Sidra Ansari
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Hot and exciting updateपापा ने प्या र से मेरी नाक की नोक को अपने दाँतों से काटा. मैंने पापा की बाँहों पर गहरे खरोंचो को प्यार से चूम कर खून चाट लिया ,
"सॉरी पापा , मैंने आपकी बाहें खरोंच डाली ."
पापा ने मुस्कुरा कर मुझे प्यार से चूम लिया । पापा ने मुझे चूम कर फिर से मेरी गांड मारनी शुरू कर दी. मेरी गांड अब पापा के विशाल लंड के अनुकूल रूप से चौड़ी हो गयी थी. पापा का बड़ा सा अमानवीय लंड मेरी गांड के छेद को रगड़ कर अंदर बाहर हो रहा था । मेरी गांड मानों सुन्न हो चुकी थी। मेरी गांड का दर्द पूरा तो ठी क नहीं हुआ पर मुझे अब उस दर्द से कोई बहुत परेशानी नहीं हो रही थी। पापा अपने भीमाकार लंड को अविरत मेरी गांड के भीतर-बाहर करते रहे ।
उन्होंने अपने आकर्षक कसे हुए कूल्हों का इस्तमाल कर अपनी बेटी की गांड का मरदन निर्ममता से करना शुरू कर दिया । पापा अपने बड़े से लंड के सुपाड़े को छोड़ कर पूरा लौड़ा बाहर निकालने के बाद एक भीषण धक्के से उसे पूरा वापस मेरी गांड में ठूंस रहे थे । उसके जोरदार धक्कों से मेरी पूरा शरीर हिल रहा था। मेरी सिसकियाँ उनके मुंह में संगीत सा बजा रहीं थी। मैं अपनी गांड में पापा के लंड के हर धक्के को अपनी सिसकारी से स्वागत कर रही थी. पापा ने मेरी गांड की चुदाई की गति बड़ा दी. पापा अपना लंड सिवाय मोटे सुपाड़े को छोड़ कर पूरा बाहर निकाल कर एक भयंकर ठोकर से मेरी गांड की भीतरी गहराइयों में ठूंस रहे थे. कमरे की हवा मेरी गांड की मधहोश सुगंध से भर गयी . पापा का लंड मेरी गांड को चौड़ा कर आराम से अंदर बाहर जा रहा था .पापा ने मेरी दोनों चूचि यों को मसलना शुरू कर दि या . मेरी सिस्कारियां अब अविरत मेरे मूंह से उबल रहीं थीं. पापा बहुत देर से मेरी गांड मार रहे थे .
अचानक मेरी सिसकारी मेरे दर्द भरे यौन चरमोत्कर्ष के तूफ़ान से और भी ऊंची हो गयी . पापा का मोटा लंड अब मेरी गांड में रेल के इंजन की गति से अंदर बाहर हो रहा था .
पापा मेरे मुंह को चूमते हुए मेरी गांड मार रहे थे . पापा की चुदाई ने मेरी गांड को मथ कर मेरे कामोन्माद को परवान चड़ा दिया . मैं एक जोरदार सिसकारी के साथ अपने आनंद की पराकाष्ठा पर पहुँच गयी. मेरा सारा शरीर कामुकता की मदहोशी में अकड़ गया . पापा का लंड मेरी गांड में झटके मार कर फूल पिचक रहा था .
मैं पापा के लण्ड पर झड़ रही थी और मेरी आँखे मादक चरम-आनंद की उन्मत्तता से बंद हो गयीं. पापा का लण्ड अभी भी उसी तरह सख्त था मेरे स्खलन के कारण पापा ने गांड मारनी रोक दी ताकि मैं अपने झड़ने का मजा ले लू। पापा और मैं बड़ी देर तक उसी तरह आनंद से एक दुसरे की बाँहों में लेटे रहे.
थोड़ी देर बाद पापा ने मेरी गांड में से अपन लौड़ा बाहर निकाल लिया। मेरे नथुने मेरी गांड की खुशबू से भर गए. पापा ने प्यार से मेरी सूजी गांड को चाट कर साफ़ किया . पापा की जीभ मेरी बेदर्दी से चुदी थोड़ी ढीली खुली गांड में आसानी से अंदर चली गयी . मेरी गांड साफ़ कर पापा बोले
"बेटी, अब मैं तुम्हारी फिर से पीछे से ही गांड मारूंगा. इस पोज़ में ही गांड मारने का सबसे ज्यादा आनंद आता है."
मैं अब गांड मरवाने के आनंद की कामुकता से प्रभावित हो गयी थी. मैं पलट कर घोड़ी की तरह अपने हाथों और घुटनों पर हो गयी. पापा का तना हुआ लंड मेरी गांड के रस से पूरा गीला हो गया था. मैंने जल्दी से पापा के लंड तो अपने मूंह और जीभ से चाट कर साफ़ किया . मुझे अपनी गांड और पापा के रस का मिला -जुला स्वाद अत्यंत अच्छा लग रहा था.
पापा ने फिर से अपना लंड मेरी गांड में पीछे से हौले-हौले अंदर डाल दिया . मेरी गांड इतनी देर में फिर से तंग हो गयी थी. पर मुझे इस बार बहुत थोड़ा दर्द हुआ. पापा ने मेरी गांड को शीघ्र तेज़ी से चोदना शुरू कर दिया . हमारा कमरा बेटी बेटे के बीच इस गांड -चुदा ई से उपजी मेरी सिस्कारियों से भर गया . पापा के हर भीषण धक्के से मेरा शरीर फिर से कांप उठा । उनकी बलवान मांसल झांगें हर धक्के के अंत में मेरे कोमल मुलायम भरे भरे चूतड़ों से टकरा रहीं थीं. हमारे शरीर के टकराने की आवाज़ कमरे में ' थप्पड़ ' की तरह गूँज रही थी।
मैं पापा के अपनी गांड पर पड़ रहे धक्क्कों के जोर से कराह उठी और बोल पड़ी-
"ओह … पापा इतनी जोर से न मारो … आपका लौड़ा तो मेरे बहुत अंदर तक जा रहा है. मेरी बात सुन कर शायद उन्हें ख़ुशी हुई और उन्हें भी अपनी मर्दानगी पर गर्व हुआ,
वो बोल पड़े - "मजा गया बेटी। आज अपनी बेटी की ही गांड मार कर जो आनंद आ रहा है वो तुम्हारी माँ की गांड सैंकड़ों बार मार कर भी नहीं मिला। "
पापा के धक्कों से मैं यह तो समझ गयी थी कि उन्हें बहुत मजा आ रहा और उसका जोश साफ झलक रहा था . जिस प्रकार से वो ताकत लगा रहे थे . मुझे लग रहा था कि पापा के लण्ड को अंदर ही अपनी गांड से कस के जकड़ लूँ. मेरी गांड धक्कों के बढ़ते रफ्तार से और अधिक गीली होती जा रही थी. अब तो फच फच जैसी आवाजें मेरी गांड से निकलनी शुरू हो गयी थीं.
जैसे जैसे संभोग और धक्कों की अवधि बढ़ती जा रही थी, वैसे वैसे हम दोनों की सांसें तेज़ और जोश आक्रामक रूप लेता जा रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था , जैसे वो मुझे ऐसे ही धक्के मारते रहे, कभी न रुके. वो भी शायद यही चाह रहे थे. उस मौसम में भी अब हम दोनों के पसीने छूटने लगे थे. मुझे उनका लिंग मेरी गांड के भीतर तपता हुआ लोहा महसूस हो रहा था .
जिस प्रकार मैं झुकी हुई थी और पापा मुझ पर दोनों टांगें फैला कर चोद रहे थे , उससे धक्के बहुत मजेदार लग रहे थे. जैसे जैसे मेरी चरम सुख की लालसा बढ़ती जा रही थी, वैसे वैसे मैं अपने चूतड़ ऊपर करती जा रही थी. मेरे चूतड़ पीछे से पूरी तरह से उठ जाने की वजह से उनका लिंग अब हर धक्के पे मेरे पूरा अंदर तक जा रहा था और मेरी कामोतेजना का अब ठिकाना ही नहीं रहा और मैं कराहने और सिसकने लगी . उत्तेजना में मैंने किसी तरह एक हाथ पीछे ले जाकर पापा के चूतड़ को पकड़ना चाहा और पापा को अपनी गांड पर कस कर खींच लिया ताकि पापा का लंड मेरी गांड में जितना हो सके उस से भी ज्यादा अंदर तक घुस जाये. पापा भी मेरी हालत समज रहे थे कि उनकी बेटी को अपने बाप से गांड मरवाने में बहुत मजा आ रहा है.
इससे पापा और उत्तेजि त हो उठे और एक जोर का झटका दे मारा
पापा हाँफने लगे थे और उन्होंने रुक रुक के धक्के देने शुरू कर दिए थे. कोई 20 मिनट के संभोग के बाद पापा ने मुझसे पूछा-
"बेटी सुमन! जब तुम झड़ने वाली होगी तो मुझे बता देना ."
मैंने भी उत्तर दिया - "हाँ पापा! बस मेरा काम तमाम होने वाला है. बस आप तेज़ी से धक्के मारते रहो , रुकना मत."
हम दोनों मस्ती में पूरी तरह खो चुके थे और हम दोनों को बहुत मजा आ रहे थे . जैसे जैसे संभोग की अवधि बढ़ती गयी , वैसे वैसे मैं थकती जा रही थी. वही पापा की भी मस्ती चरम पर पहुंचने को थी. मैं काफी थक गयी थी और मेरी गांड में भी अब जलन होने लगी थी पर गांड मरवाने का मजा था कि बढ़ता ही जा रहा था. मैं इस हाल में भी अपने जोश और दम को कम नहीं होने दे रही थी. अब तो मेरे पसीने छूटने लगे थे, तभी पापा ने जोश से मेरे चूतड़ों को पकड़ लिया और गोली की तेजी और स्पीड से मेरी गांड मारने लगे. मैं समज गयी कि पापा का भी पूरा होने ही वाला है. वैसे भी हम दोनों बाप बेटी लगभग आधे घंटे से गांड की चुदाई कर रहे थे.
मैं बस कसमसाती हुई कराहने लगी . मैं मस्ती के सागर में पूरी तरह डूब चुकी थी और अब किना रे तक जाना चाहती थी.
मैं बोली - "उम्म्ह… अहह… हय… या ह… ओह्ह पापा और जो र से चोदो मुझे, मैं झड़ने वाली हूँ. होने ही वाला है काम तमाम आपकी सुमन का। आप भी मेरे साथ ही झड़ना। "
बस फिर क्या था, मेरी ऐसी बातें पापा के कानों में किसी वियाग्रा की गोली की तरह काम कर गयी.
तभी पापा ने अपना हाथ नीचे ले जा कर अपनी दो उँगलियाँ मेरी चूत में डाल दीं और मेरी चूत को भी अपनी उँगलियों से चोदना शुरू कर दिया.
अब यह दुहरा हमला सहन करना मेरे लिए बहुत मुश्किल हो गया. इतना मजा आ रहा था कि क्या बताऊँ. अब तक गांड में घुसे लण्ड से होने वाला दर्द तो महसूस हो ही नहीं रहा था और इधर चूत में से अलग काम शुरू हो गया.
पापा के धक्के रेलगाड़ी की रफ़्तार से हो रहे थे और हर धक्के से मेरा शरीर आगे पीछे हिल रहा था. पापा को चूत की उँगलियाँ हिलाने की जरूरत ही नहीं पड़ रही थी. शरीर हिलने से हर झटके के साथ अपने आप चूत में उँगलियाँ अंदर बाहर हो रही थी.
मेरी चूत को यह सब सहन करना संभव नहीं था. मैं चिल्ला रही थी
"पापा! और तेज और तेज , स्पीड बढाइये मेरा होने वाला है."
पापा ने भी फिर जोरदार और अपनी पूरी ताकत से मुझे धक्के मारने शुरू किए. मैं भी धक्कों की मार से बकरी की तरह मिमियाने लगी और फिर मेरी नाभि में झनझनाहट सी शुरू हो गयी . अभी 5-10 धक्के उन्होंने और मारे कि उस झनझनाहट की लहर मेरी नाभि से उतरता हुआ गांड तक चला गया . मैं और जोरों से सिसियाने और कराहते हुए अपनी चूतड़ उछालने लगी . मेरे मुँह से ‘आह ओह्ह इह..’ जैसी आवाजें निकलने लगीं . मेरी गांड से मुझे लगा कि कुछ तेज़ पिचकारी सी छूटने को है और मेरा बदन मेरे बस में नहीं रहा .
मैं झड़ने लगी और मेरी गांड से पानी की धार तेज़ी से रिसने लगी . मुझे ऐसे देख और मेरी हरकतें और चरम सुख की प्राप्ति की कामुक आवाज सुन पापा भी खुद को ज्यादा देर न रोक सके . वो भी गुर्राते और हाँफते हुए तेजी से मेरी गांड में झटके पे झटके मारते हुए एक के बाद एक पिचकारी मारने लगे , उनके लिंग से 4 बार तेज़ वीर्य की पिचकारी मैंने मेरी गांड के बिलकुल अंदर तक में महसूस की जो कि आग की तरह गर्म थी. उनके धक्कों के आगे मैं भी पूरी तरह झड़ कर शांत होने के लिए गांड को पापा के लैंड पर चिपकाये घोड़ी बनी खड़ी रही . पर पापा का लौड़ा मेरी गांड में वीर्य की धारें मारने से तब तक नहीं रुका जब तक उन्होंने वीर्य की आखिरी बूंद मेरी गांड की गहरा ई में न उतार दी.
इधर मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया। आज गांड और चूत दोनों की जबरदस्त और इकठी ही रगड़ाई हो गयी थी और मेरा और पापा का भी इतना माल निकला था कि हमारे सम्मिलित स्खलन के बाद पापा मेरे चूतड़ों पर ही गिर पड़े और और हाँफते हुए सुस्ताने लगे . उन्होंने मेरी गांड को अपने वीर्य से लबालब भर दिया था.
थोड़ी देर बाद पापा का लौड़ा नरम हो गया और पापा ने उसे मेरी गांड से बाहर निकाल लिया. मेरी गांड का छेद पूरी तरह खुल गया था और अंदर दो इंच तक तो लाल लाल मांस दिखाई दे रहा था. पापा जानते थी की असली काम हो चूका है तो अब साड़ी जिंदगी मजे ही मजे हैं.
अब चुदाई तो पूरी हो चुकी थी पर सब कुछ हो जाने के बाद अब मुझे पापा को देखने से शर्म आ रही थी, पहले तो चुदाई और वासना के नशे में कुछ पता ही नहीं चल रहा था. पर आखिर थे तो वो मेरे पापा ही. मैं सोच रही थी कि कैसे अब मैं अपने पापा को आँख मिला सकुंगी. शायद यही हाल मेरे पापा का भी था.
पापा ने मुझे पूछा
"सुमन बेटी! अभी तुम्हारी गांड और चूत में कीड़े के दर्द का क्या हाल है? (मैं तो भूल ही चुकी थी कि हमने कीड़े के बहाने से ही तो चुदाई के मजे लिए हैं) . दर्द ख़त्म हुआ है या फिर से उसे ठीक करना पड़ेगा.?"
मैं समझ रही थी कि क्योंकि मम्मी और नानी तो नींद की गोलियां खा कर सो रही हैं तो पापा शायद एक बार और मेरी चुदाई करना चाहते हैं. पर आज हे पहली बार मेरी चूत में पापा का इतना मोटा लण्ड घुसा था और आज ही गांड का भी उद्धघाटन हो गया था. तो अब मेरी चूत और गांड दोनों का ही बहुत बुरा हाल हो गया था. तो मैं तो अब कोई और राउंड चुदाई का सहन नहीं कर सकती थी, पर पापा के साथ इस सम्बन्ध को आगे भी चालु रखना था तो बोली
"पापा कीड़ा तो चाहे पिछले छेद में घुस गया था या अगले छेद में. वो तो आपके इस मूसल जैसे हथियार से पक्का मर गया होगा. पर अंदर अभी भी थोड़ी बेचैनी सी है. शयद कीड़े के जहर का कोई असर है. पर जब आपके लौड़े से माल की पिचकारी अंदर आयी तो उस से बहुत आराम मिला. आपके वीर्य ने एक दवा या मलहम का काम किया है. लगता है कि आपका वीर्य उस जहर का अच्छा इलाज है. तो आप एक काम करेंगे, कि मेरी चूत और गांड में अपने लंड का यह मरहम मेरे को देते रहें तो आने वाले समय में भी जहर फैलने का कोई खतरा नहीं होगा.
पापा तो मेरी बात से खुश हो गयी कि मैंने उन्हें चुदाई की पक्की इजाजत दे दी है. वो प्यार से मेरे को चूमते हुए बोले
"सुमन बेटी! तुम मेरी बहुत ही प्यारी बेटी हो. मैं भला कैसे तुम्हे किसी तकलीफ में देख सकता हूँ. तुम बिलकुल भी चिंता न करो. आदमी के लण्ड का माल एक बहुत ही अच्छा एंटीसेप्टिक होता है. किसी भी जखम पर यह सब से बढ़िया मलहम है. और सब से अच्छी चीज यह है कि जैसे तुम्हारी चूत या गांड में बहुत अंदर तक कीड़े के जहर का खतरा है, तो मेरा आठ इंच का लौड़ा तुम्हारी चूत गांड में पूरे अंदर तक मलहम लगा देगा. दुसरे चुदाई करवाने का औरतों को एक फ़ायदा होता है कि चुदाई से चूत का रास्ता साफ़ होता रहता है तो मासिक धर्म में कोई दिक्कत नहीं होती. इसी तरह रोज गांड मरवाने से कभी भी कब्ज का खतरा नहीं रहता. तो ऐसे करंगे कि अभी तो घर में तुम्हारी मम्मी होती है, पर ज्योंही कोई मौका मिलेगा मैं तुम्हारी गांड या चूत मार लिया करूँगा. ठीक है?"
मैंने पापा को चूमते हुए कहा
"पापा! थैंक यू। आप दुनिआ के सबसे अच्छे पापा हैं. आप मेरी दिक्कत की इतनी चिंता कर रहे हैं. आप जब भी मौका मिले मेरी चूत या गाँड़ में अपने लौड़े के मलहम लगा दिया करना. यह हम दोनों बाप बेटी का राज रहेगा. अब रात बहुत हो गयी है. आप जा कर सो जाएँ ताकि सुबह आराम से उठें और किसी को शक न हो। "
पापा मुझे प्यार से चूम कर चले गए और मैं भी पापा की चुदाई के सपने देखती सो गयी.
उस दिन के बाद हम बाप बेटी का सेक्स सम्बन्ध चल रहा है. किसी को कोई शक भी नहीं हुआ, जब भी मौका मिलता है हम अपने अपने जिस्म की भूख मिटा लेते हैं. हर रोज मेरी गांड या चूत की चुदाई तो पक्की है ही. कभी कभी तो दोनों की चुदाई एक ही दिन में हो जाती है.
तो फ्रेंड्स इस तरह हम बाप बेटी सेक्स भरी जिंदगी के शुरूर ओ मस्ती में डूब कर जिंदगी के हसीन लम्हों को अपने आगोश मे लेकर लज़्जतो के सफ़र पर चल रहे हैं।