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अगली सुबह निधि थोड़ी देर से उठती हैं....... करीम की अशलील बातों के कारण उसे रात में बहुत देर से नींद आयी थी.......वह पीछे मुड़कर दीवार पर टंगी घड़ी को देखती हैं...... घड़ी में सुबह के दस बज रहे थे.........पर आज उसके चेहरे पर चमक साफ नजर आ रही थी......उसे बेसब्री से करीम से मिलन का इंतेज़ार था कि कब वो उसे अपनी मज़बूत बाहों में लेगा.......उससे अब एक पल भी रुका नही जा रहा था पर वो कमली के हवेली से चले जाने का इंतजार कर रही थी..........थोड़ी देर बाद निधि बाथरूम में चली जाती हैं और फ्रेश होती हैं........नहाने के तुरंत बाद वो अपने बेडरूम में आती हैं और अपने वार्डरॉब के पास चली जाती हैं.......जब उसकी नज़र वहाँ पर पड़े ब्रा और पैंटी पर जाती हैं तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती हैं........करीम ने उसे आज मना किया था ब्रा और पैंटी पहनने को........वो उनको वही पर पड़े रहने देती हैं और एक बेहद ही खूबसूरत ब्लैक कलर की फ्रॉक निकलती हैं जो उसकी फ्रेंड्स ने हनीमून के दौरान पहनने के लिए उसे गिफ्ट दी थी .......निधि उस फ्रॉक में किसी अठारह साल की जवान लड़की की तरह लग रही थी.......पर उसे आज बिना ब्रा और पैंटी के बहुत अजीब लग रहा था.......मगर उसके दिल में रोमांच की भावना भी धीरे धीरे जग रही थी........थोड़ी देर बाद उसने घड़ी की तरफ देखा तो बारह बज रहे थे.......अमूमन इस समय तक कमली हवेली से चली जाती थी........निधि अपनी बेकाबू सांसों को काबू में करने की कोशिश करती हैं और नीचे हॉल की तरफ चल पड़ती हैं........ निधि जैसे ही सीढियां उतरने लगती हैं उसे करीम दिखाई देता हैं हमेशा की तरह कुर्ते पजामे में........ वह अपने हाथ चौड़े किये हुए सोफे पर बैठा हुआ था......निधि को आता देखकर वो सीढ़ियों की तरफ जाता हैं ..........
करीम - माशाअल्लाह......हमेशा की तरह आज भी आप क़यामत लग रही हैं......मैने जैसे आपकी रात को कल्पना की थी आप तो उससे भी कई ज्यादा खूबसूरत लग रही हैं......अपनी तारीफ़ सुनकर निधि के चेहरे पर मुस्कान तैर जाती हैं....... निधि अभी भी सीढ़ियों पर ही खड़ी थी.....करीम उसकी तरफ अपना हाथ बढ़ाता हैं और उसे अपने आगे चलने का इशारा करता हैं.......निधि आगे चलने लगती हैं और करीम उसके पीछे पीछे जाता हैं.......वो निधि की गांड को खा जाने वाली नज़रो से घूरता हैं.......तभी अचानक खिड़की से होते हुए एक हवा का तेज झोंका आता हैं जिससे निधि की फ्रॉक हवा में उठ जाती हैं और निधि की नंगी गांड करीम के सामने आ जाती हैं.......निधि की नंगी गांड देखकर करीम से रहा नही गया और वो फौरन निधि के करीब जाता हैं और एक कसकर थप्पड़.....सटाक...... से उसकी गांड पर मारता हैं......निधि ना चाहते हुए भी वही जोरो से आआआआ......अममममम......करते हुए वही सिसक पड़ती हैं........
निधि करीम के चेहरे की औऱ बड़े गौर से देख रही थी......करीम की इस हरकत पर वो हैरान थी.......मगर करीम अभी भी अपने काले पीले दांत दिखाकर हँस रहा था......
करीम - बहुत कातिलाना गांड हैं आपकी मालकिन.....
वह हैरानी से उसकी तरफ देखती हैं...... और फिर अपनी आँखें झुका देती है........
करीम - मैं माफी चाहता हूँ......कहीं आपको ज्यादा जोर की तो नही लगी ना.......
अब भला निधि उसे क्यों बताती उसे लगी या नही.....
निधि - आप बहुत गन्दे हो.......पहले दर्द देते हो फिर माफी मांगते हो......आप कभी नही सुधरोगे......
करीम - हाहाहाहा.....क्या मैने जैसे करने को बोला था आप उसके लिए तैयार हो......
निधि का चेहरा शर्म से लाल पड़ जाता हैं......वो चाहकर भी कुछ नही बोल पाती और शर्म से अपनी नज़रे तुरंत नीचे कर लेती हैं.....करीम के चेहरे पर फिर से हँसी तैर जाती हैं......
करीम - मुझे बहुत जोर की भूख लगी हैं मालकिन.......
निधि शर्म से मरी जा रही थीं.......वो करीम का इशारा अच्छे से समझ रही थी........मगर अब सवाल ये था कि क्या वो अपनी चूत उसके सामने खोलकर उसमे अपनी उंगली डाल पाएगी.......ये सब ख्याल आते ही निधि की चूत में मानो चीटियां सी रेंगने लगती हैं.......उसके शर्म की दीवार अब धीरे धीरे टूट रही थी.......
करीम - जानती हो मालकिन......कल मैने आपके नाम की तीन बार मुठ मारी.......फिर भी मुझे चैन नही मिला......कसम से कल अगर आप मेरे पास होती तो मैं ये अपना पूरा लन्ड एक ही बार में आपकी चूत में उतार देता.....आपने मुझे बहुत बेचैन किया हैं......इसकी आपको सज़ा मिलेगी......
करीम निधि के करीब जाता हैं......निधि उसे सवाल भरी नज़रो से देख रही थी.......उसका दिल बहुत जोरो से धड़क रहा था.......फिर करीम अपना एक हाथ निधि की फ्रॉक में डाल देता हैं और उसकी नंगी चूत को अपनी मुट्ठी में पकड़ लेता हैं और अपने दूसरे हाथ से उसकी गांड को जोर से भीच देता हैं........निधि इस दोहरे हमले को झेल नही पाती हैं और उसके मुँह से सिसकारी निकल पड़ती हैं......करीम अभी भी निधि की चूत को अपनी मुट्ठी में पकड़े हुए था और उसके हाथों की कठोरता धीरे धीरे बढ़ रही थी......
निधि - आआहहह.......करीम जी......आराम से.......मैं कही भागी नही जा रही......
तो फिर जल्दी से अपना नंगी चूत का प्रदर्शन शुरू करो ताकि उसे देखता हुआ मैं खाना खा सकु......
निधि - तो खाओ ना खाना...... आपको रोका किसने हैं.......
निधि पर हवस हावी हो रही थी.......धीरे धीरे वो भी करीम के साथ खुलने लगी थी.......
करीम - ऐसे नही मालकिन......मेरे कुछ उसूल हैं जो आपको मानने पड़ेंगे.......
निधि - कैसे उसूल......मैं कुछ समझी नही......
निधि हैरान होते हुए पूछती हैं.......
करीम - सबसे पहले तो आपको पूरा नंगा होना पड़ेगा......फिर इस डाइनिंग टेबल पर चढ़कर आप तब तक अपनी चूत में उंगली करेंगी जब तक मैं खाना पूरा ना करलू....
बोलो मालकिन आपको ये शर्त मंजूर हैं.....
निधि की चूत गीली होती जा रही थी......उसकी चूत में लगी आग को वो जल्द से जल्द बुझाना चाहती थी......इसीलिए वो झट से हाँ बोल देती हैं......करीम के चेहरे पर फिर से गन्दी हँसी तैर जाती हैं.......
करीम फिर निधि के करीब आता हैं और अपना एक हाथ उसकी चूची पर रख देता हैं और कसकर जोरों से मसल देता हैं.......निधि एक बार फिर से तड़प उठती हैं......करीम फिर अपना दूसरा हाथ भी उसके दूसरे बूब्स पर ले जाता हैं फिर उसे भी कसकर मसल देता हैं.......निधि चुपचाप खड़ी होकर करीम को अपने जिस्म के साथ खेलने दे रही थी.......निधि के दोनों हाथ इस वक़्त करीम की जांघो पर थे........
करीम के हाथों की सख्ती धीरे धीरे उसके दोनों बूब्स पर बढ़ती जा रही थी.......और इधर निधि के मुँह से भी तेजी से सिस्कारियाँ निकल रही थीं.......वो अपनी आँखे बंद करके अपनी चूचियों पर करीम के कठोर हाथो का स्पर्श महसूस कर रही थी.......थोड़ी देर बाद करीम उसकी फ्रॉक को नीचे से उठाता हैं और निधि भी अपने हाथ ऊपर कर देती हैं जिससे करीम उसकी फ्रॉक को निकाल कर अगले ही पल जमीन पर फेंक देता हैं.......जैसे ही करीम फ्रॉक को निधि के जिस्म से अलग करता हैं वो अपने हाथो से दोनों बूब्स को ढक लेती हैं......अभी भी उसके अंदर कुछ शर्म बाकी थी......मगर करीम वो भी शर्म कुछ देर में उतारने वाला था...
करीम - हटा लो ना मालकिन अपना ये हाथ.....
करीम के बार बार कहने पर निधि अपने दोनों हाथ हटा लेती हैं.......अब निधि करीम के सामने पूरी नंगी खड़ी थी......उसका शर्म से बुरा हाल था.......पहली बार वो किसी गैर मर्द के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी......
करीम - वाह......ऊपर वाले ने आपको क्या रूप दिया हैं...... आप तो पूरी क़यामत हैं मालकिन......
फिर करीम निधि को अपनी तरफ घुमाता हैं......निधि अपना चेहरा करीम की तरफ घुमा लेती हैं लेकिन शर्म के कारण उससे आँखे नही मिला पाती.......करीम निधि को सिर से लेकर पांव तक घूरे जा रहा था.......उसके बूब्स किसी पहाड़ की तरह तने हुए थे......उसकी बड़ी बड़ी चुचियाँ करीम पर कहर बरपा रही थी......उसके निपल्स गुलाबी रंग के मटर के दाने के आकार के थे.......नाभि उसकी एक इंच गहरी थी......और नीचे उसकी चिकनी चूत गहरे गुलाबी रंग की जो पूरी तरह से फूली हुई थी और एक पतली सी लकीर नज़र आ रही थी......उसकी दोनो फाँके पूरी तरह से बंद थी........
करीम अब निधि के पीछे की तरफ चला जाता हैं और उसकी गोल उभरी हुई गांड को बड़े गौर से देखने लगता हैं......क्या कसी हुई गांड थी निधि की......अगर कोई बूढ़ा भी एक बार देखले तो उसके लन्ड से पानी निकल जाए........ऐसी बला की खूबसूरत निधि आज करीम के सामने नंगी खड़ी थी......
करीम फिर आगे बढ़कर फौरन अपने दोनों हाथों से निधि के बूब्स को थाम लेता हैं और उसकी गर्दन पर बड़े प्यार से चुम लेता हैं.......निधि की सांसे भारी होती जा रही थी......हवस ने उसके दिमाग पर पूरी तरह कब्जा कर दिया था......
करीम के इस तरह चूमने पर वो दूबारा सिसक पड़ती हैं और अपनी आँखें झट से बंद कर देती हैं......करीम के मुँह का थूक अब निधि के कंधों पर चमक रहा था......करीम के दोनों हाथ अभी भी निधि के सीने पर थे.......करीम उन्हें बारी बारी से मसल रहा था.......थोड़ी देर बाद वो निधि से दूर हट जाता हैं और सामने डाइनिंग कुर्सी पर बैठ जाता है......निधि एक नज़र करीम की और देखती हैं पर वो कोई रिएक्शन नही देती........सच तो ये था कि उसे कुछ समझ नही आ रहा था वो इस सब की शुरुआत कहाँ से करे......
करीम - मैं खाने शुरू करने के लिए इंतेज़ार कर रहा हूँ.....अब जल्दी से इस डाइनिंग टेबल पर चढ़कर अपनी चूत का प्रदर्शन करो......
करीम की आवाज़ में गुस्सा था......निधि आहिस्ता से आगे बढ़ती हैं फिर वो उस डाइनिंग कुर्सी पर पांव रखकर टेबल पर चढ़ जाती हैं......करीम निधि की हर हरकत को बड़े गौर से देख रहा था.......वो बहुत खुश था......और हो भी क्यों ना..... इतनी बड़ी हवेली की मालकिन उसके सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी.......निधि फिर उस डाइनिंग टेबल पर खड़ी हो जाती हैं........करीम निधि को अपने मुंह के सामने बैठने का इशारा करता हैं.......निधि चुपचाप करीम के सामने आकर बैठ जाती हैं........
करीम - ऐसे नही.....अपनी दोनों टाँगे फैलाकर बैठो.....आपकी चूत की फाँके मुझे पूरी तरह दिखाई देनी चाहिए........तभी तो मैं उन्हें देखते हुए अच्छे से खाना खा पाऊंगा.......
निधि एक बार करीम की और देखती हैं और अपनी दोनों टाँगों को फैला देती हैं.......निधि के इस तरह से अपनी जांघे फैलाने पर उसकी चूत की फाँके पूरी तरह से खुल गयी थी.....अंदर गुलाबी रंग का छेद उसमे साफ दिखाई दे रहा था जो पूरी तरह से गिला था और निधि की चूत से धीरे धीरे रस बाहर की और टपक रहा था.......अगर कोई निधि को इस हालत में देख लेता तो उसे पेशेवर रंडी ही समझता.......अब उसके अंदर शर्म धीरे धीरे खत्म होती जा रही थी.....
करीम आँखे फाडे उस खूबसूरत और कामुक दृश्य को देख रहा था......उसे तो खुद पर यकीन ही नही हो रहा था कि जो वो सामने देख रहा हैं वो सपना हैं या हकीकत.......
करीम अपनी प्लेट में खाना लेकर खाने लगता हैं और निधि की तरफ देखता हैं....... निधि अपना एक हाथ पीछे की और ले जाती हैं सहारा लेने के लिए और दूसरा हाथ धीरे से अपनी चूत की और ले जाती हैं...... अगले ही पल उसकी उंगली उसकी चूत के दानों को सहलाने लगती हैं...... करीम निधि को बड़े गौर से देख रहा था.......वही निधि का बुरा हाल था.....एक तरफ तो उसे शर्म आ रही थी वही दूसरी तरह उसकी हवस भी धीरे धीरे उस पर हावी हो रही थी......वो हौले हौले अपनी चूत को सहला रही थी जिससे उसके मुँह से आह......आह की कामुक आवाज़े आ रही थी.......

करीम का लन्ड ये नज़ारा देखकर उसकी लुंगी में पूरी तरह तन चुका था और ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी भी पल उसकी लुंगी को फाड़ कर बाहर निकल जाएगा.......करीम से भी अब रहा नही जा रहा था.......वो जल्दी से खाना खत्म करता हैं और पास ही रखे कपड़े से अपने हाथ पोछ देता हैं......करीम फौरन कुर्सी से उठता हैं और निधि को बाहों में उठाकर उसे नीचे जमीन पर उतार देता हैं.......
निधि करीम की ताकत की कायल हों जाती हैं कि इस उम्र में भी कैसे उसने एक झटके में उसको डाइनिंग टेबल से उठाकर नीचे जमीन पर उतार दिया.....अब करीम निधि का हाथ पकड़ कर उसे सोफे की और ले जाता हैं और निधि को सोफे पर बैठा देता हैं और उसको ऊपर से नीचे घूरने लगता हैं....... निधि हैरानी से करीम की और देखती हैं........
निधि- आप ऐसे क्या देख रहे हो.......
निधि की आवाज़ सुनकर करीम अपनी सोच से बाहर आता हैं......
करीम - ओहहह.....वो बस कुछ नही......
निधि धीरे से मुस्कुरा देती हैं और करीम की आँखों में देखते हुए अपनी गांड को थोड़ा सा आगे उसके चेहरे की तरफ सरका देती हैं...... ऐसा लग रहा था जैसे वो करीम को खुला निमंत्रण दे रही हो उसकी चूत को चाटने के लिए......करीम फिर से निधि की चूत के दोनों फांको के बीच घूर रहा था पर फिर भी वह कुछ नही कर रहा था......इधर निधि का सब्र धीरे धीरे टूट रहा था........
निधि - प्लीज....करीम जी......कुछ तो करो....उसकी आवाज़ में निवेदन साफ जाहिर हो रहा था......वो अंदर ही अंदर तड़प रही थी.....वो अब अपनी चूत के आगे पूरी तरह से मजबूर हो चुकी थी.....करीम निधि को पूरी तरह से बेबस करना चाहता था......वो निधि को तड़पाना चाहता था ताकि वो उसे पूरी तरह अपने कब्जे में ले सके........
वो चाहता तो अभी अपना लन्ड लुंगी से बाहर निकलकर निधि की चूत में उतार देता.....कुछ देर बाद वो भी शांत हो जाता और निधि की प्यास भी बुझ जाती....मगर इसमे उसे ज्यादा मजा नही आता.......वो तो चाहता था निधि पूरी तरह खुलकर उसका साथ दे...... वो उसके लिए सब कुछ करे जो उसका सपना हैं.....अगर निधि के अंदर तड़प नही होगी तो वो उसकी बात कभी नही मानेंगी........
करीम कुछ देर तक खामोश रहता हैं फिर वो कुछ सोचकर मुस्कुरा देता हैं......
करीम - आप ही बताओ मुझे......मैं क्या करूं.....मुझे तो कुछ नही पता मुझे क्या करना हैं......करीम के मुँह से ऐसी बातें सुनकर निधि के चेहरे का रंग फीका पड़ गया....पहले तो निधि को करीम पर बहुत गुस्सा आया पर कुछ सोचकर वो उस गुस्से को पी गई.......
निधि - ( मन में ) अब इनको ये भी बताना पड़ेगा कि एक जवान लड़की उनके सामने अपनी चूत पूरी तरह फैलाकर बैठी हैं और वो पूछ रहे हैं करना क्या हैं......
निधि को करीम का ऐसे बर्ताव करना बहुत परेशान कर रहा था.......उसके मन में ये सवाल चल रहा था कि वो करीम को कैसे समझाए कि उसे क्या करना है......उसे कैसे कहे कि आकर मेरी चूत को चाटो और मेरी प्यास को बुझा दो......निधि के माथे पर पसीने की बूंदे साफ झलक रही थी......
निधि- करीम जी........प्लीज........मजाक मत करो मेरे साथ.......जो आप चाहते हो वो आप करो ......... प्लीज अब ऐसे मत तड़पाओ मुझे......अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता...मेरे अंदर की आग को बुझा दो ना... प्लीज.....
करीम - मैं मजाक नहीं कर रहा है मालकिन....... और आपके अंदर आग कहां लगी हैं.......आप तो मुझे बिल्कुल ठीक दिखाई दे रही हैं...आखिर आपको हुआ क्या हैं ......... ज़रा खुल कर बताइये मुझे .........
निधि फिर अपना एक हाथ अपनी चूत के पास ले जाती हैं और अपने हाथों से करीम की ओर देखते हुए धीरे से इशारा करती हैं......
निधि- यहां........इसके अंदर आग लगी हुई हैं........प्लीज बुझा दो ना इसे.........
करीम - मगर .... मैं इसे कैसे बुझा सकता हूं .... क्या मैं आपको फायर ब्रिगेड वाला लगता हूं ........ मालकिन ज़रा खुल कर कहोगी तभी तो मैं आपके मर्ज का इलाज़ करुंगा ......... नहीं तो मैं कैसे समझूंगा की आपको हुआ क्या है .........
अब निधि करीम का इरादा अच्छे से समझ चुकी थी......अब वो जान चुकी थी की करीम उससे क्या बुलवाना चाहता है... मगर वो भला ऐसे गंदे शब्द कैसे उसके सामने बोल सकती हैं ........निधि के मन में अब ये सावल उसे बार बार परेशान कर रहा था ........ बचपन से वो आवारा लड़कों के मुँह से अक्सर चूत लन्ड जैसे शब्द सुनती आई थी मगर उसने कभी अपने होंठो तक ऐसे शब्दों को नहीं लाया था......जिसने आज तक किसी से तू तड़ाक से बात नही की वो ऐसे गन्दे शब्द कैसे बोल सकती थी ......... नहीं नहीं .... ये उससे नहीं होगा .... कुछ भी हो जाए वो ये शब्द कभी उसके सामने नहीं कहेंगी.......
निधि- प्लीज करीम जी....... मैं जानती हूं की आप मेरे मुँह से क्या सुनना चाहते हो...मगर मैं ये सब नहीं कह सकती... प्लीज... ..जो करना है वो कर लो......मैं आपको कुछ करने से मना तो नहीं कर रही हूं ना...फिर अब ये कैसी जिद्द हैं.......
अगले ही पल करीम तुरंत सोफे से उठ जाता है और जाने के लिए जैसे ही मुड़ता है तभी निधि फौरन उसका हाथ पकड़ लेती हैं ..........
करीम - बस बहुत हुआ ......... सच तो ये है कि आप मेरे लिए कुछ नहीं कर सकती ... अगर आपको मेरी खुशी की जरा भी परवाह होती है तो आप बिना सोचे समझे मेरे लिए कुछ भी कर जाती ...... बार बार ऐसे नखरे न दिखाती...... मैं अब जा रहा हूं ..... .. .......
निधि बहुत इमोशनल हो गयी........वो अपनी जगह से उठकर खड़ी हो जाती हैं …… इस वक्त वो कुछ सोचने समझने की हालत में नहीं थी… मगर चाहे कुछ भी हो जाए वो अब करीम से दूर नहीं रह सकती थी....और इस हालत में तो कभी नहीं...
निधि- भगवान के लिए ऐसा मत करो मेरे साथ...जो आपने चाहा वो मैंने किया...अपना सब कुछ तो मैं आपके हवाले कर चुकी हूं...अब ये कैसी ज़िद्द है...मैं ये सब नहीं कह पाउंगी.......मुझे माफ़ कर दो......कुछ तो मेरे अंदर शर्म अब रहने दो.......
करीम - तो फिर ठीक हैं.......आप अपना शर्म अपने पास ही रखिए........मैं जा रहा हूं..……आप भूल जाना की करीम नाम के कोई आदमी से आपका कभी कोई नाता था……..
करीम फ़िर जैसे ही आगे बढ़ता है निधि फ़ौरन आकर दरवाजे के पास खड़ी हो जाती है ……… और अपने दोनो हाथो से दरवाजे को ढक लेती हैं……..
निधि- करीम जी अब मैं आप जो कहोगे वो कर लुंगी.... ... अगर आपको मेरी बातों पर यकीन नहीं होता तो फिर ठीक है .... अब तक आपने मेरी मजबूरी और लाचारी देखी हैं...... मुझे हमेशा कमजोर समझते आए हो आप......मगर आज मैं आपको दिखा दूंगी की औरत जब अपने शर्म और लाज का घुंघट उतारती है तो फिर उसे दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती .........आप मेरी बेशर्मी देखना चाहते हो ना.......ये लो देखो मेरी बेशर्मी .... यही चाहते हो ना आप ... तो फिर ठीक हैं ... .....आपकी खुशियों के खातिर मुझे ये भी मंज़ूर हैं .....
निधि अभी भी करीम की आँखों में आँखें डाले घूर रही थी .... मगर अब करीम उससे अपनी नज़रें नहीं मिला पाता हैं और अपना सर चुप चाप नीचे की तरफ झुका देता है …… फिर वो कुछ नहीं बोलता हैं और चुप चाप जाकर वही सोफे पर बैठ जाता है …… निधि भी फिर से सोफे पर बैठ जाती हैं ...... अपनी दोनो टाँगे पूरा फैलाये हुए .........
निधि- अब चुप ही रहेंगे या कुछ कहेंगे भी ………
निधि अभी भी करीम के चेहरे को घूरे जा रही थी ……
करीम - मुझे माफ कर दिजिए मालकिन......वो जाने अनजाने में मैंने आपका दिल दुखाया...मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था.........
निधि- अब बातें ही करोगे या कुछ आगे भी करने का इरादा है...
इतना कहकर निधि धीरे से मुस्कुरा पड़ती है... ...करीम भी अपने पीले काले दांत दिखाते हुए हँस पड़ता हैं... ......
करीम - करना तो बहुत कुछ है मालकिन....... मगर .........
निधि - मगर ......... मगर क्या ????
करीम - वही जो मैं चाहता हूं.........
निधि- हम्म्म्म.......तो क्या सुनना चाहते हो आप.......
करीम - क्या मुझे बताना पड़ेगा ...... खैर आप खुल कर मुझसे वो सब बातें किजिये जो एक पेशेवर रंडी चुदाई के दौरान अक्सर कहती है ... देखना इससे आपको भी बहुत मजा आएगा ..... ....
निधि का गला सुखा जा रहा था ….. अब भी उसके दिल में यही सवाल था की वो कैसे ये सब कहेगी... मगर अब उसे करीम की खातिर सब कुछ कहना था... सब कुछ करना था ....... करीम फ़ौरन अपना एक हाथ निधि की चूचियों पर रख देता है और उन्हें अपनी दोनो उंगलियों के बीच ज़ोरों से मसल देता है …… निधि ना चाहते हुए भी ज़ोरों से सिसक पड़ती है…..करीम को पता चल गया था अब निधि किसी चीज़ के लिए उसका विरोध नही करेंगी.....वो अब अपने असली रंग दिखा रहा था......
करीम - बोलो मेरा हाथ कहाँ पर है......और मैं क्या कर रहा हूँ.......
निधि-आआआआआहहहहहह......... करीम जी........मेरी चुचियाँ....को धीरे से दबाओ... दर्द हो रहा है मुझे......
निधि जैसे तैसे ये शब्द बोल पाई थी...उसकी सांसें एक बार फिर से भारी होती जा रही थी...ऐसा लग रहा था जैसे वो सांस भी नहीं ले पा रही हो.........
निधि बड़ी अदा से करीम के चेहरे की और देखती हैं फिर वो उसे देख कर धीरे से मुस्कुरा पड़ती हैं.....
निधि- आप सच में बहुत गंदे हो... और आओ अब मुझे भी अपना जैसा बनाना चाहते हो...... .
करीम - तो बन जाओ ना मेरे जैसी…....आपको देखना बड़ा मजा आएगा ……… वैसे आपने मेरी बातें का जवाब नहीं दिया……
निधि एक नज़र फ़िर से करीम की आँखों में घूरती है और अगले पल वो फिर से धीरे से मुसकुरा देती है ......
निधि- चूत ......... मेरी चूत अच्छे से चाटो........
निधि अब किसी रंडी की तरह करीम से बातें कर रही थी.....
करीम निधि की दोनो टाँगों को अपने कंधे पर रखता हैं......फिर अपनी जीभ धीरे से सरकाते हुए उसकी चूत के होंठ पर ले जाता है और बहुत हौले हौले उन्हें चूसना शूरु करता है.........निधि एकदम से सिसक पड़ती हैं...........उसकी आंखें लज्जत से बंद हो जाती हैं.....निधि के ना चाहते हुए भी उसके मुँह से जोर जोर से आहें निकल रही थी........
निधि - आआहहहह.........हाँ ऐसे ही......और कसकर चाटो इसे.........
वो इस वक़्त इस कदर एक्साइटेड हो चुकी थी की वो अपनी दोनो उंगलियों से अपने निपल्स को बड़ी ही बुरी तरह से मसल रही थी ......... तो कभी उन्हें मरोड़ रही थी .........उसकी निपल्स भी तन कर पूरी तरह से सख्त हो चुकी थी......... इधर करीम उसकी चूत में अपनी जीभ और अंदर तक पेलने की कोशिश कर रहा था .........जिससे निधि और बेचैन सी होती जा रही थी ........पूरे कमरे में उसकी आआहहहह.......उममममम.......ईईईईई.....की आवाजे गूंज रही थी जो उस माहौल को और भी रंगीन बनाती जा रही थी...... करीम के मुँह से बहता थूक भी उसकी चूत को पल पल गीला करता जा रहा था.......इस वक़्त उसकी चूत करीम के थूक से पूरी तरह गिली हो चुकी थी... निधि अपनी गांड धीरे-धीरे हीलाते हुए अपनी चूत करीम के मुह पर रगड़ रही थी...जो मजा आज उसे मिल रहा था इससे पहले उसे कभी नहीं मिला था.......वो आज सब कुछ भूल चुकी थी ....... करीम तेजी से अपनी जीभ उसकी दोनो फांको के बीच घुमा रहा था....... और साथ ही साथ अपनी जीभ अंदर की ओर घुसाता भी जा रहा था......... निधि अब छूटने के काफी करीब थी ….. अब उसका सबर पूरी तरह से टूट गया था ..... .अब उसे ऐसा लगने लगा था की अब वो ज्यादा देर तक करीम के सामने नहीं टिकेगी.......अगले ही पल निधि है ज़ोरों से चिल्ला पड़ती हैं....... आब उसका सबर टूट गया था.......वो वही आहहहहहह........मैं गईईईई........ करते हुए ज़ोरों से झड़ने लगती हैं .........करीम निधि का सारा चुतरस एक गटक में ही पी गया......उसका पूरा चेहरा निधि के कामरस से भीग चुका था.....

करीम - आपकी चूत का रस बहुत नमकीन हैं मालकिन.....मजा आ गया......
निधि शर्म के मारे दोनो हाथो से अपना चेहरा ढक देती हैं.....
पता नही क्यों उसे करीम का ये अंदाज पसन्द था.....अब देखना ये हैं कि आगे करीम निधि के साथ क्या क्या करता हैं......
करीम - माशाअल्लाह......हमेशा की तरह आज भी आप क़यामत लग रही हैं......मैने जैसे आपकी रात को कल्पना की थी आप तो उससे भी कई ज्यादा खूबसूरत लग रही हैं......अपनी तारीफ़ सुनकर निधि के चेहरे पर मुस्कान तैर जाती हैं....... निधि अभी भी सीढ़ियों पर ही खड़ी थी.....करीम उसकी तरफ अपना हाथ बढ़ाता हैं और उसे अपने आगे चलने का इशारा करता हैं.......निधि आगे चलने लगती हैं और करीम उसके पीछे पीछे जाता हैं.......वो निधि की गांड को खा जाने वाली नज़रो से घूरता हैं.......तभी अचानक खिड़की से होते हुए एक हवा का तेज झोंका आता हैं जिससे निधि की फ्रॉक हवा में उठ जाती हैं और निधि की नंगी गांड करीम के सामने आ जाती हैं.......निधि की नंगी गांड देखकर करीम से रहा नही गया और वो फौरन निधि के करीब जाता हैं और एक कसकर थप्पड़.....सटाक...... से उसकी गांड पर मारता हैं......निधि ना चाहते हुए भी वही जोरो से आआआआ......अममममम......करते हुए वही सिसक पड़ती हैं........
निधि करीम के चेहरे की औऱ बड़े गौर से देख रही थी......करीम की इस हरकत पर वो हैरान थी.......मगर करीम अभी भी अपने काले पीले दांत दिखाकर हँस रहा था......
करीम - बहुत कातिलाना गांड हैं आपकी मालकिन.....
वह हैरानी से उसकी तरफ देखती हैं...... और फिर अपनी आँखें झुका देती है........
करीम - मैं माफी चाहता हूँ......कहीं आपको ज्यादा जोर की तो नही लगी ना.......
अब भला निधि उसे क्यों बताती उसे लगी या नही.....
निधि - आप बहुत गन्दे हो.......पहले दर्द देते हो फिर माफी मांगते हो......आप कभी नही सुधरोगे......
करीम - हाहाहाहा.....क्या मैने जैसे करने को बोला था आप उसके लिए तैयार हो......
निधि का चेहरा शर्म से लाल पड़ जाता हैं......वो चाहकर भी कुछ नही बोल पाती और शर्म से अपनी नज़रे तुरंत नीचे कर लेती हैं.....करीम के चेहरे पर फिर से हँसी तैर जाती हैं......
करीम - मुझे बहुत जोर की भूख लगी हैं मालकिन.......
निधि शर्म से मरी जा रही थीं.......वो करीम का इशारा अच्छे से समझ रही थी........मगर अब सवाल ये था कि क्या वो अपनी चूत उसके सामने खोलकर उसमे अपनी उंगली डाल पाएगी.......ये सब ख्याल आते ही निधि की चूत में मानो चीटियां सी रेंगने लगती हैं.......उसके शर्म की दीवार अब धीरे धीरे टूट रही थी.......
करीम - जानती हो मालकिन......कल मैने आपके नाम की तीन बार मुठ मारी.......फिर भी मुझे चैन नही मिला......कसम से कल अगर आप मेरे पास होती तो मैं ये अपना पूरा लन्ड एक ही बार में आपकी चूत में उतार देता.....आपने मुझे बहुत बेचैन किया हैं......इसकी आपको सज़ा मिलेगी......
करीम निधि के करीब जाता हैं......निधि उसे सवाल भरी नज़रो से देख रही थी.......उसका दिल बहुत जोरो से धड़क रहा था.......फिर करीम अपना एक हाथ निधि की फ्रॉक में डाल देता हैं और उसकी नंगी चूत को अपनी मुट्ठी में पकड़ लेता हैं और अपने दूसरे हाथ से उसकी गांड को जोर से भीच देता हैं........निधि इस दोहरे हमले को झेल नही पाती हैं और उसके मुँह से सिसकारी निकल पड़ती हैं......करीम अभी भी निधि की चूत को अपनी मुट्ठी में पकड़े हुए था और उसके हाथों की कठोरता धीरे धीरे बढ़ रही थी......
निधि - आआहहह.......करीम जी......आराम से.......मैं कही भागी नही जा रही......
तो फिर जल्दी से अपना नंगी चूत का प्रदर्शन शुरू करो ताकि उसे देखता हुआ मैं खाना खा सकु......
निधि - तो खाओ ना खाना...... आपको रोका किसने हैं.......
निधि पर हवस हावी हो रही थी.......धीरे धीरे वो भी करीम के साथ खुलने लगी थी.......
करीम - ऐसे नही मालकिन......मेरे कुछ उसूल हैं जो आपको मानने पड़ेंगे.......
निधि - कैसे उसूल......मैं कुछ समझी नही......
निधि हैरान होते हुए पूछती हैं.......
करीम - सबसे पहले तो आपको पूरा नंगा होना पड़ेगा......फिर इस डाइनिंग टेबल पर चढ़कर आप तब तक अपनी चूत में उंगली करेंगी जब तक मैं खाना पूरा ना करलू....
बोलो मालकिन आपको ये शर्त मंजूर हैं.....
निधि की चूत गीली होती जा रही थी......उसकी चूत में लगी आग को वो जल्द से जल्द बुझाना चाहती थी......इसीलिए वो झट से हाँ बोल देती हैं......करीम के चेहरे पर फिर से गन्दी हँसी तैर जाती हैं.......
करीम फिर निधि के करीब आता हैं और अपना एक हाथ उसकी चूची पर रख देता हैं और कसकर जोरों से मसल देता हैं.......निधि एक बार फिर से तड़प उठती हैं......करीम फिर अपना दूसरा हाथ भी उसके दूसरे बूब्स पर ले जाता हैं फिर उसे भी कसकर मसल देता हैं.......निधि चुपचाप खड़ी होकर करीम को अपने जिस्म के साथ खेलने दे रही थी.......निधि के दोनों हाथ इस वक़्त करीम की जांघो पर थे........
करीम के हाथों की सख्ती धीरे धीरे उसके दोनों बूब्स पर बढ़ती जा रही थी.......और इधर निधि के मुँह से भी तेजी से सिस्कारियाँ निकल रही थीं.......वो अपनी आँखे बंद करके अपनी चूचियों पर करीम के कठोर हाथो का स्पर्श महसूस कर रही थी.......थोड़ी देर बाद करीम उसकी फ्रॉक को नीचे से उठाता हैं और निधि भी अपने हाथ ऊपर कर देती हैं जिससे करीम उसकी फ्रॉक को निकाल कर अगले ही पल जमीन पर फेंक देता हैं.......जैसे ही करीम फ्रॉक को निधि के जिस्म से अलग करता हैं वो अपने हाथो से दोनों बूब्स को ढक लेती हैं......अभी भी उसके अंदर कुछ शर्म बाकी थी......मगर करीम वो भी शर्म कुछ देर में उतारने वाला था...
करीम - हटा लो ना मालकिन अपना ये हाथ.....
करीम के बार बार कहने पर निधि अपने दोनों हाथ हटा लेती हैं.......अब निधि करीम के सामने पूरी नंगी खड़ी थी......उसका शर्म से बुरा हाल था.......पहली बार वो किसी गैर मर्द के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी......
करीम - वाह......ऊपर वाले ने आपको क्या रूप दिया हैं...... आप तो पूरी क़यामत हैं मालकिन......
फिर करीम निधि को अपनी तरफ घुमाता हैं......निधि अपना चेहरा करीम की तरफ घुमा लेती हैं लेकिन शर्म के कारण उससे आँखे नही मिला पाती.......करीम निधि को सिर से लेकर पांव तक घूरे जा रहा था.......उसके बूब्स किसी पहाड़ की तरह तने हुए थे......उसकी बड़ी बड़ी चुचियाँ करीम पर कहर बरपा रही थी......उसके निपल्स गुलाबी रंग के मटर के दाने के आकार के थे.......नाभि उसकी एक इंच गहरी थी......और नीचे उसकी चिकनी चूत गहरे गुलाबी रंग की जो पूरी तरह से फूली हुई थी और एक पतली सी लकीर नज़र आ रही थी......उसकी दोनो फाँके पूरी तरह से बंद थी........
करीम अब निधि के पीछे की तरफ चला जाता हैं और उसकी गोल उभरी हुई गांड को बड़े गौर से देखने लगता हैं......क्या कसी हुई गांड थी निधि की......अगर कोई बूढ़ा भी एक बार देखले तो उसके लन्ड से पानी निकल जाए........ऐसी बला की खूबसूरत निधि आज करीम के सामने नंगी खड़ी थी......
करीम फिर आगे बढ़कर फौरन अपने दोनों हाथों से निधि के बूब्स को थाम लेता हैं और उसकी गर्दन पर बड़े प्यार से चुम लेता हैं.......निधि की सांसे भारी होती जा रही थी......हवस ने उसके दिमाग पर पूरी तरह कब्जा कर दिया था......
करीम के इस तरह चूमने पर वो दूबारा सिसक पड़ती हैं और अपनी आँखें झट से बंद कर देती हैं......करीम के मुँह का थूक अब निधि के कंधों पर चमक रहा था......करीम के दोनों हाथ अभी भी निधि के सीने पर थे.......करीम उन्हें बारी बारी से मसल रहा था.......थोड़ी देर बाद वो निधि से दूर हट जाता हैं और सामने डाइनिंग कुर्सी पर बैठ जाता है......निधि एक नज़र करीम की और देखती हैं पर वो कोई रिएक्शन नही देती........सच तो ये था कि उसे कुछ समझ नही आ रहा था वो इस सब की शुरुआत कहाँ से करे......
करीम - मैं खाने शुरू करने के लिए इंतेज़ार कर रहा हूँ.....अब जल्दी से इस डाइनिंग टेबल पर चढ़कर अपनी चूत का प्रदर्शन करो......
करीम की आवाज़ में गुस्सा था......निधि आहिस्ता से आगे बढ़ती हैं फिर वो उस डाइनिंग कुर्सी पर पांव रखकर टेबल पर चढ़ जाती हैं......करीम निधि की हर हरकत को बड़े गौर से देख रहा था.......वो बहुत खुश था......और हो भी क्यों ना..... इतनी बड़ी हवेली की मालकिन उसके सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी.......निधि फिर उस डाइनिंग टेबल पर खड़ी हो जाती हैं........करीम निधि को अपने मुंह के सामने बैठने का इशारा करता हैं.......निधि चुपचाप करीम के सामने आकर बैठ जाती हैं........
करीम - ऐसे नही.....अपनी दोनों टाँगे फैलाकर बैठो.....आपकी चूत की फाँके मुझे पूरी तरह दिखाई देनी चाहिए........तभी तो मैं उन्हें देखते हुए अच्छे से खाना खा पाऊंगा.......
निधि एक बार करीम की और देखती हैं और अपनी दोनों टाँगों को फैला देती हैं.......निधि के इस तरह से अपनी जांघे फैलाने पर उसकी चूत की फाँके पूरी तरह से खुल गयी थी.....अंदर गुलाबी रंग का छेद उसमे साफ दिखाई दे रहा था जो पूरी तरह से गिला था और निधि की चूत से धीरे धीरे रस बाहर की और टपक रहा था.......अगर कोई निधि को इस हालत में देख लेता तो उसे पेशेवर रंडी ही समझता.......अब उसके अंदर शर्म धीरे धीरे खत्म होती जा रही थी.....
करीम आँखे फाडे उस खूबसूरत और कामुक दृश्य को देख रहा था......उसे तो खुद पर यकीन ही नही हो रहा था कि जो वो सामने देख रहा हैं वो सपना हैं या हकीकत.......
करीम अपनी प्लेट में खाना लेकर खाने लगता हैं और निधि की तरफ देखता हैं....... निधि अपना एक हाथ पीछे की और ले जाती हैं सहारा लेने के लिए और दूसरा हाथ धीरे से अपनी चूत की और ले जाती हैं...... अगले ही पल उसकी उंगली उसकी चूत के दानों को सहलाने लगती हैं...... करीम निधि को बड़े गौर से देख रहा था.......वही निधि का बुरा हाल था.....एक तरफ तो उसे शर्म आ रही थी वही दूसरी तरह उसकी हवस भी धीरे धीरे उस पर हावी हो रही थी......वो हौले हौले अपनी चूत को सहला रही थी जिससे उसके मुँह से आह......आह की कामुक आवाज़े आ रही थी.......

करीम का लन्ड ये नज़ारा देखकर उसकी लुंगी में पूरी तरह तन चुका था और ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी भी पल उसकी लुंगी को फाड़ कर बाहर निकल जाएगा.......करीम से भी अब रहा नही जा रहा था.......वो जल्दी से खाना खत्म करता हैं और पास ही रखे कपड़े से अपने हाथ पोछ देता हैं......करीम फौरन कुर्सी से उठता हैं और निधि को बाहों में उठाकर उसे नीचे जमीन पर उतार देता हैं.......
निधि करीम की ताकत की कायल हों जाती हैं कि इस उम्र में भी कैसे उसने एक झटके में उसको डाइनिंग टेबल से उठाकर नीचे जमीन पर उतार दिया.....अब करीम निधि का हाथ पकड़ कर उसे सोफे की और ले जाता हैं और निधि को सोफे पर बैठा देता हैं और उसको ऊपर से नीचे घूरने लगता हैं....... निधि हैरानी से करीम की और देखती हैं........
निधि- आप ऐसे क्या देख रहे हो.......
निधि की आवाज़ सुनकर करीम अपनी सोच से बाहर आता हैं......
करीम - ओहहह.....वो बस कुछ नही......
निधि धीरे से मुस्कुरा देती हैं और करीम की आँखों में देखते हुए अपनी गांड को थोड़ा सा आगे उसके चेहरे की तरफ सरका देती हैं...... ऐसा लग रहा था जैसे वो करीम को खुला निमंत्रण दे रही हो उसकी चूत को चाटने के लिए......करीम फिर से निधि की चूत के दोनों फांको के बीच घूर रहा था पर फिर भी वह कुछ नही कर रहा था......इधर निधि का सब्र धीरे धीरे टूट रहा था........
निधि - प्लीज....करीम जी......कुछ तो करो....उसकी आवाज़ में निवेदन साफ जाहिर हो रहा था......वो अंदर ही अंदर तड़प रही थी.....वो अब अपनी चूत के आगे पूरी तरह से मजबूर हो चुकी थी.....करीम निधि को पूरी तरह से बेबस करना चाहता था......वो निधि को तड़पाना चाहता था ताकि वो उसे पूरी तरह अपने कब्जे में ले सके........
वो चाहता तो अभी अपना लन्ड लुंगी से बाहर निकलकर निधि की चूत में उतार देता.....कुछ देर बाद वो भी शांत हो जाता और निधि की प्यास भी बुझ जाती....मगर इसमे उसे ज्यादा मजा नही आता.......वो तो चाहता था निधि पूरी तरह खुलकर उसका साथ दे...... वो उसके लिए सब कुछ करे जो उसका सपना हैं.....अगर निधि के अंदर तड़प नही होगी तो वो उसकी बात कभी नही मानेंगी........
करीम कुछ देर तक खामोश रहता हैं फिर वो कुछ सोचकर मुस्कुरा देता हैं......
करीम - आप ही बताओ मुझे......मैं क्या करूं.....मुझे तो कुछ नही पता मुझे क्या करना हैं......करीम के मुँह से ऐसी बातें सुनकर निधि के चेहरे का रंग फीका पड़ गया....पहले तो निधि को करीम पर बहुत गुस्सा आया पर कुछ सोचकर वो उस गुस्से को पी गई.......
निधि - ( मन में ) अब इनको ये भी बताना पड़ेगा कि एक जवान लड़की उनके सामने अपनी चूत पूरी तरह फैलाकर बैठी हैं और वो पूछ रहे हैं करना क्या हैं......
निधि को करीम का ऐसे बर्ताव करना बहुत परेशान कर रहा था.......उसके मन में ये सवाल चल रहा था कि वो करीम को कैसे समझाए कि उसे क्या करना है......उसे कैसे कहे कि आकर मेरी चूत को चाटो और मेरी प्यास को बुझा दो......निधि के माथे पर पसीने की बूंदे साफ झलक रही थी......
निधि- करीम जी........प्लीज........मजाक मत करो मेरे साथ.......जो आप चाहते हो वो आप करो ......... प्लीज अब ऐसे मत तड़पाओ मुझे......अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता...मेरे अंदर की आग को बुझा दो ना... प्लीज.....
करीम - मैं मजाक नहीं कर रहा है मालकिन....... और आपके अंदर आग कहां लगी हैं.......आप तो मुझे बिल्कुल ठीक दिखाई दे रही हैं...आखिर आपको हुआ क्या हैं ......... ज़रा खुल कर बताइये मुझे .........
निधि फिर अपना एक हाथ अपनी चूत के पास ले जाती हैं और अपने हाथों से करीम की ओर देखते हुए धीरे से इशारा करती हैं......
निधि- यहां........इसके अंदर आग लगी हुई हैं........प्लीज बुझा दो ना इसे.........
करीम - मगर .... मैं इसे कैसे बुझा सकता हूं .... क्या मैं आपको फायर ब्रिगेड वाला लगता हूं ........ मालकिन ज़रा खुल कर कहोगी तभी तो मैं आपके मर्ज का इलाज़ करुंगा ......... नहीं तो मैं कैसे समझूंगा की आपको हुआ क्या है .........
अब निधि करीम का इरादा अच्छे से समझ चुकी थी......अब वो जान चुकी थी की करीम उससे क्या बुलवाना चाहता है... मगर वो भला ऐसे गंदे शब्द कैसे उसके सामने बोल सकती हैं ........निधि के मन में अब ये सावल उसे बार बार परेशान कर रहा था ........ बचपन से वो आवारा लड़कों के मुँह से अक्सर चूत लन्ड जैसे शब्द सुनती आई थी मगर उसने कभी अपने होंठो तक ऐसे शब्दों को नहीं लाया था......जिसने आज तक किसी से तू तड़ाक से बात नही की वो ऐसे गन्दे शब्द कैसे बोल सकती थी ......... नहीं नहीं .... ये उससे नहीं होगा .... कुछ भी हो जाए वो ये शब्द कभी उसके सामने नहीं कहेंगी.......
निधि- प्लीज करीम जी....... मैं जानती हूं की आप मेरे मुँह से क्या सुनना चाहते हो...मगर मैं ये सब नहीं कह सकती... प्लीज... ..जो करना है वो कर लो......मैं आपको कुछ करने से मना तो नहीं कर रही हूं ना...फिर अब ये कैसी जिद्द हैं.......
अगले ही पल करीम तुरंत सोफे से उठ जाता है और जाने के लिए जैसे ही मुड़ता है तभी निधि फौरन उसका हाथ पकड़ लेती हैं ..........
करीम - बस बहुत हुआ ......... सच तो ये है कि आप मेरे लिए कुछ नहीं कर सकती ... अगर आपको मेरी खुशी की जरा भी परवाह होती है तो आप बिना सोचे समझे मेरे लिए कुछ भी कर जाती ...... बार बार ऐसे नखरे न दिखाती...... मैं अब जा रहा हूं ..... .. .......
निधि बहुत इमोशनल हो गयी........वो अपनी जगह से उठकर खड़ी हो जाती हैं …… इस वक्त वो कुछ सोचने समझने की हालत में नहीं थी… मगर चाहे कुछ भी हो जाए वो अब करीम से दूर नहीं रह सकती थी....और इस हालत में तो कभी नहीं...
निधि- भगवान के लिए ऐसा मत करो मेरे साथ...जो आपने चाहा वो मैंने किया...अपना सब कुछ तो मैं आपके हवाले कर चुकी हूं...अब ये कैसी ज़िद्द है...मैं ये सब नहीं कह पाउंगी.......मुझे माफ़ कर दो......कुछ तो मेरे अंदर शर्म अब रहने दो.......
करीम - तो फिर ठीक हैं.......आप अपना शर्म अपने पास ही रखिए........मैं जा रहा हूं..……आप भूल जाना की करीम नाम के कोई आदमी से आपका कभी कोई नाता था……..
करीम फ़िर जैसे ही आगे बढ़ता है निधि फ़ौरन आकर दरवाजे के पास खड़ी हो जाती है ……… और अपने दोनो हाथो से दरवाजे को ढक लेती हैं……..
निधि- करीम जी अब मैं आप जो कहोगे वो कर लुंगी.... ... अगर आपको मेरी बातों पर यकीन नहीं होता तो फिर ठीक है .... अब तक आपने मेरी मजबूरी और लाचारी देखी हैं...... मुझे हमेशा कमजोर समझते आए हो आप......मगर आज मैं आपको दिखा दूंगी की औरत जब अपने शर्म और लाज का घुंघट उतारती है तो फिर उसे दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती .........आप मेरी बेशर्मी देखना चाहते हो ना.......ये लो देखो मेरी बेशर्मी .... यही चाहते हो ना आप ... तो फिर ठीक हैं ... .....आपकी खुशियों के खातिर मुझे ये भी मंज़ूर हैं .....
निधि अभी भी करीम की आँखों में आँखें डाले घूर रही थी .... मगर अब करीम उससे अपनी नज़रें नहीं मिला पाता हैं और अपना सर चुप चाप नीचे की तरफ झुका देता है …… फिर वो कुछ नहीं बोलता हैं और चुप चाप जाकर वही सोफे पर बैठ जाता है …… निधि भी फिर से सोफे पर बैठ जाती हैं ...... अपनी दोनो टाँगे पूरा फैलाये हुए .........
निधि- अब चुप ही रहेंगे या कुछ कहेंगे भी ………
निधि अभी भी करीम के चेहरे को घूरे जा रही थी ……
करीम - मुझे माफ कर दिजिए मालकिन......वो जाने अनजाने में मैंने आपका दिल दुखाया...मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था.........
निधि- अब बातें ही करोगे या कुछ आगे भी करने का इरादा है...
इतना कहकर निधि धीरे से मुस्कुरा पड़ती है... ...करीम भी अपने पीले काले दांत दिखाते हुए हँस पड़ता हैं... ......
करीम - करना तो बहुत कुछ है मालकिन....... मगर .........
निधि - मगर ......... मगर क्या ????
करीम - वही जो मैं चाहता हूं.........
निधि- हम्म्म्म.......तो क्या सुनना चाहते हो आप.......
करीम - क्या मुझे बताना पड़ेगा ...... खैर आप खुल कर मुझसे वो सब बातें किजिये जो एक पेशेवर रंडी चुदाई के दौरान अक्सर कहती है ... देखना इससे आपको भी बहुत मजा आएगा ..... ....
निधि का गला सुखा जा रहा था ….. अब भी उसके दिल में यही सवाल था की वो कैसे ये सब कहेगी... मगर अब उसे करीम की खातिर सब कुछ कहना था... सब कुछ करना था ....... करीम फ़ौरन अपना एक हाथ निधि की चूचियों पर रख देता है और उन्हें अपनी दोनो उंगलियों के बीच ज़ोरों से मसल देता है …… निधि ना चाहते हुए भी ज़ोरों से सिसक पड़ती है…..करीम को पता चल गया था अब निधि किसी चीज़ के लिए उसका विरोध नही करेंगी.....वो अब अपने असली रंग दिखा रहा था......
करीम - बोलो मेरा हाथ कहाँ पर है......और मैं क्या कर रहा हूँ.......
निधि-आआआआआहहहहहह......... करीम जी........मेरी चुचियाँ....को धीरे से दबाओ... दर्द हो रहा है मुझे......
निधि जैसे तैसे ये शब्द बोल पाई थी...उसकी सांसें एक बार फिर से भारी होती जा रही थी...ऐसा लग रहा था जैसे वो सांस भी नहीं ले पा रही हो.........
निधि बड़ी अदा से करीम के चेहरे की और देखती हैं फिर वो उसे देख कर धीरे से मुस्कुरा पड़ती हैं.....
निधि- आप सच में बहुत गंदे हो... और आओ अब मुझे भी अपना जैसा बनाना चाहते हो...... .
करीम - तो बन जाओ ना मेरे जैसी…....आपको देखना बड़ा मजा आएगा ……… वैसे आपने मेरी बातें का जवाब नहीं दिया……
निधि एक नज़र फ़िर से करीम की आँखों में घूरती है और अगले पल वो फिर से धीरे से मुसकुरा देती है ......
निधि- चूत ......... मेरी चूत अच्छे से चाटो........
निधि अब किसी रंडी की तरह करीम से बातें कर रही थी.....
करीम निधि की दोनो टाँगों को अपने कंधे पर रखता हैं......फिर अपनी जीभ धीरे से सरकाते हुए उसकी चूत के होंठ पर ले जाता है और बहुत हौले हौले उन्हें चूसना शूरु करता है.........निधि एकदम से सिसक पड़ती हैं...........उसकी आंखें लज्जत से बंद हो जाती हैं.....निधि के ना चाहते हुए भी उसके मुँह से जोर जोर से आहें निकल रही थी........
निधि - आआहहहह.........हाँ ऐसे ही......और कसकर चाटो इसे.........
वो इस वक़्त इस कदर एक्साइटेड हो चुकी थी की वो अपनी दोनो उंगलियों से अपने निपल्स को बड़ी ही बुरी तरह से मसल रही थी ......... तो कभी उन्हें मरोड़ रही थी .........उसकी निपल्स भी तन कर पूरी तरह से सख्त हो चुकी थी......... इधर करीम उसकी चूत में अपनी जीभ और अंदर तक पेलने की कोशिश कर रहा था .........जिससे निधि और बेचैन सी होती जा रही थी ........पूरे कमरे में उसकी आआहहहह.......उममममम.......ईईईईई.....की आवाजे गूंज रही थी जो उस माहौल को और भी रंगीन बनाती जा रही थी...... करीम के मुँह से बहता थूक भी उसकी चूत को पल पल गीला करता जा रहा था.......इस वक़्त उसकी चूत करीम के थूक से पूरी तरह गिली हो चुकी थी... निधि अपनी गांड धीरे-धीरे हीलाते हुए अपनी चूत करीम के मुह पर रगड़ रही थी...जो मजा आज उसे मिल रहा था इससे पहले उसे कभी नहीं मिला था.......वो आज सब कुछ भूल चुकी थी ....... करीम तेजी से अपनी जीभ उसकी दोनो फांको के बीच घुमा रहा था....... और साथ ही साथ अपनी जीभ अंदर की ओर घुसाता भी जा रहा था......... निधि अब छूटने के काफी करीब थी ….. अब उसका सबर पूरी तरह से टूट गया था ..... .अब उसे ऐसा लगने लगा था की अब वो ज्यादा देर तक करीम के सामने नहीं टिकेगी.......अगले ही पल निधि है ज़ोरों से चिल्ला पड़ती हैं....... आब उसका सबर टूट गया था.......वो वही आहहहहहह........मैं गईईईई........ करते हुए ज़ोरों से झड़ने लगती हैं .........करीम निधि का सारा चुतरस एक गटक में ही पी गया......उसका पूरा चेहरा निधि के कामरस से भीग चुका था.....

करीम - आपकी चूत का रस बहुत नमकीन हैं मालकिन.....मजा आ गया......
निधि शर्म के मारे दोनो हाथो से अपना चेहरा ढक देती हैं.....
पता नही क्यों उसे करीम का ये अंदाज पसन्द था.....अब देखना ये हैं कि आगे करीम निधि के साथ क्या क्या करता हैं......
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