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mast sexy update. Nani bhi maje le rahi hai.अंकित नूपुर के घर से उसकी रसेदार मलाई चाट कर आया था,,, एक अद्भुत आनंद की प्राप्ति के साथ वह नूपुर के घर से बाहर निकला था,, आज अपने आप पर बहुत खुश था क्योंकि आज उसने बहुत हिम्मत दिखाई थी और उसे आगे बढ़ाने में और बढ़ावा देने में राहुल की मां का ही हाथ था,, नूपुर जिस तरह की हरकत उसके साथ कर रही थी उसे देखकर अंकित समझ गया था कि वह क्या चाहती है इसीलिए तो वह डाइनिंग टेबल के नीचे छिपकर उसके पति की मौजूदगी में उसकी दोनों टांगों के बीच से टपकती हुई रस से अपनी प्यास बुझाया था,,,,,,,,,, एक प्यासी औरत के हवा कैसे होते हैं कैसी क्रियाएं होती हैं धीरे-धीरे अंकित समझने लगा था अगर वाकई में आज उसके पति घर वापस ना आ गए होते तो शायद आज वह एक औरत के अद्भुत सुख को प्राप्त कर लेता जिसे पाने के लिए वह दिन-रात लगा हुआ था।
रास्ते में अंकित अपने मन में सोच रहा था मनो मंथन कर रहा था कि राहुल की मां की हरकतों को वह पहचान गया था वह क्या चाहती है लेकिन इस तरह की हरकत उसकी मां उसके साथ कर रही थी तो उसके साथ वह क्यों इतनी हिम्मत नहीं दिखा पा रहा है,,,, अंकित अपने मन में बहुत गहराई में उतर कर सो रहा था कि उसकी मां तो इससे भी ज्यादा उसकी आंखों के सामने पेशाब करने लग जाती है अपनी गांड दिखती है अपने खूबसूरत अंगों की नुमाइश करती है फिर क्यों सब कुछ जानकार भी हुआ आगे क्यों नहीं बढ़ रहा है क्यों हिम्मत नहीं दिखा पा रहा है,,,, अंकित अपने मन में यह सोचकर हैरान था कि जिस तरह की हिम्मत दिखाकर एक अद्भुत सुख को अभी-अभी प्राप्त करके वह वापस लौट रहा है अगर वह अपने घर में इतनी हिम्मत दिखा दे तो शायद इससे भी ज्यादा आनंद के सागर में से डुबकी लगाने को मिल जाए,,, यही सब अपने मन में सोचता हुआ वह अपने घर पर पहुंच चुका था,,,,।
अपने घर पर पहुंच कर बस सीधी अपनी मां के कमरे में प्रवेश कर गया जहां पर उसकी नानी और उसकी मां मौजूद थे नई बिस्तर पर बैठी हुई थी और उसकी मां कपड़े बदल रही थी वह अपनी साड़ी को कमर से लपेट रही थी उसके बदन पर ब्लाउज था और उसकी चूचियों के बीच की गहरी लकीर एकदम साफ दिखाई दे रही थी,,,, वाकई में यह नजारा बेहद खूबसूरत था लेकिन कमरे में उसकी नानी भी मौजूद थी इसलिए वह एकदम सहज होता हुआ बोला,,,,।
मम्मी आज नानी के आने की खुशी में शाम को पूरी सब्जी खीर बना देना,,,
(अंकित की बात सुनकर उसकी नानी बोली)
नहीं नहीं इसकी कोई जरूरत नहीं सादा भोजन बना देना चलेगा,,,।
नहीं नहीं नानी ऐसा कैसे हो सकता है आपके आने की खुशी में मुंह मीठा तो करना ही होगा,,,,
चल कोई बात नहीं शाम को बना दूंगी,,,,( अपनी साड़ी को ठीक से अपनी कमर पर लपेटते हुए सुगंधा बोली,,,, अगर कोई और समय होता अगर उसकी मां घर में मौजूद न होती तो शायद वह इस मौके का अच्छी तरह से फायदा उठाकर अपने अंको का प्रदर्शन अपने बेटे के सामने जरूर करती लेकिन अपनी मां की मौजूदगी में वह एकदम सहज बनने का नाटक कर रही थी,,,, अपनी मां की बातें सुनकर अंकित संतुष्ट नजर आ रहा था उसका तो कमरे में रुकने का बहुत मन था लेकिन अपनी नानी की मौजूदगी में वह इस समय कमरे में ज्यादा देर तक रुक नहीं सकता था क्योंकि वह जानता था की उसकी मां कपड़े बदल रही है,,,, इसलिए वहां धीरे से वहां से चलतआ बना और अपने कमरे में जाने वाला था कि वह अपनी मां के कमरे से निकाल कर दीवार की ओट के पीछे खड़ा हो गया वह सुनना चाहता था कि उसकी नानी कुछ बोलती है कि नहीं,,, जब उसकी नानी को भी लगा कि अंकित अपने कमरे में चला गया है तो वह धीरे से अपनी बेटी सुगंधा को बोली।)
सुगंधा आप तुझे थोड़ा सहूलियत से रहना चाहिए,,,।
सहूलियत से मैं कुछ समझी नहीं,,,,(साड़ी को ठीक तरह से अपनी कमर में खोंसते हुए बोली,,)
सहुलियत से मतलब की अब तेरा बेटा बड़ा हो गया है जवान हो गया है ऐसे में उसकी आंखों के सामने कपड़े बदलने कपड़े उतारना अच्छी बात नहीं है तू नहीं जानती लेकिन इस उम्र के लड़के औरतों के प्रति आकर्षण होने लगते हैं,,,,।
अरे मां वो मेरा बेटा है,,,, भला वह ऐसा कैसे कर सकता है,,,(अपने बेटे के बारे में सब कुछ जानने के बावजूद भी सुगंधा जानबूझकर अपनी मां से इस तरह की बातें कर रही थी ताकि उसकी मां को बिल्कुल भी शक ना हो कि उसका बेटा भी दूसरे लड़कों की तरह है,,, सुगंधा की बात सुनकर उसकी मां बोली,,)
तू नहीं जानते तेरा बेटा तो है लेकिन इससे पहले वह एक मर्द है और मर्द को हर एक रिश्ते में सिर्फ एक औरत ही नजर आती है,,,,,,,।
(दीवार के पीछे छुपकर अंकित अपनी नानी की बातें सुनकर एकदम सन्न रह गया,,,, क्योंकि जो कुछ भी उसकी नानी कह रही थी उसमें सत प्रतिशत सच्चाई थी,,,,, वह कान लगाकर और भी बातें सुनने लगा अपनी मां की बात सुनकर सुगंध बोली,,,)
अंकित ऐसा नहीं है मां,,,।
तू पागल है सुगंधा तू दुनिया नहीं देखी है इसलिए ऐसा कह रही है,,, अब तुझे क्या बताऊं अपने गांव की ही बात है तेरे जैसे ही एक औरत अपने बेटे के सामने इस तरह से कपड़े पहनती थी उतारती थी नहाती थी और यह सब अपने बेटे के सामने करती थी बेटा धीरे-धीरे जवान होने लगा और उसे इतनी मां की इस तरह की हरकत उसकी तरफ उसे आकर्षित करने लगी उसे यह सब देखने में मजा आने लगा अपनी मां के अंगों को देखने में मजा आने लगा,,,,।
तो इससे क्या हो गया अपनी मर्यादा में तो था ना वो अब किसके मन में क्या चल रहा है कैसे पता चलेगा,,(अपनी मां की बात सुनकर सफाई देते हुए सुगंधा बोली)
अरे बुद्धू असली खेल तो उसके बाद ही शुरू हुआ एक दिन उसकी मां नहा कर कमरे में आई और एकदम नंगी अपने कपड़े ढूंढ रही थी कमरे में उसका बेटा मौजूद था इस बात से वह अनजान थी,,,, ।
तो क्या हुआ अपनी बेटे के सामने नंगी हो जाती थी,,,,।(सुगंधा हैरान होते हुए अपनी मां से बोली)
नहीं पूरी तरह से नंगी तो नहीं हो जाती थी बस कपड़े बदलने ना आना इतना ही चलता था लेकिन वह अनजान थी कि उसका बेटा कमरे में मौजूद है।
फिर क्या हुआ,,,?
(अपनी मां और अपनी नानी की बातें सुनकर दीवार के पीछे खड़ा अंकित पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था,,,,)
फिर क्या था उसका लड़का पूरी तरह से जवान हो चुका था अपनी मां के खूबसूरत अंगों को देखकर उसके अंगो में भी बढ़ोतरी हो जाती थी,,,,,,,।
अंगो में बढ़ोतरी,,, मतलब मैं कुछ समझी नहीं,,,।
अरे बुद्धू अब मैं तुझे कैसे समझाऊं,,,, मतलब कि उसका खड़ा हो जाता है,,,।
ओहहहहह,,,,,
तू भी ना कुछ भी नहीं समझती,,,,।
अच्छा ठीक है फिर क्या हुआ,,,,?
फिर क्या था वह लड़का एकदम से अपनी मां को बाहों में भर लिया उसकी मां कुछ समझ पाती से पहले ही उसे पीछे से अपनी बाहों में भरे हुए उसके गर्दन पर चुंबनों की बौछार करने लगा,,,, और जब तक उसे एहसास होता कि उसे बाहों में भरने वाला कोई और नहीं उसका जवाब देता है और वह कुछ कर पाती है उससे अलग हो पाती इससे पहले ही उसका लड़का अपने पजामे को नीचे कर दिया था और अपने लंड को अपनी मां की गांड से रगडना शुरू कर दिया था,,, अब तो उसके बेटे की हरकत उसे भी पागल बनाने लगी,,,, वह मदहोश होने लगी और फिर दोनों के बीच वही हुआ जो नहीं होना चाहिए था,,,।
लेकिन यह सब तुम्हें कैसे मालूम,,,!(आश्चर्यजताते हुए सुगंधा बोली)
यह सब मुझे मालिश करने वाली औरत बताइए जो मेरी मालिश करती है और दोपहर में हुआ उसके घर गई थी उसकी मालिश करने के लिए और उसने खिड़की से यह सब कुछ देख ली और मुझे बताइ,,,।
ओहहह यह बात है,,,, लेकिन मन इसमें उस लड़के की तो गलती है ही लेकिन उसकी मां की भी गलती है,, अपने बेटे की हरकत पर दो तमाचा लगा दी होती तो उसका दीवानापन उतर जाता,,,।
अरे बुद्धु वह भी ऐसा कर सकती थी लेकिन महीनो से वह अपने पति से दूर थी और ऐसे में उसके बेटे के बदन की गर्मी उसे एकदम से पिघला दी,,,, वह अपने बेटे की बाहों में और उसकी हरकत की वजह से मजबूर हो गई,,,,, और उसके बाद जब एक बार इस तरह के हालात पैदा हो जाते हैं तो फिर कदम पीछे नहीं हटते,,,,।
क्या मैं तुम्हें लगता है कि मैं ऐसा कुछ करूंगी,,,।
नहीं बेटी मैं जानती हूं तु ऐसा नहीं करेगी,,, लेकिन भूख मजबूर कर देती है चाहे पेट की हो या बदन की,,,,।
नहीं ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला आप खामखा कुछ ज्यादा ही सोच रहीं है,,,।
चल कोई बात नहीं जैसा तु कह रही है वैसा ही हो,,,, मैं तो अंकित की उम्र देख कर कह रही थी अब वह पूरी तरह से जवान हो चुका है,,, ऐसे में कुछ भी हो सकता है,,।
कुछ भी नहीं होने वाला आप भी कर रहे हैं मुझे अपने बेटे पर पूरा भरोसा है,,,।
(अंकित अपनी मां और अपनी नानी की बातें सुनकर पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था वह समझ रहा था कि उसकी नानी को ऐसा ही लग रहा था कि दोनों के बीच ऐसा ही चला रहा तो कुछ ना कुछ हो जाएगा वह तो पहली बार में ही समझ गई थी एक जवान लड़के के मन को इसका मतलब साफ था कि वह पूरी तरह से अनुभव से भरी हुई थी,,, अंकित की नानी सुगंधा से इस तरह की बातें इसलिए कह रही थी क्योंकि वह रात को ही अंकित के मर्दाना अंग को अनुभव करचुकी थी,,, भले ही वह पूरी तरह से नींद में था,,, लेकिन नींद में भी वह पूरी तरह से उत्तेजित था,,, उसके लंड को अपनी गांड के बीचों बीच महसूस करके उसकी नानी पूरी तरह से दंग हो गई थी इसलिए वह अपनी बेटी सुगंधा से अपना अनुभव बता रही थी,,,।
सुगंधा भी अपनी मां के कहने का मतलब कौन अच्छी तरह से समझती थी वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी खुद की हालत उसकी मां ने जिस औरत के बारे में बताया खुद वैसे ही है सुगंध को अच्छी तरह से मालूम था कि उसके और उसके बेटे के बीच की मर्यादा की दीवार किसी भी दिन गिर कर टूट सकती है वह तो अपनी मां को केवल दिलासा देने के लिए कह रही थी बाकी उसके भी मन में वही सब चल रहा था वह भी अपने बेटे के साथ हम बिस्तर होना चाहती थी,,,, लेकिन अपनी मां को बिल्कुल भी शक होने देना नहीं चाहती थी अपनी मां के सामने वह अपने चरित्रवान होने का बखान कर रही थी,,,। अंकित की नानी को अपनी बेटी पर भरोसा था लेकिन वह ईस बात को भी अच्छी तरह से जानती थी कि आप और की एक साथ नहीं रह सकती उनका मिलना तय रहता है। थोड़ी देर और खड़ा रहने के बाद अंकित अपने कमरे में चला गया।
रात को अंकित के खाने के मुताबिक ही भोजन बनाया गया और घर के सभी सदस्य भोजन करके अपने-अपना काम निपटाकर अपनी-अपने कमरे में सोने के लिए चाहिए अंकित की नानी अंकित के साथ उसके कमरे में सोने के लिए आ गई,,, अंकित की नई पलंग पर बैठी हुई थी और अंकित अपने लिए नीचे चटाई बिछाने लगा तो उसे देखकर उसकी नानी बोली।
यह क्या कर रहा है बेटा,,, जब तक मैं हूं इस घर में तो मेरे साथ ही सोना जैसा कि कल सोया था।
नहीं नानी मुझे लग रहा है कि आपको दिक्कत होती होगी,,,।
मुझे बिल्कुल भी दिक्कत नहीं होती चल छोड़ चटाई,,,(इतना कहकर खुद उसके हाथ से चटाई लेकर एक तरफ राखी और उसका हाथ पकड़ कर पलंग पर अपने पास बिठा दी,,,, रात की यादें उसके जेहन में पूरी तरह से ताजा थी,,,, अंकित के लंड की चुभन उसे अपनी गांड के बीचों बीच अभी भी महसूस हो रही थी,,,,,, वह बड़े प्यार से अंकित थी मासूम चेहरे की तरफ देखते हुए बोली,,,)
तेरे लिए तो मैं ही दुल्हन तोड़ कर लाऊंगी और वह अभी गांव की एकदम मजबूत जो तेरी अच्छे से सेवा कर सके,,,।
क्या नानी आप भी अभी मेरी कोई उम्र थोड़ी है,,,।
अरे बुद्धु अब तेरी उम्र हो गई है,,,, पूरा जवान हो गया है गांव में होता तो अब तक तेरी शादी हो गई होती,,,,।
नहीं नानी अभी मुझे शादी नहीं करनी है अभी तो मुझे पढ़ना है,,,( अंकित एकदम शरमाता हुआ बोला उसकी बात सुनकर उसकी नानी मुस्कुराते हुए बोली ...)
क्यों तुझे लगता है कि तू औरत को संभाल नहीं पाएगा इसलिए ऐसा बोल रहा है ना,,,।
नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है संभालने में क्या है,,,!
तुम्हारी बात समझ नहीं रहा है,,, यहां संभालने का मतलब बहुत बड़ा है शायद तो समझ नहीं पा रहा है।
आपकी बात मुझे समझ में नहीं आ रही नई जरा खुल कर बताओ,,,,।
चल रहने दे जब समय आएगा तो समझ जाएगा,,,,,,,( अच्छी तरह से जानते थे कि वह अपने नाती से इस समय खुलकर नहीं बता सकती इसलिए वह जानबूझकर बहाना बनाते हुए बोली,,,) अच्छा थोड़ा सा सरसों का तेल मिलेगा,,,,।
हां क्यों नहीं,,, लेकिन करोगी क्या,,,?
मुझे पैरों में थोड़ा दर्द होता है मालिश करनी पड़ती है तब जाकरनींद आती है,,,।
तो कोई बात नहीं नई आज मैं तुम्हारी मालिश कर दूंगा,,,,।
तब तो बहुत अच्छा रहेगा,,,, जा जल्दी लेकर आ,,,,।
(अपनी नानी की बात सुनकर अंकित तुरंत अपने कमरे से निकाला और रसोई घर में चला गया और उसे जाता हुआ देख कर उसकी नानी के चेहरे पर वासना भरी मुस्कान तैरने लगी,,,,, यह सब उसकी नानी जान बुझकर कर रही थी,,,, थोड़ी देर में कटोरी में थोड़ा सा सरसों का तेल लेकर अंकित अपने कमरे में दाखिल हुआ और दरवाजा बंद कर दिया,,,, वह बिना कुछ बोले दिल की कटोरी लेकर घुटनों के बल बैठ गया और बोला,,,)
लाओ में मालिश कर देता हूं,,,,।
अरे ऐसे नहीं मैं लेट जाती हूं तब तु मालिश कर,,,
ठीक है नानी,,,,
,(अंकित की नई तुरंत पीठ के बल लेट गई लेकिन वह जानबूझकर अपनी साड़ी को बिल्कुल भी ऊपर नहीं उठाई क्योंकि वह यह कार्य अंकित को करने देना चाहती थी अंकित भी ठीक तरह से बिस्तर पर बैठ गया था और बिस्तर पर सरसों के तेल की कटोरी रख दिया था यह देखकर उसकी नानी बोली,,,,)
तुझे मालिश करना तो आता है ना,,,।
बिल्कुल नई इसमें क्या हुआ मालिश करने में कौन सी बड़ी बात है,,,।
चल ठीक है मैं भी देखती हूं तो अच्छी तरह से मालिश कर पता है कि नहीं,,,,,, चल अब शुरू हो जा,,,,,।
(इतना कहकर वह अंकित की तरफ देखने लगी,,, अंकित भी कभी उसकी तरफ तो कभी उसके पैरों की तरफ देख रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था की मालिश कहां करना है फिर वह अपने आप ही हाथ में सरसों का तेल लगाकर उसके तलवों में बारिश करने लगा तो यह देखकर उसकी नानी एकदम से बोली,,,)
अरे अरे वहां नहीं साड़ी घुटनों तक ऊपर उठा फिर मालिश कर,,,,,।
(अपनी नानी की बातें सुनकर अंकित नहीं लगा और वह अपने मन में सोचने लगा कि वह तो खुद की बेटी को उससे दूर रहने को कह रही थी और खुद उसके सामने अपनी साड़ी उठाने के लिए बोल रही है,,,,, फिर भी अंकित अपनी नानी की बात मानते हुए उसकी साड़ी को दोनों हाथों से पकड़ कर धीरे-धीरे उसे घुटनों की तरफ उठाने लगा,,, और ऐसा करने में उसे अद्भुत उत्तेजना का एहसास हो रहा था वाकई में यह काम उसके लिए मदहोशी से भर देने वाला था क्योंकि पहली बार वह अपने हाथों से किसी औरत की साड़ी ऊपर की तरफ उठा रहा था वैसे तो अपनी मां के कपड़ों को अपने हाथों से बदल चुका था लेकिन साड़ी को ऊपर की तरफ उठाना उसके लिए यह एक अद्भुत अनुभव था जिससे गुजरते हुए वह पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था और अनुभव से भरी हुई उसकी नानी उसके चेहरे के हाव-भाव को देख रही थी।
साड़ी को उठाते समय अंकित के चेहरे के बदलते हवाओं को देखकर अंकित की नानी मन ही मन प्रसन्न हो रही थी क्योंकि उसे लगने लगा था कि उसकी युक्ति कम कर रही है,,,,, और देखते ही देखते अंकित उसकी सारी घुटनों तक ऊपर उठा दिया था घुटनों के नीचे उसकी नंगी चिकनी टांग को देखकर अंकित के बदन में उत्तेजना के लहर रखने लगी थी वह जैसे तैसे करके अपनी उत्तेजना को दबा रहा था उसे काबू में कर रहा था,,,, अंकित सरसों के तेल को उसके पैरों पर गिराता इससे पहले उसकी नानी बोली,,,)
पूरे पैरों में मालिश करना बहुत दर्द करता है मालिश करने के बाद ही मुझे नींद आती है खासकर के पिंडलियों में,,,,,।(अंकित अपनी नानी की पिंडलियों की आकर्षक को पहले भी देख चुका था और खेली खाई अनुभव से भरी हुई उसकी कहानी अच्छी तरह से जानती थी कि एक मर्द के लिए औरत की मांसल पिंडलियां भी उत्तेजना का काम करती है,, अपनी नानी की बातें सुनकर अंकित बोल,,,)
ठीक है नानी तुम बेफिक्र कर रहो,,,,(इतना क्या करवा सरसों के तेल की कटोरी अपने हाथ में ले लिया और उसकी धार को उसके पैरों पर गिरने लगा दोनों पैरों पर तेल की धार को गिरकर वहां कटोरी को एक तरफ रखकर अपने दोनों हाथों से उसकी मालिश करना शुरू कर दिया,,,, एक औरत की टांग को मालिश करते हैं उसके बदन में मदहोशी छाने लगी थी,,,, और मालिश करते हुए अंकित अपने मन में सोच रहा था कि उसकी नानी तो पूरी तरह से अनुभव से भरी हुई है तो उसे इतना भी तो पता होगा कि एक मर्द की हालत इस समय क्या हो रही होगी उसके मन में क्या चल रहा होगा यह सोचकर वह उत्तेजना से गनगनाने लगा,,,, अंकित बड़े अच्छे से अपनी नानी के पैरों की मालिश कर रहा था लेकिन वह पेर को एकदम बिस्तर से सटाए हुए थी इसलिए वह ठीक तरह से मालिश नहीं कर पा रहा था,,,,, इसलिए वह अपनी नानी से बोला,,,)
नई थोड़ा पैरों को मोड लो तो अच्छी तरह से मालिश हो जाएगी,,,।
(अंकित की बातें सुनकर वह मुस्कुरा दी और बोली,,,)
ठीक है,,,(और इतना कह कर अपने पैरों को घुटनों से थोड़े से मुरली जिसकी वजह से उसकी साड़ी अपनी आंख थोड़ा सा और नीचे सरक गई और उसकी मोटी मोटी जांघें एकदम से उजागर हो गई पल भर के लिए अंकित की नजरे उसकी नानी की मोटी मोटी जांघों पर टिक गई,,,,, कमरे में अभी भी ट्यूब लाइट जल रही थी जिसके दुधिया रोशनी में उसका गोरा बदन और भी ज्यादा दूधिया लग रहा था,, अंकित जिस तरह से उसकी मोती मोती जैंगो की तरफ देख रहा था यह देखकर उसकी रानी एकदम प्रसन्न हो गई थी क्योंकि वह समझ गई थी कि उसकी जवानी का आकर्षण अभी भी बरकरार था भले ही वह उम्र के इस दौर में पहुंच चुकी थी लेकिन उसके बदन का भरावपन किसी भी मर्द का पानी निकालने में अभी भी पूरी तरह से सच में था और इसका ताजा उदाहरण था उसका नाती अंकित जो की पूरी तरह से जवान हो चुका था और उसे प्यासी नजरों से देख रहा था,,।
उसकी नानी बोली कुछ नहीं और अंकित फिर से उसके पैरों पर मालिश करने लगा,,,, अपनी नानी के बदन की गर्मी उसे अपनी हथेली में महसूस हो रही थी वह पागल हुआ जा रहा था उत्तेजित हुआ जा रहा था और लंड उसके पेट में पूरी तरह से तंबू बनाया हुआ था जिसे वह बार-बार अपने हाथों से व्यवस्थित करने की कोशिश कर रहा था और उसकी यह हरकत उसकी नानी की नजर में आ चुकी थी यह देखकर तो उसकी नानी मदहोश होने लगी थी क्योंकि उसके लंड की चुभन अपनी गांड पर उसे अभी भी अच्छी तरह से महसूस हो रही थी,,,,, कुछ देर तक अंकित इसी तरह से सिर्फ पैरों पर मालिश करता रहा और उसकी नानी चाहती थी कि आप उसकी हथेली ऊपर की तरफ आगे बढ़े लेकिन वह जानती थी कि उसका नाती शायद अभी कच्चा खिलाड़ी है वरना अगर वह औरतों के बारे में अच्छी तरह से जानता था शायद उसकी दोनों हथेलियां इस समय उसकी साड़ी के अंदर होती,,,,, इसलिए वह मुस्कुराते हुए बोली।
बस अब थोड़ा ऊपर की तरफ कर दे जांघों पर भी बहुत दर्द होता है तेरे हाथों में तो जादू है मुझे आराम लगने लगा है लेकिन जांघों में दर्द हो रहा है,,,,,।
ठीक है नानी मैं अभी मालिश करदेता हूं,,,,(अपनी नानी की बात सुनकर अंकित मन ही मन बहुत खुश हो रहा था, उत्तेजना के मारे उसका दिल जोरो से धड़कता है अपनी नानी की मोटी मोटी जांघो को देखकर वह पहले ही उत्तेजित हो चुका था अब उस पर हथेली रखकर कर मालिश करना था एक तरह से एक बहाने से उसे स्पर्श करना था इसलिए उसकी हालत खराब हो रही थी,,,, वह धीरे से फिर से सरसों की कटोरी उठाया और उसकी धार अपनी नानी की मोटी जांघों पर ना गिराते हुए उसे अपनी हथेली पर गिराने लगा,, और फिर कटोरी को एक तरफ रखकर वापस अपनी नानी की मोटी मोटी जांघो पर अपनी हथेली से मालिश करने लगा,,, वास्तव में यह उसके जीवन का पहला मालिश था जब वह किसी औरत की मालिश कर रहा था और वह भी अपनी ही नानी की उसकी मोटी मोटी चिकनी जांघों पर मालिश करते हुए वह अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,, अंकित की नानी मुस्कुराते हुए बोली,,,,।)
अपनी नानी की जांघों को मालिश करते हुए कैसा लग रहा है तुझे,,,।
बहुत अच्छा लग रहा है,,,इसी बहाने आपकी सेवा करने का मौका तो मिल रहा है,,,,,,।
तू मेरे साथ नहीं रहता वरना सेवा करने का मौका तुझे बहुत मिले,,,,(अंकित की नानी अंकित से इशारे में बहुत बड़ी बात बोल रही थी लेकिन अंकित समझ नहीं पा रहा था,,,, बस वह मुस्कुराए जा रहा था लेकिन उसे अपनी नानी की मालिश करने में अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव हो रहा था उसकी नानी भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी मोटी मोटी जांघों को स्पर्श करके उसके नाती का लंड खड़ा हो चुका है,,, इस बात के एहसास से ही वह पानी पानी हुए जा रही थी उसकी बुर हल्का-हल्का पानी छोड़ रही थी,,,, फिर अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उसकी नानी बोली,,,,)
अच्छा यह बात कभी इस तरह से अपनी मां की मालिश कीया है कि नहीं,,,,,,(इस तरह का सवाल करके अंकित की रानी अपनी ही बेटी के चरित्र के बारे में जांच पड़ताल कर रही थी अच्छी तरह से जानती थी कि उसका नाती भोला भाला है,,, अगर वह अपनी मां की मालिश करता होगा तो जरूर बताएगा और इस बात को भी अच्छी तरह से जानते थे कि अगर अंकित अपनी मां की माली से इस तरह से करता होगा तो जरूर दोनों के बीच शारीरिक आकर्षण बढ़ गया होगा और इसके चलते होना हो दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो गया होगा क्योंकि वह एक औरत के मन को अच्छी तरह से समझती थी वह अपनी बेटी के हालात के बारे में अच्छी तरह से जानती थी,,,, लेकिन तभी अपने नाती का जवाब सुनकर उसे संतुष्टि प्राप्त हुआ जब उसने कहा,,,)
नहीं,,,, बिल्कुल भी नहीं सच कहूं तो आज यह पहली बार में मालिश कर रहा हूं,,,,।
ओहहहहह,,, पहली बार कर रहा है फिर भी इतने अच्छे से मालिश कर लेता है,,,,।
तो इसमें कौन सी बड़ी बात है यह तो कोई भी कर लेगा,,,।
फिर भी तेरे हाथों में जादू है,,,।
चलो अच्छा ही है इसी बहाने आपको आराम तो मिला,,,,(अपनी नानी की जांघों पर मालिश करते हुए वह बोला,,,, लेकिन इस दौरान उसकी नानी शरारत करते हुए अपने घुटनों को हल्का सा और मारते हुए थोड़ा ऊपर की तरफ उठा दी और अंकित के हाथों से उसकी साड़ी भी हल्के से और नीचे की तरफ खिसक गई,,,और जैसे ही साड़ी हल्के से थोड़ा और नीचे सरकी अंकित को ऐसा नजारा दिखाई दिया कि उसके होश उड़ गए।)
Great sexy update.अंकित की नानी के द्वारा हल्के से घुटना मोड़ने और हल्के से साड़ी नीचे सरकने की वजह से जो नजर अंकित को दिखाई दिया उसे देखकर अंकित की आंखें फटी की फटी रह गई थी उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था,,, वह पलक झपकाए बिना ही अपनी नानी की साड़ी के अंदर देखे जा रहा था और यह देखकर उसकी नानी मन ही मन प्रसन्न हो रही थी क्योंकि उसकी नानी जानबूझकर अपनी साड़ी को थोड़ा और नीचे की तरफ सरकाई थी जिससे वह जो दिखाना चाहती है उसका नाती वही देखें,,, अंकित की नई का काम बन चुका था अंकित की रानी एक मर्द को काबू में करना अच्छी तरह से जानती थी,,, वह अच्छी तरह से जानती थी कि एक मर्द किस तरह से औरत के आगे घुटने टेक देता है और अंकित की हालत को देखकर वह समझ गई थी कि यह बहुत जल्दी उसके काबू में आ जाएगा,,,,।,
अंकित अपने आप पर अपनी उत्तेजना पर काबू करके फिर से सरसों का तेल अपनी हथेली पर गिरने लगा लेकिन इस दौरान उसकी नजर उसकी नानी की साड़ी के अंदर ही थी उसकी दोनों टांगों के बीच अद्भुत नजारा दिखाई दे रहा था जिसे देखकर वह पागल हुआ जा रहा था वह अपनी मम्मी सो रहा था कि उसकी मां की बुर में और उसकी नानी की बुर में बिल्कुल भी फर्क नहीं था और वैसे भी मां बेटी में कुछ ज्यादा फर्क नहीं था बस थोड़ा सा उम्र का ही फर्क था,,, लेकिन यहां पर अंकित को एक बात हैरान कर रही थी कि उसकी नानी की बुर पर बिल्कुल भी बाल नहीं था उसकी नानी भी उसकी मां की तरह ही अपनी बर को एकदम चिकनी सपाट रखती थी और ऐसा क्यों करती थी यह अंकित को समझ में नहीं आ रहा था क्योंकि वह तो उसकी मां की भी मां थी,,,, अपने मन में इस तरह के ख्याल को वह एक तरफ रखकर जो कुछ भी आंखों के सामने था उसका रसपान वह अपनी आंखों से कर लेना चाहता था इसलिए सरसों के तेल को हाथ में लेकर मालिश करना शुरू कर दिया,,,,, लेकिन अपनी नजरों से अपनी नानी की बुर पर से हटा नहीं रहा था।,,,, अंकित सभी सपने में नहीं सोचा था कि जो एक उसकी मुलाकात अपनी नानी से हो जाएगी और उसकी इस तरह से सेवा करने का मौका मिलेगा,,,,।
अंकित की नानी मन ही मन मुस्कुरा रही थी वह प्रसन्नता से और भी ज्यादा व्याकुल और उत्सुक हुए जा रही थी क्योंकि वह एक खेली खाई औरत थी अनुभव से भरी हुई मर्दों को काबू करने का उसके पास ढेर सारा तरीका था यह तो सिर्फ पहले ही तरीका था जिसमें उसका नाती पूरी तरह से ढेर होता हुआ दिखाई दे रहा था। कुछ देर के लिए उसकी नानी कुछ नहीं बोली वह देखना चाहती कि उसका नाती क्या करता है अपनी हरकत को बढ़ाता है या सिर्फ नजरों से ही सारा खेल खेलेगा,,, कुछ देर तक अंकित सहज रूप से उसकी जांघों की मालिश करता रहा उसकी मोटी मोटी चिकनी गोरी जांघों को अपने दोनों हथेलियां में देखकर मालिश करने में उसे पर अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी जिसे वह बयान नहीं कर सकता था इस उम्र में भी औरत का बदन इस तरह से आकर्षक और मदहोश कर देने वाला होता है आज उसे पहली बार पता चल रहा था,,, वरना उसे अपनी मां की उम्र की औरतों में ही ज्यादा आकर्षण था और वैसे भी उसका अनुभव धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा था और उसके मामले में अपनी मां से जितना नहीं सिखाता था उतना बाहर की औरतों से सीख रही थी सुमन और राहुल की मां शामिल थी।
राहुल की मां तुमसे एक अद्भुत अनुभव देखकर अपने घर से भेजी थी जिसे पाकर वह पूरी तरह से उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच चुका था और उसे इतना आत्मविश्वास होने लगा था कि वह किसी औरत को भी अपनी जीभ से संतुष्ट कर सकता है,,,, अंकित लगातार अपनी नानी की कचोरी जैसी फुली हुई बुर को अपनी नजरों से ही भेद रहा था,,, और इसमें भी उसे अद्भुत आनंद प्राप्त हो रहा था,,,, अंकित की नानी के मन में बहुत कुछ चल रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अब आगे क्या किया जाए वैसे तो उसे मस्जिद तक पहुंचाने के सारे रास्ते मालूम थे लेकिन सफर का साथी कोई और नहीं उसका अपना ही नाती था इसलिए थोड़ा हिचकीचा रही थी,,, अंकित के नानी के मन में बहुत सारे सवाल उठ रहे थे जिसका जवाब हो खुद ही अपने मन में दे रही थी,,,, और यह सच ही है कि अगर रात को सोते समय उसे अपनी गांड के बीचों बीच अपने नाती के लंड की चुभन महसुस ना होती तो शायद वह यह सब करने पर मजबूर ना होती,,,।
अंकित के लंड को तो वह अपनी नजरों से तो नहीं देखी थी,,, लेकिन उसका एहसास वह अपने बदन में अभी तक महसूस कर रही थी उसकी चुभन बार-बार उसे याद आ रही थी जिसके चलते उसे इस बात का अंदाजा लग गया था कि उसके नाती के टांगों के बीच मर्दाना अंग नहीं बल्कि हथियार है जो किसी भी औरत को संतुष्ट करने में सक्षम है,,,, ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में उसकी मोटी मोटी जांघें एकदम नग्न थी,,, जिसे देखकर अंकित के बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी,,, अंकित की नजर उसकी नानी की बुर पर से है नहीं रही थी जिसमें से उत्तेजना के मारे मदन रस की बूंद और उसकी बूंद की तरह ऊपरी सतह पर आकर चमक रही थी जिसे देखकर अंकित के मुंह में पानी आ रहा था वह उसे बूंद को अपने होठों से लगा लेना चाहता था क्योंकि सुमन और नूपुर ने उस बूंद को चाटने का उसे एक अलग ही अनुभूति कराई थी,,, इसलिए अंकित को पूरा विश्वास था कि अगर उसकी नानी उसे मौका देगी तो वह भी पूरी तरह से उसे मस्त कर देगा,,,,।
अपनी नानी के इस व्यवहार को देखकर उसे राहुल की बातें याद आने लगी थी उसे याद आने लगा था कि राहुल ने बताया था कि घर की औरतें इसी तरह से अपने अंगों का प्रदर्शन करके घर के मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित करती हैं और फिर उनसे अपनी प्यास बुझाती हैं, यह ख्याल मन में आते ही वह सच में पड़ गया कि क्या उसकी नानी भी यही चाहती है,,, अगर उसके मन में ऐसा कुछ नहीं होता तो वह अपनी साड़ी को भी इस कदर उपर ना उठाती कि उसका नाती सब कुछ देख ले,,,, अंकित को धीरे-धीरे समझ में आ रहा था कि उसकी नानी यह सब जानबूझकर कर रही है उसके मन में भी बहुत कुछ चल रहा है क्योंकि आज कमरे के बाहर खड़े होकर अंकित ने अपनी नानी की बात को सुना था,,, और उसकी नानी किसी गांव की औरत का उदाहरण देकर यही सब बता रही थी कि कैसे एक मर्द और औरत करीब आते हैं।
इन सब बातों को सोते हुए भी अंकित की नजर में अपनी नानी की बुर से हट नहीं रही थी वह अपनी नानी की बुर के बारे में ही सोच रहा था,,,, अंकित को इस बात का एहसास हो रहा था कि उसकी नानी की बुर पर उसकी उम्र का बिल्कुल भी प्रभाव नहीं पड़ा था। यही तो अंकित के लिए आश्चर्य की बात थी क्योंकि उसे साफ तौर पर दिखाई दे रहा था कि उसकी नानी की बुर में उसकी मां की बुर में रत्ती भर भी फर्क नहीं थी बिल्कुल सपाट और चिकनी बस इतना ही फर्क था कि उसकी मां की गुलाबी पर एकदम पतली दरार नुमा थी और उसकी नानी की बुर के बीचों बीच हल्की सी गुलाबी पट्टी बाहर को झांक रही थी,,,, जिससे उसकी खूबसूरती और भी ज्यादा बढ़ जा रही थी,,,, यह सब देखकर अंकित का लंड गदर मचाने को पूरी तरह से तैयार हो चुका था,,, वह इस कदर पेट के अंदर बलखा रहा था कि मानो पेट फाड़ कर बाहर आ जाएगा जिसे बार-बार वह अपना हाथ लगाकर व्यवस्थित करने की कोशिश कर रहा था और यह सब उसकी नानी अपनी आंखों से देख कर मन ही मन उत्तेजित भी हो रही थी और प्रसन्न भी हो रही थी क्योंकि उसकी जवानी का जादू चल चुका था इस उम्र में भी उसकी जवानी बरकरार थी यही बहुत बड़ी बात थी जिसका श्रेय वह हमेशा खेतों में काम करने और इधर-उधर घूम कर अपने बदन की चर्बी को कम करने में लगा दी थी,,,।
सरसों के तेल की कटोरी में सरसों का तेल बहुत ही काम बचा था सारा तेल आज उसने अपनी नानी की जांघों और टांगों पर लगाकर उसकी मालिश करने में खत्म कर दिया था और अंकित बड़े अच्छे से उसकी मालिश भी कर रहा था,,, तकरीबन 1 घंटा जैसा हो गया था अंकित लगातार अपनी नानी की मालिश कर रहा था वह थक जाता अगर उसकी आंखों के सामने उसकी गुलाबी बुर दिखाई ना देती तो उसे देखकर ही वह मालिश करने में बिल्कुल भी थकान महसूस नहीं कर रहा था,,,, लेकिन अब लगने लगा था अंकित की नानी को की आगे बढ़ना चाहिए नहीं तो सारी रात ऐसे ही मालिश करने और करवाने में ही गुजर जाएगी इसलिए वह मुस्कुराते हुए बोली,,,। और सीधा तीर निशाने पर लगाते हुए पहला ही प्रश्न एकदम से दाग दी,,,।
मैं कब से देख रही हूं एक टक तु साड़ी के अंदर क्या देख रहा है,,,?(ऐसा कहते हुए वह हल्के से उठ कर बैठने लगी लेकिन अपनी नानी के इस सवाल पर अंकित एकदम से घबरा गया था और वह अपनी नानी की तरफ देखने लगा था उसकी नानी अंकित की हालत को समझ गई थी अंकित कुछ बोल नहीं पा रहा था इसलिए वह खुद ही अपनी दोनों टांगों के बीच झांकने लगी और अपनी बुर को देखकर एकदम से मुस्कुराते हुए बोली,,,)
ओहहह यह बात है तो तू यह देख रहा है कब से तभी मैं सोचूं कि इतनी ध्यान से तो क्या देख रहा है,,, मुझे क्या मालूम कि मेरी बुर दिखाई दे रही है,,,(अंकित ने कभी कल्पना नहीं किया था कि उसकी नानी अपने अंग का नाम इस तरह से खुल कर लेंगी और वह भी उसके सामने अपनी नानी के मुंह से बुर शब्द सुनकर उसके लंड की अकड़ बढ़ने लगी,,, वह आश्चार्य से अपनी नानी की तरफ देखने लगा,,,, और उसकी नानी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,) वह क्या है ना कि मेरी आदत है रात को सोते समय में चड्डी नहीं पहनती,,,,।
(अपनी नानी की बात सुनकर अंकित थोड़ा घबरा गया था इसलिए वह बोला)
अनजाने में मैंने देख लिया मुझे मालूम नहीं था मुझे यह दिखाई देगा,,,।
क्या दिखाई देगा तुझे इसका नाम नहीं मालूम,,,(एकदम साफ शब्दों में वह बोली,,, अंकित अपनी नानी का सवाल सुनकर झेंप गया,,,, लेकिन धीरे से बोला,,,)
मालूम तो है लेकिन इसका नाम लेने में शर्म आती है,,,।
अरे एकदम बुद्धू है क्या शादी की उम्र हो गई और औरत की इस अंग का नाम लेने में तुझे शर्म आती है पता नहीं शादी के बाद क्या करेगा कहीं ऐसा ना हो कि तेरी बीवी किसी और के पास चली जाए,,,।
मेरी बीवी किसी और के पास में कुछ समझा नहीं,,,(अंकित को अपनी नानी की कहानी बात समझ में आ रही थी लेकिन फिर भी वह अनजान बनने का नाटक करते हुए बोला,,, उसकी बात सुनकर उसकी नानी मुस्कुराते हुए बोली)
अरे बुद्धु इतना भी नहीं समझता,,,, पता नहीं तेरा क्या होगा अच्छा यह बात इससे पहले तूने किसी औरत की नहीं देखी है क्या,,,,?
नहीं नई बिल्कुल भी नहीं मैं तो पहली बार देख रहा हूं और देख कर ही हैरान होगया था,,,, कि तुम औरतों के पास ऐसाहोता है,,,,(एकदम नादान बनने की कोशिश करते हुए अंकित बोला उसकी बात सुनकर उसकी नानी हंसने लगी और हंसते हुए बोली)
अरे हम औरतों के पास ऐसा ही होता है मेरे पास भी ऐसा है तेरी मां के पास भी ऐसा है,,, क्या सच में तूने कभी ऐसा किसी औरत की नहीं देखा,,,।
नहीं नानी में सच कह रहा हूं मैं किसी की नहीं देखा हूं,,,,।
अपनी मां को तो कपड़े बदलते हुए देखा है ना नहाते हुए देखा है तो क्या उसके ईस अंग को नहीं देख पाया,,,,(अंकित की नानी अपने इस सवाल से एक बार फिर से मां बेटे की हकीकत जानने की कोशिश कर रही थी लेकिन अंकित भी चालाक था वह पूरी तरह से अपने नानी के सामने नादान बनने की कोशिश कर रहा था उसे बार-बार राहुल की कही गई बातें याद आ रही थी और सब कुछ उसके साथ वैसा ही हो रहा था जैसा राहुल बताता है कि हर घर में औरतें किस तरह से मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित करती हैं अंकित समझ गया था कि उसकी नानी के मन में क्या चल रहा है अगर आज सबको ठीक होगा तो आज हुआ एक नया सुख अनुभव करेगा इसलिए अपनी नानी की बात सुनकर वह बोला,,,,)
कैसी बातें करती हो नानी,,,छी,,,, मैं कभी इस बारे में सोच भी नहीं सकता देखने की तो बात ही दूर है वह तो आज अनजाने में तुम्हारी देख लिया,,,,।
(जिस तरह से हम कितने बोला था उसकी बात सुनकर उसकी नानी को पूरा विश्वास हो गया की मां बेटे के बीच ऐसा कुछ भी नहीं है वह एकदम प्रसन्न होते हुए बोली)
चल कोई बात नहीं नहीं देखा तो ना सही आज देख लिया एक न एक दिन तो तुझे देखा नहीं था आखिरकार मर्द जो है औरत का तो हर एक अंग तुझे देखना ही होगा उसे खुश जो करना है,,,।
देख कर खुश करना है मे कुछ समझा नहीं नानी,,,।
लगता है तुझे सब कुछ बताना ही होगा तेरे हाथों में जादू है कि मेरा दर्द काम हो गया है लेकिन अब सोचती हूं की कमर पर भी मालिश करवा लुं,,,, लेकिन इसके लिए मुझे अपने कपड़े उतारने पड़ेंगे,,,,।
नहीं नहीं नानी ऐसा मत करना मुझे शर्म आती है,,,।
अरे बुद्धू शर्मा ना तो मुझे चाहिए और शर्म तुझे आती है और वैसे भी अब शर्म जैसी कोई बात नहीं हम दोनों में जो नहीं देखना था वह तो तुने देख ही लिया है अब छुपाने लायक कुछ बचा ही नहीं है,,, अच्छा एक काम कर मैं घूम जाती हूं तो मेरी कमर की मालिश कर,,,,।
लेकिन ऐसा करने में तो साड़ी,,,,(इतना कहकर अंकित चुप हो गया उसकी नानी समझ गई की वह क्या बोलना चाहता है,,, इसलिए वह मुस्कुराते हुए बोली,,,,)
मैं जानती हूं लेकिन तू साड़ी ऊपर कर देना तब तू आराम से मालिश कर पाएगा,,,।
लेकिन ऐसे में तो,,,(फिर से चुप हो गया इससे आगे नहीं बोल पाया उसकी नानी जानती थी कि वह क्या कहना चाहता है इसलिए फिर से मुस्कुराते हुए बोली,,,)
हां मैं जानती हूं साड़ी ऊपर करने से मेरी गांड नंगी हो जाएगी ना तो इसमें क्या हो गया अब तेरे सामने मुझे शर्म नहीं आती क्योंकि तूने मेरा अनमोल खजाना तो देख ही लिया है अब छुपाने लायक कुछ बचा ही नहीं है और वैसे भी तेरे हाथों का जादू मैं अपने पूरे बदन पर महसूस करना चाहती हूं ताकि यहां से जाते-जाते मेरे बदन का दर्द पूरी तरह से दूर हो जाए,,,,(इतना कहने के साथ ही अंकित का जवाब जाने बिना ही वह घूम गई और पेट के बल लेट गई उसके इस तरह से लेटने पर उसकी साड़ी उसकी जांघों के ऊपरी सतह तक चढ़ी हुई थी जिससे उसके नितंबों के निचले स्तर का कटाव दिखाई दे रहा था जहां से उसका उभार शुरू होता है,,,, यह देखकर कर अंकित की उत्तेजना बढ़ने लगी उसके लंड की अकड़ बढ़ने लगी,,,, वह समझ गया था किसकी नानी क्या चाहती है बस खुले शब्दों में बोल नहीं पा रही है और इस बात को समझ कर अंकित मन ही मन प्रसन्न हो रहा था,,, घड़ी की तरफ देखा तो 12:00 रहे थे अभी तो पूरी रात बाकी थी काफी समय था दोनों के पास अंकित को एहसास होने लगा था कि दोनों के बीच आज कुछ ना कुछ जरूर हो जाएगा यह सोचकर वह मुस्कुराते हुए,,,, अपनी नानी की साड़ी को दोनों हाथों से पकड़ कर उसकी कमर की तरफ उठाने लगा,,,,।
ऐसा करने में अंकित का दिल बड़े जोरों से ढक रहा था आज उसकी आंखों के सामने उसकी मां की भी मन थी जो जवानी में भी उसे एक कदम बढ़ाकर आगे थी उसका चरित्र भी उसकी मां से बेहद अद्भुत था जहां एक तरफ उसकी मां शर्म और मर्यादा में धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी वही उसकी नानी पूरी तरह से खुलकर मजा लूटना चाहती थी जो की एक ही रात में ईतना आगे बढ़ चुकी थी,,,, साड़ी को ऊपर करने में उसकी नानी का खुद का जांघों का दबाव साड़ी को ऊपर करने में बाधा रूप बन रहा था जिसे खुद उसकी नानी अपने बदन को हल्का सा ऊपर उठकर दूर कर दी थी अपनी कमर को हल्का सा ऊपर उठने के साथ ही अंकित अपने दोनों हाथों से फुर्ति दिखाता हुआ तुरंत अपनी नानी की साड़ी को एकदम कमर तक उठा दिया और कमर तक साड़ी उठाते ही,,, उसकी नानी की भरपूर जवानी से भरी हुई बड़ी-बड़ी कांड एकदम से उजागर हो गई जो ट्यूबलाइट की दुधिया रोशनी में और ज्यादा चमक रही थी,,,, अपनी नानी की गांड को नजदीक से देखने के बाद उसे बात का एहसास हो रहा था किसकी नानी की गांड उसकी मां की गांड से थोड़ी सी ज्यादा बड़ी थी इसके लिए और भी ज्यादा आकर्षक और मदहोश कर देने वाली दिखाई दे रही थी।
अंकित अपनी नानी की गांड को देखकर एकदम उत्तेजित हुआ जा रहा था उसका लंड पेट फाड़ कर बाहर आने के लिए व्याकुल हो रहा था वहां कुछ देर तक अपनी नानी की गांड को देखता ही रहा,,, उसकी नानी तिरछी नजर से उसकी हरकत को देख रही थी वह जानती थी कि उसका नाती उसकी गांड को प्यासी नजरों से देख रहा है इसलिए वह कुछ देर तक खामोश रही और फिर बोली ,,,,
अब मालिश भी करेगा कि सिर्फ देखता ही रहेगा लगता है कि यह सब पहली बार देख रहा है,,,।
(अंकित के नई जानबूझकर उसे से ऐसा कह रही थी और अपनी नानी की बात सुनकर अंकित कुछ बोल नहीं पाया वाकई में वह अपनी नानी की मदमस्त भरी हुई गांड देखकर स्तब्ध रह गया था। अपनी नानी की बात सुनकर वह धीरे से बोला,,)
सच कह रही हो नानी यह सब में पहली बार देख रहा हूं,,,,,।
चल अच्छा यह सब तो बहुत बार देखने को मिलेगा आप जल्दी से मालिश कर दे,,,।
(इतना सुनकर अंकित फिर से सरसों के तेल को हथेली में लेकर अपनी नानी की गांड को दोनों हाथों में भर भर कर मालिश करना शुरू कर दिया वाकई में उसे बहुत मजा आ रहा था अपनी नानी की गांड की मालिश करने में,,,, वह कभी सोचा नहीं था कि उसे अपनी नानी की मालिश करना पड़ेगा और वह भी ऐसे हालत में,,, अंकित हैरान था,,,, और उसके हैरानी की वजह थी उसकी नानी की गांड वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था की उम्र दराज औरत की कहानी इतनी मदमस्त और मांसल होगी बिल्कुल उसकी मां की गांड की तरह बस उसकी मां की गांड की तुलना में उसकी नानी की गांड थोड़ी सी बड़ी थी,,,, अंकित दोनों हाथों का उपयोग करके अपनी नानी की गांड की मालिश करके उत्तेजितहुआ जा रहा था।
सच में वह अपने आप को किस्मत का धनी समझ रहा था वरना ऐसा मौका किसे मिलता है,,,, लंड की अकड़ पूरी तरह से उफान पर थी जिसे वह बार-बार अपने हाथ से व्यवस्थित कर रहा,,,, कुछ देर तक मालिश करने के बाद उसकी नानी बोली,,,.
अब थोड़ा सा तेल की धार गांड के बीचों बीच गिरा,,, और दरार के अंदर उंगली डालकर मालिश कर तब ज्यादा आराम मिलेगा,,,।
(अपनी नानी की बात सुनकर उत्तेजना से अंकित गनगना वह समझ गया था किसकी नानी क्या चाहती है और इस बात की खुशी उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी कि उसकी नानी उसकी मां से एक कदम आगे थी उसकी मां तो केवल अपने अंगों का प्रदर्शन करती थी लेकिन कुछ करने को का नहीं पाती थी लेकिन उसकी नानी तो लगता है कि आज ही रात में सारा सुख उसे दे देगी अपनी नानी की बात सुनते ही वह सरसों के तेल की कटोरी फिर से अपने हाथ में ले लिया,,, और अपनी नानी के कहे अनुसार ही तेल की धार को उसकी गांड की दरार के अंदर गिराने लगा,,, और जैसे-जैसे सरसों के तेल की धार गांड की गहराई में उतर रही थी वैसे-वैसे अंकित की नानी का बदन कसमसा रहा था,,,, उसे एक अद्भुत आनंद की अनुभूति हो रही थी जिसकी वजह से उसकी बुर से मदन रस टपक रहा था।
उम्र के ईस पड़ाव पर बुर से मदन रस झरना यह भी बड़ी बात थी,,, क्योंकि इस उम्र में कभी कभार ही औरत की बुर गीली होती है,,, लेकिन अंकित की नानी की बुर ऐसे मौके पर बार-बार पानी छोड़ती थी जिसकी एक खास वजह थी की उम्र के इस दौर पर भी पहुंचकर अंकित की नानी मजा लेना नहीं छोड़ी थी उसके बदन से वासना बिल्कुल भी काम नहीं हुई थी और यही कारण था कि ऐसे हालात में बार-बार उसकी बुर पानी छोड़ती थी। देखते देखते अंकित कटोरी का सारा तेल अपनी नानी की गांड में उडेल दिया था,,, यहां पर अब वह अपने मन में यही सोच रहा था कि अब उसे भी यहां पर हिम्मत दिखाने की जरूरत है जैसा कि वह राहुल की मां के साथ हिम्मत दिखाया था। क्योंकि यह सब जो भी हो रहा है या उसकी नानी की तरफ से एक इशारा एक आमंत्रण है अगर आज वह इस इशारे को आमंत्रण को ठुकरा देता है तो उससे बड़ा बेवकूफ कोई नहीं होगा,,, इस बात का अहसास होते ही अंकित अपने मन को एकदम मजबूत कर लिया था।
अंकित फिर से अपनी नानी की गांड की मालिश करना शुरू कर दिया था। लेकिन एक बार फिर से अपनी नानी की इजाजत चाहता था अपनी उंगलियों को गांड की दरार के अंदर ले जाने के लिए और जल्द ही उसे अपनी नानी की तरफ से इजाजत भी मिल गई,,, उसकी नानी उसे इजाजत देते हुए बोली,,,।
अरे अंदर उंगली डालकरमालिश कर,,,।
जी नानी,,,,,।
(अंकित को इस बात पर एहसास होने लगा था कि उसकी नानी गांड की दरार में उंगली डालकर मालिश करने के लिए क्यों बोलरही है,,, इसलिए वह भी उत्साहित हुआ जा रहा था,,,, वह अपनी नानी की बात मानते हुए अपनी उंगली को अपनी नानी की गांड की दरार की अंदर तक डालकर उसकी मालिश करने लगा लेकिन जल्दी उसे एहसास हो गया कि उसकी उंगली उसकी नानी की बुर तक पहुंच रही थी,, उसकी गर्माहट उसका स्पर्श उसका गीलापन उसे अच्छी तरह से एहसास करा रहा था उसकी हालत खराब होती जा रही है,,,, उसकी नानी भी अपने नाती की उंगली को अपनी बुर पर महसूस करके मदहोश हुए जा रही थी,,, अंकित बिल्कुल भी घबरा नहीं रहा था ट्यूबलाइट की रोशनी में उसकी नानी की गोरी गोरी गांड एकदम साफ दिखाई दे रही थी जो कि उसके उत्तेजना को पल-पल बढ़ा रही थी,,,, अपनी नानी की बुर पर अच्छे से उंगली को रगड़ते हुए वह बोला।)
कैसा लग रहा है नानी,,,,।
सहहहहह,,,आहहहहहह,,,, बहुत अच्छा लग रहा है रे,,,, तेरी उंगली जब जब मेरी बुर पर छुआ रही है अजीब सा हो रहा है बहुत अच्छा लग रहा है,,,।
(अपनी नानी की बातें सुनकर अंकित के तन बदन में उत्तेजना की लहर का तूफान उठने लगा क्योंकि उसे नहीं मालूम था कि उसकी नानी इतनी खुले शब्दों में एकदम से उसके सामने बोल देगी,,,, फिर भी अपनी नानी की बात सुनकर अंकित नादान बनता हुआ बोला,,,)
बुर पर लेकिन मेरी उंगली तो वहां तक नहीं जा रही है,,,।
अरे बुद्धू तेरी उंगली बड़ी आराम से मेरी बुर पर जा रही है देखना चाहता है,,,, रुक मैं तुझे दिखाती हूं,,,,,(इतना कहने के साथ ही उसकी नानी पेट के बल लेट-लेटे ही अपनी जांघों को खोल दी,,,, और उसके ऐसा करते ही एक बार फिर से अंकित को उसकी नानी की गुलाबी बर नजर आने लगी जो की सरसों के तेल में पूरी तरह से डूबी हुई थी और उसका खुद का मदन रस छल छलआ रहा था,,, जिसे देखकर अंकित के मुंह में पानी आ रहा था,,,, अंकित की नई अच्छी तरह से जानती थी कि इतनी मात्रा से ही उसके नाती को उसका गुलाबी छेद बडे आराम से दिखाई दे रहा होगा,,, इसलिए वह मन ही मन प्रसन्न हो रही थी,,,, फिर भी वह अंकित से बोली,,,।)
देख तुझे मेरी बुर दिखाई दे रही है ना,,,(अंकित की नई एकदम बेशर्मी भरे शब्दों का प्रयोग करते हुए बोली जिसका असर अंकित पर बेहद गहरा पड़ रहा था अपनी नानी के मुंह से इस तरह से बुर शब्द सुनकर उसके लंड की अकड़ बढने लगी थी,,,, अंकित पागलों की तरह अपनी नानी की बुर को देख रहा था अपनी नानी की बात सुनकर वह धीरे से बोला,,,)
हां नानी एकदम साफ दिखाई दे रही है,,,,,,,।
अब जैसे पहले मालिश कर रहा था उसी तरह से कर और देख तेरी उंगली वहां पहुंचती है कि नहीं,,,।
(अंकित अच्छी तरह से समझ गया था उसकी नानी क्या चाहती है,,,, इसलिए मन ही मन प्रसन्नता के साथ उत्तेजित भी हुआ जा रहा था,,,,)
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Aaaaah kitni majedaar story chal rahi hai.अंकित की नानी अपनी दोनों टांगे खोलकर उसे अपनी गुलाबी बुर दिखा दी थी,,, जिसे देखकर अंकित पागल हो गया था और यह सब उसकी नानी जानबूझकर कर रही थी इतना उसे अच्छी तरह से मालूम हो गया था,,,, पहले के ही तरह अंकित को उसने मालिश करने को बोली और यह देखने के लिए बोली कि तेरी उंगली वहां तक पहुंचती है कि नहीं,,,, यह सुनकर अंकित की हालत और भी ज्यादा खराब होने लगी लेकिन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी यह सब अंकित के लिए पहली बार था लेकिन जो कुछ भी हो रहा था उसमें अंकित को अपना ही भला होता दिखाई दे रहा था,,। इस समय भला अंकित अपनी नानी की बात कैसे टाल सकता था उसके ना खाने के बावजूद भी वह खुद अपनी उंगली को उसकी पुस्तक पहुंचने के लिए आतुर नजर आ रहा था।
कटोरी में सरसों का तेल खत्म हो चुका था लेकिन फिर भी अंकित कटोरी में अपनी उंगली डालकर उसे अच्छे से तेल अपनी उंगली पर लगने लगा और फिर एक बार फिर अपनी नानी की मालिश करना शुरू कर दिया,,, अपनी नानी की बड़ी-बड़ी गांड को दोनों हाथों में लेकर मालिश करने का जो आनंद अंकित को प्राप्त हो रहा था उसे अंकित बयान नहीं कर सकता था वाकई में आज उसके हाथों में आसमान का चांद लग गया था और उसकी खूबसूरत नंगी गांड आसमान के खूबसूरत चांद की तरह ही होती है जिस पाकर मर्द अपने आप को दुनिया का सबसे खुशकिस्मत इंसान समझता है,,, अंकित अपने मन में सोच भी रहा था कि अगर इस समय उसकी नानी अपने मुंह से पूछ लेती उसके दोनों हाथों में क्या है तो वह यह कहते बिल्कुल भी नहीं इसकी चाहेगा कि उसके हाथ में चांद आ गया है,,,। अपनी नानी की गांड की मालिश करते हुए अंकित का दिल जोरो से धड़क रहा था उत्तेजना परम शिखर पर थी ऐसा लग रहा था कि लंड पैंट फाड़कर बाहर आ जाएगा,,, जिसे बार-बार अंकित अपने हाथों से व्यवस्थित करने की कोशिश कर रहा था।
इस पल का आनंद अंकित की नानी भी बराबर ले रही थी,,, यहां आने से पहले उसे बिल्कुल भी अंदेशा नहीं था कि अपने नाती के साथ ही उसे ऐसा कुछ करना पड़ जाएगा ऐसा हुआ करती भी नहीं लेकिन सोते समय उसके लंड की चुभन अपनी गांड पर महसूस करके वह मदहोश हो चुकी थी और अपनी जवानी पर काबू नहीं कर पाई थी जिसके चलते पूरी तरह से बेशर्मी का प्रदर्शन दिखाते हुए वह अपने नाती से अपनी गांड की मालिश करवा रही थी। अंकित की नई की सांसे भी ऊपर नीचे हो रही थी,,, बादल में उत्तेजना की लहर उठ रही थी और गुलाबी दरार से मदन रस का बहाव लगातार हो रहा था,,, अंकित को गांड के ऊपर ही सदा पर मालिश करते हुए देखकर अंकित की नानी बोली,,,।
पहले की तरह मालिश कर अंदर तक उंगली लेजा,,,,
(अपनी नानी की बात सुनकर अंकित समझ गया कि यह पूरी तरह से रंडी है काश उसकी मां भी इतने खुले विचारों वाली होती तो इतने पापड़ ना बेलने पड़ते,,, फिर भी अपने मन में यह सोचकर अपने मन को तसल्ली देने लगा कि चलो मा नहीं मा की मां ही सही,,,,, अपने मन में ऐसा सोचते हुए वह भी थोड़ा शरारत करने की सोच औरबोला,,,)
अंदर ज्यादा दर्द कर रहा है क्या नानी,,,,।
अरे बहुत दर्द कर रहा है पूछ मत कितने अंदर तक दर्द कर रहा है तू अंदर के दर्द को दूर नहीं कर पाएगा,,,,।
बोलो तो सही में सर दर्द ठीक करने के लिए तैयार हूं मुझ पर भरोसा रखो लेकिन सही-सही बताओ दर्द कहां हो रहा है,,,।
(अंकित अपनी नानी से उसकी ही भाषा में बोल रहा था लेकिन अपनी नानी को बिल्कुल भी एहसास नहीं होने दे रहा था कि वह यह सब जानबूझकर बोल रहा है उसकी नानी को ऐसा ही लग रहा था कि वह नादानी पन में ऐसा बोल रहा है और उसकी बातें सुनकर उसकी नानी मन ही मन बहुत प्रसन्न हो रही थी उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि आज की रात उसके लिए भी बहुत आनंददायक बीतने वाली है,,, फिर भी वह देखना चाहती थी कि उसका नाती बिना कुछ बोले कितना कुछ कर दिखाता है इसलिए वह बोली,,,)
अभी तो तू सिर्फ मालिश कर दे फिर देखती हूं कि कितना तू कर सकता है,,,,।
ठीक है नानी,,,(और इतना कहने के साथ वह फिर से अपनी उंगलियों को गांड की दरार के बीच ले जाने लगा जैसे-जैसे उसकी उंगली गांड की तरह के नीचे की तरफ जा रही थी वैसे-वैसे उसकी नानी के बदन में कसमसाहट बढ़ती जा रही थी,,,, उसकी हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,, गांव में उसने एक औरत थी जिसे वह मालिश करवाती थी लेकिन वह अभी इतना आनंददायक और उसके जनात्मक मालिश एक औरत होने के बावजूद भी नहीं कर पाती थी शायद इसलिए कि वह एक औरत थी और इस समय वह एक मर्द से मालिश करवा रही थी,,,, औरत के बदन पर मर्द की हथेली और उसके स्पर्श का मजा ही कुछ और होता है जो एक औरत ही समझ सकती है,,,, देखते ही देखते अंकित की उंगलियां उसकी नानी की बुर तक पहुंचने लगी थी जिसकी गर्मी उसे अपनी उंगली के पोर पोर में महसूस हो रही थी,,, मुझे गर्मी सीधा उसकी दोनों टांगों के बीच के हथियार पर दस्तक दे रही थी। मालिश करते हुए अपनी नानी की बुर का स्पर्श अंकित को आनंदित कर दे रही थी,,, बेहद अद्भुत और अतुलिनिय एहसास अंकित को महसूस हो रहा था वाकई में इस उम्र में भी उसकी नानी की बुर तरो ताजा दिखाई दे रही थी कि पूछो मत,,,।
तीन चार बार मालिश करते हुए अंकित अपनी नानी के बुर को स्पर्श किया तो उसकी नानी एकदम से मदहोश होते हुए बोली।।
सससहहह,,,,, कितना मजा आ रहा है तेरी मालिश का कसम से तेरी उंगलियों में जादू है,,,,,आहहहहहहह,,,, बहुत अच्छा लग रहा है ऐसे ही मालिश कर,।
चिंता मत करो नई आज तुम्हारे बदन से दर्द एकदम दूर हो जाएगा,,,(अपनी नानी की बातें सुनकर उत्साहित होता हुआ अंकित बोला)
मैं भी यही चाहती हूं,,,(ऐसा कहते हुए उसकी नानी थोड़ा सा और अपनी जांघों को खोल दी जिससे उसकी नानी की गुलाबी बुर हल्के से खुल गई उसमें से लबालब मदन रस बाहर टपक रहा था जिससे बिस्तर पर बिछी चादर गीली हो रही थी ,,यह देखकर अंकित बोला,,,)
यह क्या नानी तुम्हारी तो सुसु निकल रही है,,,,।
(यह सुनकर उसकी नानी समझ गई कि अंकित किस बारे में बात कर रहा है इसलिए बहुत जोर-जोर से हंसने लगी,,,, और अंकित से बोली)
तू सच में एकदम बुद्धू है अरे वह सु सु नहीं है तुझे नहीं मालूम ,,, जब औरत को एकदम आराम मिलने लगता है तो ईसी तरह से उसकी बुर से निकलता हैं पानी की तरह,,,।
क्या कह रही हो नानी कितनाअजीब है,,,(अंकित सच में सोच में पड़ गया था क्योंकि उसे सच में नहीं मालूम था कि ऐसा कुछ भी होता है,,, इसलिए अपनी नानी की बात सुनकर वह सोच में पड़ गया था वह तो यही सोच रहा था कि शायद उसकी नानी की बुर से पेशाब टपक रहा था,,,, कुछ देर खामोश रहने के बाद अपनी नानी की टांगों के बीच में देखते हुए वह बोला,,,,)
तो क्या अब आपको आराम मिल रहा है,,,,।
हां सच में बहुत आराम मिल रहा है इतना आराम मिल रहा है कि तू पूछ मत मैं बता नहीं सकती,,,।
तो क्या अभी कुछ देर पहले जो बोल रही थी की गहराई में दर्द होता है क्या उसमें भी आराम मिलने लगा है,,,,।
नहीं रे उसमें तो अभी भी दर्द हो रहा है बस वही एक दर्द है जो नहीं जा पाता,,,,,,,,,, अच्छा एक बात सुन ,,,क्या तू मेरे पूरे बदन की मालिश कर देगा,,,,।
हां नानी इसमें क्या हुआ मैं तुम्हारे पूरे बदन की मालिश कर दूंगा,,,(अंकित अपने मन में सोच रहा था कि आज उसकी नई उस पर पूरी तरह से कृपा बरसाने वाली है,,, अंकित की बात सुनकर उसकी नानी उत्साहित होते हुए बोली)
तब तु बिल्कुल भी देर मत कर,,,( सरसों के तेल की कटोरी की तरफ देखते हुए) जा जाकर रसोई घर से थोड़ा सरसों का तेल और लेकर आना ,, सरसों का ,,, तेल खत्म हो गया है,,,,
जी नानी,,, अभी लेकर आया,,,(ईतना कहते हुए अंकीत बिस्तर पर से नीचे उतर गया,,, और सीधा दरवाजे तक पहुंच गया और जैसे ही दरवाजा खोल वैसे उसकी नानी पीछे से आवाज लगाते हुए बोली,,,,)
बिल्कुल भी आवाज मत करना कहीं कोई जग ना जाए एकदम संभाल कर जाना,,,,
जी नानी चिंता मत करो मैं एकदम संभाल कर जाऊंगा,,,,( अंकित अपनी नानी के कहने का मतलब खुल जाएगी तो हो सकता है कार्यक्रम को रद्द करना पड़ जाए और उसकी नानी नहीं चाहती थी कि इस कार्यक्रम को आधे पर रोकना पड़ जाए वह अपनी नानी की बातें सुनकर एकदम प्रसन्न था और जल्दी से रसोई घर की तरफ चल दिया,,, थोड़ी देर में वह कटोरी में सरसों का तेल लेकर अपने कमरे में प्रवेश करने लगा और जैसे ही कमरे में प्रवेश करने लगा उसकी नजर सामने बिस्तर पर पड़ी और सामने बिस्तर पर नजर पडते ही उसके होश उड़ गए,,,, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,, उसने कभी सोचा नहीं था कि उसे अपने कमरे में अपने बिस्तर पर इस तरह का नजारा देखने को मिलेगा,,,,, उसकी जगह कोई और होता तो शायद उसकी भी यही हालत होती,,,,,।
सामने बिस्तर पर उसके गाने बिना कपड़ों से एकदम नंगी पेट केवल लेटी हुई थी उसके सरसों के तेल लेने जाने में वह इस बीच में अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई थी,,,, और अपनी नंगी नानी को अंकित फटी आंखों से देख रहा था अनुभव से भरी हुई उसकी नई मर्द को अपनी मुट्ठी में करने का हुनर अच्छी तरह से जानती थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि इस समय अंकित की हालत क्या हो रही होगी उसे नंगी देखकर वह मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देख रही थी,,,, अंकित को तो अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था ट्यूबलाइट की रोशनी में उसकी बड़ी-बड़ी उभारदार गांड और ज्यादा चमक रही थी जिसे देखकर अंकित के मुंह में पानी आ रहा था और उसके पेंट में उसका तंबू पूरे उफान पर था,,, जिस पर उसकी नानी की नजर बराबर जा रही थी और उसके पेंट में बना तंबू देख कर वह भी मदहोश हुए जा रही थी,,, उसकी नानी उसके पेंट में बने तंबु पर जानबूझकर उसका ध्यान नहीं ले जाना चाहती थी उसे किसी भी तरह से लज्जित नहीं करना चाहती थी लेकिन समय आने पर उसके पेंट में बने तंबू का पूरा उपभोग करने के लिए वह भी काफी उत्सुक थी वह मुस्कुराते हुए अंकित की तरफ देखते हुए बोली,,,)
क्या हुआ ऐसे क्यों देख रहा है,,,,?
नई तुम तो अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई हो,,,,(अपनी नानी के विषय में देख कर अंकित को थोड़ा हिम्मत दिखाते हुए नंगी शब्द का प्रयोग करते हुए बोला)
तो क्या हुआ पूरे बदन में मालिश करवाने के लिए कपड़े उतारना भी तो जरूरी था क्या बिना कपड़े उतारे थे तो मालिश कर देता,,।
नहीं ऐसा तो नहीं हो पाता लेकिन मेरे सामने तुम सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई,,,,(फटी आंखों से अपनी नानी की नंगी गांड की तरफ देखते हुए बोला)
तो इसमें क्या हो गया और वैसे भी तो तू मेरी बुर देख चुका है,,,, मैं तुझे मालूम नहीं की औरत गैर मर्दों से अपनी बुर छुपा कर ही रखती है कपड़ों के अंदर रखती है उसे दिखाती नहीं है,,,, लेकिन तूने तो मेरी बुर देख लिया है इसलिए अब तुझसे शर्म कैसी,,,,।
क्या मैं गैर मर्द नहीं हूं मैं भी तो गैर मर्द हूं,,,,।
अरे बुद्धु तु गैर मर्द कहां से हुआ तू तो मेरा नाती है,,,। अच्छा सब छोड़ दरवाजा खुला है उससे पहले बंद कर दे और जल्दी से आकर मालिश कर,,,।
अपनी नानी की बातें सुनकर अंकित को भी इस बात का एहसास हुआ कि दरवाजा खुला है इसलिए वह तुरंत एक हाथ से दरवाजा बंद किया और उसकी कड़ी लगाकर अपने बिस्तर के करीब आ गया,,, अंकित की हालत पाल-पाल खराब होती जा रही थी उसके भजन में उत्तेजना का रस किसी नशे की तरह खेल रहा था वह अपने नानी की जवानी की मदहोशी में पूरी तरह से डूबता चला जा रहा था,,,, अंकित को मालूम था कि अह क्या करना है वह जल्दी से बिस्तर के ऊपर चढ़ गया और सरसों के तेल की धार अपनी नानी की मखमली चिकनी पीठ और उसके नितंबों के उभार पर गिराने लगा और कटोरी को एक तरफ रखकर मालिश करना शुरू कर दिया,,, अंकित अपने आप को बेहद खुश नसीब समझ रहा था और वाकई में वह खुशनसीब था अभी क्योंकि उम्र के जिस दौर पर वह गुजर रहा था एेसे में उसकी उम्र के लड़के केवल खूबसूरत लड़की हो और औरतों की कल्पना करके अपनी जवानी के गर्मी को शांत करते थे लेकिन उसके बिस्तर पर तो उसकी उम्र में भी जवानी से भरी हुई थी वह पूरी तरह से नंगी होकर उससे मालिश करवा रही थी ।
अपनी नानी के बेशर्मी देख कर अंकित की भी हिम्मत खुलने लगी थी और वह अपनी नानी की बड़ी-बड़ी गांड को अपने दोनों हथेलियां में लेकर उसकी मालिश नहीं बल्कि उसे दबोच रहा था मसल रहा था रगड़ रहा था ऐसा करने में उसे अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी वाकई में एक जवान लड़के के लिए इससे बड़ी बात क्या हो सकती है कि उसके हाथों में एक मदमस्त जवानी से भारी औरत की नंगी गांड हो,,,, अंकित की सांस ऊपर नीचे हो रही थी वह बार-बार अपने पेंट में बने तंबू को अपने हाथ से व्यवस्थित करने की कोशिश कर रहा था,, वैसे तो उसका मन कर रहा था किसी समय अपने लंड को बाहर निकाल कर अपने लंड को अपनी नानी की गांड पर जोर-जोर से रगड़ना शुरू कर दे लेकिन ऐसा करना अंकित के लिए उचित नहीं था ऐसा हुआ समझना था अगर वह कहीं नहीं वह अपनी हिम्मत को आगे बढ़कर इसकी क्रिया को कर देता तो शायद उसकी नानी बिल्कुल भी इनकार नहीं करती बल्कि उसे अपने हाथ से पकड़ कर अपनी गुलाबी छेद में डलवा लेती,,,,,,।
अंकित की नानी को भी इस तरह से मालिश करवाने में मजा आ रहा था अंकित की नानी को भी इस बात का एहसास हो रहा था कि उसका नाती उसकी मालिश नहीं कर रहा है बल्कि उसके बदन से खेल रहा है,,,,,, कुछ देर तक आपकी इसी तरह से अपनी नानी की गांड क्यों परेशान था पर मालिश करता रहा शायद इतने में उसे आनंद की अनुपाती हो रही थी उसे मजा आ रहा था लेकिन अंकित की नई कुछ और चाहती थी इसलिए उसे याद दिलाते हुए बोली,,,,)
जैसे पहले कर रहा था वैसे कर अंदर तक उंगलियां ले जा,,,,(और ऐसा कहने के साथ ही लड़की की रानी पहले की तरह अपनी दोनों जनों को खोल दी जिससे उसका गुलाबी छेद एक बार फिर से नजर आने लगा जिसे देखकर अंकित के मुंह में पानी आने लगा और वह पहले की तरह अपनी उंगलियों को अंदर की तरफ ले जाते हुए उसकी मालिश करने लगा और देखते ही देखते अपनी उंगलियों का स्पर्श अपनी नानी के गुलाबी बुर की पत्तियों पर करने लगा जिससे अंकित की नानी की हालत खराब होने लगी वह मदहोशी के आलम में डूबने लगी,,,, अंकित की हिम्मत बढ़ रही थी क्योंकि उसकी नानी इस समय बिल्कुल भी दिशा निर्देश नहीं दे रही थी वह इस पल का मजा ले रही थी और अंकित अपनी उंगलियों को हल्के हल्के अपनी नानी की बुर की गुलाबी पत्तियों पर रगड़ना शुरू कर दिया था ऐसा करने से जो आनंद की प्राप्ति उसे हो रही थी वह शायद वह बयान नहीं कर पाता वह पागल हुआ जा रहा था उसके लंड की अकड़ बढ़ रही थी उसकी उतेजना बढ रही थी,,,,। और अपनी नानी की बुर में से निकल रहा है मदन रस की बूंद को देखकर उसके मुंह में पानी आ रहा था,,, वह उस पर होठ लगाकर उसके मदन रस को चाटना चाहता था जैसा कि वह अपनी मां की गहरी नींद का फायदा उठाते हुए उसके गुलाबी बुर पर अपने होठ रखकर उसके मदन रस का पान किया था,,,,, बाहर के हल्के गुलाबी पत्तियों पर उंगली रगड़ते हुए अपनी नानी से बोला,,,)
अब कैसा लग रहा है नानी अब तो आराम है ना,,,,
आराम तो होने लगा है लेकिन अंदर का दर्द अभी भी कायम है वह नहीं जाता,,,,।
लेकिन वह कैसे जाता है नानी,,,,,(अंदर के दर्द के मतलब को अंकित अच्छी तरह समझ रहा था,, इतने महीनों से अपनी मां के पीछे यूं ही पापड़ नहीं बेला था,,, वह औरतों के इशारे को अच्छी तरह से समझने लगा था उसे अब यह भी समझ में आने लगा था कि उसकी मां का उसके सामने नग्न अवस्था में अर्धनग्न अवस्था में उसे अपनी तरफ आकर्षित करना आगे बढ़ने का इशारा था लेकिन वह सारे को अच्छी तरह से समझ नहीं पाता था लेकिन वह अब सबकुछ समझने लगा था,,,, इसका ताजा उदाहरण थी राहुल की मां उसके इशारे को अंकित अच्छी तरह से समझ गया था और हिम्मत दिखा कर उसकी दोनों टांगों के बीच अपने होठों को रखकर उसके बुर का रसपान किया था,,,। इस समय उसे लगने लगा था की हिम्मत दिखाने की जरूरत है और फिर उसे भी जीत हासिल हो जाएगी इसलिए वह अपनी नानी से इस तरह का सवाल पूछ रहा था अंकित का सवाल सुनकर उसकी नानी मुस्कुराते हुए बोली,,,)
क्या सच में तू मेरा दर्द दूर करना चाहता है,,,।
हां नानी बिल्कुल,,, मैं आज पूरी तरह से तुम्हारा दर्द दूर कर देना चाहता हूं इसी बहाने मुझे तुम्हारा सेवा करने का मौका तो मिला,,,।
तू तो बहुत अच्छा है रे,,, मेरे बारे में इतना तो सोचता है लेकिन,,,,(इतना कहकर वह खामोश हो गई तो उसकी ख़ामोशी देखकर अंकित उसकी गांड की मालिश करते हुए और अपनी उंगलियों को उसकी बुर तक पहुंचाते हुए बोला)
लेकिन क्या नानी,,,,?
क्या तू सच में मेरा दर्द दूर कर पाएगा,,,,।
हां बिल्कुल तुम बताओ तो सही दर्द कहां हो रहा है,,,,
अच्छा रुक मैं तुझे बताती हूं कि दर्द कहां हो रहा है,,,,,(इतना कहते हैं उसके गाने एकदम से फुर्ती दिखाते हुए करवट लेकर पीठ के बल लेट गई,,,, और इस अवस्था में देख कर तो अंकित की आंखें फटी के फटी रह गई उसकी हालत और ज्यादा खराब होने लगी क्योंकि इस समय उसकी नानी के खूबसूरत बदन के खूबसूरत अंग उसे खुले तौर पर दिखाई दे रहे थे,,,, अपनी नानी की बड़ी-बड़ी चूचियों को देखकर उसके मुंह में पानी आ रहा था अभी तक अंकित का ध्यान अपनी नानी की चूची पर बिल्कुल भी नहीं गया था लेकिन इस समय अपनी नानी की नंगी चूची देखकर उसकी बोलती है तुमसे बंद हो गई थी और वह अपनी नानी से च कोई देख रहा था जो कि इस समय पानी भरे गुब्बारे की तरह उसकी छाती पर लहरा रही थी।
अंकित कि नानी समय-समय पर अपनी जवानी का गोला अंकित के ऊपर दाग रही थी जिससे वह एकदम से ध्वस्त होता चला जा रहा था,,,, अंकित की रानी मां ही मन मुस्कुरा रही थी और अपनी दोनों टांगों को हल्के से खोलकर अपनी गुलाबी बुर को अच्छी तरह से अपने नाती की आंखों के सामने करते हुए बोली,,,,।
इसके अंदर दर्द हो रहा है क्या तू इसके अंदर का दर्द है मीटा पाएगा,,,,।
(अपनी नानी की बात सुनकर अंकित अपनी नानी की तरफ देखा और फिर अपनी नजरों को अपनी नानी की गुलाबी बुर की तरफ करते हुए बोला,,,)
इसके अंदर,,,(उंगली से अपनी नानी की बुर की तरफ इशारा करते हुए बोला)
हां इसके अंदर दर्द हो रहा है खुजली हो रही है क्या तू दूर कर पाएगा,,,,,,।
बिल्कुल नानी,,,(गहरी सांस लेते हुए) लेकिन इसके अंदर हाथ कैसे जाएगा यह तो बहुत छोटा सा छेद है,,,,(अंकित अपनी नानी की बातों को उसकी इशारों को अच्छी तरह से समझ रहा था और समझ गया था कि उसकी नानी इसके अंदर लंड डालने की बात कर रही है लेकिन अपने मुंह से कह नहीं पा रही है और अंकित जानबूझकर नादान बनने की कोशिश कर रहा था उसकी बातें सुनकर उसकी नानी मुस्कुराते हुए बोली)
भले ही है छोटा सा छेद है लेकिन इसमें बहुत मोटा मोटा और लंबा-लंबा चीज चला जाता है,,,।
क्या बात कर रही हो नानी ऐसा कैसे हो सकता है,,,,(अंकित जानबूझकर हैरान होने का नाटक करते हुए बोला,,,)
बिल्कुल ऐसा ही होता है लेकिन तू अभी नहीं समझ पाएगा क्योंकि तू इन सब चीजों से अभी गुजरा नहीं है,,,,,, इसलिए तू सिर्फ इसके अंदर अपनी उंगली डालकर उसे गोल-गोल घूमाकर मालिश कर दे,,,, अपनी उंगली को सरसों के तेल में डूबा कर मालिश करना,,,।
ठीक है नानी,,,,,(इतना कहकर अंकित अपनी नानी के दिशा निर्देश पर आगे बढ़ना चाहता था लेकिन तभी उसकी नानी कुछ और चाहती थी वह अपनी जवानी का जलवा पूरी तरह से अंकित के मन पर अंकित कर देना चाहती थी इसलिए अपने दोनों हाथों से अपनी चूची पकड़ कर वह उसे हल्के से दबाते हुए बोली)
अच्छा पहले मेरी चूचियों की मालिश कर दे,,,,।
(इतना सुनकर अंकित एक तक अपनी नानी की चूचियों की तरफ देखने लगा,,,
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