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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २५७ पृष्ठ १६१४


मजा थ्रीसम का - निधि -छोटी साली
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जोरू का गुलाम भाग २५७

मजा थ्रीसम का - निधि -छोटी साली
४१,२८,२९०
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पूरे आधे घंटे, तक धक्के का जवाब धक्के से और अबकी जब मैं झड़ी तो साथ में वो भी, सफ़ेद रंग से मेरी जाँघे रंग गयी
और फिर हम दोनों पलंग पे बिन बोले एक दूसरे को पकडे



तभी दरवजा खुला धड़ाक से,

"दीदी अकेले अकेले,..."

निधि थी


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और जब तक मैं कुछ कहती उसके कपडे फर्श पर थे और वो हम दोनों के साथ पलंग पे, अपने जीजू को चिपकाए।



और क्या मस्त गालियां दे रही थी, मेरी बहन अपने जीजू को। मुझे लगा ये उसने अच्छा किया की मेरी बहन बनी, बजाय इनकी बहन बनने के, अब हम दोनों मिल के इनकी माँ बहन एक कर सकते हैं, निधि नान -स्टॉप चालू थी,

" अबे स्साले, मैं नहीं थी तो मेरी बहन को चोद दिया अकेले पा के, …कुछ लाज शर्म, लिहाज है की नही। अब मेरी बहना अकेले नहीं है मैं भी आ गयी हूँ और हम दोनों बहने मिले के रोजाना, बिना नागा तेरी गाँड़ मारेंगे, तब कुछ सुधरेगा,"

वो बेचारे, एक तो थोड़ी झिझक, फिर अभी खुलते खुलते, खुलते थे और निधि को आये अभी २४ घंटे भी नहीं हुए थे पर एकदम से वो घुल मिल गयी थी,

उम्र में तो गुड्डी की ही बराबर, जस्ट अडल्ट, फरक सिर्फ ये था की इनकी बहन ने इंटर पास कर लिया था बिना इंटरकोर्स के ( गलती इनकी थी, वो तो दर्जा नौ से रोज अपनी चुनमुनिया की झांटे साफ़ कर के, सरसो का तेल लगा के रखती थी, कब भैया का मूड बन जाए ) और मेरी बहन अभी इंटर में ही थी लेकिन इंटरकोर्स में पी एच डी कभी का कर चुकी थी।

हाँ गुड्डी से एक मामले में आगे थी, गुड्डी ३२ सी और ये ३४ डी, एकदम मेरे टक्कर की, और गुड्डी थोड़ी स्लिम और इसकी देह थोड़ी गदरायी, भरी भरी, लेकिन कमर वैसे ही पतली,

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पर उनकी साली ने मुझे भी नहीं छोड़ा,

पर उसके पहले निधि ने एक जरूरी काम किया, उसके कपडे जो फर्श पर इधर उधर थे, अब उसके जीजा को बाँधने छानने के काम में आये, खूब कस के उनके दोनों हाथ निधि ने बाँध दिए लेकिन आँखे, मुंह सब खुले, अब वो हिल नहीं सकते थे, लेकिन अपनी साली की बदमाशी देख सकते थे और सिसक सकते थे, दर्द से चीख सकते थे और हम दोनों बहनों की गालियां सुन सकते थे।

और अब निधि मेरे पीछे,

" दी, आप भी न। अपनी छोटी बहिनिया को छोड़ के अकेले अकेले चुपचाप जीजू की मलाई खा ली. … मैं छोडूंगी नहीं, कुप्पी से निकाल के खाउंगी। "

और मेरी जाँघे फैला के सपड़ सपड़,,

ये तो ये कटोरी भार से कम मलाई कभी छोड़ते नहीं थे, और आज अपनी बहिनिया, गुड्डी के गैंग बैंग का किस्सा सुन के एकदम पगला गए थे, तो रोज से भी ज्यादा सफ़ेद नदी बहाई थी उन्होंने। पूरी जांघ पर रबड़ी मलाई फैली थी

और एक अच्छी छोटी साली की तरह निधि ने वहीँ से चाटना शरू किया, मैं कित्तो के साथ लेस्बो वाला खेल, खेल चुकी थी लेकिन साली निधि, क्या मस्त उसकी जीभ थी , और उससे बढ़के उसकी उँगलियाँ मसतायी नागिन की तरह मेरी लम्बी टांगो पर टहल रही थीं, सहला रही थीं,…

और अब सीधे निधि ने कुप्पी खोली,, मेरी दोनों फांको को फैलाया,


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और बजाय अंदर डुबकी मारने के, जीभ की नोक से फांको को सुरसुराय, सहलाया, चाटा, और मैं चूतड़ उचकाने लगी, चिल्लाने लगी
" कर ना यार, ...पेल दे जीभ अंदर "

लेकिन निधि मुस्करा के कभी मुझे देखती, कभी अपने जीजू को और जीजू को आँख मार के फिर मुझे तड़पाते हुए, अपनी जीभ से बस कभी जाँघों पे चाटती, कभी उस प्रेम गली के चारो ओर चक्कर काटती,

ये मेरी माँ, बहन, जितने मेरी मायके वालियां हैं सब की सब नंबरी दलबदलू, इनके साथ हो जाती हैं और ये नयी बनी छोटी बहन निधि भी एकदम उसी तरह से अपने जीजू की ओर,

" कर न निधि, …प्लीज मेरी अच्छी बहन, मेरी छोटी बहन " मैं चीख रही थी चूतड़ पटक रही थी।

और निधि के होंठो ने बाज की तरह झप्पटा मारा और सीधे मेरी चूत को दबोच लिया, जीभ अंदर,

क्या स्साला कोई लंड चोदेगा,… और होंठ फुद्दी की फांको को चूस रहे थे और यही नहीं दोनों हाथ निधि के मेरे जोबन पे

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कनखियों से मैंने देखा, ....निधि के जीजू का एक बार फिर से ठुमकने लगा था।

दर्जा बारह वाली साली का लेस्बो सीन, कौन मर्द नहीं पागल हो जायेगा,



चार पांच मिनट इसी तरह दबोच के मुझे इनकी स्साली ने जब तक अपने जीजू की मलाई का एक एक कतरा नहीं गटक लिया

वो चाटती रही और इसके बाद,

इंटरवल



लेकिन मुझे इस इंटरवल का इन्तजार था और मैं भी कौन कम थी। निधि को मैंने उसी के सिक्को में पैम्नेट किया, मैं उधार नहीं रखती थी

और अब वो नीचे मैं ऊपर, हम दोनों सिक्स्टी नाइन की पोज में और अब मैं उससे भी जोर जोर से उसकी चूत चूस रही थी, गुड्डी के जाने के बाद बहुत दिन के गैप से सुरमेदानी चूसने का मजा मिल रहा था और निधि की थी भी खूब रसीली, झांटो का सवाल नहीं , खूब मखमली फूली फूली फांके,

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और वो टुकुर टुकुर देख रहे थे, उनका सर उसी ओर था, जिधर उनकी साली की कटोरी और मेरा मुंह था। उनकी आँखे मुझसे गुजारिश कर रही थीं, बिन बोले, बोल रही थी

"प्लीज मुझे भी चखा दे, इस दर्जा १२ वाली की रसमलाई।"

और मुझसे रहा नहीं गया, मैंने इनके हाथ खोल दिए और अब हम दोनों मिल के उस किशोरी के चूत का रसपान कर रहे थे,

अब निधि छपटपटा रही थी, मेरे नीचे दबी छटक भी नहीं सकती थी और ऊपर से अब ये भी मैदान में थे, उसकी दोनों टाँगे उठाये जाँघे फैलाये, अपनी साली के रसकुंड में जीभ की डुबकी दिलवाते, चपर चपर साली की चूत चाट रहे थे।

स्साली तो रीनू भी थी, मेरी मौसेरी बहन,

लेकिन असली मजा तो छोटी साली के साथ आता है और वो भी टीनेजर हो, तो वो सुख आज इन्हे मिल रहा था।
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टीनेजर साली का पिछवाड़ा

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बदमाशी निधि ने ही शुरू की, पक्की स्पोर्ट्स गर्ल, जैवलिन थ्रो, शॉट पुट, जम्प, स्वीमिंग सबमे चैम्पियन तो ताकत की कोई कमी नहीं।

बस मेरी कमीनी छोटी बहिनिया ने, अपने दोनों तगड़े हाथों से मेरे दोनों मटको को पूरी ताकत से फैलाया, और उसके बाद पिछवाड़े की गली सहलाती रही, और फिर जिस रस्ते पे मेरे कमल जीजू का बुलडोजर चल चुका हों वहां तो एंट्री बेरोक टोक होती है,

बस नितम्बो के बीच के मेरे गोल दरवाजे पे निधि की बदमाश उँगलियाँ सहलाती रही, फिर एक और उसके बाद एक के ऊपर चढ़ा के दूसरी ऊँगली भी,

गप्प
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मैं और निधि लेस्बो सिक्स्टीनाइन कर रहे थे हाँ निधि की कुप्पी मैं और मेरा मरद मिल के सुड़क रहे थे, तो निधि ने भी एक साथ मेरे दोनों छेदो पर हमला कर दिया अगवाड़े जीभ, पिछवाड़े ऊँगली

जीभ निधि की पहले ही मेरे प्रेमद्वार के अंदर घुसी मेरे जी प्वाइंट को ढूंढ रही थी।

मेरे पिछवाड़े दो उँगलियाँ ओर चुनमुनिया में जीभ अंदर घुसी, इस स्साले की स्साली ने मेरे ऊपर दुहरा हमला कर दिया था ओर जीजा साली दोनों मेरी हालत देख कर मुस्करा रहे थे,

इन मामलों में बचपन से ही मैं बहन वहन नहीं देखती, आठवें -नौवे में जब हम तीनो मौसेरी बहन इकठा होती ननिहाल में और घर के छत के सस्बे अलग कमरे में एक चारपाई एक बड़ी सी रजाई में हम तीनो, तो पहला हमला मैं ही करती अपनी बहनो की,.. रीनू ओर चीनू की चड्ढी पे,


और मैंने भी निधि की तरह, अपने दोनों हाथों से निधि के चूतड़ों को अलग किया


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और गुदा द्वार में अपनी ऊँगली अंदर, और अंदर मतलब पूरे तीन पोर, लेकिन एक बात मैं समझ गयी, मेरी बहिनिया के यारों ने गोल दरवाजे पे ज्यादा ध्यान नहीं दिया, अभी भी बहुत टाइट है निधि के पिछवाड़े का छेद।

लेकिन मेरा मरद अपनी साली के पिछवाड़े का दीवाना था, इतना तो मैं एक दिन में समझ गयी थी. वो गोल गोल कसर मसर करते चूतड़, किसका मन न करेगा निहुरा के गाँड़ मार लेने का, इस इंटरवाली का।

और उनके इस पिछवाड़ा प्रेम के पीछे इनकी साली, मेरी मौसेरी बहन रीनू का बड़ा हाथ है जिसने अपने जीजू को उनकी ममेरी बहन के पिछवाड़े चार बार खड़े खड़े किचन में अपने सामने चढ़ा दिया। इन्होने गुड्डी की गाँड़ सात बार मारी और गुड्डी की भाभी के सामने और तब से ये भी पिछवाड़े के आशिक हैं।



मुझे एक बदमाशी सूझी।

हम दोनों के होंठ, मेरे और मेरे मरद के मेरी बहन निधि के निचले होंठों से चिपके थे। हम दोनों ने बाँट लिया था चूत रानी को, निधि के जीजा निधि की क्लिट चूसने में लगे थे और मेरे होंठ निधि की दोनों फांको का रस ले रहे थे

कुल गिन कर मैंने ६९ बार दाएं से बाएं और बाएं से दाएं, निधि की गांड के अंदर अपनी ऊँगली को चम्मच की तरह मोड़ के, करोच करोच के, मैंने किया


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ओर अंदर का 'सब कुछ ' और फिर ऊँगली निकाल के सीधे निधि के जीजा के मुंह में, और चिढ़ाते बोली, " साली का -प्रसाद "

फिर इनका मुंह खींच के अपनी छोटी बहन के गोल दरवाजे से चिपका दिया, "ले चूस", और ये तो पक्के चटोरे। जहाँ से मेरी ऊँगली निकली थी वहां इनकी जीभ।

निधि छटपटा रही थी, चूतड़ पटक रही थी। और हालत उसके जीजू की भी कम खराब नहीं थी। मैंने हाथ से इनके खूंटे का हाल चाल लिया तो वो एकदम तन्नाया , बेसबरा, बौराया,

और उसका इलाज तो मुझे ही करना था, तो बिना निधि के चूत पर से मुंह हटाए, मैंने हाथ से पलंग के जितने तकिये थे निधि के चूतड़ के नीचे और उनका खूंटा पकड़ के निधि के प्रेम गली पर,


हम पति पत्नी के चूसने से निधि की चूत में एकदम बाढ़ आ गयी थी, और इनका एक धक्का और लंड अंदर।


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मैंने भी उसके निचले होंठ फैला रखे थे, निधि ने खुद एक अच्छी साली की तरह अपने जीजा के लिए अपनी जाँघे खोल दी थीं।

निधि पर मैंने पकड़ ढीली नहीं की थी बल्कि इनका मोटा लंड जो अब निधि के चूत के अंदर धीरे धीरे जा रहा था, उसे अपने हाथ से पकड़ के घुसेड़ रही थी और जीभ से कभी बहन की चूत चाटती तो कभी पति का लंड। बस दो चार मिनट में जीजा साली की चुदाई फूल स्पीड में आ गयी।

लेकिन मेरा टारगेट तो गोल छेद था।


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स्साली इस इंटरवाली का पिछवाड़ा बहुत टाइट था, गाँड़ अभी ठीक से खुली भी नहीं थी, लेकिन है न मेरा मरद खोल देगा, मोटे मुस्टंडे वाला

बुर का मजा तो मेरा मरद कभी भी ले लगा, पर अभी मेरी ट्रिक थी न वैसलीन, न थूक न न सरसों का तेल, बस उनकी सली की चूत की चिकनाहट से लंड जितना चिकना हो जाए उतना और बस, पांच मिनट के बाद वो पिछवाड़े के दरवाजे पे



लेकिन उसके पहले अपना पूरा वजन मैंने निधि के ऊपर डाल दिया, कस के उसे दबोच लिया और मेरे दोनों पैर निधि के हाथो पे और मेरे हाथों ने निधि के चूतड़ को पकड़ के पूरी ताकत से फैला रखा
था।
 
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घुस गया, अंड़स गया, स्साली के पिछवाड़े

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वो गों गौ करती रही, छटपटाती रही लेकिन हम पति पत्नी की पकड़, और इनका पूरा ताकत से लगाया धक्का सुपाड़ा गांड में जाकर अड़स गया, जैसे बोतल में कार्कअटक जाए, न आगे हो न पीछे। मैंने कस के अपनी चूत से इनकी साली का मुंह भींच रखा था,

अगला धक्का और सुपाड़ा अबकी पूरा अंदर।

पानी से बाहर निकालने के बाद मछली की जो हालत है मोटा सुपाड़ा गांड में घोंटने के बाद टीनेजर लड़कियों की यही हालत होती, तड़पेंगी, छटपटाएंगी, फिर धीरे धीरे बर्दाश्त कर लेंगी, बस वही हालत निधि की हो रही थी।

मुझे मालूम था की इनकी साली पहली बार पिछवाड़े नहीं घोंट रही थी, लेकिन मूसल इतना मोटा और बांस ऐसा लम्बा लौंड़ा पक्का पहली बार उसकी गाँड़ में जा रहा था और अभी तो ये शुरुआत थी, जितना अपनी छोटी स्साली के मोटे मोटे चूतड़ को देखकर ये लार टपकाते थे, अभी तो निधि रानी की ये शुरआत थी।

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और धीरे धीरे दो चार मिनट में जिस गोल दरवाजे में घुसने में मेरी पतली सी ऊँगली को लाख जुगत लगानी पड़ी वहां उनका पूरा ढाई इंच मोटा सुपाड़ा अच्छी तरह पैबस्त हो चूका था, अब स्साली लाख चूतड़ पटके निकलने वाला नहीं था, जैसे कोई हिरणी भाले से बिंध जाए तो फिर लाख कोशिश करे, ….

घुसने के बाद भी दो चार मिनट तक उन्होंने आगे नहीं धकेला, निधि का पिछवाड़ा धीरे धीरे अच्छी तरह फ़ैल गया, कस के उस टीनेजर की गाँड़ ने अपने जीजू का मूसल अच्छी तरह दबोच लिया,

और मैंने निधि पर अपनी पकड़ थोड़ी ढीली कर दी, उसके मुंह को जो अपनी चूत से मैंने जो सील किया था वो भी खोल दिया, ,

मैं जानती थी असली लड़ाई तो अभी बाकी है, गाँड़ का छल्ला, और वहां जब मेरे मरद का मूसल घुसेगा, तो निधि कितनी बड़ी लंड खोर क्यों न हो, उसकी जान निकल जायेगी, रोयेगी, चिल्लायेगी, गाँड़ पटकेगी,

रोये चिल्लाये गाँड़ पटके, अरे उसके बिना याद कैसे रहेगा जीजू से अपनी पहली गाँड़ मरवाई, और अब खूंटा इतना धंस चूका होगा की बाहर निकलने का कोई खतरा नहीं,

उन्होंने जोर लगा के धीरे धीरे पिछवाड़े पुश करना शुरू कर दिया, कुछ मेरी बहन के समझाने का असर कुछ इनका अपनी बहन गुड्डी की दर्जनो बार गाँड़ मारने का असर, अब ये गाँड़ मारने और बुर चोदने का अंतर् अच्छी तरह समझ गए थे , बुर रानी की सेवा करने के लिए ये जानना जरुरी है की ज्यादातर नर्व एंडिंग शुरू में रहती हैं, तो जितना दरेररते जाएगा, रगड़ घिस्स होगी, और जितनी देर तक रगड़ रगड़ के चुदाई होगी लड़की को उतना ज्यादा मजा आएगा, लेकिन पिछवाड़े असली खेल फुलनेस का, भरे भरे होने का, संकरी सुरंग को फ़ैलाने का है और मजा दर्द में ही है, मीठा मीठा दर्द।

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और वो रुक गए, करीब दो इंच से ज्यादा अंदर था सुपाड़े के बाद, करीब एक तिहाई अंदर था, मैंने अब निधि को छोड़ दिया था और साली और जीजू एक दूसरे को देख रहे थे, मुस्करा रहे थे, निधि की आँखे अपने जीजू को चिढ़ा रही थीं, उकसा रही थीं।


उन्होंने झुक के एक चुम्मा निधि के होंठों पे और दो चुम्मे निधि के दोनों उत्तेजित निप्स पे लिए और एक बार फिर से उसकी टाँगे कंधे पे, दो चार और तकिये उसके चूतड़ के नीचे, दोनों हाथों से कमर को पकड़ के और, क्या धक्का मारा,

उईईई नहीं ओह्ह उफ़ जीजू दर्द हो रहा है, प्लीज एक मिनट बस एक मिनट , निधि छटपटा रही थी, चीख रही थी ....

लेकिन गाँड़ मरवाती चाहे लौंडिया हो, चाहे चिकना कमसिन लौंडा, मारने वाला कभी चीखों की रोई रोहट की परवाह नहीं करता,

और ये भी ठेलते रहे, धकेलते रहे, उस इंटर वाली किशोरी के पिछवाड़े,

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छल्ला पार हुआ, इनकी साली की चीखें हलकी हुयी और मेरा मरद ठेलता रहा, पेलता रहा, बिना रुके और जब करीब बांस पूरा अंदर था, तो वो रुका और चूतड़ छोड़ के अपनी स्साली के मस्त दोनों जोबन को पकड़ के हलके से ऑलमोस्ट बाहर निकाल के क्या धक्का मारा

मेरा सीना मारे ख़ुशी के फूल गया, आज निधि को पता चलेगा, क्योंकि असली कहानी तो अब शुरू होनी थी

ये सीधे चौथे गियर में क्या तूफ़ान मेल मारका पेलगाडी चलाई उन्होंने , निधि के पिछवाड़े को धुन के रख दिया। एक बार ये झड़ चुके थे इसलिए दुबारा तो बहुत टाइम लगना ही था

लेकिन पिछवाड़े का मजा तो कुतिया बना के ही लेने में हैं। धक्के जम के लगते हैं चूतड़ पे थाप पे भी और चूँची दबा के पेलने और पलवाने का मजा ही अलग है

तो बस थोड़ी देर में उन्होंने अपनी साली को निहुरा दिया, बिना खूंटा बाहर निकाले और कुछ देर में खेल में मैं भी शामिल हो गयी।

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पहले तो इनके पीछे खड़ी हो के अपने बड़े बड़े जोबन इनकी पीठ में रगड़ती रही, अपनी दोनों बर्छियों की नोक अपने मर्द की पीठ में धंसती रही इन्हे उकसाती रही, चिढ़ाती रही,

फिर निधि के आगे अपनी राजदुलारी को पसार दिया, गीली तो पहले ही निधि ने चाट चाट के कर दिया था , अब वो कस के रही थी , ये भी निधि की प्रेम गली में दो ऊँगली डाल के अंदर बाहर और निधि की दोनों गेंदों को हम पति पत्नी ने आपस में बाँट लिया था,

इनकी साली थी तो मेरी भी तो छोटी बहन



पहले मैं ही झड़ी, और उसके मिनट दो मिनट निधि और फिर ये, अपनी साली के पिछवाड़े, बड़ी देर तक

और उसके बाद थके हम तीनो बिस्तर पे पड़ गए।
 
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स्साली और बीबी साथ साथ : असली मजा थ्रीसम का

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हम तीनो एक दूसरे से चिपके, थके, लेकिन पहल मेरी छोटी बहन, निधि ने ही की ,

आते ही उसने अपने जीजू से दो चीजें घर के बारे में पूछी थीं "सुसुघर कहाँ हैं और दारु की बोतले कहाँ रखी हैं "

ये तो जिसकी गाँड़ ठीक से मार दें वो दो दिन तक टांग फैला के चलेगा, और बिस्तर से उठने में भी चिलख होगी, तो निधि भी, बड़ी मुश्किल से बिस्तर पकड़ के उठी, फिर दीवाल पकड़ के टाँगे फैला के, किसी तरह से चलती हुयी,



और लौटी तो उसके हाथ में व्हिस्की को दो बोतल, रामपुर, जुगलबंदी और दोनों का अल्कोहल पर्सेंटेज ५५ % से ज्यादा, मान गयी मैं अपनी छोटी बहन को, लौंडो के साथ दारु की भी उसकी पहचान सही है,
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उन्होंने हाथ बढ़ाया और डांट कस के पड़ी, और कौन डाँटेगा, उनकी स्साली निधि,

" चल हट, बेवड़े, मंगतों की तरह हाथ फैलाता है। ये हम दोनों बहनों के लिए हैं, चल बहुत ललचाएगा तो दे देंगे थोड़ा तुझे भी, चल मुंह खोल "



और उस नदीदे ने बड़ा सा मुंह खोल दिया और वो नशीली शराब, उनकी नशीली साली के नशीले जोबन पर से बहती हुयी बूँद बूँद उनके मुंह में

एक इंटरमीडिएट वाली टीनेजर, जस्ट अडल्ट के जोबन रस से आप सोच सकते हैं शराब और कितनी नशीली हो गई होगी और वो अगर छोटी स्साली हो, लेकिन फिर निधि ने बोतल, सीधे मेरे मुंह में लगा दी, कुछ मेरे गले से नीचे उतरी, कुछ मुंह में रही और मेरे मुंह उनकी साली के मुंह में और उनकी साली के मुंह से साली के जीजू के मुंह में,

दो चार पेग तो उस के जीजू ने ऐसे ही पी लिए और फिर मैंने निधि को कुछ इशारा किया



सच में असली साली थी उनकी, और मेरी असली छोटी बहन, बिना बोले इशारा समझ गई और दोनों टाँगे फैला के उनके मुंह के ऊपर, निधि ने अपनी कच्ची चूत की दोनों फांके खोल दीं,



" कैसी है मेरी बहना की " मैंने उन्हें चिढ़ाया,



उनका खड़ा खूंटा खुद बता रहा था की उन्हें कैसा लग रहा है, लेकिन वो कुछ बोल पाते साली का हुक्म मिल गया

" जीजू कुछ बोलना मत, बस मेरी दीदी की सास के भोंसडे ऐसा बड़ा सा मुंह खोल के रखो "

दुनिया का कौन जीजा होगा जो ऐसी सेक्सी स्साली का हुकुम न माने, उन्होंने मुंह खोल दिया, और शराब, साली की राजदुलारी से होते हूसे सीधे उसके जीजू के मुंह में


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" हे निधि, सुन, अभी तो ये वाली चलेगी, लेकिन सुबह अपने जिज्जू को अपनी पर्सनल सुनहली शराब ऐसे ही पिलाना, "मैंने अपनी छोटी बहन को हँसते हुए समझाया
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" एकदम दी, नेकी और पूछपूछ, नहीं मानेगे तो जबरदस्ती, एक कप पिलाऊंगी और दिन भर दो बोतल का नशा रहेगा, मेरे जीजू को "

हँसते हुए निधि बोली,

और बैठ के व्हिस्की से भीगी अपनी गुलाबी एकदम सफाचट चूत अपने जीजू के होंठों पर रगड़ती बोतल मुझे पास कर दिया, और मैं बोतल को मुंह लगा के गट गट गट गट,

थोड़ी देर में बोतल खाली थी, बोतल का नशा हम तीनो के अंदर, और आधी बोतल तो निधि के जीजू के पेट में और बाकी हम दोनों बहनों ने बाँट ली /



और सिर्फ बोतल ही हम दोनों बहनो ने नहीं बांटी, बिस्तर पर लेटे मरद को भी बाँट लिया,

ऊपर वाली निधि ने मुझे दिया और नीचे बाला खुद। हम दोनों की चुम्बन यात्रा साथ साथ शुरू हुयी, मैंने माथे से चूमना शुरू किया और निधि ने पैरों के अंगूठे से और पांच मिनट में हम दोनों बहनों के होंठ उस तन्नाए कुतबमीनार के चारो ओर, कभी चूमते, कभी चाटते बेचारा पलंग पे लेता लड़का सोच रहा था की हम दोनों माल अभी उसके खूंटे को मिल के चूसना शुरू करेंगे,


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लेकिन जितनी बदमाश मैं थी, उससे दस गुनी ज्यादा छिनार मेरी बहन, अपने जीजू को तड़पाने में माहिर,

बजाय उस लम्बे मोटे खूंटे को चूसने चाटने के, उसने मुझे क्या जबरदस्त लिप्पी दी, एकदम असली छोटी बहन की तरह, और मैं ने भी, एकदम असली डीप फ्रेंच किस, मैं निधि के होंठों को चूस रही थी , उसके मम्मों को दबा रही थी, जीभ उसके मुंह में ठेल रही थी, और निधि ने भी कस के मेरे सर को अपने दोनों हाथो से दबोच रखा था। और मैं तिरछी निगाह से उनकी ओर देख रही थी,


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बेचारा मेरा मरद उसकी हालत खराब थी, सामने मिठाई का थाल भरा और छूने को भी नहीं मिल रहा था, और यही तो हम दोनों चाहते थे, जितना बेसबरा होगा उतना रगड़ के चोदेगा।

और पांच मिनट उन्हें दिखा दिखा के हम दोनों जबरदस्त लेस्बो प्ले लेकिन मन तो हम दोनों का भी कर रहा था था, सामने इत्ता लम्बा मोटा चमचम हो और चूसने को न मिले, निधि बेक़रारार थी। मैंने उन्हें बोल दिया,

" चल बहुत मन कर रहा तेरा तो बस चुपचाप लेटे रहना, जो करेंगी हम दोनों बहने करेंगी, तू बस लेटे रहना, नहीं तो अबकी हाथ पैर सब बांधे देंगे और खोलेंगे भी नहीं'


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उन्होंने सर हिला के हामी भरी और हम दोनों मिल के चालु होंगे खूंटा चूसने में, साथ साथ।

वो मोटा चर्मदण्ड, बाए साइड से में चाट रही थी और दाएं ओर से निधि, लपड़ लपड़, सपड़, सपड़ और जब उनकी साली ने सुपाड़े को चूसना शुरू कर दिया तो मैंने जीभ की नोक से बे बेस को चाट रही थी, हाँ हाथ न मैंने लगाया न निधि ने, सिर्फ जीभ और होंठ।

लेकिन मान गयी मैं निधि को, कुछ देर बाद सुपाड़े को उसने बड़ी बहन के लिए छोड़ दिया

और वो खुद दोनों रसगुल्लों को सपड़ सपड़ कर चाटने लगी


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और लगे हाथ उसकी ऊँगली पहली बार मैदान में आयी और उनके पिछवाड़े के छेद के अंदर तो उसने नहीं घुसाया, लेकिन बस गोल दरवाजे के चारो ओर घुमाने लगी।

और अब मेरी ऊँगली भी मैदान में आ गयी थी, बल्कि मुट्ठी भी, मैंने लंड को कस के मुट्ठी में दबा लिया था और हलके हलके मुठिया रही थी और कस कस के उनके सुपाड़े को चूस रही थी ,


हम दोनों तो मस्ती कर रहे थे लेकिन हालत खराब मेरे मर्द की हो रही थी, वो बेचारे कुछ कर भी नहीं सकते थे, मैंने और साली दोनों ने बरज दिया था, बस सिसक रहे थे, चूतड़ पटक रहे थे, छपटपटा रहे थे, और मुझसे नहीं रहा गया,

मैंने खूंटा उस टीनेजर इंटरवाली के हवाले कर दिया


और क्या मस्त डीप सक किया इनकी स्साली ने, खूब बड़ा मुंह खोल के, ढेर सारा थूक लेके, हाथ में लगा के पहले मुठिया फिर सरकते सरकते आलमोस्ट पूरा, आठ इंच तक, निधि गों गों कर रही थी, खूंटा मुंह में अटका था, सुपाड़ा गले में एकदम हलक में जाकर तक गया था लेकिन अभी डेढ़ दो इंच बांस बाहर था।


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निधि कित्ती भी लंडखोर क्यों न हो, ऐसा लम्बा मोटा तो सपने में भी उसने न सोचा होगा। वो अच्छी तरह चौक कर रही


लेकिन मैं थीं न, बस मैंने कस के दोनों हाथो से निधि का सर पकड़ा और कस के अपने मरद के लंड के ऊपर रख के दबाया और उन्हें आँख से इशारा किया और इन्होने भी पलंग को पकड़ के पूरी ताकत से अपना चूतड़ उचकाया,

निधि बेचारी छटपटाती रही, छूटने की कोशिश करती रही, लेकिन मेरी पकड़ जबरदस्त थी, और सूत सुत करके उनका मोटा लंड उस टीनेजर के मुंह में समाता गया और थोड़ी देर में एकदम जड़ तक अंदर था, और निधि को भी मजा आने लगा। बस अब अपनी जीभ से उस मोटे चर्म दंड को वो चाट रही थी , होंठों से जड़ तक दबाये चूस रही थी और निधि ने खुद अपने हाथ से अपने जीजू के लंड के बेस को पकड़ लिया था



दो चार मिनट तक पूरे जड़ तक खूंटा घुसा था, निधि की आँखे बाहर निकली थीं, गाल उस मोटे खूंटे के कारण फूले थे, लेकिन मान गयी मैं निधि स्साली को, वो मजे ले ले कर चूस रही थी और कुछ देर बाद जब निधि ने थोड़ा सा खूंटा बाहर निकाला, और करीब ६-७ इंच मुंह में लेकर चूस रही थी तब तब भी थोड़ी थोड़ी देर में पूरा खूंटा अंदर ले लेती थी।



और मेरे होंठ कभी उनकी छाती पर कभी मेल टिट्स पे, लेकिन अब थोड़ी देर बाद मेरा नंबर था। पूरे दस मिनट तक निधि ने कबरदस्त डीप थ्रोट किया, वो भी चूतड़ उठा के मजा ले रहे थे, लेकिन निधि तक रही थी और मैंने मोर्चा सम्हला लिया,



और न मेरी ऊँगली, न मेरी चम्पाकली, न मेरे होंठ, बस मेरे जोबन दोनों डट गए मैदान में। निधि ने दूसरी बोतल खोली, थोड़ी खुद गटकी खुद मेरे होंठों में और कुछ उसके होंठो से उसके जिज्जू के होंठो पे
 
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टिट फक,

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पहले सिर्फ निप्स से मैंने इनके खूंट को सहलाया, फिर उसी निप से पेशाब के छेद पे हलके हलके सुरसुरी की, सुपाड़ा एकदम पागल

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मेरे जुबना के तो ये पहले दिन से दीवाने थे और टिट फक तो एकदम इन्हे पागल कर देता था

लेकिन आज मैं अपनी चूँचियों से इन्हे जबरदस्त चोद रही तो दो और लोगों के लिए, एक तो उस गाजर वाले के लिए, कैमरों के लिए और मुझे लगा ये सब फीड अगर उस फ़ूड ट्रक में जाती है तो वो गाजर वाला और फ़ूड ट्रक वाला जरूर देखते होंगे, और जो उन्हें देख के अनलाइज करेगा वो भी क्या सोचेगा, तो कैमरों के लिए और दूसरे निधि के लिए


और निधि का रिएक्शन जबरदस्त था,

कभी वो मुझे टिट फक करती देखती, कैसे मैंने अपने दोनों उभारो से उनके मोटे मूसल को कस के दबाया, और ऊपर नीचे कर रही हूँ और उनकी आँखों की चमक, चेहरे की मस्ती, पूरे देह में रची बसी ख़ुशी और मुझे जो मजा आ रहा था, जो मैं शैतानियां कर रही थी, कैसे जीभ निकाल के दोनों जुबना के बीच दबे, झांकते सुपाड़े को बस जीभ की टिप से कभी छू भर देती, तो कभी मुंह में लेकर चूस लेती,


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जैसे कोई नदीदी लड़की, किसी सहेली को मोटा रसीला लाल लाल लॉलीपॉप चूसते देखती हैं, और उसका मन करता है, बस एक लिक मुझे भी मिल जाय, ये कमीनी सब चूस लेगी, बस व्ही हालत निधि की हो रही थी,


मैंने बस जरा सा इशारा किया, और वो लपक कर मेरे बगल में। धक्का मार के मुझे हटा दिया और अपने दोनों टीनेजर उभारों के बीच मेरे मरद का मोटा तन्नाया लंड, और क्या मस्त लग रही थी।

अपनी बड़ी बड़ी नशीली आँखों से अपने जीजू को ललचाती, अपने उरोजों से कभी हलके से तो कभी कस के,

बस वो कहते हैं न दो पाटों के बीच में फंस के बचा न कोय,
तो टीनेज साली की दोनों चूँची के बीच कौन से जीजू का लंड बचता,



मैं थोड़ा हट के बगल में बैठ के जीजू साली का खेल देख रही थी और दर्जनों कैमरे रिकार्ड भी कर रहे थे, और बाद में कोई साथ समुद्नर पार भी देखता सोचता , सच में स्साला ठरकी है,



मंजू का कहना था की कोई औरत किसी मरद को रगड़ के चोद सकती है की नहीं वो दो बातों से पता चलता है, वो मरद को अपनी चूँचियों से चोद सकती है की नहीं और दूसरे उसके ऊपर चढ़ के चोद सकती है की नहीं,


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चूँची चोदन में तो पक्का निधि को १० में १० मिलता, पर अब बहुत चोर सिपाही हो गया था, हम दोनों बहनों की चुनमुनिया में आग लगी थी और उनके मूसलचंद का मन भी प्रेम गली की सैर करने का कर रहा था।


निधि ने मेरी ओर देख के बड़ी हसरत से कहा, " दी " और मैं समझ गयी और उसे जोर से डांटा,

" अबे बुद्धू, तो चढ़ के चोद न दे, तेरे तो जीजू हैं, तेरा हक तो सबसे पहले, तेरे बहनचोद, मादरचोद जीजू की माँ बहने तो छोटी नहीं तू स्साली हो के झिझक रहीहै, चढ़ के पेल दे।
और उनकी स्साली ने सच में अपने जीजू को चढ़ के पेल दिया,

असल में स्साली ऐसी ही होनी चाहिए, जीजू जरा भी झिझके, हिचके, स्साली खुद कूद के ऊपर चढ़ जाए, अरे तवा गरम हो, लंड खड़ा हो तो इन्तजार किस बात का,

पहले तो अपने होंठो से जीजू के सुपाड़े को थोड़ा चाटा, फिर उंगलियों में थूक लगा के अपनी फांक को फैलाया और मेरे उनके ऊपर चढ़ केअपनी दोनों फांको में फंसा लिया, पूरा सुपाड़ा एक बार में तो घुसना मुश्किल था। फिर अपने जीजू को देख के मुस्करायी, जबरदस्त आँख मारी और उनके दोनों कंधो को पकड़ के हचक के धक्का मारा,


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जितनी ताकत से कोई मरद किसी कच्ची की सील फाड़ने के लिए धक्का मारता है, बस वैसे ही,

दो चार धक्के और फिर सुपाड़ा उनकी स्साली की चूत गप्प कर गयी, जैसे किसी ने अजगर ने कोई बड़ा सा जानवर घोंट लिया हो अब न निगल पा रहा हो न घोंट पा रहा हो, बस वही हालत थी, चूत कुमारी की।

निधि में हिम्मत भी थी, ताकत भी थी और समझ भी, थोड़ी देर बजाय पुश करने के वो अपनी कमर गोल गोल घुमाती रही, कभी आगे पीछे भी करती और जरा जरा सा खूंटा सरकने लगा और कुछ देर के बाद, क्या करारे गिन के उस दर्जा बारह वाली एथलेटिक किशोरी ने बारह धक्के पूरी ताकत से मारे और ४-५ इंच कर्रीब करीब आधा लंड जीजा का साली की चूत में,…



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लेकिन अब मैं भी मैदान में आ गयी।

क्या एक लड़की पर ही दो दो मरद चढ़ सकते हैं ?

वैसे एक राज की बात बताऊँ, जब सैंडविच बनती है न तो लड़कियों को कम मजा नहीं आता , ख़ास तौर से सालियों की दो दो तीन जीजाओं के बीच छोटी साली का होने का यही तो फायदा है, मुझसे कोई पूछे ओर आज मेरा मरद भी छोटी टीनेजर बिनब्याही साली का फायदा ले रहा था


लेकिन अभी तो एक मरद पर दो दो कन्याये चढ़ी थीं, मैं इनसे अपनी राजदुलारी को चटवा रही थी और मेरी छोटी बहन की राजदुलारी की सेवा इनका मोटा मुस्टंडा कर रहा था।


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और हम दोनों बहने आपस में भी मस्ती कर रहे थे, कभी निधि मेरे होंठों को चाट लेती अपनी जीभ से, कभी हम दोनों किस कर लेटे कभी एक दूसरे के उभारो को कचकचा के दबा देते, और हाँ इनके साथ तो मजे ले ही रहे थे।

निधि इनके लंड पे चढ़ी थी और मैं इनसे चूत चटवा रही थी, पर ये भी जोश में आ गए और साली की कमर पकड़ के कस कस केअपने चूतड़ उछाल के चोदने लगे।मेरे मरद के धक्को में बहुत दम था, चाहे ऊपर से मारे चाहे नीचे से चूल ढीली कर देता था। और ऊपर से कलाई से मोटा खूंटा

और जवाब में मैं कस कस के कमर हिला के इनके मुंह पे अपनी गीली चूत रगड़ रही थी, आज इन्हे असली मजा थ्रीसम का मिल रहा था, बीबी भी,… स्साली भी।



निधि की बिल में जो मोटा पिस्टन ऊपर नीचे हो रहा था, जैसे कोई मोटा सांप सरसराता अपनी बिल में घुस रहा हो, सच में मेरे भी मुंह में ( नीचे वाले ) पानी आ रहा था, और मैंने निधि को इशारा किया और हम दोनों ने पोजीशन बदल ली, मैं मीठी शूली पर चढ़ी थी, और मेरी बहन निधि अपनी रसमलाई अपने जीजू से चटवा रही थी,


जीजू स्साली की रसमलाई का स्वाद ले रहे थे चुसूर चुसूर

और हम दोनों बहने जैसे हाईस्कूल में नयी नयी चूँची आयी लड़कियां करती हैं, आपस में चूँची रगड़ रहे थे, और देख देख के इनकी हालत और खराब हो रहे थी,

पर थोड़ी देर में फिर अदलाबदली हो गयी, मोटा गन्ना नए माल के जिम्मे और मैं फिर से मुंह के ऊपर लेकिन अबकी मैं थोड़ा सरकी और सीधे गोल दरवाजे का छेद इनके मुंह पे,
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निधि मेरी बदमाशी देख के मुस्करा रही थी, और इनके ऊपर चढ़ के हचक हचक के पेल रही थी, पर इन्होने मुझे कुछ इशारा किया और मैं हटी

जीजा ऊपर और स्साली नीचे, निधि की दोनों टाँगे इनके कंधे पर और मैं हड़क गयी, मैं समझ गयी अब तेज तूफान आएगा, और आया।

क्या तूफानी चुदाई की उन्होंने अपनी स्साली की पन्दरह मिनट नान स्टॉप, जैसे कोई धुनिया रुई धुनें, और साथ में कचकचा के निधि के गाल पे चूँची पे जोर जोर से कभी दांतो से कभी नाखुनो से, बिना इस बात किस चिंता किया की कल इस लड़की को कालेज जाना है और ये सब निशान हफ़्तों नहीं जाएंगे,


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मैं इनके पीछे खड़ी कभी जोबन से इनकी पीठ सहलाती तो कभी हाथों से निधि के चूतड़, फिर थोड़ी देर बैठ के बगल में उस इंटर वाली की बिल में घुसता निकलता मोटा कड़क अजगर देखती रही, कभी झुक के निधि की क्लिट चूस लेती, और जब निधि झड़ी तो बस उसके कुछ देर बाद ही वो



लेकिन जब ये झड़े तो निधि की दोनों टाँगे उठी, चूतड़ हाथ भर बिस्तर से ऊपर और सुपाड़ा एकदम निधि की बच्चेदानी से चिपका, सब मलाई बच्चेदानी में



( ये तो गनीमत थी की निधि ने मुझे बता दिया था की वो गोली लेती है और मैंने उसे समझा दिया था की कल ही मैं उसे डाक्टर गिल के पास ले जाकर उसकी बच्चेदानी में ताम्बे का ताला लगवा दूंगी। फिर गोली वोली का झंझट ख़तम। और मुझे बुआ और उनकी बेटी के लिए भी अप्पवाईन्टमेंएट लेना है, अगले हफ्ते ही तो वो लोग आ रही हैं बस पांच छ दिन और तो बुआ का न सिर्फ ताला खुलवाना है बल्कि गाभिन होने वाली दवाएं भी दिलवानी है और उनकी बिटिया को ताला लगवाना है, माँ बेटी एक साथ, एक गाभिन होगी, एक की सील खुलेगी और कौन इन्ही के जिम्मे काम है, इनकी मायकेवालियाँ तो और कौन गाभिन करेगा, सील तोड़ेगा )

और निधि रानी की रगड़ाई यहीं नहीं ख़त्म हुयी, खुद ही साली बनना चाहती थीं, तो घोंटे जीजू का दिन रात, मेरे जीजू लोग तो पहला मौका पाते ही मेरे सैंडविच बना देते हैं तो निधि के जीजू क्यों छोड़ेंगे,


तो पहले पिछवाड़े मलाई भरी गयी, फिर सीधे बच्चेदानी में
 
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बीबी भी स्साली भी, मजा थ्रीसम का
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और उसके बाद रात भर में तीन बार और,

देखें कैमरे वाले, गाजर बेचने वाला,

चुदी निधि की बुरिया ही, लेकिन मलाई बुरिया को खाने को नहीं मिली। हचक के पेलने के बाद मेरे मरद ने झड़ने के पहले अपना लंड एकदम जड़ तक उस टीनेजर के गले में ठूस दिया, मैं भी पीछे से उस साली का सर कस के पकडे थी। नहीं एक बूँद भी मलाई मुंह में नहीं गयी, कितनी लड़कियां मुंह से निकाल देती है और यह मैं मानती हूँ बीज की बेइज्जती है, तो एकदम हलक के अंदर सुपाड़ा था जब उसने दही उगला, और सब गले से मेरी छोटी बहन के पेट में,

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लेकिन वो कमीनी, उसने अगली बार बदला ले लिया, चुदे हम दोनों, अलग बगल लेट कर,

दस धक्के पहले निधि की बिल में, फिर दस मेरे में, वो गिनती रहती, और निधि का नंबर, लेकिन जब झड़ने का नंबर आया हम दोनों मिल के चूस रहे थे, और मैंने निधि के जुबना की ओर इशारा किया पर वो छिनार, मेरे मरद के पीछे:, नहीं जीजू अबकी दी का नंबर, और ये मरद स्साले न कहाँ कच्ची उम्र का माल देखें न और मेरा मरद तो पक्का दलबदलू, कोई उसके ससुराल वाली मिल गयी तो तलवे चटवा देगी, तो बस फायरब्रिगेड का मोटा होज मेरे दोनों उभारों पर जैसे पहाड़ों पर बेमौसम बर्फ गिर गयी है,

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और हाईस्कूल इंटर वाली लड़कियां तो आइसक्रीम की शौक़ीन, सब क्रीम चाट गयी सपड़ सपड़ और जो एक बूँद निपल पे थी वो ऊँगली पे ले के जीजू को चटा दिया

पर अगली बार बदला मैंने लिया, मैंने और मेरे मरद ने मिल के खूब रगड़ा। आखिर कन्या रस की तो मैं भी शौक़ीन, भले शिकार मेरा मरद करे लेकिन खाती तो मैं भी हूँ और गिरने के समय,

मैंने निधि का चेहरा कस के पकड़ रखा था और क्या जबरदस्त फेसियल हुआ। माथे पे, आँखों पे गाल, नाक होंठ याहं तक की दो चार टुकड़े बालों में भी और जहाँ बचा हुआ था, मैंने लथेड़ दिया, और बोली तेरे जीजू का मेकअप है साफ़ मत करना,

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एकदम दी वो कमीनी बोली और हँसते हुए जोड़ा, बिना मुंह धोये ही स्कूल जाउंगी।



पूरी रात थ्रीसम का मजा लिया हम तीनो ने,

और सुबह चार बजे जैसे ही चिपक के हम तीनो सोये होंगे मेरी सौत आ गयी, इनका आफिस का फोन, पन्दरह मिनट में गाडी आ रही है, आफिस में कोई कांफ्रेंस हैं।

वो आफिस और हम दोनों बहने चिपक के सोयीं, जबतक गीता नहीं आयी।



और हाँ एक बात और, थ्रीसम का असली मजा तब है जब लगातार तीनो की बॉडी टच में रहे और एकदम वही हो रहा था, फिर सिर्फ ये नहीं था की हम दोनों बहने मिले के मेरे मर्द और निधि के जीजू को मजे दे रहे थे, एक बार तो जीजा साली मिल गए और क्या रगड़ाई हुयी मेरी।

ये मुंह में ठेल रहे थे मूसल जड़ तक और निधि मेरी रसमलाई चाट रही थी, और मेरी बिल में दो ऊँगली निधि की और दो ऊँगली उस के जीजू की घुसी थीं और मैं चीख भी नहीं सकती थी, मुंह में तो जड़ तक इनका बांस था। चूँचिया भी मेरी जीजा साली ने बाँट ली थी। और दोनों में मुकाबला हो रहा था की कौन पहले उखाड़ लेगा,

और एक बार निधि के साथ ये खड़े, खड़े, उस राउंड में तो निधि पूरी तरह खड़े खड़े ही चुदी,


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तो पीछे से इन्होने दबोच रखा था और आगे से मैं चिपकी थी, मैंने अपनी प्रेमकली, उसकी कच्ची चम्पाकली पर रगड़ रही थी, घिस रही थी, दोनों हाथ से कस कस के उसके जोबन दबा रही थी, और पीछे से इनका खड़ा खूंटा उस इंटरवाली के मोटे मोटे चूतड़ के बीच में धक्के मार रहा था, फुफकार रहा था,

असल में एक इंटरवाली छोटी साली का फायदा क्या अगर उसकी रोज बिना नागा जम के ली न जाए,
मैंने आगे से निधि की दोनों टांगो के बीच अपनी एक टांग डाल के फैला दिया, और अपने दोनों हाथों से पकड़ के अपनी ओर झुका दिया जैसे किसी शाख को झुकाते हैं फल तोड़ने के लिए,

मेरे मरद ने फल तोड़ लिया, उस इंटरवाली की दोनों चूँची पकड़ के, निहुरी हुयी स्साली के बिल में अपना खूंटा पेल दिया,

हच्चाक,

न सरसो का तेल, न वैसलीन न जेली,
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ढाई इंच मोटा सुपाड़ा गप्प

लेकिन स्साली भी कम कामुक नहीं थी थोड़ी देर में धक्के का जवाब धक्के से दे रही थी और आगे से मैं अपनी बहिनिया को चूम रही थी चूस रही थी, उसके होंठ काट रही थी, उसके मुंह को अपनी जीभ से चोद रही थी, और कुछ देर में उस कमीनी ने खुद मेरी चूँची में अपना muh लगा दिया और क्या मस्त चुसूर चुसूर चूस रही थी,

किसी भी मरद के लिए लेस्बो से ज्यादा उत्तेजक कुछ नहीं हो सकता और खास तौर से जब बीबी और उसकी छोटी स्कूल जाने वाली बहन हो

और उसी बार, खड़े खड़े निधि को चोदने में, वो उसे दीवाल से सटा के रगड़ रगड़ के पेल रहे थे, बेचारी की छोटी छोटी चूँचिया दीवाल में रगड़ी जा रही थीं, पिसी जा रही थीं, और पीछे से इनका मोटा पिस्टन वंदेभारत की रफतार से अंदर बाहर,,,, अंदर बाहर, दरेरता, रगड़ता, फैलाता, फाड़ता,

और मैं इनके पीछे से, अबकी सैंडविच मेरे मर्द की बनी थी, मैं अपने दोनों जोबना इनकी पीठ में रगड़ रही थी, इनके नितम्ब सहला रही थी, और इन्हे उस इंटरवाली की कस कस के रगड़ाई करने के लिए उकसा रही थी, इनके कान में फुसफुसा रही थी,

" पेल स्साली को कस के, छिनार ने बहुत लंड खाये होंगे लेकिन आज उसे पता चले असली लंड कैसा होता है, भूल जाए सब चुदाई, अब तक की, चोद मत,... फाड़ दे स्साली की "

और मेरे हाथ भी आगे बढ़ के कभी निधि की चूँची मसल देते, तो कभी नीचे उसके चूतड़ सहला देते, फिर मेरे दाएं हाथ की दो उंगलिया निधि के जीजा की गांड में एकदम अंदर तक, और जैसे लाल मिर्च लग गयी हो उन्हें,

" आज देखना है तेरी ताकत रगड़ दे कस के पूरी ताकत से, जैसे चूत में कोई लाल मिर्च डाल के कूट दे वो हालत कर दे, मेरी सास के यार, चल "

और उन्होंने पहले तो पीछे से निधि की दोनों टाँगे फैलायीं, इशारा पाकर निधि ने भी अपनी जाँघे, बुर ढीली कर दी और इनका मोटा मूसल जड़ तक, फिर तो किसी लता की तरह इनकी दोनों टांगों ने निधि की टांगों को दबोच लिया, जैसे कोई अजगर कुंडली मार के जानवर को जकड़ ले बस उसी तरह एक इंच का भी अंतर नहीं था उस टीनेजर की जाँघों के बीच और जब उन्होंने निकाल के फिर से ठेला तो क्या दर्द हुआ उस बेचारी को, कम से कम २१ जगह से चूत छिली होगी अंदर से

" रुक मत पेल कस के "

पीछे से मैं अपने घोड़े को एड लगा रही थी और वो पूरी ताकत से दौड़ रहा था, निधि चीख रही थी, चिल्ला रही थी लेकिन यही तो मजा है स्कूलकालेज वालियों को चोदने का

चाहे लौंडिया हो या औरत, अगर पहली रात में ही मर्द ने उसे रगड़ के चोद दिया, उसकी चीखे निकलवा दिया, पांच छह बार झाड़, दिया वो चलने लायक नहीं रही तो बस वो सब भूल के उस मरद की हो जाती है




और निधि अपने जीजू की जबरदस्त फैन हो गयी।
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निधि और उसके जीजू -स्कूल और स्पोर्ट्स

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निधि और उसके जीजू में उस रात से फेविकोल का जोड़ हो गया था। इनका सब काम इनकी स्साली के जिम्मे, पेंट में बटन टांगना हो, आफिस का लंच पैक करना हो, शर्ट उलटी तो नहीं पहनी है, गाल में लिपस्टिक का दाग तो नहीं लगा है, किचेन के इनके खाने से इनको डांटने का काम, अब निधि के जिम्मे,

और ये मुझसे कुछ कहते भी तो मैं उसी के हवाले कर देती,

"अपनी साली से पूछो, निधि से मांग लो, "

मैं बुरी तरह उन एन जी ओ में फंसी थी जो हम लोगो ने बनायीं थी, आज उनसे मीटिंग, कल लीगल टीम के पास बैठना है, कहीं कोऑपरेटिव आफिस में जाना है, दस काम फंसे थे,
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और निधि सिर्फ इनके काम ही नहीं करती थी, इनकी सब बातें मानती भी थी।

और कुछ मामलों में ये स्ट्रिक्ट भी थे, जैसे निधि का बहुत सा क्लासवर्क छूटा था, पिछले स्कूल ने भी उसे फ़ीस न देने के लिए ,और उन्होंने टारगेट सेट किया अगले १५ दिन में निधि को उसे पूरा करना था, और वो टारगेट उनके लिए भी था, रोज दो घंटे वो निधि को पढ़ाएंगे। मैं जानती थी आज कल आफिस में क्या चल रहा है फिर भी उन्होंने कमिट किया, असल में निधि की इंग्लिश और कम्प्यूटर बहुत अच्छी थी, और मैथ्स उन्होंने तय कर लिया था की निधि को पढ़ाएंगे।


और निधि और उनके बीच में दोस्ती भी कई लेवल पर थी और मस्ती भी खूब होती थी जैसे चेस वो बहुत अच्छा खेलते थे, कालेज लेवल के चैम्पियन, लेकिन घर में वो सेट ऐसे ही पड़ा था, बस निधि ने पूछा कौन खेलता है और वो दोनों लोग बैठ गए, और एक बाजी दो बाजी, l औरतीसरी बाजी निधि ने जीती


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और हुकुम सुना दिया, " पहले सब कपडे उतारो, और नंगे पुंगे, किचेन में नाश्ता खाना, सब हम दोनों की पसंद का "



और हम दोनों बहनो ने मस्ती की, और वो बिचारे साली का हुकुम मान के निसुते छपन भोग बना रहे थे।

लेकिन निधि ने अपने मन की बंद कोठरी, जो मेरे सामने भी नहीं खोली थी, वो दर्द जो उसने सात ताले में बंद कर के रखे थे, अबकी दुःखों की पोटली, उनके सामने खोल दी,

और उस पल से वो निधि के सामने ढाल बन कर, स्कूल हो, स्पोर्ट्स ग्राउंड हो,
जब हम दोनों अकेले थे तो उन्होंने सिर्फ एक बात कही, बहुत गलत हुआ निधि के साथ और फिर जैसे खुद से कहा हो, हर सेल्फ रिस्पेक्ट हैज बीन डैमेज्ड, सैड,
और जहाँ से वो दुरदुरा के निकाली गयी, जिस प्रिंसी ने मिसेज मोइत्रा के बस इशारे पे, उसे स्कूल से बाहर किया, बिना उसकी एक बात सुने, उसी प्रिंसी के कमरे में



स्कूल तो उसी कम्पनी का था, टाउनशिप में था और कम्पनी में इनकी बदलती स्टेटस के बारे में खबर तो सबको थी,न ये बोलते न मैं और न मिसेज डी मेलो, लेकिन उस दिन ये पूरे रंग में, निधि इनके साथ और प्रिंसी खुद कमरे से बाहर आयीं, कार का गेट खोला और निकली,

निधि,

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प्रिंसिपल खून का घूँट पी के रह गयी, इसी लड़की को चपरासियों से धक्के देके, स्कूल के गेट के बाहर निकलवाया था,


वो लाख रो रो के अपनी बात कह रही थी, लेकिन प्रिंसी ने सुनने से मन कर दिया था, वो ज़माना था जब मिसेज मोइत्रा के मूत का चिराग जलाता था, और उन का इशारा था, सिर्फ निकालना ही नहीं है, बेइज्जत कर के निकालना है,

और आज वो उस के लिए कार का दरवाजा खोल के खड़ी थीं,...

उन के चैम्बर में भी ये खड़े थे, तो प्रिंसी की हिम्मत कैसे पड़ती, और निधि ठसके से बैठ गयी,

सिर्र्फ प्रिंसी ही नहीं खड़ी रही, निधि की क्लास टीचर, स्पोर्ट्स की टीचर, अब ये खड़े तो थे प्रिंसी खड़ी थीं, और प्रिंसी खड़ी थीं तो टीचर्स कैसे, बैठ सकती थीं,

निधि के जीजू निधि को क्लास में भी छोड़ने गए, और क्लास के बाहर प्रिंसी और टीचर्स उन्हें सर सर कह रही थीं, और निधि दुष्ट नहीं महा दुष्ट, क्लास की लड़कियों को दिखा के निधि ने इन्हे कस के हग किया और अपने स्कूल टॉप फाड़ते उभार इनकी छाती पे खुलेआम रगड़ दिए, इन्होने भी कस के उसे भींच लिया,

" और शाम को " निधि ने बड़ी अदा से आँखे नचा के पूछा,
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" कहने की बात है, तेरी क्लास ख़तम होने के दस मिनट पहले आ जाऊँगा," उन्होंने मुस्करा के कहा और उसे एक बार अबकी खुद हग कर लिया और उसका पिछवाड़ा सहला दिया।

निधि चूतड़ मटकाते क्लास में घुसी, लौंडो से आँख में हाई फाइव किया और उसकी जो पक्की सहेली, पार्टनर इन क्राइम लौंडे पटाने में उसकी जोड़ीदार रश्मि, उससे भी हाई फाइव किया हाथ से , लेकिन रश्मि की निगाहें इनपे टिकी थीं, उस के मुंह में पानी आ रहा था, और वो भी जब तक निधि क्लास में बैठ नहीं गयी उसे देखते रहे, और बाहर से हाथ हिला के हिले,

पीछे पीछे प्रिंसी,



रश्मि निधि के गाल पे चिकोटी काटती बोली, " स्साली अबकी जबरदस्त लौंडा पटाया है, किता हैंडसम है यार, काम में कैसा है "



ये पहली बार स्कूल गए थे, रसगुल्लों को भी बाहर गेट से छोड़ के आ जाते थे तो टीचर्स भी नहीं पहचानती थीं, स्टूडेंट्स का सवाल नहीं

निधि ने रश्मि के सवाल का जवाब अपना बित्ता पूरा फैला के दिखाया और उसके बाद बोली प्लस प्लस, यानी बित्ते से भी बड़ा है

और रश्मि की आँखे खुली रह गयी, निधि की जांघ पे कस के मार के बोली, "स्साली अकेले अकेले खायेगी, हजम नहीं होगा, मुझे भी खिलाना होगा और स्साला पावरफुल भी कित्ता है, देख प्रिंसी दुम हिला रही थी, सर सर बोल रही थी।

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निधि शाम को आयी, यही गए लाने तो पता चला की स्पोर्ट्स कैप्टेन तो हो ही गयी थी, रेड हाउस की हेड भी बन गयी , और मिसेज मोइत्रा के दोनों रसगुल्ले उसी रेड हाउस में थे।


हाँ एक बात तो स्कूल में जो हुयी मैं बताना भूल ही गयी, शार्ट टर्म, मिड टर्म ओर लांग टर्म प्लानिंग, ओर किसके लिए मेरे मरद ओर उसके जीजू के लिए,

इनके स्कूल से निकलने के पहले मैं निधि बोली प्रिस्नी से

"जरा इन साथ स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स को देख के आती हूँ, ओर हाँ किसी के साथ आने के जरूरत नहीं है, जरा मैं फैसलिटीज ओर यंग टॅलेंट को देख के आती हूँ " ओर इनसे बोली, ' चल न, देख के मैं तुझे बताती हूँ स्पोर्ट्स के लिए क्या करना है "



ओर ये प्रिंसी से कुछ बोलने लगे तो निधि उन्हें हड़काती बोली, " अबे माल मत ताड़, चल। "

ओर इनका हाथ पकड़ के खींचती हुयी ले गयी, उस समय क्लास नौ ओर उस से छोटे क्लासो का स्पोर्ट्स पीरियड चल रहा था। बस वो खींच के उसी ओर,
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ओर इन्होने गलती से अपनी साली से पूछ लिया की हम किधर जा रहे हैं कौन सा स्पोर्ट, तो कस के डांट पड़ गयी,

" स्साले असली स्पोर्ट तो ये है, जितना गदहे ऐसा मोटा तेरा औजार है न वैसे ही मोटी बुद्धि है " ओर निधि ने अंगूठे ओर ऊँगली को जोड़ के गोल बना के इंटनेशनल चुदाई के सिंबल का प्रदर्शन किया। ओर फिर प्यार से खुले मैदान में अपने जीजू के गाल का चुम्बन लेती हुयी बड़े प्यार से बोली,

" अरे जीजू आँखे फाड़ के देख, एक से एक कच्ची कलियाँ हैं, बस पसंद कर ले, एक से एक छोटे छोटे चूजे हैं यहाँ

" छोटे छोटे चूजों के बड़े बड़े चूजे, " मुस्कराते हुए एक दर्जा आठ वाली को देखते वो बोले सच में उस कच्ची कली के उभार अपनी क्लास वालियों से बीस नहीं चौबीस रहे होंगे।

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" सही माल छांटा है देख अब महीने भर के अंदर इसकी नथ उतरवाउंगी तुझसे ओर वो भी अपने सामने, लेकिन एक से क्या होगा , चार पांच सात आठ, अरे चुन चुन के तेरे लिए ऐसी कच्ची कलिया लाऊंगी, जिनकी झांटे भी नहीं आयी है , सच में आज असली मजा आया जब प्रिंसी की गांड फटी "

निधि मुस्करा के बोली ओर उस लड़की को बुला के बात करने लगी की उसे कौन स्पोर्ट पंसद है, वो क्या बनना चाहती है "

वो लड़की निधि को जानती थी खुश होके बोली

" दीदी मैं एकदम आप जैसी बनना चाहती हूँ स्पोर्ट्स चैम्पियन, जिम्नास्टिक्स, स्वीमिंग ओर थ्रो करती हूँ।

ओर थोड़ी देर बाद जब वो निधि को क्लास में छोड़ने गए तो रस्ते में निधि ने उन्हें स्कूल की बहुत से राज की बात बतायी, जैसे प्रिंसी चांदराम चौकीदार से फंसी है ओर निधि ने एक बार उस चौकीदार को प्रिंसी की गाँड़ मारते देख लिया था बस उस दिन से प्रिंसी निधि के पीछे पड़ गयी। वो प्रिंसी को ब्लैकमेल भी करता है ओर उस चौकीदार के अलावा भी तीन चार ओर हैं जिनसे प्रिंसी फंसी है, एक सप्लायर है स्पोर्ट्स के सामान का , एक स्पोर्ट्स के टीचर हैं लेकिन अब उनका ट्रांसफर हो गया है। पर आज जिस तरह उनके साथ देख के स्साली की गाँड़ फटी अब वो निधि के आगे मुंह भी नहीं खोल पाएगी

निधि के स्पोर्ट्स का काम मैंने इन्होने मिल के बाँट लिया।

उस प्रोजेक्ट के चक्कर में इनके गवर्नमेंट के बहुत से लोगो से दोस्ती होगयी थी, तो इन्होने किसी से कहा और उसने किसी से और शाम को फोन आ गया था की एक जैवलिन की कोच जो द्रौणाचार्य पुरस्कार विजेता हैं और एशियन गेम की सिल्वर मेडलिस्ट भी, वो पन्दरह दिन के लिए आएँगी और निधि को कोच करने के साथ यहाँ एक स्पोर्ट्स अकेडमी के बारे में भी बात करेंगी।

स्पोर्ट्स अकेडमी इन्होने अपनी कम्पनी के सी एस आर से प्रपोज की थी, लेकिन अब सवाल ये था की निधि की फिजिकल फिटनेस और ट्रेनिंग नेशनल कोच के सामने जाने के लायक तो हो और फिर मैं मैदान में आगयी,


रोज सुबह मेरे साथ आधे घंटे योग,


और उसके बाद गोल्डन जिम में भी मैंने उसका नाम लिखा दिया, एक परसनल ट्रेनर भी, पूरे चालीस मिनट, और उसके बाद अपनी स्पोर्ट्स की प्रैक्टिस, और अगले पंद्रह दिन तक ड्रिंक्स, ड्रग्स सब बंद, यहाँ तक की डायटीशियन ने एक बड़ी स्ट्रिक्ट डाइट भी उसके लिए लिख दी,

शाम को मैं और वो स्वीमिंग और टेनिस,


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पढ़ाई और फिजिकल फिटनेस दोनों,... निधि की दोस्ती यारी में थोड़ी ठंडी पड़ गयी थी,

लेकिन अपने बुरे दिनों में उसने देखा था की दोस्त कितनी जल्दी साथ छोड़ देते हैं, जिस दिन वो स्कूल से निकाली गयी, आधे लड़कों ने उसे फेसबुक पर ब्लाक कर दिया, जब उसने टाउनशिप छोड़ी तो आधी लड़कियों ने भी पहचानना बंद कर दिया

और जब मकानमालिक उसे अपने दोस्तों के साथ सुलाने के लिए प्रेस करने लगा और फ़ीस नं भरने के कारण दूसरे स्कूल से भी निकाल दिया तो जो फ्रेंड्स ड्रिंक्स और ड्रग्स पे सैकड़ो रूपये खर्च करते थे ४२५ रूपये फ़ीस के नहीं दे पाए , बस पांच लड़किया रश्मि ऐसी अब उसकी दोस्त बची रह गयी थीं

लेकिन वो भी चाहती थीं की अब वो पढ़ाई और स्प्रोर्टस दोनों में एक्सेल करे




और उस की ट्रेनिंग के लिए जो हमारे एनजीओ ने गाँव की लड़कियों के लिए काम शुरू किया था स्पोर्ट्स का, उस फंड से ही पास के गाँव में एक स्पोर्ट्स ग्राउंड डेवलप करना शुरू किया, मुश्किल से घंटे भर की ड्राइव, पंचायत ने जमीन दे दी और बाकी इंतजाम भी शुरू हो गया।
 
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komaalrani

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निधि का अड्ड़ा
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बता तो चुकी हूँ निधि के अड्डे की बात लेकिन वो अड्डा निधि से ज्यादा मेरे लिए जरूरी था और बाद में पता चला हम दोनों से ज्यादा, इनके लिए।

चाहती तो मैं थीं, निधि यही रहें, मेरी असल छोटी बहन की तरह थी, मिल के हम दोनों इनकी खूब रगड़ाई करते थे, लेकिन कुछ बातें थीं,

एक तो पहली ये की अगले हफ्ते तीज के दो चार दिन बाद, इनकी बूआ और बूआ की दर्जा नौ वाली बिटिया आ रही थी और माँ बेटी दोनों पे साथ साथ मुझे अपने मरद को चढ़ाना था, निधि के रहने पे दोनों थोड़ा हिचकतीं। चढ़ाना तो ठीक, लेकीन बूआ जी को उनके भतीजे से गाभिन भी करवाना था और बुआ की बिटिया का खून खच्चर होना था झिल्ली फटनी थी, इसलिए उस समय निधि अलग ही रहती तो ठीक था,


फिर तीज प्रिंसेज वाले कांटेस्ट के बाद उस दिन शाम को ही हम लोग, सुजाता और उस के हस्बेंड और दोनों रसगुल्ले एक रिसार्ट पर जा रहे थे दो दिन के लिए, पहाड़ो के बीच, जहांमोबाइल का नेटवर्क भी नहीं आता, सिर्फ एक एमरजेंसी के लिए लैंड लाइन थी।



तो उन दो दिनों के लिए भी निधि का कुछ इंतजाम करना होता,

और यह तय होगया की भले वो रहेगी अपने अड्डे पर लेकिन खाना नाश्ता हम लोगो के साथ और जहाँ तक हो सकेगा सोयेगी भी हम सब के साथ ( जब बुआ और उनकी एकलौती दर्जा नौ वाली बिटिया नहीं होगी। )

और जगह का इंतजाम उसके घर लाने के पहले ही इन्होने कर दिया था हम लोगो के टाउनशिप के एकदम किनारे हमारे ही रोड पे करीब ५०० -६०० मीटर दूर, एक ट्रांजिट हॉस्टल था, बैचलर एकमोडेशन और गेस्ट हाउस लेकिन अब एक तो एक नया रेस्ट हाउस क्लब के साथ बन गया था और क्लब की कैंटीन थीं तो यहाँ कोई टिकता नहीं था। फिर कुछ अच्छे होटल खुल गए थे तो लोग वहां अड्डा जमाते थे। बैचलर भी कुछ खास बचे नहीं थे और एक दो जो थे, उन्होंने मकान ले लिया था।

तो साल भर से वो खाली ही पड़ा था, पांच कमरे ऊपर और पांच नीचे। उसके अलावा ऊपर एक स्यूट भी था और नीचे एक रिसेसप्शन

बस उन्होंने पॉलिसी चेंज कर दी, जिन स्टाफ का ट्रांसफर हो गया है उनकी लड़कियां अगर यहाँ है तो उन्हें साल भर के लिए एलॉट हो सकता है और नॉमिनल रेंट पे, उसकी पावर एडमिन के हेड को थी। एडमिन के हेड यही थे, साली को अलाट कर दिया, और सीधे स्यूट दे दिया।



शाम को मैं ये और निधि देखने गए, टाउनशिप के इंजिनियर को उन्होंने दुनिया भर के इंटरकशन दिए और दो दिन का टाइम

लेकिन वो अगले दिन ही ठीक हो गया, और हम तीनो फिर,

लेकिन पहला काम जो उन्होंने किया तो मैं समझ गयी खेल क्या है।

वो कीड़ा पकड़ने वाली मशीन, और एक एक जगह जाके उन्होंने बग चेक किया यहाँ तक की टॉयलेट का ढक्क्न उठा के सिस्टर्न के ऊपर पंखे के पीछे,कहीं कुछ नहीं था, यह अड्डा निधि का पूरी तरह सैनेटाइज्ड था।

दूसरा काम उन्होंने किया की फर्नीचर सारे नए आ गए और स्यूट तो दो कमरे का था ही तो जो लाउंज था वो निधि का रीडिंग रूम बन गया,

एक टेबल चेयर, टेबल लैम्प, सोफा, बुक शेल्फ, उसी के साथ एक कोने में वेट ट्रेनिंग के लिए वेट, थ्रेराबैंड, योगमैट और एक म्यूजिक सिस्टम

लैपटॉप भी एकदम नया, बैडरूम से बाथरूम अटैच्ड था, तो वहां भी कोहलर की नयी फिटिंग्स और शावर के लिए एक अलग ग्लास पार्टीशन की क्यूबिकल, रीडिंग रूम के साथ किचनेट और उसकी जिम्मेदारी मेरी और गीता की थी।

एक बड़ा सा फ्रिज जिसमे बच्चे छुपा छुपी खेल ले , तो मैं सब सामान लायी थी और उसमे भर दिया, फिर एक किचनेट, माडुलर किचेन तो नहीं था लेकिन सब सुविधा थी। और राशन भी गीता ने भर दिया था, और निधि भी इतने दिन अलग रह के खाना बनाना सीख ली,

और उस रीडिंग रूम के साथ इनकी दादागिरी, स्साली के लिए कोई भी जीजा क्या नहीं करता, तो बस बगल वाले रूम की वाल में उन्होंने एक छोटा सा डोर बनवा दिया था और उस कमरे का दरवाजा अंदर से बंद। मतलब वो कमरा भी अब निधि के हिस्से में और इंट्रेंस निधि के रीडिंग रूम से और वो लाउंज कम बैडरूम की तरह, और वहां भी एक नया लैपटॉप, डबल बेड और एक सोफा क्या काउच था बड़ा सा।

नीचे रिसेप्शन में उन्होंने एक सिक्योरटी वाले को लगा दिया था, आठ आठ घंटे की शिफ्ट में और वो सीसी टीवी भी मॉनिटर करता जिसका कंट्रोल रूम से कोई लिंक नहीं था न कोई आई पी एड्रेस, मतलब हैक करने का चांस करीब करीब जीरो, दूसरे ऊपर जाने कीसीढ़ी बंद थी और ताले से नहीं पूरा उन्होंने चिनवा दिया था।

एक लिफ्ट लग गयी थी, जो सिर्फ सिक्योरटी वाला खोल सकता था या निधि और हम दोनों के बायोमेट्रिक से खुलती, और उसे सख्त इंस्ट्रक्शन थे की ऊपर हम चारो के अलावा कोई नहीं जाएगा, हम तीन और गीता और हम तीन के अल्वा कोई है तो वो हमारे साथ ही जाएगा जैसे निधि की कोई सहेली या मेरी सहेली।

इन्होने साइबर सेल से कह के कई और सिक्योरिटी के इंतजाम किये थे लेकिन मुझे एक ब्रेन वेव आयी, बाकी चार कमरे खाली हैं और मैंने उनसे कहा की वो मुझे दे दीजिये, मतलब मेरी एन जी ओ को ११ महीने की लीज पे और वो कमरे भी बुक हो गए और एक दो दिन में वहां भी बोर्ड लग गया,


लेकिन निधि को कुछ समझ में नहीं आ रहा था, ये कीड़े वाली मशीन, ये सिक्योरटी और उन्होंने उसे सब राज बता दिया, घर में सब फोन हैक हैं, हर कमरे में बग और कैमरे लगे हैं।

निधि लेकिन कुछ मामलों में अपने जीजू से भी दो हाथ आगे थी,

पहले तो उसने सारे लैपटॉप में ऑपरेटिंग सिस्टम चेंज कर के लाइनक्स लगाया फिर कई वी पी एन इंस्टाल किये, तबतक ये उसे बता रहे थे की इन सारे कमरों में डार्क हैं ग्लासेज जो वन साइडेड हैं यानी बाहर से तो कुछ नहीं दिखेगा लेकिन अंदर से सब कुछ दिखेगा, उसके अलावा उसमे थर्मल इमेजिंग और नाइटविजन भी है यानी रात में भी अंदर से बाहर का सब कुछ दिखेगा,

और सबसे बड़ी बात सारे ग्लास, ग्लास क्लैड बुलेट प्रूफ हैं यानी इसमें ग्लास, पॉलीकार्बोनेट और एक ऐडहेसिव फिल्म का इस्तेमाल हुआ और जो हैण्ड गन से लेकरएके १० की गोलियां तक रोक सकती हैं। इसका लेवल UL ७५२ -८ है ये हंटिंग राइफल की गोली का भी इस पर असर नहीं होगा। ऑफ कोर्स पहली गोली लगते ही लोकडाउन मेकेनिज्म आपरेट हो जायेगी और सब खिड़कियों, दरवाजो पर स्टील के डोर आपरेट हो जाएंगे।



लेकिन निधि पर इस का असर कुछ नहीं हुआ और वो बोली लेकिन साउंड

और वो सीरियस हो गए और निधि को देख के बोले, " एकदम सही कह रही हो " और फिर उन्होंने किसी को सारे कमरों की कम्लीट साइड प्रूफिंग के बारे में बोला

अब तक मैं भी समझ गयी थी की जो कमरे को हैक कर सकता है, बग लगा सकता है, फेल होने पे डोर से बात को सुनने के लिए भी कोई डिवाइस का इस्तेमाल कर सकता है और अब मैं और निधि दोनों समझ गए थे की ये असल में उनका कमांड और कंट्रोल सेंटर होगा,


उन्होंने सिर्फ ये बताया की अगले १० -१२ दिन बड़े इम्पॉर्टन्ट हैं और उन्हें ५ सेफ जगहें चाहिए कम्युनिकेट करने के लिए, घर का तो हर कोना कमरोमाइज्ड था और आफिस का भी और उन पांच जगहों में ये निधि का अड्ड़ा उनके लिए सबसे इम्पॉटेंट अड्डा होगा और निधि वहां होगी तो किसी को शक भी नहीं होगा, उनका और निधि का थ्रीसम तो कैमरे में रिकार्ड होकर अब तक कहाँ पहुँच गया होगा, फिर गाजर वाले ने भी देखा होगा, तो उनके यहाँ आने जाने पर किसी को शक नहीं होगा।
 
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