगे बढ़ता तो एक बार फिर वही नमकीन स्वाद जिंदगी में आने की उम्मीद थी।
अपने पापा और ज्योति के पापा के साथ चुदाई के खेल के बाद इतना तो समझ चुकी थी कि अनुभवी और बड़ी उम्र के आदमी सेक्स में भरपूर मजा देते हैं।
चूंकि ससुर जी भी करीब-करीब मेरे पापा की उम्र के ही थे।
तो मजा वे भी उतना ही देंगे, यह मैं समझ रही थी।
लेकिन मुझे पता था कि जब तक बड़ी बुआ घर में हैं, तब तक तो कहीं से मौका मिलना थोड़ा मुश्किल है।
वैसे भी दिन में ससुर जी ऑफिस में रहते थे और शाम के बाद तो बुआ जी और पायल दोनों घर में रहती थीं तो बस हम दोनों को बात को आगे बढ़ाने का मौका नहीं मिल पा रहा था।
जब रोहित ड्यूटी पर रहते थे तो पायल मेरे साथ सोती थी।
फिर मेरे दिमाग में एक आइ़डिया आया।
मैंने सोचा क्यों न मायके वाला माहौल यहीं ससुराल में ही तैयार किया जाए।
फिर मैंने अपने प्लान पर काम करना शुरू कर दिया।मैंने सोचा कि जब तक बड़ी बुआ हैं घर में तो वैसे भी ससुर जी से आमना-सामना होना मुश्किल है।
रोहित की कुछ छुपी हुई फैंटेसी तो मैं जान ही गयी थी।
मैंने सोचा क्यों न तब तक पायल को ही पहले अपने फंदे में फंसाया जाए।
क्योंकि अगर वह फंस गयी तो मेरे दो काम एक साथ हो जाएंगे।
पहला तो बुआ जी के जाने के बाद फिर घर में किसी बात का डर नहीं रहेगा और दूसरा ये कि कभी चूत चाटने या चटवाने का मन हुआ तो वो भी हो जाएगा।
धीरे-धीरे मैंने पायल को फंसाने के प्लान पर काम करना शुरू कर दिया।
एक दिन बाद ही रोहित को ड्यूटी पर जाना था।
मैं जानती थी कि इन 3 या 4 दिनों के लिए पायल रात में मेरे साथ ही सोएगी।
वैसे पायल के बारे में आप लोगों को बता दूँ।
पायल की उम्र 19 साल की गोरी-चिट्टी और सुंदर थी।
हाइट करीब-करीब मेरे बराबर थी 5 फीट 2 या 3 इंच के करीब।
उसका शरीर भी मेरी तरह ही मांसल था।
अगर हम दोनों एक दूसरे के कपड़े पहन लें तो पीछे से देखने पर एक बार तो लोग मेरे और पायल में कन्फ्यूज हो जाएंगे।
पायल बेहद चुलबुली थी और घर में खूब हंसी-मजाक करना उसकी आदत थी।
चाहे ससुर जी हों या रोहित … दिन भर सबसे पटर-पटर उसकी जुबान चलती रहती थी।
रोहित से तो उसकी मजाक वाली नोकझोंक हमेशा चलती रहती थी।
वह रोहित को जब ज्यादा चिढ़ाती थी या मजाक करती थी तो रोहित उसके बाल पकड़ कर नोच देते थे, फिर वह भी रोहित के साथ यही करती।
वे दोनों आपस में बच्चों का सा झगड़ा करते थे कभी-कभी।
वहीं वह ससुर जी को भी नहीं छोड़ती थी।
उनके साथ भी उसका खूब-हंसी मजाक करती रहती थी।
यहाँ तक कि कभी-कभी जब मेरे घर से पापा-मम्मी का फोन आता था तो ससुर जी भी उनसे बात करते थे।
मम्मी की थोड़ा लंबा बात करने की आदत थी तो उसका भी वह मजाक बनाती और ससुर जी से हंसते हुए कहती- पापा, आप अपनी समधन से इतनी देर-देर तक क्या बात करते हैं, कुछ हम लोगों को भी बताइये।
ससुर जी भी बस हंस देते थे और कोई जवाब नहीं देते थे।
हालांकि उसे सब घर की शेरनी बोलते थे.
वजह यह थी कि वह जितना शरारत और बोलना घर में करती थी, वहीं बाहर उसकी बोलती बंद रहती थी।
कॉलेज में वह एकदम शर्मीली और अन्तर्मुखी इनोसेंट टीन गर्ल थी।
घर वालों के अलावा वो किसी से ज्यादा बात भी नहीं करती थी।
उसके ज्यादा दोस्त भी नहीं थे.
लड़के तो एक भी नहीं!
और जो एक-दो लड़कियाँ उसकी सहेलियां थीं, उनसे भी सिर्फ कॉलेज और पढ़ाई तक ही दोस्ती थी।
घर में ससुर जी और रोहित सब उसे मानते थे।
रोहित तो हमेशा उसके लिए कुछ न कुछ लेकर आते थे।
जैसे मैं शादी से पहले घर में अक्सर स्कर्ट और टीशर्ट पहनती थी, पायल भी उसी तरह अक्सर स्कर्ट और टीशर्ट में रहती थी।
कभी-कभी कुर्ती और लेगिंग भी पहन लिया करती थी।
पायल की चूचियों को मैंने तो कपड़ों के ऊपर से ही देखा था लेकिन उसकी चूचियाँ बहुत बड़ी तो नहीं थीं लेकिन गोल और सुडौल थीं।
उसकी शायद वजह ये भी थी कि उसकी चूचियों पर किसी लड़के ने हाथ नहीं फेरा था।
जींस में उसकी सुडौल जांघों के ऊपर गोल-गोल गांड अच्छी लगती थी।
भरा और मांसल शरीर होने की वजह से गांड बड़ी और मस्त लगती थी।
वैसे तो पायल और मेरी खूब पटती थी एकदम एक दोस्त की तरह!
पायल मेरे ऊपर बहुत भरोसा भी करती थी, कुछ भी छुपाती नहीं थी मुझसे!
हम एक-दूसरे खूब हंसी मजाक भी करती थी लेकिन सारी बातें एक सीमा के अंदर होती थीं।
खैर … अगले दिन रोहित दोपहर बाद ड्यूटी पर चले गये।
जब रोहित नहीं होते थे तो मैं रात 8 या साढ़े आठ बजे तक ही खाना वगैरह बना खाकर अपने कमरे में आ जाती थी।
रात का खाना खाने के बाद रात करीब साढ़े पौने दस बजे के करीब पायल मेरे रूम में आ गयी।
फिर हम रोज़ की तरह इधर-उधर की बातें करने लगी।
मैं तो बस किसी तरह अपने मुद्दे पर आना चाह रही थी।
बातों-बातों में मैंने पायल से पूछा- तुम्हारा कोई बॉयफ्रेण्ड है?
पायल मुस्कुराती हुई बोली- अरे भाभी, जिस दिन बीएफ बनाया न … उसी दिन यहां पापा-भैया से लेकर शहर में सारे रिश्तेदारों को खबर हो जाएगी।
मैंने हैरानी से पूछा- वो कैसे?
पायल- भाभी, जिस कॉलेज में हूँ, उसके फाउण्डर दादा जी के दोस्त हैं. और जो कॉलेज के प्रिंसिपल हैं वो और पापा साथ ही पढ़े हैं। वैसे भी यहाँ हर मोहल्ले में तो कहीं न कहीं या तो रिश्तेदार रहते हैं, या पापा के दोस्त या फिर भैया के दोस्त!
फिर वह हंसती हुई बोली- तो समझीं आप … यहां जिस दिन बॉयफ्रेण्ड बनाया, उसी दिन कॉलेज से पढ़ाई छुड़ाकर घर बैठा दी जाऊंगी।
मैंने हंसते हुए पायल के गाल पर चिकोटी काटी और कहा- ओहो … मतलब मेरी प्यारी और सुंदर सी ननद के जवान शरीर को किसी लड़के ने अभी तक छुआ भी नहीं है।
पायल मेरी इस बात पर मुझे शरमा कर थप्पड़ मारते हुए मुस्कुरा कर बोली- क्या भाभी … आप भी?
मैंने पायल से कहा- चल बात शुरू ही हुई है तो मस्ती की बातें ही करते हैं।
फिर मैंने आँख मारते हुए पूछा- अच्छा ये बता, कभी कोई पॉर्न मूवी देखी है? सच सच बताना!
पायल शरमाते हुए बोली- क्या भाभी, आप भी कैसी-कैसी बातें कर रही हैं।
मैं समझ रही थी कि पायल जल्दी खुलने वाली नहीं है क्योंकि इस तरह की बातें वो शायद कभी नहीं की थी।
लेकिन मुझे पता था कि कुछ देर और बहला-फुसला कर या दोस्त की तरह बनकर बात करुंगी तो वो धीरे-धीरे अपने राज़ ज़रूर खोलेगी मुझसे!
मैंने फिर मुस्कुराते हुए कहा- अरे शरमा क्यों रही है। मैं कौन तेरे भैया से बताने जा रही हूँ। वैसे भी मुझे अपनी भाभी के साथ ही दोस्त भी समझ! दो ही साल तो बड़ी हूँ तुझसे!
फिर मैंने आँख मारते हुए कहा- वैसे मुझे अपना दोस्त बनाकर बड़ी फायदे में रहेगी तू! हर बात में तेरी मदद करुंगी और तुझे खूब मजे दूंगी … पक्का वादा है मेरा!
पायल मुस्कुराती हुई बोली- अच्छा! तो जरा मुझे भी बताइये कि कैसी मदद करेंगी और कैसे मजे देंगी आप मुझे?
मैं समझ रही थी कि पायल अब धीरे-धीरे लाइन पर आ रही थी।
मैंने आँख मारते हुए कहा- अरे एक बार बनाकर तो देख … फिर पता चलेगा तुझे!
पायल हंसती हुई बोली- तो चलिए, आज से आप मेरी भाभी और दोस्त दोनों हैं।
मैंने कहा- ये हुई ना बात … तो चल अब इसी बात पर बता कि कभी पॉर्न मूवी देखी है या नहीं?
पायल मुस्कुराती हुई बोली- लेकिन एक शर्त पर बताऊंगी … आपको भी सब सच बताना होगा जो मैं पूछूँगी।
मैंने कहा- बिलकुल बताऊंगी।
फिर पायल थोड़ा शरमाती हुई बोली- हाँ, देखी है।
मैंने हंसते हुए कहा- अरे वाह मेरी रानी… कब देखती है रात में सोते समय?
पायल बोली- अरे भाभी … रोज-रोज थोड़ी न देखती हूँ. कभी-कभार मन करता है तो देखती हूँ। अच्छा अब आप बताइये … आपने देखी है पॉर्न मूवी?
मैं हंसते हुए बोली- अरे मुझे क्या ज़रूरत है ये सब देखने की! जब तेरे भैया रहते हैं तो वैसे ही मैं तो रोज रात में पॉर्न मूवी की हिरोइन बनती हूं और तेरे भैया हीरो!
मेरी इस बात पर पायल मुझे हंसकर थप्पड़ मारती हुई बोली- सच में भाभी, आप तो बड़ी बेशर्म हैं। मेरा मतलब था शादी के पहले देखती थीं या नहीं!
मैंने कहा- देखती थी … और देखकर रात में उंगली भी करती थी। सच में बड़ा मजा आता था।
पायल शरमाती हुई बोली- सच में भाभी? आप ये भी करती थीं?
मैंने कहा- क्यों तूने नहीं किया है क्या कभी? किया तो होगा ही क्यों? सच सच बता न … अब तो दोस्त बन गये हैं अब क्या छुपाना!
पायल थोड़ा रुकी और फिर मुस्कुराती हुई शरमा कर बोली- हां भाभी, करती हूँ कभी कभी!
मैंने पायल की शरम को खत्म करने के लिए कहा- अरे इसमें शर्माने वाली कौन सी बात है यार … सब लड़के-लड़कियाँ करते हैं ये! मैं भी करती थी, मेरी सखी थी, वह भी करती थी।
फिर मैंने जानबूझकर एक बात और बोली- अरे कभी कभी तो मैं और मेरी सहेली अपने कमरे में साथ ही ये सब करती थी।
पायल हैरानी से बोली- अपनी सहेली के साथ करती थीं आप?
मैं अब धीरे-धीरे बात को घुमाती हुई अपने टॉपिक पर ला रही थी.
इसलिए मैंने बात को और आगे बढ़ाते हुए कहा- हाँ तो क्या हुआ … हम साथ ही पॉर्न मूवी देखती थी तो साथ ही उंगली भी कर लेती थी। क्यों तुमने अपनी किसी फ्रेण्ड के साथ नहीं मजे लिए इसके?
पायल बोली- न बाबा, मैं तो अपनी सहेलियों के साथ इस टॉपिक पर बात भी नहीं करती।
मैंने थोड़ा छेड़ते हुए कहा- हम्म्म्म … चल कोई नहीं … आज मैं तुझे पॉर्न मूवी दिखाती हूँ।
पायल थोड़ा हड़बड़ाती हुई बोली- क्या! सच में?
मैंने हंसते हुए कहा- अरे तू तो ऐसे घबरा रही है जैसे में तेरा रेप करने जा रही हूँ। मैं बस मूवी देखने की बात कर रही हूँ।
इनोसेंट टीन गर्ल पायल को भी अब मेरी बातों में थोड़ा-थोड़ा मजा आने लगा था।
वो मुस्कुराती हुई बोली- अरे मैंने कब कह रही हूँ कि मेरा रेप करने जा रही हैं आप!
मैंने उसके गाल पर चिकोटी काटते हुए कहा- वैसे … तेरी मासूमियत देखकर मन तो कर रहा है कि तेरा रेप कर दूँ।
पायल हंसती हुई बोली- अच्छा … मतलब आप जैसी खूबसूरत और भोली सूरत वाली लड़की ये भी कर सकती है?
फिर हम दोनों हंस पड़ी।
हांलाकि मैं और बात को आगे बढ़ाना चाह रही थी.
लेकिन डर था कि कहीं पहले दिन ही ज्यादा बात बढ़ाने से कहीं मामला उल्टा ना हो जाए।
वैसे भी मैंने जितना सोचा था पहले दिन उससे कहीं ज्यादा तक बात हो चुकी थी।
इसलिए फिर थोड़ी देर और हल्का-फुल्का मजाक करने के बाद हम सो गई।
Update 14-पापा की परी–last part चुद गई बिटिया पापा से अगले दिन की करीब 7.30 बजे नींद खुली तो मैं हाथ मुंह धोकर और कपड़े बदल कर नीचे आई तो देखा कि मम्मी-पापा और नानी चाय पी रहे थे।
मम्मी और नानी साथ बैठे थे जबकि पापा सोफ़े पर बैठ कर पेपर भी पढ़ रहे थे।
उन्होंने मुझे नहीं देखा मगर मम्मी ने देखा तो बोली- चाय बनी हुई है, जाकर ले लो।
पापा बिना मेरी या देखे पेपर पढ़ते रहे।
मैं रसोई में गई और अपनी चाय गर्म करने लगी।
मगर आज मैंने महसूस किया कि मुझे आज पापा से के सामने जाने में कोई झिझक नहीं हो रही थी।
बल्कि चाय लेकर बिना हिचकिचाए मैं भी सोफे पर ही जाकर पापा के पास बैठ गई और चाय पीने लगी।
कुछ देर तो पापा और मैं एक-दूसरे से कुछ नहीं बोले.
मगर थोड़ी देर बाद पापा ने खुद ही बात शुरू की और बोले- आज भी कॉलेज नहीं जाना है क्या बेटा?
मैंने कहा- नहीं पापा, ज्योति बाहर गई है और मैं कॉलेज में अकेली बोर हो जाती हूं।
अभी पापा बोले- कोई बात नहीं, घर पर ही पढ़ लिया करो!
मुझे लगा कि पापा भी अब एकदम नॉर्मल होने की कोशिश कर रहे हैं।
पहले हम दोनों थोड़ा बहुत एक-दूसरे से नज़रें बचाते थे या फिर निगाह मिलाने से बचते थे.
मगर अब ऐसा कुछ नहीं था, अब सब कुछ खुल कर ही हो रहा था सिवाय इसके कि पापा और मैं इस बारे में मुझसे बात नहीं करते थे … और जो कुछ भी होता था वह रात में होता था।
रात में भी हम एक-दूसरे से निगाह मिलाए बिना सब करते थे।
मतलब कि पापा जब मेरे साथ कुछ करते थे तो मैं आंख बंद करती थी और जब मैं पापा के साथ करती थी तो वे आंख बंद किये रहते थे।
लेकिन मैं अब सब कुछ खुलकर करना चाह रही थी.
बस सवाल ये था कि शुरुआत कैसे हो और कौन शुरू करे!
खैर … पापा 9.30 बजे तक ऑफिस चले गये.
मैं भी नाश्ता कर के अपने कमरे में आ गई।
दिन भर मैं सोचती रही कि कैसे खुलकर मजा लेने की शुरुआत की जाए.
दरअसल अब खुलकर मजा लेने में कोई दिक्कत भी नहीं थी.
और शायद पापा भी अब यही चाहते थे.
क्योंकि कल रात में जब पापा दूसरी बार झड़ने वाले थे तो वे मेरे सिर को अपने हाथ से अपने लंड पर दबा रहे थे और उनके मुंह से सिसकारी की आवाज भी निकली थी।
मतलब कि अब वे भी खुलकर मजे लेना चाह रहे हैं.
मैं सोचने लगी कि जब पापा को पटाने का सबसे मुश्किल काम कर ही चुकी हूं.
तो अब ये भी कोई बड़ी मुश्किल नहीं है।
बस कोई प्लान दिमाग में नहीं आ रहा था.
लेकिन कोई प्लान के बारे में मैं सोच रही थी और आखिरकार दिमाग में एक प्लान आ ही गया।
मैंने सोच लिया कि इस प्लान को आज ही मौका दूंगी … मैं ज्यादा दिन इंतजार नहीं करूंगी।
क्योंकि जब तक नानी हैं तब तक मम्मी का ध्यान उनकी तरफ ज्यादा रहेगा, हमारे और पापा मेरे पास पूरा टाइम रहेगा अपना काम करने का!
अब मैं शाम होने का इंतजार करने लगी।
शाम को पापा ऑफिस से करीब 6 बजे तक आ गए और रोज की तरह चाय वगैरह पी कर टीवी देखने बैठ गए।
बाहर छोटा सा लॉन था, मम्मी और नानी शाम में अक्सर वही बैठ जाती थी.
मैं भी वही उनके साथ बैठ जाती थी.
इधर-उधर की बात करते-करते करीब 7 बज गए.
मम्मी और नानी दोनों अंदर आ गई और मम्मी रात के खाने की तैयारी करने लगी।
मैं ऊपर अपने कमरे में आकर पढ़ने लगी और 8 बजे का इंतजार करने लगी।
जैसे-जैसे टाइम पास आ रहा था … मेरे दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी।
हालांकि मुझे डर नहीं लग रहा था बस चूंकि अभी तक तो सब कुछ नींद का बहाना कर के हो रहा था.
मगर आज जो मेरा प्लान था उसमें ना तो आंख बंद करने का नाटक करना था और ना ही नींद में सोने का नाटक … जो कुछ भी होना था, वह खुलकर होना था।
इसलिए थोड़ी सी घबराहट और एक्साइटमेंट हो रही थी।
खैर … 8.30 बजने वाले थे और मैंने तैयारी शुरू कर दी।
मैंने घुटनों तक की स्कर्ट पहन ली जो मैं अक्सर घर में पहनती थी और ऊपर टी-शर्ट डाल लिया।
मैंने अंदर पैंटी और ब्रा दोनों नहीं पहनी।
जब 8.30 बज गए तो स्कूटी की चाभी उठाई और कमरे से निकल कर नीचे आ गई।
नीचे मम्मी रसोई में थीं और पापा अभी भी टीवी देख रहे थे.
पापा रोज की तरह लुंगी और कुर्ता पहनने हुए थे.
मैंने नीचे जाते ही मम्मी से कहा- मम्मी, मुझे एक ज़रूरी किताब लेने अभी मार्केट जाना है।
इस पर मम्मी हल्का सा नाराज़ होते हुए बोली- इस समय कौन सी किताब की ज़रूरत पड़ गई तुम्हें?
मैंने कहा- अरे मम्मी, अभी फोन आया है एक दोस्त का कि कल एक प्रैक्टिकल होना है कॉलेज में! हमें जाना जरूरी है और मेरे पास उसकी किताब नहीं है। तो वह मुझे अभी लेनी होगी. अभी 8.30 बज रहे हैं, दुकानें खुली होंगी।
मम्मी बोली- ठीक है, अकेली मत जाओ, पापा को भी साथ लेती जाओ।
मैं तो बस यही चाह रही थी कि मम्मी खुद बोलें कि पापा के साथ जाओ.
उधर पापा भी हमारी बातें सुन रहे थे।
मैं बोली- ठीक है।
और ये कहकर रसोई से बाहर निकाल कर स्कूटी की चाबी पापा को देते हुए उनसे बोली- पापा, मेरे साथ मार्केट चलिये … एक बुक लेनी है।
पापा बोले- ठीक है, चलो!
यह कह कर वे अपने कमरे की तरफ जाने लगे।
मैंने कहा- कहां जा रहे हैं?
तो वे बोले- अरे कपड़े चेंज कर लूं!
मैंने कहा- जितनी देर में आप कपड़े चेंज करेंगे, उतनी देर दुकान बंद हो जायेगी। ऐसे ही चलिये, रात में कौन देख रहा है।
दरअसल मेरा प्लान ही था पापा को लुंगी में ले चलने का!
पापा बोले- ठीक है, चलो।
फिर हम दोनों बाहर आ गये।
मैंने पापा को स्कूटी की चाभी दी।
स्कूटी स्टार्ट होने पर मैं पीछे बैठ गई, मैं उनके पीछे ऐसे बैठी कि मेरी चूची उनकी पीठ से चिपक गई।
कॉलोनी की सड़क में थोड़े गड्ढे थे तो उनमें जैसे ही स्कूटी जाती तो मैं थोड़ा जानबूझकर झटके के साथ पापा की पीठ पर अपनी चूचियों को पूरा चिपका देती और अपना हाथ उनकी जाँघ पर रख देती थी।
खैर … जैसे ही हम कॉलोनी से निकल कर मेन रोड पर आये तो मैंने पापा से कहा- पापा, मैं स्कूटी चलाऊँ आप पीछे बैठ जाइये।
पापा पहले थोड़ी हिचकिचायें और बोले- अरे, मैं चल रहा हूँ ना!
मुझे लगा कि वे मेरी चूचियां जो उनकी पीठ से चिपकी थी उनका मजा नहीं छोड़ना चाह रहे थे.
मगर मेरा प्लान कुछ और था।
मैंने कहा- प्लीज पापा मैं चलाऊंगी।
पापा फिर बोले- अरे देर हो रही है, स्पीड में चलकर ले चलूंगा ताकि दुकान बंद होने से पहले पहुंच जाएं।
शायद पापा को अभी भी लग रहा था कि मैं किताब लेने के लिए ही आई हूं.
मगर मैं ज़िद करने लगी।
इस पर पापा बोले- ठीक है, लो तुम्ही चलाओ।
ये कह कर वे स्कूटी से उतरने लगे.
उससे पहले ही मैं तेजी से स्कूटी से उतर गई और उनसे बोली आप मत उतरिए, पीछे खिसक जाइए मैं आगे बैठ जाऊंगी।
वे थोड़े हिचकिचा रहे थे, बोले- नहीं, तुम बैठी रहो, मैं उतर कर पीछे आ जाता हूं।
मगर तब तक मैं उतर चुकी थी और आगे आते हुए बोली- आप खिसक जाएं पीछे!
पता नहीं क्यों … पापा थोड़े नर्वस हो रहे थे पीछे खिसकने में!
मगर मेरे जिद करने पर वे स्कूटी पर बैठे बैठे ही पीछे खिसक गए।
मैं आगे आकर स्कूटी की सीट पर जानबूझ कर अपने कमर को ऊपर उठाए हुए थोड़े पीछे खिसक कर ऐसे बैठी कि मेरी गांड पापा के लंड से चिपक जाए।
मगर मैं जैसे ही इस तरह बैठी तो मैं सारा माजरा तुरंत समझ गई कि पापा क्यों पीछे बैठने में हिचकिचा रहे थे।
दरअसल शायद पापा लुंगी के नीचे अंडरवियर नहीं पहने थे और मेरी चूचियों को अपनी पीठ पर चिपकाने से वे उत्तेजित हो गए थे और उनका लंड खड़ा हो गया था।
क्योंकि जैसे ही मैं अपनी गांड उठाकर पीछे होकर बैठी तो उनका खड़ा लंड मेरी गांड में छूने लगा था।
मैंने सोचा कि चलो मेरा थोड़ा काम आसान हो गया।
मैं स्कूटी चलाने लगी।
पापा का लंड मेरी गांड पर चिपक रहा था और मैं भी जानबूझ कर अपनी गांड को उनके लंड पर और जोर से दबा रही थी.
मैंने स्कूटी की स्पीड एकदम धीमी कर रखी थी और आराम से मजे लेकर चला रही थी।
रात की ठंडी हवा में अपने पापा के लंड को गांड पर महसूस करते हुए स्कूटी चलाने में अलग ही मजा आ रहा था।
मेरी गांड से सटकर पापा का लंड शायद और भी खड़ा हो गया था क्योंकि मुझे पहले से ज्यादा उसकी चुभन महसूस हो रही थी।
एक जगह रास्ते में स्पीड ब्रेकर आया तो मैंने जल्दी चलते हुए हल्का सा अपनी गांड को सीट से ऊपर उठाया और फिर धीरे से अपने कमर को पीछे कर ऐसी बैठी कि पापा का लंड अब मेरी गांड के नीचे आधा दबा हुआ था.
हल्का सा भी झटका लगने पर मैं अपनी गांड को उनके लंड पर रगड़ देती थी।
रास्ते में रेलवे ओवरब्रिज के ऊपर चढ़ने के बजाये मैं उसके नीचे से स्कूटी ले जाने लगी।
तो पापा चौंकते हुए बोले- अरे ओवरब्रिज से क्यों नहीं चल रही हो बेटा. नीचे तो अंधेरा होगा और हो सकता है ट्रेन का टाइम होने से गेट भी बंद हो।
दरअसल मार्केट हमारी कॉलोनी से थोड़ी दूरी पर था बीच में एक रेलवे का ओवरब्रिज भी था जिसके पार करने के बाद कुछ दूर पर मार्केट शुरू होती थी. ओवरब्रिज के नीचे से मुश्किल से कोई इक्का-दुक्का ही आता जाता था। वही रात में क्योंकि अंधेरा बहुत होता था इसलिए वैसे भी कोई नहीं जाता था।
मैं थोड़ा हंसती हुई बोली- तो क्या हुआ पापा, थोड़ा इंतजार कर लेंगे. कौन सी जल्दी है।
असल में मैं पापा को एहसास दिलाना चाह रही थी कि मैं बुक लेने नहीं कुछ और करने आई हूं.
पापा बोले- और शॉप बंद हो गई तो?
मैं बोली- अरे मेरा तो स्कूटी से घूमने का मन था तो मैं चली आई. कौन सा मुझे कोई किताब लेनी है।
पापा बोले- अरे यार, तो पहले क्यों नहीं बोला? मैं टेंशन में था कि कहीं शॉप बन्द न हो जाए।
इस पर मैं थोड़ा कमेंट करते हुए बोली- हां टेंशन तो मैं महसूस कर रही हूं।
अब मैंने थोड़ा मजे लेना शुरू कर दिया था।
मेरा इशारा उनके खड़े लंड की तरफ था.
पापा समझ गए कि मेरा इशारा किधर है।
तो वे भी थोड़ा मजे लेते हुए बोले- अरे तो तुम्ही तो दे रही हो वह टेंशन!
इस पर हम दोनों थोड़ा हंस दिए।
अब मैं और पापा धीरे-धीरे खुलने लगे थे।
स्कूटी लेकर जैसे ही मैं ओवरब्रिज के नीचे रेलवे क्रॉसिंग के पास पहुंची तो देखा कि गेट बंद था।
शायद कोई ट्रेन आने वाली थी।
मैं तो बस यही चाह रही थी।
मैंने कहा- ओह … गेट तो बंद है.
पापा बोले- कोई नहीं, थोड़ा इंतज़ार कर लेते हैं.
फिर थोड़ा कमेंट कर हंसते हुए बोले- वैसे भी कौन सी जल्दी है … कोई किताब तो लेनी नहीं है।
मैं बस हल्का सा मुस्कुरा कर चुप रही।
फिर मैं स्कूटी को ओवरब्रिज के ठीक बीच में एक पिलर के पास लेकर चली गई और ठीक उसके पीछे डबल स्टैंड पर स्कूटी को खड़ा कर दिया।
बाहर की तरफ थोड़ी बहुत चाँद की रोशनी आ रही थी मगर यहाँ अँधेरा था और जगह भी ऐसी थी कि कोई अचानक से गुजर भी गया तो हम दोनों को नहीं देख सकता थे। हम दोनों वापस उसी तरह स्कूटी पर बैठ गए थे। पापा का लंड अभी भी मेरी गांड से सटा हुआ था।
रात के सन्नाटे में महौल एकदम सेक्सी हो रहा था … सच कहूं तो मेरी चूत पनियाने लगी थी.
अचानक मैंने बैठे-बैठे आगे झुक कर अपने सिर को स्कूटी पर आगे हेडलाइट पर रख दिया और अपनी गांड को थोड़ा जानबूझ कर उठा दिया।
अब पापा का लंड मेरी गांड से सटा नहीं था मगर स्कर्ट के नीचे मेरी चूत ठीक पापा के लंड के सामने थी।
पापा अब तक समझ गए थे कि आखिर मैं क्यों आई हूं।
वे भी कुछ देर रुके रहे फिर थोड़ा खिसक कर मेरी गांड के पास आ गये और अपने लंड को स्कर्ट के ऊपर से ही मेरी गांड से सटा कर बैठ गये।
15-20 सेकंड तक ऐसे ही रहने के बाद मैं अचानक उठी और स्कूटी से उतरते हुए बोली- मुझे पेशाब लगी है।
पापा बोले- यहां पास में कर लो, अंधेरा है, कोई देखेगा नहीं!
और बोले- ज्यादा दूर मत जाना।
मैंने कहा- ठीक है पापा!
और फिर मुश्किल से 4-5 कदम आगे बढ़ कर स्कर्ट उठाई और बैठ कर पेशाब करने लगी।
मैं जानबूझकर पास में ही पेशाब करने लगी ताकि पापा जान जाएं कि मैंने स्कर्ट के नीचे पैंटी नहीं पहनी है।
क्योंकि पेशाब करने के लिए मेरे लिए पैंटी नीचे नहीं खिसकाई थी और सीधा स्कर्ट उठा कर पेशाब करने लगी थी।
रात के सन्नाटे में चूत से पेशाब की निकल रही छरछराहट दूर तक जा रही थी जो पापा को भी साफ सुनाई दे रही थी।
पेशाब कर के उठने के बाद मैं स्कर्ट से चूत को पौंछते हुए पापा के पास आकर खड़ी हो गई।
फिर अचानक मैंने नाटक करते हुए हल्का सा चिल्लाते हुए बोली- ऊऊऊ ऊइइइइइ इइ इइइइ इइइ!
और तेजी से अपनी स्कर्ट को थोड़ा सा उठा कर ऐसे झाड़ने लगी जैसे कोई कीड़ा घुस गया हो।
पापा को तो लग रहा था जैसे इसी के इंतजार मैं बैठे थे।
वे तेजी से स्कूटी से उतर कर मेरे सामने आकर खड़े हो गए और स्कर्ट की तरफ देखते हुए पूछे- क्या हुआ बेटा … कुछ काट लिया क्या?
मैंने कहा- नहीं पापा, मुझे लगा कि स्कर्ट में कोई कीड़ा घुस गया था. मगर निकल गया है शायद!
पापा ने तुरंत कुर्ते की जेब से मोबाइल निकाला और उसकी टॉर्च जलते हुए स्कर्ट पर देखने लगे और बोले- अरे रुको बेटा, देखने दो कहीं अभी निकला न हो तो!
शायद पापा तो इसी बहाने कुछ और करना चाह रहे थे।
हालांकि मैं भी मन ही मन यही चाहती थी।
मैं इतनी चुदासी हो चुकी थी और मेरी चूत में इतनी कुलबुलाहट हो रही थी कि बस चाह रही थी या तो उंगली डाल कर चूत का पानी निकाल दूं या फिर पापा का लंड पकड़ कर चूत से रगड़ लूँ।
फिर भी मैंने थोड़ा नाटक करते हुए कहा- अरे रहने दीजिए पापा … हो सकता है निकल गया हो।
हम बाप बेटी की चुदाई की भूमिका बन चुकी थी.
मगर पापा अब कहां मानने वाले थे … वे मेरे कंधों को पकड़ कर पीछे स्कूटी का सहारा देकर खड़ा करते हुए बोले- तुम आराम से खड़ी हो जाओ. मैं मोबाइल से ठीक से देख लेता हूं कि कीड़ा निकला या नहीं!
मैं समझ गई कि पापा इसी बहाने मेरी चूत देखना चाह रहे हैं।
मैंने मन में सोचा कि मतलब आग उधर भी उतनी ही लगी है।
फिर मैंने भी ज्यादा नाटक नहीं किया और स्कूटी का टेक लेकर खड़ी हो गई।
पापा ने लुंगी को अपने घुटनों तक ऊपर उठा लिया और मेरे आगे घुटनों के बल बैठ गये।
वे मुझसे इतना सट कर बैठे थे कि अगर मैं थोड़ा सा भी अपने कमर को आगे कर देती तो मेरी चूत स्कर्ट के ऊपर से ही उनके मुंह से सट जाती।
इसके बाद उन्होंने पहले तो स्कर्ट के ऊपर ही देखने का नाटक किया और फिर धीरे से एक हाथ से मेरी स्कर्ट को ऊपर उठाते हुए मुझसे बोले की- बेटा, जरा इसे पकड़ो तो … मैं देख लूं कि कहीं अंदर तो नहीं बैठा है।
मैंने स्कर्ट को नीचे से पकड़ कर धीरे करके पूरा ऊपर उठा दिया।
अब मेरी पाव रोटी जैसी फूली नंगी चूत पापा के मुंह के ठीक सामने थी।
पापा भी मोबाइल की रोशनी में मेरी चूत को निहारे जा रहे थे।
तभी मैंने पापा से कहा- पापा, प्लीज मोबाइल का टॉर्च बंद कर दीजिए कोई देख लेगा। हाथ से छूकर देख लीजिए कि कीड़ा बैठा तो नहीं है।
एक तरीके से मैं पापा को अपनी चूत को छूने और सहलाने का इशारा कर रही थी।
पापा भी समझ गए कि मैं क्या चाह रही हूं और वे भी यहीं चाह रहे थे।
उन्होंने मोबाइल का टॉर्च बंद कर अपने कुर्ते की जेब में रख लिया और फिर अपने हाथों को मेरी जाँघ पर आगे-पीछे और ऊपर-नीचे फेरने लगे।
धीरे-धीरे जाँघों को सहलाते हुए वे उन्होंने अपना हाथ मेरी चूत पर रख दिया।
जैसे ही पापा ने अपना हाथ को चूत पर रखा, मेरे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गई।
मेरा चेहरा कामुकता से लाल हो रहा था; शरीर एकदम गर्म हो गया था।
मैं इतनी चुदासी हो रही थी कि मैंने स्कर्ट को हाथ से छोड़ दिया.
अब पापा का सिर मेरी स्कर्ट के अंदर था।
फिर मैंने अपनी दोनों जांघों को फैलाते हुए अपनी कमर को हल्का सा आगे कर दिया।
अब मेरी चूत पापा के मुंह के इतने पास थी कि मैं उनकी गर्म-गर्म सांसों को अपनी चूत पर महसूस कर रही थी।
पापा भी मेरा इशारा समझ गए।
उन्होंने चूत को सहलाना छोड़ कर अपने दोनों हाथों को स्कर्ट के अंदर से ही पीछे ले जाकर मेरी गांड पर रख दिया और अपने मुंह को आगे कर मेरी चूत को चूम लिया।
मेरे शरीर में करंट सा दौड़ गया.
इसके बाद पापा अपने दोनों हाथों को दोबारा आगे लेकर आएं और मेरी उंगलियों से मेरी गीली हो चुकी चूत की दोनों फाँकों को फैला दिया और जीभ से चूत को चाटने लगे।
मेरे मुंह से हल्की-हल्की सिसकारी निकलने लगी।
मैं भी अपने कमर को हल्का-हल्का हिलाते हुए चूत चटवाने लगी।
चूत चाटते-चाटते पापा बीच-बीच में अपनी जीभ को मेरी चूत में घुसा कर हिलाने लगते थे।
मुझे तो होश ही नहीं था.
तभी पापा ने चूत चाटना छोड़ अपना सिर स्कर्ट से बाहर निकाल लिया और अपने हाथ स्कर्ट के ऊपर मेरी कमर पर ले जाकर रख दिये।
मैंने महसूस किया जैसे वे कुछ ढूंढ रहे हो।
अभी मैं कुछ समझ पाती … तभी पापा को वे मिल गया जिसे ढूंढ रहे थे।
पापा ने मेरी स्कर्ट के हुक खोल दिया जिससे मेरी स्कर्ट एक झटके में नीचे गिर गई।
मैंने भी अपना पैर उठा कर स्कर्ट को पैरों से बाहर कर दिया।
पापा ने खुद ही एक हाथ से उसे उठाकर मेरी स्कर्ट को स्कूटी पर रख दिया।
अब मैं कमर के नीचे से पूरी नंगी थी और मेरी चूत पापा के मुंह के ठीक सामने थी।
इसके बाद मैंने भी अपनी जाँघों को और फैला दिया और उन्हें चूत चाटने की पूरी जगह दे दी।
पापा ने हाथ से मेरी चूत के दोनों फांकों को फैला दिया और अपने मुँह को मेरी दोनों गोल चिकनी जाघों के बीच लाकर जीभ निकाल कर मेरी चूत को चाटने लगे।
कुछ देर बाद वे चूत चाटने हुए ही अपने दोनों हाथ को पीछे लेजाकर मेरी गांड को सहलाने और दबाने लगे।
मैंने अभी तक ऐसा सिर्फ पॉर्न मूवी में देखा था कि कैसे बाप अपनी बेटी की चूत चाटता है और बेटी अपने बाप से चूत चटवाती है।
मगर आज मेरे ही पापा मेरे सामने घुटनों के बाल बैठ कर अपनी बेटी की चूत चाट रहे थे।
यह सोच कर मैं इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई थी कि … चूत चटवाते हुए मुश्किल से 2-3 मिनट हुए होंगे कि मुझे ऐसा लगा कि मेरे शरीर का सारा खून चूत की तरफ जा रहा है; मेरी चूत की नसें एकदम फटने वाली हैं।
मैं तेजी से कमर हिलाने लगी और मेरे मुंह से तेज सिसकारियां निकलने लगीं- आआ आआआ आआह हहह हह हहह!
फिर अचानक मेरा शरीर एकदम अकड़ गया और मेरे मुँह से तेज़ सिसकारी निकली- आआ आआ आह हह हहह!
और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया।
मैंने एक्साइटमेंट में पापा का मुंह अपनी जांघों के बीच जोर से दबा लिया था … पापा बिना मुंह हटाये मेरी चूत का सारा पानी जीभ से चाट गये।
मैं तेजी से हांफ रही थी … हल्की ठंडी हवा में भी मेरे माथे पर पसीने की बूंदें आ गई थीं।
उधर पापा अभी भी नीचे बैठे रहे और कुछ देर के लिए … उन्होंने अपना मुंह मेरी चूत से हटा लिया ताकि मैं अपनी सांस पर काबू कर लूं।
जब उन्हें लगा कि मैं थोड़ा नॉर्मल हूं गई हूं … तो उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरी जांघों को फैला कर फिर से मेरी चूत चाटना शुरू कर दिया।
मैं तो जैसे आसमान में उड़ने लगी थी।
मुझे इतना मजा आ रहा था कि मदहोशी में मैंने आंख बंद कर ली और पापा के सिर को पकड़ कर अपनी कमर हिला-हिला कर दोबारा से चूत चटवाने लगी।
करीब 2 मिनट की चूत चटाई से मुझ पर दोबारा चुदाई का नशा चढ़ने लगा।
तभी पापा चूत से अपना मुंह हटा लिया मुझसे धीरे से बोले- थोड़ा घूम जाओ बेटा!
मैं घूम गई अब मेरी गांड पापा के मुंह के सामने थी … पापा थोड़ा खिसक कर पीछे हो गए और मुझे झुकने की जगह दे दी।
मैंने अपने दोनों हाथों को स्कूटी पर टिका दिया और गांड को पीछे कर पापा के मुंह के पास कर दिया।
पापा ने अपने हाथों से कुछ देर मेरी चिकनी गांड को सहलाया और फिर गांड को फैला दिया और अपनी जीभ को मेरी गांड के छेद पर रख कर चाटने लगे।
मेरी तो हालत ही खराब होने लगी।
हालांकि सोनू (मेरा छोटा भाई) भी इसी तरह मेरी गांड को कई बार चाट चुका था … मगर उसके जाने के बाद ये पहला मौका था कि इतने दिनों के बाद कोई मेरी गांड को चाट रहा था और वे भी मेरे पापा!
करीब 1 मिनट तक इसी तरह गांड की छेद को चाटने का बाद पापा ने अपना मुंह गांड से हटा लिया और खड़े हो गए.
तभी मैंने देखा कि पापा ने हाथ बढ़ाकर स्कूटी पर कुछ रखा है.
मैंने देखा तो वो पापा की लुंगी थी … मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था.
मैं समझ गई कि अब पापा नीचे से पूरे नंगे हो चुके है।
पापा ने अपना हाथ मेरे कंधे पर रख कर मुझे मुड़ने का इशारा किया.
मैं सीधी हुई और पापा की तरफ मुंह कर के खड़ी हो गई।
मैंने देखा कि पापा ने अपने कुर्ते को अपने कमर से ऊपर उठा कर खोंस लिया है।
मेरी निगाह नीचे गई तो अँधेरे में भी उनका खड़ा लंड साफ दिख रहा था।
पापा ने एक हाथ से मेरे हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया।
मैं खड़े-खड़े उनके लंड को पकड़ कर सहलाने लगी.
तभी पापा ने अपना एक हाथ बढ़ाया और मेरे कंधे पर रख कर धीरे से बोले- इसे मुंह में लो बेटा!
पापा की आवाज उत्तेजना में हल्का सा कांप रही थी ऐसा लग रहा था जैसे नशे में बोल रहे हों।
वैसे मैं तो खुद भी यही चाह रही थी।
मैं पापा के सामने घुटनों के बल बैठ गई और उनके लंड की चमड़ी को पूरा पीछे खींच कर सुपारे को मुंह में भर कर चूसने लगी।
मैंने लंड चूसते हुए हुए ऊपर देखा तो पापा अपने एक हाथ को अपनी कमर पर रखे हुए थे और मुझे देखते हुए अपनी कमर को हल्का-हल्का हिलाते हुए मजे से लंड चुसवा रहे थे।
उनका एक हाथ मेरे सिर पर था जिसे वे हल्का सा अपने लंड पर दबा रहे थे.
मुझे लग रहा था कि वे भी शायद अपनी किस्मत पर फूले नहीं समा रहे होंगे कि उनकी 19 साल की मस्त जवान बेटी आधी नंगी बैठी अपने ही बाप का लंड चूस रही है।
जिस तरह पापा अपने कमर हिलाने की स्पीड बढ़ा कर लंड मेरे मुंह में तेजी से आगे पीछे कर रहे थे … मुझे लग रहा था कि वे जल्दी ही झड़ने वाले हैं.
मैं भी लंड के सुपारे को तेजी से अपने सर आगे पीछे कर चूसने लगी थी।
अभी मुश्किल से 2 मिनट भी नहीं हुए थे कि उनके मुंह से हल्की-हल्की सिसकारी निकलने लगी और वे तेजी से अपनी कमर को हिलाने लगे.
आआआ आहह हहह … बेटा आआ … और फिर अचानक उनका शरीर एकदम अकड़ गया और उनके मुँह से तेज सिसकारी निकली- आआआ आआह हह हहह!
और दो-तीन तेज झटके देते हुए मेरे मुंह में अपने लंड का सारा पानी निकाल दिया।
मैंने भी लंड का सारा नमकीन पानी पी लिया।
पापा खड़े-खड़े तेजी से हांफ रहे थे … उनका लंड एकदम ढीला हो गया था.
मगर मैंने अभी भी पापा के लंड को मुंह से नहीं निकाला था और उनके ढीले हो चुके लंड को भी मुंह में लेकर चुपचाप उसी तरह घुटनों की बल बैठी रही।
मैं जान रही थी कि अगर मैं इस तरह पापा के झड़ जाने के बाद खड़ी हो गई तो आज चूत में लंड लेने का सपना अधूरा रह जाएगा और फिर चूत चुदवाने के लिए मुझे दोबारा कोई दूसरा प्लान बनाना पड़ेगा।
वहीं मेरी चूत में फिर से खुजली शुरू हो चुकी थी जो अब लंड से ही शांत होने वाली थी।
इसीलिए जब पापा थोड़े नॉर्मल हुए तो मैंने उनके ढीले पड़ चुके लंड को दोबारा चूसना शुरू कर दिया.
पापा भी मजे से दोबारा कमर हिला-हिला कर लंड चुसवाने लगे.
उधर ट्रेन आने में भी टाइम लग रहा था।
करीब 2 मिनट तक लंड चुसाई के बाद ही पापा का लंड दोबारा होकर टाइट खड़ा हो गया।
फिर कुछ देर और लंड को चूसने के बाद मैंने लण्ड को मुंह से निकाला और उसे हाथ से पकड़ कर हिलाने लगी और खड़ी हो गई।
मैं अभी तक लंड को हाथ से पकड़े हुई थी।
मेरी चूत एकदम पनिया चुकी थी और मुझ पर दोबारा मदहोशी छाने लगी थी.
मैं थोड़ा आगे बढ़ कर करीब-करीब उनसे सट कर खड़ी हो गयी और उनके लंड को पकड़ कर सामने से ही अपनी चूत से रगड़ने लगी।
कुछ देर ही रगड़ने के बाद मेरी हालत खराब होने लगी।
मैंने लंड को चूत से रगड़ा छोड़ दिया और पापा की तरफ पीठ कर के खड़ी हो गई और फिर अपने दोनों हाथों को स्कूटी पर टिका दिया और अपनी गांड को उचका कर झुक गई।
अब मैं पापा को चुदाई का खुला निमंत्रण दे रही थी.
तो पापा भी आगे बढ़े और अपने हाथ को मेरी कमर पर रखा और दूसरे हाथ से अपने लण्ड को पकड़ कर सीधा मेरी चूत पर रख दिया।
पापा का गर्म-गर्म लंड अपनी चूत के मुँह पर महसूस करके ही इतनी एक्साइट हो गई थी कि लग रहा था कि कहीं मेरी चूत पानी ना छोड़ दे।
मैं तो एकदम जन्नत में थी.
तभी पापा ने मेरी कमर को अपने दोनों हाथों से तेजी से पकड़ा और एक जोरदार धक्का मारा.
एक ही धक्के में उनका लंड मेरी गीली चूत में जड़ तक चला गया।
मेरे मुंह से तेज सिसकारी निकली- आआ आआअह्ह ह्हह … पाप्पप्पपाआआ!
तभी उधर से ट्रेन का हॉर्न भी सुनाई देने लगा।
आवाज दूर से आ रही थी … मतलब ट्रेन आने वाली थी.
उधर पापा ने लंड को मेरी चूत में अंदर बाहर कर चुदाई शुरू कर दी.
इधर ट्रेन की आवाज पास आती जा रही थी … उधर पापा भी अपनी कमर की स्पीड बढ़ाकर मुझे चोदे जा रहे थे।
मेरे मुंह लगातर हल्की-हल्की सिसकारी निकल रही थी।
अब मेरी बर्दाश्त की सीमा खत्म हो चुकी थी और मैं खुद अपनी गांड तेजी से उचका कर पापा का लंड अपनी चूत में लेने लगी.
और अचानक मेरे मुंह से तेज सिसकारी निकली- आआआ आआआआ आआ आआ आआ आआ … बस्स्स्स!
और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया।
मैं निढाल होकर होकर स्कूटी पर सिर रखकर हांफने लगी।
पापा अभी तक नहीं झड़े थे … उनका पत्थर जैसा कड़ा लंड अभी भी मेरी चूत में ही था।
हालांकि मेरे झड़ जाने पर पापा ने कुछ देर के लिए चोदना रोक दिया।
ट्रेन की आवाज भी एकदम पास आ गई थी.
जब पापा को लगा कि मैं अब थोड़ा नॉर्मल हो गई हूं तो उन्हें एक बार फिर कमर को हिला कर चोदना शुरू किया.
मगर कुछ ही देर बाद अचानक उन्हें अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया।
वे अभी तक झड़े नहीं थे … तभी मैं जान गई कि पापा का क्या इरादा है.
पापा ने अपनी उंगलियों से मेरी गांड के छेद पर कुछ चिकना सा लगाया और फिर लंड को मेरी गांड के छेद पर रख दिया था.
उनका लंड मेरी चूत के पानी से पूरी तरह गीला था.
उसके बाद भी शायद उनको अपने थूक से मेरी गांड के छेद को चिकना किया था.
पापा ने अपने लंड को मेरी गांड के छेद पर टिकाया, थोड़ी देर दबा कर खड़े रहे.
इतनी देर में ट्रेन धड़धड़ाते हुए आ गई … मालगाड़ी थी जिसकी स्पीड ज्यादा नहीं थी.
उधर पापा ने मेरी कमर को पकड़ लिया और एक जोरदार धक्का मारा.
और उनका आधा लंड मेरी गांड में घुस गया।
मेरे मुंह से थोड़ा तेज सिसकारी निकल गई मगर ट्रेन की आवाज में दब गई।
फिर थोड़ा रुक कर पापा ने धक्के मारने शुरू किए और पूरा जड़ तक अपने लंड को डाल कर मेरी गांड मारने लगे।
उधर ट्रेन की आवाज़ के साथ उनके कमर के धक्के बढ़ते जा रहे थे।
माहौल इतना सेक्सी हो रहा था कि जिसे बयान करना मुश्किल है।
मैं भी कमर हिला-हिला कर अपनी गांड मरवाने लगी.
गांड मारते हुए अभी 1-2 मिनट होंगे कि अचानक पापा के मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं- आआ आआअह्ह ह्हह … बेटाआआ … आआ आआआ आआ!
और फिर वे तेजी से धक्का देते हुए मेरी गांड में ही झड़ गए.
पापा मेरी पीठ पर अपने सर को रख कर हांफ रहे थे … उनका लंड अभी भी मेरी गांड में घुसा हुआ था।
कुछ देर बाद जब वे सामान्य हो गया तो उठे और अपने लंड को मेरी गांड से निकाल लिया. मैं भी सीधी खड़ी हो गई.
फिर हम दोनों ने अपने कपड़े पहने.
ट्रेन भी गुजर चुकी थी … गेट खुल गया था … इधर हम दोनों बाप-बेटी का काम भी पूरा हो गया था।
पापा ने स्कूटी स्टार्ट की … मैं उनके पीछे बैठ गई … पापा बिना कुछ बोले स्कूटी को मोड़े और घर की तरफ चल दिए।
स्कूटी पर बैठने पर मेरी चूत और गांड में मीठा-मीठा दर्द हो रहा था।
मैं अपने हाथ को पापा कमर के चारों ओर लपेट कर फिर उसी तरह अपनी चूची को पापा की पीठ से चिपका कर बैठ गई।
अचानक मेरा हाथ आगे लुंगी के नीचे पापा के लंड से टच कर गया, उनका लंड ढीला था।
मुझे अचानक शरारत सूझी मैंने पीछे बैठे-बैठे ही उनके लंड को मुट्ठी में भर लिया और रास्ते भर हिलाती हुई आई.
और घर पकड़ते-पहुंचते पापा का लंड दोबारा खड़ा हो गया।
पापा ने स्कूटी खड़ी की और मुझसे बोले- किताब के बारे में मैं क्या कहूंगा?
मैं हल्का सा मुस्कुराती हुई बोली- उसका इंतजाम मैंने कर रखा है.
फिर मैंने स्कूटी की चाबी ली और सीट के अंदर से पॉलिथीन में एक किताब निकाली और बोली- मैंने दिन में ही लाकर इसे रख दिया था।
पापा भी मुकुराने लगे।
इसी बीच पापा अपने तीसरी बार खड़े हो चुके लंड को अपनी लुंगी और कुर्ते में छुपाने की कोशिश कर रहे थे।
चूंकि पापा अंदर अंडरवियर नहीं पहनने थे इसलिए उनका खड़ा लंड कुर्ते के नीचे साफ़ पता चल जा रहा था.
मेरी निगाह जैसे ही उधर गई मैं हल्का सा मुस्कुरा दी और पापा भी थोड़ा शरमा गये।
हम दोनों गेट के अंदर आ चुके थे मगर अभी घर में नहीं गये थे बाहर लॉन में एकदम अँधेरा था।
मैं और पापा बाहर बारामदे में आकर खड़े हो गए।
पापा धीरे से मुझसे बोले- तुम अंदर चलो, मैं अभी थोड़ी देर में आता हूँ।
मैं समझ गई कि पापा लंड के ढीले होने का इंतजार कर रहे हैं।
खटखटाने पर मम्मी जैसे ही दरवाजा खोलेंगी तो उनका ध्यान उधर जा सकता है.
यही सोचकर पापा अंदर जाने में डर रहे थे।
मुझे भी यही डर था कि मम्मी की निगाह पापा के खड़े लंड पर जा सकती है।
फिर भी मैंने उन्हें चिढ़ाते हुए धीमे से कहा- नहीं साथ ही चलेंगे अंदर!
पापा जोर देते हुए बोले- अरे बोल रहा हूं ना मैं अभी नहीं जा सकता … तुम जाओ!
इस पर मैंने कुर्ते के ऊपर से उनके खड़े लंड पर धीरे से हाथ से मारा और हंसते हुए धीमे से बोली- इसे नीचे करिये और चलिए अन्दर!
पापा थोड़े खिसियाते हुए बोले- मैं क्या करूं … तुम्हीं ने तो किया है ये रास्ते में!
तब मैंने उनके लंड को कुर्ते के ऊपर से ही मुट्ठी में पकड़ लिया और हंसते हुए धीमे से बोली- अच्छा ठीक है, मैंने ही ये किया है तो मैं ही इसे ठीक भी करती हूं.
अब तक मेरे दिमाग में एक नया प्लान बन चुका था … बरामदे की लाइट नहीं जल रही थी इसलिए वहां और भी अंधेरा था।
लॉबी की एक खिड़की जो बारामदे में खुलती थी वे थोड़ी सी खुली हुई थी।
मैं धीरे से खिड़की के पास गई और चोरी से अंदर झांका तो देखा कि मम्मी रसोई में काम कर रही हैं और नानी सोफे पर बैठ कर टीवी देख रही हैं।
चूंकि नानी थोड़ा धीमा सुनती थीं तो टीवी का वॉल्यूम काफी तेज था।
उन लोगों को अभी नहीं पता चला था कि हम आ गए हैं.
मैंने टाइम देखा तो रात के 9 बजे चुके थे।
मुझे पता था कि मम्मी को रसोई में अभी करीब आधा घंटा और लगेगा।
तभी पापा भी मेरे पीछे आकर धीरे-धीरे झांक कर अंदर देखने लगे।
शायद वे देखना चाहते थे कि मम्मी क्या कर रही हैं।
जैसे ही पापा मेरे पास आये मैंने उन्हें चुप रहने का इशारा किया और किताब उन्हें पकड़ा दी.
मैंने उन्हें हाथ से धीरे से दीवार की तरफ धकेला जिससे ठीक खिड़की के बगल की दीवार से चिपका कर खड़े हो गए.
फिर उन्हें वहीं खड़े रहने का इशारा किया।
चूंकि बरामदे में एकदम अँधेरा था तो बाहर से वैसे भी कुछ दिखाई नहीं देने वाला था।
मैं पापा के बगल में आकर खिड़की से सट कर ऐसे खड़ी हो गई कि मुझे अंदर दिखाई देता रहा.
फिर मैंने अपना एक हाथ पापा के कुर्ते के नीचे डाल दिया।
तब मैंने महसूस किया कि उनका लंड खड़ा होने की वजह से पहले से ही लुंगी के बाहर था।
मैंने थोड़ा और एडजस्ट कर लिया उनके लंड को मुट्ठी में भर कर उसकी चमड़ी को आगे-पीछे कर खड़े-खड़े ही मुठ मारने लगी।
पापा थोड़े घबराते हुए मेरे हाथ को हल्का सा पकड़ते हुए धीमे से बोले- अरे बेटा, यहां मत करो, फर्श गंदा हो गया तो दिक्कत हो जाएगी।
दरअसल पापा डर रहे थे कि कहीं उनके लंड का पानी निकल कर फर्श पर गिर ना जाए।
मैंने उंगली से चुप रहने का इशारा करते हुए कहा- कुछ नहीं होगा, आप चुपचाप खड़े रहिए!
थोड़ी देर इस तरह हाथ से पापा का लंड हिलाने के बाद मैंने हाथ हटा लिया और उनसे खिड़की की तरफ इशारा करते हुए धीमे से उनसे कहा- यहां से अंदर ध्यान दिए रहिएगा.
अभी पापा कुछ समझ पाते … तभी मैं घूम कर उनके सामने आ गई और घुटनों के बल नीचे बैठ गई और उनके कुर्ते को ऊपर उठा कर मैंने अपना सिर कुर्ते के अंदर कर लिया, जिससे उनके कुर्ते से मेरा सर ढक गया।
फिर मैंने एक हाथ से लंड की चमड़ी को पूरा पीछे खींच दिया और सुपारे को मुंह में लेकर चूसने लगी।
मैं जान रही थी कि अबकी बार देर तक लंड चूसने को मिलेगा क्योंकि पापा पहले ही 2 बार झड़ चुके हैं तो तीसरी बार में वे थोड़ी देर से झड़ेंगे।
वैसे भी लंड को चूसने में मुझे बहुत मजा आता था इसलिए मुझे उनके देर से झड़ने में कोई दिक्कत भी नहीं थी।
वहीं इस तरह घर में मम्मी से छुपकर पापा के लंड को चूसना मुझे और उत्तेजित कर रहा था।
अब इस खेल में पापा को भी मजा आने लगा था।
उन्होंने कुर्ते के ऊपर से ही अपना एक हाथ मेरे सिर पर रख दिया था और मजे से अपनी कमर हल्का-हल्का हिलाते हुए लंड चुसवा रहे थे।
इसी तरह करीब 8-10 मिनट तक लगातर लंड चूसने के बाद पापा तेजी से अपनी कमर हिलाने लगे.
मैं समझ गई कि अब वे झड़ने वाले हैं।
तो मैं भी तेजी से सर को आगे-पीछे कर लंड चूसने लगी.
फिर अचानक पापा अपनी कमर को तेज झटका देते हुए मेरे मुंह में लंड का सारा पानी निकाल दिया।
मैं भी लंड को तब तक मुंह में लेने के लिए चूसती रही जब तक लंड का एक-एक बूंद पानी नहीं पी लिया।
लण्ड से दो बार पहले भी पानी निकल चुका था तो इस बार बस थोड़ा ही पानी निकला जिसे मैं पूरा पी गयी।
कुछ ही देर में पापा का लंड ढीला हो गया था … उसके बाद मैंने लंड को मुंह निकाला और पापा की लुंगी से ही मुंह को पौंछा और खड़ी हो गई।
पापा की सांसें अभी भी तेज चल रही थीं … जैसे कहीं से दौड़ कर आ रहे हों.
मैंने धीमे से पापा से कहा- देखा, फर्श भी गंदा नहीं हुआ और काम भी हो गया।
अब मैं और पापा एक-दूसरे से इतने खुल चुके थे कि हमारी बातों से ऐसा लग ही नहीं रहा था कि मैं और वे बाप-बेटी हैं।
इस पर पापा मुस्कुराते हुए मेरी चूचियों की तरफ देखते हुए बोले- एक काम तो बचा है अभी भी!
मैं समझ गयी कि पापा चूचियों को चूसने की बात कर रहे हैं।
मैंने आँख मारते हुए कहा- अरे, कुछ रात के लिए भी छोड़ दीजिए।
पापा मुस्कुरा दिये।
फिर हमने दरवाजा नॉक किया मम्मी दरवाजा खोल कर फिर से रसोई में चली गयी.
मैं अपने कमरे में और पापा अपने कमरे में!
पिछले अपडेट में आपने पढ़ा कि पापा के दोस्त की वासना भरी दृष्टि मेरी देह यष्टि पर थी. मुझे भी यह अच्छा लग रहा था.
पर वे अपने बेटे का रिश्ता मेरे लिए लेकर आ गए और हमारी सगाई भी हो गयी.
अब आगे…..
खैर … इधर इंगेजमेंट के बाद रोहित (मेरे होने वाले पति) का अक्सर फोन आने लगा और वे अक्सर रात में देर-देर तक फोन पर बात करते थे।
रोहित की बातचीत से मैं जान चुकी थी कि उसे एकदम सीधी सादी, भोली और ऐसी लड़की जो हाईटेक न हो … पसंद है जिसे कुछ ज्यादा पता न हो।
मैं भी फोन पर उसी तरह बात करती थी।
मेरी बातचीत से रोहित एकदम मुझे भोली-भाली समझते थे।
हालांकि मुझे मन में हमेशा इस बात का भी डर बना था कि कहीं सुहागरात में रोहित का लण्ड मेरी चूत में आराम से अंदर चला गया और मुझे दर्द न हो तो उन्हें शक न हो कि मैं चूत में पहले से लण्ड ले चुकी हूँ।
खैर … धीरे-धीरे रोज बात होते-होते बात सेक्स तक पहुँची।
वे मुझसे पूछते कि मुझे क्या पसंद है कभी पॉर्न मूवी देखी है या नहीं। कभी सेक्स स्टोरीज पढ़ी है या नहीं। कभी हस्तमैथुन किया है या नहीं।
मतलब इस तरह की और भी बातें।
मैं ऐसे नाटक करती कि जैसे सेक्स के बारे में मैं कुछ जानती ही नहीं हूँ।
धीरे-धीरे बातचीत और आगे बढ़ी अब रात में वीडियो कॉल में रोहित मेरी चूची, चूत और गांड को देखने लगे थे।
एक दिन मेरी चूत देख कर वे काफी उत्तेजित हो गये और वीडियो कॉल के दौरान ही मुठ मारने लगे और मुझे भी मुठ मारने के लिए बोलने लगे।
मैंने पहले तो चूत में उंगली डाल कर दिखाई, फिर ऐसा महसूस कराया कि जैसे मुझे भी मजा आ रहा हो।
फिर ये अक्सर होने लगा कि मैं वीडीयो कॉल के दौरान वह मुठ मारते और मैं भी चूत में उंगली करती थी।
एक दिन मैंने खुद ही उनसे कहा- आपका लण्ड देखकर मुझे भी चूत में उसी के बराबर कुछ डालने का मन हो रहा है। अगर आप कहें तो मैं चूत में खीरा डाल कर देखूं?
रोहित इतने मूड में थे कि उन्होंने तुरंत हाँ कर दिया।
वे भी शायद देखना चाहते थे।
मैं रात में धीरे से किचन में आयी और फ्रिज से एक खीरा निकाल कर सीधा कमरे में आयी।
उसके बाद उसमें थोड़ा क्रीम लगाकर वीडियो कॉल में रोहित को दिखाते हुए मैं चूत में हल्का सा डालने लगी।
रोहित को दिखाते हुए मैंने कहा- ये जा नहीं रहा अंदर!
तब रोहित ने मुझे चूत और खीरे को थोड़ा और चिकना करने को कहा।
दरअसल वे इतने उत्तेजित हो गये थे कि मुझे चूत में खीरा डालकर देखते हुए मुठ मारना चाहते थे।
बस मुझे इसी बात का इंतज़ार था मैंने खीरे में एक्स्ट्रा क्रीम लगायी और चूत में डालने लगी.
फिर अचानक मैंने मुंह से तेज ‘उईईई ईईईई ईईई’ करके आवाज निकाली और फोन को काट दिया।
इसके बाद रोहित ने कई बार कॉल किया लेकिन मैंने फोन नहीं उठाया।
फिर करीब दो घंटे बाद मैंने उन्हें कॉल किया।
वे बोले- क्या हुआ था?
मैंने आवाज में थोड़ा दर्द लाते हुए कहा- जैसा आपने कहा था, वैसे ही मैंने खीरे और चूत में ज्यादा तेल लगा लिया था और जैसे ही खीरे को थोड़ा जोर लगाकर अंदर डालने की कोशिश की तो झटके से खीरा पूरा अंदर चला गया मुझे अंदाजा नहीं था कि ऐसा होगा। मुझे बहुत तेज दर्द हुआ और मेरी चूत से खून निकलने लगा था जो बेड पर भी फैल गया। मैं डर गयी थी. कुछ देर खीरा उसी तरह अंदर था. जब दर्द कम हुआ तो मैंने खीरा बाहर निकाला और बेडशीट बदली।
रोहित बोले- अरे इसमें डरने की कोई बात नहीं है. जब पहली बार चूत में कुछ जाता है तो चूत की सील टूट जाती है जिससे खून निकलता है।
फिर वे बोले- सुहागरात में जब पहली बार सेक्स होता है तो उसमें अक्सर लड़कियों की चूत से खून निकलता है।
मैंने भोली बनते हुए कहा- आपने ही कहा था वरना मैं थोड़ी डाल रही थी।
रोहित बोले- कोई बात नहीं, ऐसा हो जाता है।
फिर मैंने पूछा- क्या सुहागरात में फिर इसी तरह खून निकलेगा और मुझे दर्द होगा?
रोहित बोले- नहीं, अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि तुम्हारी सील खीरे से ही टूट गयी है। तो अब जब हम सेक्स करेंगे तो तुम्हें दर्द नहीं होगा।
उसके बाद कई बार ऐसा हुआ कि रोहित कॉल पर मुझसे हस्तमैथुन के लिए कहते और मुझे देखकर खुद मुठ मारते।
मैं भी चूत में कभी खीरा, कभी बैगन तो कभी मूली डालकर हस्तमैथुन करती।
इस वीडियो से सुहागरात में चूत से खून नहीं निकलने वाला डर मेरे मन से निकल गया था।
और दूसरी तरफ रोहित के मन में पक्का यकीन हो गया था कि मैं एकदम सीधी-सादी और भोली लड़की हूँ जिसे सेक्स के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता।
ख़ैर शादी का दिन आ गया।
सारे रिश्तेदार घर में इकट्ठे हो गये थे।
ज्योति और उसके मम्मी-पापा भी शादी में आये थे।
मेरी शादी का सारा इंतजाम एक होटल में हुआ था।
होटल में ज्योति ही पूरे दिन मेरे साथ थी।
शाम को सोनू मुझे कार से पार्लर लेकर गया दुल्हन के मेकअप और कपड़े पहनने के लिए!
हमारे साथ में ज्योति भी गयी थी।
जब दुल्हन के लहंगे और चोली में मेकअप करवा कर बाहर आयी तो सोनू कार में इंतजार कर रहा था।
मुझे देखते ही भाई बोला- कसम से दीदी … क्या माल लग रही हो। सुहागरात में तो जीजा जी बातें बाद में करेंगे पहले लहंगा उठाकर चुदाई शुरू कर देंगे।
मैंने हंसते हुए उसे थप्पड़ मारा और बोली- चलो पहले शादी तो होने दो!
ज्योति भी हंसने लगी।
मैं और ज्योति कार में बैठ गई और सोनू गाड़ी चलाने लगा।
ज्योति बोली- सच गरिमा, बहुत सुंदर लग रही है तू!
फिर हंसकर कमेंट करते हुए बोली- वैसे एक बात बता कि ऊपर ही सजी हो या नीचे भी कुछ किया है?
मैंने आँख मारते हुए कहा- वहाँ का मेकअप तो मैंने आज सुबह ही कर लिया था नहाने के टाइम। एक भी बाल नहीं हैं आसपास, एकदम चिकना कर लिया है हेयर रिमूवर क्रीम से!
जैसे ही सोनू ने ये सुना तो गाड़ी चलाते हुए बोला- अरे वाह … प्लीज दीदी एक बार दिखा दो अपनी चिकनी चूत!
मैंने हंसते हुए कहा- चुपचाप गाड़ी चलाओ, चूत देखने के चक्कर में कहीं गाड़ी न भिड़ा देना!
सोनू फिर जिद करते हुए कहा- प्लीज, दीदी एक बार दिखा दो, झाँटें साफ करने के बाद कहाँ कभी देखी है तुम्हारी चूत!
इस पर ज्योति हंसते हुए बोली- क्यों झूठ बोल रहा है … जब इसकी चूत पर बाल भी नहीं आये थे तब से तो तू इसे चोद भी रहा है और चाट भी रहा है।
इस पर हम तीनों हँस दिये। सोनू फिर रिक्वेस्ट करते हुए बोला- प्लीज दीदी एक बार दिखा दो न।
मैंने कहा- अरे तो यहीं देखेगा क्या रास्ते में?
सोनू बोला- ओके … रास्ते में दिखा नहीं सकती तो कम से कम थोड़ा सा सहला तो सकता ही हूँ।
मैंने कहा- मतलब तू यहीं रास्तें में गाड़ी चलाना छोड़कर मेरी चूत सहलाएगा।
सोनू बोला- अरे तुम बस हाँ तो करो … गाड़ी ज्योति दीदी चला लेगी, मैं पीछे आकर बैठ जाता हूँ।
ज्योति हंसती हुई बोली- यार मान जा ना!
फिर वह सोनू से बोली- तू गाड़ी किनारे कर के रोक और पीछे आ … मैं चलाती हूँ गाड़ी!
मैंने कहा- तू बड़ा साइड ले रही है उसका … तू ही क्यों नहीं करवा लेती?
ज्योति मुझसे आँख मारते हुए बोली- तू जब अंदर मेकअप करवा रही थी तो बाहर गाड़ी में तबसे मेरी ही चूत तो सहला रहा था।
मैं ज्योति को थप्पड़ मारते हुए हँसकर बोली- अच्छा मतलब तुम दोनों गाड़ी मैं बैठकर यही कर रहे थे।
इतनी देर में सोनू ने गाड़ी सड़क के किनारे कर रोक दी और बाहर निकल कर ज्योति की तरफ का दरवाजा खोल दिया और उससे बोला- दीदी, प्लीज तुम चलाओ न गाड़ी!
ज्योति हंसते हुए गाड़ी से उतर गयी और आगे चली गयी।
सोनू मेरे बगल आकर बैठ गया।
ज्योति ने गाड़ी चलाने से पहले रियर व्यू मिरर को ऐसा सेट किया कि वह हम दोनों की हरकतों को देख सके।
वह हंसती हुई बोली- गाड़ी चलाते समय पीछे तो नहीं देख सकती इसलिए इससे तुम दोनों को देखती रहूँगी कि क्या कर रहे हो।
फिर ज्योति गाड़ी चलाने लगी।
सोनू बोला- तो शुरू करें दीदी?
मैंने कहा- हाँ बिना कुछ किये कहाँ मानने वाला है तू!
यह कहकर मैंने सीट पर बैठे-बैठे लहंगे को नीचे से पकड़ा और पूरा उपर उठाकर अपनी कमर के पास रख लिया।
जिससे मेरी गोरी-गोरी चिकनी जांघें एकदम नंगी हो गयीं।
फिर पैरों को हल्का सा फैलाती हुई मैं सोनू से बोली- बस एक बार छूकर देख ले … उससे ज्यादा कुछ मत करना. वरना थप्पड़ मारूंगी।
सोनू ने बिना कुछ बोले मुस्कुराते हुए पहले हाथों को थोड़ी देर जांघों पर फेरा और फिर एक हाथ सीधा ले जाकर मेरी पैंटी के ऊपर रख दिया और फिर पैंटी के ऊपर से पहले चूत को सहलाया।
फिर उसने पैंटी के अंदर हाथ डालने की कोशिश की तो हाथ ठीक से अंदर नहीं जा पा रहा था।
जिस पर उसने कहा- दीदी थोड़ा आगे की तरफ खिसक कर बैठ जाओ ना … पैंटी में हाथ नहीं जा पा रहा है।
सच कहूं तो मैं भी थोड़ा मजा लेना चाह रही थी लेकिन ऊपर से जाहिर नहीं कर रही थी।
मैंने कहा- एक मिनट रुक!
फिर मैंने हल्के से अपनी कमर उठायी और दोनों हाथ से पैंटी को पकड़ कर घुटनों तक कर दिया और थोड़ा आगे खिसक कर बैठ गयी।
फिर सोनू ने लहंगे के अंदर अपना हाथ डाला और मेरी नंगी चिकनी चूत को सहलाने लगा।
चूत को सहलाते हुए सोनू बोला- अरे वाह दीदी … कितनी सॉफ्ट और चिकनी है तुम्हारी चूत!
मैंने मुस्कुराती हुई कहा- बोल तो ऐसे रहे हो जैसे आज पहली बार मेरी चूत को सहला रहे हो।
फिर मैंने थोड़ा नखरा दिखाती हुई कहा- अब हो गया ना … बस अब हाथ हटाओ और पैंटी पहनने दो।
इस पर सोनू बिना हाथ हटाए चूत सहलाते हुए ही बोला- प्लीज दीदी … होटल तक करने दो ना! गाड़ी के अंदर कोई झांक कर थोड़ी देख रहा है।
ज्योति गाड़ी चलाती हुई हम दोनों की हरकतों को देख रही थी.
वह हंसती हुई बोली- अरे क्यों मना कर रही हो बेचारे को … आज कर लेने दो उसे जो वह कह रहा है। वैसे भी शादी के बाद कौन सा वह रोज-रोज तेरे पास जाएगा।
मैंने कहा- तू बड़ा पक्ष ले रही है। तुझे तो मजा आ रहा है शीशे में देखकर!
सोनू बोला- प्लीज दीदी … मान जाओ न!
सच कहूँ तो मेरा भी मन था और मजा भी आ रहा था इसलिए मैंने कहा- चल ठीक है अच्छा!
सोनू बोला- दीदी थोड़ा पैर और फैलाओ ना।
मैंने थोड़ा जांघों को थोड़ा फैलाने की कोशिश की लेकिन पैंटी जो घुटनों तक थी उसकी वजह से पैर ज्यादा नहीं फैल पा रहा था।
सोनू समझ गया कि मैं पैंटी की वजह से पैर नहीं फैला पा रही हूँ।
तो उसने कहा- एक मिनट रुको।
फिर चूत से हाथ हटाकर पैंटी को पकड़ कर पूरा नीचे कर दिया और फिर झुककर उसने बारी-बारी से मेरे दोनों पैरों को उठाकर पैंटी पूरी निकाल दी।
मैं बोली- पागल है क्या … पैंटी पूरी क्यों निकाल दी? होटल में कैसे जाऊंगी।
उसने पैंटी मुझे देते हुए कहा- लो इसे अपने पर्स में रख लो। अरे लहंगे में कोई झाँक कर देख रहा क्या कि तुमने नीचे पैंटी पहनी है कि नहीं। रूम में जाकर पहन लेना और क्या!
मैं थोड़ा नखरा दिखाकर सोनू को डाँटती हुई पैंटी को जल्दी से पर्स में रखने लगी।
इतनी देर में सोनू ने अपने लोअर को खिसका कर जांघ तक कर दिया जिससे उसका लण्ड बाहर आ गया।
इतने देर में सोनू का लण्ड अभी थोड़ा ढीला था जिसमें हल्का-हल्का सा तनाव आ रहा था।
फिर मेरे हाथ को पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया और बोला- थोड़ा इसे भी हिलाती रहो।
यह कहकर उसने दोबारा अपना एक हाथ मेरे लहंगे के नीचे डाला और चूत को सहलाने लगा।
मैंने खुद ही जांघों को फैला दिया और सोनू को चूत सहलाने के लिए पूरी जगह दे दी।
अब मैं उसका लण्ड हिलाती हुई मजे से अपनी चूत सहलवा रही थी।
करीब एक-दो मिनट तक लण्ड हिलाते रहने के बाद धीरे-धीरे सोनू के लण्ड में तनाव आने लगा था लेकिन अभी पूरी तरह खड़ा नहीं हुआ था।
मैंने कहा- क्या बात है? आज तेरा खड़ा होने में टाइम ले रहा है। नहीं तो इतनी देर में तो तेरा एकदम टाइट हो जाता है।
ज्योति हंसती हुई बोली- वह तो टाइम लेगा ही … अभी एक राउंड मेरे मुँह माल निकाल चुका है।
सोनू ज्योति की तरफ इशारा करते हुए बोला- अच्छा … और सहला-सहला कर जो तुम्हारी चूत का पानी निकाला है वो?
मैं चौंक गयी और हंसती हुई बोली- अच्छा मतलब तुम लोग यही कर रहे गाड़ी में तबसे और अब बता रहे हो धीरे-धीरे!
ज्योति हंसती हुई बोली- तेरी तरह मेरी भी पैंटी मेरे बैग में है। स्कर्ट के नीचे नंगी हूँ।
ज्योति ने लॉन्ग स्कर्ट और टॉप पहना हुआ था।
हम तीनों हंस दिये।
चूत सहलाते हुए ही सोनू बोला- वैसे दीदी … तुम्हारी होने वाली ननद भी मस्त माल है। शादी के बाद मेरे लिए कोशिश करना।
मैं हंसती हुई बोली- मतलब मैं तुम्हारे लिए यही करती रहूँ। शादी के पहले अपनी दोस्त (ज्योति) को तेरे लिए पटाऊँ और शादी के बाद अपनी ननद को!
सोनू बोला- अरे बस एक बार … फिर कोई डिमांड नहीं करुँगा।
मैंने कहा- अगर वह भी मेरी तरह ही अपने भाई मतलब तेरे होने वाले जीजा से चुद चुकी हो तो?
सोनू हंसते हुए बोला- अरे वाह … फिर क्या तब तो और मजे हैं। जब मैं तेरी ससुराल आऊंगा तो तेरे पति अपनी बहन की और मैं अपनी बहन की चुदाई करेंगे।
इस पर हम तीनों हँस दिये।
होटल ज्यादा दूर नहीं था तो करीब पाँच मिनट बाद ही ज्योति बोली- अब कपड़े ठीक कर लो तुम दोनों … बस होटल पहुँचने वाले हैं।
जिसके बाद सोनू ने अपने लोअर को ऊपर करके पहन लिया और मैंने भी अपने लहंगे को नीचे करके ठीक से बैठ गयी।
लेकिन सोनू के सहलाने से एक्साइटमेंट में मेरी चूत में हल्का सा पानी आ गया था और चूत गीली हो गयी।
सोनू बोला- दीदी एक बात बोलूँ?
मैंने कहा- बोल, अब क्या नयी फरमाइश है?
सोनू- एक बार दुल्हन के लहंगे में कर लेने दो।
मैंने हंसते हुइ कहा- मतलब अभी सिर्फ देखना चाहता था अब चुदाई करने का भी मन करने लगा। एक-दो साल में तेरी भी शादी हो जाएगी फिर अपनी ही दुल्हन का लहंगा उठाकर मजे लेना।
सोनू- अरे दीदी … प्लीज मान जाओ न … तुम्हें दुल्हन में देखकर बहुत मन हो रहा है! बस एक बार कर लेने दो।
ज्योति बोली- अरे बेचारे का मन कर रहा है तो एक बार कर लेने दे ना!
मैं- तू ही क्यों नहीं करवा लेती।
ज्योति- अरे मैं कब मना कर रही हूँ? लेकिन जब बेचारे को तुझे दुल्हन बनी देख तेरे साथ ही मन कर रहा है करने का कोई क्या करे!
खैर … इन सब बातचीत के बीच हम होटल पहुँच गये।
फिर गेस्ट और रिश्तेदारों की नजरों से बचते हुए पीछे की लिफ्ट से अपने रूम में पहुंच गये।
कमरे में सिर्फ मैं थी और शादी का सारा सामान था।
इस वजह से उस कमरे में ज्यादा कोई नहीं आ रहा था और कमरा अंदर से लॉक रखती थी।
बस काम पड़ने पर कभी मम्मी या कोई आ जाता था।
कमरे में मेरे साथ सिर्फ ज्योति रुकी हुई थी।
चूंकि शाम हो चुकी थी तो ज्यादातर रिश्तेदार और गेस्ट नीचे नाश्ता-पानी और एंजॉय करने में लगे थे।
कमरे में पहुँचे तो वहाँ मम्मी अकेले बैठी थीं।
हमारे पहुँचते ही मम्मी बोलीं- चलो आ गये तुम लोग तो अब यहाँ रहो, मैं नीचे जा रही मेहमानों के पास!
हम तो वैसे भी यही चाह रहे थे।
मम्मी के जाते ही हमने रूम का दरवाजा अंदर से लॉक कर दिया।
कमरे में बस मैं, सोनू और ज्योति थे।
मम्मी के जाते ही सोनू बोला- तो क्या इरादा है दीदी?
सच कहूँ तो कार में सोनू के चूत सहलाने से मेरी चूत में खुजली मचने लगी थी।
फिर भी मैंने थोड़ा नखरा दिखाती हुई कहा- कैसा इरादा … मुझे कुछ नहीं करना … जा चुपचाप यहां से!
सोनू बोला- प्लीज दीदी मान जाओ न … एक बार कर लेने दो।
मैंने कहा- पागल है क्या? कोई कोई आ गया तो?
तब ज्योति बोली- कोई नहीं आएगा। कोई आएगा भी तो मैं संभाल लूंगी। बस तुम दोनों को जो करना है जल्दी करो!
फिर ज्योति ने सोनू से कहा- कोई आएगा तो बस तुम तुरंत वॉशरूम में चले जाना।
मैंने कहा- ठीक है … लेकिन प्लीज जो करना है ऊपर-ऊपर कर लो। नहीं तो लहंगे में लग सकता है।
सोनू बोला- ठीक है।
मैं बेड पर बैठी थी, सोनू से बोली- क्या करना है पहले जल्दी बोल?
सोनू बोला- तुम बेड पर लेट जाओ।
मैंने कहा- लेट नहीं सकती लहंगे और ब्लाउज में सलवटें आ जाएंगी।
इस पर ज्योति बोली- गरिमा सही कह रही है। लेटने से कपड़े बिगड़ जाएंगे उसके! जो करना है खड़े होकर कर लो … इससे कपड़े भी नहीं बिगड़ेंगे और काम भी हो जाएगा।
मैंने आँख मारती हुई कहा- वाह … तुझे तो बड़ा एक्सपीरियंस है। पॉर्न मूवी की डायरेक्टर रही है क्या?
ज्योति हंसती हुई बोली- मूवी बनायी भले न हो … लेकिन देखी तो बहुत हैं।
सोनू ने बेड के बगल रखे स्टडी टेबल की ओर इशारा करते हुए बोला- कोई बात नहीं दीदी … तुम यहाँ आकर खड़ी हो जाओ।
मैं बेड से उठकर बेड के बगल रखे एक स्टडी टेबल का टेक लेकर खड़ी हो गयी।
सोनू ठीक मेरे सामने आकर खड़ा हो गया और फिर उसने झुककर नीचे से पकड़कर लहंगा कमर तक पूरा ऊपर ऊठा दिया।
लहंगा काफी हैवी था तो उसने मुझे लहंगे को पकड़ाते हुए बोला- दीदी इसे पकड़ी रहो।
मैंने पैंटी कार में उतार दी थी तो मेरी नंगी चूत सोनू के सामने थी।
मेरी चूत देखते ही सोनू बोला- वाह … एकदम पाव रोटी की तरह मस्त फूली हुई चूत है। जीजा जी की किस्मत बड़ी अच्छी है जो तुझसे शादी हो रही है उनकी! काश तेरी जैसी बीवी मुझे भी मिल जाती!
मैं हंसती हुई बोली- उनसे अच्छी तो तेरी किस्मत है तू तो छोटे पर से ही मजे ले रहा है इसके!
इस पर ज्योति हंसती हुई सोनू से बोली- वैसे भी उसके जैसी बीवी पाकर तू करेगा तो वही न जो अभी कर रहा है। और जब बहन ही बीवी के मजे दे रही हो तो पति बनकर क्या करेगा।
हम तीनों हँस दिये।
फिर सोनू मेरे सामने करीब-करीब सट कर खड़ा हो गया और अपनी टी-शर्ट मोड़ कर पेट पर कर लिया और लोअर और अण्डरवियर को एक झटके में खींच कर घुटनों तक कर दिया जिससे उसका लण्ड ठीक मेरी चूत के सामने था। उसका लण्ड एक तना हुआ था।
मैंने कहा- भाई प्लीज … अन्दर नहीं, ऊपर-ऊपर कर ले ना!
सोनू बोला- अरे अन्दर नहीं डालूंगा दीदी … बस एक बार इस चिकनी चूत से लण्ड को रगड़ लेने दो।
फिर वह खिसक कर एकदम मेरे पास आ गया और एक हाथ से अपने लण्ड को पकड़ कर उसकी स्किन को पूरा पीछे कर दिया और सुपारे को मेरी चूत से रगड़ने लगा।
मैं भी हल्के – हल्के अपनी कमर को हिलाती हुई लण्ड और चूत की रगड़ायी में उसका साथ देने लगी।
करीब एक मिनट तक इसी तरह खड़े-खड़े लण्ड को मेरी चूत से रगड़ने के बाद सोनू मेरे सामने घुटनों के बल बैठ गया।
मेरी नंगी गीली चूत एकदम सोनू के मुँह के सामने थी।
मैं टेबल का टेक लेकर थोड़ा पीछे झुक गयी और कमर को आगे कर अपनी जांघों को फैला दिया और सोनू को चूत चाटने की पूरी जगह दे दी।
सोनू ने हाथों से मेरी दोनों जांघों को थोड़ा और फैलाया और मेरी चूत के पास अपना मुंह लाकर चूत को सूँघते हुए बोला- मस्त खुशबू आ रही है दीदी! कहीं ऐसा न हो कि तुम्हारी चूत सूंघते ही जीजा जी के लण्ड से पानी निकल जाए!
इस पर मैं, ज्योति दोनों हंस दी।
मैंने कहा- अभी कोई आ जाएगा तो खुश्बू ही लेते रह जाओगे। जल्दी काम करो अपना!
इसके बाद सोनू ने पहले मेरी चूत को चूमा फिर उंगलियों से चूत के दोनों फाँकों को फैलाकर जीभ से चाटने लगा।
सोनू जीभ निकाल कर लगातार चूत चाटे जा रहा था बीच-बीच में अपनी जीभ चूत के अंदर भी डाल दे रहा था।
मैं हाथ में लहंगे को उठाये हल्का-हल्का कमर हिलाती हुई चूत चटवा रही थी।
चूत चाटते हुए सोनू अपने हाथों से मेरी जांघों को भी सहलाता जा रहा था।
अपनी शादी के दिन दुल्हन के जोड़े में अपने ही भाई से इस तरह अपनी चूत चटवाते हुए मेरे अंदर भी बेहद एक्साइटमेंट होने लगी थी।
उधर ज्योति बेड पर बैठ हम दोनों भाई-बहन के सेक्स के खेल को देख रही थी।
हालाँकि यह कोई पहली बार नहीं था … लेकिन आज का माहौल थोड़ा अलग था।
मैंने देखा कि ज्योति का चेहरा भी उत्तेजना में लाल हो रहा था।
अपनी कमर को हल्का-हल्का आगे-पीछे कर हिलाती हुई चूत चटवा रही थी साथ ही मेरे मुंह से हल्की-हल्की सिसकारी भी निकल रही थी- आआ आआहहह … आहह!
उधर सोनू तेजी से जीभ निकाल-निकाल कर आइसक्रीम की तरह चूत चाटने लगा था।
कुछ देर बाद सोनू ने मेरे एक पैर को उठाकर अपने कंधे पर रख लिया जिससे अब उसका मुंह आराम से मेरी दोनों जांघों के बीच फिट हो गया और वह आराम से मेरी गांड दबाते और जांघों को सहलाते हुए चूत चाटने लगा।
सोनू इतने मजे से चूत चाट रहा था कि मेरे मुंह से सिसकारियां निकल रही थीं।
वह जीभ से चूत के दाने को भी बीच-बीच में छेड़ने लगता था और फिर पूरी जीभ चूत में घुसेड़ कर हिलाने लगता था।
मैं सातवें आसमान पर थी।
बीच-बीच में सोनू अपने मुंह को ऐसे मेरी चूत पर धक्का देता था जैसे बछड़ा दूध के लिए गाय के थन पर मुंह मारता है।
मैं सोनू के सिर को पकड़े हुए थी और मेरे मुंह से तेज सिसकारियां निकल रहीं थीं- आहह हहह हह … सोनूऊ ऊऊऊ … और तेज चाटो भाई ईईई … ओओ ओओ ओह हहहह!
उधर सोनू जीभ निकालकर लपर-लपर करते हुए तेजी से चूत चाट रहा था।
सोनू को चूत चाटते हुए करीब 5-6 मिनट ही हुए होंगे कि अचानक मैंने अपनी कमर को हिलाने की स्पीड बढ़ाती हुई चूत चटवाने लगी।
मेरा चेहरा और शरीर एकदम गर्म हो गया था।
मेरे मुँह से तेज सिसकारी निकलने लगी।
मैं तेजी से कमर को हिलाती हुई बड़बड़ाने लगी- आआ आआआ आह हहह … सोनू उउ उउउउ … आआ आहह!
सोनू समझ गया कि मैं झड़ने वाली हूँ।
वह अपने हाथों को पीछे ले जाकर नंगी गांड को सहलाते और दबाते हुए और तेजी से चूत चाटने लगा।
मैंने अपने होठों को दांतों के बीच भींच लिया था, मेरे हाथ इतने कांपने लगे कि लहंगा मेरे हाथ से छूट गया और सोनू एकदम लहंगे के नीचे छुप गया।
तब मैंने अपने एक हाथ को टेबल पर रख दिया और दूसरे हाथ से लहंगे के ऊपर से ही सोनू के सिर को पकड़ कर तेजी से कमर हिलाती हुई चूत चटवाने लगी।
और अचानक ‘आआ आआआ आहहह हह हहह …’ की तेज सिसकारी मेरे मुँह से निकली और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया।
मैं तेजी से हाँफ रही थी।
मैंने सोनू के सिर को चूत से दबाए हुए ही अपनी जांघो को सिकोड़ लिया था.
सोनू का मुँह मेरी दोनों जाघों के बीच दब गया था।
करीब 25-30 सेकेण्ड के बाद मैं थोड़ा नॉर्मल हुई तो सोनू के सिर से हाथ हटाया।
जिसके बाद सोनू लहंगे को धीरे से ऊपर उठाते हुए अपने चेहरे को चूत से हटाकर लहंगे से बाहर किया।
मैंने देखा कि उसकी नाक और मुंह पर मेरी चूत का पानी लगा हुआ था।
सोनू ने बैठे-बैठ ही रूमाल निकाल कर पहले मेरी चूत को अच्छे से साफ किया और फिर अपना मुंह पोछते हुए खड़ा हो गया और बोला- अब तुम्हारी बारी है दीदी!
मेरी चूत का पानी अभी तुरंत निकला था तो मेरा अभी कुछ वैसे भी करने का मन नहीं था।
मैं टेबल के पास से हटकर ज्योति के बगल बेड पर आकर बैठते हुए कहा- भाई, प्लीज ज्योति से करवा ले!
और फिर ज्योति की तरफ देखती हुई बोली- ज्योति प्लीज, तू कर दे ना यार!
ज्योति कमेंट कर मुस्कुराती हुई बोली- अच्छा मतलब असली मजा तुम ले लो और जब मजा देने की बारी आयी तो मुझे बोल रही हो?
मैं हंसती हुई बोली- वैसे मजा तो तुम भी ले रही थी लाइव टेलीकास्ट देखती हुई!
सोनू का लोअर पहले से ही नीचे था और अपने लण्ड को हाथ से पकड़कर ठीक मेरे सामने आ गया और बोला- दीदी, उनकी चिंता छोड़ दो. वह तो मैं रात में मौका मिलते ही उन्हें भी मजा दे दूँगा। मेरा काम जल्दी से कर दो, मुझे नीचे कई काम करने हैं और तैयार भी होना है अभी!
इस पर मैं और ज्योति हंस दी।
ज्योति बोली- मुझे भी अभी तैयार होना है इसलिए जो करना है जल्दी कर लो।
दरअसल ज्योति ने भी अभी तक कपड़े नहीं बदले थे।
हालांकि ज्योति की इस बात पर सोनू ने बताया- अरे बारात दस-साढ़े दस से पहने नहीं आएगी। इसलिए तैयार होने के लिए बहुत समय मिलेगा।
मैंने कहा- ठीक है … लेकिन थोड़ी देर … बाकी का काम ज्योति कर देगी।
सोनू बोला- ठीक है लेकिन जल्दी करो।
ये कहकर सोनू अपने लण्ड को ठीक मेरे मुंह के सामने करके खड़ा हो गया।
मैंने हाथ से लण्ड की चमड़ी को पीछे खींचा और सुपारे को मुँह में लेकर चूसने लगी।
करीब डेढ़ दो मिनट तक चूसने के बाद मैंने लण्ड को मुँह से निकाला और ज्योति की तरफ देखती हुई बोली- अब तू कर!
जिसके बाद सोनू खिसककर ज्योति के सामने चला गया।
ज्योति लण्ड को देखकर मुस्कुराती हुई मुझसे बोली- अपनी निशानी अपने भाई के लण्ड पर छोड़ दिया है तूने!
दरअसल मेरे होठों की लिपस्टिक सोनू के लण्ड पर गोल-गोल लगे हुए थे।
मैं मुस्कुराने लगी।
फिर ज्योति, मेरे थूक से सने लण्ड के चिकने सुपारे को मुँह में लेकर चूसने लगी।
सोनू भी ज्योति के सिर को अपने हाथ से पकड़ धीरे-धीरे अपनी कमर हिलाते हुए लण्ड चुसवा रहा था।
अभी लण्ड चूसते हुए करीब 2-3 मिनट ही बीते होंगे कि सोनू के मुँह से हल्की-हल्की सिसकारी निकलने लगी और वह थोड़ा तेजी से अपनी कमर को हिलाने लगा।
शायद सोनू के लण्ड का पानी निकलने वाला था।
तभी अचानक ज्योति ने लण्ड को मुँह से निकाल दिया और मुझसे बोली- ले भाई, तूने शुरू किया था और अब तू ही खत्म कर!
ज्योति चाहती थी कि सोनू मेरे मुँह में ही झड़े!
सोनू भी यही चाहता था.
शायद तभी उसने तुरंत कहा- हाँ दीदी, प्लीज कम से कम आज तो तुम्हारे मुँह में ही लण्ड का पानी निकालना चाहता हूँ।
यह कहते हुए सोनू मेरे सामने आ गया।
मैं बिना कुछ बोले मुस्कुराती हुई उसके लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगी।
सोनू ने अपने हाथ को मेरे बालों पर फेरते हुए कमर हिलाते हुए लण्ड चुसवाने लगा।
अभी एक मिनट ही बीते होंगे कि तभी सोनू तेजी से अपनी कमर को हिलाते हुए सिसकारी लेने लगा- आआ आआ आआह हहह … दीदी ईईई … आह हहह!
और अचानक एक तेज धार उसके लण्ड से निकली जो सीधा मेरे गले में उतरती चली गयी।
फिर सोनू कमर को दो-तीन झटके देते हुए अपने लण्ड का पूरा पानी मेरे मुँह में निकाल दिया।
सोनू तेजी से हाँफ रहा था.
उधर मेरा मुँह सोने के वीर्य गाढ़े-गाढ़े वीर्य से भर गया जिसे मैं एक झटके के साथ गटक गयी।
करीब 15-20 सेकेण्ड तक लण्ड को मुँह में लिए ही रही।
फिर जब मैंने लण्ड के पानी को अच्छी तरह पी लिया तो लण्ड को मुँह से निकाला।
ज्योति ने तुरंत मुझे पर्स से निकाल कर टीश्यू पेपर दिया जिससे मैंने अपने होंठों को पौंछा।
उधर सोनू ने भी टिश्यू पेपर से लण्ड के को अच्छी तरह साफ कर अपने लोअर को ऊपर कर लिया।
महज 15 मिनट के अंदर ही सारा खेल हो गया।
उसके बाद सोनू कमरे से चला गया और हमने दोबारा दरवाजा अंदर से लॉक कर लिया।
उसके बाद सोनू कमरे से चला गया और ज्योति ने दोबारा दरवाजा अंदर से लॉक कर लिया।
दरवाजा बंद कर मैं अपने कपड़े ठीक करने लगी.
वहीं ज्योति भी कपड़े बदलने की तैयारी करने लगी।
तभी मेरे मोबाइल की घंटी बजने लगी.
देखा तो मेरे पापा की कॉल आ रही थी।
मैंने कॉल रिसीव किया तो पापा बोले- कहाँ हो बेटा?
तो मैंने कहा- होटल में ऊपर अपने रूम में!
पापा- तुम्हारी मम्मी कहाँ हैं? तुम्हारे साथ कौन है रूम में?
मैंने कहा- मम्मी तो नीचे ही हैं मेहमानों के साथ … मेरे साथ रूम में ज्योति है।
पापा बोले- ओके, मैं आ रहा हूँ पांच मिनट में … कुछ काम है।
फोन रखने के बाद मैंने ज्योति से कहा- पापा आ रहे हैं किसी काम से!
ज्योति आँख मारते हुए बोली- वही काम तो नहीं है जो सोनू अभी करके गया है।
इसपर मैंने उसके गाल पर चिकोटी काटते हुए मुस्कुरा कर कहा- तो दिक्कत क्या है? तू है तो चिंता की कोई बात ही नहीं … मुझे पता है तू सब संभाल लेगी। जैसे अभी संभाला था।
फिर मैंने ज्योति को पापा की ख्वाहिश बता दी कि वे भी मुझे दुल्हन के कपड़ों में चोदना चाहते हैं।
ज्योति बोली- सच में अंकल इसीलिए आ रहे हैं क्या?
मैंने कहा- मुझे क्या पता … बस बोला है कि पाँच मिनट में आ रहा हूँ और पूछ रहे थे कि साथ में कौन है!
इस पर ज्योति कमेंट कर मुस्कुराती हुई बोली- वैसे ये तो सच है कि अंकल तुझे इस रूप में देखेंगे तो कितना भी मना कर ले वे बिना चोदे मानेंगे नहीं!
मैं मुस्कुराती हुई बोली- अरे ये भी तो हो सकता है किसी और काम से आ रहे हों।
ज्योति बोली- देख अगर तू तैयार हो तो … अंकल से बस इतना बोल देना कि जो करना है वे जल्दी से कर लें।
मैंने कहा- लेकिन किसी को पता चला कि पापा इतनी देर तक मेरे कमरे में क्या कर रहे हैं वह भी दरवाजा अंदर से बंद करके तो?
ज्योति बोली- वह तू मेरे पर छोड़ दे … वैसे भी सब नीचे नाश्ते-पानी और डांस में बिजी हैं; कोई ऊपर नहीं आने वाला। बस एक सोनू का डर था तो उसका काम हो गया है वह अब नहीं आने वाला।
अभी हम ये बातें कर ही रहे थे कि दरवाजे पर नॉक हुई।
हम समझ गई कि पापा हैं।
ज्योति ने तेजी से जाकर दरवाजा खोला।
देखा पापा खड़े थे।
पापा के अंदर आते ही ज्योति ने दरवाजा बंद कर अंदर से लॉक कर दिया।
मैं बेड के ऊपर बैठी थी।
पापा सीधा मेरे पास आये और मुझे देखते ही बोले- अरे वाह बेटा, तुम तो बहुत सुन्दर लग रही हो।
मैं पापा की बात सुनकर मुस्कुरा दी।
तब तक ज्योति भी पास आ गयी।
पापा बेड के पास रखे चेयर पर बैठ गये।
ज्योति भी बेड पर आकर बैठ गयी।
अभी पापा हम लोग कुछ बात करते तभी पापा की बेड पर पड़े पैंटी पर चली गयी।
पैंटी देखकर बोले- ये किसकी पैंटी है?
दरअसल मैंने सोनू के जाने के बाद पर्स से पैंटी पहनने के लिए निकाली थी लेकिन बातचीत में पैंटी पहनना भूल गयी थी और पैंटी की तरफ ध्यान भी नहीं गया कि वह बेड पर ही पड़ी है।
पापा के पैंटी देखते ही तुरंत सवाल कर देने पर मेरे मुँह से झटके से निकल गया- मेरी है।
फिर सफाई देती हुई मैं बोली- दरअसल थोड़ी टाइट हो रही थी तो बस अभी निकाल दिया था और दूसरी पहनने जा रही थी।
ज्योति समझ गयी थी कि पैंटी वाले सवाल से मैं थोड़ा घबरा गयी हूँ।
तो वह मामले को संभालती हुई हंसकर बोली- अरे नहीं अंकल, झूठ बोल रही है। पैंटी इसे टाइट नहीं हो रही थी. ये तो जब आपने फोन करके बताया कि आप आ रहे हैं तो इसने पहले ही पैंटी निकाल दी थी।
फिर मेरी और देखकर आँख मारती हुई बोली- ताकि अगर आप अपनी कोई तमन्ना पूरी करना चाहें तो ज्यादा टाइम न लगे।
मैं ज्योति को हंसकर थप्पड़ मारती हुई बोली- बहुत बद्तमीज हो गयी है ये लड़की। कुछ भी बकवास करने लगती है।
ये सब सुनकर पापा का चेहरा खिल गया था और उन्हें मजा आ भी रहा था।
वे मुझसे मुस्कुराते हुए बोले- सच में तुमने पैंटी नहीं पहनी है क्या अभी?
ज्योति हँसती हुई बोली- अरे अंकल, सच में इसने पैंटी नहीं पहनी है। विश्वास नहीं हो रहा तो लहंगा ऊपर करके आप खुद ही देख लीजिए।
कहकर ज्योति हंसने लगी।
मैंने उसे फिर थप्पड़ मारते हुइ कहा- चुप कर …
फिर मैं पापा से बोली- बोला तो पापा टाइट हो रही थी इसलिए अभी निकाली है।
पापा हंसते हुए बोले- अरे मार क्यों रही हो उसे? ठीक बोल रही है वो … जब तक खुद न देख लूं तो कैसे विश्वास कर लूँ?
इस पर ज्योति बोली- हाँ और नहीं तो क्या … गरिमा दिखा दो, नहीं तो खड़ी हो जाओ अंकल खुद ही देख लेंगे।
फिर वह पापा से बोली- क्यों अंकल? सही है कि नहीं?
पापा मेरी तरफ देखते हुए मुस्कुराकर बोले- हाँ बिल्कुल!
तभी पापा के मोबाइल की घंटी बजने लगी।
पापा ने पहली बार तो नहीं उठाया.
फिर जब दो बार कॉल आयी तो पापा ने फोन उठाया।
उधर से किसी ने कुछ कहा तो पापा बोले- हाँ-हाँ अभी आता हूँ 10-15 मिनट में! थोड़ा ज़रूरी काम से आया था अभी!
फिर फोन काटने के बाद पापा ने मोबाइल को फ्लाइट मोड पर डाल दिया।
फोन रखकर पापा दोबारा हम दोनों की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए बोले- तो मैं खुद देखूं कि तुमने पैंटी पहनी है या नहीं … या तुम दिखाओगी?
मैंने थोड़ा नखरा दिखाते हुए कहा- क्या पापा आप भी …
अभी और कुछ बोलती इससे पहले ज्योति हँसती हुई बोली- अरे अंकल, आप ही देख लीजिए … ये दुल्हन क्या बन गयी है इसके तो नखरे बढ़ गये हैं।
मैंने ज्योति को फिर थप्पड़ मारती हुई कहा- तू चुप रहती है कि नहीं?
फिर पापा को तो जैसे मौका चाहिए था, वे बोले- ज्योति ठीक कह रही है. लगता है मुझे खुद ही देखना पड़ेगा। वैसे भी मुझे नीचे जल्दी जाना है. बहुत काम भी है और सारे गेस्ट मुझे ढूँढ रहे होंगे।
तब मैंने कहा- ठीक है फिर आप खुद ही देख लीजिए।
मैं समझ गयी कि सोनू तो रिक्वेस्ट करने पर मान भी गया था लेकिन पापा मेरी चुदाई करने का मन बनाकर आये हैं इसलिए ये बिना मेरी चूत मारे मानेंगे नहीं।
वहीं पापा को भी अब हमारी बातों में मजा आ रहा था।
सच कहूँ तो सोनू से चूत चटवाने और फिर उसका लण्ड चूसने के बाद से मेरी चूत में फिर से थोड़ी कुलबुली मचने लगी थी।
ज्योति बेड पर मेरे बगल बैठी थी और पापा मेरे सामने कुर्सी पर बैठ हुए थे।
मेरे खुद ही देख लेने की बात पर पापा ‘ठीक है’ बोले और अपनी कुर्सी को आगे खिसका कर एकदम मेरे पास आ गये।
मैं बेड के किनारे पैर नीचे करके बैठी थी।
पापा नीचे झुक कर मेरे लहंगे को उठाने लगे।
मेरे पैरे बेड से नीचे लटके होने की वजह से लहंगा घुटनों के थोड़ा ऊपर तक आकर रुक गया।
पापा मेरी तरफ देखने लगे।
ज्योति बोली- तू खड़ी हो जा तो फिर अंकल आराम से देख लेंगे।
पापा तुरंत बोले- हाँ ये ठीक रहेगा।
मैं हंसती हुई बोली- हाँ, आपको तो बस जल्दी पड़ी है देखने की। ऐसे लग रहा है जैसे पहली बार देख रहे हैं।
पापा बोले- दुल्हन के जोड़े में यानि लहंगा और चोली में तो पहली बार ही देख रहा हूँ ना तुम्हें! कुछ याद है? मैंने अपने मन की एक इच्छा तुझसे बतायी थी। आज वह पूरी कर दो।
स्टोरी में मैंने पहले ही आपको बताया था कि शादी तय हो जाने के बाद ही पापा ने कई बार मुझसे ये कह चुके कि वह शादी वाले दिन दुल्हन के कपड़ों यानि कि लहंगा-चोली में मेरे साथ सेक्स करना चाहते हैं।
ज्योति हंसती हुई बोली- अरे अंकल, इसीलिए तो आपके आने से पहले ही इसने पैंटी उतार दी थी ताकि आप अपनी इच्छा आराम से पूरी कर लें।
जिस पर हम तीनों हंस दिये।
फिर पापा मुझसे बोले- खड़ी हो जाओ बेटा!
मैं बेड से नीचे उतर कर पापा के सामने खड़ी हो गयी।
पापा कुर्सी पर बैठे-बैठे ही नीचे झुके और मेरे लहंगे को पकड़कर ऊपर उठाने लगे और फिर कमर तक पूरा ऊपर उठा दिया।
मेरी नंगी चूत पापा के सामने थी।
कुछ देर तक तो लंहगे के नीचे से मेरी चूत को एकटक देखने के बाद पापा मुस्कुराते हुए बोले- वाह, बाल साफ कर एकदम सुहागरात की तैयारी कर ली है तुमने!
और फिर लंहगे को एक हाथ से पकड़ा और दूसरे हाथ को मेरी चूत के ऊपर रख कर चूत सहलाने लगे।
करीब 20 सेकेण्ड तक इसी तरह चूत को सहलाने के बाद पापा मुझसे बोले- बेड पर लेटो, थोड़ा अच्छे से देख लूँ।
मैंने कहा- पापा, लेटूंगी तो पूरे कपड़े अस्त-व्यस्त हो जाएंगे। फिर से पार्लर जाना पड़ेगा. इसलिए जो करना है खड़े होकर ही कर लीजिए।
इस पर पापा बोले- कोई बात नहीं बैठने में तो कोई दिक्कत नहीं।
मैंने कहा- नहीं, बैठने में कोई दिक्कत नहीं।
यह कहकर मैं बेड पर बैठने लगी।
जिस पर पापा कुर्सी से खड़े होते हुए बोले- बेड पर नहीं, इस पर बैठो।
फिर मुझे कुर्सी पर बैठने का इशारा किया।
मैं समझ नहीं पायी कि पापा खुद खड़े होकर मुझसे कुर्सी पर बैठने को क्यों कह रहे हैं।
फिर मैं कुर्सी पर बैठ गयी।
पापा मेरे सामने आकर सीधा नीचे घुटनों के बल बैठ गये और मुझसे बोले- अब अपने पैरों को कुर्सी के हैंडल पर रख लो।
मैं समझ गयी कि पापा चूत चाटना चाहते हैं।
फिर मैंने अपने लहंगे को हाथ से पकड़ा और पैर को कुर्सी के हैंडल पर रखने की कोशिश करने लगी।
लेकिन मैं रख नहीं पा रही थी।
मैंने कहा- आप ही कर लीजिए, मुझसे नहीं हो रहा।
तब पापा ने जमीन पर बैठे-बैठे ही मेरे लहंगे को नीचे से पकड़ कर मेरी जांघों तक कर दिया.
इसके बाद उन्होंने बारी-बारी से मेरे दोनों पैरों को उठाकर कुर्सी के दोनों हैंडल पर अगल-बगल फैला कर रख दिया।
मेरे दोनों पैर अगल-बगल कुर्सी के हैंडल पर होने की वजह से लंहगा पूरा खिसक कर मेरे पेट पर आ गया था जिससे मेरी फैली हुई जांघों के बीच नंगी चूत ठीक पापा के आँखों के सामने थी।
पापा घुटनों के बल नीचे मेरे सामने बैठे थे।
अपने हाथों से पापा मेरी दोनों चिकनी जांघों को चूत के पास सहलाने लगे और फिर अपने मुंह को मेरी दोनों जांघों के बीच लाकर मेरी चूत पर किस किया।
मेरे शरीर में जैसे करंट दौड़ गया।
मेरी चूत पर किस करने के बाद पापा जीभ निकालकर चूत को आइसक्रीम की तरह चाटना शुरू कर दिया।
मैं तो जैसे सातवें आसमान पर पहुँच गयी थी।
मैंने अपने दोनों हाथों को पापा के सिर पर रख दिया और आंखें बंद कर हल्के – हल्के अपनी कमर को हिलाती हुई चूत चटवाने लगी।
अभी कुछ देर पहले भाई ने मेरी चूत चाटी थी और अब टांगें फैलाये पापा से अपनी चूत चटवा रही थी।
बीच में मेरी नजर ज्योति की तरफ गयी तो देखा वह बेड पर बैठे हुए हम बाप-बेटी के सेक्सी खेल को देख रही थी।
पहले भाई-बहन और अब बाप-बेटी के बीच चल रहे इस सेक्स के खेल को देखकर शायद वह भी उत्तेजित हो गयी थी इसलिए वह अपने एक हाथ को स्कर्ट के अन्दर ले जाकर अपनी चूत को धीरे-धीरे सहला रही थी।
चूत चाटते हुए बीच-बीच में पापा हाथों के अँगूठे से चूत के दोनों फांकों को फैला देते थे और अपनी पूरी जीभ को मेरी चूत के अंदर डाल कर हिलाने लगते थे।
मेरे मुंह से हल्की-हल्की सिसकारी निकल रही थी।
करीब 2 मिनट तक चूत को इसी तरह चाटने के बाद पापा ने अपने मुंह को मेरी चूत से हटा लिया और खड़े हो गये।
फिर वे खिसक कर कुर्सी के बगल में आकर एकदम मेरे मुंह के पास खड़े हो गये और अपने कुर्ते को उपर उठाकर कमर के पास कर दिया।
नीचे उन्होंने रेडिमेड धोती पहनी थी जिसमें इलास्टिक लगी थी।
उन्होंने अपनी धोती को कमर के पास से पकड़ कर एक झटके में नीचे कर दिया।
धोती के साथ ही उनका अण्डरवियर भी नीचे चला गया।
जिससे उनका लण्ड ठीक मेरे मुंह के सामने था जो पूरी तरह तो नहीं लेकिन लगभग खड़ा था।
पापा ने लण्ड को हाथ से पकड़ा और उसकी चमड़ी को पूरी पीछे कर सुपारे को मेरे होंठ से सटाते हुए बोले- चूसो बेटा इसे! अब पता नहीं कब मौका मिलेगा।
मैंने मुंह खोला सुपारे को पूरा मुंह में लेकर चूसने लगी।
लण्ड चुसवाते हुए ही पापा ने खड़े-खड़े अपने कुर्ते को पूरा निकाल दिया और बेड पर फेंक दिया।
उसके बाद वे एक हाथ अपनी कमर पर और दूसरा हाथ मेरे सर पर रखकर कमर हिलाते हुए लण्ड चुसवाने लगे।
मैं भी मुंह को आगे-पीछे कर उनका लण्ड चूसे जा रही थी।
मेरे पैर अभी भी उसी तरह कुर्सी के दोनों हैण्डल पर थे और पापा के लण्ड को चूसती हुई मैं एक हाथ से चूत को भी सहलाने लगी।
एक मिनट तक इसी तरह लण्ड चुसवाने के बाद पापा ने मेरे मुँह से लण्ड को निकाल लिया।
फिर वे मेरे सामने आकर खड़े होते हुए बोले- खड़ी हो जाओ बेटा!
मैं लहंगे को उसी तरह पकड़े कुर्सी से उठकर खड़ी हो गयी।
मैंने लहंगा नीचे नहीं किया था।
पापा बोले- पीछे घूम जाओ और कुर्सी का टेक ले लो।
मैं समझ गयी कि पापा को जल्दी भी है और चुदाई के मूड में हैं।
वरना अक्सर तो ये मेरे मुँह में लण्ड का पानी निकालते थे।
मैं घूम गयी.
अब मेरी पीठ पापा की तरफ थी।
मैं अभी भी लहंगे को ऊपर किये हुए पकड़ी थी।
पापा ने पीछे से मेरे लहंगे को पकड़ लिया और जिसके बाद मैंने लहंगे को छोड़ दिया और अपने दोनों हाथों को कुर्सी के हैण्डल पर टिका दिया और झुक कर खड़ी हो गयी।
तब पापा ने लहंगे को पूरा ऊपर उठाकर मेरी कमर और पीठ पर रख दिया जिससे मेरी नंगी गांड और चूत अब पापा के लण्ड के सामने थी।
मेरे थूक से पापा का लण्ड एकदम चिकना और गीला था, वहीं मेरी चूत भी एकदम गीली थी।
पापा मेरी गांड को सहला रहे थे।
मैं भी गांड उचकाए अपने चूत में पापा के लण्ड का इंतजार कर रही थी कि तभी मैंने गांड पर गर्म – गर्म सांसों को महसूस किया।
मैंने पलट कर देखा तो पापा एक बार फिर नीचे घुटनों के बल बैठे हुए थे।
अभी मैं कुछ समझती … तभी पापा ने गांड की दरार को अगल-बगल थोड़ा फैलाया और अपनी जीभ मेरी गांड के छेद पर रख दी।
मेरे मुंह से आआ आआह हहह … की सिसकारी निकल गयी।
मैं एकदम सातवें आसमान पर पहुँच गयी थी।
पापा अपना मुँह मेरी गांड की दरार के बीच फंसाए जीभ से मेरी गांड के छेद और आसपास की जगह को चाट रहे थे।
मैं दांतों को होठों में भींचे हल्की-हल्की सिसकारी निकालती हुई अपनी शादी के दिन दुल्हन बनकर अपने बाप से गांड चटवा रही थी।
करीब एक मिनट तक इसी तरह गांड की छेद को चाटने के बाद पापा खड़े हो गये।
मैं समझ गयी कि चूत की चुदाई बाद में करेंगे पहले ये अपना मनपसंद काम करेंगे मेरी गांड मारने का!
फिर वही हुआ.
पापा के थूक से मेरी गांड एकदम चिकनी हो चुकी थी.
उसके बावजूद पापा ने मेरी गांड के छेद पर और अपने लण्ड पर थूक लगाया।
फिर मेरी गांड की दोनों दरारों को अगल-बगल पूरा फैलाकर पापा ने गांड की छेद पर अपना गर्म – गर्म लण्ड रख दिया।
फिर गांड पर से हाथ हटाकर मेरी कमर को दोनों हाथों से पकड़ा और तेज धक्का लगाया।
मेरे मुँह से आआ आआआह हहह … पापा पापआआ आआआ … की तेज सिसकारी निकल गयी।
पापा का आधा लण्ड मेरी गांड में घुस गया था।
करीब 10 सेकेण्ड रुकने के बाद पापा ने हल्के-हल्के तीन-चार धक्के लगाए और पापा का पूरा लण्ड जड़ तक मेरी गांड में घुस गया था।
फिर धीरे-धीरे धक्का मारते हुए पापा मेरी गांड मारने लगे, डॉटर फादर सेक्स का मजा लेने लगे।
मैं भी मुंह से सिसकारी लेती हुई कमर हिलाती हुई पापा से गांड मरवा रही थी।
एक-डेढ़ मिनट तक इसी तरह गांड मारने के बाद पापा ने लण्ड को मेरी गांड निकाल लिया।
फिर लण्ड को मैंने अपनी चूत पर महसूस किया।
पापा ने चूत में लण्ड को डालने की जगह एक हाथ को मेरी गांड पर रखे हुए दूसरे हाथ से अपने लण्ड को पकड़कर मेरी चूत पर रगड़ने लगे।
15-20 सेकेण्ड तक इसी तरह चूत से लण्ड को रगड़ने के बाद पापा ने दोनों हाथ से मेरी कमर को पकड़े एक झटके में पूरा लण्ड मेरी चूत में डाल दिया।
मेरे मुँह से तेज सिसकारी निकली।
फिर पापा ने धक्का देते हुए मेरी चुदाई शुरू कर दी।
मैं भी गांड उचका-उचका कर पापा से चुदवाने लगी।
दुल्हन की तरह सजने के बाद अपनी बेटी को चोदने का पापा का सपना पूरा हो रहा था और तेजी से धक्का देते हुए वे मेरी चुदाई कर रहे थे।
थप-थप की आवाज से कमरा गूँज रहा था।
पापा के चोदते हुए धीमे-धीमे सिसकारी भी लेते जा रहे थे- आहह हहहह … बेटा … आहह हहहह!
मैं मुंह से भी हल्की-हल्की सिसकारी लेती हुई चुदवा रही थी।
4-5 मिनट बीते होंगे कि मेरा चेहरा एकदम गर्म हो गया और मैं तेजी से अपनी गांड और कमर को हिलाती हुई चुदवाने लगी।
मेरी चूत का पानी निकलने वाला था।
उधर शायद पापा भी झड़ने वाले थे और वे भी चुदाई की स्पीड बढ़ाते हुए तेजी से मेरी गांड पर धक्के लगाने लगे।
इधर मेरी चूत के लिए अब पापा के लण्ड के धक्के बर्दाश्त के बाहर हो गये थे और अचानक मेरे शरीर में अकड़न होने लगी.
मेरी आँखें बंद हो गयीं … मेरे मुँह से एक तेज सिसकारी निकली- आआ आआआह हहहह … पापा पापा पा … बस सस्स सस!
और फिर मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया।
तभी अचानक पापा ने भी एक तेज धक्का लगाया और फिर मेरी कमर पकड़ कर एकदम से अपने लण्ड से सटा ली.
उनके लण्ड का गर्म पानी मैंने चूत में महसूस किया.
और फिर पापा ने कमर को दो-तीन तेज झटके देते हुए अपने लण्ड का सारा पानी मेरी चूत में निकाल दिया।
मैं अपनी जांघों को सिकोड़ कर अपने साँसों पर काबू पाने की कोशिश कर रही थी.
वहीं पापा अपना लण्ड मेरी चूत में डाले हाम्फ रहे थे।
मैंने लहंगे को, जो आगे की ओर से थोड़ा नीचे लटक रहा था, एक हाथ से पकड़ कर पूरा ऊपर कर दिया कि कहीं पापा का वीर्य उस पर न पड़ जाए।
करीब 30 सेकेण्ड तक इसी तरह चूत में लण्ड डाले पापा खड़े रहे और फिर नॉर्मल होने के बाद उन्होंने चूत से लण्ड को निकाल लिया।
जैसे ही पापा ने चूत से लण्ड को निकाला, चूत का पानी और पापा के लण्ड का गाढ़ा-गाढ़ा वीर्य मेरी चूत से निकल कर जांघों पर बहने लगा।
ज्योति ने पापा को लण्ड साफ करने के लिए टिश्यू पेपर दिया और फिर मेरे पीछे आकर एक छोटे तौलिये से मेरी चूत और जांघ पर फैले पानी को पौंछने लगी।
जब उसने अच्छे से पौंछ दिया, तब मैं सीधी खड़ी हुई और लहंगे को धीरे से नीचे कर दिया।
इतनी देर में पापा ने भी अपने कपड़े ठीक से पहन लिए और अपना मोबाइल लेकर मुझसे मुस्कुराते हुए बोले- थैंक्यू बेटा, आज तुमने अपने पापा का एक सपना पूरा कर दिया।
मैं बिना कुछ बोले सिर्फ मुस्कुरा दी।
मेरी चुदाई करने के बाद पापा दरवाजा खोल कर बाहर निकल गये।
ज्योति ने जाकर दरवाजा बंद कर दिया।
मैं ज्योति से हंसती हुई बोली- आज तो तू सिर्फ दर्शक बनकर पॉर्न मूवी का लाइव शो देख रही है।
ज्योति हंसकर बोली- अरे यार, तुम्हारे सोनू के टाइम तो ज्यादा कुछ नहीं हुआ। लेकिन तुम बाप-बेटी की चुदाई देख कर मेरी चूत में तो भयंकर खुजली शुरू हो गयी थी। जब बर्दाश्त नहीं हुआ तो उधर अंकल और तुम चुदाई में जुटे थे, इधर मैंने भी अपनी स्कर्ट उठायी चूत में उंगली करने लगी थी। तुम लोगों के झड़ने से थोड़ा पहले ही मेरी भी चूत का पानी निकल गया था।
फिर आँख मारकर मुस्कुराती हुई वह बोली- वैसे पापा भी साथ ही हैं तो कोई दिक्कत नहीं है. अभी फ्री होकर अपने रूम में जाकर उन्हें बुला लूंगी कुछ देर के लिए!
हम दोनों हंस पड़ी.
फिर ज्योति ने भी अपने कपड़े निकाले और तैयार होने लगी.
और हम बारात का इन्तजार करने लगे।
आखिरी अपडेट में आपने पढ़ा कैसे दुल्हन बनी गरिमा को पहले उसके भाई ने अपना लौड़ा चुसवाया और बाद में उसके पापा ने गरिमा की चूत और गांड मार कर अपनी फंतासी पूरी की
अब आगे…..
शादी के बाद मैं विदा होकर अपनी ससुराल आ गयी।
ससुराल में काफी मेहमान इकट्ठा थे।
ज्यादातर रिश्तेदार तो शादी के अगले दिन चले गये बस कुछ करीबी रिश्तेदार घर में रुके थे।
खैर रात में मुझे मेरे कमरे में पहुँचाया गया। मैं चुपचाप फूल से सजे बेड पर बैठी अपने पति का इंतज़ार करने लगी। कमरे में मैं ही साड़ी में किसी कामदेवी की तरह घूंघट निकाल कर बैठी हुई थी.
रोहित मेरे पास आया और मुँह दिखाई में उसने सोने की चैन अपने हाथ से पहनाई.
रोहित ने जब दुल्हन के जोड़े में मुझे देखा तो बस देखता ही रह गया. मैं बस थोड़ा शर्माई और उसने अपना मुँह नीचे कर लिया.
रोहित ने मेरा चेहरा उठा कर मेरे होंठ ध्यान से देखे और धीरे से अपना एक अंगूठा मेरे नीचे के होंठ पर फिराया.
मैंने शर्मिंदगी का ढोंग करते हुए अपनी आंखें बंद कर लीं, रोहित ने प्यार से मेरा चेहरा पकड़ कर मेरे होठों को किस किया. हम दोनों एक दूसरे को करीब 10 मिनट तक किस करते रहे.
रोहित ने फिर धीरे से पहले मेरी साड़ी को खोला, फिर ब्लाउज की डोरी खोली और मेरी गर्दन पर किस करते हुए मेरा ब्लाउज खोल कर निकाल दिया.
मैं आंखें बंद करके ‘सी सी आह्ह्ह …’ की आवाज करने लगी.
मैंने लाल रंग की फैंसी ब्रा पहन रखी थी. गोरा बदन और उस पर लाल ब्रा को देख कर रोहित की आंखें फटी की फटी रह गईं. रोहित ललचाई आंखों से अपनी बीवी को ऊपर से नीचे तक देखने लगा.
रोहित ने फिर झटके से पेटीकोट की डोरी खिंच मेरा पेटीकोट भी निकाल दिया. अब मैं सिर्फ लाल रंग की ब्रा पैंटी में बिस्तर पर बैठी थी.
मेरा संगमरमर सा चमकीला गोरा बदन गजब का कामुक नजारा बिखेर रहा था. मेरी लाल रंग की ब्रा से मेरी गोरी चुचियों के बीच की खाई देख रोहित पागल हो रहा था
रोहित बस मेरे यौवन को टकटकी लगाए देख रहा था.
मैंने अपना मुँह अपने मेहंदी लगे हाथों से छुपा लिया.
रोहित मेरे ऊपर झुक कर ब्रा में कैद मेरी चुचियो को चूमने चाटने लगा. रोहित अपने हाथों से मेरी गोल नरम चूचियो को मसलने लगा.
कमरे का माहौल, चूमने चाटने की आवाज़ों से और मेरी सिसकारियों से रोमांटिक हो गया. रोहित ने मेरा हाथ पकड़ कर पजामे के ऊपर से ही अपने लंड पर रख दिया और मुझको उसके कपड़े उतारने के लिए कहने लगा. मैंने ना नुकर करते हुए उसके पजामे का नाडा खींच दिया और बाकी के कपड़े उसे खुद उतारने को बोला
रोहित ने भी देर ना करते हुए अपने कपड़े उतार दिए और केवल कच्छे में आ गया. रोहित फ़िर से मुझे बिस्तर पर लिटाते हुए चूमने और चाटने लगा. रोहित ने जी भर के मुझे चूमा, हर जगह चाटा.
अब तक मैं भी मदहोश हो गई थी और मेरे दोनों हाथ कभी उसके बालों में, तो कभी उसकी पीठ पर चल रहे थे.
रोहित ने ज्यादा देर न करते हुए मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और चुची को किस करते हुए मेरी ब्रा भी निकाल दी.
गोल कसे बूब्स देख कर रोहित पहले तो दोनों हाथों से उन्हें महसूस करने लगा और फिर मेरी एक चूची हाथ से दबाई और दूसरी चूची को मुँह में भर कर किसी पगले की तरह से चूमने लगा, उन्हें दांतों से काटने लगा.
मैं लगातार ‘आह्ह्ह उम्म्म सीई …’ की आवाजें निकाल रही थी. रोहित अब खड़ा हुआ और मेरी पैंटी को दोनों हाथों से साइड से पकड़ लिया.
मैं समझ गई और मैंने अपनी गांड थोड़ा ऊपर उठा दी.
रोहित ने खींच कर मेरी टैंगो से मेरी पैंटी निकल दी और मेरी क्लीन शेव्ड चूत देख रोहित के दिल की धड़कनें बढ़ गईं. देर न करते हुए वो अपना मुँह मेरी चूत के पास ले गया और सूंघने लगा. उसने अपनी उंगलियों से चूत की कलियां फैलाई और सूंघने लगा.
रोहित जीभ निकाल कर किसी कुत्ते की तरह मेरी चूत चाटने लगा यह सोच कर कि ये अनछुई सील पैक चूत है.
काफी देर तक वो कभी मेरे बूब्स दबाता, तो कभी मेरी जांघों को पकड़ कर मेरी चूत चाटता. लगभाग दस से पंद्रह मिनट तक रोहित अपनी जीभ से मेरी चूत चाटता रहा
तभी मेरी जोर से आह निकाली और अकड़ते हुए मैंने अपनी चूत का पानी के के मुख पर छोड़ दिया. रोहित सारा पानी पी गया. तुम्हारी चूत का पानी तो बड़ा स्वादिष्ट है गरिमा। रोहित ने ऐसा बोला तो मैं शर्मा गई
उसकी सांसें और धड़कनें तेज हो गई थीं.
तभी रोहित ने अपना कच्छा भी निकाल दिया और वो भी पूरा नंगा हो गया. उनका भी लण्ड मोटा और बड़ा था।
रोहित जैसे-जैसे मुझे बोलते, मैं वही करती।
मैं यह जताने की कोशिश कर रही थी कि मैं पहली बार किसी मर्द के संपर्क में हूँ और मुझे सेक्स का कोई ज्ञान नहीं है। मैंने उन्हें पता नहीं चलने दिया कि उनकी ब्राइड सेक्सी चुदक्कड़ माल है.
रोहित ने अपना लण्ड चूसने को कहा.
तो मैंने नाटक करते हुए कहा- अरे, कहीं इससे मुंह में कोई बीमारी न हो जाए।
रोहित हंसने लगे- अरे ऐसा कुछ नहीं होता।
तब रोहित मुझे मोबाइल में पॉर्न मूवी दिखाते हुए उसी तरह सेक्स करने को कह रहे थे।
कुछ देर नखरा करने के बाद मैंने रोहित के लंड के सुपाड़े पर अपनी जीभ चलाई तो रोहित की सिस्की निकल गई। धीरे-धीरे मैंने रोहित का लंड आधे से ज्यादा अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी.
हलांकि मुझे लंड चुसने में मजा आ रहा था लेकिन मुझे लग रहा था कि कहीं रोहित मेरे मुँह में ही ना छूट जाए...मेरी फुद्दी में आग लगी पड़ी थी और मैं अब जल्दी से चुदवाना चाहती थी. पाँच सात मिनट चूसने के बाद मैंने रोहित का लंड मुँह से निकाल दिया और बोला कि अब मुझे कुछ हो रहा है। रोहित समझ गया कि अब मैं पूरी चुदासी हो चुकी हूं। उसने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरी जांघें खोल कर मेरी टैंगो के बीच आ गया. मेरी चूत की फाँके गिल्ली हो कर चमक रही थी.
रोहित ने अपना लंड मेरी फाँको पे रगड़ा तो मैंने अपनी आँखें बंद कर ली।
रोहित- "घूसा दूं मेरी जान"
गरिमा- "हां घुसा दो"
रोहित- "क्या घुसा दूं"
मैं समझ गई रोहित मेरे मुंह से कहलवाना चाह रहा है लेकिन मैंने फिर नाटक किया हुआ कहां.. "वहीं जो आप रगड़ रहे हो"
रोहित- “इसको क्या बोलते हैं”
गरिमा- “मुझे नहीं पता”
रोहित- “बोलो ना गरिमा”
गरिमा- “अपना लंड घुसा दो मेरी चूत में”
ये सुनाते ही रोहित ने जोश में आ कर एक धक्का मार कर अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया
मैंने चीखने का नाटक किया …रोहित ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और बोला बस हो गया।
रोहित-"तुम्हारी झिल्ली तो पहले ही फट गई थी ना गरिमा तो इतना दर्द नहीं होना चाहिए “
गरिमा- “पहले तो सिर्फ गाजर मुल्ली ही घुसी थी..इतना बड़ा और मोटा लंड तो पहली बार गया है मेरी चूत में”
अपने लंड की तारीफ सूरज रोहित खुश हो गया और जबरदस्त धक्को के साथ मेरी चुदाई करने लगा.
कभी घोड़ी बनाकर कभी टांग उठाकर उस रात रोहित ने मेरी तीन बार चुदाई की।
सुबह उठ कर रोहित मुझे अपनी गोद में उठा कर बाथरूम ले गए और बाथटब में बैठा कर एक बार फिर मेरी चूत मारी।
उस रात मैं रोहित को यह यकीन दिलाने में कामयाब रही कि आज मैं पहली बार सेक्स का आनंद ले रही हूँ।
Update 18 हनीमून की पहली रात ट्रेन में यूं बितायी
पति देव ने नंगी कर के मेरी चूत बजायी
खैर इसी तरह तीन-चार दिन बीत गये।
कुछ खास रिश्तेदारों को छोड़कर बाकी सभी रिश्तेदार जा चुके थे।
करीब एक हफ्ते बाद हम हनीमून पर चले गये।
चुंकी रोहित के पापा रेलवे में एक उंचे ओहदे पर काम किया करते थे तो उन्होने हमारे लिए एक फर्स्ट एसी का कोच बुक करवा दिया और ये भी सुनिचित किया कि उस कूपे मे और कोई ना आए. रात का सफर था तो हम दोनों ने ढीले कपड़े पहने थे। रोहित केवल पायजामा टीशर्ट में थे और मैंने आज कल फैशन के हिसाब से कॉर्ड सूट पहना था।
बिना आस्तीन का डोरी वाला सूट थोड़ा टाइट होने के कारण मेरी चुचियाँ और गांड का उभार साफ दिख रहा था। मेरे ससुर चोरी छिपे मुझे ताड़ रहे थे और उनकी ये हालत देख मुझे काफी मजा आ रहा था। वो हमें छोड़ने स्टेशन तक आये थे।
खैर ट्रेन आने के बाद रोहित ने सारा समान कूपे में रखवा दिया और विदा लेने के लिए मैं जैसे ही ससुर जी के पांव छूने को झुकी मेरी टॉप के गले में से उनको मेरी चूचियो के बीच की खाई दिखाई दी! रोहित के चेहरे दूसरी तरफ होने के कारण उन्होने बड़े प्यार से अपने हाथ मेरी पीठ से लेकर मेरी गांड तक फेर दिया. मैंने एक कुटिल मुस्कान से उनको देखा और ट्रेन में चढ़ गई. कुछ समय बाद रोहित भी अंदर आ गए और कूपे को अंदर से लॉक कर दिया.
लॉक करने के बाद रोहित झट से मेरी तरफ मुड़ा और मुझे अपनी बाहों में कैद कर लिया।
गरिमा- “ये क्या कर रहे हो..अभी टीटी आता होगा “
रोहित-“कोई नहीं आएगा. टीटी बाहर ही मिल गया था. पिताजी ने सब समझा दिया है। अब हमें कोई डिस्टर्ब नहीं करेगा”! ये बोल रोहित मेरे होठों को चूमने लगा और टॉप के ऊपर से ही मेरी चुचिया दबाने लगा.
गरिमा- “अच्छा जी बड़े रोमांटिक मूड में हो...चलो पहले खाना खा लो..बाद में जो तुम्हारा जी चाहे करना”
रोहित- “अरे खाने की इतनी क्या जल्दी है डार्लिंग. देखो मैं मूड बनाने के लिए साथ में क्या लाया हूं” ऐसा बोल रोहित ने अपने बैग से स्कॉच की बोतल निकाल ली।
स्कॉच देख मेरी भी नियत खराब हो गई लेकिन थोड़ी ना नुकर के बाद मैंने रोहित का साथ देते हुए ग्लास पकड़ लिया
पैग पीते पीते रोहित ने मुझे अपनी गोद में खींच लिया और मेरे होठों को चूमते हुए मेरे टॉप के बटन खोलने लगा। फ़िर मेरी जाँघों पर हाथ फेरते हुए रोहित ने मेरे पायजामे की इलास्टिक में अपनी उंगलियाँ घुसा दी और मेरी गांड से खिसकते हुए मेरी टांगों से पायजामा भी निकाल दिया! अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी पहने उसकी गोद में बैठी थी।
रोहित मेरे निचले होंठों के पास अपने होंठ लाए और उन्हें चूमने, काटने और चूसने लगे. उसने मेरी लिप्सटिक तक चूस ली. मैं तो मानो मदहोश-सी होने लगी.
वो मेरे निचले होंठ को बुरी तरह चूस रहा था और मैं मछली की तरह तड़प रही थी. मेरा शरीर जैसे जलने लगा था.
रोहित जंगली अंदाज में मेरे शरीर को अपने दांतों से चूस रहा था. मेरे अन्दर एक अजीब-सी गुदगुदी छाने लगी थी.
मेरी चूत तो पूरी तरह गीली हो चुकी थी.
मैंने अपने होंठ काटे, आंखें बंद कीं और मदहोश होकर रोहित को अपना काम पूरा करने में साथ दे रही थी.
लेकिन नीचे मेरी चूत का हाल और भी बुरा था जो पूरी तरह गीली हो चुकी थी …मेरी हालत खराब होती जा रही थी.
मेरे मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं ‘आह … आह … आह …’ फिर रोहित नीचे मेरे पेट पर चूमने लगा.
कुछ देर बाद मेरे हाथ अपने आप रोहित के बालों में चले गए और मैं उन्हें सहलाने लगी.
मैं उसके सिर पर दबाव भी बना रही थी और साथ में आंखें बंद कर, मदहोश होकर मजे में खो रही थी.
देखते ही देखते रोहित ने मेरी पैंटी को मेरे शरीर से अलग कर दिया. अब मैं रोहित के सामने नीचे से निर्वस्त्र थी.
तभी रोहित उठा और अपने सारे कपड़े उतार दिए. उसका खड़ा लंड अब मेरी आंखों के सामने था.
रोहित ने दोनों हाथ पकड़कर मुझे उठाया और सीधे अपनी गोद में बिठा लिया. रोहित का लंड मेरी चूत के आसपास टकरा रहा था.
मेरे अन्दर एक अजीब-सी हलचल पैदा हो रही थी क्योंकि मैं जानती थी कि अब कुछ ही क्षणों में उसका लंड मेरी चूत के अन्दर होगा. आज मैं दूसरी बार ट्रेन के अंदर चुदने वाली थी। पहली बार जब मेरे भाई ने मेरी सील तोड़ी थी और दूसरी बार आज अपने पति से!
रोहित ने मेरे चेहरे को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और मेरे होंठों पर अपने होंठ रखकर स्मूच करने लगा.
अब मैं भी उसका साथ देने लगी. उस पल हमारी जीभें आपस में टकरा रही थीं और मैं उस मजे को पूरी तरह ले रही थी. हमारा स्मूच चरम सीमा पर था.
तभी रोहित ने हाथ पीछे ले जा कर मेरी ब्रा के हुक खोल दिया और ब्रा निकल दी अब मैं उसके सामने पूरी तरह निर्वस्त्र थी.
रोहित ने मुझे कसकर अपनी बांहों में जकड़ लिया और प्यार करने लगा. मेरे बूब्स उसकी छाती से दब चुके थे.
रोहित कभी मेरे गले पर चुंबन ले रहा था और कभी थोड़ा नीचे होते हुए मेरे स्तनों पर भी चुंबन ले रहा था.
मैं भी उसके साथ चिपक कर उसके बालों को सहलाती हुई उसको उत्तेजित करने में लगी थी.
अब तो रोहित ने मेरे स्तनों को एक-एक करके चूसना शुरू कर दिया . उसने अपना एक हाथ मेरी पीठ पर रखा था और दूसरे हाथ से कभी मेरी चूची को पकड़ कर दबाता और कभी मुँह में लेकर चूसने लगता.
फिर अचानक रोहित ने अपना हाथ मेरी गांड के पास ले जाकर उसे हल्का सा उठाया और अपने लंड को मेरी चुत के मुहाने पर लगा दिया. फिर रोहित ने नीचे से एक धक्का लगाया. एक ही बार में पूरा लंड चुत में समा गया. रोहित मुझे चूमते हुए नीचे से धक्के लगा कर मुझे चोदने लगा। मैं भी गांड उछाल उछाल लंड पर कूदने लगी और उसके लंड को चूत की गहराई तक महसूस कर मजे लेने लगी
कुछ देर ऐसे ही चोदने के बाद रोहित ने मुझे मुझे लेटा दिया. उसने अपना लंड बाहर निकाला और एक बार फिर मेरी चुचिया चूसने लगा। लेकिन मेरी चूत में तो आग लगी थी..
गरिमा- “रोहित आपने लंड बाहर क्यों निकाल लिया. अभी तो मजा आना शुरू हुआ था”
रोहित- “घबराओ मत मेरी जान. आज तो तुम्हें पूरी रात चोदूंगा”।
ऐसा बोल रोहित अपना लंड फिर से मेरी चूत की फाँको पे रख रगड़ने लगा। मैं अपनी चूत नीचे से उठा लंड अंदर लेने की कोशिश करने लगी। अचानक ट्रेन ने एक जोरदार ब्रेक लगाई और रोहित का लंड मेरी चूत की दीवारों को चीरता हुआ पूरा अंदर घुस गया। धक्का इतना जोरदार था कि एक बार मेरी हल्की से चीख निकल गई”
फच फच की मधुर आवाज़ और मेरी सिस्किया पूरे कूपे में गूंज रही थी। गनीमत है कि ट्रेन की तेज रफ़्तार की आवाज़ में कूपे से वो आवाज़ें बाहर नहीं जा रही थी
थोड़ी देर तक रोहित अपना लंड अंदर बाहर करता रहा। अब मेरी चूत ने भी हल्का-हल्का पानी छोड़ना शुरू कर दिया था और चिकनाई बढ़ गई थी। रोहित मुझे चोदते हुए कभी मेरे होठों पर चुंबन करता और कभी मेरी चुचियों को मसल कर चूमता. मैं तो बस उस हसीन चुदाई का मज़ा ले रही थी.
मैं बोल रही थी- रोह्ह्ह...हीत … आह अह … करो … मज़ा आ रहा है. सच में रोहित, आज से पहले कभी इतना मज़ा नहीं आया. ओह ओह … आह आह … यस यस फक मी. मेरी चूड़ियां भी लौड़े की लय के साथ बज रही थीं.
तभी रोहित ने अपना लंड मेरी चुत से निकाला और मेरे पूरे शरीर पर चुंबन करते हुए नीचे की ओर बढ़ने लगा.
अब वो मेरे पैरों तक पहुंच गया और मेरे एक पैर को पकड़ कर उठाया. मेरी आंखों में देखते हुए रोहित ने मेरे पैर के अंगूठे को चूसना शुरू कर दिया.
तभी रोहित ने अचानक मेरे पैर को घुमाया और मुझे पलट दिया. अब मेरी पीठ उसके सामने थी.
रोहित ने मेरे शरीर को सहलाते हुए ऊपर की ओर बढ़ना शुरू किया. उसने मेरी गांड पर दो-चार जोर से चपत भी मारी.
मैंने पलट कर उसकी ओर देखा और नज़रों से पूछा कि वो यह क्या कर रहा है?
जवाब में रोहित ने मेरे बालों को पकड़ कर खींचा.
फिर मेरी गांड के पास अपना लंड लाकर मेरी चुत पर पीछे से सैट कर दिया. मैं समझ गई कि रोहित अब मुझे कुतिया बना कर चोदना चाहता है! उसने जल्द ही पीछे से मेरी चुत पर लंड सैट किया और एक ही शॉट में उसे अन्दर घुसा दिया.
मैंने अपना मुँह उसकी ओर किया, तो उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और उन्हें काटने-चूसने लगा.
साथ ही रोहित अपना हाथ आगे करके मेरी चुचिओ वो को जोर से दबा रहा था.
मैं अब मस्ती में डूबी हुए बोल रही थी- आह डार्लिंग … जल्दी जल्दी करो … मज़ा आ रहा है! मैं ख्यालो में अपनी पहली ट्रेन चुदाई को याद करने लगी। धीरे-धीरे रोहित के लंड में तनाव आने लगा। मैं समझ गई कि रोहित अपनी मंजिल के करीब है। मैं जोर जोर से अपनी गांड के पीछे धकलते हुई रोहित का लंड अपनी चूत में लेने लगी
आखिरी के 15-20 जोरदार शॉट मारते हुए रोहित ने मेरी चुत में अपना सारा वीर्य गिरा दिया और वैसे ही मेरे ऊपर निढाल होकर गिर गया.
वो मेरी पीठ को चूमते हुए मेरी चुचिओ को सहला रहे था.
मेरा शरीर भी पूरी तरह थक चुका था.
उसी हालत में हम लोग करीब 10 मिनट रहे होंगे. फिर हम दोनों ने उठ कर कपड़े पहने और खुद को वॉशरूम में जाकर फ्रेश किया. वपिस आ हमने खाना खाया। खाना खाने के बाद रोहित दोबारा रोमांटिक होने लगा
मैं बोली- क्या … इतना करके अभी तक थके नहीं?
रोहित ने कहा- अभी तो सारी रात बाकी है. वैसे भी आज मैं तुम्हें सोने तो देने वाला नहीं हूँ.
रोहित ने सही मौका पाते हुए मेरे बालों को हटाते हुए मेरी पीठ पर चुंबनों की बौछार कर दी. उसका एक हाथ मेरे बूब्स पर चला गया उसने मेरे बूब्स को अपने दोनों हाथों से दबाना और मसलना शुरू कर दिया.
रोहित ने फिर से खींच कर मेरा पायजामा निकाल दिया और खुद भी झट से नंगा हो गया। रोहित मेरी जांघों को सहलाते हुए धीरे-धीरे अपने चेहरे को मेरी जांघों पर ले आया और फिर अपने होंठों को मेरी गुलाबी चूत पर रख दिये.
उसने ऊपर से नीचे तक चुंबन लेना शुरू किया और मेरी चुत को अपनी जीभ से कुरेदना और काटना शुरू कर दिया. मेरी चूत तो पहले ही गीली हो चुकी थी
रोहित ने अब अपनी जीभ को मेरी चूत के दाने पर और फिर चूत के अन्दर ले जाकर गोल-गोल घुमाना शुरू कर दिया.
मेरे हाथ उसके सिर तक चले गए और मैं उसके सिर को दबाने लगी ताकि वो और ज्यादा अपनी जीभ को मेरी चूत में डालकर उससे खेलें.
साथ ही अब मेरी आहें भी निकलने लगीं.
मैं बोल रही थी- आह जान … ऐसे ही करो … आह और अन्दर तक … मजा आ रहा है. बस करते रहो ओह जान, आह आह!
रोहित ने फिर मुझे पलट कर सीट पर बिठा दिया और अपने लंड को पहले मेरे होंठों पर रगड़ा.फिर मुझसे कहा- अपना मुँह खोलो गरिमा और मेरे लंड को चूस कर अपनी गांड के लिया चिकना कर दो.
मुझे पता था हनीमून पर रोहित मेरी चूत और गांड दोनों की धुनाई करने वाला है इसलिए रोहित की बात मानते हुए मैं उसके लंड को चूसने लगी.
रोहित अपने हाथों से मेरे सिर को ऊपर नीचे करते हुए अपने लंड को चुसवाने लगा.
कुछ देर बाद मुझे भी काफी मजा आने लगा और मैं पूरा मुँह खोल कर उसका लंड चूसने लगी.
बीच-बीच में रोहित अपने हाथों से मेरे बूब्स को जोर से पकड़ कर निचोड़ भी देता.
रोहित का लंड मेरे गले तक चला जाता, जिसके कारण मेरा दम घुटने लगता लेकिन रोहित को बड़ा मजा आ रहा था
पाँच सात मिनट तक लंड चुसवाने के बाद रोहित ने मुझे खड़ा किया और मेरे पीछे आ गया. उसने मेरे बालों को आगे की ओर करते हुए मेरी पीठ पर किस करना शुरू कर दिया और मेरी गर्दन को भी चूसने लगा.
इसके बाद उसने अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाते हुए मेरे दोनों चुचिओ पर रख दिए और जोर जोर से दबाने लगा.
कुछ देर बाद उसने मेरे दोनों हाथों को सीट पर रखवाया और मेरी पीठ पर किस करते हुए मेरी गांड तक आ गया.
उसने पहले बहुत प्यार से मेरी गांड को किस किया और फिर एक उंगली अंदर घुसा कर गोल गोल घुमाने लगा
इस दौरान मेरी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी.
खड़े खड़े उसने अपने लंड को पहले मेरी चूत पर रगड़ा.
मेरा सारा पानी उसके लंड पर लग गया.
फिर उसने अपने लंड को मेरी गांड पर सैट कर दिया और मेरी कमर पकड़ते हुए हल्का सा पुश किया.
मैंने रोहित की ओर देखा और और मजाक में कहा- क्या आज रात ही सब कुछ कर लोगे?
रोहित ने मेरी आँखों में देखते हुए कहा "जान मेरी काफ़ी दिनों से ये इच्छा थी कि चलती ट्रेन में तेरी गांड मारू"
मैं मुस्कुरा कर बोली “तो कर लो आज अपनी ये ख्वाहिश पूरी”
गांड का छेद टाइट होने के करण रोहित को लंड घुसाने में मुश्किल हो रही थी तो मैंने अपने बैग से मॉइस्चराइज़र की शिशी निकले हुए रोहित को कहा'' पहले थोड़ी चिकनी कर लो..फिर दर्द भी नहीं होगा और आसनी से घुस भी जाएगा. रोहित ने शीशी पकड़ते हुए खूब सारा लोशन मेरी गांड के छेद में डाल दिया और थोड़ा अपने लंड पर भी मल लिया
फिर रोहित ने मेरी गांड पर जोरदार चपत मारते हुए कहा- तैयार हो जा मेरी जान...आज तुझे जन्नत दिखाता हूं.
उसने एक बार फिर से अपना लंड मेरी गांड पर सैट किया और धीरे-धीरे अन्दर करने लगा.
सुपाड़ा अंदर घुसते ही मुझे बहुत दर्द हुआ. मैंने हाथ से रोहित को कुछ देर रुकने का इशारा किया! कुछ देर बाद जब मेरी गांड का छल्ला थोड़ा ढीला हुआ तो मैंने रोहित को धीरे-धीरे अंदर घुसाने को बोला। रोहित ने मेरी कमर को पकड़ कर धीरे से अपना लंड अंदर ढकेलना शुरू किया
दर्द के कारण मेरा बुरा हाल हो रहा था फिर भी मैं आगे के मजे के लिए उसका साथ देने लगी और इस दर्द को सहने लगी.
धीरे-धीरे दर्द कम होने लगा और और मजा भी आने लगा.
जब मैं पूरी तरह नॉर्मल हो गई तो रोहित ने मेरी गांड में लंड अन्दर-बाहर करना तेज कर दिया.
बीच-बीच में कभी रोहित मेरे बालों को खींचता, तो कभी मेरी पीठ पर झुककर किस कर लेता.कभी आगे हाथ डालकर मेरे बूब्स को पकड़ लेता सहलाता.और दबा देता.
मेरी गांड की तारीफ करते हुये बोला की … मेरा पिछवाड़ा कितना आकर्षक है.
मैं दिल में सोच रही थी कि तभी तुम्हारे बाप की नज़र हमेशा इसी पर रहती है!
15 20 मिनट तक मेरी गांड अच्छे से बजाने के बाद रोहित ने अपना सारा वीर्य मेरी गांड में डाल दिया और मेरी पीठ के ऊपर निढाल होकर गिर गया. हम दोनों उसी पोजीशन में एक सीट पर लेट गए.
धीरे-धीरे उसका लंड मेरी गांड से निकल गया.मेरा सारा शरीर दर्द करने लगा था और हम दोनों बात करते-करते कब सो गए, पता ही नहीं चला.
पिछले अपडेट में आपने पढ़ा कि शादी के बाद मैं ससुराल में आ गयी और अपने पति से चुद गयी, और फ़िर ट्रेन में हनीमून की शुरुआत हुई…
अब आगे…. हनीमून के दौरान भी रोहित ने मेरी खूब जमकर चुदाई की। कमरे का हर कोना, बाथरूम सोफा हमारी चुदाई का साथी बना! रोहित दिन में तीन से बार मेरी ठुकाई तो अवश्य करता। हनीमून के दौरन ही रोहित ने मेरी पहली बार गांड भी मारी!
हनीमून के ही दौरान मुझे रोहित के बारे में कुछ बातें पता चलीं। जिनमें पहला तो यह कि रोहित बाइ-सेक्सुअल भी हैं। क्योंकि हनीमून में जब पहली बार रोहित ने मेरी गांड मारी थी।उस दिन वो मेडिकल स्टोर से एनेस्थेटिक स्प्रे लेकर आये थे।
जब मैंने पूछा- ये क्या है?
रोहित बोले- आज गांड में डालूंगा. तो दर्द न हो इसके लिए लेकर आया हूँ।
मैंने कहा- इससे दर्द नहीं होता क्या?
रोहित बोले- अरे हॉस्टल में लड़के अक्सर मजे के लिए कभी-कभी एक दूसरे की गांड मारते थे तो बाजार से यही लेकर आते थे क्योंकि पहली बार गांड मरवाने पर थोड़ा दर्द होता है।
मैंने उस समय तो कुछ नहीं कहा और चुप रही।
फिर उस रात में रोहित ने मुझे दर्द न हो इसके लिए पहले गांड की छेद पर थोड़ा स्प्रे किया और फिर मेरी गांड मारी।
हालांकि उसके बाद मैंने रोहित से कुछ नहीं कहा.
लेकिन मुझे सोनू की बात याद आ गयी कि वह भी जब से हॉस्टल में रहने लगा था तो वो भी बाइ-सेक्सुअल हो गया था।
इसलिए मुझे शक हुआ कि रोहित भी बाइ-सेक्सुअल हैं।
हालांकि रोहित के बाइ-सेक्सुअल बात तब कन्फर्म हो गयी जब पायल (मेरी ननद) ने खुद मुझे ये बताया।
वैसे तो मैं खुद भी बाइसेक्सुअल थी क्योंकि मैं अपनी सहेली ज्योति के साथ ये सब करती थी.
तो मुझे रोहित के बाइ-सेक्सुअल होने से कोई दिक्कत भी नहीं थी।
रोहित के बारे में दूसरी बात जो मैंने जानी वो यह थी कि रोहित के अंदर भी फेमिली सेक्स की फैंटेसी है।
दरअसल हनीमून के दौरान कई बार ऐसा भी हुआ था कि हम जब साथ में पॉर्न मूवी देखते थे तो मैंने देखा था कि रोहित कभी-कभी बाइसेक्सुअल पॉर्न मूवी के साथ ही फेमिली सेक्स या टैबू सेक्स मूवी भी देखते थे।
लेकिन फिर शायद मेरी वजह से कि मैं क्या सोचूँगी … वे तुरंत कोई दूसरी पॉर्न मूवी चला देते थे।
वैसे तो मैं रोहित का मोबाइल या लैपटॉप कभी नहीं देखती थी लेकिन कन्फर्म होने के लिए एक दिन होटल में जब रोहित बाथरूम में थे तो मैंने उनका मोबाइल चेक किया तो ब्राउज़र हिस्ट्री में पाया कि उसमें पॉर्न मूवी की साइट्स पर काफी विजिट किया गया था।
हालांकि उसमें कई मूवी तो ऐसी थीं जो हमने साथ ही देखी थीं।
लेकिन उसके अलावा कई पॉर्न मूवी थी जो या तो फेमिली सेक्स की थीं या फिर बाइ-सेक्सुअल मूवी थीं।
फेमिली सेक्स मूवी में भाई-बहन की चुदाई की मूवी ज्यादा थी।
मैं समझ गयी कि रोहित के अंदर भी फेमिली सेक्स की फैंटेसी है।
वैसे सच कहूँ तो यह जानकर मैं मन ही मन खुश भी हो गयी थी।
हालांकि मैं रोहित से इन चीजों को लेकर कभी बात नहीं करती थी।
उसकी एक वजह तो नयी-नयी शादी थी.
और दूसरी वजह यह थी कि मैं रोहित को कभी यह नहीं महसूस होने देती थी कि मुझे सेक्स के बारे में ज्यादा जानकारी है।
बस वे जैसा कहते जाते थे, मैं वैसा करती जाती थी।
मूवी भी वही देखती थी जो वो दिखाते थे।
हालांकि रोहित चाहते थे कि सेक्स को लेकर मैं भी उनसे थोड़ा खुलूँ और अपनी इच्छा ज़ाहिर करूँ।
सेक्स में मेरी पसंद और नापसंद का भी वे ख्याल रखते थे।
दरअसल शुरुआत में सेक्स के दौरान एक ऐसा काम जो मुझे नहीं पसंद था, जो रोहित मुझसे कभी-कभी करवाते थे, वो था मुझसे अपनी गांड चटवाना।
दरअसल हनीमून के दौरान भी और उसके बाद भी 3 – 4 चार बार रोहित मुझसे अपनी गांड चटवा चुके थे।
मैंने ये कभी किया नहीं था और ना ही मुझे ये करना जरा भी पसंद था इसलिए बेमन से मैं सिर्फ रोहित के ज्यादा जोर देने पर कर देती थी।
हालांकि बाद में जब रोहित को लगने लगा कि मुझे ये पसंद नहीं है तो उन्होंने ये करवाना बंद कर दिया।
वहीं रोहित कई बार मुझे अकेले ही बेड पर छोड़ देते थे.
वे मुझे खुद ही अपनी चूची सहलाने, चूत में ऊंगली करने और सहलाने को बोलते थे और खुद कुर्सी पर बैठकर मुझे देखते हुए मुठ मारते थे।
इसके अलावा रोहित मेरे लिए स्कर्ट लेकर आये थे।
पूरे हनीमून में बाहर घूमने के दौरान ज्यादातर मैं स्कर्ट और टीशर्ट ही पहनती थी।
उन्हें मेरा हमेशा स्कर्ट में रहना बहुत पसंद था। वैसे तो हम दोनों अक्सर नंगे होकर चुदाई का खेल खेलते थे लेकिन रोहित कई बार स्कर्ट में ही मेरी चुदाई करते थे।
यहाँ तक कि हनीमून से घर वापस लौटने के बाद भी रोहित ने मुझसे कह रखा था कि रात में अपने कमरे में हमेशा स्कर्ट पहना करो।
मुझे भी स्कर्ट पहनना अच्छा लगता था तो मैं रात खाने और सारा काम निपटाने के बाद कमरे में आते ही सलवार-कुर्ती उतार कर स्कर्ट और टीशर्ट में आ जाती थी।
खैर … करीब एक सप्ताह बाद हम हनीमून मनाकर लौटे।
तब बस एक बड़ी बुआ को छोड़कर सभी रिश्तेदार जा चुके थे।
बड़ी बुआ जी मेरे ससुर जी से भी काफी बड़ी थीं।
उनकी उम्र करीब 65 के आसपास थी।
चूंकि मेरी सास नहीं थीं और मेरी नयी-नयी शादी हुई थी तो ज्यादातर रिश्तेदारों ने कहा कि बड़ी बुआ एक-दो महीने के लिए यहाँ रुक जाएं ताकि घर में मुझे कोई दिक्कत न हो.
इसलिए बुआ रुक गयी थीं।
नयी-नयी शादी हुई थी तो शुरुआत में तो मैं दिन भर साड़ी पहने रहती थी.
फिर एक दिन बुआ जी बोली- बेटा, दिन भर हमेशा साड़ी पहनने की ज़रूरत नहीं है; सलवार-कुर्ते भी पहना लिया कर!
मुझे तो वैसे ही साड़ी में थोड़ी दिक्कत होती थी इसलिए उस दिन के बाद से मैं अधिकतर सलवार कुर्ता ही पहनने लगी थी।
अब घर में सिर्फ हम पाँच लोग ही थे।
मैं, रोहित (मेरे पति), पायल (मेरी ननद, जो ग्रेजुएशन में कर रही थी), मेरे ससुर और बड़ी बुआ।
नीचे ड्राइंग रूम के अलावा चार कमरे थे,
तो एक कमरे में बड़ी बुआ के रहने का इंतजाम कर दिया गया था।
घर बड़ा था तो ग्राउण्ड फ्लोर चार कमरे थे और ऊपर दो कमरे बने थे.
बाकी बड़ी सी छत थी।
ऊपर के कमरे में रिश्तेदार आने पर रुकते थे।
जैसा कि मैंने आपको पिछली अपडेट में बताया था कि मेरे ससुर जी ने मेरी शादी से पहले ही अपना ट्रांसफर इसी शहर में करवा लिया था।
वहीं मेरे पति की पहली पोस्टिंग भी पास के ही शहर में हुई थी जहाँ पर आने-जाने में दो-ढाई घण्टे ही लगते थे तो उन्हें भी कोई दिक्कत नहीं थी।
लेकिन उनकी ड्यूटी ट्रेन में लगती थी तो वो अक्सर हफ्ते में 3-4 दिन बाहर ही रहते थे।
इस बीच शादी की गहमागहमी और घर में आये रिश्तेदारों और मेहमानों की वजह से और फिर कुछ दिन तक बड़ी बुआ के घर में होने की वजह से ससुर जी मुझसे ज्यादा बात नहीं करते थे।
चूंकि नयी-नयी शादी हुई थी तो मैं भी उनके सामने ज्यादा नहीं जा रही थी।
वैसे ससुर जी अक्सर मुझे चोरी से देखने का मौका नहीं छोड़ते थे।
जैसे ही हमारी नज़र मिलती तो हम दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा देते थे।
सच कहूँ तो पहले रिश्तेदारों की वजह से और फिर बड़ी बुआ और पायल की वजह से मैं ससुर जी से ज्यादा खुलकर बात नहीं कर पाती थी।
क्योंकि उन्हें खाना देना या खाने के लिए बुलाना या फिर किसी काम से उनके कमरे में जाना … ये सब शादी से पहले पायल ही करती थी।
तो अभी भी ये सारा काम वही कर रही थी।
पिछली अपडेट में मैंने ये भी बताया था कि शादी से पहले ससुर जी मेरे कामुक बदन के दीवाने हो चुके थे।
यहाँ तक कि अपने ही चक्कर में उन्होंने मेरी शादी भी जल्दी-जल्दी अपने बेटे से करवायी थी।
अब जब सबकुछ हो गया तो वे बस मौके की तलाश में थे कि कैसे वो मेरी जवानी का रसपान कर सकें।
मुझे भी कोई दिक्कत नहीं थी।
मेरे लिए तो अच्छा ही था कि पति के अलावा एक और लण्ड का जुगाड़ घर में रहेगा।
ससुर जी किसी न किसी बहाने से अक्सर मेरे सामने आने लगे।
या मौका मिलने पर बात करने की कोशिश करने लगे थे।
लेकिन बड़ी बुआ के घर में होने की वजह से वहीं पायल कॉलेज से आने के बाद ज्यादातर घर में ही रहती थी तो ससुर जी को ज्यादा मौका नहीं मिल पा रहा था।
खैर … धीरे-धीरे सब कुछ रूटीन में आने लगा था।
ससुर जी ऑफिस चले जाते थे।
पायल भी अपने कॉलेज चली जाती थी।
रोहित भी 3-4 दिन बाहर ही रहते थे।
शादी को करीब डेढ़ महीना हो चुका था और अब ससुराल थोड़ा बोरिंग लगने लगा था।
सब कुछ एक रूटीन में चल रहा था।
जब पति घर होते तो हम दोनों रात में चुदाई करते और सो जाते।
फिर अगले दिन से वही दिन में काम, रात में फिर चुदाई और फिर अगले दिन वही रूटीन!
हालांकि रोहित के साथ भी सेक्स लाइफ अच्छी थी।
शुरुआत में तो नहीं लेकिन धीरे-धीरे वे भी सेक्स में खुल रहे थे और नये-नये पोजिशन से चुदाई करते थे।
लेकिन जिन्दगी से वो नमकीन स्वाद गायब था जो शादी के पहले था।
शादी के पहले जहाँ मम्मी-पापा से छुपकर भाई के साथ चुदाई का खेल होता था।
ज्योति के घर पर उसके पापा के साथ चुदाई जिसमें ज्योति और उसकी मम्मी भी शामिल रहती थीं।
फिर वहीं घर में मम्मी से छुपकर पापा से चुदवाना, कभी छुपकर बुआ और पापा की चुदाई देखना, इन सबमें अलग ही मजा आता था।
हालांकि ससुर जी के साथ कुछ मामला आगे बढ़ता तो एक बार फिर वही नमकीन स्वाद जिंदगी में आने की उम्मीद थी।
अब मेरी जवानी मेरे ससुर की नज़रों को भा रही थी. मुझे भी उस दिन का इन्तजार था जब मैं ससुराल में दूसरा लंड लूंगी.
ससुर जी के साथ कुछ मामला आगे बढ़ता तो एक बार फिर वही नमकीन स्वाद जिंदगी में आने की उम्मीद थी।
अपने पापा और ज्योति के पापा के साथ चुदाई के खेल के बाद इतना तो समझ चुकी थी कि अनुभवी और बड़ी उम्र के आदमी सेक्स में भरपूर मजा देते हैं।
चूंकि ससुर जी भी करीब-करीब मेरे पापा की उम्र के ही थे।
तो मजा वे भी उतना ही देंगे, यह मैं समझ रही थी।
लेकिन मुझे पता था कि जब तक बड़ी बुआ घर में हैं, तब तक तो कहीं से मौका मिलना थोड़ा मुश्किल है।
वैसे भी दिन में ससुर जी ऑफिस में रहते थे और शाम के बाद तो बुआ जी और पायल दोनों घर में रहती थीं तो बस हम दोनों को बात को आगे बढ़ाने का मौका नहीं मिल पा रहा था।
जब रोहित ड्यूटी पर रहते थे तो पायल मेरे साथ सोती थी।
फिर मेरे दिमाग में एक आइ़डिया आया।
मैंने सोचा क्यों न मायके वाला माहौल यहीं ससुराल में ही तैयार किया जाए।
फिर मैंने अपने प्लान पर काम करना शुरू कर दिया।मैंने सोचा कि जब तक बड़ी बुआ हैं घर में तो वैसे भी ससुर जी से आमना-सामना होना मुश्किल है।
रोहित की कुछ छुपी हुई फैंटेसी तो मैं जान ही गयी थी।
मैंने सोचा क्यों न तब तक पायल को ही पहले अपने फंदे में फंसाया जाए।
क्योंकि अगर वह फंस गयी तो मेरे दो काम एक साथ हो जाएंगे।
पहला तो बुआ जी के जाने के बाद फिर घर में किसी बात का डर नहीं रहेगा और दूसरा ये कि कभी चूत चाटने या चटवाने का मन हुआ तो वो भी हो जाएगा।
धीरे-धीरे मैंने पायल को फंसाने के प्लान पर काम करना शुरू कर दिया।
एक दिन बाद ही रोहित को ड्यूटी पर जाना था।
मैं जानती थी कि इन 3 या 4 दिनों के लिए पायल रात में मेरे साथ ही सोएगी।
वैसे पायल के बारे में आप लोगों को बता दूँ।
पायल की उम्र 19 साल की गोरी-चिट्टी और सुंदर थी।
हाइट करीब-करीब मेरे बराबर थी 5 फीट 2 या 3 इंच के करीब।
उसका शरीर भी मेरी तरह ही मांसल था।
अगर हम दोनों एक दूसरे के कपड़े पहन लें तो पीछे से देखने पर एक बार तो लोग मेरे और पायल में कन्फ्यूज हो जाएंगे।
पायल बेहद चुलबुली थी और घर में खूब हंसी-मजाक करना उसकी आदत थी।
चाहे ससुर जी हों या रोहित … दिन भर सबसे पटर-पटर उसकी जुबान चलती रहती थी।
रोहित से तो उसकी मजाक वाली नोकझोंक हमेशा चलती रहती थी।
वह रोहित को जब ज्यादा चिढ़ाती थी या मजाक करती थी तो रोहित उसके बाल पकड़ कर नोच देते थे, फिर वह भी रोहित के साथ यही करती।
वे दोनों आपस में बच्चों का सा झगड़ा करते थे कभी-कभी।
वहीं वह ससुर जी को भी नहीं छोड़ती थी।
उनके साथ भी उसका खूब-हंसी मजाक करती रहती थी।
यहाँ तक कि कभी-कभी जब मेरे घर से पापा-मम्मी का फोन आता था तो ससुर जी भी उनसे बात करते थे।
मम्मी की थोड़ा लंबा बात करने की आदत थी तो उसका भी वह मजाक बनाती और ससुर जी से हंसते हुए कहती- पापा, आप अपनी समधन से इतनी देर-देर तक क्या बात करते हैं, कुछ हम लोगों को भी बताइये।
ससुर जी भी बस हंस देते थे और कोई जवाब नहीं देते थे।
हालांकि उसे सब घर की शेरनी बोलते थे.
वजह यह थी कि वह जितना शरारत और बोलना घर में करती थी, वहीं बाहर उसकी बोलती बंद रहती थी।
कॉलेज में वह एकदम शर्मीली और अन्तर्मुखी इनोसेंट टीन गर्ल थी।
घर वालों के अलावा वो किसी से ज्यादा बात भी नहीं करती थी।
उसके ज्यादा दोस्त भी नहीं थे.
लड़के तो एक भी नहीं!
और जो एक-दो लड़कियाँ उसकी सहेलियां थीं, उनसे भी सिर्फ कॉलेज और पढ़ाई तक ही दोस्ती थी।
घर में ससुर जी और रोहित सब उसे मानते थे।
रोहित तो हमेशा उसके लिए कुछ न कुछ लेकर आते थे।
जैसे मैं शादी से पहले घर में अक्सर स्कर्ट और टीशर्ट पहनती थी, पायल भी उसी तरह अक्सर स्कर्ट और टीशर्ट में रहती थी।
कभी-कभी कुर्ती और लेगिंग भी पहन लिया करती थी।
पायल की चूचियों को मैंने तो कपड़ों के ऊपर से ही देखा था लेकिन उसकी चूचियाँ बहुत बड़ी तो नहीं थीं लेकिन गोल और सुडौल थीं।
उसकी शायद वजह ये भी थी कि उसकी चूचियों पर किसी लड़के ने हाथ नहीं फेरा था।
जींस में उसकी सुडौल जांघों के ऊपर गोल-गोल गांड अच्छी लगती थी।
भरा और मांसल शरीर होने की वजह से गांड बड़ी और मस्त लगती थी।
वैसे तो पायल और मेरी खूब पटती थी एकदम एक दोस्त की तरह!
पायल मेरे ऊपर बहुत भरोसा भी करती थी, कुछ भी छुपाती नहीं थी मुझसे!
हम एक-दूसरे खूब हंसी मजाक भी करती थी लेकिन सारी बातें एक सीमा के अंदर होती थीं।
खैर … अगले दिन रोहित दोपहर बाद ड्यूटी पर चले गये।
जब रोहित नहीं होते थे तो मैं रात 8 या साढ़े आठ बजे तक ही खाना वगैरह बना खाकर अपने कमरे में आ जाती थी।
रात का खाना खाने के बाद रात करीब साढ़े पौने दस बजे के करीब पायल मेरे रूम में आ गयी।
फिर हम रोज़ की तरह इधर-उधर की बातें करने लगी।
मैं तो बस किसी तरह अपने मुद्दे पर आना चाह रही थी।
बातों-बातों में मैंने पायल से पूछा- तुम्हारा कोई बॉयफ्रेण्ड है?
पायल मुस्कुराती हुई बोली- अरे भाभी, जिस दिन बीएफ बनाया न … उसी दिन यहां पापा-भैया से लेकर शहर में सारे रिश्तेदारों को खबर हो जाएगी।
मैंने हैरानी से पूछा- वो कैसे?
पायल- भाभी, जिस कॉलेज में हूँ, उसके फाउण्डर दादा जी के दोस्त हैं. और जो कॉलेज के प्रिंसिपल हैं वो और पापा साथ ही पढ़े हैं। वैसे भी यहाँ हर मोहल्ले में तो कहीं न कहीं या तो रिश्तेदार रहते हैं, या पापा के दोस्त या फिर भैया के दोस्त!
फिर वह हंसती हुई बोली- तो समझीं आप … यहां जिस दिन बॉयफ्रेण्ड बनाया, उसी दिन कॉलेज से पढ़ाई छुड़ाकर घर बैठा दी जाऊंगी।
मैंने हंसते हुए पायल के गाल पर चिकोटी काटी और कहा- ओहो … मतलब मेरी प्यारी और सुंदर सी ननद के जवान शरीर को किसी लड़के ने अभी तक छुआ भी नहीं है।
पायल मेरी इस बात पर मुझे शरमा कर थप्पड़ मारते हुए मुस्कुरा कर बोली- क्या भाभी … आप भी?
मैंने पायल से कहा- चल बात शुरू ही हुई है तो मस्ती की बातें ही करते हैं।
फिर मैंने आँख मारते हुए पूछा- अच्छा ये बता, कभी कोई पॉर्न मूवी देखी है? सच सच बताना!
पायल शरमाते हुए बोली- क्या भाभी, आप भी कैसी-कैसी बातें कर रही हैं।
मैं समझ रही थी कि पायल जल्दी खुलने वाली नहीं है क्योंकि इस तरह की बातें वो शायद कभी नहीं की थी।
लेकिन मुझे पता था कि कुछ देर और बहला-फुसला कर या दोस्त की तरह बनकर बात करुंगी तो वो धीरे-धीरे अपने राज़ ज़रूर खोलेगी मुझसे!
मैंने फिर मुस्कुराते हुए कहा- अरे शरमा क्यों रही है। मैं कौन तेरे भैया से बताने जा रही हूँ। वैसे भी मुझे अपनी भाभी के साथ ही दोस्त भी समझ! दो ही साल तो बड़ी हूँ तुझसे!
फिर मैंने आँख मारते हुए कहा- वैसे मुझे अपना दोस्त बनाकर बड़ी फायदे में रहेगी तू! हर बात में तेरी मदद करुंगी और तुझे खूब मजे दूंगी … पक्का वादा है मेरा!
पायल मुस्कुराती हुई बोली- अच्छा! तो जरा मुझे भी बताइये कि कैसी मदद करेंगी और कैसे मजे देंगी आप मुझे?
मैं समझ रही थी कि पायल अब धीरे-धीरे लाइन पर आ रही थी।
मैंने आँख मारते हुए कहा- अरे एक बार बनाकर तो देख … फिर पता चलेगा तुझे!
पायल हंसती हुई बोली- तो चलिए, आज से आप मेरी भाभी और दोस्त दोनों हैं।
मैंने कहा- ये हुई ना बात … तो चल अब इसी बात पर बता कि कभी पॉर्न मूवी देखी है या नहीं?
पायल मुस्कुराती हुई बोली- लेकिन एक शर्त पर बताऊंगी … आपको भी सब सच बताना होगा जो मैं पूछूँगी।
मैंने कहा- बिलकुल बताऊंगी।
फिर पायल थोड़ा शरमाती हुई बोली- हाँ, देखी है।
मैंने हंसते हुए कहा- अरे वाह मेरी रानी… कब देखती है रात में सोते समय?
पायल बोली- अरे भाभी … रोज-रोज थोड़ी न देखती हूँ. कभी-कभार मन करता है तो देखती हूँ। अच्छा अब आप बताइये … आपने देखी है पॉर्न मूवी?
मैं हंसते हुए बोली- अरे मुझे क्या ज़रूरत है ये सब देखने की! जब तेरे भैया रहते हैं तो वैसे ही मैं तो रोज रात में पॉर्न मूवी की हिरोइन बनती हूं और तेरे भैया हीरो!
मेरी इस बात पर पायल मुझे हंसकर थप्पड़ मारती हुई बोली- सच में भाभी, आप तो बड़ी बेशर्म हैं। मेरा मतलब था शादी के पहले देखती थीं या नहीं!
मैंने कहा- देखती थी … और देखकर रात में उंगली भी करती थी। सच में बड़ा मजा आता था।
पायल शरमाती हुई बोली- सच में भाभी? आप ये भी करती थीं?
मैंने कहा- क्यों तूने नहीं किया है क्या कभी? किया तो होगा ही क्यों? सच सच बता न … अब तो दोस्त बन गये हैं अब क्या छुपाना!
पायल थोड़ा रुकी और फिर मुस्कुराती हुई शरमा कर बोली- हां भाभी, करती हूँ कभी कभी!
मैंने पायल की शरम को खत्म करने के लिए कहा- अरे इसमें शर्माने वाली कौन सी बात है यार … सब लड़के-लड़कियाँ करते हैं ये! मैं भी करती थी, मेरी सखी थी, वह भी करती थी।
फिर मैंने जानबूझकर एक बात और बोली- अरे कभी कभी तो मैं और मेरी सहेली अपने कमरे में साथ ही ये सब करती थी।
पायल हैरानी से बोली- अपनी सहेली के साथ करती थीं आप?
मैं अब धीरे-धीरे बात को घुमाती हुई अपने टॉपिक पर ला रही थी.
इसलिए मैंने बात को और आगे बढ़ाते हुए कहा- हाँ तो क्या हुआ … हम साथ ही पॉर्न मूवी देखती थी तो साथ ही उंगली भी कर लेती थी। क्यों तुमने अपनी किसी फ्रेण्ड के साथ नहीं मजे लिए इसके?
पायल बोली- न बाबा, मैं तो अपनी सहेलियों के साथ इस टॉपिक पर बात भी नहीं करती।
मैंने थोड़ा छेड़ते हुए कहा- हम्म्म्म … चल कोई नहीं … आज मैं तुझे पॉर्न मूवी दिखाती हूँ।
पायल थोड़ा हड़बड़ाती हुई बोली- क्या! सच में?
मैंने हंसते हुए कहा- अरे तू तो ऐसे घबरा रही है जैसे में तेरा रेप करने जा रही हूँ। मैं बस मूवी देखने की बात कर रही हूँ।
इनोसेंट टीन गर्ल पायल को भी अब मेरी बातों में थोड़ा-थोड़ा मजा आने लगा था।
वो मुस्कुराती हुई बोली- अरे मैंने कब कह रही हूँ कि मेरा रेप करने जा रही हैं आप!
मैंने उसके गाल पर चिकोटी काटते हुए कहा- वैसे … तेरी मासूमियत देखकर मन तो कर रहा है कि तेरा रेप कर दूँ।
पायल हंसती हुई बोली- अच्छा … मतलब आप जैसी खूबसूरत और भोली सूरत वाली लड़की ये भी कर सकती है?
फिर हम दोनों हंस पड़ी।
हांलाकि मैं और बात को आगे बढ़ाना चाह रही थी.
लेकिन डर था कि कहीं पहले दिन ही ज्यादा बात बढ़ाने से कहीं मामला उल्टा ना हो जाए।
वैसे भी मैंने जितना सोचा था पहले दिन उससे कहीं ज्यादा तक बात हो चुकी थी।
इसलिए फिर थोड़ी देर और हल्का-फुल्का मजाक करने के बाद हम सो गई।