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Incest वो कौन थी..? भाग २

Harshit

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मेरे लँड को अपनी चुत से खाने के बाद सुलेखा भाभी ने एक बार फिर अब मेरी तरफ डबडबाई से नजरो से देखा। शायद मेरे इतने बङे लँड को एक बार मे ही अपनी चुत मे लेने से सुलेखा भाभी को पीङा हुई थी मगर वो सारा दर्द पी गयी‌ और खुद ही मेरे दोनो हाथो‌ को पकङकर अपनी चुँचियो पर रखवा लिया...


मैने भी अब उनकी दोनों चुँचियो को अपने हाथो मे थामकर उन्हे जोरो से मसल दिया जिससे सुलेखा भाभी के मुँह से..
"इईईई.श्श्शशश...आआ.ह्ह्ह्ह्हहह....." की मिठी सित्कार सी फुट पङी...

मेरे हाथो मे अपनी चुँचिया थामाकर सुलेखा भाभी ने अब खुद भी अपने हाथ मेरे कँधो पर रख लिये और जैसे किसी‌ घोङे की सवारी करते है बिल्कुल वैसे ही मेरे कँधो को‌ पकङकर धीरे धीरे अपनी कमर को आगे पीछेकर धक्के लगाने शुरू कर दिये... मेरा लँड अब उनकी चुत की गीली दवारो पर घीसने लगा... जिससे सुलेखा भाभी के साथ साथ मेरे बदन मे भी आनन्द की लहरो के साथ हल्की हल्की सिसकियाँ फुटना शुरु हो गयी...


सुलेखा भाभी को देखकर मुझे अब प्रिया की याद आ गयी। प्रिया ने भी तो उस दिन मेरे साथ ऐसे ही तो किया था, जरूर उसने ये सब शायद कभी ना कभी सुलेखा भाभी को ही देखकर सिखा था... पर धीरे धीरे सुलेखा भाभी की कमर की हरकत अब तेज‌ होने‌ लगी। मैने भी‌‌ अब उनकी चुँचियो को जोरो से मसलना शुरु‌ कर‌ दिया जिससे‌ सुलेखा‌ भाभी के मुँह से निकलने वाली सिसककियाँ भी तेज हो गयी।


सुलेखा भाभी ने अपनी आँखे बन्द कर रखी थी मगर उनके चेहरे के भाव अब लगातार बदल रहे थे। मझे से मेरे लँड को अपनी चुत से खाते खाते वो अपने खुद के होठो को ही काट रही थी, ये देख मुझसे अब रहा नही गया इसलिये मैने उठकर उनके होठो को चुमने की कोशिश की, मगर सुलेखा भाभी ने मुझे धकेलकर फिर से बिस्तर पर गीरा दिया और दोनो‌ हाथो से मेरी टी-शर्ट को पकङ कर उसे उपर खिँचने लगी। मैने भी उठकर उनका सहयोग किया और उसे पुरा ही निकालकर रख दिया।


मुझे उपर से नँगा करके सुलेखा भाभी अब मुझ पर लेट गयी और अपनी बङी बङी चुँचियो को मेरे नँगे सीने पर रगङते हुवे जोरो से धक्के लगानेे शुरु कर दिये...मै तो जैसे अब पागल ही हो गया क्योंकि नीचे से तो सुलेखा भाभी की गर्म गर्म चुत मेरे लँड की मालिस कर ही रही थी अब उपर से भी उनकी बङी बङी और भरी हुई चुँचिया मेरे सीने को गुदगुदाने लगी थी...

आनन्द से मेरे दोनो हाथ अब अपने आप ही सुलेखा भाभी की पीठ पर से रँगते हुवे उनके बङे बङे और गोलाकर नितम्बो पर आ गये। मैने अपने दोनो हाथो से उनके नितम्बो को पकङ लिया और उनको प्यार सहलाते हुवे सुलेखा भाभी को आगे पीछे हिलाने मे उनका सहयोग करने लगा जिससे सुलेखा भाभी की कमर की‌ हरकत अब और भी तेज हो गयी।

मेरे उपर लेटेकर धक्के लगाने से सुलेखा भाभी के होठ, तो कभी गाल अब बार बार मेरे होठो को छु रहे थे। मुझसे रहा नही गया इसलिये मैने अपने दोनो हाथो से उनकी‌ गर्दन‌ को‌ पकङ‌कर उनके होठो को अपने मुँह मे भर लिया और उन्हे जोरो से चुशने लगा...

मगर इससे सुलेखा भाभी के धक्के कुछ धीमे हो गये। अब ये बात शायद सुलेखा भाभी को मँजुर नही हुई इसलिये सुलेखा भाभी ने मेरे होठो को अब एक बार तो जोर से चुमा और फिर मेरे होठो को छोङकर वो फिर से उपर अपने हाथो के बल हो गयी और जोरो से धक्के लगाने लगी...


मेरे हाथ भी अब फिर से सुलेखा भाभी के नितम्बो‌ पर आ गये मगर इस बार मेरे‌ हाथो‌ की उँगलियाँ फिसली हुई उनके नितम्बो की गहराई मे घुस गयी थी‌ इसलिये मैने अब अपनी एक उँगली से उनके गुदाद्वार को सहलाना शुरु कर दिया...

अब तो सुलेखा भाभी जैसे पागल ही हो गयी उन्होने अपने दोनो हाथो से मेरे कन्धो को पकङ लिया और....
"इईईई.श्श्शशश...आआ.ह्ह्ह्हहह...
इईईई.श्श्शशश...आआ.ह्ह्ह्हहह..." की सिसकीयाँ भरते हुवे अपनी चुत की गीली दिवारो को वो अब जोरो से मेरे लँड पर घीसने लगी।

दोनो हाथो से मेरे कँधो को पकङे सुलेखा भाभी मुँह से..
"इईईई.श्श्शशश...आआ.ह्ह्ह्हहह...
इईईई.श्श्शशश...आआ.ह्ह्ह्हहह..." सिसकियाँ भरते हुवे कस कसके अपनी चुत को मेरे लण्ड पर घीस रही थी.. जिसको देखकर ऐसा नही लग रहा था की मै सुलेखा भाभी को चोद रहा हुँ, बल्की ऐसा लग रहा था जैसे की वो मुझे चोद रही हो...


उनके चेहरे पर पसीने की बुन्दे उभर आई थी तो साँसे भी उखङ गयी थी मगर फिर भी वो ऐसे ही जोरो से अपनी चुत को मेरे लँड पर घीसते हुवे धक्के लगाती रही... जिससे अब कुछ ही देर बाद अचानक से‌ उनके‌ हाथ मेरे कन्धो पर कस गये, तो उनकी सिसकीयाँ भी आहो्.. मे‌ बदली गयी...

उनकी‌ दोनो जाँघे भी अब जोरो से मुझ पर कस गयी और.... "आह्ह्...
ईश्श.आह्ह्...
ईश्श.आआह्ह्...
ईश्श.आआआह्ह्ह्....." की आवाजो के साथ अपनी चुत को मेरे लण्ड पर जोर जोर से व कस कसकर घीसते हुवे गाढे गाढे सफेद रश को मेरे लँड पर उगलना शुरु कर दिया जो‌की मेरे लँड के‌ सहारे बहते मेरे‌ कुल्हो‌ तक‌ पहुँचने लगा..


अपनी चुत के रश से मेरे लँड को‌ नहलाने के बाद सुलेखा भाभी निढाल‌ सी हो गयी थी इसलिये वो अब मेरे उपर ही‌ लेट गयी और लम्बी लम्बी साँसे लेने लगी...
Very nice waiting for next update
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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अभी‌ तक आपने पढा की मेरे लण्ड की सवारी करते करते ही सुलेखा भाभी रसखलित हो गयी थी जिससे‌ वो‌ अब शिथिल पङ गयी मगर मेरे अन्दर का ज्वार तो अभी भी जोर मार रहा था।‌ मुझे पता था की रशखलित के‌ बाद सुलेखा भाभी तो अब कुछ करने‌ से रही इसलिये मैने‌ अब खुद ही कमान‌ सम्भाल‌ ली..

मैने पहले तो अब अपने‌ दोनो हाथो से सुलेखा भाभी के नितम्बो को थोङा सा उपर उठाकर उनकी चुत और मेरे लँड के बीच फासला बना लिया, फिर नीचे से अपनी कमर को उचका उचका कर ताबङतोङ धक्के‌ लगाने शुरु कर दिये... जिससे सुलेखा भाभी की...
"आआ.ह्ह्ह...उऊऊ.ह्ह्ह्ह..." की कराहो के साथ साथ अब जोरो से "फाट् ट्.. फाट् ट..." की आवाजे भी निकलना शुरु हो गयी...


सुलेखा भाभी मेरे उपर निढाल होकर ढेर हो गयी थी मगर मेरे धक्के लगाने से वो अब फिर से कराहने‌ लगी... क्योंकि मेरा मुसल‌ लँड अब उनकी चुत के परखच्चे उङा रहा था। कुछ देर तो सुलेखा भाभी अब ऐसे ही कराहती रही मगर फिर धीरे धीरे उनकी‌ कराहे सिसकीयो मे‌ बदल गयी और उनकी चुत मे फिर से सँकुचन सा होना शुरू हो गया..

शायद सुलेखा‌ भाभी फिर से उत्तेजित होने लगी थी इसलिये उनकी साँसे भी अब गहरी हो गयी थी।
मुझे यकीन नही हो रहा था की सुलेखा भाभी इतनी जल्दी कैसे गर्म हो गयी थी इसलिये अपनी तस्ल्ली के लिये मैने अब धक्के लगाने बन्द कर दिये... जिससे सुलेखा भाभी ने मुझे अब एक‌ बार तो घुर कर देखा और फिर ये क्या..? सुलेखा भाभी अब खुद ही फिर से अपनी कमर को चलाने लगी... शायद सुलेखा भाभी की ये प्यास ही थी जिसने उन्हे अब फिर से उत्तेजित कर दिया था।


सुलेखा भाभी ने अब कुछ देर‌ तो धक्के लगाये और फिर मुझे‌ बाँहो‌ मे‌ भरकर वो‌ फिर से‌ पलट गयी‌ जिससे एक‌ बार फिर अब सुलेखा भाभी मेरे नीचे आ गयी और मै उनके‌ उपर...इस उल्टा पल्टी मे मेरा लँड सुलेखा भाभी की चुत से बाहर निकल गया था मगर मुझे अपने‌ उपर खीँचकर सुलेखा भाभी ने अब पहले तो अपनी दोनो‌ जाँघो के‌ बीच दबा लिया और फिर खुद ही अपने एक‌ हाथ से मेरे लँड‌ को पकङकर अपनी चुत के मुँह पर लगा लिया।


मैने भी अब जोर से धक्का लगाकर एक ही झटके ने अपने‌ लँड को‌ उनकी चुत की गहराई तक उतार दिया जिससे एक बार तो सुलेखा भाभी

"आआआह्ह्..उऊऊच्च्च्..." कहकर जोरो से कराह उठी मगर साथ ही उन्होने ईनाम के तौर पर दोनो हाथो से मेरे सिर को‌ पकङ कर बङे ही प्यार से मेरे गालो‌ पर एक चुम्मा भी दे दिया। मैने भी अब फिर से धक्के लगा‌कर अपने‌ लँड‌ को‌ सुलेखा‌ भाभी‌ की चुत के अन्दर बाहर करना‌ शुरू कर दिया जिससे अब फिर से सुलेखा भाभी के मुँह से‌ सिसकीयाँ फुटनी शुरु हो गयी।
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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सुलेखा भाभी की उत्तेजना तो जोर मार रही थी मगर शायद वो थकी हुई थी क्योंकि उनका एक बार रशखलित हो‌ चुका था और इसके लिये जो‌ भी मेहनत थी वो सारी खुद सुलेखा भाभी ने ही कि थी, इसलिये सुलेखा भाभी ने अब धक्के लगाने मे तो‌ मेरा साथ नही दिया मगर‌ फिर भी उन्होने अपनी जाँघो को पुरा फैलाकर अपने पैरो को मेरे पैरो पर रख लिया ताकी मुझे धक्के लगाने मे आसानी हो जाये और मेरा पुरा लँड उनकी चुत मे अन्दर तक‌ जाकर उनकी चुत की दिवारो की मालिश कर सके।


मै भी अब अपने पुरे लँड को सुलेखा भाभी की चुत मे अन्दर तक‌ पेलने लगा जिससे सुलेखा भाभी‌ की सिसकियाँ तेज हो गयी और अपने आप ही उनके पैर मेरे पैरो पर चढ गये। रशखलित के बाद सुलेखा भाभी‌ की चुत के अन्दर की दिवारे प्रेमरश से भीगकर अब और भी चिकनी और मुलायम हो गयी थी जिससे मेरा लँड अब और भी कुशलता से उनकी चुत की मालिश कर रहा था।


ये खेल‌ खेलते खेलते मुझे‌ बहुत देर हो गयी थी इसलिये मै अब चरमोत्कर्ष के करीब ही था‌ मगर सुलेखा भाभी का एक बार रशखलित हो चुका था इसलिये मुझे पता था की अबकी बार वो रसखलन मे थोङा समय लेगी। मै नही चाहता था की सुलेखा भाभी‌ के रशखलन से पहले मेरा रशखलित जाये इसलिये मैने अब अपने धक्को की गति को तो थोङा धीमा कर दिया और अपना एक हाथ आगे लाकर उनकी चुँची को पकङ लिया।

मै अब धीरे धीरे धक्के लगाते हुवे सुलेखा भाभी‌ की दोनो चुँचियो को भी मसलने‌ लगा जिससे सुलेखा भाभी मचल सी गयी। उन्होने अपनी आँखे बन्द की हुई थी और मुँह से सिसकीयाँ भरते हुवे वो अपने खुद के ही होठ को काट‌ रही थी। कसम से ऐसा करते हुवे सुलेखा भाभी‌ को वो गोल गोल चेहरा इतना हशीन और मासुम सा लग रहा था की मुझसे रहा नही गया...

मैने अब थोङा सा आगे होकर धीरे धीरे उनके होठो को चुम‌ लिया, मगर जैसे मैने उनके होठो को चुमा सुलेखा भाभी ने झट से अपनी आँखे खोल ली और दोनो हाथो से मेरी गर्दन को पकङकर मेरे होठो को अपने मुँह मे भर लिया...


मेरे दोनो होठो को मुँह ने भर कर सुलेखा भाभी उन्हें इतनी जोरो से चुशने लगी की कुछ देर तो मै अब सुलेखा‌ भाभी के होठो को चुमने के‌ लिये तरसता ही रह‌ गया, मगर फिर सुलेखा भाभी ने मुझपर तरस दिखाते हुवे मेरे एक‌ होठ को आजाद कर दिया जिससे मेरे हिस्से भी उनका एक होठ आ ही गया। मैने उसे तुरन्त ही अब अपने मुँह मे भर लिया और जोरो से चुशने लगा। सुलेखा भाभी ने अब फिर से दरीयादिली दिखाते हुवे होठ के साथ साथ अपनी जीभ को भी मेरे मुँह दे दिया।


मैने भी अब अपना मुँह खोलकर उसका स्वागत किया और उसे होठो से दबाकर जोरो से चुशने लगा‌ जिससे सुलेखा भाभी के मुँह का मीठा‌ मीठा व चिकना‌ सा स्वाद भी अब‌ मेरे मुँह मे घुल गया। उत्तेजना के वश अब अपने आप ही मेरे धक्को की गति फिर से बढ गयी


सुलेखा भाभी की जीब व होठ को चुशते हुवे मै अब जोरो से धक्के लगाने लगा था जिससे सुलेखा भाभी‌ की सिसकियाँ भी और तेज हो गयी‌‌ और उनके दोनो हाथ अब अपने‌ आप ही मेरी पीठ पर आकर रेँगने लगे‌...


कुछ देर सुलेखा भाभी की जीभ का स्वाद लेने‌ के बाद मैने उनकी जीभ को छोङ दिया और अपनी जीभ को‌ उनके मुँह मे घुसा दिया, सुलेखा भाभी तो जैसे इसके लिये तैयार ही बैठी थी उन्होंने तुरन्त ही अपना मुँह खोलकर मेरी जीभ को अपने मुँह मे समा लिया और उसे जोरो से चुशने‌ लगी।


सुलेखा भाभी को जल्दी से शिखर तक पहुँचाने के लिये मै अब उन पर तीन तरफ‌ से हमला करने लगा, एक तरफ मेरा मुसल लँड उनकी चुत को उधेङ रहा था तो दुसरी तरफ मेरे होठ उनको तपा रहे थे और अब तीसरी तरफ से मैने उनकी चुँचियो को भी मसलना शुरु कर दिया जिससे सुलेखा भाभी अब कोयल के जैसे कुकने लगी।


उनके पैर अब मेरी जाँघो तक चढ गये और जोरो से सिसकीयाँ भरते हुवे उन्होने अब खुद भी नीचे से धक्के लगाने शुरु‌ कर दिये। सुलेखा भाभी का ये साथ पाते ही मैने भी अब जोरो से धक्के लगाने शुरु कर दिये जिससे उनकी सिसकीयाँ और भी तेज हो गयी।


उन्होंने मेरे होठो को तो अब छोङ दिया और दोनो हाथो से मेरी पीठ को पकङकर जल्दी जल्दी अपनी कमर को उचकाते हुवे मुँह से..
"इईईई.श्श्शशश...आआ.ह्ह्ह्हहह...
इईईई.श्श्शशश...आआ.ह्ह्ह्हहह..." की आवाजे निकालने लगी।

मुझे भी अब समझते देर नही लगी‌ की सुलेखा भाभी अब अपने चर्म के करीब ही है इसलिये मै भी अब अपने सीने को उपर उठाकर अपने हाथो के बल हो गया और अपनी‌ पुरी ताकत व तेजी से धक्के लगाने लगा...


अब तो सुलेखा भाभी जैसे पागल ही हो गयी थी वो जोरो से अपनी कमर को उचकाते हुवे मुँह से ..
"इईईई.श्श्शशश...आआ.ह्ह्ह्हहह...
इईईई.श्श्शशश...आआ.ह्ह्ह्हहह..." किलकारीया सी मारने लगी जिससे एक बार फिर से अब सुलेखा भाभी की किलकारीयोँ के साथ साथ कमरे मे
"फट्...,फट् ट..." की आवाजे गुँजने लगी।


अब जितनी तेजी से सुलेखा भाभी अपनी कमर को उचका रही थी मै‌ उससे दुगनी तेजी से धक्के लगा कर अपने लँड से उनकी चुत की धज्जियाँ सी उङा रहा था। हम दोनो के ही शरीर पसिने से नहा गये थे और साँसे उखने लगी। सुलेखा भाभी का तो एक बार रशखलित हो गया था मगर मै अपने आप पर बहुत देर से सँयम किये हुवे था। मेरा सब्र का बाँध तो कब का टुट जाता मगर मै तो बस इसलिये ही रुका हुवा था की एक बार फिर सुलेखा भाभी को उनके अँजाम तक पहुँचा दुँ।


आखिरकार मेरी कोशिश रँग लाई और कुछ ही देर बाद सुलेखा भाभी का बदन अब फिर से अकङने लगा... मेरा सब्र भी अब टुट ही गया था इसलिये मैने भी तीन चार ही धक्के अपने पुरे वेग से लगाये और सुलेखा भाभी को कस कर पकङ लिया। सुलेखा भाभी की सिसकीयाँ अब पहले तो आहो मे बदली और फिर आहे हिचकीयो मे बदलती चली गयी।

मैने और सुलेखा भाभी ने एक दुसरे को जोरो से भीँच लिया और हल्के हल्के धक्के लगाते हुवे एक दुसरे के यौन अँगो‌ को अपने अपने प्रेमरश से सिँचने लगे‌। इस बार सुलेखा भाभी का रशखलन इतना उत्तेजक था की हिचकिया लेते हुवे एक बार तो वो साँस लेना भी भुल गयी, उनकी चुत की दिवारो‌ के प्रसार और सँकुचन को मै काफी देर तक अपने लँड पर महसूस करता रहा।

अपनी अपनी कामनोओ को एकदुसरे पर उडेलकर हम दोनो ही अब एक दुसरे को बाँहो मे लिये लिये ही ढेर होकर बिस्तर पर गीर गये और लम्बी लम्बी साँसे लेने लगे।
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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कुछ देर तो हम दोनो ऐसे ही एक दुसरे की बाँहो मे समाये पङे रही फिर सुलेखा भाभी ने मेरी पीठ को थपथपाकर मुझे उठने का इशारा सा किया। मेरा अब भी उठने का दिल नही कर रहा था इसलिये
"ऊऊ क्या है..?, कुछ देर और लेटी रहो ना..." सुलेखा भाभी पर पङे पङे ही मैने कुनकुनाते हुवे कहा।


"ऊ.ह्ह.उठो ना..., बहुत गर्मी‌ लग रही है..!" सुलेखा भाभी ने मेरे गालो को चुमते हुवे कहा। पसीने से हम दोनो के‌ ही बदन भीगे हुवे थे जिससे शायद सुलेखा भाभी को दिक्कत हो रही थी इसलिये मै अब धीरे से उठकर सुलेखा भाभी के पास बैठ गया मगर तभी मेरी नजर अनायास ही उनकी चुत पर चली गयी...जिसमे से मेरे व उनके प्रेमरश का‌ बिल्कुल क्रीम जैसा गाढा और सफेद‌ मिश्रण धीरे धीरे बहते हुवे बाहर निकल रहा था..

वो रस सुलखा भाभी‌की चुत के मुँह से निकलकर उनके नितम्बो‌ की गहराई मे‌ समा‌ रहा था। मेरे लिये तो ये बेहद ही अनुठा और उत्तेजक सा द्रश्य था जिसे मै टकटकी लगाये बस देखता रह गया, मगर तभी शायद सुलेखा भाभी की नजर मुझ पर चली गयी... शर्म के मारे उन्होने अब तुरन्त ही अपनी शाङी व पेटीकोट से अपनी चुत को छुपा लिया और उठकर बिस्तर पर बैठ गयी।

बिस्तर पर बैठकर सुलेखा भाभी ने अब पास मे ही पङी हुई अपनी पेँटी को उठा लिया और अपना मुँह दुसरी तरफ करके उस पेँटी से अपनी चुत व नितम्बो को साफ करने लगी..


मै अब भी बैठे बैठ सुलेखा भाभी को ही देख रहा था....अपनी चुत व नितम्बो‌ को अच्छे से साफ‌ करने‌ के‌ बाद सुलेखा‌ भाभी ने‌ पेँटी को‌ तो वापस बिस्तर पर पटक दिया और उठकर अपने‌ कपङो को सही करने लगी...


मै नही चाहता था की सुलेखा भाभी अपने कपङो को ठीक करे इसलिये मैने अब उनका‌ हाथ पकङकर फिर से अपनी तरफ खीँच लिया..
"ऊ.ह्ह..छ.छोङ..अब क्या है..?" सुलेखा भाभी कसमसाते हुवे कहा।


"इतनी जल्दी कहाँ जा रही हो..?" मैने सुलेखा भाभी को अपनी बाँहो मे भरकर उनके मखमली गालो को चुमते हुवे कहा।

"बस्स..अब.., एक बार मे तो ऐसी हालत कर दी की अभी तक बदन दुख रहा है...,मेरी हिम्मत नही है अब..., बाकी की दवाई अब तुम‌ उनसे ही लेना...!" सुलेखा भाभी ने‌ ताना सा मारते हुवे कहा और मेरे पास से उठकर फिर से अपने कपङे ठीक करने लगी।

सुलेखा भाभी‌ का‌ "उन" से मतलब नेहा और प्रिया से था। यानि‌ की‌ सुलेखा भाभी‌ को‌ भी अब नेहा और प्रिया के साथ ये सब करने से कोई ऐतराज नही था। इसका मतलब मेरी तो अब निकल पङी..

खैर अपने कपङे सही करने‌ के बाद सुलेखा‌ भाभी ने हम दोनो‌ के‌ प्रेमरश से भीगी उस पेँटी को बिस्तर से उठाकर अपने‌ ब्लाऊज मे‌ छुपा‌ लिया और फिर धीरे से कमरे का दरवाजा खोलकर पहले तो‌ इधर उधर देखा, फिर झटके मे‌ कमरे से बाहर निकल गयी।
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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सुलेखा‌ भाभी के‌ जाने‌ के बाद मै‌ने भी अब अपने‌ कपङे‌ पहन‌ लिये और फिर से बिस्तर पर ढेर हो गया मगर कुछ देर बाद ही प्रिया मेरे कमरे मे‌ आ गयी। कमरे मे आते ही उसने लगातार तीन चार थप्पङ मेरे गालो पर लगा दिये और...

"कमीने अब तु ये क्या कर रहा है..? नेहा दीदी तो ठीक है मगर मम्मी...?, मम्मी को भी नही छोङा कमीने तुने..." प्रिया ने गुस्से से तमतमाते हुवे कहा। एक बार तो अब मै भी घबरा गया की इसको‌ कैसे पता चल गया की मेरे और सुलेखा भाभी के बीच कुछ हुवा है।

मैने दरवाजा तो बन्द किया हुवा था मगर शायद प्रिया ने हमे खिङकी से देख लिया था। एक दो बार मुझे लगा भी था की शायद खिङकी से कोई हमे देख रहा है मगर सुलेखा भाभी के साथ मस्ती के चक्कर मे मैने ही ध्यान नही दिया था। खैर मैने अब जल्दी से खुद को सम्भाला और उसे सारी कहानी बताई तब जाकर उसका गुस्सा कुछ शाँत हुवा।

अब प्रिया के कमरे से बाहर जाने के कुछ देर बाद ही नेहा मेरे पास आ गयी... उसने मेरी पिटाई तो नही की मगर उसका भी यही सवाल था। प्रिया के जैसे ही नेहा को भी मुझे अब सारी बात बतानी पङी तब जाकर वो मानी। पर चलो‌ मेरे लिये ये तो अच्छा ही हो गया‌ था‌ की नेहा और प्रिया को भी सुलेखा भाभी के बारे मे मालुम‌ हो‌ गया‌ था। इससे मेरा काम‌ अब और भी आसान‌ हो गया‌, क्योंकि अब प्रिया नेहा और सुलेखा भाभी तीनो को ही‌ एक‌ दुसरे के‌ बारे मे‌ मालुम‌ हो गया था की उनके मेरे साथ सम्बन्ध है‌ और तीनो‌ को‌ ही‌ इससे शायद कोई‌ ऐतराज भी नही‌ था।


मेरी तो‌ जैसे अब निकल‌ ही‌ पङी थी क्योंकि अब रोजाना ही मेरे सुलेखा भाभी, नेहा और प्रिया के साथ सम्बन्ध बनने शुरु हो गये। दिन मे सुलेखा भाभी मेरे साथ मे रहती, तो रात मे बारी बारी से पहले नेहा और फिर नेहा का एक बार काम‌ हो जाने के बाद जाने के बाद मेरी सबसे चहेती प्रिया तो लगभग पुरी रात ही‌ मेरे साथ सोती...


तो दोस्तों ये कहानी बस अब यही तक पर जल्दी एक नयी कहानी लेकर मिलुँगा तब तक के लिये नमस्कार..!

∆...समाप्त...∆
 

Punnu

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Behtareen story bhidu.... bro ab ek baap beti ya maa bete ke bhi kuch likho ...yaara....
 
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