Pradeep paswan
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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाझड़ने के बाद अंकित अपनी नानी के बगल में पसर गया था,,, और गहरी गहरी सांस ले रहा था अंकित की नानी बहुत खुश थी,,, पहली बार उसे ऐसे मर्द से पाला पड़ रहा था जो उसके धागों को पूरी तरह से खोल दिया था,,,,,,,, दोनों गहरी गहरी सांस ले रहे थे अंकित की नई की गहरी चलती सांस के साथ उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां के ऊपर नीचे हो रही थी जिस पर अंकित की नजर बनी हुई थी वह एक बार झड़ चुका था लेकिन लंड की अकड़ बरकरार थी,,, वह धीरे से अपना हाथ अपनी नानी की चूची पर रख दिया और उसे फिर से दबाना शुरू कर दिया अंकित की नई अंकित के खड़े लंड को देखकर बोली,,,।
झड़ जाने के बाद भी तेरा खड़ा रहता है सच में तु असली मर्द है,,,।
तो क्या नानी झड़ जाने के बाद लंड ढीला पड़ जाता है क्या,,,(अपनी नानी की चूची को जोर-जोर से दबाते हुए बोला)
तो क्या एक बार पानी निकलने के बाद वह एकदम से ढीला पड़ जाता है,,,,, और उसके खड़े होने में थोड़ा समय लगता है लेकिन तेरा तो पानी निकालने के बाद भी खड़ा ही रहता है,,,(अपना हाथ अंकित के लंड पर रखते हुए बोली,,,, अपनी नानी की बातें और उसकी हरकत को देखकर अंकित उसकी चूची को जोर से दबाते हुए बोला,,,)
सच में नानी तुम बहुत मजा देती हो,,, अगर तुम नहीं सिखाती तो मैं तो कुछ जान ही नहीं पता मुझे कुछ आता ही नहीं था।
लेकिन तू तो सब कुछ बहुत जल्दी सीख गया,,,।
यह सब तुम्हारी मेहरबानी है नानी लेकिन मजा आया बहुत मजा आया,,,,।
मुझे भी बहुत मजा आया,,,,,(घड़ी की तरफ देखते हुए जिसमें दो बज रहा था और वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,) देख 2:00 बज गया है सच में जिससे भी तेरी शादी होगी वह बहुत खुश नसीब होगी,,,।
ऐसा क्यों,,,?
क्योंकि तू उसकी जमकर चुदाई करेगा और औरत को यही सुख सबसे ज्यादा चाहिए पैसे गहने घर द्वार यह सब तो चलता ही रहता है लेकिन औरत की असली खुशी सिर्फ चुदाई में मिलती है और तेरे जैसा मर्द मिल जाए तो औरत के तो बारे न्यारे हो जाए,,।
तो मैं भी चलूं क्या तुम्हारे साथ गांव रोज मजा करेंगे,,,।
मैं भी यही सोच रही थी लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि तृप्ति को तैयार कर चुके हैं मैं तो अपनी फैसले पर ही अपने आप पर गुस्सा कर रही हूं तृप्ति की जगह मुझे तुझे ले जाना चाहिए था,,,, अगर तू मेरे साथ चलता तो बहुत मजा आता,,, गांव में चारों तरफ हरियाली है हरियाली हर जगह मजा करते हैं खेत में कल्याण में तालाब में जहां गाय भैंस बांधते हैं वहां,,, नल पर सच में बहुत मजा आता ट्यूबवेल में नहाते हुए मजा करते,,,।
नई जिस तरह से तुम बता रही हो सच में मेरा चलने का मन कर रहा है लेकिन अब कुछ हो नहीं सकता क्योंकि अगर मैं भी चलूंगा तो मम्मी अकेली हो जाएगी ऐसा नहीं हो सकता कि सब लोग साथ चले,,,,।
नहीं अब इस तरह से एका एक चलने की तैयारी कैसे कर सकते हैं,,, चल कभी शादी ब्याह पड़ेगा या अगली गर्मी की छुट्टी में सब साथ में चलेंगे,,,।
सच में नानी बहुत मजा आएगा,,
मजा तो बहुत आएगा,,,, अब मुझे बड़े जोरो की पेशाब लगी है,,,, मुझे उठने दे,,,,(ऐसा कहकर वहां बिस्तर से उठने लगी तो अंकित खुद जल्दी से उठकर बिस्तरसे नीचे आ गया और उसकी नानी कुछ कहती कुछ समझ पाती ईससे पहले ही वह अपनी नानी को बिस्तर पर से ही अपनी गोद में उठा लिया,,,, अंकित की नानी के लिए यह बेहद अद्भुत था वह अपने नाती की ताकत पर गर्व महसूस कर रही थी और मुस्कुरा रही थी लेकिन फिर भी उसे डर लग रहा था इसलिए वह बोली,,,)
अरे रहने दे उतार नीचे कहीं गिर गई तो चोट लग जाएगा,, गजब हो जाएगा,,,,,,,,(थोड़ा सा घबराते हुए वह बोली)
ऐसे कैसे गिर जाओगी यूं ही नहीं कसरती शरीर बना कर रखा हूं,,, ऐसा लगता है कि उसी दिन के लिए कसरत करके मेहनत किया था आज सभी समय आ गया है,,,,(अंकित उसी जगह पर खड़े-खड़े ही अपनी नानी से बोला,,, उसकी नानी का दिल जोरो से धड़क रहा था, क्योंकि चाहे जो हो भले ही वह न जाने कितनी मर्दों के साथ सारे संबंध बन चुकी थी लेकिन किसी ने भी उसे गोद में नहीं उठाया था और वह भी इस तरह से तो बिल्कुल भी नहीं,,, उसके जीवन में अंकित पहले मर्द था जो उसे संपूर्ण रूप से संतुष्टि का एहसास भी कर रहा था और कार्य क्षमता का परिचय देते हुए अपनी मर्दाना ताकत का सही उपयोग करते हुए उसे गोद में उठा लिया था,,,, अंकित की नई अपनी भारी भरकम शरीर को अच्छी तरह से समझती थी वह जानती थी कि इस तरह से गोद में उठा पाना अंकित जैसे लड़कों के लिए तो वाकई में मुमकिन कार्य नहीं है लेकिन इसे नामुमकिन कार्य को अंकित ने मुमकिन बना दिया था इसलिए तो अंकित के मर्दाना ताकत से उसकी नानी की छाती गर्व से गदगद हुए जा रही थी,,,
अंकित अपनी नानी के खूबसूरत चेहरे को देखकर मुस्कुरा रहा था और उसकी नानी अंकित को देखकर मुस्कुरा रही थी अंकित भी पूरी तरह से नंगा था और उसकी नानी भी बिना कपड़ों की थी,,,, अभी-अभी अंकित अपनी नानी की चुदाई करके अपना पानी निकल चुका था लेकिन अपनी नानी को गोद में लेने से ऐसा लग रहा था जैसे एक बार फिर से उसकी उत्तेजना वापस लौट रही थी और लंड पूरी तरह से ढीला पड़ता इससे पहले ही वह फिर अपनी औकात में आने लगा था,,, और ऊपर की तरफ मुंह उठने लगा था जिससे उसका छुपाना उसकी नानी की गांड पर स्पर्श कर रही थी उसके पीठ पर रगड़ खा रही थी,, अंकित की नानी अंकित के लंड के स्पर्श से फिर से गर्म होने लगी थी,,,,,
अंकित के लिए यह सब कुछ नया नया था,, और अभी-अभी सुबह जवान हुआ था इसलिए उसका खून ज्यादा गर्म था वह बार-बार उससे ही सो जा रहा था उसकी नानी उसके आगे ढीली पड़ जा रही थी लेकिन अंकित अपनी हरकतों से अपनी नानी को फिर गर्म कर दे रहा था,,,, अंकित उसी तरह से अपनी नानी को गोद से में उठाए हुए दरवाजे की तरफ जाने लगा,,,, अंकित की नानी को इस बात का डर लग रहा था कि कहीं उसका वजन न संभाल पाने के कारण वह कहीं नीचे ना गिरा दे इसलिए बार-बार उसे नीचे उतरने के लिए बोल रही थी लेकिन वह बिल्कुल भी अपनी नानी की बात नहीं मान रहा था क्योंकि उसे अपनी भुजाओं पर पूरा विश्वास था देखते ही देखते हो वह दरवाजे तक पहुंच चुका था लेकिन इस बीच उसका लंड बार-बार उसकी नानी की पीठ से रगड़ खाकर अपनी औकात में आ चुका था यह एहसास अंकित की नानी को भी हो रहा था तभी तो वह भी गरम होती जा रही थी,,,, अंकित दरवाजे पर पहुंचकर अपनी नानी से मुस्कुराते हुए बोला,,,।
तुम दरवाजा खोलो नानी,,,।
(अंकित की हरकत से उसकी नानी की मदहोश हो चुकी थी वह पूरी तरह से अपनी नाती का गुलाम बन चुकी थी इसलिए गोद में बैठे-बैठे ही वह अपने दोनों हाथ का सहारा लेकर दरवाजे की कड़ी खोल दी,,,, दरवाजा खोलने लगी और साथ में यह भी हिदायत देने लगी की,,,)
देखना बिल्कुल भी शोर मत मचाना किसी की नींद ना खुल जाए,,,,।
बिल्कुल भी नहीं खुलेगी नानी,,,,,।
(कल इसी तरह से पेशाब करने जाते समय अंकित घबरा रहा था लेकिन आज उसकी नानी को थोड़ा डर महसूस हो रहा था एक ही रात में सब कुछ बदल गया था अंकित उसके साथ पूरी तरह से खुल चुका था एक असली मर्द की तरह उसके साथ पेश आ रहा था,,, और इतना कहने के साथ ही अंकित कमरे से बाहर निकाल कर अभी भी उसकी नानी उसकी गोद में थी अपनी नानी को गोद में उठाने पर और वह भी लग्न अवस्था में उसे काफी उत्तेजना का एहसास हो रहा था उसे मजा आ रहा था,, और इस समय उसे अपनी नानी का वजन बिल्कुल भी महसूस नहीं हो रहा था क्योंकि अंकित खुद उत्तेजित अवस्था में था पूरी तरह से जोश से भरा हुआ था,,, और देखते ही देखते हैं अंकित घर के कोने में पहुंच गया जहां पर कल दोनों पेशाब किए थे,,, वहां पहुंचते ही अंकित अपनी गोद में से अपनी नानी को नीचे उतारने लगा,,, उसकी नानी उसकी गोद से नीचे उतर चुकी थी,,,, उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी,,,,।
और वह तुरंत अंकित की आंखों के सामने ही बैठकर पेशाब करने लगी पेशाब करते समय अंकित की नानी की खूबसूरती और उसकी कामुकता पूरी तरह से बढ़ जाती थी इस अवस्था में अगर कोई अंकित की नानी को देख ले तो वाकई में उसका लंड ईस नजारे को देखकर ही पानी फेंक दे,,, बुर से निकल रही सिटी की आवाज,,, सुनकर अंकित की हालत खराब होने लगी उसके कानों में इस मधुर ध्वनि के पडते ही वह पूरी तरह से बेकाबु होने लगा उसकी मदहोशी एकदम से बढ़ने लगी,,, और वह अपनी नानी की आंखों के सामने ही अपने लंड को पकड़ कर हिलता हुआ पेशाब करने लगा इस नजारे को अपनी बेहद करीब देखकर उसकी नानी की बुर पकोड़े की तरह फूलने लगी मदहोश होने लगी,,,, और वह अगले ही पल एक हाथ अपनी बर पर रखकर दूसरे हाथ को अंकित के लंड पर रख दी,,, और उसे कसके दबा दी जिससे कुछ देर के लिए अंकित की पेशाब एकदम से रुक गई और फिर वह वापस अपनी हथेली के कसाव को लंड पर से ढीला करने लगी और वापस पेशाब छुटने लगी,,, ऐसा वह बार-बार कर रही थी जिससे अंकित का पेशाब रुक-रुक के बाहर निकल रहा था लेकिन अपनी नानी की हरकत पर अंकित की मदहोशी और उत्तेजना और भी ज्यादा बढ़ने लगी थी,,,,।
थोड़ी देर में हम किसकी नानी के बुर से सिटी की आवाज कमजोर पडने लगी और कुछ देर बाद एकदम से बंद हो गई इसका मतलब साफ था कि वह पेशाब कर चुकी थी लेकिन अंकित के लंड से अभी भी रह रहकर पेशाब निकल रही थी,,, अंकित तो पागल हुआ जा रहा था उसकी हालत खराब हो रही थी उसका लंड फिर से तैयार था उसकी नानी की बुर में घुसने के लिए लेकिन इससे पहले अंकित की नई अपने लाल लाल होठों को खोलकर अंकित के लंड को अपने मुंह में भर ली और उसे चूसना शुरू कर दी,,,, ओहहहहह नानी,, अपनी नानी की हरकत पर एकदम से अंकित के मुंह से मदहोशी भरी आवाज निकल गई,,, वह पूरी तरह से मस्त होने लगा था,,,, घर के बाहर सड़क की स्ट्रीट लाइट की रोशनी दरवाजे की दरार से अंदर तक हल्की रोशनी बिखेर रही थी,,, जिसमें सब कुछ साफ-साफ दिखाई दे रहा था अंकित अपनी नानी की हरकत को देखकर एकदम चुदवासा हुआ जा रहा था,,,,।
कुछ देर तक अंकित की नई अंकित को इसी तरह से खुश करती रही और जब अंकित से बर्दाश्त नहीं होगा वह खुद ही अपनी नानी का हाथ पकड़ कर उसे कड़ी किया और दीवार से सटा दिया उसकी कमर में हाथ डालकर उसे अपनी तरफ खींचकर उसकी बड़ी-बड़ी गांड को अपने सिधान पर लेने लगा,,, और अगले ही पल अंकित अपने लंड को अपनी नानी के गुलाबी छेद में डालकर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया अंकित के लिए यह बेहद हिम्मतवाला कार्य था,,, क्योंकि अंकित पहली बार अपने मन से किसी औरत की चुदाई कर रहा था वैसे तो वह बीती रात को ही यह सब अपनी नानी से ही सीखा था और आज अपनी नानी को उसके सिखाए गए हुनर का करतब दिखा रहा था,,, जो की बेहद लाजवाब था।
अंकित का हर एक धक्का उसकी नानी के बच्चेदानी तक पहुंच रहा था अंकित का लंड रगड़ रगड़ के अंदर बाहर हो रहा था,,,, अंकित तो दोनों हाथों से अपनी नानी की कमर पकड़ कर अपनी कमर हिला रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था वह आनंदित हो जा रहा था वह जानता था कि इस तरह का मौका अब ना जाने कब मिलेगा इसलिए वह इस मौके का भरपूर फायदा उठा लेना चाहता था,,,, अंकित की नई तो मानो जैसे हवा में उड़ रही हो इस तरह का शो कुछ नहीं इससे पहले कभी नहीं भौजी थी भले ही कई मर्दों के साथ उसके जिस्मानी तालुका थे लेकिन इस तरह का सुख आज तक किस्मत में नहीं दिया था वह पूरी तरह से दोस्त होती चली जा रही थी,,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि कल का लौंडा रगड़ रगड़ कर उसका पानी निकाल रहा था,,,, तकरीबन 30 मिनट की घमासान चुदाई के बाद अंकित अपनी नानी के साथ ही झड़ गया,,,, यह बेहद अद्भुत फल था उसकी नानी पूरी तरह से मत हो चुकी थी अंकित धीरे से अपने लंड को अपनी नानी की बुर से बाहर खींच लिया,,,,।
दोनों दूसरे को देखकर मुस्कुरा रहे थे दोनों अपनी-अपनी हसरत को एक दूसरे से पूरी कर रहे थे अंकित तो पूरी तरह से सपनों की दुनिया में खो चुका था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि यह जो कुछ भी हो रहा है यह हकीकत है या कोई सपना या उसकी कोई कल्पना लेकिन यह ना तो कोई कल्पना थी और नहीं कोई सपना,, जो कुछ भी था वह पूरी तरह से हकीकत था लेकिन यह सब कुछ अंकित की सोच के परे था दो-तीन दिन पहले ही वह सिर्फ अपनी मां के बारे में सोचता था और उसके जीवन में केवल सुमन और राहुल की मां ही आई थी जो की ऊपर ऊपर से थोड़ा बहुतउसे आनंद प्रदान की थी,,,, लेकिन उसकी नानी उसके जीवन में जाकर उसके जीवन को पूरी तरह से बदल दी थी एक ही रात में उसे पूरा मर्द बना दी थी एक औरत को कैसे खुश किया जाता है यह हुनर उसे सिखा दी थीं और इस हुनर का सही उपयोग करके आ जाओ अपनी नानी की बुर का भोसड़ा बना रहा था,,,,।
एक बार फिर से चुदाई का आनंद लेकर दोनों अपने कमरे में आ चुके थे और दरवाजा बंद करके कड़ी लगा दिए थे लेकिन अभी भी नींद दोनों की आंखों से कोसों दूर थी कमरे में ट्यूबलाइट जल रही थी जिसकी दूरी और रोशनी में अंकित की नई का नंगा बदन अपनी मदहोशी भरी आभा बिखैर रहा था,,,, अंकित किरानी बिस्तर पर बैठकर अंकित को देख रही थी अंकित अभी भी दरवाजे के पास खड़ा था और उसका लंड दो बार की चुदाई के बाद हल्का सा झूल गया था,,, लेकिन अंकित की नानी अच्छी तरह से जानती थी कि अंकित का लंड इस अवस्था में भी बुर में घुसेगा तो पूरी तरह से संतुष्ट करने के बाद ही बाहर आएगा,,,, अंकित की नई घड़ी की तरफ देखी तो 3:30 का समय हो रहा था,,, 2 दिन से दोनों सोए नहीं थे और वह दोनों इस बात का अच्छी तरह से समझ गए थे कि जो सोवत है वह खोवत है,,, और वाकई में अगर अंकित और उसकी नानी नींद को प्रधान्य देते तो शायद इस तरह का सुख कभी नहीं भूल पाए लेकिन उन दोनों ने नींद को त्याग कर भोग पर ध्यान केंद्रित किया तभी तो जवानी का मजा लूट रहे थे,,,,।
अंकित जानता था कि अभी भी दोनों के पास काफी समय है और आज की ही रात है कल की रात तो उसकी नानी ना जाने कहां होगी इसलिए वह आज की रात पूरी तरह से अपनी नानी के नाम कर देना चाहता था,,,, इसलिए अपने लंड को पकड़ कर हिलाते हुए अपनी नानी के पास आता हुआ बोला,,,।
क्या नई तुम्हें नींद तो नहीं आ रही है ना,,,।
अरे हरामि जिसका तेरे जैसा नाती हो भला उसको नींद कैसे आएगी,,,।
तुम सच कह रही हो नानी और जिसकी नानी तुम्हारी जैसी हो भला ऐसे नाती को नींद कैसे आएगी,,,।
हरामी,,, पक्का मादरचोद बनेगा,,,,।
(अपनी नानी की बात को अंकित अच्छी तरह से समझ रहा था इसलिए मन ही मन में प्रसन्न हो रहा था,,,, अंकित अपनी नानी को उसके बताए अनुसार दो-तीन आसन से चोद कर सुख प्राप्त कर लिया था लेकिन अभी अपनी नानी पर एक आसन आजमाना बाकी था,,, जिस आसन को वह राहुल के घर देखा था वही आसन वह अपनी नानी पर आजमाना चाहता था,,,, अंकित अपनी आंखों से देखा था कि राहुल के लंड के ऊपर उसकी मां चढ़ी हुई थी और अपनी गांड जोर-जोर से पटक रही थी,,, और इसी तरह से अंकित भी अपनी नानी के साथ करना चाहता था,,,, जिस तरह से अंकित अपना लंड हिला रहा था एक बार फिर से उसमें खून का दौरा बढ़ने लगा था और उसका कड़कपन पहले की तरह होने लगा था,, यह देख कर अंकित की नानी मुस्कुराते हुए बोली,,,)
हाय दैया क्या खाता है रे,,,, तेरा तो अभी भी खड़ा है,,,,,।
तुम्हारे जैसी बुर के लिए लंड को हमेशा खड़ा रहना पड़ेगा,,,
अच्छा तो तुम मेरे लिए लंड को खड़ा किया है,,,।
यहां और कोई है क्या,, सिर्फ तुम्हारे लिए,,,,(लंड को हिलाते हुए अंकित बोला,,,)
लेकिन मैं तो एकदम थक गई हूं,,,,।
बस एक बार और फिर सो जाना,,,,(इतना कहने के साथ एक बार फिर से वह अपनी नानी के करीब आकर उसे अपनी बाहों में भर लिया वह बिस्तर पर बैठी थी और वह पलंग के पास खड़ा था और इस तरह से अपने बाहों में अपनी नानी को भरकर उसके लाल-लाल होठों पर चुंबन करने लगा और उसे लेकर बिस्तर पर पसर गया लेकिन अगले ही पल वह फुर्ती दिखाता हुआ अपनी नानी को एकदम से अपने ऊपर ले लिया,,, उसकी इस हरकत से उसकी नानी एकदम से हक्की बक्की रह गई,,,, अंकित कुछ देर तक इस तरह से अपनी नानी को अपनी बाहों में लेकर उसकी बड़ी-बड़ी गांड पर अपनी हथेली रखकर उसे सहलाता रहा तो बता रहा और उसका लंड बार-बार नीचे से उसकी बुर में घुसने की कोशिश करता रहा,,, अंकित की नानी थकी होने के बावजूद भी अंकित की हरकत से एक बार फिर से गर्म होने लगी और वह अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर अंकित के लंड को पकड़ कर अपनी बुर में डालने की कोशिश करने लगी,,, यही तो अंकित चाहता था,,,,।
देखते देखते अंकित की नानी घुटनों के ऊपर बैठ गई और अपनी गांड को अंकित के लंड पर रखकर एक हाथ से लंड पकड़ कर उसे अपने गुलाबी छेद पर सटाने लगी,,, और जैसे ही गुलाबी छेद पर उसके लंड का सुपाड़ा स्पर्श हुआ अंकित की नई अपनी भारी भरकम गांड का दबाव अंकित के लंड पर बढ़ाने लगी और देखते ही देखते अंकित का लंड बुर की चिकनाहट पाकर अंदर की तरफ घुसने लगा,,, अंकित के लिए यह पल बेहद मदहोश कर देने वाला था,, अंकित पागल हो जा रहा था उसकी सांसे गहरी चलने लगी थी देखते-देखते अंकित की नई उसके लंड पर बैठकर उसके पूरे लंड को अपनी बुर की गहराई में छुपा ली थी,,,,, अंकित यह देखकर पूरी तरह से दंग रह गया था,,, अंकित अपनी नानी को देख रहा था और उसकी नानी अंकित को देख रही थी इस अवस्था में अंकित की नई कई बार मजा ले चुकी थी इसलिए उसे मालूम था कि क्या करना है,,, और देखते ही देखते हो अपनी बारी भर काम गांड को अंकित के लंड पर पटकना शुरू कर दी।
अपनी नानी की हरकत से अंकित बावला हुआ जा रहा था,,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और उसकी नानी जिस तरह से अपनी बड़ी-बड़ी गांड को पटक रही थी उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां उसकी हरकत से उसकी कामुक क्रियाओ,,, पेड़ पर लटके दशहरी आम की तरह झूल रही थी जिसे देखकर अंकित के मुंह में पानी आ रहा था और वह तुरंत अपने दोनों हाथों को आगे बढ़कर अपनी नानी के दोनों चूचियों को थाम लिया था,,, और उसे जोर-जोर से दबाना शुरू कर दिया था,, अंकित की नई अपनी गांड पटकने की रफ्तार को धीरे-धीरे बढ़ा रही थी और ऐसे हालात में,,, लंड और बुर के मिलन से एक अद्भुत ध्वनी उत्पन्न हो रही थी,,,। फच्च फच्च की आवाज से पूरा कमरा गुंज रहा था,,, इस क्रिया को करने में अंकित की नानी को भी बहुत मजा आ रहा था वह भी बड़ी जो उसके साथ जोर-जोर से अपनी गांड को पटक रही थी और हर बार अंकित का लंड पूरी तरह से उसके बच्चेदानी से टकरा जा रहा था।
फिर देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ने लगी और अंकित की रानी इस अवस्था में उसके ऊपर एकदम से पसर गई,,,,, झड़ने के बाद अंकित इस अवस्था में अपनी नानी की चिकनी पीठ पर अपनी हथेली रखकर उसे सहलाता रहा उसकी नानी एकदम से थक चुकी थी और इसीलिए कब उसकी आंख लग गई उसे पता ही नहीं चला अंकित भी अपनी नानी को नहीं जागना चाहता था और इसीलिए उसकी पीठ को सहलाते सहलाते वह भी सो गया,,, सुबह जब अंकित की नई की आंख खुली तो देखी कि वह तो अभी भी अंकित के ऊपर थी और अंकित सो रहा था और उसे महसूस हुआ कि अंकित का लंड अभी भी उसकी बुर में घुसा हुआ था,,, अंकित को देखकर उसकी नानी मुस्कुराने लगी और उसके माथे पर चुंबन कर दी जिससे अंकित की भी नींद खुल गई। दोनों उठकर अपने कपड़े पहन कर अपने आप को एकदम व्यवस्थित कर लिए,,।
आज तृप्ति को भी अपनी नानी के साथ गांव जाना था उसका मन तो नहीं कर रहा था लेकिन वह भी गांव को देखना चाहती थी एक बार घूमना चाहती थी क्योंकि अपनी जानकारी में अभी तक वहां अपने गांव नहीं गई थी,,, सुगंधा रास्ते के लिए दोनों के लिए खाना तैयार कर ली थी 10 12 घंटे का सफर था और बस से जाना था,,,, और बस रात को 9:00 की थी सब कुछ तैयार हो चुका था वैसे तो सुगंधा तृप्ति को इस तरह से अकेले उसकी नानी के साथ जाने नहीं देना चाहते थे लेकिन वह भी बहुत कुछ सोच रही थी उसके मन में बहुत से ख्याल चल रही थी और उन ख्यालों के चलते सुगंधा को तृप्ति को गांव भेजना ही था,,,। दोनों को छोड़ने के लिए अंकित को बस स्टॉप तक जाना था और यहां से बस स्टॉप तकरीबन 20-25 मिनट की दूरी पर थी जहां पर जाने के लिए ऑटो करना पड़ता था।
मुख्य सड़क पर आकर वहां से औटो पर तीनों बैठ गए रास्ते भर तृप्ति से नजर बचाकर अंकित की रानी बार-बार उसके पेंट के आगे वाले भाग पर अपना हाथ रख दे रही थी जिसे अंकित का लंड खड़ा हो चुका था,,,, अंकित की नानी अपनी हरकतों से अंकित को पूरी तरह से उत्तेजित कर दी थी और अंकित को इस बात का डर था कि कहीं उसकी बड़ी बहन तृप्ति यह सब ना देख ले ,,,, रह रहे कर अंकित की नानी जोर से पेट के ऊपर से ही उसका लंड दबा दे रही थी जिसे अंकित की हालत खराब हो जा रही थी,, अंकित की नानी पूरी तरह से चुदवासी हुए जा रही थी इस बात का ऐहसास अंकित को हो गया था,,,और निश्चित दूरी तय करने के बाद ऑटो बस स्टॉप पर पहुंच गया था,,, बस स्टॉप शहर के छोर पर था जहां से बस ढेर सारी शहर और गांव की तरफ जाती थी यह बस स्टॉप शहर से थोड़ा बाहर होने की वजह से अगल-बगल जंगली झाड़ियां उगी हुई थी,,,, बड़े-बड़े पेड़ चारों ओर छाए हुए थे वैसे तो यहां का नजारा भी थोड़ा बहुत गांव की तरह ही लगता था लेकिन यह एकदम शहर से सटा हुआ था इसलिए गांव कहना मूर्खता ही थी,,, बहुत से लोग बस स्टॉप पर इकट्ठा हुए थे,,, क्योंकि गर्मियों का महीना था और स्कूल कॉलेज में छुट्टी हो चुकी थी इसलिए लोग अपने-अपने गांव की तरफ जा रहे थे,,, अंकित बस काउंटर पर से अपनी नानी के गांव की दो टिकट ले लिया था,,, बस लगी हुई थी लोग धीरे-धीरे अंदर बैठ रहे थे अपनी जगह पर अंकित भी टिकट लेकर और सामान लेकर आगे आगे चलने लगा और पीछे-पीछे उसकी नानी और तृप्ति चलने लगी,,,।
थोड़ी ही देर में अंकित उचित स्थान पर तृप्ति और अपनी नानी को बैठा दिया था उसका जाने का मन नहीं कर रहा था क्योंकि रास्ते में जिस तरह की हरकत उसकी नानी ने की थी वह पूरी तरह से चुदवासा हो चुका था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अभी भी बस को चलने में 20-25 मिनट का समय था और वह बस से नीचे उतर कर अपने लंड की अकड़ को कम करने के लिए पेशाब करने के लिए चला गया,,, वहीं पर यात्रियों के लिए छोटा सा बाथरूम बना हुआ था जिसमें लोग पेशाब कर रहे थे लेकिन ठीक उसके पीछे अंधेरा और जंगली झाड़ियां थी अंकित बाथरूम में ना जाकर के उसके पीछे जाकर वहां का मुआयना करने लगा और पेशाब करने लगा थोड़ी देर में उसे एहसास होने लगा कि पीछे यहां पर कोई नहीं आ रहा था और चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था यह देखकर उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे और वह तुरंत पेशाब करने के बाद वापस पास में चढ़ गया और अपनी नानी से बोला,,,,।
नानी 10 12 घंटे का सफर है अगर बाथरूम का उपयोग करना चाहो तो कर सकती हो,,,,(ऐसा कहते हुए वह अपनी नानी को इशारा करके नीचे उतरने के लिए कह रहा था,,, और उसकी अंकीत के ईसारे को अच्छी तरह से समझ रही थी,,,, लेकिन तृप्ति से भी पूछना जरूरी था इसलिए उसने तृप्ति से धीरे से पूछी तो तृप्ति इनकार कर दी और उसकी इनकार को सुनकर अंकित की नानी के चेहरे पर प्रसन्नता के भावना चलने लगे वह धीरे से अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई और औपचारिकता निभाते हुए अंकित से बोली,,,,)
अभी कितना समय है बस को चलने में,,।
बस 20 मिनट जैसा है,,,,।
चल तब तो ठीक है कुछ खाने को भी ले लूंगी,,,
लेकिन नानी मम्मी ने तो खाने के लिए दी है ना,,,(तृप्ति बीच में बोल पड़ी)
तो क्या हो गया कुछ और खरीद लूंगी खाते हुए चलेंगे,,,।
ठीक है नानी अगर हो तो समोसे ले लेना,,,(खुश होते हुए तृप्ति बोली)
ठीक है मैं खरीद लूंगी तु यहीं पर बैठ कर सामान का ध्यान रखना ऐसे में सामान चोरी हो जाता है,,,(अंकित की नानी जानबूझकर तृप्ति को सामान चोरी होने का डर बता रही थी ताकि वह बस से नीचे ना उतरे,,,, और इतना कह कर वह अंकित के साथ बस से नीचे उतर गई,,,, बस से थोड़ी दूरी पर जाने के बाद अंकित की नानी मुस्कुराते हुए अंकित से बोली,,,)
तेरे मन में चल क्या रहा है,,,।
क्या करूं नानी ऑटो में तुमने मेरी हालत खराब कर दी मेरा लंड है कि बैठने का नाम नहीं ले रहा है,,,,।
वह सब तो ठीक है लेकिन यहां करेंगे कैसे कोई जगह तो दिखाई नहीं दे रही है जहां पर आराम से कर सके,,,।
तुम चिंता मत करो नई में जगह देखने के बाद ही तुम्हें लेकर आया हूं,,,।
बहुत चालाक हो गया है तू,,,, पक्का मादरचोद बनेगा,,,,।
(अंकित की नई बार-बार उसे मादरचोद बनाने पर जोर दे रही थी उसे इस बात की आशंका थी कि उसके जाने के बाद उसके और उसकी बेटी के बीच जरूर कुछ होने वाला है,,, थोड़ी देर में अंकित अपनी नानी को लेकर बाथरूम के पीछे वाले जगह पर पहुंच गया जहां पर चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था,,,, इस जगह को देखकर अंकित की नानी मन ही मन प्रसन्न तो हो रही थी और इस बात से और खुश हो रही थी कि उसका नाती एक ही रात में एकदम हरामी बन चुका था अब जगह का भी प्रबंध करना सीख गया था,,,, समय ना बर्बाद करते हुए अंकित तुरंत अपनी नानी का हाथ पकड़ा और उसे अपनी बाहों में पकड़ लिया उसके लाल-लाल होठों का रसपान करने लगा और अपने दोनों हाथों से साड़ी के ऊपर से उसकी बड़ी-बड़ी गांड को दबाना शुरू कर दिया,,,, अपने नाती किस तरह की हरकत से उत्तेजित होते हुए वह बोली,,,।
अरे बेवकूफ इन सब में समय बर्बाद मत कर कहीं ऐसा ना हो कि हम दोनों चुदाई करते रहें और तृप्ति को लेकर बस निकल जाए,,,(ऐसा कहते हुए अंकित की नानी अंकित की बाहों में से अलग होने लगी,,,, और तुरंत अपनी साड़ी को पकड़ कर एकदम से कमर तक उठा दे और अपनी नंगी गांड अंकित के सामने परोस दी वैसे तो चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था लेकिन इतना तो दिखाई दे रहा था कि अंकित की आंखों के सामने क्या है वह तुरंत अपनी पेंट का बटन खोलकर अपने लंड को बाहर निकाल दिया जो की काफी देर से तड़प रहा था,,, और तुरंत अपने लंड को अपनी नानी की बुर में डाल दिया और जोर-जोर से अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया वह जानता था कि उन दोनों के पास समय वाकई में बहुत कम है।
खेतों में नदी के किनारे तालाब में कहीं जगहो पर अंकित की नानी चुदाई का मजा लूट चुकी थी लेकिन आज पहली बार वह बस स्टॉप पर इस तरह से अंधेरे का फायदा उठाते हुए अपने ही नाती से चुदवा रही थी,,,, अंकित अपने धक्को में किसी भी प्रकार की कमी महसूस होने नहीं देना चाहता था,,, इसलिए अंकित की नानी मस्त हुए जा रही थी,,,, अंकित के ताबड़तोड़ तेज प्रहार की वजह से अंकित की नई अपने आप को संभाल नहीं पा रही थी और आगे की तरफ लुढ़क जा रही थी उसे इस बात का डर था कि कहीं वह गिर ना जाए लेकिन अंकित उसकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर संभाले हुए था और अपनी कमर हिला रहा था और फिर देखते ही देखते दोनों एक साथ झढ गए,,,,।
अंकित की नानी चुदवाने के बाद वहीं बैठकर पेशाब करने लगी,,,, पेशाब करने के बाद वह अपने कपड़ों को व्यवस्थित करके वापस बस स्टॉप पर आ गई और मिठाई की दुकान पर कुछ मिठाई और समोसे खरीदने लगी,,,, अंकित की नई थोड़ी मिठाइयां और समोसे खरीद कर अंकित को दे दी थी और फिर वापस बस में बैठ गई थी बस में बैठने के बाद थोड़ी देर में बस चालू हो गई और उसकी नानी मुस्कुराते हुए अपने गांव की तरफ चल दी,,,।
KAHA NI TO BHOT HI ACHI HE BUT MA KONSE SAAL ME CHUDEGI PATA NAHI
झड़ने के बाद अंकित अपनी नानी के बगल में पसर गया था,,, और गहरी गहरी सांस ले रहा था अंकित की नानी बहुत खुश थी,,, पहली बार उसे ऐसे मर्द से पाला पड़ रहा था जो उसके धागों को पूरी तरह से खोल दिया था,,,,,,,, दोनों गहरी गहरी सांस ले रहे थे अंकित की नई की गहरी चलती सांस के साथ उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां के ऊपर नीचे हो रही थी जिस पर अंकित की नजर बनी हुई थी वह एक बार झड़ चुका था लेकिन लंड की अकड़ बरकरार थी,,, वह धीरे से अपना हाथ अपनी नानी की चूची पर रख दिया और उसे फिर से दबाना शुरू कर दिया अंकित की नई अंकित के खड़े लंड को देखकर बोली,,,।
झड़ जाने के बाद भी तेरा खड़ा रहता है सच में तु असली मर्द है,,,।
तो क्या नानी झड़ जाने के बाद लंड ढीला पड़ जाता है क्या,,,(अपनी नानी की चूची को जोर-जोर से दबाते हुए बोला)
तो क्या एक बार पानी निकलने के बाद वह एकदम से ढीला पड़ जाता है,,,,, और उसके खड़े होने में थोड़ा समय लगता है लेकिन तेरा तो पानी निकालने के बाद भी खड़ा ही रहता है,,,(अपना हाथ अंकित के लंड पर रखते हुए बोली,,,, अपनी नानी की बातें और उसकी हरकत को देखकर अंकित उसकी चूची को जोर से दबाते हुए बोला,,,)
सच में नानी तुम बहुत मजा देती हो,,, अगर तुम नहीं सिखाती तो मैं तो कुछ जान ही नहीं पता मुझे कुछ आता ही नहीं था।
लेकिन तू तो सब कुछ बहुत जल्दी सीख गया,,,।
यह सब तुम्हारी मेहरबानी है नानी लेकिन मजा आया बहुत मजा आया,,,,।
मुझे भी बहुत मजा आया,,,,,(घड़ी की तरफ देखते हुए जिसमें दो बज रहा था और वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,) देख 2:00 बज गया है सच में जिससे भी तेरी शादी होगी वह बहुत खुश नसीब होगी,,,।
ऐसा क्यों,,,?
क्योंकि तू उसकी जमकर चुदाई करेगा और औरत को यही सुख सबसे ज्यादा चाहिए पैसे गहने घर द्वार यह सब तो चलता ही रहता है लेकिन औरत की असली खुशी सिर्फ चुदाई में मिलती है और तेरे जैसा मर्द मिल जाए तो औरत के तो बारे न्यारे हो जाए,,।
तो मैं भी चलूं क्या तुम्हारे साथ गांव रोज मजा करेंगे,,,।
मैं भी यही सोच रही थी लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि तृप्ति को तैयार कर चुके हैं मैं तो अपनी फैसले पर ही अपने आप पर गुस्सा कर रही हूं तृप्ति की जगह मुझे तुझे ले जाना चाहिए था,,,, अगर तू मेरे साथ चलता तो बहुत मजा आता,,, गांव में चारों तरफ हरियाली है हरियाली हर जगह मजा करते हैं खेत में कल्याण में तालाब में जहां गाय भैंस बांधते हैं वहां,,, नल पर सच में बहुत मजा आता ट्यूबवेल में नहाते हुए मजा करते,,,।
नई जिस तरह से तुम बता रही हो सच में मेरा चलने का मन कर रहा है लेकिन अब कुछ हो नहीं सकता क्योंकि अगर मैं भी चलूंगा तो मम्मी अकेली हो जाएगी ऐसा नहीं हो सकता कि सब लोग साथ चले,,,,।
नहीं अब इस तरह से एका एक चलने की तैयारी कैसे कर सकते हैं,,, चल कभी शादी ब्याह पड़ेगा या अगली गर्मी की छुट्टी में सब साथ में चलेंगे,,,।
सच में नानी बहुत मजा आएगा,,
मजा तो बहुत आएगा,,,, अब मुझे बड़े जोरो की पेशाब लगी है,,,, मुझे उठने दे,,,,(ऐसा कहकर वहां बिस्तर से उठने लगी तो अंकित खुद जल्दी से उठकर बिस्तरसे नीचे आ गया और उसकी नानी कुछ कहती कुछ समझ पाती ईससे पहले ही वह अपनी नानी को बिस्तर पर से ही अपनी गोद में उठा लिया,,,, अंकित की नानी के लिए यह बेहद अद्भुत था वह अपने नाती की ताकत पर गर्व महसूस कर रही थी और मुस्कुरा रही थी लेकिन फिर भी उसे डर लग रहा था इसलिए वह बोली,,,)
अरे रहने दे उतार नीचे कहीं गिर गई तो चोट लग जाएगा,, गजब हो जाएगा,,,,,,,,(थोड़ा सा घबराते हुए वह बोली)
ऐसे कैसे गिर जाओगी यूं ही नहीं कसरती शरीर बना कर रखा हूं,,, ऐसा लगता है कि उसी दिन के लिए कसरत करके मेहनत किया था आज सभी समय आ गया है,,,,(अंकित उसी जगह पर खड़े-खड़े ही अपनी नानी से बोला,,, उसकी नानी का दिल जोरो से धड़क रहा था, क्योंकि चाहे जो हो भले ही वह न जाने कितनी मर्दों के साथ सारे संबंध बन चुकी थी लेकिन किसी ने भी उसे गोद में नहीं उठाया था और वह भी इस तरह से तो बिल्कुल भी नहीं,,, उसके जीवन में अंकित पहले मर्द था जो उसे संपूर्ण रूप से संतुष्टि का एहसास भी कर रहा था और कार्य क्षमता का परिचय देते हुए अपनी मर्दाना ताकत का सही उपयोग करते हुए उसे गोद में उठा लिया था,,,, अंकित की नई अपनी भारी भरकम शरीर को अच्छी तरह से समझती थी वह जानती थी कि इस तरह से गोद में उठा पाना अंकित जैसे लड़कों के लिए तो वाकई में मुमकिन कार्य नहीं है लेकिन इसे नामुमकिन कार्य को अंकित ने मुमकिन बना दिया था इसलिए तो अंकित के मर्दाना ताकत से उसकी नानी की छाती गर्व से गदगद हुए जा रही थी,,,
अंकित अपनी नानी के खूबसूरत चेहरे को देखकर मुस्कुरा रहा था और उसकी नानी अंकित को देखकर मुस्कुरा रही थी अंकित भी पूरी तरह से नंगा था और उसकी नानी भी बिना कपड़ों की थी,,,, अभी-अभी अंकित अपनी नानी की चुदाई करके अपना पानी निकल चुका था लेकिन अपनी नानी को गोद में लेने से ऐसा लग रहा था जैसे एक बार फिर से उसकी उत्तेजना वापस लौट रही थी और लंड पूरी तरह से ढीला पड़ता इससे पहले ही वह फिर अपनी औकात में आने लगा था,,, और ऊपर की तरफ मुंह उठने लगा था जिससे उसका छुपाना उसकी नानी की गांड पर स्पर्श कर रही थी उसके पीठ पर रगड़ खा रही थी,, अंकित की नानी अंकित के लंड के स्पर्श से फिर से गर्म होने लगी थी,,,,,
अंकित के लिए यह सब कुछ नया नया था,, और अभी-अभी सुबह जवान हुआ था इसलिए उसका खून ज्यादा गर्म था वह बार-बार उससे ही सो जा रहा था उसकी नानी उसके आगे ढीली पड़ जा रही थी लेकिन अंकित अपनी हरकतों से अपनी नानी को फिर गर्म कर दे रहा था,,,, अंकित उसी तरह से अपनी नानी को गोद से में उठाए हुए दरवाजे की तरफ जाने लगा,,,, अंकित की नानी को इस बात का डर लग रहा था कि कहीं उसका वजन न संभाल पाने के कारण वह कहीं नीचे ना गिरा दे इसलिए बार-बार उसे नीचे उतरने के लिए बोल रही थी लेकिन वह बिल्कुल भी अपनी नानी की बात नहीं मान रहा था क्योंकि उसे अपनी भुजाओं पर पूरा विश्वास था देखते ही देखते हो वह दरवाजे तक पहुंच चुका था लेकिन इस बीच उसका लंड बार-बार उसकी नानी की पीठ से रगड़ खाकर अपनी औकात में आ चुका था यह एहसास अंकित की नानी को भी हो रहा था तभी तो वह भी गरम होती जा रही थी,,,, अंकित दरवाजे पर पहुंचकर अपनी नानी से मुस्कुराते हुए बोला,,,।
तुम दरवाजा खोलो नानी,,,।
(अंकित की हरकत से उसकी नानी की मदहोश हो चुकी थी वह पूरी तरह से अपनी नाती का गुलाम बन चुकी थी इसलिए गोद में बैठे-बैठे ही वह अपने दोनों हाथ का सहारा लेकर दरवाजे की कड़ी खोल दी,,,, दरवाजा खोलने लगी और साथ में यह भी हिदायत देने लगी की,,,)
देखना बिल्कुल भी शोर मत मचाना किसी की नींद ना खुल जाए,,,,।
बिल्कुल भी नहीं खुलेगी नानी,,,,,।
(कल इसी तरह से पेशाब करने जाते समय अंकित घबरा रहा था लेकिन आज उसकी नानी को थोड़ा डर महसूस हो रहा था एक ही रात में सब कुछ बदल गया था अंकित उसके साथ पूरी तरह से खुल चुका था एक असली मर्द की तरह उसके साथ पेश आ रहा था,,, और इतना कहने के साथ ही अंकित कमरे से बाहर निकाल कर अभी भी उसकी नानी उसकी गोद में थी अपनी नानी को गोद में उठाने पर और वह भी लग्न अवस्था में उसे काफी उत्तेजना का एहसास हो रहा था उसे मजा आ रहा था,, और इस समय उसे अपनी नानी का वजन बिल्कुल भी महसूस नहीं हो रहा था क्योंकि अंकित खुद उत्तेजित अवस्था में था पूरी तरह से जोश से भरा हुआ था,,, और देखते ही देखते हैं अंकित घर के कोने में पहुंच गया जहां पर कल दोनों पेशाब किए थे,,, वहां पहुंचते ही अंकित अपनी गोद में से अपनी नानी को नीचे उतारने लगा,,, उसकी नानी उसकी गोद से नीचे उतर चुकी थी,,,, उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी,,,,।
और वह तुरंत अंकित की आंखों के सामने ही बैठकर पेशाब करने लगी पेशाब करते समय अंकित की नानी की खूबसूरती और उसकी कामुकता पूरी तरह से बढ़ जाती थी इस अवस्था में अगर कोई अंकित की नानी को देख ले तो वाकई में उसका लंड ईस नजारे को देखकर ही पानी फेंक दे,,, बुर से निकल रही सिटी की आवाज,,, सुनकर अंकित की हालत खराब होने लगी उसके कानों में इस मधुर ध्वनि के पडते ही वह पूरी तरह से बेकाबु होने लगा उसकी मदहोशी एकदम से बढ़ने लगी,,, और वह अपनी नानी की आंखों के सामने ही अपने लंड को पकड़ कर हिलता हुआ पेशाब करने लगा इस नजारे को अपनी बेहद करीब देखकर उसकी नानी की बुर पकोड़े की तरह फूलने लगी मदहोश होने लगी,,,, और वह अगले ही पल एक हाथ अपनी बर पर रखकर दूसरे हाथ को अंकित के लंड पर रख दी,,, और उसे कसके दबा दी जिससे कुछ देर के लिए अंकित की पेशाब एकदम से रुक गई और फिर वह वापस अपनी हथेली के कसाव को लंड पर से ढीला करने लगी और वापस पेशाब छुटने लगी,,, ऐसा वह बार-बार कर रही थी जिससे अंकित का पेशाब रुक-रुक के बाहर निकल रहा था लेकिन अपनी नानी की हरकत पर अंकित की मदहोशी और उत्तेजना और भी ज्यादा बढ़ने लगी थी,,,,।
थोड़ी देर में हम किसकी नानी के बुर से सिटी की आवाज कमजोर पडने लगी और कुछ देर बाद एकदम से बंद हो गई इसका मतलब साफ था कि वह पेशाब कर चुकी थी लेकिन अंकित के लंड से अभी भी रह रहकर पेशाब निकल रही थी,,, अंकित तो पागल हुआ जा रहा था उसकी हालत खराब हो रही थी उसका लंड फिर से तैयार था उसकी नानी की बुर में घुसने के लिए लेकिन इससे पहले अंकित की नई अपने लाल लाल होठों को खोलकर अंकित के लंड को अपने मुंह में भर ली और उसे चूसना शुरू कर दी,,,, ओहहहहह नानी,, अपनी नानी की हरकत पर एकदम से अंकित के मुंह से मदहोशी भरी आवाज निकल गई,,, वह पूरी तरह से मस्त होने लगा था,,,, घर के बाहर सड़क की स्ट्रीट लाइट की रोशनी दरवाजे की दरार से अंदर तक हल्की रोशनी बिखेर रही थी,,, जिसमें सब कुछ साफ-साफ दिखाई दे रहा था अंकित अपनी नानी की हरकत को देखकर एकदम चुदवासा हुआ जा रहा था,,,,।
कुछ देर तक अंकित की नई अंकित को इसी तरह से खुश करती रही और जब अंकित से बर्दाश्त नहीं होगा वह खुद ही अपनी नानी का हाथ पकड़ कर उसे कड़ी किया और दीवार से सटा दिया उसकी कमर में हाथ डालकर उसे अपनी तरफ खींचकर उसकी बड़ी-बड़ी गांड को अपने सिधान पर लेने लगा,,, और अगले ही पल अंकित अपने लंड को अपनी नानी के गुलाबी छेद में डालकर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया अंकित के लिए यह बेहद हिम्मतवाला कार्य था,,, क्योंकि अंकित पहली बार अपने मन से किसी औरत की चुदाई कर रहा था वैसे तो वह बीती रात को ही यह सब अपनी नानी से ही सीखा था और आज अपनी नानी को उसके सिखाए गए हुनर का करतब दिखा रहा था,,, जो की बेहद लाजवाब था।
अंकित का हर एक धक्का उसकी नानी के बच्चेदानी तक पहुंच रहा था अंकित का लंड रगड़ रगड़ के अंदर बाहर हो रहा था,,,, अंकित तो दोनों हाथों से अपनी नानी की कमर पकड़ कर अपनी कमर हिला रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था वह आनंदित हो जा रहा था वह जानता था कि इस तरह का मौका अब ना जाने कब मिलेगा इसलिए वह इस मौके का भरपूर फायदा उठा लेना चाहता था,,,, अंकित की नई तो मानो जैसे हवा में उड़ रही हो इस तरह का शो कुछ नहीं इससे पहले कभी नहीं भौजी थी भले ही कई मर्दों के साथ उसके जिस्मानी तालुका थे लेकिन इस तरह का सुख आज तक किस्मत में नहीं दिया था वह पूरी तरह से दोस्त होती चली जा रही थी,,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि कल का लौंडा रगड़ रगड़ कर उसका पानी निकाल रहा था,,,, तकरीबन 30 मिनट की घमासान चुदाई के बाद अंकित अपनी नानी के साथ ही झड़ गया,,,, यह बेहद अद्भुत फल था उसकी नानी पूरी तरह से मत हो चुकी थी अंकित धीरे से अपने लंड को अपनी नानी की बुर से बाहर खींच लिया,,,,।
दोनों दूसरे को देखकर मुस्कुरा रहे थे दोनों अपनी-अपनी हसरत को एक दूसरे से पूरी कर रहे थे अंकित तो पूरी तरह से सपनों की दुनिया में खो चुका था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि यह जो कुछ भी हो रहा है यह हकीकत है या कोई सपना या उसकी कोई कल्पना लेकिन यह ना तो कोई कल्पना थी और नहीं कोई सपना,, जो कुछ भी था वह पूरी तरह से हकीकत था लेकिन यह सब कुछ अंकित की सोच के परे था दो-तीन दिन पहले ही वह सिर्फ अपनी मां के बारे में सोचता था और उसके जीवन में केवल सुमन और राहुल की मां ही आई थी जो की ऊपर ऊपर से थोड़ा बहुतउसे आनंद प्रदान की थी,,,, लेकिन उसकी नानी उसके जीवन में जाकर उसके जीवन को पूरी तरह से बदल दी थी एक ही रात में उसे पूरा मर्द बना दी थी एक औरत को कैसे खुश किया जाता है यह हुनर उसे सिखा दी थीं और इस हुनर का सही उपयोग करके आ जाओ अपनी नानी की बुर का भोसड़ा बना रहा था,,,,।
एक बार फिर से चुदाई का आनंद लेकर दोनों अपने कमरे में आ चुके थे और दरवाजा बंद करके कड़ी लगा दिए थे लेकिन अभी भी नींद दोनों की आंखों से कोसों दूर थी कमरे में ट्यूबलाइट जल रही थी जिसकी दूरी और रोशनी में अंकित की नई का नंगा बदन अपनी मदहोशी भरी आभा बिखैर रहा था,,,, अंकित किरानी बिस्तर पर बैठकर अंकित को देख रही थी अंकित अभी भी दरवाजे के पास खड़ा था और उसका लंड दो बार की चुदाई के बाद हल्का सा झूल गया था,,, लेकिन अंकित की नानी अच्छी तरह से जानती थी कि अंकित का लंड इस अवस्था में भी बुर में घुसेगा तो पूरी तरह से संतुष्ट करने के बाद ही बाहर आएगा,,,, अंकित की नई घड़ी की तरफ देखी तो 3:30 का समय हो रहा था,,, 2 दिन से दोनों सोए नहीं थे और वह दोनों इस बात का अच्छी तरह से समझ गए थे कि जो सोवत है वह खोवत है,,, और वाकई में अगर अंकित और उसकी नानी नींद को प्रधान्य देते तो शायद इस तरह का सुख कभी नहीं भूल पाए लेकिन उन दोनों ने नींद को त्याग कर भोग पर ध्यान केंद्रित किया तभी तो जवानी का मजा लूट रहे थे,,,,।
अंकित जानता था कि अभी भी दोनों के पास काफी समय है और आज की ही रात है कल की रात तो उसकी नानी ना जाने कहां होगी इसलिए वह आज की रात पूरी तरह से अपनी नानी के नाम कर देना चाहता था,,,, इसलिए अपने लंड को पकड़ कर हिलाते हुए अपनी नानी के पास आता हुआ बोला,,,।
क्या नई तुम्हें नींद तो नहीं आ रही है ना,,,।
अरे हरामि जिसका तेरे जैसा नाती हो भला उसको नींद कैसे आएगी,,,।
तुम सच कह रही हो नानी और जिसकी नानी तुम्हारी जैसी हो भला ऐसे नाती को नींद कैसे आएगी,,,।
हरामी,,, पक्का मादरचोद बनेगा,,,,।
(अपनी नानी की बात को अंकित अच्छी तरह से समझ रहा था इसलिए मन ही मन में प्रसन्न हो रहा था,,,, अंकित अपनी नानी को उसके बताए अनुसार दो-तीन आसन से चोद कर सुख प्राप्त कर लिया था लेकिन अभी अपनी नानी पर एक आसन आजमाना बाकी था,,, जिस आसन को वह राहुल के घर देखा था वही आसन वह अपनी नानी पर आजमाना चाहता था,,,, अंकित अपनी आंखों से देखा था कि राहुल के लंड के ऊपर उसकी मां चढ़ी हुई थी और अपनी गांड जोर-जोर से पटक रही थी,,, और इसी तरह से अंकित भी अपनी नानी के साथ करना चाहता था,,,, जिस तरह से अंकित अपना लंड हिला रहा था एक बार फिर से उसमें खून का दौरा बढ़ने लगा था और उसका कड़कपन पहले की तरह होने लगा था,, यह देख कर अंकित की नानी मुस्कुराते हुए बोली,,,)
हाय दैया क्या खाता है रे,,,, तेरा तो अभी भी खड़ा है,,,,,।
तुम्हारे जैसी बुर के लिए लंड को हमेशा खड़ा रहना पड़ेगा,,,
अच्छा तो तुम मेरे लिए लंड को खड़ा किया है,,,।
यहां और कोई है क्या,, सिर्फ तुम्हारे लिए,,,,(लंड को हिलाते हुए अंकित बोला,,,)
लेकिन मैं तो एकदम थक गई हूं,,,,।
बस एक बार और फिर सो जाना,,,,(इतना कहने के साथ एक बार फिर से वह अपनी नानी के करीब आकर उसे अपनी बाहों में भर लिया वह बिस्तर पर बैठी थी और वह पलंग के पास खड़ा था और इस तरह से अपने बाहों में अपनी नानी को भरकर उसके लाल-लाल होठों पर चुंबन करने लगा और उसे लेकर बिस्तर पर पसर गया लेकिन अगले ही पल वह फुर्ती दिखाता हुआ अपनी नानी को एकदम से अपने ऊपर ले लिया,,, उसकी इस हरकत से उसकी नानी एकदम से हक्की बक्की रह गई,,,, अंकित कुछ देर तक इस तरह से अपनी नानी को अपनी बाहों में लेकर उसकी बड़ी-बड़ी गांड पर अपनी हथेली रखकर उसे सहलाता रहा तो बता रहा और उसका लंड बार-बार नीचे से उसकी बुर में घुसने की कोशिश करता रहा,,, अंकित की नानी थकी होने के बावजूद भी अंकित की हरकत से एक बार फिर से गर्म होने लगी और वह अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर अंकित के लंड को पकड़ कर अपनी बुर में डालने की कोशिश करने लगी,,, यही तो अंकित चाहता था,,,,।
देखते देखते अंकित की नानी घुटनों के ऊपर बैठ गई और अपनी गांड को अंकित के लंड पर रखकर एक हाथ से लंड पकड़ कर उसे अपने गुलाबी छेद पर सटाने लगी,,, और जैसे ही गुलाबी छेद पर उसके लंड का सुपाड़ा स्पर्श हुआ अंकित की नई अपनी भारी भरकम गांड का दबाव अंकित के लंड पर बढ़ाने लगी और देखते ही देखते अंकित का लंड बुर की चिकनाहट पाकर अंदर की तरफ घुसने लगा,,, अंकित के लिए यह पल बेहद मदहोश कर देने वाला था,, अंकित पागल हो जा रहा था उसकी सांसे गहरी चलने लगी थी देखते-देखते अंकित की नई उसके लंड पर बैठकर उसके पूरे लंड को अपनी बुर की गहराई में छुपा ली थी,,,,, अंकित यह देखकर पूरी तरह से दंग रह गया था,,, अंकित अपनी नानी को देख रहा था और उसकी नानी अंकित को देख रही थी इस अवस्था में अंकित की नई कई बार मजा ले चुकी थी इसलिए उसे मालूम था कि क्या करना है,,, और देखते ही देखते हो अपनी बारी भर काम गांड को अंकित के लंड पर पटकना शुरू कर दी।
अपनी नानी की हरकत से अंकित बावला हुआ जा रहा था,,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और उसकी नानी जिस तरह से अपनी बड़ी-बड़ी गांड को पटक रही थी उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां उसकी हरकत से उसकी कामुक क्रियाओ,,, पेड़ पर लटके दशहरी आम की तरह झूल रही थी जिसे देखकर अंकित के मुंह में पानी आ रहा था और वह तुरंत अपने दोनों हाथों को आगे बढ़कर अपनी नानी के दोनों चूचियों को थाम लिया था,,, और उसे जोर-जोर से दबाना शुरू कर दिया था,, अंकित की नई अपनी गांड पटकने की रफ्तार को धीरे-धीरे बढ़ा रही थी और ऐसे हालात में,,, लंड और बुर के मिलन से एक अद्भुत ध्वनी उत्पन्न हो रही थी,,,। फच्च फच्च की आवाज से पूरा कमरा गुंज रहा था,,, इस क्रिया को करने में अंकित की नानी को भी बहुत मजा आ रहा था वह भी बड़ी जो उसके साथ जोर-जोर से अपनी गांड को पटक रही थी और हर बार अंकित का लंड पूरी तरह से उसके बच्चेदानी से टकरा जा रहा था।
फिर देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ने लगी और अंकित की रानी इस अवस्था में उसके ऊपर एकदम से पसर गई,,,,, झड़ने के बाद अंकित इस अवस्था में अपनी नानी की चिकनी पीठ पर अपनी हथेली रखकर उसे सहलाता रहा उसकी नानी एकदम से थक चुकी थी और इसीलिए कब उसकी आंख लग गई उसे पता ही नहीं चला अंकित भी अपनी नानी को नहीं जागना चाहता था और इसीलिए उसकी पीठ को सहलाते सहलाते वह भी सो गया,,, सुबह जब अंकित की नई की आंख खुली तो देखी कि वह तो अभी भी अंकित के ऊपर थी और अंकित सो रहा था और उसे महसूस हुआ कि अंकित का लंड अभी भी उसकी बुर में घुसा हुआ था,,, अंकित को देखकर उसकी नानी मुस्कुराने लगी और उसके माथे पर चुंबन कर दी जिससे अंकित की भी नींद खुल गई। दोनों उठकर अपने कपड़े पहन कर अपने आप को एकदम व्यवस्थित कर लिए,,।
आज तृप्ति को भी अपनी नानी के साथ गांव जाना था उसका मन तो नहीं कर रहा था लेकिन वह भी गांव को देखना चाहती थी एक बार घूमना चाहती थी क्योंकि अपनी जानकारी में अभी तक वहां अपने गांव नहीं गई थी,,, सुगंधा रास्ते के लिए दोनों के लिए खाना तैयार कर ली थी 10 12 घंटे का सफर था और बस से जाना था,,,, और बस रात को 9:00 की थी सब कुछ तैयार हो चुका था वैसे तो सुगंधा तृप्ति को इस तरह से अकेले उसकी नानी के साथ जाने नहीं देना चाहते थे लेकिन वह भी बहुत कुछ सोच रही थी उसके मन में बहुत से ख्याल चल रही थी और उन ख्यालों के चलते सुगंधा को तृप्ति को गांव भेजना ही था,,,। दोनों को छोड़ने के लिए अंकित को बस स्टॉप तक जाना था और यहां से बस स्टॉप तकरीबन 20-25 मिनट की दूरी पर थी जहां पर जाने के लिए ऑटो करना पड़ता था।
मुख्य सड़क पर आकर वहां से औटो पर तीनों बैठ गए रास्ते भर तृप्ति से नजर बचाकर अंकित की रानी बार-बार उसके पेंट के आगे वाले भाग पर अपना हाथ रख दे रही थी जिसे अंकित का लंड खड़ा हो चुका था,,,, अंकित की नानी अपनी हरकतों से अंकित को पूरी तरह से उत्तेजित कर दी थी और अंकित को इस बात का डर था कि कहीं उसकी बड़ी बहन तृप्ति यह सब ना देख ले ,,,, रह रहे कर अंकित की नानी जोर से पेट के ऊपर से ही उसका लंड दबा दे रही थी जिसे अंकित की हालत खराब हो जा रही थी,, अंकित की नानी पूरी तरह से चुदवासी हुए जा रही थी इस बात का ऐहसास अंकित को हो गया था,,,और निश्चित दूरी तय करने के बाद ऑटो बस स्टॉप पर पहुंच गया था,,, बस स्टॉप शहर के छोर पर था जहां से बस ढेर सारी शहर और गांव की तरफ जाती थी यह बस स्टॉप शहर से थोड़ा बाहर होने की वजह से अगल-बगल जंगली झाड़ियां उगी हुई थी,,,, बड़े-बड़े पेड़ चारों ओर छाए हुए थे वैसे तो यहां का नजारा भी थोड़ा बहुत गांव की तरह ही लगता था लेकिन यह एकदम शहर से सटा हुआ था इसलिए गांव कहना मूर्खता ही थी,,, बहुत से लोग बस स्टॉप पर इकट्ठा हुए थे,,, क्योंकि गर्मियों का महीना था और स्कूल कॉलेज में छुट्टी हो चुकी थी इसलिए लोग अपने-अपने गांव की तरफ जा रहे थे,,, अंकित बस काउंटर पर से अपनी नानी के गांव की दो टिकट ले लिया था,,, बस लगी हुई थी लोग धीरे-धीरे अंदर बैठ रहे थे अपनी जगह पर अंकित भी टिकट लेकर और सामान लेकर आगे आगे चलने लगा और पीछे-पीछे उसकी नानी और तृप्ति चलने लगी,,,।
थोड़ी ही देर में अंकित उचित स्थान पर तृप्ति और अपनी नानी को बैठा दिया था उसका जाने का मन नहीं कर रहा था क्योंकि रास्ते में जिस तरह की हरकत उसकी नानी ने की थी वह पूरी तरह से चुदवासा हो चुका था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अभी भी बस को चलने में 20-25 मिनट का समय था और वह बस से नीचे उतर कर अपने लंड की अकड़ को कम करने के लिए पेशाब करने के लिए चला गया,,, वहीं पर यात्रियों के लिए छोटा सा बाथरूम बना हुआ था जिसमें लोग पेशाब कर रहे थे लेकिन ठीक उसके पीछे अंधेरा और जंगली झाड़ियां थी अंकित बाथरूम में ना जाकर के उसके पीछे जाकर वहां का मुआयना करने लगा और पेशाब करने लगा थोड़ी देर में उसे एहसास होने लगा कि पीछे यहां पर कोई नहीं आ रहा था और चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था यह देखकर उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे और वह तुरंत पेशाब करने के बाद वापस पास में चढ़ गया और अपनी नानी से बोला,,,,।
नानी 10 12 घंटे का सफर है अगर बाथरूम का उपयोग करना चाहो तो कर सकती हो,,,,(ऐसा कहते हुए वह अपनी नानी को इशारा करके नीचे उतरने के लिए कह रहा था,,, और उसकी अंकीत के ईसारे को अच्छी तरह से समझ रही थी,,,, लेकिन तृप्ति से भी पूछना जरूरी था इसलिए उसने तृप्ति से धीरे से पूछी तो तृप्ति इनकार कर दी और उसकी इनकार को सुनकर अंकित की नानी के चेहरे पर प्रसन्नता के भावना चलने लगे वह धीरे से अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई और औपचारिकता निभाते हुए अंकित से बोली,,,,)
अभी कितना समय है बस को चलने में,,।
बस 20 मिनट जैसा है,,,,।
चल तब तो ठीक है कुछ खाने को भी ले लूंगी,,,
लेकिन नानी मम्मी ने तो खाने के लिए दी है ना,,,(तृप्ति बीच में बोल पड़ी)
तो क्या हो गया कुछ और खरीद लूंगी खाते हुए चलेंगे,,,।
ठीक है नानी अगर हो तो समोसे ले लेना,,,(खुश होते हुए तृप्ति बोली)
ठीक है मैं खरीद लूंगी तु यहीं पर बैठ कर सामान का ध्यान रखना ऐसे में सामान चोरी हो जाता है,,,(अंकित की नानी जानबूझकर तृप्ति को सामान चोरी होने का डर बता रही थी ताकि वह बस से नीचे ना उतरे,,,, और इतना कह कर वह अंकित के साथ बस से नीचे उतर गई,,,, बस से थोड़ी दूरी पर जाने के बाद अंकित की नानी मुस्कुराते हुए अंकित से बोली,,,)
तेरे मन में चल क्या रहा है,,,।
क्या करूं नानी ऑटो में तुमने मेरी हालत खराब कर दी मेरा लंड है कि बैठने का नाम नहीं ले रहा है,,,,।
वह सब तो ठीक है लेकिन यहां करेंगे कैसे कोई जगह तो दिखाई नहीं दे रही है जहां पर आराम से कर सके,,,।
तुम चिंता मत करो नई में जगह देखने के बाद ही तुम्हें लेकर आया हूं,,,।
बहुत चालाक हो गया है तू,,,, पक्का मादरचोद बनेगा,,,,।
(अंकित की नई बार-बार उसे मादरचोद बनाने पर जोर दे रही थी उसे इस बात की आशंका थी कि उसके जाने के बाद उसके और उसकी बेटी के बीच जरूर कुछ होने वाला है,,, थोड़ी देर में अंकित अपनी नानी को लेकर बाथरूम के पीछे वाले जगह पर पहुंच गया जहां पर चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था,,,, इस जगह को देखकर अंकित की नानी मन ही मन प्रसन्न तो हो रही थी और इस बात से और खुश हो रही थी कि उसका नाती एक ही रात में एकदम हरामी बन चुका था अब जगह का भी प्रबंध करना सीख गया था,,,, समय ना बर्बाद करते हुए अंकित तुरंत अपनी नानी का हाथ पकड़ा और उसे अपनी बाहों में पकड़ लिया उसके लाल-लाल होठों का रसपान करने लगा और अपने दोनों हाथों से साड़ी के ऊपर से उसकी बड़ी-बड़ी गांड को दबाना शुरू कर दिया,,,, अपने नाती किस तरह की हरकत से उत्तेजित होते हुए वह बोली,,,।
अरे बेवकूफ इन सब में समय बर्बाद मत कर कहीं ऐसा ना हो कि हम दोनों चुदाई करते रहें और तृप्ति को लेकर बस निकल जाए,,,(ऐसा कहते हुए अंकित की नानी अंकित की बाहों में से अलग होने लगी,,,, और तुरंत अपनी साड़ी को पकड़ कर एकदम से कमर तक उठा दे और अपनी नंगी गांड अंकित के सामने परोस दी वैसे तो चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था लेकिन इतना तो दिखाई दे रहा था कि अंकित की आंखों के सामने क्या है वह तुरंत अपनी पेंट का बटन खोलकर अपने लंड को बाहर निकाल दिया जो की काफी देर से तड़प रहा था,,, और तुरंत अपने लंड को अपनी नानी की बुर में डाल दिया और जोर-जोर से अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया वह जानता था कि उन दोनों के पास समय वाकई में बहुत कम है।
खेतों में नदी के किनारे तालाब में कहीं जगहो पर अंकित की नानी चुदाई का मजा लूट चुकी थी लेकिन आज पहली बार वह बस स्टॉप पर इस तरह से अंधेरे का फायदा उठाते हुए अपने ही नाती से चुदवा रही थी,,,, अंकित अपने धक्को में किसी भी प्रकार की कमी महसूस होने नहीं देना चाहता था,,, इसलिए अंकित की नानी मस्त हुए जा रही थी,,,, अंकित के ताबड़तोड़ तेज प्रहार की वजह से अंकित की नई अपने आप को संभाल नहीं पा रही थी और आगे की तरफ लुढ़क जा रही थी उसे इस बात का डर था कि कहीं वह गिर ना जाए लेकिन अंकित उसकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर संभाले हुए था और अपनी कमर हिला रहा था और फिर देखते ही देखते दोनों एक साथ झढ गए,,,,।
अंकित की नानी चुदवाने के बाद वहीं बैठकर पेशाब करने लगी,,,, पेशाब करने के बाद वह अपने कपड़ों को व्यवस्थित करके वापस बस स्टॉप पर आ गई और मिठाई की दुकान पर कुछ मिठाई और समोसे खरीदने लगी,,,, अंकित की नई थोड़ी मिठाइयां और समोसे खरीद कर अंकित को दे दी थी और फिर वापस बस में बैठ गई थी बस में बैठने के बाद थोड़ी देर में बस चालू हो गई और उसकी नानी मुस्कुराते हुए अपने गांव की तरफ चल दी,,,।