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जोरू का गुलाम भाग २४९ , एम् -१ पृष्ठ १५५०
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चलिए कुछ तो पकड़ में आयासेटलाइट
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नवलकर के कम्यूटर पर एक मेसज पॉप आप हुआ और फिर जिस सेटलाइट का वो इस्तेमाल फ़ूड ट्रक के सरवायलेंस के लिए कर रहे थे उसको उन्होंने लिंक किया। उनके लैपटॉप पर उस सेटलाइट की सीधे स्क्रीन खुल गयी और जहाँ से सेटलाइट कंट्रोल होती थी वहां का एक कम्म्युनिऐक्शन चैनल भी।
रात के १ बजकर ४० मिनट हो रहे थे, और उस फ़ूड ट्रक के छत पर एक डिश निकल आयी, जैसे टीवी वालों के ओ बी वान पर होती है थोड़ी और बड़ी साइज की।
बस यह तय की कोई कम्युनिकेशन सेटलाइट होगी जी आधे, पौन घंटे उस वान के टच में रहेगी और वो डाटा उसी सेटलाइट को पास होगा।
सेटलाइट कंट्रोल के कम्युनोइकेशन चैनल पर बिना उनके कहे एक डेढ़ सौ किलोमीटर का उस इलाके का स्काई मैप आ गया। और उन्होंने पहचान लिया।
एक सेटलाइट जो उस लोकेशन पर १० मिनट में पहुँचने वाली थी, और उस मैप पर उस सेटलाइट पर उन्होंने करसर से प्रेस किया, वो एक इंटरैक्टिव स्क्रीन था, बगल में एक पैनल खुल गया, सेटलाइट की लांच होने की डेट, जिस कम्पनी की वो थी, यूरो स्टार, और अचानक उनकी चमकी, ये दो साल पहले ही बानी थी, लक्जमबर्ग, हेडक्वार्टर और एक अमेरिकन कम्पनी इको स्टार से अलग होकर, लेकिन उसके बिजनेस का सी ए जी आर १५ % से भी ऊपर था जो उस सिग्मेंट में एक बड़ी बात थी। तबतक जो एक कम्युनिकेशन चैनल नवलकर ने खोल रखा था, उसपे उस सेटलाइट के बारे में एक और बात आयी।
यह सेटलाइट SAR (Synthetic Aperture Radar) की क्षमता से लैस है यानी यह दिन के साथ साथ रात में, बादलो और बर्फ में भी इमेज ले सकता है और रेडियो वेव्स के जरिये ये ऑब्जेक्ट को प्रकाशित कर देता है, जिससे घुप अँधेरे में भी इमेजिंग होती है। यह सतह के उभार की मदद से दरवाजे खिड़कियां और थर्मल इमेजिंग से लिविंग आब्जेक्ट्स की भी इमेज लेता है, लेकिन उस इमेज का क्षेत्र बाकी सेटलाइट इमेज के मुकाबले कम और ज्यादा फोकस्ड होता है। यह १ वर्ग मीटर तक के आब्जेक्ट की अच्छी फोटो ले सकता है।
नवलकर ने जिस सेटलाइट से हर दो घंटे में इमेजिंग करवाई थी उसे गूगल अर्थ से जोड़कर, उस टाउनशिप का एक डिटेल मैप बना लिया था , जिसे करीब बीस वर्ग किलोमीटर तक की हर छोटी बड़ी ईमारत, सड़क, रस्ते, आ जाते थे और उसमें उन्होंने उस फ़ूड ट्रक और उसके आस पास के ५०० मीटर के इलाके को हाइलाइट कर रखा था।
नवलकर ने जिस सेटलाइट को लगा रखा था और जिसके कंट्रोल से सेंटर से वो टच में थे, सिर्फ दो बात पूछी, एक की जो डाटा फ़ूड ट्रक से सेटलाइट को पास होगा, उसके साथ पिगी बैक कर के, क्या वो कोई आइडेंटीफायर भेज सकते हैं। उसका जवाब उन्हें हाँ में मिला लेकिन यह भी उस डाटा को सेटलाइट से हैक करना या अपलोड करते समय हैक करना मुश्किल है,हाँ एक बार सेटलाइट वो डाटा ट्रांसमिट कर दे तो वहां से वो अगर अपने सोर्सेज से हैक करा लें उसकी बात अलग है।
दूसरे सवाल का जवाब भी हाँ में मिला,
एक अंदाजन एरिया का पता चल सकता है हाँ स्पेसिफिक बिल्डिंग का पता चलना मुश्किल है।
कुछ देर में ही फ़ूड ट्रक से निकला सेटलाइट एंटीना सारा डाटा उस सेटलाइट पर अपलोड कर रहा था। वह काम तो पांच से दस मिनट में हो गया लेकिन अगले पांच मिनट तक SAR इमेजिंग होती रही।
और उन्हें उनके कम्युनिकेशन चैनल से पता चल गया की वह फ़ूड ट्रक से करीब १०० मीटर दूर के जगह की है और २५० वर्ग मीटर, फिर वहां तक पहुँचने वाले रास्तों की,
यानी यह साफ़ था की जिस की निगरानी हो रही है उस के घर और आसपास की डिटेल्ड फोटोग्राफी हो रही है।
करीब आधे घंटे बाद उन्हें पता चल गया की जो डाटा फ़ूड ट्रक से अपलोड हुआ था, वो केपटाउन को ट्रांसमिट किया गया है और नवलकर की सब उम्मीदों पर पानी फिर गया।
उन्हें उम्मीद थी की डाटा का डेसिनेशन ट्रेस कर के वो उस कम्पनी या उसकी सिक्योरटी कम्पनी तक पहंचु जाएंगे, जो सर्वेलेंस करवा रही है।
पर केपटाउन का नाम आते ही उन्हें अंदाज लग गया की, डाटा किसके पास गया है, और ५० मीटर के अंदर तक की लोकेशन जैसी पता चली उनका शक विश्वास में बदल गया।
बहुत ही कम समझ में आया...par acha lagaकेपटाउन
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और नवलकर ने केपटाउन फोन लगाया हाँ अब वो एक डच नागरिक थे, उसी रूप में तो मिले थे केप टाउन में
कम से कम २५- ३० तरीके से उच्चारण, स्वराघात, और किससे बात करते समय किस रूप में मिलना है ये सब उनके खून में मिला था
जैसा उन्हें उम्मीद थी, पीछे की आवाजों से साफ़ था वह एक बार था। केपटाउन का समय मुंबई से साढ़े तीन घंटे पीछे चलता है। यहाँ पर अभी तीन बज रहा था तो वहां साढ़े गयारह, रात तो अभी शुरू हुयी थी।
" आधे घंटे बाद मैं, मोनिका के पास रहूंगा, वही डॉमिनीट्रिक्स, " और यह कह कर फोन कट गया।
मतलब साफ था, डार्क वेब पर चैट रूम में एक बी डी एस एम् रूम में वो मोनिका बन के मिलता और फिर वो एक प्राइवेट चैट रूम सेट कर के,
डार्क वेब पर कम्युनिकेशन काफी सेफ था, जबतक आप तीन इलाकों में न भटकें, पिडोफिल या चाइल्ड पॉर्न साइट्स, किलर फॉर हायर और ड्रग्स, इन तीनो जगहों पर कई देश के साधु नुमा पुलिस वाले शैतान बने घूमते हैं। और उस जंगल में बी डी एस एम् की कोई परवाह नहीं करता।
आधे घंटे बाद बात हो गयी और मुम्बई के समय के हिसाब से साढ़े छह बजे उन्हें पता भी चल गया।
और इसी बीच नवलकर ने दो घंटे की नींद भी मार ली, खूब गाढ़ी।
केप टाउन से डाटा चार जगहों पर गया था, एक तो मुम्बई में मलाड में, एक जेनेवा में और दो जगह अमेरिका में।
मलाड में गया मेसेज उन्होंने खोल भी लिया सिम्पल था NAD मतलब नो एक्टिविटी डिटेक्टेड। लेकिन काम की बात ये थी की अब पता चल गया था की हिंद्स्तान में की मैन कौन है और उसपर निगाह रखी जा सकती थी।
जेनेवा में जिस जगह मेसेज गया था उसे वह एड्रेस देख के ही पहचान गए, एक कोवर्ट सिक्योरटी एजेंसी का डाटा एनेलेटिक्स सेंटर और वहां सेंध लगाना एक तो करीब असम्भव था और फिर वह २५६ कंपनियों के लिए काम करती थी तो ये कैसे पता चलेगा की उसे किसने हायर किया
तालिबानों ने सिक्योरटी एजेंसीज को बहुत नाच नचाया लेकिन एक बात एजेंसीज ने सीख भी ली की अभी सबसे सेफ मेसेज भेजने का तरीका आदमी है, कूरियर सिस्टम, आप लाख सिग्नल चेक करें आदमी कहाँ से पकड़ेंगे। और पकड़ने पर भी उससे मेसेज निकलवाना आसान नहीं तो वो अपने आका को रिपोर्ट कुरियर से ही भेजेंगे।
और बाकी जो दो अमेरिका के सेंटर थे वो एक घंटे की मेहनत के बाद फुस्स निकले। नवलकर ने अपनी एजेंसी से जुडी एक इंटरेनट फर्म को लगाया तो वो दोनों एड्रेस डम्प्स के थे यानी वहां डाटा पहुंच के सिर्फ डिलीट कर दिया जाता है और डाटा अक्सर गार्बेज होता है जिसे डाटा ट्रेस करने वाला भटकता रहे।
लेकिन तीन बातें काम की मालूम हो गयीं,
Thanks I spend a lot of space on descriptions hence the size increases, thanks for enjoying and supporting.Great update Madam...the thing that I am truly blown is....almost all updates are of more than 3-4k words (avg)...और वो भी २४८ पार्ट.. एक पार्ट में इतना लिखना ही बड़ी बात है. और आप तो ऐसे long उपदटेस सालों से देते आ रहे हो!! बधाई!!
komaalrani
Thank you....SUPPORT....will always be there Madam for you...dont know if you thought otherwise ...Thanks I spend a lot of space on descriptions hence the size increases, thanks for enjoying and supporting.
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बात आपकी सोलहो आने सही है, सौ फीसदीYaha subject means ... कोमल का पति हुआ na...???.
Chalo itna to aamjha आया.... ab aage padhte है
केपटाउन
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और नवलकर ने केपटाउन फोन लगाया हाँ अब वो एक डच नागरिक थे, उसी रूप में तो मिले थे केप टाउन में
कम से कम २५- ३० तरीके से उच्चारण, स्वराघात, और किससे बात करते समय किस रूप में मिलना है ये सब उनके खून में मिला था
जैसा उन्हें उम्मीद थी, पीछे की आवाजों से साफ़ था वह एक बार था। केपटाउन का समय मुंबई से साढ़े तीन घंटे पीछे चलता है। यहाँ पर अभी तीन बज रहा था तो वहां साढ़े गयारह, रात तो अभी शुरू हुयी थी।
" आधे घंटे बाद मैं, मोनिका के पास रहूंगा, वही डॉमिनीट्रिक्स, " और यह कह कर फोन कट गया।
मतलब साफ था, डार्क वेब पर चैट रूम में एक बी डी एस एम् रूम में वो मोनिका बन के मिलता और फिर वो एक प्राइवेट चैट रूम सेट कर के,
डार्क वेब पर कम्युनिकेशन काफी सेफ था, जबतक आप तीन इलाकों में न भटकें, पिडोफिल या चाइल्ड पॉर्न साइट्स, किलर फॉर हायर और ड्रग्स, इन तीनो जगहों पर कई देश के साधु नुमा पुलिस वाले शैतान बने घूमते हैं। और उस जंगल में बी डी एस एम् की कोई परवाह नहीं करता।
आधे घंटे बाद बात हो गयी और मुम्बई के समय के हिसाब से साढ़े छह बजे उन्हें पता भी चल गया।
और इसी बीच नवलकर ने दो घंटे की नींद भी मार ली, खूब गाढ़ी।
केप टाउन से डाटा चार जगहों पर गया था, एक तो मुम्बई में मलाड में, एक जेनेवा में और दो जगह अमेरिका में।
मलाड में गया मेसेज उन्होंने खोल भी लिया सिम्पल था NAD मतलब नो एक्टिविटी डिटेक्टेड। लेकिन काम की बात ये थी की अब पता चल गया था की हिंद्स्तान में की मैन कौन है और उसपर निगाह रखी जा सकती थी।
जेनेवा में जिस जगह मेसेज गया था उसे वह एड्रेस देख के ही पहचान गए, एक कोवर्ट सिक्योरटी एजेंसी का डाटा एनेलेटिक्स सेंटर और वहां सेंध लगाना एक तो करीब असम्भव था और फिर वह २५६ कंपनियों के लिए काम करती थी तो ये कैसे पता चलेगा की उसे किसने हायर किया
तालिबानों ने सिक्योरटी एजेंसीज को बहुत नाच नचाया लेकिन एक बात एजेंसीज ने सीख भी ली की अभी सबसे सेफ मेसेज भेजने का तरीका आदमी है, कूरियर सिस्टम, आप लाख सिग्नल चेक करें आदमी कहाँ से पकड़ेंगे। और पकड़ने पर भी उससे मेसेज निकलवाना आसान नहीं तो वो अपने आका को रिपोर्ट कुरियर से ही भेजेंगे।
और बाकी जो दो अमेरिका के सेंटर थे वो एक घंटे की मेहनत के बाद फुस्स निकले। नवलकर ने अपनी एजेंसी से जुडी एक इंटरेनट फर्म को लगाया तो वो दोनों एड्रेस डम्प्स के थे यानी वहां डाटा पहुंच के सिर्फ डिलीट कर दिया जाता है और डाटा अक्सर गार्बेज होता है जिसे डाटा ट्रेस करने वाला भटकता रहे।
लेकिन तीन बातें काम की मालूम हो गयीं,