Raj Kumar Kannada
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" अम्म्ं आह , बस भाईसाहब अब और नही प्लीज "
" अरे क्या नही नही , बस एक घूंट की बात है और ये खाली हुआ समझो " , कमलनाथ डगडगाते हुए हाथ से आईबी बोतल की शीशी से सुनहरी रस के जाम जंगी के गलास मे छलकाते हुए बोला ।
जंगी अधूरे मन से ग्लास पकड़ते हुए - क्या भाईसाहब आप जिद नही छोड़ेंगे हाहाहहा
कमलनाथ अपनी अधभरी हुई ग्लास को गटागट एक सास मे खाली करके खड़ा हुआ - लो भाई हो गया मेरा , चलो घर
जंगी उसकी हिलती और डगमगाती चाल देख कर हड़बडा कर - क्या भाई साहब कहा जाना है, हम लोग घर पे ही है
कमलनाथ ने भौहे सिकोड़ कर आसपास नजर घुमाई और फिर उसके चेहरे पर मुस्कान फैल गयी - अरे हा , हिहिहिहिही हम तो घर मे ही है
जंगी समझ गया कि कमलनाथ को चढ गयी है और वो भी कम नशे मे नही था , उसकी भी हालत हर बीतते पल ढल ही रही थी ।
जन्गीलाल - अरे भाई साहब आप बैथिये और आज रात यही आराम किजीए , मै यहा खाना मगवा लेता हु ।
कमलनाथ झटके से उठने को हुआ मगर मानो उसकी एडिया मे किसी ने लोटा फसा दिया हो , ऐसे असन्तुलित होकर वापस सोफे पर लुढ़का - क्या ! नही नही भाई कल सुबह
जंगी - ओह भाई साहब आराम से
कमलनाथ ने खुद को झक्झोरा और आंखे बड़ी कर फैलाते हुए - यार जंगी , कल सुबह ही मुझे जानीपुर निकलना है और तुम्हारी भाभी कुछ दिन यहा रुकने वाली है अभी तो
रज्जो के रुकने का सुनकर जन्गी का लन्ड फडका - हा तो क्या दिक्कत है भाईसाहब कल सुबह चले जाना
कमलनाथ झुमते हुए - अरे तुम समझ नही रहे हो जन्गी भाई , ये तुम्हारी भाभी से मैने आज की रात का वादा किया था
जंगी - कैसा वादा
कमलनाथ - अरे आज रात मै उसको पेल.....
कमलनाथ ने अपने होठ रोक लिये और ना मे गरदन झटकते हुए- नही नही वो नही बता सकता ।
जन्गी मुस्कुरा कर - आप बताओ या ना बताओ भाई साहब हाहाहहा मै समझ गया
कमलनाथ हिचकी खाते हुए एक आंख उठा कर - हीई मतलब !
जंगी उसको सादे पानी का ग्लास देता हुआ मुस्कुरा कर - अरे भाई साहब ये बिवी से दुरी का गम हम भी झेल चुके है हाहहहा
जन्गी - लग रहा है आपने भी भाभी जी से प्यार का वादा किया था क्यू
कमलनाथ - काहे का प्यार , चोदने की तलब हो रही है बस
जन्गी उसकी बात सुन कर अपना लन्ड भिचआ हुआ - हा लेकिन वहा आपके ससुर जी भी है और बाकी मेहमान भी रुके है , क्या आपका इस हाल मे जाना उचित रहेगा
कमलनाथ की हालत खराब हुई - अरे हा यार , बहिनचोद पीने के चक्कर मे ये ध्यान नही रहा
जन्गी - इसीलिए तो कह रहा हु कि मै खाना मगवा दे रहा हु और आपकी तलब का भी कुछ इन्तेजाम कर ही देता हू
कमलनाथ की इन्द्रियां सतर्क हुई और वो आंखे बड़ी कर - वो कैसे जंगी भाई
जन्गिलाल एक शरारती मुस्कान बिखेर कर - अरे वो पार्लर वाली बॉबी है ना , एक फोन पर दौडी आयेगी रन्डी
कमलनाथ - क्या बॉबी ? नही नही , मेरे पास उससे अच्छा ऑप्शन है
जंगी की जिज्ञासु होकर - अरे वाह , कौन
कमलनाथ एक छोटी सी मुस्कुराहट के साथ - है एक और उसे कल रात मे ही हाहाहाह
जन्गी थोडा सोच मे पड गया कि ऐसा कौन है चमनपुरा मे जो कमलनाथ के एक बुलावे पर आ जायेगी , जबकि कमलनाथ इससे पहले कभी भी यहा आया नही था ।
कमलनाथ हिचकी खाता हुआ - कहा खो रहे है हीई , रुको मै फोन घुमाता हु वो आयेगी तो जान जाओगे
कमलनाथ ने जेब से मोबाइल निकाला और और फिर एक नम्बर डायल कर दिया ।
जन्गीलाल यहा बेचैन होने लगा कि कौन है और कमलनाथ से इसकी पेंच कैसे अटकी ।
रिन्ग जाने लगा तो कमलनाथ ने वाहवाही मे मोबाईल स्पीकर पर कर दिया
तभी उधर से फोन उठा - हा हैलो
कमलनाथ मुस्कुरा कर - कैसी हो जानू
उधर से भी इतराती हुई आवाज आई - मै ठिक हु और बड़ी देर से याद किया आपने
जन्गी को आवाज जानी पहचानी लगी मगर उसे चेहरा याद नही आ रहा था ।
वही कमलनाथ लन्ड मरोडते हुए - अरे मै क्या कह रहा हु अभी आ सकती हो क्या , यही पास मे ही बाजार मे !!
" क्या ? नही नही !! इस वक़्त मै कैसे आ पाऊंगी ?"
"अरे अब नखरे ना करो , आ भी जाओ ना तुम्हारे याद मेरा लन्ड फूला जा रहा है अह्ह्ह्ह " , कमलनाथ ने सिस्क कर कहा ।
"नही नही , इतना टाईम नही रात होने वाली है"
" क्या नौटंकी पेल रही है अरे लन्ड से पेलवा ले ना मेरे " कमलनाथ ने रुआबी कहा बोला ।
जन्गी को ये सही नही लग रहा था क्योकि कमलनाथ नशे मे था ।
तभी फोन पर दुसरी ओर से एक मर्द की आवाज आई - क्या कर रही हो संगीता , जल्दी चलो ।
नाम सुनते ही जन्गी समझ गया कि वो रंगी के सम्धी की बहन है और उसके लिए ये चौकाने वाली थी ।
" देखीये अभी आप होश मे नही है , हम कल सुबह बात करते है ओके बाय " , ये बोल कर संगीता ने फोन काट दिया ।
कमलनाथ - अरे सुनो तो , धत्त मादरचोद साली ।
जन्गी अचरज से मुस्कुरा कर - कमलनाथ भाई , अरे ये समधी की बहन को कब और कैसे
कमलनाथ मुस्कुरा कर - अरे वो खुद साली चुदने आई तो मै क्या करता हिहिही पेल दिया
जन्गी - लेकिन कब
कमलनाथ - अरे जब सब खाना खाने के लिए गये थे उसी समय हाहाहा ,मस्त रसभरी माल है । आ जाती तो हम दोनो की रात बन जाती ।
जंगी - अच्छा कोई बात नही , अब आप आराम करिये मै फोन करके खाना मगा लेता हु
कमलनाथ वही हाल मे सोफे पर बैठा हुआ अपना कुर्ता निकाल कर बनियान और पजामे मे आ जाता है ।
उस्का लन्ड अभी तक उसके पजामे मे तम्बू ताने हुए खड़ा था ।
राज के घर
आज किचन वापस से राज के घर मे शिफ्ट हो गया था ।
किचन मे सुनीता मामी ,शालिनी के साथ साथ निशा और रीना भी थी ।
इधर रंगीलाल अपने ही कुछ काम से घर के बाहर गया हुआ था और वही गेस्टरूम मे रागिनी रज्जो और शिला की हसी ठीठौली चल रही थी ।
उपर अनुज के कमरे मे राहुल अरुण , गीता बबिता और अनुज सब उसके लैपटाप मे एक मूवी देख रहे थे ।
मूवी पर ध्यान सिर्फ अनुज का ही था , बाकी चार बस अपने ही काम मे लगे थे ।
अनुज बीच मे बैठा था और उसके दोनो तरफ गीता बबिता थी । जबकी गीता के सट कर उसकी ओर हल्का सा झुक कर अरुण था और इसी तरह बबिता की ओर राहुल भी झुका हुआ था ।
राहुल के सरारती हाथ बबिता की पीठ पर पीछे से उसके टीशर्ट मे घुस कर रेंग रहे थे , जिससे बबिता बहुत कामोत्तेजित हुई जा रही थी , वो आम्खे बड़ी कर राहुल को डांट लगाने को भी कहती मगर राहुल बड़ी बेहूदगी मे दाँत दिखा कर हस देता ।
वही अरुण को अनुज का थोड़ा डर था , इस मामले मे गीता निडर थी चादर के निचे वो अरुण की उंगलियों से खेल रही थी और अरुण का मुसल फनफना रहा था ।
धिरे से उसने अरुण का हाथ पकड कर अपनी जांघ पर रख दिया और वो आंखे बन्द कर एक गहरी सास लेकर खुद को थामने लगा ।
गीता मुस्कुराइ तो अनुज को उसकी कुनमुनाहट सुनाई दी वो घूम कर एक बार गीता को मुस्कुराते देखा और वही गीता के साथ अरुण की भी फट गयी ।
अनुज - क्या हुआ दीदी
गीता हस कर -कुछ नही मूवी मस्त है हिहिही है ना बबिता
बबिता - अह हा हा , हिहिही बहुत मजेदार
राहुल - तो क्यू ना आज रात हम लोग मूवी ही देखे हिहिहिही
अरुण ने उसकी हा मे हा मिलाया - हा हा क्यू नही मजा आयेगा ।
बबिता राहुल का इशारा समझ गयी , वो भी जान रही थी बजाय वो अपनी मा या घर के किसी बडे के साथ सोये , उस्से अच्छा है अनुज के साथ मूवी देखने के लिए रुक जाये , कही ना कही उनका प्लान कारगर जरुर होगा ।
गीता - हा हा , हम लोग सब देखेंगे सारे भाई बहन एक साथ हिहिहिही
गीता की बात पर राहुल बबिता और अरुण ने चौक कर उसकी ओर देखा और हसने लगे ।
राहुल धीरे से बबिता के कान मे फुसफुसाया - ये तो अभी से मुझे बहनचोद बना देगी
बबिता को राहुल की बात पर हसी आई और उसने अपनी कोहनी को उसके पेट मे चुबो कर चुप रहने का इशारा किया ।
वही गिता को भी समझ आया कि वो क्या बोल गयी और वो भरे लाज मे गरदन घुमा कर अरुण की ओर देखा और हल्का सा होठ से बुदबुदाइ - सॉरी
अरुण ने आंखो से उसको ओके बोला और फिर वापस से सारे लोग मूवी देखने लगे
वही नीचे घर के गेट से राज और बनवारी घर मे दाखिल हो रहे थे ।
राज हाल मे आता हुआ उसकी नजर सबसे पहले मामी पर गयी - अरे मामी , जरा नानू को पानी देना और मुझे भी थोड़ा
राज की आवाज सुनते ही रीना ने गरदन झटक कर उसकी ओर देखा और खुद से खडी होकर पानी देने के लिए उठ गयी ।
राज और बनवारी फ्रेश होने के लिए राज के कमरे मे चले गये ।
बनवारी को जोरो की मूत आई थी तो वो जल्दी से बाथरूम मे घुस गया और राज भी अपना पैंट निकाल कर आलमारी से लोवर खोजने लगा ।
"आज कुछ नही मिलेगा देवर जी ऐसे ही रहो , हिहिहिही
राज चौक कर घुमा तो कमरे मे रीना ट्रे मे पानी और मीठा लेके आई थी ।
राज - मतलब , कहा गये मेरे कपडे
रिना हस कर - वो सब सुखने के लिए उपर गये है , आज मौसी जी ने दोपहर मे धूल दिये थे ।
राज - तो क्या मै ऐसे ही रहु
रिना ने राज के अंडरवियर मे सो रहे थे लन्ड की उभार को देख कर मुस्कुराइ- ऐसे भी अच्छे ही दिख रहे हो देवर जी , बस अपनी बहनो से दुर रहना हिहिहिही
राज रिना का दोहरे अर्थ वाला मजाक समझ गया और इससे पहले कुछ जवाब देता बाथरूम से बनवारी बाहर आ गया ।
राज - भाभी प्लीज मेरे कपडे लेते आओगी प्लीज मै फ्रेश होने जा रहा हु
रिना ने बनवारी के आगे राज का लिहाज किया और नजरे नीची कर मुस्कुराती हुई हा मे सर हिलाकर पानी का ट्रे का वही रख कर निकल गयी ।
इधर राज फ्रेश होकर पानी पिया और थोड़ा बैठा रहा , वही बनवारी मौका पाते ही करवट लेकर लुढक गया ,
रन्जू को जबरजस्त पेलाई और लम्बी पैदल यात्रा से उसकी थकान ने जल्द ही नीद मे ले लिया ।
करीब 15 मिंट बाद रिना ने राज के कमरे का दरवाजा खटखटाया । राज ने एक नजर सोते हुए बनवारी पर डाली और हल्का सा दरवाजा खोल कर उसकी कलाई पकड कर भीतर खिंच लिया ।
" अरे अरे , आराम से हिहिहिही "
" अब कितना आराम से मुझसे तो अब रुका नही जायेगा , कल तो वैसे भी निकल जाओगी आप " , राज ने रीना को अपनी बाहो मे भरते हुए कहा
रिना राज की बाहो मे कसम्साती हुई - आह्ह देवर जी , नाना जी यही है देखो तो अह्ह्ह प्लिज
राज आगे लपक कर रिना के गुदाज गालो को काटता चुमता हुआ - अरे वो सोये है उन्हे सोने दो , आओ ना थोड़ा साह्ह्ह उम्म्ंम्ं उम्म्ंम
तभी बाहर से शालिनी ने रिना को आवाज लगाई और रीना हड़बड़ाती हुई - रात मे देखती हु देवर जी प्लीज , देखो छोटी मौसी बुला रही है ।
राज ने भी रिना चुतड मसले और उसके गरदन के पास चुमता हुआ उस्को छोड़ देता है और फिर अपना लोवर पहनते हुए एक नजर अपनेनाना को देखता है जो अभी भी उसी तरह करवट लिये नीद की आगोश मे थे ।
अमन मे घर
पूजन विधि सब पूर्ण हो चुकी थी ।
सारे लोग हाल मे नास्ते के लिए एकजुट हो रहे थे । रात के खाने की भी तैयारी हो रही थी ।
दुल्हन को अमन के कमरे मे भेज दिया गया उसके नास्ते भी पहुचा दिये गये ।
हाल मे चाय की चुस्की और नरम कुरकुरे पकोड़े कचोरियां नोची जा रही थी , वही भोला और ममता के बीच अलग ही आंखो के इशारे हो रहे थे ।
मगर मुरारी की नजरे संगीता की हरकातों पर जमी हुई , उसका चहकना खिलखिलाना रास नही आ रहा था ।
ममता की नजर मुरारी पर गयी और उसको शान्त देख कर वो भी थोड़ा चुप हुई कि आखिर इन्हे हुआ क्या है , कल से ये खोये खोये है ।
मौके की नजाकत को देख कर वो उठी और मुरारी को इशारा कर कमरे की ओर चलने को कहा
मुरारी उठ कर धीरे से हाल से हट कर गलियारे की ओर आया वही मुहाने पर ही ममता खड़ी थी ।
मुरारी - क्या हुआ क्या बात है ?
ममता - क्या जी आप ऐसे खोये खोये क्यू हो ? कोई बात है क्या ?
मुरारी अपने चेहरे की सिकन मिटाते हुए - नही तो , भला कोई बात होती तो बताता नही , बस थोड़ी थकावट सी है सोच रहा हु आराम कर लू जब तक खाना बन रहा है ।
ममता - आपको तो खुद ही पड़ी रहती है , जरा भी अपने बेटे के बारे मे नही सोचते ?
मुरारी ने एक नजर अमन को हाल मे बैठे हुए मोबाइल चलाते देखा - क्या हुआ उसे , कोई दिक्कत ?
ममता मुस्कुरा कर अपनी भीतर की शरारत को छिपाती हुई - क्या आप भी , अरे आज उसकी सुहागरात है ना !!
मुरारी अपने माथे पर बल देता हुआ - हा तो ?
ममता थोडा लजाती हुई हस कर - तो !! अरे उसको कुछ बतायेन्गे समझाएंगे नही क्या ? हिहिही
मुरारी चौक कर - क्या ? मै !!
ममता - हा तो क्या मै ? अरे आप बाप हो उसके तो कौन बतायेगा समझायेगा , आज से उसका नया जीवन शुरु होने वाला है ।
मुरारी को अजीब सा मुह बनाकर - लेकिन अमन की मा , मै कैसे ? वो बेटा है मेरा ?
ममता अपने होठो मे हसी को दबाती है मगर उसके गुलाबी चेहरे के लाल होते गाल और मुस्कुराते होठ उसके भीतर उठ रही गुदगुदाहट को साफ बयां कर रहे थे - हा तो क्या , आपके बाऊजी ने आपको नही बताया था ? उम्म्ं
मुरारी थोड़ा सोच मे पड़ गया मगर तभी उसकी नजर ममता के चेहरे पर गयी जो भरसक अपनी हसी मुह ने भरे हुए थी मगर सीले होठ से मुस्कुराए जा रही थी और उसे देख कर मुरारी भी मुस्कुरा देता है - अच्छा , तो मेरा मजा ले रही हो
ममता हसते हुए - अरे नही नही मजाक नही, सच मे
मुरारी - अरे लेकिन उसको क्या सिखाना , आज के जमाने के लड़के ये सब जानते है भई , प्लीज मुझे इनसब मे ना लपेटो
ममता मुरारी का मजा लेती हुई - अब आपसे ना कहू तो किस्से कहू , अगर देवर जी ने शादी की होती तो उनसे बोल भी देती , मगर उनके पास कोई अनुभव नही है ना हिहिहिही
मदन का नाम आते ही मुरारी थोडा चिढा और भन्नाते हुए - क्यू नही अनुभव है , बोल दो उसको समझा देगा वो ही
मुरारी का यूँ चिढ़ना ममता को अजीब लगा - अरे आप तो नाराज हो रहे है , आप ही जाओगे अमन से बात करने हिहिहिही मै देवर जी को नही कहूँगी हिहिही
ममता की शरारत भरी खिलखिलाती हसी देख कर मुरारी भी अपने गुस्से को थुक कर हस पड़ा - तुम ना बहुत
ममता - क्या ?
मुरारी हसता हुआ - कुछ नही
ममता हसने लगी - आप कमरे मे जाईये उसे भेजती हु
मुरारी ने एक गहरी सास ली और ममता को सहमती देकर कमरे की ओर बढ़ गया ।
वही ममता मुस्कुरा कर हाल मे आती है और अमन के पास जाती है , जो सोफे पर बैठे हुए सोनल से मस्ती भरी चैटिंग कर रहा था ।
ममता अमन के पास आकर उसके कान मे धीरे से कमरे मे जाने को बोलती है ।
अमन अचरज से अपनी मा को देखता है तो ममता धिरे से बोलती है - जो तेरे पापा बोले सब सुन लेना बहुत सवाल जवाब मत करना मेरी तरह ।
ये बोलकर ममता मुस्कुराने लगी और अमन संशय मे अपने पापा के कमरे की ओर बढ़ गया ।
उसको एक अजीब सी घबराहट हो रही थी , ना जाने क्या बात हुई होगी जो ऐसे समय पर बात करने के लिए अकेले मे बुलाया ।
दुविधा की घडी सिर्फ अमन के लिए ही नही बल्कि मुरारी के लिए भी थी और वो भी बेचैन होकर कमरे मे इधर उधर टहल रहा था ।
अमन कमरे मे दाखिल हुआ और उसने अपने पापा को परेशान होकर कमरे मे परेड लगाता देख कर थोडा और डरने लगा ।
उसे यकीन था कि मामला कुछ गम्भीर ही है , अभी थोड़ी देर पहले उसने छत पर भी अपने पिता को परेशान देखा था ।
अमन दबी हुई आवाज मे - हा पापा आपने बुलाया
मुरारी ने अमन की ओर देखा और परेशान चेहरे पर जबरदस्ती मुस्कुराहट लाता हुआ - अरे बेटा तुम आ गये आओ बैठो ।
अमन आधे आधे कदम चल कर कमरे मे सोफे की ओर बढ़ गया ।
मुरारी - और सब कैसा चल रहा है बेटा
अमन को अजीब लगा कि एक तो उस्का बाप खुद परेशान नजर आ रहा है और खुश होने का नाटक कर रहा है उसपे से अजीबोगरीब ढंग सवालात कर रहा है ।
अमन - मै समझा नही पापा
मुरारी ने खुद को कोसा कि वो क्या उलुल जुलुल बातो को घुमा रहा है
मुरारी ने एक गहरी सास ली और अमन के करीब बैठ कर बिना उसकी ओर देखे - बेटा आज से तुम्हारी लाइफ एक नये सिरे से शुरु होने वाली है । आज तक मेरे और तुम्हारी मा के तुमपर पहले हक थे मगर अब से वो पहला हक तुम्हारी पत्नी का हो जायेगा ।
अमन - क्या पापा आप इस बात को लेके परेशान हो , प्लीज ऐसा कुछ नही होने वाला । माना कि हमारी लव मैरिज हुई लेकिन आप दोनो की जगह कोई नही ले सकता ।
मुरारी - अरे नही बेटा तुम मेरी बात तो सुन लो पहले
अमन - हम्म्म कहिये
मुरारी अटकते हुए स्वर मे - वो दरअसल बेटा ... अह मै कैसे बोलू अब
अमन अपने पापा की ओर देख कर - पापा !! आप संकोच ना करिये प्लीज और कहिये जो आपके मन मे है ।
मुरारी ने आत्मविश्वास झलकते अमन की आंखो मे देखा और मुस्कुरा कर बोला - पता है जब मेरी शादी हुई थी और सुहागरात पर मै और मेरे पिता जी भी ऐसे ही एकान्त मे बैठे हुए थे
अमन - अच्छा !!
मुरारी हसकर - और पता है उन्होने मुझे भी जो वैवाहिक जीवन जीने की सीख दी थी उसकी बदौलत मै और मेरा परिवार दोनो खुशहाल है ।
अमन को अब थोडा थोड़ा भनक होने लगी थी कि उसके बाप का इशारा किस तरफ है
अमन के चेहरे पर हसी भाव आने लगे थे
मुरारी एक गहरी सास लेता हुआ - माना कि तुने लव मैरिज किया है बेटा मगर बीवी हमेशा बीवी ही होती है , उसे कभी भी खुद पर हावी नही होने देना नही तो ये समाज और बीवी खुद तुम्हारा सम्मान नही करेगी ।
मुरारी की बाते अमन के लिए काफी प्रभावशालि तो थी मगर अमन पहले से ही अपने मा के ज्यादा करिब रहा है और वो अपने बाप की तरह रुखेपन भरे जीवन जीने का परिणाम अपनी मा के रूप मे सामने देख सकता था , वो जानता था कि कही ना कही उसकी मा को उसके बाप के अकड़पन और खुद को मर्द जताये रखना खलता था । उसकी मा कई ऐसे सपनो को हकिकत मे नही सजा सकी जो वो अपने पति के साथ जीना चाहती थी । या कहो कि मुरारी के रवैये से कभी खुल कर उसके सामने नही आ सकी ।
उसकी मा को हमेशा से अपने पति मे एक दोस्त की तलाश थी मगर मुरारी के अकड़ के आगे उसका खिलना चहकना कही दब सा गया था , मगर अमन की शादी ने एक बार फिर उसे मौका दे दिया था कि वो इस घर मे उसके मा की वो हसी और खिलखिलाहट वो दोस्ताना मिजाज सामने लाये जिसके लिए उसकी मा बरसो तरसी थी ।
वही मुरारी ने देखा कि उस्का बेटा उसकी बातों को बड़े गौर से विचार कर रहा है ।
मुरारी - बेटा क्या हुआ कहा खोये हो
अमन मुस्कुरा कर - अह कही नही बस आपकी बाते समझने की कोसिस कर रहा था लेकिन मुझे समझ नही आ रही है
मुरारी हस कर - अच्छा तो मै तुझे सरल भाषा मे समझाता हु
अमन - जी
मुरारी - बेटा हमारे जमाने मे एक कहावत हुआ करती थी । लुगाई की चुतड निहारते फिरोगे तो कभी भी गरदन उठा कर नही चल सकोगे ।
अमन की हसी छूट गयी - मतलब
मुरारी हसता हुआ - मतलब ये कि अभी तुम्हारी नयी नयी शादी हुई है तुम्हारे शारीरिक और मानसिक सम्बंध होगे और ये जो नया नया रिश्ता बनता है ना बेटा उसका आकर्षण बहुत मजबूत होता , खाना पिना परिवार समाज किसी का भी ख्याल नही रहता । सम्भोग की तलब बहुत गम्भीर रोग है बेटा इसीलिए हमारे समय मे लोग जल्दी बच्चा करने की हिदायत देते थे ताकि पत्नी मोह से दूरी बनी रहे और आदमी समाज मे अपने बाकी फर्ज भी पूरे कर सके ।
अमन मुस्कुरात हुआ - हम्म वो सब तो ठीक है पापा लेकिन मै अभी भी समझ नही पाया कि आप क्या कहना चाह रहे हो ।
मुरारी - अरे बेटा मेरा बस यही कहना है कि तु अपने पजामे का नाड़ा कस के रखना , आज रात तो न ही खुले , बहू को जरा भी तु बेसबरा ना दिखे ।
मानता हुआ आसान नही होगा , तुमदोनो ने पहले ही कुछ सपने सजोये होगे मगर ये जो मै कह रहा हु करके देख , उसे जला कर तडपा कर रख और मर्द बन कर रह
अमन को अपने बाप की बात पर हसी आ रही थी मगर वो किसी तरह खुद को रोके हुआ था
मुरारी - अरे तुझे हसी आ रही है, मै खुद तीसरे दिन दोपहर मे तेरी मा के साथ....
मुरारी बोलते बोलते रुक गया
अमन ने नजरे उठा कर अपने पापा को देखा और मुस्कुराने लगा ।
मुरारी हस कर सफाई देता हुआ - खैर तु समझदार है अपने हिसाब से समझ बुझ कर ही आगे कदम बढ़ाना ।
इधर मुरारी अपनी बात खतम करने को था तो अमन ने सोचा क्यू न थोडा पापा को भी परेशान किया ही जाये - हम्म ठिक है पापा लेकिन मुझे इस बारे मे कोई अनुभव नही है तो मै कैसे क्या ?
मुरारी - हा तो मुझे ही कहा था , मेरा भी तो पहली बार ही था तेरी मा के साथ!! मेरा मतलब सबका ही पहली बार होता है , इसमे डरने वाली बात नही है बस इस बात का ध्यान रखना कि नाड़ा आखिरी समय पर ही खुले
अमन मन ही मन मजे लेते हुए - आखिरी समय मतलब
मुरारी - ओहो तु तो सब गुड गोबर कर देगा भाई , मेरा मतलब बहू जब खुद से कहे डालो तभी वो ...
मुरारी ने आखिर मे आते आते एक उंगली से दुसरे हाथ के मुथ्ठी मे पेलकर दिखाते हुए बोला ।
अमन - ओह्ह मतलब डिक को लास्ट मे डालना है
मुरारी - क्या ? ये डिक क्या है ?
अमन हस कर - वो नुन्नु को अन्ग्रेजी मे डिक कहते है पापा हिहिहिही
मुरारी झेप और हस्ते हुए - हा भाई वही , तु खुद समझ जायेगा बाकी , चल मै जा रहा हु
मुरारी कमरे से बाहर चला गया और हस्ते हुए बड़बड़ाया - हिहिहिही खुद बीवी के मोह मे 3 बार ब्रा पैंटी लाने बाजार गये थे मुझे कह रहे है सख्त लौंडा बनके रहियो हिहिहिही
इधर मुरारी निकला और मौके की ताख मे खड़ी ममता लपक कर कमरे मे घुस गयि ।
ममता ने सारा वयोवरा अमन से सुना और अपना माथा पीट लिया -हे भगवान,मै क्या ही कहु इनको । मैने किस लिये भेजा था और ये क्या समझा के आ गये ।
अमन - मम्मी यार मुझे पता है सुहागरात पर क्या करना होता है , पापा को क्यू भेजा हिहिहिही
ममता हस कर - अरे कल से ही देख रही हु कि ये कुछ उखड़े उखड़े से थे तो मैने सोचा चलो इनको दुसरा टेनस्न देके थोड़ी मस्ती कर लू लेकिन ये ना जाने क्या क्या ज्ञान दे गये तुझे ।
अमन - हा मम्मी मुझे भी ऐसा ही लगा , और शाम को आज पापा छत पर सिगरेट भी पी रहे थे
ममता चौक कर - क्या ( मन मे - हो ना हो कुछ बात है जो ये मुझसे छिपा रहे है आज पता करना ही पडेगा )
अमन - हा मा मैने खुद देखा
ममता - ठिक है मै बात करूंगी इनसे और उनकी बात पर ध्यान मत देना , तेरा जीवन तेरे हिसाब से जीना
अमन हस कर - ना मै भी पापा की तरह तीसरी दोपहर को ही करून्गा हिहिहिही
ममता - बहुत मार खायेगा अब , चल खाना खा ले और फिर उपर जाना है तुझे
अमन - ओके मम्मी उम्म्ंम्माआह्ह्ह्ह्ह
ममता अपने गाल पोछती हुई - ये क्या है ?
अमन हस कर - वो अभी थोड़ी देर पहले आपकी बहू को चुम्मी दी थी हिहिहिहिही
ममता हसती हुई - धत्त बदमाश कही का चल अब
राज के घर
सारे लोग खाने के लिए हाल मे एकठ्ठे हो रहे थे ,
निशा गेस्ट रूम मे रागिनी रज्जो और शिला को खाना पहुचाती है ।
रंगी और बनवारी हाल मे ही बैठ कर खाना खाने बैठे होते है जिन्हे रिना परोस रही होती है ।
मामी - अरे उपर बच्चे है बुला दो , आकर खा ले
रीना किचन मे आती हुई - अरे मामी वो लोग आज मूवी देखने मे बिजी है , किसी को खाने की पड़ी ही नही , लाईये मै खाना देके आती हु
राज मौका देख कर - हा भाभी चलो मै भी साथ मे चलता हुआ लेके
रिना ने आंखे उठा कर राज को देखा तो उसने आंख मार दी ।
दोनो साथ मे अपनी भी थाली लेकर उपर चले गये और इधर बाकी लोग भी धिरे धीरे खाना खाने बैठ गये ।
कुछ देर बाद शालिनी ने एक टिफ़िन पैक किया और लेकर बाजार वाले घर के लिए जाने लगी ।
तभी रागिनी ने टोका- अरे ऐसे अकेले जायेगी क्या ? रुक मै बच्चो मे किसी एक को साथ भेज देती हु । रात का समय है ।
शालिनी - ठिक है जीजी
जारी रहेगी

















