गे सेक्स के लिए लिखा हैबहोत बहोत शुक्रिया
सम्लेंगिक मतलब मैं समजती हु की लेस्बियन और गे राईट??????????????
गे सेक्स के लिए लिखा हैबहोत बहोत शुक्रिया
सम्लेंगिक मतलब मैं समजती हु की लेस्बियन और गे राईट??????????????
Nice startपरम-सुंदरी चैप्टर 1
अपडेट 1
ये घटना उस समय की है जब परम सिर्फ़ 20 साल का था। परम की एक छोटी बहन थी महेक। माँ का नाम था सुंदरी और वो औरत सुंदर फूल की तरह महकती रहती थी। जैसा की उसका नाम था बस वैसे ही दिखती थी। उस समय वो करीब 40 साल की थी। एक दम जवान और मस्त। गठा हुआ बदन, भारी पूरी भंहे, थोड़ा सावला रंग लेकिन गजब की चमक थी चेहरे पर। मस्त हथिनी की तरह कूल्हे हिला-हिला कर चलती थी तो देखनेवालो की साँस रुक जाती थी। मोहल्ले मे अपनी खूबसूरती और हाजिर जवाबी के लिए बहुत पसंद की जाती थी। उसकी एक मुस्कान और मीठी आवाज सुनने के लिए मर्द तो मर्द औरतें भी पागल रहती थी। बड़े-बड़े बोबले थे उसके। शायद 38” या उससे भी बड़े। लंबे काले बाल और मुस्कुराता चेहरा लेकर हरदम बहकती रहती थी लेकिन उसने कभी किसि को दाना नही डाला।
उसे क्या पता था की वो बहुत जल्द बड़ी कामुक और वासना की गुलाम बनने बाली है। शादी के 20 साल बीत गये और उसका घरवाला अब उसमे ज़्यादा रुची नही रखता था। बस यह समज लीजिये की “घर की दाल”, सच तो यह था की वो सुंदरी की प्यास नही बुझा पाता था। चुदाई तो रोज करता था लेकिन थोड़े धक्को के बाद मे पानी गिरा कर सो जाता था और सुंदरी रात भर चूत को सहलाती रहती थी। वो नामर्द या कामजोर मर्द नहीं था..लेकिन अब सुंदरी के पति को अपनी पत्नी से ज्यादा..जवान हो चुकी बेटी महक और उसकी सहेलियों में था...वो रात दिन अपनी बेटी के साथ-साथ उसकी सहेली को चोदने के लिए फिराक में रहता था...लेकिन ना कोई मौका मिला ना ही वो हिम्मत जुटा पाया। उस प्रकार से देखा ए तो ना सुंदरी को अपने पति में रूचि थी और नाही पति को पत्नी में।
उसे मालूम था की एक इशारा करने पर गाव के सारे मर्द उसे चोदने आ जाएँगे लेकिन अभी इतनी बेशरम नही हुई थी। वो पति को खूब खिलाती पिलाती थी लेकिन कोई फायदा नही। वो सुंदरी की गर्मी नही उतार पाता था या फिर वह खुद को मन से नहीं चुद्वाती थी। पति को भी तो अपनी बेटी को चोदना था, और बेटी में ही रूचि थी।
उनका साधारण परिवार था। घरवाला (पतिदेव) एक शेठ के यहा मुनीम था काफ़ी सालो से। शेठ उसे तनख़्वाह के अलावा समय-समय पर कपड़े लत्ते और सुंदरी के लिए गहने भी देता था। शेठ ने कई बार इशारो-इशारो मे सुंदरी की जवानी की बात की और हमेशा उसकी तारीफ़ करता रहता था। पूजा त्योहार के अवसर पर सुंदरी बच्चो के साथ शेठ के घर जाती रहती थी। शेठ उसे घूरता रहता था, इशारा भी करता था लेकिन कभी उसने खुलकर सुंदरी से चुदवाने की बात नही की, डर के मारे।
शेठानी को मालूम था की उसका शेठ सुंदरी को चोदना चाहता है और उसने सुंदरी को जता भी दिया था की शेठ को अपनी जवानी के जलवे दिखाने की ज़रूरत नही है। वैसे भी सुंदरी को शेठ बिल्कुल पसंद नही था। वो सोच भी नही सकती थी की इतना मोटा आदमी शेठानी की चूत मे लंड कैसे पेल पाता होगा। लेकिन अपने पति की तरह वो भी शेठजी को बहुत मानती थी, बहुत सम्मान देती थी।
इधर सुंदरी का बेटा परम जवान हो गया था। उसका लंड उसे तंग करने लगा था। वो अपनी बहन महेक के साथ एक ही कमरे मे अलग अलग बिस्तर पर सोता था। पिछले दो सालो से मूठ भी मार रहा था। लेकिन उसका मन अभी तक अपनी माँ के या बेहन के उपर नही आया था। वो हमेशा शेठजी की बेटी रेखा जो उससे 2 साल बड़ी थी, के बारे मे सोच-सोच कर मूठ मारता था। बचपन से ही परम और शेठजी की बेटी रेखा बहुत घुले मिले थे...रेखा की एक खास सहेली पूनम भी परम की बहुत खास दोस्त थीं। वो बी रेखा की तरह परम से 2 साल बड़ी थी। अब तक दोनों रेखा और पूनम दोनों बिल्कुल कुंवारी थीं।
परम और रेखा दोनों एक दूसरे को मन ही मन बहुत प्यार करते थे। पूनम भी परम को प्यार करती थी लेकिन उसे मालूम था कि परम रेखा को ज्यादा प्यार करता है...इस तरह उसने भी परम को अपना प्यार कभी नहीं जताया और ना कभी किसी निपल को सहलाने और चुम्मा लेने से मना किया। रेखा, यह देख कर बहुत जलती थी लेकिन वो हमेशा चुप रही...उसे मालूम था कि परम सिर्फ उसका है और उसे जलाने के लिए ही पूनम के साथ मस्ती लेता है...
परम को मालूम था की उसकी माँ के बारे मे लोग गंदी बाते करते है लेकिन किसीने भी परम के सामने अबतक सुंदरी को चोदने की बात नही की थी। लेकिन उसने एक दिन अपने ख़ास दोस्त विनोद को सुंदरी के बारे मे कहते सुना।
“ अरे यार, परम की माँ क्या जबरदस्त माल है। साली को देखते ही मेरा लंड खड़ा होने लगता है। मन करता है की रोड पर ही पटक कर चोद दू। कभी उसकी बड़ी-बड़ी गोल गोल निपल देखी है! चूसने मे क्या मज़ा आएगा। साली की जाँघो पर हाथ फ़ेरने मे जो मज़ा आएगा उतना मज़ा मख्खन छूने मे भी नही आएगा। एक बार चोदने के लिए मै उसका गुलाम बनने को तैयार हूँ। मै तो रोज सुंदरी के चूत के बारे मे सोच कर लंड हिलाता रहता हूँ। मादरचोद, परम साला बहुत किस्मतवाला है। रोज उसकी चुचि और चूत देखता होगा। मै उसका बेटा होता तो कबका उसे चोद देता…… मै उस को एक चुदाई का दस हज़ार दूँगा।।।” विनोद बोलता रहा और परम वहा से हट गया।
इतना सुनकर परम को बहुत गुस्सा आया लेकिन वो गुस्सा पी कर रह गया। विनोद उससे उम्र मे बड़ा था और वहा चार पाँच लड़के खूब मस्ती मे विनोद की बातो का मज़ा ले रहे थे।
परम चार बजे घर वापस आया। दरवाजा उसकी माँ, सुंदरी ने खोला। परम बेग रखकर सुंदरी के पास आया और उसका हाथ पकड़ कर पूछा।
“माँ, तुम बहुत सुंदर हो क्या?”
एपिसोड अभी चालु है .............
शुक्रिया दोस्तगे सेक्स के लिए लिखा है
Thanks and welcome to this threadNice start
Nice start
Mast updateअब आगे............
चलिए वापिस वाही पूनम और महक के पास चलते है.....
मुनीमजी ने देखा कि दोनों लड़कियों के बाल बिखरे हुए हैं, रंग लाल हो रहा है और एक अजीब सी मस्ती छायी हुई है। उन लड़कियों को उस सेक्सी हालत में देखकर वह उत्तेजित हो गया और उसे लगा कि उसका लंड टाइट होने लगा है। मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह।
"तुम दोनों फाईट कर रही थी क्या?" उसने माहौल को हल्का बनाने की कोशिश की। उसने ज़मीन पर पायजामा के जोड़े पड़े देखे, लेकिन वह कल्पना नहीं कर पा रहा था कि वे किस तरह की चुदाई कर रही हैं। उसके लिए सेक्स का मतलब उसकी पत्नी सुंदरी की 'चूत' है और पिछले एक साल से उसे सुंदरी को चोदने में भी कोई दिलचस्पी नहीं थी, हालाँकि वह लगभग हर रात उसे रोज़ाना चोदता था और अपना पानी निकाल देता था।
लेकिन आज मुनीम इन लड़कियों को, खासकर पूनम को, चोदना चाहता था। वह उसे जानता था और दरअसल पूनम उसके एक करीबी दोस्त की बेटी थी और पूनम की माँ उसका पहला प्यार थी। लेकिन, सुंदरी को अपनी पत्नी बनाने के बाद, पूनम की माँ में उसकी रुचि खत्म हो गई। अब वह अपने पहले प्यार की बेटी को चोदना चाहता था। मुनीम उसी चारपाई पर बैठ गया जिस पर दो लड़कियाँ मस्ती कर रही थीं। उसने देखा कि चादर एक जगह गीली है, लेकिन वह समझ नहीं पा रहा था कि ऐसा क्यों हो रहा है। उसने दोनों को बुलाया। वे आँखें नीची किए पास आईं। मुनीम ने हाथ बढ़ाकर उन्हें अपनी ओर खींचा और उन्हें अपने पास, एक-एक करके, बिठा लिया। वह अपने हाथ उनके कंधे पर ले गया और उनकी बांहों पर दबाव डालकर उन्हें करीब खींच लिया। लड़कियाँ उसके करीब आ गईं और मुनीम को अपने सीने पर उनके स्तनों की गर्मी और जकड़न का अनुभव हुआ। पूनम गर्मी में थी, वो किसी से भी बुरी तरह से चुदवाना चाहती थी। महक ने उसकी योनी को चाटकर उसकी सेक्स इच्छा को जगाया लेकिन उसकी बांहों पर दबाव महसूस होने से महक घबरा गई। मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह।
"बाबूजी, आप मुंह हाथ धोकर कपड़े बदल लो मैं नाश्ता लगाती हूं.."कह कर महक ने अपने को अलग किया और खड़ी हो गई। उसने पूनम की ओर देखा। वो मुनीम जी से बिल्कुल सट कर बैठी थी। महक ने देखा कि पूनम की एक चूची मुनीम जी के सीने से चिपकी हुई है.. पूनम बैठी रही। महक किचन मे चली गई, महक के अंदर जाते ही मुनीम ने पूनम के गालों को सहलाया और होल से चूम लिया। पूनम मुस्कुरा दी, तो मुनीम की हिम्मत बढ़ी और इस बार उसने जोर से पूनम को अपनी छाती से चिपका लिया..और पूनम की दोनों छाती मुनीम के छाती से चिपक गई। मुनीम को पूनम की चूची की गर्मी बहुत अच्छी लगी...लेकिन पूनम को अच्छा नहीं लगा कि मुनीम इतना कपड़े पहन कर बैठा है। पूनम उठ गयी और कहा,
“काका, आप हल्के हो जाइए…” कह कर वो भी किचन में चली गयी। दोनो लड़किया एक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगी। थोड़ी देर बाद दोनों नास्ता की प्लेट लेकर बाहर आइ तो देखा कि मुनीम जी सिर्फ एक लुंगी पहन कर खाट पर बैठे हैं। महक ने पहले भी अपने बाप को इस ड्रेस में देखा है लेकिन आज बाप को सिर्फ लुंगी पहन कर महक सिहर गई। उसका मन ने कह दिया की बाप की बालों वाली छाती से चिपक जाए और बाप अपनी मजबूत भुजाओं को लेकर उसे तोड़ डाले, दरअसल महक ने अपने बाप का लंड देखा हुआ था और उस लंड से पागल भी हो चुकी थी लकिन आगे नहीं बढ़ी क्यों की वह बाप था, मादरचोद। मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह।
पूनम की भी यही हालत थी, पूनम मुनीम का लंड चूत में लेने को पूरी तरह से तैयार थी। महक ने चूत चटकारे से उसे गिला कर दिया था। चूत लंड के लिए तड़प रही थी। दोनों पूनम और महक सामने फ्लोर पर बैठ गईं। नास्ता करते-करते कई बार मुनीम ने झुक कर दोनों के गालों और जाँघों को छुआ। मुनीम उपर बैठा था और वो दोनों लड़कियों की क्लीवेज और स्तन के ऊपरी हिस्से को देख रहा था। नास्ता करते-करते ही मुनीम का लंड खड़ा होने लगा। मुनीम ने टांगों को फैला दिया कि लड़कियां उसके टाइट होते लंड को देख सकें। और लड़कियों ने देखा कि लुंगी के नीचे जांघों के बीच लंड ऊपर नीचे हो रहा है। सबका नास्ता ख़तम होने के बाद दोनों खाली प्लेटें लेकर अंदर चली गईं। दोनों लड़कियाँ शर्म महसूस कर रही थीं।
उन्हें पता था कि उनके साथ कुछ होने वाला है। वे फिर बाहर आइ और उन्हें देखकर मुनीम ने उन्हें अपने पास बैठने को कहा। वे खड़े ही रहते हैं। मुनीम ने पूनम को खींच कर अपने पास बैठा लिया। उसने अपना हाथ उसके कंधे पर रखा और उसे फिर से अपनी छाती की ओर खींचा। उसने अपना सिर झुकाया और उसके गालों को चूम लिया। महक देखती रही। वह उत्तेजित हो रही थी और सोच रही थी कि अगर वह यहाँ रही तो खुद पर काबू नहीं रख पाएगी और शायद उसके पिता के साथ उसकी चुदाई हो जाए। उसे अपने पिता को अपने स्तन और चूत सहलाने देने में कोई हिचकिचाहट नहीं थी, लेकिन वह किसी और की मौजूदगी में नहीं करना चाहती थी। पूनम को एक बाँह में पकड़े हुए मुनीम ने अपनी बेटी को अपनी जांघों पर बैठने का इशारा किया। लेकिन महक यह कहकर रसोई में वापस चली गई कि सुंदरी के वापस आने से पहले उसे खाना खत्म करना है।
जैसे ही महक नज़रों से ओझल हुई, मुनीम ने पूनम के स्तन सहलाए और उसकी तारीफ़ की, मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह।
"तुम तो पूरी जवान हो गई हो... तुम्हारे बाप से कहना पड़ेगा कि जल्दी तुम्हारी शादी कर दे..." उसने उसे गहराई से चूमा और पूनम ने भी जवाब दिया। उसने उसके चौड़े और बालों वाले सीने को सहलाया।
“काका, शादी की क्या जरूरत है..तुम ही पूरा खाना खा लो..” पूनम ने अपने स्तन दबाये और अपना हाथ लुंगी के उभार के ऊपर रख दिया। लंड पूरा टाइट था और उसने मुठ मार ली, वो आई थी परम का लंड चूसने और अपनी वर्जिन चूत में लेने लेकिन यहां परम के बदले उसके बाप का मस्तया लंड को छू कर पूनम भी मस्त हो गई। मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह।
जाइयेगा नहीं आगे और भी है.................
इस एपिसोड के बारे में आपकी राय जान ने के बाद ..........लिखती हूँ ................
Awesome updateआगे चलते है ..............आपके धैर्य की प्रसंशा करती हूँ।
उसने कहा, "काका, तुम्हारी बेटी भी पूरी तरह से तैयार है, उसके लिए भी कोई 'मर्द' का इंतज़ाम कर दो कि उसकी गर्मी को उतार सके।"
“बेटी, महक की गर्मी तो बाद में मैं ही उतारूंगा, पहले तू अपना फ्रॉक उतार दे।” चुचियो को मसलते हुए मुनीम ने कहा। पूनम ने एक मिनट भी देर नहीं की। उसने खड़ी होकर फ्रॉक हेड के ऊपर से निकल दिया और मुनीम के सामने खड़ी हो गई। मुनीम उसे देखता ही रहा।
5'4'' हाइट, कमसिन बदन, 32'' साइज़ के ब्रेस्ट और 22'' के कम्ड। पतली जांघें और जांघों के बीच की झांटों से जघन क्षेत्र का भदा हुआ। मुनीम को पुनम बहुत मस्त और चुदासी लगी. मुनीम ने 16-17 साल पहले इस उम्र की पूनम की माँ को देखा था और उसे चोदने के लिए लंड खड़ा हो गया था। मुनीम पूनम की माँ को तो नहीं चोद पाया लेकिन आज उसकी बेटी चुदवाने के लिए पूरी नंगी उसके सामने खड़ी है। मुनीम उसे घूरता रहा।
पूनम ने मुनीम के लंड को लुंगी के ऊपर से सहलाया और लुंगी खींच कर अलग कर दी। मुनीम का लंड लोहे के रॉड की तरह तन गया था। लंड का सुपारा बाकी लंड से ज्यादा मोटा था, जैसा की पहले बताया हुआ था। पूनम ने उसे मुठियाते हुए कहा, "बाप रे इतना मोटा लंड मेरी छोटी सी चूत के अंदर कैसे जाएगी। मुनीम ने पूनम के पीछे कमर पर हाथ रख कर उसे अपनी ओर खींच लिया और एक हाथ से उसके कुल्हे को सहलाते हुए एक चूची को चूसने लगा।" मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह।
पूनम जोर से सिस्कारी मारने लगी। पोनम की सिस्कारी किचन के अंदर महेक को सुनाई दी। महक समझ गई कि बाहर क्या हो रहा है, लेकिन वो बाहर नहीं आइ। अब मुनीम पूनम की चूतड को दोनो हाथो से मसलते हुए उसकी दोनो चूचियो को चूस रहा था, निपल्स बिल्कुल टाइट हो गए थे। नीचे पूनम भी लंड को मसला रही थी और अपनी चूत से रगड़ रही थी। मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह।
"काका अब देर मत करो। वह मादरचोद आपकी बेटी, महक ने पहले ही चाट-चाट कर गरम कर दिया है,,, अब बहुत चुदासी हो रही है.. ।"
मुनीम अब पूनम की टाइट गांड को मसल रहा था और पीछे से ही चूत में उंगली घुसा रहा था। चूत बहोत ही टाईट थी, पूरा सिल-पेक।
“महेक ने क्या चाटा? मुनीम ने पूछा।
“ओह, काका, उस भोसड़ीकी ने, मेरी चूत चाट-चाट कर गिला कर दिया है.. मन करता है किसिका भी लंड चूत में समा लू… तुम्हारी बेटी बहुत हरामज़ादी है… चूत ऐसी चाट रही थी जैसे कोई लॉलीपॉप या लंड चूसता है… उसकी जवानी भी बहुत मस्त है.. आपकी बेटी का माल बहोत स्वादिष्ट है काका.....उसकी चूची मेरी चूची से बड़ी और एक दम गोल गोल है. उसे दबाने में आपको बहुत मजा आएगा.. उसको भी अपना मोटा लंड का मजा दीजिए.. उसे।“ मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह।
मुनीम ने उसे गोद में उठाकर बिस्तर पर लेटा दिया और उसकी जांघों को पूरा खोल दिया। मुनीम ने पहले तो कुछ देर तक उसकी चूत को सहलाया और कई बार चुमा। वह जानता था की एक कच्चा माल को कैसे चोदा जाता है ताकि उसे बहोत नुकशान ना हो। उसे याद नहीं है आखिरी बाद कब उसने सुंदरी की चूत को चूमा और सहलाया था। पूनम अपना कमर उठा कर मुनीम को जल्दी से लंड घुसाने के लिए इशारा कर रही थी। पूनम ने उंगलियों से झांटों को अलग किया और मुनीम को पूनम के चूत का छेद दिखाया। यह एक बहुत ही संकीर्ण छेद था.. वह अपना अंगूठा डाला और थोड़ी परेशानी के साथ अंदर चला गया। मुनीम ने कभी सुंदरी की योनि का स्वाद नहीं चखा और न ही योनि के साथ खेला। मुनीम ने लंड को चूत के छेद पर रखा और लंड को दबाया… मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह।
“काका, दर्द होता है..!”
“बेटे पहले थोड़ा दर्द करेगा और फिर बहुत मजा आएगा।” मुनीम ने कहा।
“हां, पता है काका माँ ने और बाकी सहेलियों ने मुझे बतया हुआ है।“ उसने अपनी चूत को थोडा ढीला करते हुए कहा।
“वाह, बेटी, तेरी माँ ने सही सिखाया है।“
मुनीम को याद आया जब पहली बार उसने सुंदरी को चोदा था तो सुंदरी बहुत जोर से चिल्लाई थी और उसने डर कर लंड बाहर निकाल लिया था। लंड के बाहर निकलते ही सुंदरी ने जोर से उसके गालों पर थप्पड मारते हुए कहा था 'साला, रंडवा, लंड बाहर क्यों निकला.. मैं पागल हो जाऊं तो भी लंड बाहर मत निकलना.. मुझे चोदते रहना..। आज मुनीम दूसरी बार एक वर्जिन को चोदने वाला था। मुनीम ने पूनम के स्तनों को पकड़ा और जोर का धक्का लगाया..लंड का सुपाड़ा अंदर चला गया और पूनम का बदन टाइट हो गया और वो उछल के चिल्ला उठी..
“म….आ….र….गयी।”
“म….आ….र….गयीईई।”
अंदर किचन में महक को भी "मर गई" सुनाई पड़ा और वो दौड़ती हुई बाहर आई... उसने देखा कि उसका बाप पूनम के नंगे बदन पर झुका हुआ है। पूनम की जांघें फैली हुई हैं और मुनीम का सुपाड़ा चूत के अन्दर घुसा हुआ है… पूनम को बहुत दर्द हो रहा है। वो मुट्ठी से मुनीम को पीछे मार रही है और चिल्ला रही है,
“आ…आ..हह… पागल हो गई… लंड बाहर निकालो, मुझे नहीं चुदवाना… अपनी बेटी को चोदो… काका उतर जाओ… तुम्हारे पाओ पड़ती हूं… पागल हो जाउंगी..।” मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह।
पूनम रो रही थी। उसका शरीर लकड़ी की तरह अकड़ गया और उसने अपनी कमर उठा ली। ठीक उसी समय मुनीम ने एक और जोरदार धक्का मारा और आधा लम्बा लंड चुत के अन्दर चला गया। महक देखती रही। पूनम का रोना बंद नहीं हुआ। वो सिसक रही थी... तभी उसकी नजर महक पर पड़ी..
“महक, अपने बाप का लंड मेरी चूत से निकाल दो.. मुझे मजा नहीं लेना है… बाप रे बहुत दर्द कर रहा है…।” मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह।
वास्तव में आप कमाल का लिखती हो। जगह, स्थिति किरदार के हिसाब से उम्दा शब्दों का चयन और विस्फोटक अपडेट। अब जल्दी ही ऊषा का ढक्कन खुल ही जाएगा। बधाईपिछले अपडेट से आगे.........छोटा है............
"इधर आ" उसने उसे बुलाया।
परम उसके पास गया। उसने अपना दाहिना हाथ पकड़ लिया और परम को आश्चर्य हुआ कि उसने अपना हाथ उसकी नंगी दरार पर रख दिया। उसने उसे दबाकर रखा और कहा,
“कसम खा, जो काम मैं बोलूंगी उसके बारे में कोई बोलेगा नहीं।”
परम को उसके शरीर की कोमलता और गर्मी महसूस हुई। उसने स्तन पर दबाव बढ़ाया और अपना हाथ दाहिने स्तन के टीले की ओर बढ़ाया।
"कसम खाता हूं भाभी, किसी को नहीं बोलूंगा। लेकिन काम तो बताओ।"
उषा ने अपना हाथ परम के हाथ से हटा लिया और जैसे ही उसका हाथ आज़ाद हुआ उसने साहसपूर्वक भाभी के दाहिने स्तन को दबा दिया। उसने तुरंत उसका हाथ हटा दिया।
"क्या करता है, कोई देखेगा तो.." दोनों ने दरवाजे की ओर देखा।
कोई नहीं था! उषा ने फिर परम का हाथ पकड़ा और उसे अपने साथ कमरे के एक कोने की ओर खींच लिया। वे दरवाजे के ठीक पीछे खड़े थे। दोनो का दिल खूब जोर-जोर से गिर रहा था। परम का तो इस लिए कि भाभी की चुची को एक बार दबा चुका था और अब और मसल ने का मौका मिल गया। उषा इस लिए उत्साहित हैं कि वो जो परम से कहने वाली थी उसे बोलने में उसे शर्म आ रही थी। उषा अब बिलकुल परम के सामने खड़ी थी। दोनो के बीच मुश्किल से 6" का फासला था। अगर परम पैंट निकल कर खड़ा होता तो उसका लंड उषा के चूत से टकरा जाता। परम ने अपना दोनों हाथ साइड में रखा था। उषा ने हाथ बढ़ा कर परम के दोनों हाथों को पकड़ा और कहा।
“तुम मेरे लिए पोंडी ला सकते हो?”
वह हकलायी और तुरंत परम की ओर पीठ करके मुड़ गयी। उसे इतनी शर्म महसूस हुई कि उसने अपना चेहरा दोनों हाथों से ढक लिया। ये सबसे अच्छा मौका था, परम ने धीरे-धीरे उसके हाथ उसकी कमर पर रख दिए और हाथों को उसके शरीर पर ऊपर धकेल दिया.. एक झटके में उसने अपने दोनों हाथ उषा के दोनों स्तनों पर रख दिए। उसने उन्हें कई बार दबाया। उषा की बड़ी-बड़ी चूची दबाने में परम को बहुत मजा आया। उषा जैसी गुदाज़ चुची ना तो सुंदरी की थे ना तो किसी और औरत की जिसको उसने चोदा या दबाया था।
“छोड़ो ना, क्या कर रहे हो… कोई आ जायेगा।” उषा फुसफुसाई। और एक निमंत्रण के तौर पे कहा “चल साले चुटिया कही का, चोदु बन ने निकला है क्या।“
परम ने उसे अपने पास खींच लिया। अब पैंट के नीचे से परम का लंड उषा की गांड से रगड़ रहा था। साथ ही परम भाभी की चुचियों को ऐसा मसल रहा था जैसे कि उसकी अपनी माल हो..
लेकिन उषा अलग हो गई और परम की तरफ घूम गई। उसकी आँखों में आँखे डाल कर बोली,
“बेशरम, तुमको किसका डर नहीं लगता… भैया (उसका पति) देखते तो हाथ काट देते…”
परम ने फिर हाथ बढ़ा कर उषा को अपनी ओर खींच लिया और उसके रसीले होठों को चूम लिया। उषा ने मुस्कुरा कर परम को धक्का दिया और बोली "मुझे रोज़ 'पोंदी' चाहिए।"
“तुम पोंडी किताब लेकर क्या करोगी.. वो तो हमारे जैसे लड़के पढ़ते हैं… तुम तो खुद ही पोंडी हो… सेक्स की पूरी और नई किताब.. जिसे पढ़ने में पूरी जिंदगी निकल जाएगी..”
परम ने फिर उषा की चुचियो को दबाया. “कल ले आऊंगा.. कोई सी, फोटो वाली या सिर्फ कहानी बाली”। उन्होंने पूछताछ की।
(आशा है कि हर कोई जानता है कि "पोंडी" का मतलब हार्डकोर सेक्स कहानियों और चित्रों वाली किताबें हैं)।
“तुम तो इसे दबा-दबा कर ढीला कर दोगे… मुझे कल नहीं, अभी चाहिए… बिना पोंडी पढ़े मुझे नींद नहीं आती है… जल्दी से ले आओ।”
उषा ने उसे धक्का दिया और वह स्थान दिखाया जहां उसे उन पुस्तकों को रखना चाहिए और अगले दिन बदल लिए जाना चाहिए। और उसने उसे सलाह दी कि किताबें गंदी होनी चाहिए, सेक्सी और बेहद अश्लील... उसने उसे चेतावनी दी कि अगर उसने किताबों के बारे में किसी को बताया तो वह उसे दोबारा छूने नहीं देगी और अपने पति को भी बता देगी कि उसने उसके साथ ज़बरदस्ती की। उसने परम को कमरे से बाहर धकेल दिया।
परम बिना किसी से बात किए घर से बाहर निकल गया और लगभग मुख्य बाज़ार की ओर भागा। अंदर जो हुआ उससे वह बहुत खुश था। उसे पूरा भरोसा था कि जल्द ही वह सेठजी की बड़ी बहू को चोद पाएगा। उसका मुह चोदने को मिलेगा।
जुड़े रहिये इस कहानी के साथ और अपनी अमूल्य राय देना ना भूले प्लीज़ ....................
आपकी राय मुझे ओर बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करती है.................