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चलिए अब कहानी में आगे चलते है...........


उधर......


अंदर कमरे में, उषा बिस्तर पर बैठी अपने स्तनों को सहला रही थी। उसे हैरानी हो रही थी कि उसने अपने से *** साल छोटे लड़के को अपने इतने प्यारे स्तनों को सहलाने की इजाज़त कैसे दी। शादी के बाद पिछले चार सालों में उसके पति के अलावा किसी ने उसके स्तनों को नहीं सहलाया, जबकि शादी से पहले उसने तीन-चार लोगों को चूमने और सहलाने की इजाज़त दी थी। उसे हैरानी हुई कि परम ने जो किया, वह उसे पसंद आया। उसने परम के लंड का कसाव भी अपनी कमर पर महसूस किया और यह सोचकर ही सिहर उठी। उसने मन ही मन फुसफुसाया

“साला मादरचोद उसको पता ही नहीं चला की मेरी गांड की दरार कहा है, वही उसे अपना लंड को सटा ना चाहिए था। थोडा बहूत रगड़ देता मेरी गांड को तो उसके बाप का क्या जाता! वैसे भी उतनी दुरी होते हुए भी उसका लंड मेरी गांड की दरार को धुंध रहा था, मतलब की साले का माल बहोत बड़ा है। अच्छा चोदु हो सकता है......”
आप मैत्री और नीता की अनुवादित रचना पढ़ रहे है

"मैं परम से चुदवाऊँगी.."

उसी समय सुंदरी चाय की ट्रे और कुछ खाने का सामान लेकर आ गई। सुंदरी ने परम के बारे में पूछा। उसने कोई जवाब नहीं दिया, बल्कि सुंदरी और उसकी बेटी के बारे में बात घुमा दी। उषा ने महक के बारे में पूछा और यह भी पूछा कि वह अपनी जवानी कैसे संभाल रही है। सुंदरी ने उत्तर दिया,

“बहुत आसान है, खूब खाओ, और खूब चुदवाओ”… और दोनों हंस पड़े..

“लगता है दीदी तुम खूब माल खाती हो!”

“ये बताने की बात नहीं है.!।” सुंदरी ने उषा से कहा और उसने अपने स्तन सहलाये।

“तुम्हारे बोबले बहुत बड़ी बड़ी है,..बहुत से लोग तुम्हारी लाइन मारते होंगे…सिर्फ बोबला दबाने के लिए।, इतने बड़े बड़े चुचियो को कैसे संभाल कर रखती हो…” सुंदरी ने जोरो से उसके बोबले को मसला..

“सीसीसीसीसीसीसीसीसीसीसीसीसी,” बहू कराह उठी। “पहला बेटा मसल कर गया और अब माँ चुची दबा रही है।”

सुंदरी बहू की चुची को सहलाते हुए कहा “साला बहुत हरामी हो गया है.. आने दो मैं दातुंगी…”
आप मैत्री और फनलव की रचना पढ़ रहे है

बहू ने एक हाथ सुंदरी की जांघों पर रखा और कहा "तुम परम को मत कुछ बोलना, मैं खुद समजा दूंगी। जानती हो! आज शादी के चार साल में पहली बार किसी ने मेरी चूची दबायी है।"

सुंदरी ने बहू का हाथ अपनी जांघों से उठाया कर साड़ी के ठीक ऊपर नंगी पेट (पेट) पर रख दिया। और खुद अपनी उंगलियों से बहू की निपल्स को मसलने लगी।

"उषा, तू तो किस्मत बाली हो...तुम्हें चार साल बाद ही कोई चुची दबाने बाला मिल गया। मुझे तो 17 साल के बाद किसी ने हाथ लगाया।"

“कब…कौन…उसने तुम्हें चोदा?..”कहते हुए बहू ने अपने हाथ सुंदरी के साड़ी के अंदर डाला।

“तू क्या कर रही है.. कोई आ जाएगा तो क्या बोलेगा…।” सुंदरी बोली..

“बस दीदी, एक बार छूने दो…” बहू ने हाथ पूरा अंदर घुसा कर सुंदरी के चिकनी चूत को मसल दिया। “बोलो ना दीदी उसने चोदा भी.. ।”

सुंदरी ने जांघों को फैला दिया और बहू को आराम से चूत मसलने दिया। और कहा (उसने झूठ बोला):

“नहीं चुदवाई नहीं, सिर्फ चुची ही मसलवाई…लेकिन सच कहु..जबसे साले ने चुची मसला है चूत में खलबली हो रही है.. ।”

अब बहू सुंदरी की योनि को मसल रही थी, “कौन था वह किस्मतवाला जिसने एक सुन्दर सुंदरी के बोबले को मसला?”

“परम का दोस्त, विनोद..” सुंदरी को मजा आ रहा था… “बस अब निकाल लो, कोई आ जाएगा… कभी घर पे आओ तो पूरा मजा दूंगी.. ।” सुंदरी ने भी बहू के चूची के उभारो से हाथ हटाया और उसकी साड़ी के अंदर हाथ घुसेड़ कर बहू का चूत मसलने लगी… और कहा, “तू कभी मेरे घर आ, परम से चुदवाना और फिर हम दोनो उसका दोस्त विनोद से चुदवाएंगे… विनोद बहुत बड़ा चुद्दकड़ है.. यहाँ तक कि अपनी माँ और बहन को भी चोदता है.. उसने खुद कहा है।”

“हें.. कोई अपनी माँ को भी चोदता है क्या?..” बहू चिल्लाइ!

(सुंदरी ने उसे नहीं बताया कि उसे भी उसके बेटे और उसके दोस्त विनोद और सेठजी ने चोदा है)…

उसमे कौन सी बड़ी बात है बहु, अब यह गाव में घर घर में होता जा रहा है बस सबका मुह बंद होता है और घर में क्या होता है, सच कह रही हु ना, तुम्हारी माँ भी तो .......शायद मैं सब जानती हु”

बहु ने सुंदरी के मुह पर हाथ रखते हुए कहा:”बस, बस अपना मुह बंद रखो अगर जानती हो तो.....!”

“तुम भी तो कुछ अच्छे फलो का स्वाद लेके यहाँ बहु बनी हो..सही है न....!”

“जी दीदी” पर अब बंद करो अपना यह बकवास, जानती हो तो अपने तक रखो प्लीज़....हा मैंने भी लिया है पर अब चुप....!”

"कल ही आ जा। खूब चुदाई करेंगे।" दोनो साड़ी के अंदर एक दूसरे का चूत मसल रहे थे।

बहू डर रही थी..” किसी को पता चलेगा तो..”

“तुम डरती हो..मज़ा लेना है तो हिम्मत करना ही पड़ेगा…थोडा बहोत मुज पर छोड़ दे सेठानी की परवाह मत कर उनको मैं संभाल लुंगी साली नंगी औरत को।”
आप फनलव और मत्री की अनुवादित रचना में है

“कोई तुम्हें चोदेगा उसे पहले मैं तुम्हें चोदूंगी…दीदी तुम मेरी पहली पसंद हो और तुम्हारी चूत का रस पि लेने दो।” कहते हुए बहू ने सुंदरी को बिस्तर पर लिटा दिया और साड़ी पेटीकोट को कमर तक उठा दिया। सुंदरी ने सुबह ही विनोद से चुदवाने के लिए झांट साफ़ किया था और चूत बिल्कुल चिकनी थी..”

“ओह… दीदी, तुम्हारी चूत तो… बहुत मस्त है..” कहते हुए बहू ने चूत में उंगली घुसा दी…!



सुंदरी ने बहू को कुछ बार चोदने दिया और फिर उठ गई। सेठानी ने सुंदरी को बुलाया और वे दोनों बाहर आ गईं।

******



रोज की तरह .........


आज भी आपके फीडबेक (मंतव्य) की प्रतीक्षा रहेगी।
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर उन्मादक अपडेट हैं मजा आ गया
अब सुंदरी और उषा बहु की लिलायें क्या रंग लाती हैं
खैर देखते हैं आगे
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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उधर......


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“साला मादरचोद उसको पता ही नहीं चला की मेरी गांड की दरार कहा है, वही उसे अपना लंड को सटा ना चाहिए था। थोडा बहूत रगड़ देता मेरी गांड को तो उसके बाप का क्या जाता! वैसे भी उतनी दुरी होते हुए भी उसका लंड मेरी गांड की दरार को धुंध रहा था, मतलब की साले का माल बहोत बड़ा है। अच्छा चोदु हो सकता है......”
आप मैत्री और नीता की अनुवादित रचना पढ़ रहे है

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उसी समय सुंदरी चाय की ट्रे और कुछ खाने का सामान लेकर आ गई। सुंदरी ने परम के बारे में पूछा। उसने कोई जवाब नहीं दिया, बल्कि सुंदरी और उसकी बेटी के बारे में बात घुमा दी। उषा ने महक के बारे में पूछा और यह भी पूछा कि वह अपनी जवानी कैसे संभाल रही है। सुंदरी ने उत्तर दिया,

“बहुत आसान है, खूब खाओ, और खूब चुदवाओ”… और दोनों हंस पड़े..

“लगता है दीदी तुम खूब माल खाती हो!”

“ये बताने की बात नहीं है.!।” सुंदरी ने उषा से कहा और उसने अपने स्तन सहलाये।

“तुम्हारे बोबले बहुत बड़ी बड़ी है,..बहुत से लोग तुम्हारी लाइन मारते होंगे…सिर्फ बोबला दबाने के लिए।, इतने बड़े बड़े चुचियो को कैसे संभाल कर रखती हो…” सुंदरी ने जोरो से उसके बोबले को मसला..

“सीसीसीसीसीसीसीसीसीसीसीसीसी,” बहू कराह उठी। “पहला बेटा मसल कर गया और अब माँ चुची दबा रही है।”

सुंदरी बहू की चुची को सहलाते हुए कहा “साला बहुत हरामी हो गया है.. आने दो मैं दातुंगी…”
आप मैत्री और फनलव की रचना पढ़ रहे है

बहू ने एक हाथ सुंदरी की जांघों पर रखा और कहा "तुम परम को मत कुछ बोलना, मैं खुद समजा दूंगी। जानती हो! आज शादी के चार साल में पहली बार किसी ने मेरी चूची दबायी है।"

सुंदरी ने बहू का हाथ अपनी जांघों से उठाया कर साड़ी के ठीक ऊपर नंगी पेट (पेट) पर रख दिया। और खुद अपनी उंगलियों से बहू की निपल्स को मसलने लगी।

"उषा, तू तो किस्मत बाली हो...तुम्हें चार साल बाद ही कोई चुची दबाने बाला मिल गया। मुझे तो 17 साल के बाद किसी ने हाथ लगाया।"

“कब…कौन…उसने तुम्हें चोदा?..”कहते हुए बहू ने अपने हाथ सुंदरी के साड़ी के अंदर डाला।

“तू क्या कर रही है.. कोई आ जाएगा तो क्या बोलेगा…।” सुंदरी बोली..

“बस दीदी, एक बार छूने दो…” बहू ने हाथ पूरा अंदर घुसा कर सुंदरी के चिकनी चूत को मसल दिया। “बोलो ना दीदी उसने चोदा भी.. ।”

सुंदरी ने जांघों को फैला दिया और बहू को आराम से चूत मसलने दिया। और कहा (उसने झूठ बोला):

“नहीं चुदवाई नहीं, सिर्फ चुची ही मसलवाई…लेकिन सच कहु..जबसे साले ने चुची मसला है चूत में खलबली हो रही है.. ।”

अब बहू सुंदरी की योनि को मसल रही थी, “कौन था वह किस्मतवाला जिसने एक सुन्दर सुंदरी के बोबले को मसला?”

“परम का दोस्त, विनोद..” सुंदरी को मजा आ रहा था… “बस अब निकाल लो, कोई आ जाएगा… कभी घर पे आओ तो पूरा मजा दूंगी.. ।” सुंदरी ने भी बहू के चूची के उभारो से हाथ हटाया और उसकी साड़ी के अंदर हाथ घुसेड़ कर बहू का चूत मसलने लगी… और कहा, “तू कभी मेरे घर आ, परम से चुदवाना और फिर हम दोनो उसका दोस्त विनोद से चुदवाएंगे… विनोद बहुत बड़ा चुद्दकड़ है.. यहाँ तक कि अपनी माँ और बहन को भी चोदता है.. उसने खुद कहा है।”

“हें.. कोई अपनी माँ को भी चोदता है क्या?..” बहू चिल्लाइ!

(सुंदरी ने उसे नहीं बताया कि उसे भी उसके बेटे और उसके दोस्त विनोद और सेठजी ने चोदा है)…

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बहु ने सुंदरी के मुह पर हाथ रखते हुए कहा:”बस, बस अपना मुह बंद रखो अगर जानती हो तो.....!”

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“कोई तुम्हें चोदेगा उसे पहले मैं तुम्हें चोदूंगी…दीदी तुम मेरी पहली पसंद हो और तुम्हारी चूत का रस पि लेने दो।” कहते हुए बहू ने सुंदरी को बिस्तर पर लिटा दिया और साड़ी पेटीकोट को कमर तक उठा दिया। सुंदरी ने सुबह ही विनोद से चुदवाने के लिए झांट साफ़ किया था और चूत बिल्कुल चिकनी थी..”

“ओह… दीदी, तुम्हारी चूत तो… बहुत मस्त है..” कहते हुए बहू ने चूत में उंगली घुसा दी…!



सुंदरी ने बहू को कुछ बार चोदने दिया और फिर उठ गई। सेठानी ने सुंदरी को बुलाया और वे दोनों बाहर आ गईं।

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रोज की तरह .........


आज भी आपके फीडबेक (मंतव्य) की प्रतीक्षा रहेगी।
Madam, just an observation...
ye update repeat ho gaya hai... :)

Funlover
 

Funlover

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर उन्मादक अपडेट हैं मजा आ गया
अब सुंदरी और उषा बहु की लिलायें क्या रंग लाती हैं
खैर देखते हैं आगे
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जी आपका बहोत बहोत धन्यवाद


जी सही कहा आपने अब देखना यह है की बहु को भी सुंदरी ने अपने में मिला लिया है और अब कितनी चुदास बनती है देखना है आगे

जानेंगे हम कहानी के साथ साथ......बने रहिये
 

Funlover

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Madam, just an observation...
ye update repeat ho gaya hai... :)

Funlover
जी हां

नेट सही नहीं चल रहा था तो दो बार क्लिक हो गया था...........सोचा अब रहने दो..............


nice observation.................

stay tuned
 

Premkumar65

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अपडेट 6

सुंदरी ने फैसला किया कि विनोद जब भी चोदने आयेगा, उससे जम कर चुदवायेगी। परम ने अपनी माँ सुंदरी को विनोद से मजा लेते हुए देखा और अपना लंड अपनी माँ की चूत में और गांड में सतर्क रह गया। परम ने भी फैसला किया कि अगली बार वो सुंदरी की गांड मारेगा। सुंदरी परम के बगल में बैठी थी और दोनों बातें कर रहे थे। बात करते करते परम अपनी माँ की जांघों को रगड़ रहा था। उसने माँ का हाथ पकड़ कर अपने पैंट के ऊपर रख दिया और सुंदरी ने भी पैंट के ऊपर से लंड को मसला। दोनो पैडल रिक्शे पर बैठे थे। रास्ते में बहुत लोग उनको पहचान बाले दिखें। सुंदरी ने गांव की बहू होने के नाते उसने घूंघट निकाल रखा था। उसका चेहरा ढका हुआ था लेकिन लोगो को उसकी जवानी भरपुर दिख रही थी। उठे और तने हुए स्तन, गठा हुआ बदन, बड़ी बड़ी जांघें लोगो को पागल बनाने के लिए काफी था। सेठ का घर आया और दोनो उतर गये। अंदर जा कर देखा कि काफी चहल पहल है।

सेठ का बड़ा बेटा और बड़ी बहू आ गये थे।

*******

बड़ा बेटा करीब 25 साल का था और उसकी पत्नी 20-21 साल की थी। बेटा अपने बाप की तरह खूब स्वस्थ था लेकिन अभी पेट बाहर नहीं निकला था। दुसरे शहर में अपना कपड़े का कारोबार का होलसेल धंधा करता था। उनकी शादी को चार साल हो गए थे लेकिन अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ था। बड़ी बहू दूसरी मारवाड़ी लड़कियो की तरह बहुत गोरी और चिकनी थी। स्वस्थ शरीर, लंबे बाल, मोटी भुजाएँ और जांघें और बड़े बोब्लो की मालकिन। स्तन बहुत बड़े और फूले हुए थे और वह जो भी ब्लाउज पहनती थी, स्तनों की क्लीवेज और ऊपरी मांस खुला रहता था। उसके गाल गोल-मटोल और देखने में मधुर थे। वह बहुत बातूनी भी थी।
यह कहानी मैत्रीपटेल और फनलव द्वारा अनुवादित है

सेठ का बड़ा बेटा (ब्रज) भी अपने बाप की तरह, सुंदरी का बहुत शौकीन था। बचपन में वह उसके साथ खेला करता था और सुंदरी उसे और उसके छोटे भाई को गले लगाती थी। लेकिन जैसे-जैसे वे बड़े हुए, उनके बीच दूरियाँ बढ़ती गईं और पिछले लगभग दस सालों से सुंदरी ने दोनों भाइयों को छुआ तक नहीं है। अब दोनों शादीशुदा हैं। सुंदरी को सेठ के बेटे के लिए कभी कोई यौन इच्छा नहीं हुई, लेकिन उन दोनों को थी। दोनों उसके साथ मस्ती करना चाहते थे। वे जानते थे कि उनके पिता (सेठजी) भी सुंदरी के बहुत शौकीन हैं और वे यह भी जानते थे कि सुंदरी ने किसी को लिफ्ट नहीं दी है। इसलिए वे सुंदरी के पास जाने से डरते थे। दोनों भाइयों ने कई बार सुंदरी की जवानी के बारे में बात की थी और उसे चोदने की इच्छा जताई थी। वे अपनी पत्नी से भी सुंदरी की जवानी के बारे में खुलकर बात करते थे और बदले में उन्हें डाँटते थे और याद दिलाते थे कि वह उनसे बहुत बड़ी है।लेकिन दोनों भाई को सुंदरी को पाना एक सपना जरुर था। उन दोनों की पत्निया भी जानती थी की उनके पति को सुंदरी सब से ज्यादा अच्छी लगती है और साथ में उनके ससुर भी सुंदरी के दीवाने है, वह दोनों बहु यह भी जानती थी की उस्न्की सासुमा भी एक अच्छी चुदासी स्त्री है।

लेकिन ब्रज और अज्जू दोनों को यह नहीं पता था कि पिछले कुछ दिनों में सुंदरी ने अपनी चूत खोल दी है और सेठजी समेत तीन लोगों को अपनी चूत से खजाने की तलाश करने की इजाज़त दे दी है। सुंदरी ने उन्हें देखा और एक-दूसरे को बधाई दी। वह मुस्कुराई और बड़ी बहू को गले लगा लिया और टिप्पणी की कि वह और अधिक सुंदर हो गई है और यह भी पूछा कि वे बच्चे पैदा करने में देरी क्यों कर रहे हैं। बड़ी बहू, उषा ने सुंदरी के गालों को चूमा और उसे बाहों में लेकर टिप्पणी की,

"दीदी (सुंदरी) तुम तो पहले से ज्यादा जवान हो और मस्त हो गई हो। लोगो को पागल बना डालोगी!"

सुंदरी ने मुस्कुरा कर अपने को अलग किया। “तुम लोगो के सामने मुझे कौन देखेगा?”

उषा ने अपने पति की ओर इशारा करके कहा “देखो, कैसे घुरघुर कर तुमको देख रहा है…” यह सुनकर सुंदरी शरमा गई और किचन में चली गई। .

बहू ने परम की ओर देखा और कहा, "तू भी तो पूरा जवान हो गया है, चल थोड़ा काम कर।"

उषा अपने कमरे की तरफ गई और परम को साथ आने को कहा। रेखा आस-पास नहीं थी, शायद अपने कमरे में थी। परम बहू के साथ उसके रूम में चला गया। वहा बहू का सामान फैला हुआ था। परम ने बहू के निर्देशानुसार सामान उचित स्थान पर रखना शुरू कर दिया। वह भी परम के साथ सामान इधर-उधर कर रही थी। कई बार उनका शरीर छू गया. परम ने जानबूझ कर उसके कूल्हों और पीठ पर हाथ फेरा। उसका पल्लू नीचे गिर गया था। उसने इसे कंधे पर लगाने की कोशिश की लेकिन यह नीचे गिरता रहा और टीले का ऊपरी हिस्सा और दरार उजागर हो गई। परम ने उसकी माल को घूर कर देखा। उषा ने अपनी कमर पर पल्लू बाँध लिया और अब उसकी चुची परम के सामने आ गयी।

उषा को परम की नज़रों का अंदाज़ा हो गया। परम से नज़रें मिलाए बिना ही उसने उसे प्यार से डाँटा,
मैत्रीपटेल और फनलव की अनुवादित रचना

"क्या रे, क्या देख रहा है? कभी औरत नहीं देखी क्या?"

"ओह..भाभी तुम बहुत सुंदर हो...बहुत मस्त लग रही हो। भैया को तो खूब मजा आता होगा।"

“चुप साला चुतिया” वह परम को देखकर मुस्कुराई और बोली “तुम्हारी माँ से ज्यादा मस्त कोई नहीं है, उसका सब कुछ अच्छा होगा।”

परम उसके खुले हुए हिस्से को घूरता रहा और बोला, "अरे भाभी माँ को कोई थोड़े ही देखता है... सच में भाभी तुम बहुत मस्त लग रही हो...एक अच्छा मा....ल....!"

वह शरमा गई। निर्देशानुसार काम करते हुए परम उसके पास आया। उसने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा, "भाभी तुम को देखकर बहुत अच्छा लग रहा है... मन करता है की देखता ही रहूँ...!"

आखिरकार वह एक जवान औरत थी और हर औरत को तारीफ़ पसंद होती है। लेकिन उसे याद आया कि शादी के बाद पिछले चार सालों में किसी ने भी उसके स्तनों को इतनी गौर से नहीं देखा था। उसे शर्म आ गई और वह उठ खड़ी हुई। उसने अपने बैग और सूटकेस ढूँढ़ने शुरू कर दिए। कुछ बैग ढूँढ़ने के बाद वह सीधी खड़ी हो गई। उसका पल्लू अभी भी उसकी कमर से बंधा हुआ था और ऊपर के अंगूठियाँ परम को घूर रही थीं।

इस समय तक परम ने अपनी सारी बातें कह दी थीं और अब कमरा व्यवस्थित लग रहा था। उसने धीरे से परम को पुकारा, "मेरा एक काम करेगा?"

“भाभी, क्या काम है, जो बोलो सब करूंगा।”
मैत्रीपटेल और नीता द्वारा अनुवादित रचना



बने रहिये कहानी के साथ और इस अपडेट के बारे में आपकी सोच और राय दीजिये प्लीज़ ......................
Param ab Usha par chadhne ko tayyar hai.
 

Premkumar65

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पिछले अपडेट से आगे.........छोटा है............



"इधर आ" उसने उसे बुलाया।

परम उसके पास गया। उसने अपना दाहिना हाथ पकड़ लिया और परम को आश्चर्य हुआ कि उसने अपना हाथ उसकी नंगी दरार पर रख दिया। उसने उसे दबाकर रखा और कहा,

“कसम खा, जो काम मैं बोलूंगी उसके बारे में कोई बोलेगा नहीं।”

परम को उसके शरीर की कोमलता और गर्मी महसूस हुई। उसने स्तन पर दबाव बढ़ाया और अपना हाथ दाहिने स्तन के टीले की ओर बढ़ाया।

"कसम खाता हूं भाभी, किसी को नहीं बोलूंगा। लेकिन काम तो बताओ।"

उषा ने अपना हाथ परम के हाथ से हटा लिया और जैसे ही उसका हाथ आज़ाद हुआ उसने साहसपूर्वक भाभी के दाहिने स्तन को दबा दिया। उसने तुरंत उसका हाथ हटा दिया।

"क्या करता है, कोई देखेगा तो.." दोनों ने दरवाजे की ओर देखा।

कोई नहीं था! उषा ने फिर परम का हाथ पकड़ा और उसे अपने साथ कमरे के एक कोने की ओर खींच लिया। वे दरवाजे के ठीक पीछे खड़े थे। दोनो का दिल खूब जोर-जोर से गिर रहा था। परम का तो इस लिए कि भाभी की चुची को एक बार दबा चुका था और अब और मसल ने का मौका मिल गया। उषा इस लिए उत्साहित हैं कि वो जो परम से कहने वाली थी उसे बोलने में उसे शर्म आ रही थी। उषा अब बिलकुल परम के सामने खड़ी थी। दोनो के बीच मुश्किल से 6" का फासला था। अगर परम पैंट निकल कर खड़ा होता तो उसका लंड उषा के चूत से टकरा जाता। परम ने अपना दोनों हाथ साइड में रखा था। उषा ने हाथ बढ़ा कर परम के दोनों हाथों को पकड़ा और कहा।

“तुम मेरे लिए पोंडी ला सकते हो?”

वह हकलायी और तुरंत परम की ओर पीठ करके मुड़ गयी। उसे इतनी शर्म महसूस हुई कि उसने अपना चेहरा दोनों हाथों से ढक लिया। ये सबसे अच्छा मौका था, परम ने धीरे-धीरे उसके हाथ उसकी कमर पर रख दिए और हाथों को उसके शरीर पर ऊपर धकेल दिया.. एक झटके में उसने अपने दोनों हाथ उषा के दोनों स्तनों पर रख दिए। उसने उन्हें कई बार दबाया। उषा की बड़ी-बड़ी चूची दबाने में परम को बहुत मजा आया। उषा जैसी गुदाज़ चुची ना तो सुंदरी की थे ना तो किसी और औरत की जिसको उसने चोदा या दबाया था।

“छोड़ो ना, क्या कर रहे हो… कोई आ जायेगा।” उषा फुसफुसाई। और एक निमंत्रण के तौर पे कहा “चल साले चुटिया कही का, चोदु बन ने निकला है क्या।“

परम ने उसे अपने पास खींच लिया। अब पैंट के नीचे से परम का लंड उषा की गांड से रगड़ रहा था। साथ ही परम भाभी की चुचियों को ऐसा मसल रहा था जैसे कि उसकी अपनी माल हो..

लेकिन उषा अलग हो गई और परम की तरफ घूम गई। उसकी आँखों में आँखे डाल कर बोली,

“बेशरम, तुमको किसका डर नहीं लगता… भैया (उसका पति) देखते तो हाथ काट देते…”

परम ने फिर हाथ बढ़ा कर उषा को अपनी ओर खींच लिया और उसके रसीले होठों को चूम लिया। उषा ने मुस्कुरा कर परम को धक्का दिया और बोली "मुझे रोज़ 'पोंदी' चाहिए।"

“तुम पोंडी किताब लेकर क्या करोगी.. वो तो हमारे जैसे लड़के पढ़ते हैं… तुम तो खुद ही पोंडी हो… सेक्स की पूरी और नई किताब.. जिसे पढ़ने में पूरी जिंदगी निकल जाएगी..”

परम ने फिर उषा की चुचियो को दबाया. “कल ले आऊंगा.. कोई सी, फोटो वाली या सिर्फ कहानी बाली”। उन्होंने पूछताछ की।

(
आशा है कि हर कोई जानता है कि "पोंडी" का मतलब हार्डकोर सेक्स कहानियों और चित्रों वाली किताबें हैं)

“तुम तो इसे दबा-दबा कर ढीला कर दोगे… मुझे कल नहीं, अभी चाहिए… बिना पोंडी पढ़े मुझे नींद नहीं आती है… जल्दी से ले आओ।”

उषा ने उसे धक्का दिया और वह स्थान दिखाया जहां उसे उन पुस्तकों को रखना चाहिए और अगले दिन बदल लिए जाना चाहिए। और उसने उसे सलाह दी कि किताबें गंदी होनी चाहिए, सेक्सी और बेहद अश्लील... उसने उसे चेतावनी दी कि अगर उसने किताबों के बारे में किसी को बताया तो वह उसे दोबारा छूने नहीं देगी और अपने पति को भी बता देगी कि उसने उसके साथ ज़बरदस्ती की। उसने परम को कमरे से बाहर धकेल दिया।

परम बिना किसी से बात किए घर से बाहर निकल गया और लगभग मुख्य बाज़ार की ओर भागा। अंदर जो हुआ उससे वह बहुत खुश था। उसे पूरा भरोसा था कि जल्द ही वह सेठजी की बड़ी बहू को चोद पाएगा। उसका मुह चोदने को मिलेगा।



जुड़े रहिये इस कहानी के साथ और अपनी अमूल्य राय देना ना भूले प्लीज़ ....................



आपकी राय मुझे ओर बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करती है.................
Usha to chudne ko ekdam tayyar hai.
 

Premkumar65

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चलिए अब कहानी में आगे चलते है...........


उधर......


अंदर कमरे में, उषा बिस्तर पर बैठी अपने स्तनों को सहला रही थी। उसे हैरानी हो रही थी कि उसने अपने से *** साल छोटे लड़के को अपने इतने प्यारे स्तनों को सहलाने की इजाज़त कैसे दी। शादी के बाद पिछले चार सालों में उसके पति के अलावा किसी ने उसके स्तनों को नहीं सहलाया, जबकि शादी से पहले उसने तीन-चार लोगों को चूमने और सहलाने की इजाज़त दी थी। उसे हैरानी हुई कि परम ने जो किया, वह उसे पसंद आया। उसने परम के लंड का कसाव भी अपनी कमर पर महसूस किया और यह सोचकर ही सिहर उठी। उसने मन ही मन फुसफुसाया

“साला मादरचोद उसको पता ही नहीं चला की मेरी गांड की दरार कहा है, वही उसे अपना लंड को सटा ना चाहिए था। थोडा बहूत रगड़ देता मेरी गांड को तो उसके बाप का क्या जाता! वैसे भी उतनी दुरी होते हुए भी उसका लंड मेरी गांड की दरार को धुंध रहा था, मतलब की साले का माल बहोत बड़ा है। अच्छा चोदु हो सकता है......”
आप मैत्री और नीता की अनुवादित रचना पढ़ रहे है

"मैं परम से चुदवाऊँगी.."

उसी समय सुंदरी चाय की ट्रे और कुछ खाने का सामान लेकर आ गई। सुंदरी ने परम के बारे में पूछा। उसने कोई जवाब नहीं दिया, बल्कि सुंदरी और उसकी बेटी के बारे में बात घुमा दी। उषा ने महक के बारे में पूछा और यह भी पूछा कि वह अपनी जवानी कैसे संभाल रही है। सुंदरी ने उत्तर दिया,

“बहुत आसान है, खूब खाओ, और खूब चुदवाओ”… और दोनों हंस पड़े..

“लगता है दीदी तुम खूब माल खाती हो!”

“ये बताने की बात नहीं है.!।” सुंदरी ने उषा से कहा और उसने अपने स्तन सहलाये।

“तुम्हारे बोबले बहुत बड़ी बड़ी है,..बहुत से लोग तुम्हारी लाइन मारते होंगे…सिर्फ बोबला दबाने के लिए।, इतने बड़े बड़े चुचियो को कैसे संभाल कर रखती हो…” सुंदरी ने जोरो से उसके बोबले को मसला..

“सीसीसीसीसीसीसीसीसीसीसीसीसी,” बहू कराह उठी। “पहला बेटा मसल कर गया और अब माँ चुची दबा रही है।”

सुंदरी बहू की चुची को सहलाते हुए कहा “साला बहुत हरामी हो गया है.. आने दो मैं दातुंगी…”
आप मैत्री और फनलव की रचना पढ़ रहे है

बहू ने एक हाथ सुंदरी की जांघों पर रखा और कहा "तुम परम को मत कुछ बोलना, मैं खुद समजा दूंगी। जानती हो! आज शादी के चार साल में पहली बार किसी ने मेरी चूची दबायी है।"

सुंदरी ने बहू का हाथ अपनी जांघों से उठाया कर साड़ी के ठीक ऊपर नंगी पेट (पेट) पर रख दिया। और खुद अपनी उंगलियों से बहू की निपल्स को मसलने लगी।

"उषा, तू तो किस्मत बाली हो...तुम्हें चार साल बाद ही कोई चुची दबाने बाला मिल गया। मुझे तो 17 साल के बाद किसी ने हाथ लगाया।"

“कब…कौन…उसने तुम्हें चोदा?..”कहते हुए बहू ने अपने हाथ सुंदरी के साड़ी के अंदर डाला।

“तू क्या कर रही है.. कोई आ जाएगा तो क्या बोलेगा…।” सुंदरी बोली..

“बस दीदी, एक बार छूने दो…” बहू ने हाथ पूरा अंदर घुसा कर सुंदरी के चिकनी चूत को मसल दिया। “बोलो ना दीदी उसने चोदा भी.. ।”

सुंदरी ने जांघों को फैला दिया और बहू को आराम से चूत मसलने दिया। और कहा (उसने झूठ बोला):

“नहीं चुदवाई नहीं, सिर्फ चुची ही मसलवाई…लेकिन सच कहु..जबसे साले ने चुची मसला है चूत में खलबली हो रही है.. ।”

अब बहू सुंदरी की योनि को मसल रही थी, “कौन था वह किस्मतवाला जिसने एक सुन्दर सुंदरी के बोबले को मसला?”

“परम का दोस्त, विनोद..” सुंदरी को मजा आ रहा था… “बस अब निकाल लो, कोई आ जाएगा… कभी घर पे आओ तो पूरा मजा दूंगी.. ।” सुंदरी ने भी बहू के चूची के उभारो से हाथ हटाया और उसकी साड़ी के अंदर हाथ घुसेड़ कर बहू का चूत मसलने लगी… और कहा, “तू कभी मेरे घर आ, परम से चुदवाना और फिर हम दोनो उसका दोस्त विनोद से चुदवाएंगे… विनोद बहुत बड़ा चुद्दकड़ है.. यहाँ तक कि अपनी माँ और बहन को भी चोदता है.. उसने खुद कहा है।”

“हें.. कोई अपनी माँ को भी चोदता है क्या?..” बहू चिल्लाइ!

(सुंदरी ने उसे नहीं बताया कि उसे भी उसके बेटे और उसके दोस्त विनोद और सेठजी ने चोदा है)…

उसमे कौन सी बड़ी बात है बहु, अब यह गाव में घर घर में होता जा रहा है बस सबका मुह बंद होता है और घर में क्या होता है, सच कह रही हु ना, तुम्हारी माँ भी तो .......शायद मैं सब जानती हु”

बहु ने सुंदरी के मुह पर हाथ रखते हुए कहा:”बस, बस अपना मुह बंद रखो अगर जानती हो तो.....!”

“तुम भी तो कुछ अच्छे फलो का स्वाद लेके यहाँ बहु बनी हो..सही है न....!”

“जी दीदी” पर अब बंद करो अपना यह बकवास, जानती हो तो अपने तक रखो प्लीज़....हा मैंने भी लिया है पर अब चुप....!”

"कल ही आ जा। खूब चुदाई करेंगे।" दोनो साड़ी के अंदर एक दूसरे का चूत मसल रहे थे।

बहू डर रही थी..” किसी को पता चलेगा तो..”

“तुम डरती हो..मज़ा लेना है तो हिम्मत करना ही पड़ेगा…थोडा बहोत मुज पर छोड़ दे सेठानी की परवाह मत कर उनको मैं संभाल लुंगी साली नंगी औरत को।”
आप फनलव और मत्री की अनुवादित रचना में है

“कोई तुम्हें चोदेगा उसे पहले मैं तुम्हें चोदूंगी…दीदी तुम मेरी पहली पसंद हो और तुम्हारी चूत का रस पि लेने दो।” कहते हुए बहू ने सुंदरी को बिस्तर पर लिटा दिया और साड़ी पेटीकोट को कमर तक उठा दिया। सुंदरी ने सुबह ही विनोद से चुदवाने के लिए झांट साफ़ किया था और चूत बिल्कुल चिकनी थी..”

“ओह… दीदी, तुम्हारी चूत तो… बहुत मस्त है..” कहते हुए बहू ने चूत में उंगली घुसा दी…!



सुंदरी ने बहू को कुछ बार चोदने दिया और फिर उठ गई। सेठानी ने सुंदरी को बुलाया और वे दोनों बाहर आ गईं।

******



रोज की तरह .........


आज भी आपके फीडबेक (मंतव्य) की प्रतीक्षा रहेगी।
Bahu Usha to bahut mast hai. Bahut mazaa ayega jab Param aur Vnod uski chudai karenge.
 

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चलिए अब आगे जानते है इस एपिसोड से.............



रात के लगभग 8 बज रहे थे। सेठजी भी आ गए थे और वे अपने बेटे, बहू और सुंदरी को देखकर खुश हुए। कुछ देर बाद परम वापस आया और सीधे भाभी के कमरे में गया और किताब पहले से तय जगह पर रखकर बाहर आ गया। उसे देखकर रेखा ने उसकी माँ की तरफ देखा तो वहा से एक इशारा ऊपर जाने का आया, रेखा समज गई की मम्मी परम को ऊपर भेज देगी, उठकर ऊपर चली गई। तभी परम ने सेठजी की ओर देखा तो सेठजी ने इशारा किया रेखा की तरफ और आँखों से कहा तुम रेखा के पास जा सकते हो। सेठजी अपने बेटे और बहू से बातें कर रहे थे, लेकिन वे और उनका बेटा सुंदरी को घूर रहे थे जो वहाँ कुछ काम कर रही थी। मैत्री और नीता की अनुवादित रचना।

लगभग 5 मिनट बाद सेठानी ने परम को जाने के लिए कहा। ऊपर और दूसरे कमरे को साफ करो क्योंकि छोटा बेटा और बहू कल आने वाले हैं। परम ख़ुशी से ऊपर चला गया और जैसे ही वह कमरे में दाखिल हुआ रेखा ने दरवाज़ा बंद कर दिया और परम को बाहों में ले लिया।

“कितना तड़पा रहे हो, जल्दी से ठंडा कर दो…मेरी गांड मार दो प्लीज़ ...अब तुम्हारे बगैर यह गांड को भी मजा नहीं आता।”

परम ने फटा-फट रेखा को नंगा किया और खुद भी नंगा होकर रेखा की चूत को चाटने लगा। चूत का मजा लेकर उसने रेखा की गांड मारी और फिर गांड से लंड निकाल कर रेखा को अपना लंड चूसाया और उसके मुंह में पानी गिरा दिया। अब रेखा को अपनी गांड मरवाई हुई लंड को चाटने में कोई तकलीफ नहीं होती थी उसने बड़े प्रेम से परम का लंड चाट के साफ़ किया। “मम्मी को चुसाया?”

परम ने उसकी निपल को खींचते हुए कहा ”नहीं आज टाइम ही नहीं मिला, और मुझे लगता है की अब सेठानी मेरा लंड नहीं चूसेगी पर उन्होंने कह रखा है की रक्खा की गांड मारते रहना।“

“तो मार दिया करो, डरना किस से है!” उसने एक ऊँगली अपनी गांड में दल के कहा “देखो, कितनी आराम से गांड में घुस जाती है सब तुम्हारे इस लंड का प्रताप है। अपना पानी पिलाते रही मुझे।”

रेखा के साथ मस्ती लेने में भाभी को भूल गया। रेखा को ठंडा कर परम नीचे आया तो देखा कि सब लोग खाने के लिए बैठे हैं। परमने बहू की ओर देखा और फिर सेठानी की ओर। सेठानी ने कहा,

“बेटा कभी मौका निकाल कर मेरा भी काम साफ कर दो..” वह कहना चाहती थी कि तुम मुझे भी चोदो. रेखा भी नीचे आ गयी, भाभी ने परम को भी कुछ खाने को दिया और उसके कान में कहा, “मुझे बहुत मजा आया, तू बहुत प्यारा है..”

*****

इधर ये सब चल रहा था और उधर सुंदरी के घर में...

थोड़ी देर तक महक नंगी ही घर में घूमती रही फिर उसे शर्म आई और उसने फ्रॉक पहन लिया। तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। उसने दरवाज़ा खोला. उसकी दोस्त पूनम थी, महक ने पूनम को अंदर खींच कर दूर कर दिया और पूनम को बांहों में लेकर चूमने लगी... फिर दोनों अलग हुए।

“क्या रे महक, बहुत गर्मी चढ़ गयी है…?”

"क्या करु,,, यह सोच कर कि भैया आज तुम्हें चोदेगा मैं गर्म हो गई हूं..." महक ने पूनम को किस किया और कहा, "चल घर में कोई नहीं है, थोडा मस्ती करते हैं.. ।"
मैत्री और नीता की अनुवादित रचना।

"क्या मस्ती करोगी? तुम भी तो लड़की हो..! पूनम ने जवाब दिया, "मस्ती तो परम के साथ ही आती है।"

“तुझे नहीं पता, चूत में कितना मजा है…बस मजा लेने वाला और देने वाला चाहिए.. ।”

“तुझे कैसे पता, तू चुदवाती है क्या..?” पूनम ने पूछा।

महक ने उसकी फ्रॉक उतार दी और वह नंगी हो गई। “मेरी सील अभी तक नहीं टूटी है लेकिन भाई और सुधा (जिस लड़की को परम ने अपने घर पर चोदा) एक दूसरे को खूब मजा देते हैं।” महक ने अपने स्तनों को सहलाया और कहा, "चल तू भी नंगी हो जा।" पूनम शांत रही लेकिन महक ने उसका कुर्ता, पायजामा उतार कर उसे नंगी कर दिया। (ब्रा उसने नहीं पहनी हुई थी, वैसे भी गाव में लगभग सभी औरते ब्रा और पेंटी नहीं पहनती है।)

पूनम ने अपनी चूत को कवर करते हुए कहा, “तू क्या करेगी और कैसे… मेरी मां के अलावा किसने मेरी इसको (चूत) नहीं देखा है।”

महक ने पूनम को बरामदे पर रखे खाट पर पटक दिया और उसकी दोनों जांघों को फैला कर अपना मुँह पूनम के चूत पर रख दिया। पूनम चूत पर से हाथ नहीं हटा रही थी लेकिन महक ने जोर लगाकर पूनम के हाथ को हटा दिया और चूत के भट्ठे पर जीभ रगड़ा...

“ओउच्ह्ह” पूनम चिल्लायी। महक ने पूनम की जाँघ को चुत के ठीक बगल से पकड़कर अलग किया और भगनासा को चबाया। अब तक महक चूसने और ब्लोव्जोब में एक्सपर्ट हो गई थी। वह अपनी सहेली सुधा और अपनी मां सुंदरी के साथ नियमित रूप से ऐसा कर रही थी। जैसे ही महक ने पूनम के भगनासा को होठों के बीच पकड़कर चबाया तो पूनम फिर से कराह उठी।

“साली,भोसडिकी! क्या कर रही है..! चोद दे हरामजादी… रंडी… जाकर सुधा की चूत चाट…।” आआअह्ह्ह्ह… बहुत मजा आ रहा है…. साली मादरचोद पहले चूत को क्यों नहीं चाटा!… मस्त मादरचोद साली अब मुह मत बहार निकालना मजा आ रही है,वाह!..”

पूनम आअहह…ऊऊहहह करती रही और महक से चूत चटवाती रही। उसे बहुत मजा आ रहा था। ऐसा मजा पहले कभी नहीं मिला था। वो तो आये थे परम का लंड देखने और उसे सहलाने के लिए। 2-3 दिन पहले रेखा (सेठजी की बेटी) ने कहा था कि परम का लौड़ा बहुत मस्त है और उसने सहलाया है तो पूनम का भी मन हुआ था कि लंड का मजा लेने को। घर में उनके 3 बड़े भाई थे लेकिन कभी उन्हें उनका लंड देखने का मौका नहीं मिला (कुछ कुछ के सिवा) लेकिन कल जब महक ने भी कहा वो रोज अपने भाई का तना और टाइट लंड देखती है तो पूनम ने महक से अनुरोध किया कि उसे भी परम का लंड दिखा दे... महक एक शर्त पर मानी कि पूनम रात भर परम के साथ नंगी सोएगी यानी परम से चुदवाएगी। बहुत ना- नुक्कड़ करने के बाद पूनम तैयार हो गई। ऐसे भी वो परम को चाहती है लेकिन जब से उसे मालूम हुआ कि परम रेखा का दीवाना है वो पीछे हट गई थी।

महक पूनम की चूत को चूस चाट कर गिला कर दिया था। 15 मिनट से ज्यादा हो गए, पूनम कमर उछाल-उछाल कर चूत चटाई का मजा ले रही थी। तभी दरवाजे पर दस्तक हुई।

“कौन है बहनचोद अभी?,” दोनो लड़किया घबराकर उठी और पूनम ने कुर्ता और महक ने फ्रॉक पहन लिया। बाकी के सारे कपड़े फ्लोर पर बिखरे पड़े थे। महक ने दरवाजा खोला. उसके बाबूजी (मुनीमजी) थे। मुनीमजी के अंदर आने के बाद महक ने दरवाजा बंद कर दिया।



मुनीमजी ने देखा कि दोनों लड़कियों के बाल बिखरे हुए हैं, रंग लाल हो रहा है और एक अजीब सी मस्ती छायी हुई है। उन लड़कियों को उस सेक्सी हालत में देखकर वह उत्तेजित हो गया और उसे लगा कि उसका लंड टाइट होने लगा है।

बने रहिये और आपका बहुमूल्य मंतव्य दे इस एपिसोड के बारे में ...........
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हालाकि आज मुनीमजी की गांड भी सेठजी ने बजाई थी, और सेठजी की गांड का स्वाद उसके लंड को भी मिला था, दोनों ने एक दुसरे का लंड को गांड मार मार के चाट के साफ़ किया था। फिर भी घर में अक अजीब सी छुट की सुगंध फ़ैल राखी थी। और वैसे भी उसे पता था की आज महक अकेली है क्यों की सुंदरी और परम सेठजी के घर जाने वाले थे तो उसने सेठजी से कह रखा था की आज जल्दी घर जाएगा। सेठजी ने काफी बार पूछने पर उसे सेठजी को बता दिया की वह महक (अपनी बेटी को चोद ने के प्रयास में है पर मौक़ा नहीं मिला रहा लेकिन आज सुंदरी और परम आपके घर जानेवाले है तो शायाद मौक़ा मिल जाए तो मेरे इस लंड की प्यास बुज जाए।

सेठजी ने कहा अरे वाह अपनी बेटी से बहोत प्यार है तुजे और अब हम एक जैसे ही है तो मैं तुम्हे मन नहीं करूँगा पर तुम तो जानते हो आज सुंदरी नहीं आएगी क्योकि शाम को घर आएगी और वह मुझे उसको चोदने का कोई मौक़ा नहीं मिलेगा शायद सेठानी और अहू होंगे तो!

मुनीम: “हां, यह तो है आज सुंदरी को नहीं चोद पायेंगे आप।“

सेठजी: “पर अब मुझे कोई चिंता नहीं, क्योकि हमारे बिच अच्छा सौदा हुआ है तुमको मैंने सुदरी के बदले में सेठानी दी है और साथ में बहु और मौक़ा मिले तो रेखा भी और पैसा भी!”

मुनीम: “जी सेठजी पर उसका मतलब यह नहीं की सुंदरी को मेरे सामने चोदो, कहिपर छोड़ो लेकिन उसे मालूम नही होना चाहिए की मुझे मालूम है और मैंने उसे आपको एक तरीके से बेच दिया है।“

सेठजी: “देखो मुनीमजी चुतिया जैसी बात मत करो, यह सब हमारे बिच में हुआ है और हमारे बिच में ही रहेगा, और यह सब बार-बार बताने की भी जरुरत नहीं।“ कह कर उसे आगे बोला: “हमारी एक डील और भी है पता है ना!”

मुनीम: “अरे हा, पता क्यों नहीं होगा? यह हमारे बिच का आपस का मजा है।” मुनीम चाहता था की सेठजी कुछ पहल करे उसकी गांड में कुछ कुछ होने लगा था पर सेठजी ने कुछ नहीं किया था। वह थोडा निराश था, आज सुबह से वह अपनी गांड को तैयार कर के काम पे आया था।

सेठजी:” एक काम और भी है मेरी बहु आ रही है शायद आज कोई मौक़ा नहीं मिलेगा और सुदरी ऐसे ही कोरी रह जायेगी।“ वह सिर्फ सुंदरी के बारे में ही सोच रहा था।

अब मुनीम से कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था, और इसकी यह परवशता की वजह से उसका हाथ सेठजी की धोती के आसपास जाने लगे। सेठजी समज गया था वह उसकी परीक्षा कर रहा था की वह पहल कर सकता है या नहीं!
मैत्री और नीता की अनुवादित रचना।

सेठजी उठ के पीछे के रूम की तरफ चले गए और मुनीम उनके पीछे-पीछे चला गया।

अन्दर जा के सेठजी सोफे पर बैठ गए जब की मुनीम वही खड़ा रहा। सेठजी को लगा की शर्म की वजह से मुनीम कुछ बोल नहीं रहा या कुछ कर नहीं रहा।

सेठजी: “देखो मुनीम,मैं धंधे में तुम्हारा सेठ हु और तुम मेरे मुनीम लेकिन उसके बाद हम एकदूसरे की बीवीया है समजे कुछ?”

मुनीम: “सेठजी कुछ कुछ समजा! लेकिन जरा खुल के बताओ तो ठीक रहेगा।“

सेठजी: “डियर, उसका मतलब है अगर तुम्हारी इच्छा है की तुमको मेरी गांड मारना है आया मेरा लंड से तुम्हारी गांड मरवाना है तो तुम बेधड़क कह सकते हो, जैसे तुम्हारी बीवी का हाथ पकड़ कर कोने में जा सकते हो वैसे ही मई या तुम एक दुसरे के साथ कर सकते है। हम दोनों में कोई बंधन शर्म नहीं होनी चाहिए। अब समजे!”

मुनीम ने बिना कोई जवाब दिए अपनी धोती को खोल दी और उसका लंड सेठजी के सामने लहराने लगा। सेठजी हसे और बोले “चुतिया, अभी तक शरमा रहा था! चल ला इस महेंगे माल को मेरे मुह में। अब्तुम्हे पता होना चाहिए की मेरा मुह और पेट तेरे वीर्य का कितना भूखा है। और हरदम रहेगा।“

मुनीम थोडा आगे की ओर खिसका और लंड को अपने हाथो से पकड़ के सेठजी के मुह में दाल दिया। सेठजी शायद यही चाहते थे उसने भी बिना मौक़ा गवाए उस लंड को अपने मुह में गायब कर दिया। मुनीम ने उसका मुह चोदना चालू कर दिया जैसे एक चूत को बेरहमी से चोद रहा हो।

और कुछ देर के बाद चित्र यह था की मुनीम का लंड सेठजी की गांड को भोसड़ा बनाने में लग गया था और सेठजी बड़े शौक से उसके हर धक्के को खा रहे थे। जब तक मुनीम का लंड काबू में था तब तक सेठजी की गांड बजती रही बाद में मुनीम ने उसके लंड को निकाल के सेठजी के मुह में रख दिया और अपना पानी उसके मुंह में छोड़ दिया।


थोड़ी देर माहोल शांत रहा पर थोड समय के बाद सेठजी का लंड मुनीम के मुह में था और सेठजी मुनीम की गांड को चाट रहे थे। बस इस तरह सेठजी ने मुनीम की गांड का बाजा बजाया, दोनों खुश थे। एकदूसरे की क=गांड को चाट के साफ़ किया और दोनों ने एक दुसरे के लैंड को चाट के साफ़ किया। और दोनों थोड़ी देर के बाद अपनी चाल में बदलाव के साथ कमरे से बाहर आ गये, जैसे कुछ हुआ ही नही लेकिन दोनों थोड़े थोड़े समय पर अपनी गांड को सहलाते रहे।
बने रहिये और आपका बहुमूल्य मंतव्य दे इस एपिसोड के बारे में ...........
 

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