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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाअध्याय: 02
UPDATE 10
" आओ न , धत्त देखो कैसे शर्मा रही है " , शिला ने रज्जो की कलाई पकड़ कर सीधा मानसिंह के पेंट पर उभरे है लंड पर रख दिया
मानसिंह एकदम से सिहर गया : उफ्फ भाभी जी अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म
शिला : धत्त खोलो जी , आप काहे लजा रहे हो , मै चली जाऊ क्या उम्ममम
मानसिंह लपक कर शिला को पकड़ा और अपने ऊपर खींच लिया: तुम कहा चली मेरी जान , इधर आओ न उम्ममम
अगले ही पल मानसिंह ने शिला के मोटे रसीले होंठ चूसने लगा और इधर रज्जो ने पेंट खोलकर उसका लंड बाहर कर दिया , रज्जो के गुदाज नर्म हथेली में अपना खड़ा लंड महसूस कर मानसिंह के भीतर वासना का गुबार उठने लगा : ओह्ह्ह्ह भाभी जी उम्ममम कितना मुलायम टच है आपका अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
शिला : मेरी जान जरा इनको अपनी रसीले होठों का भी अहसास कराओ न
रज्जो ने मानसिंह का लंड हाथ में लेकर मुठियाते हुए उसकी आंखों के निहारा और अगले ही पल उसका सुपाड़ा गापूच गई
रज्जो ने नर्म गिले होठ आप स्पर्श अपने सुपाड़े पर पाते ही मानसिंह उछल पड़ा : ओह्ह्ह्ह भाभी सो सॉफ्टी उम्ममम अह्ह्ह्ह और लो न उम्ममम ओह गॉड फक्क्क् ओह्ह्ह्ह यशस्स भाभी जी अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह गॉड
शिला भी अपने कपड़े निकाल कर रज्जो के पास आ गई और मानसिंह के लंड पर उभरी हुई नसे देख कर मुस्कुराते हुए उसके आड़ छूने लगी: उफ्फ कितना टाइट है जी , सलहज की जीभ ने जादू कर दिया
रज्जो अपने मुंह से लंड निकाल कर उसे सहलाती हुई : आप भी दिखाओ न अपना जादू दीदी
और अगले ही पल शिला ने लपक कर अपने मुंह में अपने पति का लंड भर लिया और रज्जो अपनी ब्रा खोलने लगी
शिला ने मानसिंह का लंड गले तक ले गई और बाहर कर दिया
मानसिंह : ओह्ह्ह्ह गॉड आज तो पूरे मूड में है मेरी जान उम्मम रुको मै भी कपड़े निकाल दूं
रज्जो मुस्कुराकर शिला के हाथ से मानसिंह का लंड छिनती हुई : उसकी जरूरत नहीं है काम की चीज तो बाहर ही है उम्ममम अह्ह्ह्ह कितना बड़ा और उम्ममम अह्ह्ह्ह
रज्जो तेजी उसका लंड मुंह ने लेते हुए चूसने लगी
शिला : अह्ह्ह्ह भाभी तुम तो बड़ी प्यासी हो अह्ह्ह्ह खा जाओ और लोह उम्ममम ऐसे ही अह्ह्ह्ह अब आई न अपने असली रूप में
शिला उसका सर लंड पर दबाते हुए बोली और रज्जो पूरा लंड गले तक ले गयि
मानसिंह : ओह गॉड भाभी आप तो एकदम ट्रेंड लगती है ओह्ह्ह्ह और और अह्ह्ह्ह यस्स उम्मम डिप डीप ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क्
शिला रज्जो के बड़े चौड़े कूल्हे सहलाती हुई मानसिंह को देखकर : तुम्हे क्या लगा मेरे राजा के लिए मै कोई अनाड़ी लेकर आऊंगी , रज्जो बेबी शो योर मूव्स
शिला ने रज्जो ने के चूतड़ पर चट्ट से पंजा मारते हुए बोली
रज्जो अपने होठ चबाती हुई खड़ी हुई और मानसिंह का लंड अभी भी उसके हाथ में था , वो बड़े ही शरारती निगाह से उसको मुस्कुरा कर देखती है और उसका लंड पकड़ कर बिस्तर को खींच कर ले आती है
रज्जो का ऐसे रंडीपना वाला रूप देखकर मानसिंह का लंड फड़कने लगा
अगले ही पल रज्जो उसके आगे बिस्तर के मुहाने पर ही घोड़ी बनकर अपने नंगे चूतड़ हवा में लहराने लगी
मानसिंह आंखे फाड़े रज्जो की नंगी गाड़ और गदराई जांघों के बीच से झांकती हुई उसकी रसीली चूत के फांके देख कर पागल हो गया और अगले ही उसके रज्जो के चूतड़ पकड़ कर लंड को बुर में सेट करता हुआ हचाक से उतार दिया
रज्जो आँखें भींच कर अपनी 3 रोज से कसी हुई बजबजाई बुर में मानसिंह का लंड गहराई में घुसता महसूस करने लगी
मानसिंह उसके गर्म तपती बुर में लंड डाल कर पागल हो उठा : उफ्फ बहनचोद क्या गर्म माल है अह्ह्ह्ह सीईईई
शिला भी अगले ही पल रज्जो के बगल में घोड़ी बनती हुई मुस्कुरा कर अपने पति को छेड़ती हुई : क्यों मेरे राजा है न तुम्हारी दीदी की बुर से गर्म उम्मम
रज्जो आँखें फाड़ कर मानसिंह के करारे झटके खाते हुए शिला को देखा तो उसने आंख मार कर हस दी ।
मानसिंह : हा मेरी जान मुझे तो तेरे गाड़ की गर्मी पागल करती है ,मगर भाभी जी तो अह्ह्ह्ह
रज्जो सिसकती हुई : उफ्फ अह्ह्ह्ह्ह और उम्ममम देखूं जरा दीदी तुम्हारी गाड़ कितनी गर्म है
और गले ही पल रज्जो ने शिला की गाड़ के सुराख को छेड़ने लगी और शिला मचल उठी
रज्जो : अह्ह्ह्ह ऐसी मुलायम गाड़ को देखकर कोई भी बहनचोद बन जाए , क्यों नंदोई जी
रज्जो ने भी मानसिंह को छेड़ा
मानसिंह तेजी से उसकी बुर में लंड पेलता हुआ हांफता हुआ : हा भाभी सच कह रही हो शिला के गाड़ की सुराख देखकर कोई भी पागल हो जाए
रज्जो और शिला समझ रही थी कि मानसिंह अभी भी कतरा रहा है और अगले ही पल रज्जो ने शिला को आंख मारी और सरक कर आगे हो गई , एकदम से उसकी रसीली बुर से मानसिंह का लंड बाहर हो गया
रज्जो : जरा डाल के दिखाइए न अपनी बहनिया के गाड़ में
रज्जो ने सरककर अपनी टांगे शिला के आगे फैला दी और उसकी आंख मार कर खिलखिलाने लगी
मानसिंह अब शिला की शरारत समझ रहा था और उसने खुल कर मैदान में आने का फैसला कर लिया ।
उसने शिला को गाड़ को पकड़ कर फैलाया और उसके दरारों में मुंह दे दिया
शिला एकदम से मचल उठी : अह्ह्ह्ह मेरे राजा उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह खा जाओगे क्या अपनी दीदी की गाड़ को
रज्जो उसके आगे अपने चूत को शिला के मुंह के पास रखे हुए बोली: भैया की दीदी तुम भी खाओ न अह्ह्ह्ह सीईईईई ओह्ह्ह्ह उम्मम काट काहे रही हो दीदी अह्ह्ह्ह सीईईईईई
और अगले ही पल जो जीभ रज्जो के बुर के फांके पर लहरा रही थी एकदम से अंदर घुस गई , पीछे देखा तो मानसिंह उसकी गाड़ में लंड उतार चुका था : अब ठीक है न भाभी
शीला : उम्मम मेरे राजा पेलो न हचक के अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम ऐसे ही अह्ह्ह्ह्ह और तेज
रज्जो : क्यों दीदी के गाड़ फाड़ रहे हो मजा नहीं आ रहा है क्या उम्मम अह्ह्ह्ह मुझे तो बहुत मजा आ रहा है तुम्हारी दीदी से अपनी बुर चटवाने में अह्ह्ह्ह्ह काटती है साली अह्ह्ह्ह्ह नंदोई जी जरा कस कर फाड़ना तो
मानसिंह रज्जो के बातों से उत्तेजित हुआ जा रहा था और वो हुमच कर लम्बे लंबे शॉट शिला की गाड़ में लगाने लगा जिससे शिला के होठ बार बार रज्जो की बुर में रगड़ खाने लगे : अह्ह्ह्ह्ह हा नंदोई जी ऐसे ही ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
शिला : ओह्ह्ह और उम्मम मजा आ रहा है और उम्मम यस मेरे राजा रुकना मत अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह फक मीई फक मीईई ओह्ह्ह्ह यश उम्ममम और फास्ट ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह फक्क्क् मीईईईई
मानसिंह : उफ्फ माय सेक्सू यू वाना मोर उम्मम जस्ट लाइक दैट उम्मम , कम हीयर
और अगले ही पल मानसिंह ने शिला को पकड़ कर घुमाते हुए उसे अपने पास खींच लिया और लंड उसकी बुर में सेट करता हुआ हचाक से उतार दिया और तेजी से पेलने लगा
रज्जो उन दोनों की आपसी ट्यूनिंग और चुदाई के लिए जोश को देखकर पागल होने लगी और सरक कर मानसिंह के पास आने लगी
मानसिंह ने उसको पकड़ कर अपने पास किया और उसके लिप्स चूसने लगा , रज्जो उसके लिप्स का स्पर्श पाते ही पिघलने लगी उसकी बुर बुरी तरह से बजबजा रही थी और उसे लंड की तलाश थी
उसने मानसिंह से अपने होठ छुड़ाते हुए हांफते हुए बोली: फ़क मीईईई
इतना सुनने की देरी थी कि मानसिंह ने शिला को झटक कर दूसरी ओर किया और रज्जो को कमर से पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया , रज्जो ने उसके चेहरे को थाम कर उसके लिप्स चूसने लगी और मानसिंह उसके नरम चूतड़ मसलते हुए उसको बेड पर लिटा दिया और उसकी एक टांग उठा कर उसके बुर को मुठ्ठी में सहलाने लगा और अगले ही पल उसने अपना लंड जो पहले से ही शिला के रस से नहाया हुआ था उसको रज्जो की बुर के उतार दिया
रज्जो का आग्रह मानसिंह में दुगना जोश भर चुका था और उसका लंड पूरा फूल चुका था जिससे रज्जो अपनी बुर में कसा महसूस कर रही थी
रज्जो : अह्ह्ह्ह्ह नंदोई जी ये और मोटा हो गया है अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम
मानसिंह करारे झटके लगता हुआ : निकाल दूं क्या भाभी जी उम्ममम
रज्जो एकदम से तड़प उठी : नहीं नहीं मुझे चाहिए और कस के पेलो मुझे अह और तेज आह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह आएगा और तेज अह्ह्ह्ह सीईईईईई रुकना मत ओह्ह्ह्ह सीईईईई
शिला : झड़ जाओ मेरी जान आह्ह्ह्ह सीईओ ओह्ह्ह ओम
रज्जो ने शिला को अपने पास पाकर उसके दूध चूसने लगी और वही मानसिंह और तेज झटके देने लगा
रज्जो की आंखे फैलने लगी उसने अपनी बुर का छल्ला कस दिया उसके लंड पर : हा नंदोई जी उम्मम अह्ह्ह्ह्ह और और वही हा ओह्ह्ह्ह सीईईई आएगा अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह
रज्जो भलभला कर झड़ने लगी , वही रज्जो की चूत में मानसिंह का लंड पूरी तरह कसा था और सुपाड़े पर गर्म लावा महसूस हो रहा था
रज्जो की कामुक सिसकिया और उसकी लंड पर पकड़ ने उसे चरम पर ला दिया था और उसने झटके से लंड बाहर निकाला और रज्जो के पेट पर झड़ने लगा : अह्ह्ह्ह भाभी मजा ला दिया तुमने अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह फक्क्क् ओह्ह्ह्ह गॉड
एक के बाद एक लंबी पिचकारी रज्जो के दूध तक मानसिंह छोड़ता रहा और शिला रज्जो के जिस्म पर लगी मलाई को जीभ से चाट रही थीं।
रज्जो : हीहीही बस करो दीदी अब गुदगुदी हो रही है
शिला उसके रसीली चूचि के निप्पल चुबला कर : अभी मेरे सैया का मोटा लंबा लंड ले रही थी नहीं लग रही थी गुदगुदी है उम्ममम ,
रज्जो ने सिसक कर मानसिंह को देखा और दोनों नजरे टकराई , साफ झलक रहा था कि दोनों अभी भी एक दूसरे के लिए प्यासे है ।
शिला ने नोटिस किया दोनों एक दूसरे को ताड़े ही जा रहे है : ओहो देखो तो तोता मैना को उम्मम
रज्जो मुस्कुरा कर लजा गई और उठने लगी तो शिला ने उसे धर लिया: अहा अभी कहा ?
रज्जो ने एक नजर मानसिंह को देखा : फिर ?
शिला उसके ऊपर आती हुई उसके होठों से होठ जोड़ने लगी और उसकी गुदाज नरम फूली हुईं छतिया रज्जो की मोटी चूचियो से रगड़ खाने लगी जिससे रज्जो सिसकने लगी : फिर क्या , और नहीं लेना उम्मम , चाहिए न
रज्जो ने उसकी ओर देख कर हा में सर हिलाया और आंखे बंद करने लगी क्योंकि नीचे उसकी चूत के फांके पर उसे मानसिंह का कड़क लंड एक हर फिर अपने सुपाड़े को चुभोने लगा था
तभी शिला का मोबाइल बिस्तर पर बजा और उसने स्क्रीन पर आ रही unknown number की काल को देख कर हल्की सी भुनभुनाई , जिसे सिर्फ रज्जो ही सुन पाई और जैसे ही फोन कटा , मानसिंह वापस से अपना लंड घिसने लगा और रज्जो की सिसकिया उठने लगी कमरे में ।
चमनपुरा
दुकान में बैठा राज आज बहुत बोरियत महसूस कर रहा था , इन दिनों उसकी तलब किसी नई चूत के लिए उठ रही थी । रह रह कर उसकी नजर काजल भाभी के ऑर्डर वाले box पर जा रही थी और जिसका पैकेट पहले ही राज ने खोल कर देखा चुका था । वो बड़ा मोटा डिल्डो काले रंग का , काजल भाभी की इस तरह ही ख्वाहिश ने राज की भीतर से वासना से भर दिया था ।
उसने व्हाट्सअप पर काजल भाभी को कई मैसेज भेजे थे मगर उसे किसी का कोई जवाब नहीं मिला अभी तक , स्क्रॉल करते हुए उसकी नजर सरोजा के व्हाट्सअप स्टेट्स पर गई । जिसमें सरोजा ने एक गदराई महिला का फोटो डाला था और लिखा था , happy birthday bhabhi
वो औरत कोई और नहीं संजीव ठाकुर भी बीवी थी , चटक लाल होठ ,बड़े भड़कीले कूल्हे और गोरे गुलाबी गाल उसपे से बड़े बड़े थन जैसे चूचे जो साड़ी में ढके थे । कातिल लग रही थी ठकुराइन ।
राज को कुछ सुझा और उन्हें वाट्सअप पर जन्मदिन की बधाई का मैसेज कर दिया ।
राज : HAPPY BIRTHDAY MY DEAR BEAUTIFUL AUNTY
अगले ही पल ठकुराइन ने मैसेज सीन किया और टाइप करने लगी
ठकुराइन : thank you beta , god bless you
इतना जल्दी रिप्लाई पाकर राज खुश हो गया
राज : Aunty apni ek pyaari si photo send kro
ठाकुराइन: kyo?
राज: wo status lagani hai aapki b'day wali
ठाकुराइन: so sweet beta , ruko deti hu , abhi wali du ya koi puraani
राज का जी ललचाया : abhi wali hi dedo , kya pahana hai aapne waise ? Saree me pyari lgati hai ap
ठकुराइन: oh really , abhi maine ye pahana hai
और ठकुराइन ने एक सेल्फी खींच कर भेजा , जिसमें वो खुद को बोल्ड दिखाने की कोशिश कर रही थी , शायद ये राज ने उसकी तारीफ की थी इस वजह से असर रहा होगा ।
जैसे ही वो तस्वीर राज ने देखी उसकी आंखे बड़ी हो गई , ठकुराइन इस वक्त एक नाइटी में अपनी सेल्फी लेकर भेजी थी जिसमें उसके निप्पल पूरी तरह से नाइटी पर उभरे हुए थे ।
राज उन्हें देख कर सन्न रह गया ।
राज : aunty, ye waali foto lgaaunga to maar padegi mujhe
ठकुराइन : kyo?
राज: aap khud dekh lo
और कुछ ही देर में वो फोटो डिलीट हो गया ।
ठकुराइन: badmaash kahi ke , chalo mai nahane ja rahi Hu, bye
राज: aur photo?
ठकुराइन : aaker deti hu baba ,achchi waali jise lgane se mar na pde
राज: okwaity waity
ठाकुराइन: paagl
फिर राज दुकान के कामों में लग गया और ग्राहकों की भीड़ में कब 2 बज गए पता ही नहीं चला । उसकी नजर मोबाइल पर तब गई जब उधर से ठकुराइन का व्हाट्सएप पर वीडियो काल आने लगा ।
राज झट से उठ कर केबिन में चला गया और वीडियो कॉल उठाया
सामने ठाकुराइन गजब की लग रही थी वीडियो काल पर , ब्लू सिफान साड़ी में। गिले बालों में उसकी कामुकता निखर रही थी । और बड़े बड़े रसीले मम्में ब्लाउज में पूरे चुस्त कसे थे ।
ठकुराइन: कहा बिजी हो
राज : बस आंटी कस्टमर थे दुकान पर , ओहो तो नहा ली आप
ठकुराइन : हा भाई नहा ली , देखो कैसी लग रही हूं ये वाली फोटो भेज दूं
ठाकुराइन ने बैक कैमरा करके आइने के आगे खड़ी हो गई । उफ्फ क्या कातिल कमर थी , भरी हुई चर्बीदार और गुदाज नाभि साड़ी से झाक रही थी , ब्लाऊज में भरे हुए चूचे साड़ी के पल्लू से बाहर निकल गए थे और पीछे उठे हुए चूतड़
राज : वाव आंटी कितनी प्यारी लग रही हो , ये वाली ही भेजो
ठाकुराइन : वैसे अभी तक तुम्हारी अंकल ने भी नहीं देखा मुझे ऐसे , लकी हो तुम , वो बाहर खड़े राह दे रहे है ।
राज : सच्ची में ? लग रहा है आप कही बाहर जाने वाली है ?
ठकुराइन : हा बस यही घाट वाले मंदिर पर ही जा रहे हैं हम लोग , और शाम को पार्टी है और तुम्हे आना है ।
राज एकदम से चौक गया : अरे लेकिन मै कैसे ? अंकल ने पूछा तो ?
ठाकुराइन: तुम्हारे अंकल तो पहले ही तुम्हारे पापा को बोल चुके है मगर वो तो ससुराल है तो तुम ही आ जाओ
राज ने कुछ सोचा: ओके लेकिन गिफ्ट क्या लोगे ?
ठकुराइन: गिफ्ट ? उसकी क्या जरूरत है तुम आ जाना बस ?
राज : नहीं ऐसे कैसे , आप कहो तो उस वाली दुकान से मेकअप किट लेते आऊ , अंकल को तैयार होकर दिखाना हीही
ठकुराइन: अरे , कुछ ज्यादा नहीं हो गया , पागल कही के
राज हस कर : सॉरी आंटी ,
ठकुराइन : नहीं मेकअप के बहुत सारे प्रॉडक्ट है मेरे पास , लेकिन एक चीज चाहिए थी , पता नहीं होगी भी या नहीं तुम्हारे यहां।
राज : अरे आप कहो तो , खोज लाऊंगा
ठकुराइन हिचकने लगी : नहीं , अभी तुम मेरे बेटे जैसे हो । मै ये सब , नहीं छोड़ो
राज : आंटी , प्लीज कहिए न , इसमें इतना शर्माने या झिझकने जैसा क्या है ?
ठाकुराइन: वो दरअसल मुझे हेयर रिमूवर वैक्स चाहिए , होगी क्या तुम्हारे यहां
राज : बस , यही ? ठीक है लेते आऊंगा रात को
ठकुराइन : अरे बुद्धू रात को क्या करूंगी , वो तो पार्टी से पहले चाहिए होगा न ( ठकुराइन थोड़ी लजाती हुई बोली और राज भी थोड़ा हिचका)
राज : फिर मै तो अभी इस दुकान पर हु बर्तन वाले , अनुज भी नहीं आया है कालेज से !
ठाकुराइन: अच्छा तुम मुझे रास्ते में दे देना जब मै नदी की ओर आऊंगी तो ले लूंगी ।
राज अपना दिमाग तेजी से दौड़ाने लगा , पहली बात तो ये थी कि वो खुद की दुकान पर जा तो सकता नहीं था लेकिन पास वाली दुकान से जरूर ले सकता था और उसने हामी भर दी ।
फिर थोड़ी बात चीत के बाद फोन कट हो गया ।
राज खुश था कि उसे एक नई उम्मीद नजर आ रही थी और वो ठाकुराइन के समान की व्यवस्था करने लगा ।
वही दूसरी ओर अनुज कालेज से निकल कर अपने कास्मेटिक दुकान पर आया , जहां उसकी मां राह खोज रही थी
रागिनी परेशान होकर : तू आ गया बेटा , कबसे राह देख रही थी लेट क्यों हुआ
अनुज : मम्मी यार कल संडे है और मेरे प्रोजेक्ट पूरे नहीं है तो टीचर मुझे रोक कर समझा रही थी ।
रागिनी : अच्छा ठीक है, तू बैठ मै घर से आ रही हूं
अनुज : क्या ही गया ?
रागिनी : अरे बेटा इधर आ
रागिनी उसे पीछे वाले कमरे में ले गई
रागिनी : वो सुबह मै ये ब्लाउज पहन कर आई थी मगर यहां तो सब मुझे घूर रहे है । अच्छा नहीं लग रहा है बेटा
अनुज की नजर एकदम से अपनी मां की डोरी वाली ब्लाउज पर गई जिसने उसने सुबह खुद बांधा था
अनुज: अच्छी तो लग रही है मम्मी , क्यों बदलना फिर
रागिनी : हा लेकिन मुझे थोड़ी दिक्कत हो रही है सब देख रहे है तो अजीब लग रहा है
अनुज : सुंदर चीजों को सब देखते है , इसमें क्या है ? आप सुंदर लग रही हो तो देखेंगे नहीं
रागिनी मुस्कुरा कर : धत्त पागल
अनुज : और क्या आपको तो और भी सेक... मतलब अच्छी अच्छी डिजाइन की सिला कर पहननी चाहिए
रागिनी ने उसे बड़े ताज्जुब होकर देख रही थी
अनुज : और पता है मेरी एक दोस्त है उसकी मम्मी एडवोकेट है वो जींस पहनती है और टॉप पहनती है
रागिनी हैरत से उसको देख कर हस्ती हुई : तो क्या अब मै जिंस पहन कर दुकान में बैठूंगी , पागल हीही
अनुज : धत्त आप समझ ही नहीं रहे हो , मेरा मतलब आप खुद को मॉर्डन बनाओ न । थोड़ा टीशर्ट प्लाजो स्कर्ट पहनो घर में ।
रागिनी : धत्त मै नहीं पहनने वाली वो सब कैसा लगूंगी मै भक्क
अनुज : अरे ब्लाउज पेटीकोट पहन कर रहती हो न आप , बस उसकी जगह टॉप और स्कर्ट पहन लो हल्का रहता है और आरामदायक भी
रागिनी कुछ सोचते हुए : हा लेकिन फिर भी नहीं , तेरे पापा देखेंगे तो बोलेंगे ।
अनुज : लेकिन अभी पापा है कहा ? जब तक वो नहीं आते पहन लो
रागिनी : बोल तो ऐसे रहा है कि खरीद कर रखा है मेरे लिए , बड़ा आया
अनुज : ओहो मेरी भोली मम्मी , सोनल दीदी के टीशर्ट ट्राई करो न
रागिनी एकदम से खिलखिला पड़ी और अनुज अचरज से उसको देखता हुआ : क्या हुआ ?
रागिनी : तुझे सोनल और मुझमें फर्क नहीं दिखता
अनुज : कैसा फर्क ?
रागिनी : अरे पागल उसके कपड़े मुझे चुस्त आयेंगे , सीने पर
अनुज की नजर सहसा अपनी मां के बड़े मोटे मम्मे पर गई थी जो बिना ब्रा के उनकी ढीली ब्लाउज में लटक रही थी ।
अनुज : एक बार ट्राई तो करो , टीशर्ट फैलता भी है , हो जाएगा आपको ।
रागिनी : अच्छा ठीक है दादा कर लूंगी ट्राई , अब खाना ले चल
अनुज : आप खिलाओगे ?
रागिनी मुस्कुरा कर उसके गाल खींचती हुई : क्यों नहीं मेरा बच्चा , बैठ आ जा
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वही ममता के घर उसके कमरे में मदन की बेचैनी बढ़ रही थी ,
वो कमरे में टहल रहा था , उसकी नजरें बेचैन होकर इधर उधर कमरे में चीजे देख रही थी
तभी बाथरूम से ममता ने आवाज दी : देवर जी जरा तौलिया देंगे
ममता की आवाज सुनते ही मदन ने लपक आकर बिस्तर पर रखा हुआ तौलिया उठाया और बाथरूम का दरवाजा खोल कर बिना अंदर झाके हाथ घुसा दी : पकड़िए भाभी
ममता : अरे कैसे पकडू, मै इधर हु इतना भी क्या शर्मा रहे है कपड़े पहने है मैने आइए
ममता के बात पर मदन थोड़ा मुस्कुराता हुआ नजरे चुराता हुआ बाथरूम खोलकर जैसे ही अंदर घुसा उसे ममता बाथरूम में एक कोने में शावर के नीचे नाइटी में भीगती हुई दिखी ,
पानी ने उसके जिस्म से नाइटी की इस कदर चिपका रखा था कि उसके जिस्म का हर कर्व नजर आ रहा था और उसके दोनों मोटे बड़े मुनक्के जैसे निप्पल बिजिबल होकर झलक रहे थे उस गीली नाइटी में
मदन ने नजर भर में ममता को ऊपर से नीचे तक स्कैन कर लिया और तालिया देते हुए उसकी नजर बाथरूम के हैंगर पर सूखते ममता के ब्रा पैंटी पर गई , ये वही विजिबल ब्रा पैंटी थी जिसे हालही के मुरारी ने अमन से ऑनलाइन मंगवाया था , मगर लाजन ममता ने उस रोज के बाद उसे दुबारा नहीं पहना था और न ही कभी उसे बाहर धूल आकर सूखने के लिए डाली थी
ममता ने देखा कि मदन एक तक उसकी ब्रा और पैंटी को निहार रहा था तो उसकी हसी छूट गई , आमतौर वो मदन को छेड़ती रहती थी भाभी के पद से : पसंद आ गई हो लेते जाओ , पहन कर बताना फिटिंग कैसी है ।
ममता की बात सुनकर मदन मुस्कुराने लगा और लजाता हुआ : धत्त भाभी आप भी न , बोलिएगा मै बाहर हूं
ममता उसकी बात सुनकर हसने लगी वही ममता की बातों से मदन भीतर से हिल गया , कल रात का वो नजारा , फिर आज अपनी भाभी को सहारा देकर बाथरूम तक लाना , उन्हें भीगी हुई विजिबल नाइटी में देखना , मदन का लंड सर उठाने लगा था
तभी ममता की आवाज आई : आ जाइए देवर जी
मदन बाथरूम के दरवाजे पर ही खड़ा था और उसने अपना लंड सेट किया और बाथरूम में घुसा , सामने ममता वही तौलिया लपेटे हुए थी ,
जिसमें उसकी चिकनी जांघें और ऊपर से मोटी चूचियो की पहाड़िया दिखाई दे रही थी
ममता ने उसको घूरता देख हस कर उसे छेड़ते हुए बोली : बस करिए देवर जी , तौलिया खोल कर ही मानेंगे क्या ? वैसे कुछ पहना है नहीं हीही
ममता के इस मजाक से मदन भीतर से चुलबुला उठा और उसके मुंह से हल्की बुदबुदाहट हुई : रात से तो ज्यादा ही पहनी हो
ममता एकदम से चौकी : क्या बोले ?
मदन की चोरी पकड़ी गई और वो बेशर्मी से मुस्कुराने लगा और ममता का हाथ पकड़ कर उसे बाथरूम से बाहर लाने लगा : कुछ भी तो नहीं !
ममता : तो रात में देख लिया था आपने मुझे , क्यों ?
मदन एकदम से लजा गया : हा , वो बस कमरे में जाते हुए नजर पड़ गई थी मेरी
ममता हस कर : बस नजर पड़ी थी , चलो झूठे , ऊपर से पीछा करते आ रहे थे मेरा
मदन सफाई देता हुआ : अरे तो आप भाग भी तो रही थी कितनी तेज , आवाज दिया फिर भी नहीं बोली कुछ
इस बार झेंपने की बारी ममता की थी : हा वो मै , छोड़िए , आलमारी से मेरी एक नाइटी निकाल देंगे ।
ममता ने जैसे ही टॉपिक बदला मदन ने भी लिहाजन चुप हो गया और आलमारी से उसकी एक नाइटी निकाल कर उसे देते हुए : भैया को पता है ?
तभी बाथरूम से ममता ने आवाज दी : देवर जी जरा तौलिया देंगे
ममता की आवाज सुनते ही मदन ने लपक आकर बिस्तर पर रखा हुआ तौलिया उठाया और बाथरूम का दरवाजा खोल कर बिना अंदर झाके हाथ घुसा दी : पकड़िए भाभी
ममता : अरे कैसे पकडू, मै इधर हु इतना भी क्या शर्मा रहे है कपड़े पहने है मैने आइए
ममता के बात पर मदन थोड़ा मुस्कुराता हुआ नजरे चुराता हुआ बाथरूम खोलकर जैसे ही अंदर घुसा उसे ममता बाथरूम में एक कोने में शावर के नीचे नाइटी में भीगती हुई दिखी , पानी ने उसके जिस्म से नाइटी की इस कदर चिपका रखा था कि उसके जिस्म का हर कर्व नजर आ रहा था और उसके दोनों मोटे बड़े मुनक्के जैसे निप्पल बिजिबल होकर झलक रहे थे उस गीली नाइटी में
मदन ने नजर भर में ममता को ऊपर से नीचे तक स्कैन कर लिया और तालिया देते हुए उसकी नजर बाथरूम के हैंगर पर सूखते ममता के ब्रा पैंटी पर गई , ये वही विजिबल ब्रा पैंटी थी जिसे हालही के मुरारी ने अमन से ऑनलाइन मंगवाया था , मगर लाजन ममता ने उस रोज के बाद उसे दुबारा नहीं पहना था और न ही कभी उसे बाहर धूल आकर सूखने के लिए डाली थी
ममता ने देखा कि मदन एक तक उसकी ब्रा और पैंटी को निहार रहा था तो उसकी हसी छूट गई , आमतौर वो मदन को छेड़ती रहती थी भाभी के पद से : पसंद आ गई हो लेते जाओ , पहन कर बताना फिटिंग कैसी है ।
ममता की बात सुनकर मदन मुस्कुराने लगा और लजाता हुआ : धत्त भाभी आप भी न , बोलिएगा मै बाहर हूं
ममता उसकी बात सुनकर हसने लगी वही ममता की बातों से मदन भीतर से हिल गया , कल रात का वो नजारा , फिर आज अपनी भाभी को सहारा देकर बाथरूम तक लाना , उन्हें भीगी हुई विजिबल नाइटी में देखना , मदन का लंड सर उठाने लगा था
तभी ममता की आवाज आई : आ जाइए देवर जी
मदन बाथरूम के दरवाजे पर ही खड़ा था और उसने अपना लंड सेट किया और बाथरूम में घुसा , सामने ममता वही तौलिया लपेटे हुए थी , जिसमें उसकी चिकनी जांघें और ऊपर से मोटी चूचियो की पहाड़िया दिखाई दे रही थी
ममता ने उसको घूरता देख हस कर उसे छेड़ते हुए बोली : बस करिए देवर जी , तौलिया खोल कर ही मानेंगे क्या ? वैसे कुछ पहना है नहीं हीही
ममता के इस मजाक से मदन भीतर से चुलबुला उठा और उसके मुंह से हल्की बुदबुदाहट हुई : रात से तो ज्यादा ही पहनी हो
ममता एकदम से चौकी : क्या बोले ?
मदन की चोरी पकड़ी गई और वो बेशर्मी से मुस्कुराने लगा और ममता का हाथ पकड़ कर उसे बाथरूम से बाहर लाने लगा : कुछ भी तो नहीं !
ममता : तो रात में देख लिया था आपने
ममता मुस्कुरा कर : नहीं , क्यों ?
मदन उसकी शरारत को बढ़ावा देता हुआ : अगर पता चल गया तो ?
ममता : उन्हें बताएगा कौन आप ? हीही, आपने इतनी हिम्मत कहा जो अपने भैया से बोल पाओ , बोलो कह पाआगे
मदन एकदम से हड़बड़ा गया : नहीं , वो
ममता खिलखिलाती हुई : बस निकल गई हवा , बड़े आए मुझे ब्लैकमेल करने वाले हीहीही ,
ममता की बिंदास बोली सुनकर मदन बेजवाब हो गया और ममता मुस्कुराते हुए पैर रगड़ते हुए बिस्तर तक आई : जाते हुए दरवाजा बंद कर दीजियेगा
ममता ने थोड़ा ताना सा मारा मस्ती में मदन को और मदन उतरा हुआ मुंह लेकर कमरे से बाहर आ गया ।
कुछ देर बाद ममता काटन की नाइटी डाल कर हाल में आई तो देखा मदन चुप चाप बैठा है ।
ममता हस कर : अरे दादा , देखो तो कैसे बच्चों जैसे मुंह फूला कर बैठे है
ममता की बात पर मदन मुस्कुरा उठा : ऐसी बात नहीं है , वो मै सोच रहा था ...
ममता नहाने के बाद थोड़ी फ्रेश थी मगर अभी भी चलने में थोड़ी तकलीफ हो रही थी और पैर में आई चोट से उसके बड़े चौड़े कूल्हे और भी झटके खा रहे थे चलने पर वो चलती हुई किचन में गई और उसकी बात काटते हुए : खाना खाएंगे ?
ममता ने घूम कर मुस्कुराते हुए देखा और मदन की नजर उसके बड़े चौड़े चूतड़ों पर गई जो नाइटी में पूरी उठे हुए थे , उसपे से ममता की कातिल मुस्कुराहट ने उसकी सांसे बेचैन कर रखी थी : हा , लेकिन वो मै कह रहा था कि आप ऐसे क्यों घूम रही थी छत पर
ममता कुछ बोली नहीं और खाना परोस कर थाली लेकर आती हुई मदन के पास खड़ी होकर उसकी आंखों में देखते हुए खाने की थाली झुक कर टेबल पर रखते हुए बोली : इतना क्यों बेसब्रे हुए जा रहे है देवर जी , रात में पता चल जाएगा न
ममता अपनी शरारती मुस्कुराहट से आंखे नचाते हुए बोली और खड़ी हो गई और इतना काफी था मदन को उत्तेजित करने के लिए।
मदन की भूख एकदम से गायब ही हो गई , और उसके पेट में अजीब सी हड़बड़ाहट होने लगी थी । उसके जहन में कुछ तो प्लानिंग चल रही थी
मदन : भाभी ! भइया कब आयेंगे ?
ममता : अरे हा मै भूल ही गई , जरा फोन करेंगे उन्हें , लगाइए न
मदन अजीब नजरो से ममता को देख और फिर फोन निकाल कर डायल करने लगा ।
रिंग गया और उधर मुरारी ने फोन उठाया
: हा मदन कहो ?
: जी प्रणाम भैया , वो भाभी पूछ रही थी कि आप कब तक आयेंगे
: अरे भाई , आ जाऊंगा कल शाम तक
: जी ठीक है ( मदन ने शांत होकर कहा और ममता हंसे जा रही थी जिस तरह से मदन का मुंह चोखा हुआ था )
: अच्छा सुनो , तुम्हारी भाभी कहा है , फोन दो ?
: जी लीजिए बात कीजिए ( मदन ने मोबाइल ममता को दिया और ममता किनारे होकर बात करने लगी , मदन खाना खाने लगा )
ममता से बात करने के बाद मुरारी ने मोबाइल जेब में रखा और वापस गाड़ी के पास आता हुआ मंजू के पास गया
मुरारी ने इशारे से उसे बाहर आने को कहा और मंजू चुपचाप निकल आई गाड़ी से
मुरारी उसके पास आकर धीरे से बोला : यहां तुम फ्रेश हो सकती हो , आओ
मंजू ने हा में सर हिलाया और दोनों बाथरूम की ओर बढ़ गए , जो हाइवे से लग कर एक बड़ा ढाबे जैसा होटल था ।
मुरारी ने मंजू को टॉयलेट की ओर ले गया , वहा दो टॉयलेट थे जो आपस में सटे थे और उनके बीच की दिवाल पूरी नहीं उठी थी थोड़ा गैप था ।
मुरारी उसको एक बाथरूम में भेज दिया और दूसरे वाले में खुद चला गया । मुरारी के भीतर वासना का गुबार तो 10 मिनट पहले ही उठ चुका था , जब वो बाथरूम चेक करने के लिए आया था , उसने पहले ही अंदाजा लगा दिया था कि वो अपने वाले टॉयलेट से उसकी सीट पर चढ़ कर दूसरी तरफ झांक सकता और उसे मंजू के नंगे चूतड़ देखने का इससे अच्छा मौका नहीं मिल सकता था । लेकिन ऐन मौके पर मदन का फोन उसको इरिटेट कर दिया था और नतीजन मदन को फटकार मिली थी ।
बड़े ही डरते हुए मुरारी ने अंग्रेजी टॉयलेट सीट पर चढ़ा , डर था कि कही टूट न जाए और जैसे ही उसने दिवाल के पार दूसरी ओर झांका उसका लंड पजामे में झटके खाने लगा
मंजू अपनी पूरी साड़ी समेट कर अपने मोटे कूल्हे खोलकर मूतने बैठ गई और उसके बड़ी बड़ी गोल मटोल चूतड़ों को देख कर मुरारी की आंखे चमक उठी और जैसे ही मंजू उठने को हुई वो पीछे हो गया , मगर किसी साए के पीछे होने का अहसास जैसे ही मंजू को हुआ उसने झट से ऊपर देखा तो उसकी नजर टॉयलेट की अधूरी दिवाल पर गई और उसके जहन में शंका की बीज फिर उभरने लगा ।
बगल वाले बाथरूम में मुरारी का होना और पूर्व में उसकी जैसी हरकते रही है उसे देखते हुए मंजू को शक होने लगा कही वो झांक तो नहीं रहा था ।
इसीलिए वो जांचने के लिए बाथरूम में रुकी रही जबतक कि मुरारी बगल वाले टॉयलेट से निकल नहीं गया ।
उसके जाते ही मंजू निकल आई और बगल वाले टॉयलेट के खुले दरवाजे से अंदर देखा तो अंदर इंग्लिश सीट लगी थी और उसका शक यकीन में तब बदला जब उसने चप्पलों के ताजा निशान टॉयलेट सीट की ढक्कन पर देखे । उसकी सांसे तेज होने लगी , उसे मुरारी का किरदार समझ नहीं आ रहा था और वो हाथ धूल कर चुपचाप बाहर निकल आई ।
उसके बाद वही सबने खाना खाया , मंजू की चुप्पी मुरारी तोड़ने की कोशिश कर रहा था मगर सफल नहीं दिख रहा था ।
मंजू भी भीतर से उलझी हुई थी , उसके मन में एक ही सवाल उठ रहा था कि कही वो एक मुसीबत से निकल कर किस नई मुसीबत में फंस तो नहीं रही ।
मंजू : भैया ?
मुरारी : हा मंजू कहो!!
मंजू कुछ देर रुक कर : मुझे आपसे कुछ पूछना है !
मुरारी : हा कहो
मंजू : आप ये सही नहीं कर रहे है
मुरारी चौका : मैने क्या किया ?
मंजू उखड़ कर भुनभुनाई : जो कुछ भी आप कर रहे है , आपको अच्छे से पता है , बनिए मत
मुरारी असहज होकर बोला मानो जबान अटकने लगी हो : तुम कहना क्या चाहती हो ? साफ साफ कहो न
मंजू : रात में जो आपने किया और अभी बाथरूम में झांकना , ये सब क्यों ?
मुरारी एकदम से चौक गया उसकी फटने लगी कि मंजू को इनसब के बारे में पता है और वो बहुत शर्मिंदा ।
मुरारी सफाई देता हुआ : हा वो , सॉरी मंजू लेकिन तुम मुझे समझने की कोशिश करो । ये सब ममता से दूर होने का नतीजा है कल रात में उसने मुझसे ऐसी बाते की और जब मैने तुम्हे सोते देखा तो मेरा मन ललचा गया और अभी बाथरूम में हो कुछ हुआ उससे पहले ममता का फोन आया था ।
मंजू उसकी बाते सुनकर मुस्कुराने लगी क्योंकि कही न कही मुरारी की बातों में उसे सच्चाई झलक रही थी क्योंकि बीते रात उसने भी ममता और मुरारी की कामोत्तेजक बाते सुनी थी ।
मंजू चम्मच से खाने को कोचंती हुई मुस्कुराई : इतनी दिक्कत होती है तो भाभी को लेकर आना चाहिए था न
मुरारी उसकी बाते सुनकर हस दिया और शुक्र मनाने लगा कि मंजू ज्यादा नाराज नहीं हुई ।
मुरारी : हा लेकिन कहा कहा उसको लेकर भटकता , फिर घर पर मदन अकेला था खाने पीने की दिक्कत हो जाती ।
मंजू कुछ सोच रही थी और फिर मुस्कुराने लगी
मुरारी उसकी ख्यालों में मुस्कुराता देख : क्या हुआ क्या सोच रही हो
मंजू ने उसकी ओर देखा और ना में सर हिला कर मुस्कराई
मुरारी : अरे बोलो न ?
मंजू को एकदम से हंसी आई उसका निवाला गले से वापस में मुंह में आने को हुआ और वो मुंह पर हाथ लगा कर हस्ती हुई पानी पीने लगी । फिर न में सर हिलाती हुई मुस्कुराने लगी
मुरारी बेचैन हो उठा : क्या हुआ बोलो न ?
मंजू : सोच रही हूं कि अगर भाभी मायके जाती होंगी तो आप किसपर ताक झांक करते होंगे , हीही, सॉरी
मंजू मुंह पर हाथ रख कर हसने लगी ।
मुरारी मंजू को खुश देखकर और उसके मजाक पर थोड़ा शर्मिंदा हुआ मगर हस्ते हुए ही बोल पड़ा : पहले तो तकलीफ होती थी लेकिन अब देख रहा हूं इंतजाम हो गया है उसका भी ।
मुरारी ने खुले शब्दों में मंजू से मजाक किया और वो अपने चेहरे पर हाथ रख कर गर्दन फेर कर मुस्कुराने लगी हस्ते हुए उसकी भारी छातियां खूब हिल रही थी ब्लाउज में ।
मंजू मुस्कुरा कर : हा लेकिन अगर उनको ( मदन ) भनक लग गई तो ? हीही
मुरारी मंजू की बाते सुनकर हिल गया जिस तरह से वो इन बातों के इंटरेस्ट दिखा रही थी और उसका लंड अब हरकत करने लगा , उसने टेबल के नीचे से अपना लंड पजामे के ऊपर से मसला और मुस्कुरा कर : बस मेरा दोस्त मेरा साथ दे तो भनक भी नहीं लगेगी किसी को
मंजू ताज्जुब होकर मुस्कुराती हुई : अच्छा जी , दोस्त ? हम्मम ये सही है , हीहीही
मुरारी खाना खत्म कर : तो चले ! दोस्त ?
मंजू मुस्कुरा कर हा में सर हिलाती हुई उठ गई ।
प्रतापपुर
रंगी का लंड अकड़ गया था, जिस तरह से बनवारी रज्जो का नाम लेकर अपनी स्वर्गवासी पत्नी के साथ की चुदाई वाली कहानियां बयां कर रहा था ।
रंगी की हालत खराब थी , और उसका लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था ।
बनवारी मुस्कुरा कर : क्यों जमाई बाबू , अभी से हालत खराब हो गई
रंगी अपना सुपाड़ा खुज़ाता हुआ : अह्ह्ह्ह्ह बाउजी , आप जिस तरह से बता रहे हैं ऐसा लग रहा है सब कुछ आंखों के सामने घट रहा हो और खवाइश यही हो रही है कि काश आपको अम्मा जी के साथ देख पाता तो सीईईई
बनवारी : हाहाहाहाहा, आप भी न जमाई बाबू
रंगी : सच कह रहा हूं बाउजी , जिस तरह से आपने अम्मा जी के बारे में बताया खासकर उनके भड़कीले कूल्हे और भारी दूध उफ्फफ एक बार दर्शन हो जाते तो धन्य हो जाता
बनवारी : अरे तो उसमें क्या है ? रज्जो को देख लो । मैने बोला न डिट्टो रज्जो बिटिया जैसी थी तुम्हारी सास , और पोजीशन भी उसके जैसी ही करती है ( हल्की आवाज में बोला बनवारी )
रंगी की आंखे बड़ी हो गई : मतलब आपने रज्जो जीजी को देखा है मतलब कब कैसे ?
बनवारी थोड़ा असहज हुआ मगर हस्ते हुए : अब तुमसे क्या ही छिपाना जमाई बाबू , उन दिनों रज्जो लुधियाना से आई थी और यहां कुछ महीने रुकी थी । अब एक ही घर में कभी न कभी असहज परिस्थितियां आ ही जाती है समझ सकते हो । नहाते हुए गलती से एक दो बार मैने उसे देख लिया था और बस वही मन बहका ।
रंगी शौक्ड होकर : फिर ?
बनवारी : संयोग ही था कि उन्हीं दिनों कमल बाबू भी लुधियाना से आ गए थे।
रंगी : अच्छा
बनवारी : हा , अब मिया बीवी है तो समझ ही सकते हो कि मुहब्बत रहेगी ही
रंगी हंसकर : और रज्जो जीजी जैसी बीवी हो तो क्या कहना हाहाहाहाहा
बनवारी हस कर : तुम भी न जमाई बाबू मजे खूब लेते हो
रंगी मुस्कुरा कर : अच्छा आगे बताइए न फिर क्या हुआ
बनवारी मुस्कुरा कर : हा तो मै देख रहा था कि कमल बाबू और रज्जो बिटिया बड़े ही खुले दिल के थे । मस्ती मजाक और एक दूसरे को तंग करना । खासकर रज्जो जैसी चुलबुली है उसे देख कर उसकी अम्मा की याद आती है उसकी हरकते बड़ी आकर्षक होती थी। ना चाहते हुए भी आदमी रुचि लेने लगे ऐसा कुछ था मेरे साथ भी ।
फिर उस रोज बहु और बच्चे भी नहीं थे तो इनकी शरारते कुछ ज्यादा थी । घर में बुड्ढा कमरे में सो रहा है तो उसका फायदा लेकर कमल बाबू कभी किचन में तो कभी खुले बरामदे में ही उसको पकड़ लेते , मगर रज्जो लिहाजन छोड़ देती । उनकी हरकतों से मै बेचैन हो गया था, नीद नहीं आ रही थी रात में और ना चाहते हुए भी मैने रज्जो के कमरे का रुख किया । रात 3 बजे तक उनका खेल चलता रहा ।
रंगी : तो क्या उतनी रात तक आप बाहर खड़े रहे
बनवारी हस कर झेप गया तो रंगी मुकुराने लगा : वैसे मै होता तो मै भी ये मौका नहीं छोड़ता हाहाहाहाहा
बनवारी : पता नहीं रज्जो में कैसा आकर्षण है कि मेरे पैर जम गए, ना कमल बाबू हल्के पड़े और न रज्जो , जबर्दस्त कार्यक्रम चलता रहा।
रंगी उसकी बात सुनकर बड़ी बेशर्मी से अपना लंड पजामे के ऊपर से मसलने लगा
बनवारी उसकी हरकत देखकर : अगर आपको अजीब न लगे तो एक बात कहूं
रंगीलाल हस कर : मेरे अलावा किसी और से कहने का विकल्प है क्या हाहाहाहाहा तो कहिए न सोच काहे रहे है
बनवारी हस कर : सच कहूं आप बड़े दिलदार हो जमाई बाबू
रंगीलाल : अब बात मत पलटिए , पूरी कहानी बताइए नहीं तो मजा अधूरा रह जाएगा
बनवारी उसको मुस्कुराकर देख और बोला : वो दरअसल मैने देखा कि रज्जो खुद से कमल बाबू का हथियार बिना कहे मुंह में ले रही थी
रंगी आंखे बड़ी कर : क्या सच में?
बनवारी : हा आमतौर पर तो सब औरते ये सब करने में कतराती थी , ये कमला ससुरी आवारा भी जल्दी मुंह में नहीं लेती , लेकिन वो तो हाथ भर का एक बार में ..
रंगी की हालत खराब होने लगी , वो रज्जो के लंड चूसने की कला का पहले से ही दीवाना रहा है मगर ये बात तो अपने ससुर से कह नहीं सकता था ।
रंगी : उफ्फ बाउजी आपकी बातें सुनकर मेरी ये हालात है तो आपकी क्या हालत हुई होगी उस रोज
बनवारी सिहर कर : मत पूछो जमाई बाबू , कसम से उस रात की यादें आजतक मेरे जहन में ताजा है और ना जाने कैसे मै खुद उतनी रात तक 3 बार झाड़ कर भी खड़ा रहा।
रंगी चौक कर : क्या 3 बार ? क्या आपने सच में रज्जो जीजी को देख कर
बनवारी थोड़ा सा हिचका जरूर मगर उसका लंड भी अब बगावत पर उतारू हो गया था , मन में बस वासना चढ़ी हुई थी : आप रहते तो आप क्या करते
रंगी मुस्कुरा कर : मेरी ऐसी किस्मत कहा बाउजी कि रज्जो जीजी को प्रोग्राम देख पाऊं
बनवारी हस कर : अरे रज्जो का न सही लेकिन आज रात कमला का प्रोग्राम देख लेना हाहाहाहाहा
रंगी मुस्कुराने लगा कि तभी बनवारी के मोबाइल पर फोन बजा
सुनीता ने उसे फोन किया था कि गीता नाराज होकर अपने कमरे में सोई है , ना खाना खाया उसने और न आज बबीता के साथ ट्यूबवेल पर घूमने गई ।
रंगी : क्या हुआ बाउजी , कोई दिक्कत
बनवारी : क्या बताऊं जमाई बाबू , बच्चे है जिद करेंगे ही । राजेश की लड़की मीठी , वो मुंह फूला कर बैठी है । खाना भी नहीं खाया उसने
रंगी ने देखा बनवारी एकदम से हड़बड़ी में था जल्दी जल्दी चप्पल पहन रहा था तो वो भी उठ गया और दोनों साथ ही निकल गए घर के लिए।
जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट हैअध्याय: 02
UPDATE 10
" आओ न , धत्त देखो कैसे शर्मा रही है " , शिला ने रज्जो की कलाई पकड़ कर सीधा मानसिंह के पेंट पर उभरे है लंड पर रख दिया
मानसिंह एकदम से सिहर गया : उफ्फ भाभी जी अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म
शिला : धत्त खोलो जी , आप काहे लजा रहे हो , मै चली जाऊ क्या उम्ममम
मानसिंह लपक कर शिला को पकड़ा और अपने ऊपर खींच लिया: तुम कहा चली मेरी जान , इधर आओ न उम्ममम
अगले ही पल मानसिंह ने शिला के मोटे रसीले होंठ चूसने लगा और इधर रज्जो ने पेंट खोलकर उसका लंड बाहर कर दिया , रज्जो के गुदाज नर्म हथेली में अपना खड़ा लंड महसूस कर मानसिंह के भीतर वासना का गुबार उठने लगा : ओह्ह्ह्ह भाभी जी उम्ममम कितना मुलायम टच है आपका अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
शिला : मेरी जान जरा इनको अपनी रसीले होठों का भी अहसास कराओ न
रज्जो ने मानसिंह का लंड हाथ में लेकर मुठियाते हुए उसकी आंखों के निहारा और अगले ही पल उसका सुपाड़ा गापूच गई
रज्जो ने नर्म गिले होठ आप स्पर्श अपने सुपाड़े पर पाते ही मानसिंह उछल पड़ा : ओह्ह्ह्ह भाभी सो सॉफ्टी उम्ममम अह्ह्ह्ह और लो न उम्ममम ओह गॉड फक्क्क् ओह्ह्ह्ह यशस्स भाभी जी अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह गॉड
शिला भी अपने कपड़े निकाल कर रज्जो के पास आ गई और मानसिंह के लंड पर उभरी हुई नसे देख कर मुस्कुराते हुए उसके आड़ छूने लगी: उफ्फ कितना टाइट है जी , सलहज की जीभ ने जादू कर दिया
रज्जो अपने मुंह से लंड निकाल कर उसे सहलाती हुई : आप भी दिखाओ न अपना जादू दीदी
और अगले ही पल शिला ने लपक कर अपने मुंह में अपने पति का लंड भर लिया और रज्जो अपनी ब्रा खोलने लगी
शिला ने मानसिंह का लंड गले तक ले गई और बाहर कर दिया
मानसिंह : ओह्ह्ह्ह गॉड आज तो पूरे मूड में है मेरी जान उम्मम रुको मै भी कपड़े निकाल दूं
रज्जो मुस्कुराकर शिला के हाथ से मानसिंह का लंड छिनती हुई : उसकी जरूरत नहीं है काम की चीज तो बाहर ही है उम्ममम अह्ह्ह्ह कितना बड़ा और उम्ममम अह्ह्ह्ह
रज्जो तेजी उसका लंड मुंह ने लेते हुए चूसने लगी
शिला : अह्ह्ह्ह भाभी तुम तो बड़ी प्यासी हो अह्ह्ह्ह खा जाओ और लोह उम्ममम ऐसे ही अह्ह्ह्ह अब आई न अपने असली रूप में
शिला उसका सर लंड पर दबाते हुए बोली और रज्जो पूरा लंड गले तक ले गयि
मानसिंह : ओह गॉड भाभी आप तो एकदम ट्रेंड लगती है ओह्ह्ह्ह और और अह्ह्ह्ह यस्स उम्मम डिप डीप ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क्
शिला रज्जो के बड़े चौड़े कूल्हे सहलाती हुई मानसिंह को देखकर : तुम्हे क्या लगा मेरे राजा के लिए मै कोई अनाड़ी लेकर आऊंगी , रज्जो बेबी शो योर मूव्स
शिला ने रज्जो ने के चूतड़ पर चट्ट से पंजा मारते हुए बोली
रज्जो अपने होठ चबाती हुई खड़ी हुई और मानसिंह का लंड अभी भी उसके हाथ में था , वो बड़े ही शरारती निगाह से उसको मुस्कुरा कर देखती है और उसका लंड पकड़ कर बिस्तर को खींच कर ले आती है
रज्जो का ऐसे रंडीपना वाला रूप देखकर मानसिंह का लंड फड़कने लगा
अगले ही पल रज्जो उसके आगे बिस्तर के मुहाने पर ही घोड़ी बनकर अपने नंगे चूतड़ हवा में लहराने लगी
मानसिंह आंखे फाड़े रज्जो की नंगी गाड़ और गदराई जांघों के बीच से झांकती हुई उसकी रसीली चूत के फांके देख कर पागल हो गया और अगले ही उसके रज्जो के चूतड़ पकड़ कर लंड को बुर में सेट करता हुआ हचाक से उतार दिया
रज्जो आँखें भींच कर अपनी 3 रोज से कसी हुई बजबजाई बुर में मानसिंह का लंड गहराई में घुसता महसूस करने लगी
मानसिंह उसके गर्म तपती बुर में लंड डाल कर पागल हो उठा : उफ्फ बहनचोद क्या गर्म माल है अह्ह्ह्ह सीईईई
शिला भी अगले ही पल रज्जो के बगल में घोड़ी बनती हुई मुस्कुरा कर अपने पति को छेड़ती हुई : क्यों मेरे राजा है न तुम्हारी दीदी की बुर से गर्म उम्मम
रज्जो आँखें फाड़ कर मानसिंह के करारे झटके खाते हुए शिला को देखा तो उसने आंख मार कर हस दी ।
मानसिंह : हा मेरी जान मुझे तो तेरे गाड़ की गर्मी पागल करती है ,मगर भाभी जी तो अह्ह्ह्ह
रज्जो सिसकती हुई : उफ्फ अह्ह्ह्ह्ह और उम्ममम देखूं जरा दीदी तुम्हारी गाड़ कितनी गर्म है
और गले ही पल रज्जो ने शिला की गाड़ के सुराख को छेड़ने लगी और शिला मचल उठी
रज्जो : अह्ह्ह्ह ऐसी मुलायम गाड़ को देखकर कोई भी बहनचोद बन जाए , क्यों नंदोई जी
रज्जो ने भी मानसिंह को छेड़ा
मानसिंह तेजी से उसकी बुर में लंड पेलता हुआ हांफता हुआ : हा भाभी सच कह रही हो शिला के गाड़ की सुराख देखकर कोई भी पागल हो जाए
रज्जो और शिला समझ रही थी कि मानसिंह अभी भी कतरा रहा है और अगले ही पल रज्जो ने शिला को आंख मारी और सरक कर आगे हो गई , एकदम से उसकी रसीली बुर से मानसिंह का लंड बाहर हो गया
रज्जो : जरा डाल के दिखाइए न अपनी बहनिया के गाड़ में
रज्जो ने सरककर अपनी टांगे शिला के आगे फैला दी और उसकी आंख मार कर खिलखिलाने लगी
मानसिंह अब शिला की शरारत समझ रहा था और उसने खुल कर मैदान में आने का फैसला कर लिया ।
उसने शिला को गाड़ को पकड़ कर फैलाया और उसके दरारों में मुंह दे दिया
शिला एकदम से मचल उठी : अह्ह्ह्ह मेरे राजा उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह खा जाओगे क्या अपनी दीदी की गाड़ को
रज्जो उसके आगे अपने चूत को शिला के मुंह के पास रखे हुए बोली: भैया की दीदी तुम भी खाओ न अह्ह्ह्ह सीईईईई ओह्ह्ह्ह उम्मम काट काहे रही हो दीदी अह्ह्ह्ह सीईईईईई
और अगले ही पल जो जीभ रज्जो के बुर के फांके पर लहरा रही थी एकदम से अंदर घुस गई , पीछे देखा तो मानसिंह उसकी गाड़ में लंड उतार चुका था : अब ठीक है न भाभी
शीला : उम्मम मेरे राजा पेलो न हचक के अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम ऐसे ही अह्ह्ह्ह्ह और तेज
रज्जो : क्यों दीदी के गाड़ फाड़ रहे हो मजा नहीं आ रहा है क्या उम्मम अह्ह्ह्ह मुझे तो बहुत मजा आ रहा है तुम्हारी दीदी से अपनी बुर चटवाने में अह्ह्ह्ह्ह काटती है साली अह्ह्ह्ह्ह नंदोई जी जरा कस कर फाड़ना तो
मानसिंह रज्जो के बातों से उत्तेजित हुआ जा रहा था और वो हुमच कर लम्बे लंबे शॉट शिला की गाड़ में लगाने लगा जिससे शिला के होठ बार बार रज्जो की बुर में रगड़ खाने लगे : अह्ह्ह्ह्ह हा नंदोई जी ऐसे ही ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
शिला : ओह्ह्ह और उम्मम मजा आ रहा है और उम्मम यस मेरे राजा रुकना मत अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह फक मीई फक मीईई ओह्ह्ह्ह यश उम्ममम और फास्ट ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह फक्क्क् मीईईईई
मानसिंह : उफ्फ माय सेक्सू यू वाना मोर उम्मम जस्ट लाइक दैट उम्मम , कम हीयर
और अगले ही पल मानसिंह ने शिला को पकड़ कर घुमाते हुए उसे अपने पास खींच लिया और लंड उसकी बुर में सेट करता हुआ हचाक से उतार दिया और तेजी से पेलने लगा
रज्जो उन दोनों की आपसी ट्यूनिंग और चुदाई के लिए जोश को देखकर पागल होने लगी और सरक कर मानसिंह के पास आने लगी
मानसिंह ने उसको पकड़ कर अपने पास किया और उसके लिप्स चूसने लगा , रज्जो उसके लिप्स का स्पर्श पाते ही पिघलने लगी उसकी बुर बुरी तरह से बजबजा रही थी और उसे लंड की तलाश थी
उसने मानसिंह से अपने होठ छुड़ाते हुए हांफते हुए बोली: फ़क मीईईई
इतना सुनने की देरी थी कि मानसिंह ने शिला को झटक कर दूसरी ओर किया और रज्जो को कमर से पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया , रज्जो ने उसके चेहरे को थाम कर उसके लिप्स चूसने लगी और मानसिंह उसके नरम चूतड़ मसलते हुए उसको बेड पर लिटा दिया और उसकी एक टांग उठा कर उसके बुर को मुठ्ठी में सहलाने लगा और अगले ही पल उसने अपना लंड जो पहले से ही शिला के रस से नहाया हुआ था उसको रज्जो की बुर के उतार दिया
रज्जो का आग्रह मानसिंह में दुगना जोश भर चुका था और उसका लंड पूरा फूल चुका था जिससे रज्जो अपनी बुर में कसा महसूस कर रही थी
रज्जो : अह्ह्ह्ह्ह नंदोई जी ये और मोटा हो गया है अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम
मानसिंह करारे झटके लगता हुआ : निकाल दूं क्या भाभी जी उम्ममम
रज्जो एकदम से तड़प उठी : नहीं नहीं मुझे चाहिए और कस के पेलो मुझे अह और तेज आह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह आएगा और तेज अह्ह्ह्ह सीईईईईई रुकना मत ओह्ह्ह्ह सीईईईई
शिला : झड़ जाओ मेरी जान आह्ह्ह्ह सीईओ ओह्ह्ह ओम
रज्जो ने शिला को अपने पास पाकर उसके दूध चूसने लगी और वही मानसिंह और तेज झटके देने लगा
रज्जो की आंखे फैलने लगी उसने अपनी बुर का छल्ला कस दिया उसके लंड पर : हा नंदोई जी उम्मम अह्ह्ह्ह्ह और और वही हा ओह्ह्ह्ह सीईईई आएगा अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह
रज्जो भलभला कर झड़ने लगी , वही रज्जो की चूत में मानसिंह का लंड पूरी तरह कसा था और सुपाड़े पर गर्म लावा महसूस हो रहा था
रज्जो की कामुक सिसकिया और उसकी लंड पर पकड़ ने उसे चरम पर ला दिया था और उसने झटके से लंड बाहर निकाला और रज्जो के पेट पर झड़ने लगा : अह्ह्ह्ह भाभी मजा ला दिया तुमने अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह फक्क्क् ओह्ह्ह्ह गॉड
एक के बाद एक लंबी पिचकारी रज्जो के दूध तक मानसिंह छोड़ता रहा और शिला रज्जो के जिस्म पर लगी मलाई को जीभ से चाट रही थीं।
रज्जो : हीहीही बस करो दीदी अब गुदगुदी हो रही है
शिला उसके रसीली चूचि के निप्पल चुबला कर : अभी मेरे सैया का मोटा लंबा लंड ले रही थी नहीं लग रही थी गुदगुदी है उम्ममम ,
रज्जो ने सिसक कर मानसिंह को देखा और दोनों नजरे टकराई , साफ झलक रहा था कि दोनों अभी भी एक दूसरे के लिए प्यासे है ।
शिला ने नोटिस किया दोनों एक दूसरे को ताड़े ही जा रहे है : ओहो देखो तो तोता मैना को उम्मम
रज्जो मुस्कुरा कर लजा गई और उठने लगी तो शिला ने उसे धर लिया: अहा अभी कहा ?
रज्जो ने एक नजर मानसिंह को देखा : फिर ?
शिला उसके ऊपर आती हुई उसके होठों से होठ जोड़ने लगी और उसकी गुदाज नरम फूली हुईं छतिया रज्जो की मोटी चूचियो से रगड़ खाने लगी जिससे रज्जो सिसकने लगी : फिर क्या , और नहीं लेना उम्मम , चाहिए न
रज्जो ने उसकी ओर देख कर हा में सर हिलाया और आंखे बंद करने लगी क्योंकि नीचे उसकी चूत के फांके पर उसे मानसिंह का कड़क लंड एक हर फिर अपने सुपाड़े को चुभोने लगा था
तभी शिला का मोबाइल बिस्तर पर बजा और उसने स्क्रीन पर आ रही unknown number की काल को देख कर हल्की सी भुनभुनाई , जिसे सिर्फ रज्जो ही सुन पाई और जैसे ही फोन कटा , मानसिंह वापस से अपना लंड घिसने लगा और रज्जो की सिसकिया उठने लगी कमरे में ।
चमनपुरा
दुकान में बैठा राज आज बहुत बोरियत महसूस कर रहा था , इन दिनों उसकी तलब किसी नई चूत के लिए उठ रही थी । रह रह कर उसकी नजर काजल भाभी के ऑर्डर वाले box पर जा रही थी और जिसका पैकेट पहले ही राज ने खोल कर देखा चुका था । वो बड़ा मोटा डिल्डो काले रंग का , काजल भाभी की इस तरह ही ख्वाहिश ने राज की भीतर से वासना से भर दिया था ।
उसने व्हाट्सअप पर काजल भाभी को कई मैसेज भेजे थे मगर उसे किसी का कोई जवाब नहीं मिला अभी तक , स्क्रॉल करते हुए उसकी नजर सरोजा के व्हाट्सअप स्टेट्स पर गई । जिसमें सरोजा ने एक गदराई महिला का फोटो डाला था और लिखा था , happy birthday bhabhi
वो औरत कोई और नहीं संजीव ठाकुर भी बीवी थी , चटक लाल होठ ,बड़े भड़कीले कूल्हे और गोरे गुलाबी गाल उसपे से बड़े बड़े थन जैसे चूचे जो साड़ी में ढके थे । कातिल लग रही थी ठकुराइन ।
राज को कुछ सुझा और उन्हें वाट्सअप पर जन्मदिन की बधाई का मैसेज कर दिया ।
राज : HAPPY BIRTHDAY MY DEAR BEAUTIFUL AUNTY
अगले ही पल ठकुराइन ने मैसेज सीन किया और टाइप करने लगी
ठकुराइन : thank you beta , god bless you
इतना जल्दी रिप्लाई पाकर राज खुश हो गया
राज : Aunty apni ek pyaari si photo send kro
ठाकुराइन: kyo?
राज: wo status lagani hai aapki b'day wali
ठाकुराइन: so sweet beta , ruko deti hu , abhi wali du ya koi puraani
राज का जी ललचाया : abhi wali hi dedo , kya pahana hai aapne waise ? Saree me pyari lgati hai ap
ठकुराइन: oh really , abhi maine ye pahana hai
और ठकुराइन ने एक सेल्फी खींच कर भेजा , जिसमें वो खुद को बोल्ड दिखाने की कोशिश कर रही थी , शायद ये राज ने उसकी तारीफ की थी इस वजह से असर रहा होगा ।
जैसे ही वो तस्वीर राज ने देखी उसकी आंखे बड़ी हो गई , ठकुराइन इस वक्त एक नाइटी में अपनी सेल्फी लेकर भेजी थी जिसमें उसके निप्पल पूरी तरह से नाइटी पर उभरे हुए थे ।
राज उन्हें देख कर सन्न रह गया ।
राज : aunty, ye waali foto lgaaunga to maar padegi mujhe
ठकुराइन : kyo?
राज: aap khud dekh lo
और कुछ ही देर में वो फोटो डिलीट हो गया ।
ठकुराइन: badmaash kahi ke , chalo mai nahane ja rahi Hu, bye
राज: aur photo?
ठकुराइन : aaker deti hu baba ,achchi waali jise lgane se mar na pde
राज: okwaity waity
ठाकुराइन: paagl
फिर राज दुकान के कामों में लग गया और ग्राहकों की भीड़ में कब 2 बज गए पता ही नहीं चला । उसकी नजर मोबाइल पर तब गई जब उधर से ठकुराइन का व्हाट्सएप पर वीडियो काल आने लगा ।
राज झट से उठ कर केबिन में चला गया और वीडियो कॉल उठाया
सामने ठाकुराइन गजब की लग रही थी वीडियो काल पर , ब्लू सिफान साड़ी में। गिले बालों में उसकी कामुकता निखर रही थी । और बड़े बड़े रसीले मम्में ब्लाउज में पूरे चुस्त कसे थे ।
ठकुराइन: कहा बिजी हो
राज : बस आंटी कस्टमर थे दुकान पर , ओहो तो नहा ली आप
ठकुराइन : हा भाई नहा ली , देखो कैसी लग रही हूं ये वाली फोटो भेज दूं
ठाकुराइन ने बैक कैमरा करके आइने के आगे खड़ी हो गई । उफ्फ क्या कातिल कमर थी , भरी हुई चर्बीदार और गुदाज नाभि साड़ी से झाक रही थी , ब्लाऊज में भरे हुए चूचे साड़ी के पल्लू से बाहर निकल गए थे और पीछे उठे हुए चूतड़
राज : वाव आंटी कितनी प्यारी लग रही हो , ये वाली ही भेजो
ठाकुराइन : वैसे अभी तक तुम्हारी अंकल ने भी नहीं देखा मुझे ऐसे , लकी हो तुम , वो बाहर खड़े राह दे रहे है ।
राज : सच्ची में ? लग रहा है आप कही बाहर जाने वाली है ?
ठकुराइन : हा बस यही घाट वाले मंदिर पर ही जा रहे हैं हम लोग , और शाम को पार्टी है और तुम्हे आना है ।
राज एकदम से चौक गया : अरे लेकिन मै कैसे ? अंकल ने पूछा तो ?
ठाकुराइन: तुम्हारे अंकल तो पहले ही तुम्हारे पापा को बोल चुके है मगर वो तो ससुराल है तो तुम ही आ जाओ
राज ने कुछ सोचा: ओके लेकिन गिफ्ट क्या लोगे ?
ठकुराइन: गिफ्ट ? उसकी क्या जरूरत है तुम आ जाना बस ?
राज : नहीं ऐसे कैसे , आप कहो तो उस वाली दुकान से मेकअप किट लेते आऊ , अंकल को तैयार होकर दिखाना हीही
ठकुराइन: अरे , कुछ ज्यादा नहीं हो गया , पागल कही के
राज हस कर : सॉरी आंटी ,
ठकुराइन : नहीं मेकअप के बहुत सारे प्रॉडक्ट है मेरे पास , लेकिन एक चीज चाहिए थी , पता नहीं होगी भी या नहीं तुम्हारे यहां।
राज : अरे आप कहो तो , खोज लाऊंगा
ठकुराइन हिचकने लगी : नहीं , अभी तुम मेरे बेटे जैसे हो । मै ये सब , नहीं छोड़ो
राज : आंटी , प्लीज कहिए न , इसमें इतना शर्माने या झिझकने जैसा क्या है ?
ठाकुराइन: वो दरअसल मुझे हेयर रिमूवर वैक्स चाहिए , होगी क्या तुम्हारे यहां
राज : बस , यही ? ठीक है लेते आऊंगा रात को
ठकुराइन : अरे बुद्धू रात को क्या करूंगी , वो तो पार्टी से पहले चाहिए होगा न ( ठकुराइन थोड़ी लजाती हुई बोली और राज भी थोड़ा हिचका)
राज : फिर मै तो अभी इस दुकान पर हु बर्तन वाले , अनुज भी नहीं आया है कालेज से !
ठाकुराइन: अच्छा तुम मुझे रास्ते में दे देना जब मै नदी की ओर आऊंगी तो ले लूंगी ।
राज अपना दिमाग तेजी से दौड़ाने लगा , पहली बात तो ये थी कि वो खुद की दुकान पर जा तो सकता नहीं था लेकिन पास वाली दुकान से जरूर ले सकता था और उसने हामी भर दी ।
फिर थोड़ी बात चीत के बाद फोन कट हो गया ।
राज खुश था कि उसे एक नई उम्मीद नजर आ रही थी और वो ठाकुराइन के समान की व्यवस्था करने लगा ।
वही दूसरी ओर अनुज कालेज से निकल कर अपने कास्मेटिक दुकान पर आया , जहां उसकी मां राह खोज रही थी
रागिनी परेशान होकर : तू आ गया बेटा , कबसे राह देख रही थी लेट क्यों हुआ
अनुज : मम्मी यार कल संडे है और मेरे प्रोजेक्ट पूरे नहीं है तो टीचर मुझे रोक कर समझा रही थी ।
रागिनी : अच्छा ठीक है, तू बैठ मै घर से आ रही हूं
अनुज : क्या ही गया ?
रागिनी : अरे बेटा इधर आ
रागिनी उसे पीछे वाले कमरे में ले गई
रागिनी : वो सुबह मै ये ब्लाउज पहन कर आई थी मगर यहां तो सब मुझे घूर रहे है । अच्छा नहीं लग रहा है बेटा
अनुज की नजर एकदम से अपनी मां की डोरी वाली ब्लाउज पर गई जिसने उसने सुबह खुद बांधा था
अनुज: अच्छी तो लग रही है मम्मी , क्यों बदलना फिर
रागिनी : हा लेकिन मुझे थोड़ी दिक्कत हो रही है सब देख रहे है तो अजीब लग रहा है
अनुज : सुंदर चीजों को सब देखते है , इसमें क्या है ? आप सुंदर लग रही हो तो देखेंगे नहीं
रागिनी मुस्कुरा कर : धत्त पागल
अनुज : और क्या आपको तो और भी सेक... मतलब अच्छी अच्छी डिजाइन की सिला कर पहननी चाहिए
रागिनी ने उसे बड़े ताज्जुब होकर देख रही थी
अनुज : और पता है मेरी एक दोस्त है उसकी मम्मी एडवोकेट है वो जींस पहनती है और टॉप पहनती है
रागिनी हैरत से उसको देख कर हस्ती हुई : तो क्या अब मै जिंस पहन कर दुकान में बैठूंगी , पागल हीही
अनुज : धत्त आप समझ ही नहीं रहे हो , मेरा मतलब आप खुद को मॉर्डन बनाओ न । थोड़ा टीशर्ट प्लाजो स्कर्ट पहनो घर में ।
रागिनी : धत्त मै नहीं पहनने वाली वो सब कैसा लगूंगी मै भक्क
अनुज : अरे ब्लाउज पेटीकोट पहन कर रहती हो न आप , बस उसकी जगह टॉप और स्कर्ट पहन लो हल्का रहता है और आरामदायक भी
रागिनी कुछ सोचते हुए : हा लेकिन फिर भी नहीं , तेरे पापा देखेंगे तो बोलेंगे ।
अनुज : लेकिन अभी पापा है कहा ? जब तक वो नहीं आते पहन लो
रागिनी : बोल तो ऐसे रहा है कि खरीद कर रखा है मेरे लिए , बड़ा आया
अनुज : ओहो मेरी भोली मम्मी , सोनल दीदी के टीशर्ट ट्राई करो न
रागिनी एकदम से खिलखिला पड़ी और अनुज अचरज से उसको देखता हुआ : क्या हुआ ?
रागिनी : तुझे सोनल और मुझमें फर्क नहीं दिखता
अनुज : कैसा फर्क ?
रागिनी : अरे पागल उसके कपड़े मुझे चुस्त आयेंगे , सीने पर
अनुज की नजर सहसा अपनी मां के बड़े मोटे मम्मे पर गई थी जो बिना ब्रा के उनकी ढीली ब्लाउज में लटक रही थी ।
अनुज : एक बार ट्राई तो करो , टीशर्ट फैलता भी है , हो जाएगा आपको ।
रागिनी : अच्छा ठीक है दादा कर लूंगी ट्राई , अब खाना ले चल
अनुज : आप खिलाओगे ?
रागिनी मुस्कुरा कर उसके गाल खींचती हुई : क्यों नहीं मेरा बच्चा , बैठ आ जा
*******************************
वही ममता के घर उसके कमरे में मदन की बेचैनी बढ़ रही थी ,
वो कमरे में टहल रहा था , उसकी नजरें बेचैन होकर इधर उधर कमरे में चीजे देख रही थी
तभी बाथरूम से ममता ने आवाज दी : देवर जी जरा तौलिया देंगे
ममता की आवाज सुनते ही मदन ने लपक आकर बिस्तर पर रखा हुआ तौलिया उठाया और बाथरूम का दरवाजा खोल कर बिना अंदर झाके हाथ घुसा दी : पकड़िए भाभी
ममता : अरे कैसे पकडू, मै इधर हु इतना भी क्या शर्मा रहे है कपड़े पहने है मैने आइए
ममता के बात पर मदन थोड़ा मुस्कुराता हुआ नजरे चुराता हुआ बाथरूम खोलकर जैसे ही अंदर घुसा उसे ममता बाथरूम में एक कोने में शावर के नीचे नाइटी में भीगती हुई दिखी ,
पानी ने उसके जिस्म से नाइटी की इस कदर चिपका रखा था कि उसके जिस्म का हर कर्व नजर आ रहा था और उसके दोनों मोटे बड़े मुनक्के जैसे निप्पल बिजिबल होकर झलक रहे थे उस गीली नाइटी में
मदन ने नजर भर में ममता को ऊपर से नीचे तक स्कैन कर लिया और तालिया देते हुए उसकी नजर बाथरूम के हैंगर पर सूखते ममता के ब्रा पैंटी पर गई , ये वही विजिबल ब्रा पैंटी थी जिसे हालही के मुरारी ने अमन से ऑनलाइन मंगवाया था , मगर लाजन ममता ने उस रोज के बाद उसे दुबारा नहीं पहना था और न ही कभी उसे बाहर धूल आकर सूखने के लिए डाली थी
ममता ने देखा कि मदन एक तक उसकी ब्रा और पैंटी को निहार रहा था तो उसकी हसी छूट गई , आमतौर वो मदन को छेड़ती रहती थी भाभी के पद से : पसंद आ गई हो लेते जाओ , पहन कर बताना फिटिंग कैसी है ।
ममता की बात सुनकर मदन मुस्कुराने लगा और लजाता हुआ : धत्त भाभी आप भी न , बोलिएगा मै बाहर हूं
ममता उसकी बात सुनकर हसने लगी वही ममता की बातों से मदन भीतर से हिल गया , कल रात का वो नजारा , फिर आज अपनी भाभी को सहारा देकर बाथरूम तक लाना , उन्हें भीगी हुई विजिबल नाइटी में देखना , मदन का लंड सर उठाने लगा था
तभी ममता की आवाज आई : आ जाइए देवर जी
मदन बाथरूम के दरवाजे पर ही खड़ा था और उसने अपना लंड सेट किया और बाथरूम में घुसा , सामने ममता वही तौलिया लपेटे हुए थी ,
जिसमें उसकी चिकनी जांघें और ऊपर से मोटी चूचियो की पहाड़िया दिखाई दे रही थी
ममता ने उसको घूरता देख हस कर उसे छेड़ते हुए बोली : बस करिए देवर जी , तौलिया खोल कर ही मानेंगे क्या ? वैसे कुछ पहना है नहीं हीही
ममता के इस मजाक से मदन भीतर से चुलबुला उठा और उसके मुंह से हल्की बुदबुदाहट हुई : रात से तो ज्यादा ही पहनी हो
ममता एकदम से चौकी : क्या बोले ?
मदन की चोरी पकड़ी गई और वो बेशर्मी से मुस्कुराने लगा और ममता का हाथ पकड़ कर उसे बाथरूम से बाहर लाने लगा : कुछ भी तो नहीं !
ममता : तो रात में देख लिया था आपने मुझे , क्यों ?
मदन एकदम से लजा गया : हा , वो बस कमरे में जाते हुए नजर पड़ गई थी मेरी
ममता हस कर : बस नजर पड़ी थी , चलो झूठे , ऊपर से पीछा करते आ रहे थे मेरा
मदन सफाई देता हुआ : अरे तो आप भाग भी तो रही थी कितनी तेज , आवाज दिया फिर भी नहीं बोली कुछ
इस बार झेंपने की बारी ममता की थी : हा वो मै , छोड़िए , आलमारी से मेरी एक नाइटी निकाल देंगे ।
ममता ने जैसे ही टॉपिक बदला मदन ने भी लिहाजन चुप हो गया और आलमारी से उसकी एक नाइटी निकाल कर उसे देते हुए : भैया को पता है ?
तभी बाथरूम से ममता ने आवाज दी : देवर जी जरा तौलिया देंगे
ममता की आवाज सुनते ही मदन ने लपक आकर बिस्तर पर रखा हुआ तौलिया उठाया और बाथरूम का दरवाजा खोल कर बिना अंदर झाके हाथ घुसा दी : पकड़िए भाभी
ममता : अरे कैसे पकडू, मै इधर हु इतना भी क्या शर्मा रहे है कपड़े पहने है मैने आइए
ममता के बात पर मदन थोड़ा मुस्कुराता हुआ नजरे चुराता हुआ बाथरूम खोलकर जैसे ही अंदर घुसा उसे ममता बाथरूम में एक कोने में शावर के नीचे नाइटी में भीगती हुई दिखी , पानी ने उसके जिस्म से नाइटी की इस कदर चिपका रखा था कि उसके जिस्म का हर कर्व नजर आ रहा था और उसके दोनों मोटे बड़े मुनक्के जैसे निप्पल बिजिबल होकर झलक रहे थे उस गीली नाइटी में
मदन ने नजर भर में ममता को ऊपर से नीचे तक स्कैन कर लिया और तालिया देते हुए उसकी नजर बाथरूम के हैंगर पर सूखते ममता के ब्रा पैंटी पर गई , ये वही विजिबल ब्रा पैंटी थी जिसे हालही के मुरारी ने अमन से ऑनलाइन मंगवाया था , मगर लाजन ममता ने उस रोज के बाद उसे दुबारा नहीं पहना था और न ही कभी उसे बाहर धूल आकर सूखने के लिए डाली थी
ममता ने देखा कि मदन एक तक उसकी ब्रा और पैंटी को निहार रहा था तो उसकी हसी छूट गई , आमतौर वो मदन को छेड़ती रहती थी भाभी के पद से : पसंद आ गई हो लेते जाओ , पहन कर बताना फिटिंग कैसी है ।
ममता की बात सुनकर मदन मुस्कुराने लगा और लजाता हुआ : धत्त भाभी आप भी न , बोलिएगा मै बाहर हूं
ममता उसकी बात सुनकर हसने लगी वही ममता की बातों से मदन भीतर से हिल गया , कल रात का वो नजारा , फिर आज अपनी भाभी को सहारा देकर बाथरूम तक लाना , उन्हें भीगी हुई विजिबल नाइटी में देखना , मदन का लंड सर उठाने लगा था
तभी ममता की आवाज आई : आ जाइए देवर जी
मदन बाथरूम के दरवाजे पर ही खड़ा था और उसने अपना लंड सेट किया और बाथरूम में घुसा , सामने ममता वही तौलिया लपेटे हुए थी , जिसमें उसकी चिकनी जांघें और ऊपर से मोटी चूचियो की पहाड़िया दिखाई दे रही थी
ममता ने उसको घूरता देख हस कर उसे छेड़ते हुए बोली : बस करिए देवर जी , तौलिया खोल कर ही मानेंगे क्या ? वैसे कुछ पहना है नहीं हीही
ममता के इस मजाक से मदन भीतर से चुलबुला उठा और उसके मुंह से हल्की बुदबुदाहट हुई : रात से तो ज्यादा ही पहनी हो
ममता एकदम से चौकी : क्या बोले ?
मदन की चोरी पकड़ी गई और वो बेशर्मी से मुस्कुराने लगा और ममता का हाथ पकड़ कर उसे बाथरूम से बाहर लाने लगा : कुछ भी तो नहीं !
ममता : तो रात में देख लिया था आपने
ममता मुस्कुरा कर : नहीं , क्यों ?
मदन उसकी शरारत को बढ़ावा देता हुआ : अगर पता चल गया तो ?
ममता : उन्हें बताएगा कौन आप ? हीही, आपने इतनी हिम्मत कहा जो अपने भैया से बोल पाओ , बोलो कह पाआगे
मदन एकदम से हड़बड़ा गया : नहीं , वो
ममता खिलखिलाती हुई : बस निकल गई हवा , बड़े आए मुझे ब्लैकमेल करने वाले हीहीही ,
ममता की बिंदास बोली सुनकर मदन बेजवाब हो गया और ममता मुस्कुराते हुए पैर रगड़ते हुए बिस्तर तक आई : जाते हुए दरवाजा बंद कर दीजियेगा
ममता ने थोड़ा ताना सा मारा मस्ती में मदन को और मदन उतरा हुआ मुंह लेकर कमरे से बाहर आ गया ।
कुछ देर बाद ममता काटन की नाइटी डाल कर हाल में आई तो देखा मदन चुप चाप बैठा है ।
ममता हस कर : अरे दादा , देखो तो कैसे बच्चों जैसे मुंह फूला कर बैठे है
ममता की बात पर मदन मुस्कुरा उठा : ऐसी बात नहीं है , वो मै सोच रहा था ...
ममता नहाने के बाद थोड़ी फ्रेश थी मगर अभी भी चलने में थोड़ी तकलीफ हो रही थी और पैर में आई चोट से उसके बड़े चौड़े कूल्हे और भी झटके खा रहे थे चलने पर वो चलती हुई किचन में गई और उसकी बात काटते हुए : खाना खाएंगे ?
ममता ने घूम कर मुस्कुराते हुए देखा और मदन की नजर उसके बड़े चौड़े चूतड़ों पर गई जो नाइटी में पूरी उठे हुए थे , उसपे से ममता की कातिल मुस्कुराहट ने उसकी सांसे बेचैन कर रखी थी : हा , लेकिन वो मै कह रहा था कि आप ऐसे क्यों घूम रही थी छत पर
ममता कुछ बोली नहीं और खाना परोस कर थाली लेकर आती हुई मदन के पास खड़ी होकर उसकी आंखों में देखते हुए खाने की थाली झुक कर टेबल पर रखते हुए बोली : इतना क्यों बेसब्रे हुए जा रहे है देवर जी , रात में पता चल जाएगा न
ममता अपनी शरारती मुस्कुराहट से आंखे नचाते हुए बोली और खड़ी हो गई और इतना काफी था मदन को उत्तेजित करने के लिए।
मदन की भूख एकदम से गायब ही हो गई , और उसके पेट में अजीब सी हड़बड़ाहट होने लगी थी । उसके जहन में कुछ तो प्लानिंग चल रही थी
मदन : भाभी ! भइया कब आयेंगे ?
ममता : अरे हा मै भूल ही गई , जरा फोन करेंगे उन्हें , लगाइए न
मदन अजीब नजरो से ममता को देख और फिर फोन निकाल कर डायल करने लगा ।
रिंग गया और उधर मुरारी ने फोन उठाया
: हा मदन कहो ?
: जी प्रणाम भैया , वो भाभी पूछ रही थी कि आप कब तक आयेंगे
: अरे भाई , आ जाऊंगा कल शाम तक
: जी ठीक है ( मदन ने शांत होकर कहा और ममता हंसे जा रही थी जिस तरह से मदन का मुंह चोखा हुआ था )
: अच्छा सुनो , तुम्हारी भाभी कहा है , फोन दो ?
: जी लीजिए बात कीजिए ( मदन ने मोबाइल ममता को दिया और ममता किनारे होकर बात करने लगी , मदन खाना खाने लगा )
ममता से बात करने के बाद मुरारी ने मोबाइल जेब में रखा और वापस गाड़ी के पास आता हुआ मंजू के पास गया
मुरारी ने इशारे से उसे बाहर आने को कहा और मंजू चुपचाप निकल आई गाड़ी से
मुरारी उसके पास आकर धीरे से बोला : यहां तुम फ्रेश हो सकती हो , आओ
मंजू ने हा में सर हिलाया और दोनों बाथरूम की ओर बढ़ गए , जो हाइवे से लग कर एक बड़ा ढाबे जैसा होटल था ।
मुरारी ने मंजू को टॉयलेट की ओर ले गया , वहा दो टॉयलेट थे जो आपस में सटे थे और उनके बीच की दिवाल पूरी नहीं उठी थी थोड़ा गैप था ।
मुरारी उसको एक बाथरूम में भेज दिया और दूसरे वाले में खुद चला गया । मुरारी के भीतर वासना का गुबार तो 10 मिनट पहले ही उठ चुका था , जब वो बाथरूम चेक करने के लिए आया था , उसने पहले ही अंदाजा लगा दिया था कि वो अपने वाले टॉयलेट से उसकी सीट पर चढ़ कर दूसरी तरफ झांक सकता और उसे मंजू के नंगे चूतड़ देखने का इससे अच्छा मौका नहीं मिल सकता था । लेकिन ऐन मौके पर मदन का फोन उसको इरिटेट कर दिया था और नतीजन मदन को फटकार मिली थी ।
बड़े ही डरते हुए मुरारी ने अंग्रेजी टॉयलेट सीट पर चढ़ा , डर था कि कही टूट न जाए और जैसे ही उसने दिवाल के पार दूसरी ओर झांका उसका लंड पजामे में झटके खाने लगा
मंजू अपनी पूरी साड़ी समेट कर अपने मोटे कूल्हे खोलकर मूतने बैठ गई और उसके बड़ी बड़ी गोल मटोल चूतड़ों को देख कर मुरारी की आंखे चमक उठी और जैसे ही मंजू उठने को हुई वो पीछे हो गया , मगर किसी साए के पीछे होने का अहसास जैसे ही मंजू को हुआ उसने झट से ऊपर देखा तो उसकी नजर टॉयलेट की अधूरी दिवाल पर गई और उसके जहन में शंका की बीज फिर उभरने लगा ।
बगल वाले बाथरूम में मुरारी का होना और पूर्व में उसकी जैसी हरकते रही है उसे देखते हुए मंजू को शक होने लगा कही वो झांक तो नहीं रहा था ।
इसीलिए वो जांचने के लिए बाथरूम में रुकी रही जबतक कि मुरारी बगल वाले टॉयलेट से निकल नहीं गया ।
उसके जाते ही मंजू निकल आई और बगल वाले टॉयलेट के खुले दरवाजे से अंदर देखा तो अंदर इंग्लिश सीट लगी थी और उसका शक यकीन में तब बदला जब उसने चप्पलों के ताजा निशान टॉयलेट सीट की ढक्कन पर देखे । उसकी सांसे तेज होने लगी , उसे मुरारी का किरदार समझ नहीं आ रहा था और वो हाथ धूल कर चुपचाप बाहर निकल आई ।
उसके बाद वही सबने खाना खाया , मंजू की चुप्पी मुरारी तोड़ने की कोशिश कर रहा था मगर सफल नहीं दिख रहा था ।
मंजू भी भीतर से उलझी हुई थी , उसके मन में एक ही सवाल उठ रहा था कि कही वो एक मुसीबत से निकल कर किस नई मुसीबत में फंस तो नहीं रही ।
मंजू : भैया ?
मुरारी : हा मंजू कहो!!
मंजू कुछ देर रुक कर : मुझे आपसे कुछ पूछना है !
मुरारी : हा कहो
मंजू : आप ये सही नहीं कर रहे है
मुरारी चौका : मैने क्या किया ?
मंजू उखड़ कर भुनभुनाई : जो कुछ भी आप कर रहे है , आपको अच्छे से पता है , बनिए मत
मुरारी असहज होकर बोला मानो जबान अटकने लगी हो : तुम कहना क्या चाहती हो ? साफ साफ कहो न
मंजू : रात में जो आपने किया और अभी बाथरूम में झांकना , ये सब क्यों ?
मुरारी एकदम से चौक गया उसकी फटने लगी कि मंजू को इनसब के बारे में पता है और वो बहुत शर्मिंदा ।
मुरारी सफाई देता हुआ : हा वो , सॉरी मंजू लेकिन तुम मुझे समझने की कोशिश करो । ये सब ममता से दूर होने का नतीजा है कल रात में उसने मुझसे ऐसी बाते की और जब मैने तुम्हे सोते देखा तो मेरा मन ललचा गया और अभी बाथरूम में हो कुछ हुआ उससे पहले ममता का फोन आया था ।
मंजू उसकी बाते सुनकर मुस्कुराने लगी क्योंकि कही न कही मुरारी की बातों में उसे सच्चाई झलक रही थी क्योंकि बीते रात उसने भी ममता और मुरारी की कामोत्तेजक बाते सुनी थी ।
मंजू चम्मच से खाने को कोचंती हुई मुस्कुराई : इतनी दिक्कत होती है तो भाभी को लेकर आना चाहिए था न
मुरारी उसकी बाते सुनकर हस दिया और शुक्र मनाने लगा कि मंजू ज्यादा नाराज नहीं हुई ।
मुरारी : हा लेकिन कहा कहा उसको लेकर भटकता , फिर घर पर मदन अकेला था खाने पीने की दिक्कत हो जाती ।
मंजू कुछ सोच रही थी और फिर मुस्कुराने लगी
मुरारी उसकी ख्यालों में मुस्कुराता देख : क्या हुआ क्या सोच रही हो
मंजू ने उसकी ओर देखा और ना में सर हिला कर मुस्कराई
मुरारी : अरे बोलो न ?
मंजू को एकदम से हंसी आई उसका निवाला गले से वापस में मुंह में आने को हुआ और वो मुंह पर हाथ लगा कर हस्ती हुई पानी पीने लगी । फिर न में सर हिलाती हुई मुस्कुराने लगी
मुरारी बेचैन हो उठा : क्या हुआ बोलो न ?
मंजू : सोच रही हूं कि अगर भाभी मायके जाती होंगी तो आप किसपर ताक झांक करते होंगे , हीही, सॉरी
मंजू मुंह पर हाथ रख कर हसने लगी ।
मुरारी मंजू को खुश देखकर और उसके मजाक पर थोड़ा शर्मिंदा हुआ मगर हस्ते हुए ही बोल पड़ा : पहले तो तकलीफ होती थी लेकिन अब देख रहा हूं इंतजाम हो गया है उसका भी ।
मुरारी ने खुले शब्दों में मंजू से मजाक किया और वो अपने चेहरे पर हाथ रख कर गर्दन फेर कर मुस्कुराने लगी हस्ते हुए उसकी भारी छातियां खूब हिल रही थी ब्लाउज में ।
मंजू मुस्कुरा कर : हा लेकिन अगर उनको ( मदन ) भनक लग गई तो ? हीही
मुरारी मंजू की बाते सुनकर हिल गया जिस तरह से वो इन बातों के इंटरेस्ट दिखा रही थी और उसका लंड अब हरकत करने लगा , उसने टेबल के नीचे से अपना लंड पजामे के ऊपर से मसला और मुस्कुरा कर : बस मेरा दोस्त मेरा साथ दे तो भनक भी नहीं लगेगी किसी को
मंजू ताज्जुब होकर मुस्कुराती हुई : अच्छा जी , दोस्त ? हम्मम ये सही है , हीहीही
मुरारी खाना खत्म कर : तो चले ! दोस्त ?
मंजू मुस्कुरा कर हा में सर हिलाती हुई उठ गई ।
प्रतापपुर
रंगी का लंड अकड़ गया था, जिस तरह से बनवारी रज्जो का नाम लेकर अपनी स्वर्गवासी पत्नी के साथ की चुदाई वाली कहानियां बयां कर रहा था ।
रंगी की हालत खराब थी , और उसका लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था ।
बनवारी मुस्कुरा कर : क्यों जमाई बाबू , अभी से हालत खराब हो गई
रंगी अपना सुपाड़ा खुज़ाता हुआ : अह्ह्ह्ह्ह बाउजी , आप जिस तरह से बता रहे हैं ऐसा लग रहा है सब कुछ आंखों के सामने घट रहा हो और खवाइश यही हो रही है कि काश आपको अम्मा जी के साथ देख पाता तो सीईईई
बनवारी : हाहाहाहाहा, आप भी न जमाई बाबू
रंगी : सच कह रहा हूं बाउजी , जिस तरह से आपने अम्मा जी के बारे में बताया खासकर उनके भड़कीले कूल्हे और भारी दूध उफ्फफ एक बार दर्शन हो जाते तो धन्य हो जाता
बनवारी : अरे तो उसमें क्या है ? रज्जो को देख लो । मैने बोला न डिट्टो रज्जो बिटिया जैसी थी तुम्हारी सास , और पोजीशन भी उसके जैसी ही करती है ( हल्की आवाज में बोला बनवारी )
रंगी की आंखे बड़ी हो गई : मतलब आपने रज्जो जीजी को देखा है मतलब कब कैसे ?
बनवारी थोड़ा असहज हुआ मगर हस्ते हुए : अब तुमसे क्या ही छिपाना जमाई बाबू , उन दिनों रज्जो लुधियाना से आई थी और यहां कुछ महीने रुकी थी । अब एक ही घर में कभी न कभी असहज परिस्थितियां आ ही जाती है समझ सकते हो । नहाते हुए गलती से एक दो बार मैने उसे देख लिया था और बस वही मन बहका ।
रंगी शौक्ड होकर : फिर ?
बनवारी : संयोग ही था कि उन्हीं दिनों कमल बाबू भी लुधियाना से आ गए थे।
रंगी : अच्छा
बनवारी : हा , अब मिया बीवी है तो समझ ही सकते हो कि मुहब्बत रहेगी ही
रंगी हंसकर : और रज्जो जीजी जैसी बीवी हो तो क्या कहना हाहाहाहाहा
बनवारी हस कर : तुम भी न जमाई बाबू मजे खूब लेते हो
रंगी मुस्कुरा कर : अच्छा आगे बताइए न फिर क्या हुआ
बनवारी मुस्कुरा कर : हा तो मै देख रहा था कि कमल बाबू और रज्जो बिटिया बड़े ही खुले दिल के थे । मस्ती मजाक और एक दूसरे को तंग करना । खासकर रज्जो जैसी चुलबुली है उसे देख कर उसकी अम्मा की याद आती है उसकी हरकते बड़ी आकर्षक होती थी। ना चाहते हुए भी आदमी रुचि लेने लगे ऐसा कुछ था मेरे साथ भी ।
फिर उस रोज बहु और बच्चे भी नहीं थे तो इनकी शरारते कुछ ज्यादा थी । घर में बुड्ढा कमरे में सो रहा है तो उसका फायदा लेकर कमल बाबू कभी किचन में तो कभी खुले बरामदे में ही उसको पकड़ लेते , मगर रज्जो लिहाजन छोड़ देती । उनकी हरकतों से मै बेचैन हो गया था, नीद नहीं आ रही थी रात में और ना चाहते हुए भी मैने रज्जो के कमरे का रुख किया । रात 3 बजे तक उनका खेल चलता रहा ।
रंगी : तो क्या उतनी रात तक आप बाहर खड़े रहे
बनवारी हस कर झेप गया तो रंगी मुकुराने लगा : वैसे मै होता तो मै भी ये मौका नहीं छोड़ता हाहाहाहाहा
बनवारी : पता नहीं रज्जो में कैसा आकर्षण है कि मेरे पैर जम गए, ना कमल बाबू हल्के पड़े और न रज्जो , जबर्दस्त कार्यक्रम चलता रहा।
रंगी उसकी बात सुनकर बड़ी बेशर्मी से अपना लंड पजामे के ऊपर से मसलने लगा
बनवारी उसकी हरकत देखकर : अगर आपको अजीब न लगे तो एक बात कहूं
रंगीलाल हस कर : मेरे अलावा किसी और से कहने का विकल्प है क्या हाहाहाहाहा तो कहिए न सोच काहे रहे है
बनवारी हस कर : सच कहूं आप बड़े दिलदार हो जमाई बाबू
रंगीलाल : अब बात मत पलटिए , पूरी कहानी बताइए नहीं तो मजा अधूरा रह जाएगा
बनवारी उसको मुस्कुराकर देख और बोला : वो दरअसल मैने देखा कि रज्जो खुद से कमल बाबू का हथियार बिना कहे मुंह में ले रही थी
रंगी आंखे बड़ी कर : क्या सच में?
बनवारी : हा आमतौर पर तो सब औरते ये सब करने में कतराती थी , ये कमला ससुरी आवारा भी जल्दी मुंह में नहीं लेती , लेकिन वो तो हाथ भर का एक बार में ..
रंगी की हालत खराब होने लगी , वो रज्जो के लंड चूसने की कला का पहले से ही दीवाना रहा है मगर ये बात तो अपने ससुर से कह नहीं सकता था ।
रंगी : उफ्फ बाउजी आपकी बातें सुनकर मेरी ये हालात है तो आपकी क्या हालत हुई होगी उस रोज
बनवारी सिहर कर : मत पूछो जमाई बाबू , कसम से उस रात की यादें आजतक मेरे जहन में ताजा है और ना जाने कैसे मै खुद उतनी रात तक 3 बार झाड़ कर भी खड़ा रहा।
रंगी चौक कर : क्या 3 बार ? क्या आपने सच में रज्जो जीजी को देख कर
बनवारी थोड़ा सा हिचका जरूर मगर उसका लंड भी अब बगावत पर उतारू हो गया था , मन में बस वासना चढ़ी हुई थी : आप रहते तो आप क्या करते
रंगी मुस्कुरा कर : मेरी ऐसी किस्मत कहा बाउजी कि रज्जो जीजी को प्रोग्राम देख पाऊं
बनवारी हस कर : अरे रज्जो का न सही लेकिन आज रात कमला का प्रोग्राम देख लेना हाहाहाहाहा
रंगी मुस्कुराने लगा कि तभी बनवारी के मोबाइल पर फोन बजा
सुनीता ने उसे फोन किया था कि गीता नाराज होकर अपने कमरे में सोई है , ना खाना खाया उसने और न आज बबीता के साथ ट्यूबवेल पर घूमने गई ।
रंगी : क्या हुआ बाउजी , कोई दिक्कत
बनवारी : क्या बताऊं जमाई बाबू , बच्चे है जिद करेंगे ही । राजेश की लड़की मीठी , वो मुंह फूला कर बैठी है । खाना भी नहीं खाया उसने
रंगी ने देखा बनवारी एकदम से हड़बड़ी में था जल्दी जल्दी चप्पल पहन रहा था तो वो भी उठ गया और दोनों साथ ही निकल गए घर के लिए।
जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाअध्याय: 02
UPDATE 11
गाड़ी तेजी से हाइवे से अपने डेस्टिनेशन के लिए आगे बढ़ रही थी और मंजू काफी खुश नजर आ रही थी।
मुरारी को उसका खिलखिलाता चेहरा भा रहा था और वो उसे हसाने से बाज नहीं आ रहा था । उसने नोटिस किया ममता को लेकर मंजू के दिल में काफी उत्सुकता है और जब भी वो मंजू से अपने और ममता के बारे में बात छेड़ता वो बड़े गौर से सुनती थी ।
मुरारी धीरे उसके कान के पास जाकर : अरे अमन की शादी के बाद तो वो भी बड़ी जिद करने लगी थी कि उसे भी हनीमून जाना है
मंजू मुरारी की बातें सुनकर आंखे बड़ी कर ली , कि ये क्या बाते छेड़ रहा है मुरारी । वो सन्न थी मगर उसके चेहरे पर एक छिपी मुस्कुराहट थी जो उसके भीतर की उत्सुकता को झलका रही थी , और वो चकित भी थी कि ममता के बारे में कल्पनाएं गढ़ कर की कैसी कामुक औरत होगी वो जो बेटे की शादी पर खुद हनीमून जाने के ख्वाब देखे ।
मंजू मुस्कुरा कर : धत्त क्या सच में ?
मुरारी : हा सच में , अमन की कसम
मंजू की बेचैनी तो अब और बढ़ गई कि आगे क्या हुआ होगा मगर फिर भी वो झिझक रही थी ।
मंजू खुद को हल्का रखती हुई खिड़की से बाहर देखने लगी और फिर थोड़ा चुप होकर बोली: ठीक तो है फिर घुमा लाना चाहिए था न
मुरारी : फिर तुम्हे कैसे खोजता
मंजू मुस्कुरा कर : अच्छा जी , लेकिन मेरे चक्कर में दीदी अकेली परेशान हो रही होगी न
मुरारी आंखे सिकोड़ कर : उसे भला क्या तकलीफ वहां
मंजू मुरारी के इस बात पर मुंह फेर कर हसने लगी और मुरारी जल्द ही उसकी दोहरी बात समझ गया और मुस्कुराने लगा ।
मुरारी : वैसे बात तो तुम्हारी ठीक ही है , अमन की मां को कहा कोई दोस्त मिल पायेगा वहां
मंजू आंखे बड़ी कर उसकी ओर देखी और मुरारी ने आंखे मार दी उसे ।
मंजू लजा कर : धत्त , चुप रहिए अब आप
मुरारी अंगड़ाई लेता हुआ : सोच रहा हूं जरा हाल खबर ले ही लू उसकी
और मुरारी ने जेब से मोबाइल निकाल कर ममता को फोन घुमा दिया ।
जब तक रिंग जा रही थी वो अपने बैग से एक वायर वाला इयरफोन निकालने लगा जो सफर में कभी कभार वो यूज करता था गाना सुनने के लिए
मंजू उसे देख रही थी और मुस्कुरा कर खिड़की से बाहर देखने लगी
कुछ ही देर में फोन पिक हुआ
मुरारी : कैसी हो भाग्यवान
.......
मुरारी मंजू को देख कर मुस्कुराया : बस पल पल आ रहे है तुम्हारे पास
मुरारी की बात सुनकर मंजू मुस्कुराती रही
मुरारी : हा वो भी ठीक है , नहीं वो तो सो रही है , थक गई है बेचारी
मंजू समझ रही थी मुरारी उसके बारे में ही झूठ बोल रहा था और वो हैरान होकर उसे देख रही थी तो मुरारी ने आंख मारी और मुस्कुराने लगा ।
मुरारी : अह्ह्ह्ह सच कहूं तो तुम बिन ये राहें खत्म ही नहीं हो रही है
मंजू मुस्कुरा कर उसे देख रही थी और मुरारी ने इयरफोन का दूसरा कान वाला बड्स उसकी ओर दिया तो मंजू मुस्कुरा कर ना में सर हिलाने लगी
मुरारी ने आंखे से ही उसको इशारे कर कान में लगाने को कहा, ना जाने कैसा सामंजस्य था कि मंजू चाह कर भी बोल नहीं पा रही थी और न मुरारी के प्रस्ताव को ठुकरा पा रही थी ।
और उसने कान में बड्स लगा कर मुरारी के पास आ गई ।
दोनों एकदूसरे से सर सटाए हुए थे और मुरारी बाते किए जा रहा था, आगे ड्राइवर अपनी धुन में मस्त था ।
मुरारी इयरफोन के माइक वाले हिस्से को मुंह के पास रखता हुआ धीरे से बोला : जानू याद नहीं आ रही क्या ?
ममता एकदम से सिहर उठी : उम्ममम क्या बताऊं, किस कदर आपकी याद आ रही है । वो कमरे के ढोलक वाला तकिया है न
मुरारी : हम्ममम
ममता : उसको कस कर सोई हु
मंजू को अब शर्म आ रही थी और उसने सोचा कि वो कान से निकाल दे लेकिन मुरारी ने उसकी कलाई पकड़ कर उसे रोक दिया
मुरारी : बस आज रात और , फिर तो मै आ जाऊंगा न
ममता : हा तो फिर भी मै तो इसी को पकड़ कर सोऊंगी
मंजू को हंसी आई मुरारी की किरकिरी पर और वो मुंह पर हाथ रख कर खुद को कंट्रोल करने लगी और मुरारी उसको हंसता देख मुस्कुराता हुआ : अच्छा , तो आजकल वही तुम्हारा दोस्त है उम्मम
मंजू ने एकदम से मुरारी को देखा और वो समझ रही थी कि वो जानबूझ कर उसे छेड़ रहा है ।
ममता इठला कर : और क्या ? कल रात से यही मेरा दोस्त है और आगे भी यही रहेगा अब समझे
मुरारी : ओहो, ऐसा क्या किया इसने जो बड़ा करीबी हो गया
ममता : ये मुझसे कभी अलग होकर नहीं सोता , आपके जैसे नहीं कि काम निपटा लो और फिर दूर सो जाओ । ये तो सब कुछ करके भी मेरे पास होता है
ममता की बातें सुनकर मंजू के कान खड़े हो गए और वो आंखे बड़ी कर खुद की हसी रोकती हुई मुरारी को देख रहे थी और मुरारी मुंह पर उंगली रख कर उसको चुप रहने का इशारा किया और बोला : अच्छा फिर तो ये तुम्हे तुम्हारी मनमर्जी भी करने देता होगा
ममता : हा और क्या , जैसे मै चाहूं वैसे , जब चाहूं तो इसको अपने नीचे कर लूं और आप हो कि
मुरारी समझ गया कि अब ममता बहक रही थी और मंजू ने कान से अपने बडस भी निकाल दी और बाहर हसने लगी
मुरारी का लंड भी पजामे में तंबू बनाने लगा था और उसकी नजर मंजू पर थी जो बाहर निहार रही थी मुस्कुराते हुए
मुरारी : ठीक है फिर तुम जरा खेलो उसके साथ लग रहा है मंजू उठ रही है
ममता भुनभुना कर : धत्त जाओ आप हा नहीं तो और इधर मुरारी ने फोन काट दिया ।
इधर गाड़ी एक जगह रुकी और ड्राइवर गुटखा लेने चला गया ।
वही मुरारी अपना लंड पजामे में सेट कर रहा था और मंजू कनआखियो से उसे ऐसे करते देख कर फिर से मुंह फेर ली
मुरारी हस कर : लो अब तो उसे भी दोस्त मिल गया हाहाहाहाहा
मंजू मुस्कुरा कर : हा लेकिन फिर भी उनकी दोस्ती फायदे में है
मुरारी मंजू की बात समझ कर मुस्कुराते हुए : हा भाई बात तो सही है, लेकिन मुझे भी अपनी दोस्ती पर पूरा यकीन है कि वहां मुझे निराशा नहीं मिलेगी
मंजू इस पर एकदम से झेप गई और गाड़ी से बाहर देख कर मुस्कुराने लगी ।
वही दूसरी ओर ममता अपने कमरे में बिस्तर के तड़प रही थी , हर बीतता पल उसको कामोत्तेजना के बहाव में बहा ले जा रहा था । मुरारी से बातें कर उसका चंचल मन खिल उठा और वो अपने जोबनो को मसलने लगी , अभी हफ्ते भर भी नहीं हुए थे कि उस आस पास उसके दीवाने मक्खियों के जैसे भिनभिना रहे थे और अब देखो वो खुद तरस रहे है , पहले उसका नंदोई भोला , कितना सताया बेचारे को और फिर अपने लाडले अमन को उसके लंड के सोचते ही ममता की चूत कुलबुलाने लगी और वो नाइटी के ऊपर से ही बुर रगड़ने लगी और उसके जहन में कभी कभी रागिनी की कही हुई बाते याद आती जब रंगी लाल ने रागिनी को ममता की दी हुई ब्रा पैंटी पहना कर पेला था , वो कहानी सोच कर ममता पागल होने लगी ।इस बात से बेखबर कि बाहर गया हुआ उसका देवर मदन घर में दाखिल हो गया था ।
हाथ में टिकिया-चाट की थैली लिए वो ममता के कमरे की ओर गया और जैसे ही उसने कमरे में झांका ठिठक कर रहा गया
सामने ममता अपनी नाइटी कमर तक उठा कर तेजी से अपनी बुर के उंगली कर रही थी और आंखे बंद कर सिसक रही थी , उसकी एड़ी टांगे पूरी तरह से अकड़ रहे थे और एकदम से वो उठी और अपने बदन से नाइटी निकालते हुए घूम गई और जांघों के बीच वही ढोलक वाला लंबा मोटा तकिया रखते हुए अपनी बुर उस तकिए पर घिसने लगी
मदन का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था पजामे में उनकी आंखे फटी हुई बस ममता के बड़े भड़कीले चूतड़ों को उस मुलायम गोल तकिए पर आगे पीछे होते हुए देख रही थी
ममता तेजी से सिसकियां लेती हुई अपनी बुर मसल रही थी और देखते ही देखते वो झड़ने लगी और मदन अपना लंड का सुपाड़े मिज कर पीछे हो गया हाल की तरफ । वही ममता हांफती हुई सो गई ।
प्रतापपुर
राजेश अपने कमरे में बेसुध सोया हुआ था , घड़ी में 3 बजने को हो रहे थे । पास में बैठी बबीता उसे जगा रही थी । सुनीता की दोहरी चुदाई से उसका बदन थक कर चूर था और नीद गहरी थी ।
बबीता के कोमल हाथ उसके दाढ़ी को छू कर उसे अपनी ओर टका रहे थे और हिला रहे थे । लेकिन रह रह कर उसकी नजर अपने पापा के अंडरवियर पर जा रही थी जिसमें उसका बड़ा सा लंड हल्की में नीद ने सोया था ,
बड़े मोटे आड़ और मूसल जैसा मोटा लंड देख बबीता की आंखे वही जम सी गई , वो तो भूल ही गई थी कि वो अपने पापा को जगाने आई थी ।
एकदम से उसकी आंखे चौक कर खुली और वो उठ कर देखा तो उसकी लाडली टीशर्ट यार शॉट्स के उसके पास बैठी है , जिस तरह से बबीता अपनी टांगे खोल कर बिस्तर पर थी ,
उसकी शॉर्ट्स कस कर उसके बुर के फांके में चिपक गई थी। पैंटी तो उसने तभी उतार दी थी वो अपने पापा का नाम लेकर झड़ रही थी ।
बबीता : पापा उठो न , देखो गीता मेरे साथ नहीं जा रही है घूमने
राजेश उसकी बाते सुनकर उसकी बुर से नजर हटाते हुए उसके शब्दों पर गौर करते हुए बोला : हा बेटा कहा घूमने जाओगी ?
बबीता: खेत में ट्यूबवेल पर , मीठी नहीं जा रही है
राजेश उसके ओर देखकर : क्यों ?
बबीता : पता नहीं ,
राजेश ने देखा बबीता का मूड कुछ उखड़ा सा है तो वो उसको पीठ पर हाथ रख दिया , उसके मुलायम बदन का स्पर्श और चूत के फांकों में फंसी चड्डी देख कर राजेश का लंड अकड़ने लगा और अंडरवियर के तंबू बनने लगा ।
तो राजेश खड़ा होकर अपना पेंट खोजता हुआ अपने खड़े लंड को अंडरवियर में सेट करने लगा
और बबीता चुपके से ये सब नजरे चुराती हुई देख रही थीं , जैसे कोई प्यारा खिलौना , जिसे वो हाथों में लेकर दुलारे अपने गालों से लगाए ।
राजेश ने झट से पेंट चढ़ाया और बबीता की ओर देख कर बोला : चल देखता हुआ क्या हुआ है उसे
बबीता ने एकदम से उसको टोका: नहीं वो दादू को मम्मी ने बुलाया है वो आ रहे है
राजेश उलझन में पड़ गया : तो अब ?
बबीता : तो आप चलो मेरे साथ
राजेश चौक कर : क्या ? नहीं नहीं मुझे नहीं नहाना
बबीता बिस्तर पर खड़े होकर उसके पास आ गई और जिद करते हुए अपने बाहों का छल्ला बना कर उसको पकड़ लिया, वो अपने पैरो पर उछलते हुए बोली: नहीं चलो न ,पापा प्लीज , मजा आएगा
राजेश : तुझे ठंड नहीं लगती क्या , मौसम देख कैसा हो रहा है अब , तू भी शाम को नहाना बंद कर दे ठंडी लग जाएगी तुझे
बबीता : अच्छा बंद कर दूंगी , लेकिन आज चलो न आप पापा प्लीज
बबीता उसके आगे अपने एड़ियों पर उछल कर उससे जिद दिखाने लगी और राजेश की नजर उसकी टीशर्ट में उछल रही मौसमियों पर गई और वो खुद से ही मना नहीं कर पाया
राजेश : अच्छा ठीक है , रुक मै कपड़े ले लेता हूं
बबीता : ठीक है , हीहीही
बबीता खुश थी और दोनों निकल गए घर के पीछे से ट्यूबवेल की ओर ।
बबीता राजेश का हाथ पकड़ कर चल रही थी , उसने शॉर्ट के ऊपर से एक लोवर डाल लिया था और झोले में एक गमछा नुमा तौलिया और राजेश ने अपनी एक अंडरवियर रख ली थी ।
कुछ ही देर में दोनों ट्यूबवेल पर थे , राजेश ने अपना पेंट और शर्ट निकाल कर मोटर चालू किया , पहले तो वो थोड़ा नहाने में झिझक रहा था लेकिन गर्म पानी का अहसास होते ही उसका दिल भी ललचा गया ।
राजेश : आजा गुड़िया , पानी गर्म है
बबीता ने ट्यूबवेल से लगे कमरे से बोली : हा पापा रही हूं
राजेश ने लपक कर देखना चाहा कि उसे क्यों समय लग रहा है तो उसने देखा कि वहां कमरे में एक परदे के पीछे बबीता अपने कपड़े निकाल रही थी,
परदे के पीछे लगे बल्ब की रोशनी से परदे पर उसकी परछाई उभर आई थी ।
राजेश ने देखा कि बबीता ने पहले अपना लोवर निकाला और फिर टीशर्ट निकाल कर ब्रा खोलने लगी और जैसे ही उसके नरम और कड़क संतरे जैसी चूचियां नंगी हुई उसकी परछाई उभर कर पर्दे पर दिखी और राजेश का लंड अकड़ गया , परछाई इतनी स्पष्ट थी कि किशमिश के दाने जैसी उसकी निप्पल की टिप भी नजर आ रही थी और फिर अगले ही पल बबीता ने टीशर्ट पहन लिया और राजेश लपक कर हाते में आ गया
बबीता राजेश को देख कर मुस्कुरा : मजा आ रहा है न हीही
राजेश : तू भी आजा बेटा
बबीता आई और हाते में उतरने लगी और जैसे जैसे उसके पैर भीगते उसके हाथों के रोंगटे खड़े होने लगे, टीशर्ट अभी भीगे नहीं थे लेकिन उसकी छातियों के निप्पल सिहर कर तन गए थे और राजेश इस ताख में था कि कब उसकी बेटी अपने स्तनों को पानी में डूबोएगी और जब उसके निप्पल विजिबल होंगे और अगले ही पल वो सरकती हुई घुटने के बल होकर हाते में बैठ गई और पानी उसके गले तक आ गया
राजेश उसको खुश और चहकता निहार रहा था , गुड़िया की कामुकता उसके मासूम चेहरे और हरकतों से बिलकुल नहीं झलकती थी वो बसी थी कही उसकी आंखों में गहरे ,
जैसे ही उसकी नजरें अपने पापा से टकराई वो असहज होने लगी जिस तरह से उसके पापा उसे घूर रहे थे और जिस तरह से उसके पापा का हाथ पानी में अन्दर था
बबीता ने झट से अंदर डुबकी मारी और बाहर आ गई हांफती हुई खड़ी होकर हाते के दिवाल पर बैठ गई और पैरों से छपकाइया मारने लगी हस्ती हुई
मगर राजेश मुस्कुरा कर उसके टीशर्ट को देख रहा था जो भीगने के बाद अब उसके कड़क छातियों से चिपक गई थी
और निप्पक विजिबल हो गए थे ,
राजेश भी पानी में खड़ा हो गया और जैसे ही वो खड़ा हुआ उसके भीगा अंडर वियर भी विजिबल पूरी तरह से लंड का शेप तना हुआ और कड़क
बबीता ने आंखे फाड़ कर उसे देखा फिर नजरे फेर ली , उसकी सांसे तेज हो गई थी
राजेश : क्या हुआ थक गई
बबीता मुस्कुरा कर ना में सर हिलाई , उसके जहन में उसके बाप की करतुते और उसका बड़ा मोटा लंड नाच रहा था और वो पल जब उसके पापा ने उसकी गीली बुर को छुआ था ।
बबीता अभी ख्यालों में घूम थी कि राजेश ने उसको बाहों में उठा कर पानी में बोर कर पानी में सुला दिया और खुद हाते की दिवाल पर बैठ कर हसने लगा
बबीता एकदम से पानी में नीचे गई और ऊपराई हांफते हुए खड़ी हुई उसके टीशर्ट चढ़ गए थे , पेट उघाड़ हो गया था , छोटी सी नाभि उसके गोरे चिकने पेट पर गजब की दिख रही थी और राजेश उसको देख कर हसने लगा तो बबीता पानी के चल कर उसके पास आई और पूरी ताकत लगा कर उसको पानी में खींचने लगी, हाथ पकड़ कर काम नहीं बना तो पैर पकड़ लिया और तभी उसकी उंगलियों ने राजेश के अंडरवियर को छुआ
एकदम से राजेश सतर्क हुआ : नहीं निकल जाएगा
यही राजेश हल्का हुआ और
बबीता दांत पिसती हुई उसकी जांघें पकड़ कर उसको पानी में खींचा तो राजेश ने उल्टे उसे ही पकड़ कर पानी में अपनी गोद में बिठा लिया: अब दिखा बहादुरी हाहाहाहाहा
बबीता ने छोटे चूतड़ राजेश की गोद में थे और उसका लंड बबीता की गाड़ के एक हिस्से में रोड के जैसे था
बबीता : अच्छा रुको मै आपको ऐसे भी डुबो दूंगी
बबीता उसको पीछे की ओर धकेलती हुई पानी में उसके सीने पर अपनी पीठ टिका कर नीचे धकेलने लगी और राजेश ने आस पास हाथ मारा , मगर फिसलन भरी हाते की दिवालो ने उसे सहारा नहीं दिया और बबीता ने उसको पानी में डुबोया
पानी में सर जाते ही राजेश की अफनाहट बढ़ी और उसने अब सहारे के लिए बबीता को पकड़ना चाहा और एक हाथ उसने बबीता के पेट पर रखे तो बबीता खिलखिलाती हुई उठने लगी , राजेश ने सहारे के लिए दूसरे हाथ से उसको पकड़ना चाहा और उसने जैसे ही हाथ आगे बढ़ाया उसके हाथ में बबीता की मौसमी जैसी चुची आई ,इतना नरम और गुदाज चर्बीदार अहसास पाते ही राजेश के हाथों में गुदगुदी हुई और पल में ही बबीता पानी ने उठ खड़ी हुई हस्ती हुई , उसे भी अहसास था कि अभी अभी उसके पापा ने उसके नाजुक चुची को दबोच लिया था मगर उसने मस्ती को वेल्यू दी ताकि माैहौल असहज न हो
राजेश झट से पानी से हांफते हुए बाहर आया और बबीता को हंसता देख मुस्कुरा लगा अपनी हार पर
बबीता : हिही हार गए न
राजेश : तू बड़ी चालाक है , चल आजा फिर से
राजेश ने जिस तरह कहा बबीता के जहन में यही आ रहा था कि जरूर उसके पापा दुबारा से मौका चाह रहे है उसकी नरम चूचियों को छूने का , लेकिन वो इतनी आसानी से देगी नहीं ।
बबीता : नहीं नहीं मेरा हो गया , चलो चलते है शाम को रही है
मगर राजेश को इस मस्ती में मजा आ रहा था और उसने लपक कर फिर से बबीता की कलाई पकड़ी और उसे अपने ऊपर खींच लिया और इस बार बबीता की नर्म चूचियां सीधा उसके नथुने पर जा टकराई।
बबीता सिसकी और राजेश उस पल का भरपूर फायदा लेते हुए पानी में उसके नरम चर्बीदार चूतड़ों को पकड़ लिया और उसको अपनी गोद में बिठा लिया आगे
बबीता इस समय अपने पापा की गोद में उसके बाहों की गिरफ्त में थी और छटपटा रही थी
राजेश : बोल डुबो दु ( बबीता को पीछे की ओर गिराता हुआ बोला)
बबीता हाथ चलाने लगी और उसका टीशर्ट पानी के ऊपर होने लगा , जिसका मतलब रह कि पानी उसके टीशर्ट के नीचे से उसकी संतरे जैसी चूचियो को धूल रहा था और नीचे उसका लंड बबीता की गाड़ के ठीक नीचे ठोकर दे रहा था ।
हर बार राजेश जब बबीता को पीछे गिराने के इरादे से उसको पानी में झटका देता उसका लंड बबीता की बुर के निचले हिस्से पर घर्षण करता और बबीता की सिसकी निकल जाती उस कड़क पाइप के अहसास से
बबीता हस्ते हुए : मै गिरा दु आपको
राजेश : गिरा के दिखा , देखूं तो तेरी ताकत
अगले ही पल राजेश उसको पकड़ कर अपने सीने से कस लिया और बबीता कड़क चूचिया उसके सीने से दब गई , बबीता सिसकी और अपने पापा के सीने की गर्माहट पाकर वो कंपकपा सी उठी ।
राजेश हंसता हुआ : अब लगा ताकत , क्यों हार गई ।
बबीता बेचैन थी उसकी चूत बुरी तरह बिलबिला रही थी , छातियों पर अलग ही खुजली मची थी उसपे से उसके पापा ने उसको अपनी बाहों के कसा हुआ था
बबीता मुस्कुराई और उसकी आंखों में खुमारी उतर रही थी : उम्हू , नहीं तो , फिर भी मै ही जीती हूं
राजेश : वो कैसे
बबीता राजेश के सीने से लिपट गई : ऐसे
राजेश उसके अलिंगन से सिहर उठा एक गजब सी ठंडक उसके बदन में उतरने लगी और उसने अपनी लाडली को कस लिया बाहों में
बबीता : पापा आई लव यू
राजेश : मै भी मेरा बच्चा
उसने बबीता के कान के पास उसके गाल को चूमा और बबीता ने दोनों हाथों से उसके बड़े से दाढ़ी वाले चेहरे को थाम कर उसके लिप्स को चूम लिया
राजेश और बबीता दोनों की सांसे तेज थी और गले तक पानी में भी उसकी प्यास बढ़ रही थी , जिस तरह से बबीता ने उसे चूम लिया था । राजेश एक टक अपनी बेटी को निहार रहा था जिसके गुलाबी होठ अभी भी हल्के खुले हुए थे , नथुने भारी गहराती सांसों से फुले जा रहे थे , धड़कने दुगनी गति उसकी नुकीली मौसमियों को सीने पर कोंच रही थी ।
बबीता : पापा चले , लेट हो रहा है
राजेश गुमसुम सा : अच्छा नहीं लग रहा है क्या तुझे
बबीता उससे लिपट कर : लग रहा है लेकिन
राजेश : लेकिन क्या ?
बबीता : कुछ नहीं
राजेश : बोल न बेटा , क्या हुआ
बबीता : ऊहू कुछ नहीं
राजेश : अरे उदास क्यों हो रही है
बबीता : आप पहले जैसे हो जाओगे तो , डर लग रहा है
राजेश उसको अपनी बाहों के भर कर : नहीं होऊंगा ,पक्का वाला प्रोमिस ।
बबीता चहक कर : ठीक है , आज रात मै आपके साथ सोऊंगी
राजेश अटक कर : लेकिन रात को तो मै गोदाम पर रहूंगा
बबीता : तो क्या हुआ मै भी चलूंगी ,
राजेश : तू क्या करेगी वहां ?
बबीता : आप काम करना मै आपके मोबाइल में फिल्म देखूंगी हीही
मोबाइल की बात सुनकर ही राजेश का लंड एकदम से अकड़ गया
राजेश हस कर : बदमाश कही की , नहीं मिलेगी तुझे अब मोबाइल
बबीता : क्यों ?
राजेश : देखा मैने दुपहर में तू क्या देख रही थी ।
बबीता एकदम से शर्मा गई : तो आपने रखी क्यों थी उसमें , मेरी क्या गलती
राजेश : लेकिन तुझे नही देखना चाहिए था न , बंद करके रख देना चाहिए था न उम्मम
बबीता : और आप उसमें जो कर रहे थे वो बोलूं मम्मी को
बबीता ने सीधे हड़काया
राजेश हस कर : तुझे कैसे पता उसमें मै ही था , कोई और नहीं ?
बबीता : आपकी आवाज सुनी मैने उसमें , हा , झूठ मत बोलो
राजेश का लंड नीचे से पंप हो रहा था और उसकी सांसे तेज थी ।
राजेश : और तू जो कर रही थी वो वीडियो देख कर वो ?
बबीता एकदम से शर्म से गाढ़ हो गई और उसे समझ नहीं आया क्या रिएक्ट करे : मैने क्या किया , मै तो मोबाइल रख कर सो रही थी
राजेश : और सोने से पहले जो किया वो ? कच्छी देखी थी मैने तेरी कितनी गीली थी
बबीता अब और शर्माने लगी : धत्त पापा , गंदे हो आप , मत याद दिलाओ न
राजेश : मै तो दिलाऊंगा , अगर तू तेरी मां को कहेगी तो ऐसे ही याद दिलाऊंगा
बबीता : और नहीं कहूंगी तो , मोबाइल दोगे न ?
राजेश : हम्म्म ठीक है ले लेना , लेकिन बस फिल्म देखने के लिए वो सब के लिए नहीं , ठीक है
बबीता अपने होठ चिपकाए मुस्कुराती हुई हा में सर हिलाई और दोनो उठ कर बाहर आ गए ।
राजेश का लंड एकदम अकड़ा हुआ था हुआ अंडरवियर में तंबू बना हुआ और बबीता ने उसे देखा और उसकी बुर की खुजली और तेज हो गई ।
कबसे वो लंड उसकी बुर के नीचे फुदक रहा था उसको घिस रहा था
राजेश: जा कपड़े बदल ले चल घर चलते है
बबीता न ज्यादा कुछ न बोलते हुए मुस्कुरा कर चली गई
वही दूसरी ओर घर पर बनवारी लाल कमरे में दाखिल हुआ तो देखा गीता पेट के बल होकर सोई हुई है और उसकी हल्की प्लाजो से उसकी गुलाबी ब्लूमर झलक रही थी ।
उसके बड़े मोटे चूतड़ देख कर बनवारी की नजरे वही जम सी गई मगर वो खुद को शांत करता हुआ कमरा बंद कर गीता के पास गया और उसको दुलारता हुआ उठाने लगा
बनवारी : क्या हुआ मीठी , क्यों घूमने नहीं गई आज
गीता सुबक रही थी : मुझे आपसे बात नहीं करनी
बनवारी उसको पकड़ कर उठाता हुआ बिस्तर पर बिठाया : अरे क्या हो गया मेरी लाडो को , क्यों रो रही है
गीता : आप मुझसे प्यार नहीं करते
बनवारी को समझते देर नहीं लगी कि गीता का इशारा किस तरफ , वो उसको अपने सीने से लगाए उसके माथे चूमता हुआ उसको दुलारने लगा : ऐसा नहीं कहते बेटा , तेरे दादू तुझसे बहुत प्यार करते है
गीता : नहीं करते हो आप
बनवारी उसकी जिद से अंजान नहीं था , वो बचपन से गीता की जिद को जानता था एक बार जो ठान ले वो तो करके ही मानेगी , लेकिन आज की स्थिति अलग थी । जिस नातिन को उसने अपनी गोद में खिलाया कैसे वो उसके नाजुक जिस्मों को मसलेगा , उन्हें नोचेगा। लेकिन उसके जहन में अपनी बेटियों का ख्याल भी आ रहा था ।
बनवारी उसके पीठ पर हाथ फेर रहा था जिससे गीता के जिस्म में गुगुदाहट सी हो रही थी : अच्छा ठीक है अब तुझे देखने के लिए नहीं डाटूंगा ठीक है लेकिन वादा कर इस बारे में तू किसी से नहीं कहेंगी
गीता चहक कर लिपट गई उससे तो बनवारी बिस्तर पर गिरने लगा था , मगर उसने खुद को संभालता : अरे हाहाहा देखो तो कैसे नाटक कर रही थी , अच्छा सुन खाना खाया तूने
गीता मुस्कुरा कर : आपको लगता है मै बिना खाए रह पाउंगी मैने चुपके से खा लिया था पहले ही हीही
बनवारी उसके चब्बी गाल पकड़ता हुए किस करता हुआ : बदमाश कही की , अच्छा ये बता तुझे कब ज्यादा अच्छा लगता है, मुझे अकेले देख कर या किसी के साथ देख कर ।
गीता शर्माने लगी और मुस्कुराकर बनवारी के कांख में दुबकने लगी अपने चेहरे छिपाने लगी ।
बनवारी : अरे अब क्यों शर्मा रही है बोल न ,
गीता बनवारी के सीने पर मुंह लगाए हुए : सब अच्छा लगता है दादू , बस आप वो कमला आंटी से वो सब मत किया करो
बनवारी चौक कर : क्यों ?
गीता : बस वैसे ही , वो कितनी गंदी है सबको आपके बारे में बताती है ।
बनवारी कमला के स्वभाव से परिचित था और ये भी जनता था गोदाम पर काम करने वाले बाकी दूसरे मजदूर भी उसके इस रिश्ते के बारे में जानते थे ।
बनवारी : अरे फिर तो उससे सावधान रहना होगा
गीता हस कर : और थोड़ा पापा से भी
बनवारी : उससे कैसा डर ?
गीता चहक कर : मम्मी से खूब पट रही थी आज उनकी
बनवारी चौक कर : क्या सच में
गीता : हम्ममम , अभी दोपहर में दोनों कर भी रहे थे अपने कमरे में , खूब देर तक
बनवारी का लंड अकड़ने लगा अपनी बहु की चुदाई सुनकर
बनवारी हस कर उसके पेट पर गुदगुदाते हुए : बदमाश कही की , तू सबको देखती है छिपकर
गीता खिलखिलाई : नहीं लेकिन मुझे अच्छा नहीं लग रहा है , आप रहते हो मम्मी के साथ तो अच्छा लगता है ।
बनवारी का लंड फड़का और अपना लंड सहला कर : तुझे अच्छा लगता है जब मै तेरी मम्मी के साथ करता हु
गीता ने शर्मा कर हुंकारी भरी : आप कितने प्यार से करते हो, और पापा बस नोचते है उनको और जल्दी जल्दी करते है
बनवारी पर अब नशा छा रहा था उसका लंड पजामे में तंबू बना चुका था और उसके बाहों में गीता का गुदाज चर्बीदार जिस्म उसको गुदगुदा रहा था उसका एक हाथ जो कुछ देर पहले ही गीता के पेट पर आया था वो वासना के जज्बात में बहने लगा और उसके नरम चर्बीदार मोटी छातियों की ओर बढ़ने लगा और गीता इस अहसास से पिघलने लगी थी, उसकी सांसे तेज हो रही थी ।
बनवारी : सच में क्या , तुझे कुछ नहीं होता जब मै तेरी मम्मी को छूता हूं
गीता सिहर उठी और कुंमुनाने लगी : होता है न , खुजली जैसी होती है
बनवारी का लंड फड़कने लगा उसके हाथों में कठोरता आने लगी और गीता हल्की दर्द से तड़पी।
बनवारी : कहा पर होता है उम्मम
गीता सिहर कर सिसकती हुई कुनमुनाई : सूऊऊ अह्ह्ह्ह वही पर जहां आप दबा रहे हो
बनवारी का हाथ अबतक उसके टीशर्ट में घुस कर उसके बाएं चूची को ब्रा के ऊपर से मसल रहा था और उसकी किशमिश जैसी निप्पल पर हथेली रेंग रही थी ।
बनवारी उसके गुदाज पाव जैसी फुली हुई चुचियों को टीशर्ट में हाथ घुसा कर सहलाते हुए : अभी भी हो रही है क्या बेटा
गीता सिहर कर: हम्ममम बहुत ज्यादा सीईईईई आह्ह्ह्ह वही पर वो निप्पल के पास
बनवारी ने ब्रा में उभरे हुए उसके किशमिश के दाने जैसे निप्पल को उंगली से रगड़ा और गीता अपनी टांगे फैला कर अकड़ने लगा ।
गीता : अह्ह्ह्ह सीईईईईई दादू उम्ममम अह्ह्ह्ह
बनवारी उसकी छटपटाहट देखकर और भी जोश में आ गया , उसकी गोद में उसकी लाडली नातिन थी जिसके नाजुक किशमिश के दाने को वो अंगूठे और उंगली से पकड़ कर घुमा रहा था ।
बनवारी : यही पर हो रहा है न बेटा रुक जा इसे भी खोल दूं
गीता : अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म दादू अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह क्या कर रहे हो ओह्ह्ह्ह कितना ठंडा है जीभ आपका अह्ह्ह्ह
बनवारी उसकी दोनों चूचियां ब्रा से बाहर निकाल कर मुंह लगा दिया और उसके दाहिए निप्पल को चुबलाने लगा , गीता पागल होने लगी ।
बनवारी का दूसरा हाथ उसकी बाई छाती पर था जिसे वो अपनी सख्त हथेली में मिज रहा था उसका लंड पजामे में खूब कड़ा हो गया था और गीता ने हाथ बढ़ा कर उसका लंड सहलाने लगी जिससे बनवारी की हालत खराब होने लगी ।
वही घर में ऊपर की छत पर सुनीता कपड़े उतारने पहुंची थी और रंगीलाल ने मौका देख कर दूसरी तरफ वाले जीने से ऊपर चला गया ।
सुनीता उसको ऊपर देखते ही मुस्कुराने लगी और रंगी भी मुस्कुराता हुआ उसके पास चला गया ।
सुनीता अरगन से साड़ी खींचती हुई : अरे ऊपर क्यों चले आए , नीचे आराम करना चाहिए था ।
रंगीलाल मुस्कुराता कर दूसरे कपड़े उतरता हुआ : अपने प्यार को काम करता देख मुझे आराम कैसे हो सकता है भला
संगीता लाज से गाढ़ होने लगी और हसने लगी : धत्त छोड़िए , कोई देखेगा तो क्या कहेगा
रंगीलाल ने देखा वो दोनों इस दोनों तरफ कपड़ो से घिरे थे , चादर साड़ीयो से
रंगी : यहां हमे कौन देख पाएगा
सुनीता ने आसपास देखा और वो हल्की सी सहम गई और वहां से निकलने का सोचा
रंगी ने लपक कर उसकी कलाई पकड़ ली और सुनीता की धड़कने तेज हो गई और उसकी तेज सांसों से ब्लाऊज में उसकी छातियां ऊपर नीचे होने लगी , पेट अंदर की ओर दबने लगे । रंगी भी उसकी कोमल कलाई को पकड़ कर सिहर उठा था , उसके भी भीतर एक डर सा था कि कही सुनीता इसका विरोध न करे ।
सुनीता : धत्त छोड़ो न , प्लीज , कोई देख लेगा
ये शब्द रंगी के कान में पड़ते ही वो समझ गया कि सुनीता अब उसे नहीं रोकने वाले उसे ही पहल करनी हैं और वो उसको पकड़ कर अपनी ओर खींचा और वो उसकी बाहों में आ गई
उसकी मोटी चूचियां गद्द से उसके सीने से जा लगी और सुनीता की नजरे उसकी आंखों से जा टकराई ।
दोनों की गर्म सांसे आपस में टकरा रही थी और दोनों हाफ रहे थे , धड़कने दोनों की तेज थी ।
सुनीता : आपने तो कहा थे जब तक मै न कहूं आप कुछ नहीं करेंगे
रंगी : कह तो रहे ये तुम्हारे होठ
रंगी ने उसके नरम लिपस्टिक वाले होठों को अपने उंगलियों से छुआ और वो आंखे बंद सिहर उठी
रंगी : ये कह रहे है मुझे चूम लो
सुनीता की सांसे तेज होने लगी और गला सूखने लगा और अगले ही पल रंगी ने अपने होठ उसके होठ से लगा दिए और उस अहसास से दोनों के बदन में कंपकपी सी महसूस हुई और दोनों एक दूसरे के होठ चूसने लगे ।
रंगी ने सुनीता को अपनी ओर और कस लिया जोश में और सुनीता बिना विरोध के उससे लिपट गई ।
तभी नीचे कुछ दस्तक हुई , कोई बनवारी को आवाज दे रहा था और दोनों अलग हुए और सुनीता लाज से मुस्कुराने लगी : धत्त गंदे , जाओ अब
रंगी हंसता हुआ : अरे सच में हेल्प करने आया था
सुनीता हस्ती हुई : अच्छा जी , बड़े आए
रंगी लाल दूसरे कपड़े खींचने लगा कि एक पेटीकोट खींचते ही उसके नीचे एक लाल जोड़े में उसकी ब्रा और पैंटी चिमटी से तंगी मिली और उसे देखते हुए रंगी वही रुक गया ,
एकदम से सुनीता की नजरे उस पर गई और वो शर्म से लाल होने लगी ।
रंगी : उफ्फ क्या रंग है , उम्ममम अह्ह्ह्ह क्या खुशबू है
रंगी उसके पास जाकर उसकी पैंटी को सूंघने लगा
तभी सुनीता आई और झट से वो ब्रा पैंटी खींच ली : धत्त गंदे , क्या करते हो
रंगी ने उसको पकड़ कर अपनी ओर खींचा और उसके लिप को छूता हुआ : ये होठ तो चख लिए , दूसरे होठों का स्वाद भी देदो न
सुनीता उसके स्पर्श से पिघलने लगी थी लेकिन जैसे ही रंगी ने इनडायरेक्टली उसके चूत की बात कही वो शर्मा कर हसने लगी : धत्त , नहीं कुछ ज्यादा तेजी नहीं है आपको
रंगी ने उसके कमर के पास उसके कूल्हे सहलाता हुआ : तुम्हे देख कर मेरी सांसे तेज हो जाती है तो क्या करु
सुनीता : अपनी सांसों से कहिए कि अभी सबर करें
रंगी लाल उसको अपनी ओर कसता हुआ : अब नहीं होता मेरी जान , दीदार ही करा दो न
सुनीता : अह्ह्ह्ह्ह छोड़िए , कुछ नहीं मिलेगा अब
सुनीता उससे अलग होकर जल्दी जल्दी चादर नीचे उतार दिए ताकी रंगी की मनमानी थमे और रंगी खुले में आते ही एकदम से नॉर्मल हो गया लेकिन बस हरकतों से , आंखे अभी भी दुनिया को छेड़ने से बाज नहीं आ रही थी ,
वो भी जीने से नीचे उतरने लगा सुनीता के साथ और उसके चौड़े चूतड़ों की थिरकन देखकर उसका लंड पजामे में तंबू बना रहा था ।
सुनीता ने मूड कर पीछे देखा तो रंगी की नजरे अपने चूतड़ों पर पाई और हस कर : लालची कही के ।
फिर वो कमरे में चली गई
रंगीलाल भी बरामदे में आया तो देखा कि बनवारी अपने कमरे के बाहर एक आदमी से बात कर रहा है और उसके साथ एक महिला भी थी जिसके मोटे चौड़े कूल्हे और थन जैसी चूचियां देख कर रंगी का लार टपकने लगा और रंगी अपना लंड सेट करता हुआ बनवारी के पास पहुंचा और बैठ गया ।
थोड़ा चिर परिचय हुआ और इतने देर में सुनीता पानी लेकर आई और उसने देखा उसके पास आने का रंगी पर कोई फर्क नहीं हुआ वो एक टक नजर गड़ाए उस औरत के ब्लाउज में ठूंसे हुए चूचे निहार रहा था जो पल्लू से बाहर निकल कर दिख रही थी ।
सुनीता एकदम से भूनकी और आंखे महीन कर रंगी को घूरा और एकदम से रंगी की नजर उससे टकराई तो उसकी हालत खराब होने लगी ।
बनवारी : लीजिए जमाई बाबू , पानी पीजिए , बहु जरा मेरे लिए भी पानी लाना
सुनीता मुंह बना कर रंगी को घूरती हुई : जी लाती हु बाउजी
रंगी उसके मटकते चूतड़ों को देखकर : नहीं बाउजी , आप पीजिए , मै थोड़ा कुल्ला करके पियूंगा बाथरूम में ही जा रहा हूं और वो उठ कर उधर ही चल सुनीता के पीछे ।
फिर जब सुनीता किचन में गई तो रंगीलाल ने एक नजर बनवारी की ओर देखा और उसे व्यस्त पाकर लपक कर सीधे किचन में घुस गया ।
सुनीता अभी गागर से पानी निकाल रही थी झुक कर कि रंगी ने उसको पीछे से पकड़ लिया और वो एकदम से चौकी : हाय दैय्या , आप छोड़ो मुझे
एकदम से सुनीता ने डांट लगाई और रंगी पीछे हो गया
सुनीता उसको पानी का ग्लास देते हुए : हम्म्म लीजिए , और जाइए
रंगी : अरे नाराज क्यों हो रही हो
सुनीता ने गुस्से से उसे घूरा तो रंगी की हालात खराब होने लगी
सुनीता: आप सारे मर्द एक जैसे होते है , जहां भी औरत दिखी लार टपकने लगती है आप लोगों की
रंगी समझ गया कि अभी भी सुनीता भड़की है
रंगी उसको अपनी बाहों के भर कर : वो मै बस उसके ब्लाउज के डिजाइन देखने की कोशिश कर रहा था
सुनीता उसकी बाहों में कसमसाती हुई मुंह बनाती हुई तुनकी: हूह , तो जाओ न देखो उसी का , मुझे छोड़ो
रंगी उसको अपनी बाहों को छटपटा देख हंसता हुआ : चला जाऊंगा , पहले तुम तो दिखाओ न
और रंगी एक उंगली से उसके पल्लू को सीने से हटाने लगा तो सुनीता मुस्कुराने लगी और उसका हाथ पकड़ कर रोकने लगी : धत्त नहीं रुको , पागल मत बनो कोई आ जाएगा
रंगी : बस थोड़ा सा दिखा दो न
सुनीता : अच्छा ठीक है छोड़ो पहले , उफ्फ
सुनीता अलग हुई और अपने कपड़े सही करते हुए : आप कमरे में चलो मै चाय लेकर आती हूं
रंगी चहक कर : सच में
सुनीता ने आस पास देखा : हा बाबा सच में अब जाओ
रंगी खुश होकर उसके गाल चूम लिया और निकल गया रसोई से , वही सुनीता ने राहत की सांस ली । ना जाने क्या हो जाता है उसे जब रंगी उसके साथ होता है वो बहकने लगती है । तभी बनवारी ने फिर आवाज दी और सुनीता जल्दी जल्दी चाय बनाने लगी
जारी रहेगी ।