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Erotica ड्रेगन हार्ट (लव, सेक्स एण्ड क्राईम)

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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Update 080 -

चूँकि मैंने कानपुर यूनिवर्सिटी में 1 महिने लेट बैच अटैण्ड किया था। इसलिए पूरे एक हफ्ते तक मैं अपना मिसिंग कोर्स रिकवर करने में ही बिजी रही। हाँलाकि मेरी स्पेशल पावर और मेरी कम्प्यूटर नॉलेज के चलते मुझे ज्यादा प्राब्लम नहीं हुई थी। अपना मिसिंग कोर्स रिकरवर करने के बाद मैं थोडा रिलेक्स हुई और फिर रेगुलर क्लासेस अटैण्ट करने के साथ साथ अपने सीक्रेट मिशन पर भी लग गई। जिसके लिए मैंने अपने क्लासमेट्स के अलावा दूसरे क्लासेस के लडके लडकियों से घुलना मिलना भी शुरू कर दिया था। ताकि मैं उस कॉलेज कैम्पस में चल रही टैरेरिस्ट एक्टिविटी का लिंक पता कर सकूँ। हाँलाकि इस काम के लिए मुझे काफी सावधानी और धैर्य की जरूरत थी।

क्योंकि मेरी एक छोटी सी गलती मेरा सारा प्लान चौपट कर सकती थी। इसलिए मैं पूरी तरह से एक नॉर्मल स्टूडेंट की तरह ही कॉलेज अटेंड कर रही थी। मैं एक बार फिर अपनी कॉलेज लाईफ इंजॉय करके काफी खुश थी। हमारे घर से कॉलेज कैंपस ज्यादा दूर नहीं था। जिस कारण हम लोग पैदल ही घर से कॉलेज और कॉलेज से घर आया जाया करते थे। पर आज मेरी किस्मत में शायद कुछ और ही लिखा था। मुझे नहीं पता था कि आज जब मैं कॉलेज पहुँचूंगी तो वहाँ पर एक तूफान मेरा इंतजार कर रहा होगा।

जो मेरी पूरी जिंदगी बदल कर रख देगा। मैं उस तूफान से पूरी तरह अंजान श्रेया और बाकी दोस्तों के साथ आपस में हंसी मजाकर करते हुए कॉलेज गेट के पास पहुंची, ठीक तभी एक लडका मुझसे टकरा गया। शायद वो अपने दोस्तों से हंसी मजाक करने में इतना बिजी था कि उसकी नजर हम लोगों पर पडी ही नहीं। उस लडके के टकराने से नैचुरल रिऐक्शन में मेरे मूँह से निकला

अमृता- यू स्टूपिड… अंधे हो क्या…

लेकिन जैसे ही अगले पल मेरी नजर उसके चेहरे पर पडी, तो मेरे चेहरे का रंग पूरी तरह से उड गया था। उस लडके को अपने सामने देखकर मेरे दिल की धडकन कुछ ज्यादा ही तेज हो गई थी और मेरे हाथ पैर भी बुरी तरह से काँपने लगे थे। एक पल को तो मुझे ऐसा लगा कि मेरी असली पहचान आज सारी दुनिया के सामने आ ही जाऐगा। वहीँ दूसरी तरफ वो लडका भी मुझे अपने सामने देखकर बुरी तरह से हैरान था और उसका चेहरा भी मेरी तरह ही पूरी तरह से सफेद पड चुका था। तभी मैं अपने होश में बापिस आई और मन ही मन सोचने लगी……..

“व्हाट आ फक…. ऐ यहाँ पर क्या कर रहा है……”

और फिर अचानक से मैं आसमन की तरफ देखकर भगवान से मन ही मन शिकायत करने लगी

“हे भगवान…. आखिर आप चाहते क्या हैं…. क्या मेरी खुशियाँ आपसे जरा सी भी बरदास्त नहीं होती…. अभी अपनी नई जिंदगी शुरू किए मुझे दिन ही कितने हुए थे… और आपने एक नई मुशीवत मेरे गले बाँध दी…..”

मैं यह सब मन ही मन सोच रही थी कि तभी मेरे कानों में श्रेया की आवास सुनाई दी

श्रेया- अमृता… तुम ठीक तो हो ना….

श्रेया की आवाज सुनकर मैं फिर से होश में आते हुए बोली

अमृता- हुम्म…

मेरा जबाब सुनकर श्रेया उस लडके को डाँटते हुए बोली

श्रेया- यू स्टूपिड…. तुम्हें दिखाई नहीं देता क्या…. अभी हमें चोट लग जाती तो….

श्रेया की बात सुनकर वो लडका भी अपने होश में बापिस आते हुए बोला

लडका- ओह आई एम सॉरी…..

इससे पहले श्रेया उससे कुछ और कहती, हमरी दोस्त पूजा अचानक से एक्साईटेड होते हुए बोली….

पूजा- एक मिनट…. तुम कबीर शर्मा हो ना….

पूजा की बात सुनकर वो लडका थोडा स्माईल करते हुए बोला

कबीर- हाँ…..

पूजा- अरे तुमने हमें पहचाना नहीं क्या… हम सेम क्लास में हैं…. लेकिन एडमीशन के बाद से तुम कॉलेज में दिखाई ही नहीं दिए…

पूजा का सबाल सुनकर कबीर मुझे हैरानी से घूरता हुआ बोला

कबीर- हाँ वो वो मेरे फादर की तबीयत थोडी खराब थी…. इसलिए मुझे कुछ दिनों के लिए घर जाना पडा….

इससे पहले पूजा कबीर से कोई और सबाल जबाब करती श्रेया उसे डांटते हुए बोली

श्रेया- पूजा…. अभी अभी इसने अमृता के साथ बदतमीजी की है, उसके बाद भी तुम इससे इतनी फ्रेंडली होकर कैसे बात कर सकती हो…

इतना बोलकर श्रेया ने मेरा हाथ पकडा और गुस्से में कॉलेज की तरफ बड गई, मैं अब भी कबीर को अपने सामने देखकर पूरी तरह से सॉक्ड थी। इसलिए जैसे ही श्रेया मुझे खींचकर कॉलेज की तरफ ले जाने लगी तो मैंने मन ही मन राहत की एक सांस ली। वहीं दूसरी तरफ कबीर अब भी उसी जगह पर खडा होकर मुझे कॉलेज के अंदर जाते हुए देख रहा था। कॉलेज के अंदर जाते वक्त पूजा श्रेया को सफाई देते हुए बोल रही थी

पूजा- अरे यार श्रेया कबीर अच्छा लडका है… शायद वो गलती से अमृता से टकरा गया होगा।

श्रेया- जो भी हो… पर फिलहाल मुझे उसके बारे में कोई बात नहीं करनी है….

पूजा- पर श्रेया वो काफी इँटेलीजेंट है… मैंने उसकी प्रोग्रामिंग स्किल देखी है…. वो पक्का अमृता और तुम्हें टक्टर दे सकता है। इसलिए मैं सोच रही थी कि क्यों ना हम उसे भी अपने ग्रुप में सामिल कर लें

श्रेया- बिल्कुल भी नहीं

पूजा- पर वो काफी हैंडसम है…..

पूजा की बात सुनकर श्रेया झल्लाते हुए बोली

श्रेया- ओह कम ऑन पूजा…. अगर वो तुम्हें पसंद है तो तुम उसके साथ अपना चक्कर चला सकती हो, लेकिन हम उसे अपने ग्रुप में सामिल नहीं कर रहे हैं। समझी….

श्रेया की बात खत्म होते ही हम लोग अपनी क्लास रूम में जा पहुंचे। इसलिए उन दोनों ने आपस में बातें करना बंद कर दिया था। इसके बाद हम लोग अपनी अपनी चेयर पर जाकर बैठ गए और क्लास टीचर के आने का इंतजार करने लगे। करीब 5 मिनट बाद ही कबीर भी क्लास रूम मेें आ गया था। उस पूरे दिन कबीर लगातार मुझे ही घूरे जा रहा था। यहाँ तक कि जब हम लोग लंच करने कैंटीन में गए तो वहाँ भी वो हमारा पीछा करते हुए आ गया और हमसे थोडा दूर बैठकर बस मुझे ही घूरे जा रहा था। कबीर के इस तरह मुझे घूरने से मैं काफी अन्कम्फर्टेवल फील कर रही थी और मेरे मन में बस एक ही सबाल चल रहा था

“ऐ कबीर मुझे ऐसे क्यों घूर रहा है, कहीं उसने मुझे पहचान तो नहीं लिया है…”

जैसे तैसे वो दिन गुजर गया, लेकिन अगले दिन मेरे साथ फिर वहीँ हुआ, पिछले दिन जहाँ मैं कबीर से टकराई थी, कबीर वहीँ खडा होकर हमारे आने का इंतजार कर रहा था। उसके बाद वो सारा दिन मेरे आस पास ही मंडराता रहा और लगातार मुझे ही घूरता रहा। अब कबीर की इस हरकत से मुझे चिढ होने लगी थी, उससे बात करने या उससे कुछ कहने की हिम्मत मेरे अंदर बिल्कुल भी नहीं थी। यहाँ तक की श्रेया और मेरी बाकी दोस्तों ने भी कबीर की यह हरकत नोटिस कर ली थी। लेकिन फिलहाल उन सभी ने भी मेरी ही तरह कबीर को इग्नोर करने का फैसला कर लिया था।

अगले कुछ दिनों तक यही सब चलता रहा। मैं जहाँ भी जाती कबीर भी वहाँ पहुंच ही जाता और दूर से ही मुझे घूरता रहता। लेकिन हद तो तब हो गई जब एक दिन कबीर मेरा पीछा करते हुए मेरे घर के पास तक आ गया। शाम का समय था, इसलिए मैं टैरेस पर घूमने के बहाने गर्लस हॉस्टल और बॉयज हॉस्टल पर नजर रख रही थी। तभी मेरी नजर मेरे घर के पास चाय की टपरी के पास खडे कबीर पर पडी जो मुझे ही घूरे जा रहा था कबीर को अपने घर के पास देखकर मैं मन ही मन सोचने लगी

“ऐ मेरा पीछा क्यों कर रहा है…. और आखिर यह मुझसे चाहता क्या है”

“कहीं इसने मुझे पहचान तो नहीं लिया है”

“अगर इसने सबको बता दिया कि मैं अमृता चौहान नहीं हूँ, बल्कि उसकी बडी बहन निशा गुप्ता हूँ…. तो”

यह ख्याल मन में आते ही मैंने ऊपर आसमान की तरफ देखकर भगवान से शिकायत की

“भगवान जी आखिर आप चाहते क्या हो…. क्यों बार बार मेरी इस तरह परीक्षा ले रहे हो। पहले अमृता के असली चाचा को मेरे सामने लाकर खडा कर दिया। वो तो अच्छा है कि विकाश अंकल ने आज तक कभी अमृता को देखा ही नहीं था। इसलिए मेरा भाण्डा फूटने से बच गया, और अब आपने मेरे यानि निशा के भाई को ही अमृता यानि फिर से मेरे सामने लाकर खडा कर दिया। विकाश अंकल से तो मैं बच गई पर कबीर से कैसे बचूँगी….. भगवान जी अगर आप मुझे नई जिंदगी देना ही नहीं चाहते थे, तो उस दिन खण्डहर में मुझे मरने क्योंं नहीं दिया।”

भगवान से अपने मन की भडास निकालने के बाद मैंने एक बार फिर चाय की टपरी पर खडे कबीर को देखा और मन ही मन सोचने लगी

“बेबकूफ… नालायक… कमीना कहीं का…. कोई भला अपनी ही बहन को ऐसे घूरता है क्या”

“इतना बडा सांड जैसा हो गया है पर अक्कल नहीं आई इसमें… अगर कोई भी इंशान इस डफर को यह सब करते हुए देखेगा तो पता नहीं क्या सोचेगा हमारे बारे में”

“अरे नालायक अगर तूने मुझे पहचान ही लिया है तो सामने से आकर बात कर ना मुझसे…. ऐसे लफंगों की तरह मुझे परेशान क्यों कर रहा है, ना खुद चैन से जी रहा है और ना मुझे जीने दे रहा है”

“नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता…. मेरे ख्याल से कबीर ने अभी तक मुझे पहचाना नहीं है अगर वो मुझे पहचान जाता तो पक्का वो सामने से आकर मुझसे इस बारे में बात जरूर करता”

“तो फिर वो इतने दिनों से मेरा पीछा क्यों कर रहा है और लगातार मुझे ही क्यों घूर रहा है… आखिर इसके मन में चल क्या रहा है”

“डफर कहीं का…. इस तरह मेरा पीछा करने और मुझे घूरने से दूसरे लोगों को तो यही लगेगा कि मेरे और उसके बीच में कोई चक्कर चल रहा है”

“अगर मैंने अभी अपनी पहचान ना बदली होती और अब भी उसकी बहन होती, तो पक्का मैं मार मार कर इसका पिछबाडा लाल कर देती…. लेकिन अब जब मैंने दुनिया की नजरों मे निशा को मार दिया है और अमृता बन चुकी हूँ, तो मैं इसके साथ वो सब नहीं कर सकती। बर्ना मेरा राज पूरी दुनिया के सामने खुल सकता है।”

“एक मिनट…. मैं यह सब क्यों सोच रही हूँ….. कहीं ऐसा तो नहीं है कि कबीर ने अब तक मुझे पहचाना ना हो और उसे बस मेरे निशा होने पर शक हो, या फिर मेरी असली पहचान को लेकर वो मन ही मन कन्फ्यूज हो”

“आखिर सच क्या है यह तो कबीर से बात करके ही पता चल सकता है…. लेकिन मैं अभी उससे बात करने का रिस्क नहीं ले सकती… बर्ना उसका शक यकीन में बदल जाऐगा कि मैं अमृता नहीं बल्कि उसकी बहन निशा हूँ।”

“नहीं यह तो बिल्कुल भी पॉसिबल नहीं है….. क्योंकि पिछले एक साल में मेरे चेहरे और फिगर में काफी अंतर आया है, ऊपर से मैंने अपनी हेयर स्टाईल और अपनी पर्सनेलिटी भी काफी हद तक चेंज कर ली है। साथ ही साथ मेरी आँखों का रंग भी तो पूरी तरह से बदल गया है। तो फिर मेरे पहचाने जाने का सबाल ही नहीं उठता है”

“अरे डफर वो तेरा छोटा भाई है…. तू चाहे अपने आपको कितना भी बदल ले…. लेकिन वो तुझे पहचान ही लेगा”

“हाँ शायद ऐसा ही है”

“तो फिर अब मुझे क्या करना चाहिए… क्या मुझे अपना मिशन बीच में ही छोडकर बापिस चले जाना जाहिए और राजीब सर से कहकर किसी दूसरे ऐजेंट को इस मिशन के लिए भेजना चाहिए”

“नहीं नहीं यह सही नहीं होगा……. यह मेरा पहला मिशन है…. मैं इससे पीछे नहीं हट सकती”

“तो फिर क्या करूँ मैं….”

“मेरे ख्याल से जो चल रहा है.. उसे बैसे ही चलने देना चाहिए…. कम से कम तब तक जब तक कि कबीर मुझे पूरी तरह से पहचान नहीं जाता”

“और अगर उसने मुझे पहचान लिया तो फिर मैं क्या करूँगी….”

“मुझे किसी भी तरह कबीर का कन्फ्यूजन दूर करके उसके मन में यह बात डालनी ही होगी कि मैं उसकी बडी बहन निशा गुप्ता नहीं हूँ, बल्कि मैं अमृता चौहान हूँ, जिसका बस चेहरा उसकी बहन से थोडा बहुत मिलता जुलता है। अगर एक बार कबीर को मेरी इस बात का यकीन हो जाऐ, तो फिर आगे चलकर मुझे कभी कोई प्राब्लम नहीं होगी और मैं आसानी से कबीर से अपना पीछा भी छुडा सकती हूँ।”

“पर मैं यह सब आखिर करूँगी कैसे…. ना तो वो खुद सामने से आकर मुझसे बात कर रहा है और ना मैं उसके पास जाकर कोई बात करना चाहती हूँ, क्योंकि अगर मैं खुद उसके पास गई तो पक्का उसका शक यकीन में बदल जाऐगा।”

“लेकिन जब तक उससे बात नहीं होगी तब तक मैं उसका कन्फ्यूजन दूर कैसे करूँगी, मुझे कोई ना कोई रास्ता तो निकालना ही होगा”

“क्यों ना इसके लिए श्रेया और पूजा की हेल्प ली जाऐ, बैसे भी पूजा तो कबीर पर पूरी तरह से लट्टू है, अगर मैं किसी तरह से पूजा को उक्साकर कबीर को अपने ग्रुप में सामिल करवा लूँ तो फिर मेरे पास उसके मन में चल रही बातों को जानने और उसे अपने अमृता होने का यकीन दिलाने के कई मौके होंगे।”

“हाँ यह सही रहेगा….”


कहानी जारी है.....
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sunoanuj

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चूँकि मैंने कानपुर यूनिवर्सिटी में 1 महिने लेट बैच अटैण्ड किया था। इसलिए पूरे एक हफ्ते तक मैं अपना मिसिंग कोर्स रिकवर करने में ही बिजी रही। हाँलाकि मेरी स्पेशल पावर और मेरी कम्प्यूटर नॉलेज के चलते मुझे ज्यादा प्राब्लम नहीं हुई थी। अपना मिसिंग कोर्स रिकरवर करने के बाद मैं थोडा रिलेक्स हुई और फिर रेगुलर क्लासेस अटैण्ट करने के साथ साथ अपने सीक्रेट मिशन पर भी लग गई। जिसके लिए मैंने अपने क्लासमेट्स के अलावा दूसरे क्लासेस के लडके लडकियों से घुलना मिलना भी शुरू कर दिया था। ताकि मैं उस कॉलेज कैम्पस में चल रही टैरेरिस्ट एक्टिविटी का लिंक पता कर सकूँ। हाँलाकि इस काम के लिए मुझे काफी सावधानी और धैर्य की जरूरत थी।

क्योंकि मेरी एक छोटी सी गलती मेरा सारा प्लान चौपट कर सकती थी। इसलिए मैं पूरी तरह से एक नॉर्मल स्टूडेंट की तरह ही कॉलेज अटेंड कर रही थी। मैं एक बार फिर अपनी कॉलेज लाईफ इंजॉय करके काफी खुश थी। हमारे घर से कॉलेज कैंपस ज्यादा दूर नहीं था। जिस कारण हम लोग पैदल ही घर से कॉलेज और कॉलेज से घर आया जाया करते थे। पर आज मेरी किस्मत में शायद कुछ और ही लिखा था। मुझे नहीं पता था कि आज जब मैं कॉलेज पहुँचूंगी तो वहाँ पर एक तूफान मेरा इंतजार कर रहा होगा।

जो मेरी पूरी जिंदगी बदल कर रख देगा। मैं उस तूफान से पूरी तरह अंजान श्रेया और बाकी दोस्तों के साथ आपस में हंसी मजाकर करते हुए कॉलेज गेट के पास पहुंची, ठीक तभी एक लडका मुझसे टकरा गया। शायद वो अपने दोस्तों से हंसी मजाक करने में इतना बिजी था कि उसकी नजर हम लोगों पर पडी ही नहीं। उस लडके के टकराने से नैचुरल रिऐक्शन में मेरे मूँह से निकला

अमृता- यू स्टूपिड… अंधे हो क्या…

लेकिन जैसे ही अगले पल मेरी नजर उसके चेहरे पर पडी, तो मेरे चेहरे का रंग पूरी तरह से उड गया था। उस लडके को अपने सामने देखकर मेरे दिल की धडकन कुछ ज्यादा ही तेज हो गई थी और मेरे हाथ पैर भी बुरी तरह से काँपने लगे थे। एक पल को तो मुझे ऐसा लगा कि मेरी असली पहचान आज सारी दुनिया के सामने आ ही जाऐगा। वहीँ दूसरी तरफ वो लडका भी मुझे अपने सामने देखकर बुरी तरह से हैरान था और उसका चेहरा भी मेरी तरह ही पूरी तरह से सफेद पड चुका था। तभी मैं अपने होश में बापिस आई और मन ही मन सोचने लगी……..

“व्हाट आ फक…. ऐ यहाँ पर क्या कर रहा है……”

और फिर अचानक से मैं आसमन की तरफ देखकर भगवान से मन ही मन शिकायत करने लगी

“हे भगवान…. आखिर आप चाहते क्या हैं…. क्या मेरी खुशियाँ आपसे जरा सी भी बरदास्त नहीं होती…. अभी अपनी नई जिंदगी शुरू किए मुझे दिन ही कितने हुए थे… और आपने एक नई मुशीवत मेरे गले बाँध दी…..”

मैं यह सब मन ही मन सोच रही थी कि तभी मेरे कानों में श्रेया की आवास सुनाई दी

श्रेया- अमृता… तुम ठीक तो हो ना….

श्रेया की आवाज सुनकर मैं फिर से होश में आते हुए बोली

अमृता- हुम्म…

मेरा जबाब सुनकर श्रेया उस लडके को डाँटते हुए बोली

श्रेया- यू स्टूपिड…. तुम्हें दिखाई नहीं देता क्या…. अभी हमें चोट लग जाती तो….

श्रेया की बात सुनकर वो लडका भी अपने होश में बापिस आते हुए बोला

लडका- ओह आई एम सॉरी…..

इससे पहले श्रेया उससे कुछ और कहती, हमरी दोस्त पूजा अचानक से एक्साईटेड होते हुए बोली….

पूजा- एक मिनट…. तुम कबीर शर्मा हो ना….

पूजा की बात सुनकर वो लडका थोडा स्माईल करते हुए बोला

कबीर- हाँ…..

पूजा- अरे तुमने हमें पहचाना नहीं क्या… हम सेम क्लास में हैं…. लेकिन एडमीशन के बाद से तुम कॉलेज में दिखाई ही नहीं दिए…

पूजा का सबाल सुनकर कबीर मुझे हैरानी से घूरता हुआ बोला

कबीर- हाँ वो वो मेरे फादर की तबीयत थोडी खराब थी…. इसलिए मुझे कुछ दिनों के लिए घर जाना पडा….

इससे पहले पूजा कबीर से कोई और सबाल जबाब करती श्रेया उसे डांटते हुए बोली

श्रेया- पूजा…. अभी अभी इसने अमृता के साथ बदतमीजी की है, उसके बाद भी तुम इससे इतनी फ्रेंडली होकर कैसे बात कर सकती हो…

इतना बोलकर श्रेया ने मेरा हाथ पकडा और गुस्से में कॉलेज की तरफ बड गई, मैं अब भी कबीर को अपने सामने देखकर पूरी तरह से सॉक्ड थी। इसलिए जैसे ही श्रेया मुझे खींचकर कॉलेज की तरफ ले जाने लगी तो मैंने मन ही मन राहत की एक सांस ली। वहीं दूसरी तरफ कबीर अब भी उसी जगह पर खडा होकर मुझे कॉलेज के अंदर जाते हुए देख रहा था। कॉलेज के अंदर जाते वक्त पूजा श्रेया को सफाई देते हुए बोल रही थी

पूजा- अरे यार श्रेया कबीर अच्छा लडका है… शायद वो गलती से अमृता से टकरा गया होगा।

श्रेया- जो भी हो… पर फिलहाल मुझे उसके बारे में कोई बात नहीं करनी है….

पूजा- पर श्रेया वो काफी इँटेलीजेंट है… मैंने उसकी प्रोग्रामिंग स्किल देखी है…. वो पक्का अमृता और तुम्हें टक्टर दे सकता है। इसलिए मैं सोच रही थी कि क्यों ना हम उसे भी अपने ग्रुप में सामिल कर लें

श्रेया- बिल्कुल भी नहीं

पूजा- पर वो काफी हैंडसम है…..

पूजा की बात सुनकर श्रेया झल्लाते हुए बोली

श्रेया- ओह कम ऑन पूजा…. अगर वो तुम्हें पसंद है तो तुम उसके साथ अपना चक्कर चला सकती हो, लेकिन हम उसे अपने ग्रुप में सामिल नहीं कर रहे हैं। समझी….

श्रेया की बात खत्म होते ही हम लोग अपनी क्लास रूम में जा पहुंचे। इसलिए उन दोनों ने आपस में बातें करना बंद कर दिया था। इसके बाद हम लोग अपनी अपनी चेयर पर जाकर बैठ गए और क्लास टीचर के आने का इंतजार करने लगे। करीब 5 मिनट बाद ही कबीर भी क्लास रूम मेें आ गया था। उस पूरे दिन कबीर लगातार मुझे ही घूरे जा रहा था। यहाँ तक कि जब हम लोग लंच करने कैंटीन में गए तो वहाँ भी वो हमारा पीछा करते हुए आ गया और हमसे थोडा दूर बैठकर बस मुझे ही घूरे जा रहा था। कबीर के इस तरह मुझे घूरने से मैं काफी अन्कम्फर्टेवल फील कर रही थी और मेरे मन में बस एक ही सबाल चल रहा था

“ऐ कबीर मुझे ऐसे क्यों घूर रहा है, कहीं उसने मुझे पहचान तो नहीं लिया है…”

जैसे तैसे वो दिन गुजर गया, लेकिन अगले दिन मेरे साथ फिर वहीँ हुआ, पिछले दिन जहाँ मैं कबीर से टकराई थी, कबीर वहीँ खडा होकर हमारे आने का इंतजार कर रहा था। उसके बाद वो सारा दिन मेरे आस पास ही मंडराता रहा और लगातार मुझे ही घूरता रहा। अब कबीर की इस हरकत से मुझे चिढ होने लगी थी, उससे बात करने या उससे कुछ कहने की हिम्मत मेरे अंदर बिल्कुल भी नहीं थी। यहाँ तक की श्रेया और मेरी बाकी दोस्तों ने भी कबीर की यह हरकत नोटिस कर ली थी। लेकिन फिलहाल उन सभी ने भी मेरी ही तरह कबीर को इग्नोर करने का फैसला कर लिया था।

अगले कुछ दिनों तक यही सब चलता रहा। मैं जहाँ भी जाती कबीर भी वहाँ पहुंच ही जाता और दूर से ही मुझे घूरता रहता। लेकिन हद तो तब हो गई जब एक दिन कबीर मेरा पीछा करते हुए मेरे घर के पास तक आ गया। शाम का समय था, इसलिए मैं टैरेस पर घूमने के बहाने गर्लस हॉस्टल और बॉयज हॉस्टल पर नजर रख रही थी। तभी मेरी नजर मेरे घर के पास चाय की टपरी के पास खडे कबीर पर पडी जो मुझे ही घूरे जा रहा था कबीर को अपने घर के पास देखकर मैं मन ही मन सोचने लगी

“ऐ मेरा पीछा क्यों कर रहा है…. और आखिर यह मुझसे चाहता क्या है”

“कहीं इसने मुझे पहचान तो नहीं लिया है”

“अगर इसने सबको बता दिया कि मैं अमृता चौहान नहीं हूँ, बल्कि उसकी बडी बहन निशा गुप्ता हूँ…. तो”

यह ख्याल मन में आते ही मैंने ऊपर आसमान की तरफ देखकर भगवान से शिकायत की

“भगवान जी आखिर आप चाहते क्या हो…. क्यों बार बार मेरी इस तरह परीक्षा ले रहे हो। पहले अमृता के असली चाचा को मेरे सामने लाकर खडा कर दिया। वो तो अच्छा है कि विकाश अंकल ने आज तक कभी अमृता को देखा ही नहीं था। इसलिए मेरा भाण्डा फूटने से बच गया, और अब आपने मेरे यानि निशा के भाई को ही अमृता यानि फिर से मेरे सामने लाकर खडा कर दिया। विकाश अंकल से तो मैं बच गई पर कबीर से कैसे बचूँगी….. भगवान जी अगर आप मुझे नई जिंदगी देना ही नहीं चाहते थे, तो उस दिन खण्डहर में मुझे मरने क्योंं नहीं दिया।”

भगवान से अपने मन की भडास निकालने के बाद मैंने एक बार फिर चाय की टपरी पर खडे कबीर को देखा और मन ही मन सोचने लगी

“बेबकूफ… नालायक… कमीना कहीं का…. कोई भला अपनी ही बहन को ऐसे घूरता है क्या”

“इतना बडा सांड जैसा हो गया है पर अक्कल नहीं आई इसमें… अगर कोई भी इंशान इस डफर को यह सब करते हुए देखेगा तो पता नहीं क्या सोचेगा हमारे बारे में”

“अरे नालायक अगर तूने मुझे पहचान ही लिया है तो सामने से आकर बात कर ना मुझसे…. ऐसे लफंगों की तरह मुझे परेशान क्यों कर रहा है, ना खुद चैन से जी रहा है और ना मुझे जीने दे रहा है”

“नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता…. मेरे ख्याल से कबीर ने अभी तक मुझे पहचाना नहीं है अगर वो मुझे पहचान जाता तो पक्का वो सामने से आकर मुझसे इस बारे में बात जरूर करता”

“तो फिर वो इतने दिनों से मेरा पीछा क्यों कर रहा है और लगातार मुझे ही क्यों घूर रहा है… आखिर इसके मन में चल क्या रहा है”

“डफर कहीं का…. इस तरह मेरा पीछा करने और मुझे घूरने से दूसरे लोगों को तो यही लगेगा कि मेरे और उसके बीच में कोई चक्कर चल रहा है”

“अगर मैंने अभी अपनी पहचान ना बदली होती और अब भी उसकी बहन होती, तो पक्का मैं मार मार कर इसका पिछबाडा लाल कर देती…. लेकिन अब जब मैंने दुनिया की नजरों मे निशा को मार दिया है और अमृता बन चुकी हूँ, तो मैं इसके साथ वो सब नहीं कर सकती। बर्ना मेरा राज पूरी दुनिया के सामने खुल सकता है।”

“एक मिनट…. मैं यह सब क्यों सोच रही हूँ….. कहीं ऐसा तो नहीं है कि कबीर ने अब तक मुझे पहचाना ना हो और उसे बस मेरे निशा होने पर शक हो, या फिर मेरी असली पहचान को लेकर वो मन ही मन कन्फ्यूज हो”

“आखिर सच क्या है यह तो कबीर से बात करके ही पता चल सकता है…. लेकिन मैं अभी उससे बात करने का रिस्क नहीं ले सकती… बर्ना उसका शक यकीन में बदल जाऐगा कि मैं अमृता नहीं बल्कि उसकी बहन निशा हूँ।”

“नहीं यह तो बिल्कुल भी पॉसिबल नहीं है….. क्योंकि पिछले एक साल में मेरे चेहरे और फिगर में काफी अंतर आया है, ऊपर से मैंने अपनी हेयर स्टाईल और अपनी पर्सनेलिटी भी काफी हद तक चेंज कर ली है। साथ ही साथ मेरी आँखों का रंग भी तो पूरी तरह से बदल गया है। तो फिर मेरे पहचाने जाने का सबाल ही नहीं उठता है”

“अरे डफर वो तेरा छोटा भाई है…. तू चाहे अपने आपको कितना भी बदल ले…. लेकिन वो तुझे पहचान ही लेगा”

“हाँ शायद ऐसा ही है”

“तो फिर अब मुझे क्या करना चाहिए… क्या मुझे अपना मिशन बीच में ही छोडकर बापिस चले जाना जाहिए और राजीब सर से कहकर किसी दूसरे ऐजेंट को इस मिशन के लिए भेजना चाहिए”

“नहीं नहीं यह सही नहीं होगा……. यह मेरा पहला मिशन है…. मैं इससे पीछे नहीं हट सकती”

“तो फिर क्या करूँ मैं….”

“मेरे ख्याल से जो चल रहा है.. उसे बैसे ही चलने देना चाहिए…. कम से कम तब तक जब तक कि कबीर मुझे पूरी तरह से पहचान नहीं जाता”

“और अगर उसने मुझे पहचान लिया तो फिर मैं क्या करूँगी….”

“मुझे किसी भी तरह कबीर का कन्फ्यूजन दूर करके उसके मन में यह बात डालनी ही होगी कि मैं उसकी बडी बहन निशा गुप्ता नहीं हूँ, बल्कि मैं अमृता चौहान हूँ, जिसका बस चेहरा उसकी बहन से थोडा बहुत मिलता जुलता है। अगर एक बार कबीर को मेरी इस बात का यकीन हो जाऐ, तो फिर आगे चलकर मुझे कभी कोई प्राब्लम नहीं होगी और मैं आसानी से कबीर से अपना पीछा भी छुडा सकती हूँ।”

“पर मैं यह सब आखिर करूँगी कैसे…. ना तो वो खुद सामने से आकर मुझसे बात कर रहा है और ना मैं उसके पास जाकर कोई बात करना चाहती हूँ, क्योंकि अगर मैं खुद उसके पास गई तो पक्का उसका शक यकीन में बदल जाऐगा।”

“लेकिन जब तक उससे बात नहीं होगी तब तक मैं उसका कन्फ्यूजन दूर कैसे करूँगी, मुझे कोई ना कोई रास्ता तो निकालना ही होगा”

“क्यों ना इसके लिए श्रेया और पूजा की हेल्प ली जाऐ, बैसे भी पूजा तो कबीर पर पूरी तरह से लट्टू है, अगर मैं किसी तरह से पूजा को उक्साकर कबीर को अपने ग्रुप में सामिल करवा लूँ तो फिर मेरे पास उसके मन में चल रही बातों को जानने और उसे अपने अमृता होने का यकीन दिलाने के कई मौके होंगे।”

“हाँ यह सही रहेगा….”


कहानी जारी है.....

Bahut hee badhiya update diya hai ! Kabir ke aane khani me ek twist aa gaya hai !
 
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