सुलेखा भाभी की उत्तेजना तो जोर मार रही थी मगर शायद वो थकी हुई थी क्योंकि उनका एक बार रशखलित हो चुका था और इसके लिये जो भी मेहनत थी वो सारी खुद सुलेखा भाभी ने ही कि थी, इसलिये सुलेखा भाभी ने अब धक्के लगाने मे तो मेरा साथ नही दिया मगर फिर भी उन्होने अपनी जाँघो को पुरा फैलाकर अपने पैरो को मेरे पैरो पर रख लिया ताकी मुझे धक्के लगाने मे आसानी हो जाये और मेरा पुरा लँड उनकी चुत मे अन्दर तक जाकर उनकी चुत की दिवारो की मालिश कर सके।
मै भी अब अपने पुरे लँड को सुलेखा भाभी की चुत मे अन्दर तक पेलने लगा जिससे सुलेखा भाभी की सिसकियाँ तेज हो गयी और अपने आप ही उनके पैर मेरे पैरो पर चढ गये। रशखलित के बाद सुलेखा भाभी की चुत के अन्दर की दिवारे प्रेमरश से भीगकर अब और भी चिकनी और मुलायम हो गयी थी जिससे मेरा लँड अब और भी कुशलता से उनकी चुत की मालिश कर रहा था।
ये खेल खेलते खेलते मुझे बहुत देर हो गयी थी इसलिये मै अब चरमोत्कर्ष के करीब ही था मगर सुलेखा भाभी का एक बार रशखलित हो चुका था इसलिये मुझे पता था की अबकी बार वो रसखलन मे थोङा समय लेगी। मै नही चाहता था की सुलेखा भाभी के रशखलन से पहले मेरा रशखलित जाये इसलिये मैने अब अपने धक्को की गति को तो थोङा धीमा कर दिया और अपना एक हाथ आगे लाकर उनकी चुँची को पकङ लिया।
मै अब धीरे धीरे धक्के लगाते हुवे सुलेखा भाभी की दोनो चुँचियो को भी मसलने लगा जिससे सुलेखा भाभी मचल सी गयी। उन्होने अपनी आँखे बन्द की हुई थी और मुँह से सिसकीयाँ भरते हुवे वो अपने खुद के ही होठ को काट रही थी। कसम से ऐसा करते हुवे सुलेखा भाभी को वो गोल गोल चेहरा इतना हशीन और मासुम सा लग रहा था की मुझसे रहा नही गया...
मैने अब थोङा सा आगे होकर धीरे धीरे उनके होठो को चुम लिया, मगर जैसे मैने उनके होठो को चुमा सुलेखा भाभी ने झट से अपनी आँखे खोल ली और दोनो हाथो से मेरी गर्दन को पकङकर मेरे होठो को अपने मुँह मे भर लिया...
मेरे दोनो होठो को मुँह ने भर कर सुलेखा भाभी उन्हें इतनी जोरो से चुशने लगी की कुछ देर तो मै अब सुलेखा भाभी के होठो को चुमने के लिये तरसता ही रह गया, मगर फिर सुलेखा भाभी ने मुझपर तरस दिखाते हुवे मेरे एक होठ को आजाद कर दिया जिससे मेरे हिस्से भी उनका एक होठ आ ही गया। मैने उसे तुरन्त ही अब अपने मुँह मे भर लिया और जोरो से चुशने लगा। सुलेखा भाभी ने अब फिर से दरीयादिली दिखाते हुवे होठ के साथ साथ अपनी जीभ को भी मेरे मुँह दे दिया।
मैने भी अब अपना मुँह खोलकर उसका स्वागत किया और उसे होठो से दबाकर जोरो से चुशने लगा जिससे सुलेखा भाभी के मुँह का मीठा मीठा व चिकना सा स्वाद भी अब मेरे मुँह मे घुल गया। उत्तेजना के वश अब अपने आप ही मेरे धक्को की गति फिर से बढ गयी
सुलेखा भाभी की जीब व होठ को चुशते हुवे मै अब जोरो से धक्के लगाने लगा था जिससे सुलेखा भाभी की सिसकियाँ भी और तेज हो गयी और उनके दोनो हाथ अब अपने आप ही मेरी पीठ पर आकर रेँगने लगे...
कुछ देर सुलेखा भाभी की जीभ का स्वाद लेने के बाद मैने उनकी जीभ को छोङ दिया और अपनी जीभ को उनके मुँह मे घुसा दिया, सुलेखा भाभी तो जैसे इसके लिये तैयार ही बैठी थी उन्होंने तुरन्त ही अपना मुँह खोलकर मेरी जीभ को अपने मुँह मे समा लिया और उसे जोरो से चुशने लगी।
सुलेखा भाभी को जल्दी से शिखर तक पहुँचाने के लिये मै अब उन पर तीन तरफ से हमला करने लगा, एक तरफ मेरा मुसल लँड उनकी चुत को उधेङ रहा था तो दुसरी तरफ मेरे होठ उनको तपा रहे थे और अब तीसरी तरफ से मैने उनकी चुँचियो को भी मसलना शुरु कर दिया जिससे सुलेखा भाभी अब कोयल के जैसे कुकने लगी।
उनके पैर अब मेरी जाँघो तक चढ गये और जोरो से सिसकीयाँ भरते हुवे उन्होने अब खुद भी नीचे से धक्के लगाने शुरु कर दिये। सुलेखा भाभी का ये साथ पाते ही मैने भी अब जोरो से धक्के लगाने शुरु कर दिये जिससे उनकी सिसकीयाँ और भी तेज हो गयी।
उन्होंने मेरे होठो को तो अब छोङ दिया और दोनो हाथो से मेरी पीठ को पकङकर जल्दी जल्दी अपनी कमर को उचकाते हुवे मुँह से..
"इईईई.श्श्शशश...आआ.ह्ह्ह्हहह...
इईईई.श्श्शशश...आआ.ह्ह्ह्हहह..." की आवाजे निकालने लगी।
मुझे भी अब समझते देर नही लगी की सुलेखा भाभी अब अपने चर्म के करीब ही है इसलिये मै भी अब अपने सीने को उपर उठाकर अपने हाथो के बल हो गया और अपनी पुरी ताकत व तेजी से धक्के लगाने लगा...
अब तो सुलेखा भाभी जैसे पागल ही हो गयी थी वो जोरो से अपनी कमर को उचकाते हुवे मुँह से ..
"इईईई.श्श्शशश...आआ.ह्ह्ह्हहह...
इईईई.श्श्शशश...आआ.ह्ह्ह्हहह..." किलकारीया सी मारने लगी जिससे एक बार फिर से अब सुलेखा भाभी की किलकारीयोँ के साथ साथ कमरे मे
"फट्...,फट् ट..." की आवाजे गुँजने लगी।
अब जितनी तेजी से सुलेखा भाभी अपनी कमर को उचका रही थी मै उससे दुगनी तेजी से धक्के लगा कर अपने लँड से उनकी चुत की धज्जियाँ सी उङा रहा था। हम दोनो के ही शरीर पसिने से नहा गये थे और साँसे उखने लगी। सुलेखा भाभी का तो एक बार रशखलित हो गया था मगर मै अपने आप पर बहुत देर से सँयम किये हुवे था। मेरा सब्र का बाँध तो कब का टुट जाता मगर मै तो बस इसलिये ही रुका हुवा था की एक बार फिर सुलेखा भाभी को उनके अँजाम तक पहुँचा दुँ।
आखिरकार मेरी कोशिश रँग लाई और कुछ ही देर बाद सुलेखा भाभी का बदन अब फिर से अकङने लगा... मेरा सब्र भी अब टुट ही गया था इसलिये मैने भी तीन चार ही धक्के अपने पुरे वेग से लगाये और सुलेखा भाभी को कस कर पकङ लिया। सुलेखा भाभी की सिसकीयाँ अब पहले तो आहो मे बदली और फिर आहे हिचकीयो मे बदलती चली गयी।
मैने और सुलेखा भाभी ने एक दुसरे को जोरो से भीँच लिया और हल्के हल्के धक्के लगाते हुवे एक दुसरे के यौन अँगो को अपने अपने प्रेमरश से सिँचने लगे। इस बार सुलेखा भाभी का रशखलन इतना उत्तेजक था की हिचकिया लेते हुवे एक बार तो वो साँस लेना भी भुल गयी, उनकी चुत की दिवारो के प्रसार और सँकुचन को मै काफी देर तक अपने लँड पर महसूस करता रहा।
अपनी अपनी कामनोओ को एकदुसरे पर उडेलकर हम दोनो ही अब एक दुसरे को बाँहो मे लिये लिये ही ढेर होकर बिस्तर पर गीर गये और लम्बी लम्बी साँसे लेने लगे।