अभी तक आपने पढा की प्रिया ने खिङकी से मुझसे नेहा की चुदाई करते देख लिया था जिससे वो मुझसे गुस्सा तो थी, मगर साथ ही वो काफी उत्तेजित भी गयी थी। प्रिया की इस उत्तेजना और नेहा से उसकी ईर्ष्या व जलन के कारण मै ये कहुँ की मेरे व प्रिया के बीच फिर से चुदाई हो गयी थी, या फिर ये कहुँ की खुद प्रिया ने ही मुझे जोरो से चोद दिया था..! तो कोई गलत बात नही होगी..!
अपने कपङे पहनने के बाद प्रिया ने मुझे भी अब अपने कपङे पहन लेने को कहा और कमरे से बाहर चली गयी।
अब उसके आगे...
प्रिया के जाने के बाद मै अभी अपने कपङे पहन ही रहा था की तभी
"अरे.., मम्मी आप कब आई..?" बाहर प्रिया की घबराई हुई सी आवाज सुनाई दी।
शायद सुलेखा भाभी आ गयी थी। डर के मारे मै अब जल्दी जल्दी अपने कपङे पहनने लगा... मगर तभी मेरे दिमाग मे आया की...
“उस समय दरवाजे पर जो आया था कही वो सुलेखा भाभी तो नही थी..?
" .....नही...नहीं..., सुलेखा भाभी कैसे हो सकती है..?, अगर वो सुलेखा भाभी होती तो अभी तक घर मे हँगामा नही हो जाना था...?” मैने अपने दिल मे ही सोचकर खुद को जैसे तसल्ली सी दी...
मुझे अब डर लगने लगा था इसलिये कपङे पहनने के बाद मै सुलेखा भाभी की व प्रिया की बाते सुनने के लिये दरवाजे के पास जाकर खङा हो गया... मगर बाहर मुझे सब कुछ सामान्य ही लगा। मैने भी अब सोचा की शायद वो मेरा वहम था इसलिये कुछ देर बाहर की बाते सुनने के बाद मै वापस अपने बिस्तर पर आकर लेट गया।
नेहा और प्रिया की चुदाई से मै इतना थक गया था अब बिस्तर पर लेटते ही मुझे इतनी गहरी नीँद लगी की पता ही नही चला कब रात हो गयी.. और रात मे जब मुझे अपने सीने पर भार सा महसूस हुवा तब जाकर मेरी नीँद खुली...
मैने आँखे खोलकर देखा तो नेहा मेरे उपर लेटी हुई थी और गालो को चुम रही थी। मैने अब घङी मे देखा तो उस समय रात के ग्यारह बज रहे थे। मैने रात का खाना भी नही खाया था, मै शाम से सो ही रहा था।
मैने जब नेहा से पुछा की मुझे उठाया क्यो नही तो उसने बताया की "वो प्रिया ने मम्मी को बोल ये दिया था की तुम्हारी तबियत खराब है इसलिये...!" इतना कहकर नेहा अब फिर से मेरे गालो को चुमने लगी। नेहा ने भी खिङकी से मेरी और प्रिया की चुदाई देख ली थी इसलिये शायद वो तब से ही उत्तेजित थी।
मैने भी अब नेहा की एक अच्छी सी चुदाई करके उसका साथ दिया मगर नेहा की चुदाई करते समय बार बार मुझे ऐसा लग रहा था जैसे की खिङकी से कोई हमे देख रहा हो... बाहर अन्धेरा था इसलिये कोई नजर तो नही आया था मगर काफी बार मुझे कीसी के होने की आहट हुई..?
खैर चुदाई के बाद नेहा तो वापस अपने कमरे मे चली गयी मगर उसके कुछ ही देर बाद ही प्रिया मेरे कमरे मे आ गयी। अब प्रिया के साथ भी मेरा एक अच्छा खासा चुदाई का दौर चला मगर प्रिया की चुदाई करते समय भी मुझे ऐसा लगता रहा जैसे की अभी भी कोई हमे खिङकी से देख रहा है..?
नेहा और प्रिया की चुदाई करते करते मुझे रात के तीन बज गये थे और मै काफी थक भी गया था इसलिये बिस्तर पर गीरते ही मुझे अब नीन्द आ गयी। अगले दिन एक तो इतवार की छुट्टी थी और दुसरा नेहा व प्रिया के कारण मै रात भर ठीक से सोया भी नही था इसलिये अगले दिन मै काफी देर तक सोता रहा।
अपने कपङे पहनने के बाद प्रिया ने मुझे भी अब अपने कपङे पहन लेने को कहा और कमरे से बाहर चली गयी।
अब उसके आगे...
प्रिया के जाने के बाद मै अभी अपने कपङे पहन ही रहा था की तभी
"अरे.., मम्मी आप कब आई..?" बाहर प्रिया की घबराई हुई सी आवाज सुनाई दी।
शायद सुलेखा भाभी आ गयी थी। डर के मारे मै अब जल्दी जल्दी अपने कपङे पहनने लगा... मगर तभी मेरे दिमाग मे आया की...
“उस समय दरवाजे पर जो आया था कही वो सुलेखा भाभी तो नही थी..?
" .....नही...नहीं..., सुलेखा भाभी कैसे हो सकती है..?, अगर वो सुलेखा भाभी होती तो अभी तक घर मे हँगामा नही हो जाना था...?” मैने अपने दिल मे ही सोचकर खुद को जैसे तसल्ली सी दी...
मुझे अब डर लगने लगा था इसलिये कपङे पहनने के बाद मै सुलेखा भाभी की व प्रिया की बाते सुनने के लिये दरवाजे के पास जाकर खङा हो गया... मगर बाहर मुझे सब कुछ सामान्य ही लगा। मैने भी अब सोचा की शायद वो मेरा वहम था इसलिये कुछ देर बाहर की बाते सुनने के बाद मै वापस अपने बिस्तर पर आकर लेट गया।
नेहा और प्रिया की चुदाई से मै इतना थक गया था अब बिस्तर पर लेटते ही मुझे इतनी गहरी नीँद लगी की पता ही नही चला कब रात हो गयी.. और रात मे जब मुझे अपने सीने पर भार सा महसूस हुवा तब जाकर मेरी नीँद खुली...
मैने आँखे खोलकर देखा तो नेहा मेरे उपर लेटी हुई थी और गालो को चुम रही थी। मैने अब घङी मे देखा तो उस समय रात के ग्यारह बज रहे थे। मैने रात का खाना भी नही खाया था, मै शाम से सो ही रहा था।
मैने जब नेहा से पुछा की मुझे उठाया क्यो नही तो उसने बताया की "वो प्रिया ने मम्मी को बोल ये दिया था की तुम्हारी तबियत खराब है इसलिये...!" इतना कहकर नेहा अब फिर से मेरे गालो को चुमने लगी। नेहा ने भी खिङकी से मेरी और प्रिया की चुदाई देख ली थी इसलिये शायद वो तब से ही उत्तेजित थी।
मैने भी अब नेहा की एक अच्छी सी चुदाई करके उसका साथ दिया मगर नेहा की चुदाई करते समय बार बार मुझे ऐसा लग रहा था जैसे की खिङकी से कोई हमे देख रहा हो... बाहर अन्धेरा था इसलिये कोई नजर तो नही आया था मगर काफी बार मुझे कीसी के होने की आहट हुई..?
खैर चुदाई के बाद नेहा तो वापस अपने कमरे मे चली गयी मगर उसके कुछ ही देर बाद ही प्रिया मेरे कमरे मे आ गयी। अब प्रिया के साथ भी मेरा एक अच्छा खासा चुदाई का दौर चला मगर प्रिया की चुदाई करते समय भी मुझे ऐसा लगता रहा जैसे की अभी भी कोई हमे खिङकी से देख रहा है..?
नेहा और प्रिया की चुदाई करते करते मुझे रात के तीन बज गये थे और मै काफी थक भी गया था इसलिये बिस्तर पर गीरते ही मुझे अब नीन्द आ गयी। अगले दिन एक तो इतवार की छुट्टी थी और दुसरा नेहा व प्रिया के कारण मै रात भर ठीक से सोया भी नही था इसलिये अगले दिन मै काफी देर तक सोता रहा।