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Incest तीनो की संमति से .....

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Funlover

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मेरे सभी पाठको को से एक नम्र निवेदन आवेदन अरजी request या फिर जो भी आप समजते है

आप मेरी द्वारा लिखी गई कहानी आप को मनोरंजन देती है मै नहीं

कृपया मुझे अपना मनोरंजन का साधन ना समजे उसी में सब की भलाई है ( मेरी भी और आपकी भी)

अपने आप को कंट्रोल में रखना आप का काम है मेरा नहीं

जैसे आप कहानी पढ़ के मनोरंजित होते है वैसे ही दूसरी महिलाए भी अपने आप को मनोरंजीत करने आती है अपनी नुमाईश या अपने शरीर द्वारा आप का मनोरंजन करने नहीं

महिलाओं को अभी उतना ही हक है जितना आपको है महिला को सन्मान दीजिये


अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो आप को निवेदन है की मेरा ये थ्रेड आपके लिए उचित नहीं है .............................

आप कहानी पे किसी भी पात्र पे कोई भी कोमेंट करे लेकिन लिखनेवाले पे नहीं ..........

आप की हर कोमेंट आवकार्य है बस थोडा सा कंट्रोल के साथ ....


आप सब की आभारी हु ......
 
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दीदी की शर्ट के ऊपर वाले 2 बटन अभी भी खुले थे | उनमें से नज़र आ रही गोरी चूचियां मेरी हवस को और हवा दे रही थीं | मेरा ध्यान दीदी के बूब्स पर ही था और मैं ऐसे ही पॉकेट में हाथ डाले लंड को मसलता हुआ दीदी के साथ चल रहा था | फिर कुछ देर बाद मैंने कहा “दीदी अब तो शर्ट के बटन तो बंद कर लो” |
दीदी “तू अपना काम कर ओके, मुझे पता है क्या करना है” |

वो मुझ पे भड़क रही थी तो सामने से टीचर आ गया | दीदी के बाहर झाँक रही चुचियों पे उनकी सीधी नज़र गई और वो अपने होंठों को गोल होने से रोक ना सके | मुंह से एक आवाज़ निकली जैसे बहुत तेज मिर्ची खाने के बाद हमारे मुंह से निकलती है “इइसस्स्स्स्सस्स” |

दीदी स्माइल के साथ उन्हें “गुड मॉर्निग सर” कह के आगे बढ़ गई |

साली मेरी ही किस्मत खराब थी बाकी सब को पूजा दीदी का साथ मिल रहा था बस मैं ही तरस रहा था |

कुछ दिन बाद मैं अपने दोस्तो के साथ फ्री पीरियड में ग्राउंड में जाके बेठ गया | मैंने दूसरी ग्राउंड में नज़र मारी तो वहाँ पहले ही कुछ लोग बैठे थे और कुछ खेल रहे थे | ग्राउंड में एक साइड पे 1 चेयर रखी थी | उस पे टीचर बैठे थे | उनके आस पास कुछ ओर स्टूडेंट्स भी बैठे थे | मैं और मेरे दोस्त उस तरफ चल दिए | उनमें मेरा दोस्त मोहित भी साथ था | हम सब टीचर के पीछे जा के खड़े हो गये | सामने दीदी एक लड़की के साथ बैडमिंटन खेल रही थी | दीदी जैसे जैसे उछल कूद कर रही थी | उसके धइले भी आसमान और जमीन को छू ने की प्रेक्टिस कर रहे थे, भी वैसे ही अप डाउन हो रहे थे और कभी कभी जब दीदी जंप लगा के हिट करती तो स्कर्ट के नीचे से गोरी लंबी टांगों के ऊपर ब्लैक कलर की पेंटी भी नज़र आ जाती थी | मेरे ख्याल से सब लोग दोनो लड़कियों के सेक्सी जिस्म की उछल कूद का मज़ा ले रहे थे | ना कि गेम का | मेरे दोस्त ओर मैं हम सब भी यह सब देखने लगे |

फिर मोहित बोला “दीपक उसके बोल्स देख, केसे उछाल रहे हैं”

मैंने कहा, “साले चूतिये पूजा दीदी है” |

मोहित, “सॉरी यार,एक बात बोलूं , गुस्सा तो नही करेगा”

मैंने कहा, “बोल” | मुझे पता था कि वो क्या बोलने वाला है लेकिन मुझे उसके मुंह से सुनके और भी मज़ा लेना था |

मोहित “यार देख गुस्सा मत होना, लेकिन जो बात सच है वो सच है” |

मैंने कहा “कुछ बोलेगा या नहीं” |

मोहित “देख तुझे खराब लगेगा, लेकिन यार पूजा दीदी बहुत सेक्सी माल है, कितने लड़के उसके पीछे लगे हैं , तू क्या सोचता है कि यह सब लोग बैडमिंटन की गेम देखने के लिए बैठे हैं!!! , सब पूजा दीदी की टांगें और धाये देखने बैठे हैं, और उसमे मै भी शामिल हु| यार जब पूजा दीदी उछल उछल कर शॉट लगाती है तो देख पूजा दीदी के मोटे मोटे धइले कैसे उछल रहे हैं और पूरे स्कूल के लड़कों ने पूजा दीदी का नाम सेक्सी माल रखा हुआ है” | शायद तुम्हे पता नहीं तो मै बता देता हु|

‘और देख बहन तो बाद में होती है फिर मेरी हो या तेरी पहले तो चूतवाली है और उस चूत को कोई तो चोदेगा ही देख बुरा मत मान पर यही सच है और जो माल है सो है तेरी बहन सेक्सी है तो उसमे क्या बुरा है उसको देख के लंड तो खड़ा होगा ही चाहे किसी का और कोई भी हो| उसने मेरे लंड के उभार की ओर नजर करते हुए|

साले बहनचोद की बात तो सही थी मेरा भी तो लंड कहा काबू में होता है दीदी की गांड को देख के

वैसे मेरी पहली पसंद तो कोई और ही है जो किसी को नहीं पता

यह सब मुझे तो पहले ही पता था | लेकिन उसके मुंह से सुनने में और मज़ा आ रहा था लेकिन एक्टिंग करनी भी ज़रूरी थी क्योंकि आख़िर वो सेक्सी माल मेरी बड़ी बहन थी | फिर मैंने मोहित को कहा “साले तू ऐसे कैसे बोल रहा वो मेरी बड़ी बहन है” |

मोहित “हाँ यार इसलिए तो तुझे बता रहा हूँ , एक बात और भी है , लेकिन छोड़ , तू सच में गुसा हो जाएगा” |

मैंने कहा “साले इतना कुछ तो पहले ही बोल चुका है, अगर फिर भी कुछ बाकी है तो बोल ले ” या फिर मेरी गांड ही मार ले

मोहित “देख पूजा तेरी बहन है, मुझे पता है , मेरी भी बहन जैसी ही है , लेकिन वो सच में इतनी सेक्सी है कि मुझे रोज़ उसके नाम पे 1-2 बार मुट्ठ मारनी पडती है” |
मैं “साले क्या बकवास कर रहा तू” | मादरचोद

मोहित “चल छोड़ , कोई और बात कर , मुझे पता था तू गुस्सा करेगा” | कुछ टाइम के बाद हमारे बाकी दोस्त मोहित को बोले “मोहित हम टाय्लेट जा रहे हैं, तुझे भी आना है या अभी और मैच देख के आएगा” यह कह के वो हंसने लगे |

मोहित ने स्माइल करते ना जाने के लिए सर हिला दिया और उनके जाने के बाद मोहित फिर मुझे बोला, “दीपक तुझे पता है यह सब टाय्लेट क्यों गए, सब मुट्ठ मारने गए हैं, सब टाय्लेट में जाकर पूजा दीदी को याद करके मुट्ठ मरेंगे” | वो भी मजा लेते हुए बोला “ या यु कह के सब पूजा दीदी को वहा चोद ने गए है”

मैं चुप रहा लेकिन मुझे मोहित की हालत भी समझ आ रही थी और खुद की भी | मैं तो पूजा दीदी का सगा भाई होने के बावज़ूद कंट्रोल नहीं कर रहा था | बाकी सब की तो बात ही अलग थी | और बहेन की लोडी दीदी को भी सेक्सी दिखने का बहुत शौक था | उसे शॉर्ट स्कर्ट पहनने का बड़ा शौंक था | उसकी फिगर और लिप्स हॉलीवुड हीरोइन एंजला जोली के जैसे थे | वो अपने आप को कैटरीना कैफ़ के साथ कंपेयर करती थी | उसका 5.7” लंबा गोरा जिस्म, कैटरीना से कम भी नहीं था | जब वो पंजाबी सूट के साथ पटियाला सलवार पहनती तो सभी पीछे मुड़ मुड़ के देखते थे और जब जीन्स और टॉप पहनती तो उसका एक एक अंग तीर की तरह चूभता था | जब कभी वो शॉर्ट स्कर्ट पहनती तो मैं शॉर्ट स्कर्ट में उसके झुक के कोई चीज़ उठाने का इंतज़ार करता रहता | जिस से दीदी की पेंटी नज़र आ सके | 1-2 बार मैंने देखा कि जब उसने जीन्स के साथ कमर के ऊपर तक का स्माल टॉप पहना होता तो उसे देखके मेरी तो हालत खराब होती ही थी मगर मेरी नज़र भी उसकी तरफ बार बार जाती थी | लेकिन लाख कोशिश के बाद भी मुझसे कुछ नही हो पा रहा था | अपनी बहन को चोदने के लिए किसी की अड्वाइज़ भी तो नहीं ले सकता था | जब भी मैं दीदी के बूब्स को या उसके जिस्म के किसी भी हिस्से को सहला के सिड्यूस करने की कोशिश करता तो वो मुझे डांट देती,

”दीपू क्या कर रहा है, दिमाग़ सही है तेरा” | ?

मैं डर जाता और काँपने लगता और कुछ भी ना कर पाता | अब कई बार मैं सोचता हूँ कि जितना एक्सपीरियेन्स लड़की को सिड्यूस करने और चोदने का मुझे अब है अगर तब होता तो बहुत आसानी से दीदी को उसी वक़्त चोद देता शायद जब मैं दीदी को सिड्यूस करने की कोशिश करता था तो उसपे भी असर होता था और वो इस लिए डांट देती थी कि कहीं वो आउट ऑफ कंट्रोल होके अपने छोटे भाई के साथ कुछ कर ना बैठे और मेरी बात बनते बनते बिगड़ जाती थी |

अब मुझे लग रहा है कि उस वक़्त की मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी मेरी घबराहट और डर था और कुछ भी नहीं | एक बार मेरे एग्जाम चल रहे थे | मैं और दीदी दोनो एक रूम में सोते थे | बेड अलग अलग थे लेकिन रूम एक ही था | मैं पढ़ रहा था और दीदी सो रही थी | रात काफ़ी हो चुकी थी | पढ़ते पढ़ते मेरी नज़र दीदी के जिस्म की तरफ गई | उसका चेहरा मेरी तरफ था | उसने मेरी तरफ करवट ले रखी थी | उसकी छाती के पहाड़ की गहरी खाई और पिंक लिप्स देखके पता नहीं कब मेरा मूड फिर बनना शुरू हो गया | उसके धइले की खाई मुझे नाईटी में से साफ़ नजर आ रही थी| मैं धीरे धीरे पागल हो रहा था | मैं दीदी की तरफ देखता रहा और अपने ट्राउज़र के अंदर हाथ डाल के अपने खड़े लंड को हिलाना शुरू कर दिया |

मैंने धीरे से बोला, “दीदी....... दीदी” |

उसने जवाब नहीं दिया | मुझे लग रहा था कि दीदी जाग रही है और सोने की एक्टिंग कर रही है | मैंने बुक साइड पे रखी और शॉर्ट्स से अपना लंड बाहर निकाल के स्ट्रोक करना शुरू कर दिया | मेरे दिमाग़ में ऐसा था कि दीदी सोने की एक्टिंग करती सब कुछ देख रही है और मैं भी उसे सब कुछ दिखाना चाहता था |

अगर आपको यह कहानी पसंद आये तो कमेंट जरुर दीजिएगा ...........
 

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मैंने अपना लण्ड हाथ में पकड़ा और दीदी के बेड के नज़दीक चला गया, फिर उसके चेहरे के करीब खड़ा होकर मैंने मूठ मारना शुरू कर दिया।

एक बार फिर तसल्ली करने के लिये मैंने दीदी को बुलाकर चेक किया-“दीदी, दीदी…”

वो नहीं बोली, तो मैंने धीरे-धीरे अपने लण्ड की टोपी दीदी के होंठों से छुआ दी। मेरे लण्ड से निकला प्री-वीर्य दीदी के होंठ पे लग गया।

और उस लूबिकैंट से दीदी के होंठ और मेरे लण्ड में एक ग्लू जैसा, पतले तार जैसा कनेक्शन बन गया। मैं मूठ मारे जा रहा था, दिल चाह रहा था कि उसका नाइट सूट उतारकर अपना लण्ड उसके अंदर कर दूं। लेकिन डरता भी था, कि अगर जाग गई तो पता नहीं क्या हो जायगा?

मेरा दिल चाह रहा था कि दीदी का टाप उठाकर उसके पेट और चूचियों को किस करूँ, उसकी चूत चाटूं, लेकिन इतनी बहादुरी किधर से लाता? मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे बहुत भूख के टाइम पे मुझे टाप क्लास मिठाई की दुकान में बंद कर दिया हो, लेकिन किसी भी चीज़ को खाने का हुकुम ना हो। मेरे सामने हाट केक पड़ा था लेकिन टच तक नहीं कर सकता था।

फिर दीदी ने हल्की सी अंगड़ाई के साथ अपना जिश्म सीधा कर लिया और अपने दोनों हाथ पेट पे रख लिए। अब उभरी हुए चूचियां गले की तरफ से आधी नंगी नज़र आ रही थीं, बाकी का टाप चूचियों के नीचे एकट्ठा होने की वजह से गोरी-गोरी नाभि भी सॉफ नज़र आ रही थी। दीदी के ट्राउजर की इलास्टिक के साथ-साथ थोड़ी सी गुलाबी कलर की पैंटी की इलास्टिक भी नज़र आ रही थी। बस अब कंट्रोल करना मुश्किल था, तो मैंने अपनी मूठ मारने की स्पीड तेज और तेज कर दी।

सामने पड़ा दीदी का गोरा बदन देखकर मेरे लंड से पानी निकलने में ज्यादा टाइम नहीं लगा। मैं दायें हाथ से मूठ मार रहा था और जब मेरा पानी निकलने लगा तो मैंने अपना बायां हाथ आगे करके लण्ड के पानी को दीदी के ऊपर गिरने से रोकने की कोशिश की, लेकिन फिर भी मेरी पिचकारी से 3-4 बूँद दीदी के टाप पे गिर गई। मैं जल्दी से लण्ड पकड़े सीधा अटैच्ड टायलेट में चला गया और वहां पे पहले पेशाब करके फिर लण्ड को सॉफ करने लगा।

जब फ्लश करने के बाद टायलेट से बाहर निकला तो दीदी आँखें मलती टायलेट के सामने खड़ी स्लीपी आवाज़ में बोली-“दीपू, तुम अभी तक सोये नहीं? सो जाओ अब सुबह कर लेना बाकी…”

मैं दीदी के टाप पे पड़े अपने वीर्य की 3-4 बूँदों की तरफ देखकर बोला-“बस दीदी, अब हो गया, बाकी कल देखूंगा…”

मेरे बाहर आते ही दीदी टायलेट में चली गई। मैं अपने बेड पे ढेर हो गया और दिमाग़ में ख्याल आ रहा था, मुझे लग रहा था कि दीदी जाग रही थी, और हो सकता है कि मेरा लण्ड देखकर उसका मूड बन गया हो और वो भी अब फिंगरिंग करने के लिए टायलेट में गई हो। मगर पता कैसे लगाया जाये कि दीदी के दिल में क्या है? वैसे भी अब तक कितनी बार तो कोशिश कर चुका हूँ, उल्टा बातें सुननी पड़ती हैं।

लेकिन मैं तो अब शांत हो चुका था इसलिये सोचने लगा-“दीदी, अपने आपको पता नहीं क्या समझती हैं? साला जब भी कोशिश करता हूँ, डाँट देती है। अगर दिल है तो चुप रहकर भी तो रेस्पॉन्स दे सकती है? फिर सोचा कि चल छोड़ कोई और लड़की देख ले चोदने के लिये। लेकिन जब भी कोशिश करता था कि किसी दूसरी लड़की से बात करके उसको चोदने की प्लानिंग कर लूँ तो मेरा दिल नहीं मानता था। ऐसा लगता था कि मेरी दीदी जैसी सेक्सी और खूबसूरत लड़की और कोई बनी ही नहीं है, दीदी की बड़ी-बड़ी गोल मस्त चूचियां और उभरी हुई गाण्ड हमेशा मेरी आँखों के सामने रहती थी और जो चुदाई का मज़ा अपनी बहन के साथ है वो किसी और के साथ नहीं मिल सकता…” हां एक और भी है पर साली वो भी मा बनी हुई है!!!!

फिर एक दिन दीदी अकेली सोफे पे लेटी टीवी देख रही थी, उसने हल्के ब्लैक कलर की पतली और एकदम फिट सलवार कमीज़ पहन रखी थी। उसने दाईं कोहनी पे अपना वजन रखा हुआ था और टांगें भी तकरीबन सोफे के ऊपर ही थीं, उसकी दाईं बाँह और दाईं टांग नीचे वाली साइड और बाईं बाँह और बाईं टांग ऊपर वाली साइड पे थी, उसके दायां हाथ के ऊपर उसका दायां गाल था जिससे उसके सर का वजन बैलेन्स हुआ था। दाईं साइड पे टेढ़ी लेटी होने के कारण दीदी की कमीज़ का कमर से नीचे का हिस्सा बल खाकर उसके पेट पे आ चुका था, जिससे उसकी दोनों टांगों के बीच वाला हिस्सा भी सॉफ-सॉफ नज़र आ रहा था। पटियाला सलवार में मेरी बहन की टांगें उसके नरी तक नज़र आ रही थीं।

लेकिन उसका ध्यान तो टीवी की तरफ था। मैं कुछ देर खड़ा अपनी दीदी की सेक्सी बोडी को देखता रहा, मेरी नज़र दीदी के सर से शुरू हुई, दीदी के सिल्की बाल, गोरी लंबी गर्दन, और उसके गोरे जिश्म पे कमीज़ के गले में से बाहर झाँक रही तनी हुई चूचियां, पतली कमर, फिर उभरी हुई गाण्ड और लंबी टांगें, मैं देखकर पागल हो रहा था। लेकिन दीदी को कुछ खबर ही नहीं थी। उसकी चुनरी भी साइड पे पड़ी हुई थी। मैंने सोचा मौका अच्छा है दीदी को गरम करके देखता हूँ।

बने रहे

 

Tiger 786

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शुरू करते है


मेरे घर में हम 3 लोग रहते हैं | मैं दीपक, जिसे सब प्यार से दीपू कहते हैं |

मेरी मम्मी मंजू ओर बहन पूजा |

पहले मैं आपको अपने घर के बारे में बता दूँ | मेरे पापा का जब मैं 8 साल का था एक एक्सीडेंट में उनकी डेथ हो गई थी | मेरे पापा एक बहुत बड़े गवर्नमेंट एम्प्लोई थे सो इसलिए हमें पेंशन के रूप में एक बहुत ही बड़ी अमाउंट हर मंथ मिलती है | मेरे पापा के पास पहले ही काफ़ी प्रॉपर्टी थी सो हमें उस से काफ़ी रेंट आता है जिससे हमारा गुज़ारा बड़े अच्छे तरीके से होता है | हमें किसी चीज़ की कभी कोई कमी महसूस नही होती थी या है |

पापा की डेथ के बाद मम्मी ने ना दूसरी शादी की ना ही कभी किसी दूसरे मर्द के बारे में सोचा | उसने अपना सारा ज़ीवन हम दोनो भाई बहन की परवरिश के लिए ऐसे ही निकाल दिया | ऐसा नही था कि मेरी मम्मी खूबसूरत नही थी बल्कि वो बहुत ही खूबसूरत बदन की मालकिन थी | जिसे कोई एक बार देख ले तो बस उसे देखता ही रहे | और मुझे यकीन था कि मेरी मम्मी को देखने के बाद ऐसा ही कोई मर्द होगा जो अपना लंड सहलाए बिना रह पाता होगा |

मेरी मम्मी लंबी ऊँची कद 5.5 फ़ीट और मेरी मम्मी का शरीर ऐसा है कि कोई देखे तो तड़प उठे | एकदम गोरी चिट्टी 38 साइज़ की बड़ी बड़ी टाइट चुचियाँ (धइले), 30 कमर और 40 के गोल मटोल गांड | मम्मी का शरीर भरा हुआ है लेकिन एकदम सुडोल, कहीं से कोई फैट नही,



मेरी बहन पूजा भी एकदम मम्मी पर गई है | भरा हुआ शरीर 34 साइज़ के धइले, गोल मटोल चूतड़ और एकदम गोरी |पूजा इतनी मस्त ओर हॉट थी कि ना जाने स्कूल के कितने ही लड़के उसके पीछे पड़े रहते थे | घर के बाहर पूजा की मस्त जवानी की एक झलक पाने के लिए स्कूल के लड़के तो क्या मोहल्ले के अंकल भी इंतज़ार में खड़े रहते थे और जब वो पूजा की मस्त मोटी मोटी टाइट चुचियाँ और बाहर निकली हुई गांड को देख लेते तो तो उन सब से कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता |

वो सब जाकर पूजा के नाम की मुट्ठ मारते होगे |

कहना का मतलब यही है की मेरी मा और बहन दोनों परफेक्ट माल है|

मेरी बहन पूजा और मैं एक ही कॉलेज में पढ़ते थे, पूजा फाइनल यर में थी और मैं फर्स्ट यर में, हम दोनो साथ ही कॉलेज जाते, हम दोनो भाई बहन कम और दोस्त ज़्यादा थे | दोनो में बहुत हँसी मज़ाक होता था, मैं कॉलेज मैं बास्केटबॉल टीम में था और पूजा मेरा हर मैच देखने आती थी | पूजा कॉलेज जाते समय अपने शरीर को पूरा ढकती लेकिन घर में ज़्यादातर छोटी मैक्सी पहन कर रहती, मम्मी भी ज़्यादातर साड़ी और ब्लाउज़ में ही रहती थी, मम्मी और पूजा के बीच बहुत भी अच्छी ट्यूनिंग थी | सब कुछ अच्छा चल रहा था, मैं ज़्यादातर समय या तो बास्केटबॉल या जिम में बीताता | घर पर मम्मी और पूजा माँ बेटी कम और दोस्त ज़्यादा बनकर रहती, तब तक मेरे मन मे उनके लिए कुछ नही था | पूजा पढ़ने में ज़्यादा अच्छी नही थी, फिर एक दिन वो हुआ जिसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया |


अगर आपको यह कहानी या फिर भाषांतर पसंद आये तो कमेंट जरुर दीजिएगा ...........
Awesome shuruaat 👏👏👏💯💯💯💯
 
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मैं सीधा दीदी के सामने खड़ा हो गया तो वो चिल्लाने लगी-“पीछे हट, इधर आकर नहीं बैठ सकता, टीवी के आगे क्यों खड़ा होता है?”

मैं दीदी वाले सोफे के सेंटर में बैठ गया, मतलब अब दीदी की चूत का हिस्सा मेरी कमर के पीछे था। मैं थोड़ा सा और पीछे को सरक गया। अब दीदी का पेट और चूत की गम़ी मेरी कमर को महसूस हो रही थी। मेरे पीछे दायें साइड पे दीदी की चूचियां और चेहरा था और बाईं साइड पे लंबी टांगें और पैर थे।

मैंने डरते-डरते अपना बायां हाथ दीदी के घुटने पे रख दिया और दायें हाथ से दीदी से रिमोट माँगने लगा-“दीदी रिमोट देना…”

दीदी-“चुप करके बैठ। मुझे हकीकत देखने दे पहले, बाद में ले लेना…”

मुझे कौन सा रिमोट चाहिये था, मैं तो अपना काम करने का बहाना ढूँढ रहा था। मैं तो खुद दीदी के हाथ में इस रिमोट की जगह अपना रिमोट, यानी कि अपना लण्ड पकड़ाना चाहता था। मैंने धीरे-धीरे अपना हाथ दीदी के घुटने से ऊपर उसकी चिकनी मुलायम जांघों की तरफ सरकाना शुरू कर दिया, क्या मुलायम और गोल-गोल टांगें थी दीदी की, बिना ट्रिम किए भी कोई बाल ना होने के कारण टांगें और भी चिकनी लग रही थीं। मैं हल्की-हल्की मालिश करता हुअ घुटने से अपना बायां हाथ ऊपर जांघ की तरफ ले आया और सोचने लगा कि लगता है कि दीदी को भी मज़ा आ रहा है और प्लानिंग करने लगा कि दायें हाथ से दीदी की चूची को कैसे टच करूँ?

दीदी की चुप्पी से मुझे लग रहा था कि दीदी भी मज़ा ले रही है। लेकिन मैं डरता भी था, मैंने शॉर्टस और टी-शर्ट पहन रखी थी, शॉर्टस में मेरा लण्ड उठक बैठक करने लगा था। मैं यह सोचकर बेकाबू हुआ जा रहा था

जुड़े रहिये अगला पार्ट तक ............
 

Luser

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चलो मुझे बहोत ख़ुशी हुई की आप हिंदी पढ़ सकते है

अब आप हिन्दि पढ़ हि सकते है तो आपको हिंगलिश की जरुरत ही नहीं यही इसी थ्रेड पे आप कहानी का आनंद लीजिये वोही कहानी है जो हिंगलिश में है..... फर्क उतना है की वो पूरी हो चुकी है और हम आधे में भी नहीं है |

वैसे आपका सवाल का जवाब मैंने पहले ही दे रखा है कृपया आप इस थ्रेड की मेरी प्रथम पोस्ट पढ़े वहां साफ़ शब्दों लिखा है जो आपका जवाब है ..............

वैसे अभी यहाँ उसकी लिंक दूंगी तो मेरी कहानी कौन पढ़ेगा ?????????? मेरी मेहनत तो बेकार हि जाएगी ना ???? अगर मै चाहती तो ये कहानी मेरे नाम से लिख सकती थी फिर ना हिंगलिश का सवाल आता ना हिंदी का सही है ना ??????

खेर मै आपकी बहोत बहोत आभारी हु की आपने मेरे इस थ्रेड में इन्टरेस्ट दिखाया ..............मै चाहती हु की आप इस कहानी के अंत तक इसी थ्रेड पर बने रहे ..............

आप सिर्फ धैर्य रखे सब कुछ बताया जाएगा ...............

धन्यवाद और आभार बने रहने के लिए ...........


Well I do appreciated that you can read and understand Hindi (fonts), I am very much happy by that


Now when you can read and understand the Hindi form written story why would you require the same in hinglish form, you should entertain yourself by reading here itself right???? The same story being pasted here in Hindi font nothing difference only difering that Hinglish formed story been completed whereas we are not even on half of the story.......

Now if i declare the link, what would be the advantage of witting the same story in Hindi format ????? it would be clearly waste of time right ???? who would interested in my story when complete story is on hand ????

But I show my transparency or honesty that I don't want any credit of it otherwise I would have write the story without mentioning anything and enjoy such credits by my name only.......


However the answer of your question already been given in my first post of this thread, you are requested to refer my first post of this thread.................


Let me thank you for showing your interest in my thread

keep patience everything will be revealed

Thank you very much and would like to have you on my thread through out the END .............
Me samajh gyaa ...me bhi kitna budhu hu ....ek lekhak se uske story ka alternative mang rhaa hu...me bhul gyaa ke iss se samne wale ko thes pahunch sakte hai ...

Anjane me mene aapka dil dukhaya hai ...iska mujhe khed hai ....per aab me aapke bhavnaa se parichit hu....to me aapse mafe mangta hu...

Aur aab mere liye aap he iss story ke mukhya Lakheka hai
..... shristhi mam aapka dhanyawad...iss story ko likhne ke liye aur hum jaise new riders tak pahuchane ke liyee.....me dil se aapka aabhari hu ....
 
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Funlover

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Me samajh gyaa ...me bhi kitna budhu hu ....ek lekhak se uske story ka alternative mang rhaa hu...me bhul gyaa ke iss se samne wale ko thes pahunch sakte hai ...

Anjane me mene aapka dil dukhaya hai ...iska mujhe khed hai ....per aab me aapke bhavnaa se parichit hu....to me aapse mafe mangta hu...

Aur aab mere liye aap he iss story ke mukhya Lakheka hai
..... shristhi mam aapka dhanyawad...iss story ko likhne ke liye aur hum jaise new riders tak pahuchane ke liyee.....me dil se aapka aabhari hu ....
आपका बहोत बहोत धन्यवाद की आप बात को समझे ...............

आपसे आशा रखती हु की आप कहानिके अंत तक बने रहेंगे .............. जल्द ही ख़तम करुँगी क्यों की आगे बहोत सी कहानिया के प्लॉट्स रेडी पड़े है लिखने को ....................
 

PRITI 7

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Me samajh gyaa ...me bhi kitna budhu hu ....ek lekhak se uske story ka alternative mang rhaa hu...me bhul gyaa ke iss se samne wale ko thes pahunch sakte hai ...

Anjane me mene aapka dil dukhaya hai ...iska mujhe khed hai ....per aab me aapke bhavnaa se parichit hu....to me aapse mafe mangta hu...

Aur aab mere liye aap he iss story ke mukhya Lakheka hai
..... shristhi mam aapka dhanyawad...iss story ko likhne ke liye aur hum jaise new riders tak pahuchane ke liyee.....me dil se aapka aabhari hu ....
Waise aapke inn chikne chupre baaton se koye apke asli rang ka andaja nhi laga sakta .....

apko dusre bar kisi story me intrest lete dekh rhee hu...phele albela aur aab yee.....
 
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Bhaot erotic story hai yar maza aa gyaa lekhika sahiba aapne kamal ker diyaa...

Me ek me baar suru se pure ke pure update padh li maja aa gyaa
Shukriya dhanyawad bahot bahot aabhar.......

Agar aapko incest pasand hai to muje lagta hai ki aapko aage bhi itni maja aayegi....
Agar aapko romance pasand hai aur swatchh story ka maja lena hai to aap mere dwara likhi gai "shrushti ki reet" padbiye link niche mere signature me di hai
Fir aap dono kahaani ki likhavat ka fark dikhega
Request hai ki kahi galati dikhe pls highlight to me for future help
Ye to bhashantar anuvad hai......

Asha rakhti hu end tak bane rahenge.... Aur time to time sujhav deti rahegi....
Thank you again
 
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