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ये कहानी तो आप सबने बचपन में पढ़ी ही होगी, एक प्रसिद्ध लेखक की कहानी तो चलो एक और बार और पढ़ लो कुछ नए और आधुनिक तड़के के साथ।
मेले का दिन था। गांव में सुबह से ही चहल-पहल मची हुई थी। बच्चे नए कपड़े पहने, अपने-अपने दोस्तों के साथ मेला जाने के लिए तैयार हो रहे थे। गांव की लड़कियां भी तैयार थीं कोई अपने बाल संभाल रहा था तो कोई अपने कुर्ते पर हाथ फेरता। सबकी आंखों में खुशी और होठों पर मुस्कान थी।
हमिद भी अपने दोस्तों के साथ मेला जाने के लिए तैयार था। क्योंकि अब वो 19 साल का हो चुका था तो इस बार पहली बार अकेला अपने दोस्तों के साथ मेला घूमने जा रहा था, इस से पहले वो अक्सर अपनी दादी के साथ ही जाया करता था, मां का देहांत तो बचपन में ही हो चुका था, और उसके पिता भी उसे छोड़कर चले गए थे।
अब बात करें हामिद की दादी अमीना की तो अमीना वैसे तो 56 वर्ष की थी लेकिन फिर भी अपनी उम्र से कहीं अधिक जवान और आकर्षक दिखती थीं। पतली कमर, सुतवां नाक, बड़ी-बड़ी चमकती आंखें और गोरा, निखरा हुआ रंग। उनके बाल अब सफेद हो चले थे, लेकिन हमेशा करीने से बंधे रहते।
अमीना के शौहर का देहांत तो कई साल पहले हो गया था फिर कुछ साले बाद उसकी बहू हामिद की अम्मी की भी मौत हो गई और उसका इकलौता बेटा अपनी मां और बेटे को छोड़ कर शहर चला गया उसके बाद अमीना ने हामिद को पाल पोस के बड़ा किया।
अब बात करे अमीना की सेक्स लाइफ की तो उसकी सेक्स लाइफ वैसी ही थी जैसी हर गांव की महिला की उनके पति के जाने के बाद होती है, मतलब गाजर मूली और खीरा ही उसका सहारा था।
लेकिन उसे ये सब हामिद से छिप कर करना पड़ता था और अक्सर वो मौका ढूंढती थी कि हामिद जब घर से बाहर जाए तो वो अपनी मुनिया के साथ खेले जो लगभग कम ही होता था क्योंकी हामिद घर से कम ही बाहर जाता था लेकिन आज उसे अपनी मुनिया से जी भर खेलने का मौका मिला जब हामिद ने मेले में जाने को कहा।
अमीना ने आज पहली बार हामिद को मेले में अकेले अपने दोस्तों के साथ जाने को कहा जिस से वो भी अकेले अपनी मुनिया के साथ खेले और उसे गाजर, मूली का स्वाद चखाए।
मेला गांव से तीन मील दूर था। हमिद और उसके दोस्त, मोहसिन, नूरे, समी और मेहदी, रास्ते में बातें करते जा रहे थे।
मोहसिन ने कहा, "भाई मैने तो सोच लिया है इस बार 1500 रुपए मिले हैं, मैं तो इस बार मस्त सी रंडी चोदूंगा।"
समी : "मैं तो इस बार जापानी तेल लेने की सोच रहा हूं बस देखते जा फिर कैसे गांव की सारी औरतों को चोदूंगा।"
मेंहदी : "हामिद तूने क्या सोचा है? तू क्या करेगा?"
हमिद चुपचाप सुनता रहा। वह सोच रहा था कि 700 रुपए में वह क्या खरीद सकता है।
थोड़ी ही देर में वो लोग मेले में पहुंच गए, वहां अलग ही माहौल एक दो जगह पर स्टेज पर रंडिया नाच रही थीं और गांव वाले उनके डांस के मजे ले रहे थे। मोहसिन भी वहीं पहुंच गया।
थोड़ी आगे जाकर देखा तो वहां कुछ शहर से कुछ नई लड़कियां आई थी जो बिकनी में थी और दारू और सिगरेट बेच रही थी।
हामिद का ये सब देख कर मन कर रहा था कि वो भी रंडी चोदे सेक्सी लड़कियों के हाथों से दारू पीए।
लेकिन वो अपने पैसे ऐसे बर्बाद नहीं करना चाहता था वो कुछ ऐसे की खोज में था कि जो उसके काम आए तभी उसकी नजर एक दुकान पर गई जहां पर कुछ अलग खिलौने बिक रहे थे जहां लड़कियों और औरतों की भीड़ लगी थी
उसकी नज़र एक दुकान पर पड़ी, जहाँ औरतों और लड़कियों की भीड़ जमा थी।
वहां से दुकानदार की आवाज आ रही थी....
"अरे आओ आओ, नज़दीक आओ!
अपने दिल को ख़ुश करो, पति को भूल जाओ।"
वो दुकान के थोड़ी करीब गया उसे एक और शायरी सुनाई दी
"ले जाओ ऐसा खिलौना,
जो खोल दे शरीर का हर कोना कोना"
हमीद को ये "खिलौने" समझ में नहीं आ रहे थे। उसने ध्यान से देखा तो दुकान में अजीबोगरीब आकार के चमकते हुए सामान सजाए हुए थे। कुछ औरतें झेंपते हुए दुकान के अंदर जा रही थीं, और कुछ अपनी सहेलियों से खुसुर-फुसुर कर रही थीं।
दुकानदार और भी ऊंची आवाज़ में कहने लगा:
"घर का हर ग़म भूल जाएंगी,
जो हमारा खिलौना अपनाएंगी!"
हमीद अपनी मासूमियत में सोचने लगा, "क्या ये सच में खिलौने हैं? लेकिन इतने अजीब से क्यों दिखते हैं? और लोग इन्हें इतनी चुपके से क्यों खरीद रहे हैं?"
"पुराने ग़म मिटाइए,
नए जोश से घर सजाइए।"
जैसे ही वह दुकान के पास पहुंचा और पूछा जी क्या बेच रहे हो, तो वहां खड़ी औरतें उसे देख कर मुस्कुरा रही थी और आपस में खुसुर फुसुर कर रही थी।
दुकानदार ने उसे देखा और मुस्कुराते हुए बोला,
दुकानदार: "अरे भैया, ये आपके काम के नहीं हैं। हां, अगर घर में कोई महिला है तो बताओ।"
हामिद :"हां, मेरी दादी हैं।"
दुकानदार ने चुटकी लेते हुए कहा, "तो दादी अकेली हैं क्या?"
हामिद : "हां, अकेली हैं।"
दुकानदार हंसते हुए थोड़ा पास आया और धीरे से बोला,
दुकानदार: "तो फिर भाई, ये खिलौने आपके लिए ही हैं। ये खिलौने गाजर-मूली की जगह औरतें खुद को खुश करने के लिए इस्तेमाल करती हैं।"
हमीद की आंखें चौड़ी हो गईं। उसे याद आया कि उसकी दादी भी तो घर में अकेले छिप कर खुद को मजे देती थी और दादी हमेशा गाजर, मूली का उपयोग करती थी।
उसने सोचा क्या दादी के लिए ये खिलौना ले जाना सही होगा क्या वो इसे लेगी और कहीं उस से गुस्सा तो नहीं हो जाएगी, लेकिन उसने ठान लिया अगर दादी गुस्सा हो जाए तो हो जाए लेकिन वो ये खिलौना दादी के लिए लेकर जाएगा जिस से कम से कम दादी तो खुश रहें।
हामिद : "अच्छा भाई, दादी के लिए सबसे अच्छा खिलौना कौन सा है?"
दुकानदार ने मुस्कुराते हुए एक बैगनी रंग का बड़ा डिल्डो निकाला और बोला, "भाई, ये देखो। ये सबसे बेस्ट मॉडल है। इसकी डिमांड सबसे ज्यादा है"
हामिद : (हिचकिचाते हुए): "ये कितने का है?"
दुकानदार: "सिर्फ 700 रुपये।"
हामिद ने सोचा कि दादी को खुश करना है, लेकिन कीमत थोड़ी ज्यादा है। उसने मोल-भाव करने की ठानी।
हामिद : "भाई 500 में देना हो तो बताओ।"
दुकानदार : "भाई 500 तो कम है लेकिन फिर भी तुम्हारी दादी के लिए ले लो।"
तो बस हामिद वो डिल्डो लेकर उसे बैग में छिपा कर पहुंचता है अपने दोस्तो के पास उसके दोस्त उस से पूछते है तो वो बताता है कि दादी के लिए कुछ लिया है।
और फिर वो लोग मेला घूम कर गांव की ओर निकल पड़ते हैं।
मेले का दिन था। गांव में सुबह से ही चहल-पहल मची हुई थी। बच्चे नए कपड़े पहने, अपने-अपने दोस्तों के साथ मेला जाने के लिए तैयार हो रहे थे। गांव की लड़कियां भी तैयार थीं कोई अपने बाल संभाल रहा था तो कोई अपने कुर्ते पर हाथ फेरता। सबकी आंखों में खुशी और होठों पर मुस्कान थी।
हमिद भी अपने दोस्तों के साथ मेला जाने के लिए तैयार था। क्योंकि अब वो 19 साल का हो चुका था तो इस बार पहली बार अकेला अपने दोस्तों के साथ मेला घूमने जा रहा था, इस से पहले वो अक्सर अपनी दादी के साथ ही जाया करता था, मां का देहांत तो बचपन में ही हो चुका था, और उसके पिता भी उसे छोड़कर चले गए थे।
अब बात करें हामिद की दादी अमीना की तो अमीना वैसे तो 56 वर्ष की थी लेकिन फिर भी अपनी उम्र से कहीं अधिक जवान और आकर्षक दिखती थीं। पतली कमर, सुतवां नाक, बड़ी-बड़ी चमकती आंखें और गोरा, निखरा हुआ रंग। उनके बाल अब सफेद हो चले थे, लेकिन हमेशा करीने से बंधे रहते।
अमीना के शौहर का देहांत तो कई साल पहले हो गया था फिर कुछ साले बाद उसकी बहू हामिद की अम्मी की भी मौत हो गई और उसका इकलौता बेटा अपनी मां और बेटे को छोड़ कर शहर चला गया उसके बाद अमीना ने हामिद को पाल पोस के बड़ा किया।
अब बात करे अमीना की सेक्स लाइफ की तो उसकी सेक्स लाइफ वैसी ही थी जैसी हर गांव की महिला की उनके पति के जाने के बाद होती है, मतलब गाजर मूली और खीरा ही उसका सहारा था।
लेकिन उसे ये सब हामिद से छिप कर करना पड़ता था और अक्सर वो मौका ढूंढती थी कि हामिद जब घर से बाहर जाए तो वो अपनी मुनिया के साथ खेले जो लगभग कम ही होता था क्योंकी हामिद घर से कम ही बाहर जाता था लेकिन आज उसे अपनी मुनिया से जी भर खेलने का मौका मिला जब हामिद ने मेले में जाने को कहा।
अमीना ने आज पहली बार हामिद को मेले में अकेले अपने दोस्तों के साथ जाने को कहा जिस से वो भी अकेले अपनी मुनिया के साथ खेले और उसे गाजर, मूली का स्वाद चखाए।
मेला गांव से तीन मील दूर था। हमिद और उसके दोस्त, मोहसिन, नूरे, समी और मेहदी, रास्ते में बातें करते जा रहे थे।
मोहसिन ने कहा, "भाई मैने तो सोच लिया है इस बार 1500 रुपए मिले हैं, मैं तो इस बार मस्त सी रंडी चोदूंगा।"
समी : "मैं तो इस बार जापानी तेल लेने की सोच रहा हूं बस देखते जा फिर कैसे गांव की सारी औरतों को चोदूंगा।"
मेंहदी : "हामिद तूने क्या सोचा है? तू क्या करेगा?"
हमिद चुपचाप सुनता रहा। वह सोच रहा था कि 700 रुपए में वह क्या खरीद सकता है।
थोड़ी ही देर में वो लोग मेले में पहुंच गए, वहां अलग ही माहौल एक दो जगह पर स्टेज पर रंडिया नाच रही थीं और गांव वाले उनके डांस के मजे ले रहे थे। मोहसिन भी वहीं पहुंच गया।
थोड़ी आगे जाकर देखा तो वहां कुछ शहर से कुछ नई लड़कियां आई थी जो बिकनी में थी और दारू और सिगरेट बेच रही थी।
हामिद का ये सब देख कर मन कर रहा था कि वो भी रंडी चोदे सेक्सी लड़कियों के हाथों से दारू पीए।
लेकिन वो अपने पैसे ऐसे बर्बाद नहीं करना चाहता था वो कुछ ऐसे की खोज में था कि जो उसके काम आए तभी उसकी नजर एक दुकान पर गई जहां पर कुछ अलग खिलौने बिक रहे थे जहां लड़कियों और औरतों की भीड़ लगी थी
उसकी नज़र एक दुकान पर पड़ी, जहाँ औरतों और लड़कियों की भीड़ जमा थी।
वहां से दुकानदार की आवाज आ रही थी....
"अरे आओ आओ, नज़दीक आओ!
अपने दिल को ख़ुश करो, पति को भूल जाओ।"
वो दुकान के थोड़ी करीब गया उसे एक और शायरी सुनाई दी
"ले जाओ ऐसा खिलौना,
जो खोल दे शरीर का हर कोना कोना"
हमीद को ये "खिलौने" समझ में नहीं आ रहे थे। उसने ध्यान से देखा तो दुकान में अजीबोगरीब आकार के चमकते हुए सामान सजाए हुए थे। कुछ औरतें झेंपते हुए दुकान के अंदर जा रही थीं, और कुछ अपनी सहेलियों से खुसुर-फुसुर कर रही थीं।
दुकानदार और भी ऊंची आवाज़ में कहने लगा:
"घर का हर ग़म भूल जाएंगी,
जो हमारा खिलौना अपनाएंगी!"
हमीद अपनी मासूमियत में सोचने लगा, "क्या ये सच में खिलौने हैं? लेकिन इतने अजीब से क्यों दिखते हैं? और लोग इन्हें इतनी चुपके से क्यों खरीद रहे हैं?"
"पुराने ग़म मिटाइए,
नए जोश से घर सजाइए।"
जैसे ही वह दुकान के पास पहुंचा और पूछा जी क्या बेच रहे हो, तो वहां खड़ी औरतें उसे देख कर मुस्कुरा रही थी और आपस में खुसुर फुसुर कर रही थी।
दुकानदार ने उसे देखा और मुस्कुराते हुए बोला,
दुकानदार: "अरे भैया, ये आपके काम के नहीं हैं। हां, अगर घर में कोई महिला है तो बताओ।"
हामिद :"हां, मेरी दादी हैं।"
दुकानदार ने चुटकी लेते हुए कहा, "तो दादी अकेली हैं क्या?"
हामिद : "हां, अकेली हैं।"
दुकानदार हंसते हुए थोड़ा पास आया और धीरे से बोला,
दुकानदार: "तो फिर भाई, ये खिलौने आपके लिए ही हैं। ये खिलौने गाजर-मूली की जगह औरतें खुद को खुश करने के लिए इस्तेमाल करती हैं।"
हमीद की आंखें चौड़ी हो गईं। उसे याद आया कि उसकी दादी भी तो घर में अकेले छिप कर खुद को मजे देती थी और दादी हमेशा गाजर, मूली का उपयोग करती थी।
उसने सोचा क्या दादी के लिए ये खिलौना ले जाना सही होगा क्या वो इसे लेगी और कहीं उस से गुस्सा तो नहीं हो जाएगी, लेकिन उसने ठान लिया अगर दादी गुस्सा हो जाए तो हो जाए लेकिन वो ये खिलौना दादी के लिए लेकर जाएगा जिस से कम से कम दादी तो खुश रहें।
हामिद : "अच्छा भाई, दादी के लिए सबसे अच्छा खिलौना कौन सा है?"
दुकानदार ने मुस्कुराते हुए एक बैगनी रंग का बड़ा डिल्डो निकाला और बोला, "भाई, ये देखो। ये सबसे बेस्ट मॉडल है। इसकी डिमांड सबसे ज्यादा है"
हामिद : (हिचकिचाते हुए): "ये कितने का है?"
दुकानदार: "सिर्फ 700 रुपये।"
हामिद ने सोचा कि दादी को खुश करना है, लेकिन कीमत थोड़ी ज्यादा है। उसने मोल-भाव करने की ठानी।
हामिद : "भाई 500 में देना हो तो बताओ।"
दुकानदार : "भाई 500 तो कम है लेकिन फिर भी तुम्हारी दादी के लिए ले लो।"
तो बस हामिद वो डिल्डो लेकर उसे बैग में छिपा कर पहुंचता है अपने दोस्तो के पास उसके दोस्त उस से पूछते है तो वो बताता है कि दादी के लिए कुछ लिया है।
और फिर वो लोग मेला घूम कर गांव की ओर निकल पड़ते हैं।
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