कुछ दिनों बाद मेरा जन्मदिन आने वाला था। शाम को मम्मी ने घर पर पहले से केक तैयार कर लिया हालांकि मुझे लगा मम्मी को पता नहीं होगा। पर शाम को ये मेरे लिए एक सरप्राइस था। में जब घर पहुंचा तो मम्मी ने मुझे मेरे जन्मदिन की बधाई दी। रात को केक काटकर मैने मम्मी और सूरज को खिलाया। मम्मी ने केक खिलाते हुए पता नही क्या मस्ती सूझी उन्होंने मेरे चेहरे पर केक लगाकर मुझे गंदा कर दिया। ऐसे हरकत से परेशान होकर मैं भी मम्मी को केक लगाने के लिए दौड़ा। पर मम्मी हाल मैं तो कभी कमरे में भागकर मुझसे बच जाती और मुझे ठेंगा दिखाकर मुझे कहती दम है तो मुझे लगाकर दिखा। अंत में मैने मम्मी को पकड़ लिया वो मेरे पकड़ से न छूट पाए इसीलिए मैंने उनके दोनो हाथो को कलाई पर से पकड़ पीछे की ओर मोड़ लिया।
मम्मी– आह.. बेटा छोड़ मुझे दर्द हो रहा है।
मैं– नही मम्मी अब मैं तुम्हे केक लगाकर रहूंगा।
मम्मी ने हंसते हुए कहा कैसे लगाओगे तुम मुझे एक हाथ से संभाल कर तो दिखाओ। अब हालत यह थी की में एक हाथ से मम्मी को पकडू और दूसरे हाथ से मम्मी को केक लगाऊं पर मम्मी को एक हाथ से नियंत्रित करना संभव नहीं था। अब मेरे पास दूसरा उपाय यह था की में मम्मी को दोनो हाथ से पकड़े रखूं और सूरज को केक लगाने के लिए बोलूं।
मैने मम्मी के दोनो हाथो को कलाई से पकड़ पीछे मोड़ लिया। इससे मम्मी हिल डुल नही पा रही थी। मैने सूरज को मम्मी के चेहरे पर केक लगाने के लिए बोला। एक पल के लिए सूरज थोड़ा सोच में पड़ गया कि वह क्या करे। मम्मी सूरज से विनती कर रही थी नही बेटा प्लीज मत लगाओ। इस बुद्धु की बात मत मानो। वही में सूरज को आगे बढ़ने के लिए कह रहा था। सूरज तुम पहले मेरे दोस्त हो इसीलिए मेरी बात मानो। थोड़ी देर बाद सूरज ने टेबल से केक उठाया और लगाने के लिए आगे बढ़ा। मम्मी उसे बार बार न लगाने के लिए बोल रही थी। सूरज ने अपनी उंगली में थोड़ी क्रीम लेकर मम्मी के माथे पर लगाई और कुछ उनके गालों पर लगाकर रुक गया। मैने सूरज को कहा सूरज देखो मम्मी ने मुझे कितना केक लगाया उन्हे भी अच्छे से गंदा करो उनके चेहरे पर कोई भी जगह नहीं बचनी चाहिए। सूरज ने फिर से ढेर सारी क्रीम लेकर उसे मम्मी के पूरे चेहरे पर लगाने लगा। उनकी ठोडी , नाक के दोनो ओर गालों पर , नाक और होंटो के बीच की जगह पर। इसी दौरान सूरज ने मम्मी के होंटों पर भी अपनी उंगली फिराई। सूरज ने मम्मी के होंटों को अच्छे से महसूस किया। कभी कभी उसने दोनो होंटो को अपनी उंगली से अलग कर उनकी जीभ तक उंगली पहुंचा दी। मैने मम्मी के दोनो हाथो को पीछे अच्छे से मोड़ा हिस्से उनका वक्षस्थल उपर की उठ गया था। सूरज के सामने मम्मी के दोनो स्तन सख्ती के साथ उभर लिए तने थे। जिससे सूरज बार बार चोरी छिपे अपनी नजर उरेजो की गहरी घाटी में डाल रहा था। थोड़ी देर बाद मैंने मम्मी को छोड़ दिया। मम्मी का चेहरा पूरा क्रीम से ढक चुका था। मम्मी ने अपने चेहरे को थोड़ा साफ किया।
फिर अचानक मम्मी ने अपने हाथ में क्रीम लेकर चिल्लाई “ सूरज के बच्चे।“ और अपने हाथ की क्रीम उसके चेहरे पर पोत दी। सूरज इसके लिए तैयार नहीं था उसका चेहरा भी अब क्रीम में सना हुआ था। फिर मम्मी और मैं जोर जोर से हंसने लगे।
अपने जन्मदिन पर हमने बहुत सी फोन से तस्वीर निकाली। मैने मम्मी को सूरज और मेरे बीच में लेकर भी तस्वीर ली। मैने फोटो लेते समय अपना एक हाथ सूरज के कंधे तक पहुंचाकर उसे अपनी ओर खींच रहा था जिससे मम्मी हम दोनो के बीच अच्छे से आ गई हमारे शरीर मम्मी से अच्छी तरह स्पर्श हो रहे थे।
सुबह मम्मी नहाकर अपने रसोई का काम कर चुकी थी पर हम दोनो अभी तक नही उठे थे। वैसे तो हम अपने कमरे का दरवाजा हमेशा बंद करते थे, लेकिन रात को मुझे जल्दी नींद आ गई थी। जब मम्मी हमे उठाने आई तो उन्होंने हमे सोते हुए पाया। सुबह की सुकूनदायक ठंड में हम अपनी चादर ओढ़े लेटे थे। मम्मी को शुरू से ही मेरे देरी से उठने की आदत बुरी लगती थी। हमारे कमरे में आकर उन्होंने गुस्से में हम दोनो के उपर से चादर हटाकर दूर फेंक डाली। हम अचानक से हड़बड़ाते हुए उठे। सामने मम्मी गुस्से से हमे घूर रही थी पर जैसे ही हम उठे तो हम दोनो के खड़े लन्ड से हमारे पजामे में तंबू बना हुआ था। हम दोनो ही अपने खड़े लन्ड को छुपाने की नाकाम कोशिश कर रहे थे। मम्मी भी ये सब देख कमरे से बाहर की चली गई और चिल्लाते हुए बोली जल्दी तैयार होकर बहार आओ। सूरज तेजी से बाथरूम में भाग गया। मैं कमरे में बैठ अपने लन्ड के सामान्य होने का इंतजार करने लगा। कुछ देर बाद में दूसरे बाथरूम में जाकर नहाकर तैयार हुआ। हम तीनों एक दूसरे से नजरे बचा अपने अपने काम में लगे रहे।
मम्मी के मन में इस बात को लेकर द्वंद चल रहा था की क्या में दोषी हुं या नहीं।
मम्मी (अपने मन मैं) – ये मैने क्या कर दिया। मुझे उनके कमरे में जाकर चादर हटाना नही चाहिए था बाहर से ही उठने के लिए बोल देना चाहिए था, पर अब ये सोचकर क्या फायदा जब सब हो चुका है। ये मेरी गलती है।
नही ये मेरी गलती क्यों है। आखिर ये दोनो जवान हो चुके है इन लोगो को भी ध्यान रखना चाहिए।
पर इन बच्चों की भी क्या गलती इस उम्र में तो ये सब होता है। यह प्राकृतिक है।
क्या ये सही में ही प्राकृतिक है नीलम, या फिर ये दोनो किसी और कारण से इस हालत में थे।
नही नही में भी क्या सोचने लगी। पर में क्या करू जैसे ही आंखे बंद करती हु वैसे ही वही दृश्य सामने आ जाता है। क्या मुझे इन लोगो से बात करनी चाहिए।
नही में ये बात कैसे पूछ सकती हुं। हमारे बीच रिश्ते की सीमाएं है उसे लांघना ठीक नही होगा।