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Incest शरीफ बाप और उसकी शैतान बेटी

Ting ting

Ting Ting
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हम दोनों बाप बेटी बहुत ही खुश थे. खुश होते भी क्यों नहीं आखिर मेरी इतने दिन की मेहनत आज रंग लायी थी और मैं अपने मकसद यानि अपने प्यारे पापा से चुदवाने में सफल हो ही गयी थी.
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दुसरे चाहे अब मम्मी और नानी आ चुकी थी पर अब मुझे उतनी चिंता नहीं थी क्योंकि मैं जानती थी कि मम्मी तो अब उम्र में काफी ज्यादा हो चुकी हैं और पापा इतने सालों से उनकी चूत मार मार कर ढीली कर चुके हैं, तो अब जब उन्हें उनकी बेटी की जवान चूत मिल रही है तो क्यों वे बूढी और ढीली चूत को पसंद करेंगे? अब तो हम बाप बेटी की चुदाई चालू ही रहने वाली थी. जब भी मौका मिलेगा तो हम आपस में मजे ले ही लिया करेंगे.

खैर हम घर को जा रहे थे. पापा स्कूटर चला रहे थे और मैं उनके पीछे बैठी थी बिलकुल पापा से चिपक कर. और मेरी दोनों छातियां पापा की पीठ में घुसी हुई थी. सड़क क्योंकि ज्यादा अच्छी नहीं थी तो स्कूटर के धक्कों से मेरी चूचियां पापा की पीठ में घिस रही थी. कुछ मैं जान बूझ कर भी अपनी छातियां पापा की पीठ में रगड़ रही थी. पापा को भी मजा आ रहा था. थोड़ी ही देर मैं हम मुख्य सड़क पर पहुँचने वाले थे तो तब तक तो मैं मुम्मे रगड़ने का मजा लेती रहना चाहती थी. पापा भी शायद इसी लिए जानबूझ कर स्कूटर धीरे चला रहे थे.
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मेरी चूत में अभी भी दर्द हो रहा था. पापा के मोटे लण्ड से पहली चुदाई थी, तो चूत का तो कबाड़ा ही कर दिया था पापा ने.

तभी पापा मुझे बोले

"सुमन! मेरी जांघों में खुजली हो रही है. मेरे हाथ स्कूटर पर हैं तो थोड़ा खुजला देगी क्या?"

मैं समज रही थी कि पापा मुझे लौड़े पर हाथ फेरने का इशारा दे रहे हैं. मैं भी मुख्य सड़क पर आने से पहले लौड़े का मजा लेना चाहती थी. असल में अब लौड़े को हाथ से छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था. मन तो कर रहा था कि बस पापा का लण्ड मेरी चूत में ही घुसा रहे, या कम से कम हाथ में तो रहे ही. ताकि मैं उसे मसलती रहूं.

मैंने पापा की टांग पर हाथ रखा और छेड़ते हुए बोली

"पापा! यहाँ खुजली हो रही है क्या?"

पापा:- नहीं बेटी थोड़ा ऊपर।

मैं हाथ को उनकी जांघों के जोड़ के पास ले जाकर फिर मजाक किया

मैं:- पापा यहाँ है क्या?

पापा से भी अब दूरी सहन नहीं हो रही थी. तो वो साफ़ साफ़ बोले

"सुमन! मेरे लण्ड पर खुजली हो रही है. अभी हम लोग थोड़े अँधेरे में हैं तो लुंगी के अंदर और अंडरवियर में हाथ डाल कर थोड़ा खुजली कर दो और सेहला दो. मुख्य सड़क पर लोग होंगे तो तुम खुजली नहीं कर पाओगी.

मैंने भी देर करना उचित न समझते हुए, झट से अपना हाथ पापा की लुंगी के अंदर डाल दिया और फिर उनके अंडरवियर के साइड से अंदर घुसाया. पापा का लौड़ा तो अपनी बेटी के हाथों के इन्तजार में कब से खड़ा था और मेरे हाथों की राह देख रहा था.

मेरे उँगलियाँ लगती ही लौड़े ने ख़ुशी से झटका मार कर स्वागत किया. मैंने भी तुरंत अपनी हथेली में लौड़े को कस लिया। और पापा के लौड़े को मुठ मारने के अंदाज में सहलाने लगी.
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पापा के मुंह से सिसकारियां निकलने लगी. मैं समझ रही थी कि पापा को बहुत अच्छा लग रहा है. और अच्छा तो मेरे को भी बहुत लग रहा था.

तो मैंने अपना दूसरा हाथ, जिस से मैंने पापा को पकड़ा हुआ था, को दूसरी साइड से लुंगी में डाल दिया और अपने हाथ में पापा के टट्टे (बॉल्स) पकड़ लिए और उन्हें सहलाने और उनके नीचे अपने नाखूनों से खुजली जैसे करने लगी.
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पापा और बेटी चलती स्कूटर पर मजे ले रहे थे. मैं प्यार से धीरे धीरे पापा का लौड़ा सेहला रही थी और टट्टे मसल रही थी.

एक बार तो मेरा मन हुआ कि पापा को बोलती हूँ कि स्कूटर तो कहीं साइड में खड़ा कर लें और मैं पापा का लौड़ा चूस कर मजा ले लेती हूँ पर फिर सोचा कि अभी पापा मुझे चोद के आ रहे हैं और अभी घर जा कर रात में मेरी गांड भी मारनी है, तो अभी लौड़ा चूसने को रहने देती हूँ ताकि पापा को भी थोड़ा आराम मिल सके. तो मैंने वो प्रोग्राम अभी स्थगित कर दिया और पापा के लण्ड को सिर्फ सहलाती ही रही.

इसी तरह चलते चलते थोड़ी देर में दवाइयों की दूकान आ गयी.

पापा ने स्कूटर रोक दिया, और मैंने पापा को कहा कि जा कर नींद की गोलियों का पूरा पत्ता ले आएं और कुछ दर्द कम करने की गोलियां भी ले लें.

पापा मुझे बोले

"बेटी! तू पैसे ले जा और जा कर खरीद ले. क्योंकि देख तो सही मेरा लण्ड कितना टाइट हो चूका है. मैं इस तरह लुंगी में तम्बू बनाये हुए कैसे जा सकता हूँ?"

मैं मुस्कुरा पड़ी और हँसके पूछा

"पापा यह आप का लौड़ा कभी बैठेगा भी या सदा ऐसे ही खड़ा रहेगा?"
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पापा भी हँसे

"सुमन! अब तो यह तेरी गांड मार कर ही ढीला होगा. अब जा जल्दी से दवा ले आ."

मैंने जा कर दवाई खरीदी और हम बाप बेटी घर को चल दिए.

घर जाने तक मैंने फिर पापा का लण्ड नहीं पकड़ा, एक तो हम उसे थोड़ा ढीला होने का समय देना चाहते थे क्योंकि घर में मम्मी और नानी थे और दुसरे अब मुख्य सड़क पर भीड़ भी काफी थी.

खैर हम घर आ गए और अपने अपने कमरे में चले गए. मैं पहले से ही छुपा कर ले जाई हुई किताब निकाल ली थी जिस से मम्मी को कोई शक भी नहीं हुआ. वैसे भी हम दोनों बाप बेटी थे तो मम्मी को शक करने का कोई कारण भी नहीं था. हालाँकि उन्हें क्या पता था की हम बाप बेटी किताब लाने के बहाने से क्या काण्ड करके आ रहे हैं.

रात का मुझे बहुत बेसब्री से इन्तजार था. आज राज को मेरी गांड की सील टूटने वाली थी. वो भी मेरे अपने पापा के लौड़े से. मैंने चूत तो फिर भी कई बार मरवाई थी पर गांड कभी नहीं. मैं बहुत खुश थी कि आज मेरी सील मेरे अपने बाप के हाथों (वैसे सही शब्द तो है के बाप के लौड़े से ) टूटने वाली थी.

मैं किचन में जा कर खाना बनाने लगी , गोली भी खा ली।
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मम्मी और नानी ड्राइंग रूम में बैठे बातें कर रहे थे. पापा भी उनके पास बैठे टीवी देख रहे थे. मै किचन में डिनर की तैयारी कर रही थी ।

पापा से अब मेरे से दूर नहीं रहा जा रहा था तो वो पानी पीने के बहाने से उठ कर आ गए और किचन के दरवाजे पर हाथ रख के खड़ा हो गये और अपने कंधे दरवाजे पर टिका लिये ।
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और अपनी बेटी को खाना बनाती हुई को निहारने लगे । अपने पापा को अपनी ख़ूबसूरती निहारते देखकर मै मन ही मन ख़ुश हुई । फिर पापा की तरफ देखकर बो ली , "पापा , मैंने आज आपके लिये स्पेशल डिनर बनाया है । जितना ज्यादा खा सकते हो , खा लेना । आज रात आपको बहुत एनर्जी की जरुरत पड़ने वाली है ।"

मेरी कामुक बातें सुनकर पापा का लंड अपनी नींद से उठ गया । वो मेरे आकर पीछे गांड से चिपक के मुझे आलिंगन करते हुए मेरा चुम्बन लेने लगे ।

पापा प्यार से मेरे कान में बोले

"तुम्हारे लिये मेरे पास पहले से ही बहुत एनर्जी है बेटी । अगर तुमने मुझे एक्स्ट्रा एनर्जी दे दी तो फिर तुम मुझे झेल नहीं पाओगी और फिर एक हफ्ते तक बेड से उठ नहीं सकोगी , और अगर उठ भी गयी तो लंगड़ा लंगड़ा के चलोगी ।"

जोर से ठहाका लगाते हुए पापा बोले ।

उनकी इस गुस्ताखी पर, मेंने अपने निचले होंठ को दातों में दबाते हुए, शरारत से पापा के पेट में अपनी कोहनी मार दी ।

मेने कहा "पापा! मुझे यह मोटा लौड़ा अपनी गांड की पूरी गहराई में चाहिये… पूरा जड़ तक… फिर मैं आपको सिखाऊँगी कि एक्स्ट्रा एनर्जी क्या हे और मुझे कैसी चुदाई पसंद है… मुझे जोरदार और निर्मम चुदाई पसंद है… कोई दया नहीं …सिर्फ वहशी चुदाई…आज अपनी बेटी को खुश कर देना. बस अब माँ के पास जा कर बैठो, उन्हें शक न हो जाए. "
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पापा ने मेरे चूतड़ों पर हाथ फेरा और अपनी एक ऊँगली मेरी गांड के सुराख पर रख कर उसे वहीँ रगड़ने लगे. मैं समझ रही थी कि पापा से रात होने तक का इन्तजार नहीं हो रहा है. मुझे ख़ुशी थी कि एक बार की ही चुदाई से मेरे पापा मुज पर कितने लट्टू हो गए हैं.

मुझे डर लगा कि वासना के जोर में पापा अभी मेरी गांड में ऊँगली ना घुसेड़ दें,

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उनकी ऊँगली सूखी थी और मेरी गांड बिलकुल टाइट. वैसे भी अभी पास में ही ड्राइंग रूम में मम्मी और नानी भी थे, तो कभी भी किसी के भी आ जाने का डर था. तो मैंने अपना हाथ पीछे ले जा कर अपनी गांड पर घूमती पापा की ऊँगली हटा कर पापा को जाने और रात का इन्तजार करने को कहा. पापा फिर से मुझे एक बार चूम कर और मेरे चूतड़ों पर प्यार से हाथ फेर कर चले गए.

फिर रात में हमने खाना खाया. थोड़ी देर टीवी देखा और बातें करते रहे.

हम दोनों बाप बेटी से तो रहा नहीं जा रहा था. तो पापा मुझे बोले

"सुमन! एक काम करो, तुम्हारी मम्मी और नानी भी दूर से आयी हैं और थक गयी होंगी, तुम जा कर दूध गर्म करके ले आओ. सब दूध पी लेंगे. इस से नींद भी अच्छी आती है."

मम्मी दूध पीना तो शायद नहीं चाहती थी, पर नानी के कारण चुप रही, मैं भी पापा की चाल समझ गयी और इससे पहले कि मम्मी कुछ और बोले तुरंत उठ कर किचन में गयी और दूध गर्म किया.

फिर मैंने दो गिलासों में नींद की दो दो गोलियां मिला दी, ताकि माँ और नानी को खूब नींद आये. एक गिलास मैंने पापा के लिए लिया. अपना गिलास मैंने जान बूझ कर नहीं रखा ताकि कहीं मम्मी या नानी उसे न उठा लें.
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मैं दूध ले कर सबसे पहले पापा के पास गयी और सही वाला गिलास उन्हें दे दिया, फिर मैंने नींद की दवा वाले दूध के गिलास मम्मी और नानी को दिए.

पापा ने पूछा "तुम्हारा दूध?'

तो मैंने दूध पीने से मना कर दिया, पर फिर पापा के जोर देने किचन में जा कर अपने लिए भी दूध ले आयी और पीने लगी.

(पापा जानते थे कि मुझे दूध की ताकत की आज रात ज्यादा जरूरत पड़ने वाली है. )
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थोड़ी देर में नानी बोली कि शायद वो रास्ते के सफर से थक गयी हैं और उन्हें नींद आ रही है. मम्मी ने भी नींद आने की बात कही।

तो हम सब अपने अपने कमरे में सोने के लिए चले गए.

लगभग आधे घंटे के बाद पापा ने मम्मी को आवाज दी और हिला कर उठाने की कोशिश की पर मम्मी पर तो नींद की गोलियों का असर हो चूका था और वो बेहोश थी. फिर पापा ने नानी के कमरे में जा कर चेक किया, पर नानी भी सारे गधे घोड़े बेच कर सो रही थीं.

पापा खुश हो गए और मेरे कमरे में आ गए.

मैं तो जाने कब से पापा का इन्तजार कर ही रही थी.


तो आखिर मेरी गांड के उद्धघाटन का शुभ महूर्त भी आ ही गया था. वो भी मेरे अपने प्यारे पापा के हाथों (मतलब उनके लौड़े के द्वारा).
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हम दोनों बाप बेटी बहुत ही खुश थे. खुश होते भी क्यों नहीं आखिर मेरी इतने दिन की मेहनत आज रंग लायी थी और मैं अपने मकसद यानि अपने प्यारे पापा से चुदवाने में सफल हो ही गयी थी.
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दुसरे चाहे अब मम्मी और नानी आ चुकी थी पर अब मुझे उतनी चिंता नहीं थी क्योंकि मैं जानती थी कि मम्मी तो अब उम्र में काफी ज्यादा हो चुकी हैं और पापा इतने सालों से उनकी चूत मार मार कर ढीली कर चुके हैं, तो अब जब उन्हें उनकी बेटी की जवान चूत मिल रही है तो क्यों वे बूढी और ढीली चूत को पसंद करेंगे? अब तो हम बाप बेटी की चुदाई चालू ही रहने वाली थी. जब भी मौका मिलेगा तो हम आपस में मजे ले ही लिया करेंगे.

खैर हम घर को जा रहे थे. पापा स्कूटर चला रहे थे और मैं उनके पीछे बैठी थी बिलकुल पापा से चिपक कर. और मेरी दोनों छातियां पापा की पीठ में घुसी हुई थी. सड़क क्योंकि ज्यादा अच्छी नहीं थी तो स्कूटर के धक्कों से मेरी चूचियां पापा की पीठ में घिस रही थी. कुछ मैं जान बूझ कर भी अपनी छातियां पापा की पीठ में रगड़ रही थी. पापा को भी मजा आ रहा था. थोड़ी ही देर मैं हम मुख्य सड़क पर पहुँचने वाले थे तो तब तक तो मैं मुम्मे रगड़ने का मजा लेती रहना चाहती थी. पापा भी शायद इसी लिए जानबूझ कर स्कूटर धीरे चला रहे थे.
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मेरी चूत में अभी भी दर्द हो रहा था. पापा के मोटे लण्ड से पहली चुदाई थी, तो चूत का तो कबाड़ा ही कर दिया था पापा ने.

तभी पापा मुझे बोले

"सुमन! मेरी जांघों में खुजली हो रही है. मेरे हाथ स्कूटर पर हैं तो थोड़ा खुजला देगी क्या?"

मैं समज रही थी कि पापा मुझे लौड़े पर हाथ फेरने का इशारा दे रहे हैं. मैं भी मुख्य सड़क पर आने से पहले लौड़े का मजा लेना चाहती थी. असल में अब लौड़े को हाथ से छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था. मन तो कर रहा था कि बस पापा का लण्ड मेरी चूत में ही घुसा रहे, या कम से कम हाथ में तो रहे ही. ताकि मैं उसे मसलती रहूं.

मैंने पापा की टांग पर हाथ रखा और छेड़ते हुए बोली

"पापा! यहाँ खुजली हो रही है क्या?"

पापा:- नहीं बेटी थोड़ा ऊपर।

मैं हाथ को उनकी जांघों के जोड़ के पास ले जाकर फिर मजाक किया

मैं:- पापा यहाँ है क्या?

पापा से भी अब दूरी सहन नहीं हो रही थी. तो वो साफ़ साफ़ बोले

"सुमन! मेरे लण्ड पर खुजली हो रही है. अभी हम लोग थोड़े अँधेरे में हैं तो लुंगी के अंदर और अंडरवियर में हाथ डाल कर थोड़ा खुजली कर दो और सेहला दो. मुख्य सड़क पर लोग होंगे तो तुम खुजली नहीं कर पाओगी.

मैंने भी देर करना उचित न समझते हुए, झट से अपना हाथ पापा की लुंगी के अंदर डाल दिया और फिर उनके अंडरवियर के साइड से अंदर घुसाया. पापा का लौड़ा तो अपनी बेटी के हाथों के इन्तजार में कब से खड़ा था और मेरे हाथों की राह देख रहा था.

मेरे उँगलियाँ लगती ही लौड़े ने ख़ुशी से झटका मार कर स्वागत किया. मैंने भी तुरंत अपनी हथेली में लौड़े को कस लिया। और पापा के लौड़े को मुठ मारने के अंदाज में सहलाने लगी.
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पापा के मुंह से सिसकारियां निकलने लगी. मैं समझ रही थी कि पापा को बहुत अच्छा लग रहा है. और अच्छा तो मेरे को भी बहुत लग रहा था.

तो मैंने अपना दूसरा हाथ, जिस से मैंने पापा को पकड़ा हुआ था, को दूसरी साइड से लुंगी में डाल दिया और अपने हाथ में पापा के टट्टे (बॉल्स) पकड़ लिए और उन्हें सहलाने और उनके नीचे अपने नाखूनों से खुजली जैसे करने लगी.
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पापा और बेटी चलती स्कूटर पर मजे ले रहे थे. मैं प्यार से धीरे धीरे पापा का लौड़ा सेहला रही थी और टट्टे मसल रही थी.

एक बार तो मेरा मन हुआ कि पापा को बोलती हूँ कि स्कूटर तो कहीं साइड में खड़ा कर लें और मैं पापा का लौड़ा चूस कर मजा ले लेती हूँ पर फिर सोचा कि अभी पापा मुझे चोद के आ रहे हैं और अभी घर जा कर रात में मेरी गांड भी मारनी है, तो अभी लौड़ा चूसने को रहने देती हूँ ताकि पापा को भी थोड़ा आराम मिल सके. तो मैंने वो प्रोग्राम अभी स्थगित कर दिया और पापा के लण्ड को सिर्फ सहलाती ही रही.

इसी तरह चलते चलते थोड़ी देर में दवाइयों की दूकान आ गयी.

पापा ने स्कूटर रोक दिया, और मैंने पापा को कहा कि जा कर नींद की गोलियों का पूरा पत्ता ले आएं और कुछ दर्द कम करने की गोलियां भी ले लें.

पापा मुझे बोले

"बेटी! तू पैसे ले जा और जा कर खरीद ले. क्योंकि देख तो सही मेरा लण्ड कितना टाइट हो चूका है. मैं इस तरह लुंगी में तम्बू बनाये हुए कैसे जा सकता हूँ?"

मैं मुस्कुरा पड़ी और हँसके पूछा

"पापा यह आप का लौड़ा कभी बैठेगा भी या सदा ऐसे ही खड़ा रहेगा?"
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पापा भी हँसे

"सुमन! अब तो यह तेरी गांड मार कर ही ढीला होगा. अब जा जल्दी से दवा ले आ."

मैंने जा कर दवाई खरीदी और हम बाप बेटी घर को चल दिए.

घर जाने तक मैंने फिर पापा का लण्ड नहीं पकड़ा, एक तो हम उसे थोड़ा ढीला होने का समय देना चाहते थे क्योंकि घर में मम्मी और नानी थे और दुसरे अब मुख्य सड़क पर भीड़ भी काफी थी.

खैर हम घर आ गए और अपने अपने कमरे में चले गए. मैं पहले से ही छुपा कर ले जाई हुई किताब निकाल ली थी जिस से मम्मी को कोई शक भी नहीं हुआ. वैसे भी हम दोनों बाप बेटी थे तो मम्मी को शक करने का कोई कारण भी नहीं था. हालाँकि उन्हें क्या पता था की हम बाप बेटी किताब लाने के बहाने से क्या काण्ड करके आ रहे हैं.

रात का मुझे बहुत बेसब्री से इन्तजार था. आज राज को मेरी गांड की सील टूटने वाली थी. वो भी मेरे अपने पापा के लौड़े से. मैंने चूत तो फिर भी कई बार मरवाई थी पर गांड कभी नहीं. मैं बहुत खुश थी कि आज मेरी सील मेरे अपने बाप के हाथों (वैसे सही शब्द तो है के बाप के लौड़े से ) टूटने वाली थी.

मैं किचन में जा कर खाना बनाने लगी , गोली भी खा ली।
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मम्मी और नानी ड्राइंग रूम में बैठे बातें कर रहे थे. पापा भी उनके पास बैठे टीवी देख रहे थे. मै किचन में डिनर की तैयारी कर रही थी ।

पापा से अब मेरे से दूर नहीं रहा जा रहा था तो वो पानी पीने के बहाने से उठ कर आ गए और किचन के दरवाजे पर हाथ रख के खड़ा हो गये और अपने कंधे दरवाजे पर टिका लिये ।
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और अपनी बेटी को खाना बनाती हुई को निहारने लगे । अपने पापा को अपनी ख़ूबसूरती निहारते देखकर मै मन ही मन ख़ुश हुई । फिर पापा की तरफ देखकर बो ली , "पापा , मैंने आज आपके लिये स्पेशल डिनर बनाया है । जितना ज्यादा खा सकते हो , खा लेना । आज रात आपको बहुत एनर्जी की जरुरत पड़ने वाली है ।"

मेरी कामुक बातें सुनकर पापा का लंड अपनी नींद से उठ गया । वो मेरे आकर पीछे गांड से चिपक के मुझे आलिंगन करते हुए मेरा चुम्बन लेने लगे ।

पापा प्यार से मेरे कान में बोले

"तुम्हारे लिये मेरे पास पहले से ही बहुत एनर्जी है बेटी । अगर तुमने मुझे एक्स्ट्रा एनर्जी दे दी तो फिर तुम मुझे झेल नहीं पाओगी और फिर एक हफ्ते तक बेड से उठ नहीं सकोगी , और अगर उठ भी गयी तो लंगड़ा लंगड़ा के चलोगी ।"

जोर से ठहाका लगाते हुए पापा बोले ।

उनकी इस गुस्ताखी पर, मेंने अपने निचले होंठ को दातों में दबाते हुए, शरारत से पापा के पेट में अपनी कोहनी मार दी ।

मेने कहा "पापा! मुझे यह मोटा लौड़ा अपनी गांड की पूरी गहराई में चाहिये… पूरा जड़ तक… फिर मैं आपको सिखाऊँगी कि एक्स्ट्रा एनर्जी क्या हे और मुझे कैसी चुदाई पसंद है… मुझे जोरदार और निर्मम चुदाई पसंद है… कोई दया नहीं …सिर्फ वहशी चुदाई…आज अपनी बेटी को खुश कर देना. बस अब माँ के पास जा कर बैठो, उन्हें शक न हो जाए. "
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पापा ने मेरे चूतड़ों पर हाथ फेरा और अपनी एक ऊँगली मेरी गांड के सुराख पर रख कर उसे वहीँ रगड़ने लगे. मैं समझ रही थी कि पापा से रात होने तक का इन्तजार नहीं हो रहा है. मुझे ख़ुशी थी कि एक बार की ही चुदाई से मेरे पापा मुज पर कितने लट्टू हो गए हैं.

मुझे डर लगा कि वासना के जोर में पापा अभी मेरी गांड में ऊँगली ना घुसेड़ दें,

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उनकी ऊँगली सूखी थी और मेरी गांड बिलकुल टाइट. वैसे भी अभी पास में ही ड्राइंग रूम में मम्मी और नानी भी थे, तो कभी भी किसी के भी आ जाने का डर था. तो मैंने अपना हाथ पीछे ले जा कर अपनी गांड पर घूमती पापा की ऊँगली हटा कर पापा को जाने और रात का इन्तजार करने को कहा. पापा फिर से मुझे एक बार चूम कर और मेरे चूतड़ों पर प्यार से हाथ फेर कर चले गए.

फिर रात में हमने खाना खाया. थोड़ी देर टीवी देखा और बातें करते रहे.

हम दोनों बाप बेटी से तो रहा नहीं जा रहा था. तो पापा मुझे बोले

"सुमन! एक काम करो, तुम्हारी मम्मी और नानी भी दूर से आयी हैं और थक गयी होंगी, तुम जा कर दूध गर्म करके ले आओ. सब दूध पी लेंगे. इस से नींद भी अच्छी आती है."

मम्मी दूध पीना तो शायद नहीं चाहती थी, पर नानी के कारण चुप रही, मैं भी पापा की चाल समझ गयी और इससे पहले कि मम्मी कुछ और बोले तुरंत उठ कर किचन में गयी और दूध गर्म किया.

फिर मैंने दो गिलासों में नींद की दो दो गोलियां मिला दी, ताकि माँ और नानी को खूब नींद आये. एक गिलास मैंने पापा के लिए लिया. अपना गिलास मैंने जान बूझ कर नहीं रखा ताकि कहीं मम्मी या नानी उसे न उठा लें.
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मैं दूध ले कर सबसे पहले पापा के पास गयी और सही वाला गिलास उन्हें दे दिया, फिर मैंने नींद की दवा वाले दूध के गिलास मम्मी और नानी को दिए.

पापा ने पूछा "तुम्हारा दूध?'

तो मैंने दूध पीने से मना कर दिया, पर फिर पापा के जोर देने किचन में जा कर अपने लिए भी दूध ले आयी और पीने लगी.

(पापा जानते थे कि मुझे दूध की ताकत की आज रात ज्यादा जरूरत पड़ने वाली है. )
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थोड़ी देर में नानी बोली कि शायद वो रास्ते के सफर से थक गयी हैं और उन्हें नींद आ रही है. मम्मी ने भी नींद आने की बात कही।

तो हम सब अपने अपने कमरे में सोने के लिए चले गए.

लगभग आधे घंटे के बाद पापा ने मम्मी को आवाज दी और हिला कर उठाने की कोशिश की पर मम्मी पर तो नींद की गोलियों का असर हो चूका था और वो बेहोश थी. फिर पापा ने नानी के कमरे में जा कर चेक किया, पर नानी भी सारे गधे घोड़े बेच कर सो रही थीं.

पापा खुश हो गए और मेरे कमरे में आ गए.

मैं तो जाने कब से पापा का इन्तजार कर ही रही थी.


तो आखिर मेरी गांड के उद्धघाटन का शुभ महूर्त भी आ ही गया था. वो भी मेरे अपने प्यारे पापा के हाथों (मतलब उनके लौड़े के द्वारा).
Nice update bro 😁 💯
 

Enjoywuth

Well-Known Member
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Bahut mast plan hai ab jitna cheejo chilo koi nahi sunnega aur uthgatan bhi mast hoga

Keep rocking
 

Ting ting

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Ting ting

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मेंने काले रंग की ड्रेस पहनी थी जो मेरी मांसल जांघों के सिर्फ ऊपरी भाग को ढक रही थी । पापा ने उसको देख कर होंठ गोल करके सिटी बजायी ।

“बेटी , इस ड्रेस में तुम कितनी सेक्सी लग रही हो ! ये ड्रेस तुम्हारे बदन से बिलकुल चिपकी हुई है और ढकने के बजाये तुम्हारे खूबसूरत जिस्म के सारे उभारों और कटावों को दिखा रही है । "
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अपनी तारीफ सुनकर मेने शरारती मुस्कान के साथ पापा के सामने एक चक्कर गोल घूमकर हर तरफ से ड्रेस में अपना बदन दिखाया । फिर पापा के पास आकर उसको अपने आलिंगन में भर लिया और अपनी बड़ी बड़ी चूचियां पापा की छाती में दबा दी । अपने रसीले होंठ पापा के होठों पर रख दिये । दोनों एक दूसरे का चुम्बन लेने लगे और एक दूसरे के मुंह में जीभ घुमाने लगे । पापा चुम्बन लेते हुए ही अपने हाथ नीचे ले जा कर मेरी बड़ी लेकिन मक्खन जैसी मुलायम गांड को अपने हाथों में दबा कर मसलने लगे ।

फिर ड्रेस के अंदर हाथ घुसाकर गांड की दरार के बीच से मेरी मखमली चूत के होठों को सहलाने लगे । मै थोड़ा और पापा से चिपक गयी ।

"आपको माँलूम है पापा , आज हमारे इस नए रिश्ते की शुरुआत हो रही है "

"अच्छा ! कौन सा रिश्ता बेटी?"

"पापा यही डॉक्टर और मरीज का. मेरी गांड में कीड़ा घुस गया था तो पहले तो आपने मेरी चूत में लण्ड घुसा कर उसे मारना चाहा, और फिर जब लगा कि शायद वो कीड़ा मेरी गांड में ना घुस गया हो तो अब आप मेरी गांड में भी अपना लौड़ा घुसा कर उसे मारने की कोशिश करेंगे. यह डॉक्टर और मरीज का ही तो रिश्ता हुआ न. भगवान् ऐसा डॉक्टर बाप हर जवान बेटी को दे, ताकि जब भी उसको कोई भी कीड़ा सताये तो उसके पापा उसका इलाज कर सकें. मैं तो इसी रिश्ते की बात कर रही थी. आप और किस नए रिश्ते की बात कर रहे थे?"

मैं यह कह कर शरारत से मुस्कुरा पड़ी. पापा भी समझ रहे थे कि मैं हम बाप बेटी में जन्मे इस सेक्स के सम्बन्ध की बात कर रही हूँ. पर मेरी इस शरारत भरी बात पर वो सिर्फ मुस्कुरा कर रह गए.

पापा मुझे चूमते हुए बोले

"हाँ बेटी सुमन! यह तो है. हम दोनों में आज से यह एक न्य रिश्ता पैदा हुआ है तो कुछ सेलि ब्रेशन होना चाहिए । बताओ आज अपने पापा को क्या गिफ्ट देने वाली हो?"

मेरे खूबसूरत चेहरे को अपने दोनों हाथों के बीच प्यार से पकड़कर पापा बोले । मै कुछ पल सोचती रही । फिर अचानक मै पापा से अलग हो कर उनकी तरफ पीठ करके कुछ दूर खड़ी हो गयी । थोड़ा कमर झुका कर पापा की तरफ अपनी गांड बाहर को निका लकर धीरे से अपनी ड्रेस ऊपर को उठाने लगी । अंदर मैंने मैचिंग कलर की काले रंग की पैंटी पहनी हुई थी । जिसमें पीछे से सिर्फ एक पतली डोरी थी और दोनों चूतड खुले हुए नग्न थे । फिर मादक मुस्कान बिखेरते हुए बोली ,

“आज रात ये तोहफा है आपके लिये पापा ! अपनी बेटी की उस मक्खन जैसी मुलायम , बड़ी गांड को देखकर पापा होठों पर जीभ फिराते हुए मुस्कुरा पड़े , "ऐसा तोहफा यदि मिल जाये तो और क्या चाहिए किसी इंसान को? आज रात मुझे बहुत मज़ा आने वाला है बेटी , कसम से ! बेटी, हम लोग बिस्तर में चलें?"
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पापा ने मेरी काम वासना लिप्त चेहरा देख कर शरारत से पूछा. मेरे हाँ में गर्दन हिलाते ही ही पापा ने मुझे प्यार से वस्त्रहीन कर दिया ।

अब मै अपने बिस्तर में निवस्त्र लेटी पापा को कपड़े उतारते हुए देख रही थी. पापा भी निवस्त्र हो कर मेरे साथ बिस्तर में लेट गए . हम दोनों एक दुसरे को आलिंगन में भर कर खुले मुंह से चूमने लगे. पापा ने मेरे गुदाज़ चूतड़ों को मसलते हुए मेरे मुंह में अपनी जीभ डाल कर मेरे सारे मुंह के अंदर सब तरफ घूमा दी. मैंने भी अपने जीभ पापा की जीभ से भीड़ा कर उनके मीठे मुंह के स्वाद का आनंद लेने लगी . पापा मुझे चित लिटा कर मेरी मुलायम बड़ी चूचियों को अपने मूंह से उत्तेजित करने लगे. पापा ने मेरे चूचुक अपने मूंह में भर कर उनको पहले धीरे-धीरे फि र ज़ोर से चूस-चूस कर मेरी सिसकारी निकाल दी. पापा ने मेरे गोल भरे हुए पेट को चूमते हुए मेरी गीली चूत के ऊपर अपना मूंह रख कर अपनी जीभ मेरी चूत के द्वार के अंदर डाल दी. मेरी ज़ोर की सिसकारी ने पापा को भी उत्तेजि त कर दिया . पापा ने मेरी चूत और भगनासा को अपनी जीभ और मुंह से चूस कर मेरी वासना को चरम सीमा तक पहुंचा दिया . पापा ने अपनी खुरदुरी जीभ से मेरे क्लीटोरिस को चाट कर मुझे बिलकुल पागल सा कर दि या । उनकी एक उंगली अहि स्ता से मेरी गीली मचलती चूत में फिसल कर अंदर चली गयी । उन्होंने अपनी उंगली को टेड़ा कर के मेरी चूत के सुरंग के आगे की दीवार को रगड़ने लगे । उनकी जीभ और उंगली दोनों ही मुझे एक बरा बर का आनंद दे रहीं थीं।

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अचानक पापा ने अपने होंठों में मेरी भगनासा को भींच कर अपनी उंगली से तेजी से मेरी चूत की दीवार को रगड़ना शुरू कर दि या । मैं ज़ोर से सिसक उठी। मैं अब झड़ने के लिए व्याकुल थी। यदि पापा मेरे क्लिटोरि स अपने दाँतों से चबा भी डालते तो मैं कोई शिकायत नहीं करती ।

"आह.. पापा ...आंह ...ऊम्म्म्म...हं..हं.. आ..आ...आह्ह्ह मेरी चू..ऊ..ऊ...त आह्ह.मैं आने वाली हूँ,"

मेरी सिस्कारियों ने पापा को मेरे सन्निकट स्खलन की घोषणा कर दी. पापा का तो और ही प्रोग्राम था तो पापा ने मेरी चूत चूसना रोक दिया .

मैं वासना के अतिरेक से बिलबिला रही थी। पापा ने मेरी दोनों भरी -भरी गोल जांघें उठा कर फैला दीं. फिर पापा ने अपना मूंह मेरी गांड के ऊपर रख उसको प्यार से चूमा . मेरे मूंह से घुटी-घुटी सिसकारी निकल पड़ी. पापा की जीभ शीघ्र ही मेरी गांड के छेद को तड़पाने तरसाने लगी .
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मेरी गांड का छल्ला बारी -बारी से खुलने और कसने लगा . पापा ने मेरी गांड के सुराख को अपनी जीभ से चूम कर मेरी वासना को और भी प्रज्ज्वलित कर दिया . पापा की जीभ की नोक आखिरकार मेरी गांड के अंदर दाखिल हो गयी . मेरी सिस्कारियों ने पापा को मेरी गांड को और भी चूसने-चूमने का नि मंत्रण भेजा .

मेरी गांड स्वतः पापा के मूंह से चिपकने का प्रयास करने लगी . पापा ने जैसे पहले मेरे स्खलन से बिलकुल पहले अपनी जीभ हटा ली थी उसी तरह अब अचानक से मेरी गांड के सुराख पर से अपना मूंह हटा लिया . मेरी वासना की अनबुझी आग ने मेरे मस्तिष्क को पागल कर दिया . मैं पापा के सामने गिड़गिड़ाने लगी ,

"पापा मुझे इतना क्यों तरसा रहा हो ? मेरी चूत झाड़ दे. प्लीज़. मेरा पानी निकाल दो पापा। आप की बेटी आप से विनती कर रही है. "

मैं अपने चूतड़ पलंग से उठा कर अपनी गांड और चूत पापा के मुंह के पास ले जा ने का प्रयास कर रही थी। पापा ने अपने तने हुए लंड से मेरी चूत रगड़ी और मेरे पेट पर अपने हाथ से प्यार से सहलाते बोले,

"बेटी मुझे तुम्हारी गांड मारनी है. वरना तुम्हारी गांड में घुसा कीड़ा कैसे मरेगा?"
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"पापा , मुझे बहुत दर्द होगा? प्लीज थोड़ा अपनी बेटी का ध्यान रखना. मैं कहीं दर्द से मर ही ना जाऊँ "

पापा ने भी गौर किया कि मैंने दर्द कम से कम करने को कहा था पर गांड मरवाने से मना तो नहीं किया . पापा जानते थे कि इस वक़्त मैं पापा की हर शर्त मान लेती . मेरी वासना की संतुष्टी की चाभी पापा का महाकाय लंड था. मेरी छोटी सी गांड के अंदर पापा के विकराल लंड के जाने के विचार से ही मैं सि हर गयी ।

पापा ने आश्वासन दिया ,

"बेटी दर्द तो होगा . दर्द तो चूत मरवाने में भी हुआ था. पर अब तुम देखो तो चूत मरवा कर कितनी खुश थी. इसी तरह गांड में भी थोड़ा दर्द तो होगा, पर एक बार सहन कर लो फिर सारी उम्र मजे ही मजे हैं. "

यह कह कर पापा मेरे दोनों उरोज़ों को हलके हलके सहलाने लगे और फिर मुझे घोड़ी बनने के लिए कहा.

फिर पापा ने एक शीशी निकाली जिस में नारियल का तेल था. पापा ने ढेर सा तेल मेरी गांड पर लगा दिया, और फिर काफी तेल ले कर अपने एक हाथ की हथेली में रखा और दुसरे हाथ की ऊँगली से मेरी गांड के छेद के अंदर डालने लगे. फिर अपनी ऊँगली को पहले धीरे और फिर तेज तेज मेरी गांड में अंदर बाहर करने लगे. पापा मेरी गांड के छेड़ को अपने बड़े और मोटे से लण्ड के लिए तैयार कर रहे थे.

थोड़ी देर बाद पापा ने मेरी गांड में एक ऊँगली और बढ़ा दी यानि अब मेरी गांड में पापा की दो उँगलियाँ अंदर बाहर हो रही थी और पापा मेरी गांड को दो उँगलियों से चोद रहे थे. मैंने अपना सर नीचे झुका कर तकिये पर रख लिया और आँखें बंद करके गांड में उँगलियों की चुदाई का मजा लेने लगी. थोड़ी ही देर में जो भी थोड़ा बहुत दर्द उँगलियों से हो भी रहा था वो ख़तम हो गया और मेरी गांड अंदर बाहर से तेल से बिलकुल सन गयी और चिकनी और फिसलन भरी हो गयी. पापा जानते थे कि अब मैं उनसे अपनी गांड मरवाने को बिलकुल तैयार हूँ.
फिर पापा ने अपनी उँगलियाँ मेरी गांड से बाहर निकाली और अपने गधे जैसे मोटे और लम्बे लण्ड का सुपाड़ा मेरी गांड के छेड़ पर रख दिया.
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पापा का सुपाड़ा बहुत गर्म था. मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे पापा ने कोई जलता हुआ अंगारा मेरी गांड के सुराख पर रख दिया हो. मेरी तो मजे से आह निकल गयी. पापा गांड मारने को बिलकुल तैयार थे.

मैं समझ गयी कि वो समय आ ही गया. और मन ही मन फिल्मो के उस मशहूर गीत को गुनगुनाने लगी जिसके बोल थे.

"जिसका मुझे था इन्तजार, जिसके लिए दिल था बेकरार, वो घड़ी आ गयी आ गयी."

मैंने अपना दांत भींच लिया दर्द को सहन करने के लिए, पर पापा मेरी गांड के छेद पर अपने लौड़े के सुपाडे को रगड़ते हुए बोले

"बेटी,जब तक खुद मुझसे अपनी गांड मारने को नहीं कहोगी तब तक मैं कुछ भी नहीं करूँगा ,"

मैं क्या कहती. मुझे एक तरफ तो वासना का जोर था जो मुझे फटाफट गांड मरवाने को कह रहा था और दूसरी तरफ मोटे लण्ड और जीवन में पहली बार गांड मरवाने का डर। क्या करूँ.

आखिर वासना ने डर पर विजय पा ली और मैंने प्यार से पापा को कहा

"पापा मेरी गांड मार लें पर प्लीज़ मुझे बहुत दर्द नहीं करना ।"
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पापा ने निर्ममता से उत्तर दिया ,

"देखो सुमन! तुम मेरी बेटी हो इसीलिए मैं झूट तो नहीं बोलूंगा. पहली बार गांड मरवाने जा रही हो और मेरा लौड़ा भी खूब बड़ा है इसलिए बेटी दर्द तो होगा ही और उसे तुम्हे सहना ही पड़ेगा । पर मुझसे जितना हो सकेगा उतना प्रयास मैं ज़रूर करूंगा ।"

मैंने भी अपनी गर्दन को हाँ में हिला कर पापा को लौड़ा डालने की इजाजत दे दी और लण्ड को अंदर करने को कहा। मेरा भय और वासना से कम्पित शरीर अब पापा की कृपा के उपर निर्भर था।

पापा ने अपना लंड के सुपाडे को मेरे गीली चूत में घिसा कर मेरे यौ न-रस से लेप लिया. पापा ने फिर वो नारियल के तेल की शीशी उठा कर खूब सा तेल अपने लण्ड पर डाल लिया और अपने हाथों से अपने पूरे लौड़े को तेल से भर लिया. अब पापा का विशाल और विकराल लण्ड तेल से ऐसे चमक रहा था जैसे शनिवार को शनि की मूर्ती तेल डालने से चमक रही होती है. पापा ने अपना विशाल लंड मेरी गांड के छोटे तंग छल्ले के ऊपर रख कर दबाया बोले

"बेटी, अपनी गांड पूरी ढीली छोड़ दो. जब मैं अपना लंड अंदर की तरफ डालूँ तो तुम अपनी गांड को मेरे लंड के ऊपर पीछे की तरफ ज़ोर लगाना इस से मेरे लौड़े को अंदर घुसने में आसानी होगी और तुम्हे भी अच्छा लगेगा. "
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मैंने वासना में जलते अपने शरीर से परेशान हो कर पापा के सुझाव को ठीक से समझे बिना अपना सर हिला कर समर्थन दे दिया. पापा ने मुझे अपने बड़े हाथों से जकड़ कर मुझे बिस्तर पर दबा दिया . पापा ने अपने विशाल लंड के विकराल सुपाड़े को मेरी नन्ही सी गांड के छिद्र पर दबाना शुरू कर दिया । मेरी तंग कसी गांड का छल्ला पापा के लंड के प्रविष्टी के रास्ते में था। मेरी गांड की कसी हुई चमड़ी ने पापा के भी भीमकाय लण्ड के आक्रमण को पीछे धकेलने का निरर्थक प्रयास किया । पापा के विशाल लंड का सुपाड़ा मेरी गांड के छोटे से छेद को खोलने के लिए बेचैन था. मैंने पापा के कहने के अनुसार अपनी गांड काको ढीला छोड़ दिया। पापा ने मुझे ऐसे करते देखा तो पापा ने हचक कर एक ज़ोर से धक्का लगाया . पापा के,उस छोटे सेब जितने बड़े लंड के सुपाड़े ने मेरी गांड के छिद्र को बेदर्दी से चौड़ा कर दिया और किसी बिन बुलाये मेहमान की तरह जबरदस्ती अंदर घुस गया.
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मेरे गले से निकली दर्द भरी चीख से कमरा गूँज उठा . पापा ने मौका देख कर अपने लोहे जैसे सख्त मोटे लंड की तीन इंच मेरी गांड में बलपूर्वक ठूंस दीं. मैं दर्द से बिलबिला कर चीख पड़ी. मेरे नाखून पापा की बाँहों में गड़ गए. मैंने पापा की बाँहों की खाल से अपने नाखूनों से खरोंच कर खून निकाल दिया. पापा मेरी स्थिति समझते थे तो पापा ने एक बार भी उफ तक नहीं की . मेरी चीख रोने में बदल गयी . मेरी आँखों से आंसूं बहने लगे. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि किसी ने मेरी गांड के ऊपर चाक़ू चला दिया हो . मैं सुबक-सुबक कर रो रही थी.

पापा बेदर्दी से मेरी गांड में अपने अमानवीय विशाल लंड की एक इंच के बाद दूसरी इंच मेरी दर्द से बिलखती गांड की गहराइयों में डालते रहे जब तक उसका पेड़ के तने जितना मोटा लंड जड़ तक मेरी गांड में नहीं समा गया

मेरी गांड में उठे भयंकर दर्द से मैं बिलबिला उठी . मेरा शरीर पानी से बाहर निकली मछली के समान तड़प रहा था . पापा के विशाल शरीर ने मेरे थरथराते हुए शरीर को अपने नीचे कस कर दबा लिया . मैं सुबकियां और हिचकी मार मार कर रो रही थी.

"नहीं .हीं..नहीं .हीं..पापा ..मेरी गांड फट गयी ..ई...अपना लंड बाहर निकाल.लो . ..आ..आ..ये. मैं मर जा ऊंगी , मेरे पापा मैं तो आपकी इतनी प्यारी बेटी हूँ आप मुझे इतना दर्द दे रहे हो. आज आप अपनी सुमन की बात क्यों नहीं मान रहे. मेरी गांड में बहुत दर्द है. मेरी गांड फट गयी प्लीज निकल लो अपना मूसल मेरे अंदर से. फिर कभी मार लेना अपनी बेटी की गांड आज बक्श को मुझे. मैं मर जाउंगी."
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मैं सुबक सुबक कर हिचकियों के बीच में से बड़ी मुश्किल से बोल पा रही थी,

मुझे हुंह ....नहीं आन्नंह ....मरवानी अपनी गांड।”

पापा ने अपने मुंह से मेरा मुंह दबोच लिया और बेदर्दी से मेरे रोने की उपेक्षा कर मेरी गांड अपने लंड से मारने लगे . मेरी घुटी-घुटी चीखों और सिस्कारियों की आवाज कमरे की दीवारों से टकरा कर मेरे कानों में गूँज रहीं थी. पापा ने अपने विशाल लंड की आधी लम्बाई अंदर बाहर कर मेरी गांड की चुदाई शुरू कर दी. पापा की बेरहमी ने मुझे दर्द से व्याकुल कर दि या । मेरे आंसूओं ने मेरे चेहरे को बिलकुल भिगो दिया। मुझे पता नहीं कि कितनी देर तक मैं रो रो कर अपनी गांड फटने की दुहाई देती रही पर पापा का विशाल लंड मेरी मेरी गांड को निरंतर चोदता रहा . मेरे आंसूओं ने मेरा चेहरा गीला कर दिया . थोड़ी देर में मेरी नाक तक बहने लगी . मेरी सुबकिया मेरे दर्द की कहानी सुना रहीं थीं। पर पापा ने मेरा मुंह अभी भी अपने मुंह से दबा रखा था. पापा ने मेरी गांड मारना एक क्षण के लिए भी बंद नहीं किया . मैं न जाने कितनी देर तक दर्द से बिलबिलाती हुई पापा के विशाल शरीर के नीचे दबी सुबकती रही। और पापा बिलकुल भी रुके बिना मेरी गांड मारते ही रहे.

मैं गांड फटने के दर्द से रो रही थी और चिल्ला रही थी.
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"अरे पापा मर गयी मैं. बहुत दर्द हो रहा है पापा. मुझे नहीं मरवानी अपनी गांड आपसे. पापा फट गयी गांड आपकी सुमन की. चीथड़े उड़ गए आप के लण्ड से उसकी गांड के. ओह भगवान् कोई तो बचा ले मुझे. मम्मी तुम क्यों बेहोश पड़ी हो नींद की गोली खा कर. देखो आकर इधर आपकी बेटी की गांड मार ली उसके पापा ने. अरे नानी तुम ही बचा लो अपनी नातिन को. गांड नहीं बचेगी आज मेरी. पापा बक्श दो मुझे, मुझे नहीं चुदवाना अपनी गांड को। चूत में ही चोद लो जितना चोदना है अपनी बेटी को."

इस तरह मैं रोटी चिल्लाती रही और पापा बीना कुछ भी बोले, मेरी गांड पर लेटे रहे. उनका पूरा लण्ड मेरी गांड के अंदर था. बस वो धीरे धीरे लण्ड को अंदर बाहर करते रहे.

मुझे लगा कि एक जनम जितने समय के बाद मेरी सुबकियां थोड़ी हल्की होने लगीं ,मुझे बड़ी देर लगी समझने में कि मैंने रोना बंद कर दिया था। मेरा हिचकियाँ ले कर सुबकना भी बंद हो गया था। जब पापा को लगा कि मैंने रोना बंद कर दिया था तो उन्होंने मेरा मुंह मुक्त कर मेरे आंसू को चाट कर साफ़ करने लगे . पापा की जीभ मेरे चेहरे को प्यार से साफ़ कर रही थी.

पापा का लंड अभी भी मेरी गांड के अंदर-बाहर जा रहा था . मुझे वि श्वास नहीं हुआ कि मेरी गांड अब पापा के लंड को बिना तीव्र पीडा के संभाल रही थी. पापा ने मेरे होंठों को अपने मूंह में भर कर ज़ोर से चूसा. पापा ने मेरे दोनों बगलों में अपने हाथ से गुदगुदी करके मुझे हंसा दिया . मेरा दर्द अब काफी कम हो गया था. दर्द तो था लेकिन सहन करने योग्य था तो मैं रो या चिल्ला नहीं रही थी.
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"बेटी , अब कितना दर्द हो रहा है?"

पापा के चेहरे पर शैतानी भरी मुस्कान थी. मैं शर्मा गयी ,

"पापा मेरी गांड में बहुत दर्द हो रहा था आप कितना बेदर्द हैं. एक क्षण भी आप ने अपना लंड को मेरी गां ड मारने से नहीं रोका। मालूम है मुझे कितनी तकलीफ थी. मैं तो मरने वाली थी. कोई बाप ऐसे होते हैं क्या जो अपनी ही बेटी की गांड का इस तरह बेदर्दी से भुर्ता बना दें?"

"बेटी, ऐसा दर्द तो सिर्फ पहली बार ही होता है. मुझे लगा कि जितनी जल्दी तुम्हारी गांड मेरे लंड की आदी हो जाये तुम्हारा दर्द उतनी ही जल्दी कम हो जायेगा ."
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Ting ting

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पापा ने प्या र से मेरी नाक की नोक को अपने दाँतों से काटा. मैंने पापा की बाँहों पर गहरे खरोंचो को प्यार से चूम कर खून चाट लिया ,

"सॉरी पापा , मैंने आपकी बाहें खरोंच डाली ."

पापा ने मुस्कुरा कर मुझे प्यार से चूम लिया । पापा ने मुझे चूम कर फिर से मेरी गांड मारनी शुरू कर दी. मेरी गांड अब पापा के विशाल लंड के अनुकूल रूप से चौड़ी हो गयी थी. पापा का बड़ा सा अमानवीय लंड मेरी गांड के छेद को रगड़ कर अंदर बाहर हो रहा था । मेरी गांड मानों सुन्न हो चुकी थी। मेरी गांड का दर्द पूरा तो ठी क नहीं हुआ पर मुझे अब उस दर्द से कोई बहुत परेशानी नहीं हो रही थी। पापा अपने भीमाकार लंड को अविरत मेरी गांड के भीतर-बाहर करते रहे ।
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उन्होंने अपने आकर्षक कसे हुए कूल्हों का इस्तमाल कर अपनी बेटी की गांड का मरदन निर्ममता से करना शुरू कर दिया । पापा अपने बड़े से लंड के सुपाड़े को छोड़ कर पूरा लौड़ा बाहर निकालने के बाद एक भीषण धक्के से उसे पूरा वापस मेरी गांड में ठूंस रहे थे । उसके जोरदार धक्कों से मेरी पूरा शरीर हिल रहा था। मेरी सिसकियाँ उनके मुंह में संगीत सा बजा रहीं थी। मैं अपनी गांड में पापा के लंड के हर धक्के को अपनी सिसकारी से स्वागत कर रही थी. पापा ने मेरी गांड की चुदाई की गति बड़ा दी. पापा अपना लंड सिवाय मोटे सुपाड़े को छोड़ कर पूरा बाहर निकाल कर एक भयंकर ठोकर से मेरी गांड की भीतरी गहराइयों में ठूंस रहे थे. कमरे की हवा मेरी गांड की मधहोश सुगंध से भर गयी . पापा का लंड मेरी गांड को चौड़ा कर आराम से अंदर बाहर जा रहा था .पापा ने मेरी दोनों चूचि यों को मसलना शुरू कर दि या . मेरी सिस्कारियां अब अविरत मेरे मूंह से उबल रहीं थीं. पापा बहुत देर से मेरी गांड मार रहे थे .
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अचानक मेरी सिसकारी मेरे दर्द भरे यौन चरमोत्कर्ष के तूफ़ान से और भी ऊंची हो गयी . पापा का मोटा लंड अब मेरी गांड में रेल के इंजन की गति से अंदर बाहर हो रहा था .

पापा मेरे मुंह को चूमते हुए मेरी गांड मार रहे थे . पापा की चुदाई ने मेरी गांड को मथ कर मेरे कामोन्माद को परवान चड़ा दिया . मैं एक जोरदार सिसकारी के साथ अपने आनंद की पराकाष्ठा पर पहुँच गयी. मेरा सारा शरीर कामुकता की मदहोशी में अकड़ गया . पापा का लंड मेरी गांड में झटके मार कर फूल पिचक रहा था .

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मैं पापा के लण्ड पर झड़ रही थी और मेरी आँखे मादक चरम-आनंद की उन्मत्तता से बंद हो गयीं. पापा का लण्ड अभी भी उसी तरह सख्त था मेरे स्खलन के कारण पापा ने गांड मारनी रोक दी ताकि मैं अपने झड़ने का मजा ले लू। पापा और मैं बड़ी देर तक उसी तरह आनंद से एक दुसरे की बाँहों में लेटे रहे.

थोड़ी देर बाद पापा ने मेरी गांड में से अपन लौड़ा बाहर निकाल लिया। मेरे नथुने मेरी गांड की खुशबू से भर गए. पापा ने प्यार से मेरी सूजी गांड को चाट कर साफ़ किया . पापा की जीभ मेरी बेदर्दी से चुदी थोड़ी ढीली खुली गांड में आसानी से अंदर चली गयी . मेरी गांड साफ़ कर पापा बोले

"बेटी, अब मैं तुम्हारी फिर से पीछे से ही गांड मारूंगा. इस पोज़ में ही गांड मारने का सबसे ज्यादा आनंद आता है."

मैं अब गांड मरवाने के आनंद की कामुकता से प्रभावित हो गयी थी. मैं पलट कर घोड़ी की तरह अपने हाथों और घुटनों पर हो गयी. पापा का तना हुआ लंड मेरी गांड के रस से पूरा गीला हो गया था. मैंने जल्दी से पापा के लंड तो अपने मूंह और जीभ से चाट कर साफ़ किया . मुझे अपनी गांड और पापा के रस का मिला -जुला स्वाद अत्यंत अच्छा लग रहा था.
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पापा ने फिर से अपना लंड मेरी गांड में पीछे से हौले-हौले अंदर डाल दिया . मेरी गांड इतनी देर में फिर से तंग हो गयी थी. पर मुझे इस बार बहुत थोड़ा दर्द हुआ. पापा ने मेरी गांड को शीघ्र तेज़ी से चोदना शुरू कर दिया . हमारा कमरा बेटी बेटे के बीच इस गांड -चुदा ई से उपजी मेरी सिस्कारियों से भर गया . पापा के हर भीषण धक्के से मेरा शरीर फिर से कांप उठा । उनकी बलवान मांसल झांगें हर धक्के के अंत में मेरे कोमल मुलायम भरे भरे चूतड़ों से टकरा रहीं थीं. हमारे शरीर के टकराने की आवाज़ कमरे में ' थप्पड़ ' की तरह गूँज रही थी।

मैं पापा के अपनी गांड पर पड़ रहे धक्क्कों के जोर से कराह उठी और बोल पड़ी-

"ओह … पापा इतनी जोर से न मारो … आपका लौड़ा तो मेरे बहुत अंदर तक जा रहा है. मेरी बात सुन कर शायद उन्हें ख़ुशी हुई और उन्हें भी अपनी मर्दानगी पर गर्व हुआ,

वो बोल पड़े - "मजा गया बेटी। आज अपनी बेटी की ही गांड मार कर जो आनंद आ रहा है वो तुम्हारी माँ की गांड सैंकड़ों बार मार कर भी नहीं मिला। "
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पापा के धक्कों से मैं यह तो समझ गयी थी कि उन्हें बहुत मजा आ रहा और उसका जोश साफ झलक रहा था . जिस प्रकार से वो ताकत लगा रहे थे . मुझे लग रहा था कि पापा के लण्ड को अंदर ही अपनी गांड से कस के जकड़ लूँ. मेरी गांड धक्कों के बढ़ते रफ्तार से और अधिक गीली होती जा रही थी. अब तो फच फच जैसी आवाजें मेरी गांड से निकलनी शुरू हो गयी थीं.

जैसे जैसे संभोग और धक्कों की अवधि बढ़ती जा रही थी, वैसे वैसे हम दोनों की सांसें तेज़ और जोश आक्रामक रूप लेता जा रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था , जैसे वो मुझे ऐसे ही धक्के मारते रहे, कभी न रुके. वो भी शायद यही चाह रहे थे. उस मौसम में भी अब हम दोनों के पसीने छूटने लगे थे. मुझे उनका लिंग मेरी गांड के भीतर तपता हुआ लोहा महसूस हो रहा था .
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जिस प्रकार मैं झुकी हुई थी और पापा मुझ पर दोनों टांगें फैला कर चोद रहे थे , उससे धक्के बहुत मजेदार लग रहे थे. जैसे जैसे मेरी चरम सुख की लालसा बढ़ती जा रही थी, वैसे वैसे मैं अपने चूतड़ ऊपर करती जा रही थी. मेरे चूतड़ पीछे से पूरी तरह से उठ जाने की वजह से उनका लिंग अब हर धक्के पे मेरे पूरा अंदर तक जा रहा था और मेरी कामोतेजना का अब ठिकाना ही नहीं रहा और मैं कराहने और सिसकने लगी . उत्तेजना में मैंने किसी तरह एक हाथ पीछे ले जाकर पापा के चूतड़ को पकड़ना चाहा और पापा को अपनी गांड पर कस कर खींच लिया ताकि पापा का लंड मेरी गांड में जितना हो सके उस से भी ज्यादा अंदर तक घुस जाये. पापा भी मेरी हालत समज रहे थे कि उनकी बेटी को अपने बाप से गांड मरवाने में बहुत मजा आ रहा है.

इससे पापा और उत्तेजि त हो उठे और एक जोर का झटका दे मारा
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पापा हाँफने लगे थे और उन्होंने रुक रुक के धक्के देने शुरू कर दिए थे. कोई 20 मिनट के संभोग के बाद पापा ने मुझसे पूछा-

"बेटी सुमन! जब तुम झड़ने वाली होगी तो मुझे बता देना ."

मैंने भी उत्तर दिया - "हाँ पापा! बस मेरा काम तमाम होने वाला है. बस आप तेज़ी से धक्के मारते रहो , रुकना मत."

हम दोनों मस्ती में पूरी तरह खो चुके थे और हम दोनों को बहुत मजा आ रहे थे . जैसे जैसे संभोग की अवधि बढ़ती गयी , वैसे वैसे मैं थकती जा रही थी. वही पापा की भी मस्ती चरम पर पहुंचने को थी. मैं काफी थक गयी थी और मेरी गांड में भी अब जलन होने लगी थी पर गांड मरवाने का मजा था कि बढ़ता ही जा रहा था. मैं इस हाल में भी अपने जोश और दम को कम नहीं होने दे रही थी. अब तो मेरे पसीने छूटने लगे थे, तभी पापा ने जोश से मेरे चूतड़ों को पकड़ लिया और गोली की तेजी और स्पीड से मेरी गांड मारने लगे. मैं समज गयी कि पापा का भी पूरा होने ही वाला है. वैसे भी हम दोनों बाप बेटी लगभग आधे घंटे से गांड की चुदाई कर रहे थे.
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मैं बस कसमसाती हुई कराहने लगी . मैं मस्ती के सागर में पूरी तरह डूब चुकी थी और अब किना रे तक जाना चाहती थी.

मैं बोली - "उम्म्ह… अहह… हय… या ह… ओह्ह पापा और जो र से चोदो मुझे, मैं झड़ने वाली हूँ. होने ही वाला है काम तमाम आपकी सुमन का। आप भी मेरे साथ ही झड़ना। "

बस फिर क्या था, मेरी ऐसी बातें पापा के कानों में किसी वियाग्रा की गोली की तरह काम कर गयी.

तभी पापा ने अपना हाथ नीचे ले जा कर अपनी दो उँगलियाँ मेरी चूत में डाल दीं और मेरी चूत को भी अपनी उँगलियों से चोदना शुरू कर दिया.
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अब यह दुहरा हमला सहन करना मेरे लिए बहुत मुश्किल हो गया. इतना मजा आ रहा था कि क्या बताऊँ. अब तक गांड में घुसे लण्ड से होने वाला दर्द तो महसूस हो ही नहीं रहा था और इधर चूत में से अलग काम शुरू हो गया.

पापा के धक्के रेलगाड़ी की रफ़्तार से हो रहे थे और हर धक्के से मेरा शरीर आगे पीछे हिल रहा था. पापा को चूत की उँगलियाँ हिलाने की जरूरत ही नहीं पड़ रही थी. शरीर हिलने से हर झटके के साथ अपने आप चूत में उँगलियाँ अंदर बाहर हो रही थी.

मेरी चूत को यह सब सहन करना संभव नहीं था. मैं चिल्ला रही थी

"पापा! और तेज और तेज , स्पीड बढाइये मेरा होने वाला है."

पापा ने भी फिर जोरदार और अपनी पूरी ताकत से मुझे धक्के मारने शुरू किए. मैं भी धक्कों की मार से बकरी की तरह मिमियाने लगी और फिर मेरी नाभि में झनझनाहट सी शुरू हो गयी . अभी 5-10 धक्के उन्होंने और मारे कि उस झनझनाहट की लहर मेरी नाभि से उतरता हुआ गांड तक चला गया . मैं और जोरों से सिसियाने और कराहते हुए अपनी चूतड़ उछालने लगी . मेरे मुँह से ‘आह ओह्ह इह..’ जैसी आवाजें निकलने लगीं . मेरी गांड से मुझे लगा कि कुछ तेज़ पिचकारी सी छूटने को है और मेरा बदन मेरे बस में नहीं रहा .
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मैं झड़ने लगी और मेरी गांड से पानी की धार तेज़ी से रिसने लगी . मुझे ऐसे देख और मेरी हरकतें और चरम सुख की प्राप्ति की कामुक आवाज सुन पापा भी खुद को ज्यादा देर न रोक सके . वो भी गुर्राते और हाँफते हुए तेजी से मेरी गांड में झटके पे झटके मारते हुए एक के बाद एक पिचकारी मारने लगे , उनके लिंग से 4 बार तेज़ वीर्य की पिचकारी मैंने मेरी गांड के बिलकुल अंदर तक में महसूस की जो कि आग की तरह गर्म थी. उनके धक्कों के आगे मैं भी पूरी तरह झड़ कर शांत होने के लिए गांड को पापा के लैंड पर चिपकाये घोड़ी बनी खड़ी रही . पर पापा का लौड़ा मेरी गांड में वीर्य की धारें मारने से तब तक नहीं रुका जब तक उन्होंने वीर्य की आखिरी बूंद मेरी गांड की गहरा ई में न उतार दी.

इधर मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया। आज गांड और चूत दोनों की जबरदस्त और इकठी ही रगड़ाई हो गयी थी और मेरा और पापा का भी इतना माल निकला था कि हमारे सम्मिलित स्खलन के बाद पापा मेरे चूतड़ों पर ही गिर पड़े और और हाँफते हुए सुस्ताने लगे . उन्होंने मेरी गांड को अपने वीर्य से लबालब भर दिया था.
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थोड़ी देर बाद पापा का लौड़ा नरम हो गया और पापा ने उसे मेरी गांड से बाहर निकाल लिया. मेरी गांड का छेद पूरी तरह खुल गया था और अंदर दो इंच तक तो लाल लाल मांस दिखाई दे रहा था. पापा जानते थी की असली काम हो चूका है तो अब साड़ी जिंदगी मजे ही मजे हैं.

अब चुदाई तो पूरी हो चुकी थी पर सब कुछ हो जाने के बाद अब मुझे पापा को देखने से शर्म आ रही थी, पहले तो चुदाई और वासना के नशे में कुछ पता ही नहीं चल रहा था. पर आखिर थे तो वो मेरे पापा ही. मैं सोच रही थी कि कैसे अब मैं अपने पापा को आँख मिला सकुंगी. शायद यही हाल मेरे पापा का भी था.

पापा ने मुझे पूछा

"सुमन बेटी! अभी तुम्हारी गांड और चूत में कीड़े के दर्द का क्या हाल है? (मैं तो भूल ही चुकी थी कि हमने कीड़े के बहाने से ही तो चुदाई के मजे लिए हैं) . दर्द ख़त्म हुआ है या फिर से उसे ठीक करना पड़ेगा.?"
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मैं समझ रही थी कि क्योंकि मम्मी और नानी तो नींद की गोलियां खा कर सो रही हैं तो पापा शायद एक बार और मेरी चुदाई करना चाहते हैं. पर आज हे पहली बार मेरी चूत में पापा का इतना मोटा लण्ड घुसा था और आज ही गांड का भी उद्धघाटन हो गया था. तो अब मेरी चूत और गांड दोनों का ही बहुत बुरा हाल हो गया था. तो मैं तो अब कोई और राउंड चुदाई का सहन नहीं कर सकती थी, पर पापा के साथ इस सम्बन्ध को आगे भी चालु रखना था तो बोली

"पापा कीड़ा तो चाहे पिछले छेद में घुस गया था या अगले छेद में. वो तो आपके इस मूसल जैसे हथियार से पक्का मर गया होगा. पर अंदर अभी भी थोड़ी बेचैनी सी है. शयद कीड़े के जहर का कोई असर है. पर जब आपके लौड़े से माल की पिचकारी अंदर आयी तो उस से बहुत आराम मिला. आपके वीर्य ने एक दवा या मलहम का काम किया है. लगता है कि आपका वीर्य उस जहर का अच्छा इलाज है. तो आप एक काम करेंगे, कि मेरी चूत और गांड में अपने लंड का यह मरहम मेरे को देते रहें तो आने वाले समय में भी जहर फैलने का कोई खतरा नहीं होगा.

पापा तो मेरी बात से खुश हो गयी कि मैंने उन्हें चुदाई की पक्की इजाजत दे दी है. वो प्यार से मेरे को चूमते हुए बोले

"सुमन बेटी! तुम मेरी बहुत ही प्यारी बेटी हो. मैं भला कैसे तुम्हे किसी तकलीफ में देख सकता हूँ. तुम बिलकुल भी चिंता न करो. आदमी के लण्ड का माल एक बहुत ही अच्छा एंटीसेप्टिक होता है. किसी भी जखम पर यह सब से बढ़िया मलहम है. और सब से अच्छी चीज यह है कि जैसे तुम्हारी चूत या गांड में बहुत अंदर तक कीड़े के जहर का खतरा है, तो मेरा आठ इंच का लौड़ा तुम्हारी चूत गांड में पूरे अंदर तक मलहम लगा देगा. दुसरे चुदाई करवाने का औरतों को एक फ़ायदा होता है कि चुदाई से चूत का रास्ता साफ़ होता रहता है तो मासिक धर्म में कोई दिक्कत नहीं होती. इसी तरह रोज गांड मरवाने से कभी भी कब्ज का खतरा नहीं रहता. तो ऐसे करंगे कि अभी तो घर में तुम्हारी मम्मी होती है, पर ज्योंही कोई मौका मिलेगा मैं तुम्हारी गांड या चूत मार लिया करूँगा. ठीक है?"

मैंने पापा को चूमते हुए कहा

"पापा! थैंक यू। आप दुनिआ के सबसे अच्छे पापा हैं. आप मेरी दिक्कत की इतनी चिंता कर रहे हैं. आप जब भी मौका मिले मेरी चूत या गाँड़ में अपने लौड़े के मलहम लगा दिया करना. यह हम दोनों बाप बेटी का राज रहेगा. अब रात बहुत हो गयी है. आप जा कर सो जाएँ ताकि सुबह आराम से उठें और किसी को शक न हो। "

पापा मुझे प्यार से चूम कर चले गए और मैं भी पापा की चुदाई के सपने देखती सो गयी.

उस दिन के बाद हम बाप बेटी का सेक्स सम्बन्ध चल रहा है. किसी को कोई शक भी नहीं हुआ, जब भी मौका मिलता है हम अपने अपने जिस्म की भूख मिटा लेते हैं. हर रोज मेरी गांड या चूत की चुदाई तो पक्की है ही. कभी कभी तो दोनों की चुदाई एक ही दिन में हो जाती है.
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तो फ्रेंड्स इस तरह हम बाप बेटी सेक्स भरी जिंदगी के शुरूर ओ मस्ती में डूब कर जिंदगी के हसीन लम्हों को अपने आगोश मे लेकर लज़्जतो के सफ़र पर चल रहे हैं।
 
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