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Incest वशीकरण

the hanter

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ये कहानी है एक ऐसी लड़की की जो अपनी उम्र की हर दूसरी लड़कियों की तरह जवानी में कदम रखते ही सपनो की रंगीन दुनिया में खो जाती है
इस लड़की का नाम है चंदा



और अपने नाम की तरह ही एकदम चाँद जैसा चेहरा है इसका
चेहरा ही नही बल्कि इसका पूरा शरीर ही साँचे मे ढला हुआ है
32 के साइज़ के बूब्स और 34 के भरे हुए हिप्स उसकी सुंदरता बयान करते थे
मेरठ में रहने वाला चंदा का परिवार ज़्यादा बड़ा भी नही था
एक बड़ा भाई सूरज जो अपने पिता सुमेर सिंह के साथ खेतीबाड़ी में उनका साथ देता था
चंदा की बड़ी बहन चन्द्रिका जो पास के एक स्कूल में टीचर थी
और उसकी प्यारी माँ रागिनी जो घर की देखभाल और अपने परिवार का पूरा ध्यान रखती थी
कुल मिलाकर इन पाँच लोगो का परिवार काफ़ी मिलनसार भाव से रहता था

पर एक रात के वाक्ये ने चंदा की जिंदगी और उसका दुनिया देखने का नज़रिया बदल कर रख दिया
चंदा हमेशा की तरह अपने कॉलेज की पड़ाई करके सोई तो आधी रात को अचानक पेशाब के प्रेशर ने उसकी नींद खोल दी
टाइम देखा तो रात के 4 बज रहे थे

वो उठी और अपने कमरे से निकल कर बाहर आँगन में बने बाथरूम तक गयी और बिना दरवाजा लगाए टॉयलेट सीट के पर मोरनी बनकर बैठ गयी और गाड़े सुनहरी रंग के झरने को बाहर फेंकने लगी

अभी वो आधा ही कर पाई थी की अचानक अंदर से कोई आया और बाहर बने नलके से पानी निकालने लगा
उसके बाथरूम की लाइट बंद थी और वो अंदर बिना दरवाजा बंद किए बैठी थी
उसकी तो हलक सूख गयी
पर गनीमत थी की अंधेरे की वजह से उसे बाहर से कोई देख नही सकता था
वो अपने आप को कोस रही थी की दरवाजा क्यों बंद नही किया
वो या तो उसके पापा थे या उसका भाई
क्योंकि डील डोल मर्दो वाला ही था

कुछ देर तक तो वो बैठी रही पर फिर उसका बैठना मुश्किल हो रहा था सो वो चुपचाप उठी और अपनी सलवार को बाँध कर दरवाजे तक आई
बाहर देखा तो उसके पापा ही थे, जो नलके के किनारे एक छोटी सी चटाई पर बैठ कर एक छोटे से पीतल के थाल में पानी भरकर कुछ कर रहे थे
उसने देखने की कोशिश की पर उसे समझ नही आया की वो क्या कर रहे है
इतनी सुबह उन्हे भला ऐसा क्या काम
वो बर्तन धो रहे है क्या
पर वो भला ऐसा क्यों करेंगे

उसने गोर से देखा तो वो हाथ जोड़कर कोई मंत्र बुदबुदा रहे थे
अब उसके मन में कुछ शंका सी हुई
उसने देखा की थाल में ऐसा क्या है

तो उसने देखा की 2 छोटी प्लास्टिक की गुड़िया थी उसमें
जो छोटे बच्चे हाथ में लेकर गली-2 घूमते है



वो भला उसका क्या कर रहे है
कुछ देर तक वो वैसे ही मंत्र बुदबुदाते रहे और फिर अचानक वो उठे और अपना कुर्ता उतार कर साइड में रख दिया और फिर अपनी धोती भी उतार दी
मैं कुछ समझ पाती इस से पहले ही मेरे पिताजी मेरे सामने पूर्ण रूप से नग्न खड़े थे
मेरी तो साँसे उपर की उपर और नीचे की नीचे रह गयी
ये मेरी लाइफ का पहला मौका था जब मैं किसी मर्द को नंगा देख रही थी
और वो भी अपने खुद के पिता को

स्कूल कॉलेज में मेरी सहेलियां ऐसी बातें करती रहती थी
एक दो बार मस्तराम की कहानियां भी पढ़ी थी और कुछ अश्लील चित्र भी देखे थे
पर ऐसे शादी से पहले मुझे किसी मर्द को नंगा देखने का मौका मिलेगा
ये मैं नही जानती थी

पर इसके बावजूद की वो मेरे पिता है
मैने उन्हे देखना बंद नही किया
बल्कि आँखे फाड़े उन्हे घूर-2 कर देख रही थी

उनकी चौड़ी छाती और कसा हुआ शरीर जो उन्होने खेती बाड़ी करके बनाया था इस बात का प्रमाण था की उम्र का उनपर कोई असर नही पड़ रहा है



और उनका लिंग
उफ़फ्फ़
वो उनकी टॅंगो के बीच ऐसे झूल रहा था जैसे मैने एक बार अपने बैल हीरा का देखा था
करीब 5 इंच का था उनका मोटा सा लिंग जो टॅंगो के बीच झूल रहा था
जब अकड़ कर खड़ा होगा तो कितना बड़ा हो जाएगा ये
यही सोचकर मुझे कुछ-2 होने लगा

पर फिर मैने उस विचार को झटक दिया
छीssss ये भला क्या सोचने लगी मैं अपने ही पिताजी के बारे में
मैं कुछ बोल भी नही सकती थी
बाहर भी नही निकल सकती थी

फिर उन्होने उन दोनो गुड़िया को अपने हाथ में उठाया
तब मैने नोट किया की वो दोनो आपस में बँधी हुई है एक धागे से जो करीब २-3 फ़ीट का था
फिर उन्होने उन धागे से बँधी हुई गुडियों को गमछे की तरह अपने गले में लटका लिया
अब वो दोनों गुड़िया उनके लिंग से टकरा रही थी

फिर उन्होंने उस पीतल के बड़े से थाल को उठाया और उसका पानी अपने सिर पर डाल लिया
सुबह की ठंडक में इतने ठंडे पानी से नहाकर उनके शरीर में झुरजुरी सी दौड़ गयी
झुरजुरी तो मेरे शरीर में भी दौड़ी
क्योंकि उनका लिंग जो इतनी देर से शिथिल अवस्था में लटका पड़ा था, ठंडे पानी की वजह से उसमें तनाव आने लगा था
फिर उनका हाथ अपने तने हुए लिंग पर आया और वो उसे मसलने लगे



मुझे अंदाज़ा तो नही था की वो ऐसा क्यों कर रहे है पर ये पता था की इसका मतलब क्या है
उन्हे ऐसा करता देखकर ना जाने क्यो मेरी जाँघो के बीच भी कुछ-2 होने लगा
मैं 21 साल की थी
पर आज तक मैने ऐसा कुछ भी नही किया था जिसकी वजह से मेरे शरीर में ऐसा कुछ भी एहसास हो
पर आज पहली बार ऐसा एहसास हो रहा था मुझे
पर मैं उस एहसास का पूरा मज़ा भी नही ले पा रही थी
कारण था की ये एहसास मुझे अपने खुद के पिता को देखकर हो रहा था

मैं दम साधे उनका ये क्रियाकलाप देख रही थी
और मेरे देखते ही देखते उनका लिंग अपने पूरे आकार में आ गया
वो अब करीब 7-8 इंच का बन चुका था
और मोटा इतना जैसे कोई खीरा

फिर उन्होने अपने लिंग पर घिसाई की तेज़ी को और बड़ा दिया और करीब 1 मिनट में ही उनके लिंग से सफेद रंग का गाड़ा पानी निकलने लगा
मुझे तो लगा था की मर्द के लिंग से सिर्फ पेशाब ही निकलता है
ये क्या बला है ?

कहीं ये वो वीर्य तो नही जो बायोलॉजी की क्लास में बताया था मेडम ने
पर वो तो सैक्स करने से निकलता है
और वो भी औरत की योनि में

पर पिताजी उसे ऐसे ही क्यो निकाल रहे है
मेरा भोला भाला दिमाग़ उन सब बातो से अंजान अपनी ही उधेड़बुन में लगा हुआ था
और तब मैने कुछ अजीब सा होते देखा
पिताजी ने अपने गले में लटक रही गुड़िया के जोड़े को अपने लिंग से निकल रहे गाड़े पानी से नहला दिया
दोनो गुड़िया उनके लिंग से निकले गाड़े और सफेद पानी से रंग कर सराबोर हो गयी
देखने में मुझे बड़ा अजीब सा लगा की आख़िर ये पिताजी करना क्या चाहते है
पहले तो मुझे लगा था की ये कोई पूजा करने के लिए उठे है शायद सुबह
पर ऐसी पूजा भला कौन करता है
ये मेरी समझ से परे था
कुछ देर बाद वो अपने कपड़े पहन कर अंदर चले गये
मैने भी चैन की साँस ली क्योंकि मैं भी करीब 30 मिनट से अंदर क़ैद थी
पिताजी मुझे देख लेते तो मैं उनका सामना भला कैसे कर पाती
मैं चुपचाप अपने बेड पर आकर सो गयी
मेरी दीदी गहरी नींद में मेरे करीब ही सो रही थी
मैं कुछ देर तक अपने पिताजी के बारे मे सोचती रही और फिर कब मुझे नींद आ गयी, मुझे भी पता नही चला

पर आने वाले समय में इस घटना का मेरी जिंदगी में क्या असर पड़ना था वो अगर मैं जान लेती तो कभी वहां रुककर वो सब देखने की जुर्रत ना करती
Damdar lag raha hai par kya last tak tik pao ge janab
 
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Ashokafun30

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Damdar lag raha hai par kya last tak tik pao ge janab
लगता है जनाब ने मेरी कहानियां पढ़ी नही है वरना ऐसी बात ना करते
मैं कोई भी कहानी अधूरी नही छोड़ता
 

Ek number

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तो दोस्तो, आपने देख लिया की चंदा की तरह चंद्रिका भी जाग रही थी
जब वो क्रिया उनपर आज़माई जा रही थी
इसलिए ना तो चंदा पर और ना ही चंद्रिका पर उस वशीकरण मंत्र का असर हुआ
पर दोनों अपने स्वार्थ के अनुसार उस क्रिया में लिप्त हो चुकी थी

उस रात उसके बाद क्या हुआ था ये आप पहले ही पढ़ चुके है
इसलिए अब वापिस चंदा की लाइफ में चलते है
और उसकी ज़ुबानी इस कहानी को आगे पढ़ते है

चंदा
*****
दीदी कुछ पलों तक तो अवाक सी बैठी रही फिर बिस्तर पर लेट गयी
पर लेटते वक़्त वो मेरे करीब आई और मुझे पीछे से जकड़ कर मुझसे लिपट कर सो गयी
दीदी के दिल की धड़कन मुझे अपनी पीठ पर महसूस हो रही थी

अचानक दीदी का हाथ मेरे बूब्स पर आ लगा
मेरे निप्पल्स तो पहले से खड़े थे
जल्दबाजी में मैंने ब्रा पहनी नहीं थी
ये देखते ही वो एकदम से चोंककर मेरे चेहरे को देखते हुए बोली : “चंदा….ओ चंदा….जाग रही है क्या…”

मेरी तो सिट्टी पिटी गुम हो गयी
मैं सोचने लग गयी की अब दीदी को क्या जवाब दूँगी
हे भगवान मुझे अभी किस-2 परीक्षा से गुज़रना पड़ेगा

अब आगे
**********
मेरा दिमाग़ बिजली की तेज़ी से काम करने लगा
इस वशीकरण की विद्या और इसकी किताब के बारे में सिर्फ़ मुझे ही पता है, दीदी को नही
पर वो पिताजी के वश में तो आ ही चुकी है, सिर्फ़ ये नही जानती की मैं पिताजी का सारा प्लान जानती हूँ

पर अभी दीदी जाग रही है
यानी कुछ देर पहले जो मैने मास्टरबेट किया है, वो भी उन्होने देखा होगा
इसलिए वो बात छुपाना बेकार है
पर उसे कैसे समझना है दीदी को, ये उसने झट्ट से सोच लिया

इसलिए दीदी की अगली आवाज़ के साथ ही मैं हड़बड़ाती हुई सी उठ कर बैठ गयी
और उनसे नज़रें चुराते हुए इधर उधर देखने लगी

चंद्रिका : “सुन, मुझे पता है की तू अभी थोड़ी देर पहले क्या कर रही थी, इसलिए ज़्यादा होशियार ना बन…क्या चल रहा है ये, सच -2 बता…”

मैं : “वो दीदी…..मैं…..मैं ….वो”
दीदी (सख़्त आवाज़ में ) : “क्या बकरी की तरह मिमिया रही है, सच-2 बोल वरना अभी माँ को बुलाती हूँ …”

उसने जान बूझकर पिताजी का नाम नही लिया, उन्हे बुलाती भी तो किस मुँह से…

मैं (डरने का नाटक करते हुए) : “नही दीदी…माँ को नही….प्लीज़…वो दरअसल…बात ये है की…..पिछले 2-3 दिनों से….मुझे गंदे-2 सपने आ रहे है….”

चंद्रिका : “कैसे सपने ?”

मैं : “वो….दीदी….ऐसा फील होता है…जैसे …जैसे कोई…मेरी बॉडी को टच कर रहा है…”



दीदी मेरी बात सुनकर मुस्कुरा दी
अपनी छोटी बहन की मासूमियत देखकर उसका दिल पासीज गया था

मैने आगे कहा : “दीदी….जब नींद खुलती है तो पता नही यहाँ नीचे, पुस्सी में अजीब सी खुजली होती है….मन करता है की वहां टच करू, अपनी फिंगर अंदर डालकर मास्टर….मास्टरबेट करू….”

चंद्रिका : “और वो तुम करती भी हो….”

मैं : “हाँ दीदी…ना करू तो पूरा बदन जलने लगता है…ऐसा लगता है की अपने सारे कपड़े निकल कर फेंक दूँ ….और….और…”

चंद्रिका : “और क्या….”

मैं : “और दीदी….बस…लगता है की कोई हो जो ये सब खुद से करे मेरे साथ…जैसा वो साया करता है सपनो में आकर …”

वो अभी तक यही समझ रही थी की मैं पिताजी के द्वारा किए सारे काम को सपना ही समझ रही हूँ

पर अचानक वो बोली : “सपने तक तो ठीक है…पर तुम एकदम से जागकर जब मास्टरबेट कर रही थी तो अपने और मेरी बॉडी पर गिरी उस मलाई को क्यों चाट लेती हो…”

मैं घबरा गयी
क्योंकि इस बारे मे तो मैने सोचा भी नही था
फिर भी मैने प्रयास किया

और बोली : “वो दीदी….मुझे फील होता था की वो साया…मेरे उपर …अपने….अपने पेनिस से कुछ निकालता है…और …और उसी नींद के नशे में ….मैं वो सब इकट्ठा करके चाट लेती हूँ …बस दीदी…उसके बाद मेरी नींद खुल जाती है…”

चंद्रिका : “पर….मैने तेरे मुँह से एक नाम भी सुना, जब तू मास्टरबेट करके झड़ जाती है…तब…”

ओह्ह्ह फककक्ककक
झड़ते वक़्त तो मैने पिताजी बोला था
इन्होने वो भी सुन लिया
अब क्या करू मैं

ये दीदी भी ना, पूरी CID बनकर पूछताछ कर रही है.

मैं बोली : “दीदी…सच कहूं …आप बुरा तो नही मनोगे ना….”

चंद्रिका : “नही…पर सच-2 बोल मुझे, कुछ छुपाएगी तो तुझे पता है की मैं माँ को बुला लूँगी “

मैं : “वो सपने में मुझे पिताजी जैसा लगता है वो साया….और पता नही कैसे जब नींद खुलती है तो मन करता है की मास्टरबेट करते वक़्त उनका नाम लूँ ….”
दीदी भी परेशन हो चुकी थी मेरे जवाबो से
उन्हे अब यही लग रहा था की मैं नादानी में ये सब कर रही हूँ
फिर वो कुछ देर बाद बोली
“पर…अपने ही पिताजी के बारे में सोचकर….तुझे घिन्न नही आती…”

मैं : “पहले आती थी दीदी…पर अब नही आती…वैसे भी वो मेरे बचपन से ही हीरो है….उनकी पर्सनॅलिटी भी आजकल के लड़को से काफी अच्छी है…पर हाँ , आप ठीक कह रही हो…काम तो मैने ग़लत किया है…पर …अब मैं क्या करू…मेरा इसपर कोई बस नही चल रहा दीदी….प्लीज़ मुझे बताओ, मैं क्या करू…”

अब दीदी इसमे क्या बोलती
वो तो खुद ही पिताजी की उम्र के प्रिन्सिपल सर के साथ लगी हुई थी
और इन 2-3 दिनों में उसका खुद का झुकाव पिताजी की तरफ आ चूका था

इसलिए अपनी ज़ुबान में मिश्री घोलकर वो बोली : “अरे …तू घबरा क्यों रही है…मैं हूँ ना, मेरे होते हुए तुझे डरने की ज़रूरत नही है…और ये पिताजी वाली बात भी हम दोनो के बीच ही रहेगी”

मेरे चेहरे पर खुशी छा गयी ये सुनकर….
क्योंकि दीदी मेरी बात मानकर मेरे जाल में फँस चुकी थी

मैं : “थेंक यू दीदी….आप कितनी अच्छी है…मैं तो ऐसे ही घबरा रही थी…”

इतना कहकर मैं दीदी के गले से लिपट गयी
मेरे बूब्स अभी तक बिना ब्रा के इधर उधर डोल रहे थे
और उनके गले से लगते ही वो दीदी की छाती से जा चिपके

ऐसा लगा जैसे 2 कबूतर के बच्चे अपने सगे रिश्तेदार से जा लिपटे हो
पर दीदी के कबूतर, यानी उनके बूब्स काफ़ी बड़े थे
उन्होने मेरे नन्हे कबूतरों को पीस कर रख दिया



पर मुझे कोई फ़र्क नही पड़ रहा था
क्योंकि मैं जानती थी की जिस राह पर मैं निकल चुकी हूँ , वहां चलकर मेरे कबूतर भी जल्द उड़ना सीख जाएँगे और दीदी से आगे निकलकर अपने सही आकार में आ जाएँगे

दीदी के गले लगते ही मेरे होंठ सीधा उनकी गर्दन पर जा लगे
जहाँ पिताजी के लॅंड से निकले पानी की एक मोटी सी बूँद पड़ी रह गयी थी
मेरे होंठ लगते ही वो मेरे मुँह में समा गयी
मेरे और दीदी के मुँह से एक ठंडी सिसकारी निकल गयी

“आआआआआआआअहह…….. क्या कर रही है चंदा….”

मैं : “ सॉरी दीदी….पर मैं क्या करू…वो आपकी बॉडी से बड़ी अच्छी स्मेल आ रही है…और….और मेरा मन कर रहा है की मैं आपसे लिपटी रहूं ..”

वो मुस्कुरा दी
इतनी देर से अपनी टांगो के बीच घिसाई करके उनकी जांघे भी लाल हो चुकी थी
और मेरे रूप में शायद उन्हे एक 'जुगाड़' दिख गया था

वो वापिस बेड पर लेट गयी और मुझे भी अपनी बगल में लिटा लिया
अब उनका और मेरा चेहरा एकदम सामने था



दीदी : “देख चंदा, तू अभी छोटी है…ये पिताजी के बारे में ग़लत भावना रखना छोड़ दे…तू अपनी उम्र के लड़को से दोस्ती रख…पता है तेरी उम्र मे तो मेरे 2-2 बाय्फ्रेंड थे…”

मेरी आँखे गोल हो गयी ये सुनकर

“सच्ची …दीदी….आपके 2 बाय्फ्रेंड रह चुके है…वाउ…और अब कितने है..आई मीन करंट में …”

दीदी : “चुप शैतान….तुझे क्या मैं ऐसी लगती हूँ …”

मैने दीदी के बूब्स को उपर से पकड़ कर होले से दबा दिया और बोली : “आपको देखकर तो नही, इन्हे देखकर पता चलता है की करंट में भी आपका बाय्फ्रेंड है, जो इनपर इतनी मेहनत कर रहा है…”

दीदी के मुँह से एक आहहह निकल गयी
क्योंकि मेरी उंगलियाँ सीधा उनके निप्पल के ऊपर जा लगी थी

“आआआआआहह…….सस्स्स्स्स्स्स्स्सस्स….. ये क्या कर रही है चंदाआाआआ…..”

दीदी की आँखे खुद ब खुद बंद हो गयी…
मेरी करामाती उंगलियों ने उनके निप्पल को पकड़ कर कचोट लिया, वो छाती को उपर की तरफ निकाल कर चिंघाड़ उठी

“आआआआआआआआआअहह…………………….उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़”

दीदी भी कमाल की चीज़ थी
इन्हे इतनी आसानी से काबू में लाया जा सकता है मुझे पता नहीं था

मैने धीरे-2 उनका टॉप उपर की तरफ करना शुरू कर दिया
वो किसी नागिन की तरह बिस्तर पर मचल रही थी

मैं : “बोलो ना दीदी…कौन है वो…जो आजकल आपके इन प्यारे से बूब्स को चूस्कर आपको मज़ा दे रहा है..”

छोटी बहन होने के नाते मैने सपने में भी नही सोचा था की अपनी बड़ी बहन से इस तरह के सवाल पूछूंगी कभी
पर उनके निप्पल को मसलकर मैने जैसे उन्हे अपने “वश” में कर लिया था
वो मुझे मना भी नही कर रही थी कुछ भी करने से और मेरे सवालो का जवाब भी देने लगी वो

दीदी : “वो….अहह…..है कोई……..उम्म्म्म……मेरे स्कूल में ……अहह…..”
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तब तक उनके नंगे बूब्स मेरे सामने आ चुके थे
उनके चमकीले निप्पल देखकर एक बार के लिए तो मैं भी उनकी सुंदरता में खो सी गयी
इतने मोटे और इतने गुलाबी
वाउ
जैसे किसी अँग्रेजन के हो



मैने अपनी लंबी सी जीभ निकाली जिसमें से मेरी लार टपक-2 कर कहीं जा रही थी
और मैने अपनी जीभ की टिप से उनके नंगे निप्पल को छू लिया
वो तो तड़प उठी
और मेरी गर्दन में हाथ डालकर मुझे अपनी छाती में घुसा लिया
जैसे एक ही बार में अपना पूरा स्तन मेरे मुँह में ठूस देना चाहती हो

वो इस वक़्त अपनी उत्तेजना की चरमकाष्ठा पर थी
मेरा चहरा उनके नरम मुलायम मुम्मे की चपेट में आकर दिखाई देना भी बंद हो गया था
साँस भी नही ले पा रही थी मैं

पर मैं उनके पूरे मुम्मे को जितना हो सकता था अपने मुँह में लेकर चूस ज़रूर रही थी
मन तो मेरा भी कर रहा था की अपना बूब निकल कर उनके मुँह में डाल दूँ
पर अभी मुझे दीदी को अपने काबू में करना था ताकि बाद में वो खुद मेरी छोटी सी छाती पर लगे निप्पल को चूस डाले
हाअइईईईईई
लड़की के साथ ऐसे मज़े करने में कितना आनंद आ रहा है
ये तो मैने सोचा भी नही था आज से पहले

मेरे दांतो तले दीदी का निप्पल था
मैने शरारत भरी नज़रों से उन्हे देखा
वो घबरा गयी, जैसे समझ गयी हो की मैं क्या चाहती हूँ

वो बोली : “नही…..ना……नही चंदा…..प्लीज़….काटियो मत…..बहुत दर्द होता है इनमें …..प्लीज़…..”
वो खींचकर अपने निप्पल को छुड़वा भी नही सकती थी मेरे मुँह से
छिल जाने का जो खतरा था

मैने मुँह में निप्पल लिए-2 पूछा
“तो बताओ दीदी….कौन है वो….जिसके साथ आजकल आप एंजाय कर रहे हो….अपने स्कूल में ….”
मैं सीधा - 2 ब्लैकमेलिंग पर उतर आयी थी

मैने निप्पल को दांतो तले दबाकर उपर की तरफ खींचना शुरू कर दिया
दीदी के चेहरे पर दर का साया मंडराने लगा
जैसे मैं उसे खींचकर निकाल फेंकूँगी



पर मैने उसे सिर्फ़ उतनी ही ज़ोर से पकड़ा था जिसमें उन्हे दर्द ना हो
जैसे बिल्ली अपने बच्चे को मुँह में दबाकर एक जगह से दूसरी जगह ले जाती है और उसे कुछ नही होता, ठीक वैसे ही

पर दर्द के साथ-2 उनके शरीर में जो आनंद की तरंग उठ रही थी, उसमें भी उन्हे काफ़ी उत्तेजना फील हो रही थी
और जब मेरे मुँह में दबे-2 उनका निप्पल करीब 2 इंच उपर आ गया तो वो गिड़गिड़ा कर बोल उठी

“आईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई…..छोड़ ना……ओके …..ओके ….बताती हूँ ……वो….वो मेरे …मेरे स्कूल के प्रिन्सिपल सर है….”

बेचारी दीदी
उत्तेजना के आवेश में आकर उनके मुँह से सच निकल गया
मैं तो एकदम से अवाक रह गयी
मेरा मुँह खुला का खुला रह गया

नतीजन उनका निप्पल भी मेरे दाँत से फिसल कर नीचे जा गिरा
उनका मोटा स्तन ऐसे थरथराया जैसे जमे हुए कस्टर्ड पर चैरी जा गिरी हो

और उसके साथ ही उनके मुंह से एक आनंदमयी सिसकारी निकल गयी

“आआआआआआआआआआआआहह………………….”

उस सिसकारी में एक शिकायत भी थी की मेरे कहने पर इसे छोड़ क्यों दिया
ऐसे ही ज्यादा मज़ा आ रहा था

मैं : “दीदी…..आप्प्प……अपने प्रिन्सिपल सिर के साथ…..वाउ…..ये तो ऐसे हो गया जैसे….जैसे मुझे पिताजी पसंद है वैसे ही आपको उनकी उम्र के प्रिन्सिपल सर….है ना दीदी….”

चंद्रिका : “तो तुझे पिताजी पसंद है…?”

मैं : “हाँ …दीदी…अभी तो बताया था….वो साया भी मुझे उनके जैसा ही लगता है….जैसे मेरे सपने में पिताजी आकर वो सब कर रहे हो…”

दीदी कुछ कहने को हुई पर रुक गयी….
शायद वो सच बोल देना चाहती थी की पिताजी सच में आकर वो सब करते है जो मुझे फील होता है
पर फिर कुछ सोचकर वो नही बोली
शायद बाद में मुझे पता चलेगा ऐसा क्यों नही किया उन्होने

पर उनकी नशीली आँखे और लरज रहे होंठ मुझे फिर से अपनी तरफ खींच रहे थे

उन्होने मेरे सर के पीछे दबाव डालकर फिर से मेरे होंठो को अपने निप्पल तक पहुँचाया और धीरे से बोली : “ओक…ठीक है…मैं किसी को नही बताउंगी ये बात…और तू ही मत बोलियो किसी से मेरी और प्रिन्सिपल सर वाली बात….ओके ..”

मैं कुछ बोल ही नही पाई
उन्होने अपनी भरी हुई छाती से मेरा मुँह फिर से बंद जो कर दिया था
यानी उन्हे दर्द भी हो रहा था
पर मज़ा भी उतना ही आ रहा था
अपने निप्पल चुसवाने में
या ये कहलो
नुचवाने मे



मैं भी मुस्कुराते हुए उन्हे चूसने लगी
अचानक उनका हाथ मेरे बूब्स पर आ लगा
मेरे कठोर स्तन पर उनका पूरा पंजा जम गया
एक हाथ के नीचे मेरा पूरा चूचा आ गया
अब मेरी बारी थी सिसकने की

"आअह्हह्ह्ह्हह ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ह्ह्हह्ह्ह्ह स्स्स्सस्स्स्स सससससस दीदीssssss "

दीदी समझ गयी की हम दोनो में जो सहमति बन चुकी है उसके लिए हमारे बीच की हर दीवार को गिरा देना होगा
और इसलिए उन्होने मेरे टॉप को खींचकर निकाल फेंका
मेरी कसी हुई जवान छाती उनकी आँखों के सामने थी
मेरे कड़क बूब्स देखकर दीदी की आँखे प्रशंसा भरी चमक से जगमगा उठी



उनका टॉप तो पहले से ही गर्दन तक पहुँच चूका था
वो भी उन्होने निकाल दिया
और अब हम दोनो जवान बहने उस रात के अंधेरे में टॉपलेस होकर बैठी थी
वो बोली : “चंदा…तेरे बूब्स तो बहुत प्यारे है, देखना इन्हे सही से ट्रीटमेंट मिलेगा तो मुझसे भी ज़्यादा खूबसूरत निकलकर आएँगे कुछ ही सालो में …”

बड़ी बहन का ऐसा आशीर्वाद मिल जाए तो अपने आप को सोभाग्यशाली समझना चाहिए
और मैं समझ भी रही थी
और साथ ही इतरा भी रही थी
अपने नुकीले निप्पल से सजे उन बूब्स को लेकर

मैने अपने कंधे को इधर उधर घुमा कर अपने दोनो स्तनो से दीदी के चेहरे को चांटे लगाना शुरू कर दिया
उन गेंदे के फूल समान स्तनों की चोट उन्हे बहुत भा रही थी
वो खिलखिलाकर उन्हे अपने मुँह से पकड़ने की कोशिश कर रही थी
पर मैं चालाकी से उनके मुँह से बचाकर उनका चेहरा अपने बूब्स से रगड़ने में लगी रही
अचानक दीदी के होंठो के बीच वो आ ही गये

मेरा पूरा शरीर सुन्न सा पड़ गया
अभी कुछ देर पहले पिताजी के मुँह में थे ये
और अब दीदी के
एक ही दिन में दो के साथ इस पारिवारिक मिलन को महसूस करके मेरे बूब्स भी खिल उठे थे

दीदी के अनुभवी होंठ और दाँत मेरे निप्पल्स को चूस भी रहे थे और चुभला भी रहे थे
वो खुद भी मज़े ले रही थी
और मुझे वो कैसे चूसे जाते है इसकी फ्री में ट्रेनिंग भी दे रही थी

और सच कहूं मज़ा भी बहुत आ रहा था
और अचानक पिताजी के कमरे का दरवाजा खुलने की आवाज़ आई
हम दोनो बहनों की तो फट्ट के हाथ में आ गयी

ऐसी हालत में पिताजी ने अगर हम दोनो को देख लिया तो बिना किसी वशीकरण के हम दोनो को पेल देंगे
इसलिए जल्दी से हमने अपने-2 कपड़े पहने और धप्प से अपने बिस्तर पर गिरकर सोने का नाटक करने लगे

पिताजी शायद बाथरूम जाने के लिए उठे थे
बाहर बने बाथरूम के दरवाजे को खोलने की आवाज़ भी आई
कुछ देर बाद वो हमारे रूम में फिर से आए
शायद देखने के लिए की आधे घंटे बाद जब तिलिस्म टूटा होगा तो बाद में वो सोई होंगी या नहीं
पर हमें गहरी नींद में सोते देखकर वो निश्चिंत हो गये और दरवाजा बंद करके वापिस अपने रूम में चले गये
उनके जाते ही हम दोनो बहनो ने एक दूसरे को देखा और मुस्कुरा दी
अब कोई रिस्क नही लेना चाहता था
इसलिए मुझसे लिपटकर दीदी सो गयी
अगले दिन क्या-2 करना होगा इसकी प्लानिंग बनाते हुए मैं भी सो गयी
Wonderful update
 

Ajju Landwalia

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तब तक उनके नंगे बूब्स मेरे सामने आ चुके थे
उनके चमकीले निप्पल देखकर एक बार के लिए तो मैं भी उनकी सुंदरता में खो सी गयी
इतने मोटे और इतने गुलाबी
वाउ
जैसे किसी अँग्रेजन के हो



मैने अपनी लंबी सी जीभ निकाली जिसमें से मेरी लार टपक-2 कर कहीं जा रही थी
और मैने अपनी जीभ की टिप से उनके नंगे निप्पल को छू लिया
वो तो तड़प उठी
और मेरी गर्दन में हाथ डालकर मुझे अपनी छाती में घुसा लिया
जैसे एक ही बार में अपना पूरा स्तन मेरे मुँह में ठूस देना चाहती हो

वो इस वक़्त अपनी उत्तेजना की चरमकाष्ठा पर थी
मेरा चहरा उनके नरम मुलायम मुम्मे की चपेट में आकर दिखाई देना भी बंद हो गया था
साँस भी नही ले पा रही थी मैं

पर मैं उनके पूरे मुम्मे को जितना हो सकता था अपने मुँह में लेकर चूस ज़रूर रही थी
मन तो मेरा भी कर रहा था की अपना बूब निकल कर उनके मुँह में डाल दूँ
पर अभी मुझे दीदी को अपने काबू में करना था ताकि बाद में वो खुद मेरी छोटी सी छाती पर लगे निप्पल को चूस डाले
हाअइईईईईई
लड़की के साथ ऐसे मज़े करने में कितना आनंद आ रहा है
ये तो मैने सोचा भी नही था आज से पहले

मेरे दांतो तले दीदी का निप्पल था
मैने शरारत भरी नज़रों से उन्हे देखा
वो घबरा गयी, जैसे समझ गयी हो की मैं क्या चाहती हूँ

वो बोली : “नही…..ना……नही चंदा…..प्लीज़….काटियो मत…..बहुत दर्द होता है इनमें …..प्लीज़…..”
वो खींचकर अपने निप्पल को छुड़वा भी नही सकती थी मेरे मुँह से
छिल जाने का जो खतरा था

मैने मुँह में निप्पल लिए-2 पूछा
“तो बताओ दीदी….कौन है वो….जिसके साथ आजकल आप एंजाय कर रहे हो….अपने स्कूल में ….”
मैं सीधा - 2 ब्लैकमेलिंग पर उतर आयी थी

मैने निप्पल को दांतो तले दबाकर उपर की तरफ खींचना शुरू कर दिया
दीदी के चेहरे पर दर का साया मंडराने लगा
जैसे मैं उसे खींचकर निकाल फेंकूँगी



पर मैने उसे सिर्फ़ उतनी ही ज़ोर से पकड़ा था जिसमें उन्हे दर्द ना हो
जैसे बिल्ली अपने बच्चे को मुँह में दबाकर एक जगह से दूसरी जगह ले जाती है और उसे कुछ नही होता, ठीक वैसे ही

पर दर्द के साथ-2 उनके शरीर में जो आनंद की तरंग उठ रही थी, उसमें भी उन्हे काफ़ी उत्तेजना फील हो रही थी
और जब मेरे मुँह में दबे-2 उनका निप्पल करीब 2 इंच उपर आ गया तो वो गिड़गिड़ा कर बोल उठी

“आईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई…..छोड़ ना……ओके …..ओके ….बताती हूँ ……वो….वो मेरे …मेरे स्कूल के प्रिन्सिपल सर है….”

बेचारी दीदी
उत्तेजना के आवेश में आकर उनके मुँह से सच निकल गया
मैं तो एकदम से अवाक रह गयी
मेरा मुँह खुला का खुला रह गया

नतीजन उनका निप्पल भी मेरे दाँत से फिसल कर नीचे जा गिरा
उनका मोटा स्तन ऐसे थरथराया जैसे जमे हुए कस्टर्ड पर चैरी जा गिरी हो

और उसके साथ ही उनके मुंह से एक आनंदमयी सिसकारी निकल गयी

“आआआआआआआआआआआआहह………………….”

उस सिसकारी में एक शिकायत भी थी की मेरे कहने पर इसे छोड़ क्यों दिया
ऐसे ही ज्यादा मज़ा आ रहा था

मैं : “दीदी…..आप्प्प……अपने प्रिन्सिपल सिर के साथ…..वाउ…..ये तो ऐसे हो गया जैसे….जैसे मुझे पिताजी पसंद है वैसे ही आपको उनकी उम्र के प्रिन्सिपल सर….है ना दीदी….”

चंद्रिका : “तो तुझे पिताजी पसंद है…?”

मैं : “हाँ …दीदी…अभी तो बताया था….वो साया भी मुझे उनके जैसा ही लगता है….जैसे मेरे सपने में पिताजी आकर वो सब कर रहे हो…”

दीदी कुछ कहने को हुई पर रुक गयी….
शायद वो सच बोल देना चाहती थी की पिताजी सच में आकर वो सब करते है जो मुझे फील होता है
पर फिर कुछ सोचकर वो नही बोली
शायद बाद में मुझे पता चलेगा ऐसा क्यों नही किया उन्होने

पर उनकी नशीली आँखे और लरज रहे होंठ मुझे फिर से अपनी तरफ खींच रहे थे

उन्होने मेरे सर के पीछे दबाव डालकर फिर से मेरे होंठो को अपने निप्पल तक पहुँचाया और धीरे से बोली : “ओक…ठीक है…मैं किसी को नही बताउंगी ये बात…और तू ही मत बोलियो किसी से मेरी और प्रिन्सिपल सर वाली बात….ओके ..”

मैं कुछ बोल ही नही पाई
उन्होने अपनी भरी हुई छाती से मेरा मुँह फिर से बंद जो कर दिया था
यानी उन्हे दर्द भी हो रहा था
पर मज़ा भी उतना ही आ रहा था
अपने निप्पल चुसवाने में
या ये कहलो
नुचवाने मे



मैं भी मुस्कुराते हुए उन्हे चूसने लगी
अचानक उनका हाथ मेरे बूब्स पर आ लगा
मेरे कठोर स्तन पर उनका पूरा पंजा जम गया
एक हाथ के नीचे मेरा पूरा चूचा आ गया
अब मेरी बारी थी सिसकने की

"आअह्हह्ह्ह्हह ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ह्ह्हह्ह्ह्ह स्स्स्सस्स्स्स सससससस दीदीssssss "

दीदी समझ गयी की हम दोनो में जो सहमति बन चुकी है उसके लिए हमारे बीच की हर दीवार को गिरा देना होगा
और इसलिए उन्होने मेरे टॉप को खींचकर निकाल फेंका
मेरी कसी हुई जवान छाती उनकी आँखों के सामने थी
मेरे कड़क बूब्स देखकर दीदी की आँखे प्रशंसा भरी चमक से जगमगा उठी



उनका टॉप तो पहले से ही गर्दन तक पहुँच चूका था
वो भी उन्होने निकाल दिया
और अब हम दोनो जवान बहने उस रात के अंधेरे में टॉपलेस होकर बैठी थी
वो बोली : “चंदा…तेरे बूब्स तो बहुत प्यारे है, देखना इन्हे सही से ट्रीटमेंट मिलेगा तो मुझसे भी ज़्यादा खूबसूरत निकलकर आएँगे कुछ ही सालो में …”

बड़ी बहन का ऐसा आशीर्वाद मिल जाए तो अपने आप को सोभाग्यशाली समझना चाहिए
और मैं समझ भी रही थी
और साथ ही इतरा भी रही थी
अपने नुकीले निप्पल से सजे उन बूब्स को लेकर

मैने अपने कंधे को इधर उधर घुमा कर अपने दोनो स्तनो से दीदी के चेहरे को चांटे लगाना शुरू कर दिया
उन गेंदे के फूल समान स्तनों की चोट उन्हे बहुत भा रही थी
वो खिलखिलाकर उन्हे अपने मुँह से पकड़ने की कोशिश कर रही थी
पर मैं चालाकी से उनके मुँह से बचाकर उनका चेहरा अपने बूब्स से रगड़ने में लगी रही
अचानक दीदी के होंठो के बीच वो आ ही गये

मेरा पूरा शरीर सुन्न सा पड़ गया
अभी कुछ देर पहले पिताजी के मुँह में थे ये
और अब दीदी के
एक ही दिन में दो के साथ इस पारिवारिक मिलन को महसूस करके मेरे बूब्स भी खिल उठे थे

दीदी के अनुभवी होंठ और दाँत मेरे निप्पल्स को चूस भी रहे थे और चुभला भी रहे थे
वो खुद भी मज़े ले रही थी
और मुझे वो कैसे चूसे जाते है इसकी फ्री में ट्रेनिंग भी दे रही थी

और सच कहूं मज़ा भी बहुत आ रहा था
और अचानक पिताजी के कमरे का दरवाजा खुलने की आवाज़ आई
हम दोनो बहनों की तो फट्ट के हाथ में आ गयी

ऐसी हालत में पिताजी ने अगर हम दोनो को देख लिया तो बिना किसी वशीकरण के हम दोनो को पेल देंगे
इसलिए जल्दी से हमने अपने-2 कपड़े पहने और धप्प से अपने बिस्तर पर गिरकर सोने का नाटक करने लगे

पिताजी शायद बाथरूम जाने के लिए उठे थे
बाहर बने बाथरूम के दरवाजे को खोलने की आवाज़ भी आई
कुछ देर बाद वो हमारे रूम में फिर से आए
शायद देखने के लिए की आधे घंटे बाद जब तिलिस्म टूटा होगा तो बाद में वो सोई होंगी या नहीं
पर हमें गहरी नींद में सोते देखकर वो निश्चिंत हो गये और दरवाजा बंद करके वापिस अपने रूम में चले गये
उनके जाते ही हम दोनो बहनो ने एक दूसरे को देखा और मुस्कुरा दी
अब कोई रिस्क नही लेना चाहता था
इसलिए मुझसे लिपटकर दीदी सो गयी
अगले दिन क्या-2 करना होगा इसकी प्लानिंग बनाते हुए मैं भी सो गयी

Behad shandar updates he Ashokafun30 Bhai, Uttejna aur kamukta se rasobar

Dono hi bahan hypnotize hone ka natak kar hi thi............

Ab to dono ek dusre ke lesbian kar achuki he.................lagta he dono hi milkar apne baap se maje lene vali he

Keep posting Bro
 

Ashokafun30

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Behad shandar updates he Ashokafun30 Bhai, Uttejna aur kamukta se rasobar

Dono hi bahan hypnotize hone ka natak kar hi thi............

Ab to dono ek dusre ke lesbian kar achuki he.................lagta he dono hi milkar apne baap se maje lene vali he

Keep posting Bro
kahani me maja har tarha ka milega
aap bas dekhte rahiye
enjoy
 
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