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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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कुछ मेडिकल इमर्जेंसी की वजह से इन दिनों व्यस्त हूं दोस्तो और परेशान भी 🥲
समय मिलने पर अपडेट दिया जायेगा और सभी को सूचित किया जाएगा ।
तब तक के लिए क्षमा प्रार्थी हूं
🙏

 
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UPDATE 119

CHODAMPUR SPECIAL UPDATE

पिछले अपडेट मे आपने पढा जहा एक ओर पल्लवि ने अनुज से साथ बंद कमरे मे मनमानी कर ली और वही उपर के कमरे मे रज्जो ने भी अपनी योजना मे कामयाबी पाते हुए अपने जीवन के पहले दमदार थ्रीसम का मजा ले लिया । देखते है अब आगे क्या होने वाला है


उपर के कमरे मे टीवी अपने फुल वैलुम पर चल रहा था और रज्जो राजन कमलनाथ फर्श पर बिस्तर का टेक लिये बैठे अपनी सासे बराबर किये जा रहे थे ।

कमलनाथ बगल मे बैठी रज्जो की जांघो पर हाथ घुमात हुआ - तो जान एक और बार

तबतक राजन जिसे कबसे ममता की फ़िकर हो रही थी वो कमलनाथ को रोकता हुआ - नही भाईसाहब आप लोग लगे रहिये हिहिहिही ,,मै जा रहा हू वो ममता पता नही सोई होगी भी या नही

राजन की बात पर कमलनाथ ने सहमती दिखाई और फिर राजन अपना कपड़ा पहन कर अपने कमरे मे चला गया ।

रज्जो मुस्कुरा कर कमलनाथ के कंधे पर अपना सर टिकाते हुए - तो कर ही ली ना अपने मन की आपने हुउउऊ

कमलनाथ हस कर - मै कर ली कि तुने हम्म्म

रज्जो कमलनाथ की बात पर मुस्कुराने लगी ।
कमलनाथ - तो मजा आया अपने नंदोई का लण्ड लेके

रज्जो मुस्कुरा कर - क्यू आपको नही मजा आया क्या अपने बन्होई के साथ मुझे चोदने मे हुउऊ

कमलनाथ रज्जो को अपनी बाहो मे कसता हुआ - बहुत ज्यादा मजा आया मेरी जान,,, लेकिन
रज्जो आंखे उपर कर - लेकिन क्या

कमलनाथ - तू तो मन की कर ली अब मेरा भी तो सोच ना

कमलनाथ रज्जो की चुची को सहलाता हुआ बोला
रज्जो सिस्कते हुए- उह्ह्ह मिलेगा ना मेरे राजा थोडा सबर तो करो उम्म्ंम्ं आह्ह

कमलनाथ रज्जो की चुची को मिजता हुआ - सबर ही तो नही हो रहा है मेरी जान,,,इसको देख रही हो न

कमलनाथ रज्जो को अपने खडे होते लण्ड को दिखाता है

रज्जो तुरंत हाथ बढा कर अपने पति के लण्ड को सहलाने लगती है - ओह्ह्ह इसका इलाज तो है ही मेरे पास

ये बोल कर रज्जो कमलनाथ के लण्ड को मुह मे भर लेती है और वो दोनो चुदाई के अगले राउंड की भुमिका लिखने लगते है ।

वही राजन अपने कमरे मे जाता है तो देखता है कि उसकी ममता ब्लाउज पेतिकोट मे टाँगे फेक कर लेती हुई है और उसका हाथ उसकी जांघो पर है और पेतिकोट का चुत के पास वाला हिस्स्सा अभी भी गिला है । जिसे देखकर राजन समझ जाता है कि ममता कीतनी गर्म थी चुदाई के लिए,,,उसे थोडा अफसोस भी होता है कि उस वक़्त वो अपनी बीवी के साथ मौजुद नही था ।। फिर वो मुस्कुरा कर ममता के कप्डे सही करता है और उसके गुलाबी गालो चूम कर उससे चिपक कर सो जाता है ।

सुबह पहले ममता की नीद खुलती है तो वो अपने उपर हाथ फेकर सोये अपने पति को सोता देख मुस्कुराती हुई मन मे बुदबुदाती है - इनको देखो ,,जब चिपकना तब नही आये और अब छोड नही रहे

फिर बडी कसमसा कर ममता राजन के कैद से आजाद होती है और अपनी ब्लाउज पेतिकोट सही करते हुए अपने कपडे लेके उपर चली जाती है ।

इधर थोडी देर बाद रज्जो की नीद खुलती है और वो भी बाथरूम मे ही फ्रेश होने चली जाती है मगर कपडे धुलने और नहाने के लिए उसे उपर ही जाना पड़ता है तो वो भी ब्लाऊज पेतिकोट मे ही अपने कपडे लेके उपर चली जाती है ।

जहा ममता फ्रेश होकर नहाने जा रही थी और कपडे धुल चुकी थी । उसके बदन पर उसका पेतिकोट ही था ।
इधर रज्जो दरवाजे पर आकर अंदर बाथरूम का नाजारा देखकर - हाय्य्य कितनी बडी गाड़ है तेरी ममता ,,काश मेरे पास तेरे भैया जैसा हथियार होता तो अभी चोद देती

ममता अपने भाभी की आवाज सुन कर पहले चौकी और फिर उसके बातो को समझकर हस्ते हुए - छीईई भाभी क्या आप भी सुबह सुबह ,,,लग रहा है भैया ने सुबह वाला नासता कर ही लिया हिहिहिहिही।

रज्जो बाथरूम मे घुसते हुए हस कर - हा री ममता ,,, कसम से ऐसा चोदते है तेरे भैया कि सीढिया चढ़ पाना मुश्किल हो जाता है हिहिहिहिही

ममता हसते हुए अपने कपडे निचोड कर बालटी मे रखते हुए - इसमे भैया का क्या दोष ,,,खुजली तो आपको ही रहती है ना भाभी हिहिहिही

रज्जो - सारा दोष तेरे भैया का ही तो है

ममता ह्स कर - वो क्यू भला
रज्जो - इतना मोटा मुसल होता है किसी का भला ,,,घुस जाये तो भोसडा बना के ही बाहर आता है चाहे चुत हो या गाड

रज्जो की बाते सुन कर ममता मन ही मन अपने भैया के साथ हुई पहली चुदाई को याद करते हुए उसकी चुत कुलबुलाने लगती है
मगर फिर अपने भावो को छुपाते हुए हस कर - फिर तो आप बडी किस्मत वाली हो भाभी हिहिहिही

रज्जो मुस्कुराते हुए - हा किस्मत तो मेरी अच्छी है ही ,,नही तो तुझे पता होता तो तु तो पहले ही कब्जा कर लेती

ममता हस कर - भला मै ऐसा क्यू करती भाभी ,,,वो मेरे भैया है हिहिहिही

रज्जो ने मौका देख के ममता की कुलबुलाती चुत पर पेतिकोट के उपर से हाथ रखते हुए उसे टटोलने लगी ।

रज्जो - इसे थोडी ना पता चलेगा कि भईया का ले रही है कि सईया का

ममता रज्जो के स्पर्श से कसमसाने लगी और सिस्कते हुए हस कर - हा लेकिन भैया का ज्यादा मोटा है ना भाभी उम्म्ंम्ं अह्ह्ह

रज्जो तुरंत भाप गयी कि ममता पहले ही देख चुकी है अपने भैया का लण्ड तो उसने वापस अपने उंगलियो को उसकी पिच्पिचाती चुत पर फिराया और बोली - मतलब समान पहले ही देख चुकी हो ना ,,

ममता चौकी और समझ गयी कि उसकी चोरी पकड़ी गयी तो मुस्कुरा कर शरमाने लगी
रज्जो ममता के चेहरे के भावो को पढते हुए - ओह्हो फिर तो घोट भी चुकी होगी अपने भैया का लण्ड हम्म्म्म

ममता शर्माते हुए - धत्त भाभी आप भी ना ,,,छोडो मुझे

रज्जो वापस से ममता की बाजू पकड कर उसे बाथरूम के दिवाल से लगाकर उससे सट कर खड़ी हो गयी और अपना हाथ उसके चुत पर अच्छे से घुमाते हुए - अरे सुन तो ,,, कभी देख कर ऊँगली की है या नही ,

ममता रज्जो की बात पर मुह फेर कर हसे जा रही थी
तो रज्जो वापस उस्से कबूलवाते हुए - हे बोल ना ,,,किया है या नही

ममता हसते हुए रज्जो को अपने से दुर करती हुई - ओह्ह्ह भाभी आप भी ना हटो मुझे नहाना

रज्जो शर्त रखते हुए - तू सच बोल दे तो मै छोड दूँगी हिहिहिबी

ममता को पहले से ही रज्जो के गुदाज बदन का भार अपने उपर मह्सुस करके गुदगुदी सी हो रही थी और वही उसकी चुत पर भी रज्जो का कब्जा था तो वो कस्मसा कर - आह्ह भाभी मै अगर नही बोलूंगी तो क्या आप मान जाओगी ,,,,

रज्जो ने मुस्कराते हुए ना मे सर हिलाया
ममता हसकर - तो फिर हा, मैने ऊँगली की है ,,,बस्स खुश हिहिहिहिहिही

ममता के रेस्पोंस पर रज्जो उसे एक टक देख कर मुस्कराने लगी ।
ममता उसकी आँखो मे देखते हुए हसने लगी - हिहिहिही अब क्या भाभी ,,,छोडो ना मुझे

रज्जो मुस्कुरा कर - ऐसे कैसे छोड दू ,,पहले ये तो बताओ कब किया था हिहिहिही

ममता चौकी और हसते हुए रज्जो के सीने पर हाथ रख उसे धकेलने लगी - हिहिही नही भाभी अब और कुछ नही

रज्जो ममता से अलग होकर - ठिक है फिर मै तेरे भैया को बता दूंगी कि उनकी बहन ने क्या क्या किया है उन्के पीठ पीछे ।

ममता तो पहले ही अपने भैया का लण्ड घोट चुकी थी तो वो बेफिकर होकर बोली - हा बोल दो आप हिहिही हा नही तो

ये बोल कर उसने रज्जो को बाथरूम से बाहर किया और फिर नहा कर बाहर निकाली ।
तो छत पर राजन कमलनाथ ब्रश करते हुए रज्जो से बाते कर रहे थे ।

रज्जो ने इस वक्त एक दुपट्टा लिये हुए थी ।
इधर जैसे ही ममता ब्लाऊज पेतिकोट मे बाहर आयी तो रज्जो फौरन बाथरूम की ओर चल दी ।

रज्जो ममता के पास जाकर कमलनाथ को आवाज देते हुए - रमन के पापा ,,,जरा इधर आईयेगा कुछ बताना है आपको

तो कमलनाथ राजन को भी साथ लेके आने लगा
ममता ने जैसे ही राजन को साथ आते देखा वो चौकी ।

ममता रज्जो से ना मे सर हिलाते हुए विनती करने लगी तो रज्जो ने हस कर - फिर सब ब्ताओगी ना मुझे

ममता ने जो बात मजाक मे शुरु की थी अब वो खुद अपने मजाक का शिकार हो चुकी थी । ममता आखिर क्या ही बताती जब उसने ऐसा कुछ किया ही नही ,,,हालकि वो अपने भैया से चुद चुकी थी ।

हार कर ममता ने बचने के लिए हा मे गरदन हिला दिया लेकिन तबतक कमलनाथ और राजन वहा आ गये ।

राजन - हा भाभी जी कहिये
रज्जो हस कर - आप रमन के पापा है हिहिहिही

राजन रज्जो का मजाक समझ गया और हसते हुए कमलनाथ को देखा ।
कमलनाथ - हा बोलो रज्जो क्या हुआ ???

रज्जो एक नजर ममता को देखती है और मुस्कुराते हुए कहती है - वो ममता कह रही थी किईईई

ममता की हालात अब खराब हो चुकी थी क्योकि वो अपने मुह्फट भाभी की हरकतो से वाकिफ थी ।

कमलनाथ - हा क्या बात है ममता बोल

ममता क्या ही बोलती तो रज्जो हस्ते हुए - अरे वो कह रही थी कि दो दिन बाद से सारे मेहमान आने लगेंगे तो इतने ज्यादा लोगो के लिए एक साथ खाना कैसे बनेगा ।

कमलनाथ - हम्म्म फिर
रज्जो - फिर क्या ,,,अरे टेन्ट वालो के यहा से बडे वाले बर्तन मगवा लिजिए आज और चूल्हा भी । फिर मंडी से सब्जी राशन भी तो लाना पडेगा ,,उपर से एक भंडारी भी करना पडेगा क्योकि इतना सारा काम .....


कमलनाथ हस कर - बस बस,मै समझ गया ,,सब यही बाथरूम के बाहर ही डिस्कस कर लो

रज्जो को भी ध्यान आया तो वो नास्ते के बाद बात करने का बोल के बाथरूम में चली गयी ।
इधर ममता भी कपडे डाल कर जैसे ही निचे गयी फौरन कमलनाथ ने दरवाजा खटखटाया

अन्दर रज्जो नंगी होकर कपडे धुल रही थी

रज्जो - हा कौन है
कमलनाथ दरवाजे के पास आकर धीमी आवाज मे - अरे मै हू जानू ,,दरवाजा खोलो

ये बोल कर कमलनाथ ने बगल मे खडे राजन को आंख मारी तो वो भी समझ गया कि क्या प्लान है ।


रज्जो - अरे क्या आप भी सुबह सुबह,,,, मुझे बहुत काम है और आपको वही सूझ रहा है ।

राजन हसकर - अरे भाभी जी हमे कुल्ला करना है ,खोलिये जरा

रज्जो बेबस होकर उथी और तौलिया लपेटकर धीरे से दरवाजे के ओट मे दरवाजा खोला ।

मौका मिलते ही राजन और कमलनाथ बिना कोई देरी के एक साथ बाथरूम मे घुस गये । डर तो उन्हे था ही नही क्योकि जीने का दरवाजा कमल्नाथ पहले ही बंद कर चुका था ।

अन्दर आकर दोनो बेसिन पर कुल्ला कर रहे थे
रज्जो दरवाजे के पीछे खड़ी होकर उन्हे देखे जा रही थी - हो गया आप लोगो का ,,जल्दी जाईये बाहर

दोनो इस वक़्त फुल बनियान और पाजामे मे थे ।
दरवाजे के पास जाते ही कमलनाथ ने झटक कर दरवाजा अंदर से बंद कर दिया ।

रज्जो समझ गयी अब उसकी बजने वाली है ।
रज्जो हस कर - नहीं नही प्लीज रमन के पापा ,, मुझे आज बहुत काम है ।

कमलनाथ अपने खडे होते लण्ड को पाजामे के उपर से भिचते हुए रज्जो के पास जाने लगता है

कमलनाथ - अरे मान जाओ ना मेरी जान,,,देखो सुबह सुबह मना ना करो
ये बोल कर वो रज्जो का तौलिया खिच देता और रज्जो पूरी नंगी हो जाती है ।

मूड तो रज्जो का भी था क्योकि क्या पता रात मे राजन के साथ कोई संयोग बने या ना बने
इसिलिए वो भी अपने हाथ को अपने पति के लण्ड पर रख कर उसे भीचते हुए - ओह्ह्ह मतलब मानोगे नही आप लोग

कमलनाथ रज्जो की नंगी चुचीयो को सहलाते हुए - अह्ह्ह जान जाओ ना निचे

फिर रज्जो मुस्कुराते हुए अपने पति के कदमो मे बैठ गयी और उसका पैजमा खोल कर लण्ड चूसने लगी ।

वही राजन खडे अपना पैजामा खोल कर लण्ड सहला रहा था ।
रज्जो की नजर जब उसपे गयी तो वो कमलनाथ का लण्ड मुह से निकालते हुए - अब उतनी दुर नही आने वाली मै ,,,

राजन समझ गया और कमलनाथ के बगल मे खड़ा हो गया ।
रज्जो ने तुरंत उसके लण्ड को मुह मे भर कर उसे चुसते हुए अपने पति का लण्ड सहलाने लगी ।
फिर बारी बारी लंडो की बदली करके चुस्ती रही और फिर दोनो के कल रात की तरह खडे खडे ही चुदवा कर नहा कर निचे चली गयी ।

फिर वो दोनो जीजा साले भी नहा कर निचे नास्ते के लिए
नाश्ते के टेबल पर अलग ही आंख मिचौली हो रही अनुज और पल्लवि मे । कल रात के बाद से अनुज मे अब काफी हिम्मत आ गयी थी और वो अब उसका डर भी कम होने लगा था । फिर वो सतर्क रहने की कोशिस मे था कि कही कोई उसे गलत इशारे या हरकत करते देख ना ले ।
इधर नास्ते के बाद हाल मे सब लोगो ने आपस मे चर्चा करने लगे कि आगे क्या होना ।

रज्जो कमलनाथ से - ऐसा है रमन के पापा ,,आप आज ही जाईये और ये बर्तन चूल्हे मगवा लिजिए ,,,कल सुबह ही मंडी से ताजी सब्जियां आ जायेगी ।
कमलनाथ - हा ठिक है भाई अभी चला जा रहा हू और तुम वो मेहमानो के लिए कमरे बिस्तर की व्यवस्था देख लो ।

रज्जो - उसकी चिंता आप मत करिये ,,बस आज की बात है बाकी कल से सारे मर्द निचे रहेंगे और औरतो के लिए उपर व्यव्स्था कर दी जायेगी

रज्जो की बात पर राजन और कमलनाथ चौके साथ ही अनुज और पल्लवि भी ।
वही ममता की हालत और भी खराब होने लगी क्योकि उसने तो कबसे लण्ड नही लिया था । उसके चुत की कुलबुलाहट और बढ गयी थी ।

मगर बच्चो के सामने किसी ने भी अपने विचार नही रखे और सब चुप रहे ।
इधर थोडी देर बाद कमलनाथ राजन को लिवा कर निकल गया बाजार की ओर । वही अनुज रमन के साथ दुकान चला गया ।

रज्जो - सोनल बेटा हमारी साड़ियो मे फाल लगा दिये तुने की नही

सोनल - अहह नही मौसी ,, अभी कुछ बाकी है आज मै सारा काम कर दूँगी

ममता - अरे तो तू अकेले करती ही क्यू है ,,इस पल्ली को भी तो बोल दे ना ,,बस खा के बैठी रहती है

सोनल हस कर पल्लवि के कन्धे को थामते हुए - अरे नही बुआ ,,,पल्लवि तो मेरी बहुत मदद करती है उसने तो अब सिलाई भी थोडी बहुत सिख ली है हिहिहिही

रज्जो - अच्छा ठिक है तुम दोनो ये काम खतम कर लो फिर दोपहर का खाना भी बनाना ,,,,और ममता आ चल मेरे साथ तू

ममता - हा भाभी चलो
इधर ये दोनो भी उपर चले गये और सभी लोग अपने अपने कामों में लग गए ।
एक तरफ जहा ये सब सुबह सुबह भागा दौडी हो रही थी ,,वही चमनपुरा मे भी एक के बाद एक मस्तिया आगे पीछे रेस लगा रही थी ।

राज की जुबानी

हर सुबह की तरह आज की भी सुबह मेरी बहुत अच्छी हुई । मा के हाथ गरमा गरम नासता और फिर उनके गुदाज बदन को पीछे से पकड कर हग किया और फिर अपने रोज मर्रा के कामो मे व्यस्त हो गया ।

दुकान पर आने के एक घन्टे के बाद ही काजल भाभी का फोन आ गया
मै चहक उठा और तुरंत फोन उठा लिया

फोन पर

मै - गुड मॉर्निंग भाभी ,,कैसी है आप
काजल हसी भरी खनक के साथ - गुड मॉर्निंग बाबू ,, मै अच्छी हू आप बतातिये
मै - मै भी एकदम आपके जैसे हू ,,,एकदम मस्त हिहिहिही

काजल मेरे डबल मिनिंग जोक को समझ गयी और हस्ते हुए - अच्छा मै आप को मस्त दिखती हू हा ,,, शर्म नही आती हीरो, हम्म्म्म , बड़ो से ऐसे बाते करते हुए ,बोलिए

मै - इसमे शर्माना क्या है, अब अपनी भाभी से हसी मजाक ना करू तो किस्से करू ,,बोलो

काजल - बस बस रहने दीजिये ,, अभी मै ग्राहक बन के बात करने आयी हू ,समझे हिहिहिजी

मै भी उनका मतलब समझ गया तो थोडा अपनी पेशेवर शैली का प्रयोग करते हुए - जी मैम, तो कब तक आपका समान लेके आ जाऊ मै

काजल - हम्म्म तो आप 1 बजे के करीब आ जाईये

मै - जी मैम ,, मेरे लिए कोई और सेवा
काजल - जी अभी तो नही ,,हा कुछ जरुरी होगा तो मै बता दूंगी ,,

मै -जी धन्यवाद , तो मै रखू मैम
काजल खिलखिलाती हुई - हा ठिक है रखिये,,, और याद रहे लेट ना करना बाबू , नही तो वो मममी जी आ जायेंगी तोओओ

मै हस कर - तो अभी लेके आ जाऊ क्या
काजल चहक कर - अरे नही नही ,,,अभी तो मम्मी जी है ,,अभी जायेंगी 12 बजे तक फिर मै आपको फोन कर दूँगी

मै हस कर - ओके भाभी जी हिहिहिही
काजल को मेरे हस्ने पर अपने चहकपने का ख्याल आया और शर्माने लगी ,- अच्छा ठिक हसो मत ,,,बाय ओके

मै - हा ओके बाय

मैने वापस फोन रख दिया और दुकान के कामो मे लग गया ।
थोडी देर बाद मा खाना लेके आयी तो मै पहले पापा को खाना दे दिया और फिर खुद भी खा लिया ।

फिर समय देखता रहा और करिब सवा 12 बजे काजल भाभी ने मिस्काल मारा जिससे मेरी छ्टपटाहट बढ गयी कि मुझे जल्द से जल्द चौराहे पर जाना है । पहले तो मैने सोचा कि इसके लिए भी मा से बहाना बना दू कोई मगर दुकान से वो समान और फिर कही मान लो भाभी ने जिक्र कर दिया कि मै आया था उन्के यहा तो मा को बुरा लगेगा ।
इसलिए मै तय किया कि इस मामले पर मै मा से कुछ नही छिपाने वाला हू ।

मै - अच्छा मा मै जरा चौराहे पर से आता हू ,,ये समान काजल भाभी को देना है

मा वो थैली देख कर अचरज से बोली - अरे इसमे क्या है और तू क्यू परेशान हो रहा है मै अभी शाम को जाऊंगी तो दे दूँगी ना

मै हस कर - वो इसी हफते रोहन भैया आ रहे हैं ना तो भाभी जी कुछ स्टाइलिश ब्रा पैंटी ली है ,,, और वो नही चाहती कि ये बात उनकी सास यानी कि बडी मम्मी को पता हो हिहिहिही
मा मुह पर हाथ रख कर हसते हुए - अच्छा वो इतनी शर्मिली है फिर उसने तुझसे ये सब बोल दिया लाने को हम्म्म

मै खड़ा खड़ा खिखियाने लगा
मा - सच सच बोल इसमे भी तेरी ही कोई चाल होगी ,,,, कही तू काजल बहू को लपेट तो नही रहा

मै हस कर - क्या मा आप भी ,,,आप जानती है ना उनको और मै क्यू करूँगा उनपे ट्राई जब मेरे पास घर का इतना मस्त गदराया हुआ माल है
ये बोल कर मैने मा को आंख मारी

मा शर्मा कर - अच्छा ठिक है ,,जा और जल्दी आना , मुझे परसो की तैयारी करनी है

मै - वो किस बात के लिए
मा - भूल गया ,,,परसो मै और तू चल रहे है ना रज्जो दीदी के यहा

मै - हा लेकिन पापा
मा - वो क्या है आजकल चोरिया बहुत हो रही है और एक तो सोनल की शादी की सारी खरीदारी और गहने खरीदे जा चुके है तो डर बना रहेगा ,,,इसिलिए तेरे पापा ने मना कर दिया

मै भी थोडा गम्भीर होकर - अच्छा ठिक है लेकिन पापा के खाने पीने का क्या होगा

मा - वो मैने शकुन्तला जीजी को बोला है ,वो देख लेंगी 3 4 दिनो की बात रहेगी

मै - अच्छा फिर तो ठिक है ,,तो मै जाऊ

मा - हा जल्दी जा ,,, और रिक्शा कर लेना बेटा बहुत धूप है

मै खुश होकर - ठिक है मा ,,आता हू अभी

फिर मै खुशी खुशी निकल गया और मार्केट से बाहर मेन रोड से मैने एक ई-रिक्शा किया और चौराहे की ओर चल दिया ।

मै बहुत ही उत्साह से भरा हुआ था और कौतूहल बश मन मे नये नये विचारो को तैयार कर रहा था कि कैसे भी करके काजल भाभी से सेक्स वाले टोपिक पर बात छेड़नी ही है ।

थोडी देर बाद मै चौराहे वाले घर के पास आ गया और रिक्से से उतर कर पैदल ही काजल भाभी के घर की ओर चल दिया ।
अगले कुछ ही पलो मे मै उनके गेट से होकर दरवाजे पर खड़ा हो गया और बेल बजा दी ।

तभी मुझे पैरो की धम्म धम्म और पायलो की तेज छन छन सुनाई दी । मै समझ गया कि भाभी ही है तो उत्साही होकर तेजी से दरवाजे की ओर भागी आ रही है ।

तभी दरवाजा खुला और सामने काजल भाभी एक जामुनी पिंक साडी मे थी और क्या मस्त दिख रही थी याररर

मै एक नजर निचे से उपर की ओर मारा और फिर उसके मुस्कुराते चेहरे को देख के - नमस्ते भाभी

भाभी मुस्कुराते हुए - नम्स्ते बाबू ,,,आईये अंदर आईये

मै भी खुशी खुशी अन्दर जाता हू । मै पहली बार काजल भाभी के घर मे घुसा था ।
गलियारे से होकर लगातार दो कमरे पास करने के बाद हम एक हालनुमा आँगन मे पहुचे , जहा एक ओर जीना लगा उपर जाने के लिए, वही जीने के निचे ही छोटा सा आँगन था । एक तरफ चौकी लगी थी ।
भाभी ने मुझे उसी चौकी पर बैठने को कहा और खुद हाल से लगे एक कमरे मे चली गयी जो शायद किचन था ।

जब तक वो आती तब तक मै नजरे घुमा कर उनके घर का जायजा लेने लगा ।
फिर भाभी एक ट्रे मे पानी और काजू कतली वाली मिठाई लेके आयी

हालांकि काजू कतली देख के मुह में लार भरने लगा लेकिन फिर भी नैतिकता के नाते मैने उन्हे टोका - अरे भाभी आप क्यू परेसान हो रही है इसके लिए ,,,मै तो अभी खाना खा कर ही आ रहा हू

भाभी मुस्कुरा कर चौकी पर ही मेरे बगल मे ट्रे रखते हुए - अरे ऐसे कैसे ,,,पहली बार हमारे घर आये हैं तो खातिरदारि करनी ही पड़ेगी ना हिहिहिही ,,,लिजिए पानी पिजिये ।

मै भी हस्ते हुए एक काजू कतली उठाया और बातो ही बातो मे 4 पिस कब मुह मे घुल गये पता ही नही चला ।
पानी पीने के बाद मैने थैली से भाभी का पैकेट निकाल कर उन्हे देते हुए

मै - हा लिजिए भाभी जी आपका सामान
एक बार चेक कर लिजिए
भाभी मुस्कुरा कर - अरे कोई बात नही मै बाद मे देख लूंगी

काजल के मना करने पर मैने एक दाव खेला और उनहे बातो मे उलझाने की कोसिस की
मै - अरे भाभी एक बार चेक कर लिजिए ,,नही तो कही साइज़ का दिक्क.... और फिर बडी मम्मी भी तो आ जायेगी ना

भाभी मेरी बातो को सोच कर अपनी झिझक को कम करते हुए मेरे सामने ही पैकेट खोल कर ब्रा पैंटी बाहर निकाली

अपनी मनपसंद ब्रा पैंटी देख कर काजल की आंखे चमक उठी, उसने बारी बारी से एक एक ब्रा पैंटी को अच्छे से देखा और फिर भाग कर एक कमरे मे गयी और वापस एक ब्रा लेके आयी

पहले तो मै कुछ समझ नही पाया ,,मगर अगले ही पल सब क्लियर हो गया । भाभी वो ब्रा इसिलिए लाई थी ताकी उसकी साइज़ माप सके ।

मुझे आभास हो गया कि बाकी लोगो की तरह यहा दाल नही गल्ने वाली मेरी ,, यहा मै काजल को ब्रा पैंटी ट्राई करने के लिए कहने वाला था ,,,मगर वो मुझसे भी एक कदम आगे निकली

भाभी - सब सही ही तो है, देखा बुद्दु कही के हिहिहिही

मै - अरे अच्छा हुआ ना ,,नही तो आपको परेशान होना पड़ता ,,, अच्छा ठिक तो मै चलू

काजल - अरे बैठे ना बाबू ,,, खाना खा लो फिर जाना
मै - अरे नही नही भाभी जी मै खा के आया हू ,,,मै अब चलता हू और हा !!!

मै - अगर आपको और कुछ चाहिये होगा तो बता दीजिये ,,, मार्केट से या फिर ऑनलाइन कोई समान ,,,मै ला दूँगा

काजल मेरी बात सुन कर मुस्कुराते हुए - नही बाबू अभी कुछ नही चाहिये ,,,हा लेकिन एक सामान था जो मुझे मगाना था । मगर

मै - अरे आप बोलिए ना मै लेते आऊंगा

काजल - वो एक ऑनलाइन प्रॉडक्ट था ,,क्या आप उसे अपने पते पर मागा लेंगे ,, वो क्या है कि अगर मै घर पर मागा लूंगी तो मा जी है वो जरा पुछेगी ना इसिलिए


मै कुछ सोचा और मुस्कुरा कर - अच्छा कोई स्पैशल ड्रेस व्रेस है क्या हिहिहिही

भाभी मुस्कुरा कर थोडा हिचक कर - हा मतलब ऐसा ही कुछ है , तो मै ऑर्डर कर दू ,कल शाम को आ जायेगा

मै - हा हा क्यू नही ,,, मेरा नम्बर डाल दीजियेगा , बाकी पता तो यही ही रहेगा हिहिहिही आस पास ही तो है हम लोग

काजल मुस्कुराकर - अरे हा
मै - तो ठिक है ,,अब मै चलता हू , मा दुकान पर अकेली है

फिर मै वहा से विदा होकर निकल गया दुकान की ओर


लेखक की जुबानी

एक ओर जहां चमनपुरा मे राज काजल भाभी से नजदीकिया बढ़ाने मे लगा था ,,,वही जानीपुर मे रज्जो ममता से उसके किस्से उगलवाने मे लगी थी ।

उपर स्टोर रूम मे रज्जो और ममता कुछ बिछावन , तकिये निकाल रहेथे ,,जिन्हे धुप मे डाल कर उनका ऊमस और महक दुर की जा सके ।

रज्जो कुछ बिस्तर लेके जीने की सीढि से उपर जाने लगी और ममता उसके पीछे पीछे कुछ तकिये बिछावन लेके चल रही थी । सीढिया चढ़ते वक़्त उसकी नजर हिच्कोले खाती रज्जो की बडी बडी चुतडो पर गयी तो उसे एक शरारत सुझी

उसने सर पर रखे तकिये के कोने से रज्जो की गाड़ पर कोचा और खिलखिलाने लगी

रज्जो समझ गयी की ममता मस्ती के मूड मे है ।

रज्जो - ओह्ह हो क्या कर रही हैं ममता तू ,,

ममता हस्ते हुए - सोच रही हू आपके इस लचकते कुल्हे को देख के जब मेरा मन मचल गया तो मेरे भैया का क्या हाल होता होगा

रज्जो तो मानो इसी मौके की तालाश मे थी उसने मानो अपना जवाब तैयार ही रखा था ।
रज्जो - अरे लचक मटक तो रहेगी ही ना ,,,जब तेरे भैया रोज मेरी मारते समय तेरा ही नाम लेते है ,,,अह्ह्ह ममता ,,उह्ह्ह्ं ममता तेरी गाड अह्ह्ह ,,,हिहिहिजिही
ये बोल कर रज्जो खिलखिलाई और उपर छत पर आ गयी थी

ममता हस्ते हुए रज्जो के पीछे भागी - भाआभीईईई रुको मै बताती हू आपको हिहिहिही
रज्जो सारा बिस्तर फर्श पर ही फेक कर बाथरूम की ओर भागी तो ममता भी सारा तकिया बिस्तर फेक कर एक तकिया लेके रज्जो के पीछे भागी
बाथरूम के दिवाल पर आकर आखिर रज्जो को रुकना ही पडा और मौका पाते ही ममता ने उस तकिये से रज्जो की गाड़ पर पिटना शुरु कर दिया
रज्जो ममता की गुदाज मार से खिलखिलाए जा रही थी
ममता हसते हुए - आपको बड़ा मजा आता है मेरे नाम से अपनी ये गाड फड़वाने मे ना ,,,,हम्म्म बोलिए

रज्जो फिर से इठलायी - अह्ह्ह ममता उह्ह्ह्ह सीई अह्ह्ह्ह
रज्जो की बात पर ममता थोडा रिझी और हस्ते हुए तकिया फेक पर रज्जो की गाड की दरार पर साडी के उपर से ऊँगली फसाते हुए - बहुत मजा आ रहा है आपको हा बहुत,,,,हिहिहिही कितना लण्ड लोगि इसमे हम्म्म्म बोलो

रज्जो ममता के हाथो का अह्सास अपनी गाड के दरारो मे पाते ही चिहुकने लगी और खिलखिलाते हुए - जितना तू अपने भैया से दिला दे अह्ह्ह ममता हिहिहिही

ममता समझ गयी कि रज्जो तो है एकदम बेशर्म वो कहा ढील होने वाली है इसिलिए वो अपनी पकड ढीली कर दी

रज्जो ने जब हल्का मह्सूस किया तो हस्ते हुए बोली - अरे मेरी लाडो रानी उदास ना हो ,,, तुझे भी दिला दूँगी हिहिहिही

ममता चिढ़ कर - भाभीईईई आप नही मानने वाली ना
रज्जो हस कर - तुने बताया ही नही सुबह तो क्या करु मै

ममता चौक कर - अब क्या बाकी है
रज्जो हस्ते हुए -अरे वही कि कब देखा था अपने भैया का लण्ड,हम्म्म बोल

ममता की हालत अब खराब होने लगी वो क्या कहानी बनाये अब
ममता हिचकते हुए - क्याआ भाभी रहने दो ना बकक्क

रज्जो ममता को परेशान होता देख उसकी ओर गयी और बोली - अरे बता दे ना ,,मै कौन सा किसी को बताने जा रही हू ,,अगर तू ये ब्तायेगी तो मै भी कुछ बताऊंगी अपने बारे मे पक्का

ममता ने जैसे ही रज्जो की बात सुनी ना जाने उसके दिल मे कैसा कौतूहल मचा और उसे रज्जो के दिल मे दबे उस रहस्य के बारे मे जानने की चुल होने लगी ।

ममता चहक कर - क्या भाभी बताओ ना हिहिही

रज्जो - ऐसे नही भई,,पहले तुम बताओ फिर मै
ममता ने मन में कुछ सोचा और निचे कमरे मे चलने का आग्रह किया ।
इधर रज्जो भी उत्साही मे जल्दी जल्दी सारे बिस्तर फैला कर ममता के साथ निचे जाने लगी
इसी दौरान ममता लगातार अपने दिमाग पर जोर लगा कर कुछ कहानी बनाने लगी ,,तभी उसे ध्यान आया कि उस रात जब उसकेभैया नशे मे सोये थे तब उसी रात उसने भैया का लण्ड चूसा भी था ।

फिर ममता एक नये आत्मविश्वास से भर गयी और मुस्कुराने लगी । साथ ही उसने मन ही मन तय कर लिया कि क्या बताना है रज्जो को
थोडी देर बाद दोनो ननद भौजाई रज्जो के कमरे मे थी । कुलर की तेज हवा खाने और देह को ताजगी देने के बाद रज्जो ने फिर से पहल शुरु की

रज्जो ममता के बगल मे सोफे पर बैठी उसके हाथ को अपने हाथो मे लेके उसे सहलाते हुए बोली - बोल ना ममता तुने कब देखा था

ममता थोडा हिचकते हुए - भाभी आप नाराज नही होगी ना तो मै बताऊंगी

रज्जो हस कर - अरे मुझे तो खुशि होगी जानकर की मजे लेने मे मेरी ननदरानी आगे है हिहिहिही ,,चल बोल ना अब

ममता थोडा हसी और बोली - वो याद है आपको उस दिन जब भैया ने दारु पी ली थी और नशे मे सो गये थे ,,,और मै उनके लिए खाना देने गयी थी

रज्जो को वो पहली रात याद आ जाती है और वो मुस्कुरा कर ममता को आगे बढ़ने को कहती है - हम्म्म हा याद है तो
ममता अटकते हुए - वो उस दिन जब मै खाना देने के लिये भैया को जगाने लगी तो उन्होने समझा कि आप हो और फिर

ये बोल कर ममता थोडा शर्माने लगी
रज्जो उसके गाल को अपनी ओर करके - अरे बोल ना फिर क्या

रज्जो का दिल अभी तेजी से धडक रहा था वो ममता के मुह से वही सब सुनना चाहती थी और वो हर घड़ी बेचैन हुए जा रही थी ।

ममता भी उस रात की यादे ताजा करके सिहर उठी थी
और कुछ बातो को जोडते हुए बोली - फिर उन्होने जबरदस्ती मुझे पकड कर अपनी गोद मे खिच लिया और

ममता की बात सुन के रज्जो की आंखे बडी हो गयी और उसकी दिल की धडकनें तेज होने लगी ,,उसके मन कयी सारे कल्पनाए बनने बिगड़ने लगी ।
ममता ने जब नोटिस किया कि उसकी बातो को रज्जो बहुत ही सम्वेदना से ले रही है तो उसने भी मजे लेने के लिए बातो को और बढा चढा कर बोलने की ठानी

ममता - और उन्होने मेरे दूध दबाने शुरु कर दिये और अपनी गोद मे बिठाये बिठाये ही अपना वो निकाल कर मेरे हाथ मे जबरदस्ती पकडवाने लगे

रज्जो की आंखे फैल गयी और उसे ममता की बात पर यकीन होना जायज लग रहा था क्योकि उस दिन कमलनाथ नशे में बार बार उसे चोदने का आग्रह कर रहा था और फिर अगली सुबह उसका लण्ड पाजामे के बाहर था ,,
रज्जो - क्या सच तुने उनका वो मतलब अपने भैया का लण्ड पकड़ा

ममता सर निचे किये शर्माए जा रही थी - हम्म्म्म भाभी ,,, उन्होने जबरदस्ती थमा दिया ,,,पता है कितना डर गयी थी मै

इधर ममता की बाते सुन कर उसकी चुत रिसने लगी थी और उसकी तलब बढती ही जा रही थी
रज्जो मुस्कुरायी और ममता के करीब होकर उसके कान मे बोली - पागल डर क्यू रही थी ,,, मै होती तो तुंरत अपनी बुर मे भर ले लेती

रज्जो ने ये बात ममता के कान मे इतनी नशीली आवाज मे कही कि ममता रज्जो के नशीली आवाज की गरमाहट भर से सिस्क पडी और उसकी दबी हुई भावना छलक उठी

ममता आंखे बंद करके अपने बदन मे हो रही सिहरन को मह्सुस करते हुए - उम्म्ंम्ं भाभीईई मै कैसे ले लेती वो मेरे भैया है

रज्जो ने जैसे ही मह्सूस किया कि उसका दाव चल गया वो मुस्कुरा कर एक कदम आगे बढ़ी और हल्का सा ममता की जांघो पर हाथ घुमाया।
रज्जो - क्यू तुझे तेरे भईया का लण्ड अच्छा नही लगा क्या ???

ममता रज्जो की बात सुन कर अपने भैया के मोटे लण्ड की तस्वीरे मन मे गढ़ने लगी ।
रज्जो ने आगे बढ कर अपने हाथो को उसकी चुत के आस पास घुमाना शुरु कर दिया ।

ममता - अह्ह्ह भाभी उससे क्या होगा ,,मिल थोडी जायेगा उम्म्ंम सीई आह्ह
ममता के इस जवाब से रज्जो की आंखे चमक उठी और उसने अगले हि पल उसकी चुत पर कब्जा कर लिया । जिससे ममता सिस्क पडी

रज्जो ने हौले से ममता का पल्लू उसकी छाती से सरकाया और उसके ब्लाऊज के उपर से उसकी कड़क और नरम चुचियो को सहलाते हुए धिमे से उसके कान मे बोली - जानती है ममता ,,,तेरे भैया भी तेरे लिए तडप रहे है ।

रज्जो की बाते सुन कर ममता की चुचिया रज्जो के हाथ मे फूलने लगी

रज्जो - हर रोज मुझे चोदते हुए तेरा नाम लेते है ,,,जानती है क्या बोलते है

ममता बन्द आंखो से तेज सासे लेते हुए रज्जो के हाथो को अपनी चुचियो पर मह्सूस करती हुई उसकी बातो से पिघली जा रही थी ।
ममता सिहर कर अटकते हुए - क क क्याआआ बोलते है भाभी उह्ह्ह्ज उम्म्ंम

रज्जो ममता के चुचे पर हथेली घुमाती हुई - मुझे तेरे नाम से पुकारते है और खुब हच्क कर चोदते है और इसिलिए मै भी ,,,,उम्म्ंम्ं

ममता थोडा रुकी और बोली - मै भी क्या भाभी ,,,बताओ ना उम्म्ंम्म्ं
रज्जो अपने जीभ को ममता के गरदन पर फिराया और उसके मुलायम गालो को अपने होठो से काटते हुए पूरी मदहोशि मे बोली - इसिलिए मै भी उनको भैया भैया बोल के चुदवाति हू और वो बहुत हचक हचक कर पेलते है ।

ममता रज्जो की बाते सुन कर पागल सी होने लगी और उसका हाथ रज्जो के हाथ पर चला गया जो उसकी चुचियो को सहलाए जा रहा था ।

रज्जो का हाथ को अपने सीने पर और बेरहमी से रगड़ते हुए ममता सिस्कने लगी - ओह्ह्ह भाभीईईई अह्ह्ज उम्म्ंम

रज्जो आगे बोलते हुए ममता की चुत को टटोलने लगी - तो बता लेगी अपने भैया का मोटा लण्ड अपनी बुर मे ,,,उम्म्ं बोल ना

ममता तो मानो रज्जो के कामुक बातो और उसके स्पर्शो से पागल हुई जा रही थी । सब कुछ अब रज्जो के मुताबिक ही चल रहा था ,,, रज्जो ने जैसे कमलनाथ को ममता के लिए पागल किया ठिक वैसे ही उसने ममता को भी कमलनाथ से पागल किये जा रहो थी ।
मगर उसे ये तो पता ही नही था कि दोनो भाई बहन पहले ही आगे बढ़ चुके है । बस वो एक नये अह्सास के लिए उतावाले और उत्तेजित हो रहे थे कि रज्जो की उपस्तिथि या उसकी रजामन्दी मे वो खेल खेलने मे कितना मजा आयेगा ।
रज्जो ने जब दो बार ममता को उसके भैया का मोटा लण्ड लेने की बात कही तो ममता ने भी ठान लिया कि ऐसे छिप छिप कर कब तक अपने भैया के मोटे लण्ड के तरस्ती रहेगी ,,,एक बार खुल कर रज्जो के सामने चुद गयी तो जब भी आयेगी अपने भैया से चुद लेगी ।

ममता ने सारी बाते सोची और फिर सिस्कते हुए अपनी दिल की बात कह दी - उम्म्ं हा भाभी मुझे चाहिये भैया का मोटा लण्ड,,मै भी उस्से खेलना चाहती हू

रज्जो ने जैसे अपने मुताबिक ममता का जवाब पाया उसने तेजी से ममता की चुचिय भिची और बोली - अरे सीधा सीधा बोल ना मेरे लाडो रानी की अपने भैया से अपनी चुत चुदवानी है उम्म्ंम बोल

ममता चीखी और दर्द से आहे भरते हुए -अह्ह्ह्ह मुम्मीईईई उह्ह्ह हा भाभीई खुद चुदवाना है भैया से उम्म्ं अह्ह्ह

इधर रज्जो ने ममता के चुत पर हमला कर दिया ,,ममता पहले से ही नशे मे थी और बार बार अपने भैया से चुदवाने का अह्सास पाकर ,साथ ही रज्जो के हाथो व बदन का स्पर्श उसे चरम पे ले गया था ।। नतिजन ममता की जाघे हिचकने लगी और ममता झडने लगी ।

रज्जो ने जब सिस्कती हुई ममता के चेहरे के भाव पढे तो वो भी मुस्कुरा कर अपनी जीत का जश्न मना लिया ।
बस उसे अब कमलनाथ के बाजार से आने का इन्तजार था । क्योकि वो ये काम आज के आज ही करना चाह रही ,,नही तो कल से धीरे धीरे सारे मेहमान आने वाले थे ।
इधर ममता थक कर सो गयी और वही रज्जो ने उसे वैसे ही सोफे पर छोड कर निचे चली गयी ।
फिर दोपहर के खाना ब्नाने की तैयारिया होने लगी ।

जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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UPDATE 120

CHODAMPUR SPECIAL UPDATE

पिछले अपडेट मे आपने पढा कैसे एक ओर जहा चमनपुरा मे अपना राज काजल भाभी से नजदीकिया बढाने मे कामयाब हो रहा है वही जानीपुर मे रज्जो ममता और कमलनाथ का मिलन करवाने की कसीदे पढ रही है ।
अब आगे
ममता के दिल और चुत मे उसके भैया के लिए जगह बना कर रज्जो निचे किचन मे भिड़ गयी और इधर दोपहर तक राजन और कमलनाथ एक औटो मे वो सारे सामान लाद कर ले आये जिनकी पर्ची सुबह नास्ते के बाद रज्जो ने बनवाई थी ।
सारे समान को वही जीने के निचे रखवाया गया क्योकि खाने पीने की व्यस्था दो दिन बाद से बगल के किसी और के घर मे होनी थी ,,जो अभी हाल ही बना था। उसका बरामदा और एक कमरा कमलनाथ ने व्यहारिका मे ले लिया था । ताकी शादी निबकाई जा सके।

खैर इधर राजन और कमलनाथ ने सारे समान रखे और नहाने के लिए छत पर चले गये ।
इधर कमलनाथ जैसे ही अपने कमरे मे गया तो उसे ममता सोफे पर सोयी हुई दिखी ।
कमलनाथ का लण्ड देखते ही खड़ा हो गया और मगर फिल्हाल वो कड़ी धूप में थक कर आ रहा था तो उसे नहाना ही सही लगा तो इसिलिए वो अपने कपडे निकाल कर तौलिया लपेटे उपर छत पर चला गया ,,जहा राजन भी पहले से मौजुद था ।

फिर दोनो मिल कर नहाते हुए रज्जो के साथ फिर मस्ती करने की योजना बनाते है और वापस अपने कमरे मे आ जाते है ।
इधर रज्जो भी ममता को जगाने के लिए उपर कमरे मे आती है तो कमलनाथ सिर्फ तैलिया मे ही कमरे मे अपने जन्घिया और बनियान खोज रहा होता है । इधर खटरपटर से ममता की निद खुल जाती है और उसकी नजर कमलनाथ पर जाती तो उसे अभी थोडी देर पहले हुई रज्जो के साथ की हुई मस्ती याद आ जाती है ।

इतने रज्जो जो अभी अभी दरवाजे पर पहुची ही थी वो बोली - क्या ढूढ रहे है रमन के पापा

कमलनाथ खुश होता हुआ -अरे रज्जो तुम आ गयी ,,,वो मेरी बनियान और जांघिया नही मिल रही है

रज्जो मस्ती मे - तो ये है ना इस्से पूछिये ,,अपनी लाडो रानी से

रज्जो - क्यू ममता , बता कहा छिपा कर रखी है अपने भैया का जांघिया हिहिहिहिह

ममता उबासी लेते हुए रज्जो के दोहरे अर्थ वाले व्यंग पे मुस्कुराते हुए उठती है - क्याआआ भाआअभीईई ओफ्फ्फ ,,, छिपा के कहा रखी हू ,, वो आलमारि मे ही तो है

कमलनाथ- कहा है मुझे तो नही मिला
ममता चल कर कमलनाथ के बगल मे जाती है और आल्मारि मे से एक जांघिया और बनियान निकाल के देती है ।

जिसे देखते ही रज्जो भडकते हुए -क्या जी आप अभी भी ये पुराना वाला ही पहनेंगे क्या ,,,

कमलनाथ - अरे इसमे बुराई क्या है रज्जो ये अन्दर रहता है ,,, गर्मी मे तो बहुत आरामदायक है ये

रज्जो अपना माथा पीटते हुए - आप भी ना ,, अरे बेटे की शादी है दस लोग भिड़े रहेंगे तो आपको लगता है कि आप ऐसे ही अकेले नहा पायेगे रोज रोज ,,,और लोग देखेंगे तो क्या कहेंगे कि दूल्हे का बाप है और ढंग का अंडरवियर भी नही है ।

कमलनाथ - अरे तो अभी मेरे पास इसके अलावा और कोई नही है

रज्जो - मै रखी हू ना ,,ममता जरा निचे वाले ड्रा से वो अंडरवियर निकाल तो

ममता खिल्खिलाती हुई वही करती है और उसमे एक फ्रेंची अंडरवियर निकाल कर रज्जो को देती है ।

कमलनाथ उसे खोलता है तो हस पडता है - अरे रज्जो ये तो तेरी मालूम पड़ती है देख

कमलनाथ उस अंडरवियर को फैला कर रज्जो को दिखाता है तो ममता फुसफुसा कर हस पड़ती है ।
रज्जो भी थोडा तुनक कर मुस्कुराई और कमलनाथ के हाथ से अंडरवियर लेके - ये ये मेरा है हा ,,,, "ये इसका मेरे लिया क्या काम हमम बोलिए " , रज्जो अंडरबियर मे बनी पेसाब वाली जेब मे चार ऊँगली घुसा कर कमलनाथ को दिखाती हुई बोली ।

कमलनाथ हसते हुए वापस अंडरवियर को लेते हुए एक बार सामने से अपने जांघो पर डालते हुए देखता है - हा लेकिन ये थोडा छोटा नही है

रज्जो - अरे आप पहिनिये तो पहले ,,,नही अच्छा लगेगा तो मै शाम तक दुसरा ले आउन्गी
कमलनाथ बेबसी सा रुख देते हुए हस कर ममता को देखता है और फिर तौलिया के उपर से वो फ्रेंची पहनने लगता है ।

बडी मस्कत के बाद कमलनाथ किसी तरह खिचखाच कर उस तंग फ्रेची मे से तौलिया निकालता है ,,इस दौरान ममता की पूरी नजर कमलनाथ के फ्रेंची पर ही जमी थी ,,जिसे रज्जो देखकर मुस्कुरा रही थी ।

इधर जैसे ही कमलनाथ ने तौलिया खीचा उसका लण्ड और आड़ दोनो उस फ्रेंची मे कस गये ।
कमलनाथ का लण्ड पहले ही ममता को देख कर फुला हुआ था जिस्से उसके लण्ड का तनाव उस फ्रेंची मे साफ साफ दिख रहा था और निचे आड़ो के कुछ बाल साइड से दिख रहे थे । मानो कमलनाथ ने अपना मोटा लण्ड जबरजस्ती उस अंडरवियर मे ठूसा हो ।
कमलनाथ को अपने आड़ो पर जोर भी महसूस हो रहा था जिससे वो फ्रेंची की मियानी पकड कर उसे फैलाते हुए अपने आड़ो को एडजेस्ट कर रहा था ।

इतने मे रज्जो बोल पडी - क्यू ममता अच्छा लग रहा है ना
ममता चौकी और हस्ते हुए मुह फेर ली - हिहिहिही भाभी आप भी ना ,,कितना परेशान करती हो भैया को । देख नही रही कितना तंग है ये कच्छी उनके लिए

रज्जो हसी और बोली - अरे मैने तो जानबुझ कर ये वाला माडल मगाया है ताकी मेरे सईया का हथियार जो भी देखे लार टपका दे

रज्जो की इस बेशरमी पर कमलनाथ और ममता झेप गये और नजरे चराते हुए एक दुसरे को देखने लगे

रज्जो - अरे अब क्या ऐसे ही रहना है पुरे दिन जल्दी कपडे पहिनिये और निचे आईये ,,,चल ममता

ममता भी थोडी खिखीयायि और एक नजर अपने भैया के फ्रेची मे उभरे काले नाग के फन को निहार कर अपनी दिल की उफनती ज्वाला को तसल्ली दी की आज इसको लेके रहूँगी । फिर रज्जो के साथ निचे खाने के लिए चली गयी ।
इधर कमलनाथ थोडा उस फ्रेंची मे अटपटा मह्सूस कर रहा था ,,मगर उसकी सेक्सी बीवी का आदेश था तो पहनना ही पडेगा ।
वो भी कपडे पहन कर निचे चला गया ,जहा राजन पहले से ही आ गया था ।

खाना पीना हुआ और फिर कमलनाथ अनुज और रमन के लिए टिफ़िन लेके दुकान चला गया ।

खाने के बाद सबको सख्त दुपहर ने नीद के आगोश मे भेज दिया । सोनल और पल्ल्बी अपने कमरे मे ,,,ममता और राजन अपने कमरे मे जाते ही भिड़ गये क्योकि ममता कबसे लण्ड के लिए तरस रही थी ,,,और इधर जब कमलनाथ वापस आया तो उसे लेके रज्जो भी अपने कमरे मे सोने चली गयी ।

कमरे मे जाकर रज्जो और कमलनाथ ने आगे की योजना बनाई और फिर थोडा प्रेममिलाप कर वो भी सो गये ।
शाम 5 बजे तक रज्जो की आंख खुली तो वो फ्रेश होकर निचे किचन मे चाय नास्ते का प्रबंध करने लगी ।
थोडी देर बाद सब लोग चाय नासता करने के बाद सोनल और पल्लवि जैसे ही किचन ने सारा कप प्लेट लेके गयी

इसी दौरान कमलनाथ ने रज्जो को थोडा इशारा किया तो रज्जो ने कड़े शब्दो मे सबके सामने मना करते हुए - न्हीईई रमन के पापा मुझे अभी बहुत काम है ,,, बाजार से सब्जी लानी है और सुबह चादर विछौने सुखने के लिए डाली थी उन्हे प्रेस करना है और इनको ....

राजन रज्जो की बात पूरी होने से पहले ही - अरे भाभी जी क्या हुआ ,

रज्जो - इनको आज मालिश करवानी है ,,,मुझे वैसे ही काम है इतना
राजन थोडा हस कर - अरे भाभी आपका बाजार वाला जो काम है मुझे बता दीजिये मै लेते आ रहा हू ,,,,और आप भाईसाहब का ध्यान रखिये शायद आज बर्तन की उठापटक मे इनको थोडी समस्या हो गयी होगी ।

रज्जो यही तो चाहती थी सो हो गया ,,फिर क्या थोडी नानुकुर के बाद रज्जो ने हामी भरी और राजन को बाजार भेज दिया ।

इधर राजन के जाते ही कमलनाथ ने फिर से रज्जो से गुहार लगाई ।
रज्जो - ओह्ह हो , ऐसा करिये आप सो जाईये थोडी देर मै पहले अपना काम कर लूंगी फिर आपकी मालिश कर दूँगी

ममता को थोडा अटप्टा सा लगा कि उसके भैया दर्द से परेशान है और रज्जो उन्हे मना कर रही है ,,,
ममता - अगर ऐसी बात है तो चलिये भैया मै ही आपकी मालिश कर देती हू और भाभी आप अपना काम कर लिजिए

रज्जो ने एक नजर कमलनाथ को देखा और आंखे नचाते हुए ममता की ओर इशारा करके बोली - जाओ जी फिर आप ,,,ममता कर देगी आपकी मालिश

कमलनाथ थोडा असहज होने का भाव लाता हुआ - न न नहीं नही ,,,ममता तू रहने दे ,,मै तेरी भाभी से करवा लूंगा

ममता अब जिद करते हुए -क्या नही नही भैया ,,मै क्या कोई गैर हू जो आपकी मालिश नही कर सकती

कमलनाथ ममता के भावनात्मक व्यंग्य और उसके चंचल चित पर पिघलता हुआ - हा ममता ,,लेकिन तू कैसे?? मतलब

ममता उठ कर कमलनाथ के पास गयी - क्या भैया आप भी ,,चलिये ना

रज्जो ने भी मजे लेने के मूड मे मानो कमलनाथ को चिढाते हुए बोली - हा जाईये ना

फिर थोडी देर बाद रज्जो स्ब्से उपर की मंजिल से सारे चादर बिछावन लेके कमरे मे आती है जहा कमलनाथ सोफे पर बैठा होता है और ममता निचे से कटोरी मे हल्का गर्म सरसो का तेल लेके उपर आती है ।

इधर रज्जो बेड पर अपना प्रेस सेट करके पहले से ही अपना डेरा जमा लेती है ।

ममता चहकते हुए कमरे मे प्रवेश करती है - हा भैया बताओ कहा करनी है मालिश

रज्जो मुस्कुरा कर प्रेस चलाते हुए - हा जी बता दो ना ,,फटाफट कर देगी ममता हिहिहिही

कमलनाथ थोडा बेबस होता हुआ - रहने दे ना ममता अभी तेरी भाभी कर देगी ना

ममता बालहठता दिखाती हुई - मै कहा दिया ना कि मै ही करंगी तो मै ही करूंगी और अब तो भाभी चाहे तो भी मै उनको नही करने दूँगी ।

ममता - चलो बताओ कहा करना है मालिश
कमलनाथ एक नजर रज्जो को देखता है और इशारे से पहल करने को कहता है तो रज्जो प्रेस बन्द करके आती है ।

रज्जो कमरे का दरवाजा अंदर से बन्द कर देती है और कमलनाथ से - हम्म्म निकालियेगा अब कपडा की ऐसे ही करवायेन्गे

रज्जो के कहने के पर कमलनाथ जोकि बनियान और पजामे मे था वो अपना पाजामा निकालने लगता है तो ममता को थोडा असहज होने लगती है ।

फिर रज्जो कमलनाथ से कड़े शब्दो मे बोल्ती है -हा अब वो भी निकालिये

ममता की आंखे फैल गयी कि रज्जो उससे क्या करवाने वाली है ,,,कही वो जिद करके फस तो नही गयी

ममता थोडा झिझक भरी हसी मे- भाभी वैसे मालिश कहा करनी है

रज्जो - अरे आज इन्हीने ये पहली बार अंडरवियर पहना था तो वहा टाइट हो गया था और दर्द हो रहा है ,,वही पे करना है

ममता की सासे अटक गयी और वो मन मे बुदबुदाइ - मतल्ब मुझे भैया के लण्ड और वो आड़ो की मालिश करनी ,,, हे भगवान फसा ही दिया आखिर भाभी ने मुझे ,,अब क्या करु

कमलनाथ ममता को परेशान देख कर अपने फ्रेंची की लास्टीक को सही करता हुआ - अगर तेरी इच्छा नही है तो रहने दे ममता ,,,अभी तेरी भाभी कर देंगी

रज्जो - अरे ऐसे कैसे ,,ममता ने बोला है सिर्फ़ वही करेंगी और मै नही करने वाली मालिश आज

ममता थोडा झिझक के - कोई बात नही भैया मै कर दूँगी ,,, आप आराम से इसे निकाल कर बैठ जाओ

ममता के इस वक्तव्य से कमलनाथ और रज्जो दोनो की आंखे चमक उठी ।इधर रज्जो वापस बेड की ओर ऐसे मुड कर गयी ,,जैसे कुछ भी अजीब नही घटा हो और ना ही कमलनाथ ने ऐसा कोई प्रतिक्रिया दिया जिसकी ममता उम्मीद कर रही थी ।

रज्जो और कमलनाथ ने मिलकर माहौल ही ऐसा बना दिया कि ममता चाह कर भी अपनी कोई प्रतिक्रिया नही दे सकती थी और उसे एक उलझन होने लगी थी कि सब कुछ आखिर इतना सामान्य कैसे हो सकता है ।

उधर कमलनाथ ने अपनी फ्रेंची निकाल दी और जान्घे खोल कर सोफे पर बैठ गया ।
ममता की नजर जैसे अपने भैया के खुले काले लण्ड पर गयी ,,उसका दिल बेईमानी करने लगा और चुत कुलबुलानी शुरु हो गयी ।

उसे बडी शर्म सी मह्सुस हो रही थी कि रज्जो के सामने वो अपने भैया का लण्ड पकडने जा रही थी । ना जाने कितनी बार रज्जो ने उसे इसी लण्ड का ताना दिया और छेडा था ।
फिर इस वाक्ये के बाडे ना जाने और कित्ना ज्यादा रज्जो उसे छेड़ने वाली थी ।
कमलनाथ जान्बुझ कर थोडी असहजता और दर्द का मिश्रित भाव ममता के समक्ष ला रहा था ,,, इधर ममता वही अपने भैया के पैरो के बीच ने घुटने टेक कर बैठ गयी ।

कमलनाथ ने बहुत हौले के अपने कूल्हो को उचकाया और अपनी बनियान नाभि तक खिच ली ताकि तेल का दाग उसमे ना लग पाये।
अब कमलनाथ का लण्ड पुरा खुल कर ममता के सामने था जो होने वाले घटनाओ को सोच कर धीमे धीमे सासे ले रहा था और अपना फौलादी स्वरुप ग्रहण किये जा रहा था ।

ममता बेबसी सा मुस्कुरा कर एक बार पलट कर रज्जो को देखी तो वो उसने इशारे से आगे बढने को कहा ,,,जिसे ममता ने समझ लिया कि वो सुबह वाली बात को लेके कुछ इशारे कर रही होगी । मगर ममता का इरादा ऐसा कुछ करने का नही था और ना ही वो रज्जो को इस सब के लिए उसको छेडने का मौका देने का विचार ला रही थी ।

उसने कचौरी मे अपनी चार उंगलियाँ पिरोयि और उसे दोनो हथेलियो चपुड़ते धीरे से बिना कमलनाथ को देखे उसका फौलदी होता लण्ड थाम कर उसके उपरी भाग को दोनो हाथो से पकड कर हल्का हल्का तेल पिलाने लगी


ममता के स्पर्श मात्र से ही कमलनाथ की हालत खराब हो गयी और उसका लण्ड पलक झपकने की देरी मे ही पुरा फौलादी हो गया ।
। फिर वापस उसने उंगलियो मे तेल लेके कमलनाथ के आड़ो पर हथेली को घुमाया

कमलनाथ सिस्क उठा - अह्ह्ह छोटी सीई

ममता ने फौरन हाथ खीचते हुए और चिंता व्यक्त करते हुए- क्या हुआ भैया दर्द हो रहा क्या ज्यादा ???

कमलनाथ थोडा मुस्कुराया और ना मे सर हिला दिया ।
ममता समझ गयी कि ये उसके स्पर्श का नतिजा था कि उसके भैया सिस्क पड़ें ।

फिर उसने एक बार रज्जो पर नजर डाली जो बिना उसकी ओर देखे अपने काम मे ब्यस्त थी तो वो भी वापस तेल लेके अपने भैया के आड़ो की मालिश करने मे लग गयी ।
धिरे धीरे हर स्पर्श के साथ और ममता के हाथो के मुलायम मर्दन से कमलनाथ का लण्ड पूरी तरह तन गया ,,उसकी नसे पूरी तरह से उभरने लगी थी ।

ममता भी अब धीरे धीरे भटकने लगी थी ,,कभी कभी वो अपने भैया का सुपाडा देखने के लिए धीरे से मालिश के दौरान उसे खोल देती और अगले ही पल वापस चमडी छोड देती ।
इधर कमलनाथ जोकि उसे एक बार चोद चुका था वो इशारे से मुह मे लेने की बात करता है तो ममता ,,रज्जो की ओर इशारा करके मना कर देती थी ।मगर हर बार कमलनाथ के आग्रह पर वो बहकने लगी

उसने जब कयी बार देखा कि रज्जो की नजर अपने काम पर ही है तो उसमे मे थोडी हिम्मत जगी और उसने धीरे से अपना मुह आगे करके सुपाडा खोल्ते हुए लण्ड मुह मे ले लिया ।
वही कमलनाथ ने जैसे ही ममता के मुलायम ठन्डे होठो का स्पर्श अपने तपते लण्ड के सतहो पर मह्सूस किया उसकी एक मीठी दबी हुई अह्ह्ह निकल गयी।

जिसपर ममता ने तुरन्त उसके जांघो पर अपना पन्जा जमाते हुए उसे चुप रहने का इशारा किया ।
कमलनाथ चुप तो हो गया लेकिन रज्जो के तेज कानो में उसकी महीन सिसकिया पहुच गयी और उसने तुरंत नजरे उठा ली ।

वो चौक गयी कि इतनी जल्दी कैसे ममता ने अपने भैया का लण्ड मुह मे ले लिया ,,,, उसने सुबह मे जो ममता को परेशान किया था कही उसकी वजह से तो नही

रज्जो मुस्कुराई और एक नजर कमलनाथ से आंखे मिलाई तो कमलनाथ ने उसे आंखे मारते हुए एक फ़्लाइंग किस्स पास किया ।

रज्जो मुस्कुरा कर चुप रहने का बोलती है ।
इधर ममता सब कुछ भूल कर अपने भैया का मोटा लण्ड सुरकने मे व्यस्त थी ।
इधर कमलनाथ ही भी हालात कम खराब नही थी ,,,वो भी अपने हाथ आगे बढा कर ममता के चुचो को छूने लगा ।

ममता ने भी मना नही किया ,,उसका पल्लू निचे फर्श पर आ चुका था और कमलनाथ के हाथ उसके तंग ब्लाउज के हुक खोलने की कोसिस मे थे,,,इतने मे बिस्तर पर थोडी खटखट हुई तो दोनो ने सजग हुए और ममता ने फौरन मुह से लण्ड निकाल कर मुह पोछते हुए एक बार रज्जो की ओर देखा ,,,जो चादर को उठा कर आलमारी मे रख कर बाथरूम मे चली गयी ।

कमलनाथ - ममता ये खोल दे ना ,,इन्हे छूने का मन है

ममता कामुक भरी मुस्कान के साथ अपने भैया का लण्ड हिलाते हुए उसकी आंखो मे देख कर - और कही भाभी ने देख लिया तो

कमलनाथ - अरे बस उपर के खोल के एक बाहर निकाल दे और रज्जो आयेगी तो पल्लू कर लेना ना ,,,प्लीज ना

ममता अपने भैया का उतावलापन देख कर मुस्कुराइ - ठिक है लेकिन भाभी बाहर आये तो बताना हा

कमलनाथ ने हम्म्म बोला और ममता ने उपर के तिन हुक खोल्ते हुए एक ओर चुची निकाल दी ।
कमलनाथ की आंखो मे चमक और लण्ड मे कड़क दोनो बढ गयी ,,उसने फौरन हाथ बढा कर ममता के चुचियो को सहलाने लगा और ममता वापस से अपने भैया का लण्ड गपुचने लगी।

इधर बाथरूम मे जाते ही रज्जो ने अपनी साड़ी निकाल दी और सिर्फ़ ब्लाउज पेतिकोट मे धीरे से बिना कोई आहट के बाहर आयी ।

आल्मारि को बंद करते हुए बोली - ममता हो गया ना

ममता चौकी कि रज्जो ने कही उसे देख तो नही लिया ,,उसने फौरन अपना मुह खोला और पल्लू सीने पर कर लिया ।
जल्दीबाजी मे उसे अपने ब्लाऊज को बंद करने का मौका नही मिला ।

वो थोडी सहम सी गयी थी
इधर रज्जो को जवाब नही मिला तो वो चल कर सोफे तक गयी और उसकी योजना मुताबिक ममता ने उसके पति का लण्ड फौलादी बना दिया

रज्जो मुस्कुरा कर -
कमलनाथ के बगल मे बैठते हुए - हम्म्म तो आराम है ना अब

कमलनाथ थोडा रुखे मन से - हा है थोडा बहुत

रज्जो - थोडा बहुत,,,क्यू ममता ? तुने सही से मालिश नही की क्या

ममता आंखे बडी करके रज्जो को देखती और तभी कमलनाथ -अरे नही नही उसने तो अच्छे से किया लेकिन वो

रज्जो - अब वो वो क्या कर रहे है ,,साफ साफ बोलिए ना

कमलनाथ अपनी लण्ड की इशारा करते हुए - वो ये थोडा टाइट हो गया है तो दर्द बना हुआ है

रज्जो - अरे तो इसमे क्या है ,ममता से बोल देते ना वो इसे शांत कर देती

ममता चौकी - मै कैसे भाभी ? मतलब वो वो

रज्जो ममता की बात काटते हुए - अरे तू भी ना ,,ज्यादा कुछ नही करना है बस ये मुह से ,उउउउगऊऊऊगूग्गऊऊऊऊ उह्ह्गुउऊऊऊगग्ग्गूउऊऊऊ
अह्ह्ह स्प्प्प्प्र्र्रपपपप अह्ह्ह गुउउउऊऊगऊऊऊऊ

रज्जो कमलनाथ का लण्ड चुस कर लण्ड बाहर निकालते हुए - देखी!!! ऐसे ही कर दे मै आती हू बाकी का समान स्टोररूम से लेकर
ये बोल कर रज्जो उठी और कमरे से बाहर निकल गयी ।

ममता चौकने के भाव मे कमलनाथ को देखी जो बेशर्मो के जैसे मुस्कुरा रहा था ।
ममता अवाक होकर - भैया ये भाभी ऐसे कैसे बोल कर चली गयी

कमलनाथ हस कर - अरे जब उसे ऐतराज नही है तो तू क्यू परेशान हो रही है ,,अब चुस दे ना

ममता थोडा मुस्कुराते हुए वापस अपने भैया का लण्ड मुह मे लेना शुरु कर दिया
इधर रज्जो फटाफट स्टोर रूम से एक दो और समान लेके कमरे मे आती है तो ममता को बडे चाव से अपने भैया का लण्ड सुडुपते हुए देखती है ।
फिर वो मुस्कुरा कर सारा समान बेड पर रखते हुए

रज्जो - क्या जी कितना समय लगायेंगे ,,, अभी हमे खाना बनाना है

कमलनाथ कसमसा के - अब क्या कर ये शांत नही हो रहा है

रज्जो ममता को डाटती हूई- क्या ममता तुझे एक काम दिया था वो भी ढंग से नही कर पा रही है

ममता बेबसी दिखाते हुए - भाभी कर तो रही हू ,,अब पता नही भैया का कैसे नही हो पा...

इतने मे रज्जो चलकर ममता के पीछे गयी और उसका पल्लू हटाते हुए फटाफट उसके ब्लाउज के सारे हुक खोल दिये । हालांकि ममता ने थोडी जद्दो-जहद की मगर वो बेकार थी ।
रज्जो - जब सब कुछ ढक कर करेगी तो कैसे उनपे असर होगा ,,,देख माल खुलते ही कैसा तन गया

ममता ने भी अपनी मुथ्ठी मे अपने भैया का लण्ड कसता हुआ मह्सूस किया ।
ममता वापस से अपना मुह खोलके अपने भैया का लण्ड मुह मे लेने लगी और रज्जो भी वही उसके बगल मे घुटनो के बल होकर उसकी चुचियो को छुने लगी । जिस्से ममता थोडा छटकी मगर उसने मुह से लण्ड नही निकाला और गुउउगुऊऊ करते हुए रज्जो को हटाने की कोसिस करने लगी

लेकिन रज्जो कहा ये मौका छोडती वो तो मस्ती जारी रख्ते हुए ममता के चुचो की घुंडीया घुमाने लगी ,,जिससे ममता के चुत मे खुजली और बढने लगी
माहौल धीरे धीरे मादक हुआ जा रहा था और जैसा कि मानव प्रवृतियो का स्वभाव है वो अक्सर अति मात्रा मे हसी ठिठौली, गहरी रात और सघन भिड़ मे अपने प्रभाव दिखाने लगती है । ठिक आगे वही होने वाला था ।

सारे लोग मस्ती मे थे ,,सब्के हवस की आग बढ रही थी । हर अवसर पर अपनी नगनता को दिखाने मे आतुर हुए जा रहे थे । ऐसे मे बार बर रज्जो द्वारा ममता को छूने पर वो चिहुक उठती और इधर कमलनाथ भी उनमे शामिल हो चुका था
ममता मुह से लण्ड निकालते हुए थोडा खिलखिलाते हुए - भैयाआआ देखो ना भाभी परेशान कर रही है ,,,हा नही तो

कमलनाथ रज्जो को पकड कर अपनी ओर खिच लेता - क्या जान क्यू परेशान कर रही हो उसे ,,,यहा आओ ना

ये बोल के कमलनाथ रज्जो की चुचिया उसके ब्लाउज के उपर से मिज देता है और उसके होठ चूसने लगता है
रज्जो सिस्ककर - सीईई अह्ह्ह्ह वो अकेली मजा लेगी क्या
कमलनाथ मुस्कुरा कर - उसे करने दे ना ,,आ मै तुझे मजा कराता हू

ममता उन दोनो की बात सुन कर मुस्कुराई और वापस अपने काम मे लग गयी
इधर कमलनाथ ने रज्जो का ब्लाऊज खोल कर उसकी चुची को मसलना शुरु कर दिया । जिससे रज्जो कसमसाने लगी । कमलनाथ ने बारी बारी से उसकी चुचिया चूसना भी शुरु कर दी

रज्जो कसमसाते हुए - ओह्ह्ह मेरे राजा उह्ह्ह्ह मुझे भी चुसने दो ना उसको

कमलनाथ मादक होकर उसकी चुचिया मसलता हुआ - लेकिन मुझे तेरे दूध से खेलना है अभी अह्ह्ह उम्म्ंम्ं क्या मस्त मुलायम है

रज्जो मुस्कुरा कर - तो ममता को बुला लो ना उपर प्लीज उम्म्ंम्ं सीईई अह्ह्ह अराआअम्ं से उह्ह्ह्ह


ममता मुह मे लण्ड भरे भरे ही आंखे उपर करके देखती है तो रज्ज्जो सरकते हुर ममता के पास आ जाती है ।
रज्जो उसके सर पर हाथ घुमाते हुए - ममता ,,,जा तेरे भैया बुला रहे है

ममता शर्माती हुई - नहीईई मै कैसे ??? वो मेरे भैयाआआ है और कितना तेजजज नही नही मै नही

रज्जो ममता की बात पूरी होने से पहले ही उसकी कमर से उथाते हुए - लिजिए जी पकड़ीये ,,,बहुत नाटक कर रही है हिहिहिही ,

रज्जो - जा ना ममता , थोडा मेरा भी मन है ना प्लीज

ममता मुस्कुराइ और उठ कर अपने भैया के बगल मे बैठ गयी और बस नजरे निचे किये रज्जो को देखती रही ।

रज्जो ने अगले ही पल अपने पति का लण्ड मुह मे भर लिया और गले तक उतारने लगी
इधर कमलनाथ ने थोडा संकोच और हिम्मत दिखाते हुए ममता की नंगी कमर मे हाथ डाला जिस्से ममता की दिल की धड़कन तेज हो गयी और वो आंखे बंद करते हुए फौरन अपनी कमर को सीधी कर ली ।

कमलनाथ ने ममता की प्रतिक्रिया पर उसे अपने करीब खीचा और सीने से पल्लू हटाते हुए उसकी खुली झुल्ती चुचियो को दबोच लिया

ममता सिसकी - अह्ह्ह भैयाआअह्ह उम्म्ंम्ं

इधर रज्जो ने भी आंखे उपर कर ली तो देखी कि कमलनाथ अपनी बहन के गोरे गोरे मोटे मोटे चुचो को दुह रहा है और एक का निप्प्ल चाट रहा है ,,,प्रतिक्रिया स्वरूप ममता पागल हुई जा रही थी

रज्जो ने कुछ सोचा और धीरे से उसने कमलनाथ का लण्ड छोड कर ममता के बगल मे आगयी और उसने भी अपना मुह उसकी दुसरी चुची पर लगा दिया ।

ममता एक नयी बेकाबू उत्तेजना से भर गयी ,,, क्योकि अब उसके भैया भाभी दोनो मिल कर उसकी चुचिय चूसे जा रहे थे । एक मे मरदाना अहसास तो एक मे मुलायम होठो का स्पर्श

ममता - अह्ह्ह भाभीईई येहहहह अह्ह्ह उम्म्ंम ओह्ह्ह भैयाआह्ह आराम से उन्म्ंमम्मं सीई उह्ह्ह

रज्जो वही तक नही रुकी थी उसके हाथ ममता के साड़ी मे भी घुसे हुए थे और चुत की ओर बढे जा रहे थे ।
इधर ममता अपने भैया का लण्ड खुला पाकर अपने हाथ उस्पर ले गयी और उसे भीचना शुरु कर दिया ।

रज्जो की नजरे ममता की सारी क्रियाक्लापो पर जमी थी ,,, इधर जैसे ही उसने ममता को उसके भैया का लण्ड पकडते देखा फौरन एक ऊँगली को उस्क्की पिच्पीचाती चुत मे पेल दिया

ममता की आंखे फैल गयी और उसके चुचो मे फुलाव बढ गया । जिससे रज्जो और कमलनाथ की नजरे आपस मे टकराई । फिर रज्जो ने अपने पति को आगे बढ़ने के लिए बोल दिया ।

योजना के तहत कमलनाथ ने ममता की चुचियो को छोड दिया ,,लेकिन रज्जो ने बराबर ममता पर पकड बनाई रखी और धीरे धीरे उसने ममता को अपनी ओर खींचना शुरु कर दिया । फिर उसने ममता को अपनी गोद मे लिटा लिया

इधर कमलनाथ ने अपना पोजीशन तय किया और ममता के एक पैर को उठा कर सोफे पर रखा ।
रज्जो ने अब अपना हाथ ममता की साडी ने निकाल दिया लेकिन साथ ही उसकी साड़ी को जांघो तक ले आयी थी । वो ममता को अप्नी गोद मे लिताये उसकी दोनो चुचिया मिजे जा रही थी और उसे एक बहकावे मे रखे हुए थी ।

उधर कमलनाथ बडी चालाकी से अपनी बहन के जांघो को खोल चुका था ,,,इधर जब ममता को अपने पोजीशन का अहसास हुआ तब तक देर हो चुकी थी,,,क्योकि कमलनाथ का लण्ड उसकी चुत के मुहाने पर था

इधर उसकी आंखे खुली और कमलनाथ ने वही खचाक से लण्ड एक ही बार मे उसकी बुर मे उतार दियाआ

ममता चीखी - सीई अह्ह्ह भैयाआआ ऊहह ये क्याआ कर रहे अह्ह्ह अन्हीईई उह्ह्ह दर्द हो रहा है अह्ह्ह

रज्जो ने झुक कर उसके होथो से होठ जोड दिये और फिर धीमे से बोली - अब नाटक ना कर ,,,ये ही चाह रही थी ना

ममता शर्मायी और मुस्कुराते हुए रज्जो ने पेट मे सर छिपाने लगी

इधर कमलनाथ अपना लण्ड धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा

रज्जो बेशरमी से - क्या जी आप तो बडे वो हो ,,मेरे साथ करते हुए मुझे इतना दर्द देते है और अपनी बहन के लिए धीरे धीरे

ममता शर्माते हुए -क्या भाभी आप भी ना सीई अह्ह्ह धत्त देखा आपकी वजह से भैयाआह्ह्ह मुझेहह भीईई अह्ह्ह्ह सीई ओह्ह्ह्ह भैआआआ ओह्ह्ह माआ ओह्ह्ह्ह

रज्जो ह्स्ते हुए - हा ये हुई ना बात ,,अब बने हो पक्के वाले बहिनचोद हिहिहिही

कमलनाथ ने कोई प्रतिक्रिया नही दी बस अपने धक्के तेज करता हुआ मुस्कुरा रहा था ।

रज्जो उसे चढाये जा रही थी - हा ऐसे ही फाडो अपनी बहिन की चुत ,,ना जाने कितनो को दे चुकी है लेकिन अपने भैया को ही तरसा रखा था इसने। क्युउउऊ ममता बोल ,,,

ये बोल कर रज्जो ने वापस ममता ने निप्प्लो को मरोडा
रज्जो - क्यू मजा आ रहा है ,,बोल

ममता शर्माते हुए हा मे सर हिलाने लगी तो रज्जो हस कर - हे रुको जी ,,, इसे मजा नही आ रहा है रहने दो

ममता - अरे नही नही आ रहा है भाभी
रज्जो अपने हाथ आगे बढाते हुए उसकी चुत पर घुमाने लगी - तो बता ना अपने भैया को कि उनसे चुदवा कर मजा आ रहा है

एक तरफ कमलनाथ के ताबड़तोड़ धक्के और उपर से चुत के दाने पर रज्जो की ऊँगली
ममता - अह्ह्ह्ह हाआ हाआ भाभीई बहुउउऊत्त मजा आ रहा है अह्ह्ह भैययाआ उह्ह्ह्ह

रज्जो भी अपनी उन्गलीया तेजी से ममता के चुत पर घुमाते हुए -बोल ना अपने भैया से कि मुझे भी भाभी की तरह चोदो कस कस के

ममता सिस्क्ते हुए तेज आवाज मे - अह्ह्ह भैयाआआह्ह्ह मुझे भीईई भाआअभीईई कीई तरह कास्स्स कस्स्स के चोओओदोहह नाअह्ह उम्म्ं ओह्ह्ह मा मै आ रहा रही हुउऊ ओह्ह्ब अह्ह्ह ऐसे ही भैया ओह्ह्ह्ह मा

इधर ममता अपनी गाड फेकने लगी और तेजी से कमलनाथ ने लण्ड पर झड़ने लगी
अपनी बहन को झड़ता पाकर कमलनाथ भी अपने गति बढा दी

इधर ममता झड़ते हुए अपनी चुत के छल्ले को कसने लगी जिसका असर कमलनाथ पर हो रहा था और वो भी झड़ने के करीब था

कमलनाथ ने अपनी गति सामान्य की और फटाफट अपना लण्ड निकाल कर ममता और रज्जो के पास आया

वो तेजी से अपना लण्ड ममता के मुह के सामने करके हिलाने लगा और अगले ही पल पिचकारी छूटी

कमलनाथ अपने लण्ड का मुहाना ममता की ओर किया और कसमसाया - अह्ह्ह्ह ममताहहहह ले मेराआह्ह्ह सीई ओज्ज


ये बोलते हुए कमलनाथ ने 3 बार तेज मोटी गाढी पिच ममता के मुह पर मारी और तुरंत अपना लण्ड रज्जो के मुह मे पेल दिया
जिस्से रज्जो ने अच्छे से निचोड लिया वही ममता ने भी अपने हिस्से की मलाई साफ कर ली
थक कर कमलनाथ रज्जो एक पैर के पास सोफे से सट कर फर्श पर बैठ गया और ममता के सीने पर सर रख लिया


ममता थोडा हसी और अपने भैया के सर मे हाथ घुमाने लगी ।

रज्जो मजे लेते हुए -अरे आप तो अभी से थक गये ,,,मेरा तो बाकी है अभी
कमलनाथ रज्जो की जान्घे सहलाते हुए - अभी रात बाकी है मेरी जान ,पूरी रात तेरे साथ ही तो काटनी है

ममता इतने पर तुन्की- और मै ,,मुझे भूल गये क्या

कमलनाथ उसकी गोरी चुचिया पकड कर सहलाते हुए - तुझे कैसे भूल जाऊंगा मेरी लाडो रानी ,,, तेरे लिए ही तो ये सारा खेल हुआ है

ममता इतराते हुए - ह्न्म्म्ं मुझे लगा ही था कि इसने जरुर कोई योजना है हिहिही

कमलनाथ - तुझे पसंद आया
ममता शर्मा कर हा मे सर हिला दी ।

कमलनाथ - तो एक बार हो जाये
रज्जो इतने पर टोकते हुए - अच्छा मै बोली तब मना कर दी ,,और बहन को खुद की ओर से ऑफ़र दिया जा रहा है ,,, पक्का बहिनचोद ही हो गये हो आप तो हिहिहिही

ममता ह्सते हुए - नही नही भईया अभी वो आते होंगे बाजर से ,,,हम लोग रात मे करे और अभी तो मै हू ही यहा शादी तक हिहिही

ममता की बात पर दोनो मुस्कुराये और रात के लिए योजना बनाते हुए कपडे पहनने लगे ।
रात की योजना बनाने वाले सिर्फ यही नही थे ,,, पल्लवि अनुज के साथ साथ राजन ने भी रज्जो और कमलनाथ के साथ मस्ती करने की फिराक मे थे ।

थोड़ी देर बाद वो तीनो निचे आये जहा राजन बाजार से आ चुका और फिर दोनो लेडिस किचन मे बिजी हो गयी ।

राजन - अरे भाईसाहब आपका दर्द कैसा है अब ,, कुछ आराम हुआ
चुकी कमलनाथ को रात मे अपनी बहन और रज्जो दोनो को चोदना था तो उसने पहले से तय किया हुआ ही जवाब राजन को दिया
कमलनाथ - हा थोडा बहुत आराम तो है

राजन कमल्नाथ के करीब आ कर थोडा हस्ता हुआ - तो आज रात मे भाभी जी के साथ वाला प्रोग्राम रहने दिया हिहिहिही

कमलनाथ मुस्कुराया - अब मुझे तो यही उचित लग रहा है राजन ,,, क्योकि कल सुबह मंडी भी जाना और रज्जो भी बिजी है इस समय शादी भी नजदीक आ गयी है ना

राजन - कोई बात नही भाईसाहब,,ये सब तो चलता ही रहेगा । हा कोई काम हो मेरे लायाक तो जरुर बताये

कमलनाथ कसमसा कर - नही मुझे नही लेकिन वो रज्जो बोल रही थी उसे कुछ मिठाईया बनानी है प्रसाद के लिए तो उसमे ममता की मदद लगेगी

राजन - अरे भाईसाहब कैसी बात कर रहे है आप ,,वो आपकी बहन इसमे मुझसे पूछने वाली बात कैसी है और फिर यहा हम लोग काम के लिए आये है ना

कमलनाथ हस कर - अरे भई तुम तो रज्जो की चंचलता जानते ही हो ,,,कह रही थी कि नंदोई जी बोल देना कि अब से शादी तक अकेले ही सोने की आदत डाल ले हिहिहिही बस वही बात थी

राजन हस कर - हिहिही ये भाभी जी भी ना ,,अरे बस आज रात की बात है कल से वैसे भी हम मर्दो को ठिकाना यही निचे हो जायेगा हाहाहहा

कमलनाथ - हा भाइ वो तो है हिहिहिही
इधर इनकी बाते जारी रही लेकिन राजन को टीस सी हुई कि अब कुछ दिनो तक उसे बिना चुत के गुजारा करना पडेगा ,,फिर उसने ये सोच कर खुद को तसल्ली दी चलो जैसा भी हो एक हफ्ते जम कर मजे कर लिया वो थोडा दिन रूखा ही सही ।

खैर राजन ने तो संतोष कर लिया लेकिन उसका क्या जिसने पहली बार अपनी जवानी का अनुभव लिया था ,,,वो तो दुकान पे बैठा हुआ पल्लवि के ख्वाब में गुम था ।
मन ही मन रात के हसिन पलो को याद करके राज मे पल्लवि के साथ कुछ अपने पैतरे आजमाने की कोशिस मे था ।
खैर रात हुई और सारे लोगो खाने के बैठ गये

इधर खाने के दौरान मिठाईयों बनवाने पर चर्चा थी तो पल्ल्वी और अनुज भी सतर्क थे कि उन्हे कब अपने हिसाब से काम करना है ।

समय बिता इधर कमलनाथ थोडी देर तक राजन के साथ उसके कमरे मे ही बैठा और फिर सोने का बोल कर अपने कमरे मे चला गया ।
वही राजन भी क्या करता दिन भर की भाग दौड़ का थका था और आज ममता की चुत भी उसके नसीब मे नही थी इसिलिए कुछ समय मे वो भी सो गया ।

रात मे 10 बजे तक ममता और रज्जो ने अपना काम खतम करके उपर कमलनाथ के पास चली गयी ।

इधर 10 बजे तक पल्लवि ने कभी पानी के बहाने तो कभी बाथरूम के बहाने दो बार बाहर निकाली और जब उसने देखा कि रज्जो ममता उपर जा चुकी है त उसने साढ़े दस बजे तक पल्लवि ने सोनल के सोने का इन्तेजार किया और वो भी अनुज के पास चली गयी ।

रात मे अनुज ने दो बार पल्लवि को पेला और उसे वापस कमरे मे भेज दिया ।
वही उपर के कमरे मे कमलनाथ ने रज्जो के साथ मिल कर ममता को बहुत मजे से चोदा । और दोनो की गाड़ मे लण्ड भी डाला ।

सुबह होने से पहले ममता अपने कमरे मे चली गई और राजन से लिपट कर सो गयी ।

जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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UPDATE 121
CHODAMPUR SPECIAL UPDATE

पिछले अपडेट मे आपने पढा जहा एक ओर रज्जो अप्नी योजना मे कामयाब रही और ममता को पूरी रात उसके भैया से उसकी दोनो छेड़ो मे वीर्य भरवाया ,,वही राजन को सब कुछ सुखा सुखा ही मिला ।
मगर निचे कमरे मे अनुज ने पल्ल्वी पर चमनपुरा की माटी का जोर दिखाया और दो राउंड बडे जोश के साथ उसको चोदा ।
अब आगे


खैर रात तो बीत गयी लेकिन असल कहानी तो अब होने वाली थी क्योकि आज सभी मर्दो के बिसतर निचे और महिलाओ के बिस्तर उपर जाने वाले थे । कारण था मेहमानो का आवागमन । अब से 5 दिन थे शादी को ।
सुबह सुबह राजन की आंखे खुल गयी और वो ममता को देख कर चहक उठा ।

उसने एक दो बार ममता के बदन को छूना और घीसना चाहा मगर ममता थकी हुई थी तो उसने साफ मना कर दिया। राजन का चेहरा तो उतर गया लेकिन उसने भी ममता के थकान को समझा तो उठकर नहाने धोने चला गया ।

नहा कर वो आया तो उसने ममता को जगाया क्योकि सुबह मे 8 बज चुके थे और अभी कोई चहल पहल नही थी ।
राजन ममता को जगा कर निचे जाने को हुआ तो उसे रज्जो का दरवाजा बंद दिखा ,


राजन ने वाप्स से अपनी कलाई की घड़ी देखी और बोला - कमाल है अभी तो लोग सो रहे है
वो निचे उतरा तो देखा निचे भी कोई नही था,,,
क्योकि पल्लवि और अनुज भी थक कर सोये थे , रमन की तो देर रात तक अप्नी होने वाली बिवी से बात करने की आदत थी तो वो लेट ही उठता था और सोनल इस समय निचे बाथरूम मे थी ।

राजन को फिर से शक हुआ कही वो आज जल्दी तो नही उठ गया ,,,मगर जल्द ही उसकी शंका दुर हुई क्योकि पल्लवि अपने कमरे से निकल कर बाथरूम की ओर गयी ।

वही रमन भी बाहर आया
थोडी देर बाद सारे लोग निचे हाल मे जमा हुए ।
इधर सोनल ने सबके लिए नासता बनाया और फिर दोनो जीजा साले मंडी के लिए निकल गये ।


अनुज भी रमन के साथ जाने को बोला लेकिन रज्जो ने उसे काम करने के लिए रोक दिया क्योकि अभी सारे बिस्तर उपर निचे करने थे और कुछ समान की पर्ची बनवानी जो कल होने वाली पूजा मे जरुरी थे ।

सोनल और पल्लवि किचन के कामो मे लग गये और रज्जो ममता अनुज को लिवा कर हर कमरे मे बिस्तर भिजवाने लगी

रज्जो ने अनुज से - बेटा अब से कुछ दिन तुझे भी थोडा एडजेस्ट करना पडेगा ,,ठिक है ना
अनुज हस कर - अरे कोई बात नही मौसी मै तो सोफे पर भी सो जाऊंगा उसमे क्या है हिहिही

रज्जो उसे कुछ नये गद्द्दे दिये निचे ले जाने को जिसे अनुज लेके निचे चला गया ।
ममता - भाभी ये सब अभी से क्यू कर रही हो ,,,हम लोगो का क्या होगा मतलब समझो ना

रज्जो हस कर - समझ रही हू तेरी बात ,,लेकिन क्या करू गाव से तेरे चाचा चाची आने वाली है और उनको पसंद नही कि शादी व्याह के दिनो मे मर्द औरत साथ मे रहे ,,

ममता ह्स्ते हुए - हिहिहिही सच कह रही ही भाभी ,,,चाची को पता नही क्या चिढ़ है
रज्जो -हा री ,, बहुत खड़ूस है ,,,अभी कुछ साल पहले हम लोग गये उनके यहा गोद भराई की रस्म थी तो उन्होने तेरे भैया को मेरे साथ बैठा हुआ देख लिया तो भी भडक गयी थी हिहिह्जी

ममता - हा तब मै भी तो थी ही वहा हिहिही
इतने मे अनुज वापस आ गया तो दोंनो चुप हो गये ।

खैर धीरे धीरे बाकी का काम हो गया और उपर के साथ निचे भी अच्छे बिस्तरो की व्यव्स्था कर दी गयी । पल्लवि और सोनल के सामान भी उपर ममता के कमरे मे रख दिये गये


रज्जो ने ममता के साथ सोनल और पल्लवि को भी अच्छे कपड़ो मे रहने को बोला क्योकि चाची कपड़ो को लेके बहुत ही सख्त मिजाज की थी ,,नये जमाने के कपड़ो पर बहुत जल्दी चिढ़ जाती थी तो रज्जो ने सोनल और पल्लवी को सूट पहन कर रहने को बोल दिया ।

दोपहर तक कमलनाथ के चाचा चाची भी आ गये । उनकी आवभगत हुई और फिर निचे अनुज के कमरे मे चाचा जी की और उपर ममता के कमरे मे चाची जी की व्यव्स्था कर दी गयी ।

2बजे तक राजन और कमलनाथ आये । उन्होने भी चाचा चाची से मुलाकात की फिर खाना खाने के बाद रज्जो की बनाई पर्ची लेके कल शाम मे जो पूजा होने वाली थी उसके खरीददारि के लिए निकल गये ।

पुरे घर का माहौल भी बदल गया था , कहा अभी सुबह तक आहे भरी जा रही थी और अब चाची सबको लेके उपर के कमरे मे समझा रही थी ताकी कोहबर मे कोई भूल ना हो । क्योकि चाची अपनी रीति रिवाज को लेके बहुत सख्त थी ।

इधर इनकी चाची का लेक्चर जारी था तो वहा चमनपुरा मे अपना राज काजल भाभी का पार्सल लेने के लिए बस अड्डे की ओर निकल गया था ।

राज की जुबानी

शाम को 3 बजे भाभी का फोन आया कि उनका ऑनलाइन प्रॉडक्ट चमनपुरा बस स्टैंड पर आ चुका है। इसिलिए मै दुकान पर मा को बिठा कर बस स्टैंड की ओर निकल गया ।

मैने वहा जाकर उस डिलेवारी बॉय से काजल भाभी की बात करवाई और सामान लेके वापस भाभी को फोन किया

मै - हा भाभी सामान मिल गया है ,,तो मै लेके आ जाऊ
काजल तुंरत मना करते हुए - अरे नही नही ,,अभी नही मम्मी जी है घर पर
मै - अच्छा तो फिर कब ,,वैसे इसमे है क्या काफी बड़ा बॉक्स है
काजल मुस्कुरा कर - कुछ नही बस ड्रेस है ,,,और सुनो कल मै बताऊंगी तो लेते आना
मै - अरे कल कब , मुझे कल सुबह ही मम्मी को लिवा के मौसी के यहा जाना है ,,बताया तो था ना
काजल - ओह्ह भी कैसे मै लेलू ,,,अभी मम्मी जी यही है
मै - अच्छा मै ऐसा करता हूँ ये बॉक्स खोल कर एक झिल्ली मे उपर अपनी छत से फेक दू तो
काजल - अरे नही नही वो टुट जायेगा
मै - अरे इसमे टुटने जैसा क्या है कपडा ही है ना ।
काजल हस कर - हा कपडा भी है और कुछ सामान भी है , ऐसा करो अभी शाम को मम्मी जी आपके यहा जायेगी तो उसी समय आप लेते आईएगा ,,
मुझे भी ख्याल आया क्योकि कल मै और मा जानिपुर जा रहे थे तो मा ने बोला था कि आज शकुन्तला ताई से वो पापा के खाने पीने के लिए बोलेंगी ।
मै - हा फिर ठिक है मै इसे दुकान ही ले जाता हू फिर ,, आप फोन करना मै 5 मिंट मे लेके आ जाऊंगा
काजल खुश होकर - हा ठिक है लेकिन बॉक्स ना खोलना प्लीज
मै - हा हा ठीक है भाभी चिंता ना करिये आप हिहिहिही



फिर मैने फोन रखा और दुकान पर चला गया ।


मा - अरे बेटा ये क्या लाया
मै - वो एक ग्राहक ने ऑनलाइन समान मगाने को बोला था वही है मम्मी
मा - अच्छा ठिक है तू अब देख मै जाती हू मुझे कल के लिए तैयारी करनी है

मै - हा ठिक है मा आप जाओ


फिर मा निकल गयी चौराहे वाले घर के लिए
मै भी वापस दुकान मे लग गया । मगर मेरा ध्यान बार बार उस बॉक्स पर जा रहा था कि ऐसा क्या मगाया है भाभी ने जो मुझे खोलने नही दिया । यहा तक कि ब्रा पैंटी के लिए नही शर्मायी फिर ये क्यू


फिर मैने एक दो बार बॉक्स को अच्छे से चेक किया कि कही से खोलने का कुछ इन्तेजाम हो ,,मगर वो सील था अच्छे से ।

तभी मेरी नजर बॉक्स के साइड मे चिपके रेसिप्ट पर गयी जिसपर कम्पनी का वेबसाईट , प्रॉडक्ट क्यूआर कोड और कस्टमर का ऐड्रेस लिखा था

मुझे एक आइडिया आया मैने फौरन उस वेबसाइट पर गया और उस प्रॉडक्ट का क्यूआर कोड स्कैन किया

मेरी तो आंखे खुल गयी जब उस प्रॉडक्ट की डीटेल मेरे फोन मे खुली तो ।

मै मन मे - अबे यार ये भाभी तो मेरी सोच से इतनी आगे की है ,मतलब कोई सोच भी नही सकता कि इतनी शर्मीली औरत ऐसे शौक भी रखती है ।
उन्होने किसी ऐडल्ट साइट से एक कम्पलीट बीएसडीएम सेट मंगवाया था । मुझे यकीन ही नही हो रहा था कि काजल भाभी को इस तरह से सेक्स पसन्द है ,,, मेरे दिल की धडकनें तेज हो गयी ।

मेरी आन्खो के सामने काजल भाभी का वो BSDM वाला लूक दिखने लगा और ये भी कि कैसे उनका पति उनको उस चमडे के पटटे मे बान्ध कर उन्की मखमल सी मुलायम गाड़ पर उस पतली स्टिक से चट्ट चट्ट मारकर उन्हे लाल करेगा

मेरा लण्ड तन कर रॉड हो गया और एक अजीब सी खिलखिलाहट मेरे चेहरे पे थी ,,,मै बस हसे ही जा रहा था मगर मुझे उत्तेजना भी मह्सूस हो रही थी ।

मै तय कर लिया कि आगे काजल भाभी से कैसे निपटना है ,,मगर कल सुबह ही मुझे निकलना था मौसी के यहा तो मैने वापस आने के बाद की कुछ कलपना के पलो को सोचा और फिर अपने काम मे लगा गया ।


समय बीता और शाम को साढ़े 7 बजे तक मै दुकान मे रहा ,,फिर काजल भाभी का फोन आया कि शकुन्तला ताओ मेरे घर गयी है मै आ जाऊ ।

मै पहले से ही दुकान बढा कर तैयार था बस शटर गिराया और ताला बंद करके अगले 5 मिंट मे काजल भाभी के यहा पहुच गया ।

मैने उनको समान दिया और बडे गौर से ऊनके चेहरे के भावो को पढने की कोशीष की मगर वो जरा भी विचलित नही दिखी ,,,उन्होने बडी शालीनता से मुझसे सामान ले लिया और मुझे जाने को बोला

मै - बस जाऊ ,,,कोई थैक्श वैक्स नही ,,बस ऐसे ही

काजल हस कर - हा बाबू थैंकयू हिहिही ,,,
मै - अच्छा इसमे है क्या ,,मुझे नही लगत इसमे कपडा है ,,पैकेट भारी लग रहा था

काजल - अरे वो आपके भैया के लिए गिफ्ट है हिहिही ,,,तो वो ही खोलेन्गे इसिलिए मै मना कर रही थी ।

मै मन मे - हा जान रहा हू क्या गिफ्ट है
मै - अच्छा ठिक है मै चलता हू फिर बाय
काजल - हा बाय
फिर मै अपने घर चला गया जहा हाल मे मा और शकुन्तला ताई बैठी हुई थी ।

मै उनको नमस्ते किया
थोडी देर बाद वो चली गयी ।
मै - मा क्या बोला उन्होने
मा - मै कह रही थी कि तेरे पापा किसी को भेज दिया करेंगे खाना लेने दुपहर मे ,,मगर ये बोली कि कोई बात नही वो खुद लाकर दे जायेगी । दोपहर मे दुकान पर और रात मे घर पर ही

मै - चलो फिर तो ठिक है ,,,बस 4 दिन की बात है

मै - और मा बैग पैक हो गये
मा - हा बेटा अभी तक कर रही थी ,,,अब चलू खाना बना लू

मै - चलो मै भी आपकी मदद करू
मा - चल बड़ा आया मदद करने वाला ,क्या कर पायेगा तू

मै - अरे सब्जी काट दूँगा ,,चावल बिन दूँगा हिहिही और बरतन की कर लूंगा

मा मुझे दुलारते हुए - उसकी कोई जरुरत नही ,,जा नहा ले गर्मी बहुत है मै करती हू सारा काम

मै मा को हग करते हुए - आप अकेले करोगे तो थक जाओगे ,,,फिर रात मे कैसे

मा हस कर - ओहो देखो तो बडी रहम आ रही है अपनी मा पर ,,कभी छोडा है तुम बाप बेटो ने मुझे जो आज छोड दोगे

इतने मे पापा हाल मे आते हुए - बिल्कुल बेटा छोडना मत ,,,हक है भाई उस्का

मा - हा हा वही बस आता ही है ,, वो पैसे लेके आये है ना और गाडी वाले को फोन कर दीजिये कल सुबह 8 बजे तक आ जाये

पापा अपनी जेब से एक पैकेट निकाल कर मा को देते हुए - हा मेरी जान ये लो पैसे और गाडी वाले से बात कर ली है मैने वो 8क्या 7बजे ही आ जायेगा

मा - हम्म्म ठिक है चलिये आप भी नहा लिजिए
पापा - तो लिवा चलो कहा नहालाओगी

मा तुनक कर मुह बनाते हुए - हिहिहिही बड़ा अच्छा मजाक था ,,जाईये नहा कर आईये मुझे खाना बनाना है

मै उन की प्यार भरी नोक झोक पर हस रहा था और फिर मै भी नहाने निकल गया ।

थोडी देर बाद हम सब खाना खाकर अपने आखिरी मैदान मे थकने के लिए पहुच गये ।
इधर मै एक राउंड मे सो गया क्योकि मुझे ज्यादा थकना नही था ,,मगर पापा ने मा को 3 राउंड और पेला बस ये बोल बोल कर की अगले 3 4 दिन उन्हे तड़पना पडेगा ।

लेखक की जुबानी

एक ओर जहा चमनपुरा मे आखिरी रात का पुरा मजा लिया जा रहा था ,,,वही जानीपुर मे हवस मे मारे जीजा साले और ननद भौजाई की तडप ढलती शाम के साथ बढती जा रही थी ।

किचन से लेके सबके बेडरूम तक , मसाले से लेके सबके पहनावे तक हर जगह आते ही चाची के विचारो की छाप पडी हुई थी । यहा तक की घर के मर्द जन भी गर्मी मे बनियान मे नही रह सकते थे ।

गरम मसालो और लहसन मिर्च की छौक से रज्जो का तड़तड़ाता किचन आज बहुत शांत था । सबको बिना तड़के की दाल चावल चोखे से काम चलाना पडा ।

खाने के बाद सोने की वयवस्था मे रज्जो को अगुवाई करने पर भी चाची ने उसे टोक दिया और बोला कि मर्दो मे जाने और वहा बात करने की जरुरत नही है ।
रज्जो ने भी अपनी चचेरि सास का सम्मान किया क्योकि खानदान मे वही एक बुजुर्ग महिला थी और उन्हे शादी व्याह बहुत ज्ञान भी था ।

खैर सारी औरते उपर चली गयी । सोनल पल्लवि और चाची को उपर ममता के कमरे मे सुलाया गया ।
वही रज्जो ने ममता को अपने साथ सोने को बोला ।

निचे हाल मे कमलनाथ ने शांत और चुपचाप रहने वाले चाचा जी को अनुज के साथ सुला दिया और खूद राजन के साथ निचे सोनल वाले कमरे मे सोने चला गया ।

राजन -भाईसाहब ये चाची जी तो सच मे बडी सख्त है

कमलनाथ हस कर - अरे भाई ये तो कम है ,,, उनका कहना है कि सिर्फ़ नये शादी शुदा जोड़ो को ही एक कमरे मे सोने चाहिये । घर मे अगर बच्चे बडे हो जाये तो पति पत्नी को अलग अलग ही सोना चाहिये

राजन हस्ता हुआ - भाईसाहब बात तो चाची की एक तर्क पर सही है ,,मगर इस बेकाबू दिल को कौन समझाए हिहिहिही

कमलनाथ - बेकाबू दिल या लण्ड
राजन हस्ता हुआ - आप भी ना भाईसाहब हाहाहा
कमलनाथ की उत्तेजना बढ रही थी कल रात के बाद आज उसे नारी सुख नही मिला था ।

कमलनाथ बेचैन होते हुए - यार राजन बहुत बेताबी सी हो रही है ,,,पता नही चाची किस कमरे मे सोयी होगी । सोयी भी होगी या जाग रही होगी


कमलनाथ की बात सुन कर राजन थोडा चहक कर - भाईसाहब आप भाभी को फोन कर लिजिए ना ,,,

कमलनाथ - हा बात तो सही है , लेकिन वो ममता भी तो है उपर उसे क्या बोलू ,,अच्छा नही लगता ना

राजन ने भी सहमती दिखाई कि हा बात तो सही है क्योकि राजन की नजर मे ममता उसके गेम से बाहर की थी ।

थोडा सोच विचार कर राजन फिर बोला - भाईसाहब उपर चला जाए ,,,, थोडा देखा जायेगा जुगाड बन सेक तो

कमलनाथ - हा लेकिन अगर चाची रज्जो के कमरे मे सोयी हुई तो

राजन कुछ सोच कर - अच्चा तो ऐसा करिये ,,आप भाभी से फोन करके बस इतना पुछ लिजिए कि चाची कहा सोयी है और अगर कमरे मे होगी तो बोल दिजियेगा कि बस ऐसे ही हाल चाल के लिए पुछा था कि कोई दिक्कत नही हो रही है ना सोने मे

राजन की बात सुन कर कमलनाथ की आंखे चमक उठी
कमलनाथ फौरन उठा और रज्जो के मोबाईल पर रिंग बजा दी ।

इधर उपर कमरे मे भी दोनो ननद भौजाई भी बेचैन परेशान लेती हुई आपस मे बाते कर रही थी । कल पूजा के लिए क्या क्या तैयारिया करनी है और कैसे कैसे करना है ।

मगर दिल के एक कोने मे वो मरदाना स्पर्श की चाहत धीरे धीरे उबार ले रही थी ,क्योकि दिन भर खटने के बाद पति के बाहो मे प्यार पाकर सोने का सुकून अलग ही ।

इधर दोनो बातो मे व्यस्त थी कि तभी रज्जो के फोन की घंटी बजी

रज्जो मुस्कुरा कर - ले देख हम ही ये भी परेशान है
ममता मुस्कुरा कर - हिहिहिही भाभी बुला लो ना भैया को
रज्जो की भी आंखे चमक उठी और उसने कुछ सोच कर - पक्का ना

ममता ने भी शर्माते हुए हा मे सर हिला दिया और हसने लगी

रज्जो ने फोन उठाया - हा रमन के पापा बोलिए ,,,क्यू निद नही आ रही है क्या

रज्जो के मुह से रोमैंटिक लहजे मे बात सुन कर कमलनाथ भी गदगद हो गया

कमलनाथ - हा रज्जो तेरे बिना नीद कहा ,,वो कह रहा था कि चाची कहा सोयी है

रज्जो मुस्कुरा कर - क्यू आपको बात करनी है क्या ,वो लोग ममता वाले कमरे मे सोये है ले जाऊ मोबाईल

कमलनाथ की हालत खराब होने लगी - नही न्ही नही ,,,

रज्जो कमलनाथ को परेशान करके खिलखिलाई - फिर
कमलनाथ - अच्छा और कौन है तेरे साथ मे

रज्जो - मै हू ममता है औररर
कमलनाथ जिज्ञासू होकर - और और कौन है

रज्जो हस्ती हुई - और कोई नही बस हम दोनो ही ,,,आप कहा सोये है

कमलनाथ - मै तो राजन के साथ हू सोनल बिटिया वाले कमरे मे

रज्जो - अच्छा फिर मै निचे आती हू अभी ,,आप नंदोई जी भेज देना उपर

कमलनाथ राजन के सामने दिखावा करते हुए कि वो ममता को लेके थोडा सभ्यता बरत रहा है ।

कमलनाथ - क्या रज्जो तू भी ,,,ममता है ना वहा कैसी बाते कर रही है तू ???

रज्जो हसी - ये तो गाना गा रही है कबसे ,,,,मुझे साजन के घर जाना है तो मैने सोचा क्यू ना इसके साजन को यही बुला लू हिहिहिही

रज्जो की बात सुन कर कमलनाथ और राजन एक दुसरे को देख कर अप्रत्याशित रूप से हसे मगर ममता के लिए दोनो ने नैतिकता दिखाई ।

रज्जो - सुनो ना जी ,थोडा नंदोई जी से दुर होके बात करिये

कमलनाथ एक नजर राजन को देखता है तो वो आंखो से इशारा करके इत्मीनान होने को बोलत है । फिर कमलनाथ उठ कर दरवाजे तक जाता है ।

कमलनाथ - हा रज्जो बोलो अब
रज्जो थोडा शरारती भाव - आजयिये ना आप,,, हम दोनो तडप रहे है प्लीज

कमलनाथ का लण्ड रज्जो की कामुकता भरे संवाद से टनं हो गया और उसने फौरन राजन की ओर देखा कि कही उसने सुना तो नही ।

कमलनाथ वापस फुसफुसाते हुए - हा लेकिन यहा राजन है उसे क्या बोलूंगा

रज्जो - तो उनको भी लेके आ जाईये ,,हा नही तो

कमलनाथ की आंखे बडी हो गयी - तू पागल हो गयी है क्या ,,
रज्जो कसमसा कर - मै कुछ नही जानती - आप आओ नही तो मै आ रही हू

कमलनाथ - रज्जो मन मेरा भी है लेकिन ये तो सोच कि राजन क्या सोचेगा कि मै ममता के सामने भी ऐसे ही पेश आ रहा हू

रज्जो - अगर आपको दिक्कत हो रही है तो आप रुको मै आती हू और नंदोई जी को भेज दूंगी ,,ठिक है

कमलनाथ - अब क्या बोलू मै ,,,जैसी तेरी मर्जी लेकिन ध्यान से देख समझ कर

रज्जो खिल्खिलाई - हा ठिक है मेरे राजा उम्म्ंममममाआअह्ह्ह्ह
फिर फोन कट गया

राजन - क्या हुआ भाईसाहब
कमलनाथ - वो रज्जो जिद किये हुए है कि वो आ रही है और तुमको उपर जाने को बोल रही है
राजन - अरे कोई बात नही मै चला जाऊंगा आप लोग मजे करिये हिहिहिही

कमलनाथ - बात वो नही राजन ,,ये ऐसे ममता के सामने रज्जो की जिद नही समझ आती

राजन - भाभी जी आ रही है आप बस मजे करिये हिहिही मै जा रहा हू उपर

ये बोलकर राजन उठा और सीढियो से उपर चला गया
इधर जैसे ही वो उपर की सीढ़ी पर गया तो देखा कि चाची जी रज्जो की क्लास ले रही है ।
राजन बिना उनकी नजर मे आये उल्टे पाव भाग आया ।

कमरे मे राजन को वापस देख कमलनाथ उसे कारण पुछता है ।

कमलनाथ - अरे राजन तू वापस क्यू आ गये
राजन अपना पसीना पोछता हुआ -अरे भाईसाहब वो चाची जी उपर भाभी जी को डाट लगा रही थी और फिर उन्के साथ ही उन्के कमरे मे चली गयी ।


कमलनाथ अपना माथा पिट लिया - यार ये चाची भी ना ,,,, चलो भाई सो जाओ ऐसे ही

राजन को अब अपने हालत पर हसी आई - हिहिहिही लग रहा भाईसाहब चाची को सेक्स से ही परेशानी है

कमलनाथ - पता नही भई लेकिन आज तक ऐसा कोई नही मिला जो इतना प्रतिबंध लगा रहा हो ।खैर छोडो अब देर हो गयी है सो जाते है सुबह ही पूजा पाठ की तैयारियाँ करनी है

इधर ये दोनो भी तडप कर सो जाते है वही उपर रज्जो चाची से इतनी रात मे घुमने के लिए डांट पाकर चुपचाप सो गयी ।


एक नयी सुबह एक नये सिरे से कहानी को आगे ले जाने को तैयार थी क्योकि वहा चमनपुरा मे राज अपनी मा के साथ सुबह 8 बजे ही गाड़ी मे बैठ कर निकल गया था ।

इधर जानिपुर मे भी सुबह से पाखानो मे होड़ लगी थी ,,कारण था निचे एक ही पाखाना था । बडी मुश्किल से सबने बारी बारी से निपटारा किया और वही उपर के फ्लोर पर चाची जी की डांट का डर सब्के मन में बना हुआ था ।
सारा महिला वर्ग सुबह 7 बजे तक नहा धो कर तैयार हो गया था ।
इतना कुछ अच्छा और सही समय पर करके दिखाने पर भी चाची के चेहरे पर कोई खुशी के भाव नही थे ,,, ना जाने कोन सी चिढ़ थी उन्हे हर चीज़ के डाट लगा देती थी ।

खैर थोडी देर बाद सारे लोग हाल मे नास्ते के लिए जमा हुए तो उसपे भी चाची के टोका कि पहले मर्द जनो को देदो ,,,वो नासता करके अपने अपने कामो के लिए निकल जाये फिर घर की औरते करेंगी ।

कमलनाथ ने रज्जो को परेशान देख कर आंखो से उसे इत्मीनान रख्ने को कहा और फिर नासता खतम हुआ ।

राजन और कमलनाथ नासता करके निकल गये पूजा की तैयारियो मे ,,क्योकि ये कोई खास पूजा थी जिसमे दूल्हे का बाप और मा ही उस पूजा की तैयारिया करते है अकेले ।

चाची ने जब कमलनाथ को राजन को ले जाते देखा तो टोकि - अरे जमाई बाबू काहे लिवा जा रहे हो ,,पता है ना इसमे सिर्फ तुम्हारा काम है

कमलनाथ ने बहाना मारा - हा चाची लेकिन थोडा खाना बनाने वाले को बोलना है ,,क्योकि दोपहर तक काफी मेहमान आ जायेंगे ना

कमलनाथ की बात पर चाची ने सहमती दी और वो दोनो सरक लिये ।इधर अनुज भी रमन के साथ दुकान पर निकल लिया क्योकि उसकी भी फट रही थी ।

चाची ने रमन को भी टोका कि दोपहर को समय से दुकान बंद करके पूजा के लिए आ जाना । रमन ने चुपचाप सुना और खसक लिया ।

इधर गर्मी मे सूट सलवार पहन कर काम करने मे सोनल को दिक्कत हो रही थी उपर से पल्लवि भी इतने दिनो मे ढीले कपड़ो की आदी हो गयी थी तो उस्की भी परेशानी कम नही थी ।

घर के किचन से लेके बेडरूम और बाथरूम तक हर जगह चाची जी दबदबा था । किचन मे आज फिर से बिना कोई तड़क भडक का सारा खाना बनाया गया ,, दाल चावल रोटी और करेले की सब्जी ।

इतनी सारी चंचल औरतो के रहने के बावजूद भी घर मे कही भी हसी की किलकारि नही सुनाई दे रही थी । सबको डर होता कही इसके लिए भी चाची ना डाट दे ।
यहा तक कि सोनल कल से ही अमन से बात नही कर पायी थी । उसकी बेचैनी अलग थी । वही हमेशा चहकने वाली पल्लवि भी अपनी नानी के डर मे शांत थी ।

इनसब के बीच करिब 11बजे अपना राज रज्जो के यहा आ पहुचता है । अब यहा से आगे की कहानी राज की जुबानी होगी । हा बिच बिच मे चमनपुरा के हाल चाल के लिए लेखक की वापसी जरुर होती रहेगी ।

जारी रहेगी
बहुत ही शानदार और जानदार अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 

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UPDATE 122

CHODAMPUR SPECIAL UPDATES



पिछले अपडेट मे जैसा कि आपने पढा एक ओर जहा चमनपुरा से राज जानीपुर आ चुका है ,,वही कमलनाथ की चाची ने घर के चप्पे चप्पे पर ऐसी निगरानी रखी है मानो घर मे हर जगह CCTV और MOTION CENSOR लगे हो । उपर से चाची ने घर का प्रशासन इतना कड़ा किया हुआ कि एंटी रोमियो स्क़ुओड वाले भी क्या निगरानी रखते होगे मनचलो पर ।
अब देखते है आगे क्या होता है क्योकि आगे की कहानी अब राज के हिसाब से ही आगे बढेगी और अपने राज के स्वभावो से वाकिफ तो खैर आप सब हो ही ।

अब आगे

राज की जुबानी

सुबह 11 बजे मै रज्जो मौसी के यहा पहुचा । एक अलग ही खुशी थी ,,क्योकि काफी समय बाद कोई शादी मे आने का मौका मिला था और घर से बाहर घुमने का भी ।
मैने गाडी से समान उतारा और मौसी मौसी चिल्लाते हुए अन्दर घुसा ही था कि एक बुढ़ी औरत के तेज कर्कस तानो ने मेरा सारा जोश और उत्साह मिट्टी मे मिला दिया ।

मुझे अन्दर ही अन्दर बहुत दुख हुआ कि आते ही शुरुवात ऐसी हुई है लेकिन जैसा कि घर के संस्कारो से बंधा हुआ था तो मैने कोई रूखा स्वभाव नही दिखाया उन्हे बल्कि झुक कर उन्के दोनो पाव छुते हुए मुस्कुरा कर उन्हे प्रणाम किया ।

मै - नमस्ते दादी ,,मौसी कहा है
वो बुढ़ी औरत का गुस्सा एक पल मे ही मेरे व्यवहार को देख कर पिघल गया और मानो उन्हे अपनी गलती का अह्सास हुआ हो और अपनी वाणी मे निर्मलता लाते हुए - तू कौन है बिटवा

तभी पीछे से मा बोली - काकी ये मेरा बेटा है ,,नमस्ते
फिर मा ने भी उस औरत के पाव छुए
बुढ़ी हस्ती हुई - हा हा खुश रहो ,,काफी घोड़ा हो गवा है हहाहा

इतने मे रज्जो मौसी उपर से निचे आती हुई ।
रज्जो - अरे लल्ला तू आ गया
मै दौड़ कर मौसी के गले लगते हुए - हा मौसी ,पता है आपकी बहुत याद आ रही थी जिहिहिही और मौसा कहा है ,,रमन भैया अनुज और मेरी दीदी हिहिही कहा है सब

घर मे अचानक से मानो कोई बहार आ गयी ,, मेरे चहकपने और खिलखिलाहट से घर के सभी लोग धीरे धीरे निचे हाल मे आने लगे ।

तभी मुझे सीढियो पर से तेजी से किसी के आने की आहट हुई वो सोनल दीदी थी ।
वो आई तो तेज थी मगर जैसे ही उसने उस बुढ़ी औरत को देखा वो शान्त हो गयी

वो चल कर धीरे से मेरे पास आई और बोली - अरे राज तू कब आया
मै तो फुल मस्ती मे उसके हाथ पकड कर - हिहिही बस अभी आया दिदी ,,अनुज कहा है

सोनल दबी आवाज मे मुस्कुराते हुए - वो रमन भैया के साथ दुकान गया है

इधर मा रज्जो मौसी और वही खड़ी एक और औरत से मिलने लगी ।

तभी मेरी नजर एक गजब सी खुबसूरत और भरे जिस्मो वाली एक लडकी पर गयी ,,जो नजरे घुमा फिरा कर मुझे ही घुरे जा रही थी ।
उसके सीने का उभार उस गुलाबी सूट मे कसा हुआ था और उसके फैले हुए कुल्हे ऐसे ब्या कर रहे थे कि मानो कितने सिद्दत से उन पर मेहनत की गयी थी ।

जैसी ही मेरी नजर उस्स्से टकराई वो मुस्कुरा कर मुह फेर ली
मै धीमे से सोनल के कान मे उस लड़की की ओर इशारा करते हुए - दिदी ये कौन है जो लाईन मार रही है मुझे हिहिहिही

सोनल मेरे हाथ पर पट्ट से मारते हुए धीमी आवाज मे बोली -पागल कही का ,,ये वही है बताया था ना कि चोदमपूर गाव से रमन भैया के बुआ फूफा आये है ।
मै चोदमपूर शब्द सुन कर मुह मे हसा - अच्छा

सोनल - हा ये उनकी बेटी है पल्लवि ,और वो ममता बुआ है
सोनल ने मा से बात करती हूई एक गोरी सी औरत को दिखाया

मै तब जाकर उस औरत के कूल्हो पर नजर मारी और मन ही मन सोचा -साला जैसी मा वैसी ही बेटी भी है हिहिही

फिर मै वहा से चल के उस औरत के पास गया और उसके पाव छुते हुए - नमस्ते बुआ जी

ममता - अर्रे खुश रहो बेटा,,,, रागिनी भाभी आपका बेटा तो बहुत होनहार है

मा हस्ते हुए - हा सो तो है ,,अरे दीदी ये जीजा जी नही दिख रहे

रज्जो - तुझे बडी पडी है अपने जीजा जी से मिलने की
ममता - अरे मिलने दो ना भाभी ,, ना जाने कब से ये जीजा साली तरस रहे होगे मिलने को हिहिही

रज्जो ने तुरंत ममता का हाथ पकड़ते हुए उस औरत की ओर इशारा किया जो सोफे पर बैठी पंखे की हवा मे झपकी ले रही थी ।

रज्जो - पागल है क्या ममता ,,देख नही रही चाची है

ममता खिखियायि तो मै रज्जो मौसी से पुछ पडा आखिर ये है कौन

रज्जो धीमी आवाज ने - बेटा वो ये तेरे मौसा की सगी चाची है ,,गाव मे रहती है शादी के लिए आयी है ।तू थोडा देख समझ कर रहना क्योकि बहुत डांट लगाती है ।


इधर मानो वो चाची जी ने रज्जो की आवाज सुघ लिया हो
चाची जी - अरे खडे खडे अब पंचायत ही करनी है या मेहमानो को पानी भी पुछोगे
चाची के तंज पर घर की सभी महिलाए एक चुप हो गयी ।
फिर रज्जो मौसी ने हमारे कुछ समान लिये और फिर मै भी एक भारी बैग लेके उपर सीढियो से जाने लगा ।

मेरे पीछे मा , मौसी और वो ममता बुआ थी ।
सोनल दिदी उस पल्लवि के साथ किचन मे हमारे लिए पानी लेने चली गयी ।

हम सब मौसी के कमरे मे थे ।

मै ह्सते हुए - अरे मौसी ये दादी जी बहुत कड़क है जैसे अदरक हिहिहिही

रज्जो हस्ते हुए - तुम भी ना लल्ला , अरे कड़क पुछ रहा था अभी जबतक तू नही आया था , लग ही नही रहा था कि घर मे चार लोग है

मै चहक कर - अरे मौसी आप चिंता ना करो हिहिहिही

इतने मे मा मुझे डाटते हुए - क्या तू है तो ,,,अब झगड़ा करेगा काकी से

मै - अरे नही मा , शादी का घर है इतनी शान्ति अच्छी नही कुछ गाना बजाना होना चाहिए ना

इतने मे सोनल और पल्लवि कमरे मे आते है पानी का ट्रे लेके

सोनल - हा भाई सही कह रहा है ,,कल से हम लोगो इतनी घुटन हो रहि है ,लग रहा है अभी से ससुराल मे आ गये है हिहिहिही

तभी मेरी नजर मौसी के कमरे मे उनकी टीवी पास रखे हुए म्यूज़िक सिस्टम पर गयी

मै - अरे ये देखो ,,,बाजा है फिर भी नही बजा रहे हो आप लोग

मौसी - अरे बेटा तुझे लगता है चाची बजाने देंगी

मै कुछ सोच कर - अरे आप टेन्सन ना लो मै कुछ जुगाड़ कर लूंगा

मा - हा लेकिन ध्यान से ,,बहुत उतावला होने की जरुरत नही
ममता - हा बेटा रागिनी भाभी सही कह रही है,,,चाची सच ऐसी ही है कुछ उल्टा सीधा बोल देन्गी तो तेरा मन खराब हो जायेगा

मै उनको निश्चिँत करता हुआ - अरे बुआ परेशान क्यू हो रही हो,,बडी है अगर कुछ बोल देन्गी तो सुन लूंगा हिहिही

ममता मेरी बात पर हसते हुए - क्या खाकर पैदा किया था भाभी इसे हिहिही बड़ा जिद्दी है

मा मुझे दुलारते हुए - धत्त जिद्दी नही है ,,,बहुत समझदार हैं

इनसब के बीच मेरी नजर पल्लवि से कभी कभी टकराती रही ।

मै - तो मौसी मै तो यही रहूंगा इसी कमरे मे आपके साथ

मेरी बात पर सब हस पडे और ममता बोली - आजकल तेरे मौसा ही नही सो पा रहे तो तू कैसे हिहिहिही

फिर मैने कारण पुछा तो रज्जो मौसी ने सारा कुछ बताया और फिर मेरे लिये रमन भैया के साथ फिक्स कर दिया गया ।

मैने जब चाची के विचारो को जाना तो तय किया कि इनको भी इनके ही तरीके से ऐसा उलझाउँगा कि सब कुछ मेरे हिसाब से ही होगा फिर

मै उठा और फिर निचे चला गया और चाची जी के बगल मे बैठ गया

मै मुस्कुरा कर - और दादी आप अकेले आयी है या गाव से और भी कोई आया है ।

चाची जी मेरे सवाल से खुश हुई और बोली - हा बिटवा वो कमल (मौसा) के चाचा भी आये है

मै थोडा जिज्ञासू होकर - अच्छा दादी गाव मे शादिया कैसे होती है ,,,मतलब यहा देखो ना कोई गाना बजाना नही , कोई चहल पहल नही

मानो मैने चाची जी के दुखती रग पर हाथ रख दिया वो भड़के हुए स्वर मे ,- अरे जाये दो बिटवा ये शहर की रहन वालीयो को कहा गीत सोहर आता है ,,, अरे कम से भक्ति भजन तो कर ही सकत है सब लोग बैठ के


मैने बडी बारीकी से चाची जी के विचारो को सुना और समझा तो पाया कि वो भी कुछ उम्मीद और लालसा लिये आयी है इस शादी मे ।
मैने सोचा क्यू ना कुछ इनके मिजाज का ही करवाया जाये ।
इधर थोडी देर मे मौसा और उन्के साथ एक आदमी घर आये ।मै जान गया कि वो चोदमपूर से आये पल्लवि के पापा ही होगे क्योकि और किसी मर्द की चर्चा हुई नही थी अब तक

मै उठ कर मौसा जी के पाव छुए और फिर पल्लवि के पापा राजन के पाव छुए

राजन - अरे बेटा खुश रहो खुश रहो ,,,तू मुझे कैसे जान्ते हो

मै हस कर - वो अभी मौसी ने बताया था थोडी देर पहले
कमलनाथ - और राज बेटा घर का क्या हाल है और रंगीलाल भाई क्यू नही आये

मै - दरअसल मौसा जी वो इन दिनो चोरी की बहुत दिक्कत हो रही है और फिर दो दो दुकाने है , फिर चौराहे वाला नया घर भी

कमलनाथ - अच्छा अच्छा कोई बात नही ,,,और कुछ चाय नासता हुआ

मै मौसा जी को लेके एक तरफ गया
मै - जी मौसा ,, वो पूछना था कि अच्छा पूजा कबसे है

कमलनाथ - बस 3 बजे से है बेटा क्यू
मै - अच्छा आस पास के लोगो को जना दिया गया है ना
मौसा जी मेरी फ़िकरमंदी पर खुश होते हुए -अरे बेटा तू चिंता ना कर अभी ठाकुरायिन आती होगी । फिर तेरी मौसी जहा जहा कहेगी वो बता आयेगी

मै कुछ सोचा - जी ठिक है फिर
फिर बाकी लोग भी अपने अपने कामो मे लग गये ।

करीब 1 बजे वो ठकुरायिन मौसी से मिलने आयी और मै उसी का इन्तजार कर रहा था ।

जैसे ही मौसी ने उसे सब बताया तो
मै - मौसी मै भी इनके जाता हू ,,घर का कोई रहेगा तो ठिक रहेगा

मौसी मुस्कुराई और बोली - अच्छा ठिक है भई जा और जल्दी आना
फिर मै और ठकुरायिन करीब आस पास के 15 20 घरो मे गये । वहा मैने खुद से अगुआई करते हुए घर की सभी बुजुर्ग महिलाओ को आने का निवेदन किया ।

सबके आने के बाद मै किचन मे मौसी के पास गया
मै - हा मौसी वो मैने सबको पूजा के लिए बोल दिया है और आप जरा दो तीन बडी वाली चटाई निकाल देन्गी यहा निचे के हाल मे बिछाना है

मौसी मुस्कुरा कर - अरे परेशान ना हो लल्ला ,,,पूजा उपर ही होगी तो वहा व्यव्स्था कर दी गयी है ।

मै - अच्छा फिर थोडा 10 लोगो के लिए और चाय पानी व्यवस्था हो जायेगी क्या

मौसी - अरे उसकी दिक्कत नही है,,तू बिल्कुल परेशान ना हो सब 10क्या 50 लोगो की व्यवस्था है हिहिही

त्ब तक किचन मे पीछे से अनुज की आवाज आई - तो मौसी मुझे भी दो एक दो गुलाब जामुन

मै अनुज की आवाज सुन कर खुशी से पल्टा - अरे अनुज मेरे भाई हिहिहिही

अनुज मेरे पास आया और मैने उसे गले लगा लिया - अबे कहा था तू
अनुज - वो मै और रमन भैया दुकान पर थे ,,,आप कब आये

मै - बस थोडी देर पहले
फिर मै रमन भैया से मिला और भाभी मिलने की खुशी मे उनको छेडा भी ।

फिर मै उनके साथ कमरे मे गया और उनसे शादी की तैयारियाँ को लेके कुछ जरुरी बाते की ।

थोडी देर मे काफी सारी औरते आ गयी । पूजा मे अभी 1 घन्टा था तो मौसी को समझ नही आ रहा था कि सब लोग पहले क्यू आ गयी ।

पहले तो मौसी ने ममता और मा को उन औरतो की आवभगत का जिम्मा दे दिया और फिर रमन भैया के कमरे मे मुझे खोजती हुई आगयी ।


रज्जो - अरे लल्ला,,तुने कितने बजे बोला था सबको आने को ,,पूजा 3 बजे से है ना

मै हस कर- हा मौसी मैने ही इन्हे बुलाया है पहले आये ।
रज्जो - अरे बेटा क्या करेंगी ये सब अभी से

मै हस कर - अरे अभी देखो तो हिहिही
रज्जो परेशान होकर - पता नही क्या करने की सोच रहा है तू

इधर उपर मा और ममता बुआ ने मिलकर सबको बिठाया और पानी पिलाया

इनसब से बेखबर चाची जी रज्जो मौसी के कमरे मे कुलर की हवा मे सो रही थी ।

थोडी देर बाद रमन भैया के साथ कुछ प्लान किया और फिर उपर छत पर चला गया ।

उपर जाने के बाद मैने एक दो बुजुर्ग महिलाओ से आग्रह किया और बोला कि जिसके लिए वो आयी है वो शुरु करे ।

किसी को समझ नही आ रहा था कि मेरी योजना क्या है

इधर निचे हाल मे मौसा , मौसी, राजन , रमन अनुज थे और किचन मे सोनल और पल्लवि पूजा की तैयारियो मे लगी थी ।

उपर सिर्फ मा ममता और मै थे ।
मै मा से - मा दादी कहा है
मा - वो सोयी है क्या हुआ
मै चहक कर - अरे ऊनको जगाओ ना

मा आंखे बडी करके - तू पागल है मै नही जगाने वाली
इधर मा की बाते पूरी होती उस्से पहले वो सारी औरते एक सुर मे देवीगीत का गान करने लगी ।

मै हस कर - रुको मै ही जगा देता हू

मा मुझे रोकना चाही मगर कि ये सब क्यू करवा रहा हू ,,वैसे ही शोर शराबे से गुस्सा आता है चाची जी को

मै नही रुका और कमरे ने गया और ब्डे प्यार से उनको हिला के उठाया

चाची जी - अरे क्या हुआ बिटवा ,,पंडित जी आ गये का

मै हस कर - अरे दादी चलो तो आप ,,,, आपकी सहेली लोग आयी है

तभी चाची जी के कानो मे देवीगीत के बोल सुनाई दिये और वो हसते हुए बोली - धत्त नटखट कही का

मै हस कर उन्हे उठाते हुए - अब चलो नही तो भाग जायेगी आपकी सहेली लोग हिहिही

वो चाची मुस्कुराई एक खुशी सी थी उनकी आंखो मे और चेहरा पुरा खिला हुआ था ।
एक जोश के साथ मुस्कुराती हू बाहर आयी और पहले हाथ जोड कर मन मे कुछ बुदबुदाइ और फिर वही चटाई पर बैठ गयी ।

इधर मा और ममता बुआ भौछक्के रह गये कि इसका ख्याल उन्हे क्यू नही आया ।

मै मा को हस कर देखा तो मुस्कुरा रही थी और जैसे मुझे शाबाशी दे रही हो ।

वही निचे भी हालत खराब ही थी ,,, मौसा मौसी , राजन रमन भैया ,अनुज सब के सब चुप हो गये थे ।
उन्हे यही लग रहा है कि अब चाची का भडका हुआ स्वरूप ही देखने को मिलेगा ,,अच्छा खासा शादी का माहौल करकच का घर हो जायेगा

क्योकि सबको यही लग रहा था कि चाची जी को शोर शराबा और लोगो का जमावड़ा पसंद नही था
तभी पहला देवीगीत खतम हुआ और एक चुप्पी सी छा गयी । थोडी खुसरफुसर हो रही थी कि तभी चाची जी ने एक देवीगीत के बोल का उच्चारण किया और बाकी की औरते उनको दुहराणे लगी ।


निचे सबके कान खडे हो गये कि ये तो चाची जी की आवाज है और सबके चेहरे पर एक अनपेक्षित खुशी छाने लगी।

मौसी दौड़ते हुए उपर आयी और चाची को गाते हुए देखा ।

मै उन्के पास गया और हस बोला - लो मौसी फसा दिया इनको अब ये किसी को नही कुछ बोलने वाली

रज्जो हसकर - हिहिही बदमाश कही का ,ये था तेरा आइडिया हम्म्म

मै - क्यू सही है ना हिहिही अभी और भी आइडिया है

रज्जो - हा बहुत अच्छा किया ,,पहली बार चाची को खुश देखा इतना ,, नही तो इनकी नाक चढ़ी ही रहती थी हिहिही

मै - चलो इनको बिजी रहने दो , आप और मौसा जी तैयार हो लो।

मौसी ने प्यार से मेरे गालो को छुआ और अपने कमरे मे जाते हुए बोली - ठिक है ,,जरा निचे से अपने मौसा को भेज दे

मै - जी ठिक है
फिर मै निचे चला गया ।
इधर रमन भैया ने सबको मेरे योजना के बारे पहले से ही बता दिया था ती सबने मेरी तारिफ खासकर मौसा जी तो भावुक ही उठे ।

कमलनाथ - बेटा, हमारे खानदान मे मा के तौर पर एक चाची ही थी ,,उसका ऐसे नाराज होना खटक रहा था ,मगर तुने सब ठिक कर दिया

मै हस कर- अरे मौसा जी आप भी ना ,, जाओ मौसी बुला रही है हिहिही

फिर मौसा उपर चले गये और मै रमन अनुज ने रात मे घर को जगमग करने की कुछ प्लानिंग की ।

शाम को बडे अच्छे से पूजा संपन्न हुई और चाची जी सभी औरतो को फिर हल्दी वाले दिन आने को कहा।
हम सब हाल मे साथ मे बैठे हुए थे ,,
मौसी और मा सबको विदा करके हाल मे आती है तो चाची जी उठ के अपने पल्लू से एक गाठ खोलती है और मा के हाथो ने 21 रुपया देती है ।

मा हस कर- अरे काकी ये किस लिये
चाची मा के सर पर हाथ रख कर बोल्ती है -रख ले बहू ,,,तेरे लाड़ले का सगुन है

मा हस कर- हा तो आप इसे राज को दीजिये ना
चाची मुस्कुरा कर- अरे तुम शहर वालियो को कुछ पता भी है ,,जब तक लड़के का शादी न हो जाये तब तक उसके हक सगुन उसकी अम्मा को ही दिया जात है ।

मुझे ये नयी बात जानाने को मिली तो जिज्ञासा वश होकर - अच्छा दादी फिर शादी के बाद

चाची हस के - शादी के बाद लडके की दुल्हीन को

चाची की बात पर सब खिलखिला कर हस पडे ।
मै भी मजाक भरे लहजे मे - मतलब हम लोगो को ठेंगा हिहिहिही

चाची हस कर - अच्छा अब मुह ना बनाओ ये लेओ

मैने भी हाथ बढ़ाया तो उन्होने एक खट्टी मीठी कैंडी थमा दी
जिसे देख के सबने मेरा मजा ले लिया ।

मै भी जबरदस्ती खुद को हसा ही दिया क्योकि माहौल ही हसनुमा था ।

चाची थोडा खुद को स्थिर करते हुए - अब जो हीहीथिथी कर लिये हो तो रात वाला खाना तनिक सवेरे बना लो ,,, आधा रात मे खाना नाही खाया जात है

चाची के तानो से सबकी हवा एक बार फिर से टाइट हुई और धीरे धीरे फुसफुसाते हुए सब लोग निकल लिये ।

इधर मै रमन भैया और अनुज भी बाजार के लिए निकल गये । क्योकि हमे काफी सारे सजावट के समान लेने थे ।
बाजार से हमने काफी सारे रंगीन बलब झालर लाईटस लिये और कुछ चमकीले सजावटी समान भी । फिर वापस आकर 6 बजे से 9 बजे रात कर हम तीनो ने मिल कर पुरा घर सजा दिया ।

पुरा घर रौशनि और रौनक से भर गया और फिर सबने खाना खाया और सोने की योजना हुई ।

तो मुझे पता चला कि सच मे चाची जी इस बात को लेके बहुत सख्त है । उन्होने सारी औरतो को उपर ही सुलाया और हम मरदो को निचे ही सोना पडा ।

रात मे सोने से पहले मा ने मुझे पापा से बात करवाने को बोला ,,,तो वो भी अकेले बेचैन परेशान थे और खाना खा कर सोये थे ।


मै भी बहुत थका था और रमन भैया के कमरे मे सोना था तो उनके बिस्तर पर सो गया ।

सुबह 5 बजे तड़के ही घर मे चहल पहल शुरु हो गयी थी ।
मै उठ कर बाहर आया तो पता चला कि निचे सिर्फ़ एक ही पाखाना है , जिससे सबको समस्या हो रही थी ।

लेकिन अब उसके लिए क्या ही कर सकते थे ।
जैसे तैसे पेट दबा कर और पिछवाडा टाइट रखके सबने निबटारा किया ।

बारी बारी से सारे लोग नहा लिये । मैने भी कपडे बदले और एक टीशर्ट और फुल लोवर पहन लिया,,जैसा कि मौसी ने रात मे समझाया था ।

थोडी देर बाद नास्ते के लिए सब हाल मे बैठे ,,लगभग सब कोई मोबाईल मे व्यस्त था ।
तभी धीरे धीरे एक एक करके घर की पूरी महिला मंडली नहा धो कर निचे आई।

तब जाकर मेरे मन मे वापस से सो चुकी वासना ने एक उबाल लिया ,,क्योकि मै खुद रमन भैया की शादी की तैयारियो मे व्यस्त हो गया था कि इसपे कभी ध्यान नही दे पाया और रात मे रमन भैया से बात करने मे ही सो गया था ।हालाँकि मैने उनके और मौसी के बिच के रिश्तो पर कोई बात नही की , क्योकि मुझे अनुमान था कि शायद मौसी को लेके रमन भैया को उतनी जान्कारि नही है जितनी मुझे है ।


उधर जैसे ही मेरी नजर तीन मोटे हिल्कोरे भरे कूल्हो पर गयी ,,,लण्ड एक बार मे ही टनं हो गया ।
मा मौसी और ममता बुआ ओह्ह्ह ये तीनो कम थी कि सोनल दीदी भी पटियाला सूट मे निचे आयी और उनके पीछे पल्लवि अह्ह्ह यरर कयामत उफ्फ़फ्फ उसके चुचो का उभार तो सोनल दीदी से ज्यादा भरा हुआ लग रहा था और चूड़ीदार सूट सलवार मे बाहर की निकले हुए कूल्हो का उभार

मैने जब पल्लवी पर नजर मारी तो उसने मुझे नही बलकी उसकी नजरे कही और थी । उसकी नजरो का पीछा किया तो देखा अनुज ,,,मेरा अनुज

मै मन मे - अबे साला गजब ,,, लौंडा बड़ा हो गया है ,हिहिहही ,,, देखना है कि बात बस इशारो तक ही है या आगे भी बढ़ी है कुछ

इधर हाल मे बाते शुरु हो गयी और मौसा जी ने बताया कि नाना , गीता बबिता और मामी आ रही है आज ही शाम तक । मुझे खुशी तो हुई लेकिन फिर ये सोच कर मन उदास भी हो गया कि किसी के साथ कोई मजा नही हो पायेगा ।
फिर घर भी तो छोटा है ।

फिर मैने सोचा क्यू ना घर मे भिड़ बढने से पहले ही कुछ जुगाड लगाया जाये । इस माहौल मे अगर कोई राजी हो सकता है तो वो सिर्फ रज्जो मौसी ही है । उन्ही के साथ कोई न कोई जुगाड फिट करता हू ।
थोडी देर बाद सब जेन्स लोगो के लिए नास्ता लगवाया गया ।
इधर नास्तो का दौर जारी था मगर एक ओर जहा मेरी नजरे पल्लवि और अनुज के आंखो के इशारेबाजी पर लगी थी ।
वही दुसरी ओर किचन मे खड़ी मौसी पर थी ,,मुझे उसने बात करनी थी ।

धीरे धीरे सारे लोग अपने अपने कामों में व्यस्त हो गये ।
अनुज रमन भैया जे साथ उनके दुकान चला गया ।
मौसा और राजन फूफा बगल के घर मे कोई काम से गये थे ,,शायद वहा कुछ खाना ब्नाने का और मिठाइया बनवाने का इन्तेजाम करवाना था ।

मै धीरे से रमन भैया के कमरे में चला गया और चाची जी के नासता करके जाने का इन्तजार किया ।

इधर धीरे धीरे करके सारे लोग उपर चले गये । किचन मे मा और मौसी दिखी

मै खुश होकर किचन मे गया

मै मौसी के कन्धे पर हाथ रखते हुए - ये क्या मौसी आपके रहते कोई मस्ती नही कर पा रहा हू मै

मा हस्ते हुए एक नजर हाल मे देखी कि कोई है तो नही और फिर मुझे हल्का मेरे पिछवाड़े पर चपट लगाते हुए - पागल है क्या तू ,,देख नही रहा क्या हालत यहा कि

रज्जो उखड़कर - हा बेटा,,मै तो खुद 2 दिन से परेशान हू ,,चाची जी वजह से घर की हालत देख ही रहा है ना

मै चहक कर - अरे तो रमन भैया के पास दुकान पर चली जाती हिहिहिही कोई बहाना करके हीही

रज्जो ह्स्ते हुए - बदमाश कही का , जबसे तेरे मौसा आये है उसके बाद से रमन और मै दुर दुर ही है समझा

मै - मतलब रमन भैया इतने संतोषी आदमी है
रज्जो तुनकते हुए - संतोषी क्या इसमे ,,जल्द ही उसे अपनी जवाँ बीवी मिलने वाली है तो उसको अपनी बूढ़ी मा की क्या जरुरत

मै मौसी को टोकता हुआ - खबरदार जो मेरी सेक्सी जानू की बुढ़ी बोला तो

मा और मौसी मेरी बात पर हसने लगी

मै थोडा जिद करते हुए - मौसी प्लीज कुछ करो ना ,, बहुत मन है

मेरे इतना बोलने की देरी थी कि चाची जी आवाज आई सीढ़ीओ से जो मौसी को ही बुला रही थी

रज्जो - देखा बेटा, तू समझ और थोडा

मा - हा बेटा यहा उचित जगह नही है और तू जिद ना कर ,,,

इधर इनकी बात खतम होती उससे पहले ही चाची जी किचन के दरवाजे पर आ गयी

चाची - अरे तुम लोगो को कुछ सुनाई देता है या नाही ,,,कबसे चिल्ला रही हू

रज्जो - हा चाची कहिये ,,वो हम लोग समान निकाल रहे थे ।

चाची - जरा एक ग्लास पानी देओ दुल्हीन ,
फिर मौसी ने लपक कर पानी उन्हे दिया

तभी चाची की नजर मुझपे गयी और बोली - अरे बिटवा तुमहू यहा हो ,,आओ जरा तुमसे कुछ काम है

मै चौका ,,मतलब मुझ्से क्या काम होगा इस बुढ़ी को

खैर मैने उनका सम्मान करते हुए उन्के साथ उपर हाल मे गया । फिर जब मैने उनसे बात की तो मुझे बहुत हसी भी आई और थोडा उनके भावनाओ के लिए आदर और बढ गया ।
मगर मैने भी उन्से हसी हसी मे एक शर्त रख दी जिसे उन्होने हसी खुशी कुबुल किया ।

फिर मै रज्जो मौसी को बोल कर निकल गया रमन भैया के पास

लेखक की जुबानी

एक ओर जहा राज अपनी तैयारियो मे व्यस्त था वही चमनपुरा मे रन्गिलाल अपनी दुकान पर बैठा बेचैन हुआ जा रहा था ।

कारण था पिछले 36 घन्टे से चुत का सुख नही मिल पाना ।
ऐसा नही था कि रागिनी के जाने के बाद उसने रात बिताने के लिए इन्तेजाम करने का नही सोचा था ,,,मगर चाहे विमला हो या रंजू ताई सबने मना कर दिया । सब शादियो के सीजन मे व्यस्त ही थे ।

दोपहर का वक़्त हो चला था और दुकानो के ग्राहको के रूप मे आती औरतो के चुचे निहारकर आहे भरने के सिवा कुछ नही कर सकता था । ऐसे बेचैनी के आलम में उसे राहत भरी दो बडी बडी चुचिया हिलती नजर आई और जब चेहरे पे ध्यान दिया तो देखा शकुन्तला खाने का झोला लिये रंगीलाल की दुकान की ओर बढ़ी हुई आ रही थी ।

रंगीलाल की आंखे चमक उठी और दिल बागबाग हो गया ।
उसने तय किया कि अब एक मात्र सहारा यही है ,,इसे ही निचे लाने का प्रयास करता हू ।

रन्गिलाल उठ कर शकुन्तला के स्वागत मे खड़ा हुआ - अरे भाभी जी आप यहा , अरे फोन कर देती मै किसी को भेज देता टिफ़िन लेने

फिर रंगीलाल उसको अन्दर रेस्टरूम मे आने को बोलता हुआ - आईए आईये अन्दर चलते है ,,,आप भी ना इतनी गर्मी मे
शकुन्तला हस्ते हुए -अरे नही देवर जी ,,घर पर खाली ही थी तो सोचा थोडा टहल लू इसी बहाने वजन कम हो जायेगा हिहिही

रंगीलाल गलियारे मे रुक कर शकुन्तला की ओर घूम कर - क्या बात कर रही है भाभी आप भी ,,, आप तो पहले से ही चुस्त दुरुस्त है फिर आपको क्या जरुरत

शकुन्तला अपनी तारिफ सुन कर थोडा शर्मायी और हस्ते हुए - अरे अब आपको क्या पता मेरे कपडे इस उम्र मे भी छोटे हो रहे है हिहिही

अब तक दोनो रेस्टरूम मे आ चुके थे और रंगीलाल हस कर शकुन्तला को इशारो मे कुछ याद दिलाता हुआ - क्या भाभी मुझे पता है कि कौन से कपडे छोटे हुए थे आपके ,,,आप मेरा मजा ले रही है ना

रन्गिलाल की बात सुन कर शकुन्तला शर्म से झेप सी जाती है और उसे वो शाम याद आती है जब रन्गिलाल ने उसकी पैंटी का लेबल खोजा था ।

शकुन्तला हस कर - धत्त देवर जी आप भी ना , क्या क्या बात लेके शुरु हो गये आप हिहिहिही

रंगीलाल हस कर - मुझे लगा आप ही मुझसे मजाक कर रही थी ,,,,नही तो मेरे हिसाब से आप बहुत फिट और मस्त है

अब तक हसी मजाक के माहौल से शकुन्तला को भी मजा आ रहा था तो उसे लगा रंगीलाल ने कुछ दोहरे मतलब से वो शब्द बोला इसिलिए वो उन्हे दुहराती हुई सवाल कर देती है ।

शकुन्तला - आपके हिसाब से मतलब ???

रंगीलाल हस कर - मतलब मुझे तो लगता है आप बहुत फिट है और सारा काम भागा दौडी कर सकती है तो आपको वजन कम करने की जरुरत नही लगती

शकुन्त्ला मुस्कुरा कर - अच्चा सच मे यही मतलब था या

रंगीलाल - अब और क्या मतलब हो सकता है जो आप सोच रही है ,,,,बताईये

शकुन्तला की हालत अब खराब होने लगी क्योकि रन्गिलाल ने उसे उस्के ही सवालो मे फास दिया ,,,इसिलिए वो जवाब देने के बजाय हस उस बात को टाल दी ।

फिर रंगीलाल ने खाना खाया

रंगीलाल - सच मे भाभी आपके हाथो मे जादू है ,,खाना बहुत ही अच्छा था

शकुन्तला हस कर - फिर तो ये बात मुझे मेरी बहू से कहनी पड़ेगी ,,आखिर खाना उसी ने तो ब्नाया था

रंगीलाल हस कर - जो भी हो लेकिन खाने मे स्वाद आपके हाथ में आने ही बढ गया

शकुन्त्ला समझ गयी कि रंगिलाल उसे लपेट रहा है इसिलिए वो मूद्दे की बात पर आई - अब मक्खन लगाना छोडिए और ये बताईए कि रात के खाने मे क्या बनवाउ

रंगीलाल - अब जो भी लाईये ,,लेकिन मुझे तो आपके हाथ का बना खाना खाने की इच्छा है

शकुन्तला अब तो धर्मसंकट मे पड गयी क्योकि घर पर काजल उसे खाना बनाने नही देती और रन्गिलाल उसके हाथ का ही बना खाना खाएगा

तो मजबुरन माफी मागते हुए शकुन्तला ने अपनी परिस्थिती को रंगीलाल के सामने रखा

रंगीलाल - अरे ऐसी बात है तो आज रात मे आप मेरे घर ही खाना बना दीजिये हिहिहिही

शकुन्त्ला तो विस्मय व्यक्त करते हुए - हा वो तो ठिक है लेकिन क्या ये उचित होगा ,,मतलब आपके घर पर अकेले है इस समय और आप तो जानते ही है मेरे बारे आस पास के लोगो का बाते होती है ।


शकुन्तला की बात सुन कर रंगीलाल ने थोडा विचार किया और बोला - देखीये भाभी जी मुझे नही पता लोग आपको लेके क्या विचार रख रहे है और क्यू??? लेकिन आप मेरे घर आये तो ना मुझे या मेरे परिवार मे किसी को कोई आपत्ति होगी ,, अगर आपको अनुचित लग रहा हो तो मै रागिनी से बोल दूंगा

शकुन्त्ला रन्गिलाल की बाते सुन कर थोडी शांत होती हूइ - अरे नही नही उसकी जरुरत नही है ,,मै आ जाऊंगी

फिर शकुनत्ला अपना झोला लेके घर निकल गयी लेकिन रंगीलाल के दिमाग मे एक सवाल छोड गयी कि इन दिनो शकुन्तला को लेके क्या बाते चल रही है उस मुहल्ले मे और क्यू ? फिर रागिनी ने भी कुछ नही बताया ,,आखिर क्या बात होगी ?

जारी रहेगी
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 

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UPDATE 123

CHODAM PUR SPECIAL UPDATES

पिछले अपडेट मे आपने पढ़ा जहा एक ओर चाची के आतंक बचाने मे राज एक मसीहा बन कर उभर गया रज्जो के घर मे ,,,वही उसने सबको अह्सास दिलाया कि चाची के सख्त रवैये से वो गलत नही है बल्कि उनकी भी कुछ इच्छाएं और भावनाये है और वो पूरी हो रही है तो वो घर के माहौल मे कोई भी हस्तक्षेप नही करेंगी । उधर चमनपुरा मे भी राज के पापा रंगीलाल की बढती हवस ने एक नया शिकार शकुन्तला के रूप मे खोज लिया है और आज रात वो खाना बनाने उसके घर आने वाली है तो देखते है रंगीलाल क्या क्या पासा फेकता है रज्जो के लिए, मगर उस्से पहले राज की तैयारियो पर भी एक नजर मार लेते है आखिर वो और चाची किस योजना को लेके उत्सुक है और क्या धमाल होने वाला है ।

अब आगे

राज की जुबानी

दोपहर तक मैने चाची का बताया हुआ योजना स्वरूप सभी चीज़ो का इन्तेजाम कर लिया और फिर शाम को 5 बजे के करीब नाना की फुल फैमिली यहा आ गयी ।
घर मे फिर से चहल पहल सी छा गयी और सारे लोग एकजुट होकर सबसे मिलने लगे ।

सबने बारी बारी से नाना के पाव छुए और फिर नाना जी भी अपनी समधन से मिले ।
इधर गीता बबिता आते ही मेरे रूम के बारे मे पुछने लगी इस दौरान मै देखा कि पल्लवि बडे गौर से गीता बबिता की मेरे प्रति उत्सुकता को निहार रही थी । मानो उसने सूंघ लिया कि मेरे गीता बबिता से क्या संबन्ध हो ।इसिलिए मैने थोडा सख्ती दिखाई और गीता बबिता को सम्झाया कि यहा सबके इन्तेजाम अलग अलग है और मौसी ही ब्तायेगी कि उन्हे कहा रहना है ।

फिर मै अपनी सेक्सी और चंचल मामी से मिला ।
उन्की वो कातिल मुस्कान आह्ह सारे मनमोहक यादे एक पल मे ही ताजा हो गयी और लण्ड टनटना गया ।

उन्होने भी बखूबी समझा और धीरे से फुसफुसा कर बाद मे मिलने को बोला । पहले तो मै बहुत खुश हुआ मगर जब चाची जी का ख्याल आया सारा नशा पानी हो गया क्योकि मामी को तो यहा के हालात पता ही नही थे ।

थोडी देर बाद सारी महिलाए उपर चली गयी ।
हाल मे मैने नाना से उनका हाल चाल लिया और फिर बगल के घर मे चला गया जहा सबके लिए खाना बनाया जा रहा था ।


वहा मौसा और राजन फूफा भी खाना बनवाने मे लगे थे करीब 25 से 30 लोगो का खाना बनना था तो मै भी उनकी मदद मे लग गया ।
कल हल्दी होने वाली थी और अगले दिन शादी थी । सब तैयारियाँ मे व्यस्त थे तो घर मे किसे खाना बनाने का मिलता ।इसिलिए मौसी ने एक हल्वाई के माध्यम से बगल मे घर मे खाना बनवाने की व्यव्स्था कर दी ।

8 बजे तक खाना तैयार हुआ सारे जेन्स लोगो को वही बगल के घर मे खाने के लिए बोला गया और महिलाओ की बात आई तो चाची ने ना जाने क्या सोच मुझे रुकने को बोला और सब मर्द जनो को बाहर जाने को बोला ।

जहा तक मुझे अनुमान था उसका एक ही कारण हो सकता था वो ये कि हाल ही में मेरी और चाची जी जमने लगी थी और एक कारण ये भी था कि खाने मे कौन सा समान कहा है मै सब जान रहा था ।

फिर उस घर के एक कमरे मे सारी औरतो के लिए एक चटाई लगवाई गयी ।

सब बैठ गयी तो मैने सबको पत्तल देने शुरु किये थे कि चाची ने पल्लवी को डाँटा कि मेरी मदद करे । कहने को तो वो सोनल से भी कह सकती थी मगर पल्लवि उनकी सगी नातिन थी इसिलिए उन्होने पल्लवि को ही बोला ।

सब थोडा खिखियाही और पल्लवि उठ कर मेरी हैल्प करने लगी ।

इसी दौरान पहली बार मैने पल्लवी से कोई बात की ,,बस हल्के फुल्के अंदाज मे ही सही मगर मुझे बड़ा अच्चा मह्सूस हुआ ।

उसे जब भी कुछ पुछना होता था मुझे आन्खे उठा कर देखती तो उसकी नशीली आंखो मे मै खो सा जाता था ।
बदले मे वो मुस्करा देती थी ।

इधर गीता बबिता की चंचलता भी कम नही थी । हर बार मे भैया ये भैया वो । इसपर मौसी तो कभी कभी छेड़ देती थी उनको और सब हस पड़ते थे ।

इसी दौरान जब मै सब्जी निकालने रसोई वाले कमरे मे गया तो वहा पल्लवि ने मुझसे पुछ भी लिया ।

पल्लवि - अच्छा ये दोनो कौन है ,,बडी बातूनी है हिहिही

मै हस कर - ये मेरे मामा की बेटीया है जुड़वा है दोनो हिहिहिही

पल्लवि ने हा मे सर हिलाया ।
मै - वैसे एक बात पूछू

पल्लवि - हा बोलो
मै हस्ते हुए - उधर मै घर पर था तो आपकी बडी बाते सुनने को मिली थी कि आप ...

पल्लवि मेरी बाते सुन कर ना जाने क्यू आंखे बडी करने लगी और हडब्डाते हुए - क क क्या आ सुने हो आप,,, हम दोनो तो पहली बार मिल रहे है ना

मै हस कर - अरे आप तो परेशान होने लगी ,,,वो मै ये कह रहा था कि जब मै घर पर था तो दीदी रोज आपके बारे मे बताती थी कि आप भी कम बातूनी नही हो हिहिहिही

पल्लवि मेरी बाते सुन कर थोडी शर्म से मुह फेर ली और बोली - अरे नही ऐसी कोई बात नही है ,,, मै भी आपकी बहनो के जैसी ही हू ,,लेकिन वो नानी है ना वो बहुत डाटती है

मै हस कर - अरे उनसे क्या डरना ,,वो तो मेरी सहेली है

पल्लवि हस कर - हिहिहिही हा दिख रहा है ,,नही तो परसो से कोई भी मर्द औरतो के बिच नजर नही आ रहा था

मै हस कर - अच्चा वो क्यू
पल्लवि कारण तो जान रही थी मगर वो बताने से कतरा रही थी ,,मगर मेरा काम तो उसके जहन मे वो बाते डाल कर ही हो गया था

मै हस के - अच्चा जाने दीजिये ,,ये बताईये आपको नाचना आता है

पल्लवि चौकी - मतलब
मै हस कर - अरे डांस , डांस आता है आपको

पल्लवि शर्मा कर - हा समझ रही हू लेकिन क्यू पुछ रहे है आप

मै हस कर - क्योकि आज रात सबको नाचना पडेगा हिहिही

पल्लवी तुनक कर - अच्छा और नानी ये सब करने देगी

मै हस के - मै तो उनको भी नचाने वाला हू हिहिही

पल्लवि हस कर - हिहिही बस करिये फेकिये मत आप

मै थोडा आत्मविश्वासी होते हुए - तो लगी शर्त ,,मैने अगर नचा दिया चाची जी को , क्या दोगी आप ??

पल्लवि हड़बड़ाई- अब मै क्या बोलू ,,लेकिन मै जानति हू ऐसा कुछ नही होगा

मै - तो शर्त लगा लिजिए ना ,,डर क्यू रही है हिहिही

पल्लवि हस कर - मै क्यू डरने लगी भला ,,आप शर्त बताओ

मै - अगर मै जीता तो आपको डांस करना पडेगा और हारा तो जो आप कहो वो करूंगा

पल्लवि कुछ सोच कर मुस्कुराइ- ठिक है मंजूर

मैने अपना हाथ आगे बढ़ाया - तो डन

पल्लवि ने भी मेरे से हाथ मिलाया- हा डन हिहिही

फिर मै वापस सबको खाना खिलाने मे लग गया ।

लेखक की जुबानी

अब एक ओर जहा राज सबको खाना परोस रहा था वही चमनपुरा मे रंगीलाल के किचन मे शकुन्तला आ चुकी थी और रंगीलाल उसके अगल बगल एक फुल बाजू की बनियान और पाजामा पहने मडरा रहा था ।

शकुन्तला भी साड़ी मे खड़ी सब्जी काट रही थी । मगर गैस की गरमी से वो बेहाल हुई जा रही थी ।

रंगीलाल - अरे भाभी आप मुझे दीजिये मै काट देता हू सब्जी ,,आप बाकी का काम करिये

शकुन्तला मुस्कुराई और सब्जी चाकू थाली सब रन्गिलाल को थामा दी ।

इधर रंगीलाल जानबुझ कर किचन की डायनिंग टेबल पर ऐसी जगह बैठता है जहा से शकुन्तला का पिछवाडा दिखे ।

एक तो इतनी गर्मी , उपर चूल्हे के पास साड़ी मे खडे होकर खाना बनाने मे शकुन्तला की हालत खराब हो रही थी ।
कमर का पसीना रिस कर उसके गाड़ की लकीरो मे जा रहा था और उसे खूजली हो रही थी ।

एक दो बार अनजाने मे उसने बिना रंगीलाल का ध्यान रखे अपना पिछवाडा खुजाया भि।मगर जब वो तडका देने लगी और सब्जी लेने के लिए रन्गिलाल के ओर मुड़ी तो उसे ठिक अपने पीछे पाया तो शर्म से पानी पानी हो गयी ।

रंगीलाल समझ गया कि क्या बात है और शकुन्तला मुस्करा कर लाल क्यू हुई जा रही है ।

मगर उसने बेशरमी दिखाई और पुछ लिया - क्या हुआ भाभी आप हस क्यू रही है ,,कही मेरे कपडे तो

रंगीलाल अपनी भीगी हुई बनियान मे उभरे निप्प्ल पर देख कर बोला - मतलब आप कहे तो मै कुरता डाल लू

शकुन्तला मुस्कुरा कर - अरे नही नही उसकी कोई दिक्कत नही है ,,वो मुझे कुछ ध्यान आया तो हसी आ गयी

रंगीलाल जिज्ञासू होकर - क्या मुझे नही बतायेगी

शकुन्तला हस कर - अब क्या बताऊ ,,छोड़ीये अच्छा है आप नही जाने तो हिहिह्ही

रंगीलाल - ठिक है जैसी आपकी मर्जी ,,,अच्छा और कोई काम नही हो तो मै नहा लू

शकुन्तला - हा हा क्यू ,,,आप जाईये ,,लग रहा है मुझे भी नहाना पडेगा

रंगीलाल की आंखे चमकी - अरे कोई बात नही आप भी नहा लिजिए

शकुन्तला हस कर - अरे नही नही ,,यहा कैसे और मेरे कपडे भी तो नही है

रंगीलाल हस कर - क्या भाभी जी आप भी , रागिनी के कपडे है तो और आप तो ऐसे कह रही है जैसे किसी गैर के घर मे हो

शकुन्तला - अरे नही ऐसी कोई बात नही है ,,वो तो बस मै सोची की

रंगीलाल - मै कुछ नही सुनूंगा ,,मै आपके कपडे निकाल दूंगा आप नहा लिजिएगा

शकु - अच्छा ठिक है

फिर रंगीलाल नहाने चला जाता है और कुछ सोच कर आलमारी से रागिनी के तंग कपडे निकाल कर रख देता है जिसमे एक सिफान की आसमानी रंग की साड़ी भी थी ।

फिर रन्गीलाल नहा कर नयी फुलबाजू की बनियान और एक हाफ चढ़ढा पहन लेता है ।

रंगीलाल धीरे से किचन मे आता है और उसकी नजर शकुन्तला के हाथो पर जाती है जो अभी अपने साड़ी के उपर से अपना चुतडो की लकीर खुजा रही थी

रंगीलाल धीमे से शकुन्तला के बगल मे जाकर - हो गया भाभी जी

शकुन्तला चौकी और फौरन अपना हाथ आगे कर लिया ।
शकुन्तला - हा हा हो गया है ,,बस एक सिटी लगा जाये

रंगीलाल - अरे एक सिटी की बात है ना ,,आप जाईये नहा लिजिए, देख रहा हू बहुत परेशान है आप

शकुन्तला समझ गयी कि रंगीलाल ने उसे खुजली करते देख लिया तो वो शर्मा गयी और मुस्कुरा कर हा मे सर हिलायि और बाथरुम मे चली गयी ।
इधर रन्गीलाल ने कुकर उतार दिया और हाल मे चक्कर लगाने लगा ,,

थोडी देर बाद बाथरूम से पानी की आवाज बन्द
हुई और 5 मिंट बाद शकुनतला रंगीलाल के दिये हुए कपडे पहन कर एक बालटी लेके बाहर आई

रंगीलाल - अरे आप ने कपडे भी धुल दिये ,,,अरे वाशिंग मशीन थी ना

शकुंतला - अरे कोई बात नही ,,बस पानी मे निचोड दिया है ,,अच्छा इसे कहा डालू की सुख जाये

रंगीलाल कुछ सोच कर - ऐसा करिये लाईये मुझे मै छत पर डाल देता हू

शकुंतला मना करते हुए -अरे नही नही मै डाल दूँगी आप परेशान ना होईये ,,, आप बैठीये मै छत से आती हू फिर खाना खाते है ।

रंगीलाल - अच्छा ठिक है चलिये ,,उपर अन्धेरा होगा मै बत्ती जला दूंगा

फिर वो दोनो सबसे उपर की छत पर जाते है
छत की अरगन पर शकुन्तला एक एक करके कपडे निचोड कर डालती है । छत पर जीने की दिवाल पर एक बलब जल रहा था उसमे रंगीलाल सब कुछ साफ देख पा रहा था ।

शकुन्तला ने बडी सावधानी से अपनी पैंटी को पेतिकोट के निचे डाल दिया,,मगर रंगीलाल की आंखे तब फैल गई जब उसने बालटी मे से उसका जांघिया निकाल कर उसे निचोडने लगी ।

रन्गीलाल - अरे रे रे भाभी जी ये क्या किया आपने ,,,मतलब इसे क्यू धुला

शकुन्तला हस कर - अरे ये वही निचे पडा था तो मैने इसे भी धुल दिया ,,उसमे क्या हुआ

रंगीलाल - वो क्या मै मेरी तो आदत है नहा कर ऐसे ही कच्छे को बाथरूम मे छोड देने की तो आज भी भूल गया था ,,वैसे तो हमेशा रागिनी धुल ही देती थी

शकुन्तला- अरे आप फाल्तू का परेशान हो रहे है,,कपडा ही तो है ना वो भी ,,,

रंगीलाल - हा बात तो सही है ,,, आईये ना थोडा टहलते है छत पर ही निचे गरमी बहुत है

शकुन्तला को भी थोडा ठिक लगा तो भी टहलने लगी ।
वो दोनो उपर की रेलिंग से निचे सड़क पर और आस पास मे रात के सन्नाटे को निहार रहे थे
एक ठंडी बयार चेहरे पर आ रही थी तो बहुत आरामदायक सा मह्सूस हो रहा था ।

तभी रंगीलाल के दिमाग वो सवाल कौंधा जो दोपहर के वक़्त उसके ख्याल मेआया था ।

रंगीलाल - अच्छा भाभी जी मुझे आपसे कुछ पुछना था

शकुन्तला- हा हा कहिये क्या बात है ?
रंगीलाल - पता नही ये उचित होगा या ,, हालकी उस विषय को लेके मुझे कोई जानकारी नही है ,,मगर

शकुन्तला मुस्कुरा कर - अरे आप इतना संकोच क्यू कर रहे है ,, पुछिये ना

रन्गीलाल मुस्कुरा कर - वो आप आज दोपहर मे बोल रही थी ना कि आपको लेके यहा मुहल्ले मे लोग बाते करते है ,,,वो चीज़ मुझे समझ नही आई भाभी जी और ऐसा कुछ रगिनी ने भी कभी चर्चा नहीं किया मुझसे ।

शकुन्तला रंगीलाल की बातो से भावुक और शांत सी हो गयी ।

रंगीलाल - देखीये कोई दबाव नही है भाभी जी ,,बस एक द्वंद सा है मन मे वो बात क्या है जो मै नही जानता ,,हालकी मेरा घर भी यही है


शकुन्तला मुस्करा कर अपनी डबडबाई आंखो को साफ की और बोली - अरे नही ऐसी कोई छिपाने वाली बात नही ,,,बस दुनिया का नजरिया ही ऐसा है कि वो आपके सुख चैन भरे जीवन में कोई न कोई रोड़ा लाती रही है ।

रंगीलाल - मै समझा नही भाभी , अगर आप उचित समझे तो खुल कर बतायेगी

शकुन्तला मुस्कुरा कर- बिन पति के रह रही हू और सुकून से हू ,,बस यही लोगो को खटक रही है

रंगीलाल - मै अब भी नही समझा और भाईसाहब को लेके भी मुझे सच मे कोई जानकारी नही है ।
शकुन्तला थोड़ा गहरी सास ली - वो क्या है कि पिछले काफी सालो से मेरे पति दुबई मे नौकरी करते थे । करीब दो साल पहले उनके एक दोस्त के माध्यम से पता चला कि उन्होने वहा दुसरी शादी कर ली है किसी खातुन से

रंगीलाल चौका - क्याआ
शकुन्तला दुखी मन से - हा ये सच है ,,यकीन करना मुश्किल है कि उमर के इस पड़ाव पर लोग ऐसे बदल जाते है और अपना परिवार छोड देते है ।
जब ये बात मेरे ससुराल के मुहल्ले मे फैल गयी तो वहा के लोगो ने मेरा जीना दुभर कर दिया । मुझे असहाय और बिना पति के जानकर मेरी मदद के बहाने मेरा शोषण करने लगे ,,,और जब उनके गलत मनसुबे कामयाब नही हो पाये तो उन्होने मुझे बदनाम करना शुरु कर दिया ।

रंगीलाल अवाक होकर देखता रहा ।

शकुन्तला - मेरे कस्बे के कुछ बुरे लोगों से मेरा नाता बताने लगे यहा तक कि मेरे शारिरीक संबध की अफवाहे उड़ाने लगे और इनसब के बीच मेरी नयी बहू भी पिस रही थी । इसिलिए मैने तय किया कि मै अपना ससूराल छोड दूँगी ।

रंगीलाल - अच्छा फिर

शकुन्तला- फिर मेरे बेटे ने यहा घर बनवाया और तबसे हम यही है ,,,लेकिन समाज की बुराईया जगह बदलने से कम नही हो जाती है । यहा आये मुझे करीब साल भर होने को है और अब यहा भी लोग बाते बनाने लगे है

रंगीलाल - कैसी बाते भाभी
शकुन्तला थोडा अटक कर - लोगो को लगता है कि एक औरत बिना शारिरीक सुख के जीवन नही जी सकती तो मेरा कही ना कही अफेयर चल रहा है और इधर जबसे ....

रन्गीलाल उत्सुक होकर - क्या भाभी जी आगे बोलिए ना

शकुन्तला अटकते हुए - इधर जबसे आपसे घर से आना जाना होने लगा है तो काफी लोगो ने मेरे पीठ पीछे मेरा नाम आपके साथ जोड दिया है

रंगीलाल चौका - क क क्या आ ,,ये कया कह रही है भाभी

शकुन्तला एकदम रुआसी हो चुकी थी उस्का गला भरने लगा था - हा ये सच है और इसिलिए मैने आपको दोपहर मे वो बोला था ,,मुझे लगा शायद आपको इनसब की जानकारी होगी

रंगीलाल - अरे नही भाभी जी ,मेरे पास इतनी फुर्सत कहा कि मै ऐसे फाल्तू लोगो की बात पर ध्यान दू ,वो तो आपने बताया नही तो


शकुंतला अपने आखे साफ करते हुए रंगीलाल का हाथ पकड कर- आप मुझसे वादा किजीए कि ये बात आप किसी से नही कहेंगे यहा तक कि रागिनी से भी नही ।

रंगीलाल चुप रहा और सुनता रहा
शकुन्तला भावुक होते हुए - देखिये इसे स्वार्थ के जमाने मे बडी मुश्किल से आप जैसे भले लोग मिले है और मै नही चाहती कि ऐसी अफवाहो से हमारे सम्बंध खराब हो ,,क्योकि ससुराल छोडने के बाद हम लोगो का कोई अपना नहीं रहा अब ,,सबने मुह मोड लिया हमसे यहा तक कि मेरे मायके वालो ने भी ।

रंगीलाल शकुंतला का ढाढ़स बान्धते हुए- अरे रे रे भाभी ये कैसी बात कर रही हैं,, आप हमारे लिये कोई गैर नही है और बिल्कुल भी ये ख्याल मन मे ना लायियेगा

शकुन्तला मुस्कुरा कर- शुक्रिया आपका
रंगीलाल मुस्कुरकर - अरे इसमे शुक्रिया वाली क्या बात है

शकुंतला खुश होकर - आप कितने अच्छे है कि लोग मेरी वजह से आपका भी नाम खराब कर रहे है फिर भी आपने मुझे इज्जत दी और अपना समझा ,,इसके लिए

रंगीलाल - लोग क्या सोचते मै उनसब के लिए जवाबदेही नही हू ,,मेरी जवाबदेही मेरे परिवार और भगवान के लिए है ।

शकुंतला मुस्कुरा कर - रागिनी कितनी किस्मत वाली है कि उसे आप जैसा पति मिला है

रन्गीलाल हस कर - अरे उसे पति मिला तो क्या हुआ मै आपका देवर हू तो आधा हक है आपका भी हिहिहिही

शकुंतला थोडा शर्मा के मुस्कुरायी फिर हस्ते हुए बोली - अब आधा मर्द किस काम का हिहिहिही

रंगीलाल ने जब शकुन्तला को मजाक करता देखा तो उसने भी दोहरे अर्थ वाले संवाद करने शुरु कर दिया

रंगीलाल हस कर - अरे भाभी आपको आधा भी पुरा ही पडेगा

शकुन्तला रंगीलाल का मतलब सम्झ गयी और शर्म से लाल हो गयी और वो बात को वही रोकना उचित समझी

शकुंतला - अब आधा पुरा बाद मे ,,चलिये निचे खाना ठंडा हो रहा है और मुझे भी घर जाना है ।

रन्गीलाल सीढियो से निचे जाता हुआ - मै तो कह रहा हू भाभी आप यही सो जाओ ,,थोडी बाते करेंगे । थोडा मेरा भी समय कट जायेगा अकेले नीद नही आती

शकुंतला हस कर - हा हा , कहा रोज रागिनी की बाहो मे सोते थे तो अकेले कैसे हिहिहिही

रंगीलाल को थोडी शर्म आई - क्या भाभी मेरा वो मतलब नही था ,,मै तो बस बाते करने के लिए बोल रहा था

शकुंतला - अच्छा ठिक है बाबा रुक जाऊंगी लेकिन आज नही ,,कल । क्योकि कल दोपहर में रोहन आ जायेगा तो घर मे बहू भी अकेली नही होगी ना

रन्गीलाल की आंखे चमक गयी कि अब बस कल का इन्तेजार रहेगा ।

फिर उन्होंने खाना खाया और शकुन्तला काजल के लिए टिफ़िन पैक करके अपने घर चली गयी ।
इधर रन्गीलाल कुछ योजना बनाता हुआ सो गया ।


यहा चमनपुरा मे तो लोग सो गये थे लेकिन जानीपुर मे आज तो रतजगा की तैयारियाँ हो रही थी और ये सारी चीजें अपना राज ही देख रहा था ।


राज की जुबानी

खाना खिलाने के बाद मै अनुज और रमन भैया तीनो ने मिल कर सबसे उपर की छत पर कुछ चटाई और बिछावन तकिये लगाये । फिर सारे महिला और जेन्स लोगो को उपर बुलाया गया ।

सबको बहुत ताज्जुब था कि क्या होने वाला है
इधर निचे हाल मे नाना ने मुझसे पूछा तो मैने ब्ताया कि उपर नाच गाना का प्रोग्राम है । ढोल की ताल पर घर के सारे लोग गाएंगे नाचेंगे ।

नाना खुश तो हुए कि चलो शादी का घर है तो चहल पहल जरुरी है लेकिन उन्होने उपर जाने से मना कर दिया ये कहकर कि औरतो को मजा करने दो और फिर मौसा जी के चाचा ने भी मना कर दिया ।

फिर मै मौसा और राजन फूफा को लेके उपर चला गया ।
उपर लाईट की व्यव्स्था थी और मैने देखा कि मेरी हॉट एंड सेक्सी मामी ढोल को सेट कर रही है ।

मै लपक कर उनके बगल मे बैठ गया ।
मै - आपको ढोल भी बजाना आता है
मामी मुस्कुरा कर धीरे से मेरे कान मे बोली - बजा तो तुम भी लेते हो अच्छा
मै थोडा शर्मा गया ,,इधर चाची जी सारी महिलाओ को समझा रही थी कि कौन सा कौन सा गीत पहले गाया जायेगा ।।फिर फिल्मी गानो पर होगा कार्यक्रम ।

मौसा और राजन फुफा एक ओर दिवाल से लग कर बैठे हुए थे और उनके आगे मौसी ,ममता बुआ और मामी थी । फिर मामी के बगल मे मै और मेरे बगल मे चाची जी फिर मम्मी ,सोनल पल्लवि और उन्के पीछे दिवाल से लगे हुए रमन भैया और अनुज ।

फिर चाची ने देवी गीत शुरु किये जिन्हे हम लोग भी बडी मुस्किल से दूहरा पा रहे थे ।
मामी जी ढोल पर धाक बहुत गजब की थी और चाची बडी खुश होकर उनसे आन्खे मिलाए ताल पर गाये जा रही थी ।

मेरे लिये ये पहला अनुभव था और मुझे बहुत मजा आ रहा था । इसी दौरान मेरी नजर पल्ल्वी से टकराती तो मै उसे इशारे मे डांस करने की बात याद दिलवा देता और वो मुह फेर कर हस देती ।
एक एक करके चाची ने तिन देवी गीतो का गायन किया और सही मायने मे हम सबने उसका मजालिया ,,,आखिर मे चाची ने मा दुर्गा का जयघोष करवाया ।

चाची - हा , अब तुम शहरवालियो अपने गीत गाओ

चाची की बात पर सब लोग ठहाका लेके हसे

मै मामी के हाथ से ढोल लिया और तिन बार उसको धाक देके बोला

मै - सुनिये सुनिये ,,,अब यहा अन्ताक्षरी और नाच होगी ।

नाच्ने की बात पर सारे लोगो मे हसी भरा खुसफुसाहट होने लगी ।
मैने वापस ढोल को धाक दी और बोला - हम लोग दो टीम बनायेंगे । जिस टिम के साथी को गाने का मौका मिलेगा वो सामने वाली टीम मे से किसी को भी अपने गाने पर नाचने को कह सकता है

मेरी शर्ते सुन कर वापस से थोडी खुसरफुसर हुई और थोडा खिखियाने की आवाजे आई ,,मै समझ गया कि लोग अपने अपने गाने पर किसको नचाना है ये सोच कर ही चहक रहे है ।
मै वापस से ढोल की धाक देके सबका ध्यान अपने ओर किया और बोला - दादी अब सबको दो टीम मे बाटेगी

चाची जी हस कर - अरे बिटवा तुम लोग खेलो ना अपने मे ,,,अब इस उमर मे क्या हमसे गणित पढवा रहे हो

मै उन्के बगल मे बैठा था - अरे दादी आप बडी हो आप बाटोगी तो बाद मे कोई बहस नही होगा कि एक की टीम कमजोर हो गयी और एक की टीम मजबूत

दरअसल ये बाटने का काम तो मै खुद कर सकता था ,, किसी दो को भी टिम का लीडर बना कर उन्हे चूनने को बोल देता ।
मगर ऐसे मे मै जानबुझ कर चाची जी शामिल किया ताकि उनको ये आभास ना हो कि उन्हे वैल्यू नही मिल रही है और एक कारण ये भी था उनको इस खेल मे शामिल करने का वो ये कि अगर गाने और नाच मे कही माहौल थोडा उत्तेजक या फूहड़पन लगे तो वहा चाची जी हस्तक्षेप भी ना कर पाये । क्योकि ये सब उनकी परवानगी से हो रहा होगा ।

फिर चाची जी ने अपना गणित दौडाया और कुछ सोच कर दो टीम बनाये

टीम 01 = रज्जो मौसी , मेरी मम्मी , मामी , पल्लवि , मै , गीता और चाची जी

टीम 02 = ममता बुआ , कमलनाथ मौसा , राजन फूफा , रमन भैया , सोनल दीदी , अनुज और बबिता

अब हम लोग दिवाल के एक एक तरफ हो गये और बिच मे छत को खाली छोड दिया गया

इधर मैने ढोल वापस मामी को थमा दिया ,,सभी चेहरे खिले हुए थे ,, सब मस्ती मे अपनी पहली पारी का इन्तजार कर रहे थे क्योकि सब ने अपना अपना मुर्गा चुन रखा था ।

मेरी टीम का अगुआ मैने गीता को बनाया और उधर से बबिता बनी । टॉस हुआ और बबिता जीत गयी ।


बबिता की टीम मे खुसफुसाहट चालू थी कि उम्मिद अनुसार ममता बुआ ने हाथ उठाया ।

ममता - तो मेरी प्यारी भाभी चलो खड़ी हो जाओ हिहिहिही

हम सब खिलखिला कर रज्जो मौसी को देखते है और वो भी हस्ते हुए खड़ी हुई और अपना साड़ी ठिक किया ।

ममता - अरे भाभी मैदान मे आईये तब ना बात बनेगी

रज्जो मौसी हस कर - हा आ रही हू
फिर मौसी छत के बिच मे आई और पल्लू को कमर को खोसा और कमर पर हाथ रख कर तैयार हुई ।

ममता हस कर - अरे गीता की अम्मा तैयार हो ना
मामी हस कर- हा जीजी शुरु करिये

फिर ममता बुआ ने आशा भोसले जी एक सुपरहित गाने के बोल शुरु किये

ममता मुस्कुरा कर - झुमका गिरा रे एएए

ममता बुआ के अनतरे पर हम सब के दिल बाग बाग हो गये और मैने , कमलनाथ मौसा और राजन फूफा एक साथ बोल पडे- हाय्य्य्य

वही मामी ने ढोल पर ताल देदी
ममता -
झुमका गिरा रे
बरेली के बाजार में
झुमका गिरा रे
बरेली के बाजार में
झुमका गिरा झुमका
गिरा झुमका गिरा


मामी के ढोल की ताल पर हम सबने सुर मिलाया - हाय हाय हाय
वही रज्जो मौसी ने अपने कमर मटकाते हुए गाने की अदाकारा साधना जी के जैसे अपने कन्धे झटके जिससे मौसी के मोटे मोटे चुचे भी हिल्कोरे मारने लगे

ममता- झुमका गिरा रे बरेली के, बाजार में झुमका गिरा रे


गाने की कड़ी खतम होते ही सब लोग एक जोर का ठहाका लगा कर हस पड़े और मौसी तो शर्मा कर अपना पल्लू सही करते हुए हस्ते हुए तेजी से अपने कुल्हे हिलाते अपनी जगह पर बैठ गयी ।

अब बारी थी गीता की टीम की तो खुद गीता ने हाथ उठाया और रमन भैया का नाम लिया ।

सबने ठहाके लगाये और गीता ने गाना शुरु किया ।
गीता - छोटे छोटे भाइयो के बडे भैयाआआ
मामी हस कर ढोल की ताल देती है और हम सब ताली बजाते हुए - हे हे हेहे हेएएए

गीता मुस्कुरा कर -
छोटे छोटे भाइयो के बडे भईया
परसो बनेंगे किसी के सईया
ढोल बजाये देखो मेरी मईया
नाच रहे मेरे रमन भईया


रमन भैया ढोल पर ज्यादा नाचे तो नही लेकिन गीता के गाने के बोल सुन कर हम सब खुब हसे । सबने उसकी तारिफ की ।
अगली बारी बबिता की टीम की थी तो वहा से इस बार सोनल दीदी ने हाथ उठाए और पल्लवि का नाम लिया ।

पल्लवि का नाम आते ही सब शोर करने लगे और वही कही से सिटी की आवाज आई ,,जिससे पल्लवि शर्म से लाल हो गयी ।

फिर पल्लवि शर्माते हुए अपने सूट को कूल्हो के पास से खिच कर सही किया और दुपट्टे को क्रॉस करके कमर मे बान्ध लिया ।

सोनल हस कर - तैयार ना पल्लवि
पल्लवि हस कर हा मे सर हिलायि

सोनल ने थोडा गला खराश किया और- मेरा चैन वैन सब उजड़ा

हम सब के चेहरे खिल गये कि क्या मस्त गाना चुना सोनल ने और वही मामी ने मानो इस गाने धुन को ढोल मे पिरो किया था

मामी ने ढोल पर ताल दी - धिनक धिनक धिन धा
पल्लवि ने पहली लाईन पर अपने एड़ियो पर आकर एश्वर्या राय की तरह जो कमर लचकाया ,उफ्फ्फ्फ

सोनल -
मेरा चैन वैन सब उजड़ा
जालिम नजर हटा ले
बरबाद हो रह है जी मेरे अपने शहर वाले
ओ मेरी अंगड़ाई ना टूटे तू आ जाआआ

हम सब एक साथ हाथ उठा कर - कजरा रे !!!
ढोल - धिक धा

हम सब एक सुर मे हस्ते हुए गाने लगे- कजरा रे कजरा रे तेरे काले काले नैना ,,

पल्लवि हम लोगो को ऐसे प्रतिक्रिया देख कर हस दी और शर्मा कर अपनी जगह पर आ गयी ।

हम सब खुब जोर जोर से हसे , चाची जी ने भी बहुत मजा लिया ।
पारी पल्टी तो मा ने हाथ उठाया और राजन फूफा को खड़ा कर दिया ।

तालिया बजी ,,हसी ठहाके लगे और एक दो सिटीया भी
बडी शर्मो हया के साथ हस्ते हुए राजन फूफा अपने कमर मे गम्छा बाँधते हुए खडे हुए और मा ने इधर मामी के कान मे कुछ बोला ,,शायद गाने के बोल थे ।

इधर मामी ने ढोल की ताल शुरु की ,,, ताल कुछ जान पहचाना लगा तो राजन फूफा भी अपने कमर पर दोनो हाथ रख कर एड़ियो के सहारे कमर हिलाने लगे

मगर जैसे ही मा ने गाने के बोल शुरु किये वो रुक गये और हम सारे लोग हसने लगे ।
राजन हस के - अरे भाभी इस गाने पर कैसे ,,नही नही

मा हस्ते हुए - अब नाचना तो पडेगा ही जीजा जी हिहिहिही

हम सब ठहाके ले रहे थे और इधर मजबुर होकर राजन फूफा ने अपनी कमर पर बाँधा हुआ गम्छा खोल कर सर पर रखकर एक लम्बा सा पल्लू कर दिया

हम सब लोग हसने लगे और मैने तो सिटी भी मार दी ,,बगल मे बैठी चाची जी मुह पर हाथ रख कर हसते हुए मुझे डाटने लगी।

इधर मा ने मामी को इशारा किया और ढोल की ताल पर मा ने गाना शुरु किया

मा - जो बिच बजरियाआआआ तुने मेरी पकड़ी बईया ,,मै सबको बोल दूंगी ( राजन अपने सर पर रखा गम्छा को घूघट के जैसे पकड कर कमर थिरकाते हुए घूमता है )
जब रात मे कोई ना जागे आयीयो सईया ,मै खिडकी खोल दूँगी ( राजन अपने घूँघट को उठा कर कमर पर हाथ रखते हुए औरतो कैसे कुल्हे हिलाता है )

हम सब लोग हस कर मस्त हो जाते है और राजन भी शरम से पानी पानी होकर गमछे मे मुह छिपाये ,सबसे पीछे जाकर बैठ जाता है ।

पारी पलटती है और इस बार मौसा जी हाथ उठा देते है और मा का नाम लेते है ,,

मा समझ गयी ये सब बदले के लिए ही हो रहा है लेकिन वो भी तैयार थी । खैर ये मुकाबला जीजा साली का होने था तो मेरी उत्सुकता बहुत बढ गयी थी ।
तभी मौसा जी अपने मोबाईल मे गाना निकालने लगे तो हम लोगो की टीम एक सुर मे बोल उठे - नही नही ये चिटिँग है ,,आपको गाना ही पडेगा

मौसा हस कर - अरे भाई मुझे गाना नही आता ,,अच्छा ऐसी बात है तो मै भी रागिनी के साथ नाच लूंगा बस

थोडी खुसरफुसर हुई तो सब मान गये
फिर क्या मौसा ने मा का हाथ पकड कर बिच मे लाये और फिर मोबाईल पर एक गाना बजा दिया ।

गाने की ट्यून सुन कर ही हम लोगो का हल्ला गुल्ला शुरु हो गया और फिर मा ने भी गाने के तर्ज पर मौसा के साथ कमर ठुमकाया

गाना भोजपूरी था - ले चली घुमा दी बुलेट पर जीजा

हम सबने भी खुब मस्ती की ,, चाची भी मुह पर पल्लू रख कर खुब हसी ,,,हालकी कहने को तो उनकी नजर ये सब उचित नहीं था ,,मगर जैसा कि मैने पहले ही ब्ताया कि जानबुझ कर मैने उन्हे खेल मे शामिल किया जिससे वो मना भी ना कर सके और उन्हे मजा भी आये।

इधर मौसा जी ने लपक कर मामी को भी उठा लिया तो गीता भी खड़ी होके नाचने लगी ।

सबने मस्ती की और फिर वापस अपनी जगह पर
इधर सब वापस बैठे नही कि मौसी ने हाथ खड़ा कर दिया ।

तालिया बजी हसी ठहाके लगे और मौसी ने दो नाम बोले - ममता बुआ और मौसा जी

मै समझ गया कि रज्जो मौसी की चालाकी,,, अरे वो भौजी ही क्या अपनी ननद को उसके भैया के नाम पर छेड़े नही ।

मौसा - अरे रज्जो ये तो गलत बात है , एक बार मे एक ही लोग ना

मौसी हस्कर - अच्चा और अभी आप जो साली और सलहज एक साथ नचा रहे थे उसका क्या ,हम्म्म्म्ं


रज्जो - चलो उठो आप दोनो
फिर हमारी टीम मे हल्ला गुल्ला करने लगे तो वो दोनो उठ कर बीच में आये ।

इधर मौसी ने मामी को गाने के बोल बताये ,,जिसे सुन कर मामी हस पडी और फिर हा मे सर हिला कर सहमति देदी ।


मौसी ढोल की ताल पर एक भोजपूरी गाने के बोल देती है जिसपर ममता बुआ हस कर अपने भैया यानी मौसा जी के उपर गिरते गिरते बचती है ।

मौसी बिना रुके ममता बुआ को नाचने का इशारा करती हुई

मौसी - घाम लागता ये राजा , घाम लागता
( ममता हस कर मजबुरन अपने भैया को इशारा करके अपना घूँघट पकडे कमर हिलाती है । )
तू ता बाहरा मे करेला आराम ( ममता हस कर अपने भैया का हाथ पकड कर मौसी के गाने के बोल पर इशारा करती है और फिर कमर पर हाथ रख नाचती है ।)
तू ता बाहरा मे करेला आराम
चैत हमरा घाम लागता

हम सब हस के मस्त हो गये थे, मामी तो मानो इनसब गानो के लिए प्रोफेशनल थी ,,,ढोल की धाक एकदम गाने के तर्ज पर जमा था ।

ममता बुआ को लगा अब शायद इतने से काम बन जायेगा मगर मौसी ने फिर से एक कड़ी शुरु की ।

मौसी हस्ते हुए -
तू ता लुधियाना मे कर ताड़ा ड्यूटी
पछूवा के हवा मोर बिगाड़ देता ब्यूटी

मौसी के इस तंज को सब समझ गये और जोर जोर से हसने लगे ,,क्योकि मौसा पंजाब के लुधियाना मे ही नौकरी करते थे और सब ये बात जानते थे ।

मौसी - तू ता लुधियाना मे कर ताड़ा ड्यूटी ( ममता अपने भैया का हाथ पकड के एक ओर इशारा करके कमर लचकाती है )
पछूवा के हवा मोर बिगाड़ देता ब्यूटी ( फिर अपने चेहरे पर एक बार इशारा करती है । )
घाम लागता ये डियर घाम लागता
गरमी सहत नईखे नरम नरम चाम
चैत मे हमरा घाम लागत बा (ममता अपने कमर पर हाथ रख कर एक हाथ हवा मे उठाए नाचती है । )

गाना खतम होता है और हम सब हस के मस्त हो जाते है ।
पता नही वहा पर किसी और ने नोटिस किया या नही लेकिन मैने जरुर नोटिस किया कि मौसी मे अपने भाभी होने का फर्ज अच्छा निभाया और अपनी ननद का सईया उसके भईया को ही बना दिया ।

पारी पल्टी तो बबिता ने हाथ खडे किये , समय भी काफी हो चुका था तो उसने मेरा नाम लिया

फिर बबिता ने भी मौसा जी की तरह एक पंजाबी गाना बजाया तो उसपे मैने हल्का फुल्का पंजाबी ठुमका लगाया और चाची जी को पकड कर ले गया तो उन्होने भी ना नुकुर करते हुए ह्सते हुए हाथ उपर कर बल्ले बल्ले कर ही लिया ।
मैने देखा कि अनुज काफी समय से अकेला और शांत था तो उसी गाने पर मै उसे और सोनल दीदी को भी लेके आया तो बबिता भी आकर नाचने लगी ।

कुलमिला कर बात ये थी कि आखिर मे लगभग सबने नाचा और मस्ती की ।
सारे लोग हस्ते हुए थक कर वापस बैठ गये ,,किसी का मन सोने का नही था ,,मगर रात ज्यादा हो चुकी थी और कल हल्दी का प्रोग्राम था तो सुबह से ही सारे काम होने थे ।

अब सबके सोने की व्यव्स्था की दिक्कत हो गयी थी क्योकि सारे कमरे फुल थे और आज नाना के यहा से लोग आये थे तो कैसे क्या होगा इसपे चर्चा होने लगी थी


जारी रहेगी
बहुत ही मस्त और मजेदार अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 

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UPDATE 124

CHODAMPUR SPECIAL UPDATE


पिछले अपडेट मे आपने पढा कि कैसे एक ओर जहा रंगीलाल ने शकुंतला के साथ नजदीकिया बढ़ाने मे लगा हुआ है वही जानीपुर मे राज ने रात मे एक बढिया प्रोग्राम हुआ और सारे परिवार वालो मजा लिया । मगर दिन मे मेहमानो के लिए सोने की व्यवस्था नही हो पाई थी तो सब्के सोने के लिए सम्स्या होने लगी थी ।

अब आगे

राज की जुबानी

रात मे सोने पर चर्चा होने लगी तो मौसी और मौसा आपस मे बात कर रहे थे । मौके की नजाकत पर चाची थोडा बहुत मौसी पर गुस्सा जरुर हुई थी कि दिन मे मौसी ने ये सब वयवस्था क्यू नही की ।
फिर कुछ तय करने के बाद मौसी ने चाची जी और मा को एक साथ अपने कमरे मे सुला दिया और मामी और बुआ एक कमरे मे सुला दिया ।
फिर ने सारी लडकियो के लिये उपर हाल मे ही बिस्तर डाल दिया जहा वो लोग सो गयी ।

फिर मौसी और हम सारे जेन्स निचे आ गये ।
निचे के कमरो मे नाना पहले ही मौसा के चाचा जी के साथ सो चुके थे तो मैने अगुआई की और अनुज को रमन भैया के साथ उनके कमरे मे भेज दिया और एक कमरे मे मौसा और राजन फुफा को ।

मौसी - सारे लोग तो हो गये तो अब तू कहा सोयेगा

मै - अरे आप जाओ आराम करो मै यही सोफे पर सो जाऊंगा
मौसी - नही नही तू यहा कैसे सो पायेंगा , तू भी उपर चल हाल मे मेरे साथ सो जाना

मै - अरे लेकिन उपर दादी जी अगर गुस्सा हुइ तो
मौसी - हा तो होने दे ,,मै मेरे लाडले को ऐसे थोडी ना सोने दूंगी

मै मुस्करा कर धीमी आवाज मे उनके कान के पास जाकर - फिर तो मै आपको पीछे से पकड कर सोउँगा

मौसी हसके- बदमाश कही का ,,चल अब तू उपर मै आती हू पानी लेके

मै उपर चला गया जहा अभी भी चारो लड़कियो मे कोई सोया नही था सब खुसरफुसर कर रही थी ।
मेरे आने की आहट पर पल्लवि तुरंत उठ कर बैठ गयी और अपना चुन्नी फौरन सीने पर ले लिया ,,मगर उस्से पहले ही मैने उसे नारीयल कैसे मोटे चुचो का उभार देख लिया था और गले के कट से उसकी दरारो को भी ।

मै - अरे आराम मे सो जाओ ,,मै भी यहा सोने आया हू
मेरी बात सुन कर गीता चहकी - सच भैया ,,आओ ना इधर सोवो मेरे

मै - अरे नही मीठी , तुम सो जाओ ना मै इधर सो जाता हू ,ये बोलकर मै पल्लवि के बगल खाली जगह पर सोने लगा ।

चुकी हाल मे तीन चटाई बिछाई गयी थी , तो एक ओर से बबिता फिर सोनल, फिर गीता और फिर पल्लवि सोयी थी । पल्लवि के बाद एक चटाई पुरी खाली थी तो मै वही लेट गया ।
मेरे लेटेते ही गीता उठकर आई और मेरे और पल्लवि के बिच के गैप मे जबरदस्ती घुसने लगी ।

पल्लवि हस कर सोनल की ओर खसक गयी और गीता खिलखिलाकर पल्लवि के जगह पर सरक गयी और मेरा हाथ पकड कर अपनी ओर खिच लिया

मुझे उसके स्पर्श से गुदगुदी सी महसुस हो रही थी तो मै हसे ही जा रहा था ,,बहुत दिनो बाद गीता के मुलायम हाथो का स्पर्श मिला था ।

गीता मुझसे चिपक गयी और मोबाईल खोलने को बोलने लगी और मै भी उसकी जिद पर हार गया ।

इधर पल्लवि बार बार हम दोनो को देख रही थी तो सोनल ने उसे गीता और बबिता के बचपने के बारे मे बताया कि ये दोनो तो ऐसी ही है ,,,ह्मेशा भैया भैया हिहिहिही

बबिता सोनल की बात सुनकर उससे चिपक गयी - नही तो ,,मै तो दीदी दीदी ही कहती हू ,,,दीदी मोबाइल दिखाओ ना

सोनल हस के - देखा अब मोबाईल चाहिये तो दीदी ,,,नही तो तू भी भाग गयी होती उस्के पास ना

सोनल की बात पर बबिता हसने लग जाती है ।
इधर थोडी देर हम लोग मोबाईल चालू करके देख रहे ।
इधर करिब 15 मिंट हो गया और मौसी अभी तक पानी लेके नही आई थी ,,,तो मेरा दिमाग ठनका कही मौसी नाना जी के साथ लगी तो नही ।
मेरे लण्ड एक बार को टनं हो गया और अब मेरे दिल मे बेचैनी सी होने लगी ।

मै उठकर बैठ गया
गीता - क्या हुआ भैया
मैने एकनजर सबको देखा और मुस्कुरा कर बोला - कुछ नही तुम देखो मै पानी पीकर आता हू ।

फिर मै उठ कर सीढियो से निचे चला गया और देखा तो हाल मे पुरा सन्नाटा है ।
रमन भैया का कमरा बन्द था और नाना भी जिस कमरे मे थे वो भी बन्द था । मतलब ये था कि मौसी अब वहा अपने ससुर के सामने नाना से चुदेगी नही ।
फिर मैने सोचा शायद वो पीछे बाथरूम के पास वाले कमरे मे गयी हो कुछ बात करने जहा मौसा और राजन फूफा हो

तो मै उधर ही चला गया
मगर वो कमरा भी अन्दर से पुरा बंद मिला
मैने बाथरूम देखा तो दरवाजा खुला ही था दोनो का
फिर मुझे एक सिसकी सी सुनाई दी और मेरे कान खडे हो गये ।
मैने फौरन कमरे के दरवाजे से कान लगाया तो अन्दर मौसा जी के कराहने की आवाज आ रही थी जो शायद मौसी का नाम लेके झड़ रहे थे ,,तभी मुझे राजन फूफा की भी आवाज आई ।

मेरा दिल धक्क करके रह गया । मतलब मौसी मौसा और अपने नंदोई से एक साथ चुद रही थी ।
कुछ ही पल मे कमरे मे आवाजे तेज हो गयी और मै समझ गया ये लोग दरवाजे की ओर आ रहे है ।
मै फौरन बाथरूम की ओर चला गया और वहा से झाका तो दरवाज खुल चुका था ।
मौसी कमरे के बाहर आ गयी थी और मौसा जी नंगे दरवाजे से बाहर गरदन निकाल कर मौसी से गुहार कर रहे थे

मौसा- रज्जो एक बार और हो जाने दो ना
तभी राजन फुफा ने भी सर निकाला बाहर - हा भाभी जी बस एक और बार बस एक

मौसी थोडा नुकुरते हुए - आप लोगो को तो वही लग रहा है ,,मेहमानो का मेला लगा है ,,अभी कोई खोजता हुआ आ जाये तो सब चौपट हो जायेगा

मौसी की टोंट से दोनो चुप हो गये तो मौसी प्यार से बोली - मै कही भागी नही जा रही हू ,,मेरा भी मन है लेकिन समझिये ना रमन के पापा

मौसा - अच्छा ठिक है जाओ तुम ,,लेकिन कल भी यही व्यव्स्था कर देना

मौसी शर्मायी और हा मे सर हिला कर किचन की ओर चली गयी ।
ये दोनो भी कमरे मे घुस गये और दरवाजा बन्द के लिया ।
मै फौरन वहा से निकला और किचन गया जहा मौसी पानी लेके निकल ही रही थी ।

मौसी - अरे बेटा तू यहा
मै - हा मुझे प्यास लगी थी तो ये बोल कर मैने तुरंत उन्के होठ मुह मे भर लिये

मौसी कसमसा कर मुझसे अलग हुई - धत्त पागल कही का ,,चल पानी पी ले और सोटे है

मै उनके कूल्हो को पकडते हुए - और ये कब दोगी ,,चलो ना यही कर लेते है एक बार

मौसी आन्खे ब्ड़ी करके - नही पागल है क्या ,,,अभी कोई भी आ जायेगा
मै थोडा उदास होकर - तो उपर भी तो नही कर पायेंगे ना

मौसी मुस्कुरा कर - तू चिंता क्यू करता है ,,मुझे भी ये चाहिये हिहिह्जी
मौसी लोवर के उपर से मेरा खड़ा लंड पकडते हुए बोली

फिर हम दोनो उपर चले गये

मौसी - तुम लोग सोये नही अभी ,, कल इतना सारा काम है चलो मोबाइल बंद करो ।

फिर मैने तुरंत गीता से मोबाइल लेके बन्द कर दिया और मौसी ने हाल की बत्ती बुझा दी फिर मेरे बगल मे आकर लेट गयी ।

थोडी देर बाद एक चुप शान्ति छा गयी ,,हालकी बिच मे गीता ने मुझे परेशान किया तो मैने उसे समझाया कि ये सही जगह नही है । लेकिन जब वो नही मानी और बार बार मेरा लण्ड छुने लगी तो मैने मौसी की ओर करवट लेली ।

क्योकि नाजाने क्यू मुझे लग रहा था कि पल्लवि मुझपर खास नजर रख रही है । फिर मेरा उसको मना करने का एक कारण ये भी था कि अगर वो जल्दी सोयेगी नही तो मै मौसी के साथ अपनी मस्ती कैसे कर पाऊन्गा

इसिलिए मैने मौसी की ओर करवट ली जो सीधा लेती हुई थी ।

मैने अपना हाथ उन्के पेट पर रखा वो समझ गयी मै ही हू तो उम्होने मेरा हाथ पकड कर अपने और करिब खिच लिया ।

मै एकदम धीमी आवाज मे मौसी के कान मे - मौसी , अभी नही थोडा रुक कर उपर चलते है ।

मौसी ने मुस्कुरा के हम्म्म्म किया ।

धीरे धीरे मेरे हाथ उन्के बदन पर घूमते रहे और मै ब्लाउज के उपर से ही उनकी चुचिया मिज रहा था और मौसी भी मेरे लण्ड को पकडने की कोसिस कर रही थी ।

धीरे धीरे हम दोनो की उत्तेजना बढ़ी और समय भी काफी हो चुका था ।
मै मौसी से धीरे से कान मे बोला - मौसी छत पर चले
मौसी भी धीरे खुसफुसायि - सब सो गये क्या

मै - हा लग तो रहा है
मौसी - ऐसा कर तू उपर चल मै आ रही हू
मै खुश हुआ और धीरे धीरे अन्धेरे मे जीने का अनुमान लगाता हुआ छत पर निकल गया । उपर बडी सावधानी से जीने के दरवाजे को खोल के उपर निकल गया ।

आह्ह मस्त मौसम था आज , हल्के बादल थे और चादनी रात ।

मै छत पर घूम ही रहा था कि मुझे कुछ आहट सी आई और तभी दरवाजा चुं किया और मौसी उपर आ गयी ।

मै खुश हुआ और उन्हे हग कर लिया ।
मै चौका - अरे मौसी आपकी पायल और चूडिया कहा है
मौसी हस कर-वो तो मैने वही निचे पहले निकाल दिये तब मै आई

मै - तब अब रुकी क्यू हो जल्दी करो ना प्लीज ,,,तडप गया इसपे पर प्यार के लिए
मैने मौसी का हाथ पकड़ कर अपने लोवर से बाहर निकले हुए लण्ड पर रख दिया ।

मौसी गनगना गयी औरा अगले ही पल झुक कर मेरे कदमो मे बैठ गयी और मेरा लण्ड चूसना शुरु कर दी ।

मानो कितने समय बाद मै जन्नत मे आया हू ,, जैसे जैसे मौसी अपने लार से मेरा लंड गिला करती रही , मेरे लण्ड मे सख्ती बढती रही और फिर मैने उन्हे वही चारदिवारी के सहारे घुमा कर खड़ा किया ।
उनकी साडी पेतिकोट को एक साथ उठाते लण्ड को सीधा मौसी की चुत मे पेल दिया
थोडी देर मौसी को चोद लेने के बाद मैने उनको मुह मे माल भर दिया ।
फिर हम दोनो बाथरूम की ओर जाने लगे। मौसी आगे जा चुकी थी और मै जैसे ही मुड़ा ,,मुझे सीढियो पर से तेजी से किसी के नीचे जाने की आहट हुई । मानो कोई दबे पाव सरसराता हुआ अपने हाथ जीने के दिवाल पर रगडता उतरा हो ।

मेरा कलेजा धक कर गया
मैने ये बात मौसी को ब्ताना उचित नही समझा कि जीने पर अभी हमे कोई देख रहा था या फिर मेरा कोई वहम ही हो । क्योकि अब तक सारे लोग सोये हुए थे ।

थोडी देर बाद हम दोनो निचे आ गये और मैने बत्ती जलाई ये देखने के लिए कोई जगा तो नही ।

तो लगभग सभी के चेहरे शांत दिखे सिवाय पल्लवि के ,,उसकी सासे तेज मह्सूस हो रही थी और उसने अपना चेहरा चुन्नी से ढका हुआ था ।
मै समझ गया कि वो पल्लवि ही थी क्योकि सोने का नाटक कैसे करते ये मुझसे बेहतर कौन समझ सकता था ,,मैने खुद कयी बार इसी से अपना फायदा लिया था ।

मुझे एक डर सा लगने लगा था ,,,आजतक मेरे जिस छिपाये संबंधो को कोई दुसरा नही जान पाया था ,,उसके बारे मे अब पल्लवि को खबर थी । मै बुत बन कर वही बोर्ड पर खड़ा होकर कुछ सोचने लगा और जब मौसी ने मुझे बोला तो मैने बत्ती बुझा दी और अपनी जगह पर आकर सो गया ।

मुझे नीद नही आ रही थी
एक भय सा लगा हुआ था अन्दर,,,मन मे आ रहा था कि पल्लवि से बात कर लू और उसे थोडी सफाई दू ,,मगर अगले पल मे लगता कि नही ,,अगर मान लो वो नही उसकी जगह कोई और था तो ???
लेकिन हर बार मेरे शक की सुई पल्लवि पर ही जा रही थी क्योकी कल से जब मै आया तबसे उसकी नजरे मै खुद पर ज्यादा पाई है ।

मेरा दिमाग लगातार इसी उधेड़बुन मे लगा रहा और फिर मैने तय किया कि अब कल सुबह ही ये चार लोगो के चेहरे पढने पड़ेंगे और अंजान होकर इनकी प्रतिक्रियाये देखुगा । तब शायद कुछ कन्फर्म हो पाये ।
बस इसी तसल्ली के साथ रात के किस पहर मे मै सोया मुझे पता नही लेकिन सुबह 5 बजे ही मुझे मौसी ने जगाया ।

मौसी - उठ लल्ला , झाडू पोछा करना है
मै नीद मे कुनमुनाते हुए करवट बदल लिया - नही मौसी सोने दो ना

मौसी हसी और बोली - ठिक है जा मेरे कमरे मे सो जा ,,नही तो चाची जी भी गुस्सा करेंगी

मै उखड़ कर उठा , मेरी आंखे सही से खुली नही थी । थोडी दुर पर किसी से खिलखिलाने की आवाजे आ रही थी तो मौसी उसे डांट रही थी ।
मै उबासी लेते हुए मौसी के कमरे मे चला गया और पेट के बल सो गया ।

पता नही कब लेकिन जब मेरी आंखे खूली तो कमरे मे कोई गोरी औरत थी ,,जो पेतिकोट मे खड़ी होकर अपने ब्लाऊज के हुक बंद कर रही थी और उसकी पीठ मेरी ओर थी ।
कमरे मे साबुन की भीनी खुश्बू फैली हुई थी ।
मैने बस लेटे हुए पूरी आंखे खोली तो देखा ये तो ममता बुआ है और उनका मोटा कुल्हा पेतिकोट मे ये बाहर की ओर फैला हुआ है ।

देख कर मेरे होठ और लण्ड दोनो फैल गये
भाई मै मुस्करा उठा और मेरा लण्ड भी ममता बुआ ने सख्त कूल्हो को देखने के लिए पागल होने लगा ।

इधर मैने सोचा कि अभी अंगड़ाई लेके उठू तभी कमरे का दरवाजा खुला और मौसी भी पीले रंग के ब्लाउज पेतिकोट मे अन्दर आई और दरवाजा बंद कर दिया ।


मैने फौरन आंखे मूंद ली ,,तभी मौसी की आवाज आई - अरे आज अपने भईया को घायल करके के छोडोगि क्या मेरी ननद रानी

ममता - वो तो पहले से ही घायल है भाभी ,,, कुछ बचा ही कहा है अब

मौसी हस कर - अरे मेरी लाडो रानी अभी तो ये पिछ्ला आँगन मे घूमाया ही नही अपने भैया को

मैने थोडी सी बारीक आंखे खोली और देखा तो मौसी का हाथ ममता बुआ के बडी सी गाड पर घूम रहा था ।

ममता बुआ - वो तो भैया की मर्जी है ,,जब चाहे घूम ले हिहिही

मै उनदोनो की बाते सुन कर मन ही मन बहुत मस्त हो गया । मुझे समझ आने लगा कि मा की तरह मौसी ने भी ममता बुआ को मौसा के लिये सेट किया होगा ,,, फिर मैने रात मे मौसा और राजन फुफा के कमरे वाली बात याद आई ।
मै मन मे - यार अगर ममता बुआ और मौसि एक साथ मौसा से चुदते है और वही राजन और मौसा मिलकर मौसी को चोदते है तो कल रात इन्होने ममता बुआ को क्यू नही बुलाया ,,कही मौसी ने ममता बुआ से राजन फूफा से चुदने वाली बात और राजन फूफा से ममता बुआ और मौसा की चुदाई की बात छिपा के तो नही रखी ।

मै थोडा सोचा विचार रहा था कि इतने मे मौसी ने मुझे आवाज दी उठने के लिए

ममता बुआ जो कि अभी ब्लाउज पेतिकोट मे थी - अरे भाभी रुको मुझे साडी तो पहन लेने दो

मौसी हस कर- तू भी ना ममता ,,अरे बच्चा है वो

मौसी - राज उठ जा लल्ला
मै कुनमुना कर उबासी लेते हुए उठा

मै आंखे मिजते हुए एक बडी सी उबासी लेते हुए - गुड मॉर्निंग मौसी

मौसी - 8 बजने वाले है और तेरा अभी गुड मॉर्निंग हो रहा है ,,जा जल्दी से नहा धोकर आ ।

मै कमरे से बाहर आया तो मौसी ने कमरे का दरवाजा बन्द कर लिया ,,,मुझे सामने सीढि दिखी तो निचे जाने के बजाय मै उपर छत पर चला गया ।

जीने से बाहर छत पर पहुचा तो मुझे वही रात वाली जगह पर मेरे वीर्य के कुछ बडी बुन्दे दिखी और मुझे रात का सब याद आने लगा ।

मैने उस गाढे चिपचिपे सुख चुके वीर्य को चप्पल से घिसा तो वो अभी भी निचे से गिला ही था तो वहा फैल गया ।

मैने अपना माथा पिट लिया कि अबे यार ये क्या गन्दगी फैला दी मैने ,,लग रहा है पानी डालना पडेगा ,,वैसे तो किसी की नजर नही जाती ,,लेकिन अब जरुर जायेगी ।

मै आस पास देखा तो छत पर कोई नजर नही आया तो मै बाथरूम की ओर गया कि पहले खाली करता हू फिर इसे साफ करता हू ।

मै जल्दी जल्दी चल कर पाखाने मे घुस गया और जैसे ही बैठा ,,मुझे बगल मे नहाने वाले हिस्से से किसी के गुनगुनाने की आवाज आई ,,,, ये कोई और नही पल्लवि ही थी जो रात का वही गाना गुनगुना रही थी जिसपे उसने डांस किया था - कजरा रे कजरा रे

मगर इधर जैसे ही मैने पाखाने की टोटी चलाई उसने गाना बंद कर दिया ।
फिर नहानघर का दरवाजा खुला और इधर मै भी पल्लवी के नहाने के बाद उसके खिले हुए जिस्म को देखने के लिए लालायित हो गया ।

तो मै फटाफट अपनी धुलाई करके जैसे ही दरवाजा खोल कर बाहर निकला

मेरी आंखे फैल गयी और मुह खुल गया

क्योकि छत की अरगन पर पल्लवि सिर्फ़ एक पीले सूट पहने कपडे डाल रही थी ,,हालाकी उसने ब्लूमर पहना हुआ था ।
उसने जैसे ही मूड मुझे बुत बने हुए देखा तो मेरी नजरे उसकी सूट के बगल से नंगी दिखती जांघो से उसके चेहरे पर गयी ।

उसके चेहरे के भावो से लगा कि अब चिल्लाने वाली है तो मैने लपक कर उसके मुह पर हाथ रख दिया ।

उसकी सासे भारी होने लगी वो उउउऊ उउउउऊ किये जा रही थी ।
बदले मे मै माफी मागते हुए बड़बड़ाते हुए समझा रहा था कि ये सब अनजाने मे हुआ तो प्लीज शोर ना करे वो

मै उसे बाथरूम की दिवाल के एक ओर ले गया और वहा उसके मुह से हाथ हटाया

मै आंखे भीच कर - सॉरी प्लीज ,,चिल्ल्लाना मत

पल्लवी मौका पाते ही फौरन दौड़ कर बाथरूम मे घुस गयी और भागते हुए उसके मोटे कूल्हो की थिरकन अह्ह्ह

वो तस्वीर मेरे जहन मे बैठ गयी ,मगर अगले ही पल मै चेता और वापस से बाथरूम के पास जाकर पल्लवि से माफी मागी

थोडी देर बाद पल्लवि ने दरवाजा खोला तो मै नजरे निचे किये खड़ा रहा ,,
पल्लवि वापस से अरगन की ओर गयी और बाकी बचे हुए कपड़े फैलाने लगी ।

मैने एक नजर उठा कर पल्लवि को देखा तो उसने सल्वार पहन ली थी । तो मै मुस्कुरा कर जैसे ही उसके पास गया और इतना ही बोल पाया - सॉरी ना पल्लवि ,,वो बस अन.....

मेरी नजर पल्लवि के हाथो मे पकडे हुए नीले ब्रा पर गयी जिसका 34B का लेबल साफ दिखा मुझे

पल्लवि ने जैसे ही मुझे अपने बगल मे पाया वो शर्मा गयी और अपना ब्रा वापस बालटी मे डाल दिया ।

मै तुरंत उसकी ओर पीठ कर लिया और धीमी आवाज मे बड़बड़ाया - हे भगवान ये क्या हो रहा है मेरे साथ ,,,फिर से सॉरी पल्लवी

इसबार पल्लवी की थोडी सी खिलखिलाने की आवाज आई और मुझे बडी राहत हुई ।
फिर पल्लवि ने पीछे से ही मेरे कन्धे पर तौलिया रखा और बोली - नहा कर धूप मे डाल दिजियेगा इसे ,,हिहिही


फिर वो मुस्कुरा कर भागती हुई निचे जाने लगी और मै उस गीले तौलिये को कन्धे से उतार जीने की ओर पल्लवि को उसके भारी कुल्हे हिलाते जाते देखकर मुस्कुराया ।

तभी पल्लवि अचानक से जीने के दरवाजे के पास उस जगह पर जाकर रुक गयी जहा मेरा वीर्य गिरा था ।

पल्लवि वो गन्दगी देखी और फिर मुस्कुराकर मुझे देखा तो मै फौरन मुह दुसरी ओर कर लिया । क्योकि मेरी फट चुकी थी । मेरा शक सही निकला ,,कल रात मे पल्लवि ही थी जो सीढिओ पर खड़े होकर मेरी और मौसी की चुदाई देख रही थी ।
मुझे अब समझ नही आ रहा था कि मै कैसे उसका सामना करूँगा , हालकि उसके हरकतो से नही लग रहा था कि वो किसी से कुछ कहने वाली है । मगर एक डर जरुर था मन मे ।
मुझे उपर नहाना था नही क्योकि मेरे ब्रश और कपडे सब निचे थे । तो मै वो तौलिया निचोड कर उसे छत पर डाल दिया और सबसे जरुरी एक गिले कपडे से वो दाग साफ करके निचे चला गया ।

फिर मैने भी नहा धोके पिला कुर्ता और सफेद पाजामा डाला । आज नाश्ता तो बना था लेकिन हम बच्चो को और मौसा मौसी नही मिलने वाला था । क्योकि आज हल्दी थी जब तक कथा और हल्दी का कार्यक्रम हो नही जाता तब तक हमे सिर्फ पानी पीने का आदेश मिला था ।

सारे लोग पीले कपड़ो मे थे ।
सुबह से ही घर मे चहल पहल थी , मौसा के गाव से उनके कुछ रिश्तेदार आ गये थे ,,यहा मुहल्ले की भी कुछ औरते और लडकिया आ गयी थी ।

सबसे उपर की मंजिल पर एक टेंट लगाया गया । फिर वही कथा शुरु हुई । करीब 11 बजे तक कथा समाप्त हुई ,,सबकी आवभगत से लेके प्रासाद बाटने मे हर जगह भागा दौडी लगी थी ।
राहत तब हुई जब पंडित जी ने हमे प्रसाद खाने के लिए बोला ,,,, प्रासाद खाने के बाद हमने पानी पिया ,,,सुबह से सर चकरा रहा था तो मौसी ने चाय भी बनवाया ।

थोडी देर बाद पंडित जी निकल गये ।
फिर उसके बाद वही कथा वाले जगह पर ही रमन भैया को एक छोटी चौकी देके बिठाया गया ।

फिर एक मीडियम साइज़ पतिले मे रखी हल्दी लाई गयी । पहले मौसा मौसी ने भैया को हल्दी लगायी ।
फिर मा , फिर ममत बुआ ने ।
लेकिन जब मामी की बारी आई तो वो भी हल्का हल्का ही भैया के गाल , बाजू पर हल्दी लगा रही थी

मै हस कर मामी को छेड़ते हुए - मामी अगर आप ऐसे कन्जुसी करोगी तो मै अपनी शादी मे आपसे हल्दी नही लगवाउँगा

मेरी बात पर सब हस पडे
मामी हस के - आओ हीरो तुम भी बैठो और जहा कहो वहा लगा दे
मै चल कर रमन भैया के पीछे गया और धीरे से उनका ढिला कुर्ता पकड कर एक ही बार खिच दिया ।

रमन भैया अब उपर से पुरे नंगे हो गये । पेट और सीने पे बाल ही बाल थे और वो शर्मा रहे थे ।

मा मुझे डाटती है - बदमाश ये क्या रहा है
मै हस कर पतिले मे से ठंडी ठंडी हल्दी लेके रमन भैया के गरम पीठ पर उंगलियो से बडे आराम से लगाते हुए - अरे मा रसम है तो अच्छे से करना चाहिए ना हिहिहिह

रमन भैया अपनी पीठ पर ठंडी हल्दी का लेप पाते ही खिलखिलाए और मुझे पकड कर आगे कर दिया ।

हालकी रमन भैया भले ही उतने भारी शरीर के नही थे लेकिन उनकी पकड बहुत मजबूत थी ।

उन्होने मेरा हाथ ऐठ के मुझे सामने किया और फिर हल्दी लेके मेरे कुर्ते के अन्दर नाभि के आस पास लगाने लगे ।

मै गुदगुदी से छ्टकने लगा और मुझे फसा हुआ पाकर मामी को मानो मौका मिल गया ।

वो भी उठ कर आई और पीछे से मेरे कालर मे हाथ डाल कर पीठ मे ठंडी हल्दी पोतने लगी ।
इधर मुझे फसा देख के सब हस रहे थे सिवाय गीता बबिता के ,,,मेरी मासूम बहनो को मुझे परेशान होता देखा नही गया और वो रमन भैया को पकड कर गुदगुदाने लगी ।

इधर रमन भैया ने मेरे हाथ छोड़े तो मैने लपक कर हल्दी के पतिले मे डाला और मामी की मुलायम कमर पर हल्दी मल दिया ।

वो खिल्खिला कर उठ कर भागी तो मैने उन्हे ताड़ा और दौड़ा कर बाथरूम के दिवाल के कोने मे ले गया जहा सबसे छिपते ही मामी चुप हो गयी ।
फिर मै हसते अपने हाथो मे हल्दी मलने लगा।

मामी ने इतराकर खुद से ही अपने पेट से पल्लू हटा कर बोली - आओ लगा लो ना
मै उनकी इस अदा से उत्तेजित हो गया और उन्हे पकड के घुमाया । फिर उनकी नाभि के पास मुलायम पेट पे हल्दी मलते हुए पीछे से अपना लण्ड उनकी गाड़ पे घिसने लगा ।
इधर मुझे फसा हुए देख के मामी ने धीरे से मेरे दुसरे हाथ को पकड़ा और मेरे ही चेहरे पर मल दिया । फिर हस्ते हुए टेन्ट की ओर भाग गयी ।

मै हस्ते हुए वापस आया तो लोगो को लगा इस झड़प मे मेरी ही हाल हुई क्योकि मामी ने अपना पेट वापस पल्लू से ढक लिया था ।
इधर गीता बबिता और सोनल पलल्लवी ने रमन भैया को हल्दी ल्गायी । मैने भी गीता के गुलगुले गालो मे हल्दी लगाई

तस्वीरे निकाली गयी और फिर हम सबने वो स्पेशल बिना नमक हल्दी वाली उड़द की दाल , चावल सब्जी पूरी खाई

स्वाद तो जमा नही लेकिन रस्मो की खाना पूर्ति के लिए थोडा थोडा खाना ही पड़ा ।


लेखक की जुबानी

अब इधर एक ओर जहा राज ने खाना खा लिया ,,,वही राज के पापा यानी रंगीलाल काफी समय से शकुन्तला की राह देख रहे थे कि कब वो खाना लेके आये
क्योकि दोपहर के 1 बजने को थे ,,, सुबह के नास्ते की दही जलेबी ने रंगीलाल की भूख को और बढा दिया था ।

राह जोहते करीब डेढ़ बजे शकुन्तला एक रिक्शा से दुकान पर थैला लेके उतरि ।

रंगीलाल के जान मे जान आई
इधर शकुन्तला ने आते ही माफी मांगी ।

रंगीलाल - अरे भाभी जी क्यू शर्मिंदा कर रही है आईये अन्दर चलिये

शकुन्तला- अरे नही नही ,वो रोहन आ गया है ना तो मै बस ये खाना देने आयी थी

रंगीलाल - अच्छा ठिक है फिर मै ये टिफ़िन रात मे वापस दे दूँगा ।

शकुन्तला हस कर - अरे आप क्यू आयेगे ,,मै वैसे भी रात मे आऊंगी ही , ,ठिक है मै जाती हू

रंगीलाल अवाक होकर रह गया और शकुन्तला उसके सामने मुस्करा कर वापस उसी रिक्से से निकल गयी ।

इधर रंगीलाल का लण्ड अंगड़ाई लेने लगा और वो अन्दर खाना खाने के लिए चला गया

राज की जुबानी

हल्दी का रस्म अदायगी के बाद घर मे सभी मेहमानो के खाने पीने की व्यव्स्था मे जुट गये हम लोग ।

सब्जी तैयार हो रही थी और मै वही रसोई मे मौजूद था ,, इधर भंडारी के साथ राजन फूफा ने कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होकर काम मे लगे थे ।
वही बगल के एक लोग आंटा लगा रहे थे ।

तभी भंडारी ने बोला कि सब्जी बस तैयार है, जल्दी जल्दी पुरिया बेलवा ,,लेकिन दिक्कत की बात थी कि बेलेगा कौन ???

राजन - अरे बेटा घर मे जाकर पल्लवि और अगर उसकी अम्मा कुछ काम नही कर रही हो तो बुला लाओ , फटाफ़ट हो जायेगा और हा बेलना ले लेना 2 3

इधर मै भाग कर सबसे उपर की छ्त पर गया और वहा औरते आपस ने मेहदी रख रही थी ।

मै हाफते हुए - पल्लवि चलो फूफा बुला रहे है

मुझे हाफ्ते देख कर मौसी परेशान होकर- क्या हुआ लल्ला तू हाफ क्यू रहा हौ

मै हस्कर - अरे मौसी कुछ नही बस सीढिया चढने मे ये अह्ह्ह ,,,, वो मुझे एक्स्ट्रा बेलन चाहिये पुरिया निकलवानी

मौसी ने इधर उधर नजर घुमायि लेकिन उन्के मतलब का कोई नजर नही आ रहा था ,,क्योकि ममता बुआ को सोनल दिदी मेहदी लगा रही थी और मौसी को मामी ,,,मा शायद निचे ही थी ।
मौसी मुझ से - अच्छा बेटा पल्लवि निचे जा रही है तो

मौसी -पल्लवि ,,बेटी जरा स्टोर रूम से बेलन निकाल लेना नये वाले वहा दो होंगे और एक निचे किचन से ले लेना

पल्लवि मे हा मे सर हिलाया ।
इधर मै - और कोई फ्री है पूरी बेलने के लिए

मौसी- अरे तेरी मा निचे ही है , उसे लिवा लेना
मै हा मे सर हिलाया और फिर पल्लवि को देख कर मुस्कुराते हुए निचे चलने का इशारा किया ।

पल्लवी ने भी मुस्कुरा कर हा मे सर हिला दी और हम दोनो स्टोर रूम मे चले गये ।

वहा जाने के बाद पल्लवि थोडा बहुत खोज बिन करने लगी ।

मैने मौका देख के थोडा बात करने की कोशिस की - वैसे मै कल शर्त जीत गया था

पल्लवि एक ट्रंक मे खड़बड़ाती हुई बेलन खोज रही थी और मेरे बात को सुन कर थोडा चुप रहने के बाद बोली - हा तो मैने भी डांस किया था ना

मै - तो शर्त जीतने के पहले ही,,वो थोडी ना गिना जायेगा

पल्लवि - तो फिर अब क्या शर्त बदल दोगे ,,कुछ और करना पडेगा मुझे

मै - नही वो बात नही है ,,मै तो ये सोच रहा था अगर मै हार जाता शर्त तो तुम मुझसे क्या करवाति

पल्लवि हाथ मे बेलन लेके उसे मुझे थमाते हुए इतरायी - मै तो बस एक सलाह देती आपको

मै थोड़ा असमंजस भरा हसी के भाव लाता हुआ - सलाह ? मतलब किस चीज़ के लिए

पल्ल्ल्वी मुस्कुरा कर - यही कि कुछ चीजे सही जगह पर ही करनी चाहिये एकदम से खुले मे नही

पल्लवी की बाते सुन कर मेरी फ़ट गयी क्योकि मै समझ गया वो रात मे मौसी के साथ मेरी चुदाई की बाते कर रही थी ।

मै अटकते हुए -क क क क्या आ मतलब है तुम्हारा ,,,साफ साफ बोलो

पल्लवि मुस्कुरा कर दरवाजे की ओर जाते हुए - वही जो तुम समझ रहे हो ,,,वैसे मै ये किसी से नही कहूँगी । अब चलो ।

मेरी फट रही थी और पल्लवि का डेयरीन्ग अंदाज मुझे और भी डरा रहा था तो पता नही मेरे दिमाग मे क्या सुझा कि मै बस अपने बचाव के लिए एक तुक्का फेका ,,,जोकि शायद मुझे उसकी जरुरत भी थी और वो बात बस वही खतम हो जाती ।
मगर नियती का खेल वो ही जाने और बात आगे बढ गयी ।

मै हकला कर - त त तुम अगर बता दोगी किसी को तो मै भी तुम्हारे और अनुज के बीच की बात सबको बता दूँगा


पल्लवि के पाव रुक गये तो मुझे लगा मेरा दाव चल गया तो मैने बात को और लपेट कर बोला - अनुज ने मुझे सब बता दिया है ,,वो मुझसे कुछ नही छिपाता

पल्लवि के पाव हिल रहे थे और गुस्से से तमतमाती हुई घूमी और मुझे ऊँगली दिखाते हुए - सुनो मिस्टर मुझे धमकी देने की सोचना भी मत , और वैसे भी मै अपने मामी जी की इज्जत किसी के सामने नही उछालने वाली ।


पल्लवि की ऐसी प्रतिक्रिया देख कर मै समझ गया कि मेरा तुक्का सही जगह पर लगा था और पल्लवि ने अभी अभी उसका प्रमाण दे दिया था । अपनी जीत पर मुझे बहुत खुशी हुई और मेरे मन से डर अब पूरी तरह गायब हो गया था ।

मैने लपक कर पल्लवी के कमर मे हाथ डाला और उसे अपनी ओर खीचा ,,,वो मेरे बाहो मे छ्टपटाने लगी ।


पल्लवि - गन्दे इन्सान छोड दो मुझे ,,नही तो मै उम्म्ंम्म्ंमम्मम्ंं

पल्लवि और कुछ कहती उस्से पहले ही मैने उसके होठ अपने मुह मे भर लिये और चुस कर छोड दिया ।

पल्लवि हाफते हुए - ये क्या किया तूमने ,,मुझे लगा तुम जैसे भी होगे लेकिन अच्छे इन्सान होगे । कम से कम एक लड़की की भावनाओ की इज्जत तो करोगे ।

पल्लवि की बाते सुन कर मुझे समझ आया कि मै ये क्या करने लगा था और मुझे खुद पर घिन सी हुई । फिर एक पल को मै ग्लानि मे तब भर गया जब मुझे अनुज का ख्याल आया कि ये तो उसकी गर्लफ्रैंड है और मैने मेरे भाई के साथ धोखा किया ।

मै उदास सा हो गया लेकिन खुद के लिए एक गुस्सा भर गया और मैने पल्लवि के हाथ को पकड कर जोर से अपने गालो पर मारा और सॉरी बोल कर कमरे से बाहर आ गया ।

पल्लवि बुत बनकर वही खड़ी रही ।
मैने खुद के आंसू पोछे और बेलन लेके निचे चला गया ।

किचन मे मा मिली तो उन्हे भी साथ लेके बगल के घर मे चला गया ।

इधर मा मुझे पुरिया बेलना बताने लगी ,,मा के साथ हसी मजाक मे कुछ पलो के लिए मै भूल गया था । मगर जैसे ही पल्लवि वहा आई मै शांत हो गया ।

वो मा के बगल मे बैठ कर पुरिया बेलने लगी ।
मुझे अचान्क से चुप देख कर मा को कुछ शक हुआ ।

मा - क्या हुआ राज तु चुप क्यू हो गया ,
मै जबरन की हसी चेहरे पर लाता हुआ जिसमे मेरी आन्खे डबडबा सी गयी - कुछ तो नही मा ,,,वो बस खाने का देखकर पापा की याद आ गयी कि पता नही उन्होने खाया कि नही ।

मा- अरे हा आज कामो मे फस कर उनसे बात भी नही हुई , जरा लगा ना उनको फोन

मै - रुको मा मै मोबाईल लेके आता हू ,फिर मै उठा और मेरी लाल हुई आन्खो से पल्लवी को देखा और घर मे रमन भैया के कमरे मे चला गया ।

मैने अपना बैग खोलकर उसमे से मोबाइल निकाला और जैसे ही कमरे के बाहर जाने को हुआ तो कमरे मे पल्लवि खड़ी थी ।

मै चौक के - अरे तुम यहा ,,कुछ चाहिये क्या मम्मी को

पल्लवि धीमी आवाज मे नही बोल कर सर हिलाई
मै - तो फिर
पल्लवि मुह गिरा कर - वो सॉरी , मुझे आपको ऐसे नही कहना चाहिये था

मै जबरन की हसी लाता हुआ भरे गले से - अरे तुम क्यू सॉरी कह रही ,,,गलती तो मेरी थी मैने अपने छोटे भाई की जीएफ के साथ वो सब किया

पल्लवी चौकी और जिज्ञासू होकर - जीएफ मतलब

मै मुस्कुरा कर - गर्लफ्रेंड
पल्लवि हसी - हा लेकिन मै तुम्हारे भाई की गर्लफ्रेंड नही हू ,,लेकिन मेरा बॉयफ्रेंड अनुज ही है

मै फसा हुआ मह्सूस किया - क्या मतलब कि तुम उसकी GF नही हो लेकिन वो तुम्हारा BF है

पल्लवि मुझे समझाते हुए - अरे नही वो मेरा अनुज मेरे गाव मे रहता है ,,, मेरे ताऊ जी का लड़का है ।

मै पहले उसकी बात पर हसा लेकिन फिर कुछ सवालो ने मुझे उलझा दिया - अच्छा,,,मगर ,,,लेकिन

मै - अगर वो गाव वाला अनुज तुम्हारा BF है तो तुमने मेरे अनुज से वो सब क्यू ???

पल्लवि मुस्कुरा कर शर्माते हुए मुह फेर ली - वो बस ऐसे ही जरूरतें थी कि हो गया ,,, लेकिन आपका अनुज बहुत ही अच्छा है ।

मुझे बहुत शौकीन्ग सा ल्गा और मन ही ग्लानि शांत हुई कि चलो दिल का बोझ हल्का हो गया । लेकिन इंसानी फितरत है कि मौके और दस्तूर की ताक मे हमेशा रहता है और वही फिलहाल मुझे जो चाहिये वो बस एक इजाजत थी ।

मै आगे बढा - वैसे कुछ जरूरते मेरी भी है , अगर तुम कुछ मदद कर सको तो

पल्लवि की आंखे बडी हो गयी और उसके चेहरे पर मुस्कान थी ।
मै हस कर उसकी आँखो मे देखता हुआ - मै पुछा मदद करोगी मेरी

वो शर्म से नजरे झुका ली और बाहर की ओर जाने लगी ।
मै उसके पीछे जाता हुआ - मुझे तुम्हारे जवाब का इन्तजार रहेगा और फिर मै फोन लेके मा के पास चला गया ।


फिर मैने पापा से बात की उनका हाल चाल लिया ,,तो बातो ही बातो मे पता चला कि रोहन भैया आ गये है । मै भी मन ही मन काजल भाभी को सोच कर मुस्कुराया कि आज रात काजल भाभी अपने औजारो का प्रयोग करेंगी रोहन भैया पर हिहिहिह

खैर थोडी देर मे पल्लवि भी आई और उसने मुझे देख कर स्माइल पास की ।
फिर मै खुश होकर सारे कामो मे भिड़ गया

इधर खाना तैयार हुआ तो बारी बारी करके खाना सबको खिलाया गया ।
खाना एक ही टाईम मे एक्स्ट्रा बनाया गया था ताकी जिसे रात मे भूख हो वो खा सके ।

इधर काफी सारी मस्तिया हुई और रात मे कुछ खास होना तो था नही इसिलिए मै निचे के हाल मे कुछ नये आये मेहमानो के साथ सोया ।
बाकी की सारी औरते उपर छत पर ही सोयी ।
****______******______****______

जानीपुर मे तो सब सो गये लेकिन चमन्पुरा मे रंगीलाल की रात आज बहुत लम्बी होने वाली थी ।

जारी रहेगी
बहुत ही खुबसुरत और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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UPDATE 125
CHODAMPUR SPECIAL UPDATE

पिछले अपडेट मे आपने पढा एक ओर हल्दी के रस्मो के बिच राज ने मस्ती करते हुए पल्लवि से कुछ प्रस्ताव रखे है ,,,वही रंगीलाल का दिल भी रात के लिए गार्डन गार्डन हुआ जा रहा है ।
देखते आगे क्या होने वाला


लेखक की जुबानी

समय : रात के 8 बजे
लोकेशन : राज का चौराहा वाला घर

रंगीलाल इस वक्त मस्त अपने कमरे की बेड को सेट करने मे व्यस्त था और बेड के पास ही तेल की सिशी रख दी । कुछ एक वैसलीन के डिबिया मे रख दी ।

कमरे मे झाडू लगा कर उसमे अच्छा वाला इत्र मे छिड़क दिया और फिर नहाने चला गया ।

इधर किचन मे शकुन्तला खाना बना रही थी । गर्मी से परेशान होकर उसकी हालत खराब हो रही थी

इधर रंगीलाल नहा कर फुल बनियान और पाजामा पहने बाहर आया । सीधा किचन मे चला गया ।


रंगीलाल - ओह्हो आपको कितनी गरमी हो रही है भाभी

शकुन्तला मुस्कुरा कर - हा वो मुझे जरा गरमी ज्यादा होती है ।

रंगीलाल - अच्छा तो अभी समय लगेगा

शकुन्तला - नही बस ये दो रोटी बाकी है , फिर हो गया

रंगीलाल - अच्छा ठिक है फिर मै बाथरूम मे पानी लगा देता हू और आपके कल वाले कप्डे निकाल देता हू ,,,आप नहा लिजिए तुरन्त

शकुंतला कल के कपड़ो पर विचार करते हुए - अच्छा ठिक है लेकिन क्या रागिनी की कोई नाइटी नही होगी ,,,वो क्या है मुझे साडी मे सोने की आदत नही है ।

रंगीलाल ने कुछ बिचार किया - अब ब ब आल्मारि चेक करके बताता हू भाभी जी ,,क्योकि इस बार मै गरमी मे उसके लिए कोई मैकसी लाया नही था ,,वो ब्लाऊज पेतिकोट मे ही सोती थी रोज


शकुंतला रंगीलाल की बात पर मुस्कुराती है - अरे रहने दीजिये परेशान ना होयीये मै कल वाले कपडे ही पहन लूंगी ,,

रंगीलाल - अरे इसमे परेशान होने जैसा क्या है ,,बस खोजना है ,मिल जायेगा ??

शकुंतला हस के - अरे मिल तो जायेगा ,,लेकिन उस खोजबिन के चक्कर मे आप रागिनी के समान को उलट पलट कर रख देंगे और जब वो वापस आयेगी तो बहुत नाराज होगी ।।


रंगीलाल कुछ सोच कर हस्ता हुआ - हा भाभी जी बात तो आपकी सही है ,,रागिनी को बिल्कुल नही पसंद की बिना पुछे कोई उसके सामानो मे उलटफेर करे तो

शकुन्तला हस कर - अरे ये सिर्फ रागिनी की नही ,,,सब औरतो की आदत है ,किसी को नहो पसंद आता है हिहिहिही

रंगीलाल - अच्छा ठिक है फिर आप आईये मै कपडे आपको दे देता हू

शकुन्तला- अरे लेकिन पहले मुझे साड़ी भी प्रेस करनी पड़ेगी

रंगीलाल हस कर - अरे उसकी कोई जरुरत नही है ,,मै आज सुबह की आपके सारे कपडे प्रेस करके रख दिये थे ।

शकुंतला शर्म से लाल हो गयी कि रंगीलाल ने उस्के पैंटी को फिर से छुआ होगा ।

फिर वो दोनो कमरे मे गये जहा रंगीलाल ने बडी तह के साथ शकुन्तला के कपड़ो को रखा था । सबसे निचे साड़ी, फिर पेतिकोट फिर ब्लाऊज और फिर उपर पैंटी ।

रन्गिलाल जब सारे कपड़ो को हाथो मे लेके शकुन्तला के सामने हुआ तो शकुन्तला अपनी प्रेस हुई पैंटी देख कर शर्माने लगी । एक मुस्कराहट उसके होठो पर थी ।

पैंटी इतनी स्लिम थी मानो रंगीलाल ने सारा जोर पैंटी पर लगा कर उसे चिपटा कर दिया था और क्रिच भी एक दम टाइट ।
रंगीलाल - लिजिए भाभी जी ,,आप नहा लिजिए मै बाहर ही हू


फिर रंगीलाल बाहर निकल आता है ।
इधर शकुंतला नहा कर तैयार होती है और रंगीलाल की दी हुई साड़ी पहन कर हाथ मे बालटी लिये हुए बाहर आती है ।

जिसमे सबसे उपर रंगीलाल का बनियान और कच्छा रखा हुआ था ।

रंगीलाल - अरे भाभी आज तो मैने धुल दिया था फिर क्यू

शकुन्तला मुस्कुरा कर - अरे वो मैने सोचा बाकि के कपडे छत पर ले जाने ही है तो क्यू ना इनहे भी

रंगीलाल हाथ बढा कर बालटी पकडता हुआ - अच्छा लाईये मै ले चलता हू
फिर दोनो उपर की छत पर चले जाते है ,,जहा मस्त ठंडी बयार चल रही थी ।

जीने की बत्ती जल रही थी और उसी से छत पर उजाला था ।
इधर शकुन्तला ने छत पर कपडे डालने लगी । तभी उसे अपने घर के जीने की आवाज आई और उसने देखा कि रोहन छत पर आया है ।

शकुन्तला फौरन रंगीलाल को पकड कर निचे बैठ गयी ।

रन्गीलाल चौका - क्या हुआ भाभी जी ,,आप मुझे ऐसे क्यू खीची

शकुन्तला थोडी परेशान होती हुई - वो रोहन छत पर आया है और कही उसने आपको देख लिया तो

रंगीलाल अचरज से - मै समझा नही भाभी जी ,,, क्या हुआ अगर वो मुझे देख लेगा तो

शकुंतला ने तभी वापस से अपने छत का दरवाजा बंद होता पाया तो गरदन उचका कर अपने घर की ओर देखी तो छत पर कोई नही था ।

फिर वो खड़ी हुई और जीने की बत्ती बुझा दी

रंगीलाल असमंजस से भरा हुआ खड़ा होकर - हुआ क्या भाभी जी ,,आप इतनी परेशान क्यू है ???

शकुन्तला हिचकती हुई - चलिये पहले निचे चलते है ।

रन्गीलाल को समझ नही आया कि क्या चल रहा है ।
फिर वो दोनो निचे के हाल मे आगये ।

रंगीलाल - क्या हुआ भाभी ,, क्या बात है ।

शकुंतला अब थोडा समान्य होती हुई मगर मुस्कुरा कर - वो दरअसल मैने रोहन से झूठ बोल कर यहा आयी हू

रन्गीलाल अचरज से - कैसा झूठ भाभी जी मै कुछ सम्झा नही।

शकुन्तला शर्मा कर मुस्कुराते हुए - वो मैने कहा कि आप यहा कोई है नही तो मुझे घर की देख रेख के लिए यहा सोना पडेगा

रंगीलाल की आंखे चमक गयी कि शकुंतला ने उस्के लिये झूठ बोला फिर भी वो अपनी भावनाये छिपाता हुआ - अरे तो इसमे झूठ बोलने की क्या जरूरत थी भाभी ।

शकुंतला शर्मा कर मुस्कुराते हुए - जरुरी था तभी मैने ऐसा किया

रंगीलाल को लगने लगा कि शायद शकुंतला खुद से ही कुछ पहल करने वाली है तो वो गदगद हो गया और शकुन्तला के करीब जाकर धीरे से चढ़ती सासो के साथ बोला - बताईये ना भाभी जी क्या बात है

शकुंतला रंगीलाल को अपने इतने करीब मह्सूस कर थोडी कमजोर सी होने लगी , एक सिहरन सी होने लगी थी उस्के देह मे उस बात को लेके जो वो रंगीलाल से छिपा रही थी ।

शकुंतला एक कदम बढ कर रन्गीलाल से दुरी बनाई और एक गहरी सास लेके हस कर बोली - वो आज रोहन आया है ना इसिलिए

रंगीलाल - मतलब
शकुंतला हस कर किचन मे जाती हुई - क्या देवर जी आप भी ,,जैसे कुछ समझते नही । बैठिए मै खाना लगाती हू ।

रंगीलाल समझ तो पुरा रहा था मगर वो शकुन्तला से खुल कर इस मुद्दे पर बाते करना चाहता था । इसिलिए फिलहाल के लिए उसने ये बात टाल दी ।

करिब आधे घंटे बाद खाना खा पीकर हाल मे बैठे थे ।

रंगीलाल - चलिये भाभी जी कमरे मे चलते हैं सोते हुए ही बात किया जाये


शकुन्तला को थोडा अटपटा सा लगा कि उसे रंगीलाल के साथ एक ही बिस्तर पर सोना पडेगा

रंगीलाल - दरअसल मुझे नही लगा था कि आप सच मे रात मे रुकेंगी ,,नही तो मै एक रूम तैयार कर देता । फिर कोई चिंता की बात नही है आप आराम से लेतिये मै यही सोफे पर सो जाऊंगा

शकुंतला रंगीलाल के वक्तव्य पर - अररे नही नही ,,इत्ना बडा बेड है , आप भी सो जायिये

रन्गीलाल हस कर - सोच लिजिए भाभी जी मेरे हाथ पाव सोटे समय बहुत चलते है ,,इसिलिए तो रागिनी मुझे पकड कर सोती है हिहिहिही

शकुन्तला शर्मा कर हसते हुए - हिहिहिही आप भी ना देवर जी ,,,चलिये आईये

रंगीलाल और शकुन्तला बिस्तर पर आ गये और उन्होने थोडा जगह बना लिया बिच मे ।

रंगीलाल - भाभी आपने बताया नही अभी

शकुन्तला हस कर - अब क्या
रन्गीलाल - यही कि आपने रोहन से झूठ क्यू बोला

शकुन्तला हसते हुए अपना माथा पिट ली - मतलब आप अभी नही समझे

रंगीलाल ने ना मे सर हिलाया ।
शकुन्तला थोडा शर्मा कर नजरे नीची करते हुए - वो आज रोहन बहुत दिन बाद आया है घर तो वो और बहू रात मे मिलाप कर सके इसिलिए ।

रंगीलाल हस कर- अरे तो वो लोग अपने कमरे मे करते ना हिहिहिही

शकुन्तला शर्मा कर हस्ती हुई - धत्त , आप भी ना ,,दरअसल वो लोग शोर बहुत करते हैं इसिलिए हिहिहिही

रंगीलाल हस कर - अरे तो आपको उनलोगो को समझाना चाहिए ना ,,,अभी जवाँ खुन है जोश मे ..... । समझ रही है ना मेरा मतलब

शकुन्तला शर्माते हुए हस कर - हम्म्म्म लेकिन अब ये सब बाते बच्चो से कैसे कर सकते है । उन्हे खुद समझना चाहिए इससे उनकी मा को परेशानी होती है ।

रंगीलाल शकुन्तला की बात पकडता हुआ - परेशानी मतलब

शकुंतला की आंखे ब्ड़ी हो गई और वो मुस्कुराने लगी कि हसी हसी मे वो क्या बोल गयी ।

शकुन्तला- वो वो ,कुछ नही । हिहिहिही

रन्गीलाल - अरे भाभी मुझे चिंता हो रही है और आप हस रही हैं ।

शकुन्तला रंगीलाल के सवालो और जिज्ञासुकता से थक कर थोडे रुखे स्वर मे - क्या देवर जी आप भी ,,,मतलब जैसे कुछ समझते नही है । कि ऐसे स्थिति मे किसी औरत को क्या परेशानी तंग कर सकती है जब उसका पति बाहर हो ।
रंगीलाल - अ ब ब सॉरी भाभी जी । मैने सच मे ऐसा कुछ नहीं सोचा था ।

शकुन्तला रन्गिलाल के भोले स्वरुप पर हसते हुए - कोई बात नही ।


थोडी देर चुप्पी छायी रही तो शकुन्तला- क्या हुआ क्या सोच रहे हैं?

रन्गिलाल - वो एक सवाल था ,,,लेकिन जाने दीजिये ये उचित नही होगा ।

शकुन्तला हस कर - अरे आप पूछिये तो उचित अनुचित मै देखूँगी ना हिहिही । बोलिए

रंगीलाल हिचक कर - वो दरअसल कल से रागिनी नही है तो थोडा ..... । समझ रही है ना आप ?

शकुन्तला मुस्कुरा कर - हम्म्म्म तो
रंगीलाल - तो मेरा एक सवाल था कि आप कैसे खुद को संयम मे रख लेती इतने समय से ,,,मतलब भाईसाहब नही है तो । मेरा दो ही दिन मे बुरा हाल है ।


रंगीलाल अपनी बातो पर शकुन्तला की आखे बडी होता देख सफाई देता हुआ - मतलब ऐसा क्या करती है कोई योगा वोगा या कोई और तरीका जिससे वो सब थोडा कन्ट्रोल मे रहे मतलब परेशान ना करे ।

शकुन्तला रंगीलाल की बात पर हस पडी और काफी समय तक हस्ती रही ।
रंगीलाल - सॉरी सॉरी ,,मुझे लगा ही था कि सवाल ठिक नही है ।

शकुंतला हसी रोकते - देखीये आपका सोचना जायज है कि अगर आपसे अपनी दिल की वेदना संभाली नही जा रही तो मै कैसे रह लेती हू ।

रंगीलाल ने शकुन्तला के बात पर सहमती दिखाई ।
शकुन्तला - ये सब प्यार की बात है ,, आपका प्यार यानी रागिनी कुछ समय मे वापस आयेगी ही इसिलिए आपकी इच्छाए तीव्र है मगर मेरे मे कोई उम्मीद नही है ,,,मै बस कुछ पुराने बीते ख्यालो के साथ ही जी सकती हूँ और तरस सकती हू क्योकि मेरे पति अब नही आने वाले ।

ये बोलते हुए शकुंतला का गला भर सा गया - तो बस यही अन्तर है , औए इस्का कोई खास योगा नही होता है । परेशान मै भी होती हू इसिलिए तो आज यहा भाग कर आ गयी हू हिहिहिहिही

रंगीलाल हस कर - अरे हा ,,, हिहिहिही वैसे भाभी एक बात पूछू

शकुन्तला - हा हा जो भी मन मे पुछ लिजिए ,,
रन्गीलाल हसता हुआ - वो मै बस सोच रहा था कि अगर मान लो रोहन आया है और आपको घर पर रूकना पड़ता तो ऐसे मे आप खुद पर कैसे .....। हिहिहिही

शकुन्तला हसकर अपने बगल का तखिया उठा कर रंगीलाल के पैर पर मारती हूई- धत्त बेसरम कही के ।

रंगीलाल हस्ता हुआ -सच मे भाभी बताओ ना
शकुंतला मुस्कुरा कर - मै सब समझ रही हू कि आप क्या सुनना चाह रहे है मुझसे ।

रंगीलाल हस कर - क्या ? हिहिहिही

शकुन्तला मुस्कुराती हुई - यही ना कि मै अपनी आग कैसे शांत करती हू । हम्म्म ऐसे ही शब्द सुनना चाहते हैं ना आप मुझसे

रन्गीलाल हसकर - नही नही मेर ऐसा कोई इरादा नही है। बस जिज्ञासा थी

शाकुंतला - अच्छा सिर्फ जिज्ञासा हम्म्म्म ।क्यू आप रागिनी के बिना कैसे खुद को शांत करते है ।

शकुन्तला - बोलिए! चुप क्यू है ?? बोलिए बोलिए !!!

रंगीलाल थोडा हसता हुआ हिचकता हुआ - अ ब ब वो वो बस हाथो से थोडी मेहनत करनी पड़ती है । कभी कभी आराम होता है कभी नही ।

शकुन्तला हस कर - धत्त बेशर्म आदमी । मतलब पुछ ली तो बता ही दोगे हम्म्म

रंगीलाल - अब आप ही बार बार पुछ रही थी तो

शकुन्तला हस कर - आप ना ,,,चलो सो जाओ अब

रंगीलाल - हा हा ,,,वो मै जरा बाथरूम से आता हू
फिर रंंगीलाल उठ कर बाथरूम गया और पाजामा खोल कर लन्ड़ बाहर निकालते हुए एक गहरी सास लेकर बड़बड़ाया - ये साली बडी चालाक है ,,इतनी आसानी से हाथ नही आने वाली । कुछ अलग करना पडेगा ताकि ये नोटिस करे मेरे लण्ड को और क्या पता प्यासी मोर है चोच लगा ही दे हिहिहिहिही ।

फिर रंगीलाल ने मुस्कुरा कर अपना बनियान और पाजामा पेट के पास भिगो लिया ।

कमरे मे आते ही वो आलमारी से कपडे निकालने लगा

शकुन्तला उत्सुक होकर - अरे क्या खोज रहे है जी आप ,,,आईये सो जाईये

रन्गिलाल शकुन्तला की ओर घूम कर जबरन की हसी मुह पर लाता हुआ - वो भाभी जी ये हाथ धुल्ते समय भीग गया कपडा तो बदलने जा रहा हू

शकुन्तला ने रम्गिलाल के पेट के निचले हिस्से और लण्ड के उभार पर नजर मारी तो खड़े लण्ड का तनाव साफ दिख गया उसे । वो फौरन नजर फेरते हुए - अच्छा बदल लिजिए हिहिहिही

फिर रंगीलाल ने शकुंतला की ओर पीठ करके पहले बनियान निकाली फिर वैसे ही पाजामे मे आलमारी मे खोजने लगा ।

रन्गीलाल - ओह्हो ये रागिनी ने मेरे बाकी के बनियान और कपड़े कहा रख दिये

शकुन्तला रंगीलाल को अधनंगा देख कर हस्ती है।
कपडे तो सारे आल्मारि मे ही थे मगर रंगीलाल पहनना नही चाह रहा था ।

उसने थोडा खोज बिन कर एक पाजामा निकाला और कपडे देखने लगा ।
शकुंतला को लगा सच मे रंगीलाल परेशान है - अरे क्या हुआ भाई साहब इसपे कुर्ता ही डाल लिजिए

रंगीलाल - भाभी वो मुझे गरमी बहुत होती है और फुल कपडे पहन कर मै सो नही पाता ,,,वो तो आप है नही तो मै ये पाजामा भी .....।

शकुन्तला मुस्कुराकर - अच्छा कोई बात नही आप अपने हिसाब के कपडे पहन लिजिए ।

रंगीलाल उखड़ कर - क्या पहनू भाभी जी ,,मेरा तो जांघिया भी नही मिल रहा है ।

शकुन्तला रंगीलाल की स्थिति पर हस रही थी ।
फिर रंगीलाल वो पाजामा लेके बाथरूम मे चला जाता है क्योकि तौलिया तो था नही निचे । वो तो शकुंतला के नहा लेने के बाद छत पर सुखने के लिए पड़ा था ।

इसिलिए मजबुरन रंगीलाल को कमरे के बजाय बाथरूम मे जाना पड़ा नही तो वो अपना जलवा कमरे मे ही दिखाने वाला था ।

इधर शकुन्तला मुह मे हसती रही ,,वही रंगीलाल बाथरूम मे चला गया ।

रंगीलाल को गये अभी 2 मिंट हुई ही थे कि बाथरूम से कुछ भडभड़ाने की और चिखने की आवाज आई जो रंगीलाल की थी ।

शकुन्तला की आंखे फैल गयी वो दौड़ कर बाथरूम के दरवाजे को खोल कर अंडर घुस गयी
शकुन्तला घबराई हुई - अरे आप ठिक तो है


जैसे ही उसने रंगीलाल को देखा तुरंत उसकी हसी छूट गयी और उसने मुह फेर लिया ।
कारण था रंगीलाल बाथरूम मे बेसिन के पास निचे फर्श पर पाव फैलायी पसरा पडा हुआ था उसके एक पाव मे पाजामा घूटने तक जबकि दुसरे पाव मे एड़ियो मे फसा हुआ था और उसका मोटा लण्ड साफ नंगा दिख रहा था ।
बेसिन के उपर के रैक के साबुन शैंपू और टूथपेस्ट ब्रश सब बाथरूम के फर्श पर बिखरे पड़े थे और पानी की की बालटी भी लुढ्की हुई थी ,,जिससे रंगीलाल का बेसमेन्ट भीग गया ।

रंगीलाल ने जैसे ही शकुन्तला को देखा तो वो हड़बड़ी दिखाता हुआ पाजामा खिचने लगा और एक दर्द की टीस से कराह दिया ।

शकुन्तला ने तुरंत रंगीलाल के हाथो की स्थिति देखी और उसके भिचे हुए चेहरे से उसके दर्द की असहनीयता को परखा और मानवता के तौर पर उसे जो
सही लगा उसने रंगीलाल के बगल मे बैठते हुए उसका पाजामा खिच्ते हुए बोली - अरे आप गिर कैसे गये ।

रंगीलाल अपने हाथो से अपना मोटा लण्ड छिपाता हुआ - वो ये पैर पाजामा मे फस गया और उसी मे बैलेंस बिगड़ गया ।

शकुनत्ला थोडा जोर लगाते हुए पाजामा खिच्ती है - ओह्ह्ह ये चढ़ क्यू नही रहा है देवर जी

रंगीलाल परेशान होता हुआ - पता नही भाभी जी ,, तभी ना मै गिर गया ,,,और ये पाजामा भी भीग गया है ।

शकुन्तला ने भी पाजामे का गिला पन नोटिस किया और उसे पैर से निकालते हुए - चलिये इसको निकाल देती हू और कोई और कपड़ा देती हू ।

इधर शकुन्तला की बात सुन कर रंगीलाल की आंखे बडी हो गयी क्योकि अगर शकुन्तला आलमारी चेक करती तो उसका सारा भेद खुल जाता ।
उसका सारा ड्रामा और लण्ड दिखाने के लिए जो उसने खुद को बाथरूम मे गिराया सब शकुन्तला जैसी तेज औरत भाप लेगी ।

रंगीलाल - अरे भाभी वहा बस यही पाजामा भर था ,,रागिनी ने सारे कपडे शायद बकसे मे रखे हुए है ।

शकुन्तला ने बडी जद्दोजहद के बाद वो गिला पाजामा रंगीलाल के पैर से निकाला और एक तिरछी नजर रंगीलाल के हाथो पर मारी को अपना लण्ड ढके हुए था ।

शकुन्तला की हसी छूटी मगर वो मुस्कुरा कर रंगीलाल का बाजू पकड कर उससे उठाने लगी - उठ जायेंगे ना ,,

रंगीलाल कराहने का नाटक करता हुआ एक हाथ से अपना लण्ड छिपाता हुआ लड़खड़ाते हुए खड़ा हुआ ।
शकुन्तला मुस्कुरा कर - कही दर्द तो नही है ना

रंगीलाल कुछ सोचा और बोला - नही बस ये बालटी कूल्हे पर लग गयी थी ।

शकुंतला ने फौरन रंगीलाल के उसी कुल्हे पर जिस ओर बालटी थी यानी बाई तरफ ,,उसे हाथो से मलने लगी ।

रंगीलाल ने शकुन्तला के स्पर्श से चहका और हस्ते हुए - अह्ह्ह भाभी हिहिहिही दर्द हो रहा है हिहिही

शकुन्तला हस कर- अरे तो आप हस रहे है क्यू ?
रंगीलाल थोडा शर्माता हुआ - वो आप छू रहे हो तो गुदगुदी सी लग रही है ह्हिहिहिही अह्ह्ह भाभीईई उम्म्ंम्ं धीरे धीरे करिये

शकुन्तला - अच्छा आप चलिये मै मालिश कर देती हू

फिर शकुन्तला रंगीलाल को पकड कर बिस्तर पर ले गयी तो रंगीलाल ने लपक कर एक तकिया अपने लण्ड के आगे कर लिया ।
अब तक शकुन्तला के स्पर्श से रंगीलाल का लण्ड पूरी तरह से तन चुका था
जिसको तकिया रखते समय शकुन्तला ने भी देखा था ।
शकुन्तला कमरे मे इधर उधर कुछ ढूँढने लगी और तभी रंगीलाल की नजर शकुन्तला की चुतड पर एक तरफ भीगी हुई साडी पर गयी ।

रंगीलाल - अरे भाभी आप कैसे भीग गयी
शकुन्तला चौकी और उसने खुद को निहारा की कहा से भीगी हुई है वो
रंगीलाल हस कर - अरे वो पीछे से ,

शकुन्तला ने फौरन अपने चुतड पर हाथ फिराया तो उसे अपनी साडी भीगी हुई मिली - अरे हा ये कैसे भीग गयी


रंगीलाल - शायद जब आप मेरे बगल मे बैठी होगी तभी ,,,,कोई बात नही बदल लिजिए आप

शकुन्तला - लेकिन पहनू क्या,,मेरे भी कपडे धुले हुए है ना

रंगीलाल एक बार खुद देखा और किसी तरह से खड़ा होता हुआ - अरे रुकिये मै देखता हू कुछ है क्या

कारण था रन्गिलाल शकुन्तला को आल्मारि नही देखने देना चाहता था ।

रंगीलाल उठा और तकिया आगे किये हुए आलमारी तक गया और इधर शकुन्तला ने मुह फेर कर हसने लगी ,,क्योकि रंगीलाल का गहरे भूरे रंग की गाड़ दिख रही थी उसे ।

इधर रंगीलाल ने एक भारी साड़ी निकालते हुए - भाभी जी ये चलेगा

शकुन्तला साडी देखते ही - अरे नही नही इत्नी गर्मी मे ये कैसे ,,वैसे भी मुझे बिना साडी के ही सोने की आदत ..... । मतलब मुझे भी गर्मी ज्यादा होती है हिहिहिही

रंगीलाल ने फिर सिफान की सफेद चुन्नी निकाली और तकिया बेड पर फेककर वो चुन्नी कमर मे लपेट लिया ।
फिर रंगीलाल के लण्ड का कालापन और मोटा उभार साफ दिख रहा था ।

रन्गिलाल वो चुन्नी लपेट कर - अरे ऐसी बात है तो आप भी आराम से सोयिये ना ,,,अब जो भी कोई बाहर का आने वाला है नही तो ।

तभी शकुन्तला की नजर रंगीलाल के कमर मे बधि सफेद चुन्नी पर गयी तो उसने रंगीलाल से आग्रह किया - अच्छा ऐसी कोई चुन्नी और है क्या ,,देखेंगे

रंगीलाल हस कर - अरे नही ,,अब नही है ,,ये भी पुरानी है देखीये

रंगीलाल उस चून्नी का एक छोटा सा कटा हुआ भाग शकुन्तला को दिखाता है तो उसके चेहरे का भाव बदल जाते है ।

रंगीलाल हस कर अपने क्मर से चुन्नी खोलने लगा - अगर आपको चाहिये तो ले लिजिए,,,मै तकिये से .....।

शकुनत्ला हसी और मना करते हुए -अरे नही नही आप रखिये उसे ढकना जरुरी है नही तो आनायास ही मेरा ध्यान .... ।सॉरी वो हिहिही

रंगीलाल हस कर - हिहिहिही आप तो ऐसे डर रही है जैसे मानो आप अपना नियन्त्रण खो देन्गी

शकुन्तला हस्कर अपनी साडी निकालते हुए - धत्त बेशरमी कही के ,,, ऐसी कोई बात नही है मै बहुत संयमि हू समझे हिहिहिही लेकिन अच्छा नही लगता ना आखिर मर्यादा भी तो ....

रंगीलाल शकुन्तला को रोकता हुआ - नही नही आप झूठ बोल रही है ,,,आपके चेहरे से साफ दिख रहा है हिहिहिही

शकुन्तला अब झेप सी गयी कि रंगीलाल उस्से कैसी बाते लेके बैठ गया ,,मगर माहौल ऐसा था कि मानो उसके स्वाभिमान को रंगीलाल ने ललकारा हो ।


शकुन्तला तुनक कर - तो आपको लगता है कि मै बाकी औरतो की तरह आम हू और बहक सकती हू ।

रंगीलाल हस कर - अरे आप नाराज ना हो ,,मै तो बस मजाक कर रहा था

शकुन्तला- नही नही अब आप इसे निकालिये ,, मै आपको गलत साबित कर दूँगी

इधर रंगीलाल ना नुकुर करने लगा और वही शकुन्तला जो अब ब्लाउज पेतिकोट मे थी वो रंगीलाल के कमर की चुन्नी जबरदस्ती खोलने लगी और इसी ना हा मे चुन्नी फट गयी ।

रंगीलाल चाह कर भी उसे लपेट नही सकता था और उसका खुला काला मोटा लण्ड अब शकुन्तला के सामने था ।

शकुन्तला ने पहली बार नजर भर के रंगीलाल के लण्ड की फुली हुई नसो को देखा ,,वो मचल उठी ,,उसके सुखे चुत मे उफान सा उठ गया ।

रंगीलाल ने जब शकुन्तला को ऐसे खोया देखा तो समझ गया अब मंजिल दुर नही ।

रंगीलाल हस कर अपने हाथ को अपने लण्ड पे लाता हुआ - क्या भाभी ये क्या किया ,,फट गया ना वो

शकुन्तला चौकी और उसे अपने बेहोसी का ध्यान आया और फिर कुछ पलो मे उसने रंगीलाल के वक्तव्य को समझा और हस्ते हुए - अरे तो क्या हुआ आप ही चैलेंज कर दिये मुझे ,,, हिहिहिही तो मै क्या करती

रंगीलाल तिरछी नजरो से शकुन्तला के छातियों को निहारता हुआ - हा लेकिन फिर भी आप हार ही गयी ना

शकुन्तला हस कर - अरे कैसे ,, मुझे तो कुछ हुआ ही नही

रंगीलाल चल कर बिस्तर की ओर जाता हुआ - जाने दीजिये मै जान गया ना ,,, चलिये सो जाते है


रंगीलाल के ऐसे इग्नोर करके जाने से शकुन्तला के स्वाभिमान को ठेस लगी और वो चल कर रन्गीलाल के पास गयी - अरे तो मुझे भी बताईए ना कि आपने ऐसे कैसे समझ लिया कि मै हार गयी ।

रंगीलाल मुस्कुरा कर - रहने दीजिये भाभी जी , मै जान रहा हु आप हार गयी ,,भले ही आप दिखावा करे ।

शकुन्तला को समझ नही आ रहा था और रंगीलाल जैसे जैसे बात टालता उसकी बेचैनी उस बात को जानने के लिए और बढ जाती ।

और जब बार बार पूछने पर रंगीलाल ने उसे बताने से मना किया तो वो आवेश मे आकर आगे बढी और रम्गिलाल का गर्म मोटा लण्ड पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी ।

रंगीलाल को इसकी उम्मीद नही थी ,,वो तो बस बाते सोच रहा था कि कैसे शकुन्तला को बातो मे उल्झाऊ लेकिन उस्से पहले ही शकुन्तला ने उसका लंड थाम लिया ।

रंगीलाल गनगना गया उसके पैर हिलने लगे । वो कापते स्वर मे - हिहिहिही भाआआभीईई ये ये ये क्याआ कर रही है आप्प्प्प हुहिही अह्ह्ह्ह प्प्लिज्ज्ज छोओओड़ दीजिये अह्ह्ह आह्ह

शकुन्तला इस वक़्त बस गुस्से मे थी और उसे जवाब चाहिये था - नही आप बतायिये पहले , देखीये मैने तो इसे पकड भी रखा है फिर भी नही हुआ मुझे कुछ

रंगीलाल समझ गया कि क्या करना है तो वो बाते बढ़ाते हुए - मै इसका प्रमाण दे सकता हू भाभी जी ,,एक नही दो दो

शकुन्तला की आंखे और बड़ी हो गयी ,,,वो एक असमंजस की स्थिति में आ गयी , बस यही उसका गुस्सा हल्का पड़ा और उस्का ध्यान अपने हाथ मे पकड़े रंगीलाल के मोटे लण्ड पर गयी । जिसे वो भीच रही थी ।

शकुन्तला को अब खुद पर शरम आने लगी कि आवेश मे ये उसने क्या कर दिया

इधर रन्गीलाल हस कर अपना हाथ ऊँगली सीधा शकुन्तला के नुकीले हो चुके निप्प्ल पर रख कर उसे सहला देता है जिससे शकुन्तला की सिसकी निकल जाती है

रन्गीलाल हस कर - देखा भाभी जी , हो गया ना असर

शकुन्तला शर्म से पानी पानी हो गयी और वो उसका लण्ड छोड कर घूम कर अपना मुह ढक ली ।
रंगीलाल समझ गया कि यही सही मौका है

लेकिन वो आगे बढता उस्से पहले शकुन्तला ने गरदन पीछे कर एक सवाल पुछ लिया - लेकिन आप बोले दो प्रमाण, दुसरा कौन सा है ??

रंगीलाल इस सवाल से गदगद हो गया और वो शकुन्तला के बगल मे आकर अपना हाथ उसकी दुसरी चुची के निप्प्ल पर रख कर मसल दिया - ये है भाभी दुसरा वाला

वो फिर से सिहर गयी और वही रंगीलाल ने पीछे से शकुन्तला को पकड कर उसकी दोनो चूचियो पर क्बजा कर लिया

शकुन्तला सिस्की - अह्ह्ह देवर जी ये क्याआअह्ह्ह कर रहे उम्मममं सीईई

रन्गीलाल अपना मोटा लण्ड शकुन्त्ला के गाड मे घिसता हुआ उसकी चुचिया मिजते हुए - वही बता रहा हू भाभी जो पुछ रही थी ,,यही दोनो आपके निप्प्ल मेरे लिंग को देख के खड़े हो गये थे ।

शकुन्तला कसमसा कर - अह्ह्ह लेकिन आपको कैसे पता कि हहह येएह्ब खड़े हो गये है उम्म्ंम्म्ं ये तो अंदर है ना

रंगीलाल उसकी चुचियो को मसलता हुआ
भाभी आपके दूध इतने मोटे और बडे है कि ब्लाउज मे छिप नही सकते ,,ये देखो ना निप्प्ल आपका कितना कड़ा हो गया है ।
रंगीलाल शकुन्तला के ब्लाउज मे हाथ घुसा कर एक चुची को बाहर निकालता हुआ बोला ।

शकुनत्ला पूरी तरह से पिघलने लगी थी रंगीलाल के बाहो मे ,,,
रन्गीलाल ने एक एक करके शकुन्तला के सारे हुक खोल दिये और उसकी नंगी चुचियो को हाथो मे लेके मसल दिया ।
शकुन्तला ने अरसे बाद अपने छातियो पर एक मरदाना स्पर्श मह्सुस कर पागल सी होनी लगी ।

रंगीलाल ने उसे अपने गिरफ्त मे ले रखा था और उसकी गोरी चुचियो को मसलते हुए बोला - अह्ह्ह भाभी आपके दूध सच मे कड़े है ,,कैसे आप खुद को रोक लेती है उम्मममंं क्या मस्त दूध है
ये बोल कर रंगीलाल शकुन्तला के बगल मे आते हुए सामने से अपने मुह उसकी चुची भर ली

शकुन्तला - अह्ह्ह देवर जीईई मर गयीईई उम्म्ंम्ं अह्ह्ह माआ आरामम्मं से उम्म्ंम्म्ं
रंगीलाल सामने होकर शकुन्तला के कूल्हो को थाम कर अपने ओर खिचकर अपना लण्ड पेतिकोट के उपर से ही उसकी चुत पर धसाने लगा । फिर उसकी आंखो मे देखते हुए बोला - आह्ह भाभीई क्या सच मे इतने सालो से किसी से इन्हे नही छुआ ।

शकुन्तला अपनी पिचपिचाती चुत पर लण्ड की कड़क चुबन पाकर मद मे थी और रंगीलाल के तारीफो से लाल हुई जा रही थी ।

रंगीलाल ने शकुन्तला की मद भरी आंखो मे निहारा और उसकी मुस्कुरा देख के एक उतेज्ना से भरते हुए अपना लण्ड की ओर उसके कूल्हो को खिचते हुए उसके होठ चुसने लगा ।


शकुन्तला एक प्यासी मछली के जैसे रंगीलाल से लिपट गयी । इधर रंगीलाल उसके होठो को चुसते हुए उसके फैले हुए चुतडो को मलने मे कोई कसर नही छोड़ी ।

पेतिकोट के आगे पीछे सीलवटे आ चुकी थी ।
रंगीलाल लगातार अपने लण्ड को उसके चुत के उपर ठोके जा रहा था । लण्ड की घिसन से शकुन्तला व्याकुल हुई जा रही थी उसे बहुत तलब सी थी की रंगीलाल अब उसे ना तड़पाये ,,बस उसकी चुत मे घुसा दे।

इधर रन्गिलाल ने धीरे से मद भरे स्वर मे उसके कानो मे बोला - भाभी चुस दो ना

शकुन्तला ने नजर भर उठा कर रंगीलाल को देखा और फिर शर्मा कर ना मे सर हिलाते हुए मुस्कुराने लगी ।

रंगीलाल ने गुहार की तो - वो मैने कभी किया नही,,,मेरे वो मना करते थे ।

रंगीलाल ने उसका हाथ पकड कर अपने गर्म सख्त लण्ड पर रखता हुआ - तो मै कह रहा हू ना भाभी जी प्लीज

इधर अपने हथेली मे रंगीलाल के लण्ड का कड़ापन और गर्मी मह्सूस कर वो सिस्क पडी और निचे एक नशे मे सरकती चली गयी ।

थोडा उसने अपनी नशीली आंखो से रंगीलाल को देखा और अगले की क्षण लण्ड मुह मे

रंगीलाल की एडिया खड़ी हो गयी और सासे गहरी ।
रंगीलाल - ओह्ह्ह भाभीईई उन्म्म्ं अह्ह्ह आप कमाल हो औम्म्ंं सीई ऐसे ही अह्ह्ह

मगर शकुंतला को लण्ड चूसना कुछ खास जम नही रहा था तो वो खड़ी हो गयी

रंगीलाल उसकी भावना समझ गया और उसको पीछे से दबोच कर उसकी चुचिया मसलते हुए - ओह्ह भाभी छोड क्यू दिया ? मेरी बात नही मानने की सजा देता हू मै उम्म्ंम्ं


शकुन्तला मादक सिसकिया लेती हुई - ओहहह आह्ह उम्म्ंम क्या देवर जीईई उउम्ंमम्मं

रंगीलाल ने हाथ निचे ले जाकर पेतिकोट का नाड़ा खोल दिया और वो शकुन्तला के पैरो मे था ।
शकुन्तला समझ गयी कि आगे क्या होने वाला है ,,लेकिन फिर भी उसे इस कामुक वार्ता मे एक जोश सा मह्सूस हो रहा था और वो जानती थी अगर ये बातचित रुकी तो उसकी मर्यादा उसपे हावी हो जायेगी और सालो से जिस सुख के लिए वो तरस रही है वो अधूरी रह जायेगी ।

शकुन्तला कसमसा कर - उम्म्ं कैसी सजा देवर जी उम्म्ंम

रंगीलाल ने उसे बिस्तर पर धकेला और तेल की शिशि से खुब सारा तेल अपने लण्ड पर चभेडने लगा ।
शकुन्तला बिस्तर पर चित नंगी टाँगे खोले लेती रंगीलाल के कृत्यो को निहारे जा रही थी ।

इधर रंगीलाल मुस्कुरा कर तेल मे सना हुआ लण्ड मसलता हुआ बेड पर चढ़ गया और शकुन्तला की एक टांग उठा कर अपने कंधे पर रख कर अपना लण्ड उसके झाटो से भरी चुत के उपर घिसने लगा।

शकुन्तला कसमसा कर- बोलिए ना देवर जी क्या सजा देने जा रहे है उम्म्ंम्ं ओह्ह्ह

रंगीलाल - देखो इसी डंडे से आपकी पिटाई होगी ,,,ये बोलते ही उसने अपना लण्ड ख्चाक से उसकी बुर मे पेल दिया ।

शकुन्तला चीखी - अह्ह्ह माआआआ उह्ह्ह्ह देवर जी उम्म्ंम्ं ओह्ह बह्हुउऊऊत्त्त मोटाहह है उम्म्ं आह्ह

रंगीलाल ने वापस से धक्का दिया और लण्ड सीधा शकुन्तला के चुत को चिरता हुआ आधे से ज्यादा घुस गया

शकुन्तला के जांघो मे भी चिलिक सी होने लगी ,,नसो मे खिचाव सा होने लगा ,,मानो ये उसकी पहली चुदाई थी ।
इधर रंगीलाल ने अपना जगह तय कर लिया और धीरे धीरे चुत की गहराई मे जाने लगा।

शकुन्तला हर धक्के को मस्ती और दर्द मे लेती रही और सिस्क्ती मुस्कुराती कभी शर्माती रही ।

थोडे समय बाद रंगीलाल ने उसका पाव कन्धे से उतारा और जांघो को खोल कर उपर चढ कर घपाघ्प पेलाई शुरु कर दी
रंगीलाल - ओह्ह्ह भाभी आपकी चुत तो सच मे कसी हुई है ,, लग रहा है किसी जवान चुत मे .... अह्ह्ह्ह

शकुन्तला - हम्म्म वो तोहहह लगेगा ही ना देवर जी कितने सालो से कुछ गया नही था अन्दर,,,लेकिन आपने आज अह्ह्ह माआअह्ह्ह उम्म्ंम्म्ं


रंगीलाल - मै तो जिस दिन से देखा था आपको तभी से नजर पड़ ज
गयी थी आपके इन मोटे दूधो पर ।

शकुन्तला मुस्कुराते हुए - हा जान रही हू ,,,पहले दिन ही मै भी आपकी नियत समझ गयी जब आपने मेरी कच्छी के साथ ....हिहिही
रंगीलाल उस पल को याद करते ही और जोश मे आ गया और गहरे धक्के लगाता हुआ - आह्ह भाभी उसी दिन से तय कर लिया था कि इस पैंटी के निचे का खजाना च्खना पडेगा अह्ह्ह बहुत ही मस्त हो आप भाभी उम्म्ंम


शकुन्तला तो दुसरी बार झड़ रही थी और कामुक होकर अपने चुत के छल्ले को लंड पर कसे जा रही थी ,,मगर जोशिला रंगीलाल कहा थमने वाला था ,,वो ताबड़तोड़ धक्के मारे ही जा रहा था और आखिर मे उसने कहा- अह्ह्ह भाभी निचे आओ मेरा होने वाला है अह्ह्ह
शाकुंतला - नही नही वैसे नही प्लीज ,,, अह्ह्ह मुझे पसन्द नही उम्मममं

इधर रंगीलाल ने जल्दी से लण्ड निकाला और हिलाने लगा और उसका सारा वीर्य तेजी से शकुन्तला की छातियो पर गया और एक दो छीटें उसके निचले होठो पर गये ।

दोनो हाफ रहे और हसे जा रहे थे और अभी के स्थिति को देख को कुछ पल पहले तक के माहौल को सोच रहे थे । कि कैसे हवस ने दोनो को अन्धा किया और वो बहक ही गये ।

इधर रंगीलाल ने पहले ही तय कर रहा था कि अगर शकुन्तला एक चुदाई के बाद झिझक या कोई दुखी भाव दिखायेगी तो वो उसे दुबारा पेल कर उसकी सारी झिझक दुर कर देगा ,,,मगर यहा सब उल्टा था ,शकुन्तला खुद ही फिर से रंगीलाल के लण्ड को थाम ली और अगले राउंड की तैयारी होने लगी थी ।
दोनो ने देर रात तक चुदाई की और शकुन्तला ने सालो की कसर पूरी की ,,क्योकि रंगीलाल के साथ उसे एक सिक्योरिटी मह्सूस की उसने ।
अगली सुबह शकुन्तला फटाफट नासता और दोपहर का खाना बना कर अपने घर चली गयी ,,,क्योकि उसने अपने घर पर झूठ बोला था तो वो दोपहर मे रंगीलाल को खाना देने भी नही जा सकती थी ।


इधर रंगीलाल भी खुशि खुशी अपना लंच लेके 9 बजे तक दुकान पर निकल गया ।

अब एक ओर जहा चमनपुरा मे ये सब हो रहा था वही जानीपुर की सुबह कैसे फीकी होती ।

राज की जुबानी

सुबह 5 बजे ही मेरी निद खुल गयी क्योकि मौसी ने हमसब की जगाया ,,,कारण था झाडू पोछा होना था ।

धीरे धीरे सारे जेन्स लोग कुछ इस घर मे तो कुछ बगल वाले घर मे जिसने खाने पीने के लिए व्यव्स्था की गयी थी ,,वहा जाकर नहाने लगे ।

सबके लिए वही पर चाय पकौड़ी बनवाया गया ।
सबने नासता किया और इधर फिर बारात के पहले के भोज की व्य्व्स्था होने लगी ।

कुछ आये हुए मेहमानो , राजन फूफा ,अनुज और मोहल्ले के लड़के मिल कर दोपहर के खाना बनवाने मे मदद करवाने लगे ।
इधर घर मे औरतो की अलग ही भागा दौडी चल रही थी ।

सुबह से दूल्हे की सारी तैयारिया हो रही थी ।
मै भी रसोई से लेके घर के कामो मे उल्झा था। मौसा भी सारे बुकिंग वालो से फोन पर बाते किये जा रहे थे ।

10 बजे से दूल्हे की कार की सजावट होने लगी थी ।
मेरे अलावा घर के और भी लोगो ने रमन भैया को छेड़ने मे कोई कसर नही छोड़ी ।
सारे लोगो ने मजा लिया ।

इधर मुहल्ले की सड़क पर ही बफर लगा कर सारे बरातियो को खाना खिलाया जाने लगा । घर की औरतो ने एक दो झुंड मे पहले ही खाना खा लिया क्योकि उन्हे ही दूल्हे को तैयार करना था ।

1 बजे तक सारा खाना पीना हुआ । अब तक राजेश मामा भी आ चुके थे ।

तो मैने राजन फूफा और मामा ने मिलकर सारा खाना पीना और बाहर का समान सेट करवाया और नहाने के लिए चले गये ।

घर मे हर कोई खुश था ,,सबके चेहरे पर हसी थी ।
क्योकि बैंड वाले आ चुके थे ।
मौसी ने पहले उनकी द्वारपूजा करवाई फिर उनहोने ने बजाना शुरु कर दिया ।


इधर घर की सबसे उपर की छत पर रमन भैया के नहलाने का कार्यक्रम हो रहा था ,,मामी और एक दो मुहल्ले की भाभिया उन्हे घिस घिस कर नहा रही थी और गुदगुदी की कोई रोक नही थी ।

लगभग सभी ने रमन भैया को इसी बात से चिढ़ाया कि आखीरी बार मामी और भाभी को छू लेने दो ,,फिर तो तुम्हारी वाली किसी को छूने नही देगी ।
कुछ जरुरी कामो के दौरान एक दो बार मेरा उपर जाना हुआ तो मामी मुझे भी खिच कर वही बिठाने लगी कि आओ तुम भी नहा लो ,,,

मै तो जान छुड़ा कर भागा और बगल के घर मे सबके साथ नहा कर तैयार हुआ ।

3 बजे तक सब लोग तैयार हो चुके थे ,,, घर की महिलाओ और लड़कियो के क्या कहने ,,, सेक्सी और गुदाज नाभिया दिखाने मे कोई भी पीछे न्ही रही ,,,चाहे साडी वाली हो या लह्गे वाली ।सब कयामत ढा रही थी । नाना मामा , मौसा , राजन फुफा तो छोडो कुछ बुजुर्ग मेहमानो ने भी घर की गदराई मालो के कूल्हो पर कसी साडी और रसिली नाभि को देख कर आहे भरी ।
इधर सारे जेन्स लोगो ने ड्रेस कोड के नाम पर एक पिंक साफा लिया हुआ था और सब ट्रेडिशनल कपड़ो मे थे ।


अनुज को सहबाला बनाया गया था ।
गाजे बाजे के साथ बारात क्षेत्र के स्थानीय देवी देवताओं के दरो से गुजरने लगी । औरत हो या मर्द सब डांस किये जा रहे थे ।

गीता बबिता सोनल और पल्लवि के साथ उनकी दोस्ती कुछ और मेहमान वाली लडकियो से हुई थी तो उनका गैंग अलग था ,,अनुज राजन फूफा मामा को लेके मै अलग ही नाच रहा था ।

बिच मे कभी मामी तो ममता बुआ के साथ ,,, हाथ पकड कर बडी सभ्यता से ठुमके लगाये जा रहे थे । मगर भोजपूरी गानो पर मामी ने जो अदाये दिखाई आह्ह वो मजा ही अलग था। बारात गाडी आगे बढती ,,, इधर जोड़ो वाला डांस होने लगा ,,ममता - राजन , मामा - मामी यहा तक कि मौसा के चाचा और चाची ने भी थोडे बहुत उछल कूद की ।

मगर फिर चाची को मौसी के साथ कार मे बिठा दिया गया क्योकि उन्हे थकान हो रही थी । इधर गीता बबिता के साथ मैने ठूमके लगाये लेकिन भोजपूरी गानो पर भिड़ मे बहनो के साथ मुझे मस्ती मे नाचता देख पल्लवि किनारे खड़ी हसी जा रही थी ।
थोडा बहुत जोर देके मैने उसको और अनुज को जानबुझ कर साथ मे नचवाया ये देखने के लिए कि अनुज का क्या रियेक्शन आता है ।, उम्मीदन वही हुआ ,,दोनो ने नजरो से बाते की और थोडा मुस्कुराते शर्माते डांस किये ।

अब इतने सारे रसिले माल्दार हसिन महिलाओ को लेके चल रहा हू तो लोगो की नजरे ना जाये उन्के मोटे कुल्हो पर ये कैसे हो पाये ।
जवाँ बूढ़ो सबने जमकर घर की औरतो के मटकते कूल्हो और हिलती चुचियो के नजारे सेके ।
धीरे धीरे अन्धेरा बढा और तय समय पर बारात निकल गयी ।
घर की औरतो मे सिर्फ मामी और सारी लड़किया बारात के लिए गयी ।
हमलोग भी अपने अपने बोलोरो मे बैठ कर निकल गये ।

दो घन्टे का सफर और होने वाली जनमासय मे पानी पीने की व्य्व्स्था करायी गयी थी । जो कि एक सरकारी स्कूल था । जैसा की आम बरातो मे होता था ,,यहा भी था सारे बराती एक साथ मीठे और चाट के स्टालो पर टुट पडे ।
इसलिये मुझे ही अकेले भाग दौड़ कर लडकियो के लिए मीठा और चाट चाऊमीन का इन्तेजाम करना पडा ।

पल्लवी के साथ अब तक एक खास रिश्ता बन चुका था ,,हम दोनो भी इशारे और मुस्कराहट मे बाते करने लगे थे ।

इधर मामी ने तो मेरे साथ अपनी मिठाई साझा करने लगी ।
मै - क्या भाभी इसमे भी आधा हिहिहिह

मामी धीमे से आंख मारते हुए - अरे मामी मे आधा होता ही है ।
(कहने का मतलब था हमारे उत्तर पूर्वी भारत के क्षेत्रों मे मामी के साथ भांजे का रिश्ता हसी मजाक वाला होता है ,,जैसे देवर भाभी और जीजा साली का ।)
थोडी देर बाद हम सब बारात लेके होने वाली भाभी के दरवाजे पहुचे ,,वहा से द्वारपूजा के जयमाल और फिर एक ओर बारातियो का खाना पीना होने लगा ।
वहा भी ग्लैमर मे कोई कमी नही थी ,, लडकी वालो के तरह से भी एक से एक कमसिन हसीनाये खड़ी थी मगर मेरी नजरे तो पल्लवि की कातिल मुसकान पर जमी थी । मेरा स्वार्थ तो उसी से था और कोसिस थी कैसे भी करके घर जाने से पहले ऐसी गदरायी माल को पेलना जरुर है । मगर वो यहा पोस्सिब्ल नजर नही आ रहा था ।

इधर धिरे मौसा , मामा नाना , ये लोग शादी करवाने लगे थे ।
हालकि शादी मे गाव मे हो रही थी । जयमाल के दौरान भाभी को पहली बार देखा । रमन भैया की किस्मत खुल गयी थी जो गाव की देसी छोरि मिली थी । मैने एक बार मा से सुना था कि लड़की यानी कि भाभी खेत मे बहुत काम करती हैं गौशाला मे भी काम करती है ।
तभी तो मैने उनके चौडे कन्धे देख कर समझ गया कि बहुत ही कसा हुआ माल है ,,रमन भैया ने अगर थोडा अच्छे से मेहनत कर दिया तो एक बच्चे के बाद भाभी एक दम गदरा कर मस्त देसी भाभी तैयार होंगी और तब उनको देखने वालो के लण्ड टपक जायेंगे ।
मगर मेरी किस्मत मे मौसा ने घर की औरतो की जिम्मेदारी थी कि भाई मै ही उनका ख्याल रखू और खाना पीने का इन्तेजाम कर दू ।

मेरी भागा दौडी जारी रही और भिड़ कम होने पर मैने अपनी बहनो और पल्लवि को लेके स्टेज पर गया । हमारी तस्वीरे निकाली गयी ।

इधर मैने अनुज को भी छेडा जो रमन भैया के बगल मे बैठा था ताकि भाभी की नजर मुझपर पडे । हुआ भी

मै अनुज के कन्धे पकड़ कर - अबे भैया का सारा सगुन आधा ले लिया तुने ,,,भाभी आधी ना ले लेना हिहिही
अनुज जो कबसे शर्म से लाल हुआ जा रहा था वो मेरे आने और भी परेशान हुआ ।
इधर गीता बबिता ने हसी ठिठोली मे रमन भैया को स्टेज की कुर्सी के हटा कर किनारे कर दी और नयी भाभी से बाते और तस्बिरे निकलवाने लगी ।

फिर मुझे भी साथ बिठा कर फ़ोटो निकल्वाया । हालकी मुझे थोडी हिचक हो रही थी भाभी के बगल मे बैठने पर मगर मामी जी ने तंज कस दिया - अरे हीरो लजा तो ऐसे रहे हो जैसे ,,रमन बहू तुम्को व्याह के ले जा रही है हिहिही

मामी हस कर - अरे नयकी दुल्हीन पहचान लो इनको ,,सबसे चालू देवर यही है बच के रहना

भाभी ने भी हस कर हा मे सर हिलाया ,,इधर मुझे इतनी शर्म आ रही थी कि मै नजरे उठा कर लड़की वालो की तरफ आयी लडकियो को नही देखा
थोडी देर बाद दुल्हन अंदर चली गयी और फिर हम सब घर वालो के लिए एक जगह व्यव्स्था करवाया गया कि घर की औरते दूल्हा सहबाला खाना खा सके ।

खाने के बाद ये तय हुआ कि लड़किया और मामी सब घर वापस जायेंगी रात मे ही ,,लेकिन घर का एक जेन्स आदमी गाडी मे होना चाहिये ।

सामने निकल कर दो ही आ रहे थे,,,एक मै और एक नाना
फिर मैने पहल की मै घर जाता हू ,,नाना जी को यही रहने दीजिये शादी मे बुजुर्ग का होना शुभ ।

फिर मै गाडी मे ड्राईवर के बगल मे बैठ कर निकल गया मौसी के घर वापस ।

जारी रहेगी
बहुत ही जबरदस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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UPDATE 126
CHODAMPUR SPECIAL UPDATE
( मिलन एवं विदाई )

पिछले अपडेट मे आपने पढा कि एक ओर जहा रंगीलाल ने शकुन्तला के साथ अपना बिस्तर लगा लिया वही राज भौरे की तरह पल्लवि के आगे पीछे मडरा है ,,देखते है उसकी मेहनत क्या रंग लाती है ।

अब आगे

राज की जुबानी
तकरीबन आधी रात बीत चुकी थी और हम लोग रमन भैया के ससुराल से निकल गये थे ।

दिनभर की भाग दौड़ और लम्बे समय तक नाचने के कारण सभी के पैर थके हुए थे। बोलोरो मे बैठी सभी लड़कीया और मामी सब झपकी लेते लेते गहरी नीद मे सो गये ।

मै आगे ड्राईवर के साथ बैठा था , निद मुझे भी आ रही थी मगर उससे कही ज्यादा मेरे मन में एक बात घूम रही थी कि कैसे भी करके चमनपुरा वापस जाने से पहले पल्लवि के साथ मजे लेने ही है ।

उसी उधेड़बुन मे एक दो मै गरदन पीछे मोड कर पल्लवि को सोते हुए देखता भी हू और लहगे के साथ उसकी कसी हूइ चोली मे दो बडे मुलायम रसिले चुचे भरे मे हुए थे ।

लगभग डेढ़ घंटे के सफ़र के बाद रात के करीब 2 बजे हम लोग घर पहुचे ।

दरवाजा पिटने और फोन करने के बाद कही 15 मिंट बाद मौसी आई और फिर हम सब घर मे गये ।
सबकी हालत खराब थी ,, जिसको जहा जगह मिली वो वही सो गया ।

घर मे मर्द के नाम पर मै और मौसा जी के चाचा ही थे । क्योकि वो बारात नही गये थे ।
वो भी सो चुके थे ।

सोनल और पल्लवि ने अपना निचे वाला कमरा ले लिया और मै रमन भैया के कमरे मे गया तो मेरे पीछे गीता बबिता भी चली आई ।

मामी और मौसी उपर चली गयी ।
मै भी उन दोनो को अपने पास सूलाया ।दोनो ने मुझे एक एक तरफ से पकड लिया और सो गयी ।
मै भी बहुत थका था तो सो गया ।

सुबह 6 बजे निद खुली क्योकि कमरे मे सोनल दीदी मुझे जगाने आई थी । उसके साथ पल्लवि भी थी ।

वही गीता बबिता ने मुझे ऐसे कब्जा कर रखा था कि मानो कोई भी मुझसे अलग होना ही नही चाहती थी ।

सोनल हस कर पल्लवि से - ये देखो नवाब को ।

पल्लवि मुझे गीता बबिता के चिपक कर सोता देख हसती है ।
सोनल - अरे नवाब साहब ये बिस्तर खाली करो ,,,यहा अभी थोडी देर बाद भाभी आने वाली है ।

मै कुनमुना कर उठना चाहा तो देखा कि गीता बबिता ने अपने एक एक पैर मेरे उपर फेके हुए है और पेट को पकड कर सोयी हुई ।

मुझे परेशान देख कर सोनल कमरे मे आई और गीता बबिता के पिछवाड़े पर उन्के लहगे के उपर से ही मारते हुए उन्हे ज्गाने लगी ।

गीता थोडा बुदबुदा कर वापस से मुझे और कसके पकड कर सोने लगी ।
इधर बबिता के पिछवाड़े पर एक और चपाट लगी तो बबिता गुस्से से छ्टपटा कर उठती हुई - क्या दीदी आप इतना जलती क्यू हो ,,,हा नही तो सोने दो ना बहुत नीद आ रही है प्लिज्ज ।


सोनल हस कर - अरे मै क्यू तुझसे जलने लगी ,,तू कौन सा मेरी होने वाली सौतन है हिहिही ,,चल उठ अब भाभी आने वाली है ।

मुह बना कर बबिता उठी और गीता को सोता देख - उसे क्यू नही उठाया आपने ,,बस मेरे पीछे पडी रहती हो आप हा नही तो ।

सोनल हस कर वापस से गीता के पिछवाड़े को बजा देती है - उठ जा मोटी,,, खा खा के बस पिछवाडा बडी कर रही हौ ।

इनसब से अगल पल्लवि हम भाई बहनों की मस्तीया देख कर हस रही थी ।
गीता भी नीरस मन से उठते हुए अधूरी नीद के गुस्साती हूआई - हा तो आप भी कर लो ना दीदी बड़ा ,,,,वैसे भी जीजा जी कर ही देंगे शादी के बाद

सोनल चौकी की अभी ये इसे सब पता है कि कब क्या होना है ,और मुझे भी थोडा ताज्जुब हुआ कि शायद मेरी बहने अब शयानी होने लगी है ।

सोनल गीता के सर को टिपते हुए - बहुत बिगड़ गयी है तू ,,,बहुत जीभ चल रही है तेरी , रुक अभी मामी को बोलती हू क्या बोला तुने मुझे

इधर गीता के वक्तव्य के बाद मेरी नजरे पल्लवि से टकराई तो वो मुस्कुरा रही थी ।


सोनल गीता को धमका बाहर जाने लगी तो गीता ने जल्दी से उठी और उसको पीछे से पकडते हुए - अरे नही नही दिदि ना प्लीज ,,,,हिहिही आप मेरी प्यारी दीदी हो ना प्लीज

सोनल गीता के गुदाज हाथो और जिस्मो का अस्पर्श पाकर छ्टकने लगी क्योकि गीता इत्नी गोल म्टोल थी कि जिसको भी वो हग करती उसे गुदगुदी सी होने लगती ।

फिर सोनल उसे पकड हसते हुए बाहर चली गयी और बबिता भी उसके साथ निकाल गयी ।

इधर पल्लवि भी उन्के पीछे जाने को हुई तो मै फटाक से उठा - पल्लवि रुको ना !!

पल्लवि मुस्कुरा कर - ह्म्म्ं बोलिए क्या हुआ ???

मै बिस्तर से उतर कर उसकी ओर जाने लगा तो मेरे पाजामे मे तना मेरा लण्ड कुर्ते को उठाए हुआ था।।जिसपर पल्लवि की नजर गयी थी ।

मै एक नजर बाहर देखा और थोडा रुक कर बोला - वो तुमने जवाब नही दिया अब तक

पल्लवि समझ गयी मेरे कहने का मतल्ब तो वो शर्मा कर नजरे फेरते हुए मुस्कुराने लगी ।
मै आगे बढा और उसके कलाई को पकड कर उपर लाते हुए अपने दोनो हाथो से सहलाते हुए उसकी उंगलियो को चुमा और मुस्कुरा कर आगे बढ कर उसके गालो को चुम लिया ।

हालकी आज तक मैने किसी को भी ऐसे व्यवहारित नही किया था ,,जितना पल्लवि के लिए क्योकि वो इस लायाक थी । मैने उसके गालो को चूमा और उसके कानो मे बोला - मुझे हा तुम्हारे मुह से सुनना है ।

ये बोल कर मै वहा से निकल गया और पल्लवि वही सिहर कर रह गयी ,,,मेरे हरकतो ने उसे पिघलाना शुरु कर दिया और मुस्कुरा कर रह गयी ।

इधर मै फ्रेश होकर नहाने चला गया । 9 बजे तक भाभी आ गयी उनके स्वागत मे तैयारियाँ होने लगी और धीरे धीरे करके 2 वजे तक का समय बीत गया ।

नयी दुल्हन से मिलने के बाद सारे मेहमान छ्टने लगे ।
इधर मामा की पूरी फैमिली भी घर चली गयी । मौसा के चाचा चाची भी अपने परिवार के साथ गाव चले गये ।

पुरे घर मे अब सिर्फ़ तीन फैमिली थी । एक मेरी ,,एक मौसी की और एक उनकी ननद की ।
खाना पीना कुछ बनाना नही था । हा अलबतक मौसा और राजन फुफा ने मिल कर टेन्ट बर्तन के समानो उनके मालिक के हवाले करने मे व्यस्त रहे ।

इधर जब तक रमन भैया का कमरा रात के सजाया जा रहा था जब तक भाभी को उपर मौसी के कमरे मे रखा गया था । सारी महिला मंडली वही जमी थी यहा तक कि अपना अनुज भी ।

मगर रमन भैया के कमरे की सजावट की जिम्मेदारी तो भाभी के नन्दो की थी । हालकि सुहागरात के सेज के लिए मैने पहले ही फुलो और सजावटी सामान का इन्तेजाम किया था ,,मगर समय समय पर बिच बिच मे सोनल मुझे बुलाती रही ।

थोडे समय बाद मै निचे एक कमरे मे रमन भैया के पास गया जहा वो मोबाईल मे थोडे अपने दोस्तो से बाते कर के आराम फरमा रहे थे ।

मै उन्के पास गया और हस कर - वैसे भैया अगर कोई जानकारी चाहिए तो बेहिच्क पुछ लेना हिहिही मुझसे ।

रमन भैया हस कर - अच्छा अब तू मुझे बतायेगा

मै मजे ले कर - हा ,अब देखो ना । हमारे पास कोई और बडे भैया है और ना ही जीजा जी है तो मैने सोचा क्यू ना मै ही थोडा समझा दू हिहिहिह


रमन भैया हस कर मुझे पीछे गले से पकड के - अच्छा जैसे तुझे बड़ा अनुभव है इनसब का

मै हस कर - अरे अनुभव हिहिहिही..... अनुभव नही भैयाआआ हिहिही वो नेट पर पढा था ना हिहिही

मै उठकर उन्के चंगुल से अलग हुआ - अच्छा वो छाता लिये हो की नही हिहिही या मै लाऊ स्टोर से हीही

ये बोल कर मै भागा और रमन भैया मुझे पकडने के लिए मेरे पीछे भागे ।
मै जान बुझ कर उपर गया सीधा मौसी के कमरे की ओर और भैया भी मेरे पीछे पीछे घुस गये और कमरे का माहौल देख कर वो शांत हो गये ।

मै हस कर उन्हे छेड़ता हुआ - आओ भैया भाभी से मिल लो हिहिहहीही

इतने मे कमरे मे मुहल्ले की एक भाभी बैठी थी वो रमन भैया को छेड़ते हुए बोली - अरे देवर जी तनी पलंग सज जाने दो फिर ये देसी माल तुम्हारा ही है ।

उन मुहल्ले के भाभी के व्यंग पर सबने ठहाके लगाये तो मैने अपनी नयकी भौजी के चेहरे के मुस्कान पर फॉकस किया ,,उन्होने भी अपने मुहल्ले की जेठानी के तन्ज पर होठ दबा कर मुस्की मार ली ।

इधर मौसी - अरे लल्ल्ला तुम लोग यहा क्या करने आये हो
मै हस कर - मौसी वो भैया कह रहे थे कि चलो चोर सिपाही खेलते है और तुम भाग कर भाभी के पास जाना ,,उसी बहाने वो भाभी को देख लेंगे ।

मेरी बात पर सब हसे और रमन भैया शर्म से पानी हो कर मुझे आंखे दिखाने लगे तो मै फटाक से नयी वाली भाभी के बगल बैठता हुआ - देखो ना भाभी ,,भैया मुझे परेशान कर रहे है हिहिही


रमन भैया समझ गये कि यहा उनका चौपट होना ही है तो वो चुपचाप निकल गये ।
मा - चल अब तू भी जा ,,बदमाश कही का ।

मै तुनक कर - मै क्यू जाऊ ,मै तो भाभी से मिलने आया हू

इधर हसी ठिठौली चल रही थी और धीरे धीरे कमरे से एक दो जो मुहल्ले की औरते थे वो भी अपने घर चली गयी ।

मैने एक दो बार भाभी से बात करने की कोसिस की तो वो चुप ही रही तो मै मौसी से - मौसी आपने भाभी का रेमोट कहा रखा है ।

सब चौके और मौसी - मतलब
मै हस कर - अरे देख रहा हू कब से किसी ने इनको म्यूट पर रखा हुआ है हिहिहिही

मेरे जोक पर पहली बार भाभी खिस्स से हसी और चेहरे पर मुस्कान फैल गयी । फिर खासने का नाटक करते हुए चुप हो गयी ।

मौसी हस्ते हुए - धत्त बदमास कही का ,,,तू भी ना

मै - हा अब और क्या ,,देख रहा हू भाभी ने तो तय कर रखा है कि वो सिर्फ भैया से ही बात करेंगी ।

तभी भाभी की पहली महीन से आवाज आई - कहिये क्या बात करनी है आपको ??

सब खुश और अट्टाहस करने लगे कि देखो देखो बहू बोल पडी ।
मै हस कर - चलो चलो अब आप लोग बाहर जाओ ,,मुझे भाभी से कुछ बात करनी है ।

मैने मौसी, मा और ममता बुआ को कमरे से बाहर ख्देड़ा और वो लोग भी हस कर बाहर चली गयी । मगर कमरे का दरवाजा खुला था और वो लोग उपर हाल मे ही थे ।

मै - हम्म्म लो , आपकी तीनो सासो को बाहर खदेड़ दिया,,अब आपको डरने की जरुरत नही है ।।

भाभी धीमी आवाज मे - मै नही डरती किसी से

मुझे उन्के जवाब मे थोडा बचकानापन नजर आया और कुछ वो सिख नजर आई जो शायद मायके से विदा होते समय उनकी मा बुआ ने समझाया होगा ।

मै हस कर - ये हुई ना बात ,,वैसे भाभी आपका नाम क्या है

भाभी - रीना और आपका ??
मै - मै राज ,,आपका लाडला देवर हिहिहिही

भाभी मुस्कुराइ और बोली - अच्छा एक बात पछू
मै - हा हा क्यू नही
भाभी - आपके भैया क्यू आये थे यहा ???
मै हस कर - अरे पता नही क्या हुआ जब से आये हैं बस आपको याद कर रहे है । पता नही क्यू बार बार रात होने का इन्तेजार कर रहे है ।

भाभी हसी और शर्मायी मगर कुछ बोली नही ।
मै उनकी प्रतिक्रिया देख कर बोला - हा तभी ना हम दोनो चोर सिपाही खेलते हुए यहा घुस आये ।

भाभी हसी - आप बहुत नटखट है ।
इधर तब तक कमरे मे मौसी के साथ एक मुहल्ले की औरत आई थी भाभी से मिलने तो मै उनके पास से उठता हुआ धीरे से बोला - मुझसे ज्यादा तो भैया नटखट है ,,बच के रहियेगा हिहिही


फिर मै बाहर निकल कर जाने लगा तो मौसी ने मुझे शरारती भाव से मुस्कुराता देखा तो मेरे पिछवाड़े पर चपट लगायी और मै निचे भाग गया ।
रात हुई हमसब ने खाना पीना किया और फिर दुल्हन को उसके कमरे मे शिफ्ट कर दिया गया ।

इधर चाची जी के जाने के घर के बडे दम्पतियो ने भी अपने अपने कमरो मे सोने का विचार मन मे बना लिया था और मा की इस बात को लेके मौसी से शायद पहले ही बात चित हो गयी थी ।

इसीलिये मौसा मौसी और ममता - राजन और पल्लवि को उपर उनका व्यक्तिगत कमरा दिया गया ।
मा और सोनल एक साथ एक कमरे मे निचे सो गये । फिर मुझे और अनुज को एक साथ सोने के लिए कहा गया ।

लगभग सारे लोग अपने अपने कमरे मे चले गये थे ।
निचे हाल मे मै , मौसी - मौसा और रमन भैया हाल मे थे ।

इधर मौसा ने इशारे से मौसी को मुझे दुर ले जाने को कहा ताकी वो रमन भैया से कुछ बात कर सके ।

मै समझ गया तो मस्ती मे - अरे मुझे भी सुनने दो ना मौसी ,,,आखिर कुछ टाईम बाद मुझे भी काम ही आयेगा।

मौसी मुझे पकड के किचन की ओर ले गयी - चल बदमाश कही का । तेरा समय आयेगा तो रमन सिखा देगा

हम दोनो किचन मे आ गये और मै धिरे से मौसी से - मौसी ,, वैसे तो रमन भैया को सब आपने सिखाया ही है तो अब मौसा क्या बता रहे होगे उनको

मौसी रमन भैया के लिए दुध का ग्लास तैयार करती हुई - चुप पागल कही का ।

फिर हम दोनो बाहर आये
और सीधा भैया के कमरे मे गये जहा भाभी सोफे पर बैठी शायद अपने मायके बात कर रही थी । जैसे ही उन्होने हमे आते देखा तो हमारे मन मे कोई संदेह ना उठे इसिलिए उन्होने फौरन मौसी फोन देते हुए बोली - मा , वो मम्मी जी आई है मै देती हू आप बात कर लो ।

फिर भाभी ने फोन मौसी को दे दिया और मौसी ने फोन लेते हुए वो दूध का बड़ा वाला ग्लास बेड के पास एक स्टूल पर रख दिया ।
इधर मौसी फोन पर बाते कर रही थी और मै खड़ा होकर कमरे में नजरे घुमा रहा ।
कमरे की सजावट बहुत मस्त थी ,,जगह गुब्बारे लगाये हुए थे ।

तभी मुझे मेरे पैंट के पास कुछ हलचल मह्सुस हुई मै चिहुका तो देखा कि वो भाभी थी जो मेरा पैंट घुटने के पास से चुटकी से पकड़ी हुई मुझे इशारे बुला रही थी ।

मैने उनको मुस्कुराते देखा तो फौरन उनके बगल मे - क्या हुआ भाभी , ये कैसे कैसे इशारे कर रही हो?? हिहिही

भाभी ने एक बार मौसी को देखा और धीरे से मेरे टखने के पास चट्ट से हाथ मारते हुए - बदमाश कही के ,,, अभी उपर क्या बोल के गये थे हम्म्म्म

मुझे हसी आई और धीरे से बोला - वही बोला जो सच है, आप बच के रहना हिहिहिही

भाभी मुस्कुरा कर - ऐसी बात है तो आने दो ,,,आज बान्ध कर रखुन्गी आपके भैया को

मै मुस्कुरा कर - हा भाभी कस के पकड़ के रख्ना , बहुत भागते हैं हिहिही

भाभी मेरे दोहरे व्यंग को समझ कर मुस्कुराने लगी तभी मौसी अपनी समधन से बात खतम की और हमे खुसफुसाते देखा ।

मौसी - अरे क्या बाते हो रही है तुम दोनो मे हा ।

मै हस कर - अरे मौसी ये हम देवर भौजी वाली बाते है ,आपको नही जानना चाहिये ।

मै हस कर -अच्छा आप भी भाभी को कुछ समझाओगे ,जैसे बाहर मौसा भैया को समझा रहे है हिहिही

मौसी मेरे गाल खिचते हुए - तू बहुत शरारती हो गया है ।

इधर भाभी मुह अपने होठ दबाए हसी जा रही थी ।


मौसी - चल तू जा बाहर मुझे बहू से कुछ बात करनी है

मै हस कर - आप बताओ या ना बताओ । मै तो भाभी से पुछ लूंगा क्यू भाभी ? हिहिहिही

फिर मै बाहर आया तो देखा रमन भैया अकेले थे ।

मै - अरे मौसा कहा गये
रमन भैया - वो सोने गये उपर
मै - फिर आप भी जाओ , नही तो अगर मै लिवा के गया भाभी तक तो 21000 का सगुन लूंगा हिहीहिही

रमन भैया - चल चल भाग यहा से ,ब्डा आया सगुन लेने वाला ,,,अभी सोनल पल्लवी ने कम लुटा है क्या

मै उत्सुकता से - अच्चा बताओ ना कितना मिला उनको

रमन - पुरे 11 हजार ले गयी मेरे से
मै मुह बिचका के - बस 11 हजार भैया ,,,बस 11 ....। मै होता तो यू यू करके 21000 देता सबको हिहिहिही

ये बोल कर मै वापस मौसी के पास भागा ,लेकिन मौसी कमरे से बाहर आ रही थी ।

मौसी - ओहो तुम लोगो की शैतानी कब खतम होगी ,,रमन तू जा अंदर

मै - हा और दरवाजे की चटखनि लगा लेना हिहिहिही

मौसी मेरे कान पकड मुझे बाहर खिच कर लाई - चल अब तू भी सो जा

मै हस कर - ना मै तो आज जागूँगा और सुनूंगा हिहिहिही

मौसी मुझे लेके हाल मे आगयी थी और उधर रमन भैया कमरे मे चले गये थे ।


मौसी - बदमाश कही का , चल सो जा
मै मुह बनाते हुए - मौसी मुझे भी आज करना है ,,,कितना मन है

मौसी - लेकिन आज तेरे मौसा भी मेरा इन्तजार कर रहे है
मै चहक कर - तो मै भी चलू आपके साथ सोने ,, मौका मिला तो थोडा बहुत हिहिही

मौसी - धत्त नही रे ,,, तू यही सो जा
मै - अच्छा कम से कम दरवाजा खोल कर रखना ,,थोडा बहुत हिला कर काम चला लूंगा

मौसी मुस्कुरा कर - तू नही मानेगा ना
मै हस के - ना
मौसी - ठिक है लेकिन कोई शोर मत करना

मै - हम्म्म ओके मौसी
फिर मै थोडा अपने कमरे में गया और देखा कि सोया हुआ है ।
इधर मै भी थोडा लेता । करीब आधे घण्टे तक मोबाईल मे सर खपाने के बाद मै उठा और कमरे से बाहर आया ।

सबसे पहले मै दबे पाव रमन भैया के कमरे के पास गया और कान लगा कर सुना तो कुछ खास समझ नही आया ।

फिर मै सीधा उपर निकल गया और मौसी ने अपना काम कर रखा था ,,,हल्का सा दरवाजा भिड्का रखा था ।

इधर मै आंखे महीन कर अन्दर देखता हू तो मौसा , मौसी को बाहो मे भरे उनकी नंगी चुचिया मसल रहे थे ,,,मगर कुलर की अवाज मे मुझे कुछ आवाज नही आ रही थी ।

मैने अपना मोटा लण्ड निकाला और हिलाना शुरु किया ,,क्योकि आज शायद यही होने वाला था । मा और सोनल एक साथ सोये थे । वही पल्लवि ने मेरा मस्त काटा था । साली ने मुस्कुरा मुस्कुरा कर मुझे बस लपेटे रखा ।
अब मौसी भी मौसा के साथ थी ।


इधर बारी बारी से मौसा ने एक एक पोज बदल कर मौसी को चोद्ना शुरु किया । हाल मे अन्धेरा था, बस एक नाइट बलब जलने से कोई डर नही था
मगर तभी मुझे कुछ आहट सुनाई दी और मै सतर्क होकर निचे वाले जिने की सीढिओ पर चला गया

तभी राजन फुफा का कमरा खुला । पहले ममता बुआ ब्लाउज पेतिकोट मे , फिर राजन फूफा जान्घिये के साथ फुल बनियान मे बाहर निकले । वो दोनो ने बडी सावधानी से बिना कोई आहट के चुपचाप उपर चले गये ।
मै समझ गया कि शायद कमरे मे पल्लवि के सोने का इन्तेजार कर रहे थे ये दोनो और अभी उपर छत पर जाकर अपनी टपाटप वाली मस्ती शुरु करने वाले है ।

मैने सोचा क्यू ना एक बार इनको भी देख लू ,मगर कमरे का दरवाजा भिड़का हुआ था और पल्लवि का लालच मुझे परेशान कर रहा था ।

इसिलिए मै उपर ना जाकर सोचा क्यू ना पल्लवि के साथ थोडा ....।
फिर मै दबे पाव उनके कमरे की ओर बढा और एक बार जीने पर नजर मारी फिर चुपचाप से कमरे का दरवाजा खोल कर जैसे ही कमरे मे घुसा मेरी आंखे फैल गयी ।


पल्लवि इस समय पूरी नंगी होकर आईने के सामने खड़ी होकर अपने ब्रा के हुक लगा रही थी और ... ।

उफ्फ्फ क्या कयामत थी ,उसके उभरे हुए कुल्हे , नंगी कमर , सुडौल जान्घे और पपीते जैसी चुचिया ।

उसने मुझे देखा तक नही बस अपने काम मे लगी रही ।
मुझे समझ नही आया कि अभी एक मिंट पहले ही तो पल्लवि के मम्मी पापा बाहर गये है तो ये इत्नी जल्दी पूरी नंगी कैसे । कही पल्लवि अपने पापा से तो नही ....।

मेरे दिल की धडकनें तेज हो गयी और फिर मैने खुद को शांत किया और मुस्कुराते हुए गले को खरासा

पल्लवि की नजरे जैसे ही मुझ पर गयी वो मूरत जैसी अकड गयी । फिर उसने मुझे मुस्कुराते देखा तो जल्दीबाजी मे अपना दुपट्टा अपने सीने पर रख दिया ,,मगर शायद वो इस जल्दीबाजी मे भूल गयी कि उसकी चुत अभी भी दिख रही है ।

मैने आंखो से उसकी चुत पर इशारा करके मुस्कुराया तो उसकी आंखे फैल गयी और वो फटाक से बिसतर मे घुस गयी और एक चादर से खुद को ढक लिया ।

मै मुस्कुरा कर एक बार बाहर देखा और उसकी ओर बढा

पल्लवि हडबड़ा कर - तुम यहा क्या कर रहे हो ,,जाओ यहा से पापा आ जायेंगे

मै मुस्कुरा कर - वैसे मुझे नही पता था कि तुम अपने पापा से ही ....।

पल्लवि ने शर्मिंदी से नजरे फेर ली और उतरे हुए चेहरे से - त त त तुम जाओ यहा से प्लीज

मै मुस्कुरा कर - अरे डरो नही मै नही किसी से कहूँगा प्रोमिस

पल्लवि को कुछ उम्मीद जगी और वो नजरे उठा कर - हा फिर भी तुम जाओ यहा से ,,,नही कही पापा मम्मी ने देख लिया तो

मै - हा लेकिन मेरे सवाल का जवाब नहो दिया तुमने

पल्लवि परेशान होकर - अब यहा कैसे , तुम जाओ

फिर वो थोडा डर मे उठी और बाहर नजरे घुमाते हुए चादर से खुद को ढके हुए मुझे बाहर निकालमे लगी ।

मै भी हस कर बाहर चल गया ,,तभी उपर के जीने से आहट हुई और मै निचे अपने कमरे मे चला आया
मै बिस्तर पर लेटा हुआ जब से मै यहा आया और जितनी भी अजीब घटनाये हुई उनको सोचने लगा कि मौसी , मौसा और राजन फूफा के साथ अलग ,,वही ममता बुआ और मौसा के साथ अलग मस्ती कर रही है । उधर राजन फुफा अपनी बीवी और बेटी एक साथ चोद रहा है ।

बाप बेटी के सम्बंध से बार बार मेरा ख्याल मेरे पापा की ओर जा रहा था कि अब तक पापा ने क्यो सोनल दीदी पर ट्राई क्यू नही किया ।

सोनल ही क्या उन्होने तो कभी किसी जवाँ लडकी को अपने लपेटे मे नही लाया और ना ही कभी किसी जवाँ लडकी के साथ सेक्स करने की कोई बात छेड़ी ।

ना जाने क्यू मुझे पापा को लेके ये ख्याल बार बार आने लगे । क्या पता पापा को जवाँ लड़कीयो मे रुचि ना हो या नये जमाने की पढी लिखी लड़कियो ने ही उन्हे दरकिनार कर दिया हो । क्योकि पापा भले ही बातो और चुदाई के जादूगर थे मगर शकल सूरत मे वो एक आम परिवार के मर्द जैसे ही थे ।
ना कोई विशेष कपड़ो पर ध्यान ना अपने बदन पर । पेट थोडा निकला हुआ , दाढ़ी और बालो मे भी सफेदी आ ही गयी थी । मगर ना जाने कैसे अपने उम्र की औरतो को लपेट ले जाते ???

इन्ही विचारो में घिरा हुआ मै सोने की कोसिस मे था

मगर मेरे जहन मे कुछ नये सवाल आने लगे थे ।
कि अब घर जाने के बाद पापा पर थोडी निगरानी करु , क्या पापा का सोनल दीदी या किसी और जवाँ लड़की मे कोई रुचि है भी या नही । मेरा लंड तो ये सोच कर ही तन गया कि वो सीन कैसा होगा जब पापा सोनल दीदी के चुत मे लण्ड डालेन्गे ,,,क्या ये इतना आसान है ? क्या ये हो भी पायेगा ?

फिर मेरी नजर बगल मे सोये अनुज पर गयी तो पल्लवि का ख्याल वापस आ गया ।
मै मुस्कुराकर मन मे - ये भी साला मुझसे आगे निकला ,,पल्लवि जैसी माल को ठोक कर शुरुवात की है । लेकिन अब इसका क्या होगा ? इसे भी चुत की चस्क लग ही गयी होगी । इसपे भी बराबर नजर रखनी पड़ेगी ।
थोडी देर बाद मै भी सो गया ।
अगली सुबह उठा तो घर मे चहल पहल थी और नहा धो कर तैयार हुआ ।

इधर हम लोगो की विदाई का समय हो रहा था । मौसा ने हमारे लिए और पल्लवि के घर वालो के दो गाडी बुक करवा दी ताकी सब आसानी से अपने घर जा सके ।

दोपहर में खाना खाने के बाद हम सब अपना समान बान्ध कर तैयार थे ।
सारे लोग हाल मे एकजुट थे और सबके चेहरे खिले हुए थे तो मन मे थोडी उदासी भी थी ।
मै बारी बारी से सबसे मिला और फिर पल्लवि से भी मिला । उसकी वो कातिल मुस्कान ने मुझे अह्सास दिलाया मानो मुझे चिढा रही हो । हम सबने विदा लिया और अपने अपने गाडी मे बैठ कर निकल गये ।

कुछ दुर तक मेरी और पल्लवी की गाडी आगे पीछे होती रही फिर वो एक दुसरी सड़क से अपने गाव के लिए निकल गयी । सीसा खोल कर मै उसकी गाडी को जाता देखता रहा ।

फिर वापस अपनी सीट पर आकर एक गहरी सास ली और घर के लम्बे सफ़र के लिए इत्मीनान से बैठ गया ।

आंखे बंद करके मैने पल्लवि के साथ बिताये उन आखिरी पलो को याद करने लगा ,जब मै नास्ते के बाद करीब 11 बजे मम्मी का बैग लेने उपर मौसी के कमरे मे गया था ।

उस समय पल्लवि छत पर जा रही थी अपने कपडे उतारने जो सुबह उसने नहाते समय धुले थे ।
मै चुपचाप उसके पीछे चल पड़ा और छत पर जाकर बाहर से जीने का दरवाजा बन्द कर दिया ।
तेज धूप मे पल्लवि ने मुझे अपनी आंखे महीन करके देखा और मुस्कुराने लगी ।

मै भाग कर उसके पास गया और उसके हाथो से सारे कपडे वही अरगन पर डाल कर उसे लेके बाथरूम मे चला गया ।

पल्लवी हस कर - अरे राज छोडो मुझे कोई देख लेगा ।

मै उदास होकर बडी उम्मीद से पल्लवि के आंखो मे देखता हुआ - अभी तक तुमने मेरा जवाब नही दिया और फिर मै अभी चला जाऊंगा घर ।

पल्लवि मुझे देख कर हसी और बोली - तुम तो अनुज से भी भोले हो ,
फिर उसने मेरे गालो को चुम लिया
मै समझा गया और उसके कमर मे हाथ डाल कर उसके होठो को अपने मुह मे भर लिया ।

पल्लवि भी मेरा साथ देने लगी मेरे हाथ उसके कूल्हो को दबोचने लगे और वो भी कम जल्दीबाजी मे नही थी । पैंट के उपर से मेरे लण्ड को मसलने लगी ।

मै भी जल्दी करना चाहता था और अपना पैंट खोल कर फटाक से लण्ड निकाल दिया

पल्लवि ने मेरी आंखो मे देखते हुए मेरा लण्ड थाम लिया और उसे भीचना शुरु ही किया था कि जीने के दरवाजे पर खटख्ट हुई और हम दोनो की हवा टाइट हो गयी ।

पल्लवि मुझसे अलग हुई और बाहर जाने लगी ।
इधर मै भी अपना लण्ड अन्दर करके बाथरूम से निकल कर पाखाने मे घुस गया ।
पल्लवि ने जीने का दरवाजा खोला तो वहा सोनल दीदी आई थी ।

फिर वो उसी के साथ अपने कपडे लेके निचे चली गयी और मै हाथ मलता रह गया ।
मै निचे आया और मौसी के कमरे मे गया जहा पल्लवि तो थी साथ मे मा और मौसी भी ।

पल्लवि अब मेरे मजे ले रही थी और मै भी अपनी हाल पर मुस्कुरा रहा था कि किस्मत के बिना कुछ हासिल नही हो सकता ।
वैसे भी दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम और पल्लवि पर सिर्फ़ अनुज नाम वालो का ही हक है शायद हिहिहिही



बस उन पलो को याद कर आंखे बंद किये गाडी मे बैठा हुआ था कि अनायास मेरे मुह से खिस्स्स से हसी छूट गयी और तभी मा बोली - क्या हुआ राज हस क्यू रहा है ?

मै मेरे यादो से बाहर आया और मुस्कुरा कर - कुछ नही बस यहा की हुई मस्तिया याद करके हसी आ रही थी । कितना मजा आया ना यहा

सोनल - हा यार सच मे , पता ही नही चला कब 15 दिन बित गये और शादी भी हो गयी ।

मा - कोई बात नही ,,तेरी शादी को भी तो ज्यादा समय नही है अब । वो भी जल्द ही आ जायेगी हिहिही

सोनल शर्मा कर मा से लिपट गयी -मा आप भी ना

मा सोनल को अपने सीने से लगाते हुए - वैसे परसो लहगे मे बहुत प्यारी लग रही थी तू

मै तुनकते हुए - अच्छा और मै , मेरी तो कोई फ़िकर ही नही आपको

अनुज - हा मेरी भी नही हुउउह्ह

हम सब हस दिये ।
मा - चलो चलो हम लोगो की मस्ती तो हो गयी लेकिन तेरे पापा बेचारे 4 दिन से अकेले घर दुकान देख सम्भाल रहे है । मुझे तो उनकी फ़िकर है समझा

मै भी मा की बातो पर सहमती दिखाई और सही भी था जितना पापा सन्तोष करके रह जाते हैं और हम लोग घूम टहल कर मस्ती कर लेते है ।

इधर हम लोगो की गाड़ी लगातार आगे बढ़ी जा रही थी और मै भी कुछ यादो को दूहराते मुस्कुराते हुए । घर की ओर निकल गया ।



लेखक की जुबानी
इधर राज की घर वापसी हो रही थी । वही रन्गीलाल ने बीते दो रातो मे शकुन्तला की ताबड़तोड़ चुदाई करी थी । ना अब शकुन्तला को लण्ड मुह मे लेने मे झिझक थी ना उसका रस चाटने मे ।

वही उधर चोदमपुर से आये मेहमान अपने वतन लौट चुके थे । उनसे जुडे किस्से तो आपको हमारे TharkiPo भाई साहब की KATHAA CHODAMPUR KI मे ही मिलेंगे ।

एक बार फिर से TharkiPo भाई का आभार जो उन्होने इतने प्यारे मेहमान की खिदमत का मौका हमे दिया ।
आभार आप पाठको का भी जिन्होने इस EVENT पर अपना विचार रखा और इसे सफल बनाने मे मेरा साथ दिया ।

तो आज से ये CHODAMPUR SPECIAL UPDATES समाप्त होते है ।
आगे से चमनपुरा लाइव से सारे प्रसारण देखने को मिलेंगे कुछ राज की तो कुछ लेखक की जुबानी ।


कहानी जारी रहेगी

धन्यवाद
बहुत ही गजब और मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 

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UPDATE 127


पिछले अपडेट मे आप सभी जानते हैं कि चोदमपूर से आये मेहमान अपने वतन वापस लौट गये और अपना राज भी कुछ नये सपनो को हकीकत में बदलने की आस लिये निकल पड़ा है वापस अपने घर की ओर ।

अब आगे

शाम को करीब चार बजे तक हम लोग अपने घर चमनपुरा आ गये थे ।
रास्ते मे ही मैने पापा को फोन कर दिया था कि हम लोग आ रहे है तो उन्होंने दुकान के एक नौकर से चौराहे वाले घर की चाबी भिजवा दी थी ।

हमने सारा समान निकाला और हाल मे बैठ गये ।
इधर सोनल किचन मे पानी लेने के लिए गयी तो उसने चूल्हे पर रखे कुकर और एक दो बरतन को चेक किया और फिर बाहर आई ।

सोनल - मा , पापा को खाना बनाना आता है ?

मा - नही तो , वो कब से बनाने लगे
सोनल - अरे किचन मे सब बना हुआ रखा गया है । दाल रोटी सब्जी चावल सब

मा चौकी - सच मे
फिर मा ने किचन की तफ्तीश की और सोनल की बात सही निकली ।

मा ने फिर सब्जी टेस्ट की और मुस्कुरा कर बोली - धत्त ये तेरे पापा बना ही नही सकते , इतनी अच्छी सब्जी । शायद शकुन्तला दिदी बना के गयी हो ।


फिर मा कुछ सोचते हू हाल मे आई । हमने थोडा गला तर किया और फिर सोनल , अनुज उपर अपने कमरे मे चले गये ।
मै मेरे कमरे मे और मा अपने । मैने अपना कपड़ा बदल कर टीशर्ट लोवर मे हुआ और सीधा मा के कमरे मे घुस गया ।

मा इस समय ब्लाउज पेतिकोट मे थी और अभी अभी बाथरूम से फ्रेश होकर आई थी ।

मै मुस्कुरा कर - मा ,,आपने तो कहा था कि पापा को शकुन्तला ताई खाना देके जायेगी तो वो यहा क्यू खाना बनाने लगी । एक बार अपने घर फिर एक बार यहा

मा कुछ सोचते हुए - हा वही मै भी सोच रही हू , वो तो तेरे पापा ही बतायेंगे

मै हस कर पीछे से मा को पकडता हुआ - कही पापा ने ताई को हिहिहिहिह

मा मुस्कुरा कर - हट बदमाश , हलुवा है क्या कि सब तेरे पापा को मिल जायेगा ।

मै - क्यू ,पहले मौसी फिर बुआ हिहिही तो ये कौन सी बडी बात है

मा तुनकते हुए - हुउउह बड़ा मिल जाती इनको तेरी मौसी और बुआ । बिना मेरे कुछ किये

मै हस कर - अरे तो मेरे लिए भी कुछ करो न मा । आप तो मेरे लिए कुछ करती ही नही... हिहिहिही

मा - अच्छा मै तेरे लिए कुछ नही करती हम्म्म्म , तेरी मौसी और फिर मै खुद तेरे साथ हो गयी और तू बोल रहा है कि कुछ करती नही हम्म्म्म


मै - अरे मेरे कहने का मतलब है कि जैसे आपने पापा को बुआ से .... हिहिही तो....मेरा और सोनल दिदी का .... हिहिहिही

मा चौकी और गुस्सा होकर - तू पागल है क्या ? तू नही जानता तेरी सोनल दीदी कैसी है । तेरे पापा की बहनो की तरह रन्डी नही है कि पुरे खानदान से चुदवाते फिरे हुउउह्ह्ह

मै हसता हुआ मा को पीछे से पकड कर - अरे मा आप तो नाराज हो गयी । सॉरी ना उम्म्म्म्माआआह्ह्ह्ह अच्छा सोनल दीदी को छोडो ये बताओ क्या सच मे बुआ अपने घर मे सबसे मतलब हिहिहिही

मा मेरे चुंबन से थोडी बहल गयी और मुस्कुरा कर - धत्त नही रे , वो तो गुस्से मे निकल गया । हा लेकिन तेरे पापा को मत बताना कि तेरी दोनो बुआ ने दो दो शादिया की है । समझा


मै असमंजस मे आ गया कि ये बात मा को भी पता है और एक बार शिला बुआ ने भी कहा था कि वो अपने दोनो पतियो से चुदती है ,,आखिर ये दो शादियो का चक्कर क्या है ।

मै उलझा हुआ - मै समझा नही मा ,,,दो दो शादी मतलब ???

मा हस कर मेरे हाथो से खुद को आजाद करते हुए - तु क्या करेगा जान कर हम्म्म

मै - बस ऐसे ही आपने बोला तो
मा - नही रहने दे तुझे वो सब जानने की जरुरत नही है और खबरदार इसकी चर्चा पापा से किया तो ।

मै चुप रहा और मा दुसरी साडी पहनने लगी ।
इधर मै विचारो के खो गया
कि मा सोनल को लेके बहुत पोजेसिव है , वो मुझे क्या पापा को भी इस सन्दर्भ मे कोई बात नही करने देगी । शायद तभी पापा ने सोनल दीदी को लेके कोई कदम नही उठाया । अच्छा हुआ मैने मेरे और सोनल दीदी के रिश्ते का जिक्र मा से नही किया .... पता नही क्या काण्ड हो जाता क्योकि मा का सोनल दीदी के लिए अलग ही नजरिया है । वो तो उसे अब तक बहुत ही संस्कारित और साफ ही समझती देखती आई है तो वो उसपर कोई लान्छ्न नही देखना पसंद करेगी ।
थोडी देर बाद मै निकल गया मार्केट की ओर क्योकि मुझे चंदू से मिलना था और शाम का समय भी हो गया था ।

मै उससे मिला और थोडा बाजार के चक्कर लगाये फिर चौराहे वाले घर आ गया
रात मे पापा दुकान से आये तो घर मे काफी चहल पहल थी और हमने काफी देर तक बाते की ।
फिर रात मे सोनल और अनुज जब उपर चले गये तो मै पापा के कमरे मे गया ।

पुरे दो राउंड मैने और पापा ने मिलकर मा को चोदा और फिर हम लेटे हुए थे ।

मेरे जहन मे कुछ बाते घूम रही थी और वो मुझे काफी परेशान करने लगी थी ।
एक तो ये कि बुआ की दो शादी कैसे हुई होगी और पापा को इसकी जानकारी नही है ।
फिर पापा ने इतने दिनो तक अपना समय कैसे काटा जबकि उन्हे बिना चुदाई किये नीद नही आती है ।
आखिरि ये कि पापा से कैसे सोनल दीदी को लेके बात करू ??

मुझे चुप देख कर पापा बोले - अरे बेटा क्या सोच रहा है ?

मै मुस्कुरा कर - कुछ नही पापा ,,,बस यही कि ये चार दिन आपने कैसे काटे हिहिहिही

पापा हस कर - अरे जाने दे बेटा,, बस किसी तरह कटा है ये दिन

मा इतरा कर - अच्छा जी ,,मुझे तो नही लगता कि आप इतने भी शरीफ हो । सच सच बताओ विमला आती होगी दुकान पर ना हिहिहिही


मै मा को टोकता हुआ - अरे नही मा ,,मेरी कोमल से बात हुई थी वो लोग भी शादी मे गये है ।

पापा मेरी बात पर सहमती दिखा कर - हा वही तो ,,,सच मे कुछ नही हुआ रागिनी

मा ने आंखे ऊँची करके पापा को देखा - सही सही बताईए ,,कही शकुन्तला दीदी को तो

मै हस कर - अरे मा अभी आप ही तो कह रही थी कि पापा के बस का नही है हिहिहिही

मा मुस्कुरा कर - हम्म्म्म बोलिए जी ,,

पापा हसने लगे ।
मा - हमम्म ठरकी इन्सान ,, देखा राज तेरे पापा ने शकुन्तला दीदी को भी

मै हस कर - मुझे तो पहले से ही यकीन था,,आप ही नही मान रही थी ।

पापा कबूलते हुए - अब क्या करता रागिनी ,,मुझे चैन नही मिल रहा था और शकुन्तला भाभी के साथ बातो ही बातो मे ऐसे माहौल बन गये तो ना उन्होने कोई ऐतराज किया और ना मैने मौका गवाया हाहहहहा

हम सब पापा के व्यंग पर हसने लगे ।
मै मुह बिचकाता हुआ - हा आपने तो मजा ले लिया लेकिन अपने बेटे का ख्याल ही नही है आपको

मा हस कर - तो तू भी जुगाड कर ले ,,कब तक हमारे भरोसे रहेगा हिहिहिही

मै हस्ता हुआ - पापा मुझे सिखाते ही नही है कि लड़कीयो पर लाईन कैसे मारे ।

मैने जानबुझ कर ये शब्द जोड़े ताकी लड़कीयो पर उन्के विचार जान सकू ।

पापा हस कर - अरे बेटा तु ट्राई ही गलत जगह कर रहा है

मै अचरज से - मतलब
पापा - अरे बेटा ये इस नये दौर की लड़कीया बहुत आगे है और ये जबसे सब्के हाथ मे मोबाइल हो गया है तो वो लोग भी काफी समझदार हो गयी है । आसानी से हाथ नही आती है और जो आती है वो इतना घुमा नचा कर पैसे खर्च करवाती है कि पुछ मत

पापा की बात पर मै और मा हस रहे थे ।

मा हस कर - अच्छा जी इसका मतलब आपने भी जवाँ लडकियो के लिए खुब अय्यासी की है हम्म्म

पापा - नही जान, मुझे तो शुरु से ही भरे जिस्मो वाली और अनुभवी औरते पसंद है जो लंड मुह मे लेने मे झिझके नही ,,,ये आज कल की लड़किया कहा ये सब मे रुचि लेती है ,,बस दिखावे के जीवन जीती है ।


पापा की बाते सुन कर मै समझ गया कि पहली बात पापा ने जवान मालो का रस चखा नही है और उन्हे जवाँ लड़कीयो के मॉडर्न सेक्स फैंटेसी के बारे मे जानकारी नही है । अगर होती तो पापा वहा कोसिस जरुर करते ।

हालकी उन्की बात भी सही थी ,,अब के समय मे लड़कीया इतनी मोर्डन और समझदार हो चुकी है कि उन्हे लपेट पापा आसान नही है । वही शादी शुदा और मेच्योर औरतो को मैनिपुलेट करना आसान है क्योकि वो बाते करने मे हिचक नही रखती ।

खैर हमारी बाते चलती रही और हमलोग सो गये ।


अगली सुबह मै उठा और नाश्ते के बाद अनुज को लेके अपने दुकान पर चला गया ।
पापा भी अपने दुकान गये ।
काफी दिनो से दुकान बन्द था तो बहूत सारा काम बिखरा पड़ा था ।

ग्राहको की डील के साथ दुकान की साफ सफाई भी चालू थी ।
मगर मेरी नजर बराबर अनुज पर थ क्योकि अब वो पहले वाला अनुज नही था । पल्लवि ने उसका झिझक और डर को काफी कम करदिया था ।

अपने हमउम्र की लडकियो के साथ अपने से बडी लडकियो से भी खुल कर रहता और उनके चुचे निहारकर अपना लोवर खुजा लेता ।

मै कयी बार उसे अपने लोवर मे हाथ डाल कर हाथो से क्रियाए करता देखा ।
थोडी देर बाद जब दुकान खाली हुआ तो मैने उस्से बाते शुरु की ।


मै मुस्कुरा कर - और छोटे , कुछ परेशान लग रहा है आज तु

अनुज हस कर - नही तो भैया ,,,

मैने उसके लोवर मे उभरे हुए लण्ड की ओर इशारा किया - अरे मै इसकी बात कर रहा हू ।


अनुज शर्मा गया और हस्ने लगा ।
मै - क्या हुआ बोल ना ?
अनुज मासूम बनता हुआ - पता नही भैया लेकिन वो जब से आपने बोला था ना तेल लगाने के लिए,,तबसे मेरा नुनी बड़ा होने लगा है और हमेशा तना रहता है ।


मै उसके जवाब सुन कर मुस्कराया और मन ही मन बड़बड़ाया - अच्छा बेटा इतनी होशियारी कि मुझ को ही चुना लगा रहा है । जैसे मुझे नही पता कि ये कड़ापन मालिश की है या हवस की ।


मैने कुछ सोचा और फिर बोला - हा इस समय गरमी है ना बहुत,,,अच्छा तेरी चमडी अब सही हो गयी ना

अनुज मुस्कुरा कर - हा भैया

मै - ठिक है तो अब तु रोज वाली मालिश बंद कर दे और हफते मे एक बार ही कर

अनुज - हा भैया वैसे भी मौसी के यहा इतने दिन तक कर नही पाया तो आदत नही रही अब

मै - हम्म्म ठिक है फिर
थोडी देर बाद अनुज खाना खाने के लिए चौराहे वाले घर चला गया। फिर मेरा और पापा का टिफ़िन लेके आया ।

शाम हुई और अनुज ने राहुल के पास जाने के लिए मुझसे कहा तो मैने भी उसे जाने दिया । क्योकि ले दे उसका एक ही दोस्त था चाचा का लड़का राहुल ।
उम्र मे बड़ा था लेकिन होशियारी मे अनुज उस्से बीस था ।
इधर वो गया और मै अपने काम मे लगा गया ।






लेखक की जुबानी

शाम को राज से पुछ कर अनुज अपने चाचा के यहा निकल गया ।
वहा जाकर वो घर मे सबसे मिला सबका हाल चाल लिया । फिर वो राहुल को लेके मंदिर की ओर सैर पर निकल गया क्योकि उसके पास ढ़ेरो बाते थी जो वो राहुल से ब्ताने वाला था ।

राहुल - अबे इतने दिनों में एक बार भी फोन नही किया , लग रहा है बारात मे कोई माल मिल ही गयी तुझे ।


अनुज की आंखे चमकी और वो थोडा शर्माया ।
राहुल - मतलब सही बात है ,,वैसे नम्बर लिया की नही

अनुज - नही यार वो मोबाईल नही चलाती है और मेरे भी पास कहा फोन है ।

राहुल - धत तेरी की । अरे कुछ चुम्मा चाटी किया या फिर वो भी नही हिहिहिही

अनुज अपनी कालर ठिक करता हुआ हस्ता है ।
राहुल की दिलचस्पी बढ जाती है और वो उतावला होकर अनुज से आग्रह करता है कि पूरी बात बताये ।

अनुज - वो दरअसल वहा मौसी के यहा एक लड़की आई थी ,,उसी के साथ

राहुल की अचरज से आंखे फैल गयी और वो उसी अवस्था मे - मतलब तुने पेल दिया उसको

अनुज ने हस कर कुछ शर्म से हा मे सर हिलाया
राहुल चहक उठा- भाई भाई भाई बता ना कैसे किया प्लीज ना
अनुज - अबे यार कर तो लिया लेकिन अब भुगत रहा हू

राहुल - मतलब
अनुज अपनी परेशानी बताता हुआ - यार ये पेलने के बाद से मेरा नुनी बहुत खड़ा रह रहा है । आज दुकान मे हर लड़की औरत के दूध देख कर ही खड़ा हो जा रहा था ।

राहुल - हा मैने सुना है कि पहली चुदाई के बाद चाहे लड़का हो या लड़की तडप बढ जाती है ।

अनुज परेशान होकर - यार इसका कोई उपाय तो होगा ही ना

राहुल - पता नही ,, लेकिन मेरा एक दोस्त है वो अकसर अपने मोबाइल से सेक्स वाली चीज़ो के बारे मे जानकारी ले लेता है ।

अनुज उदास होकर - यार लेकिन हमारे पास तो मोबाइल नही है ,,,

राहुल चहक कर - अरे मेरी दीदी का मोबाइल है ना ,

अनुज भी खुश हुआ - अच्छा ठिक है फिर हम कल मोबाइल लेके आयेन्गे फिर इसका कुछ जुगाड़ खोजेंगे ।

राहुल ने भी सहमती दिखाई और वो दोनो अपने अपने घर वापस लौट गये ।


जारी रहेगी
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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UPDATE 128

पिछले अपडेट मे आप ने पढा कि एक ओर जहा राज तिगडम लगा कर अपने पापा से उनके विचार उगवा रहा है और इस कोसिस मे है कि कही से कोई लिंक मिल जाये । वही दुसरी ओर अनुज अपने निजी अंगो को शांत करने के लिए परेशान हो रहा है और वो उसका उपाय तालाश रहा है । देखते दोनो भाई की ये तालाश कहानी मे क्या रंग जमाती है ।

अब आगे

राज की जुबानी


शाम को मै रोज की तरह चौराहे वाले घर पर चला गया । फिर नहाने के बाद उपर छत पर चला गया कुछ खास लोगो से बात चित करने ।
काजल से बात की तो पता चला कि वो कुछ दिन अपने मौसी के यहा रुक कर आयेगी क्योकि अभी छुट्टिया चल रही है ।

फिर मैने सरोजा से बात की तो उन्होने मुझे कल माल मे आने का न्योता दे दिया क्योकि भी दिल्ली से अपनी किसी डील से वापस आ चुकी थी तो लण्ड की तलब उसे भी और मुझे उसे चोदने को बेताब हो उठा ।

थोडे समय बाद निचे आ गया । फिर हाल मे ही बैठ कर मोबाईल चलाने लगा।
मै WhatsApp पर काजल भाभी को चेक किया तो उनका कोई मैसेज तो नही था लेकिन डीपी चेंज हो गयी थी । डीपी पर काजल भाभी अपने पति के साथ की सेल्फी को सेट की हुई ती । मैने गौर से रोहन को देखा तो मुझे काफी फिट लगा और उसके चेहरे के एक्सप्रेशन में मुझे वो एक गम्भीर और भावनाओ से भरा हुआ इन्सान लगा ।

फिर मैने उनके स्टेटस चेक किये तो वहा फुल तस्वीर थी । हालकि रोहन स्लिम ट्रिम था मगर ना जाने मुझे उसकी पर्सनालिटि मे कुछ गड़बड़ दिख रही थी जैसे मानो वो अंदर से काफी हिंसक विचार का हो । शायद मेरे मन में उसके लिए ये विचार इस लिये आ रहे थे क्योकि मैने काजल भाभी का मगाया हुआ वो सेक्स गैजेटस देख लिये थे।


खैर मैने उस बात को दिमाग से निकाला और उन्के स्टेटस पर रिप्लाई कर दिया - Nice couple

थोडी ही देर मे रिप्लाई आया - thanks

मै - kya ho raha hai bhaabhi 😍
काजल - main rohan hu. Kaajal kichten me hain

मेरी तो फट गयी कि रोहन कयू भाभी का मोबाइल चला रहा है ।
मै - thik hai, aap kaise ho kbhi aayiye ghar par

काजल (रोहन) - ha ha kyu nhi . Waise aaj aunty ji aayi thi

मै चौक कि मा क्यू गयी थी काजल भाभी के लिए
इधर मै कुछ मिंट तक मैसेज सीन करके सोच रहा था कि रोहन ने फिर से मैसेज किया।

काजल (रोहन) - wo kuch mithayi aur fal laayi thi . Shaayd saadi waala sagun raha hoga

मै जैसे ही पढा मै समझ गया कि कल जब हम मौसी के यहा से आये थे तो उन्होने काफी ज्यादा मात्रा मे फल मिठाईया बान्ध दी और मा ने उन्हे आस पास सभी घरो मे पहुचा दिया होगा ।

फिर मैने ओके बोला और मोबाईल बन्द करके मा के पास किचन मे चला गया

मै - मा वो मौसी के यहा जो फल मिठाई आयी थी सब बट गये है ।
मा - वो तो कुछ अनुज ने दे दिये है और बाकी मैने यहा बाट दिये है । बस गाव पर भेजना बाकी है रंजू दिदी के यहा

मेरी आंखे चमक गयी कि चलो काजल भाभी के यहा ना सही लेकिन अब पंखुडी भाभी से मिलना तो हो ही जाएग ।

मै - अरे कोई बात नही कल सुबह ही मै दे आऊंगा उसमे क्या है

मा - हा तु ही जाना क्योकि अनुज कह रहा था कि उसे घर नही याद है ।
मै मुस्कुरा कर- अच्छा ठिक है मै चला जाऊंगा ।


फिर थोडी देर बाद पापा भी आ गये और हमसबने खाना खाया और वही रोज का रूटीन फ़ालो किया ।

अगली सुबह मे उठा और अपने कमरे मे जाकर फ्रेश हुआ और फिर नासता करके 8 बजे तक निकल गया फुलपुर गाव की ओर ।

बस स्टैंड से एक ई-रिक्सा ली जो मुझे गाव के मुहाने तक ले गया , वहा से मुझे अन्दर जाना था तो मै पैदल चल दिया ।

आखिरी बार आया तो बडी पुछ ताछ करनी पडी थी मगर इस बार सीधा घर की ओर चल दिया
घर पर वैसा ही माहौल था जैसा आप गाव के घरो मे होता है ,, जनुमा ताऊ खेत जा चुके थे और बाहर बरामदे मे सलोनी सोयी हुई थी ।

मै बिना कोई आवाज के अंदर घुसा तो किचन मे पंखुडी भाभी साड़ी पहने खाना तैयार कर रही थी ।

उफ्फ़ इतनी गदराई गाड और कमर देख कर मन मचल उठा मेरा और लण्ड ने सर उठाना शुरु कर दिया ।

मै मस्ती भरा कुछ सोच कर आगे बढा और पंखुडी भाभी की कमर मे गुदगुदी कर दी। ज्यो ही भाभी चहकी मै हसने लगा और भाभी मुझे देख कर खीझ गयी फिर हस्ते हुए - तोहरी बहिन चोदो , तु हवा का


मै भाभी के भोजपुरी ट्यून पर हसा - हिहिहिही का हुआ भौजी डर गयी का ?

भाभी - तु का डेरवा (डरा) पयिबा हमके , तोहार बहिन चोदो

मै हस कर -वो तो ठिक है भौजी ,,लेकिन मेरी दिदी के साथ करोगे कैसे हिहिहिही आपके पास तो है ही नही हाहहहहहा

भाभी हसी और लपक कर मेरे पैंट के उपर से मेरा लण्ड पकडती हुई - अरे तोहार बा ना ,,, उहे घुसवा देंगे तोहरी दिदी के बुर मे


मै शर्म से पानी पानी हो गया और हसे जा रहा था । साथ ही उत्तेजित भी हो गया था कि भाभी ने मेरा लण्ड पकड लिया था ।


भाभी मेरे लण्ड को निहारते हुए -देखो देखो कैसे अफना रहा है दिदी के नाम पर ,,,पक्का बहिनचोद है

मैने माहौल गरम होता देखा तो फायदा लेने का सोचा कि थोडा और फूहड़पना किया जाये क्या पता भाभी इसी मे खुल जाए।


मै हस कर - अरे ये तो कुछ और देख कर परेशान है भौजी हिहिहिहिही


भाभी मेरा अर्थ समझ रही फिर भी वो बातो को खतम करने के बदले आगे बढा रही थी , कारण था घर पर उनके और सलोनी के सिवा कोई था नही तो वो बेहिच्क जो मन मे आ रहा था वो बोल दे रहीथी । उपर से मै ठहरा उनका लाडला देवर तो खिचाई कैसे नही करती मेरी ।

भाभी - अच्छा जी वो क्या
मै बस इसी सवाल की तालाश मे था और हाथ आगे उन्के उभरे हुए कूल्हो को सहलाता हुआ - इसे देख कर

भाभी इतने भी मे भी नही रुकी और ना ही मेरा हाथ हटाया ,,बस गरदन घुमा कर पीछे देखा कि मेरा हाथ कहा और हस कर बोली - बस इत्ने मे भी बहक गये तो काहे का भतार हो तुम हिहिहिही


मै पहले तो उनके कहने का मतलब समझ ही नही पाया - मतलब

भाभी - अरे जब औरत का कुल्हा देख कर ही तुम्हारा तन जा रहा है तो कही खुला माल पा गये तो ...... .हिहिहिहिही
मै समझ गया कि भाभी मूड मे है तो मैने उन्के कूल्हो की गोलाइयो को साडी के उपर से ही सहलाते हुए - रुको फिर तो मै खोल कर देख ही लेता हू कि क्या होता है ....। हिहिही

भाभी की आखे फैली और वो चिहुकी - हिहिहिही धत्त नही बदमाश कही के मै तो मजाक कर रही थी हिहिहिही

जैसे जैसे वो मुझे दुर होने की कोशिस करती मै उनकी कलाई तो कभी भरे हू मुलायम कमर को पकडता और साड़ी उपर खिचता ।

आखिर मैने उनकी दोनो कलाईयाँ ऐंठते हुए उनकी कमर पर ले आया और उन्हे किचन के तरख्त पर झुका कर एक हाथ से उनकी साड़ी उठाने लगा ।

भाभी छटपटाती रही और हसते हुए बोली - छोड दो नही तो सच मे तुम्हारी बहिनिया चोद देंगे ,,,

मै हसता हुआ उनकी साड़ी उठाने लगा लेकिन वो अब पैर झटकने लगी तो साडी मेरे हाथ से छिटकने लगी ।

मै - अरे तो जाओ चोद लो ना ,,,रोका कौन है ,,लेकिन आज तो हम देख के रहेंगे

इधर मैने अपने पैरो से उनका पैर भी फसा दिया । साड़ी और पेतिकोट एक साथ उठाने लगा तो भाभी अब हसते हुए बिनती करने लगी - हिहिहिही प्लीज बाबू मान जाओ ,,छोड दो ना ,अच्छा सॉरी नही कहेंगे कुछ सोनल बहिनी को हिहिही


मै कहा रुकने वाला था मैने उनकी साडी और पेतिकोट को कमर तक उठा दिया - अह्ह्ह क्या मस्त गोरी गाड थी उम्म्ं

फिर एक हाथो से उनकी नंगी गाड़ को मलने लगा जिस्से भाभी और छ्टकने लगी और मुझे गालिया देने लगी ।

भाभी - साले छोड दो ,नही तो पक्का तुमसे ही तुम्हारी दीदी ना चुदवा दी तो कहना

मै अब मस्ती मे आ चुका था और मैने अपनी बिच वाली ऊँगली को मुह मे लेक गिला किया और उसे भाभी गाड़ के सुराख पर रगड़ने लगा ।

भाभी छ्टकती लेकिन कलाई ऐन्ठी होने के कारण दर्द से परेशान भी थी । इधर मैने उनकी गाड़ के सुराख खोजकर अपनी उन्ग्ली पेल दी ।

भाभी चीखी मगर उनकी हसी बरकरार थी जो मुझे लगातार हिम्मत दे रही थी - ऐईईई साले बहिनचोद ,,,का कर रहे हो उम्म्ंम्ं माआआ सीईईई


मै हस्ता हुआ उनकी गाड से उन्गली निकाल कर अपने हाथ को निचे झाटो से भरी चुत पर ले गया ,,जिस्से भाभी की हालत और खराब होने लगी म

भाभी - अह्ह्ह बाबू प्लीज हाथ छोड दो अह्ह्ह दुख रहा है

मैने भी उनके दर्द को समझा और उनकी कलाई छोड दी और जैसे ही वो फ्री हुई तेजी से पल्टी - रुको तोहरी बहिनचोदो बता रहा है

मै अब थोडा मद मे आ चुका था तो इस बार सीधा सामने से उनकी चुत को साड़ी के उपर से रगड़ते हुए उन्हे किचन की दिवाल से चिपका दिया और इस बार उनकी दोनो कलाई वापस से पकड कर उपर कर दी
मै आंखो मे मद मे होके देखता हुआ अपने चेहरे को भीचता हुआ उनकी चुत को सहलाने लगा - हा किस्से चोदोगे आप ? यहा तो कुछ नही है

मैने भाभी के साड़ी के हाथ घुसाकर चुत टटोलता हुआ बोला ।
भाभी लगातार अपनी चुत पर मेरे हाथ से घिसाव से बहुत ही गरम हो गयी थी और लम्बे समय से ना चुदने के कारण उनकी चुत ने पिचपिचाना शुरु कर दिया था ।

बार बार मेरे पुछने पर भाभी मुस्कुरा कर शर्माते हुए मेरे लण्ड की ओर इशारा करके बोली -वो है ना ,उसी से चुदवाउन्गी
मै उन्के बातो से और भी उत्तेजित हो गया और एक हाथ से पैंट खोलते हुए लण्ड बाहर निकाल दिया ।

उसे हाथो मे लेके सहलाते हुए - इससे चुदवाओगी क्या हम्म्म बोलो
भाभी की नजरे मे मोटे लण्ड पर जम गयी और उनकी सासे तेज हो गयी

मैने अपना लण्ड से हाथ हटा कर पहले उन्के गुदाज गाल पर हल्के से चपत लगायी और भी उन्के दोनो गालो को निचे दबाते हुए कबूलवाने लगा - बोलो ना भाभी

भाभी नशिलि आन्खो से मेरे आंखो मे देखी और मुस्कुरा कर बोली - हा इसी को तुम्हारी बहिन के बुर मे डलवाउन्गी

मै और भी उत्तेजित हो गया और सामने आके अपना लण्ड भाभी की चुत पर लगाने लगा - और मै अगर इसमे डाल दू तो

भाभी अपनी चुत के पास मेरे लण्ड की सख्ती मह्सूस कर सिहर गयी और गहरी सासे लेने लगी ।
भाभी की सहमती तो कबकी मिल चुकी थी ,,बस धक्का लगाने की जरूरत थी
मैने अपने हाथ से लण्ड को चुत के मुहाने पर सेट करने के लिए थोडा घुटनो को झुकाया तो उपर मेरे हाथ से भाभी की कलाइया छूट गयी । मगर उन्होने मुझे रोका नही अल्बत्क अपने हाथो से मेरे कंधे थाम कर जांघो को खोल दिया

मै मुस्कुरा कर अपने लण्ड का सुपाडा खोलता हुआ भाभी की गीली चुत के मुहाने पर अपनी गाड़ उचका कर घुसेड़ दिया और फिर उनकी कमर थामते हुए ऐसे ही खडे खडे लण्ड को उन्की बुर मे आधा घुसा दिया ।

भाभी चीखी और सिसकी - अह्ह्ज उम्म्ंम

मैने उनकी साडी को और उपर करके एक जांघ को पकड कर उठाने लगा

भाभी - अह्ह्ह न्हीईई दर्द हो रहा है ,,नस अकड जायेगी रुको उम्म्ंम्म्ं

मै रुका और वो मुझसे अलग होकर एक नजर किचन से बाहर बरामदे की ओर मारा और मुझे पकड कर ऐसे ही खुले लण्ड के साथ उपर ले जाने लगी ।

मै खुश था और अपना लण्ड सहलाता हुआ उपर के हाल मे गया और पीछे से उनको दबोच लिया

भाभी वापस से सिसकिया लेने लगी ।
मैने साडी उपर से हटा कर ब्लाऊज के उपर से उनकी चुचिया मसलते हुए- अह्ह्ह भाभी कितना मिजवाति हो चुचि अपना ,अह्ह्ह मस्त मुलायम है

भाभी चुप रही और सिसकिया लेते हुए अपनी गाड़ मेरे लण्ड पर घिस्ती रही । मैने एक एक करके उन्के हुक खोल दिये और चुचो को आजाद कर दिया

अह्ह्ह 36DD वो गोल भारी चुचे उम्म्ं हाथो मे नही समा रहे थे ।
मै उन्हे मसलता हुआ भाभी के कानो मे - लग रहा है कमलेश भैया के अलावा और भी कोई रगड़ रहा है इन्हे

भाभी कसमसाई और बोली - हा है कुछ बहिनचोद ,,अहहहहह सीईई ओह्ह्ह्फ्फ्फ्फ


मैने भाभी की बात पूरी होने से पहले ही उन्हे घूमाया और मुन्क्के जैसा निप्प्ल मुह मे घूलने लगा ।

भाभी मेरे सर को अपने सिने पर दबाने लगी।
मै बारी बारी उनकी दोनो चुचिय मुह मे लेके चुसने लगा । भाभी की मदहोशि बढती ही जा रही थी उनका हाथ मेरे लण्ड को भीच रहा था
भाभी की गहरे भूरे रंग की घुंडी पर जीभ फ्लिक करते हुए मै उनकी चुचिया मसलता हुआ - अह्ह्ह भौजी कितनी रसिली चुची है उम्म्ंम्ं ,,, नीचे जाओ ना

भाभी मुस्कुराइ और उसी हाल मे एड़ियो के बल बैठते हुए लंड को मुह मे भरने लगी
मै उन्के सर को अपनी लण्ड पर दबाते हुए एडिया उचकाने लगा और लण्ड को गले तक ले जाने लगा ।

भाभी के मुह मे मेरा लण्ड और तन गया था भाभी के गले की घंटी पर जैसे ही मेरे सुपाडे ने घिसा ,,भाभी खासने लगी और ढेर सारा लार मेरे लण्ड पर उडेलने लगी ।

फीर अच्छे से उसे मेरे लण्ड पर घिसा और लण्ड को चिकना करने लगी । मै बहुत बेताब हुआ जा रहा था तो फटाक से भाभी को पकड़ कर हाल मे रखी हुई चौकी पर लिटा दिया और जान्घे खोलते हुए साड़ी कमर तक उठा दी ।

काले घुघराले बालो के बिच भाभी के चुत का गोरा क्लिट मोटी जैसे चमक रहा था ,,मैने अपना हाथ आगे बढाया और चुत के सामने से बालो को हटाया फिर उपर की चमडी को उंगलियो मे गुथने लगा ।

भाभी पागल सी होने लगी मैने उनकी टांगो को खिच कर अपना लण्ड चुत के मुहाने पर लगाया और बोला - क्या हुआ भौजी अब नही दोगी गाली हम्म्म

भाभी मुस्कुराई और धीमे से बोली - तोहार बहिन चोदो
मै मुस्कुराया और लण्ड को एक झटके से उनकी चुत मे धकेलता हुआ - क्याआआ

भाभी सिसकी और थोडा दर्द भरे आवाज मे - अह्ह्ह तोहरी बहिनीया चोदो उम्म्ंम अह्ह्ह


मुझे जब भी भाभी गाली देती मै और भी उत्तेजित मह्सूस करता और लण्ड को बडी बेरहमी से रगडता हुआ पुरा जड़ मे घुसेड़ दिया और मुस्कुरा कर उनकी आंखो मे देखता हुआ - का बोली हिहिहिही

भाभी दर्द से छ्टपटा रही थी मगर मेरे छेड़ने पर वो अब शर्मा भी रही थी तो हस कर - अह्ह्ह तोहर बहिनचोदो रुक काहे गये ,,,पेलो ना अह्ह्ह नही तो उम्म्ंम्म्ं

मैने उनकी टांगो को थामा और धक्का लगाता हुआ - क्या नही तो ,,बोलो उम्म्ंम बोलो ना


भाभी सिस्कते हुए - अह्ह्ह नही तो अह्ह्ह्ह मा ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह सीईईई ओफ्फ्फ्फ्फ अह्ह्ह

मै लगातार धक्के लगाते हुए उनसे कबूलवाये जा रहा था और भाभी सिसकिया लिये जा रही थी ।
भाभी - उफ्फ्फ्फ्फ अह्ह्ह्ह माआआ इह्ह्ह्ह ऐसे ही पेलो अह्ह्ह मिलेगी बाबू सोनल भी मिलेगीयह्ह्ह्ज उसकी बुर भी ऐसे ही चोदना अह्ह्ह्ह माआ

मै दीदी के नाम पर और भी जोश मे आया और लम्बे लम्बे धक्के
लगाने लगा ।
भाभी भी उत्तेजीत होकर अपनी चुत को मेरे लण्ड पर कसती हुई शब्दो को पीसते हुए बोली - अह्ह्ह्ह ऐसे ही उम्म्ंम और कस से पेल ना बहिनचोद ,,,बहुत मजा आ रहा है दीदी के नाम पर चोदाने पर ह्न्मममं अह्ह्ह्ह ऐसे ही उम्म्ंम्ं और तेज्ज्ज अह्ह्ह

मै उनकी बातो पर मुस्कुराया और अपना धक्का जारी रखा

भाभी सिस्क्किया लेती हुई मुझे और जोशीला करने मे लगी थी - अह्ह्ह हा बाबू और पेल्ल अह्ह्ह बहिनचौद ओह्ह्ह मस्त चोद रहा हौ आह्ह

मै - भाभी सच सच बताना ,और किसका लण्ड घोट चुकी हो उम्म्ंम्ं


भाभी कसमसा कर - आह्ह तुमको क्या लगता है अगर लण्ड मिलता तो ऐसे जन्गल रखती मै अह्ह्ज उम्म्ंम्ं बहुत दिनो बाद दमदार मुसल मिला है अह्ह्ह्ह और एज्ज्ज्ज मेरा होगा उह्ह्ह्ह राज्ज्ज और तेज बाबुउऊ उम्म्ंम

मै अपनी धक्के को तेज करता हुआ -अह्ह्ह फिर ये आपके चुचे इतने मोटे कैसे उम्म्ंम

भाभी मेरे सवाल का जवाब देने से पहले ही झडने लगी ,,उनकी चुत का गरमा गरम माल मेरे लण्ड की चमडी पर बघरने लगा,,,मै और तेज से थपाथप उनकी चुत मे पेलता रहा और मै भी झड़ने क्र करीब ही था


मै उतेजीत होकर - अह्ह्ह भाभी बताओ ना ,,आपके चुचे बडे कैसे हुए फिर

भाभी अब झड़ चुकी थी तो अपने होश मे थि और मुस्कुरा कर अपने चुत को मेरे लण्ड पर कस्ते हुए - आह्ह बाबू ये गाव है यहा कि होली मे बुढे जवां सब देवर हो जाते है ,,,अब कितनो को रोका जाये चोली रग्ने से ,,,, दो दिनो मे लाल कर देते है सीई अह्ह्ज और फिर ....


मै भाभी की बाते सुन कर कल्पना करने लगा कि कैसे होली के दिनो मे गाव के मनचले भाभी के ब्लाउज मे हाथ घुसा का उनकी चुचो की घुंडीया घुमाते होगे ।

मै इस कल्पना मात्र से ही पागल हो गया और जोश से भाभी की एक टांग उठा कर धकाधक पेलने लगा - अह्ह्ज फिर क्या भाभी ???

भाभी मेरे तेज धक्को को सहती हुई सिसकी - वोहहह अह्ह्ह वो बाकी की कसर तुम्हारे भैयाआअह्ह पूरी कर देते है अह्ह्ह उम्म्ं मा

मै अब झड़ने के करीब था तो फटाक से लण्ड निकाला और नसो दबाव बना कर लण्ड सहलाने लगा ।
भाभी फौरन सरकती हूई चौकी से निचे आ गयी और मेरा लण्ड पिचकारी छोड़ी

अह्ह्ज भाभी अह्ह्ह आह्ह
मै एक साथ सारा माल भाभी के मुह पर मारा बाकी कुछ चुचियो पर गयी

बचा कुचा भाभी ने निचोड लिया । थोडी देर बाद भाभी ने खुद को साफ किया और साडी सही करने लगी ।

मै उनके पीछवाड़े पर पन्जा कसता हुआ - तो भाभी अब क्या ख्याल है मेरी दीदी के बारे मे हिहिही।

भाभी शर्मायी और बोली - वो मै चोदवा के रहूँगी हिहिही ,,अच्छा ये बताओ यहा कैसे आना हुआ

मै हस के - वो मौसी के यहा शादी की मिठाईया आयी थी वही देने आया था ।
फिर हम दोनो निचे आये और उन्होंर मुझे पानी लाकर दिया ।

मेरा मन एक राउंड और करने को था लेकिन भाभी ने मना कर दिया कि फिर कभी और मुझे भी दुकान पर जाना था ।तो मै वापस घर आ गया ।

दिनभर दुकान मे व्यस्त था और शादियो की सीजन चल रहा था तो फुरसत नही मिली । दोपहर मे 2 बजे के करीब सरोजा का फोन आया लेकिन मै दुकान मे व्यस्त था तो फोन उठा कर उन्हे फिर कभी आने का बोला और वो मेरी मजबुरी को समझकर हा बोल दी ।

शाम को 5 बजे के करीब जब थोडा दुकान मे काम हल्का हुआ तो अनुज ने थोडा टहलने के लिए पहल की फिर मैने उसे भी जाने दिया कि छोटा है घूम टहल लेने दो ।

फिर मै अपने कामो मे लगा रहा ।

जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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