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दीदी के अनुभवी होंठ और दाँत मेरे निप्पल्स को चूस भी रहे थे और चुभला भी रहे थे,वो खुद भी मज़े ले रही थी ,और मुझे वो कैसे चूसे जाते है इसकी फ्री में ट्रेनिंग भी दे रही थी
और सच कहूं मज़ा भी बहुत आ रहा था,और अचानक पिताजी के कमरे का दरवाजा खुलने की आवाज़ आई,हम दोनो बहनों की तो फट्ट के हाथ में आ गयी
ऐसी हालत में पिताजी ने अगर हम दोनो को देख लिया तो बिना किसी वशीकरण के हम दोनो को पेल देंगे,इसलिए जल्दी से हमने अपने-2 कपड़े पहने और धप्प से अपने बिस्तर पर गिरकर सोने का नाटक करने लगे
पिताजी शायद बाथरूम जाने के लिए उठे थे ,बाहर बने बाथरूम के दरवाजे को खोलने की आवाज़ भी आई
कुछ देर बाद वो हमारे रूम में फिर से आए,शायद देखने के लिए की आधे घंटे बाद जब तिलिस्म टूटा होगा तो बाद में वो सोई होंगी या नहीं
पर हमें गहरी नींद में सोते देखकर वो निश्चिंत हो गये और दरवाजा बंद करके वापिस अपने रूम में चले गये,उनके जाते ही हम दोनो बहनो ने एक दूसरे को देखा और मुस्कुरा दी
अब कोई रिस्क नही लेना चाहता था,इसलिए मुझसे लिपटकर दीदी सो गयी ,अगले दिन क्या-2 करना होगा इसकी प्लानिंग बनाते हुए मैं भी सो गयी
अब आगे
**********
अगले दिन दोपहर के समय, सुमेर जंगल में बनी अपने दोस्त घेसू यानी घनश्याम बाबा की कुटिया के बाहर बैठकर अपने साथ लाए ‘खंबे’ का ढक्कन खोल रहा था
सुमेर : “भाई घेसू…सच में ….मज़ा आ गया, तेरी वो किताब और वो वशीकरण की विद्या कमाल की है”
घेसू ने उसके हाथ से शराब का ग्लास लिया और मुस्कुराते हुए बोला : “मैं ना कहता था, तू ही नही मान रहा था मेरी बात, अब बता…क्या क्या किया तूने हे हे”
एक पल के लिए शराब की सीप लेता हुआ सुमेर सिंह रुक सा गया
और बोला : “बस…ये ना पूछ मेरे भाई…..ये समझ ले की तेरी किताब ने काम कर दिया है”
इतना कहकर उसने एक ही झटके में वो पूरा ग्लास खाली कर दिया
पहला ग्लास एक ही बार में पीने से उसका सिर घूम भी गया
हल्का -2 सरूर होने लगा उसपर
घेसू : “क्यों भाई, सारी बात संक्षेप में बताने में क्या दिक्कत है…?”
सुमेर कुछ नही बोला
पता नही क्यों पर अंदर से उसे अपने घर की बात अपने दोस्त को विस्तार से बताने में झिझक सी हो रही थी
घेसू भी एक खेला खाया आदमी था
वो समझ गया की घी सीधी उंगली से नही निकलेगा
इसलिए वो बोला : “चल, तुझे एक चीज़ दिखाता हूँ ….”
इतना कहकर वो उसे अपनी झोपड़ी के पीछे बनी एक दूसरी झोपड़ी में ले गया
वो झोपड़ी करीब 20x20 फीट की थी
जैसे कोई शानदार होटल का कमरा
अंदर एक बड़ा सा पलंग था
खिड़की में कूलर लगा हुआ था
एक कोने में फ्रिज भी था
कुल मिलाकर सारे वैभव विलास की चीज़े थी उस झोपड़े में
पर सबसे बड़ी बात
उस बिस्तर पर एक औरत लेटी हुई थी
और वो भी पूरी नंगी

सुमेर सिंह तो हैरान रह गया वो सब देखकर
घेसू : “ऐसे हैरान होकर क्या देख रहा है…मैं इंसान नही हूँ क्या, वो बाहर वाली झोपड़ी तो सिर्फ़ लोगो से मिलने के लिए है, ये है मेरा आशियाना, जहाँ मैं सोता हूँ और आराम फरमाता हूँ ”
वो अपने आप को किसी राजा की तरह पेश कर रहा था सुमेर सिंह के सामने
करता भी क्यो नही
आस पास का माहौल ही ऐसा बना हुआ था
उपर से वो बिस्तर पर औरत
सुमेर सिंह करीब गया तो उसका नशीला बदन देखकर उसका लॅंड खड़ा हो गया
इतने मोटे मुम्मे उसने आज से पहले नही देखे थे
उपर से उसकी चिकनी चूत
पर ये है कौन
उसके जहन में यही सवाल गूँज रहा था की घेसू उसके कान के करीब आया और बोला : “पहचान रहे हो इन्हे…ये है हमारे गाँव के सरपंच की बीबी, शर्मिला ”
सुमेर अवाक सा होकर उस औरत को देखता रह गया
वो उसके पति मोतीलाल को अच्छी तरह से जानता था
उसका पुराना दोस्त रह चूका था वो
गाँव के सरपंच के साथ -२ वो रूलिंग पार्टी के लिए जिला परिषद् भी संभालता था
पर जब से वो राजनीति में गया है उस से मिलना जुलना ना के बराबर हो गया था उसका
क्योंकि वो पैसो के लिए हर ग़लत काम करने केलिए हर समय तैयार रहता था
और इस बात पर दोनो में काफ़ी मतभेद हो चुके थे
उसकी शादी में तो वो गया था पर उसकी बीबी का चेहरा याद नही रहा उसके बाद
और आज इतने सालो बाद उसकी बीबी को इस तरह से नंगी होकर अपने दोस्त घेसू के बिस्तर मे पड़ा देखकर वो हैरान रह गया
आख़िर उसने ये कैसे किया
इसका जवाब भी घेसू ने उसकी आँखो में झाँकते हुए दिया
“वशीकरण…..और ये जो तुमने सीखा है, उस से ज़्यादा प्रभावकारी है…”
सुमेर हैरान रह गया
क्योंकि उसे लगा था की वो किताब पड़कर वो उस कला का विशेषज्ञ बन चूका है
पर बेचारा ये नही जानता था की घेसू ने अपने जीवन के 20 वर्ष झक्क नही मारी
बल्कि इसी प्रकार की विधाओं पर पूर्ण रूप से काबू पाने के लिए कड़ी मेहनत की है
घेसू ने उसे बताया की वो इस विद्या की उस तह तक पहुँच चूका है जहाँ वो बिना मंत्र बोले, बिना 3 रात की क्रिया किए, सिर्फ़ आँखो में आँखे डालकर किसी को अपने वश में कर सकता है
और ये औरत जो इस वक़्त निर्वस्त्र पड़ी है सामने, वो उसी वशीकरण के प्रभाव में थी
बेचारी को ये भी नही पता था की सुबह से वो 2 बार चुद चुकी है घेसू के लॅंड से
सुमेर तो उसकी कला देखकर नतमस्तक सा हो गया
पर उसका लॅंड नतमस्तक नही हो रहा था
बल्कि उसकी चुदाई की दास्तान सुनकर और उसके नंगे जिस्म को देखकर वो और फूलता चला जा रहा था
उसने लालच भरी नज़रों से घेसू की तरफ देखा
जैसे पूछ रहा हो की इसके साथ वो भी मस्ती कर सकता है या नही
घेसू उसकी मंशा समझ गया और मुस्कुराते हुए बोला : “तू तो मेरा जिगरी दोस्त है…मेरा जो भी है वो तेरा ही तो है….जैसे तेरा जो है वो सब मेरा है…”
उसकी बात का मतलब समझकर सुमेर सिंह जान गया की उसका इशारा उसकी दोनो जवान बेटियों की तरफ है
अभी कुछ देर पहले तो वो उनके बारे में कुछ भी बताने को राज़ी नही हो रहा था
पर घेसू की कला देखकर वो उसे सीखने के लिए लालायित हो उठा
वो खुली आँखो से सपने देखने लगा जिसमें वो अपने आस पड़ोस की किसी भी औरत को सिर्फ़ आँखो में देखकर वशीभूत कर पाएगा
बेटियों का क्या है
वो उन्हे चोद तो लेगा ही
घेसू की नज़र अगर उनपर है तो इसमें हर्ज ही क्या है
उसकी मदद से वो और भी औरतों को चोद पाएगा
सुमेर का लालची दिमाग़ भविष्य में मिलने वाली चुतों की गिनती करने लगा
घेसू भी उसकी मनोदशा समझ रहा था
वो बोला : “देख सुमेर, तू मेरा दोस्त है, इसलिए तुझे ये सब बता रहा हूँ , अगर तू चाहता है तो मैं सब सीखा भी सकता हूँ तुझे, फिर ऐसी औरतें तेरे घर के बिस्तर पर नंगी लेटी रहेंगी, और तेरी बीबी भी कुछ नही बोल पाएगी , उसे भी तू अपने काबू में कर सकता है…सोच ले…”
अपनी बीबी को जब चाहे सम्मोहित करके एक कोने में बिठा देना, ये विद्या तो किसी सुपरपावर से कम नहीं लग रही थी उसे
सुमेर ने हां में सिर हिला दिया…
यानी वो उसकी बात मानने के लिए तैयार था
इसलिए घेसू ने पहले उसे अपने मन की इच्छा पूरी करने की छूट दे दी
ताकि बाद में आराम से वो उसकी बातों का मज़ा ले पाए
इसलिए उस नंगी शर्मिला को सुमेर के हवाले छोड़कर घेसू बाहर निकल गया
सुमेर ने तुरंत अपनी धोती और कच्छा निकाल फेंका
उसका हुंकारता हुआ लॅंड हवा में कलाबाज़ियाँ मारता हुआ हीसहिसा रहा था
शर्मिला की सिर्फ़ आँखे हिल रही थी…
होंठ लरज़ा रहे थे
पर वो कुछ बोल नही पा रही थी
हालाँकि उसके मोटे मुम्मे पर चमक रहे निप्पल्स कड़क हो चुके थे जो इस बात का सबूत था की वो पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी है

और सच कहूं मज़ा भी बहुत आ रहा था,और अचानक पिताजी के कमरे का दरवाजा खुलने की आवाज़ आई,हम दोनो बहनों की तो फट्ट के हाथ में आ गयी
ऐसी हालत में पिताजी ने अगर हम दोनो को देख लिया तो बिना किसी वशीकरण के हम दोनो को पेल देंगे,इसलिए जल्दी से हमने अपने-2 कपड़े पहने और धप्प से अपने बिस्तर पर गिरकर सोने का नाटक करने लगे
पिताजी शायद बाथरूम जाने के लिए उठे थे ,बाहर बने बाथरूम के दरवाजे को खोलने की आवाज़ भी आई
कुछ देर बाद वो हमारे रूम में फिर से आए,शायद देखने के लिए की आधे घंटे बाद जब तिलिस्म टूटा होगा तो बाद में वो सोई होंगी या नहीं
पर हमें गहरी नींद में सोते देखकर वो निश्चिंत हो गये और दरवाजा बंद करके वापिस अपने रूम में चले गये,उनके जाते ही हम दोनो बहनो ने एक दूसरे को देखा और मुस्कुरा दी
अब कोई रिस्क नही लेना चाहता था,इसलिए मुझसे लिपटकर दीदी सो गयी ,अगले दिन क्या-2 करना होगा इसकी प्लानिंग बनाते हुए मैं भी सो गयी
अब आगे
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अगले दिन दोपहर के समय, सुमेर जंगल में बनी अपने दोस्त घेसू यानी घनश्याम बाबा की कुटिया के बाहर बैठकर अपने साथ लाए ‘खंबे’ का ढक्कन खोल रहा था
सुमेर : “भाई घेसू…सच में ….मज़ा आ गया, तेरी वो किताब और वो वशीकरण की विद्या कमाल की है”
घेसू ने उसके हाथ से शराब का ग्लास लिया और मुस्कुराते हुए बोला : “मैं ना कहता था, तू ही नही मान रहा था मेरी बात, अब बता…क्या क्या किया तूने हे हे”
एक पल के लिए शराब की सीप लेता हुआ सुमेर सिंह रुक सा गया
और बोला : “बस…ये ना पूछ मेरे भाई…..ये समझ ले की तेरी किताब ने काम कर दिया है”
इतना कहकर उसने एक ही झटके में वो पूरा ग्लास खाली कर दिया
पहला ग्लास एक ही बार में पीने से उसका सिर घूम भी गया
हल्का -2 सरूर होने लगा उसपर
घेसू : “क्यों भाई, सारी बात संक्षेप में बताने में क्या दिक्कत है…?”
सुमेर कुछ नही बोला
पता नही क्यों पर अंदर से उसे अपने घर की बात अपने दोस्त को विस्तार से बताने में झिझक सी हो रही थी
घेसू भी एक खेला खाया आदमी था
वो समझ गया की घी सीधी उंगली से नही निकलेगा
इसलिए वो बोला : “चल, तुझे एक चीज़ दिखाता हूँ ….”
इतना कहकर वो उसे अपनी झोपड़ी के पीछे बनी एक दूसरी झोपड़ी में ले गया
वो झोपड़ी करीब 20x20 फीट की थी
जैसे कोई शानदार होटल का कमरा
अंदर एक बड़ा सा पलंग था
खिड़की में कूलर लगा हुआ था
एक कोने में फ्रिज भी था
कुल मिलाकर सारे वैभव विलास की चीज़े थी उस झोपड़े में
पर सबसे बड़ी बात
उस बिस्तर पर एक औरत लेटी हुई थी
और वो भी पूरी नंगी

सुमेर सिंह तो हैरान रह गया वो सब देखकर
घेसू : “ऐसे हैरान होकर क्या देख रहा है…मैं इंसान नही हूँ क्या, वो बाहर वाली झोपड़ी तो सिर्फ़ लोगो से मिलने के लिए है, ये है मेरा आशियाना, जहाँ मैं सोता हूँ और आराम फरमाता हूँ ”
वो अपने आप को किसी राजा की तरह पेश कर रहा था सुमेर सिंह के सामने
करता भी क्यो नही
आस पास का माहौल ही ऐसा बना हुआ था
उपर से वो बिस्तर पर औरत
सुमेर सिंह करीब गया तो उसका नशीला बदन देखकर उसका लॅंड खड़ा हो गया
इतने मोटे मुम्मे उसने आज से पहले नही देखे थे
उपर से उसकी चिकनी चूत
पर ये है कौन
उसके जहन में यही सवाल गूँज रहा था की घेसू उसके कान के करीब आया और बोला : “पहचान रहे हो इन्हे…ये है हमारे गाँव के सरपंच की बीबी, शर्मिला ”
सुमेर अवाक सा होकर उस औरत को देखता रह गया
वो उसके पति मोतीलाल को अच्छी तरह से जानता था
उसका पुराना दोस्त रह चूका था वो
गाँव के सरपंच के साथ -२ वो रूलिंग पार्टी के लिए जिला परिषद् भी संभालता था
पर जब से वो राजनीति में गया है उस से मिलना जुलना ना के बराबर हो गया था उसका
क्योंकि वो पैसो के लिए हर ग़लत काम करने केलिए हर समय तैयार रहता था
और इस बात पर दोनो में काफ़ी मतभेद हो चुके थे
उसकी शादी में तो वो गया था पर उसकी बीबी का चेहरा याद नही रहा उसके बाद
और आज इतने सालो बाद उसकी बीबी को इस तरह से नंगी होकर अपने दोस्त घेसू के बिस्तर मे पड़ा देखकर वो हैरान रह गया
आख़िर उसने ये कैसे किया
इसका जवाब भी घेसू ने उसकी आँखो में झाँकते हुए दिया
“वशीकरण…..और ये जो तुमने सीखा है, उस से ज़्यादा प्रभावकारी है…”
सुमेर हैरान रह गया
क्योंकि उसे लगा था की वो किताब पड़कर वो उस कला का विशेषज्ञ बन चूका है
पर बेचारा ये नही जानता था की घेसू ने अपने जीवन के 20 वर्ष झक्क नही मारी
बल्कि इसी प्रकार की विधाओं पर पूर्ण रूप से काबू पाने के लिए कड़ी मेहनत की है
घेसू ने उसे बताया की वो इस विद्या की उस तह तक पहुँच चूका है जहाँ वो बिना मंत्र बोले, बिना 3 रात की क्रिया किए, सिर्फ़ आँखो में आँखे डालकर किसी को अपने वश में कर सकता है
और ये औरत जो इस वक़्त निर्वस्त्र पड़ी है सामने, वो उसी वशीकरण के प्रभाव में थी
बेचारी को ये भी नही पता था की सुबह से वो 2 बार चुद चुकी है घेसू के लॅंड से
सुमेर तो उसकी कला देखकर नतमस्तक सा हो गया
पर उसका लॅंड नतमस्तक नही हो रहा था
बल्कि उसकी चुदाई की दास्तान सुनकर और उसके नंगे जिस्म को देखकर वो और फूलता चला जा रहा था
उसने लालच भरी नज़रों से घेसू की तरफ देखा
जैसे पूछ रहा हो की इसके साथ वो भी मस्ती कर सकता है या नही
घेसू उसकी मंशा समझ गया और मुस्कुराते हुए बोला : “तू तो मेरा जिगरी दोस्त है…मेरा जो भी है वो तेरा ही तो है….जैसे तेरा जो है वो सब मेरा है…”
उसकी बात का मतलब समझकर सुमेर सिंह जान गया की उसका इशारा उसकी दोनो जवान बेटियों की तरफ है
अभी कुछ देर पहले तो वो उनके बारे में कुछ भी बताने को राज़ी नही हो रहा था
पर घेसू की कला देखकर वो उसे सीखने के लिए लालायित हो उठा
वो खुली आँखो से सपने देखने लगा जिसमें वो अपने आस पड़ोस की किसी भी औरत को सिर्फ़ आँखो में देखकर वशीभूत कर पाएगा
बेटियों का क्या है
वो उन्हे चोद तो लेगा ही
घेसू की नज़र अगर उनपर है तो इसमें हर्ज ही क्या है
उसकी मदद से वो और भी औरतों को चोद पाएगा
सुमेर का लालची दिमाग़ भविष्य में मिलने वाली चुतों की गिनती करने लगा
घेसू भी उसकी मनोदशा समझ रहा था
वो बोला : “देख सुमेर, तू मेरा दोस्त है, इसलिए तुझे ये सब बता रहा हूँ , अगर तू चाहता है तो मैं सब सीखा भी सकता हूँ तुझे, फिर ऐसी औरतें तेरे घर के बिस्तर पर नंगी लेटी रहेंगी, और तेरी बीबी भी कुछ नही बोल पाएगी , उसे भी तू अपने काबू में कर सकता है…सोच ले…”
अपनी बीबी को जब चाहे सम्मोहित करके एक कोने में बिठा देना, ये विद्या तो किसी सुपरपावर से कम नहीं लग रही थी उसे
सुमेर ने हां में सिर हिला दिया…
यानी वो उसकी बात मानने के लिए तैयार था
इसलिए घेसू ने पहले उसे अपने मन की इच्छा पूरी करने की छूट दे दी
ताकि बाद में आराम से वो उसकी बातों का मज़ा ले पाए
इसलिए उस नंगी शर्मिला को सुमेर के हवाले छोड़कर घेसू बाहर निकल गया
सुमेर ने तुरंत अपनी धोती और कच्छा निकाल फेंका
उसका हुंकारता हुआ लॅंड हवा में कलाबाज़ियाँ मारता हुआ हीसहिसा रहा था
शर्मिला की सिर्फ़ आँखे हिल रही थी…
होंठ लरज़ा रहे थे
पर वो कुछ बोल नही पा रही थी
हालाँकि उसके मोटे मुम्मे पर चमक रहे निप्पल्स कड़क हो चुके थे जो इस बात का सबूत था की वो पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी है
