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Erotica दोस्त की मम्मी

Premkumar65

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मैंने अपने कॉलेज के पहले साल में बनाया एक नया यार

नाम था उसका दीपक और था पढने में काफ़ी होशियार

यू एस मैं बस गए थे पिता जी पिछले कोई दस साल से

और यहाँ माँ बेटे को छोड़ दिया जीने को उनके हाल पे

मम्मी उसकी सरकारी दफ्तर में कुछ लगी थी करने जाब

पढ़ लिख कर कुछ बन जाउ दीपक का था अब ये ख्वाब

शुरू में कॉलेज में दीपक संग मेरी यारी मेरी थी मजबूरी

हर साल परीक्षा में पास होना में मेरे लिए था बहुत जरूरी

आये दिन कोई नई चूत ढूंढता हूँ मुझमें थी ये बड़ी ख़राबी

कॉलेज की कन्या हो वो कोई या हो कोई गदराई भाभी

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ब्याही हुई औरत को चोदने में मुझे मिलता था बड़ा सुरूर

लपक लपक के लौड़ा लेती बिस्तर पर मजा देती भरपूर

वही आजकल की ये नई लौंडिया तो शोर मचाती ज्यादा

जोर जोर से वो चिल्लाये जबकी अभी लंड गया हो आधा

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कई बार दीपक को मैंने ऐसे मौके पर चाहा साथ ले जाना

लेकिन हर बार वो मुझे मना कर देता कर के कोई बहाना

फ़िर धीरे धीरे कॉलेज मैं हम दोनों की गहरी हो गई यारी

पढाई के साथ अब काई विषयों पर होती थी बात हमारी

परीक्षा के दिन पास आ गए तो मेरी चिंता लगी थी बढ़ने

एक दिन अपनी किताब उठा मैं उसके घर जा पहुंचा पढ़ने

उसके कमरे में बैठ कर के हम दोनो फिर करने लगे पढाई

कुछ समय में उसकी मम्मी हाल जानने उस कमरे में आई

मेरे दिल की तो धड़कन रुक गई और आंखें मेरी पथराई

पलक झपकना ही भूल गया मैं जो मुझकोदिया दिखायी

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गोरा रंग गहरी आंखें और माथे पर एक छोटी सी बिंदिया

देख के रूप का ऐसा सागर कोई भी खो बैठेगा निंदिया

हर एक अंग से टपकता योवन और गांड थी अच्छी चौड़ी

और लाल चोली के पीछे छुपीहुई थी गोरे चूचो की जोड़ी

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देख ऐसा माल करारा मेरा लन अपना सर था लगा उठाने

रख एक तकिया अपनी गोद में अपने लन को लगा दबाने

दे हमको चाय नाश्ता वो मुड़ कर वापस लगी अब जाने

दरवाज़े पर रुक देखा मुझको और धीरे से लगी मुस्काने

घर वापस आकर मैं तो बस दीपक की मम्मी में था खोया

रात बिस्तर पर दो बार मुठ मार कर मैं उस रात को सोया

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Nice poetic story.
 

Premkumar65

Don't Miss the Opportunity
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Part 2

उस दिन से ही फिर चालू हो गया मेरा दीपक के घर ज़ाना

कोई ना कोई बहाना करके मैं वहां पंहुंच जाता था रोज़ाना

माई फ्रेंड्स हॉट मॉम मूवी लैपटॉप पर रात को रोज़ चलता

रेखा आंटी को सोच अपने ख्यालो में लंड को रोज़ हिलाता

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ना देखु रेखा आंटी तो बढे बेचैनी और देखु तो आये सुकुन

अपने ही दोस्त के माँ के लिए मेरा ऐसा बढ़ता गया जुनून

आंखें मेरी ढूंढे रेखा आंटी को जब भी दीपक के घर जाता

चूत तो लेकर रहूँगा आंटी की जल्दी दिल को मैं समझाता

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आंटी जब ऑफिस से वापस आती तो चुपके से मुझे निहारे

दीपक से नज़र बचा के अक्सर टकरा जाते थे नयन हमारे

बेफिक्री में मैंने देखा था आंटी को साड़ी का पल्लू सरकाते

उन उन्नत सुडोल चुचिओ का जी भर मुझको दीदार कराते


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कई बार जब शाम वो किचन में जाती बनाने रात का खाना

मैं भी जाकर उनके पास खड़ा हो जाता कर के कोई बहाना

चुचो की घाटी में जो घुस जाता माथे से बहता हुआ पसीना

अपने होठों से चाट लू उस को मन करता था मेरा कमीना

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कपडे सुखने जब वो जाती छत पर रहती थी उन पर आँख

लो कट चोली से झलकते मम्मे और बिन बालो की कांख

रहस्मयी नज़रों से देखने लगी थी आंटी मैंने किया था गौर

शायद रेखा आंटी ने मानो भाप लिया था मेरे मन का चोर

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एक बार रेखा आंटी को कंप्यूटर पर कुछ मैं लगा सिखाने

लिखतेलिखते अपनी कोहनी से मैं उनकी चुची लगा दबाने

समझ गई मेरी शरारत उस दिन आंटी और मंद मंद मुस्काई

गिरा के अपनी साड़ी का पल्लू चूचो की घाटी मुझे दिखाई

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ज़्यादा वक़्त लगे ना शायद अब उस को लाइन पे लाइन पे

उनको भीअब शायद मजा लगा था आने ऐसे मुझे सताने में

एक दिन पूछ लिया आंटी ने क्यों आगे पीछे फिरते हो मेरे

सचसच मुझे बता दो विक्रम जो भी चल रहा दिमाग में तेरे

उस दिन मुझको ऐसा लगा मेरे सपनों का महल लगा ढहने

फिर करके मज़बूत इरादा दिल मैं लगाआंटी को सब कहने

काली झुलफ़े नयन शराबी और आपकी कंचन सी काया

सुध बुध अपनी खो दी है मिल केआपसे अपना चैन गवाया

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ये तुम क्या सब बोल रहे हो कितनी घटिया है सोच तुम्हारी

मेरा जिस्म पाने को ही क्या तुमने मेरे बेटे से की थी यारी

आप से मिलने से पहले भी आंटी मैं और दीपक थे यार

लेकिन जब से देखा मैंने आपको आपसे कर बैठा हूं प्यार

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सच कहूँ रह कर दुर अब आपसे आंटी अब मेरा नहीं गुजारा

बस एक बार जोआप ना कह दो मैं आऊंगा ना यहां दोबारा

ये सब कुछ मुमकिन नहीं है विक्रम मैं हूं तेरे दोस्त की माता

हम दोनों के बीच में कोई ऐसा रिश्तामुझे समझ नहीं आता

मेरी आँखों में देख कर बोलो रेखा आंटी थाम के मेरा हाथ

अपनेजीवन में क्या नहीं चाहिए आपकोकिसी मर्द का साथ

दूध का जला इंसान छास भी पीने लगता है मार के फूँक

डर लगताहै फिर किसी को चुनने में मुझसे हो ना जाए चुक

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गलती नहीं थी आपकी कोई अब सोचो ना इससे ज्यादा

खुशिया भर दूंगा जीवन मैं आपकी बस इतना है मेरा वादा

पकड़ आंटी को कंधे से मैंने अपने चेहरे की और को मोड़ा

और उनके लाल सुर्ख गुलाबी होठों सेअपने होठों को जोड़ा

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पहले तो वो चुप खामोश खड़ी रही फिर लगी वो देने साथ

मौका देख मैंने भी उसके दोनों चूचो पे रख दिये अपने हाथ

कहीं सही ग़लत के चक्कर में पढ़ वो बदले ना अपनी सोच

हाथ घुसा कर पैंटी में आंटी की मैंने फुद्दी को लिया दाबोच

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मुझे पता था आंटी का डर और शर्म मिट गई जो एक बार

फ़िर अपने हाथों से पकड़ कर डालेगी चूत में मेरा औज़ार

तेरे साथ पाकरमेरे जीवन का कोरा कागज रंगीन हो रहा है

तुझे नहीं लगता ये इश्क का अपराध बहुत संगीन हो रहा है

रेखा बेश्क इश्क हो रहा है आपसे अब क्या ही किया जाए

तुम्ही बताओ रेखा रोक ले अब खुद को या होने दिया जाए

मेरे चेहरे को थाम के रेखा आंटी ने तब मेरी आँखों में देखा

पहले तो थी मैं तेरी रेखा आंटी थी अब आंटी से सीधी रेखा

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Woww very nice writing. Great update.
 
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Premkumar65

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Part 3

कभी-कभी मैं देख के मौका आंटी के कमरे में घुस जाता

चुम लेता सुर्ख लब को और उसके हर अंग को सहलाता

लेती वो जब कामुक अंगड़ाई मुझ पर ऐसा चढ़े जनून

फ़िर बस उसको बाहों में लेकरही मिलता था मुझे सुकून

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हर अंग उसका ढला सांचे में पर उसके चुचे बहुत थे भाते

जब भी मिलता था मुझको मौका वो जोर से मसले जाते

सच कहूँ मैं बड़ी मस्त इन चुचो की गोलिया और गहराई

इन्हें चूचो के बीच रख अपना लौड़ा करूंगा खूब रगड़ाई

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सुन तेरी जैसी उम्र में लड़के ज्यादा होते हैं निपट अनाड़ी

चोली में ही देख के औरत की चुची देते हैं मार पिचकारी

बिस्तर तक हम को लाने को तो वोह बातें बड़ी बनाते हैं

दो मिनट घुसा के चूत के अंदर झट से फूस्स हो जाते हैं

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औरो के जैसा नहीं हूं बिलकुल जरा देखो हाथ लगा के

एक बार बस तुम दे दो मौका रख दूंगा तेरी चुत सूजा के

लन पकड़ हाथ में बोली आंटी तो अकड़ रहा है ये इतना

जब बिस्तर पे मिलेंगे दोनों देखेंगे तब टिकता है कितना

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फ़िर दिन बीतने लगे ऐसे हीऔर मेरी चाहत लगी थी बढने

बस छेडछाड सा ज्यादा रेखा ना मुझे कुछ नहीं दिया करने

एक बार नहा के निकली आंटी बदन पर टावल लिपटा के

मैं लगा चूमने उसके नंगे बदन को दीवार से उनको सटा के

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रुई से नरम चूचो को मुट्ठी में भरकर मैं हाथो से लगा दबाने

उतार कर टावल पीछे से मैं आंटी की गांड भी लगा दबाने

इतनी सी चूमा चाटी से आंटी मैं कब तक बहलाउ यह मन

एक बार तो घुसा लेने दो रेखा अपनी चूत में मुझको ये ल

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इस से ज़्यादा कुछ कर नहीं सकते हम यहाँ हमारे घर पे

प्यार को अंजाम ना दे पाएंगे दोनों दीपक के आने के डर से

एक अच्छासा होटल बुक करवायो हम दोनो वहां पे जायेंगे

फ़िर इकदूजे को बाहों में लेकर कुछ अच्छा समय बिताएंगे

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अगले दिन शहर का सबसे बढ़िया होटल मैंने बुक करवाया

और होटल वाले को बोल के मैंने स्पेशल कमरा सजवाया

आंटी ने जो पहली थी साड़ी उसमें थे सुंदर से पोल्का डॉट

उस सफ़ेद साड़ी में भी तो आंटी आज लग रही थी पूरी हाट

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सच में उस दिन मैं दंग रह गया आंटी का देख के ऐसा रूप

सर्दी की एक हसीन सुबह जैसी खिली हो हल्की सी धूप

बोली आंटी जानभुझ के चुन मैने आज सफ़ेद रंग है पहना

मिलन से पहले मेरे पति के जीवन में कुछनहीं चाहिए रहना

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आज मैंने दीपक के पिताको अपने जीवन से दिया निकाल

आज अपनी सुहागरात के लिए साथ में लाई हूं जोड़ा लाल

फर्क नहीं कुछ पड़ता है मुझको तुम पहनो सफ़ेद या लाल

कुछ देर में पुरा कर दूंगा नंगा बोला आंटी के चुम के गाल

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great going. nice update.
 

Seema P Love

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Part 3

कभी-कभी मैं देख के मौका आंटी के कमरे में घुस जाता

चुम लेता सुर्ख लब को और उसके हर अंग को सहलाता

लेती वो जब कामुक अंगड़ाई मुझ पर ऐसा चढ़े जनून

फ़िर बस उसको बाहों में लेकरही मिलता था मुझे सुकून

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हर अंग उसका ढला सांचे में पर उसके चुचे बहुत थे भाते

जब भी मिलता था मुझको मौका वो जोर से मसले जाते

सच कहूँ मैं बड़ी मस्त इन चुचो की गोलिया और गहराई

इन्हें चूचो के बीच रख अपना लौड़ा करूंगा खूब रगड़ाई

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सुन तेरी जैसी उम्र में लड़के ज्यादा होते हैं निपट अनाड़ी

चोली में ही देख के औरत की चुची देते हैं मार पिचकारी

बिस्तर तक हम को लाने को तो वोह बातें बड़ी बनाते हैं

दो मिनट घुसा के चूत के अंदर झट से फूस्स हो जाते हैं

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औरो के जैसा नहीं हूं बिलकुल जरा देखो हाथ लगा के

एक बार बस तुम दे दो मौका रख दूंगा तेरी चुत सूजा के

लन पकड़ हाथ में बोली आंटी तो अकड़ रहा है ये इतना

जब बिस्तर पे मिलेंगे दोनों देखेंगे तब टिकता है कितना

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फ़िर दिन बीतने लगे ऐसे हीऔर मेरी चाहत लगी थी बढने

बस छेडछाड सा ज्यादा रेखा ना मुझे कुछ नहीं दिया करने

एक बार नहा के निकली आंटी बदन पर टावल लिपटा के

मैं लगा चूमने उसके नंगे बदन को दीवार से उनको सटा के

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रुई से नरम चूचो को मुट्ठी में भरकर मैं हाथो से लगा दबाने

उतार कर टावल पीछे से मैं आंटी की गांड भी लगा दबाने

इतनी सी चूमा चाटी से आंटी मैं कब तक बहलाउ यह मन

एक बार तो घुसा लेने दो रेखा अपनी चूत में मुझको ये ल

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इस से ज़्यादा कुछ कर नहीं सकते हम यहाँ हमारे घर पे

प्यार को अंजाम ना दे पाएंगे दोनों दीपक के आने के डर से

एक अच्छासा होटल बुक करवायो हम दोनो वहां पे जायेंगे

फ़िर इकदूजे को बाहों में लेकर कुछ अच्छा समय बिताएंगे

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अगले दिन शहर का सबसे बढ़िया होटल मैंने बुक करवाया

और होटल वाले को बोल के मैंने स्पेशल कमरा सजवाया

आंटी ने जो पहली थी साड़ी उसमें थे सुंदर से पोल्का डॉट

उस सफ़ेद साड़ी में भी तो आंटी आज लग रही थी पूरी हाट

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सच में उस दिन मैं दंग रह गया आंटी का देख के ऐसा रूप

सर्दी की एक हसीन सुबह जैसी खिली हो हल्की सी धूप

बोली आंटी जानभुझ के चुन मैने आज सफ़ेद रंग है पहना

मिलन से पहले मेरे पति के जीवन में कुछनहीं चाहिए रहना

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आज मैंने दीपक के पिताको अपने जीवन से दिया निकाल

आज अपनी सुहागरात के लिए साथ में लाई हूं जोड़ा लाल

फर्क नहीं कुछ पड़ता है मुझको तुम पहनो सफ़ेद या लाल

कुछ देर में पुरा कर दूंगा नंगा बोला आंटी के चुम के गाल

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Super se bhi Upar
 
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Try and fail. But never give up trying
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कभी-कभी मैं देख के मौका आंटी के कमरे में घुस जाता

चुम लेता सुर्ख लब को और उसके हर अंग को सहलाता

लेती वो जब कामुक अंगड़ाई मुझ पर ऐसा चढ़े जनून

फ़िर बस उसको बाहों में लेकरही मिलता था मुझे सुकून

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हर अंग उसका ढला सांचे में पर उसके चुचे बहुत थे भाते

जब भी मिलता था मुझको मौका वो जोर से मसले जाते

सच कहूँ मैं बड़ी मस्त इन चुचो की गोलिया और गहराई

इन्हें चूचो के बीच रख अपना लौड़ा करूंगा खूब रगड़ाई

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सुन तेरी जैसी उम्र में लड़के ज्यादा होते हैं निपट अनाड़ी

चोली में ही देख के औरत की चुची देते हैं मार पिचकारी

बिस्तर तक हम को लाने को तो वोह बातें बड़ी बनाते हैं

दो मिनट घुसा के चूत के अंदर झट से फूस्स हो जाते हैं

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औरो के जैसा नहीं हूं बिलकुल जरा देखो हाथ लगा के

एक बार बस तुम दे दो मौका रख दूंगा तेरी चुत सूजा के

लन पकड़ हाथ में बोली आंटी तो अकड़ रहा है ये इतना

जब बिस्तर पे मिलेंगे दोनों देखेंगे तब टिकता है कितना

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फ़िर दिन बीतने लगे ऐसे हीऔर मेरी चाहत लगी थी बढने

बस छेडछाड सा ज्यादा रेखा ना मुझे कुछ नहीं दिया करने

एक बार नहा के निकली आंटी बदन पर टावल लिपटा के

मैं लगा चूमने उसके नंगे बदन को दीवार से उनको सटा के

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रुई से नरम चूचो को मुट्ठी में भरकर मैं हाथो से लगा दबाने

उतार कर टावल पीछे से मैं आंटी की गांड भी लगा दबाने

इतनी सी चूमा चाटी से आंटी मैं कब तक बहलाउ यह मन

एक बार तो घुसा लेने दो रेखा अपनी चूत में मुझको ये ल

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इस से ज़्यादा कुछ कर नहीं सकते हम यहाँ हमारे घर पे

प्यार को अंजाम ना दे पाएंगे दोनों दीपक के आने के डर से

एक अच्छासा होटल बुक करवायो हम दोनो वहां पे जायेंगे

फ़िर इकदूजे को बाहों में लेकर कुछ अच्छा समय बिताएंगे

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अगले दिन शहर का सबसे बढ़िया होटल मैंने बुक करवाया

और होटल वाले को बोल के मैंने स्पेशल कमरा सजवाया

आंटी ने जो पहली थी साड़ी उसमें थे सुंदर से पोल्का डॉट

उस सफ़ेद साड़ी में भी तो आंटी आज लग रही थी पूरी हाट

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सच में उस दिन मैं दंग रह गया आंटी का देख के ऐसा रूप

सर्दी की एक हसीन सुबह जैसी खिली हो हल्की सी धूप

बोली आंटी जानभुझ के चुन मैने आज सफ़ेद रंग है पहना

मिलन से पहले मेरे पति के जीवन में कुछनहीं चाहिए रहना

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आज मैंने दीपक के पिताको अपने जीवन से दिया निकाल

आज अपनी सुहागरात के लिए साथ में लाई हूं जोड़ा लाल

फर्क नहीं कुछ पड़ता है मुझको तुम पहनो सफ़ेद या लाल

कुछ देर में पुरा कर दूंगा नंगा बोला आंटी के चुम के गाल

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Jabardast Mast Lajwab Update 🔥🔥
 
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parate123

CHUTON KA DEEWANA
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Ek dam mast hain kavita mein Puri kahani ka vadnan ka tarika anokha aur lajawab hain
 
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komaalrani

Well-Known Member
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कभी-कभी मैं देख के मौका आंटी के कमरे में घुस जाता

चुम लेता सुर्ख लब को और उसके हर अंग को सहलाता

लेती वो जब कामुक अंगड़ाई मुझ पर ऐसा चढ़े जनून

फ़िर बस उसको बाहों में लेकरही मिलता था मुझे सुकून

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हर अंग उसका ढला सांचे में पर उसके चुचे बहुत थे भाते

जब भी मिलता था मुझको मौका वो जोर से मसले जाते

सच कहूँ मैं बड़ी मस्त इन चुचो की गोलिया और गहराई

इन्हें चूचो के बीच रख अपना लौड़ा करूंगा खूब रगड़ाई

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सुन तेरी जैसी उम्र में लड़के ज्यादा होते हैं निपट अनाड़ी

चोली में ही देख के औरत की चुची देते हैं मार पिचकारी

बिस्तर तक हम को लाने को तो वोह बातें बड़ी बनाते हैं

दो मिनट घुसा के चूत के अंदर झट से फूस्स हो जाते हैं

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औरो के जैसा नहीं हूं बिलकुल जरा देखो हाथ लगा के

एक बार बस तुम दे दो मौका रख दूंगा तेरी चुत सूजा के

लन पकड़ हाथ में बोली आंटी तो अकड़ रहा है ये इतना

जब बिस्तर पे मिलेंगे दोनों देखेंगे तब टिकता है कितना

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फ़िर दिन बीतने लगे ऐसे हीऔर मेरी चाहत लगी थी बढने

बस छेडछाड सा ज्यादा रेखा ना मुझे कुछ नहीं दिया करने

एक बार नहा के निकली आंटी बदन पर टावल लिपटा के

मैं लगा चूमने उसके नंगे बदन को दीवार से उनको सटा के

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रुई से नरम चूचो को मुट्ठी में भरकर मैं हाथो से लगा दबाने

उतार कर टावल पीछे से मैं आंटी की गांड भी लगा दबाने

इतनी सी चूमा चाटी से आंटी मैं कब तक बहलाउ यह मन

एक बार तो घुसा लेने दो रेखा अपनी चूत में मुझको ये ल

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इस से ज़्यादा कुछ कर नहीं सकते हम यहाँ हमारे घर पे

प्यार को अंजाम ना दे पाएंगे दोनों दीपक के आने के डर से

एक अच्छासा होटल बुक करवायो हम दोनो वहां पे जायेंगे

फ़िर इकदूजे को बाहों में लेकर कुछ अच्छा समय बिताएंगे

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अगले दिन शहर का सबसे बढ़िया होटल मैंने बुक करवाया

और होटल वाले को बोल के मैंने स्पेशल कमरा सजवाया

आंटी ने जो पहली थी साड़ी उसमें थे सुंदर से पोल्का डॉट

उस सफ़ेद साड़ी में भी तो आंटी आज लग रही थी पूरी हाट

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सच में उस दिन मैं दंग रह गया आंटी का देख के ऐसा रूप

सर्दी की एक हसीन सुबह जैसी खिली हो हल्की सी धूप

बोली आंटी जानभुझ के चुन मैने आज सफ़ेद रंग है पहना

मिलन से पहले मेरे पति के जीवन में कुछनहीं चाहिए रहना

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आज मैंने दीपक के पिताको अपने जीवन से दिया निकाल

आज अपनी सुहागरात के लिए साथ में लाई हूं जोड़ा लाल

फर्क नहीं कुछ पड़ता है मुझको तुम पहनो सफ़ेद या लाल

कुछ देर में पुरा कर दूंगा नंगा बोला आंटी के चुम के गाल

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एक दो बातें हो तो कोई तारीफ करे,

एक तो इतनी छोटी सी कहानी में भी इतना लम्बा सिडक्शन का सीन, और इससे साफ़ पता चलता है की ज्यादा लिखने की जरूरत नहीं है सही शब्दों का चुनाव धीमी आंच का मजा दे देता है

और दूसरे उपमाएं, मंजरकशी, रेखा जी आँखों के सामने उतर जाएँ, चित्र न हों तो भी

" रुई से नरम चूचो को मुट्ठी में भरकर मैं हाथो से लगा दबाने"

हर अंग उसका ढला सांचे में पर उसके चुचे बहुत थे भाते

जब भी मिलता था मुझको मौका वो जोर से मसले जाते

सच कहूँ मैं बड़ी मस्त इन चुचो की गोलिया और गहराई

इन्हें चूचो के बीच रख अपना लौड़ा करूंगा खूब रगड़ाई


और इसी के साथ संवाद भी, बात चीत जो दोनों के मन की भी बात कहती हैं, तन की भी और कहानी को आगे भी बढ़ाती हैं

सुन तेरी जैसी उम्र में लड़के ज्यादा होते हैं निपट अनाड़ी
चोली में ही देख के औरत की चुची देते हैं मार पिचकारी
बिस्तर तक हम को लाने को तो वोह बातें बड़ी बनाते हैं

दो मिनट घुसा के चूत के अंदर झट से फूस्स हो जाते हैं


एक प्रौढ़ा की चाहत भी, और डर भी, सब इन लाइनों में आ गया और फिर एक जस्ट जवान मर्द का जोश उसके जवाब में

औरो के जैसा नहीं हूं बिलकुल जरा देखो हाथ लगा के

एक बार बस तुम दे दो मौका रख दूंगा तेरी चुत सूजा के

और हर चित्र पे एक्सप्रेशन कितना गजब है

अगले भाग का इन्तजार रहेगा




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arushi_dayal

Active Member
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एक दो बातें हो तो कोई तारीफ करे,

एक तो इतनी छोटी सी कहानी में भी इतना लम्बा सिडक्शन का सीन, और इससे साफ़ पता चलता है की ज्यादा लिखने की जरूरत नहीं है सही शब्दों का चुनाव धीमी आंच का मजा दे देता है

और दूसरे उपमाएं, मंजरकशी, रेखा जी आँखों के सामने उतर जाएँ, चित्र न हों तो भी

" रुई से नरम चूचो को मुट्ठी में भरकर मैं हाथो से लगा दबाने"

हर अंग उसका ढला सांचे में पर उसके चुचे बहुत थे भाते

जब भी मिलता था मुझको मौका वो जोर से मसले जाते

सच कहूँ मैं बड़ी मस्त इन चुचो की गोलिया और गहराई


इन्हें चूचो के बीच रख अपना लौड़ा करूंगा खूब रगड़ाई


और इसी के साथ संवाद भी, बात चीत जो दोनों के मन की भी बात कहती हैं, तन की भी और कहानी को आगे भी बढ़ाती हैं

सुन तेरी जैसी उम्र में लड़के ज्यादा होते हैं निपट अनाड़ी
चोली में ही देख के औरत की चुची देते हैं मार पिचकारी
बिस्तर तक हम को लाने को तो वोह बातें बड़ी बनाते हैं

दो मिनट घुसा के चूत के अंदर झट से फूस्स हो जाते हैं


एक प्रौढ़ा की चाहत भी, और डर भी, सब इन लाइनों में आ गया और फिर एक जस्ट जवान मर्द का जोश उसके जवाब में

औरो के जैसा नहीं हूं बिलकुल जरा देखो हाथ लगा के

एक बार बस तुम दे दो मौका रख दूंगा तेरी चुत सूजा के


और हर चित्र पे एक्सप्रेशन कितना गजब है

अगले भाग का इन्तजार रहेगा




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🙏🙏
 

arushi_dayal

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I am currently not in my home town so not getting sufficient time for new update. Posting a small update for my readers with a promise that a new update will be posted soon….

घुसते ही रेखा ने गले में डाल दिया अपनी बाहों का हार

मुझे लगा था फिर से पागल करने चुचो का सख्त उभार

मैंने उसके गर्दन और गालों पर कर दी चुम्बन की बौछार

और उसके नरम हाथों में दे दिया अपना खड़ा हथियार

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अपनी रेशमी साड़ी का पल्लू आंटी ने खुद ही दिया हटा

और मेरे सर को थाम के अपने नरम चुचो में दिया घुसा

चूस चूस के मैंने रेखा के चुचो को अच्छी तरह निचोडा

आंटी भी अपने हाथो में लेकर मेरा रही मसलती लौड़ा

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बिस्तर के कोने पर बिठा कर मैं लगा चूमने उसके पैर

आख़िर आज मैं निकल पड़ा जन्नत की करने को सैर

चूमते चूमते जैसे मैं आंटी की मांसल जांघों तक आया

कामरस से भीगी हुई उसकीचड्ढी मुझे होने लगी नुमाया

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समय लगा ना मुझे तनिक भी चड्ढी हल्की सरकाने में

चिप 2 करती चुत के फांको पर अपनी जीभ चलाने में

सच में क्या चीज़ रहेगी होगी तू अपनी भरपूर जवानी में

दो पैग का तो नशा अभी भी है आंटी तेरे चूत के पानी में

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मेरी उम्र पर मत जाना बेटा बोली रेखा लंड के मेरे मरोड़

तेरे जैसे को तो सिर्फ हाथ में लेकर देती हूं पूरा निचोड़

फिर अपने साथ चिपका उसका मैं लगा खोलने साया

लगा मचलने मेरी बाहों में उसका मस्त बदन गदराया

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लाल चोली और पैंटी में रेखा बरपा रही गजब कयामत

और देख रेखा का रूप ये कामुक लौड़े की आई शामत

बदन के दो कपडे भी आंटी के मुझे लगे थे लगने भारी

पहले खुली ब्रा आंटी की और फिर पैंटी भी गई उतारी

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जितना सोचा था आंटी के बारे में उस भी बढकर पाया

मस्त चुची व चूत देख सामने लंड और भी मेरा तन्नाया

खुद को रखना दुर इस हुस्न से अब रहा ना मेरे बस में

लड लगा रेखा की गांड पे मैंने दबोच लिया उसे कस के

रेखा बोली पकड़ कर मुझको अब देर ना कर मेरे राजा

ले चल मुझको बिस्तर पर और बजा दे चूत का बाजा

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