अंजलि जी ने ये कहानी xossip पर लिखी थी.............. मेरी पसंदीदा कहानियों में से है
शायद इसलिए भी की अपने बचपन से जवानी की ओर आते समय तरुण अवस्था में जिन 2 लड़कियों से मुझे प्रेम हुआ उसमे पहली मेरी ममी की बहन थी..... जिससे संबंध शुरू होने से पहले ही खत्म हो गए उसके वापस अपने घर जाते ही
दूसरी मेरी मौसी थी......... चाची की बहन......जो मेरी माँ की भी चचेरी बहन हैं... उनसे 5 वर्ष में बात शादी तक पहुँचकर मेरी माँ की असहमति के कारण ....शादी ना हो सकी। मेरी माँ अपनी बहन को बहू के रूप मे स्वीकार नहीं कर सकीं............ लगभग यही घटनाक्रम रहा......... सिर्फ शारीरिक आकर्षण और शारीरिक सम्बन्धों को छोडकर।
आज भी उनको सामने देखता हूँ तो पहले दिल की धड़कनें रुक सी जाती हैं............ फिर बढ़ती ही चली जाती हैं
मन से कैसे निकाल सकता हूँ.............. तन से अपना नहीं सका अगर
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केरल को ईश्वर का देश कहते हैं (God's own country) अर्थात ईश्वर की भूमि
क्योंकि ईश्वर की तरह अपनी सृष्टि स्वयं रचने वाले ऋषि विश्वामित्र का बसाया हुआ देश है यह..............
विश्वामित्र अयोध्या के राजा गाधि के पुत्र, अयोध्या के राजकुमार थे, उन्हें कौशिक के नाम से भी जाना जाता है..........
उन्होने ही राजनैतिक कूटनीति के तहत ..... अपने यज्ञ व आश्रम की रक्षा के बहाने से अयोध्या के राजकुमार श्री राम चंद्र को अपने साथ मिथिला ले जाकर राजकुमारी सीता से उनका विवाह कराया था...........
अपने आप मे विलक्षण नारियल परिवार के वृक्षों का सृजन उन्हीं की देन है
उनकी भाषा मलयालम प्राच्य संस्कृत का ही रूप है........ जिसे उन्होने एक विशिष्ट लिपि (font) प्रदान की
आज भी martial art की सबसे पुरानी और सभी नयी कलाओं की जननी पद्धति कलारिपट्टयु जो ऋषि विश्वामित्र की देन है............ केरल में ही सिखाई जाती है
क्षारसूत्र आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति भी कलारी प्रशिक्षण का ही भाग है.........जो उस समय ऋषि विश्वामित्र के सैनिक मलयपुत्रों के लिए सीखना जरूरी था
.................... मैं अपने जीवन के उत्तरार्ध (50 के बाद की उम्र) को केरल में बिताना चाहता हूँ........... कलारी गुरुकुल में...........
संभवतः उनका वंशज (इक्ष्वाकु/रघु वंशी) होने के नाते कुछ अधिक ही प्रेरित हूँ
क्या बात है! इतनी पर्सनल बात हमसे शेयर करने के धन्यवाद कामदेव भाई।
आप जो करना चाह रहे थे, वो बहुत ही कठिन काम था। समाज को मान्य नहीं है। वैसे आपके केस में आपका और मौसी का वैवाहिक सम्बन्ध मान्य हो सकता था।
जाने क्या सोच कर आपकी माता जी ने आप दोनों को यह अनुमति नहीं दी। उनके अपने कारण हो सकते हैं।
यह एक taboo विषय है। मेरे बहुत से दक्षिण भारतीय मित्र हैं। दो मित्र अपनी चचेरी बहनों से ब्याहे हैं। वहां इस सम्बन्ध को सामाजिक मान्यता है।
मामा और भांजी का भी वैवाहिक सम्बन्ध मान्य है। उत्तर भारत में यह होते हुए नहीं देखा मैंने। बस एक हैं, हमारे पिता जी के मित्र, जिन्होंने अपनी मौसी से शादी करी थी।
उनके घर में इस सम्बन्ध को ले कर क्या वितंडावाद हुआ, वो पिता जी कभी कभी बताते हैं। घर से निकाला और न जाने क्या क्या।
कहने का मतलब यह कि एकाध अपवाद हैं समाज में!
बाकी जो आपने केरल के बारे में कहा अक्षरशः सत्य है। सुन्दर भूमि। अंजलि और मुझे बहुत पसंद है केरल।
थेक्कड़ी के जंगलों में हमने कई हफ़्ते गुज़ारे हैं। फेफड़े साफ़ हो जाते हैं! हा हा!
लेकिन मलयालम भाषा कठिन है। और बिना भाषा जाने, वहाँ के समाज में रम जाना आसान नहीं।