स्साली और बीबी साथ साथ : असली मजा थ्रीसम का
हम तीनो एक दूसरे से चिपके, थके, लेकिन पहल मेरी छोटी बहन, निधि ने ही की ,
आते ही उसने अपने जीजू से दो चीजें घर के बारे में पूछी थीं "सुसुघर कहाँ हैं और दारु की बोतले कहाँ रखी हैं "
ये तो जिसकी गाँड़ ठीक से मार दें वो दो दिन तक टांग फैला के चलेगा, और बिस्तर से उठने में भी चिलख होगी, तो निधि भी, बड़ी मुश्किल से बिस्तर पकड़ के उठी, फिर दीवाल पकड़ के टाँगे फैला के, किसी तरह से चलती हुयी,
और लौटी तो उसके हाथ में व्हिस्की को दो बोतल, रामपुर, जुगलबंदी और दोनों का अल्कोहल पर्सेंटेज ५५ % से ज्यादा, मान गयी मैं अपनी छोटी बहन को, लौंडो के साथ दारु की भी उसकी पहचान सही है,
उन्होंने हाथ बढ़ाया और डांट कस के पड़ी, और कौन डाँटेगा, उनकी स्साली निधि,
" चल हट, बेवड़े, मंगतों की तरह हाथ फैलाता है। ये हम दोनों बहनों के लिए हैं, चल बहुत ललचाएगा तो दे देंगे थोड़ा तुझे भी, चल मुंह खोल "
और उस नदीदे ने बड़ा सा मुंह खोल दिया और वो नशीली शराब, उनकी नशीली साली के नशीले जोबन पर से बहती हुयी बूँद बूँद उनके मुंह में
एक इंटरमीडिएट वाली टीनेजर, जस्ट अडल्ट के जोबन रस से आप सोच सकते हैं शराब और कितनी नशीली हो गई होगी और वो अगर छोटी स्साली हो, लेकिन फिर निधि ने बोतल, सीधे मेरे मुंह में लगा दी, कुछ मेरे गले से नीचे उतरी, कुछ मुंह में रही और मेरे मुंह उनकी साली के मुंह में और उनकी साली के मुंह से साली के जीजू के मुंह में,
दो चार पेग तो उस के जीजू ने ऐसे ही पी लिए और फिर मैंने निधि को कुछ इशारा किया
सच में असली साली थी उनकी, और मेरी असली छोटी बहन, बिना बोले इशारा समझ गई और दोनों टाँगे फैला के उनके मुंह के ऊपर, निधि ने अपनी कच्ची चूत की दोनों फांके खोल दीं,
" कैसी है मेरी बहना की " मैंने उन्हें चिढ़ाया,
उनका खड़ा खूंटा खुद बता रहा था की उन्हें कैसा लग रहा है, लेकिन वो कुछ बोल पाते साली का हुक्म मिल गया
" जीजू कुछ बोलना मत, बस मेरी दीदी की सास के भोंसडे ऐसा बड़ा सा मुंह खोल के रखो "
दुनिया का कौन जीजा होगा जो ऐसी सेक्सी स्साली का हुकुम न माने, उन्होंने मुंह खोल दिया, और शराब, साली की राजदुलारी से होते हूसे सीधे उसके जीजू के मुंह में
" हे निधि, सुन, अभी तो ये वाली चलेगी, लेकिन सुबह अपने जिज्जू को अपनी पर्सनल सुनहली शराब ऐसे ही पिलाना, "मैंने अपनी छोटी बहन को हँसते हुए समझाया
" एकदम दी, नेकी और पूछपूछ, नहीं मानेगे तो जबरदस्ती, एक कप पिलाऊंगी और दिन भर दो बोतल का नशा रहेगा, मेरे जीजू को "
हँसते हुए निधि बोली,
और बैठ के व्हिस्की से भीगी अपनी गुलाबी एकदम सफाचट चूत अपने जीजू के होंठों पर रगड़ती बोतल मुझे पास कर दिया, और मैं बोतल को मुंह लगा के गट गट गट गट,
थोड़ी देर में बोतल खाली थी, बोतल का नशा हम तीनो के अंदर, और आधी बोतल तो निधि के जीजू के पेट में और बाकी हम दोनों बहनों ने बाँट ली /
और सिर्फ बोतल ही हम दोनों बहनो ने नहीं बांटी, बिस्तर पर लेटे मरद को भी बाँट लिया,
ऊपर वाली निधि ने मुझे दिया और नीचे बाला खुद। हम दोनों की चुम्बन यात्रा साथ साथ शुरू हुयी, मैंने माथे से चूमना शुरू किया और निधि ने पैरों के अंगूठे से और पांच मिनट में हम दोनों बहनों के होंठ उस तन्नाए कुतबमीनार के चारो ओर, कभी चूमते, कभी चाटते बेचारा पलंग पे लेता लड़का सोच रहा था की हम दोनों माल अभी उसके खूंटे को मिल के चूसना शुरू करेंगे,
लेकिन जितनी बदमाश मैं थी, उससे दस गुनी ज्यादा छिनार मेरी बहन, अपने जीजू को तड़पाने में माहिर,
बजाय उस लम्बे मोटे खूंटे को चूसने चाटने के, उसने मुझे क्या जबरदस्त लिप्पी दी, एकदम असली छोटी बहन की तरह, और मैं ने भी, एकदम असली डीप फ्रेंच किस, मैं निधि के होंठों को चूस रही थी , उसके मम्मों को दबा रही थी, जीभ उसके मुंह में ठेल रही थी, और निधि ने भी कस के मेरे सर को अपने दोनों हाथो से दबोच रखा था। और मैं तिरछी निगाह से उनकी ओर देख रही थी,
बेचारा मेरा मरद उसकी हालत खराब थी, सामने मिठाई का थाल भरा और छूने को भी नहीं मिल रहा था, और यही तो हम दोनों चाहते थे, जितना बेसबरा होगा उतना रगड़ के चोदेगा।
और पांच मिनट उन्हें दिखा दिखा के हम दोनों जबरदस्त लेस्बो प्ले लेकिन मन तो हम दोनों का भी कर रहा था था, सामने इत्ता लम्बा मोटा चमचम हो और चूसने को न मिले, निधि बेक़रारार थी। मैंने उन्हें बोल दिया,
" चल बहुत मन कर रहा तेरा तो बस चुपचाप लेटे रहना, जो करेंगी हम दोनों बहने करेंगी, तू बस लेटे रहना, नहीं तो अबकी हाथ पैर सब बांधे देंगे और खोलेंगे भी नहीं'
उन्होंने सर हिला के हामी भरी और हम दोनों मिल के चालु होंगे खूंटा चूसने में, साथ साथ।
वो मोटा चर्मदण्ड, बाए साइड से में चाट रही थी और दाएं ओर से निधि, लपड़ लपड़, सपड़, सपड़ और जब उनकी साली ने सुपाड़े को चूसना शुरू कर दिया तो मैंने जीभ की नोक से बे बेस को चाट रही थी, हाँ हाथ न मैंने लगाया न निधि ने, सिर्फ जीभ और होंठ।
लेकिन मान गयी मैं निधि को, कुछ देर बाद सुपाड़े को उसने बड़ी बहन के लिए छोड़ दिया
और वो खुद दोनों रसगुल्लों को सपड़ सपड़ कर चाटने लगी
और लगे हाथ उसकी ऊँगली पहली बार मैदान में आयी और उनके पिछवाड़े के छेद के अंदर तो उसने नहीं घुसाया, लेकिन बस गोल दरवाजे के चारो ओर घुमाने लगी।
और अब मेरी ऊँगली भी मैदान में आ गयी थी, बल्कि मुट्ठी भी, मैंने लंड को कस के मुट्ठी में दबा लिया था और हलके हलके मुठिया रही थी और कस कस के उनके सुपाड़े को चूस रही थी ,
हम दोनों तो मस्ती कर रहे थे लेकिन हालत खराब मेरे मर्द की हो रही थी, वो बेचारे कुछ कर भी नहीं सकते थे, मैंने और साली दोनों ने बरज दिया था, बस सिसक रहे थे, चूतड़ पटक रहे थे, छपटपटा रहे थे, और मुझसे नहीं रहा गया,
मैंने खूंटा उस टीनेजर इंटरवाली के हवाले कर दिया
और क्या मस्त डीप सक किया इनकी स्साली ने, खूब बड़ा मुंह खोल के, ढेर सारा थूक लेके, हाथ में लगा के पहले मुठिया फिर सरकते सरकते आलमोस्ट पूरा, आठ इंच तक, निधि गों गों कर रही थी, खूंटा मुंह में अटका था, सुपाड़ा गले में एकदम हलक में जाकर तक गया था लेकिन अभी डेढ़ दो इंच बांस बाहर था।
निधि कित्ती भी लंडखोर क्यों न हो, ऐसा लम्बा मोटा तो सपने में भी उसने न सोचा होगा। वो अच्छी तरह चौक कर रही
लेकिन मैं थीं न, बस मैंने कस के दोनों हाथो से निधि का सर पकड़ा और कस के अपने मरद के लंड के ऊपर रख के दबाया और उन्हें आँख से इशारा किया और इन्होने भी पलंग को पकड़ के पूरी ताकत से अपना चूतड़ उचकाया,
निधि बेचारी छटपटाती रही, छूटने की कोशिश करती रही, लेकिन मेरी पकड़ जबरदस्त थी, और सूत सुत करके उनका मोटा लंड उस टीनेजर के मुंह में समाता गया और थोड़ी देर में एकदम जड़ तक अंदर था, और निधि को भी मजा आने लगा। बस अब अपनी जीभ से उस मोटे चर्म दंड को वो चाट रही थी , होंठों से जड़ तक दबाये चूस रही थी और निधि ने खुद अपने हाथ से अपने जीजू के लंड के बेस को पकड़ लिया था
दो चार मिनट तक पूरे जड़ तक खूंटा घुसा था, निधि की आँखे बाहर निकली थीं, गाल उस मोटे खूंटे के कारण फूले थे, लेकिन मान गयी मैं निधि स्साली को, वो मजे ले ले कर चूस रही थी और कुछ देर बाद जब निधि ने थोड़ा सा खूंटा बाहर निकाला, और करीब ६-७ इंच मुंह में लेकर चूस रही थी तब तब भी थोड़ी थोड़ी देर में पूरा खूंटा अंदर ले लेती थी।
और मेरे होंठ कभी उनकी छाती पर कभी मेल टिट्स पे, लेकिन अब थोड़ी देर बाद मेरा नंबर था। पूरे दस मिनट तक निधि ने कबरदस्त डीप थ्रोट किया, वो भी चूतड़ उठा के मजा ले रहे थे, लेकिन निधि तक रही थी और मैंने मोर्चा सम्हला लिया,
और न मेरी ऊँगली, न मेरी चम्पाकली, न मेरे होंठ, बस मेरे जोबन दोनों डट गए मैदान में। निधि ने दूसरी बोतल खोली, थोड़ी खुद गटकी खुद मेरे होंठों में और कुछ उसके होंठो से उसके जिज्जू के होंठो पे
हे निधि, सुन, अभी तो ये वाली चलेगी, लेकिन सुबह अपने जिज्जू को अपनी पर्सनल सुनहली शराब ऐसे ही पिलाना, "मैंने अपनी छोटी बहन को हँसते हुए समझाया
Asli maza to kuwariyo ka aata hai.
Kya gajab forplay ka varnan kiya hai.