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Incest नफ़रत !!

कौन सा कीरेदार........पंसद है?


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Boob420

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Iska baap to ek number ka kamina nikla

Ab dekhte apna hero isse kase badla leta hai

Iss nafrat ki aag ko tandi mat hone dena bro
 
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Story Collector

The name is enough
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Iss nafrat ki aag ko tandi mat hone dena bro
Bhai ek update se related comment ko sirf ek hi post Mein complete karo,, abhi main aapke continue 4 comment dekh raha hun is thread Mein Jo Ek Hi update ke liye likhe gaye hain,,,,, Btw ab yeh Dobara mat karna Kyunki Aisa repeat karne per aapko warning mil sakti hai.
 

aman rathore

Enigma ke pankhe
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***नफ़रत


अपडेट -- 14











रीतेश , रमेश के साथ जेल में बैठा .......रमेश की बाते सुन रहा था की कैसे पीटर को जेल से बाहर नीकाला जाय.......!!


रीतेश - तो तेरे कहने का मतलब.....जेल के हवलदार पीटर को भगाने में मदद करेगा..!!

रमेश - सही समझा भाई!!

तभी वह सकेतं , पीटर के साथ आ जाता है...!

पीटर - क्या है रे......क्यूं बुलाया आपुन को??

पीटर ने बोलते हुए बीड़ी का एक कश ले कर धुवें का छल्ला हवा में उड़ाने लगता है....!!


रीतेश और रमेश , खड़े होते हुए पीटर की तरफ देखते है!!

रमेश - भाई इसका भी कमाल है.....फांसी का फंदा सर के उपर लटक रहा है , और ये है की हवे में धुवें छोड़ रहा है!!

रीतेश - सही कहा तूने........इसके साथ सागा ने जो कीया , उसका बदला तो लेने से रहा ये!!

रीतेश अपनी बात अभी पूरी भी नही की थी.....की पीटर बोला-

पीटर - अरे वो पंटर लोग......तेरे को क्या लगता है की आपुन........

रमेश ने भी पीटर की बात पुरी नही होने दी और बीच में ही बोला-

रमेश - यही की तू कुछ नही कर सकता.....कायरो की तरह फांसी चढ़ जा बस!!

.......ये सुनकर पीटर का गुस्सा सातवे आसमान फर....उसने रमेश का कॉलर पकड़ गुस्से में पकड़ लीया!!

रीतेश - ये गुस्सा बचा कर रख......तूझे तेरे दुश्मन की अरथी तक ले जायेगा...!!


........पीटर रीतेश की बात सुनकर, उसे अपनी आंखे फाड़ कर देखने लगा......
रमेश अपना कॉलर छुड़ाते हुए बोला--

रमेश - ऐसे मत देख.......भाई सही बोल रहा है! तूझे इस कैद से नीकालने का बंदोबस्त हो गया है.....!!

.......पीटर को कुछ समझ में नही आ रहा था.......वो चकमकाते हुए बोला-

पीटर - ए......ए.......तुम लोग आपुन का मज़ाक बना रैला क्या?

रीतेश - मैं बेचारे लोगो का मज़ाक नही बनाता....तू आज सच में आजाद हो जायेगा!!

रीतेश की बात सुनकर......उसे यकीन तो नही हुआ लेकीन, उसे एक उम्मीद नज़र आयी!!


पीटर - तू सच बोल रैला भाई.....क्या आपुन सच में!!

रमेश - अरे हा भाई......अब सुन! आज शाम 4 बजे तू हवलदार , रतन सीहं के पास जायेगा । बाकी का वो सब सभांल लेगा......और ये ले, इसमें एक फोन नबंर लीखा है.....बाहर नीकलते ही तू इस पर कॉल कर लेना , तू सही जगह पर पहुचं जायेगा......और कल छुटने के बाद हम लोग तूझे वही मीलेगें!!


रमेश की बाते सुनकर उसे यकीन होने लगा था........

पीटर - अरे भाई आपुन तेरा अहेसान कभी नही भूल सकता मालूम.....एक बार , आपुन उस सागा का काम-तमाम कर दे तो ये फांसी भी आपुन खुशी से गले लगा ले मालूम!! लेकीन आपुन एक बात नही समझा की तू आपुन का हेल्प काये के लीये करैला है.....!!


रीतेश - वो तूझे पता चल जायेगा पीटर!! फीलहाल तू अभी नीकल....

पीटर - ओके.......भाई , आपुन नीकल रैला है....!

.......इतना कहकर पीटर वंहा से नीकल जाता है!!

रमेश - चल भाई मैं जरा वो हवलदार से बात कर के आता हूं......

......ये कहकर रमेश भी वहां से नीकल जाता है!!




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कचड़े की गाड़ी में छुपा पीटर .......जेल से नीकलती हुई गाड़ी मेन रोड पर आकर अपनी रफ्तार पकड़ती है!!

गाड़ी करीब आधे घंटे तक उसी रफ्तार तक चलती रही.....उसके बाद गाड़ी एक सुनसान जगह आकर रुक जाती है!!

'पीटर अपने उपर से कचड़े का ढेर हटाते हुए....एक लबीं सास लेता है! और फीर गाड़ी से नीचे उतर जाता है!! पीटर के नीचे उतरते ही गाड़ी चली जाती है!!

''सुनसान रास्ते पर दूर-दूर तक पीटर को कुछ नही दीख रहा था......पीटर अपने कदमो को एक अनजान रास्ते की तरफ बढ़ा देता है......



''और इधर जेल में पीटर का आसानी से नीकल जाना रीतेश के लीये सुकुन देने जैसा था......क्यूकीं सागा के साथ रीतेश भी अपना हीसाब जो चुकाना चाहता था, अब तो रीतेश को बस कल का बेसब्री से इतंजार था.......!!


रमेश - क्या सोच रहा है भाई.........!

रमेश की बात सुनकर रीतेश ने कहा-

रीतेश - यही सोच रहा हूं की, यहां से नीकलने के बाद.......क्या करना है??

रमेश - करना क्या है........सागा की बरबादी , और क्या?

रीतेश - उसकी बरबादी तो होगी ही......लेकीन उससे पहले तो अपने बाप का हाल - समाचार लेना जरुरी है!!

रमेश - यार.......आखीर ये तेरा बाप कैसा है इंसान है, जो अपने ही बेटे के पीछे पड़ा है.....! !

रीतेश - अब अता - पता करने का समय गया, अब तो समय है.....उसकी बरबादी का!!


रमेश - तू चीतां मत कर.......अब तू अकेला नही, तेरे साथ अब मैं और पीटर भी हैं!! पीटर को मैने सुमेर भाई का नबंर दे दीया है.....वो अपने को कल वहीं मीलेगा!!

रीतेश - ये सुमेर कौन है??

रमेश - सुमेर भाई , वो तो एक छोटा मोटा एरीये का दादा है.......मुझे उसने ही सहारा दीया था!! चल अब कुछ खा पी लेते है.....कल अपनी आजादी का दीन है.....

---------अगले दीन रीतेश और रमेश ने जेल मे पहने हुए कपड़े उतार कर अपने कपड़े पहन कर......एक रजीस्टर पर साइन कीया और जेल से बाहर आ जाता है!!


जेल के बाहर आते ही,, उसके होश ही उड़ जाते है..........जेल के बाहर उसकी मां सुलेखा......वैभवी.......रीया......फीलहाल सभी खड़े थे सीर्फ उसका बाप नही था......और रीतेश भी यही उम्मीद कर रहा था!!


रीतेश को देख कर......सब की आंखो में आशू आ गये......सुलेखा तो अपने नसीब पर ही रो रही थी.....!!


सुलेखा , रीतेश की तरफ़ अपने कदम बढ़ाती है........ये देख रीतेश का पारा गरम हो जाता है!!

सुलेखा के पीछे-पीछे सब लोग रीतेश के तरफ बढ़ते है.......और जैसे ही वो लोग रीतेश के नजदीक पहुचतें है!!


रीतेश गुस्से..........

रीतेश - बहुत सही.......तुम लोग मेरा पीछा नही छोड़ने वाले........तुम सब लोग को पता है की मुझे तुम सब के शक्ल से भी नफरत है, फीर भी अपना ये मनहुश चेहरा ले कर आ जाते हो........और वो कहां है......तुम्हारे पतीदेव। वो नही आया ना.......आता भी कैसे , पूरे फसाद की जड़ वही साला है......अच्छा है, उसे जीतना दीन चैन से जीना था वो जी लीया,.

.......रीतेश का गुस्से से सब वाकीफ थे लेकीन आज का गुस्सा देख कर तो सब के रौगटें खड़े हो गये....!!

सुलेखा , रीतेश को देखती रह गयी.....उसकी आखों में आशूं थे.!!

सुलेखा - मैं तुझसे कुछ नही कहूगीं,, तूने बहुत दुख झेल लीये है......तूझे हम सब के चेहरे से नफरत है ना तो, ठीक है ! तूझे कोयी कुछ नही बोलेगा..........लेकीन तू घर चल!!

रीतेश - तू तो अपनी ये नौटकीं बदं रख......तेरे ये आसूं दीखाने के है.......और घर तो मैं जाउगां ही.......क्यूकीं उस घर में मेरी दादी की आत्मा बसी है!! और एक बात और......कीसी ने भी मुझसे रीश्ता जोड़ने की कोशीश की तो उसके साथ ऐसा रीश्ता बनाउगां की रीश्ते बनाने ही भूल जाओगें.....!!

इतना कह कर रीतेश......रमेश के साथ वंहा से नीकल जाता है!!

सब लोग वही मायूस खड़े रीतेश को जाते हुए देखते रहते है........!!


रमेश ने आज पहली बार रीतेश का गुस्सा देखा था........एक दुकान पर रुक कर रीतेश सीगरेट का पैकेट लेकर , उसे फूकना चालू कर देता है......उसका दीमाग खराब हो गया था.....रमेश ने रीतेश को यू गुस्से में देख कर बोला!!


रमेश - ये तू क्या कर रहा है भाई, वो तेरी मां तुझसे इतना दूर मीलने आयी , और तू उसे दुतकार दीया!!

रीतेश सीगरेट का कश लेते हुए बोला-

रीतेश - मेरा उससे कोयी रीश्ता नही.....मै उससे सीर्फ नफरत करता हूं......!!

................आखीर क्यूं नफरत करता है तू मुझसे....... एक अनजान आवाज़ से दोनो चौकं जाते है, रीतेश ने अपना गर्दन घुमा कर देखा तो उसकी मां खड़ी थी!!

वो रो रही थी.......और वो अकेली थी, बाकी सब लोग उसके साथ नही थे.....!!

अपनी मां को देखकर , रीतेश का गुस्सा एक बार फीर से उस पर हावी हो गया.......और वो आगे बढ़कर जोर का तमाचा अपने मां के गाल पर जड़ देता है.......!.


रीतेश - एक बार बोला समझ में नही आता.....मादरचोद।

रीतेश के मुह से गुस्से में अपनी मां के लीये गालीयां भी नीकल गयी और वो दो तीन थप्पड़ भी जड़ चुका था.....लेकीन रमेश ने रीतेश को पकड़ लीया!!


रमेश - ये क्या कर रहा है तू, पागल हो गया है क्या??

रीतेश चील्लाते हुए --

रीतेश - हां मैं पागल हो गया हूं.......और इससे बोल की ये यहां से चली जाये, इससे पहले की मैं और पागल हो कर कुछ उल्टा सीधा ना कर दूं!!

राह चलते लोग सब खड़े हो कर देखने लगते है.......सुलखा के गाल रीतेश के थप्पड़ो की वजह से लाल हो गये थे.....वो अपना गाल थामे बस रोये जा रही थी.....!!

सुलेखा रोते हुए........

सुलेखा - अब तो तू जंहा जायेगा.....मैं भी वही जाउगीं.....चाहे तू मुझे मार या मार डाल!!

सुलेखा के मुह से ये शब्द सुनकर रीतेश एक बार फीर गुस्से में उसकी तरफ मारने के लीये झपटा लेकीन रमेश ने उसे कस कर पकड़ लीया!!

रमेश - रीतेश......रीतेश, तू पागल मत बन.....म.....मै समझाता हूं तू रुक!!

रीतेश को थोड़ा शांत कराते हुए रमेश , सुलेखा की तरफ अपना रुख मोड़ते हुए बोला-

रमेश - देखो आटीं.....आपको पता है की वो आपसे नफरत करता है तो, ऐसे में आप अगर उसके साथ रहोगी तो ना ही आपके लीये ठीक होगा और ना ही उसके लीये!!

सुलेखा अपने आशूं पोछते हुए बोली-

सुलेखा - इससे दूर रहकर .....मैं इसे खोना नही चाहती,, अब चाहे जो भी हो......ये जहां मैं वहां.....!

रमेश कुछ बोलता उससे पहले ही सुलेखा बोली......

सुलेखा - और तुम मुझे रोकने की कोशीश मत करना क्यूकीं अब मैं मानने वाली नही हूं.....बीस साल इससे दूर रही हूं!! अब और नही.....

''रमेश ने सुलेखा को लाख समझाया , लेकीन सुलेखा के जीद के आगे वो हार गया......सुलेखा के अंदर रीतेश के लीये एक मां का प्यार देखकर वो भी नीढाल हो गया!!

रमेश - ठीक है आटीं.......आप को अब कोयी नही रोकेगा, आप इसके साथ ही रहो.....लेकीन आप को तो पता है की ये अपने बाप का ही दुश्मन बना बैठा है। ऐसे में आप इसके साथ कैसे रहोगे.....!!

सुलेखा की लाल हो चुकी आखे और सुर्ख पड़ चुकी आवाज़ से उसने बोला-

सुलेखा - अगर मेरा पती गलत है.....तो मैं मेरे बेटे का साथ दूगीं और अगर नही तो अपने बेटे को कुछ गलत करने से रोकूगीं.....!!


सुलेखा की बात सुनकर ......रमेश रीतेश की तरफ बढ़ा ॥ रीतेश कुछ दूरी पर खड़ा था.....और सीगरेट फूंक रहा था....अब रमेश ये सोच रहा था की रीतेश को कैसे मनाये!!


रमेश, सुलेखा को अपने साथ ले कर , रीतेश के पास आया और बोला-

रमेश - देख भाई रीतेश मैने आटीं को समझा दीया है...!

रीतेश सीगरेट नीचे फेकं कर......अपने पैरो से कुचलते हुए बोला-

रीतेश - सही कीया......ये इसके लीये ठीक था!!

रमेश - हां भाई.......मैने बोल दीया आटीं को , की रीतेश से ज्यादा बात मत करना , और ऐसा कोयी काम मत करना जीससे उसे गुस्सा आये......

रीतेश तो हैरान रह गया की ये क्या बोल रहा है......

रीतेश - अबे ये तू.....क.....क्या??

रमेश ने रीतेश की बात काटते हुए बोला-

रमेश - अरे कुछ नही......सब ठीक है!! मुझे पता है तू मुझे थैक्स कहना चाहता है.....लेकीन दोस्ती में चलता है.....

रमेश की बात सुनकर......सुलेखा मुस्कुरा देती है, शांत हो चुका रीतेश अपनी मां की हंसी देख कर उसका एक बार फीर से मुड़ खराब हो जाता है लेकीन तभी.....रमेश , रीतेश का हाथ पकड़ कर कुछ दूर ले जाते हुए बोला-

रमेश - अबे देख गुस्सा मत हो......तू अपने बाप की जीदगीं झाट करना चाहता है......चाहता है की नही......अरे बोल.!!

रीतेश- ह........हां, ले......लेकीन इसका क्या काम.......

रमेश रीतेश की बात को बीच में ही काटते हुए बोला-

रमेश - ये तेरे साथ रहेगी तो, अपने पती की हालत देख कर कैसा रीयेक्ट करेगी.....ये तो तूझे पता चलेगा ना!!

रमेश की बात में दम था.......रीतेश ने सोचा की रमेश बील्कुल सही कह रहा है......आखीर मैं भी तो देखू अपने पती की हालत पर ये क्या करती है!!


रीतेश - ह्म्म्म.......ठीक है!!

रीतेश के मुह से हामी सुनकर.......वो एक ठंढी सास लेते हुए बुदबुदाया!!

रमेश - कीतना प्यार है मां-बेटे में...!!

रीतेश - लवड़ां प्यार है......वो तो इसे इसके पती की बरबादी दीखाने के लीये......

रमेश- अच्छा ठीक है, अब गुस्सा मत करना मैं बुलाता हूं आटीं को......

फीर रमेश, सुलेखा को बुलाता है........

रमेश - ठीक है आटीं......ये मान गया!!

तभी रीतेश, सुलेखा को बीना देखे एक सीगरेट नीकाल कर लाइट करते हुए बोला-

रीतेश - हां वैसे भी......कोयी खाना बनाने वाला तो चाहीये ही!!

ये बात वाकयी बहुत बुरी थी.....जीसे सुनकर रमेश को अच्छा नही लगा!! लेकीन सुलेखा के चेहरे पर खुशी के भाव झलक रहे थे........
:superb::good: amazing update bhai,
behad hi shandaar, lajwab update hai bhai,
peetar ko ritesh ne jail se bhaga diya hai,
aur sulekha to haath dho kar ritesh ke pichhe par gayi,
aur aakhir kar use maanana hi pada hai sulekha ko saath rakhne ke liye ,
ab dekhte hain ki aage kya hota hai,
Waiting for next update
 
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sunoanuj

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Next update Mitr
 

Mithilesh373

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Supperb going bro... But Sumer ke jagah Suleman kyo likh diye ho. Waise bhi I hate mixed cast story... Ek cast me hi likho kisi ko koi problem nahi hoga... Aur ho sake to edit kar ke naam sahi kar do....
 
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