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Incest वशीकरण

Motaland2468

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ख़ासकर सुमेर सिंग के मोटे लॅंड को देखकर
क्योंकि उसकी नज़रें रह रहकर उसके लॅंड का आंकलन कर रही थी
वो अपने लॅंड को पकड़कर शर्मिला के करीब आया और उसके चेहरे के करीब आकर उसके लाल सुर्ख होंठो पर उसे लगा दिया और उसे होंठो और चेहरे पर रगड़ने लगा जैसे उसे अपने लॅंड की लिपस्टिक लगा रहा हो



कुछ देर तक वो ऐसा करता रहा जब तक उसका लॅंड स्टील का नही बन गया
और फिर वो उसके करीब बैठा और उसके मुम्मे मसलने लगा
फिर उसे देखते हुए बोला : “भाभी….आप शायद मुझे नही जानती, मैं मोतीलाल का दोस्त हूँ …आप मुझे अपना ही समझिए…”

उसे पता नही था की वो उसकी बात सुन या समझ भी पा रही है या नही
क्योंकि वो तो वशीकरण में थी
इसलिए वो उसके साथ पूरे मज़े लेने के मूड में था

सुमेर : “पता है भाभी….वो आपका पति है ना, मोतीलाल , वो हमेशा मुझे अपने पैसो की अकड़ दिखाता रहता था, मुझे चिढ़ाने के लिए अपने पैसो के बल पर उसने एक बार उस लड़की को भी पटा लिया था जिसे मैं बचपन से चाहता था, और मेरे सामने ही उसने उसे पूरा नंगा करके चोदा था….और आज उसका बदला उतारने का टाइम आ गया है….काश वो कमीना यहाँ होता तो मैं उसे दिखाता की आज मैं उसकी बीबी की चूत मार रहा हूँ ”

इतना कहकर वो झुका और उसके मोटे मुम्मे चूसने लगा
वो कसमसा उठी
उसके हाथ सुमेर के सिर के पीछे आ लगे और उसने उसे अपनी छाती पर दबाकर पीस दिया
पीस क्या दिया उसके चेहरे को अपने मुम्मो पर रगड़ने लगी
जैसे कोई खुजली मिटा लेना चाहती हो
और वो खुजली उसकी वहीं नही रुकी

वो उसे धक्का देकर नीचे की तरफ ले जाने लगी
और अपना पेट और नाभि चटवाने के बाद उसे अपनी चूत के उपर लेजाकर छोड़ दिया
वहां से एक नशीली सी खुश्बू आ रही थी
जिसने उस झोपड़ी नुमा महल को सुगंधित कर रखा था
सुमेर भी उसी नशे में डूब सा गया

उसे इस बात से कोई फ़र्क नही पड़ रहा था की उस चूत को घेसू सुबह से मार रहा है
सैक्स जब इंसान पर चड़ता है तो ये सब भूल जाता है
उसे तो बस अपना मज़ा दिखाई दे रहा था बस
सुमेर उसकी चूत को बुरी तरह से चाटने लगा

वो अपनी जीभ को बाल्टी बनाकर उसकी छूट के कुँवे से पानी निकालने लगा
हर बार वो सडप-2 करके 2 चम्मच पानी बाहर खींच कर ले आता और उस से अपनी प्यास बुझाता



शर्मिला का तो बुरा हाल था
शायद आज से पहले इतनी अच्छी तरह से उसकी चूत को किसी ने नही चाटा था
औरत को चूत चटाई मिल जाए तो वो मर्द की गुलाम बन जाती है
शर्मिला का भी यही हाल था

भले ही वो इस वक़्त वशीकरण में थी पर सुमेर सिंह की कलाकारी देखकर वो उसकी गुलाम बन चुकी थी
उसके साथ तो वो बिना किसी वशीकरण के भी चुदने को तैयार थी अब

बाहर बैठा घेसू शराब की बॉटल को मुँह लगाए उनकी आवाज़ें सुन रहा था और खुश हो रहा था
उसने जो चारा फेंका था उसके बदले उसे भविष्य में सुमेर की दोनो बेटियों की चूत मिलने वाली थी
इसका भरोसा उसे हो चला था

पर अभी तो अंदर आग लगी हुई थी
जिसे सिर्फ़ सुमेर का लॅंड ही शांत कर सकता था
उसने अपने फौलादी लॅंड को मसला और ढेर सारा थूक लगाकर उसे शर्मिला भाभी की चूत पर लगा दिया
वो उसके लॅंड की मोटाई देखकर आने वाले दर्द को महसूस कर पा रही थी
और उसने किया भी

जब सुमेर का पहला झटका लगा और वो लॅंड उसकी चूत में आधे से ज़्यादा घुस गया

“आआआआआयययययययययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईई…….. अहह…………. सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स……”



सच में
ना तो उसके पति का और ना ही घेसू का लॅंड इतना मोटा था
जितना सुमेर का था
इसलिए उसे अंदर लेने में उसकी चूत को काफ़ी मेहनत करनी पड़ी थी

पर जब अगले झटके में वो पूरा अंदर चला गया तो उसे संपूर्णता का वो एहसास हुआ जो आज से पहले कभी नही हुआ था
उसकी चूत ठूस कर भरी जा चुकी थी सुमेर के लॅंड से

कुछ देर तक वो उसके उपर लेटा रहा और फिर धीरे-2 अपने लॅंड को अंदर बाहर करने लगा
अब उसकी धीमी सिसकारिया लॅंड के साथ लयबध होकर उस झोपडे में अपना नशा बिखेर रही थी

"ससससस..... आअह्हह्ह्ह्ह... उम्मम्मम्मम्मम। ......... ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह "

और जब चिकनी चूत में फिसलता हुआ लॅंड आसानी से अंदर बाहर होने लगा तो सुमेर ने अपनी स्पीड बड़ा दी
अब उसके हर झटके से शर्मिला के मोटे मुम्मे उसके चेहरे पर जा लगते
और वो उसका आनंद भी उठा रही थी

सुमेर : “आआआआआआअहह…..वाााआआहह भाभी……आपकी चूत तो बड़ी कमाल की है..... लगता है उस चूतिये ने इतनी गहराई में उतरकर नही देखा है…साला छोटे लॅंड वाला आदमी….अगली बार जब अपना लॅंड डालेगा अंदर तो उसे पता चलेगा की रोड की खुदाई कहाँ तक हो चुकी है….अहह……”

और इसके साथ ही उसने तेज झटके मारकर शर्मिला की रेल बना दी



और करीब 15 मिनट तक चुदाई करने के बाद उसके लॅंड ने जोरदार रूप से अपना लावा उसकी चूत में फेंकना शुरू कर दिया

मज़े की बात ये थी की आख़िर में झड़ते वक़्त सुमेर सिंह की आँखे बंद हो गयी और उसे अपनी जवान बेटियों के नंगे जिस्म अपने सामने दिखाई दे रहे थे
जिन्हे वो बारी-2 से चोद रहा था

"आअह्ह्ह्हह्ह्ह्हह चंदा ...... मेरी बच्ची ......... चन्द्रिका ........ ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह "

वो तो वशीकरण में थी, इसलिए सुमेर को पक्का यकीन था की वो जो कुछ भी बोल रहा है उसे याद नहीं रहेगा या वो सुन ही नहीं पा रही होगी
पर ऐसे विचारों के साथ झड़ने में जो आनंद उसे आया वो शब्दो में बयान नही किया जा सकता
सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है

अंत में उसने अपना देसी घी में भीगा लॅंड उसकी चूत से बाहर निकाला और उसकी बगल में लुढ़क कर गहरी साँसे लेने लगा
और वो बेचारी
जो करीब 3 बार उसके लॅंड से झड़ चुकी थी
अपनी चूत से गर्म लावे को बाहर निकलता हुआ महसूस करके अपनी आँखे बंद करे पड़ी रही




कुछ देर बाद सुमेर अपने कपड़े पहन कर और हुलिया ठीक करके बाहर आ गया

घेसू : “क्यों ..... .आया मज़ा…..?”

सुमेर सिंह मुस्कुरा कर रह गया

घेसू : “ऐसे मज़े मैं तुझे रोज दे सकता हूँ ….और एक तू है की मुझे कुछ भी बताने से डर रहा है…”

घेसू की सुई अभी तक वहीं अटकी हुई थी

सुमेर भी समझ चूका था की उस से कुछ भी छुपाना बेकार है
वो अगर उसकी बात मान लेता है तो उसे ऐसे मौके बार-2 मिलेंगे

और साथ ही वो घेसू से ये नयी वशीकरण विद्या भी सीख सकता है
जिसमें ना तो कोई क्रिया करनी पड़ती है और ना ही कोई मंत्र पढ़ना पड़ता है और आधे घंटे वाली स्थिति भी नही थी इसमें
ये विद्या तो वो ज़रूर सीखना चाहेगा
पर इसके लिए उसे अपनी बेटियों के साथ जो हुआ वो उसे बताना पड़ेगा
और शायद बाद में उन्हे घेसू से चुदवाना भी पड़ेगा

पर वो तो बाद की बात है
अभी के लिए तो वो उसे अपनी आप बीती सुना ही सकता है
और वो उसने सुनाई भी

अगले 1 घंटे तक उसने घेसू के साथ मिलकर उस बॉटल को भी ख़त्म किया और चटखारे ले-लेकर अपनी दोनो बेटियो के साथ जो कुछ भी अभी तक उसने किया था वो सब उसे सुना डाला

कच्ची कलियों के साथ हुई उस चूमा-चटाई को सुनकर घेसू का लॅंड फिर से हुंकारने लगा

घेसू : “सुमेर…मेरे दोस्त….तेरी ये दोनो जबराट लोंड़ियां सच में कमाल की हैं, कसम से वो इस वक़्त यहाँ होती तो तेरे सामने उन्हे अपने वश में करता और यही नंगा करके तेरा और अपना लॅंड चुसवाता …..पर अभी तू घर जा , कल मैं तुझे बताऊंगा की आगे क्या करना है…”

इतना कहकर वो उठा और एक बार फिर से शर्मिला की चूत बजाने पिछली झोपड़ी की तरफ चल दिया
सुमेर भी वहां से निकल आया
क्योंकि अभी के लिए तो उसके लॅंड को खुराक मिल ही चुकी थी
रही बात घेसू की तो वो आज नही तो कल उसे वो सब बता ही देगा

और वैसे भी अभी के लिए उसके पास खुद की सीखी हुई वशीकरण विद्या तो है ही
जिसका इस्तेमाल करके वो आज रात फिर से मज़ा लेने वाला था
Shaandar jaandaar update Ashok bhai.maza a gaya
 
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Ajju Landwalia

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ख़ासकर सुमेर सिंग के मोटे लॅंड को देखकर
क्योंकि उसकी नज़रें रह रहकर उसके लॅंड का आंकलन कर रही थी
वो अपने लॅंड को पकड़कर शर्मिला के करीब आया और उसके चेहरे के करीब आकर उसके लाल सुर्ख होंठो पर उसे लगा दिया और उसे होंठो और चेहरे पर रगड़ने लगा जैसे उसे अपने लॅंड की लिपस्टिक लगा रहा हो



कुछ देर तक वो ऐसा करता रहा जब तक उसका लॅंड स्टील का नही बन गया
और फिर वो उसके करीब बैठा और उसके मुम्मे मसलने लगा
फिर उसे देखते हुए बोला : “भाभी….आप शायद मुझे नही जानती, मैं मोतीलाल का दोस्त हूँ …आप मुझे अपना ही समझिए…”

उसे पता नही था की वो उसकी बात सुन या समझ भी पा रही है या नही
क्योंकि वो तो वशीकरण में थी
इसलिए वो उसके साथ पूरे मज़े लेने के मूड में था

सुमेर : “पता है भाभी….वो आपका पति है ना, मोतीलाल , वो हमेशा मुझे अपने पैसो की अकड़ दिखाता रहता था, मुझे चिढ़ाने के लिए अपने पैसो के बल पर उसने एक बार उस लड़की को भी पटा लिया था जिसे मैं बचपन से चाहता था, और मेरे सामने ही उसने उसे पूरा नंगा करके चोदा था….और आज उसका बदला उतारने का टाइम आ गया है….काश वो कमीना यहाँ होता तो मैं उसे दिखाता की आज मैं उसकी बीबी की चूत मार रहा हूँ ”

इतना कहकर वो झुका और उसके मोटे मुम्मे चूसने लगा
वो कसमसा उठी
उसके हाथ सुमेर के सिर के पीछे आ लगे और उसने उसे अपनी छाती पर दबाकर पीस दिया
पीस क्या दिया उसके चेहरे को अपने मुम्मो पर रगड़ने लगी
जैसे कोई खुजली मिटा लेना चाहती हो
और वो खुजली उसकी वहीं नही रुकी

वो उसे धक्का देकर नीचे की तरफ ले जाने लगी
और अपना पेट और नाभि चटवाने के बाद उसे अपनी चूत के उपर लेजाकर छोड़ दिया
वहां से एक नशीली सी खुश्बू आ रही थी
जिसने उस झोपड़ी नुमा महल को सुगंधित कर रखा था
सुमेर भी उसी नशे में डूब सा गया

उसे इस बात से कोई फ़र्क नही पड़ रहा था की उस चूत को घेसू सुबह से मार रहा है
सैक्स जब इंसान पर चड़ता है तो ये सब भूल जाता है
उसे तो बस अपना मज़ा दिखाई दे रहा था बस
सुमेर उसकी चूत को बुरी तरह से चाटने लगा

वो अपनी जीभ को बाल्टी बनाकर उसकी छूट के कुँवे से पानी निकालने लगा
हर बार वो सडप-2 करके 2 चम्मच पानी बाहर खींच कर ले आता और उस से अपनी प्यास बुझाता



शर्मिला का तो बुरा हाल था
शायद आज से पहले इतनी अच्छी तरह से उसकी चूत को किसी ने नही चाटा था
औरत को चूत चटाई मिल जाए तो वो मर्द की गुलाम बन जाती है
शर्मिला का भी यही हाल था

भले ही वो इस वक़्त वशीकरण में थी पर सुमेर सिंह की कलाकारी देखकर वो उसकी गुलाम बन चुकी थी
उसके साथ तो वो बिना किसी वशीकरण के भी चुदने को तैयार थी अब

बाहर बैठा घेसू शराब की बॉटल को मुँह लगाए उनकी आवाज़ें सुन रहा था और खुश हो रहा था
उसने जो चारा फेंका था उसके बदले उसे भविष्य में सुमेर की दोनो बेटियों की चूत मिलने वाली थी
इसका भरोसा उसे हो चला था

पर अभी तो अंदर आग लगी हुई थी
जिसे सिर्फ़ सुमेर का लॅंड ही शांत कर सकता था
उसने अपने फौलादी लॅंड को मसला और ढेर सारा थूक लगाकर उसे शर्मिला भाभी की चूत पर लगा दिया
वो उसके लॅंड की मोटाई देखकर आने वाले दर्द को महसूस कर पा रही थी
और उसने किया भी

जब सुमेर का पहला झटका लगा और वो लॅंड उसकी चूत में आधे से ज़्यादा घुस गया

“आआआआआयययययययययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईई…….. अहह…………. सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स……”



सच में
ना तो उसके पति का और ना ही घेसू का लॅंड इतना मोटा था
जितना सुमेर का था
इसलिए उसे अंदर लेने में उसकी चूत को काफ़ी मेहनत करनी पड़ी थी

पर जब अगले झटके में वो पूरा अंदर चला गया तो उसे संपूर्णता का वो एहसास हुआ जो आज से पहले कभी नही हुआ था
उसकी चूत ठूस कर भरी जा चुकी थी सुमेर के लॅंड से

कुछ देर तक वो उसके उपर लेटा रहा और फिर धीरे-2 अपने लॅंड को अंदर बाहर करने लगा
अब उसकी धीमी सिसकारिया लॅंड के साथ लयबध होकर उस झोपडे में अपना नशा बिखेर रही थी

"ससससस..... आअह्हह्ह्ह्ह... उम्मम्मम्मम्मम। ......... ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह "

और जब चिकनी चूत में फिसलता हुआ लॅंड आसानी से अंदर बाहर होने लगा तो सुमेर ने अपनी स्पीड बड़ा दी
अब उसके हर झटके से शर्मिला के मोटे मुम्मे उसके चेहरे पर जा लगते
और वो उसका आनंद भी उठा रही थी

सुमेर : “आआआआआआअहह…..वाााआआहह भाभी……आपकी चूत तो बड़ी कमाल की है..... लगता है उस चूतिये ने इतनी गहराई में उतरकर नही देखा है…साला छोटे लॅंड वाला आदमी….अगली बार जब अपना लॅंड डालेगा अंदर तो उसे पता चलेगा की रोड की खुदाई कहाँ तक हो चुकी है….अहह……”

और इसके साथ ही उसने तेज झटके मारकर शर्मिला की रेल बना दी



और करीब 15 मिनट तक चुदाई करने के बाद उसके लॅंड ने जोरदार रूप से अपना लावा उसकी चूत में फेंकना शुरू कर दिया

मज़े की बात ये थी की आख़िर में झड़ते वक़्त सुमेर सिंह की आँखे बंद हो गयी और उसे अपनी जवान बेटियों के नंगे जिस्म अपने सामने दिखाई दे रहे थे
जिन्हे वो बारी-2 से चोद रहा था

"आअह्ह्ह्हह्ह्ह्हह चंदा ...... मेरी बच्ची ......... चन्द्रिका ........ ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह "

वो तो वशीकरण में थी, इसलिए सुमेर को पक्का यकीन था की वो जो कुछ भी बोल रहा है उसे याद नहीं रहेगा या वो सुन ही नहीं पा रही होगी
पर ऐसे विचारों के साथ झड़ने में जो आनंद उसे आया वो शब्दो में बयान नही किया जा सकता
सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है

अंत में उसने अपना देसी घी में भीगा लॅंड उसकी चूत से बाहर निकाला और उसकी बगल में लुढ़क कर गहरी साँसे लेने लगा
और वो बेचारी
जो करीब 3 बार उसके लॅंड से झड़ चुकी थी
अपनी चूत से गर्म लावे को बाहर निकलता हुआ महसूस करके अपनी आँखे बंद करे पड़ी रही




कुछ देर बाद सुमेर अपने कपड़े पहन कर और हुलिया ठीक करके बाहर आ गया

घेसू : “क्यों ..... .आया मज़ा…..?”

सुमेर सिंह मुस्कुरा कर रह गया

घेसू : “ऐसे मज़े मैं तुझे रोज दे सकता हूँ ….और एक तू है की मुझे कुछ भी बताने से डर रहा है…”

घेसू की सुई अभी तक वहीं अटकी हुई थी

सुमेर भी समझ चूका था की उस से कुछ भी छुपाना बेकार है
वो अगर उसकी बात मान लेता है तो उसे ऐसे मौके बार-2 मिलेंगे

और साथ ही वो घेसू से ये नयी वशीकरण विद्या भी सीख सकता है
जिसमें ना तो कोई क्रिया करनी पड़ती है और ना ही कोई मंत्र पढ़ना पड़ता है और आधे घंटे वाली स्थिति भी नही थी इसमें
ये विद्या तो वो ज़रूर सीखना चाहेगा
पर इसके लिए उसे अपनी बेटियों के साथ जो हुआ वो उसे बताना पड़ेगा
और शायद बाद में उन्हे घेसू से चुदवाना भी पड़ेगा

पर वो तो बाद की बात है
अभी के लिए तो वो उसे अपनी आप बीती सुना ही सकता है
और वो उसने सुनाई भी

अगले 1 घंटे तक उसने घेसू के साथ मिलकर उस बॉटल को भी ख़त्म किया और चटखारे ले-लेकर अपनी दोनो बेटियो के साथ जो कुछ भी अभी तक उसने किया था वो सब उसे सुना डाला

कच्ची कलियों के साथ हुई उस चूमा-चटाई को सुनकर घेसू का लॅंड फिर से हुंकारने लगा

घेसू : “सुमेर…मेरे दोस्त….तेरी ये दोनो जबराट लोंड़ियां सच में कमाल की हैं, कसम से वो इस वक़्त यहाँ होती तो तेरे सामने उन्हे अपने वश में करता और यही नंगा करके तेरा और अपना लॅंड चुसवाता …..पर अभी तू घर जा , कल मैं तुझे बताऊंगा की आगे क्या करना है…”

इतना कहकर वो उठा और एक बार फिर से शर्मिला की चूत बजाने पिछली झोपड़ी की तरफ चल दिया
सुमेर भी वहां से निकल आया
क्योंकि अभी के लिए तो उसके लॅंड को खुराक मिल ही चुकी थी
रही बात घेसू की तो वो आज नही तो कल उसे वो सब बता ही देगा

और वैसे भी अभी के लिए उसके पास खुद की सीखी हुई वशीकरण विद्या तो है ही
जिसका इस्तेमाल करके वो आज रात फिर से मज़ा लेने वाला था

Wah Ashokafun30 Bhai,

Kya gazab ki updates post ki he..................uttejna aur kamukta se bharpur

Ghesu to sach me vashikaran expert nikla............usne gaanv ki mukhiya ki biwi ko fansa rakha he......................

Sharmila ko chod kar sumer bhi aandit ho gaya.....................

Ghensu bada hi ghagh aadmi he................sharmila ko sumer ke samne paros kar uski nazar chanda aur chandrika par he..............

Keep posting Bhai
 

Napster

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अगली सुबह रविवार था, मेरी और दीदी की छुट्टी थी
माँ ने हम दोनो को आकर उठाया और हम दोनो बहने नहा धोकर नीचे किचन में आकर माँ की मदद करने लगी
पिताजी को नाश्ता देते वक़्त मेरा दिल धाड़ -2 करके बज रहा था

पिताजी हम दोनो बहनो को बहुत प्यार करते थे,
ख़ासकर मुझे
क्योंकि मैं घर में सबसे छोटी थी इसलिए मेरी बात को कभी भी मना नही करते थे वो
माँ अक्सर मुझे डाँटती रहती पर मैं पिताजी की गोद में बैठकर अपनी बातें मनवा लेती थी

पिताजी ने मुझे आते देखा तो अख़बार साइड में रखकर मुझे देखने लगे
मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था की आज उनकी नज़रों में कुछ अलग किस्म की चाह है
वो शायद पहले से थी
जो मैने आज से पहले कभी नोट नही की थी

मैं नाश्ते की प्लेट रखकर वापिस जाने लगी तो उन्होने मुझे पुकारा : “ओ चंदा, मेरी लाडो, ऐसे गुमसुम सी होकर क्यों घूम रही है, किसी ने कुछ कहा क्या ?”

मैं : “न…नही…पिताजी…..मैं तो बस….ऐसे ही..”

पिताजी ने अपनी दाँयी बाजू मेरी तरफ फैलाई और मुझे अपनी तरफ बुलाया : “अच्छा ….यहाँ आ…मेरे पास “

वो एकटुक सी होकर अपने पिताजी को देखे जा रही थी



और कोई दिन होता तो मैं उछलकर उनकी गोद में जा चड़ती
क्योंकि पिताजी जब खुद अपने पास बुलाते थे तो मुझे जेब खर्ची के लिए कुछ ना कुछ पैसे अलग से मिलते थे
आज भी वैसा ही दिन था
पर रात की बातें याद करके मेरे दिल में उथल पुथल मची हुई थी
मेरी नज़रें उनकी गोद की तरफ थी, जिसके नीचे उनका वो भयानक काला नाग सो रहा था जिसे मैने कल रात विकराल रूप में देखा था

मुझे डर था की मेरे बैठने से वो कहीं वो पिचक ना जाए….
या शायद कहीं फिर से अपना फन ना उठा ले
नही ….नही….ऐसे कैसे….
कोई अपनी ही बेटी को देखकर भला क्यो उत्तेजित होगा
मैने अपने दिमाग़ में आए विचारों को झटका और धीरे-2 चलकर उनकी गोद में जाकर बैठ गयी
उन्होने अपना हाथ घुमा कर मेरे पेट पर रख दिया और मुझे अपनी छाती से सटा लिया

पिताजी : “अब बोल, क्या हुआ, कुछ चाहिए क्या, कॉलेज के लिए कुछ लेना है क्या, कपड़े लत्ते वगेरह “
मैने ना में सिर हिला दिया
वो मुस्कुराए और उन्होने अपने कुर्ते की जेब से 500 का नोट निकाल कर मुझे दे दिया
पर नोट निकालते वक़्त उनके हाथ मेरे स्तनों को छू गये
मेरे पुर शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गयी

कोई और मौका होता तो शायद मैं सिर्फ़ उन 500 रुपय को देखकर उछाल पड़ती और उनके गले लग जाती, पर कल रात की घटना के बाद मैं बँधी हुई सी महसूस कर रही थी
और शायद इसी वजह से मुझे उनका स्पर्श भी ‘जान बूझकर’ किया हुआ महसूस हुआ

पर ऐसा तो पहले भी कई बार हो चुका है
आज से पहले मैने कभी ध्यान नही दिया था
उल्टा मैं खुद उनके गले लगकर अपने स्तनों को उनके गले पर रखकर दबा सी देती थी
पर वो सिर्फ़ एक बाप बेटी वाला आलिंगन होता था मेरी तरफ से
मेरे कंपन को पिताजी ने भी महसूस किया
और उनकी गोद में बैठे हुए मैने अचानक उनके लिंग को अपने नितंब पर
मेरे माथे पर पसीने की बूंदे उभर आई
वो मेरे चेहरे को देखकर कुछ पढ़ने की कोशिश कर रहे थे
और साथ ही साथ मेरे पेट के नर्म माँस पर अपनी उंगलियां चला रहे थे
दूसरे हाथ से वो मेरी जांघ को सहला रहे थे
मैं तुरंत उनकी गोद से उठी और उन्हे थॅंक यू कहकर अंदर भाग गयी

मैं सीधा अपने रूम में गयी और दरवाजा बंद कर लिया, मेरी साँसे तेज़ी से चल रही थी
गला सूख रहा था
और…और…मेरी जाँघो के बीच चिपचिपाहट सी महसूस हो रही थी
ये ठीक वैसी ही थी जैसे कल रात हुई थी
पिताजी का लिंग देखने के बाद
मैने अपनी पायज़ामी का नाड़ा खोलकर उसे नीचे गिरा दिया
और कच्छी में झाँकर देखा, मेरा अंदाज़ा सही था
अंदर गाड़े रंग का द्रव्या निकल कर मुझे भिगो रहा था
क्या ये मेरा वीर्य है
नही
वो तो मर्दो का निकलता है
फिर औरतों का क्या निकलता है

मैने झट्ट से अपना मोबाइल उठाया और गूगल खोलकर उसमें लिखा
“मर्दों का वीर्य निकलता है तो औरतों का क्या निकलता है ?”
तो गूगल में लिखा हुआ आया
'जी नही योनीं से वीर्य नहीं निकलता बल्कि एक अलग प्रकार का स्राव होता है जो महिलाओं के शरीर में निर्माण होता है. यह मासिक स्राव से अलग होता है और सम्भोग उत्तेजना के समय निकलता है जो एक प्रकार से लुब्रिकंट का कार्य करता है. इससे सम्भोग में परेशानी नहीं होती और लिंग का प्रवेश आसान हो जाता है'

लिंग का प्रवेश योनि में



उफफफ्फ़
वो भला कैसे
वो तो इतना बड़ा था
मेरी इस योनि मे कैसे जाएगा
इसमें तो
उम्म्म्म
मेरी उंगली भी नही जा रही पूरी

ऐसा सोचते-2 मेरी उंगली अंदर जाने का प्रयास करने लगी
और मेरी आँखे आश्चर्य से फैलती चली गयी जब वो अपने आप अंदर तक घुसती चली गयी
ये आज से पहले कभी नही हुआ था
मैने पहले एक–दो बार कोशिश की थी पर वो इतनी टाइट थी की मुझे दर्द सा होने लगता था
पर आज
आज तो वो अंदर फिसलती चली जा रही थी
जैसे कोई अदृशय शक्ति मेरी उंगली को अंदर खींच रही हो
निगल रही हो
और उपर से मुझे मज़ा भी आ रहा था
जो तरंगे कुछ देर पहले मेरे शरीर से निकल रही थी, उनके तार तो मेरी योनि में छुपे थे
जिनपर मेरी उंगलिया लगते ही वो तरंगे मेरे शरीर को एक बार फिर से लहराने लगी

मुझे मेरा शरीर हवा में उड़ता हुआ सा महसूस हो रहा था
मेरी ऊँगली जितना अंदर जा रही थी, मेरा शरीर उतना ही ऊपर उड़ रहा था

“सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…… अहह………. ऑहहहह मम्मीईीईईईईई……… कितना मज़ा आ रहा है……आहह”

मैने उन उंगलियों को बाहर निकाल कर देखा तो वो मेरे रस मे भीगकर एक मकड़ी का जाल बना रही थी मेरी हथेलियों पर
मैने उसे सूँघा तो बड़ी नशीली सी सुगंध लगी वो मुझे

मैने एक उंगली को थोड़ा सा चाट कर देखा तो मेरे पुर मुँह में शहद सा घुलता चला गया
मेरी योनि से निकलने वाला रस इतना मीठा है, मुझे पता भी नही था
इतने सालों से मैं शहद की हांडी लिए घूम रही हूँ और मुझे इसका अंदाजा भी नहीं है

मैने झट्ट से अपनी हथेली को चाट-चाटकार सॉफ कर दिया
जाँघो के बीच अभी भी सुरसुरी सी हो रही थी
पर वो कैसे शांत होगी, मुझे समझ नही आया

तब तक बाहर से माँ की आवाज़ें आने लगी

'काम के वक़्त कहां मर गयी ये निगोड़ी '

बाहर पिताजी माँ को समझा रहे थे की उनकी प्यारी बेटी को ऐसे सुबह -2 ना डांटे
दोनो आपस में हल्की फुल्की बहस करने में लगे थे
तब तक मैं वापिस माँ के पास पहुँच गयी
और जल्दी-2 परांठे बनाने लगी
उन्ही ‘मीठे’ हाथो से

अगला परांठा जब उन्हे देने गयी तो कुछ देर तक मैं वहां खड़ी रही
जब तक उन्होने उसका निवाला अपने मुँह में नही डाल लिया
पता नही क्यों पर मुझे अजीब सी खुशी का एहसास हुआ की मेरी 'मिठास' को पिताजी ने चख लिया

कुछ देर बाद पिताजी जब बाहर जाने लगे तो चंद्रिका दीदी ने उनसे पूछा
“पिताजी, ये खिलोने कहाँ से आए….”

बाथरूम की दीवार पर लगे कील पर लटकी दोनो गुड़िया उतारकर वो उनसे पूछ रही थी
ओह्ह माय गॉड
ये तो वही गुड़िया है जो पिताजी के हाथ में थी कल रात
और जिसपर उन्होने अपने …..अपने लिंग से निकला….वीर्य लगाया था
उसके बारे में तो मैं भूल ही गयी थी

वो बाहर की दीवार पर ही लटकी पड़ी थी कल रात से और मुझे दिखाई भी नही दी

पिताजी ने मुस्कुराते हुए कहा : “अर्रे….यो, यो ते कल टिल्लू ने जबरसती पकड़ा दी थी , बोलेया अपनी छोरियों वास्ते लेते जाओ ताऊ, मैने केया की म्हारी छोरियाँ अब इत्ती भी छोटी ना रही, पर वो मानेया ही नही, ज़बरदस्ती पकड़ा दी मन्ने , ले लो अब दोनो एक-2 गुड़िया, खेलते रहना”
इतना कहकर वो हंसते हुए बाहर निकल गये

टिल्लू हमारे दूर ले चाचा के बेटे का नाम है, जिसकी सदर बाजार में खिलोनो की दुकान है
आज तक तो उसने ऐसा कुछ दिया नही फिर अब कैसे दे दिया ये तोहफा

और उपर से पिताजी ने जो रात उनके साथ किया था, उसके बाद तो मुझे और भी हैरानी हो रही थी उन खिलोनो को देखकर

दीदी ने एक गुड़िया मुझे दे दी और दूसरी अपनी बगल में दबा कर अंदर चल दी, जैसे कोई छोटा बच्चा करता है, ठीक वैसे ही
शायद उस छोटे से खिलोने को देखकर उन्हे अपना बचपन याद आ गया था
मैने उस गुड़िया को देखा तो पाया की उसपर सफेद सी पपड़ी जमी है

यानी ये वही पिताजी का वीर्य है, जो उन्होने बिना धोए उसपर लगा रहने दिया था
रात भर मे सूखकर वो पपड़ी जैसा बन चुका था
मैने उस पपड़ी को कुरेदा और अपनी उंगलियो से मसलकर देखा
एक ही पल में वो मोम की तरह पिघलकर मेरी उंगलियो में चिपचिपा सा एहसास देने लगा

उंगली और अंगूठे को जब दूर किया तो एक रेशम की महीन सी तार बन गयी
ठीक वैसे ही जैसे कुछ देर पहले मेरी योनि से निकले पानी से मेरी हथेली पर बन रही थी
और तभी मुझे याद आया की मेरे हाथो में अभी तक मेरी योनि का पानी लगा है
और अब उसी हाथ से मैं अपने पिताजी के वीर्य को भी मसल रही थी
तो क्या इस मिलन से बच्चा हो सकता है
तर्क तो यही कहता है
पर ऐसे कैसे होगा, मेरी हथेली पर थोड़े ही आ टपकेगा एकदम से वो बच्चा

अपनी बचकानी बात पर मैं खुद ही मुस्कुरा दी

हमारे स्कूल में सैक्स शिक्षा को ज़्यादा महत्व नही दिया जाता
शायद इसलिए मैं ऐसी बेफ़िजूल की बातें सोच रही थी
और ना ही मेरी सहेलियों को ज़्यादा जानकारी थी इस बारे में
हमे तो यही सिखाया गया था की सब अपने आप सीख जाओगी शादी के बाद

पर एक ही दिन में इतना कुछ देखने को और सीखने को मिल रहा था की अब मेरा मन और भी ज़्यादा सीखने को लालायित हो गया
इसलिए मैने भी वो गुड़िया अपनी बगल में दबोची और किसी बच्चे की तरह उछलती हुई अपने कपड़े की तरफ चल दी

मैने सोच लिया था की अब इस ज्ञान को अर्जित करके ही रहूंगी
इसलिए मैने अपने मोबाइल में गूगल से हर वो बात पूछी जिसका मुझे आज तक सिर्फ़ थोड़ा सा ही पता था
और वो सब पढ़ते -2 और उनमें आ रही तस्वीरों को देखते-2 कब मेरा हाथ एक बार फिर से मेरी पायजामी में घुस कर मेरी योनि से खेलने लगा , मुझे भी पता नही चला
और इस बार वो मज़ा पहले से काई ज़्यादा था
शायद इसलिए भी क्योंकि मैने पिछली बार वो खेल बीच में ही छोड़ दिया था
मैने अपनी टांगो के बीच फंसी कच्छी और पयज़ामी नीचे खिसकायी
और अपनी कुर्ती को ऊपर करके ब्रा से अपने स्तन भी बाहर निकाल लिए
और फिर अपनी योनि को रगड़ने लगी



उसमे अपनी 2 लंबी-2 उंगलियां डालकर उससे मिल रहे मज़े का आनंद लेने लगी

“सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…….आआआआआआआआआआआआआहह……उम्म्म्ममममममममममममममम…………”

अचानक मेने अपने हाथ मे पकड़ी उस गुड़िया को अपनी योनि पर लगाया और उसे रगड़ने लगी
और अंदर ही अंदर मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे वो गुड़िया नही बल्कि मेरे पिताजी का लिंग है

इस एहसास मात्र से ही मेरे पूरे शरीर में एक ऐंठन सी हुई और मेरी योनि से भरभराकर गाड़ा पानी निकल आया
मेरी चादर पूरी भीग गयी

मैं तो डर गयी एकदम से की इतना पानी कैसे निकला
गूगल पर तो लिखा था की चिकनाहट भर होती है जब स्त्री उत्तेजित हो या वो झड़े
पर यहा तो ऐसा लग रहा था जैसे मैने पेशाब कर दिया हो अपने बिस्तर पर

बरसों से जो शहद अपनी हांडी में लिए फिर रही थी मैं, आज वो टूट गयी थी

शायद ये मेरा पहला हस्तमैथुन था इसलिए
जैसा की मोबाइल मे लिखा था
तभी ये रस इतना गाड़ा और इतनी ज़्यादा मात्रा में है

मेरी आँखे बोझिल सी हो रही थी
मैं उस गुड़िया को अपनी गांघो के बीच दबाए वैसे ही सो गयी
बहुत ही सुंदर लाजवाब और मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 

Ashokafun30

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Wah Ashokafun30 Bhai,

Kya gazab ki updates post ki he..................uttejna aur kamukta se bharpur

Ghesu to sach me vashikaran expert nikla............usne gaanv ki mukhiya ki biwi ko fansa rakha he......................

Sharmila ko chod kar sumer bhi aandit ho gaya.....................

Ghensu bada hi ghagh aadmi he................sharmila ko sumer ke samne paros kar uski nazar chanda aur chandrika par he..............

Keep posting Bhai
thanks ajju bhai
Ghesu ne jo lalach diya hai us se bach kar nikalna thoda mushkil hai
aur ye aane wala update hi batayega ki sumer iske liye kya-2 karta hai
baaki maja to aapko milega hi
iski poori guarantee hai

keep reading
 
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