Superb bhai kya Kamal ka update diya hअध्याय : 02
UPDATE 16 (A)
रागिनी-अनुज स्पेशल
" अरे देखो तो , इसका नाटक " , रागिनी ने मुस्कुरा कर अनुज को देखा और फिर जबरन उसके कंबल में जाने लगी
अनुज भूनक कर : क्या कर रहे हो मम्मी यार आप
रागिनी : अरे मुझे ठंडी लग रही है , खिसक न ऊहूहु कितनी गलन है
रागिनी हंसती हुई जबरन अनुज के कंबल में घुस गई
अनुज फिर भी करवट लेकर अपनी मां की ओर पीठ किए पढ़ रहा था राज के बिस्तर में ।
लेकिन पढ़ाई हो कहा रही थी , उसके मा का यूं कम्बल के घुसना और उसकी कमर का अनुज के पीठ में गुदाज मुलायम स्पर्श उसे अंदर से गुदगुदी कर रहा था । जबरन आंखे गड़ाए वो किताब देख रहा था , जबकि उसे तो नोट्स लिखने थे ।
रागिनी : आज की रात मै भी यही सो जाती हूं , कितनी ठंडी है दादा
अनुज अभी भी गुस्सा था तो पिनक कर अपनी मां को बिना देखे : क्यों आपके बिस्तर में भी कम्बल है न
रागिनी हंसते हुए सरक कर कंबल में नीचे जाते हुए : वहा तुझे ऐसे पकड़ कर सोने को नहीं मिलेगा न हीहीहीही
रागिनी ने एकदम से अनुज की टीशर्ट में अपने ठंडे हाथ घुसा कर उसके पेट को छुआ और अनुज छटकते हुए हसने लगा : क्या मम्मी छोड़ो न कितना ठंडा हाथ है आपका
रागिनी उसको पीछे से पकड़ कर अपनी ओर कस ली , अनुज को अपनी मां की नरम छातियां अपने पीठ पर महसूस हुई और उसका लंड लोवर में झटका देने लगा : उम्ममम
वो सिसक पड़ा
रागिनी : भूल गया जब तू छोटा था और तुझे ठंड लगती थी तो ऐसे ही तुझे अपने सीने से लगा कर सुलाती थी , अब मुझे लग रही है तो नाटक कर रहा है ।
अनुज को अपनी मां की बचकानी बातें सुनकर हसी आ रही थी लेकिन उसके बदन का स्पर्श उसे कामोत्तेजित भी कर रहा था ।
अनुज उसकी ओर गर्दन फेर कर सीधा होता हुआ : तो क्या अब आप मेरे सीने पर सोओगे
रागिनी बिना एक पल सोचे अपना हाथ उसके टीशर्ट में पेट से सरका कर उसके सीने पर ले गई ,जो अब रागिनी के करीब आने से तवे की तरह तप रहा है : उफ्फ कितना गर्म है रे तू
अनुज की सांसे चढ़ने लगी जब उसने अपनी मां की नरम हथेली अपने सीने पर महसूस की , नीचे लोवर ने तम्बू बन गया था और चेहरा लाल होने लगा था ।
रागिनी मुस्कुरा कर उसके सीने पर सर कर ली : बिल्कुल सोऊंगी , अह्ह्ह्ह्ह कितना आराम है उम्मम अब तो लग रहा है तेरे पापा को छोड़ कर तेरे साथ ही सोना पड़ेगा सारी सर्दी
उसकी मां के मुंह से निकले एक एक शब्द अनुज को गहरी काम कल्पनाओं से भर दे रहे थे ,उसपर से रागिनी उससे एकदम लिपटी हुई थी ।
अनुज खुद को संभालता हुआ : क्यों ?
रागिनी : भाई मुझे बहुत सर्दी लगती है और आगे अभी ठंडी तो बहुत पड़ेगी । तो मै तेरे पास ही सोऊंगी तुझे पकड़ कर
अनुज खुद की सांसे काबू करता हुआ : और पापा
रागिनी : अच्छा बच्चू, मम्मी इतना प्यार करती है उसकी फिकर नहीं है पापा का बड़ा ध्यान है , हूह
अनुज अपनी को मुंह बनाता देख मुस्कुरा : नहीं ऐसा नहीं है , मतलब उनको आदत नहीं होगी न अकेले सोने की
रागिनी तुनक कर तुरंत अनुज के बात का जवाब देती हुई : उनको मेरे होने न होने क्या फर्क , दो दिन हो गए फोन भी आया हूह
अनुज अपने दिल का डर बयां करने लगा : फिर भी वापस आयेंगे तो आप चले जाओगे न
रागिनी उसकी देख कर उसके गाल छूती हुई : अच्छा लगता है मम्मी के पास सोना
अनुज मासूम सा मुंह बना कर : हम्ममम
लेकिन रागिनी की ममता एक पल में चूर हो जाती अगर उसका हाथ ऊपर की जगह नीचे होता , नीचे अनुज का लंड फौलादी हुआ जा रहा था , सुपाड़ा अपनी खोल से निकलने की राह देख रहा था और लंड खूंटे की तरह अकड़ा हुआ ।
रागिनी : अच्छा ठीक है , मै तेरे पापा को बोल दूंगी कि अब मै मेरे बेटे के साथ सोऊंगी , वो जाए दूसरी बीवी ले आए
अनुज : क्या ? भक्क नहीं
रागिनी हसने लगी : अच्छा अब तो नाराज नहीं है न मुझसे मेरा बेटा
अनुज मुंह बिगाड़ कर : किसने बोला , मै तो नाराज हूं
रागिनी : अच्छा बच्चू बताऊं , करु गुदगुदी
अनुज एकदम से खिलखिलाने लगा , कम्बल के अंदर हलचल होने लगी अनुज पैर झटकने लगा और रागिनी उसको खिलखिलाता देख खुश थी ।
फिर वो रुक गई और दोनों एक दूसरे को देखने लगे ।
अनुज की आंखों में सवाल स्पष्ट रूप से तैर रहा था जिन्हें रागिनी समझ रही थी और उसका दिल बेचैन होने लगा । चेहरे की रौनक मद्धम पड़ने लगी और सांसे तेज होने लगी ।
उस चुप्पी में दोनों के दिल जोरो से धड़क रहे थे ।
रागिनी ने आंखों से इशारा करते हुए : क्या हुआ बोल न
अनुज उसकी ओर से मुंह घूमा कर छत की सीलिंग फैन को देखने लगा : जब आप बताओगे नहीं तो क्या ?
रागिनी समझ रही थी मगर अनुज उसकी नजरो में अभी वो छोटा बच्चा था, उसे उसके ऐसे ही खेलना मस्ती करना , उसे सताना और फिर मनाना। रागिनी समझ रही थी कि दसवीं कक्षा के लड़के की उम्र में जिज्ञासा बढ़ रही होगी । मगर उसके लिए अनुज अभी भी बहुत भोला था , भावनाओं से भरा हुआ , मासूम और उसका दुलारा उसकी जान से भी बढ़ कर ।
वो परेशान थी और चुप भी , वो सोच रही थी काश इस वक्त उसकी किसी तरह अपनी बड़ी बहन रज्जो से बात हो जाती तो शायद वो इस बात का हाल दे देती । मगर फिलहाल ऐसी कोई व्यवस्था मुमकिन नहीं थी , ऐसे में रागिनी ने सोचा कि अगर उसकी जगह रज्जो होती तो वो कैसे इस असहज माहौल को सही करती क्योंकि रज्जो ऐसे असहज माहौल को हैंडल करने में बहुत हद तक अच्छी थी । रागिनी के दिमाग में रज्जो की कई सारी बातें आ रही थी और तभी उसका दिमाग चल गया । शायद ये तरीका कारगार हो जाए ।
रागिनी : मै बत्ती बुझा दूं
अनुज चुप रहा कुछ बोला नहीं तो रागिनी ने उठ कर बत्ती बुझा दी और वापस कम्बल में आ गई ।
अनुज अभी भी शांत था और रागिनी उसके बगल में सीधी लेट गई
रागिनी : एक वादा करेगा
अनुज अचरज से अंधेरे में अपनी मां की आवाज पर उसकी ओर देखता हुआ : क्या ?
रागिनी : ये बात किसी से कहेगा तो नहीं न
अनुज : कौन सी बात ?
रागिनी : अरे जो मै अभी बताने वाली हूं, तूने पूछा न वो अंडर गारमेंट किसकी है और उसे कौन पहनता है ।
अनुज की सांसे तेज होने लगी उसका लंड अकड़ने लगा : ठीक है , नहीं कहूंगा , बताओ अब
रागिनी अपना गला साफ कर रही थी उसे थोड़ी हंसी भी आ रही थी
अनुज : अब बोलो न
रागिनी : बता रही हूं न , तू तेरे नाना के बारे में जानता ही है कि वो थोड़े रोमेंटिक है
अनुज टोक कर : थोड़े ?
रागिनी को हंसी आई : हा मतलब ज्यादा वाले है , लेकिन एक बात है जो तू नहीं जानता।
अनुज : क्या ?
रागिनी : कि जब अम्मा थी तो भी बाऊजी के शौक थे अलग अलग औरतों के साथ वो सब करने का
ये सुनते ही अनुज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और अनुज उसको पकड़ कर भींचने लगा : क्या ? सच में और नानी को पता नहीं था ।
रागिनी मुस्कुरा कर : पता था उनको भी
अनुज : क्या सच में
रागिनी : हा भाई , और अम्मा तो बाउजी के लिए हेल्प भी करती थी ।
अनुज : हेल्प ? मतलब नानी दूसरे औरतों को बुलाती थी नाना के लिए
रागिनी : भक्क नहीं , वैसे नहीं
अनुज : तो ?
रागिनी अटक कर : वो अम्मा बाउजी के लिए उस औरत के कपड़े पहन कर तैयार होती जिसको बाउजी पसंद करते थे
अनुज एकदम सन्न हो गया उस लंड लोवर में अकड़ गया
अनुज : नानी को गुस्सा नहीं आता कि नानू को दूसरी औरते पसंद है
रागिनी मुस्कुराने लगी : पता नहीं लेकिन अम्मा को कभी बाउजी से झगड़ते नहीं देखा , अम्मा घर में काम करने वाली औरतों और दूसरे मेहमानों के कपड़े पहन कर बाउजी के पास जाती थी ।
अनुज का लंड अकड़ रहा था लेकिन इसके दिमाग में सवाल उठ रहे थे : तो क्या नानू को घर आए रिश्तेदारों को भी पसंद करते थे ।
रागिनी थोड़ी असहज होकर : अब करते ही होंगे तभी न अम्मा उनके कपड़े पहनती थी और एक बार को तो ....
अनुज : क्या ?
रागिनी : कुछ नहीं
अनुज : बताओ न
रागिनी : एक बार तो सुलोचना बुआ आई थी घर ...
अनुज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा कि उसके नाना अपनी बहन को भी चोदना चाहते थे : तो क्या नानी ने उसे भी पहन लिया ?
रागिनी की सांसे तेज थी: हम्ममम
फिर कुछ देर की चुप्पी बनी रही और अनुज : लेकिन इन सब का उस अंडर गारमेंट से क्या लेना देना।
रागिनी की सांसे अब अफ़नाने लगी और वो थोड़ा हिचक रही थी : दरअसल तेरे पापा भी कुछ कुछ तेरे नाना जैसे है
अनुज एकदम से चौक गया : क्या ?
रागिनी चुप थी
अनुज की बेताबी बढ़ गई उसके दिमाग में ढेरों कल्पनाओं और जिज्ञासाओं ने घर करना शुरू कर दिया ।
अनुज: तो क्या पापा भी दूसरी औरतों के साथ वो सब करते हैं?
रागिनी : धत्त, उन्हें कौन इस उम्र में घास डालेगी
अनुज कंबल में अपना सुपाड़ा मिज कर : फिर ?
रागिनी मुस्कुरा कर : मुझे ही कपड़े पहनने पड़ते है उनके लिए
अनुज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा , मानो सारी नसे खून उसके लंड के आस पास ही दौड़ा रही थी । अपने पापा के बारे में ऐसी बातें उसे कामोत्तेजना से भर देती है ।
अनुज ने दिमाग में जो ख्याल चल रहे थे उससे उसका सुपाड़ा बुरी तरह से खुजा रहा था और वो उसको अपने हथेली के मिजते : तो आपने किसके किसके कपड़े पहने है अब तक
रागिनी एकदम से लजा गई : धत्त वो क्यों जानना है तुझे
अनुज : बताओ न मम्मी प्लीज
रागिनी अब खुद के ही बनाए जंजाल में फंस गई थी उसे उम्मीद थी कि वो कहानी सुनाएगी और बात को घुमा ले जायेगी , लेकिन यहां तो अनुज ने सवाल करना शुरू कर दिया , अब उसे समझ नहीं आ रहा था कि किसका नाम ले , अगर मुहल्ले या किसी ऐसी बाहरी औरत का नाम लिया और अनुज ने कौतूहल में जांच पड़ताल कर दी चीजें बिगड़ जायेगी क्योंकि अभी भी उसके जहन अनुज का भोलापन वाला ही किरदार बसा था , उसे कोई ऐसा नाम चाहिए था जिसे जरूरत पड़ने पर वो अपने हिसाब से उस इंसान से बात कर स्थिति अपने काबू में रख पाए और उसके जहन में एक ही चेहरा याद आ रहा था जो शायद उसकी गलतियों को अपने हिसाब से सुधार सके अगर भविष्य में इसकी कोई गुंजाइश हुई तो ।
रागिनी : तू किसी को कहेगा तो नहीं
अनुज का लंड मुंह खोलकर अकड़ रहा था : नहीं
रागिनी कुछ देर चुप हुई : सबसे ज्यादा तो मैने रज्जो दीदी की साड़ी पहनी है ।
रज्जो का जिक्र आते ही अनुज का लंड पूरा फूल गया , उसका सुपाड़ा जलन से भर गया लंड एकदम खूंटे जैसा टाइट उस सख्ती ने उसके लंड के दर्द सा भी उठने लगा । इतनी उत्तेजना अब तक कभी अनुज ने महसूस नहीं की थी ।
उसके दिमाग में अब रज्जो मौसी और उसके पापा की छवि चल रही थी। उसके जहन में सोनल की शादी के दिनों में वो पल याद आ रहे थे जब उसके पापा ने उसकी रज्जो मौसी को किचन में पीछे से उसकी मां समझ कर पकड़ लिया था और सब कुछ जानने के बाद भी उसके पापा ने रज्जो की कमर से हाथ नहीं हटाए और रज्जो मौसी ने कितनी बेशर्मी से हस कर कहा था
" क्यू आपको मेरे और रागिनी के पिछवाड़े मे कोई अन्तर नही मिलता क्या? खुब समझती हू आपकी चालाकिया जमाई बाबू "
अनुज अपने मन में बड़बड़ाया : इसका मतलब सच में उसके पापा मौसी को पेलना चाहते है तभी तो उसकी मां रज्जो मौसी के कपड़े पहनती है ।
रागिनी अनुज को चुप देख कर : क्या सोच रहा है
अनुज अपने ख्यालों से निकल कर : बस साड़ी ?
रागिनी थोड़ी लजाती हुई मुस्कुरा कर : हा , मतलब सारे कपड़े , ब्रा पैंटी सब
अनुज हलक से थूक गटक कर : और पापा आपको फिर क्या कह कर बुलाते थे
रागिनी समझ रही थी कि अनुज के दिमाग में इस वक्त चीजें तेजी से चल रही होगी और वो इनसब को अपने हिसाब से जोड़ तोड़ भी रहा होगा ।
रागिनी : वो सब क्यों जानना है तुझे
अनुज तड़प कर : बताओ न मम्मी प्लीज
अनुज तड़प रहा था और सोच रहा था कि क्या जो वो सोच रहा है वैसा ही उसके पापा करते होंगे उसकी मां के साथ , और अगर चीजें उसकी कल्पनाओं के जैसी ही घटित हो रही होगी तो । अनुज अपने ही ख्यालों से बेचैन हो उठा और एक तीव्र कामोत्तेजना से वो भर गया । सांसे चढ़ने लगी पूरे बदन में गर्मी बढ़ने लगी जिसे रागिनी भी महसूस कर रही थी । लेकिन उसकी कमर और जांघों के पास खून का बहाव बढ़ गया , वहा जलन भरा दर्द अकड़न सा होने लगा
रागिनी : तुझे नहीं पता तेरे पापा तेरी मौसी को क्या कहते है
अनुज एकदम से अकड़ने लगा उसके जहन उसकी मौसी की नंगी छवियां उठने लगी जिसमें उसके पापा उसकी मौसी को झुका कर पेल रहे है " ओह जीजी आपकी गाड़ कितनी बड़ी है आह्ह्ह्ह"
रागिनी : क्या हुआ
अनुज ने अपना हाथ अब लंड से हटा लिया था , उसे डर था कि अब उसने वहा छेड़छाड़ की तो पक्का उसका लंड बह जाएगा और गलती से इसकी भनक उसकी मां को हो गई तो गड़बड़ हो जायेगी ।
अनुज थोड़ा हिचक कर : कुछ नहीं
रागिनी को थोड़ा शक हुआ कि जरूर उसके मन में कुछ चल रहा है : बोल न क्या सोच रहा है
अनुज : कुछ नहीं वो मै सोच रहा था कि पापा ऐसे कैसे कर सकते हैं, ये तो आपके साथ गलत हुआ न
रागिनी मुस्कुरा दी ये सोच कर कि इतनी गंभीर बात पर अनुज को अभी उसके मा की फिक्र है : नहीं तो , किसने कहा । हा गलत होता अगर वो मुझसे छिप कर ये सब करते । उनके दिल में जो भी था उन्होंने मुझसे खुल कर कहा कभी कोई बात नहीं छिपाई और फिर रज्जो दीदी जैसी औरत किसे भला नहीं भाएगी ।
अनुज : फिर भी उनकी शादी तो आपसे हुई है न
अनुज की बात सही थी लेकिन , चूंकि रागिनी रायता फैला चुकी थी तो समेटना उसे ही था और वो अनुज को समझाने लगी : देख बेटा इस दुनिया में जितने आदमी है मेरे ख्याल लगभग उतनी ही औरतें आधी आधी क्यों ?
अनुज ने हुंकारी भरी
रागिनी : हा तो तू ही बता वो इंसान सच्चा है जो ये कहे कि मै मेरी बीवी के अलावा किसी दूसरे औरत को नहीं देखता या फिर वो जो स्वीकार करें कि इतनी बड़ी दुनिया आंखे बंद करके और मन को बांध कर नहीं जिया जा सकता है । चाहते न चाहते हुए भी दूसरी औरतों पर नजर चल जाती है ।
अनुज के पास अपनी मां के तर्कों का कोई तोड़ नहीं था : दूसरा वाला सही होगा
रागिनी : फिर तू ही बता तेरे पापा जो कि उन्होंने मुझे साफ साफ अपने मन की बात बता दी क्या वो गलत है
अनुज चुप होकर : नहीं
लेकिन अनुज के मन एक ही सवाल आ रहा था लेकिन उसके दिल में डर था मगर अब उसने हिम्मत बांध लिया
अनुज : एक बात पूछूं मम्मी
रागिनी : क्या बोल
अनुज : अगर पापा सचमुच में मौसी के साथ करने को कहे तो ?
रागिनी एकदम से चौक गई , उसे इस सवाल की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी ।
लेकिन अब रागिनी के पास पीछे लौटने का कोई रास्ता नहीं था ।
रागिनी थोड़ा हिचक कर : अगर दीदी को ऐतराज नहीं होगा तो मै नहीं रोकूंगी ।
अनुज : क्या सच में
रागिनी : हा , लेकिन तू इनसब बातों को इतना बड़ा क्यों बना रहा है । अगर तेरे पापा मुझे बता कर तेरी मौसी से वो सब करते है तो ये कोई धोखा नहीं हुआ न ।
अनुज : हम्ममम
रागिनी : और कोई सवाल
अनुज : वो अंडरगार्मेंट किसके है
रागिनी को हंसी आई : जानती थी , बदमाश कही का वही पूछेगा ।
अनुज : बताओ न मम्मी, सब तो बता दिया तो उसे क्यों नहीं ।
रागिनी : बता रही हूं लेकिन इसमें तेरे पापा की कोई गलती है समझा । उनको बुरा भला मत कहना । वो बस तेरी मौसी के ही दीवाने है किसी और के नहीं । ये बस मेरी शरारत थी और कुछ नहीं ।
अनुज सोच में पड़ गया आखिर ऐसी क्या बात होगी , उसकी बेचैनी बढ़ने लगी ।
अनुज ने हुंकारी भरी
रागिनी : बात दरअसल तब की है जब सोनल की शादी का शगुन जाना था , तो उसमें सोनल की सास का भी शगुन और कपड़े भेजने थे तो शादी ब्याह में समधन लोगों का आपस में हसी ठिठौली चलती है । तो मैने सोनल की सास ने बातों बातों में उसके अंडर गारमेंट का साइज पूछ लिया और तेरे पापा को जिम्मेदारी दे दी कि वो शहर अपनी समधन के नाप की ब्रा पैंटी लेकर आए ।
अनुज चौक कर : सच में ? और वो लाए ?
रागिनी पुरे विश्वास से : लाएंगे क्यों नहीं हीहीहीही , पता है वो बता रहे थे कि उन्हें बड़ी शर्म आ रही थी खरीदते हुए
अनुज मुस्कुराने लगा और उसका मन भी थोड़ा हल्का हो गया था लेकिन लंड ने अकड़ने बरकरार थी : फिर ?
रागिनी खुश हो रही थी कि अनुज को उसकी कहानी में रस आ रहा है : फिर क्या सारी चीजें शगुन में भेज सकती दी मैने , बाद में पता चला कि सोनल की सास के कूल्हे बड़े है और पैंटी छोटी
अनुज : कितने नंबर की थी
रागिनी : 50 , बाद में सोनल की सास ने बताया कि काफी समय से वो नीचे कुछ पहनती नहीं है और इधर उनका वजन बढ़ गया है
अनुज समझ रहा था लेकिन उसने की कोई टिप्पणी नहीं की ।
रागिनी : फिर मैने राज से बात कर दो नंबर बड़ी ऑनलाइन मंगवाया और शादी के बाद चौथ में नई वाली देकर पुरानी वाली लेली ।
अनुज : भक्क सच में , इतना मतलब ये ममता आंटी का है
रागिनी : हा उन्हीं का है
अनुज : तो क्या आपने इसे भी पहना था पापा के लिए जो धूल कर डाली थी ।
रागिनी हंस कर : पहना नहीं था लेकिन पहनने वाली थी इसलिए धूल कर रखा था और तौलिए से छुपाया भी था । लेकिन मुझे क्या पता था कि मेरे घर में एक जासूस है जो चीजे खोजता है ।
अनुज : अरे , मैने खोजी नहीं , बस तौलिया खींचा तो गिर गई थी ।
रागिनी : चल ठीक है , अब पता चल गया न तो सो जा । कल संडे है कितने काम है ।
कुछ देर अनुज चुप रहा और रागिनी भी समझ रही थी कुछ देर वो कुछ पूछेगा जरूर
अनुज : तो क्या पापा को पता है कि आप लेकर आए हो ममता आंटी की ब्रा पैंटी
रागिनी : नहीं, उनके लिए सरप्राईज रहेगा ये
अनुज का लंड फिर से फड़फड़ाने लगा और एक नई कल्पना ने उसे घर कर लिया
ममता , भरा लंबा चौड़ा बदन , बाहर निकले हुए हौद जैसे चूतड़ और बड़े बड़े पपीते जैसे चूचे, कामुक गोरा चेहरा । उफ्फ अनुज को याद आ रहा था अपने दीदी की शादी में उसने हाथ उठा कर बस उन्हें थोड़ा सा डांस करते देखा था , सबकी नजर उसके उछलते चुचे पर थी और जब एक जगह वो मण्डप में झुकी थी कुछ देने के लिए उसके बड़े बड़े चौड़े चूतड़ साड़ी ऐसे फैल गए थे मानो पहाड़ ।
अनुज का लंड फड़कने लगा ।
अनुज : तो क्या पापा को ममता आंटी भी पसंद है
रागिनी हसने लगी : पता नहीं लेकिन जब मैने उन्हें उस नाप की ब्रा पैंटी लाने को कही थी तो वो कह रहे थे कि... हीही ( रागिनी बातों को कैज़ुअल रखते हुए हस रही थी ताकि उसे असहजता न हो अनुज मजाक ही समझे )
अनुज : क्या
रागिनी : वो कह रहे थे कि मुरारी भाई की किस्मत बहुत बड़ी है हिहीही , तो मैने सोचा अब तेरे पापा अपनी किस्मत पर अफसोस करें अच्छा थोड़ी लगेगा तो उनके लिए सरप्राईज रखने का सोचा है ।
अनुज : तो कब पहनोगे आप उसको
रागिनी एकदम से चौक गई , उसे बिल्कुल भी यकीन नहीं था कि अनुज एकदम से उससे ऐसे सवाल पूछ लेगा ।
रागिनी समझ रही थी कि वो अगर इस बात को आगे बढ़ाएगी तो अनुज के सवाल कम नहीं होंगे बल्कि उसके पास बात बनाने के लिए कुछ बचेगा भी नहीं इसीलिए उसने उसको फुसलाने के कहा : जब पहनूंगी तो बता दूंगी तुझे , ठीक है मेरे जासूस
अनुज जासूस शब्द पर हसने लगा : हीहीही
रागिनी : और नहीं तो क्या नहीं तू खोज बिन करता रहेगा ।
अनुज हंसता रहा और रागिनी ने उसे अपने पास खींच कर उसके सीने पर वापस अपना सर रखती हुई : चल अब मुझे सुला दे
अनुज हसने लगा कि उसकी मम्मी उससे लिपट कर बच्चों जैसी हरकते कर रही थी , जबकि अभी 10 मिनट पहले वो झड़ने के करीब था ।
उसने अपनी मां को पकड़ लिया और रागिनी ने उसके सीने पर हाथ रख कर उसके ऊपर पैर फेक दी ।
संजोग की ही बात थी कि रागिनी का घुटना अनुज के लोवर में बने तंबू से कुछ इंच ही नीचे था और अनुज की सास अटक कर वापस से चलने लगी ।
अनुज भी समझ रहा था कि आज की रात अब इससे अधिक कुछ नहीं होने वाला और इससे बड़ी बात क्या होती कि उसकी मां उसकी बाहों में है और वो भी अपनी मां को अपनी बाहों में भर कर सो गया ।
एक नए सवेरे और नए सपने संजोते हुए जिसमें सिर्फ वो और उसकी मां थी ।
जारी रहेगी
अध्याय : 02
UPDATE 16 (A)
रागिनी-अनुज स्पेशल
" अरे देखो तो , इसका नाटक " , रागिनी ने मुस्कुरा कर अनुज को देखा और फिर जबरन उसके कंबल में जाने लगी
अनुज भूनक कर : क्या कर रहे हो मम्मी यार आप
रागिनी : अरे मुझे ठंडी लग रही है , खिसक न ऊहूहु कितनी गलन है
रागिनी हंसती हुई जबरन अनुज के कंबल में घुस गई
अनुज फिर भी करवट लेकर अपनी मां की ओर पीठ किए पढ़ रहा था राज के बिस्तर में ।
लेकिन पढ़ाई हो कहा रही थी , उसके मा का यूं कम्बल के घुसना और उसकी कमर का अनुज के पीठ में गुदाज मुलायम स्पर्श उसे अंदर से गुदगुदी कर रहा था । जबरन आंखे गड़ाए वो किताब देख रहा था , जबकि उसे तो नोट्स लिखने थे ।
रागिनी : आज की रात मै भी यही सो जाती हूं , कितनी ठंडी है दादा
अनुज अभी भी गुस्सा था तो पिनक कर अपनी मां को बिना देखे : क्यों आपके बिस्तर में भी कम्बल है न
रागिनी हंसते हुए सरक कर कंबल में नीचे जाते हुए : वहा तुझे ऐसे पकड़ कर सोने को नहीं मिलेगा न हीहीहीही
रागिनी ने एकदम से अनुज की टीशर्ट में अपने ठंडे हाथ घुसा कर उसके पेट को छुआ और अनुज छटकते हुए हसने लगा : क्या मम्मी छोड़ो न कितना ठंडा हाथ है आपका
रागिनी उसको पीछे से पकड़ कर अपनी ओर कस ली , अनुज को अपनी मां की नरम छातियां अपने पीठ पर महसूस हुई और उसका लंड लोवर में झटका देने लगा : उम्ममम
वो सिसक पड़ा
रागिनी : भूल गया जब तू छोटा था और तुझे ठंड लगती थी तो ऐसे ही तुझे अपने सीने से लगा कर सुलाती थी , अब मुझे लग रही है तो नाटक कर रहा है ।
अनुज को अपनी मां की बचकानी बातें सुनकर हसी आ रही थी लेकिन उसके बदन का स्पर्श उसे कामोत्तेजित भी कर रहा था ।
अनुज उसकी ओर गर्दन फेर कर सीधा होता हुआ : तो क्या अब आप मेरे सीने पर सोओगे
रागिनी बिना एक पल सोचे अपना हाथ उसके टीशर्ट में पेट से सरका कर उसके सीने पर ले गई ,जो अब रागिनी के करीब आने से तवे की तरह तप रहा है : उफ्फ कितना गर्म है रे तू
अनुज की सांसे चढ़ने लगी जब उसने अपनी मां की नरम हथेली अपने सीने पर महसूस की , नीचे लोवर ने तम्बू बन गया था और चेहरा लाल होने लगा था ।
रागिनी मुस्कुरा कर उसके सीने पर सर कर ली : बिल्कुल सोऊंगी , अह्ह्ह्ह्ह कितना आराम है उम्मम अब तो लग रहा है तेरे पापा को छोड़ कर तेरे साथ ही सोना पड़ेगा सारी सर्दी
उसकी मां के मुंह से निकले एक एक शब्द अनुज को गहरी काम कल्पनाओं से भर दे रहे थे ,उसपर से रागिनी उससे एकदम लिपटी हुई थी ।
अनुज खुद को संभालता हुआ : क्यों ?
रागिनी : भाई मुझे बहुत सर्दी लगती है और आगे अभी ठंडी तो बहुत पड़ेगी । तो मै तेरे पास ही सोऊंगी तुझे पकड़ कर
अनुज खुद की सांसे काबू करता हुआ : और पापा
रागिनी : अच्छा बच्चू, मम्मी इतना प्यार करती है उसकी फिकर नहीं है पापा का बड़ा ध्यान है , हूह
अनुज अपनी को मुंह बनाता देख मुस्कुरा : नहीं ऐसा नहीं है , मतलब उनको आदत नहीं होगी न अकेले सोने की
रागिनी तुनक कर तुरंत अनुज के बात का जवाब देती हुई : उनको मेरे होने न होने क्या फर्क , दो दिन हो गए फोन भी आया हूह
अनुज अपने दिल का डर बयां करने लगा : फिर भी वापस आयेंगे तो आप चले जाओगे न
रागिनी उसकी देख कर उसके गाल छूती हुई : अच्छा लगता है मम्मी के पास सोना
अनुज मासूम सा मुंह बना कर : हम्ममम
लेकिन रागिनी की ममता एक पल में चूर हो जाती अगर उसका हाथ ऊपर की जगह नीचे होता , नीचे अनुज का लंड फौलादी हुआ जा रहा था , सुपाड़ा अपनी खोल से निकलने की राह देख रहा था और लंड खूंटे की तरह अकड़ा हुआ ।
रागिनी : अच्छा ठीक है , मै तेरे पापा को बोल दूंगी कि अब मै मेरे बेटे के साथ सोऊंगी , वो जाए दूसरी बीवी ले आए
अनुज : क्या ? भक्क नहीं
रागिनी हसने लगी : अच्छा अब तो नाराज नहीं है न मुझसे मेरा बेटा
अनुज मुंह बिगाड़ कर : किसने बोला , मै तो नाराज हूं
रागिनी : अच्छा बच्चू बताऊं , करु गुदगुदी
अनुज एकदम से खिलखिलाने लगा , कम्बल के अंदर हलचल होने लगी अनुज पैर झटकने लगा और रागिनी उसको खिलखिलाता देख खुश थी ।
फिर वो रुक गई और दोनों एक दूसरे को देखने लगे ।
अनुज की आंखों में सवाल स्पष्ट रूप से तैर रहा था जिन्हें रागिनी समझ रही थी और उसका दिल बेचैन होने लगा । चेहरे की रौनक मद्धम पड़ने लगी और सांसे तेज होने लगी ।
उस चुप्पी में दोनों के दिल जोरो से धड़क रहे थे ।
रागिनी ने आंखों से इशारा करते हुए : क्या हुआ बोल न
अनुज उसकी ओर से मुंह घूमा कर छत की सीलिंग फैन को देखने लगा : जब आप बताओगे नहीं तो क्या ?
रागिनी समझ रही थी मगर अनुज उसकी नजरो में अभी वो छोटा बच्चा था, उसे उसके ऐसे ही खेलना मस्ती करना , उसे सताना और फिर मनाना। रागिनी समझ रही थी कि दसवीं कक्षा के लड़के की उम्र में जिज्ञासा बढ़ रही होगी । मगर उसके लिए अनुज अभी भी बहुत भोला था , भावनाओं से भरा हुआ , मासूम और उसका दुलारा उसकी जान से भी बढ़ कर ।
वो परेशान थी और चुप भी , वो सोच रही थी काश इस वक्त उसकी किसी तरह अपनी बड़ी बहन रज्जो से बात हो जाती तो शायद वो इस बात का हाल दे देती । मगर फिलहाल ऐसी कोई व्यवस्था मुमकिन नहीं थी , ऐसे में रागिनी ने सोचा कि अगर उसकी जगह रज्जो होती तो वो कैसे इस असहज माहौल को सही करती क्योंकि रज्जो ऐसे असहज माहौल को हैंडल करने में बहुत हद तक अच्छी थी । रागिनी के दिमाग में रज्जो की कई सारी बातें आ रही थी और तभी उसका दिमाग चल गया । शायद ये तरीका कारगार हो जाए ।
रागिनी : मै बत्ती बुझा दूं
अनुज चुप रहा कुछ बोला नहीं तो रागिनी ने उठ कर बत्ती बुझा दी और वापस कम्बल में आ गई ।
अनुज अभी भी शांत था और रागिनी उसके बगल में सीधी लेट गई
रागिनी : एक वादा करेगा
अनुज अचरज से अंधेरे में अपनी मां की आवाज पर उसकी ओर देखता हुआ : क्या ?
रागिनी : ये बात किसी से कहेगा तो नहीं न
अनुज : कौन सी बात ?
रागिनी : अरे जो मै अभी बताने वाली हूं, तूने पूछा न वो अंडर गारमेंट किसकी है और उसे कौन पहनता है ।
अनुज की सांसे तेज होने लगी उसका लंड अकड़ने लगा : ठीक है , नहीं कहूंगा , बताओ अब
रागिनी अपना गला साफ कर रही थी उसे थोड़ी हंसी भी आ रही थी
अनुज : अब बोलो न
रागिनी : बता रही हूं न , तू तेरे नाना के बारे में जानता ही है कि वो थोड़े रोमेंटिक है
अनुज टोक कर : थोड़े ?
रागिनी को हंसी आई : हा मतलब ज्यादा वाले है , लेकिन एक बात है जो तू नहीं जानता।
अनुज : क्या ?
रागिनी : कि जब अम्मा थी तो भी बाऊजी के शौक थे अलग अलग औरतों के साथ वो सब करने का
ये सुनते ही अनुज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और अनुज उसको पकड़ कर भींचने लगा : क्या ? सच में और नानी को पता नहीं था ।
रागिनी मुस्कुरा कर : पता था उनको भी
अनुज : क्या सच में
रागिनी : हा भाई , और अम्मा तो बाउजी के लिए हेल्प भी करती थी ।
अनुज : हेल्प ? मतलब नानी दूसरे औरतों को बुलाती थी नाना के लिए
रागिनी : भक्क नहीं , वैसे नहीं
अनुज : तो ?
रागिनी अटक कर : वो अम्मा बाउजी के लिए उस औरत के कपड़े पहन कर तैयार होती जिसको बाउजी पसंद करते थे
अनुज एकदम सन्न हो गया उस लंड लोवर में अकड़ गया
अनुज : नानी को गुस्सा नहीं आता कि नानू को दूसरी औरते पसंद है
रागिनी मुस्कुराने लगी : पता नहीं लेकिन अम्मा को कभी बाउजी से झगड़ते नहीं देखा , अम्मा घर में काम करने वाली औरतों और दूसरे मेहमानों के कपड़े पहन कर बाउजी के पास जाती थी ।
अनुज का लंड अकड़ रहा था लेकिन इसके दिमाग में सवाल उठ रहे थे : तो क्या नानू को घर आए रिश्तेदारों को भी पसंद करते थे ।
रागिनी थोड़ी असहज होकर : अब करते ही होंगे तभी न अम्मा उनके कपड़े पहनती थी और एक बार को तो ....
अनुज : क्या ?
रागिनी : कुछ नहीं
अनुज : बताओ न
रागिनी : एक बार तो सुलोचना बुआ आई थी घर ...
अनुज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा कि उसके नाना अपनी बहन को भी चोदना चाहते थे : तो क्या नानी ने उसे भी पहन लिया ?
रागिनी की सांसे तेज थी: हम्ममम
फिर कुछ देर की चुप्पी बनी रही और अनुज : लेकिन इन सब का उस अंडर गारमेंट से क्या लेना देना।
रागिनी की सांसे अब अफ़नाने लगी और वो थोड़ा हिचक रही थी : दरअसल तेरे पापा भी कुछ कुछ तेरे नाना जैसे है
अनुज एकदम से चौक गया : क्या ?
रागिनी चुप थी
अनुज की बेताबी बढ़ गई उसके दिमाग में ढेरों कल्पनाओं और जिज्ञासाओं ने घर करना शुरू कर दिया ।
अनुज: तो क्या पापा भी दूसरी औरतों के साथ वो सब करते हैं?
रागिनी : धत्त, उन्हें कौन इस उम्र में घास डालेगी
अनुज कंबल में अपना सुपाड़ा मिज कर : फिर ?
रागिनी मुस्कुरा कर : मुझे ही कपड़े पहनने पड़ते है उनके लिए
अनुज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा , मानो सारी नसे खून उसके लंड के आस पास ही दौड़ा रही थी । अपने पापा के बारे में ऐसी बातें उसे कामोत्तेजना से भर देती है ।
अनुज ने दिमाग में जो ख्याल चल रहे थे उससे उसका सुपाड़ा बुरी तरह से खुजा रहा था और वो उसको अपने हथेली के मिजते : तो आपने किसके किसके कपड़े पहने है अब तक
रागिनी एकदम से लजा गई : धत्त वो क्यों जानना है तुझे
अनुज : बताओ न मम्मी प्लीज
रागिनी अब खुद के ही बनाए जंजाल में फंस गई थी उसे उम्मीद थी कि वो कहानी सुनाएगी और बात को घुमा ले जायेगी , लेकिन यहां तो अनुज ने सवाल करना शुरू कर दिया , अब उसे समझ नहीं आ रहा था कि किसका नाम ले , अगर मुहल्ले या किसी ऐसी बाहरी औरत का नाम लिया और अनुज ने कौतूहल में जांच पड़ताल कर दी चीजें बिगड़ जायेगी क्योंकि अभी भी उसके जहन अनुज का भोलापन वाला ही किरदार बसा था , उसे कोई ऐसा नाम चाहिए था जिसे जरूरत पड़ने पर वो अपने हिसाब से उस इंसान से बात कर स्थिति अपने काबू में रख पाए और उसके जहन में एक ही चेहरा याद आ रहा था जो शायद उसकी गलतियों को अपने हिसाब से सुधार सके अगर भविष्य में इसकी कोई गुंजाइश हुई तो ।
रागिनी : तू किसी को कहेगा तो नहीं
अनुज का लंड मुंह खोलकर अकड़ रहा था : नहीं
रागिनी कुछ देर चुप हुई : सबसे ज्यादा तो मैने रज्जो दीदी की साड़ी पहनी है ।
रज्जो का जिक्र आते ही अनुज का लंड पूरा फूल गया , उसका सुपाड़ा जलन से भर गया लंड एकदम खूंटे जैसा टाइट उस सख्ती ने उसके लंड के दर्द सा भी उठने लगा । इतनी उत्तेजना अब तक कभी अनुज ने महसूस नहीं की थी ।
उसके दिमाग में अब रज्जो मौसी और उसके पापा की छवि चल रही थी। उसके जहन में सोनल की शादी के दिनों में वो पल याद आ रहे थे जब उसके पापा ने उसकी रज्जो मौसी को किचन में पीछे से उसकी मां समझ कर पकड़ लिया था और सब कुछ जानने के बाद भी उसके पापा ने रज्जो की कमर से हाथ नहीं हटाए और रज्जो मौसी ने कितनी बेशर्मी से हस कर कहा था
" क्यू आपको मेरे और रागिनी के पिछवाड़े मे कोई अन्तर नही मिलता क्या? खुब समझती हू आपकी चालाकिया जमाई बाबू "
अनुज अपने मन में बड़बड़ाया : इसका मतलब सच में उसके पापा मौसी को पेलना चाहते है तभी तो उसकी मां रज्जो मौसी के कपड़े पहनती है ।
रागिनी अनुज को चुप देख कर : क्या सोच रहा है
अनुज अपने ख्यालों से निकल कर : बस साड़ी ?
रागिनी थोड़ी लजाती हुई मुस्कुरा कर : हा , मतलब सारे कपड़े , ब्रा पैंटी सब
अनुज हलक से थूक गटक कर : और पापा आपको फिर क्या कह कर बुलाते थे
रागिनी समझ रही थी कि अनुज के दिमाग में इस वक्त चीजें तेजी से चल रही होगी और वो इनसब को अपने हिसाब से जोड़ तोड़ भी रहा होगा ।
रागिनी : वो सब क्यों जानना है तुझे
अनुज तड़प कर : बताओ न मम्मी प्लीज
अनुज तड़प रहा था और सोच रहा था कि क्या जो वो सोच रहा है वैसा ही उसके पापा करते होंगे उसकी मां के साथ , और अगर चीजें उसकी कल्पनाओं के जैसी ही घटित हो रही होगी तो । अनुज अपने ही ख्यालों से बेचैन हो उठा और एक तीव्र कामोत्तेजना से वो भर गया । सांसे चढ़ने लगी पूरे बदन में गर्मी बढ़ने लगी जिसे रागिनी भी महसूस कर रही थी । लेकिन उसकी कमर और जांघों के पास खून का बहाव बढ़ गया , वहा जलन भरा दर्द अकड़न सा होने लगा
रागिनी : तुझे नहीं पता तेरे पापा तेरी मौसी को क्या कहते है
अनुज एकदम से अकड़ने लगा उसके जहन उसकी मौसी की नंगी छवियां उठने लगी जिसमें उसके पापा उसकी मौसी को झुका कर पेल रहे है " ओह जीजी आपकी गाड़ कितनी बड़ी है आह्ह्ह्ह"
रागिनी : क्या हुआ
अनुज ने अपना हाथ अब लंड से हटा लिया था , उसे डर था कि अब उसने वहा छेड़छाड़ की तो पक्का उसका लंड बह जाएगा और गलती से इसकी भनक उसकी मां को हो गई तो गड़बड़ हो जायेगी ।
अनुज थोड़ा हिचक कर : कुछ नहीं
रागिनी को थोड़ा शक हुआ कि जरूर उसके मन में कुछ चल रहा है : बोल न क्या सोच रहा है
अनुज : कुछ नहीं वो मै सोच रहा था कि पापा ऐसे कैसे कर सकते हैं, ये तो आपके साथ गलत हुआ न
रागिनी मुस्कुरा दी ये सोच कर कि इतनी गंभीर बात पर अनुज को अभी उसके मा की फिक्र है : नहीं तो , किसने कहा । हा गलत होता अगर वो मुझसे छिप कर ये सब करते । उनके दिल में जो भी था उन्होंने मुझसे खुल कर कहा कभी कोई बात नहीं छिपाई और फिर रज्जो दीदी जैसी औरत किसे भला नहीं भाएगी ।
अनुज : फिर भी उनकी शादी तो आपसे हुई है न
अनुज की बात सही थी लेकिन , चूंकि रागिनी रायता फैला चुकी थी तो समेटना उसे ही था और वो अनुज को समझाने लगी : देख बेटा इस दुनिया में जितने आदमी है मेरे ख्याल लगभग उतनी ही औरतें आधी आधी क्यों ?
अनुज ने हुंकारी भरी
रागिनी : हा तो तू ही बता वो इंसान सच्चा है जो ये कहे कि मै मेरी बीवी के अलावा किसी दूसरे औरत को नहीं देखता या फिर वो जो स्वीकार करें कि इतनी बड़ी दुनिया आंखे बंद करके और मन को बांध कर नहीं जिया जा सकता है । चाहते न चाहते हुए भी दूसरी औरतों पर नजर चल जाती है ।
अनुज के पास अपनी मां के तर्कों का कोई तोड़ नहीं था : दूसरा वाला सही होगा
रागिनी : फिर तू ही बता तेरे पापा जो कि उन्होंने मुझे साफ साफ अपने मन की बात बता दी क्या वो गलत है
अनुज चुप होकर : नहीं
लेकिन अनुज के मन एक ही सवाल आ रहा था लेकिन उसके दिल में डर था मगर अब उसने हिम्मत बांध लिया
अनुज : एक बात पूछूं मम्मी
रागिनी : क्या बोल
अनुज : अगर पापा सचमुच में मौसी के साथ करने को कहे तो ?
रागिनी एकदम से चौक गई , उसे इस सवाल की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी ।
लेकिन अब रागिनी के पास पीछे लौटने का कोई रास्ता नहीं था ।
रागिनी थोड़ा हिचक कर : अगर दीदी को ऐतराज नहीं होगा तो मै नहीं रोकूंगी ।
अनुज : क्या सच में
रागिनी : हा , लेकिन तू इनसब बातों को इतना बड़ा क्यों बना रहा है । अगर तेरे पापा मुझे बता कर तेरी मौसी से वो सब करते है तो ये कोई धोखा नहीं हुआ न ।
अनुज : हम्ममम
रागिनी : और कोई सवाल
अनुज : वो अंडरगार्मेंट किसके है
रागिनी को हंसी आई : जानती थी , बदमाश कही का वही पूछेगा ।
अनुज : बताओ न मम्मी, सब तो बता दिया तो उसे क्यों नहीं ।
रागिनी : बता रही हूं लेकिन इसमें तेरे पापा की कोई गलती है समझा । उनको बुरा भला मत कहना । वो बस तेरी मौसी के ही दीवाने है किसी और के नहीं । ये बस मेरी शरारत थी और कुछ नहीं ।
अनुज सोच में पड़ गया आखिर ऐसी क्या बात होगी , उसकी बेचैनी बढ़ने लगी ।
अनुज ने हुंकारी भरी
रागिनी : बात दरअसल तब की है जब सोनल की शादी का शगुन जाना था , तो उसमें सोनल की सास का भी शगुन और कपड़े भेजने थे तो शादी ब्याह में समधन लोगों का आपस में हसी ठिठौली चलती है । तो मैने सोनल की सास ने बातों बातों में उसके अंडर गारमेंट का साइज पूछ लिया और तेरे पापा को जिम्मेदारी दे दी कि वो शहर अपनी समधन के नाप की ब्रा पैंटी लेकर आए ।
अनुज चौक कर : सच में ? और वो लाए ?
रागिनी पुरे विश्वास से : लाएंगे क्यों नहीं हीहीहीही , पता है वो बता रहे थे कि उन्हें बड़ी शर्म आ रही थी खरीदते हुए
अनुज मुस्कुराने लगा और उसका मन भी थोड़ा हल्का हो गया था लेकिन लंड ने अकड़ने बरकरार थी : फिर ?
रागिनी खुश हो रही थी कि अनुज को उसकी कहानी में रस आ रहा है : फिर क्या सारी चीजें शगुन में भेज सकती दी मैने , बाद में पता चला कि सोनल की सास के कूल्हे बड़े है और पैंटी छोटी
अनुज : कितने नंबर की थी
रागिनी : 50 , बाद में सोनल की सास ने बताया कि काफी समय से वो नीचे कुछ पहनती नहीं है और इधर उनका वजन बढ़ गया है
अनुज समझ रहा था लेकिन उसने की कोई टिप्पणी नहीं की ।
रागिनी : फिर मैने राज से बात कर दो नंबर बड़ी ऑनलाइन मंगवाया और शादी के बाद चौथ में नई वाली देकर पुरानी वाली लेली ।
अनुज : भक्क सच में , इतना मतलब ये ममता आंटी का है
रागिनी : हा उन्हीं का है
अनुज : तो क्या आपने इसे भी पहना था पापा के लिए जो धूल कर डाली थी ।
रागिनी हंस कर : पहना नहीं था लेकिन पहनने वाली थी इसलिए धूल कर रखा था और तौलिए से छुपाया भी था । लेकिन मुझे क्या पता था कि मेरे घर में एक जासूस है जो चीजे खोजता है ।
अनुज : अरे , मैने खोजी नहीं , बस तौलिया खींचा तो गिर गई थी ।
रागिनी : चल ठीक है , अब पता चल गया न तो सो जा । कल संडे है कितने काम है ।
कुछ देर अनुज चुप रहा और रागिनी भी समझ रही थी कुछ देर वो कुछ पूछेगा जरूर
अनुज : तो क्या पापा को पता है कि आप लेकर आए हो ममता आंटी की ब्रा पैंटी
रागिनी : नहीं, उनके लिए सरप्राईज रहेगा ये
अनुज का लंड फिर से फड़फड़ाने लगा और एक नई कल्पना ने उसे घर कर लिया
ममता , भरा लंबा चौड़ा बदन , बाहर निकले हुए हौद जैसे चूतड़ और बड़े बड़े पपीते जैसे चूचे, कामुक गोरा चेहरा । उफ्फ अनुज को याद आ रहा था अपने दीदी की शादी में उसने हाथ उठा कर बस उन्हें थोड़ा सा डांस करते देखा था , सबकी नजर उसके उछलते चुचे पर थी और जब एक जगह वो मण्डप में झुकी थी कुछ देने के लिए उसके बड़े बड़े चौड़े चूतड़ साड़ी ऐसे फैल गए थे मानो पहाड़ ।
अनुज का लंड फड़कने लगा ।
अनुज : तो क्या पापा को ममता आंटी भी पसंद है
रागिनी हसने लगी : पता नहीं लेकिन जब मैने उन्हें उस नाप की ब्रा पैंटी लाने को कही थी तो वो कह रहे थे कि... हीही ( रागिनी बातों को कैज़ुअल रखते हुए हस रही थी ताकि उसे असहजता न हो अनुज मजाक ही समझे )
अनुज : क्या
रागिनी : वो कह रहे थे कि मुरारी भाई की किस्मत बहुत बड़ी है हिहीही , तो मैने सोचा अब तेरे पापा अपनी किस्मत पर अफसोस करें अच्छा थोड़ी लगेगा तो उनके लिए सरप्राईज रखने का सोचा है ।
अनुज : तो कब पहनोगे आप उसको
रागिनी एकदम से चौक गई , उसे बिल्कुल भी यकीन नहीं था कि अनुज एकदम से उससे ऐसे सवाल पूछ लेगा ।
रागिनी समझ रही थी कि वो अगर इस बात को आगे बढ़ाएगी तो अनुज के सवाल कम नहीं होंगे बल्कि उसके पास बात बनाने के लिए कुछ बचेगा भी नहीं इसीलिए उसने उसको फुसलाने के कहा : जब पहनूंगी तो बता दूंगी तुझे , ठीक है मेरे जासूस
अनुज जासूस शब्द पर हसने लगा : हीहीही
रागिनी : और नहीं तो क्या नहीं तू खोज बिन करता रहेगा ।
अनुज हंसता रहा और रागिनी ने उसे अपने पास खींच कर उसके सीने पर वापस अपना सर रखती हुई : चल अब मुझे सुला दे
अनुज हसने लगा कि उसकी मम्मी उससे लिपट कर बच्चों जैसी हरकते कर रही थी , जबकि अभी 10 मिनट पहले वो झड़ने के करीब था ।
उसने अपनी मां को पकड़ लिया और रागिनी ने उसके सीने पर हाथ रख कर उसके ऊपर पैर फेक दी ।
संजोग की ही बात थी कि रागिनी का घुटना अनुज के लोवर में बने तंबू से कुछ इंच ही नीचे था और अनुज की सास अटक कर वापस से चलने लगी ।
अनुज भी समझ रहा था कि आज की रात अब इससे अधिक कुछ नहीं होने वाला और इससे बड़ी बात क्या होती कि उसकी मां उसकी बाहों में है और वो भी अपनी मां को अपनी बाहों में भर कर सो गया ।
एक नए सवेरे और नए सपने संजोते हुए जिसमें सिर्फ वो और उसकी मां थी ।
जारी रहेगी
सही कहा भाई आपनेAre bc, ye to anuj ke khade lund pe dhokha ho gya
But jo mila utna bhi bahot hi hai
Fantastic Update Bro
Bina chudai seen ke hi khada karwa diye![]()