*****नफ़रत****
अपडेट ---- 15
रमेश , रीतेश के कान में धीरे से बोला-
रमेश - आज से ही अपने बाप की बरबादी शुरु कर दी......उसे उसकी बीबी से दूर करके!!
और ये कह कर रमेश......कुछ दूरी पर जाकर एक पीसीओ से कॉल करने लगता है!!
तभी सुलेखा के फोन की घटीं बजती है......फोन की घंटी सुनते ही रीतेश ने बोला-
रीतेश - उसी का है ना,,
सुलेखा रीतेश की तरफ देखते हुए हा में सर हीला देती है,, रीतेश का पारा एक बार फीर से गरम हो जाता है!!
रीतेश - फोन उठा और लाउडस्पीकर पर डाल.....!!
सुलेखा ने फोन उठाते हुए लाउडस्पीकर पर डाल दीया.......
.........हैलो.......सामने से रमन ने बोला!!
सुलेखा - हां.......
रमन - मील लीया अपने बेटे से........पड़ गयी दील में ठंढ़क......!!
सुलेखा - हां मीली भी.......और उसके साथ ही हूं!!
सुलेखा के मुह से ये बात सुनकर , उसे यकीन नही हुआ.......!
रमन - क्या मतलब??
सुलेखा - मतलब यही की.......अब से मैं मेरे बेटे के साथ ही रहूगीं,, वो जहां मै वहां!!
सुलेखा की ऐसी बातो से.....रमन घबरा गया!!
रमन - सुलेखा तुम पागल हो गयी हो क्या?? अरे वो दीमाग से खीसका है.....वो कुछ भी कर सकता है......तुम्हारा उसके साथ रहना ठीक नही!!
रमन की बातो में परेशानी की झलग साफ समझ में आ रहा था.....उसके बात करने के तरीके से पता चल रहा था की वो घबरा रहा है......
सुलेखा - मुझे अब अपनी परवाह नही,, आखीर मै भी तो देखू की मेरे बेटे को फसानें वाला कौन है?? और भला उसे ये सब कर के क्या हासील होगा?
सुलेखा की बात सुनकर......रमन ने कहा-
रमन - अरे तो उसका पता तो मैं लगा रहा हूं ना......और तुम उसके साथ रह कर क्या पता लगा लोगी?? सागा कोयी सड़क का आवारा गुडां नही जीसे राह चलते तुम लोग पकड़ लोगे.....!
सुलेखा - तो आप को बहुत पता है.....उसके बारे में तो इन तीन सालो में आपने कुछ क्यूं नही कीया??
रमन - देखो सुलेखा पागल मत बनो.....तुम्हे पता है मै तुम्हारे बीना इक पल भी नही रह सकता......!
......तभी रीतेश ने अपनी मां के हाथ से फोन लेते हुए , स्पीकर ऑफ कर के सुलेखा से कुछ दूरी पर जा कर बोला-
रीतेश - तो अब आदत डाल ले.......
रीतेश की बात सुनकर.....रमन ने घबराते हुए बोला-
रमन - देख बेटा.....तू समझ ,, अपनी मां को साथ में रखकर तू उसे भी आपत में डाल रहा है......
रमन की बात सुनकर.....रीतेश गुस्से में बोला-
रीतेश - ए......ज्यादा बोल मत, सीर्फ सून....मुझे पता है ये सब तूने कीया है...भला एक ड्रग डीलर मुझे क्यूं फसायेगा.....ये सब तेरा ही कीया धरा है.......और क्या बोल रहा था तू.....सुलेखा मैं तुम्हारे बीना एक पल भी नही रह सकता......क्यूं ऐसा क्या है मेरी मां में??
रीतेश ने ये शब्द कुछ अश्लीलता भरी अंदाज में बोला-
रमन - छी......तूझे शर्म नही आती, अपनी मां के बारे में ऐसी बात करते हुए....!
रमन की बात सुनकर.....रीतेश मुस्कुराते हुए बोला-
रीतेश - चल कोयी बात नही,, अब तू नही बताना चाहता तो कोयी बात नही.....मैं खुद पता कर लूगा की , आखीर क्या चीज है मेरी मां....जीसकी वजह से तुझे एक पल भी काटना मुश्कील लग रहा है,, और वैसे भी अब वो मेरे साथ ही रहने वाली है.....
रीतेश की बात सुनकर......रमन के पैरो तले जमीन खीसक गयी!! वो घबराते हुए बोला-
रमन - ए......देख.....अगर तूने उसके साथ कुछ ऐसी वैसी हरकत की तो मुझसे बुरा कोयी नही होगा....!
रीतेश - च्च....च्च......च्च......तू सच मे बहुत बड़ा चुतीया है.......मैं तो तूझे मारने का सोच रहा था....लेकीन तेरी हालत मेरे दील को सुकुन पहुचां रही है......मैं तो सोच ही रहा था की आगे ऐसा क्या करुं? जीससे तूझे और तकलीफ़ हो......लेकीन तूने मेरे सवालो को तुरतं ही साल्व कर दीया.....!
रमन - ए क्या करेगा तू.......आ ??
रीतेश - वही जो तूने कहा.......की तेरी बीबी के साथ कुछ ऐसी-वैसी हरकत......
.....रीतेश आगे कुछ बोलता उससे पहले ही रमन घबराते हुए करीब-करीब गुस्से में बोला-
रमन - शर्म कर.......वो तेरी मां है!!
रीतेश - शर्म गया गड्ढ़े में.......मैने तूझे पहले ही कहा था......की मैं इन रीश्तो को नही मानता!!
रमन - सुन......देख.....:तू......कुछ......हैलो....हैलो.....
रीतेश ने फोन कट कर दीया था......और फोन को स्वीच ऑफ कर दीया.....रमन उधर से हैलो.....हैलो चील्लाता रहा.!!
रीतेश फोन स्वीच ऑफ करने के बाद सुलेखा के पास आ जाता है.......आज उसे बहुत ज्यादा सुकुन मीला था , अपने बाप की हालत देखकर!!
..........रमन बहुत ज्यादा घबरा गया था......उसने तुरतं ही फोन नीकाला और हेमा को कॉल कीया!!
रमन - ह......हैलो....हेमा!
हेमा - हां.....बोलो!
रमन - कहां हो तुम लोग??
हेमा - रीतेश को लेने आये थे.....वो तो नही आया....और दीदी भी जीद कर के, उसके पीछे-पीछे चली गयी....और हम लोग को वापस जाने के लीये कह दीया.....!!
रमन - सुनो.....अभी तुम लोग वापस सुलेखा के पास जाओ.....और उसे लेकर सीधा घर जाओ!!
हेमा - क्या हुआ आप इतने घबराये क्यूं हो?
रमन - अरे तुम मेरी छोड़ो....जैसा बोल रहा हूं वैसा करो!
हेमा - अरे दीदी नही मानेगी......
रमन - तो......तो.....अगर सुलेखा आने से मना करेगी तो.....तुम लोग कहना की हम लोग भी साथ रहेगें.......तब तो उसके पास कोयी ऑप्सन नही बचेगा !!
हेमा - ठीक है......
ये कहकर , हेमा कॉल डीसकनेंक्ट कर देती है!!
हेमा - बेटा रीया गाड़ी रोक......
हेमा के कहने पर रीया.....गाड़ी रोक देती है...
वैभवी - क्या हुआ छोटी मां.??
हेमा - तेरे पापा ने कहा है की, दीदी को साथ ले कर आने को.....!
रीया - ओ......हो ये पापा भी ना.....मुझे समझ में नही आता की ये पापा बड़ी मां को रीतेश से हमेशा दूर क्यूं रखना चाहते है.......ये कहते हुए रीया गाड़ी वापस मोड़ देती है......!!
हेमा - बेटा गाड़ी थोड़ा तेज चला....कही वो लोग नीकल ना जाये......एक तो दीदी का फोन भी स्वीच ऑफ आ रहा है.......जरुर रीतेश ने ही ऑफ कीया होगा.....!!
रीया गाड़ी की रफ्तार तेज कर देती है......कुछ 10 मीनट गाड़ी तेज रफ्तार चलाने के बाद रीया को सुलेखा दीख जाती है!!
रीया - मां देखो....वो रही बड़ी मां,
सब लोग....अपनी नज़रे सुलेखा के उपर डालते है.....लेकीन जब तक वो लोग करीब पहुचतें, सुलेखा रीतेश के साथ गाड़ी में बैठ जाती है और गाड़ी वहां से चल पड़ती है!
हेमा - ये लोग तो.....कहीं जा रहे है....!
वैभवी - रीया गाड़ी पीछे लगा......
रीया भी अपनी गाड़ी , पीछे लगा देती है.......
******यार रमेश तुने आपुन को बाहर नीकाल कर बहुत बड़ा एहसान कीयेला है...मलूम! और ये तूम्हारा सुलेमान भाई तो मस्त आदमी है बीड़ू.........क्या रौब है सुलेमान भाई का ....एक भी पुलीस वाले की इट्रीं नही है उस एरीये मालूम!!
ये सुनकर रमेश बोला-
रमेश - अरे वो एक नंबर का हरामी आदमी है पीटर......तू अभी नया है, आगे सब पता चल जायेगा.....!
तभी पीटर सुलेमान क एरीये में अपनी गाड़ी को इटंर करता है......सुलेखा ने देखा की ये एरीया कुछ ठीक नही लग रहा है,, चारो तरफ अजीब तरह के आदमी ही दीख रहे थे....उनके शक्ल देख कर ही लग रहा था की ये कोयी गुडें ही है.......कीसी के हाथ में चाकू तो , कीसी के हाथ में तलवार तो कोयी बदूंक लीये खड़ा था.......थोड़ी दूर अंदर जाने के बाद पीटर गाड़ी रोक देता है!!
रमेश गाड़ी से नीचे.....उतरते ही।
रमेश - अरे........राकेश, कैसा है??
एक आदमी आकर...रमेश के गले लग जाता है.....जैसा की रमेश ने उसे राकेश के नाम से पुकारा था तो जरुर उसका नाम राकेश ही था!!
रीतेश और सुलेखा भी गाड़ी के नीचे उतर जाते है......सुलेखा को वहां का माहौल देखकर डर लगने लगता है...!
राकेश - अरे मेरी छोड़ तू बता की तू कैसा है? इतने सालो बाद जेल से आया है और ये कौन है??
रमेश - अरे सब कुछ यही पुछ लेगा या......सुलेमान भाई से भी मीलवायेगा!!
राकेश ने अपनी गंदी नज़र , सुलेखा की तरफ़ डालते हुए बोला-
राकेश - हां भाई चल ना......
और फीर रमेश रीतेश और सुलेखा के साथ....अंदर चल पड़ते है!
राकेश सुलेखा के ठीक पीछे चल रहा था.....राकेश सुलेखा की गोरी - गोरी कमर पर अपनी नज़रे गड़ाये उसके पीछे चल रहा था.....और चलने पर सुलेखा के दोनो नीतबं इस तरह हीलते की सुलेखा की बड़ी- बड़ी गांड देखकर उसका गला ही सुख जाता!!
राकेश की गंदी नज़र के उपर सुलेखा ने ध्यान नही दीया लैकीन रीतेश ने उसकी नज़र को ताड़ लीया था......
वो लोग जैसे ही अंदर पहुचे......एक कुर्सी पर एक 50 साल का सावलां सा आदमी बैठा था....! वो कुर्सी पर बैठ कर शराब पी रहा था, और उसके चारो तरफ़ लोग बंदूक लेकर खड़े थे!! जीसे देखकर सुलेखा डर जाती है.....
सुलेखा अपने हाथो से......रीतेश का हाथ पकड़ कर रीतेश से सट जाती है, रीतेश समझ जाता है की उसकी मां घबरा रही है!!
रमेश सीधा जाकर , सुलेमान के पैर पड़ता है। सुलेमान कुर्सी पर सो उठते हुऐ उसे अपने गले से लगाते हुए बोला-
सुलेमान - कैसा है मेरा शेर??
रमेश - एक दम मस्त भाई.....
और इधर राकेश की नजर.....बराबर सुलेखा को घुरे जा रही थी......उसकी नज़र सुलेखा की गहरी .....खबसुरत नाभी पर अटक गयी....जीसे इस बार सुलेखा भी ताड़ ली थी तो उसने अपनी नाभी को अपनी साड़ी से ढक दीया......हालाकी इस बार रीतेश ने राकेश की हरकत को नही दखा!!
चलो.......अदंर.....चलो........
कुछ लोग बदूकं की नली सटाये हुए....हेमा, रीया , वैभवी, शीतल, स्वेता , रुपा को अंदर ले आता है.....
सुलेखा जैसे ही इन सब को देखती है , घबरा जाती है......और इधर रमेश भी जैसे ही उन सब के उपर बदूंक तना हुआ देखता है, उसने कहा-
रमेश - बंदूक हटाओ तुम लोग.....ये सब लोग हमारे साथ ही है!!
रमेश के कहने पर वो लोग बंदूक हटा लेते है.....और इधर राकेश ने वैभवी को जैसे देखा वो अपना सुध - बुध खो बैठा!!
वो वैभवी के पास जाकर .......उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोला-
राकेश - अरे आप लोग घबराओ मत.....यहां आपको कोयी कुछ नही करेगा.....और इतना कहते ही उसने वैभवी के कंधे को सहलाते हुए दबा देता है.......जीससे वैभवी डर जाती है और उसकी आखों में आसूं आ जाते है........तभी एक जोर का तमाचा राकेश के कनपटी पर पड़ता है, राकेश करीब-करीब हवा में उछलते हूए दो चक्कर खा कर नीचे जमीन पर गीर जाता है.......और बेहोश हो जाता है........