चलिए अब आगे जानते है इस एपिसोड से.............
रात के लगभग 8 बज रहे थे। सेठजी भी आ गए थे और वे अपने बेटे, बहू और सुंदरी को देखकर खुश हुए। कुछ देर बाद परम वापस आया और सीधे भाभी के कमरे में गया और किताब पहले से तय जगह पर रखकर बाहर आ गया। उसे देखकर रेखा ने उसकी माँ की तरफ देखा तो वहा से एक इशारा ऊपर जाने का आया, रेखा समज गई की मम्मी परम को ऊपर भेज देगी, उठकर ऊपर चली गई। तभी परम ने सेठजी की ओर देखा तो सेठजी ने इशारा किया रेखा की तरफ और आँखों से कहा तुम रेखा के पास जा सकते हो। सेठजी अपने बेटे और बहू से बातें कर रहे थे, लेकिन वे और उनका बेटा सुंदरी को घूर रहे थे जो वहाँ कुछ काम कर रही थी। मैत्री और नीता की अनुवादित रचना।
लगभग 5 मिनट बाद सेठानी ने परम को जाने के लिए कहा। ऊपर और दूसरे कमरे को साफ करो क्योंकि छोटा बेटा और बहू कल आने वाले हैं। परम ख़ुशी से ऊपर चला गया और जैसे ही वह कमरे में दाखिल हुआ रेखा ने दरवाज़ा बंद कर दिया और परम को बाहों में ले लिया।
“कितना तड़पा रहे हो, जल्दी से ठंडा कर दो…मेरी गांड मार दो प्लीज़ ...अब तुम्हारे बगैर यह गांड को भी मजा नहीं आता।”
परम ने फटा-फट रेखा को नंगा किया और खुद भी नंगा होकर रेखा की चूत को चाटने लगा। चूत का मजा लेकर उसने रेखा की गांड मारी और फिर गांड से लंड निकाल कर रेखा को अपना लंड चूसाया और उसके मुंह में पानी गिरा दिया। अब रेखा को अपनी गांड मरवाई हुई लंड को चाटने में कोई तकलीफ नहीं होती थी उसने बड़े प्रेम से परम का लंड चाट के साफ़ किया। “मम्मी को चुसाया?”
परम ने उसकी निपल को खींचते हुए कहा ”नहीं आज टाइम ही नहीं मिला, और मुझे लगता है की अब सेठानी मेरा लंड नहीं चूसेगी पर उन्होंने कह रखा है की रक्खा की गांड मारते रहना।“
“तो मार दिया करो, डरना किस से है!” उसने एक ऊँगली अपनी गांड में दल के कहा “देखो, कितनी आराम से गांड में घुस जाती है सब तुम्हारे इस लंड का प्रताप है। अपना पानी पिलाते रही मुझे।”
रेखा के साथ मस्ती लेने में भाभी को भूल गया। रेखा को ठंडा कर परम नीचे आया तो देखा कि सब लोग खाने के लिए बैठे हैं। परमने बहू की ओर देखा और फिर सेठानी की ओर। सेठानी ने कहा,
“बेटा कभी मौका निकाल कर मेरा भी काम साफ कर दो..” वह कहना चाहती थी कि तुम मुझे भी चोदो. रेखा भी नीचे आ गयी, भाभी ने परम को भी कुछ खाने को दिया और उसके कान में कहा, “मुझे बहुत मजा आया, तू बहुत प्यारा है..”
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इधर ये सब चल रहा था और उधर सुंदरी के घर में...
थोड़ी देर तक महक नंगी ही घर में घूमती रही फिर उसे शर्म आई और उसने फ्रॉक पहन लिया। तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। उसने दरवाज़ा खोला. उसकी दोस्त पूनम थी, महक ने पूनम को अंदर खींच कर दूर कर दिया और पूनम को बांहों में लेकर चूमने लगी... फिर दोनों अलग हुए।
“क्या रे महक, बहुत गर्मी चढ़ गयी है…?”
"क्या करु,,, यह सोच कर कि भैया आज तुम्हें चोदेगा मैं गर्म हो गई हूं..." महक ने पूनम को किस किया और कहा, "चल घर में कोई नहीं है, थोडा मस्ती करते हैं.. ।" मैत्री और नीता की अनुवादित रचना।
"क्या मस्ती करोगी? तुम भी तो लड़की हो..! पूनम ने जवाब दिया, "मस्ती तो परम के साथ ही आती है।"
“तुझे नहीं पता, चूत में कितना मजा है…बस मजा लेने वाला और देने वाला चाहिए.. ।”
“तुझे कैसे पता, तू चुदवाती है क्या..?” पूनम ने पूछा।
महक ने उसकी फ्रॉक उतार दी और वह नंगी हो गई। “मेरी सील अभी तक नहीं टूटी है लेकिन भाई और सुधा (जिस लड़की को परम ने अपने घर पर चोदा) एक दूसरे को खूब मजा देते हैं।” महक ने अपने स्तनों को सहलाया और कहा, "चल तू भी नंगी हो जा।" पूनम शांत रही लेकिन महक ने उसका कुर्ता, पायजामा उतार कर उसे नंगी कर दिया। (ब्रा उसने नहीं पहनी हुई थी, वैसे भी गाव में लगभग सभी औरते ब्रा और पेंटी नहीं पहनती है।)
पूनम ने अपनी चूत को कवर करते हुए कहा, “तू क्या करेगी और कैसे… मेरी मां के अलावा किसने मेरी इसको (चूत) नहीं देखा है।”
महक ने पूनम को बरामदे पर रखे खाट पर पटक दिया और उसकी दोनों जांघों को फैला कर अपना मुँह पूनम के चूत पर रख दिया। पूनम चूत पर से हाथ नहीं हटा रही थी लेकिन महक ने जोर लगाकर पूनम के हाथ को हटा दिया और चूत के भट्ठे पर जीभ रगड़ा...
“ओउच्ह्ह” पूनम चिल्लायी। महक ने पूनम की जाँघ को चुत के ठीक बगल से पकड़कर अलग किया और भगनासा को चबाया। अब तक महक चूसने और ब्लोव्जोब में एक्सपर्ट हो गई थी। वह अपनी सहेली सुधा और अपनी मां सुंदरी के साथ नियमित रूप से ऐसा कर रही थी। जैसे ही महक ने पूनम के भगनासा को होठों के बीच पकड़कर चबाया तो पूनम फिर से कराह उठी।
“साली,भोसडिकी! क्या कर रही है..! चोद दे हरामजादी… रंडी… जाकर सुधा की चूत चाट…।” आआअह्ह्ह्ह… बहुत मजा आ रहा है…. साली मादरचोद पहले चूत को क्यों नहीं चाटा!… मस्त मादरचोद साली अब मुह मत बहार निकालना मजा आ रही है,वाह!..”
पूनम आअहह…ऊऊहहह करती रही और महक से चूत चटवाती रही। उसे बहुत मजा आ रहा था। ऐसा मजा पहले कभी नहीं मिला था। वो तो आये थे परम का लंड देखने और उसे सहलाने के लिए। 2-3 दिन पहले रेखा (सेठजी की बेटी) ने कहा था कि परम का लौड़ा बहुत मस्त है और उसने सहलाया है तो पूनम का भी मन हुआ था कि लंड का मजा लेने को। घर में उनके 3 बड़े भाई थे लेकिन कभी उन्हें उनका लंड देखने का मौका नहीं मिला (कुछ कुछ के सिवा) लेकिन कल जब महक ने भी कहा वो रोज अपने भाई का तना और टाइट लंड देखती है तो पूनम ने महक से अनुरोध किया कि उसे भी परम का लंड दिखा दे... महक एक शर्त पर मानी कि पूनम रात भर परम के साथ नंगी सोएगी यानी परम से चुदवाएगी। बहुत ना- नुक्कड़ करने के बाद पूनम तैयार हो गई। ऐसे भी वो परम को चाहती है लेकिन जब से उसे मालूम हुआ कि परम रेखा का दीवाना है वो पीछे हट गई थी।
महक पूनम की चूत को चूस चाट कर गिला कर दिया था। 15 मिनट से ज्यादा हो गए, पूनम कमर उछाल-उछाल कर चूत चटाई का मजा ले रही थी। तभी दरवाजे पर दस्तक हुई।
“कौन है बहनचोद अभी?,” दोनो लड़किया घबराकर उठी और पूनम ने कुर्ता और महक ने फ्रॉक पहन लिया। बाकी के सारे कपड़े फ्लोर पर बिखरे पड़े थे। महक ने दरवाजा खोला. उसके बाबूजी (मुनीमजी) थे। मुनीमजी के अंदर आने के बाद महक ने दरवाजा बंद कर दिया।
मुनीमजी ने देखा कि दोनों लड़कियों के बाल बिखरे हुए हैं, रंग लाल हो रहा है और एक अजीब सी मस्ती छायी हुई है। उन लड़कियों को उस सेक्सी हालत में देखकर वह उत्तेजित हो गया और उसे लगा कि उसका लंड टाइट होने लगा है।
बने रहिये और आपका बहुमूल्य मंतव्य दे इस एपिसोड के बारे में ...........
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