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Incest वशीकरण

Ashokafun30

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दीदी के अनुभवी होंठ और दाँत मेरे निप्पल्स को चूस भी रहे थे और चुभला भी रहे थे,वो खुद भी मज़े ले रही थी ,और मुझे वो कैसे चूसे जाते है इसकी फ्री में ट्रेनिंग भी दे रही थी

और सच कहूं मज़ा भी बहुत आ रहा था,और अचानक पिताजी के कमरे का दरवाजा खुलने की आवाज़ आई,हम दोनो बहनों की तो फट्ट के हाथ में आ गयी

ऐसी हालत में पिताजी ने अगर हम दोनो को देख लिया तो बिना किसी वशीकरण के हम दोनो को पेल देंगे,इसलिए जल्दी से हमने अपने-2 कपड़े पहने और धप्प से अपने बिस्तर पर गिरकर सोने का नाटक करने लगे

पिताजी शायद बाथरूम जाने के लिए उठे थे ,बाहर बने बाथरूम के दरवाजे को खोलने की आवाज़ भी आई

कुछ देर बाद वो हमारे रूम में फिर से आए,शायद देखने के लिए की आधे घंटे बाद जब तिलिस्म टूटा होगा तो बाद में वो सोई होंगी या नहीं

पर हमें गहरी नींद में सोते देखकर वो निश्चिंत हो गये और दरवाजा बंद करके वापिस अपने रूम में चले गये,उनके जाते ही हम दोनो बहनो ने एक दूसरे को देखा और मुस्कुरा दी

अब कोई रिस्क नही लेना चाहता था,इसलिए मुझसे लिपटकर दीदी सो गयी ,अगले दिन क्या-2 करना होगा इसकी प्लानिंग बनाते हुए मैं भी सो गयी

अब आगे
**********
अगले दिन दोपहर के समय, सुमेर जंगल में बनी अपने दोस्त घेसू यानी घनश्याम बाबा की कुटिया के बाहर बैठकर अपने साथ लाए ‘खंबे’ का ढक्कन खोल रहा था

सुमेर : “भाई घेसू…सच में ….मज़ा आ गया, तेरी वो किताब और वो वशीकरण की विद्या कमाल की है”

घेसू ने उसके हाथ से शराब का ग्लास लिया और मुस्कुराते हुए बोला : “मैं ना कहता था, तू ही नही मान रहा था मेरी बात, अब बता…क्या क्या किया तूने हे हे”

एक पल के लिए शराब की सीप लेता हुआ सुमेर सिंह रुक सा गया
और बोला : “बस…ये ना पूछ मेरे भाई…..ये समझ ले की तेरी किताब ने काम कर दिया है”

इतना कहकर उसने एक ही झटके में वो पूरा ग्लास खाली कर दिया
पहला ग्लास एक ही बार में पीने से उसका सिर घूम भी गया
हल्का -2 सरूर होने लगा उसपर

घेसू : “क्यों भाई, सारी बात संक्षेप में बताने में क्या दिक्कत है…?”

सुमेर कुछ नही बोला
पता नही क्यों पर अंदर से उसे अपने घर की बात अपने दोस्त को विस्तार से बताने में झिझक सी हो रही थी

घेसू भी एक खेला खाया आदमी था
वो समझ गया की घी सीधी उंगली से नही निकलेगा

इसलिए वो बोला : “चल, तुझे एक चीज़ दिखाता हूँ ….”

इतना कहकर वो उसे अपनी झोपड़ी के पीछे बनी एक दूसरी झोपड़ी में ले गया
वो झोपड़ी करीब 20x20 फीट की थी
जैसे कोई शानदार होटल का कमरा
अंदर एक बड़ा सा पलंग था
खिड़की में कूलर लगा हुआ था
एक कोने में फ्रिज भी था
कुल मिलाकर सारे वैभव विलास की चीज़े थी उस झोपड़े में
पर सबसे बड़ी बात
उस बिस्तर पर एक औरत लेटी हुई थी
और वो भी पूरी नंगी



सुमेर सिंह तो हैरान रह गया वो सब देखकर

घेसू : “ऐसे हैरान होकर क्या देख रहा है…मैं इंसान नही हूँ क्या, वो बाहर वाली झोपड़ी तो सिर्फ़ लोगो से मिलने के लिए है, ये है मेरा आशियाना, जहाँ मैं सोता हूँ और आराम फरमाता हूँ ”

वो अपने आप को किसी राजा की तरह पेश कर रहा था सुमेर सिंह के सामने
करता भी क्यो नही
आस पास का माहौल ही ऐसा बना हुआ था
उपर से वो बिस्तर पर औरत
सुमेर सिंह करीब गया तो उसका नशीला बदन देखकर उसका लॅंड खड़ा हो गया
इतने मोटे मुम्मे उसने आज से पहले नही देखे थे
उपर से उसकी चिकनी चूत
पर ये है कौन

उसके जहन में यही सवाल गूँज रहा था की घेसू उसके कान के करीब आया और बोला : “पहचान रहे हो इन्हे…ये है हमारे गाँव के सरपंच की बीबी, शर्मिला ”

सुमेर अवाक सा होकर उस औरत को देखता रह गया
वो उसके पति मोतीलाल को अच्छी तरह से जानता था

उसका पुराना दोस्त रह चूका था वो
गाँव के सरपंच के साथ -२ वो रूलिंग पार्टी के लिए जिला परिषद् भी संभालता था

पर जब से वो राजनीति में गया है उस से मिलना जुलना ना के बराबर हो गया था उसका
क्योंकि वो पैसो के लिए हर ग़लत काम करने केलिए हर समय तैयार रहता था
और इस बात पर दोनो में काफ़ी मतभेद हो चुके थे
उसकी शादी में तो वो गया था पर उसकी बीबी का चेहरा याद नही रहा उसके बाद

और आज इतने सालो बाद उसकी बीबी को इस तरह से नंगी होकर अपने दोस्त घेसू के बिस्तर मे पड़ा देखकर वो हैरान रह गया
आख़िर उसने ये कैसे किया

इसका जवाब भी घेसू ने उसकी आँखो में झाँकते हुए दिया
“वशीकरण…..और ये जो तुमने सीखा है, उस से ज़्यादा प्रभावकारी है…”

सुमेर हैरान रह गया
क्योंकि उसे लगा था की वो किताब पड़कर वो उस कला का विशेषज्ञ बन चूका है

पर बेचारा ये नही जानता था की घेसू ने अपने जीवन के 20 वर्ष झक्क नही मारी
बल्कि इसी प्रकार की विधाओं पर पूर्ण रूप से काबू पाने के लिए कड़ी मेहनत की है

घेसू ने उसे बताया की वो इस विद्या की उस तह तक पहुँच चूका है जहाँ वो बिना मंत्र बोले, बिना 3 रात की क्रिया किए, सिर्फ़ आँखो में आँखे डालकर किसी को अपने वश में कर सकता है

और ये औरत जो इस वक़्त निर्वस्त्र पड़ी है सामने, वो उसी वशीकरण के प्रभाव में थी
बेचारी को ये भी नही पता था की सुबह से वो 2 बार चुद चुकी है घेसू के लॅंड से

सुमेर तो उसकी कला देखकर नतमस्तक सा हो गया
पर उसका लॅंड नतमस्तक नही हो रहा था
बल्कि उसकी चुदाई की दास्तान सुनकर और उसके नंगे जिस्म को देखकर वो और फूलता चला जा रहा था

उसने लालच भरी नज़रों से घेसू की तरफ देखा
जैसे पूछ रहा हो की इसके साथ वो भी मस्ती कर सकता है या नही

घेसू उसकी मंशा समझ गया और मुस्कुराते हुए बोला : “तू तो मेरा जिगरी दोस्त है…मेरा जो भी है वो तेरा ही तो है….जैसे तेरा जो है वो सब मेरा है…”

उसकी बात का मतलब समझकर सुमेर सिंह जान गया की उसका इशारा उसकी दोनो जवान बेटियों की तरफ है
अभी कुछ देर पहले तो वो उनके बारे में कुछ भी बताने को राज़ी नही हो रहा था
पर घेसू की कला देखकर वो उसे सीखने के लिए लालायित हो उठा

वो खुली आँखो से सपने देखने लगा जिसमें वो अपने आस पड़ोस की किसी भी औरत को सिर्फ़ आँखो में देखकर वशीभूत कर पाएगा
बेटियों का क्या है
वो उन्हे चोद तो लेगा ही
घेसू की नज़र अगर उनपर है तो इसमें हर्ज ही क्या है
उसकी मदद से वो और भी औरतों को चोद पाएगा
सुमेर का लालची दिमाग़ भविष्य में मिलने वाली चुतों की गिनती करने लगा

घेसू भी उसकी मनोदशा समझ रहा था
वो बोला : “देख सुमेर, तू मेरा दोस्त है, इसलिए तुझे ये सब बता रहा हूँ , अगर तू चाहता है तो मैं सब सीखा भी सकता हूँ तुझे, फिर ऐसी औरतें तेरे घर के बिस्तर पर नंगी लेटी रहेंगी, और तेरी बीबी भी कुछ नही बोल पाएगी , उसे भी तू अपने काबू में कर सकता है…सोच ले…”

अपनी बीबी को जब चाहे सम्मोहित करके एक कोने में बिठा देना, ये विद्या तो किसी सुपरपावर से कम नहीं लग रही थी उसे
सुमेर ने हां में सिर हिला दिया…
यानी वो उसकी बात मानने के लिए तैयार था

इसलिए घेसू ने पहले उसे अपने मन की इच्छा पूरी करने की छूट दे दी
ताकि बाद में आराम से वो उसकी बातों का मज़ा ले पाए

इसलिए उस नंगी शर्मिला को सुमेर के हवाले छोड़कर घेसू बाहर निकल गया
सुमेर ने तुरंत अपनी धोती और कच्छा निकाल फेंका
उसका हुंकारता हुआ लॅंड हवा में कलाबाज़ियाँ मारता हुआ हीसहिसा रहा था

शर्मिला की सिर्फ़ आँखे हिल रही थी…
होंठ लरज़ा रहे थे
पर वो कुछ बोल नही पा रही थी

हालाँकि उसके मोटे मुम्मे पर चमक रहे निप्पल्स कड़क हो चुके थे जो इस बात का सबूत था की वो पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी है

 

Ashokafun30

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ख़ासकर सुमेर सिंग के मोटे लॅंड को देखकर
क्योंकि उसकी नज़रें रह रहकर उसके लॅंड का आंकलन कर रही थी
वो अपने लॅंड को पकड़कर शर्मिला के करीब आया और उसके चेहरे के करीब आकर उसके लाल सुर्ख होंठो पर उसे लगा दिया और उसे होंठो और चेहरे पर रगड़ने लगा जैसे उसे अपने लॅंड की लिपस्टिक लगा रहा हो



कुछ देर तक वो ऐसा करता रहा जब तक उसका लॅंड स्टील का नही बन गया
और फिर वो उसके करीब बैठा और उसके मुम्मे मसलने लगा
फिर उसे देखते हुए बोला : “भाभी….आप शायद मुझे नही जानती, मैं मोतीलाल का दोस्त हूँ …आप मुझे अपना ही समझिए…”

उसे पता नही था की वो उसकी बात सुन या समझ भी पा रही है या नही
क्योंकि वो तो वशीकरण में थी
इसलिए वो उसके साथ पूरे मज़े लेने के मूड में था

सुमेर : “पता है भाभी….वो आपका पति है ना, मोतीलाल , वो हमेशा मुझे अपने पैसो की अकड़ दिखाता रहता था, मुझे चिढ़ाने के लिए अपने पैसो के बल पर उसने एक बार उस लड़की को भी पटा लिया था जिसे मैं बचपन से चाहता था, और मेरे सामने ही उसने उसे पूरा नंगा करके चोदा था….और आज उसका बदला उतारने का टाइम आ गया है….काश वो कमीना यहाँ होता तो मैं उसे दिखाता की आज मैं उसकी बीबी की चूत मार रहा हूँ ”

इतना कहकर वो झुका और उसके मोटे मुम्मे चूसने लगा
वो कसमसा उठी
उसके हाथ सुमेर के सिर के पीछे आ लगे और उसने उसे अपनी छाती पर दबाकर पीस दिया
पीस क्या दिया उसके चेहरे को अपने मुम्मो पर रगड़ने लगी
जैसे कोई खुजली मिटा लेना चाहती हो
और वो खुजली उसकी वहीं नही रुकी

वो उसे धक्का देकर नीचे की तरफ ले जाने लगी
और अपना पेट और नाभि चटवाने के बाद उसे अपनी चूत के उपर लेजाकर छोड़ दिया
वहां से एक नशीली सी खुश्बू आ रही थी
जिसने उस झोपड़ी नुमा महल को सुगंधित कर रखा था
सुमेर भी उसी नशे में डूब सा गया

उसे इस बात से कोई फ़र्क नही पड़ रहा था की उस चूत को घेसू सुबह से मार रहा है
सैक्स जब इंसान पर चड़ता है तो ये सब भूल जाता है
उसे तो बस अपना मज़ा दिखाई दे रहा था बस
सुमेर उसकी चूत को बुरी तरह से चाटने लगा

वो अपनी जीभ को बाल्टी बनाकर उसकी छूट के कुँवे से पानी निकालने लगा
हर बार वो सडप-2 करके 2 चम्मच पानी बाहर खींच कर ले आता और उस से अपनी प्यास बुझाता



शर्मिला का तो बुरा हाल था
शायद आज से पहले इतनी अच्छी तरह से उसकी चूत को किसी ने नही चाटा था
औरत को चूत चटाई मिल जाए तो वो मर्द की गुलाम बन जाती है
शर्मिला का भी यही हाल था

भले ही वो इस वक़्त वशीकरण में थी पर सुमेर सिंह की कलाकारी देखकर वो उसकी गुलाम बन चुकी थी
उसके साथ तो वो बिना किसी वशीकरण के भी चुदने को तैयार थी अब

बाहर बैठा घेसू शराब की बॉटल को मुँह लगाए उनकी आवाज़ें सुन रहा था और खुश हो रहा था
उसने जो चारा फेंका था उसके बदले उसे भविष्य में सुमेर की दोनो बेटियों की चूत मिलने वाली थी
इसका भरोसा उसे हो चला था

पर अभी तो अंदर आग लगी हुई थी
जिसे सिर्फ़ सुमेर का लॅंड ही शांत कर सकता था
उसने अपने फौलादी लॅंड को मसला और ढेर सारा थूक लगाकर उसे शर्मिला भाभी की चूत पर लगा दिया
वो उसके लॅंड की मोटाई देखकर आने वाले दर्द को महसूस कर पा रही थी
और उसने किया भी

जब सुमेर का पहला झटका लगा और वो लॅंड उसकी चूत में आधे से ज़्यादा घुस गया

“आआआआआयययययययययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईई…….. अहह…………. सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स……”



सच में
ना तो उसके पति का और ना ही घेसू का लॅंड इतना मोटा था
जितना सुमेर का था
इसलिए उसे अंदर लेने में उसकी चूत को काफ़ी मेहनत करनी पड़ी थी

पर जब अगले झटके में वो पूरा अंदर चला गया तो उसे संपूर्णता का वो एहसास हुआ जो आज से पहले कभी नही हुआ था
उसकी चूत ठूस कर भरी जा चुकी थी सुमेर के लॅंड से

कुछ देर तक वो उसके उपर लेटा रहा और फिर धीरे-2 अपने लॅंड को अंदर बाहर करने लगा
अब उसकी धीमी सिसकारिया लॅंड के साथ लयबध होकर उस झोपडे में अपना नशा बिखेर रही थी

"ससससस..... आअह्हह्ह्ह्ह... उम्मम्मम्मम्मम। ......... ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह "

और जब चिकनी चूत में फिसलता हुआ लॅंड आसानी से अंदर बाहर होने लगा तो सुमेर ने अपनी स्पीड बड़ा दी
अब उसके हर झटके से शर्मिला के मोटे मुम्मे उसके चेहरे पर जा लगते
और वो उसका आनंद भी उठा रही थी

सुमेर : “आआआआआआअहह…..वाााआआहह भाभी……आपकी चूत तो बड़ी कमाल की है..... लगता है उस चूतिये ने इतनी गहराई में उतरकर नही देखा है…साला छोटे लॅंड वाला आदमी….अगली बार जब अपना लॅंड डालेगा अंदर तो उसे पता चलेगा की रोड की खुदाई कहाँ तक हो चुकी है….अहह……”

और इसके साथ ही उसने तेज झटके मारकर शर्मिला की रेल बना दी



और करीब 15 मिनट तक चुदाई करने के बाद उसके लॅंड ने जोरदार रूप से अपना लावा उसकी चूत में फेंकना शुरू कर दिया

मज़े की बात ये थी की आख़िर में झड़ते वक़्त सुमेर सिंह की आँखे बंद हो गयी और उसे अपनी जवान बेटियों के नंगे जिस्म अपने सामने दिखाई दे रहे थे
जिन्हे वो बारी-2 से चोद रहा था

"आअह्ह्ह्हह्ह्ह्हह चंदा ...... मेरी बच्ची ......... चन्द्रिका ........ ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह "

वो तो वशीकरण में थी, इसलिए सुमेर को पक्का यकीन था की वो जो कुछ भी बोल रहा है उसे याद नहीं रहेगा या वो सुन ही नहीं पा रही होगी
पर ऐसे विचारों के साथ झड़ने में जो आनंद उसे आया वो शब्दो में बयान नही किया जा सकता
सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है

अंत में उसने अपना देसी घी में भीगा लॅंड उसकी चूत से बाहर निकाला और उसकी बगल में लुढ़क कर गहरी साँसे लेने लगा
और वो बेचारी
जो करीब 3 बार उसके लॅंड से झड़ चुकी थी
अपनी चूत से गर्म लावे को बाहर निकलता हुआ महसूस करके अपनी आँखे बंद करे पड़ी रही




कुछ देर बाद सुमेर अपने कपड़े पहन कर और हुलिया ठीक करके बाहर आ गया

घेसू : “क्यों ..... .आया मज़ा…..?”

सुमेर सिंह मुस्कुरा कर रह गया

घेसू : “ऐसे मज़े मैं तुझे रोज दे सकता हूँ ….और एक तू है की मुझे कुछ भी बताने से डर रहा है…”

घेसू की सुई अभी तक वहीं अटकी हुई थी

सुमेर भी समझ चूका था की उस से कुछ भी छुपाना बेकार है
वो अगर उसकी बात मान लेता है तो उसे ऐसे मौके बार-2 मिलेंगे

और साथ ही वो घेसू से ये नयी वशीकरण विद्या भी सीख सकता है
जिसमें ना तो कोई क्रिया करनी पड़ती है और ना ही कोई मंत्र पढ़ना पड़ता है और आधे घंटे वाली स्थिति भी नही थी इसमें
ये विद्या तो वो ज़रूर सीखना चाहेगा
पर इसके लिए उसे अपनी बेटियों के साथ जो हुआ वो उसे बताना पड़ेगा
और शायद बाद में उन्हे घेसू से चुदवाना भी पड़ेगा

पर वो तो बाद की बात है
अभी के लिए तो वो उसे अपनी आप बीती सुना ही सकता है
और वो उसने सुनाई भी

अगले 1 घंटे तक उसने घेसू के साथ मिलकर उस बॉटल को भी ख़त्म किया और चटखारे ले-लेकर अपनी दोनो बेटियो के साथ जो कुछ भी अभी तक उसने किया था वो सब उसे सुना डाला

कच्ची कलियों के साथ हुई उस चूमा-चटाई को सुनकर घेसू का लॅंड फिर से हुंकारने लगा

घेसू : “सुमेर…मेरे दोस्त….तेरी ये दोनो जबराट लोंड़ियां सच में कमाल की हैं, कसम से वो इस वक़्त यहाँ होती तो तेरे सामने उन्हे अपने वश में करता और यही नंगा करके तेरा और अपना लॅंड चुसवाता …..पर अभी तू घर जा , कल मैं तुझे बताऊंगा की आगे क्या करना है…”

इतना कहकर वो उठा और एक बार फिर से शर्मिला की चूत बजाने पिछली झोपड़ी की तरफ चल दिया
सुमेर भी वहां से निकल आया
क्योंकि अभी के लिए तो उसके लॅंड को खुराक मिल ही चुकी थी
रही बात घेसू की तो वो आज नही तो कल उसे वो सब बता ही देगा

और वैसे भी अभी के लिए उसके पास खुद की सीखी हुई वशीकरण विद्या तो है ही
जिसका इस्तेमाल करके वो आज रात फिर से मज़ा लेने वाला था
 
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Rinkp219

DO NOT use any nude pictures in your Avatar
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Wow... Bhai.... excellent update Bhai....sirf chut nahi gand main Marni chahiye dosto ke sath...
Waiting more valuable updates Bhai
 

malikarman

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ख़ासकर सुमेर सिंग के मोटे लॅंड को देखकर
क्योंकि उसकी नज़रें रह रहकर उसके लॅंड का आंकलन कर रही थी
वो अपने लॅंड को पकड़कर शर्मिला के करीब आया और उसके चेहरे के करीब आकर उसके लाल सुर्ख होंठो पर उसे लगा दिया और उसे होंठो और चेहरे पर रगड़ने लगा जैसे उसे अपने लॅंड की लिपस्टिक लगा रहा हो



कुछ देर तक वो ऐसा करता रहा जब तक उसका लॅंड स्टील का नही बन गया
और फिर वो उसके करीब बैठा और उसके मुम्मे मसलने लगा
फिर उसे देखते हुए बोला : “भाभी….आप शायद मुझे नही जानती, मैं मोतीलाल का दोस्त हूँ …आप मुझे अपना ही समझिए…”

उसे पता नही था की वो उसकी बात सुन या समझ भी पा रही है या नही
क्योंकि वो तो वशीकरण में थी
इसलिए वो उसके साथ पूरे मज़े लेने के मूड में था

सुमेर : “पता है भाभी….वो आपका पति है ना, मोतीलाल , वो हमेशा मुझे अपने पैसो की अकड़ दिखाता रहता था, मुझे चिढ़ाने के लिए अपने पैसो के बल पर उसने एक बार उस लड़की को भी पटा लिया था जिसे मैं बचपन से चाहता था, और मेरे सामने ही उसने उसे पूरा नंगा करके चोदा था….और आज उसका बदला उतारने का टाइम आ गया है….काश वो कमीना यहाँ होता तो मैं उसे दिखाता की आज मैं उसकी बीबी की चूत मार रहा हूँ ”

इतना कहकर वो झुका और उसके मोटे मुम्मे चूसने लगा
वो कसमसा उठी
उसके हाथ सुमेर के सिर के पीछे आ लगे और उसने उसे अपनी छाती पर दबाकर पीस दिया
पीस क्या दिया उसके चेहरे को अपने मुम्मो पर रगड़ने लगी
जैसे कोई खुजली मिटा लेना चाहती हो
और वो खुजली उसकी वहीं नही रुकी

वो उसे धक्का देकर नीचे की तरफ ले जाने लगी
और अपना पेट और नाभि चटवाने के बाद उसे अपनी चूत के उपर लेजाकर छोड़ दिया
वहां से एक नशीली सी खुश्बू आ रही थी
जिसने उस झोपड़ी नुमा महल को सुगंधित कर रखा था
सुमेर भी उसी नशे में डूब सा गया

उसे इस बात से कोई फ़र्क नही पड़ रहा था की उस चूत को घेसू सुबह से मार रहा है
सैक्स जब इंसान पर चड़ता है तो ये सब भूल जाता है
उसे तो बस अपना मज़ा दिखाई दे रहा था बस
सुमेर उसकी चूत को बुरी तरह से चाटने लगा

वो अपनी जीभ को बाल्टी बनाकर उसकी छूट के कुँवे से पानी निकालने लगा
हर बार वो सडप-2 करके 2 चम्मच पानी बाहर खींच कर ले आता और उस से अपनी प्यास बुझाता



शर्मिला का तो बुरा हाल था
शायद आज से पहले इतनी अच्छी तरह से उसकी चूत को किसी ने नही चाटा था
औरत को चूत चटाई मिल जाए तो वो मर्द की गुलाम बन जाती है
शर्मिला का भी यही हाल था

भले ही वो इस वक़्त वशीकरण में थी पर सुमेर सिंह की कलाकारी देखकर वो उसकी गुलाम बन चुकी थी
उसके साथ तो वो बिना किसी वशीकरण के भी चुदने को तैयार थी अब

बाहर बैठा घेसू शराब की बॉटल को मुँह लगाए उनकी आवाज़ें सुन रहा था और खुश हो रहा था
उसने जो चारा फेंका था उसके बदले उसे भविष्य में सुमेर की दोनो बेटियों की चूत मिलने वाली थी
इसका भरोसा उसे हो चला था

पर अभी तो अंदर आग लगी हुई थी
जिसे सिर्फ़ सुमेर का लॅंड ही शांत कर सकता था
उसने अपने फौलादी लॅंड को मसला और ढेर सारा थूक लगाकर उसे शर्मिला भाभी की चूत पर लगा दिया
वो उसके लॅंड की मोटाई देखकर आने वाले दर्द को महसूस कर पा रही थी
और उसने किया भी

जब सुमेर का पहला झटका लगा और वो लॅंड उसकी चूत में आधे से ज़्यादा घुस गया

“आआआआआयययययययययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईई…….. अहह…………. सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स……”



सच में
ना तो उसके पति का और ना ही घेसू का लॅंड इतना मोटा था
जितना सुमेर का था
इसलिए उसे अंदर लेने में उसकी चूत को काफ़ी मेहनत करनी पड़ी थी

पर जब अगले झटके में वो पूरा अंदर चला गया तो उसे संपूर्णता का वो एहसास हुआ जो आज से पहले कभी नही हुआ था
उसकी चूत ठूस कर भरी जा चुकी थी सुमेर के लॅंड से

कुछ देर तक वो उसके उपर लेटा रहा और फिर धीरे-2 अपने लॅंड को अंदर बाहर करने लगा
अब उसकी धीमी सिसकारिया लॅंड के साथ लयबध होकर उस झोपडे में अपना नशा बिखेर रही थी

"ससससस..... आअह्हह्ह्ह्ह... उम्मम्मम्मम्मम। ......... ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह "

और जब चिकनी चूत में फिसलता हुआ लॅंड आसानी से अंदर बाहर होने लगा तो सुमेर ने अपनी स्पीड बड़ा दी
अब उसके हर झटके से शर्मिला के मोटे मुम्मे उसके चेहरे पर जा लगते
और वो उसका आनंद भी उठा रही थी

सुमेर : “आआआआआआअहह…..वाााआआहह भाभी……आपकी चूत तो बड़ी कमाल की है..... लगता है उस चूतिये ने इतनी गहराई में उतरकर नही देखा है…साला छोटे लॅंड वाला आदमी….अगली बार जब अपना लॅंड डालेगा अंदर तो उसे पता चलेगा की रोड की खुदाई कहाँ तक हो चुकी है….अहह……”

और इसके साथ ही उसने तेज झटके मारकर शर्मिला की रेल बना दी



और करीब 15 मिनट तक चुदाई करने के बाद उसके लॅंड ने जोरदार रूप से अपना लावा उसकी चूत में फेंकना शुरू कर दिया

मज़े की बात ये थी की आख़िर में झड़ते वक़्त सुमेर सिंह की आँखे बंद हो गयी और उसे अपनी जवान बेटियों के नंगे जिस्म अपने सामने दिखाई दे रहे थे
जिन्हे वो बारी-2 से चोद रहा था

"आअह्ह्ह्हह्ह्ह्हह चंदा ...... मेरी बच्ची ......... चन्द्रिका ........ ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह "

वो तो वशीकरण में थी, इसलिए सुमेर को पक्का यकीन था की वो जो कुछ भी बोल रहा है उसे याद नहीं रहेगा या वो सुन ही नहीं पा रही होगी
पर ऐसे विचारों के साथ झड़ने में जो आनंद उसे आया वो शब्दो में बयान नही किया जा सकता
सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है

अंत में उसने अपना देसी घी में भीगा लॅंड उसकी चूत से बाहर निकाला और उसकी बगल में लुढ़क कर गहरी साँसे लेने लगा
और वो बेचारी
जो करीब 3 बार उसके लॅंड से झड़ चुकी थी
अपनी चूत से गर्म लावे को बाहर निकलता हुआ महसूस करके अपनी आँखे बंद करे पड़ी रही




कुछ देर बाद सुमेर अपने कपड़े पहन कर और हुलिया ठीक करके बाहर आ गया

घेसू : “क्यों ..... .आया मज़ा…..?”

सुमेर सिंह मुस्कुरा कर रह गया

घेसू : “ऐसे मज़े मैं तुझे रोज दे सकता हूँ ….और एक तू है की मुझे कुछ भी बताने से डर रहा है…”

घेसू की सुई अभी तक वहीं अटकी हुई थी

सुमेर भी समझ चूका था की उस से कुछ भी छुपाना बेकार है
वो अगर उसकी बात मान लेता है तो उसे ऐसे मौके बार-2 मिलेंगे

और साथ ही वो घेसू से ये नयी वशीकरण विद्या भी सीख सकता है
जिसमें ना तो कोई क्रिया करनी पड़ती है और ना ही कोई मंत्र पढ़ना पड़ता है और आधे घंटे वाली स्थिति भी नही थी इसमें
ये विद्या तो वो ज़रूर सीखना चाहेगा
पर इसके लिए उसे अपनी बेटियों के साथ जो हुआ वो उसे बताना पड़ेगा
और शायद बाद में उन्हे घेसू से चुदवाना भी पड़ेगा

पर वो तो बाद की बात है
अभी के लिए तो वो उसे अपनी आप बीती सुना ही सकता है
और वो उसने सुनाई भी

अगले 1 घंटे तक उसने घेसू के साथ मिलकर उस बॉटल को भी ख़त्म किया और चटखारे ले-लेकर अपनी दोनो बेटियो के साथ जो कुछ भी अभी तक उसने किया था वो सब उसे सुना डाला

कच्ची कलियों के साथ हुई उस चूमा-चटाई को सुनकर घेसू का लॅंड फिर से हुंकारने लगा

घेसू : “सुमेर…मेरे दोस्त….तेरी ये दोनो जबराट लोंड़ियां सच में कमाल की हैं, कसम से वो इस वक़्त यहाँ होती तो तेरे सामने उन्हे अपने वश में करता और यही नंगा करके तेरा और अपना लॅंड चुसवाता …..पर अभी तू घर जा , कल मैं तुझे बताऊंगा की आगे क्या करना है…”

इतना कहकर वो उठा और एक बार फिर से शर्मिला की चूत बजाने पिछली झोपड़ी की तरफ चल दिया
सुमेर भी वहां से निकल आया
क्योंकि अभी के लिए तो उसके लॅंड को खुराक मिल ही चुकी थी
रही बात घेसू की तो वो आज नही तो कल उसे वो सब बता ही देगा

और वैसे भी अभी के लिए उसके पास खुद की सीखी हुई वशीकरण विद्या तो है ही
जिसका इस्तेमाल करके वो आज रात फिर से मज़ा लेने वाला था
Lovely update
Par agla update mazedar hoga shayad
 
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ये कहानी है एक ऐसी लड़की की जो अपनी उम्र की हर दूसरी लड़कियों की तरह जवानी में कदम रखते ही सपनो की रंगीन दुनिया में खो जाती है
इस लड़की का नाम है चंदा



और अपने नाम की तरह ही एकदम चाँद जैसा चेहरा है इसका
चेहरा ही नही बल्कि इसका पूरा शरीर ही साँचे मे ढला हुआ है
32 के साइज़ के बूब्स और 34 के भरे हुए हिप्स उसकी सुंदरता बयान करते थे
मेरठ में रहने वाला चंदा का परिवार ज़्यादा बड़ा भी नही था
एक बड़ा भाई सूरज जो अपने पिता सुमेर सिंह के साथ खेतीबाड़ी में उनका साथ देता था
चंदा की बड़ी बहन चन्द्रिका जो पास के एक स्कूल में टीचर थी
और उसकी प्यारी माँ रागिनी जो घर की देखभाल और अपने परिवार का पूरा ध्यान रखती थी
कुल मिलाकर इन पाँच लोगो का परिवार काफ़ी मिलनसार भाव से रहता था

पर एक रात के वाक्ये ने चंदा की जिंदगी और उसका दुनिया देखने का नज़रिया बदल कर रख दिया
चंदा हमेशा की तरह अपने कॉलेज की पड़ाई करके सोई तो आधी रात को अचानक पेशाब के प्रेशर ने उसकी नींद खोल दी
टाइम देखा तो रात के 4 बज रहे थे

वो उठी और अपने कमरे से निकल कर बाहर आँगन में बने बाथरूम तक गयी और बिना दरवाजा लगाए टॉयलेट सीट के पर मोरनी बनकर बैठ गयी और गाड़े सुनहरी रंग के झरने को बाहर फेंकने लगी

अभी वो आधा ही कर पाई थी की अचानक अंदर से कोई आया और बाहर बने नलके से पानी निकालने लगा
उसके बाथरूम की लाइट बंद थी और वो अंदर बिना दरवाजा बंद किए बैठी थी
उसकी तो हलक सूख गयी
पर गनीमत थी की अंधेरे की वजह से उसे बाहर से कोई देख नही सकता था
वो अपने आप को कोस रही थी की दरवाजा क्यों बंद नही किया
वो या तो उसके पापा थे या उसका भाई
क्योंकि डील डोल मर्दो वाला ही था

कुछ देर तक तो वो बैठी रही पर फिर उसका बैठना मुश्किल हो रहा था सो वो चुपचाप उठी और अपनी सलवार को बाँध कर दरवाजे तक आई
बाहर देखा तो उसके पापा ही थे, जो नलके के किनारे एक छोटी सी चटाई पर बैठ कर एक छोटे से पीतल के थाल में पानी भरकर कुछ कर रहे थे
उसने देखने की कोशिश की पर उसे समझ नही आया की वो क्या कर रहे है
इतनी सुबह उन्हे भला ऐसा क्या काम
वो बर्तन धो रहे है क्या
पर वो भला ऐसा क्यों करेंगे

उसने गोर से देखा तो वो हाथ जोड़कर कोई मंत्र बुदबुदा रहे थे
अब उसके मन में कुछ शंका सी हुई
उसने देखा की थाल में ऐसा क्या है

तो उसने देखा की 2 छोटी प्लास्टिक की गुड़िया थी उसमें
जो छोटे बच्चे हाथ में लेकर गली-2 घूमते है



वो भला उसका क्या कर रहे है
कुछ देर तक वो वैसे ही मंत्र बुदबुदाते रहे और फिर अचानक वो उठे और अपना कुर्ता उतार कर साइड में रख दिया और फिर अपनी धोती भी उतार दी
मैं कुछ समझ पाती इस से पहले ही मेरे पिताजी मेरे सामने पूर्ण रूप से नग्न खड़े थे
मेरी तो साँसे उपर की उपर और नीचे की नीचे रह गयी
ये मेरी लाइफ का पहला मौका था जब मैं किसी मर्द को नंगा देख रही थी
और वो भी अपने खुद के पिता को

स्कूल कॉलेज में मेरी सहेलियां ऐसी बातें करती रहती थी
एक दो बार मस्तराम की कहानियां भी पढ़ी थी और कुछ अश्लील चित्र भी देखे थे
पर ऐसे शादी से पहले मुझे किसी मर्द को नंगा देखने का मौका मिलेगा
ये मैं नही जानती थी

पर इसके बावजूद की वो मेरे पिता है
मैने उन्हे देखना बंद नही किया
बल्कि आँखे फाड़े उन्हे घूर-2 कर देख रही थी

उनकी चौड़ी छाती और कसा हुआ शरीर जो उन्होने खेती बाड़ी करके बनाया था इस बात का प्रमाण था की उम्र का उनपर कोई असर नही पड़ रहा है



और उनका लिंग
उफ़फ्फ़
वो उनकी टॅंगो के बीच ऐसे झूल रहा था जैसे मैने एक बार अपने बैल हीरा का देखा था
करीब 5 इंच का था उनका मोटा सा लिंग जो टॅंगो के बीच झूल रहा था
जब अकड़ कर खड़ा होगा तो कितना बड़ा हो जाएगा ये
यही सोचकर मुझे कुछ-2 होने लगा

पर फिर मैने उस विचार को झटक दिया
छीssss ये भला क्या सोचने लगी मैं अपने ही पिताजी के बारे में
मैं कुछ बोल भी नही सकती थी
बाहर भी नही निकल सकती थी

फिर उन्होने उन दोनो गुड़िया को अपने हाथ में उठाया
तब मैने नोट किया की वो दोनो आपस में बँधी हुई है एक धागे से जो करीब २-3 फ़ीट का था
फिर उन्होने उन धागे से बँधी हुई गुडियों को गमछे की तरह अपने गले में लटका लिया
अब वो दोनों गुड़िया उनके लिंग से टकरा रही थी

फिर उन्होंने उस पीतल के बड़े से थाल को उठाया और उसका पानी अपने सिर पर डाल लिया
सुबह की ठंडक में इतने ठंडे पानी से नहाकर उनके शरीर में झुरजुरी सी दौड़ गयी
झुरजुरी तो मेरे शरीर में भी दौड़ी
क्योंकि उनका लिंग जो इतनी देर से शिथिल अवस्था में लटका पड़ा था, ठंडे पानी की वजह से उसमें तनाव आने लगा था
फिर उनका हाथ अपने तने हुए लिंग पर आया और वो उसे मसलने लगे



मुझे अंदाज़ा तो नही था की वो ऐसा क्यों कर रहे है पर ये पता था की इसका मतलब क्या है
उन्हे ऐसा करता देखकर ना जाने क्यो मेरी जाँघो के बीच भी कुछ-2 होने लगा
मैं 21 साल की थी
पर आज तक मैने ऐसा कुछ भी नही किया था जिसकी वजह से मेरे शरीर में ऐसा कुछ भी एहसास हो
पर आज पहली बार ऐसा एहसास हो रहा था मुझे
पर मैं उस एहसास का पूरा मज़ा भी नही ले पा रही थी
कारण था की ये एहसास मुझे अपने खुद के पिता को देखकर हो रहा था

मैं दम साधे उनका ये क्रियाकलाप देख रही थी
और मेरे देखते ही देखते उनका लिंग अपने पूरे आकार में आ गया
वो अब करीब 7-8 इंच का बन चुका था
और मोटा इतना जैसे कोई खीरा

फिर उन्होने अपने लिंग पर घिसाई की तेज़ी को और बड़ा दिया और करीब 1 मिनट में ही उनके लिंग से सफेद रंग का गाड़ा पानी निकलने लगा
मुझे तो लगा था की मर्द के लिंग से सिर्फ पेशाब ही निकलता है
ये क्या बला है ?

कहीं ये वो वीर्य तो नही जो बायोलॉजी की क्लास में बताया था मेडम ने
पर वो तो सैक्स करने से निकलता है
और वो भी औरत की योनि में

पर पिताजी उसे ऐसे ही क्यो निकाल रहे है
मेरा भोला भाला दिमाग़ उन सब बातो से अंजान अपनी ही उधेड़बुन में लगा हुआ था
और तब मैने कुछ अजीब सा होते देखा
पिताजी ने अपने गले में लटक रही गुड़िया के जोड़े को अपने लिंग से निकल रहे गाड़े पानी से नहला दिया
दोनो गुड़िया उनके लिंग से निकले गाड़े और सफेद पानी से रंग कर सराबोर हो गयी
देखने में मुझे बड़ा अजीब सा लगा की आख़िर ये पिताजी करना क्या चाहते है
पहले तो मुझे लगा था की ये कोई पूजा करने के लिए उठे है शायद सुबह
पर ऐसी पूजा भला कौन करता है
ये मेरी समझ से परे था
कुछ देर बाद वो अपने कपड़े पहन कर अंदर चले गये
मैने भी चैन की साँस ली क्योंकि मैं भी करीब 30 मिनट से अंदर क़ैद थी
पिताजी मुझे देख लेते तो मैं उनका सामना भला कैसे कर पाती
मैं चुपचाप अपने बेड पर आकर सो गयी
मेरी दीदी गहरी नींद में मेरे करीब ही सो रही थी
मैं कुछ देर तक अपने पिताजी के बारे मे सोचती रही और फिर कब मुझे नींद आ गयी, मुझे भी पता नही चला

पर आने वाले समय में इस घटना का मेरी जिंदगी में क्या असर पड़ना था वो अगर मैं जान लेती तो कभी वहां रुककर वो सब देखने की जुर्रत ना करती
बहुत ही मस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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